बुध का कर्क राशि प्रवेश जानें अपनी राशि पर इसका प्रभाव

वैदिक ज्योतिष में बुध को एक राजकुमार के रूप में वर्णित किया गया है. बुध अन्य ग्रहों की तुलना में सूर्य के बहुत निकट है. यह व्यक्ति में बुद्धि और हास्य का प्रतिनिधित्व करता है और कई स्थितियों में यह ग्रह बहुत लाभकारी माना जाता है. जिन लोगों की कुंडली में बुध मजबूत स्थिति में होता है वे लोग तेजस्वी, बुद्धिमान होते हैं. इसके विपरीत यदि बुध कमजोर या नकारात्मक स्थिति में हो तो व्यक्ति को निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है. बुध कर्क राशि में गोचर कर रहा है और बुध का कर्क राशि में गोचर राशियों के लिए कई तरह के अपने असर दिखाने वाला होगा. आइए जानते हैं कि इस गोचर से किस राशि को सबसे ज्यादा और सबसे कम फायदा होगा.

बुध के कर्क राशि में गोचर का मेष राशि पर प्रभाव

मेष राशि वालों के लिए बुध का गोचर उनके सामाजिक और आर्थिक जीवन पर असर डालने वाला होगा. इस समय पर धन संबंधी मामलों में और निवेश इत्यादि को लेकर सोच विचार की आवश्यकता अधिक रह सकती है. 

बुध के कर्क राशि में गोचर का वृषभ राशि पर प्रभाव

आप में कुछ आलस्य भी अधिक रह सकता है अथवा काम को करने में आनाकानी कर सकते हैं. अपने लोगों के साथ बात न बन पाए. किसी कारण से आपका व्यवहार थोड़ा कठोर भी हो सकता है और मनमर्जी भी अधिक कर सकते हैं

बुध के कर्क राशि में गोचर का मिथुन राशि पर प्रभाव
मिथुन राशि वालों के लिए आर्थिक मामलों पर आपको अपने काम में तेजी लाने की जरूरत होगी, क्योंकि बुध की स्थिति अब उनसे कर्क राशि में आ गई है. इस समय आप अपनी वाणी से काम निकालने में आगे रह सकते हैं, बस सावधान रहना होगा. नौकरी और बिजनेस के क्षेत्र में आप कुछ नए काम लाने के बारे में सोच सकते हैं. पैसे बचाने के लिए कुछ नीतियों पर भी विचार किया जा सकता है.

बुध के कर्क राशि में गोचर का कर्क राशि पर प्रभाव
कर्क राशि वालों के लिए बुध का गोचर उन्हें लाभ दिलाने में सहायक रहेगा. इस समय बुध आपकी जन्म राशि पर गोचर करेगा. ऐसे में यह समय आपके लिए बेहद खास रहेगा. इस समय आपको भावनात्मक निर्णय लेने से बचना चाहिए. आपकी राशि में बुध के गोचर के कारण आप कुछ अधिक चंचल और बातूनी हो सकते हैं. इस दौरान आपकी कलात्मक शैली और क्षमता में भी वृद्धि हो सकती है. आपके लिए जरूरी है कि इस समय आपको अपनी बातों से ज्यादा काम करने पर ध्यान देना होगा.

बुध के कर्क राशि में गोचर का सिंह राशि पर प्रभाव
सिंह राशि के जातकों के लिए यह समय खुलकर बिताने का रहेगा. आपकी कल्पनाशक्ति में वृद्धि होगी. कुछ मामलों में अनिद्रा की शिकायत परेशान कर सकती है. कार्यक्षेत्र में मेहनत अधिक रहेगी. लाभ के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी. इस समय बाहरी संपर्क लाभ दे सकते हैं. विरोधियों के कारण आपको तनाव का सामना करना पड़ सकता है. कुछ मामलों में गुस्से और आवेश के कारण आप लोगों से विवादों में उलझ सकते हैं.

बुध के कर्क राशि में गोचर का कन्या राशि पर प्रभाव
आपको अतिरिक्त स्रोत मिलेंगे. इस गोचर के कारण आप पैसे बचाने और जोड़ने से जुड़ा कोई नया काम शुरू कर सकते हैं. आपके लिए जरूरी होगा कि ऐसी चीजों में निवेश करने से बचें जो जोखिम से जुड़ी हों. पारिवारिक दृष्टिकोण से आप एक दूसरे के करीब आ सकते हैं. यह गोचर अनुकूल रह सकता है. आप अपने लोगों के साथ अधिक समय बिताएंगे. घर में किसी नए सदस्य के आगमन से घर के माहौल में बदलाव आएगा.

बुध के कर्क राशि में गोचर का तुला राशि पर प्रभाव
बुध का गोचर आपके लिए काम और प्रतिस्पर्धा के अवसर लेकर आ सकता है. अपना प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए किसी की मदद आपके बहुत काम आ सकती है. इस समय आप अपने नेतृत्व का बेहतर तरीके से उपयोग कर सकते हैं. विद्यार्थियों के लिए समय थोड़ा कठिन हो सकता है. पढ़ाई में कंसर्ट ठीक से न कर पाने जैसी समस्याएं आपको प्रभावित कर सकती हैं.

बुध के कर्क राशि में गोचर का वृश्चिक राशि पर प्रभाव
समय आपके लिए थोड़ा अनुकूल नहीं रहेगा क्योंकि भाग्य पर अंकुश लग सकता है. कार्यों को पूरा करने के लिए अधिक मेहनत की आवश्यकता होगी. अपनी क्षमता से अधिक मेहनत करने पर भी आपको पूरा लाभ नहीं मिल पाएगा. माता-पिता से कुछ विवाद हो सकता है. इस समय अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें. पेट संबंधी विकार प्रभावित कर सकते हैं. जल संबंधी रोग परेशानी बढ़ा सकते हैं.

बुध के कर्क राशि में गोचर का धनु राशि पर प्रभाव
आपको कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है. कुछ लोगों को प्रमोशन मिलने की भी संभावना है. लेकिन जरूरी है कि इस समय किसी से न उलझें, स्थिति आपके लिए ज्यादा बेहतर नहीं रहेगी. मानसिक और शारीरिक स्थिति खराब हो सकती है. सेहत का ध्यान रखना जरूरी है, बेहतर होगा कि वाहन सावधानी से चलाएं. कारोबारी अपने विचारों को आगे बढ़ा सकते हैं. नए सामान की खरीद-फरोख्त तेज रहेगी. नये बिजनेस की शुरुआत कर सकते हैं.

बुध के कर्क राशि में गोचर का मकर राशि पर प्रभाव
इस समय आप लोगों को अपने पुराने कार्यों को पूरा करने का अच्छा मौका मिलेगा. परिवार में खर्चों की स्थिति परेशानियां और भागदौड़ बढ़ाने वाली है. आप कुछ समय के लिए घर से दूर भी रह सकते हैं. भाइयों से झगड़ा बढ़ सकता है. घर में लोग आपकी बातों पर सहमत नहीं होना चाहेंगे. जो लोग अपने काम से जुड़े हैं वे अपने काम को आगे बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं. पिता के साथ मतभेद आपके तनाव को और बढ़ा सकता है.

बुध के कर्क राशि में गोचर का कुंभ राशि पर प्रभाव
आपकी मानसिक और वैवाहिक स्थिति कई दिनों से परेशानी में है. इस समय झगड़े बढ़ सकते हैं. संपत्ति का लाभ मिलेगा. नए कार्य सामने आएंगे. कुछ बातें छिपाकर आप आगे बढ़ सकते हैं. इस समय दुविधा भी आपको परेशान करेगी. सेहत से जुड़ी बुरी बातें आपको शुरुआत में परेशान भी कर सकती हैं, लेकिन इन सबके बीच एक खास बात यह रहेगी कि आपके अंदर साहस और विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति उभरकर आएगी. घरेलू जीवन में अस्थिरता के कारण आप बाहर जाकर मानसिक शांति पाना चाहेंगे. अपने खान-पान पर नियंत्रण रखने की जरूरत रहेगी.

बुध के कर्क राशि में गोचर का मीन राशि पर प्रभाव
परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर आप पैसों के उचित प्रबंधन के बारे में बात कर सकते हैं. अपनी सेहत का ख्याल रखना. आप व्यस्त रहेंगे. परिवार में कुछ लोगों का आगमन आपको व्यस्त कर सकता है. इससे सेहत ख़राब हो सकती है. इस समय आप दूसरों के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं. आपके लिए अपने शरीर को सक्रिय रखना जरूरी है. घर में विवाह संबंधी कोई शुभ कार्यक्रम होगा या परिवार किसी धार्मिक उत्सव की तैयारियों में एक-दूसरे के साथ शामिल होंगे.

Posted in Planets, Rashi, Signs, Transit, Vedic Astrology | Leave a comment

शनि उदय का मेष से मीन राशि वालों पर असर

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के अस्त और उदय दोनों ही स्थितियों का असर देखने को मिलता है. इस पर शनि उदय का प्रभाव जब अस्त से मुक्त होकर उदय स्थिति में होता है तब शनि उदय के प्रभाव बेहतर रुप से देखने को मिलते हैं. शनि उदय उदय की स्थिति हर लग्न के लिए अलग – अलग फलों को देने वाली होती है.  ज्योतिष में शनि उदय को काल पुरुष के अनुसार दशम एवं लाभ स्थान का स्वामित्व प्राप्त है. 

व्यक्ति के जीवन में कर्म की स्थिति और उसके लाभ को शनि उदय से ही देखा जाता है. इसके अलावा यह ग्रह गूढ़ ज्ञान और रहस्य का भी कारक है. शनि उदय अष्टम भाव का कारक भी है. इसे नवग्रहों में सेवक का दर्जा प्राप्त है. इसलिए शनि उदय प्रधान व्यक्ति को बहुत अधिक कार्य करते हुए देखा जा सकता है. शनि उदय की उदय अवस्था का असर मेष से मीन लग्न तक भिन्न भिन्न तरह से देखने को मिलता है आईये जानें शनि उदय उदय का आप के लग्न अनुसार क्या होगा असर 

मेष से मीन लग्न तक शनि उदय उदय का प्रभाव 

मेष लग्न 

मेष लग्न की कुंडली के व्यक्ति के लिए शनि उदय परम राजयोग कारक होता है. शनि उदय दशम और लाभ का स्वामी होने के कारण जातक को अत्यधिक लाभ देता है, लेकिन इसके लिए शनि उदय की स्थिति शुभ होनी चाहिए. इस कुंडली में गुरु और शनि उदय की युति केंद्र या त्रिकोण में हो तो व्यक्ति ज्ञानी और गुणी दोनों होता है.शनि का असर कई मायनों में सहायक बनता है.

वृषभ लग्न

वृष लग्न की कुंडली के व्यक्ति के लिए शनि उदय लाभकारी होता है. भाग्येश और दशमेश का कारक शनि उदय होने से व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते हैं. शनि उदय की शुभ स्थिति जातक को न्यायप्रिय, धर्मात्मा और साधु-संतों का प्रेमी बनाती है. शनि का असर व्यक्ति के जीवन को सुख एवं प्रेम से परिपूर्ण कर देने में भी सहक होता है. 

