यह नक्षत्र भचक्र के 27 नक्षत्रों में से एक है. नक्षत्रों में इसका चौथा स्थान है. इस नक्षत्र का देवता ब्रह्मा अर्थात प्रजापति को माना गया है. इस नक्षत्र का राशि स्वामी ग्रह शुक्र है. यह भचक्र के चमकीले तारों में से एक तारा समूह् है. रोहिणी नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह एक बैलगाड़ी या शकट है जिसे दो बैल खींच रहें हैं. यह बैलगाडी़ उर्वरकता का प्रतीक है. “रोह” को वृद्धि विकास माना गया है और “रोहण” का अर्थ सवारी करने के लिए होता है. इस नक्षत्र का रंग लाल माना गया है, जो सुख और वैभवता को दर्शाता है.
इस नक्षत्र में पाँच तारे होते है. इन पाँच तारों की आकृति बैलगाड़ी या रथ के पहिए के समान दिखाई देती है. इसी कारण प्राचीन वैदिक साहित्य में रोहिणी योग के समय को संहिता ग्रंथों में रोहिणी शकट भेदन के नाम से जाना गया है.
इस नक्षत्र में उत्पन्न जातक की आंखें सुंदर होती हैं, सुंदर कोमल व्यक्तित्व का एवं नारी सुलभ सौंदर्य वाला होता है. जातक के ऊपरी होंठ मोटे और मुस्कान मन मोह लेने वाली होती है. यह प्राय: पतला किंन्तु ग्रहों के प्रभाव स्वरूप छोटे कद का व स्थूल शरीर का हो सकता है. बड़े कंधे व पुष्ट मांसपेशियां होती हैं.
इस नक्षत्र के जातक अच्छे संस्कारों से युक्त होते हैं. सभ्य तथा सुसंस्कृत होते हैं. जातक सभी प्रकार की परिस्थितियों से बाहर निकलने में कामयाब रहते हैं. ये अपने विचारों को आसानी से दूसरों के साथ बाँटने में संकोच करते है, लेकिन नए विचारों से भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहते और नए विचारों को जीवन में अपनाते भी हैं. ये जातक सत्यवादी व सदाचारी होते हैं. व्यक्ति काम, क्रोध, मद तथा लोभ आदि को नियंत्रित रखने में कामयाब होते है. समय के महत्व को समझते हैं. इसलिए कम समय में अधिक बात को कहने में विश्वास रखते हैं.
रोहिणी नक्षत्र के जातक के विचारों में स्थिरता होती है. व्यक्ति तेजस्वी होता है. इन जातकों को प्रेम में अधिक रुचि होती है. ये सांसारिक भोग-विलास को अधिक भोगते हैं. ये बोलने में कोमल तथा नम्र होते हैं. काम में कुशलता होती है. चरित्रवान होते हैं. ये व्यक्ति शब्दों के अच्छे खिलाड़ी होते हैं. ये बातों ही बातों में सामने वाले व्यक्ति के मन की बात को पढ़ लेते हैं.
सुंदर तथा आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं. ये अपने वचन के पक्के होते हैं. मेहनती तथा लगनशील होते हैं. ये जीवन में धन जुटाने में कामयाब होते हैं. यदि रोहिणी नक्षत्र पीड़ित है, तब इनके गुणों में कमी हो जाती है.
परिवार में माता के प्रति व्यक्ति का अत्यधिक लगाव होता है. माता पक्ष से लाभ की प्राप्ति होती है व प्रेम का भाव रहता है लेकिन पिता की ओर से अधिक सुख न मिल पाए. जातक किसी भी धार्मिक और सामाजिक नियमों को तोड़ भी सकता है. जातक का वैवाहिक जीवन रुकावटों व व्यवधानों से युक्त हो सकता है. यदि ये अपने संदेह और हठधर्मिता को त्याग दे, तो जीवन साथी से सुख की प्राप्ति होती है. जातक को बहन का सुख कम मिल पाता है. .
इस नक्षत्र के अधिकार क्षेत्र में माथा, टखना घुटने के नीचे टांग के अगले भाग की हड्डी, टांग की मांसपेशियाँ, चेहरा, मुख, जीभ, टाँसिल, गरदन, तालु, ग्रीवा, कशेरुका, अनुमस्तिष्क आते हैं. चंद्र और शुक्र के कारण इसे कफ प्रकृति का नक्षत्र माना जाता है. जन्मकालीन रोहिणी नक्षत्र अथवा गोचर का यह नक्षत्र जब पीड़ित होता है, तब इन अंगों में पीड़ा का अनुभव व्यक्ति को होता है.
