Monthly Archives: May 2013

एकाधिपत्य शोधन | Ekadhipatya Shodhan

त्रिकोण शोधन करने के उपरांत दुसरा शोधन एकाधिपत्य शोधन कहलाता है. इस एकाधिपत्य शोधन से तात्पर्य होता है कि एक ही ग्रह का अधिपति या स्वामी होना. यह शोधन उन दो राशियों के लिए करते हैं जिनका स्वामी एक ही … Continue reading

Posted in Ashtakavarga | Tagged , , , , | Leave a comment

एकाधिपत्य शोधन करने का तरीका | Method to Calculate Ekadhipatya Shodhan

त्रिकोण शोधन करने के उपरांत दूसरा शोधन एकाधिपत्य शोधन कहलाता है. इस एकाधिपत्य शोधन से तात्पर्य होता है कि एक ही ग्रह का अधिपति या स्वामी होना. यह शोधन उन दो राशियों के लिए करते हैं जिनका स्वामी एक ही … Continue reading

Posted in Ashtakavarga | Tagged , , , , | Leave a comment

कमज़ोर मंगल का प्रभाव | Effects of Weak Mars in Different Houses

ग्रह कमज़ोर कब होता है इस बात का निर्धारण इससे किया जाता है कि कोई ग्रह कुण्डली में किस अवस्था में है यदि ग्रह नीच का है, वक्री है, पाप ग्रहों के साथ है या इनसे दृष्ट है, खराब भावों … Continue reading

Posted in Vedic Astrology | Tagged , , , , | Leave a comment

विवाह मिलान में अगर इन बातों का रखेंगे ध्यान तो नहीं होगा तलाक/अलगाव

विवाह के सन्दर्भ में कुंडली मिलान का जिक्र आता ही है. कुंडली मिलान वह प्रक्रिया है जिसे लड़का और लड़की की कुंडली मिलाकर पूरा किया जाता है. कुंडली मिलान में मुख्य रुप से गुण मिलान और मांगलिक योग देखा जाता … Continue reading

Posted in Ascendant, Basic Astrology, Marriage, Planets, Transit, Yoga | Tagged , , , , , | 1 Comment

त्रिकोण शोधन करने का तरीका | Method To Compute Trikon Shodhan

सर्वाष्टकवर्ग में मंडल शोधन करने के पश्चात त्रिकोण शोधन करना होता है. जन्म कुण्डली में स्थित बारह राशियों को अग्नि, पृथ्वी, वायु और जल के आधार पर चार वर्गों में विभाजित किया जाता है. इस तरह से हर एक वर्ग … Continue reading

Posted in Ashtakavarga, Hindu Maas, Hindu Rituals, Jaimini Astrology, Signs, Transit, Vedic Astrology | Tagged , , , , | Leave a comment

बलहीन सूर्य का विभिन्न भावों में फल | Effects of Weak Sun in Different Houses

सूर्य को समस्त ग्रहों में राजा का स्थान प्राप्त है. वैदिक ज्योतिष सूर्य की महिमा को जगत की आत्मा का स्वरूप कहा गया है. इनसे जीवनदायी शक्ति का आधार माना गया है. इसी के साथ इसे पूर्वजों से भी संबंधित … Continue reading

Posted in Vedic Astrology | Tagged , , , , | Leave a comment

इन कारणों से होता है चंद्रमा कमजोर

ग्रह कमज़ोर कब होता है इस बात का निर्धारण इससे किया जाता है कि कोई ग्रह कुण्डली में किस अवस्था में है यदि ग्रह नीच का है, वक्री है, पाप ग्रहों के साथ है या इनसे दृष्ट है, खराब भावों … Continue reading

Posted in Vedic Astrology | Tagged , , , , | Leave a comment

वैदिक ज्योतिष में कान की बीमारी के योग | Yogas For Ear Problems in Vedic Astrology

वैदिक ज्योतिष में स्वास्थ्य से संबंधित बहुत से योगों का वर्णन मिलता है. हर बीमारी के होने की स्थिति के बारे में बताया गया है. हर ग्रह व भाव किसी ना किसी बीमारी से संबंधित होते ही है. आज के … Continue reading

Posted in Medical Astrology | Tagged , , , , | Leave a comment

सर्वाष्टकवर्ग में मंडल शोधन करने का तरीका | Method For Doing Mandal Shodhan in Sarvashtakavarga

जिस प्रकार हर ग्रह के भिन्नाष्टक में शोधन करके उसका शोध्य पिण्ड ज्ञात किया जाता है, उसी तरह से सर्वाष्टकवर्ग का भी शोध्य पिण्ड निकाला जा सकता है. परंतु यहां एक बात विशेष ध्यान देने योग्य होती है कि भिन्नाष्टक … Continue reading

Posted in Ashtakavarga | Tagged , , , , | Leave a comment

सर्वाष्टक बनाने का तरीका | Method to Create Sarvashtak

अष्टकवर्ग में ग्रहों का भिन्नाष्टकवर्ग बनाए बिना सीधे ही सर्वाष्टक वर्ग कैसे बनाया जाए इसके लिए सर्वाष्टकवर्ग सारणी का उपयोग करते हुए सर्वाष्टकवर्ग बनाया जाता है जिसका उल्लेख हम पहले ही कर चुके हैं. अब उन नियमों को कुण्डली में … Continue reading

Posted in Ashtakavarga | Tagged , , , , , | Leave a comment