चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विशेष रूप से विनायक चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है, जिसे गणेश चतुर्थी भी कहा जाता है। यह पर्व भारतीय धर्म, संस्कृति और परंपराओं में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। गणेश भगवान की पूजा करने का यह दिन

झूलेलाल जयंती  भगवान झूलेलाल जयंती सिंध समाज का एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है, जो सिंधी समाज के लोगों के जीवन में विशेष महत्व रखता है। इस दिन की पूजा, भगवान झूलेलाल के जीवन और उनके कार्यों के प्रति श्रद्धा और सम्मान का

रंग तेरस का पर्व चैत्र माह के दौरान मनाया जाता है. रंग तेरस का उत्सव चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाते हैं जो प्रमुख त्योहारों में से एक है. रंग तेरस का त्योहार भगवान कृष्ण को समर्पित है, जिन्हें भगवान श्रीनाथ जी के रूप

उगादी : नए साल का आरंभ उगादी, तेलुगु नव वर्ष, एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन को भारत के विभिन्न स्थानों में अलग - अलग नामों से जाना जाता है। उगादी का उत्सव आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना तथा कर्णाटक में, वर्ष के पहले दिन के रुप में

चैत्र माह की शुक्ल अष्टमी को "चैत्र दुर्गाष्टमी" के नाम से जाना जाता है. यह दिन विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा का पर्व होता है. हिंदू धर्म में दुर्गा पूजा एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है, और यह पर्व विशेष रूप से मां दुर्गा की उपासना के लिए

चैत्र माह हिन्दू कैलेंडर का पहला माह है, और इसी माह की द्वादशी तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है. यह तिथि भारतीय संस्कृतियों में विशेष रूप से व्रत और पूजा के लिए जानी जाती है. इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और भगवान राम के भक्तों द्वारा

बसौड़ा पूजा हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व और अनुष्ठान है, जिसे विशेष रूप से चैत्र माह की अष्टमी तिथि में मनाया जाता है. यह पूजा विशेष रूप से भारत के विभिन्न हिस्सों में, खासकर उत्तर भारत, राजस्थान, और मध्य प्रदेश में बहुत धूमधाम से की

फाल्गुन चौमासी चौदस : जानें तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त  फाल्गुन चौमासी चौदस का उत्सव फाल्गुन माह की चतुर्दशी को मनाया जाता है. चतुर्दशी तिथि के दौरान कुछ खास व्रत एवं अनुष्ठान भी किए जाते हैं जिसमें से चतुर्दशी का व्रत, मासिक

फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन को डोल पूर्णिमा के नाम से भी मनाया जाता है. इस दिन को बंगाल में डोल पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. डोल पूर्णिमा को भगवान श्री कृष्ण एवं राधा रानी के प्रेम स्वरुप में मनाते हैं जिसमें फाल्गुन की पूर्णिमा की

जैन धर्म, जो कि भारतीय धार्मिक परंपराओं में एक प्राचीन और अद्वितीय स्थान रखता है, इनमें कई महत्वपूर्ण तिथियां अनुष्ठान होते हैं. इन अनुष्ठानों में से एक प्रमुख अनुष्ठान है अष्टाह्निका विधान. अष्टाह्निका विधान विशेष रूप से श्रावक समुदाय

वसंत पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर में एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवधि है, इस समय को देश भर में यह त्यौहार उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है. इस समय कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इस समय को रंगों से भरी पूर्णिमा के रुप में भी

मासी मागम एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है, जिसे मुख्य रूप से दक्षिण भारत, विशेष रूप से तमिलनाडु और पुडुचेरी में मनाया जाता है. यह त्योहार तमिल पंचांग के मासी माह फरवरी और मार्च के बीच की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर

रामकृष्ण परमहंस भारतीय संत, योगी और आध्यात्मिक गुरु थे, जिनका योगदान भारतीय समाज और धर्म को बहुत गहरे तरीके से प्रभावित करने वाला था. उनकी जयंती, जो हर वर्ष 2 मार्च को मनाई जाती है, भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक परिवेश में एक विशेष महत्व

चौमासी चौदस का पर्व विशेष रूप से जैन धर्म में मनाया जाता है. यह त्यौहार विशेष रूप से उन जैन भक्तों द्वारा मनाया जाता है जो साधना, तपस्या और आत्मशुद्धि के मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं. यह पर्व हर साल फाल्गुन माह की चौदस तिथि को मनाया

रंगभरी एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है. यह एकादशी विशेष रूप से भगवान विष्णु एवं भगवान शिव की पूजा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, और इसे "होली एकादशी" के नाम से भी जाना जाता है. रंगभरी

भगवान शिव की पूजा के लिए कुछ विशेष दिन एवं रात्रि बहुत ही महत्वपूर्ण माने गए हैं. प्रदोष व्रत का समय हो या फिर महाशिवरात्रि का समय ये कुछ खास तिथियां भगवान शिव की पूजा को विशेष फलदायी बना देती है जिसके द्वारा भक्त अपने जीवन में बहुत से शुभ

फाल्गुन माह आमलकी एकादशी आमलकी एकादशी हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है. इसे आमलकी द्वादशी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन आमलकी अर्थात आंवला के वृक्ष की पूजा का महत्व है. यह एकादशी विशेष रूप

फूलैरा दूज एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है. यह त्योहार होली से जुड़ा हुआ है और प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि इसे

जानकी अष्टमी, जिसे सीता अष्टमी भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान राम की पत्नी सीता की पूजा के रूप में मनाया जाता है. यह पर्व विशेष रूप से भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां

फाल्गुन मास की सप्तमी तिथि को शबरी जयंती का उत्सव मनाया जाता है. शबरी जयंती का समय देश के विभिन्न क्षेत्रों में विशेष रुप से मनाया जाता है. गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में इसकी अलग ही धूम देखने को मिलते है. शबरी जयंती के दिन विभिन्न