कर्क राशि में वक्री शुक्र का प्रभाव और आपकी राशि पर इसका असर

कर्क राशि और शुक्र दोनों ही स्त्री तत्व युक्त शीतलता से भरपुर ग्रह माने जाते हैं. इन दोनों की स्थिति का जीवन पर असर व्यक्ति को कुछ अधिक महत्वाकांक्षी भी बना देता है ओर साथ में जल्द से काम करने को लेकर उत्सुक भी बनाता है. शुक्र प्रेम, रिश्ते, सौंदर्य को दिखाता है और चंद्रमा अके भावनात्मक पक्ष पर पकड़ बनाता है. अब इन दोनों की शीतलता का असर भी व्यक्ति को खूब मिलता है लेकिन इन दोनों का असर व्यक्ति को भावुक , मन मर्जी करने वाला और जिद्दी भी बनाता है. लेकिन यह सभी बातें तब अधिक देखने को मिलती हैं जब शुक्र की स्थिति या चंद्रमा की स्थिति कमजोर हो रही है. अब शुक्र अगर कर्क राशि में हो और वक्री होकर बैठा हुआ हो तब ऎसी बात देखने को मिल सकती है. 

शुक्र कर्क राशि में जब होता है तो बहुत ही खास तरीके से अपने फलों को देता है. यहां बैठ कर शुक्र अच्छा अनुभव दिखाता है. सभी के साथ मेल जोल की स्थिति एवं लगाव को दर्शाने वाला हो सकता है. दूसरों के साथ जल्द ही जुड़ सकता है. लोगों को अपनी कंपनी में सहज महसूस करवा सकता है, वह जहां भी होगा व्यक्ति अपना स्नेह फैलाने के लिए तत्पर हो सकता है. कर्क राशि में शुक्र रिश्तों के लिए अधिक उत्साहित होता है वह भावनात्मक रूप से प्यार को पाना चाहता है. क्योंकि शुक्र संवेदनशीलता को दिखाता है वहीं कर्क राशि भावनाओं का बहाव लाती है. कर्क राशि प्रेम और परिवार के संबंध में गहरा स्थान चाहती है. पर परेशानी ओर दुविधा तब अधिक बन सकती है जब शुक्र में वक्रता का असर आ जाए. दोनों एक साथ मिलते हैं तो घनिष्ठता लाते हैं लेकिन अब चीजों में एक निष्ठता का असर कम हो जाता है. शुक्र का वक्री होनाीअधिकता की संभावना पैदा होती है, और हमारे रिश्ते बनाने का मौका भी बढ़ जाता है. एक से अधिक रिश्तों का असर जीवन पर पड़ता है.    

कर्क राशि में वक्री  शुक्र गोचर का प्रत्येक राशि पर प्रभाव

मेष राशि – मेष राशि के लिए वक्री शुक्र आपके रिश्तों को प्रभावित कर सकता है. लव लाइफ में थोड़ा बदलावदे सकता है. वक्री शुक्र के कारण अधिक संवेदनशील और भावुक हो जायेंगे. इससे आपके करियर और कामकाज पर असर पड़ सकता है. इस समय खर्चों की अधिकता भी रह सकती है. 

वृषभ राशि 

वक्री शुक्र के कारण राशि का असर मानसिकता को बदल देने वाला होगा.  इससे आपके जीवन में बदलाव आएगा. प्रियजनों के साथ भावनात्मक रूप से कुछ कमी का अनुभव महसूस कर सकते हैं. दोस्तों और परिवार के साथ व्यर्थ की बातों पत तनाव भी हो सकता है. हेल्थ और काम इन पर अधिक समय देने की जरुरत होगी.  

मिथुन राशि

वक्री शुक्र का असर आर्थिक मामलों को कमजोर करने वाला हो सकता है. शुक्र अपना कुछ नकारात्मक प्रभाव देगा. व्यापार करने वाले को धन के अधिक खर्च से बचना होगा. संतान और पार्टनर के साथ संबंध कुछ मिलेजुले से रह सकते हैं. समस्याओं का समाधान होगा लेकिन समय लगेगा. कोई मामलें अचानक से चिंता दे सकते हैं खान पान का सही से ध्यान रखने की जरुरत होगी. 

कर्क राशि 

वक्री शुक्र का असर कुछ भावनात्मक रुप से चिंता में डाल सकता है. इस परिवर्तन के बाद कर्क राशि वालों के लिए यह समय रिश्तों को लेकर बदलाव भी दे सकता है. आलस्य के चलते कामों में देरी और लापरवाही जैसी बातें परेशान कर सकती है. लव पार्टनर के साथ कुछ अनबन हो सकती है इसलिए स्थिति अनुसार शांत रहते हुए काम करना ही उचित होगा. 

सिंह राशि 

सिंह राशि के लोग इस समय वक्री शुक्र के कारण खर्चों की अधिकता से परेशान हो सकते हैं. यात्राएं अधिक होंगी तो कुछ व्यर्थ की ही सिद्ध हो सकती हैं. वैसे इस समय अधिक आत्मविश्वासी बनेंगे. इससे उन्हें फायदा होगा. वे जीवन में नए प्रेम संबंधों का स्वागत कर सकते हैं. यदि आप प्रेम संबंध में हैं तो यह समय रिश्ते के लिए अनुकूल रहेगा.

कन्या राशि 

कन्या राशि वालों के लिए वक्री शुक्र का असर, सामाजिक स्तर पर अधिक व्यस्तता देगा. इस समय कुछ मामलों में लोगों के साथ तालमेल की कमी अनुभव हो सकती है. वक्री शुक्र के कारण परिवार से दूर भी रहने की स्थिति निर्मित होती है. कुछ नए दोस्त बनेंगे ओर नए कामों में शामिल होने का अच्छा समय रह सकता है. अपने स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से सावधान रहने की जरुरत होगी.

तुला राशि 

तुला राशि के लिए शुक्र का वक्री होना मानसिक रुप से जल्दबाजी वाला होगा. शुक्र का गोचर जीवन में खुशियां लाएगा. गुप्त प्रेम या किसी अन्य प्रकार की गुप्त पूर्ति आपको संतुष्ट कर देगी. इस दौरान लोग कई चीज़ों की ओर आकर्षित होंगे, जैसे विलासिता, प्यार और रिश्ते.

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के लिए शुक्र का नवम भाव में कर्क राशि में वक्री होना नए रोमांच देगा. इस समय भागदौड़ अधिक रह सकती है. अपने मन की इच्छाओं को पूरा करने के लिए आप उत्साहित भी रह सकते हैं. जीवनसाथी के साथ भरपूर रोमांस के मौके मिलेंगे और आपके रिश्ते में सुधार आएगा. यह गोचर आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहेगा. आपको सलाह दी जाती है कि कभी-कभी खुद को भी दें और बहुत अधिक भौतिकवादी बनने से बचें और अपने प्रियजनों के मूल्य को समझें.

धनु राशि 

धनु राशि वालों के लिए शुक्र का आठवें भाव में वक्री होना आध्यात्मिक रुप से नई चीजों से जोड़ने वाला होगा. आप गुप्त अनुसंधानों में शामिल हो सकते हैं. अचानक से कुछ ऎसी चीजें भी मिल सकती हैं जिनके द्बारा तनाव भी हो सकता है. यौन संबंधों को लेकर सजग रहें. संक्रमण इत्यादि का खतरा इस समय बढ़ सकता है. धनु राशि वालों के लिए यह गोचर मिलेजुले असर दिखाएगा इसलिए जो काम करें उसे ध्यान पूर्वक ही करें. स्वास्थ्य का ख़्याल रखने की सलाह दी जाती है. लंबे समय तक स्क्रीन पर काम करने से बचें. आप अपने आध्यात्मिक विकास पर काम करेंगे और विभिन्न धार्मिक स्थानों की यात्रा कर सकते हैं.

मकर राशि 

कर्क राशि के लिए शुक्र का वक्री होना जीवन में नए मौके देने वाला होगा लेकिन जीवन साथी की ओर से चिंता भी देगा. इस समय आप अपने परिवार में चल रही बातों के कारण तनाव को झेल सकते हैं. यह गोचर आपके जीवन में कई अवसर लाएगा. आपकी मनचाही इच्छाएं पूरी होंगी लेकिन इसी के साथ आप की हडबड़ी के चलते कुछ परेशानी भी हो सकती है. संक्रमण इत्यादि का खतरा इस समय सेहत को कुछ कमजोर भी कर सकता है. 

कुंभ राशि 

कुंभ राशि के लिए शुक्र का छठे भाव में कर्क राशि में वक्री होना हेल्थ पर असर डालने वाला होगा. आप के लिए जरुरी है की अपनी सेहत को लेकर अधिक सजग रहें. खान पान में लापरवाही नुकसान दे सकती है. धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं. इस समय कुछ विरोधियों का असर भी चिंता दे सकता है लेकिन आप अपनी बातों से उन्हें बहला भी सकते हैं. प्रतिस्पर्धाओं का दौर अभी रहने वाला है. 

मीन राशि 

मीन राशि वालों के लिए शुक्र का वक्री होना काम में तेजी को देगा लेकिन आपको कुछ अस्त व्यस्त कर देने वाला भी होगा. यह गोचर आपके जीवन में नए लोगों का संग भी ला सकता है. जोश और प्यार भी होगा लेकिन इस समय सेहत के कारण अधिक परेशानी अनुभव हो सकती है. आर्थिक परेशानियां दूर होंगी. सलाह दी जाती है कि यात्रा पर जाएं और अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें. 

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सूर्य की होरा का ज्योतिष अनुसार प्रभाव

होरा का असर कई मायनों में महत्व रखता है. ज्योतिष में होरा का असर कई तरह से जीवन पर असर डालता है.ऎसे में होरा आर्थिक जीवन, विवाह, सुख या मुहूर्त इत्यादि पर अपना असर डालने वाला होता है. मुहूर्त शास्त्र में होरा की भूमिका बहुत ही विशेष असर होता है. अब सूर्य की होरा का असर कई मायनों में विशेष होता है. सूर्य की होरा में जन्मा व्यक्ति अधिक उत्साहित और सूर्य की भांति अग्रसर दिखाई देगा. सूर्य की होरा का प्रभाव व्यक्ति के व्यवहार, उसके काम काज, एवं उसकी जीवनशैली पर भी पड़ता है. सूर्य की होरा का असर जब होता है तो व्यक्ति के काम पर भी इसका प्रभाव देखने को मिलता है. 

सूर्य की होरा में जन्में व्यक्ति का जीवन सूर्य के प्रभावों से जुड़ा होता है. उसके भीतर क्रोध, उत्साह तेजी, अभिमान, स्वाभिमान जैसे गुण होते हैं. सूर्य की होरा व्यक्ति के जीवन को कई तरह से प्रभावित करने वाली होती है. 

