धनिष्ठा नक्षत्र तेईसवें स्थान पर आता है. यह नक्षत्र चार तारों से मिलकर बना होता है. इसकी आकृति मण्डल, मुरज या मृदंग के समान दिखाई देता है. प्राचीन मतान्तर अनुसार इसमें 114 ताराओं का समूह और सात पंक्तियां रही थीं.
धनिष्ठा नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता अष्ट वसवास हैं. मंगल इस नक्षत्र के स्वामी हैं. धनिष्ठा नक्षत्र धन एवं वैभव की स्थिति को दर्शाता है. धनिष्ठा नक्षत्र का जातक धन संपन्न होता है. जातक परोपकार के कामों में धन खर्च करता है. धनिष्ठा का प्राचीन नाम श्रविष्ठा रहा है, श्रविष्ठा का अर्थ है जिसके बारे में बहुत कुछ सुनने को मिले या बहुचर्चित एवं सुप्रसिद्ध.
जातक लम्बी कद-काठी का सुंदर होता है, पतले शरीर वाला होता है पर कई बार स्थूल भी हो सकता है. जातक तेज-बुद्धिमान होता है और अपने काम को दक्षता के साथ करता है. वैसे तो इस नक्षत्र के जातक हमेशा अपने जीवन को शांतिपूर्ण ढंग से जीने की इच्छा रखते हैं. वे सभी प्रकार के संघर्षों से बचने की कोशिश करते हैं. वे महत्वाकांक्षी हैं और संगीत भी पसंद करते हैं.
ज्योतिष के अनुसार, धनिष्ठा नक्षत्र में पैदा हुए लोग बहुत ऊर्जावान होते हैं. उन्हें किसी न किसी काम में शामिल होना और व्यस्त रहना पसंद आता है. वे समर्पण और दक्षता के साथ अपने लक्ष्यों को जीवन में प्राप्त करते हैं. जातक बेहद महत्वाकांक्षी और मजबूत निर्णय लेने वाले हैं. जातक जो कुछ निर्धारित करते हैं सोचते हैं उसे पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत भी करते हैं.
धनिष्ठा नक्षत्र में उत्पन्न जातक दूसरों को बहुत जल्द ही प्रभावित कर लेता है. अपने काम करने के तरीकों और कार्यस्थल को लेकर भी सतर्क और सावधान रहता है. जातक अपने आत्म सम्मान को सदैव बनाए रखता है. किसी भी विरोधाभासी स्थितियों से दूर रहने कि कोशिश करता है. हालांकि जब कोई स्थिति खराब हो जाती है तो वे अपना गुस्सा खो देते हैं और हिंसक हो सकते हैं. इस नक्षत्र में पैदा हुए जातक तेज बुद्धि वाले होते हैं और जल्द निर्णय लेने की क्षमता रखते हैं. उनके निर्णय लेने की क्षमता के कारण वे जीवन में बड़ी सफलता प्राप्त भी करते हैं.
जातक बहुत साहसी होता है. जातक में जीवन कि सभी प्रकार की परिस्थितियों और स्थितियों से लड़ने की क्षमता भी होती है. वे अपनी गरिमा और आत्म-सम्मान को प्राथमिकता देते हैं और अगर वे कभी महसूस करते हैं कि उनकी गरिमा को चोट पहुंच रही है तो वे अपना नियंत्रण खो सकते हैं और क्रोध के कारण स्थिति खराब हो सकती है.
जातक परिवार के साथ रहना पसंद करता है. परिवार के सदस्यों की ओर से जीवन में अधिक मुश्किलें झेलता है. अपने भाई बंधुओं के प्रति प्रेम और समर्पण का भाव रखता है. ससुराल पक्ष से कम लाभ पाता है. जीवन साथी योग्य होता है और गृह कार्य में दक्ष होता है. जातक में क्रोध भी अधिक होता है धनिष्ठा नक्षत्र में स्थित मंगल वैवाहिक सुख में परेशानी देने वाला बन सकता है. जीवन में कल व तनाव रहता है. पर कुछ विद्वानों के अनुसार दांपत्य में जातक को वैचारिक मतभेद अधिक झेलने पड़ सकते हैं.
यह भचक्र का तेईसवाँ नक्षत्र है और मंगल इसका स्वामी है. इस नक्षत्र में पीठ और गुदा भाग को स्थान प्राप्त है. इस नक्षत्र के पहले व दूसरे चरण में घुटने की ऊपर की हड्डी आती है जो टोपी के समान दिखती है. तीसरे व चतुर्थ चरण में टखने, टखने और घुटनों के बीच का भाग आता है. इस नक्षत्र को मंगल के कारण पित्त प्रधान नक्षत्र माना जाता है. इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर नक्षत्र से संबंधित अंगों में परेशानी का अनुभव हो सकता है.