मिथुन लग्न

मिथुन लग्न की कुंडली के व्यक्ति के लिए शनि उदय कुछ हद तक मिलेजुले फलों को देने वाला होता है. इसका कारण यह है कि इनका मकर राशि अष्टम भाव में स्थित है. लेकिन भाग्य में कुंभ राशि होने के कारण शनि उदय की शुभ स्थिति न केवल व्यक्ति को दीर्घायु प्रदान करती है, बल्कि उसे शोधकर्ता भी बनाती है. इस लग्न में यदि बुध और शनि उदय की युति भाग्य स्थान या दशम स्थान में हो तो व्यक्ति महान गणितज्ञ होता है. इस कारण से कुछ खरब तो कुछh अच्छे फल व्यक्ति को प्राप्त होते हैं.

कर्क लग्न

कर्क लग्न की कुंडली के जातकों के लिए शनि उदय अत्यंत खराब फल दे सकता है. इस कुंडली में शनि उदय बलवान मारकेश का फल देता है. यदि कुंडली के आठवें घर में कोई शुभ ग्रह पीड़ित हो तो स्थिति काफी परेशानी देती है. शनि इस लग्न के लिए मारक का कार्य करते हुए अनुकूलता की कमी को दर्शाता है लेकिन शनि उदय की स्थिति व्यक्ति को राजनीति में प्रतिष्ठा भी दिला देने वाली होती है.

सिंह लग्न

सिंह लग्न की कुंडली के जातकों के लिए शनि उदय अनुकूलता की कमी का कारक होता है. यह लग्नेश सूर्य का प्रबल शत्रु है तथा छठे भाव में अधिक फल देता है. यदि शनि उदय अच्छा नहीं है तो व्यक्ति जीवन भर बीमारियों से पीड़ित रहेगा. कर्ज में डूबा रहता है. कुम्भ राशि में मारक स्थान पर होने से सहयोगी अच्छे नहीं मिलते हैं. शनि का प्रभाव शत्रुओं से अधिक प्रतिस्पर्धा भी दे सकता है. 

कन्या लग्न

कन्या लग्न की कुंडली के व्यक्ति के लिए शनि उदय सामान्य फल देता है. कन्या लग्न की कुंडली में शनि उदय अष्टम भाव में नीच का हो तो अकस्मात होने वाली घटनाओं से अधिक प्रभावित होता है. कन्या लग्न में छठे भाव में कुंभ राशि हो और आठवें भाव में शनि उदय हो तो विपरीत राजयोग बनाता है, जिससे व्यक्ति अपने शत्रुओं के धन से धनवान बन सकता है.

तुला लग्न

तुला लग्न की कुंडली के व्यक्ति के लिए शनि उदय अत्यंत शुभ एवं लाभकारी होता है. मूल त्रिकोण की पंचम राशि में होने के कारक व्यक्ति को शिक्षा और ज्ञान दोनो को प्रदान करने में सहायक होता है. यदि शनि उदय और शुक्र की युति केंद्र या त्रिकोण में हो तो व्यक्ति उच्च श्रेणी का व्यवसाय भी प्राप्त कर सकता है. राजयोगकारक के रुप में व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते हैं. 

वृश्चिक लग्न

वृश्चिक लग्न की कुंडली के लिए शनि उदय का प्रभाव अधिक अनुकूल नहीं होता है. यह सामान्य रुप से अपना असर दिखाता है. क्योंकि लग्नेश मंगल के साथ शनि सहज नहीं है, इस लग्न की कुंडली में शनि उदय चतुर्थ भाव में बलवान हो तो शश: राजयोग बनता है, जो उत्तम धन का भोग कराता है. लेकिन इसके विपरित खराब जगहों पर होकर कमजोर परिणाम दिखा सकता है.

धनु लग्न

धनु लग्न की कुंडली के लिए शनि उदय सामान्य रहता है. यदि शनि की स्थिति ठीक हो तो व्यक्ति धनवान होता है. इस लग्न कुंडली के लिए शनि उदय पराक्रम भाव का स्वामी है इसलिए व्यक्ति को मेहनत से ही सब कुछ मिलता है. परिश्रम और कर्म का गुण उसके लिए काम करता है. 

मकर लग्न

मकर लग्न की कुंडली के लिए शनि उदय राजयोग कारक होता है क्योंकि यह स्वयं शनि उदय का लग्न होता है. इस लग्न कुंडली के जातकों के लिए शनि उदय कई प्रकार के राजयोग बनाते हैं. शनि उदय का प्रभाव व्यक्ति को कर्मठ बनाता है. व्यक्ति जीवन में परंपराओं का पालन करते हुए आगे बढ़ता है. व्यक्ति विदेश में खूब धन कमाने में भी सक्षम होता है.

कुंभ लग्न 

कुंभ लग्न की कुंडली के लिए शनि उदय अत्यंत शुभ है, यदि इस लग्न की कुंडली में शनि लग्नेश होता है. व्यक्ति अपनी मेहनत के आधार पर अच्छे परिणाम पाता है. यदि शनि उदय की स्थिति शुभ ग्रहों के साथ होने पर मनोकूल फल भी प्रदान करने वाली होती है. व्यक्ति को अत्यधिक ज्ञानी बनाती है और नए अनुसंधानों में शामिल करती है.

मीन लग्न 

मीन लग्न कुंडली के लिए शनि उदय द्वादश भाव के फल में वृद्धि करने के कारण सामान्यतः शुभ रहता है. यदि मीन लग्न में शनि उदय की स्थिति अशुभ हो तो व्यक्ति रोगों से पीड़ित होता है और धन की हानि होती है. इस लग्न कुंडली में शनि उदय लाभ का स्वामी होकर जातक को लाभ देता है, लेकिन इसके लिए शनि उदय का मजबूत होना जरूरी है.

Posted in Ascendant, Planets, Rashi, Signs | Tagged , , | Leave a comment

सूर्य का अश्विनी नक्षत्र गोचर फल

सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर ऊर्जा में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है जो हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव डाल सकता है. यह खगोलीय घटना राशि के अनुसार कैसे प्रभावित कर सकती है.आइए देखें कि इस गोचर में क्या निहित है!

मेष राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर करियर को आगे बढ़ाने की चाहत रखने वाले व्यक्तियों के लिए अनुकूल होता है. अब अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में साहसिक कदम उठाने का समय बनता है. वरिष्ठों और सहकर्मियों पर समान रूप से मजबूत प्रभाव डालने के लिए अपने आत्मविश्वास और दृढ़ता का उपयोग करने का समय होता है. धन के मामले में, आवेगपूर्ण खर्च से बचना और स्मार्ट निवेश करने पर ध्यान केंद्रित करना ही भविष्य में लाभ को दिलाता है. शारीरिक फिटनेस को प्राथमिकता देने से उत्पन्न होने वाली किसी भी भावना को संतुलित करने में मदद भी करता है.

वृषभ राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर लक्ष्यों और महत्वाकांक्षाओं का पुनर्मूल्यांकन करने का समय हो सकता है. अपने सपनों को प्राप्त करने की दिशा में कार्रवाई करने का समय होता है. चीजों को पाने की तीव्र इच्छा महसूस कर सकते हैं. यह ध्यान रखना होगा कि जल्दबाजी में कोई भी निर्णय न लिया जाए. निवेश करने या नए अवसर को पाने का समय है. चीजों पर अमल करने के लिए एक अच्छा समय हो सकता है. प्रेम जीवन के मामले में, यह उन लोगों के लिए एक रोमांचक समय हो सकता है जो रोमांटिक रिश्तों की तलाश में हैं या मौजूदा रिश्तों को मजबूत करना चाहते हैं.

मिथुन राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर अवधि के दौरान विचारों, रचनात्मकता और बौद्धिक जिज्ञासा में वृद्धि महसूस कर सकते हैं. खुद को सीखने, नए विषयों का पता लगाने और प्रेरक चीजों में शामिल हो सकते हैं. स्म्चार में शामिल होने के लिए उत्सुक पा सकते हैं. आप कार्रवाई करने, त्वरित निर्णय लेने और बिना ज्यादा सोचे-समझे नए अनुभवों को अपनाने की तीव्र इच्छा महसूस कर सकते हैं. हालाँकि, आपको आवेगपूर्ण कार्य करने के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है. वित्तीय निवेश या व्यावसायिक उपक्रमों में परिकलित जोखिम फलदायी रहेंगे.

कर्क राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर करियर में जीवन शक्ति और उत्साह में ज़बरदस्त वृद्धि का अनुभव करेंगे. स्वाभाविक सहज ज्ञान युक्त और पोषण करने वाले गुण सामने आ सकते हैं, जो आपको कार्यस्थल में गहरे भावनात्मक स्तर पर दूसरों के साथ जुड़ने में सक्षम बनाते हैं,. इसमे टीम की गतिशीलता और सहयोग बेहतर हो सकता है. पदोन्नति, बोनस या नए व्यावसायिक अवसर हो सकते हैं जो आय बढ़ा सकते हैं. अपने रिश्तों में ग़लतफहमियों से सावधान रहने की जरुरत होगी.

सिंह राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर नए कौशल विकसित करने या चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने का एक उत्कृष्ट समय है जो करियर के विकास को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. यह गोचर निवेश या आय के अन्य साधनों के माध्यम से धन लाभ के लिए भी अनुकूल समय प्रस्तुत करता है. जब दिल के मामलों की बात आती है, तो आपकी करिश्माई आभा संभावित साझेदारों को आपकी ओर आकर्षित करेगी, जिससे आपको सार्थक रिश्तों में आने के पर्याप्त अवसर मिलेंगे.

कन्या राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर विश्लेषणात्मक या वैज्ञानिक क्षेत्र में करियर रखने वालों के लिए, यह गोचर विकास और उन्नति के नए अवसर ला सकता है. यह कौशल को निखारने और नई तकनीक विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने का समय है जो साथियों से अलग करके दिखाएगा. जब पैसों की बात आती है तो अचानक ख़र्चे आने की संभावना है. धन प्रबंधन के प्रति मितव्ययी दृष्टिकोण अपनाना उचित होगा. जो लोग पहले से ही किसी रिश्ते में हैं उन्हें अपनी इच्छाओं के बारे में खुलकर बात करके अपने बंधन को मजबूत करना चाहिए.

तुला राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर रिश्तों में कार्रवाई करने के लिए प्रेरित महसूस करवाएगा, चाहे वह नए कनेक्शन शुरू करना हो या मौजूदा संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाना हो. व्यक्तिगत स्तर पर, यह आत्म-चिंतन और आत्म-खोज का समय हो सकता है. आप नई रुचियों, शौक या गतिविधियों को तलाशने की इच्छा महसूस कर सकते हैं जो आपको खुशी और संतुष्टि प्रदान करें. पेशेवर जीवन के संदर्भ में, आप जोखिम लेने और अपने कार्यस्थल या व्यावसायिक प्रयासों में खुद को मुखर करने के लिए अधिक इच्छुक हो सकते हैं.

वृश्चिक राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर अपनी इच्छाओं को व्यक्त करने और अपनी आवश्यकताओं पर जोर देने की तीव्र इच्छा महसूस करेंगे. तीव्रता और भावनात्मक गहराई रिश्तों में संभावित संघर्ष या शक्ति संघर्ष का कारण भी बन सकती है. करियर के मामले में, सूर्य का गोचर आपके पेशेवर जीवन की कमान संभालने के अवसर लाएगा. आप जोखिम लेने और नई परियोजनाएं या व्यावसायिक उद्यम शुरू करने के इच्छुक होंगे. अपने शरीर की ज़रूरतों और सीमाओं को सुनना और अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना न भूलें.