सूर्य की होरा का जीवन पर असर 

सूर्य की होरा को समझने से पूर्व सूर्य के गुण एवं उसके कारक तत्वों को समझने की अधिक आवश्यकता होती है. सूर्य, ज्योतिष नवग्रहों में सबसे प्रमुख हैं, सूर्य स्वयं का प्रतिनिधित्व करता है और इसमें पुरुष ऊर्जा है, यह सिंह राशि का स्वामी है और कृत्तिका, उत्तराफाल्गुनी और उत्तराषाढ़ा सितारों का स्वामी है, प्रत्येक राशि का भ्रमण करने में उसे एक महीने का समय लगता है.  सूर्य एक राजसी ग्रह है इसमें विवेक, बुद्धि, व्यक्तित्व, साहस, सरकार, राजपरिवार, उच्च पद, नेतृत्व, कष्ट सहने की क्षमता, प्रतिरक्षा, प्रसिद्धि, आत्म-गुण जैसे गुण हैं, निर्भरता, उदार रवैया, सम्मान, विश्वसनीयता, सूर्य पिता का प्रतीक है, राजा का स्थान पाता है. शक्ति और अधिकार के लिए विशेष होता है. 

अब सूर्य इतना प्रमुख ग्रह है और जन्म कुंडली में सूर्य अच्छी स्थिति में है, तो यह बुद्धि, दृढ़ इच्छाशक्ति, चरित्र, जीवन शक्ति, अधिकार, साहस, आत्मविश्वास और नेतृत्व प्रदान करने वाला ग्रह बन जाता है. साथ ही, यदि सूर्य बहुत अधिक मजबूत स्थिति में है, तो इसका परिणाम अभिमान, अहंकार और अति आत्मविश्वास, आत्म-केंद्रित स्वभाव, हर किसी से आगे निकल जाने जैसी प्रवृतियों को जन्म देने वाला होता है. कमजोर स्थिति में सूर्य व्यक्ति को कमजोर बना सकता है, आत्मविश्वास की कमी दे सकता है. आत्मसम्मान में कमी, नम्रता में कमी, दूसरों पर हावी होने की इच्छा और ऊर्जा की कमी इस समय अधिक देखने को मिल सकती है. 

सूर्य की होरा का व्यक्तित्व पर प्रभाव 

सूर्य की स्थिति जुनून, नेतृत्व, गतिशीलता, कौशल, संचार और प्रबंधकीय कौशल को दर्शाने वाली होती है. व्यक्ति चीजें सीखने में बेहतर होता है. टीम वर्क करने में बहुत बेहतर होता है. इन गुणों में सूर्य की होरा में जन्मा व्यक्ति इन चीजों से प्रभावित रहता है. उसके काम की स्थिति इन चीजों के द्वारा अधिक प्रभाव में दिखाई देती है. सूर्य की होरा का असर व्यक्ति को अपने आस पास की चीजों के प्रति सजग बनाता है लेकिन वह कई बार लापरवाही के साथ उन पर काम करता है.  सूर्य की होरा में होने के कारण व्यक्ति स्वाभाविक रूप से कलाकार होता है. वह अपने आस पास के लोगों को खुश और संतुष्ट रहने के लिए अपने इन गुणों को उपयोग करने में आगे रह सकता है. सूर्य की होरा में होने के कारण जिस काम को पसंद होता है और वे उसके प्रति समर्पित होता है. 

वह बिना रुके आगे बढ़ने के लिए ललायित रहता है. खुद को किसी काम में गहराई से शामिल कर लेने में उसका गुण बहुत होता है. उसके लिए हर समय काम करना और बेहद व्यस्त रहना अच्छा होता है. वह मेहनत के साथ आगे बढ़ता है. सूर्य की होरा का असर व्यक्ति को जुनून से काम करने वाला बनाता है. यह लोग जो भी काम करते हैं उसमें अपना पूर्ण देने की इच्छा भी रखते हैं. निष्ठा ईमानदारी करियर की सबसे बड़ी ताकत भी होती है. काम सहित अपने हर काम में सूर्य की होरा वाला व्यक्ति उग्र तीव्रता के साथ आगे बढ़ता है, यह लोग जो कर रहे हैं उस पर विश्वास करते हैं. अपने इसी भरोसे के कारण इन्हें कोई नहीं रोक सकता. इन लोगों को विलासिता पसंद होती है. अधिक धन और जीवन को बेहतर बनाने के लिए परिश्रम भी खूब करते हैं. 

 सूर्य की होरा में करियर पर असर 

सूर्य की होरा का प्रभाव व्यक्ति को कमाई के लिए इच्छुक बनाता है. अच्छी जीवन शैली को लेकर भी ये लोग बेहद उत्साहित देखे जा सकते हैं. 

सूर्य की होरा का प्रभाव राजनेता या सरकार में किसी शक्तिशाली पद प्रदान करने वाला होता है. व्यक्ति इस होरा में जन्म लेने पर एक अच्छे करियर के लिए उन्मुख दिखाई देता है. अपने काम में बंधन इन्हें पसंद नहीं होगा. जहां काम करेंगे वहां खुश और संतुष्ट महसूस करने की उनकी चाह जब भी बाधित होगी वह अपना अच्छा प्रदर्शन नही कर पाएंगे. यह सूर्य की होरा के प्रभाव के कारण एक अच्छे बिजनेसमैन हो सकते हैं. इसके साथ ही उनके पास मजबूत संचार और प्रबंधकीय कौशल भी होता है.  कंपनी के अध्यक्ष, निदेशकों या प्रबंधकों के रूप में उत्कृष्टता से काम करने वाले होते हैं. 

नेतृत्व और शक्तिशाली स्थिति इनके काम में दिखाई देती है. एक उत्कृष्ट आयोजक और विश्लेषक का काम भी ये अच्छे से कर सकते हैं इसलिए नई परियोजनाओं के लिए अच्छी तरह से आधार तैयार करते हैं. आत्म दृष्टिकोण भी इनमें मजबूत होता है. औद्योगिक क्षेत्र में नौकरी के लिए उपयुक्त होते हैं. आकर्षण से भरपूर और लोगों से बात करना पसंद करते हैं एक अच्छे वक्ता और राजनयिक हो सकते हैं. आप सैनिक या सर्जन भी बन सकते हैं. इंजीनियरिंग, वास्तुकला, कानून या प्रशासनिक सेवाओं, कृषि, परिवहन और चिकित्सा की ओर हो सकता है,  

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कन्या राशि में चंद्र-केतु गोचर 2025 का प्रभाव

ग्रहों के गोचर में युति गोचर की भूमिका काफी विशेष मानी गई है. ऎसे में जब एक शुभ और एक पाप ग्रह आपस में साथ होकर गोचर करते हैं तो इसका असर व्यापक रुप से देखने को मिलता है. यह गोचर कई मायनों में अपने परिणाम दिखा सकता है. जब केतु के साथ चंद्रमा के गोचर की बात आती है तो यह समय अधिक सजगता से बिताने का होता है. यह द्नों ग्रह काफी नाजुक युति को दिखाते हैं. जिस राशि में इनका युति गोचर होता है वह भी काफी महत्वपूर्ण होता है. 

केतु गोचर व्यक्तियों के जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के महत्वपूर्ण परिवर्तन लाता है और चंद्रमा मन पर सीधा असर करता है. कन्या राशि पोषण की राशि है जो जीवन के लिए सुरक्षा और देखभाल से भरपूर होती है. अब इन तीनों का योग जब एक साथ होता है तो यह असर सभी के लिए होता है. 

कन्या राशि में चंद्रमा के साथ केतु के गोचर का प्रत्येक राशि पर अलग-अलग प्रभाव पड़ सकता है. प्रत्येक राशि पर केतु चंद्र के कन्या राशि में गोचर का प्रभाव इस प्रकार होगा. 

मेष राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

मेष राशि के लिए चंद्र केतु गोचर आप लोगों को नई चुनौतियों से रुबरु करा सकता है. सफलता के मौके होंगे. केतु और चंद्रमा का गोचर आपके करियर और कारोबार में अप्रत्याशित बदलाव ला सकता है. आप अपनी दिशा और उद्देश्य के बारे में अनिश्चित महसूस कर सकते हैं लेकिन भरोसा रखें कि यह विकास और परिवर्तन का समय है. इस समय अधिक विचलित होने से बचना ही उचित होगा.

वृषभ राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

वृषभ राशि के लिए चंद्र केतु गोचर अचानक से किसी खर्च या कोई नए कार्य को दे सकता है. यह गोचर आपकी आध्यात्मिक मान्यताओं और प्रथाओं में बदलाव ला सकता है. कुछ नई आध्यात्मिक प्रथाओं की खोज करने और जीवन में गहरे अर्थ खोजने के लिए किसी आश्रम या धर्म गुरु की दिशा में खिंचाव महसूस कर सकते हैं.

मिथुन राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

मिथुन राशि के लिए चंद्र केतु गोचर आपके लाभ को बढ़ा सकता है लेकिन दोस्तों के साथ परेशानी दे सकता है.कन्या राशि में केतु गोचर वित्तीय अस्थिरता और अनिश्चितता ला सकता है. आपको अप्रत्याशित ख़र्चों या आय में उतार-चढ़ाव का अनुभव हो सकता है. इस समय अपने बड़े या किसी वरिष्ठ के साथ कुछ परेशानी हो सकती हैं  लेकिन विश्वास रखें कि चीज़ें स्थिर हो जाएंगी.

कर्क राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

कर्क राशि के लिए चंद्र केतु गोचर तनाव अधिक देने वाला होगा. यह गोचर आपके आंतरिक स्व और अवचेतन मन के साथ गहरा संबंध ला सकता है और इस समय आप खुद को लेकर अधिक बेचैन रहने वाले हैं. अपने काम में नवीनता लाने के लिए कुछ कर सकते हैं. इस दौरान आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि का अनुभव हो सकता है. परिवार में स्थिति को लेकर अधिक बहसबाजी से दूर रहना हितकर होगा.

सिंह राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

सिंह राशि के लिए चंद्र केतु गोचर भाग्य के सहयोग को देगा लेकिन कुछ मामलों में भटकाव भी रहेगा. केतु का कन्या राशि में गोचर रिश्ते में अप्रत्याशित बदलाव ला सकता है. आप अपने प्रियजनों के साथ संघर्ष या किसी बात को लेकर गलतफहमी का अनुभव कर सकते हैं. पिता के साथ कुछ तनाव हो सकता है. कोई यात्रा अचानक से ही बनने वाली है. 

