शुक्र का तुला राशि प्रवेश और प्रभाव

शुक्र का तुला राशि प्रवेश होना ज्योतिष में शुक्र के प्रबल होने का उसके शुभ होने का खास समय होता है. शुक्र ज्योतिष में तुला राशि का स्वामित्व पाता है ओर ऎसे में शुक्र जब अपनी स्वराशि तुला में जाता है तो इसका शुभ फल तो मिलता ही है साथ ही शुक्र के कारक तत्वों में वृद्धि का योग बनता है. 

शुक्र के तुला राशि गोचर डेट 2025

शुक्र कन्या राशि में गोचर करने के बाद तुला में जाते हैं. शुक्र 02 नवंबर 2025 को तुला राशि में प्रवेश करेंगे. इस समय बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, शुक्र तुला राशि में गोचर करते हुए 26 नवंबर तक यहीं पर रहेंगे.

तुला राशि में प्रवेश करने से उन लोगों पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिनकी कुंडली में शुक्र मजबूत है. इसके अलाव शुक्र के गोचर से सामाजिक रुप से भी बदलाव होगा. मनोरंचन, रचनात्मक एवं कला क्षेत्र भी इस गोचर से प्रभावित होंगे.

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शुक्र का तुला राशि प्रवेश ज्योतिष अनुसार 

राशि चक्र में तुला राशि सातवें स्थान में आती है और कला चक्र में सप्तम भाव को दर्शाता है. यह वह स्थान है जो विवाह, साझेदारी, सामाजिक स्थिति का विशेष प्रभाव दिखाता है. तुला राशि भी एक स्वतंत्र और हंसमुख राशि है, समायोजन का प्रभाव इस राशि में देखने को मिलता है. इस राशि का स्वभाव गतिशील होता है और शुक्र का यहां होना व्यक्ति को भी गतिशीलता के साथ प्रगति देने वाला होगा.

तुला राशि का स्वामी शुक्र है, इस राशि के प्रभाव और स्वामित्व दोनों के अनुसार तुला राशि के विशाल ज्ञान के कारण यह शुभ फल देने वाला माना जाता है। तुला राशि प्रेम और लगाव का प्रतिनिधित्व करती है। इस प्रकार, सुख, वैभव, सुंदरता और विलासिता के ग्रह शुक्र के संतुलन की राशि में गोचर करने से कुछ राशियों के लिए भी समृद्धि के कई अवसर आएंगे. 

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 मेष राशि पर प्रभाव

मेष राशि के लिए शुक्र का प्रभाव सप्तम भाव में होने से जीवन साथी और सामाजिक स्थिति में कुछ सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे. शुक्र गोचर के द्वारा पारिवारिक जीवन में बदलाव और एक दूसरे के साथ संपर्क में वृद्धि का योग बनेगा. आपसी रिश्ते मजबूत होंगे.

प्रेम संबंधों को तेजी मिलेगी. विवाह से जुड़े मुद्दे इस समय अधिक प्रभावित करेंगे. परिवार से लाभ मिल सकता है और पैतृक संपत्ति पर भी आपको अधिकार मिल सकता है। स्वास्थ्य के मामले में उचित देखभाल करें, संक्रमण विशेष रुप से यौन संपर्क से होने वाले रोग प्रभाव डाल सकते हैं. 

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 वृषभ राशि पर प्रभाव

तुला राशि पर ही यह गोचर काफी शुभ होगा लेकिन छठा भाव जागृत होने से समस्याएं भी आएंगी लेकिन उनसे विजय पाने में सफल भी होंगे. कुछ कारणों से अलगाव का अनुभव करेंगे और चीजों के प्रति काफी दुख भी महसूस हो सकता है. परिवार में एक दूसरे से छोटे-मोटे मतभेद परेशानी का कारण बन सकते हैं। इस समय आप खुद को यात्राओं में भी व्यस्त पा सकते हैं। वित्तीय निवेश करने का भी मौका मिलेगा लेकिन बड़ा निवेश करने से बचें. स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा.

