श्रवण नक्षत्र फल

श्रवण नक्षत्र

श्रवण नक्षत्र बाईसवें स्थान पर आता है. भचक्र में मकर राशि में 10 अंश से 23 अंश 20 कला तक का विस्तार इस नक्षत्र के अधिकार में आता है. श्रवण नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता विष्णु है और स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं. इस नक्षत्र में 3 तारे माने गए हैं जो भगवान विष्णु के तीन पद चिन्ह हैं. श्रवण नक्षत्र का अर्थ सुनना, ख्याति, कीर्ति से लिया जाता है. श्रवण का एक अन्य नाम अश्वत्थ या पीपल के वृक्ष से भी लिया जाता है. तैत्रिय उपनिषद में श्रावण को श्रोण भी कहते हैं.

श्रवण नक्षत्र - शारीरिक गठन और व्यक्तित्व विशेषताएँ

श्रवण नक्षत्र का जातक लम्बे पतले अथवा सामान्य कद के शरीर वाला होता है. चेहरे पर कोई चिन्ह या तिल का निशान हो सकता है. कई मामलों में जातक के कंधों के नीचे तिल पाया जाता है. नाक थोडी़ उठी हुई हो सकती है. दांत कुछ हल्के से बड़े और दांतों के मध्य में अन्तर भी हो सकता है. चेहरे की तुलना में सिर कुछ बडा़ हो सकता है.

श्रवण नक्षत्र को वैदिक ज्योतिष में शुभ नक्षत्र माना जाता है. इस नक्षत्र का नाम भारतीय पौराणिक चरित्र श्रवण कुमार, उनके माता-पिता के अत्यंत भक्त के नाम पर रखा गया है. इस नक्षत्र के जातक अपने माता-पिता की बहुत सेवा और देखभाल करने वाले हो सकते हैं. जातक धार्मिक और शुद्ध पवित्र प्रकृति का होता है.

श्रवण नक्षत्र में पैदा हुए जातक अपने कर्तव्यों के प्रति पूर्ण रुप से जिम्मेदार होते हैं. बहुत भरोसेमंद होते हैं और कभी भी किसी के विश्वास को चोट नहीं पहुंचाते हैं. श्रवण मूल निवासी धार्मिक हैं और अनन्त सत्य की खोज करने में लगे रहते हैं. लोग उन्हें अपनी आध्यात्मिक और ईमानदार प्रकृति के लिए जानते हैं. वे एक अच्छी आजीविका कमाते हैं. उनके चरित्र की एक और विशेषता यह है कि वे कामों के बारे में बहुत सचेत हैं और इसी कारण से उनके काम में आसानी से कोई गलती नहीं निकाली जा सकती है.

श्रवण नक्षत्र के जातक कई विचार और योजनाएं को बनाने में योग्य होते हैं. लेकिन कई बार गुप्त शत्रुओं के कारण इन्हें अपनी योजनाओं को अधूरा छोड़ना पड़ सकता है. श्रवण नक्षत्र के कारण जातक में आत्म-सम्मान और साहस उत्पन्न होता है और जातक निडर होता है.

पारिवारिक जीवन

परिवार में ये सब को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं. परिवार में प्रेम और समर्पण का भाव बना होता है. इनका स्वामित्व अच्छा होता है और नेतृत्व करने की बेहतर क्षमता भी होती है. दांपत्य जीवन में स्थिति संतोषप्रद रहती है पर इसके साथ ही अन्य संबंधों से भी इंकार नहीं किया जा सकता है. संतान पक्ष की ओर से चिंता या कष्ट मिल सकता है. धर्म कर्म को करने वाल व्यक्ति होता है और समाजिक दायरे में स्वयं को लेकर चलने की कोशिश भी करता है.

स्वास्थ्य

यह भचक्र का बाईसवाँ नक्षत्र है और चंद्रमा इसका स्वामी है. इस नक्षत्र के अन्तर्गत घुटने, लसीका वाहिनियाँ तथा त्वचा आती है. इसके साथ ही कान और प्रजनन अंग का संबंध भी इसी नक्षत्र से माना जाता है. इस नक्षत्र में पाप प्रभाव होने से व्यक्ति की चाल में भी दोष दिखाई दे सकता है. जातक की चाल में लंगडा़पन आ सकता है. इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर श्रवण नक्षत्र से प्रभावित अंगों से संबंधित रोग होने की संभावना बनती है.

श्रवण नक्षत्र जातक का व्यवसाय

श्रावण नक्षत्र के जातक नौकरी और व्यापार दोनों में ही अनुकूल होते हैं. वे सफलतापूर्वक इनमें से किसी भी कैरियर से कमाई कर सकते हैं. श्रवण नक्षत्र के जातक मुख्य रुप से चिकित्सा विज्ञान, इंजीनियरिंग, शिक्षा और कला में रूचि रखते हैं. इसलिए श्रवण नक्षत्र का जातक अध्यापन और प्रशिक्षक के काम बहुत अच्छे से कर सकता है, शोधकर्ता, शिक्षण संस्थान के काम, भाषाविद, अनुवादक, दुभाषिये, कथा वाचक, विदूषक और गीत संगीत से जुड़े काम इस नक्षत्र में आते हैं.