कन्या राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

कन्या राशि के लिए चंद्र केतु गोचर आध्यात्मिक और गुढ़ विषयों पर मजबूत पकड़ देने वाला होगा. मानसिक रुप से उधेड़बुन भी होगी, लेकिन मार्ग भी दिखाई देगा. यह गोचर आध्यात्मिक जागृति और जीवन में आपके उद्देश्य की गहरी समझ ला सकता है. इस दौरान, अंतर्ज्ञान मजबूत रह सकता है. विदेश यात्रा के लिए समय मिलेगा या किसी विशिष्ट व्यक्ति का संपर्क विचारधारा को बदल देने वाला होगा. 

तुला राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

तुला राशि के लिए चंद्र केतु गोचर वैवाहिक जीवन में कुछ चुनौतियाँ ला सकता है. रिश्ते में कुछ अलगाव हो सकता है. परिवार के साथ अनबन अधिक हो सकती है. कहीं बाहर जाकर रहना पड़ सकता है. असफलताओं या अप्रत्याशित परिवर्तनों का अनुभव हो सकता है लेकिन भरोसा रखें कि ये अस्थायी हैं और बड़े अवसरों का समय जरूर मिल पाएगा. 

वृश्चिक राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

वृश्चिक राशि के लिए चंद्र केतु गोचर लाभ के मौके देगा, इस समय कुछ वाणी में कठोरता भी अधिक बढ़ सकती है. यह गोचर आपके आध्यात्मिक विश्वासों के अलावा सामाजिक प्रथाओं की गहरी समझ ला सकता है. नई मित्रता को अपना सकते हैं. छात्र कुछ दुविधा में रह सकते हैं. आध्यात्मिक शिक्षाओं की खोज की ओर आकर्षित हो सकते हैं और जीवन में गहरे अर्थ की तलाश कर सकते हैं.

धनु राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

धनु राशि के लिए चंद्र केतु गोचर काम काज में कुछ तेजी देगा लेकिन आर्थिक पक्ष अभी कमजोर होगा. इस समय किसी बड़े निवेश से बचना ही सही होगा. केतु चंद्र का कन्या राशि में होना वित्तीय अस्थिरता और अनिश्चितता ला सकता है. आपको अप्रत्याशित अनुभव हो सकता है ख़र्चे या आय में उतार-चढ़ाव लेकिन भरोसा रखें कि अंततः चीज़ें स्थिर हो जाएंगी.

मकर राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

मकर राशि के लिए चंद्र केतु गोचर आपके भीतर उत्साह भरने वाला होगा लेकिन जोश में होश का ध्यान रखते हुए काम किया जाना अधिक बेहतर होगा. यह गोचर बाहरी लोगों के साथ संपर्क को बढ़ा सकता है. इस दौरान आपको कुछ मामलों में धीमी गति से ही आगे बढ़ना चाहिए. नए रिश्ते इस समय आपके मन को चंचल भी कर सकते हैं. 

कुंभ राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

कुंभ राशि के लिए चंद्र केतु गोचर आपके भीतर कुछ नवीन वस्तुओं की खोज को देने वाला होगा. अपने पुराने अनुभवों को लेकर आप अधिक जागरुक भी होंगे. कुछ अप्रत्याशित बदलाव ला सकता है. इस समय आध्यात्मिक रुप से व्यस्त रहेंगे. अचानक से लोगों के साथ मेल जोल होगा साथ ही गुप्त रहस्यों का पता लग सकता है. 

मीन राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

मीन राशि के लिए चंद्र केतु गोचर प्रेम संबंधों को कुछ कमजोर कर सकता है. अलगाव का अनुभव हो सकता है. इस समय आप रिश्तों में काफी उधेड़बुन में दिखाई देने वाले हैं.सामाजिक रुप से कुछ दूरी भी बना सकते हैं. किसी नए काम की शुरुआत को लेकर उत्साहित होंगे. आर्थिक रुप से खर्चों की अधिकता अभी बनी रहने वाली है. 

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शुक्र-बुध योग, एक साथ होना क्यों है इतना शुभ

बुध हमारी बुद्धि है और शुक्र सुंदरता है. यह दोनों ग्रह कोमल और प्रेम तथा भावनाओं को दर्शाते हैं एक दूसरे के साथ बहुत अच्छे से मेल खाते हैं. रिश्तों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनसे सुख भी देते हैं. इस युति के साथ अगर पाप प्रभाव नहीं हो तो इसके बहुत बेहतर परिणाम हमें मिल सकते हैं लेकिन अगर इसके फल में पाप ग्रह का असर मिलता है तो परिणाम बदल सकते हैं. हर कुंडली में इनका असर इन दोनों ग्रहों की प्लेसमेंट से होता है लेकिन सामान्य सिद्धांत के आधार पर यह दोनों ग्रह जो परिणाम देते हैं वह कुछ सकारात्मक अधिक होते हैं. आईये जाने अगर आपकी कुंडली के यह मौजूद होते हैं तो किस भाव में क्या फल दे सकते हैं.   

शुक्र बुध का पहले भाव पर प्रभाव 

अगर शुक्र के साथ बुध का युति योग पहले भाव पर बनता है तो इसका लाभ मिलता है. व्यक्ति मस्त मौला होता है. उस पर सभी के साथ मिलकर चलने की इच्छा देखी जाती है. वह दूसरों के साथ अपने रिश्तों को लेकर काफी ज्यादा न सोचना चाहे लेकिन हृदय में भावनाएं अवश्य रखेगा. मन से कोमल और प्रेमी स्वभाव क अहोगा. व्यक्ति कार्यों को करने के लिए उत्सुक होगा. कई बार जल्दबाजी के चलते परेशानी में भी पड़ सकता है. इस भाव में शुक्र-बुध की युति व्यक्ति को आकर्षक बना सकती है लोग उसके प्रति खीम्चाव अनुभव कर सकते हैं. वह अपने कामों में रचनात्मक कुशलता से भी आगे बढ़ता है. 

शुक्र बुध का दूसरे भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के दूसरे भाव में होता है. इसका असर व्यक्ति को अपने परिवार के सुख के रुप में दिखाई देता है. व्यक्ति अपने बोल चाल में कुशल होता है. अपनी बातों को घुमाने में कुशल होता है. जल्द ही लोगों को अपने अनुसार डाल सकता है. कोमल और उदार होता है. आर्थिक लाभ को पाता है लेकिन खर्च भी अधिक कर सकता है.

शुक्र बुध का तीसरे भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के तीसरे भाव में होता है. इस भाव में होने से वह बौद्धिक कर्म की ओर अधिक ध्यान देता है. शारीरिक श्रम में उसकी रुचि कम हो सकती है. यात्राएं करने का शौक हो सकता है. बहनों का सुख उसे अधिक मिल सकता है. अपने आस पास के लोगों के मध्य लोकप्रिय हो सकता है. दूसरों के सहारे आगे बढ़ सकता है. 

शुक्र बुध का चतुर्थ भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के चौथे भाव में होता है. इस भाव में आर्थिक लाभ पात अहै. कई बार वह अपने परिवार की ओर से सुखों को पाने में सफल होता है. कोमल एवं काम करने में कुछ धीमा हो सकता है. अपने मनोकूल काम करना इसे अधिक पसंद हो सकता है. परिवार में लोगों के मध्य केन्द्र का स्थान पाने में सक्षम होता है. कफ के विकार और वात विकार असर जल्दी से डाल सकते हैं. 

शुक्र बुध का पंचम भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के पंचम भाव में होता है. वह बौद्धिक और रचनात्मक कामों को करके आगे बढ़ता है. उसे इनके द्वारा सम्मान प्रसिद्धि भी मिल सकती है. व्यक्ति दोस्तों को बनाता है अपने दोस्तों के मध्य काफी प्रसिद्ध भी रहता है. प्रेमी और रोमांस करने में आगे रह सकता है. 

शुक्र बुध का छठे भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के छठे भाव में होता है. यहां कुछ कमजोर परिणाम देता है. इस स्थान पर उसे कई बार अपनी कमियों के कारण परेशानी अधिक झेलनी पड़ सकटि है. रिश्तों में परेशानी हो सकती है. कानूनी गतिविधियों में अधिक फंसना पड़ सकता है. रोग जल्द असर डाल सकते हैं. संगीत, ललित कला जैसे कामों में  सफलता संभव मिल सकती है.

शुक्र बुध का सप्तम भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के सातवें भाव में होता है. प्रेम और रोमांस की अधिकता व्यक्ति में होती है. चाहतें कुछ अधिक होती हैं. विवाह और वैवाहिक संबंधों में समान को पाता है. अपने जीवन साथी का सुख उसे मिलता है. साझेदारी के काम में वह सम्मान पाता है. अच्छे लाभ को पाने में सफल रह सकता है. 

शुक्र बुध का आठवें भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के आठवें भाव में होता है तब चीजें कई तरह से कमजोर होती हैं तो कुछ लाभ भी मिलता है. जीवनसाथी से विवाह और कमाई के माध्यम से अच्छा धन मिल सकता है. जीवनसाथी से अलगाव हो सकता है. रोग अचानक से प्रभाव डालने वाले होते हैं. 

शुक्र बुध का नवम भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के नवम भाव में होता है तो व्यक्ति अपने जीवन में कई शुभता को पात अहै. आध्यात्मिक रुप से मिलेजुले परिणाम उसे मिलते हैं. वह उच्च शिक्षा हेतु आगे बढ़ सकता है. पिता से सहयोग मिल सकता है. परिवार का सुख एवं यात्राओं से लाभ की प्राप्ति होती है. 

शुक्र बुध का दशम भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के दशम भाव में होता है तो रचनात्मक कला और संचार से संबंधित काम देता है. व्यक्ति अपने वरिष्ठ जनों का सहयोग पाता है. माता पिता का प्रेम मिलता है. स्त्री पक्ष से लाभ मिल सकता है.काम में व्यक्ति को अच्छी पहचान मिलती है. अच्छा नाम और प्रसिद्धि मिल सकती है. गुरुजनों का सहयोग मिल सकता है. आर्थिक पक्ष को अपनी मेहनत द्वारा अच्छा बना सकता है. यात्राएं करता है. कई चीजों को पाने में सफलता मिलती है.

शुक्र बुध का एकादश भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के एकादश भाव में होता है तो व्यक्ति को लाभ मिलता है. इच्छाएं अधिक होती हैं. इस कारण कई बार कुछ चीजों की कमी तनाव भी दे सकती है. व्यक्ति को अपने भाई बहनों का साथ मिलता है. कई लम्बी यात्राएं जीवन में बदलाव लाती हैं. 

