फाल्गुन संक्रांति भारतीय संस्कृति में एक प्रमुख पर्व के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है, और यह माघ माह के बाद फाल्गुन माह की शुरुआत का प्रतीक है। संक्रांति का शब्द अर्थ है ‘सूर्य का एक राशि से दूसरी

हिंदू धर्म में, देवी को शक्ति के रुप में स्थापित किया गया है जो हर प्रकार के संकट से हमें बचाने वाली होती हैं. हमारे जीवन से समस्याओं को दूर करती हैं. 'मातृका' का अर्थ है दिव्य माँ जो शिव के पसीने से बनी थी. मातृका चक्र का पौराणिक रुप से

मेरु त्रयोदशी का पर्व जैन धर्म में बहुत ही भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है. भारत अपनी समृद्ध परंपराओं और त्यौहारों के लिए जाना जाता है, जिनका आध्यात्मिक महत्व है. ऐसा ही एक त्यौहार है मेरु त्रयोदशी, जिसे पूरे भारत में जैन धर्म के लोग बड़ी

रवि प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है जो विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा से जुड़ा हुआ है. यह व्रत हर महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, जो विशेष रूप से रविवार के दिन पड़ता है और इसे "रवि प्रदोष" कहा

हिंदू धर्म में एकादशी को शुभ माना जाता है. साल में पड़ने वाली एकादशियों में से मलयालम महीने वृश्चिकम में आने वाली वृश्चिका एकादशी का विशेष महत्व है. केरल के गुरुवायुर में श्री कृष्ण मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा का एक महत्वपूर्ण दिन है.

मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि को हनुमान जयंती भी मनाई जाती है. इस त्योहार को हनुमान व्रतम के नाम से भी जाना जाता है. कन्नड़ हनुमान जयंती मुख्य रूप से कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के अन्य हिस्सों में धूमधाम से मनाई जाती

वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को परशुराम द्वादशी का उत्सव मनाया जाता है. परशुराम द्वादशी धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम के अवतरण का प्रतीक है. इस दिन का हिंदू धर्म में बहुत बड़ा धार्मिक महत्व

मत्स्य द्वादशी वह दिन है जो भगवान विष्णु को समर्पित है. यह वह दिन है जब भगवान विष्णु मत्स्य के रूप में अवतार लेते हैं. यह दिन मोक्षदा एकादशी के बाद मनाया जाता है जो मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष में आती है. मत्स्य द्वादशी वह दिन है जो

मार्गशीर्ष द्वादशी में आने वाले द्वादशी व्रत का बहुत महत्व है. हर द्वादशी में दो द्वादशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष की द्वादशी और दूसरी शुक्ल पक्ष की द्वादशी. इस द्वादशी में द्वादशी पर गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को वैकुंठदा एकादशी कहते हैं.यह एकादशी व्रत व्यक्ति के कई प्रकार के पापों का नाश करती है. दक्षिण भारत में इस एकादशी को वैकुंठ एकादशी भी कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने महाभारत के आरंभ से

भगवान सूर्य की पूजा का दिन भानु सप्तमी कहलाता है. इस दिन भानु यानि सूर्य की पूजा की जाती है. शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को भानु सप्तमी व्रत रखा जाता है. धर्म ग्रंथों के अनुसार, सूर्य देव की पूजा करने वाले भक्तों को धन, स्वास्थ्य और दीर्घायु

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को खंडोबा षष्ठी या खंडोबा मार्तण्ड षष्ठी के नाम से भी मनाया जाता है। मान्यता है कि खंडोबा मार्तण्ड षष्ठी का पर्व भगवान शिव के अवतार खंडोवा को समर्पित है। खंडोवा या खंडोबा को कई अन्य नामों से भी पुकारा

वैवाहिक जीवन व्यक्ति को मनचाहा सुख प्रदान करता है. मार्गशीर्ष माह में आने वाली पंचमी तिथि को विवाह पंचमी के नाम से जाना जाता है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन श्री राम और सीता जी का विवाह समारोह मनाया जाता है. अगर सुख-सुविधाओं की कमी हो या

एकादशी तिथि को उन विशेष तिथियों में स्थान प्राप्त है जिनके द्वारा व्यक्ति मोक्ष की गति को पाने में भी सक्षम होता है. एक माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी और कृष्ण पक्ष की एकादशी दोनों का ही विशेष महत्व रहा है. एकादशी को धार्मिक और

मगसर अमावस्या को मार्गशीर्ष माह के दौरान मनाया जाता है. यह अमवास्य तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष अर्थात मगसर महीने में नवंबर-दिसंबर के कृष्ण पक्ष में आती है, मगसर अमावस्या का दूसरा नाम अगहन अमावस्या है, मगसर को अग्रहायण, मगसर और

हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सुब्रहमन्य षष्ठी के नाम से मनाया जाता है. सुब्रहमन्य भगवान का पूजन इस दिन भक्ति भाव के साथ किया जाता है. शिव के दूसरे पुत्र को सुब्रहमन्य या कार्तिकेय नाम से जाना जाता है

अगहन माह एकादशी अगहन माह में आने वाली एकादशी तिथि को बहुत ही शुभ और खास माना गया है. चतुर्मास में हर प्रबोधनी के पश्चात आने वाली ये एकादशी श्री हरि पूजन और एकादशी के जन्म को दर्शाती है. अगहन माह में आने वाली पहली एकादशी तिथि को एकादशी जन्म

अगहन मास भक्ति और समर्पण से भरा होता है. ऎसे में इस माह में आने वाली अमावस्या को अगहन अमावस्या के नाम से जाना जाता है. साल भर में आने वाली सभी अमावस्या में से विशेष यह अगहन अमावस्या काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. अगहन अमावस्या के समय पर

मार्गशीर्ष माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का दिन गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के रुप में पूजा जाता है. इस दिन भगवान श्री गणेश जी का पूजन विधि विधान के साथ करते हैं. भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और गणेश जी की पूजा वंदना करते हैं. कृष्ण पक्ष

त्रिपुरारी पूर्णिमा एक ऐसा त्यौहार है जो हिंदुओं, सिखों और जैनियों द्वारा की पूर्णिमा पर मनाया जाता है. यह उत्सव मनाने वालों के लिए साल का सबसे पवित्र महीना है. त्रिपुरी पूर्णिमा को बहुत से नामों के रुप में मनाया जाता है जिसमें से एक है