धनु राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर खुद पर जोर देने, नई परियोजनाएं शुरू करने और आत्मविश्वास के साथ अपने जीवन की जिम्मेदारी लेने का समय है. परिकलित जोखिम लें और अपने पेशेवर विकास पर ध्यान केंद्रित करें. प्रेम जीवन में, आप अधिक मिलनसार, बहिर्मुखी और नए रोमांटिक अवसर तलाशने के लिए उत्सुक महसूस कर सकते हैं. मौजूदा रोमांटिक रिश्तों में भी जोश और उत्साह की वृद्धि का अनुभव हो सकता है. हालाँकि, अपनी वित्तीय योजना के प्रति सचेत रहें, जल्दबाजी में वित्तीय निर्णय लेने से बचें और एक बजट पर कायम रहें.

मकर राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर करियर में उत्कृष्टता हासिल करने के नए अवसर ला सकता है. आपको अपने एच के लिए मान्यता मिलने की संभावना है. कार्यस्थल पर कड़ी मेहनत और समर्पण. हालाँकि, आपको वित्त से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि आपको कुछ अप्रत्याशित नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
जब भावनाओं को व्यक्त करने की बात आती है तो आप आमतौर पर संयमित रहते हैं, लेकिन यह गोचर आपके प्रेम जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. नए कनेक्शन तलाशने का यह बेहतरीन समय है.

कुंभ राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर व्यक्तिगत विकास और अन्वेषण की बढ़ती इच्छा को दिखाएगा. यदि आप इस ऊर्जा को पूरी तरह से अपनाते हैं तो इससे व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों ही रूप में रोमांचक अवसर प्राप्त हो सकते हैं. यह गोचर नए अवसर या परियोजनाएँ ला सकता है जिनके लिए नवीनता और रचनात्मकता की आवश्यकता है. जो लोग स्थिरता महसूस कर रहे हैं, उन्हें अंततः अपने जुनून को आगे बढ़ाने की प्रेरणा मिल सकती है. जहां तक प्रेम जीवन की बात है, रोमांटिक रिश्ते पीछे रह सकते हैं क्योंकि काम अधिक ध्यान देने की मांग करता है.

मीन राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर नए कलात्मक प्रयासों या आध्यात्मिक प्रथाओं की खोज की ओर आकर्षित करने वाला होगा. आंतरिक ज्ञान को उजागर करने में यह मदद करता है. अपने विचारों और भावनाओं में खोए न रहने का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है. अपने कल्पनाशील पक्ष का पता लगाने के लिए जगह देते हुए वास्तविकता पर टिके रहने के बीच संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है. करियर की संभावनाओं के संदर्भ में, आप अपने रास्ते में कुछ अप्रत्याशित अवसर आते हुए अनुभव कर सकते हैं.ज्योतिषाचार्या राजरानी

Posted in Basic Astrology, Nakshatra, Planets, Transit | Tagged | Leave a comment

जागृत शुक्र का प्रत्येक भाव में फल

प्राचीन किंवदंतियों के अनुसार, शुक्र भृगु और ख्याति के पुत्र थे. शुक्र का विवाह भगवान इंद्र की पुत्री जयंती से हुआ था. उनकी दूसरी पत्नी गो पितरों की पुत्री थीं. उन्होंने चार पुत्रों को जन्म दिया जिनका नाम त्वष्ठा, वरुत्रि, शण्ड और अमार्क रखा गया. शुक्र ने कठिन तपस्या से ‘संजीवनी विद्या’ प्राप्त की और इसका उपयोग उन्होंने मृत राक्षसों को पुनर्जीवित करने के लिए किया. अत: उन्हें राक्षसों का पुरोहित माना जाता था. शुक्र को कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे उशम्ना, कवि, भार्गव, भृगु, भृगुसुत, दैत्यगुरु, सीत, सूनु, कान, दान और वेज्य.

प्रत्येक ग्रह अलग-अलग प्रकार के फल देता है. जन्म कुंडली में शुक्र सप्तम भाव का कारक ग्रह है. यह सुख प्रदान करता है क्योंकि यह सुख और सौंदर्य का कारक ग्रह है. यह रचनात्मकता का कारक ग्रह भी है. शुक्र के बिना कोई भी रचनात्मक या सौंदर्य संबंधी कार्य पूरा नहीं हो सकता. शुक्र के बिना व्यक्ति को विलासिता नहीं मिल सकती. अत: यह इन सभी चीजों का कारक है. रत्नों में हीरे का कारक ग्रह शुक्र है. शुक्र को मजबूत करने के लिए पहने जाने वाले उपरत्न ओपल और जिरकोन हैं. किसी भी सफेद या चमकीली वस्तु का संबंध शुक्र से हो सकता है. यह झरने, फूल, यौवन, संगीत, कविता आदि का कारक ग्रह भी है.

वैदिक ज्योतिष में ग्रह एक दूसरे के प्रति या तो मित्रवत, तटस्थ या शत्रु होते हैं. ग्रहों की नैसर्गिक मैत्री नैसर्गिक मैत्री कहलाती है. स्थायी शत्रु नैसर्गिक शत्रु कहलाते हैं. बुध और शनि शुक्र के नैसर्गिक मित्र हैं. मंगल और बृहस्पति शुक्र के प्रति तटस्थ हैं. सूर्य और चंद्रमा शुक्र के शत्रु हैं.

नैसर्गिक मैत्री के अलावा ग्रहों के बीच तात्कालिक मैत्री भी होती है जिसे तत्कालिक मैत्री के नाम से जाना जाता है. यह कुंडली में ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है. शुक्र उन ग्रहों के अनुकूल रहेगा जो अपनी मूल स्थिति से तीन घर आगे और तीन घर पीछे मौजूद हैं.

पंचधा कुंडली नैसर्गिक और तत्कालिक मैत्री के आधार पर बनाई जाती है और यह उन ग्रहों के बारे में बताती है जो जन्म कुंडली में शुक्र के मित्र या शत्रु ग्रह हैं. पंचधा कुंडली के आधार पर ही शुभ या अशुभ फल का निर्धारण किया जाता है. उदाहरण के लिए, मान लें कि मंगल शुक्र का तात्कालिक मित्र है लेकिन वह शुक्र के प्रति तटस्थ है. अत: कुण्डली में शुक्र का तात्कालिक मित्र होकर तथा तटस्थ होकर, पंचधा कुण्डली में मंगल शुक्र के प्रति मित्रवत होकर शुभ फल देगा.

शुक्र गोचर के शुभ एवं अशुभ फल

वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को लग्न मानकर गोचर ग्रहों का विश्लेषण किया जाता है. यदि गोचर में शुक्र प्रथम भाव में हो तो व्यक्ति धन और सुख प्राप्त करता है लेकिन गलत गतिविधियों में शामिल हो सकता है. दूसरे भाव में गोचरीय शुक्र हो तो व्यक्ति को मान-सम्मान और धन की प्राप्ति होती है. तीसरे भाव में गोचर का शुक्र मौजूद होने पर व्यक्ति को सुंदर चीजें मिलती हैं. चतुर्थ भाव में होने पर शुक्र मित्रों और स्त्री समकक्षों से संबंधित सुख प्रदान करता है. पंचम भाव में शुक्र होने पर व्यक्ति धनवान और समृद्ध होता है. आठवें या नौवें भाव में गोचर का शुक्र मौजूद होने पर व्यक्ति को अपार सुख मिलता है. एकादश भाव में शुक्र व्यक्ति को धन, साहस और सफलता प्रदान करता है. यदि शुक्र बारहवें भाव में हो तो व्यक्ति को वस्त्र और धन प्रदान करता है.

जागृत शुक्र पहले भाव में 

प्रथम भाव में शुक्र के जागृत अवस्था फल व्यक्ति को आकर्षक ओर हंसमुख प्रक्रति देने वाला होता है. व्यक्ति सुसंस्कृत व्यक्ति होते हैं जिनके व्यक्तित्व में आकर्षण और कामुकता का बेहतरीन संयोग होता है. व्यक्ति की उपस्थिति लोगों पर गहरा प्रभाव डालने वाली होती है.

जागृत शुक्र दूसरे भाव में 

शुक्र का इस भाव में जागृत प्रभाव स्पर्श की अच्छी शक्ति देता है. शुक्र का असर व्यक्ति की भाषण कला में एक विशेष आकर्षण देता है. व्यक्ति के रूप-रंग पर भी इसका गजब असर होता है.  कला की दुनिया में शामिल दिखाई देते हैं अपनी बातों से दूसरों को आकर्षित कर लेने में कुशल होते हैं. धन संपदा का सुख पाते हैं. 

जागृत शुक्र तीसरे भाव में

शुक्र के इस स्थान में जागृत अवस्था का व्यक्ति को सुंदर परिवेश दिलाने वाली होती है. प्रेम में व्यक्ति उल्लेखनीय स्थिति को दिखाता है. अपने दिल की बातों को बड़ी सफाई से पेश करता है. प्रेम प्रदर्शित करने में आगे रहता है. संगीत और कविता जैसी चीज़ों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं. शुक्र का प्रभाव उनके व्यक्तित्व में चंचल उत्साह का स्पर्श देने वाला होता है. 

जागृत शुक्र चौथे भाव में

जागृत शुक्र का चतुर्थ भाव में असर व्यक्ति को सुख प्रदान करता है. व्यक्ति के केश घुंघराले तथा आंखों में आकर्षण भरपूर होता है. आकर्षक व्यक्ति होने के साथ साथ संवेदनशील और विनम्र स्वभाव मिलता है. दोस्तों के साथ वफादार होते हैं रिश्तों में आत्मियता को प्रदान करते हैं. 

जाग्रत शुक्र पंचम भाव में 

जागृत शुक्र का प्रभाव व्यक्ति को प्रशंसक एवं आत्म-जागरूक बनाता है. व्यक्ति अपनी योग्यता का जानकार होता है. अपने आस-पास के सभी लोगों से स्वीकृति और प्यार चाहते हैं. प्रथम भाव में शुक्र के ख़राब होने पर विवाह में देरी हो सकती है और उनके एक से अधिक साथी हो सकते हैं.

जागृत शुक्र छठे भाव में

छठे भाव में शुक्र, धन और सुख-सुविधा को प्रदान करता है लेकिन साथ में रोग का असर भी दिखाता है. शुक्र व्यक्ति की कमाई की क्षमता को बढ़ाता है. यह किसी से सलाह लिए बिना अपने दम पर चीजों को संभालने की अद्वितीय क्षमता पैदा करता है. व्यक्ति कला, सौंदर्य और मनोरंजक गतिविधियों पर भारी खर्च कर सकता है. शत्रुओं की ओर से उसे दोस्ती का रुख भी मिलता है.

जागृत शुक्र सातवें भाव में

सातवें भाव में शुक्र विवाह साझेदार के मामले में सबसे भाग्यशाली फल दिखाता हैं. आकर्षक, संपन्न और समान रूप से अनुकूल स्वभाव वाला आकर्षक जीवनसाथी भी मिलता है. रिश्तों में सुख पाता है. जीवन में सफलता की गारंटि मिलती है, भाषा से दूसरों को प्रभावित कर लेने में सक्षम होता है. 