शुक्र बुध का बारहवें भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के द्वादश भाव में होता है तो परेशानी या फिर खर्च की अधिकता देता है. इसके द्वारा स्वास्थ्य को लेकर भी कुछ चिंता रह सकती है. विदेशों में भ्रमण का अवसर मिलता है. अनैतिक रिश्तों का असर बःई जीवन पर अपना असर डाल सकता है. किसी के द्वारा छल और दबाव भी झेलना पड़ सकता है. लोगों के साथ मेलजोल और संपर्क जल्द से स्थापित होता है.

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सिंह राशि में वक्री शुक्र का गोचर

सिंह राशि में शुक्र का वक्री होकर गोचर करना सभि राशियों के लिए विशेष समय होता है. शुक्र सौंदर्य का स्त्री तत्व युक्त ग्रह है जब अग्नि तत्व युक्त राशि में यह वक्री होगा तो अवश्य ही इसके परिणाम सोच से विपरित हो सकते हैं. जब शुक्र वक्री होता है, तो यह रिश्तों में समस्याएं और विवाद दे सकता है, धन लाभ में वृद्धि हो सकती है और यह सब संबंधित राशियों पर निर्भर करता है.

शुक्र का आपकी कुंडली पर असर जानें विस्तार से – https://astrobix.com/discuss/index

शुक्र ज्योतिष शास्त्र में सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है और शुक्र द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को आंकने में इसका स्थान महत्वपूर्ण है. तुला और वृषभ राशि में शुक्र बलवान होता है. शुक्र ग्रह सिंह राशि में वक्री हो रहा है, जिसका स्वामी ग्रह सूर्य है. यह शुक्र-सिंह की शत्रु राशि है. इसके कारण, शुक्र अपेक्षित पूर्ण लाभकारी परिणाम देने में अत्यधिक प्रभावी नहीं हो सकता है.

मेष राशि 

मेष राशि के लिए शुक्र दूसरे और सातवें घर का स्वामी है और पांचवें घर में गोचर करने वाला है. सिंह राशि में शुक्र के वक्री होने के कारण जीवनसाथी के साथ रिश्ते में कम क्षणों का सामना करना पड़ सकता है. प्रेम संबंधों में मुद्दों का सामना परेशानी देगा. प्रियजनों के आपसी तालमेल के रूप में अपनी प्रतिक्रिया में कुछ कठोर रह सकते हैं. इस दौरान धन की समस्या का सामना करना पड़ सकता है, खर्चे भी बढ़ सकते हैं.

ऋण लेने की आवश्यकता पड़ सकती है. करियर में दबाव और अपने वरिष्ठों से सहयोग की कमी का सामना करना पड़ सकता है.  यदि व्यवसाय में हैं तो अधिक मुनाफ़ा प्राप्त करना कठिन रहेगा. व्यवसाय के संबंध मेंकड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है. व्यापारिक लेन-देन में हानि का सामना करने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. इसलिए इस ओर ध्यान से कार्य करने की जरूरत होगी.

वृष राशि 

वृषभ राशि के लिए, शुक्र पहले और छठे घर का स्वामी है और चौथे घर में गोचर करेगा. इस समय के दौरान कुछ आराम की कमी हो सकती है. संपत्ति खरीदने और लाभ प्राप्त करने के लिए उसमें निवेश करने के प्रति अधिक उत्सुक हो सकते हैं. अपने परिवार पर अधिक पैसा खर्च करने के कारण उन्हें अधिक खर्चों का सामना करना पड़ेगा. चीजों को पूरा करने के लिए ऋण ले सकते हैं. करियर में अपनी उम्मीदों से कहीं अधिक उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है. आपके ऊपर नौकरी का दबाव अधिक हो सकता है और इसके कारण आप उसे संभालने की स्थिति में नहीं होंगे. 

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए, शुक्र पांचवें और बारहवें घर का स्वामी है और अभी तीसरे घर में गोचर करने वाला है. इसके कारण,  बुद्धि का उपयोग संपत्ति में निवेश करने और उसे बढ़ाने में अधिक कर सकते हैं. काम को लेकर अधिक यात्राएं करनी पड़ सकती हैं. करियर के लिए लंबी दूरी की यात्रा का सामना करना पड़ सकता है. परिवार एवं भाई बहनों के साथ समय बिता पाएंगे.   करियर के संबंध में विदेश जाने के मौके भी मिल सकते हैं. कुछ मस्ती और रोमांचक मौके मिल सकते हैं. इस दौरान पदोन्नति के अच्छे मौके मिलेंगे और ये चीजें खुश कर सकती हैं. यदि आप व्यवसाय में हैं, तो यह समय मूवमेंट द्वारा मुनाफ़ा और सफलता देने का अच्छा समय हो सकता है. 

कर्क राशि 

कर्क राशि के जातकों के लिए, शुक्र चौथे और ग्यारहवें घर का स्वामी है और दूसरे घर में गोचर कर रहा है. इसके कारण, पारिवारिक समस्याओं और उसी को लेकर विवादों का सामना करना पड़ सकता है. परिवार के लिए अधिक पैसा खर्च करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है. बढ़ती प्रतिबद्धताओं के कारण तनाव हो सकता है. घर संबंधी परेशानियां हो सकती हैं. नौकरी के दबाव के साथ-साथ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. गुप्त रुप से किए जाने वाले प्रयास सफल न हो पाएं. खान पान में लापरवाही से अत्यधिक परेशानी हो सकती हैं. इसलिए, इस ओर ध्यान देने की अधिक जरुरत होगी. 

सिंह राशि 

सिंह राशि के लिए, शुक्र तीसरे और दसवें घर का स्वामी होकर पहले घर में होगा. इस समय आत्मनिर्भर अधिक दिखाई दे सकते हैं. अपनी प्रतिबद्धताओं में सफल होने के लिए दृढ़ संकल्पित हो सकते हैं. हो सकता है कि वे अपने करियर के संबंध में अवसरों की तलाश में हों. अभी मौके मिलेंगे. खर्चों में वृद्धि खुद के कारन अधिक हो सकती है. लोगों का सहयोग अधिक काम न आए लेकिन आपके प्रयासों द्वारा सफलता संभव होगी. लंबी दूरी की यात्रा या विदेश में नए अवसरों का सामना करना पड़ सकता है

कन्या राशि 

कन्या राशि के लिए, शुक्र दूसरे और नौवें घर का स्वामी होकर 12वें घर में होगा. इस कारण मिलेजुले असर प्रभावित करने वाले होंगे.  धन हानि और परिवार में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे तर्क-वितर्क हो सकते हैं जिनका आपको सामना करना होगा जो शांति को बिगाड़ सकते हैं. बड़ी परियोजनाओं और योजनाओं में निवेश जैसे बड़े फैसले लेने से बचने की जरूरत है. इस समय खान पान ओर वाहन इत्यादि के चलते सेहत पर असर पड़ सकता है. करियर में हैं तो आपको अपने कार्य क्षेत्र में अशांति का सामना करना पड़ सकता है. नौकरी का दबाव हो सकता है और ऐसी चीजें आपके लिए परेशानी का कारण बन सकती हैं. 

तुला राशि 

तुला राशि के लिए, शुक्र पहले और आठवें घर का स्वामी है और ग्यारहवें घर में गोचर करेगा. अचानक धन प्राप्त हो सकता है. किसी पुराने मित्रों से मुलाकात का समय होगा. किसी के प्रति आकर्षण अधिक रहने वाला है. और विरासत तथा अन्य अप्रत्याशित स्रोतों से अधिक धन एकत्रित हो सकता है. इस दौरान भाग्य का साथ मिलने से अधिक लाभ हो सकता है और इससे वे प्रसन्न  करियर में कुछ उतार-चढ़ाव रह सकते हैं. आसानी से सफलता पाने का योग भी हो सकता है. आपके लिए नई नौकरी के बहुत सारे अवसर उपलब्ध होंगे और ऐसे अवसर आपको संतुष्टि प्रदान कर सकते हैं. 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के लिए, शुक्र सातवें और बारहवें घर का स्वामी है और अभी दसवें घर में स्थित है. इसके कारण क्रोध में अधिकता होगी ओर जोश में काम करने वाले होंगे.  इच्छाओं को पूरा नहीं कर पाएंगे और संघर्ष मन को परेशान कर सकता है. धीमी गति से काम करना ही उम्मीद अनुसार फलों को देगा. करियर में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और इस तरह उन्हें काम में कम संतुष्टि का सामना करना पड़ सकता है. इस दौरान उनके लिए व्यक्तिगत संबंधों में तालमेल बिठाना भी आवश्यक हो सकता है क्योंकि उनके जीवन साथी के साथ उनकी बहस हो सकती है.

धनु राशि 

धनु राशि के लिए, शुक्र छठे और ग्यारहवें घर का स्वामी होकर नवम भाव में गोचर करने वाला है. भाग्य को लेकर कई सारी संभावनाएं रहेंगी. प्रयासों में सफल होने के लिए बेहतर स्थिति में होंगे. अपनी इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम होंगे. इन जातकों का सौभाग्य सक्रिय रहेगा और इसके कारण कुछ अच्छे मौके [अएंगे. इस समय तेजी से काम करने से बेहतर होगा की कुछ संभल कर आगे बढ़ा जाए. करियर में स्थिति सामनय रहेगी. परिवार के साथ कुछ यात्राएं कर सकते हैं. आध्यात्मिक कार्यों में शामिल होने का मौका मिलेगा. 

मकर राशि 

मकर राशि के लिए, शुक्र पांचवें और दसवें घर का स्वामी होकर आठवें घर में होगा. इस समय अधिक ध्यान केंद्रित करने और अधिक सावधानी से काम करने की आवश्यकता है. मानसिक रुप से तनाव होने के कारण भ्रम की स्थिति बनी रह सकती है. इस समय योग एवं मेडिटेशन करना अधिक कारगर रहेगा. कुछ अवसर मिलने में विलंब का सामना करना पड़ सकता है.  विदेश में काम कर रहे हैं तो वरिष्ठों से सहयोग मिल सकता है. कुछ काम में अचानक से बेहतर परिणाम संतोषजनक रह सकते हैं. इस समय गुप्त संबंधों को लेकर सजग रहें अन्यथा परेशानी हो सकती है. स्वास्थ्य को लेकर भी सावधान रहने की जरूरत है. 

कुंभ राशि

कुंभ राशि के लिए, शुक्र चौथे और नौवें घर का स्वामी होकर सातवें घर में गोचर करेगा. सातवें घर में स्थित होने के कारण दांपत्य जीवन पर इसका गहरा असर पड़ने वाला है. इसके कारण कुछ अनबन भी रह सकती है. संपत्ति को बढ़ाने के साथ साथ लाभ कमाने पर अधिक ध्यान केंद्रित रहने वाला है. मित्रों का दायरा बढ़ाने, नए संपर्क और सहयोगी हासिल करने की स्थिति में अधिक प्रयास करने वाले होंगे. सामाजिक दायरा विस्तार प्राप्त कर सकता है. 