धनिष्ठा नक्षत्र में पैदा हुए लोग व्यवसाय की तुलना में नौकरी को पसंद करते हैं. हालांकि, वे नौकरी और व्यापार दोनों में ही उच्च पद को प्राप्त करने की योग्यता रखते हैं. जातक को गीत संगीत से जुड़े काम करने में रुचि रहती है. मनोरंजन से जुड़े काम इनके लिए बेहतर होते हैं. मनोरंजन क्षेत्र से संबंधित काम, रेडियो और दूर-दर्शन में कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले काम, सेना में बैंड दल, आभूषण का व्यापारी, सुनार, एथलीट, बैंक अधिकारी, वित्त प्रबंधन के काम, भू संपदा का व्यापार, वाद्य यंत्र विक्रेता, ज्योतिषी, तांत्रिक, अध्यात्मिक चिकित्सा करने वाले काम, शल्य चिकित्सा के कार्य, कारीगर एवं तकनीशियन. व्यवस्थापक अथवा प्रशासन अधिकारी इसमें आते हैं.
लग्न या चंद्रमा, धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण में आता हो, तो जातक सुंदर सधे शरीर वाला, सुंदर आंखों वाला, चेहरे पर लालिमा लिए हुए, सुंदर नाक, ऊभरा हुआ चौडा़ माथा एवं खुले बिखरे बालों वाला हो सकता है. नाखून अधिक मजबूत नही होते हैं.
लग्न या चंद्रमा, धनिष्ठा नक्षत्र के दूसरे चरण में आता हो, तो जातक बडी़ आंखों वाला, चौडी़ छाती और भरे हुए मुंह वाला होता है. जातक को गीत संगीत में बहुत रुचि होती है. स्वभाव से कुछ नम्र होता है. धैर्य वान और सज्जन व्यक्तित्व का होता है.
लग्न या चंद्रमा, धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण में आता हो, तो व्यक्ति सांवले रंग का कोमल युक्त देह वाला, मोटे उभरे हुए गालों वाला होता है. स्वभाव में कुछ कामुकता होती है. शास्त्र एवं काव्य में अभिरुची रखता है. स्वभाव में कुछ कामुक अथवा प्रेम में रत रहने वाला हो सकता है.
लग्न या चंद्रमा, धनिष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण में आता हो तो जातक सुंदर आंखों वाला, रूखी त्वचा से युक्त हो सकता है. सेवा भाव रखने वाला और सज्जन होता है. चीजों को देर में समझने वाला जातक उन कार्यों को बहुत अच्छे से करता है जिनमें उसे मेहनत अधिक करनी पड़ती है. जातक के दांपत्य जीवन में परेशानी आ सकती है.
धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण या तृतीय पाद में जो 23:20 से 26:40 तक होता है. इसका अक्षर “गा” होता है.
धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण या प्रथम पाद में जो 26:40 से 30:00 तक होता है. इसका अक्षर “गी” होता है.
धनिष्ठा नक्षत्र के दूसरे चरण या द्वितीय पाद में जो 00:00 से 03:20 तक होता है. इसका अक्षर “गू” होता है.
धनिष्ठानक्षत्र के तीसरे चरण या तृतीय पाद में जो 03:20 से 06:40 तक होता है. इसका अक्षर “गे” होता है.
ॐ वसो:पवित्रमसि शतधारंवसो: पवित्रमसि सहत्रधारम ।
देवस्त्वासविता पुनातुवसो: पवित्रेणशतधारेण सुप्वाकामधुक्ष: ।
ॐ वसुभ्यो नम: ।
धनिष्ठा नक्षत्र के जातक के लिए सिंह वाहिनी माँ दुर्गा की पूजा करना शुभफलदायक होता है. इसके साथ ही देवी मंत्र जाप भी इनके लिए लाभकारी होती है. देवी के पवित्र स्थानों की यात्रा करना एवं जागरण इत्यादि में भाग लेना भी शुभदायक माना जाता है. दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से जातक को सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है. भगवान शिव की पूजा को भी इस नक्षत्र के लिए शुभफलदायक माना जाता है. इसके अलावा विष्णु भगवान का स्मरण एवं विष्णु सहस्त्रनाम का जाप भी उत्तम होता है. धनिष्ठा नक्षत्र के जातक के लिए लाल, नीले और सुनहरे पीले रंगों का उपयोग अच्छा माना जाता है.
नक्षत्र - धनिष्ठा
राशि - मकर-2, कुम्भ-2
वश्य - जलचर-2, नर-2
योनी - सिंह
महावैर - गज
राशि स्वामी - शनि
गण - राक्षस
नाड़ी - मध्य
तत्व - पृथ्वी-2, वायु-2
स्वभाव(संज्ञा) - चर
नक्षत्र देवता - वसु
पंचशला वेध - विशाखा