जागृत शुक्र आठवें भाव में

जागृत शुक्र का आठवें भाव में होने से व्यक्ति को गुढ़ चीजों का फल मिलता है. शुक्र व्यावसायिक साझेदारी के लिए एक भाग्यशाली स्थिति देता है. व्यक्ति करीबी दोस्त और विश्वासपात्र होते हैं.  आठवें घर में शुक्र होने पर, व्यवसाय से लाभ होता है. व्यक्ति का पक्ष काफी मजबूत होता है.

जागृत शुक्र नवम भाव में 

नौवें भाव में शुक्र का प्रभाव व्यक्ति को यात्रा का सुख मिलता है. विदेशी स्थलों को पसंद करते हैं और दूसरी संस्कृति, संगीत और ललित कला की झलक प्रदान करते हैं. व्यक्ति सुखों को पाने में आगे रह सकता है. 

 जागृत सुख दशम भाव 

जागृत शुक्र दशम भाव में होने से पर्याप्त धन और सुख-सुविधाओं के साथ वित्तीय रूप से अच्छी तरह से सूचित साथी का सुख देती है. दसवें भाव में शुक्र व्यक्ति को लाभ और व्यवसाय में सुख देता है. कुछ गैर-जिम्मेदार बना सकता है. लोगों का इनसे अधिक आकर्षिण भी होता है. रहस्य, कामुकता और धन की प्राप्ति का सुख हमें जरुर मिलता है. 

Posted in Ascendant, Basic Astrology | Tagged | Leave a comment

नवांश कुंडली में राशियों का प्रभाव

नवांश कुंडली वर्ग चार्ट में बहुत ही विशेष कुंडली मानी जाती है. यह किसी व्यक्ति के भीतर की क्षमताओं की अच्छी जानकारी देने में भी सक्षम होती है. नवाम्श कुंडली में चंद्रमा जिस राशि में मौजूद होता है वह और लग्न जिस राशि में मौजूद होता है वह स्थान अत्यंत विशेष बन जाती है. इन राशियों के द्वारा व्यक्ति की स्थिति एवं उसके जीवन के प्रति दृष्टिकोण को समझने का बेहतर मौका भी प्राप्त होता है. 

मेष राशि 

नवांश कुंडली में मेष राशि अगर लग्न में विराजमान होती है तो व्यक्ति को जोश अधिक देने वाली होति है. यह कार्डिनल फायर साइन भी है. यह गतिशील, एथलेटिक और जीतने के लिए एक अतृप्त भूख को दर्शाती है. इस कारण से, वे सबसे नए अनुभव भी प्राप्त होते हैं. किसी भी चीज और हर चीज को जल्दी से अपनाने में बहुत गर्व महसूस करती हैं. काफी हद तक प्रतिस्पर्धा और बहस करने में भी आगे रहने वाले होते हैं यह जीते के लिए उकसाने का काम करती है. इसके द्वारा व्यक्ति जीवन में संघर्ष को सफलता से जीत भी लेता है. 

वृष राशि 

वृष राशि का प्रभाव होने के कारण व्यत्कि में गंभीरता के साथ धैर्य का भी अच्छा गुण होता है. पृथ्वी चिन्ह राशि चक्र में सबसे जिद्दी होने के लिए काफी प्रसिद्ध भी होता है, लेकिन इनमें विलासिता और वैभाव की वस्तुओं से प्रेम भी होता है. जीवन को सुखद रुप से तथा एक बेहतर अच्छे रुप से जीने का गुण भी इनमें होता है. प्यार करने के साथ साथ ये लोग अति-वफादार होने और कला का आनंद लेने के लिए जाने जाते हैं. जीवन में इनकी भूमिका निर्णायक भी होती है. नवाम्श कुंडली में चंद्र या लग्न की स्थिति इसमें होने से व्यक्ति काफी विजय भी पाता है. अपने लक्ष्यों को पाने में सफल भी होता है.  

मिथुन राशि 

नवांश में मिथुन राशि में चंद्र या लग्न की स्थिति व्यक्ति के भीतर उत्साह तो देती है लेकिन अस्थिरता भी देने वाली होती है. यह अपना समय लेने के लिए जाने जाते हैं. चाहे इसका मतलब समय की बर्बादी से ही क्यों न हो. परिवर्तनशील वायु चिह्न है जो सभी रूपों में संचार के लिए रहता है. वे अपने मन में जो कुछ भी है, जब भी चाहें यह साझा करने के लिए आतुर रहते हैं. काफी आउटगोइंग भी दिखाई देते हैं लेकिन कई बार बहुत अधिक स्वयं में भरे हुए दिखाई देते हैं. बातचीत या गपशप करने में आगे दिखाई दे सकते हैं. भाषा और सामाजिक कौशल की उनकी सहज महारत को देखते हुए, उनके पास मित्रों की कमी नहीं रहती है. इन्हें खुद को व्यक्त करने और अपनी योगता का बेहतर उपयोग करना आता है. 

कर्क राशि 

यह मनोभावों के लिए जाने जाते हैं, अपने विशाल एवं भावनात्मक रुख से सभी को आकर्षित कर लेने में सक्षम होते हैं. सपने देखने वालों में से एक हैं. सदैव कुछ नई कल्पनाओं के साथ प्रेम भर जीवन इन्हें प्रिय होता है. परिवार और घरेलू जीवन से संबंधित भी होते हैं. प्रियजनों के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता देते हैं. सुरक्षा की स्थायी भावना प्राप्त करते हैं. लेकिन जब वे निराश होते हैं, दबाव महसूस करते हैं, या अन्यथा मूडी भी हो जाते हैं 

सिंह राशि 

नवांश के लग्न या चंद्रमा का इस राशि से संबंधित होना व्यक्ति को अग्रीण बनाता है. अग्नि तत्व के प्रभाव से आत्मविश्वास से भरे हुए होते हैं. सकारात्मक, हंसमुख, ऊर्जा से भरपूर होने के कारण सभी के लिए आकर्षण का केन्द्र भी होते हैं. नेतृत्व करने वाले आत्मविश्वासी होते हैं. जीवन में कार्रवाई करने की ओर उन्मुख होते हैं, और अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रयास करने वाले होते हैं. आत्म-केंद्रित होने से बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर सकते हैं. किंतु बेहद वफादार, समर्पित हो सकते हैं, और अपने प्रियजनों के लिए सुरक्षात्मक रुख रखते हैं. 

कन्या राशि  

बुध के प्रभाव को देखते हुए नवांश के चंद्र या लग्न की इस राशि का होना जीवन में परिवर्तनशीलता का सुख देता है. ये लोग शोधकर्ता, उत्कृष्ट आयोजक, और बहुत अधिक अच्छे छात्र भी होते हैं. पूर्णतावादी भी हैं जो किसी भी खोज के अंतिम परिणाम को पाने के लिए कड़ी मेहनत करना पसंद करते हैं. अपने हर काम में बेहतर कार्यकुशलता को दर्शाते हैं. दूसरों की सेवा में भी तत्पर रहते हैं परिवार के प्रति समर्पण भी इनमें खूब होता है. 

तुला राशि 

नवांश में चंद्र या लग्न का संबंध इस राशि से होने के कारण व्यत्कि अपने काम और रिश्तों में संतुलन, सामंजस्य और न्याय लाने के लिए जाना जाता है. कला और सौंदर्य के प्रति उसका रुझान भी बहुत अल्ग होता है. सामाजिक रुप से आगे रहने वाला तथा चीजों की मेजबानी के लिए जाना जाता है. रोमांटिक किस्म के होते हैं और अपने रिश्ते में प्र्म एवं निष्ठा को स्थान देने वाले होते हैं. कल्पनाओं के सागर में गोते लगाना इन्हें अच्छा लगता है. अपने सपनों को पूरा करने की इच्छा रखने वाले होते हैं. 

वृश्चिक राशि 

नवांश कुंडली में लग्न या चंद्रमा में वृश्चिक राशि की उपस्थिति व्यक्तित्व की इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं को एक अलग रंग देती है. जोश और उत्साह के साथ साहस का भाव भी खूब होता है. व्यक्ति के विचार भावनात्मक पक्ष पर अधिक केन्द्रित दिखाई देता है. बुद्धिमान, उत्साही, संवेदनशील, सक्रिय और बहुत रचनात्मक हो सकता है.अध्यात्मवाद की ओर बहुत अधिक झुकाव भी रह सकता है लेकिन उसके अपने विचार होते हैं. व्यक्ति में संतुलन, सामंजस्य और न्याय का कौशल होता है. 

धनु राशि 

नवांश कुंडली में वृश्चिक राशि या लग्न का होना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है. जीवन में चीजों के प्रति अलग दृष्टिकोण रहता है. जोश भरपूर होता है. हर बात में इनकी खासियत जीवन को अधिकांशतः प्रभावित कर सकती हैं. व्यक्ति में आक्रामकता देखी जा सकती है. अपनी हार को जीत में बदलने की चाह इनमें बहुत प्रबल देखी जा सकती है. भौतिकवादी सुखों को प्राप्त करने और उन्हें अनदेखा करने जैसी भावनाएँ भी उनके बीच संघर्ष के रूप में मौजूद हो सकती हैं. ये अपनी मानसिक क्षमताओं से असाधारण साहस दिखा सकते हैं

मकर राशि  

नवांश में मकर राशि में चंद्र या लग्न की उपस्थिति साहसी और आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है. जहां भी जाते हैं अपनी छाप जरूर छोड़ते हैं. यह निडरता को दर्शाता है. परंपराओं का पोषण करने का गुण भी होता है. ज्ञान की खोज में रह सकती है. परिश्रम का गुण होता है. बौद्धिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिए जाने जाते हैं. रोमांचों का पीछा करने में आगे हो सकते हैं. चीजों को अपने हिसाब से करने के लिए इनके अंदर ज्यादा उत्साह देखा जा सकता है. भाग्य और सकारात्मकता पर भरोसा करते हैं. नए स्थानों की खोज और नए अनुभवों को आजमाने के लिए उत्सुक होते .

कुंभ राशि 

नवमांश लग्न के चंद्र या लग्न का संबंध कुंभ राशि से आने पर व्यक्ति में उत्साह होता है. साहस एवं नई चीजों से जुड़ाव की इच्छा भी होती है.व्यक्ति को नई चीजों के अनुकूल होने के लिए सहजता और समय का गुण प्रदान करती है. जीवन में संतुलन की तलाश भी जारी रह सकती है. भावनाएं काम करती हैं और इसके कारण कई बार दूसरों पर निर्भरता की भावना बढ़ जाती है. व्यक्ति में स्पष्ट रूप से आगे बढ़ने की तीव्र इच्छा हो सकती है. 