मीन राशि

मीन राशि के लिए शुक्र तीसरे और आठवें घर का स्वामी होकर छठे घर में स्थित होगा. इस समय कानूनी फैसलों को लेकर देरी का सामना करना पड़ सकता है. आय प्राप्त करने के लिए संघर्ष रहेगा. अप्रत्याशित स्रोतों के माध्यम से अधिक लाभ प्राप्त करने की उम्मीद भी होगी. परिवार और भाई-बहनों के साथ रिश्ते ठीक नहीं रह पाएं. इस समय विवाद से बच कर आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी.  व्यवसाय के संबंध में मुनाफा कमाने के लिए अनुकूल समय हो सकता है. सेहत को लेकर ध्यान रखने की जरूरत होगी. 

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राजनीतिक सफलता के लिए भाव और ग्रह स्थिति

राजनीति में सफलता को पाने के लिए कुंडली में मौजूद दशाओं और ग्रहों की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है. राजनीति में धाक जमाने के लिए कुछ ग्रहों का साथ बहुत जरुरी होता है. उनके बिना इस क्षेत्र में आगे बढ़ना संभव नहीं हो सकता है. राजनीतिक सत्ता की चाहत हमेशा लोगों में सबसे ऊपर रह सकती है. लोग किसी भी काम में हों लेकिन वह सत्ता में अपनी उपस्थिति की चाहत से दूर नहीं होना चाहेंगे. विभिन्न क्षेत्रों के अधिकांश सफल व्यक्ति हमेशा राजनीतिक सत्ता के आकांक्षी देखे जा सकते हैं.

राजनीति पूरी तरह शक्ति और अधिकार के बारे में है. इस दोनों चीजों को पाने के शुभ और पाप ग्रह दोनों की उपस्थिति बेहद महत्वपूर्ण होती है. इसलिए, राजनीतिक ऊंचाइयों को पाने के लिए सबसे मजबूत ग्रह योग और राजयोग का जन्म कुंडली में मौजूद होना जरूरी है.   

यह स्पष्ट होना चाहिए कि लग्न या लग्न के अतिरिक्त नवम भाव भी अत्यंत बली होना चाहिए. नवम भाव भाग्य का घर है और आपको राजनीति में ऊंचाई हासिल करने के लिए पर्याप्त भाग्यशाली होना चाहिए. एक, दसवां घर मजबूत लेकिन नौवां घर कमजोर होने पर, व्यक्ति किसी भी काम में ऊंचाई हासिल नहीं कर सकता. यदि किसी का नवम घर मजबूत है लेकिन 10वां घर कमजोर है तो भी वह राजनीतिक ऊंचाइयों को छू सकता है. यदि आपका दसवां घर मजबूत है और नवां घर मजबूत नहीं है, तो मेहनत और योग्यताओं के माध्यम से उस स्थिति तक पहुंच सकते हैं. ऎसे में भाग्य अधिक सहायक नहीं बन पाता है. इस कारण आसानी से चीजें हासिल भी नहीं हो पाती हैं.

राजनीतिक सफलता के लिए विशेष ग्रह और भाव 

राजनीति के क्षेत्र में आप कितने सफल होंगे इसका निर्धारण करने के लिए इससे जुड़े भाव स्थान और ग्रहों की स्थिति को जान लेना जरूरी होता है. कुछ विशेष ग्रह होते हैं. इन का मजबूत होना ही व्यक्ति को उसके कार्यक्षेत्र में अच्छी सफलता को देने वाला होता है. 

प्रथम भाव 

राजनीति में सफलता के लिए पहला मापदण्ड लग्न के द्वारा ही पूरा होता है. यह वो स्थान है जो व्यक्ति के संपूर्ण स्थिति की आधारशिला के रुप में स्थान पाता है. अगर कुण्डली में प्रथम भाव अच्छी स्थिति का होगा तो स्वाभाविक है कि उसके द्वारा व्यक्ति को बेहतर परिणाम मिल पाएंगे. लग्न बलवान होना चाहिए. इस पर शुभ, योगकारक ग्रहों का प्रभाव होना भी इसकी मजबूती के लिए आवश्यक शर्त के रुप में दिखाई देता है. इसके साथ ही अगर कुंडली में लग्न के साथ नवम भाव, दशम भाव या पंचम भाव का शुभ प्रभाव हो तो इसके कारण योगकारक स्थिति उसे बली बनाती है. 

अगर लग्नेश भी लग्न में मजबूत होकर बैठ जाए तो यह अच्छी स्थिति की पुष्टि करता है. एक मजबूत लग्न एक मजबूत व्यक्तित्व को देने में सहायक बनता है. यह जीवन में एक अच्छी स्थिति तक पहुंचने में मदद करने वाला भाव होता है. आपकी छवि लोगों को कितना आकर्षित करती है वो इसी के द्वारा संभव हो पाती है. अगर आप निडर और प्रभावशाली दिखते हैं तो वह आपके लग्न की शुभता के द्वारा संभव होता है.

नवम भाव 

राजनीति में सफलता के लिए दूसरा पक्ष नवम के द्वारा ही पूरा होता है. यह वो स्थान है जो व्यक्ति भाग्य द्वारा संपूर्ण स्थिति की आधारशिला को देख पाता है. अगर कुण्डली में नवम भाव अच्छी स्थिति का होगा तो स्वाभाविक है कि उसके द्वारा व्यक्ति को बेहतर परिणाम मिल पाएंगे. नवम बलवान होना चाहिए. इस पर शुभ, योगकारक ग्रहों का प्रभाव होना भी इसकी मजबूती के लिए आवश्यक शर्त के रुप में दिखाई देता है. इसके साथ ही अगर कुंडली में लग्न के साथ नवम भाव, दशम भाव या पंचम भाव का शुभ प्रभाव हो तो इसके कारण योगकारक स्थिति उसे बली बनाती है. 

अगर नवमेश अपन नवम स्थान में मजबूत होकर बैठ जाए तो यह अच्छी स्थिति की पुष्टि करता है. एक मजबूत नवम भाव एक मजबूत भाग्य को देने में सहायक बनता है. यह जीवन में एक अच्छी स्थिति तक पहुंचने में मदद करने वाला भाव होता है.व्यक्ति को भाग्य से लोगों के स्थान मिलता है, वह अधिकार्यों एवं उच्च संपन्न लोगों का साथ ही भाव के द्वारा  कर पाता है.  

नवम भाव अत्यंत बली होना चाहिए. इस पर अपने स्वयं के स्वामी या दसवें अथवा चतुर्थ के  स्वामी और लग्नेश के साथ होना चाहिए. मजबूत नवम भाव और नवमेश आपको बहुत भाग्यशाली बनाएंगे और यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि केवल भाग्यशाली व्यक्ति ही राजनीतिक नेता या विधायक या मंत्री बन सकता है.

दसवां भाव

राजनीति में सफलता के लिए तीसरा मापदण्ड दशम भाव के द्वारा ही पूरा होता है. यह वो स्थान है जो व्यक्ति के काम को दिखाता है. अगर कुण्डली में दशम भाव अच्छी स्थिति का होगा तो स्वाभाविक है कि उसके द्वारा व्यक्ति को बेहतर परिणाम मिल पाएंगे. दशम बलवान होना चाहिए. इस पर शुभ, योगकारक ग्रहों का प्रभाव होना भी इसकी मजबूती के लिए आवश्यक शर्त के रुप में दिखाई देता है. इसके साथ ही अगर कुंडली में दशम के साथ नवम भाव, लग्न भाव का शुभ प्रभाव हो तो इसके कारण योगकारक स्थिति उसे बली बनाती है.

अगर दशमेश भी मजबूत होकर बैठ जाए तो यह अच्छी स्थिति की पुष्टि करता है. एक मजबूत दशम भाव व्यक्ति को अच्छा कार्य प्रदान करने वाला होता है. यह जीवन में एक अच्छी स्थिति तक पहुंचने में मदद करने वाला भाव होता है. आपकी छवि लोगों को कितना आकर्षित करती है वो इसी के द्वारा संभव हो पाती है. अगर आप निडर और प्रभावशाली दिखते हैं तो वह आपके लग्न की शुभता के द्वारा संभव होता है.

दसवां घर बहुत मजबूत होना चाहिए. दसवां घर कर्म या पेशे का घर है. यह अधिकार, पद और प्रतिष्ठा का भी सदन है. तो मजबूत दसवां भाव व्यक्ति को अधिकार, शक्ति और पद देने में सहयोगी होता है. 

ग्रह का प्रभाव राजनीति से जुड़ने के लिए 

यदि कुंडली में ग्रहों की बात करें तो इसमें शनि और राहु की स्थिति बहुत मुख्य बन जाती है. इन दोनों के द्वारा व्यक्ति इस स्थान पर अपना प्रभुत्व जमाता है. इसके साथ ही सूर्य, बुध गुरु का मंगल का प्रभाव व्यक्ति को अन्य प्रकार के गुण देता है जो सत्ता पर अपना स्थान बनाने के लिए जरूरी होते हैं. 

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ज्योतिष अनुसार मृत ग्रह का प्रभाव और परिणाम

वैदिक ज्योतिष का आधार नौ ग्रह, बारह राशियां एवं बारह भाव होते हैं. इसके बिना हम ज्योतिष शास्त्र में गणना एवं भविष्यवाणी नहीं कर सकते. इसी में ग्रहों के अंश बल की स्थिति के अनुसार कुंडली में ग्रह की अवस्था को देखा जाता है. ग्रहों का आकलन करके व्यक्ति के भविष्य के समय और अनुकूल तथा प्रतिकूल घटनाओं सहित घटनाओं की गणना करते हैं. वैदिक ज्योतिष में कुल नौ ग्रह माने गये हैं और इनका अम्श बल यदि मृत अवस्था में हो तो स्थिति गंभीर होती है. यहां ग्रह अपना परिणाम देने में कमजोर हो जाता है. सभी ग्रहों कि मृत अवस्था का प्रारुप अलग रुप से दिखाई दे सकता है.

ग्रह की मृत अवस्था को जानकर इसके सही परिणाम को समझा जा सकता है. कई बार कुंडली में ग्रह अच्छा होता है लेकिन मृत अवस्था में होने के कारण आपना परिणाम नही दे पाता है. अंश बल में मृत ग्रह की स्थिति ग्रहों के संदर्भ में भविष्य क्या हो सकता यह निर्धारित करने में एक विशेष भूमिका निभाते हैं.

वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा ग्रह

वैदिक ज्योतिष में दूसरा ग्रह चंद्रमा है. इसे मातृ कारक माना जाता है. इसके साथ ही इसका असर हमारे दिमाग पर भी पड़ता है. आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि चंद्रमा का हमारे समुद्रों, जलाशयों, नदियों और उच्च या निम्न ज्वार जैसे प्रमुख जल निकायों पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है. चंद्रमा को रानी के रूप में भी जाना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में चंद्रमा मृत अवस्था में होगा तो यह अनुकूल परिणाम नहीं देगा. इसके द्वारा मिलने वाले फल भी व्यक्ति को नहीं मिल पाएंगे.

वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह

वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को बौद्धिकता का प्रतीक माना जाता है. बुध एक ऐसा ग्रह है जो व्यक्ति की तार्किक क्षमता को दर्शाता है. ऐसा कहा जाता है कि जिस व्यक्ति का बुध मजबूत होता है उसके अंदर किसी भी तरह की गणना करने की क्षमता अन्य लोगों से काफी अलग होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि बुध का संबंध गणित से है और यह खगोलीय ज्ञान भी प्रदान करता है. यह ग्रह अपनी स्थिति के अनुसार सूर्य के बहुत करीब होता है. इसके साथ ही यह व्यक्ति की वाणी पर भी प्रभाव डालता है और हमारी संचार क्षमता से संबंधित होता है. ज्योतिष शास्त्र में अगर बुध मृत अवस्था में होगा तो इसके द्वारा मिलने अवले फल कमजोर हो जाएंगे. मृत अवस्था में ग्रह अपने प्रभावों को देने में सक्षम नहीं होगा. इसका असर कुंडली पर गहरे रुप से पड़ने वाला होगा. मृत अवस्था के चलते इस ग्रह की स्थिति निराशाजनक असर दे सकती है.

वैदिक ज्योतिष में शुक्र

वैदिक ज्योतिष में शुक्र एक ऐसा ग्रह है जिसके बारे में हर कोई चाहता है कि वह उसकी कुंडली में प्रबल हो. ज्योतिष शास्त्र में शुक्र प्रेम, रोमांस, सौंदर्य आदि का कारक है. किसी भी व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार के रिश्ते होते हैं. यह पुरुषों की कुंडली में पत्नी, प्रेमिका या किसी लड़की का प्रतिनिधित्व करता है. यह विवाह क्षेत्र को भी नियंत्रित करने वाला माना जाता है. इसके साथ ही यह व्यक्ति के जीवन में खुशियों का भी ख्याल रखता है और समृद्धि को दर्शाता है.  ज्योतिष शास्त्र में अगर शुक्र मृत अवस्था में होगा तो इसके द्वारा मिलने अवले फल कमजोर हो जाएंगे. मृत अवस्था में ग्रह अपने प्रभावों को देने में सक्षम नहीं होगा. इसका असर कुंडली पर गहरे रुप से पड़ने वाला होगा. मृत अवस्था के चलते इस ग्रह की स्थिति निराशाजनक असर दे सकती है.

वैदिक ज्योतिष में मंगल

वैदिक ज्योतिष में मंगल को साहस का कारक माना गया है. इसके साथ ही यह व्यक्ति के पराक्रम के साथ साथ क्रोध को भी बढ़ाने का काम करता है. मंगल ग्रह जीवन में सभी खतरों से लड़ने की क्षमता और आक्रामकता को दर्शाता है. यह हमें हर प्रकार की परिस्थिति से निपटने की हिम्मत देता है. इसी कारण शुभ स्थिति में मंगल ग्रह का होना व्यक्ति को लड़ने के लिए तैयार रखता है. यदि कुंडली में मंगल सकारात्मक रूप से प्रभावी है तो सेना, पुलिस, सुरक्षा और अग्निशमन दल जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को बहुत मान्यता मिलती है.  ज्योतिष शास्त्र में अगर मंगल मृत अवस्था में होगा तो इसके द्वारा मिलने अवले फल कमजोर हो जाएंगे. मृत अवस्था में ग्रह अपने प्रभावों को देने में सक्षम नहीं होगा. इसका असर कुंडली पर गहरे रुप से पड़ने वाला होगा. मृत अवस्था के चलते इस ग्रह की स्थिति निराशाजनक असर दे सकती है.

वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह

गुरु ज्ञान और विस्तार का कारक ग्रह है, इसे सभी ग्रहों में से यह सबसे शुभ ग्रह है. यह ज्ञान देने वाला ग्रह होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति ग्रह की कृपा से लोगों की कुंडली में कई प्रतिकूल समय का प्रभाव कम हो जाता है. गुरु या कहें बृहस्पति ग्रह मीन और धनु राशि का स्वामी है, यह कर्क राशि में उच्च का और मकर राशि में नीच का होता है. स्त्री की कुंडली में बृहस्पति पति का प्रतिनिधित्व करता है. इसके साथ ही यह व्यक्ति के अंदर आध्यात्मिकता के कारक का भी प्रतिनिधित्व करता है.  ज्योतिष शास्त्र में अगर बृहस्पति मृत अवस्था में होगा तो इसके द्वारा मिलने अवले फल कमजोर हो जाएंगे. मृत अवस्था में ग्रह अपने प्रभावों को देने में सक्षम नहीं होगा. इसका असर कुंडली पर गहरे रुप से पड़ने वाला होगा. मृत अवस्था के चलते इस ग्रह की स्थिति निराशाजनक असर दे सकती है.

वैदिक ज्योतिष में शनि

वैदिक ज्योतिष में शनि को न्याय का प्रतिनिधि ग्रह माना जाता है. इसे कर्मफलदाता भी कहा जाता है. शनि व्यक्ति के कर्मों के अनुसार फल देता है. शनि वह ग्रह है जो ज्योतिष में न्याय के लिए जाना जाता है. शनि वर्तमान समय में किए गए कर्मों के अनुसार व्यक्ति का न्याय करते हैं और उसी के अनुसार फल देते हैं. शनि अन्य ग्रहों की तुलना में धीमी गति से चलने वाला ग्रह है और इस कारण व्यक्ति को फल देने में समय लगता है. ज्योतिष शास्त्र में अगर शनि मृत अवस्था में होगा तो इसके द्वारा मिलने अवले फल कमजोर हो जाएंगे. मृत अवस्था में ग्रह अपने प्रभावों को देने में सक्षम नहीं होगा. इसका असर कुंडली पर गहरे रुप से पड़ने वाला होगा. मृत अवस्था के चलते इस ग्रह की स्थिति निराशाजनक असर दे सकती है.

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तुला राशि में बुध और केतु की युति का गोचर फल

बुध और केतु का तुला राशि में युति गोचर फल अपने आकस्मिक परिणामों को लेकर अधिक उल्लेखनीय माना गया है. जब कोई ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में जाता है तो परिवर्तनों और आश्चर्यों से भरा होता है. जब ग्रह युति में गोचर करता है तो पूरी दुनिया में घटनाएँ घटित होती हैं. केतु के साथ बुध का तुला राशि में एक साथ होना खास होगा. तुला राशि का स्वामित्व शुक्र के पास है, इसलिए हम कह सकते हैं कि बुध और केतु शुक्र के स्वामित्व वाली राशि में रहेंगे. केतु की बुध, शुक्र और शनि से मित्रता मिलती है जिसके चलते यह स्थिति कई मायनों में अपने परिणामों के लिए विशेष होगी.  

तुला राशि में बुध और केतु की युति का प्रभाव देखना है तो हमें सबसे पहले यह देखना होगा कि ये दोनों ग्रह क्या दर्शाते हैं. बुध संचारी ग्रह है और केतु भ्रम फैलाने वाला ग्रह है. शक्तिशाली देश विकासशील देशों को भ्रम तो दे सकते हैं लेकिन वास्तव में संकट में उनकी मदद नहीं करेंगे. साथ ही संचार और संवाद भी बहुत स्पष्ट या ईमानदार नहीं होगा. विश्व नेताओं को उनके बातचीत के तरीके से ग़लत समझा जा सकता है.

तुला राशि में बुध केतु युति का सभी राशियों पर प्रभाव 

मेष राशि के लिए प्रभाव

मेष राशि को अपने परिवार या दोस्तों से बात करते समय सावधान रहना चाहिए. इस युति अवधि के दौरान वे अपना आपा खो सकते हैं और मुसीबत में पड़ सकते हैं. उन्हें अपने स्वास्थ्य विशेषकर त्वचा और गले का ध्यान रखना चाहिए और वाहन चलाते समय भी सावधान रहना चाहिए. उन्हें कुछ नए अवसर मिल सकते हैं लेकिन निवेश करने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार कर लेना चाहिए.  

वृषभ राशि के लिए प्रभाव 

वृषभ राशि में चंद्रमा वाले जातकों के लिए यह युति अवधि स्वास्थ्य के लिए कठिन हो सकती है. इन्हें खांसी-जुकाम जैसी समस्या हो सकती है. इन्हें अपने पेट को लेकर भी सावधान रहना चाहिए. आर्थिक पक्ष पर भी आप जरूरत से ज्यादा खर्च कर सकते हैं. पार्टनरशिप से जुड़े लोगों को घाटा हो सकता है. हालाँकि, सब कुछ नकारात्मक पक्ष पर नहीं है. अगर छात्र इंटर्नशिप की तलाश में हैं तो यह उनके लिए अच्छा समय है. और जोड़े भी एक साथ अपना समय एन्जॉय करेंगे.

मिथुन राशि के लिए प्रभाव

मिथुन राशि के लिए समय कुल मिलाकर औसत है. परिवार में कोई बीमारी हो सकती है जिसके कारण अतिरिक्त ख़र्चे के साथ-साथ मन पर तनाव भी रहेगा. उनकी आंखों में भी कुछ परेशानी हो सकती है. उन्हें काम में कुछ नुकसान और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. शांत रहना और ध्यान करना महत्वपूर्ण है. जातक को अपने कर्मचारियों से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है इसलिए सावधान रह कर काम करने की जरूरत होगी.

कर्क राशि के लिए प्रभाव

छात्रों के लिए अच्छा समय है क्योंकि इससे उन्हें अपनी पढ़ाई पर बहुत ध्यान मिलता है और वे अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम होते हैं. साथ ही परिवार या दोस्तों के साथ कोई यात्रा भी हो सकती है जिससे जातक को अच्छा आनंद मिलेगा. पैर की चोट से सावधान रहना होगा. बिजनेस से जुड़े लोगों को नए निवेश का ध्यान रखना चाहिए और यह भी कि क्या बात करनी है, समस्या खड़ी हो सकती है.

सिंह राशि के लिए प्रभाव

सिंह राशि के लिए नौकरी बदलने या वर्तमान नौकरी में वेतन में बढ़ोतरी पाने के लिए एक अच्छा समय होगा. किसी रिश्ते की शुरुआत करने या शादी के लिए अच्छा रिश्ता ढूंढने के लिए भी यह एक अच्छी अवधि है. स्वास्थ्य के प्रति बहुत सावधान रहना होगा. छोटी सी समस्या को भी हल्के में नहीं लेना चाहिए. महिलाओं और बच्चों को अपने खान-पान का भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इससे पेट संबंधी समस्या हो सकती है. 