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 मिथुन राशि पर प्रभाव

मिथुन राशि वालों के लिए शुक्र का गोचर इस समय पंचम भाव को जागृत कर सकता है. प्रेम संबंधों का आरंभ होगा. मेहनत और कुशलता का गुण भी उभरेगा. विरोधियों से लड़ने की शक्ति मिलेगी और समझदारी भी विकसित होगी. रिश्तों के लिए नए अवसर भी लेकर आएगा. इसके साथ ही आप इस समय संतान पर अधिक ध्यान देने वाले हैं. संतान के लिए प्रयासरत जातकों को संतान सुख भी मिल सकता है. शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए भी समय सकारात्मक रहने वाला है. 

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 कर्क राशि पर प्रभाव

कर्क राशि के लिए यह गोचर चतुर्थ भाव में होगा जिसके कुछ अच्छे परिणाम मिल सकते हैं. नई वस्तुओं की प्राप्ति का योग बनेगा.  शुक्र के गोचर से आपके रिश्तों में नई चीजें देखने को मिलेंगी. आपको अपने मित्रों का सहयोग भी मिल सकता है. कार्यक्षेत्र में आपके प्रयास अच्छे रहेंगे और यह आपको आगे बढ़ने में मदद करेंगे. परिवार में मात अका स्नेह मिलेगा. स्त्री पक्ष से सहयोग बना रह सकता है. 

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 सिंह राशि पर प्रभाव

सिंह राशि वालों के तिसरे भाव में शुक्र का असर होगा. इस समय शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा. काम में बदलाव को लेकर नई शुरुआत देखने को मिल सकती है. इस समय सामाजिक रुप से अधिक व्यस्त होंगे. भाई बंधुओं के साथ संबंध मजबूत होंगे. यात्रा का समय होगा. 

शुक्र का तुला राशि में गोचर 2025 कन्या राशि पर प्रभाव

कन्या राशि वालों के लिए शुक्र आर्थिक समृद्धि को देने वाला हो सकता है. इस दौरान आपको धन की प्राप्ति भी हो सकती है. इस समय आपके लिए नई सोच और नए अवसर आएंगे. आप घर में कुछ नई चीजें लाने की तैयारी भी करना चाहेंगे. घर में विरोधियों से सतर्क रहें, अन्यथा वे आपको परेशान करने का मौका नहीं छोड़ेंगे. स्वास्थ्य के लिहाज से सेहत को लेकर सावधान रहने की जरूरत है, गले और पेट से जुड़े संक्रमण आपको प्रभावित कर सकते हैं.  

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 तुला राशि पर प्रभाव

तुला राशि पर ही शुक्र का होना विशेष रहेगा. यह गोचर सुख देने में सहायक हो सकता है. नौकरी पेशा लोगों को कुछ लाभ मिल सकता है. जीवन साथी की ओर से सहयोग मिल सकता है. इस समय अधिकारियों से भी संतोषजनक परिणाम देखने को मिलेंगे. यदि कोई काम लंबे समय से लंबित है, तो अब उसे आगे बढ़ाने का मौका मिल सकता है. शुक्र आपको काम की ओर लगाने वाला होगा. इस समय उत्साह अधिक रहेगा. 

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 वृश्चिक राशि पर प्रभाव

शुक्र का यह गोचर वृश्चिक के व्यय भाव को एक्टिव कर देने वाला होता है. इस गोचर में चाहे आप चाहें या न चाहें, लेकिन आपको काफी मेहनत करनी पड़ती है. आर्थिक मामलों में खर्चे से बचने के लिए प्रयास बनाए रखने होते हैं. इस समय आपको लापरवाही से बचना होगा. अपने गुस्से और अपनी सोच को बेहतर दिशा में ले जाने की जरूरत है. अपने रिश्तों से दूरी हो सकती है, लंबी दूरी की यात्रा का योग बनता है. विदेशी कंपनी में कार्यरत लोगों को अच्छा लाभ मिल सकता है.