मीन राशि 

नवमांश में मीन राशि का लग्न या चंद्रमा के साथ संबंध होना कोमल, स्वतंत्र और उदार रवैया दे सकता है. किसी न किसी काम में इनकी अधिकता भी परेशानी का कारण बन सकती है धैर्य, लगन और समर्पण ही उन्हें आगे ले जाने का काम कर सकता है. शारीरिक और भावनात्मक दोनों ही क्षेत्रों में बहुत प्रयास करने की आवश्यकता है तभी उचित परिणाम प्राप्त हो सकते हैं.खुद को बेहतर जगह पर खड़ा देखने की उनकी चाहत ही उन्हें कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है. इनमें गुप्त गुण भी काफी होते हैं और इनके प्रति दूसरों का आकर्षण भी देखने को मिलता है

Posted in Ascendant, Planets, Rashi, Signs, Vedic Astrology | Tagged | Leave a comment

लग्न अनुसार जानें बृहस्पति के दशा प्रभाव

मेष लग्न  

मेष राशि का स्वामी मंगल है. बृहस्पति और मंगल नैसर्गिक मित्र हैं अत: मेष राशि गुरु की मित्र राशि होगी. मेष राशि में बृहस्पति की दशा के कारण व्यक्ति सक्षम और तेजस्वी बनता है. व्यक्ति अपने गुणों के कारण यश और कीर्ति प्राप्त करता है.उदार, नेक, धनवान और सोच-समझकर काम करने वाला होता है. नैतिक, विवेकशील, दानशील, धार्मिक और बुद्धिमान होता है. विजय और सफलता प्राप्त होती है. इस समय नकारात्मक पक्ष के रुप में क्रोध एवं अभिमान की अधिकता होती है. खर्च भी बहुत अधिक रह सकता है. 

वृषभ लग्न 

वृष राशि का स्वामी शुक्र है. गुरु देवताओं के गुरु हैं और शुक्र देवताओं के गुरु हैं. इस आधार पर बृहस्पति और शुक्र एक दूसरे के समान ही प्रभावशील हैं, दोनों ही शुभ और श्रेष्ठ ग्रह हैं. किंतु दोनों के मध्य प्रतिद्वंदिता भी है. अत: बृहस्पति के वृष लग्न की दशा का समय काफी उतारचढ़ाव लिए रहता है. इस दशा में व्यक्ज्ति अत्यंत उदार, परम, बुद्धिमान, धनवान, तेजस्वी और समर्थ बनता है. विजयी, न्याय प्रिय तथा यशस्वी होता है. व्यक्ति अपने कर्तव्य का पालन करता है. कई गुणों से परिपूर्ण होता है. अनेक मित्र होते हैं. इस दशा में व्यक्ति ब्राह्मणों और देवताओं की श्रद्धा से पूजा करता है.

मिथुन लग्न

मिथुन लग्न का स्वामी बुध है. बुध का बृहस्पति के साथ समानता का भाव है. इसलिए बृहस्पति मिठू पर स्थित हो तो व्यक्ति का व्यवहार कुशल और लोकप्रिय होता है. जातक प्रतिष्ठा प्राप्त करता है और सुखी होता है. जातक मधुरभाषी, पवित्र, ईमानदार और दयालु होता है. जातक तेजस्वी, सुशील और चतुर स्वभाव का होता है. जातक के अनेक मित्र और पुत्र होते हैं तथा उसका परिवार बड़ा होता है. जातक नीति में कुशल होता है और व्यापार से लाभ प्राप्त करता है.

कर्क लग्न 

कर्क लग्न का स्वामी चंद्रमा है. बृहस्पति कर्क राशि में उच्च का होता है. गुरु और चंद्र दोनों ही सौम्य ग्रह हैं अत: गुरु के कर्क राशि में दशा होने पर व्यक्ति को शुभ फल मिलते हैं. व्यक्ति का शरीर सुन्दर होता है, वह  गुणों से सम्पन्न, मधुर वाणी से दूसरों को वश में करने वाला तथा सज्जन व्यक्ति होता है. व्यक्ति गुणवान, धनवान, शास्त्रों का ज्ञाता और गूढ़ विद्या वाला होता है. अपने कार्यों द्वारा यश पाने में सफल होता है. कला प्रेमी भी होता है. सत्यवादी और समाज सुधारक होता है. अपनी सज्जनता, उदार चरित्र, सदाचार और विद्वता से कीर्ति प्राप्त करता है. इस दशा में नकारात्मक रुप से शत्रुओं का भय रोग का प्रभाव और खर्चों की अधिकता मुख्य रुप से परेशान करने वाली होती है.

सिंह लग्न 

सिंह का स्वामी सूर्य है. सूर्य और गुरु नैसर्गिक मित्र हैं इस कारण से बृहस्पति की दशा का प्रभाव इसके लिए शुभ होता है. इस दशा में व्यक्ति चतुर, उदार और भाग्यशाली होता है. व्यक्ति उच्च पद की प्राप्ति करता है. न्यायप्रिय, परोपकारी और कार्यकुशल होता है.  धर्मकर्म में आस्था रखता है और पवित्र आत्मा होता है. शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. प्राय: सभी से मित्रता और स्नेह को रखता है. नकारात्मक पक्ष के रुप में काम में देरी, क्रोध एवं जिद की अधिकता के साथ आपसी संबंधों को लेकर उतार-चढ़ाव अधिक रह सकता है. 

कन्या लग्न 

कन्या का स्वामी बुध है. बुध का गुरु के साथ सम भाव होता है  गुरु की दशा का प्रभाव व्यक्ति को मिलेजुले रुप में प्राप्त होता है. के स्थित होने से जातक विद्वान, सहनशील और सुखी होता है. व्यक्ति स्वभाव से चंचल होता है, भोग-विलास में लिप्त रहता है.  चित्रकला में विशेष रुचि होती है. व्यक्ति को प्रतिष्ठा प्राप्त होती है. ऐसे व्यक्ति को व्यापार में यश और लाभ की प्राप्ति होती है.

लेकिन यह समय उसे स्वाथ्य को लेकर चिंता रह सकती है. आपसी संबंधों में कई तरह के अटकाव भी झेलने को मिलते हैं. 

तुला लग्न 

तुला लग्न का स्वामी शुक्र है. गुरु देवताओं के गुरु हैं और शुक्र दैत्यों के गुरु हैं. इस आधार पर गुरु और शुक्र एक दूसरे के विपरीत पक्ष में हैं. लेकिन दोनों ही शुभ और श्रेष्ठ ग्रह हैं इसलिए गुरु के दशा प्रभाव की स्थिति भी मिलेजुले असर को दिखाने वाली होती है. व्यक्ति बुद्धिमान और सुखी होता है. व्यक्ति का शरीर स्वस्थ रहता है.अनेक मित्र होते हैं. पुत्र सुख की प्राप्ति होती है. लेखन और कला के कार्यों में रुचि रखता है. जातक व्यापार में भी कुशल और सफल होता है. व्यवहार कुशल, सुखी और सम्माननीय होता है. इस दशा के समय व्यक्ति को जीवन में अपने आस पास की चीजों के कारण अधिक असुविधाओं को झेलना पड़ सकता है.

वृश्चिक लग्न 

वृश्चिक लग्न  का स्वामी मंगल है. मंगल और गुरु नैसर्गिक मित्र हैं इसलिए वृश्चिक के लिए गुरु दशा मित्र दशा की भांति होती है जिसके कारण व्यक्ति कार्यकुशल होता है. स्वाभिमानी, उदार, तेजस्वी और वैज्ञानिक होता है. शुभ कर्म करने वाला होता है, धन, स्त्री और पुत्र का सुख प्राप्त करता है. समर्थ और परोपकारी होता है. व्यक्ति को स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अधिक संभल कर रहना होता है. 

धनु लग्न 

धनु लग्न के स्वामी स्वयं बृहस्पति हैं. गुरु दशा का प्रभाव अनुकूल होता है. गुरु के शुभ प्रभाव से व्यक्ति सुंदर और आकर्षक होता है. इस दशा में धर्म का प्रचार करता है और धर्मगुरु बन सकता है. पद की प्राप्ति करता है और धनवान बनता है. अहंकारी और चतुर भी होता है. परोपकारी, प्रभावशाली, दार्शनिक और उच्च विचार रखने वाला होता है.

मकर लग्न 

मकर लग्न का स्वामी शनि है. बृहस्पति शुभ और अच्छे स्वभाव का ग्रह है जबकि शनि क्रूर और प्रतिशोधी है. बृहस्पति मकर राशि में नीच का है इसलिए इस कारण से दशा में शुभ प्रभाव नहीं दे पाता है. इस दशा के प्रभाव से व्यक्ति चंचल होता है. सुख की प्राप्ति नहीं हो पाती है. मेहनत व्यर्थ चली जाती है. धन संचय करने में परेशानी होती है नासमझ और व्यर्थ  के काम में दुखी होता है. एकाग्रता की कमी का प्रभाव काम पर पड़ता है. व्यक्ति सदैव दूसरों के लिए कार्य करता है.  

कुंभ लग्न

कुम्भ लग्न का स्वामी शनि है. बृहस्पति शुभ और अच्छे स्वभाव का ग्रह है ऎसे में इन दोनों का प्रभाव मिलेजुले असर दिखाता है. बृहस्पति के कुंभ लग्न की दशा का प्रभाव आर्थिक लाभ का समय देती है ओर साथ में स्वास्थ्य को लेकर परेशानी भी दिखाने वाली होती है. स्वास्थ्य कमजोर हो सकता है. व्यक्ति धैर्यवान होता है लेकिन चिंताओं में भी अधिक हो सकता है. काम काज में कई तरह के शार्टकट भी अपना सकता है. 

मीन लग्न

मीन लग्न का स्वामी स्वयं बृहस्पति होता है.  इस दशा के प्रभाव द्वारा व्यक्ति शास्त्रों का ज्ञाता होता है. व्यक्ति दूसरों के प्रति दया का भाव का रखता है. व्यक्ति व्यवहार कुशल और बुद्धिमान होता है. स्वभाव से शांत और संतुष्ट होता है. राजसी और उच्च पद की प्राप्ति करता है. साहित्य, लेखन और शास्त्रों के अध्ययन में विशेष रुचि रख सकता है. 

Posted in Ascendant, Dashas | Tagged , | Leave a comment

बुध का अश्विनी नक्षत्र गोचर का प्रभाव

बुध का अश्विनी नक्षत्र गोचर का प्रभाव बुध के मेष राशि में गोचर के समय पर होता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार बुध ग्रह को अधिक प्रभावशाली माना जाता है यह बुद्धि, तर्क क्षमता और अच्छे संचार कौशल का कारक है भी है. बुध उस विश्लेषणात्मक शक्ति का समर्थन करता है जो बदलाव को अच्छा या खराब किसी भी तरह का रुप देने में सक्षम होती है. व्यापार कौशल और निर्णय लेने की क्षमता का भी प्रतिनिधित्व करने वाला बुध जब अश्विनी नक्षत्र में गोचर करता है, तब बुध के गुणों में कई तरह की आक्रामकता भी देखने को मिल सकती है. 

आइये जानते हैं बुध का अश्विनी राशि नक्षत्र का सभी राशियों पर कैसा रहता है प्रभाव 

मेष राशि 

मेष राशि में बुध का अश्विनी नक्षत्र गोचर बौद्धिक क्षमता को प्रभावित करने वाला होता है. यह काफी मजबूत संकल्प शक्ति भी देता है. जल्दी से निर्णय लेने में मदद करता है. व्यक्तित्व में निखार आने की पूरी संभावना होती है. इस समय सेंस ऑफ ह्यूमर से लोगों को प्रभावित करने में सफल होते हैं और जो लोग मीडिया और बैंकिंग या लेखन जैसे कामों से जुड़े होते हैं उन्हें इस समय अच्छा धन लाभ होने की संभावना भी होती है. नौकरी बदलने की योजना या काम में कुछ नवीनता की इच्छा अधिक रहती है. इस समय प्रगति मिलने की संभावना भी रहती है. सस और परिश्रम में वृद्धि होती है. 

