भरणी नक्षत्र फल

भरणी नक्षत्र

ज्योतिष शास्त्र में भरणी नक्षत्र दूसरा नक्षत्र है. भचक्र में भरणी नक्षत्र तीन तारों के समूह से मिलकर बना है. यह तीन तारे स्त्री की योनि के आकार की तरह दिखाई देते हैं. तो कहीं इसे त्रिभुज और नौका द्वारा भी दर्शाया गया है. यह नक्षत्र एक प्रकार से जन्म- मृत्य एवं यात्रा के कार्य को दर्शाने वाला होता है. भरणी नक्षत्र मेष राशि में आता है. मेष राशि में यह नक्षत्र 13 अंश 20 मिनट से आरम्भ होता है और 26 अंश 40 मिनट तक रहता है. इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह शुक्र है. इस नक्षत्र के देवता यम हैं.

भरणी नक्षत्र - शारीरिक गठन और व्यक्तित्व विशेषताएँ

भरणी नक्षत्र में जन्मा जातक मध्यम कदकाठी वाला, लम्बी गर्दन और सुंदर नेत्रों से युक्त होता है. आंखों के द्वारा जातक अपने मनोभावों को व्यक्त करने में भी दक्ष होता है. गर्दन अगर छोटी है तो चेहरा गोलाकार हो सकता है.

इस नक्षत्र के जातकों पर मंगल तथा शुक्र दोनों ही ग्रहों का प्रभाव देखने को मिलता है. इस नक्षत्र के व्यक्ति अपनी धुन के पक्के होते हैं. दृढ़ निश्चयी होते हैं. अपनी बात तथा वचन के पक्के होते हैं. अपने सभी कार्यों को संपूर्ण लगन तथा धुन से पूरा करने वाले होते हैं. इन जातकों का स्वास्थ्य सामान्यत: अच्छा ही रहता है. ये जातक सदा सच बोलने वाले होते हैं. ये जीवन में सुखी ही रहते हैं.

भरणी नक्षत्र में जन्मे जातकों की एक विशेषता यह भी है कि ये जिस काम को करने का बीड़ा उठा लेते हैं, उस काम को पूरा करके ही दम लेते हैं. ये सभी कार्यों को बड़ी ही कुशलता से सम्पन्न करते हैं. काम को शीघ्र तथा समय पर पूरा करना ही इनका मुख्य गुण है. कई विद्वानों का मत है कि भरणी नक्षत्र के जातक कम खाना खाने वाले होते हैं. ये जातक प्रेम करने में बडे़ ही प्रबल होते हैं. ये आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं. इस नक्षत्र के जातकों का मन मनोविनोद के कार्यों में अधिक लगता है. ये अपने स्वभाव से कुछ बदनाम से होते हैं. इनकी प्रवृ्त्ति में सफलता पाने की तीव्र इच्छा होती है. ये अधिकाँशत: पानी से डरते हैं. ये शराब आदि नशीली वस्तुओं के प्रयोग में परहेज नहीं करते हैं.

कई विद्वानों का मत है कि भरणी नक्षत्र पर अशुभ प्रभाव पड़ रहा हो तब जातक झूठ बोलने वाला होता है. भरणी नक्षत्र के जातक साधनों की पवित्रता पर कम ध्यान देने वाले होते हैं. ये दूसरों से धन निकलवाने में माहिर होते हैं. अपने व्यवहार से ये शत्रुओं को भी अपना बना लेते हैं.

पारिवारिक जीवन

भरणी नक्षत्र के जातकों का पारिवारिक जीवन उतार-चढ़ावों से युक्त होता है. ऐसे में इनके भीतर का उत्साह और जोश ही इन्हें समस्याओं को सुलझाने में मदद करता है. इनका परिवार के प्रति मोह रहता है, परिवार के साथ सदैव बने रहने का प्रयास भी करते हैं. स्त्री पक्ष की ओर से इनको अधिक प्रभावित होना पड़ता है. वैवाहिक सुख में अधिक चाह के चलते कभी-कभी तनाव भी हो सकता है. जीवनसाथी धन-संबंधी मामलों में लापरवाह हो सकता है.

भरणी नक्षत्र स्वास्थ्य

भरणी नक्षत्र दूसरे स्थान पर आने वाला नक्षत्र है. इसके अधिकार क्षेत्र में मस्तिष्क का क्षेत्र, सिर के अंदर का भाग व आँखे आती है. जन्म कुंडली या गोचर में इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर इन्हें अंगों से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सिर और पांव का तला इसके अवयव में आते हैं. अग्नि तत्व के चलते पित्त प्रधान होता है. इसके चलते भी शरीर प्रभावित होता है.

भरणी नक्षत्र - व्यवसाय

भरणी नक्षत्र को संतुलन बनाए रखने वाला नक्षत्र भी कहा जा सकता है. वह दोहरे व्यक्तित्व के मध्य जीता भी दिखाई देता है. प्रशासनिक कार्य और व्यवसाय में आप बेहतर कर पाएंगे. संगीत - कला से संबंधित कामों में भी आप अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं. वाहन एवं रेस्त्रां आदि से भी कमा सकते हैं. भरणी नक्षत्र को मलेच्छ जाति का माना जाता है. इनका मनमौजी स्वभाव होता है और सामाजिक मान्यता एवं नियम से हटकर काम करना इन्हें अच्छा लग सकता है.