इस नक्षत्र के व्यक्ति व्यापार करना पसंद करते हैं. कुशल व्यापारी होते हैं. सरकार या सरकार से संबंधित बड़े ओहदों पर कार्य करते हैं. योग साधना से जुडे़ काम करते है. योग साधना केन्द्र की स्थापना से धन कमाते है. ड्राइवर या गाड़ी चलाने का व्यवसाय इस नक्षत्र के अधीन आता है. ट्राँसपोर्टर, पशुओं से संबंधित कार्य, कृषि व बागवानी संबंधित कार्य करने वाले रोहिणी नक्षत्र के अंदर आते हैं. फैशन इंडस्ट्री के लिए कपड़े बनाने के कार्य रोहिणी नक्षत्र के अंतर्गत आते हैं. सभी प्रकार के गायक संगीतज्ञ, चित्रकार, लेखक इत्यादि इसी में आते हैं.
लग्न या चंद्र रोहिणी नक्षत्र के प्रथम चरण में आता हो, तो ऐसा व्यक्ति क्रोधी स्वभाव का हो सकता है. जातक का पेट पतला और भेड़ या बकरी जैसी चिपड़ी आंखों वाला हो सकता है. जातक के बालों का रंग भूरा होता है. जातक दूसरों से धन निकलवाने में चतुर होता है. धनवान भी होता है.
लग्न या चंद्रमा, रोहिणी नक्षत्र के दूसरे चरण में आता हो, तो जातक की नाक ऊँची, भारी कंधे, लम्बे हाथ और गोर वर्ण हो सकता है. क्रोध अधिक होता है. व्यक्ति गुस्से में जोर-जोर से बोलने वाला होता है. भारी व मजबूत शरीर का स्वामी होता है. भोग-विलास में निपुण होता है.
लग्न या चंद्रमा, रोहिणी नक्षत्र के तीसरे चरण में आता हो, तो व्यक्ति सुंदर नेत्र का स्वामी होता है. विचारधारा से स्थिर, कोमल भाषी और मधुर स्वभाव का होता है. परिहास में निपुण, पतले शरीर का एवं चिकने हाथ पैर का स्वामी होता है.
लग्न या चंद्रमा, रोहिणी नक्षत्र के चौथे चरण में आता हो, तो जातक को परिवार से विछोह का दुख हो सकता है अथवा उनकी याद में शोक संभव है. मध्यम से थोड़ी बडी़ नाक, बड़ी-बड़ी आंखें, सधा शरीर व भारी पैरों वाला हो सकता है. बाल पतले होते हैं. अपने लोगों के साथ द्वेष भाव भी रख सकता है.
रोहिणी नक्षत्र के प्रथम चरण या प्रथम पाद में जो 10:00 से 13:20 तक होता है. इसका अक्षर “ओ” होता है.
रोहिणी नक्षत्र के दूसरे चरण या द्वितीय पाद में जो 13:20 से 16:40 तक होता है. इसका अक्षर “व” होता है.
रोहिणी नक्षत्र के तीसरे चरण या तृतीय पाद में जो 16:40 से 20:00 तक होता है. इसका अक्षर “वि” होता है.
रोहिणी नक्षत्र के चौथे चरण या चतुर्थ पाद में जो 20:00 से 23:20 तक होता है. इसका अक्षर “वू” होता है.
ॐ ब्रहमजज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्विसीमत: सूरुचोवेन आव: सबुधन्या उपमा
अस्यविष्टा: स्तश्चयोनिम मतश्चविवाह ( सतश्चयोनिमस्तश्चविध: )
ॐ ब्रहमणे नम: ।
रोहिणी नक्षत्र के जातक के लिए भगवान शिव की उपासना करना बेहद लाभकारी होता है. इसके साथ ही “ॐ नम: शिवाय” मंत्र का जाप करना चाहिए. नित्य गायत्री मंत्र एवं सूर्य मंत्र का जाप लाभदायक होता है. इसके अलावा 4 या 6 रत्ती का मोती चांदी की अंगूठी में शुक्ल पक्ष के समय सोमवार के दिन प्रात:काल धारण किया जा सकता है.
नक्षत्र - रोहिणी
राशि - वृषभ
वश्य - चतुष्पद
योनि - सर्प
महावैर - न्योला
राशि स्वामी - शुक्र
गण - मनुष्य
नाड़ी- अन्त्य
तत्व - पृथ्वी
स्वभाव(संज्ञा) - ध्रुव
नक्षत्र देवता - ब्रह्मा
पंचशला वेध - अभिजीत