वृष राशि 

बुध का अश्विनी नक्षत्र गोचर वृषभ राशि के लोगों को आर्थिक रुप से प्रभावित करने वाला होता है. यह गोचर परिवार के सदस्यों के साथ मेल जोले के साथ साथ विवाद की स्थिति भी देता है. बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं भी दे सकता है. कुछ इस प्रकार की परिस्थितियां हो सकती हैं जहां न चाहते हुए भी काम करना पड़े. छात्रों के लिए एकाग्रता की कमी के साथ साथ शिक्षा बीच में ही रोकनी पड़े या  शिक्षा में ब्रेक की स्थिति आ सकती है. मान समान को पाने के लिए संघर्ष अधिक रहता है. वाहन इत्यादि का उपयोग सावधानी पूर्वक करने की आवश्यकता होती है. कार्यक्षेत्र में अचानक सेहोने वाले बदलाव दूरगामी असर डालते हैं. 

मिथुन राशि

मिथुन राशि के लिए बुध का अश्विनी नक्षत्र गोचर काफी मसलों में परेशानी दिखाता है लेकिन परिश्रम द्वारा सफलता प्राप्ति का योग भी बनाता है. इस समय शांत रह कर काम करने की सलाह दी जाती है. बड़े आर्थिक झटके लग सकते हैं या नौकरी छूटने या व्यापार में असफलता का सामना करना पड़ सकता है. गोचर का आरंभिक समय जीवन की वृद्धि के लिए अनुकूल रहता है.  इस दौरान आपको अपने काम में सफलता मिलती है, साथ ही इस दौरान किए गए व्यापारिक सौदे भी अच्छे साबित हो सकते हैं. धन की प्राप्ति धीमी गति से होगी, लेकिन धन की आवक सुचारू रुप से बनी रह सकती हैं. हल्की नोकझोंक से जीवन का हर रिश्ता आगे बढ़ता है. 

कर्क राशि 

कर्क राशि वालों के लिए बुध का अश्विनी नक्षत्र गोचर भावनात्मक एवं प्रेम जीवन को सामान्य रखता है. स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं एवं तनाव या मिजाज का बदलाव परेशान कर सकता है. कार्यस्थल पर लोग या सहयोगी अधिक काम के चलते साथ न दे पाएं. बॉस और अन्य अधिकारियों के सामने आप अपनी छवि को बेहतर बनाने के लिए अपने प्रयासों को अधिक जोश के साथ करते हैं. रिश्तों में साथी आप पर हावी होने की कोशिश कर सकता है. यात्राएं रह सकती हैं और कुछ मामलों में अचानक से धन खर्च की स्थिति भी बनेगी. कुछ मामलों में लोग आपके इरादों का गलत मतलब निकाल सकते हैं. ऎसी स्थिति में शांत रहते हुए काम करना ही उचित होगा. 

सिंह राशि 

सिंह राशि के लिए बुध का अश्विनी नक्षत्र गोचर कार्यक्षेत्र में तेजी का समय देगा इसके अलावा कुछ अव्यवस्थित होने से परेशानी होगी लेकिन इस ओर ध्यान देने से बचना ही उचित होगा. संतान पक्ष को लेकर कुछ मुद्दे उभर सकते हैं. काम की अधिकता के कारण तनाव में रह सकते हैं. अपने काम को लेकर आपकी भदौड़ बेहतर रहेगी बस किसी भी चीज को पूरा करने से पूर्व उसकी अच्छे से समीक्षा कर लेना उचित होगा. पद या प्रतिष्ठा की प्राप्ति होगी. भाई बंधुओं के साथ काम की गति बढ़ सकती है इस समय कुछ नए लोगों के साथ संपर्क होने से आने वाले समय की स्थिति बेहतर परिणाम दिला सकती है. 

कन्या राशि 

कन्या राशि वालों के लिए बुध का अश्विनी नक्षत्र गोचर कुछ संघर्ष को बढ़ाने वाला समय होगा. इस समय के दौरान आर्थिक पक्ष के साथ स्वास्थ्य संबंधी बातें भी असर डालने वाली होंगी. यह गोचर वित्तीय स्थिरता के लिए संघर्ष को दिखा सकता है. परिवार के किसी सदस्य की तबीयत बिगड़ने से तनाव के साथ साथ अस्पताल के चक्कर भी लगाने पड़ सकते हैं. कार्यस्थल पर आपका सहयोगी आपके लिए परेशानी खड़ी कर सकता है जिसके चलते बढ़ते तनाव की स्थिति सामने होगी. गॉसिप या ऑफिस पॉलिटिक्स में किसी भी तरह से दिलचस्पी न लेना ही उचित होगा अन्यथा छवि प्रभावित होगी. 

तुला राशि 

तुला राशि के लिए अश्विनी नक्षत्र गोचर का समय आपसी संबंधों के मामले में कुछ तनाव और अनबन की स्थिति को दिखा सकता है. इस समय बड़ी-बड़ी बातें अधिक होती दिखाई देंगे लेकिन अधिकारियों के सामने काम की स्थिति को लेकर अनिश्चित रह सकते हैं. जीवन साथी के साथ व्यर्थ की बातें बहस का मुद्दा बन सकती है जिसके चलते छवि खराब हो सकती है. आर्थिक निवेश की योजना बहुत सावधानी से बनाई जानी चाहिए, विशेष रूप से व्यापार मालिकों के लिए, क्योंकि इस समय के दौरान कोई लापरवाही तनाव देने वाली हो सकती है. ये समय कम्युनिकेशन स्किल बेहतरीन होगी और ऐसे में आप अपनी बातों से दूसरों को आसानी से प्रभावित करने में सफल रहेंगे. 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि वालों के लिए बुध का अश्विनी नक्षत्र गोचर प्रभाव प्रयास द्वारा सफलता की राह पर ले जाने वाला समय होगा. ये समय चुनौतियों को लाने वाला होगा लेकिन साथ ही उनसे निपटने की अच्छी स्थिति भी देगा. कानूनी क्षेत्र से जुड़े लोग इस समय करियर में तरक्की करते हुए नजर आएंगे. व्यापारी वर्ग के लिए यह अवधि थोड़ी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है, इसलिए आपको सलाह दी जाती है कि व्यापारिक साझेदार के साथ किसी भी तरह के मतभेद या विवाद से दूर रह अजाए. कागजातों पर हस्ताक्षर करते समय ध्यान दिया जाए. स्वास्थ्य को लेकर परेशानी होगी रक्त एवं त्वचा संबंधी विकार उभर सकते हैं.

धनु राशि

धनु राशि वालों के लिए ये समय अपने मांगलिक कार्यों में शामिल होने के लिए अनुकूल रह सकता है. शादी से संबंधित प्रस्ताव या प्रेम संबंधों की शुरुआत का समय है. विद्यार्थियों को पढ़ाई में ध्यान भटकने की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन मेहनत के दम पर आपको अच्छे परिणाम मिल पाएंगे. नौकरी में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए अभी से लगातार ध्यान बना कर काम करने की आवश्यकता है. रचनात्मक क्षेत्र से जुड़े जातक फलते-फूलते नजर आएंगे. जिन लोगों का अपना व्यवसाय है, वे कोई नई डील कर पाएंगे. साथ ही आप आर्थिक रूप से भी मजबूत होंगे.

मकर राशि 

मकर राशि वालों के लिए बुध का अश्विनी नक्षत्र गोचर परिवार एवं घर के कार्यों की अधिकता देने वाला होगा. करियर को लेकर भी कुछ सफलता मिल सकती है, लेकिन इस दौरान वरिष्ठों के साथ वाद-विवाद का सामना करना पड़ सकता है, जिससे परेशानी बढ़ सकती है. व्यवसाय सुचारू रूप से चल सकता है कुछ नई चीजों को शामिल करने से इसमें अच्छी वृद्धि का संकेत भी मिलता है. व्यक्तित्व पर परिवार के संग का गहरा प्रभाव इस समय दिखाई दे सकता है. माता के साथ संबंधों में सुधार देखने को मिल सकता है. स्वास्थ्य संबंधी परेशानी आपको परेशान कर सकती है, इसलिए समय-समय पर अपने स्वास्थ्य की जांच कराते रहें. आर्थिक स्थिति स्थिर रहेगी लेकिन फिर भी बजट पर नजर बनाकर रखना उचित होगा. 

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों के लिए ये समय प्रतिस्पर्धाओं में शामिल होने के अलावा सफलता का भी होगा. छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से विदेश जाना चाहते हैं उनके लिए यह समय अनुकूल रह सकता है. राजनीति से जुड़े हैं या शिक्षक, लेखक, मीडिया कर्मी हैं तो यह अवधि सहयोगी रहने वाली है. कुछ अच्छे लाभ की प्राप्ति हो सकती है. इस दौरान मुमकिन है आप अपने पार्टनर के साथ यात्रा का प्लान बना सकते हैं. इस दौरान आपकी आर्थिक स्थिति काफी मजबूत रहेगी जिससे आप पैसे बचाने में सफल रहेंगे.  भाई-बहनों के साथ कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इस समय अधिक बेचैन होकर काम न करें संभल कर चीजों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ा उचित होगा.

मीन राशि

मीन राशि के लिए बुध का अश्विनी नक्षत्र गोचर उत्साह और नई संभावनाओं की तलाश जैसा होगा. आर्थिक लाभ के साथ काम में वेतन में वृद्धि होने की संभावना है. साथ ही काम के लिए प्रमोशन भी मिल सकता है. पैसे को स्टॉक या किसी अन्य जोखिम भरे स्थान पर निवेश न करें. व्यावसायिक व्यक्तियों को व्यापारिक सौदे करते समय सावधान रहना चाहिए क्योंकि आपके साथ धोखा हो सकता है या जो वादा किया गया था वह नहीं मिल सकता है. पारिवारिक व्यवसाय करने वालों के लिए इस समय सोच समझ कर चीजों पर ध्यान से काम करन अहोगा क्योंकि कुछ छोटी छोटी गलतियां बड़ी परेशानी भी दे सकती है. गले और श्वास संबंधी रोग असर डाल सकते हैं. 

Posted in Ascendant, Basic Astrology, Planets, Transit | Tagged | Leave a comment

कौन से नक्षत्र हैं नाड़ी दोष से मुक्त

नाडी विचार ज्योतिष अनुसार व्यक्ति की ऊर्जा को समझने हेतु किया जाने वाला अध्ययन है. नाड़ी विचार अनुसार किसी व्यक्ति की क्षमताओं एवं उसके स्वास्थ्य के विषय में उसकी विचारधार के बारे में जान पाना संभव होता है. नाडी शब्द संस्कृत शब्द नाडी से आया है जिसका अर्थ है प्रवाह होना. जब विवाह जैसे कार्य को करने की बात आती है तो यह कुंडली मिलान की एक बहुत ही महत्वपूर्ण विधि है.

इसके आधार पर भारतीय ज्योतिष में विवाह के विषय में भविष्यवाणी की जाती है. वर और वधु की कुंडली की अनुकूलता की जांच के लिए आठ कारकों पर ध्यान दिया जाता है. जिसमें से एक कारक नाड़ी है ओर इसे सर्वाधिक अंक भी प्राप्त होते हैं. 