रिकॉर्डिंग, ध्वनी अभियंता, टेलीफोन आपरेटर, प्राचीन चीजों के संग्रह कर्ता, संगीत घरानों से जुड़े लोग, प्रबन्धक के काम, समाचार वाचक, रेडियो और दूर दर्शन में कार्यक्रम पस्तुत करने वाले लोग, सलाहकार, मनोचिकित्सक, ट्रैवल एजेन्ट, परिवहन एवं पर्यटन से जुड़े काम इसमें आते हैं. चिकित्सा के काम, डाक्टर, अस्पताल के कर्मचारी, दान संस्थान, आध्यात्मिक संस्थान, औषधि निर्माता एवं विक्रेता के काम भी इस नक्षत्र का जातक कर सकता है. इसके साथ ही समाज सेवा करने वाली संस्थाओं में जुड़ कर भी ये लोग काम करते देखे जा सकते हैं.

श्रवण नक्षत्र का प्रथम चरण

लग्न या चंद्रमा, श्रवण नक्षत्र के प्रथम चरण में आता हो, तो जातक की आंखे गोल एवं लालिमा युक्त होती हैं. माथा चौडा़ होता है. भुजाएं बड़ी और शरीर पतला होता है. बालों में रुखापन हो सकता है. रुक-रुक कर बोलने की आदत हो सकती है. कम बोलने वाला होता है.

श्रवण नक्षत्र का दूसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, श्रवण नक्षत्र के दूसरे चरण में आता हो, तो जातक का रंग कुछ सांवला हो सकता है. गाल मोटे होते हैं और नाक कुछ फुली हुई सी होती है. गोल भुजाएं भोग विलास में अधिक प्रसन्न व जिस कार्य को आरंभ करता है उसे पूर्ण करने में लगा रहता है.

श्रवण नक्षत्र का तीसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, श्रवण नक्षत्र के तीसरे चरण में आता हो, तो व्यक्ति के शरीर में चमक होती है. कांति युक्त देह और अच्छी वेशभूषा धारण करने का शौक होता है. सुंदर वक्ता होता है. आंखों के नीचे वाली हड्डी में कुछ उभार हो सकता है. माथा चौडा़ और बडा़ होता है.

श्रवण नक्षत्र का चौथा चरण

लग्न या चंद्रमा श्रवण नक्षत्र के चौथे चरण में आता हो तो जातक सांवले रंग का और स्वभाव से आलसी हो सकता हैं. बोलने में अच्छा वक्ता और घुंघराले बालों वाला. स्वभाव में कुछ कठोरता हो सकती है. कोमल हथेली और तलवों वाला हो सकता है. बौधिक एवं चरित्रवान होता है.

श्रवण नक्षत्र के नामाक्षर

श्रवण नक्षत्र के प्रथम चरण या प्रथम पाद में जो 10:00 से 13:20 तक होता है. इसका अक्षर “खी” होता है.

श्रवण नक्षत्र के प्रथम चरण या प्रथम पाद में जो 13:20 से 16:40 तक होता है. इसका अक्षर “खू” होता है.

श्रवण नक्षत्र के दूसरे चरण या द्वितीय पाद में जो 16:40 से 20:00 तक होता है. इसका अक्षर “खे” होता है.

श्रवण नक्षत्र के तीसरे चरण या तृतीय पाद में जो 20:00 से 23:20 तक होता है. इसका अक्षर “खो” होता है.

श्रवण नक्षत्र वेद मंत्र

ॐ विष्णोरराटमसि विष्णो श्नपत्रेस्थो विष्णो स्युरसिविष्णो

धुर्वोसि वैष्णवमसि विष्नवेत्वा । ॐ विष्णवे नम: ।

उपाय

श्रवण नक्षत्र के जातक के लिए भगवान विष्णु की पूजा करना शुभफलदायक होता है. इसके साथ ही गायत्री मंत्र जाप भी इनके लिए लाभकारी होती है. श्रवण नक्षत्र में चंद्रमा जब गोचर कर रहा हो तो उक्त समय पर भगवान विष्णु के दशावतार पूजन और स्मरण का विशेष महत्व होता है. जातक के लिए सफेद और हल्के नीले रंगों का उपयोग अच्छा माना जाता है. इसके मोती को चांदी में जड़वा कर भी धारण किया जा सकता है. साथ ही बृहस्पति के मंत्र जाप अनुकूल फल देने वाले होते हैं.

श्रवण नक्षत्र अन्य तथ्य

नक्षत्र - श्रवण

राशि - मकर

वश्य - चतुष्पद-1,जलचर-3

योनी - वानर

महावैर - मेढा़

राशि स्वामी - शनि

गण - देव

नाड़ी - अन्त्य

तत्व - पृथ्वी

स्वभाव(संज्ञा) - क्षिप्र

नक्षत्र देवता - विष्णु

पंचशला वेध - कृतिका


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