कन्या राशि के लिए प्रभाव

कन्या राशि वालों को आर्थिक तंगी हो सकती है क्योंकि लोग आपका बकाया पैसा नहीं दे पाएं. नई नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को सफलता मिलेगी. स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहना होगा. उन्हें हाथ में चोट लग सकती है या त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. करियर और फाइनेंस से जुड़े फैसलों में उलझन हो सकती है. काम या अध्ययन के लिए विदेश जाने की योजना बना रहे हैं, तो मौके मिल सकते हैं.

तुला राशि के लिए प्रभाव

तुला राशि के लिए अनुकूल समय देखने को मिलेगा. प्रोपर्टी से संबंधित लाभ होंगे. घर बेचना चाहते हैं या कुछ विरासत में लेना चाहते हैं तो कानूनी दस्तावेजों की अच्छी तरह जांच कर लेनी चाहिए. डिजाइनिंग और मार्केटिंग से जुड़े कार्यों से जुड़े लोगों को काम में सफलता मिलेगी. स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि पैर में चोट लग सकती है. रिश्तों के लिहाज से यह एक अच्छा समय है कुछ को नया प्यार मिल सकता है.

वृश्चिक राशि के लिए प्रभाव

वृश्चिक राशि वालों को कामकाज के मोर्चे पर रुकावटें आ सकती हैं और साझेदारी में शामिल लोगों से बहस हो सकती है. स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि उन्हें सर्दी और खांसी संबंधी समस्या हो सकती है. भोजन पर नियंत्रण रखना चाहिए और केवल स्वस्थ भोजन ही खाना चाहिए. यदि उन्हें कोई जरूरी काम है तो कुछ समय के लिए टाल देना बेहतर हैगा. इस अवधि में माता के साथ संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं. नए उद्यम करने या किसी से कर्ज लेने से बचना चाहिए.  

धनु राशि के लिए प्रभाव

धनु राशि के विद्यार्थियों के लिए यह अच्छा समय है क्योंकि उन्हें अच्छे परिणाम मिलेंगे. नौकरीपेशा लोगों को भी प्रमोशन या वेतन वृद्धि मिल सकती है. स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और सावधान रहना चाहिए. इस समय चलने-फिरने में कठिनाई और पीठ दर्द की समस्या हो सकती है. शांत रहना चाहिए और अपने परिवार के बड़ों से क्रोध से बात नहीं करनी चाहिए. मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है.  

मकर राशि के लिए प्रभाव

बुध केतु युति गोचर के दौरान समय मिलाजुला रहेगा. कुछ काम मिल सकता है लेकिन लंबी अवधि का न मिल पाए. महिलाओं को संतान संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है इसलिए जो महिलाएं गर्भवती हैं उन्हें विशेष सावधान रहने की जरूरत है. छात्र वीजा के लिए आवेदन करना चाहते हैं तो यह अच्छा समय है. सरकारी नौकरियों के लिए भी यह एक अच्छा समय है.

कुंभ राशि के लिए प्रभाव

कुंभ राशि वालों को परिवार की जिम्मेदारी अधिक उठानी पड़ सकती है. प्रियजनों की देखभाल करनी पड़ सकती है. कामकाज के मोर्चे पर भी तनाव हो सकता है इसलिए स्वयं को शांत रखते हुए काम करें. कुछ कार्यों में सफलता मिलने में विलंब हो सकता है. तकनीकी क्षेत्र के लोगों के लिए यह अच्छा है क्योंकि उन्हें नौकरी के नए अवसर मिल सकते हैं. माता-पिता औरांन्य लोगों से बात करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए अन्यथा बेवजह के विवाद उभर सकते हैं.

मीन राशि के लिए प्रभाव

मीन राशि के लिए युति का प्रभाव सामान्य होगा. परिवार और दोस्तों के साथ यात्रा पर जाने का अवसर मिल सकता है. कार्यों को पूरा करने में भी सक्षम रह सकते हैं. स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और स्वस्थ भोजन खाना चाहिए. शेयर बाजार में निवेश के लिए यह बहुत अच्छा समय है.

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कुंडली में मौजूद गण बता देगा आपके सारे भेद

कुंडली में गण की स्थिति को कुछ विशेष पहलुओं से देखा जाता है. जिसमें विवाह को लेकर यह प्रमुखता से होती है, लेकिन इसके अलावा भी गण का असर व्यक्ति की कुंडली में कई तरह के असर दिखाने में आगे रहता है. किसी व्यक्ति के भविष्य और चरित्र का पता लगाने के लिए कई ज्योतिषीय मापदंड हैं. व्यक्ति का गण उसके मूल स्वभाव और प्रेरणाओं को प्रकट करता है जो व्यक्ति के जीवन को निर्देशित करते हैं. कुंडली में गण की स्थिति जीवन के उन अनसुलझे राज खोलने में सक्षम होती है जिसको जान पाना हर किसी के लिए संभव नही होता है. इसका उद्देश्य किसी के व्यवहार के सामान्य लक्षणों की पहचान करना है जो किसी व्यक्ति के स्वभाव से निर्धारित होता है. गणों को मोटे तौर पर तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है जो देव गण, मनुष्य गण और राक्षस गण हैं.

इन तीन प्रकार के गणों को मूल रूप से तीन गुणों, सात्विक, राजसिक और तामसिक के आधार पर सृष्टि के सिद्धांतों के अनुसार विभाजित किया गया है. इन गण की स्थिति व्यक्ति के आपसी रिश्तों पर बहुत विशेष प्रभाव डालने वाली होती है. इन अमूर्त घटकों पर विश्वास करना कठिन हो सकता है लेकिन गण का आधार काफी तर्क संगत है और इसका सटिक असर देखने को मिलता है. आधुनिक विज्ञान हर चीज़ को परिभाषित नहीं कर सकता. ज्योतिष के माध्यम से इन गणों के बारे में बेहतर जानकारी प्राप्त करने में हम सक्षम हो सकते हैं. 

मनुष्य गण और उसका जीवन पर प्रभाव 

मनुष्य गण को कोमल और अनुकूल गण में स्थान प्रप्त होता है. यह गण अच्छे एवं खराब दोनों की परिणामों के लिए उत्तरदायी होता है. इस गण के अंतर्गत  रोहिणी नक्षत्र, पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र, पूर्वा आषाढ़ नक्षत्र, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र, भरणी नक्षत्र और आर्द्रा नक्षत्र में जन्मे लोग मनुष्य गण के होते हैं.

वैदिक ज्योतिष कहता है कि जो लोग मनुष्य गण में पैदा होते हैं वे आत्म-सम्मान को महत्व देते हैं. इस गण के जातक आमतौर पर धनवान होते हैं और समृद्ध जीवन जीते हैं. इस गण के लोग अच्छे शरीर, लम्बे शरीर संरचना और बड़ी आँखों वाले होते हैं.

उनका शरीर आकर्षक होता है और आंखों और चेहरे की सुस्पष्ट संरचना उनकी सुंदरता को बढ़ाती है. मनुष्य गण के लोग स्नेही और देखभाल करने वाले स्वभाव के होते हैं. ये लोग कार्यस्थल पर उन्हें सौंपे गए कार्यों को समय पर पूरा करना और अपने परिवार के पास घर लौटना पसंद करते हैं. उन्हें ऑफिस में अतिरिक्त घंटे बर्बाद करना पसंद नहीं आता है. यह चतुर एवं व्यवहार कुशल होते हैं. इनमें चीजों को अपने अनुसार करने का गुण भी खूब होता है.

देव गण और उसका जीवन पर प्रभाव 

देव गण को शुभ गण माना जाता है. इस गण में पुनर्वसु नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, रेवती नक्षत्र और अश्विनी नक्षत्र में जन्मे लोग देव गण के हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देव गण में जन्म लेने वाले लोगों में कई सकारात्मक विशेषताएं होती हैं.

देव अच्छे शरीर के साथ आकर्षक होते हैं. देव गण जातक को बुद्धिमान और तेजवान बनाते हैं. व्यक्ति बुद्धिमान विचारों वाले सरल लोग होंगे. देव गण के लोग दयालु और विनम्र होते हैं. दया करुणा इनमें बहुत होती है. विकलांगों और गरीब लोगों के प्रति उनका मदद करने का रवैया उनके स्वभाव का एक प्रमुख गुण है.

ये संकटग्रस्त लोगों की दिल खोलकर मदद करते हैं. देव गण से प्रभावित होने वालों में अत्यधिक भूख नहीं होती है और वे मितव्ययी भोजन करते हैं. उनमें एक अंतर्निहित दिव्यता होती है जो बहुत कम मनुष्यों के अंदर मौजूद होती है. मूलतः ये वे लोग हैं जो बिना किसी अपेक्षा के दूसरों के लिए काम करते हैं.

यदि आप किसी संकट से गुजर रहे हैं और देव गण के जातकों से संपर्क करते हैं, तो वे गंभीरता से आपकी बात सुनेंगे और आपकी समस्याओं को हल करने के तरीके सुझाने का प्रयास करेंगे. यह उनके स्वभाव के दयालु पक्ष को दर्शाता है.

राक्षस गण और उसका जीवन पर प्रभाव 

राक्षस गण को कठोर गण के रुप में देखा जाता है. इस गण का प्रभव व्यक्ति में कुछ अधिक साहस भी लाता है ओर दुसाहसिक कार्यों को करने की क्षमता भी देता है. मघा नक्षत्र, अश्लेषा नक्षत्र, धनिष्ठा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, कृतिका नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र और विशाखा नक्षत्र में जन्मे लोग राक्षस गण के होते हैं. इन नक्षत्रों के मामले में मनुष्य के अंधेरे पक्ष को रेखांकित या कहें कि उजागर किया जाता है.

जिन लोगों का जन्म गण राक्षस गण होता है, उनका चरित्र जिद्दी और कठोर हो सकता है. यह लोग अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करते हैं, जो कभी-कभी अच्छा निर्णय नहीं हो सकता है. इनका शरीर भारी होता है और ये काफी आक्रामक हो सकते हैं. राक्षस गण अनेक मनुष्यों के अंदर विद्यमान राक्षसी प्रवृत्ति का सूचक है. इस गण के व्यक्ति का स्वभाव ऐसा होता है कि वे दूसरों को बढ़ते हुए नहीं देख सकता है. अगर कोई मदद मांगेगा तो ऐसा व्यवहार करेंगे कि दोबारा मांगने की हिम्मत नहीं होगी.