नाड़ी आठवें कूट मिलान की प्रक्रिया है जो जीवन साथी के साथ अनुकूलता को समझने के लिए की जाती है. जब मिलान की पूरी प्रक्रिया में इसके अधिकतम अंक हैं. मिलते हैं तो यह एक अच्छे मिलान का संकेत देती है. 8 अंक नाड़ी मिलान पर आधारित होते हैं.

नक्षत्र के आधार पर नाड़ियों को 3 प्रकार से वर्गीकृत किया गया है.

प्रत्येक नाडी एक व्यक्ति की ‘प्रकृति’ का प्रतिनिधित्व करती है जो उसका शरीर है. आयुर्वेद के अनुसार, तीन अलग-अलग प्रकृति में वात, पित्त और कफ को दर्शाता है. 

वात का प्रतिनिधित्व करने वाले सभी नक्षत्र आदि नाडी को दर्शाते हैं.

पित्त का प्रतिनिधित्व करने वाले सभी नक्षत्र मध्य नाडी को दर्शाते हैं.

कफ का प्रतिनिधित्व करने वाले सभी नक्षत्र अंत्य नाडी को दर्शाते हैं.

यहां तीन नाड़ियों को 27 नक्षत्रों में बांटा गया है.

इसके अनुसार कोई भी नक्षत्र नाड़ी से मुक्त नहीं होता है, यदि जन्म कुण्डली में चन्द्रमा अश्विनी नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, ज्येष्ठ नक्षत्र, मूल नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, या पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में स्थित हो तो जातक को आदि नाड़ी माना जाता है.

यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा भरणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ नक्षत्र, धनिष्ठा नक्षत्र या उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में स्थित हो तो जातक को मध्य नाड़ी माना जाता है.

कुंडली में चंद्रमा कृतिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, माघ नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र या रेवती नक्षत्र में हो तो जातक को अंत्य नाड़ी माना जाता है.

यदि पुरुष और महिला दोनों एक ही नाड़ी से संबंध रखते हैं, तो नाडी मिलान प्रक्रिया में 8 में से 0 अंक दिए जाते हैं. इस उदाहरण में, नाड़ी दोष बनता है. यदि पुरुष नाडी महिला नाडी से अलग है, तो 8 में से 8 अंक दिए जाते हैं. उदाहरण के लिए, 8 में से 8 अंक दिए जाते हैं यदि एक पुरुष के पास आदि नाड़ी है और एक महिला के पास मध्य या अंत्या नाड़ी है तो ऐसा नाड़ी मिलान अनुकूल माना जाता है. नाड़ी द्वारा यह निर्धारित किया जाता है कि सुखी और सफल विवाह के लिए पति और पत्नी की नाड़ियों में अंतर होना चाहिए. माना जाता है कि अगर दोनों की नाड़ियां मेल खाती हैं तो उनकी कुंडली में नाड़ी दोष होता है.

नाडी दोष एक ही नाड़ी में जन्म लेने वाले दो लोगों द्वारा साझा किया जाता है, जो एक दूसरे से शादी करते हैं. वे दोनों अपने दोषों के कारण समान प्रवृत्ति प्रदर्शित करते हैं. दोनों का व्यवहार आक्रामक हो सकता है, अत्यधिक सुस्त हो सकता है, या बेईमान हो सकता है. और समान गुण संबंध से ध्यान हटाते हैं और तनाव पैदा करते हैं. दोनों ही बहस में उलझे रख सकते हैं.

दोनों कुंडली में कुछ अन्य प्रकार के खराब योग भी बन रहे होते हैं जो तीनों प्रकार के नाडी दोष को मजबूत बना सकते हैं. दूसरी ओर, कुंडलियों में कुछ अच्छे शुभ योग निर्मित होते हों तो उसके कारण नाडी दोष कमजोर होने लगता है. कुंडली मिलान के लिए किसी भी प्रकार का नाड़ी दोष समस्या पैदा कर सकता है ऎसे में कुंडली के प्रत्येक पक्ष पर ध्यान से जांच करने की आवश्यकता होती है. 

नाड़ी दोष के प्रभाव

नाडी दोष के कारण कई तरह के खराब प्रभाव जीवन पर असर डालने वाले होते हैं. सुखी जीवन की क्षमता नाड़ी दोष के कारण सबसे अधिक प्रभावित होती है. दोनों के स्वास्थ्य पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ सकता है. इनके नकारात्मक परिणामों में तर्क, लड़ाई विवाद और दोनों के बीच इच्छा शक्ति की कमी शामिल हो सकती है. सबसे खराब स्थिति में, अलगाव या तलाक लेने का निर्णय भी शामिल हो सकता है. अचानक दुर्घटना, मृत्युतुल्य कष्ट की स्थिति परेशान कर सकती है. तंगी रहती हैं और रिश्ते में विश्वास कम होता है. आसपास एक मजबूत नकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है. इस दोष में संतान संबंधी समस्याएं भी अत्यधिक देखने को मिलती होती हैं. लंबे समय तक विवाहित रहने के बाद भी संतान के सुख में कमी या परेशानी हो सकती है. साथी संतान पैदा करने में सक्षम न हों, जो चिंता और तनाव का कारण बन सकता है. 

Posted in Basic Astrology | Tagged , | Leave a comment

सूर्य का राहु के साथ गोचर क्यों है इतना खास

सूर्य मजबूत व्यक्तित्व के सबसे बड़े कारणों में से एक होता है और राहु छल और भ्रम में कम नहीं है. अब जब सूर्य के साथ राहु का मेल होता है तो यह स्थिति परेशानी को दिखाने वाली अधिक हो सकती है. सूर्य वैदिक ज्योतिष अनुसार नेतृत्व, प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि को दर्शाता है इसके अलावा स्वर्ण, नेत्र, दिल और सिर पर इसका स्वामित्व होता है. सूर्य छाया ग्रह राहु के साथ युति करने पर कई तरह से निर्बलता को पाता है. राहु हेर फेर, तंत्र काला बाजार, अवैध कारोबार, जुआ, विष से संबंधित होता है. 

सूर्य और राहु गोचर का मेष राशि पर प्रभाव

सूर्य-राहु की युति मेष राशि में  होने के कारण आर्थिक मामलों में रुकावट पैदा हो सकती है. बचत कम हो जाती है. अपने काम करने के तरीकों में अधिक एकाग्रता देने की जरुरत होती है. चीजें अधिक तनावपूर्ण हो सकती है. परिवार में विवाद और संघर्ष का अनुभव करना पड़ता है. रिश्ते तनाव दे सकते हैं. इस समय मुद्दों को शांति के साथ हल करने का प्रयास करना चाहिए अन्यथा परेशानी बढ़ती दिखाई देति है. संपत्ति के कार्यों में विलंब हो सकता है; पैतृक संपत्ति से जुड़े विवाद आपको निराश कर सकते हैं. व्यवहार में अशांत होने से बचने का समय होता है

सूर्य और राहु गोचर का वृष राशि पर प्रभाव

वृष राशि वालों को इस समय अपने काम में अधिक परिश्रम लगाना होगा. आर्थिक रुप से फिजूलखर्च से बचने की जरुरत होगी. इस अवधि के दौरान उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हो सकते हैं. इस अवधि में क्रोध पर अत्यधिक नियंत्रण रखने की सलाह दी जाती है.अचानक दुर्घटना होने की प्रबल संभावना भी अधिक है. नियमों का पालन करना और फिजूलखर्ची से भी बचना इनके लिए जरुरी काम होता है. इस गोचर अवधि में कैसे बात करते हैं या संचार करते हैं, इसके प्रति सावधान रहना इस समय आवश्यक होता है. 

सूर्य और राहु गोचर का मिथुन राशि पर प्रभाव

मिथुन राशि के लिए सूर्य-राहु की युति का गोचर का प्रभाव सेवा क्षेत्र के में कुछ मौके देगा. लेकिन इस अवधि के दौरान अपने वरिष्ठों के साथ असहमति या संघर्ष का अनुभव कर सकते हैं. एक लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित कर पाना मुश्किल होगा.  इसलिए, यह सुनिश्चित करने का प्रयास करें कि एक काम को लेकर आगे बढ़ें उसी पर अधिक ध्यान दें. इस अवधि के दौरान सामाजिक स्थिति के बारे में चिंतित रह सकते हैं. व्यवसाय के क्षेत्र में अचानक से लाभ होगा. लेकिन कई बार फैसलों को सोच समझ कर लेना जरुरी होगा. 

कर्क राशि पर सूर्य और राहु गोचर का प्रभाव

इस समय राहु सूर्य का गोचर संपत्ति और परिवार की स्थिति को प्रभावित करने वाला होता है. साथी की संपत्ति, रिश्तों में कानूनी कार्यवाही प्रभाव डालने वाली होती है. काम काज में देरी हो सकती है, आपसी विवाद हो सकते हैं जिससे कमजोर और चिंतित महसूस कर सकते हैं. आहार और व्यायाम तथा जीवनशैली पर नज़र रखना जरूरी होता है. वाहन सावधानी से चलाएं, सभी नियमों का पालन करें और फिजूलखर्ची से भी बचें. लंबी दूरी की यात्रा के योग भी इस समय दिखाई दे सकते हैं.

सिंह राशि पर सूर्य और राहु गोचर का प्रभाव

सिंह राशि वालों के लिए सूर्य-राहु की युति गोचर चिंताओं में वृद्धि वाला होता है. इस अवधि में अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता होती है. बेचैनी महसूस कर सकते हैं, इसलिए उन चीजों से बचें जो तनाव को बढ़ा सकती हैं. सरकार से संबंधित कार्यवाहियों में विलंब हो सकता है, या कोर्ट कचहरी में बाधाओं के कारण विलंब हो सकता है. नाम और यश में गिरावट आ सकती है. नेत्र, हृदय रोग एवं रक्तचाप संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है 

कन्या राशि पर सूर्य और राहु गोचर का प्रभाव

इस समय अपनी सामाजिक स्थिति को लेकर अधिक चिंतित हो सकते हैं. कोर्ट-कचहरी के मामले परेशान कर सकते हैं. अपने स्वास्थ्य के प्रति अत्यधिक सतर्क रहना चाहिए. कोई भी फैसला लेने से पहले दो बार सोच लेना उचित होगा. एक गलत निर्णय से नुकसान हो सकता है.साझेदारी के व्यवसाय से जुड़े काम के लिए इस अवधि के दौरान भागीदारों के बीच विवाद और असहमति का अनुभव हो सकता है. इस अवधि में शत्रु हावी हो सकते हैं. अपने शांत और संयमित रहने से ही लाभ मिलेगा. 

तुला राशि पर सूर्य और राहु गोचर का प्रभाव

तुला राशि के लिए सूर्य-राहु की युति का गोचर कार्यक्षेत्र में सतर्क रहने की बात अधिक करता है. वरिष्ठों के साथ अनावश्यक मनमुटाव हो सकता है. उनके साथ टकराव या बहस में पड़ने से बचने की कोशिश करन अही उचित होगा. अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहना चाहिए क्योंकि बीमार पड़ने की संभावना अधिक है. पेट या पीठ के निचले हिस्से से जुड़े दर्द का अनुभव कर सकते हैं.  बैंक ऋण, कोर्ट-कचहरी के मामलों में रुकावट आ सकती है, परेशानी हो सकती है.  