इस नक्षत्र के अंतर्गत रक्त बैंक आते हैं. रक्त का परीक्षण करने वाले व्यक्तियों का व्यवसाय इस नक्षत्र के अंतर्गत आता है. जल्लाद, कसाई, मारपीट करने वाले बदमाश, पुलिस, कस्टम अधिकारी, भूसे वाले अनाज का व्यापार आदि इस नक्षत्र के अन्तर्गत आता है. इस नक्षत्र के जातक जादू के व्यवसाय, मनोरंजन के व्यवसाय, विज्ञान के प्रदर्शनी स्थल, खिलौने बनाने का व्यवसाय, खेल-कूद के सामान से जुड़े व्यवसाय कर सकते हैं. बच्चों से संबंधित पुस्तकें तथा शिक्षा संबंधी सामान आदि भी भरणी नक्षत्र के व्यवसाय माने जाते हैं.

भरणी नक्षत्र का प्रथम चरण

लग्न या चंद्रमा, भरणी नक्षत्र के प्रथम चरण में आता हो तो ऐसा व्यक्ति हृ्ष्ट-पुष्ट सा दिखने वाला, गज के समान छोटी किन्तु मदशील आंखों वाला तथा मोटी नाक वाला हो सकता है. इनका हाथी के समान दोनों ओर से उभारयुक्त सिर होता है और जातक का ऊपरी धड़ थोड़ा भारी हो सकता है. गहरी भरी भौंहें, शरीर के रोम मोटे व खुरदरे हो सकते हैं. वह कम घने बालों वाला हो सकता है.

भरणी नक्षत्र का दूसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, भरणी नक्षत्र के दूसरे चरण में आता हो तो जातक सांवले रंग का, कोमल शरीर से युक्त हो सकता है. शरीर में भारीपन होना, आखों में तरलता का झलकना, कमर में अधिक मांस का होना अथवा लटकाव होना सम्भव है. पेट लटकता हो सकता है. मजबूत छाती और पैरों में भी मजबूती होती है. लटकते एवं ढलवां कन्धे हो सकते हैं. बोलने में आतुर व बातूनी हो सकता है. साथ ही स्वभाव से कुछ डरपोक भी हो सकता है.

भरणी नक्षत्र का तीसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, भरणी नक्षत्र के तीसरे चरण में आता हो तो व्यक्ति में चंचलता और चपलता अधिक दिखाई दे सकती है. चहरे पर कोमलता का अभाव हो सकता है अर्थात दिखने में व्यक्ति निर्दय और कठोर लग सकता है. लम्बे चौड़े शरीर का स्वामी, स्त्री के संपर्क में अधिक हो सकता है. स्वभाव से लोभी और चंचल स्वभाव की स्त्री का पति हो सकता है. .

भरणी नक्षत्र का चौथा चरण

लग्न या चंद्रमा, भरणी नक्षत्र के चौथे चरण में आता हो तो व्यक्ति स्वभाव से थोड़ा क्रुद्ध और हिंसक हो सकता है. बंदर की मुखाकृति के समान चेहरा हो सकता है. झूठ बोलने की आदत हो सकती है और अधिक बातूनी भी होता है. मित्रता निभाने वाला, बाल एवं रोमों में भूरापन होगा. गुप्त रोगों की संभावना से प्रभावित हो सकता है.

भरणी नक्षत्र के नामाक्षर

भरणी नक्षत्र के प्रथम चरण या प्रथम पाद में जो 13:20 से 16:40 तक होता है. इसका अक्षर “ली” होता है.

भरणी नक्षत्र के दूसरे चरण या द्वितीय पाद में जो 16:40 से 20:00 तक होता है. इसका अक्षर “लू” होता है.

भरणी नक्षत्र के तीसरे चरण या तृतीय पाद में जो 20:00 से 23:20 तक होता है. इसका अक्षर “ले” होता है.

भरणी नक्षत्र के चौथे चरण या चतुर्थ पाद में जो 23:20 से 26:40 तक होता है. इसका अक्षर “लो” होता है.

भरणी नक्षत्र वेद मंत्र

ॐ यमायत्वा मखायत्वा सूर्य्यस्यत्वा तपसे देवस्यत्वा सवितामध्वा

नक्तु पृथ्विया स गवं स्पृशस्पाहिअर्चिरसि शोचिरसि तपोसी।

उपाय

भरणी नक्षत्र के जातक के लिए यमराज और काली की उपासना करना अनुकूल माना जाता है. भरणी नक्षत्र का जातक यदि चंद्रमा या लग्नेश के भरणी नक्षत्र पर गोचर के समय कोई कार्य करे, तो यह उसके लिए सकारात्मक और सफलता देने वाला हो सकता है.

भरणी नक्षत्र अन्य तथ्य

नक्षत्र - भरणी

राशि - मेष

वश्य - चतुष्पद

योनि - गज

महावैर - सिंह

राशि स्वामी - मंगल

गण - मनुष्य

नाड़ी - आदि

तत्व - अग्नि

स्वभाव(संज्ञा) - उग्र

नक्षत्र देवता - यम

पंचशला वेध - अनुराधा


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