उनमें छोटी-छोटी बातों पर लड़ने की प्रवृत्ति हो सकती है. ये कठोर भी लग सकते हैं और हो सकता है कि उन्हें इस बात का एहसास भी न हो कि उनके शब्दों और कार्यों का दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ता है. ऐसा पाया गया है कि राक्षस गण के लोगों को मधुमेह होने का खतरा रहता है.

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सिंह राशि में मंगल और शुक्र की युति का आप पर रहेगा विशेष प्रभाव

सिंह राशि में मंगल-शुक्र युति का असर बहुत विशेष होगा. इस युति का असर ज्योतिष में बेहद विशेष माना जाता है विशेष रुप से संबंधों और इच्छों की दृष्टि से योग को बेहद महत्व दिया जाता है. शुक्र मंगल युति विपरित लिंग के मध्य काफी प्रसिद्धि दिलाने वाली होती है. व्यक्ति अपने समूह में आकर्षण का केन्द्र भी बन सकता है. एक शुभ रुप से बनी युति अनुकूल परिणाम देती है लेकिन यदि अशुभ प्रभाव हो तो यह स्थिति अनैतिक एवं विवाहेत्तर संबंधों की आधारशिला के लिए भी जिम्मेदार मानी जाती है. आइये जानते हैं कि सिंह राशि में आखिर मंगल शुक्र का एक साथ होना कैसे बदलेगा आपकी विचारधारा को और क्या होंगे इसके दूरगामी परिणाम 

मंगल-शुक्र युति का मेष राशि पर प्रभाव

मेष राशि वालों के लिए इस संयोग के दौरान समय अच्छा रहेगा, इस युति से पढ़ाई पर कोई गंभीर नुकसान नहीं हो सकता है, इसलिए यह कहा जा सकता है कि मेष राशि के छात्र अच्छा प्रदर्शन  कर सकते हैं. इस समय प्रेम संबंधों को लेकर कुछ तनातनी होगी तो नए रिश्ते बनेंगे. स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए. रक्त संबंधी विकार हो सकते हैं, मांसपेशियों में दर्द की शिकायत हो सकती है. वैवाहिक रिश्ते में जीवनसाथी से बात करते समय सावधानी बरतें अन्यथा अनावश्यक मुद्दे पैदा हो सकते हैं. 

मंगल-शुक्र की युति का वृषभ राशि पर प्रभाव

समय अनुकूल रह सकता है और घर परिवार के लिए कुछ नई वस्तुओं की खरीदारी भी होगी. लेकिन आपको शेयर बाजार की गतिविधियों या सट्टेबाजी से बचना चाहिए. दोस्तों या पार्टनर के साथ बहस करने से भी बचना चाहिए क्योंकि इससे कुछ परेशानियां खड़ी हो सकती हैं. स्वास्थ्य संबंधी छोटी-मोटी परेशानियां हो सकती हैं. बुखार या बदन दर्द की शिकायत होने की संभावना है. इसलिए स्वास्थ्य और फिटनेस के प्रति सचेत रहना चाहिए. अपने माता-पिता का सहयोग मिलेगा इस समय माता-पिता को अपने बच्चों का ख्याल रखना चाहिए. 

मंगल-शुक्र की युति का मिथुन राशि पर प्रभाव

मिथुन राशि वालों के लिए परिश्रम द्वारा सफलता के मौके निर्मित होंगे. जो अभ्यर्थी विदेश में बसना चाहते हैं उन्हें इस दौरान परीक्षा देनी होगी परिणाम पक्ष में हो सकते हैं. सरकारी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं उन्हें सफलता मिल सकती है. वित्त के मामले में यह उचित समय होगा. जमीन की खरीददारी या शेयर बाजार से जुड़े लोगों को धैर्यपूर्वक काम करना चाहिए. यात्राओं का समय होगा अपने लोगों के साथ भ्रमण के मौके मिल सकते हैं. शादीशुदा जोड़ों को अपने वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. भाई बहनों के साथ छोटी मोटी नोक झौंक हो सकती है. 

मंगल-शुक्र की युति का कर्क राशि पर प्रभाव

छात्र अपने शैक्षणिक वर्ष में अच्छे अंक अर्जित कर सकते हैं. व्यवसाय के मालिक नई रणनीति लेकर आ सकते हैं. विवाहित जोड़ों का अपने जीवनसाथी के साथ टकराव हो सकता है. कर्क राशि के लिए मंगल और शुक्र की युति स्वास्थ्य की स्थिति को ख़राब कर सकती है. गले या मांसपेशियों में दर्द होने की संभावना है. महिलाओं को स्त्री रोग संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. आर्थिक पक्ष मजबूत रहने वाला है.

मंगल-शुक्र की युति का सिंह राशि पर प्रभाव

मंगल शुक्र युति आपके लिए यह अनुकूल समय दे सकती है. आने वाले दिनों में कुछ यात्राओं का आनंद ले सकते हैं. चीजों को खरीदने या बेचने के लिए प्रतिकूल समय है. कार्यस्थल में बदलाव की तलाश कर रहे नौकरीपेशा लोगों को अवसर मिल सकते हैं. इस समय लव पार्टनर मिल सकता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से मांसपेशियों में दर्द हो सकता है. छात्रों को अपनी परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए गंभीर प्रयासों की आवश्यकता हो सकती है. आने वाले समय के लिए अभी से ही कुछ बदलाव आप कर सकते हैं. धन प्राप्ति का भी अच्छा योग बना हुआ है. 

मंगल-शुक्र की युति का कन्या राशि पर प्रभाव

इस समय धन नियंत्रण पर पकड़ खोने की संभावना है, जिसके कारण ख़र्च बढ़ सकता है. कुछ मामलों में नकदी की कमी का अनुभव हो सकता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से आपको गैस और एसिडिटी की समस्या की शिकायत हो सकती है. हड्डियों में दर्द की समस्या हो सकती है. छात्रों को अपने गुरुओं से उचित मार्गदर्शन मिल सकता है. उद्यमियों को अपने काम में मन लगाना चाहिए क्योंकि मेहनत द्वारा आप लाभ कमाने में आगे रह सकते हैं. प्रेम संबंधों के मामले में स्थिति मिलेजुले परिणाम देगी.

मंगल-शुक्र की युति का तुला राशि पर प्रभाव

इस समय कार्य क्षेत्र अथवा अन्य चीजों में नए प्रस्ताव मिल सकते हैं. प्रेम के नए चरण में प्रवेश कर सकते हैं. शेयर बाजार की गतिविधियों से जुड़े लोगों के लिए उचित समय रहेगा. पुराने मित्रों से मिलने का अवसर मिल सकता है. कुछ मामलों अच्छे समय का आनंद ले सकते हैं विदेश में उच्च शिक्षा की योजना बना रहे छात्रों को अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं. दोस्तों के साथ कुछ बेहतर समय बिताकर उनके साथ अपनी दोस्ती को मजबूत कर सकते हैं. इस समय आपको अपने जीवन का प्यार भी मिल सकता है.

मंगल-शुक्र की युति का वृश्चिक राशि पर प्रभाव

वृश्चिक राशि वालों के लिए समय अच्छा रहने की संभावना है. काम के स्थान पर आपकी प्रतिभा को सराहा जाएगा. संपत्ति से संबंधित सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं. नया घर खरीदने का मन बना सकते हैं.इस समय जल्दबाजी में निर्णय लेने से बचना चाहिए. पड़ोसियों के साथ संबंधों का ध्यान रखना चाहिए. जीवन साथी की तलाश में हैं तो साथी की तलाश किसी वरिष्ठ के सहयोग से पूर्ण हो सकती है. महिलाओं को कमर दर्द की शिकायत हो सकती है. इस समय लंबी दूरी की यात्रा से बचना उचित होगा क्योंकि थकान अधिक बढ़ सकती है.

मंगल-शुक्र की युति का धनु राशि पर प्रभाव

इस समय भगय का सहयोग मिल सकता है. कुछ मौद्रिक लाभ कमाने में आगे रहेंगे. अधिकारियों की ओर से मदद भी मिल सकती है. नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को मनचाहे अवसर मिल सकते हैं. कुछ मामलों में प्रगति कर सकते हैं क्योंकि भाग्य आपको अच्छा सहयोग दे सकता है. कड़ी मेहनत का परिणाम अब मिल सकता है. परिवार के बड़ों का आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए. प्रेमियों के लिए समय अनुकूल रहेगा अपने रिश्ते में सुधार का समय होगा. 

मंगल-शुक्र की युति का मकर राशि पर प्रभाव

इस समय यह युति का प्रभाव ध्यान से आगे बढ़ने की स्थिति की ओर ईशारा करता है. अपने पड़ोसियों के साथ वाद-विवाद से बचना चाहिए. इस समय किसी कार्यवाही से जूझ रहे व्यक्तियों को सावधानी से काम करना चाहिए. इस समय अचानक से लाभ मिल सकता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से पेट दर्द, यौन संक्रमण अथवा आंत संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. कुछ मामलों में गंभीर सिरदर्द हो सकता है. पैतृक संपत्ति के मसले आपकी चिंता भी बढ़ा सकता है.

मंगल-शुक्र की युति का कुंभ राशि पर प्रभाव

कुंभ राशि वाले लोगों को मिश्रित परिणाम मिलने की संभावना है. वैवाहिक जीवन पर इन ग्रहों की युति से कुछ बदलाव देखने को मिलेगा. इस दौरान आर्थिक लाभ हो सकता है लेकिन रक्त संबंधी समस्या या मांसपेशियों में दर्द हो सकता है. कारोबार को लेकर नए फैसले लेने वाले हैं. कुछ मामलों के फैसले का इंतजार कर रहे व्यक्तियों को मिलाजुला असर देखने को मिलेगा. जल्दबाजी में कोई फैसला लेने से बचना चाहिए. प्रेमी अपने पार्टनर से मन की बातों को शेयर करने का अच्छा समय होगा. 

मंगल-शुक्र की युति का मीन राशि पर प्रभाव

इस समय के दौरान मीन राशि वाले रिश्तों को लेकर संवेदनशील और भावुक रह सकते हैं. धन खर्च बढ़ सकता है कुल मिलाकर, वित्तीय मामलों से निपटने के लिए अभी से ही सजग रहने की जरूरत होती है. कुछ मामलों में भाग्य की कमी महसूस हो सकती है. काम में रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है. सब कुछ होते हुए भी खाली हाथ महसूस हो सकता है. शरीर में दर्द या हड्डी से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. यह भी संभावना है कि आप अपनी बात मनवाने के लिए अपने बड़ों के साथ बहस कर सकते हैं. इसलिए आपको उनसे बहस करने से बचना चाहिए. आर्थिक परेशानियां दूर हो सकती हैं लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से आपको नेत्र पीड़ा हो सकती है. 

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