वृश्चिक राशि पर सूर्य और राहु गोचर का प्रभाव

सूर्य-राहु की युति का गोचरस्वभाव में अधिक कठोरता का कारण भी बन सकता है. अपनी प्राथमिकता पर अधिक जोर भी देने वाले होते हैं. स्वास्थ्य को लेकर चिंतित रह सकते हैं. सेहत के प्रति भी सतर्क रहना होता है. इस समय पाचन अंगों को नुकसान हो सकता है. अपने बड़ों के साथ अधिक अनबन हो सकती है. प्यार में कई तरह की शंकाएं बनी रहती है और प्रेम संबंधों में असफलता मिल सकती है. चुनौतियों का सामना करने में साहस अधिक दिखाते हैं. 

धनु राशि पर सूर्य और राहु गोचर का प्रभाव

राहु सूर्य का योग संपत्ति के सौदों में सफलता दिला सकता है. लेकिन स्वयं से कमाई संपत्ति से जुड़े मामलों में इन्हें सफलता नहीं मिल सकती है. इस अवधि में अपने परिवार के लोगों की सेहत को लेकर परेशानी अधिक रह सकती है. उच्च अध्ययन के अवसर बेहतर हो सकते हैं. व्यक्ति लगातार उत्तेजना और हताशा के कारण आप अवसाद का अनुभव भी कर सकता है. इस समय अपने संबंधों में शांति बनाए रखने की आवश्यकता होती है, क्योंकि चिड़चिड़ापन और आक्रामकता संबंधों में कड़वाहट ला सकती है. 

मकर राशि पर सूर्य और राहु गोचर का प्रभाव

सूर्य और राहु का गोचर जीवन में कठोरता एवं नियमों को परेशानी देने वाला बना सकता है. स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की सलाह दी जाती है, क्योंकि कई कारणों से स्वास्थ्य बिगड़ने की प्रबल संभावना रहती है. इस अवधि के दौरान लीवर से संबंधित समस्याओं का अनुभव हो सकता है. संपत्ति और विदेश यात्राओं के बारे में ये समय कुछ अच्छे लाभ दे सकता है. सरकारी मामलों में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. संपत्ति, उच्च शिक्षा, या वाहन संबंधी चिंताओं के कारण इस समय पर तनाव अधिक रह सकता है, इसलिए इस दौरान शांत होकर काम करने की कोशिश ही उचित होती है. 

सूर्य और राहु गोचर का कुंभ राशि पर प्रभाव

कुंभ राशि वाले अपने जीवन में इस युति के द्वारा कई चीजों की खोज कर पाने में सफल रहते हैं. सरकारी मामलों से संबंधित दस्तावेजों में व्यवधान का सामना करना पड़ सकता है. इस स्थिति में गुप्त शत्रु अधिक हावी हो सकते हैं, इसलिए सतर्क रह कर काम करने की जरुरत होती है. अपने आस-पास के लोगों और चीजों को अच्छे से जानते और समझते हुए किया गया काम जीवन में प्रगति का कारण भी बनता है. 

सूर्य और राहु गोचर का प्रभाव मीन राशि  

सूर्य-राहु युति का गोचर मीन राशि वालों के लिए कई तरह के विचार देता है. आध्यात्मिक ओर परंपराओं के विरुद्ध दोनों ही रुपों में इनका असर दिखाई दे सकता है. इस अवधि में अपने भाई-बहनों के स्वास्थ्य को लेकर कुछ चिंता मिलती है. स्वास्थ्य बिगड़ने की प्रबल संभावना होती है. खाने की आदतों में लापरवाही अधिक रहती है. कई बार इन्हें भोजन से विषाक्ता प्रभावित अधिक करने वाली होती है. कोर्ट-कचहरी से संबंधित मामलों में आपको बाधाओं और कठिनाइयों का अनुभव हो सकता है.

Posted in Basic Astrology, Planets, Transit | Tagged , | Leave a comment

प्रश्न कुंडली के ये सूत्र बताते हैं विवाह होने का सटीक समय

प्रश्न कुंडली बहुत उपयोगी और विश्वसनीय सूत्र है जो विवाह से जुड़े प्रश्नों के सभी हल प्रदान करने में सहायक बनता है. प्रश्न कुंडली क्या होती है पहले ये जान लेना जरुरी है, तो प्रश्न कुंडली वह चार्ट होता है जो उसी समय बनाया जाता है जब कोई व्यक्ति प्रश्न करता है इस कारण से ही इसे प्रश्न कुंडली कहा जाता है. अब ऎसे में यदि किसी के पास अपना सही समय या जन्म तिथि का बोध न हो तब उस स्थिति में यह कुंडली बहुत ही कारगर सिद्ध होती है.

शादी के लिए सबसे पहले यह जान लेना जरुरी है कि शादी कब होगी. प्रश्न कुंडली विवाह के लिए सही समय का संकेत देती है, और इसके द्वारा विवाह के समय की भविष्यवाणी प्राप्त कर सकते हैं. प्रश्न कुंडली में परिभाषित चक्र बताते हैं कि व्यक्ति का विवाह कब होगा. प्रश्न कुंडली के प्रथम भाव, द्वितीय भाव, पंचम भाव, सप्तम भाव, नवम भाव और उनके स्वामी की स्थिति से विवाह का समय जाना जा सकता है. सप्तम भाव की स्थिति विवाह के समय को दर्शाती है, लेकिन साथ ही पहले, दूसरे, पांचवें और नवम भाव का असर भी विवाह के समय को अपना आधार प्रदान करने वाला होता है. 

ज्योतिष शास्त्र की अनेक शाखाएं या कहें मार्ग हैं जो जीवन में होने वाले घटना क्रम की बहुत सटीक जानकारी देने में सक्षम हैं. इसी में एक वर्ग प्रश्न कुंडली का भी है. शादी के लिए ज्योतिष भविष्यवाणी कैसे कर सकते हैं. विवाह के लिए ज्योतिष की भविष्यवाणी में प्रश्न कुंडली का योगदान बेहद निर्णायक माना गया है. जन्म कुंडली से अलग यह प्रश्न कुंडली निश्चित समय पर बनकर प्रश्न के अनुसार फल का निर्धारण करती है. जो कुछ विवरण प्राप्त होता है उसके द्वारा चार्ट बना कर विवाह-शादी के समय एवं उसकी स्थिति को जान पाना संभव होता है. प्रश्न कुंडली द्वारा शादी का कब होना किस समय में होना या जल्दी अथवा देरी क्यों होना इन बातों को भी इसके द्वारा समझा जा सकता है. 

प्रश्न कुंडली से भाव फल और ग्रह फल  

विवाह एक महत्वपूर्ण घटना है जो हर व्यक्ति की जीवन यात्रा में एक आदर्श बदलाव लाती है. युवा अवस्था में आते ही हर कोई शादी को बड़ी उम्मीदों से देखता है. ऎसे में ज्योतिष शास्त्र इस में हर संभव सहायता भी प्रदान करता है.  

प्रश्न कुंडली में कुंडली में लग्न और सातवां भाव विवाह से जुड़ा होता है. विवाह की स्थिति के लिए बृहस्पति एवं शुक्र ग्रह को भी देखा जाता है. विवाह के लिए प्रश्न कुंडली में इन ग्रहों के अलावा ग्रहों की सूची में शामिल मंगल, बुध और चंद्रमा को भी विशेष रुप से देखा जाता है. अशुभ ग्रहों की सूची में सूर्य, शनि, मंगल, राहु और केतु शामिल होते हैं जो विवाह में परेशानी का कारण बन सकते हैं. प्रश्न कुंडली में जहां शुभ ग्रह शीघ्र विवाह का कारण बनते हैं वहीं अशुभ ग्रह विवाह में देरी को दर्शाते हैं. 

यदि प्रश्न कुंडली में सप्तम भाव में बुध या चंद्रमा होता है, तो विवाह कुछ जल्द होता दिखाई दे सकता है. यदि सप्तम भाव में बृहस्पति – शुक्र है, तो आपकी शादी 24 साल से 26 साल के बीच का समय विवाह को दिखाता है. या देरी में भी विवाह के जल्द होने का संकेत देने वाला होता है.  सप्तम भाव में सूर्य का होना  विवाह में देरी होगी और कई बाधाओं को दर्शा सकता है. इसी प्रकार  मंगल का होना विवाह में गंभीर देरी का कारण बनता है. यदि शनि सप्तम भाव में विराजमान हो तो व्यक्ति के विवाह बहुत देरी में होने का संकेत देने वाला होता है.  

विवाह में ग्रहों का प्रभाव 

प्रश्न कुंडली के द्वारा विवाह में होने वाली शुभता अथवा विवाह के सुख की कमी जैसी बातों को भी आसानी से जाना जा सकता है. प्रश्न कुंडली व्यक्ति के दांपत्य जीवन में होने वाले उतार-चढ़ावों को भी बखूबी दर्शाने में सहायक होती है. इन बातों को हम कुछ बिंदुओं के द्वारा भी समझ सकते हैं. 

जब सप्तम भाव में अधिक संख्या में शुभ ग्रह हों, तो विवाह होने की संभावना के साथ साथ उसके शुभ होने की स्थिति में भी इजाफा होता है. इसके अलावा बुध और शुक्र की युति सप्तम भाव में हो तो व्यक्ति का विवाह शीघ्र होता है तथा जीवन साथी की सौम्यता एवं सहयोग की प्राप्ति भी होती दिखाई दे सकती है. 

प्रश्न कुंडली में देर से शादी के कारणों में सूर्य, शनि और राहु जैसे ग्रह तो शामिल होते ही हैं पर इसके साथ ही यदि सप्तम भाव में सूर्य, शनि या राहु सहित कोई भी ग्रह स्थित हो तो विवाह में देरी को भी दिखाते हैं. शादी के होने में कई तरह की अड़चनों को झेलना पड़ सकता है. अच्छे संबंधों की कमी भी इस कारण देखने को मिल सकती है. राहु का प्रभाव यदि सप्तम में होता है तो व्यक्ति को विवाह से धोखा भी मिल सकता है. 

इसके अलावा यदि प्रश्न कुंडली के सप्तम भाव में कोई ग्रह नहीं है, तो सप्तम भाव के स्वामी लग्न की स्थिति चंद्रमा का प्रभाव शादी पर अपना असर डालता है. 

प्रश्न कुंडली में विवाह के लिए भविष्यवाणी यह भी बता सकती है कि आपकी शादी कब होने की सबसे अधिक संभावना है. सूर्य एक माह का समय लेता है, मंगल 45 दिनों के करीब का, बृहस्पति एक राशि में 13 महीने तक रहता है. आपकी कुंडली में इन ग्रहों के साथ चंद्रमा गोचर के आधार पर आपके विवाह वर्ष की भविष्यवाणी की जा सकती है. जबकि विवाह जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ है और यह स्वाभाविक है कि लोग अपने विवाह के बारे में कुछ चिंता पैदा कर सकते हैं, जन्म कुंडली का बारीकी से अध्ययन करने और इससे आवश्यक जानकारी प्राप्त करने से विवाह के संबंध में कुछ निष्कर्ष निकालने में मदद मिल सकती है.

Posted in Basic Astrology, Marriage | Tagged , | Leave a comment