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 धनु राशि पर प्रभाव
संतान सुख मिलने की भी अच्छी उम्मीद है. शुभ समाचार मिलने के योग बन रहे हैं, अपनों के साथ निकटता प्राप्त हो सकती है. शुक्र का लाभ स्थान में गोचर आर्थिक सुख संपन्नता देता है. रचनात्मकता में भी वृद्धि होगी जिसके द्वारा लाभ प्राप्त होता है. इस समय कुछ यात्राएं भी कर सकते हैं और धार्मिक दृष्टि से भी आप कुछ स्थानों को देखने के इच्छुक हो सकते हैं. सामाजिक रुप से मान सम्मान की प्राप्ति का योग बनता है.

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 मकर राशि पर प्रभाव
कार्यक्षेत्र पर शुक्र का गोचर यात्राओं पर जाने के योग देता है. इस समय कुछ अच्छे लाभ भी मिल सकते हैं. माता-पिता से प्यार और सहयोग मिलेगा. दूसरे लोग आपकी गतिविधियों पर अधिक ध्यान देने वाले होते है. समाज में पद प्राप्ति के योग भी बनते हैं. आय के नए अवसर और करियर में आगे बढ़ने का मौका मिलता है.

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 कुंभ राशि पर प्रभाव
कुंभ के लिए यह गोचर अनुकूल होगा, किसी से जुड़ने की संभावना भी आपको बहुत खुशी दे सकती है. आध्यात्मिक रुप से आगे बढ़ सकते हैं. मांगलिक कामों में शामिल होम्गे. इस समय आपके साथ काम करने वाले लोगों से आपको कुछ मदद भी मिल सकती है. आर्थिक दृष्टि से इस समय आपके लिए धन प्राप्ति के योग हैं.

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 मीन राशि पर प्रभाव
मीन राशि के लिए आठवें भाव को बल मिलेगा. इस कारण चीजों को ध्यान से करना होगा. यह समय सावधान रहने और अपनी सुरक्षा के लिए सजग होने की बात कहता है. यौन संबंधों, वैवाहिक जीवन में कुछ नए मोड़ ला सकता है. विश्वास और भरोसे की स्थिति भी डगमगा सकती है. विवाहेत्तर संबंधों का अवसर भी इस दौरान बढ़ सकता है. भावनाओं में बहने से बचना होगा.

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मीन राशि में शनि : सभी 12 राशियों पर शनि के गोचर का प्रभाव

29 मार्च 2025, शनिवार को 11:01 पी एम बजे शनि का प्रवेश मीन राशि में होगा. साल की शुरुआत के साथ, शनि बड़ी परिवर्तनकारी ग्रह घटना को देगा जिसका असर देश दुनिया से लेकर सभी राशियों पर होगा. यह एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना होगी. वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि देव मीन राशि में अपना गोचर करने जा रहे हैं. यह कोई सामान्य गोचर नहीं है. ग्रह अन्य राशियों में 30 वर्षों के गोचर के बाद मीन राशि में है. यह गुरु के घर वापसी जैसा है. शनि लगभग ढाई साल तक इस राशि में आगे और पीछे चलता रहेगा.

आपकी कुंडली पर शनि का प्रभाव

जब  कुंडली में शनि अनुकूल स्थिति में होता है, तो व्यक्ति अच्छी संचार शक्तियों वाला विद्वान बनता है. जब यह अशुभ होता है, तो इसमें शुभता को भी कमजोर कर देने की शक्ति होति है. दूसरी ओर, यदि यह शुभ है, तो यह जीवन में सौभाग्य प्रदान करता है. शुभ शनि वाले जातकों के लिए व्यापार में करियर बनाने की अच्छी संभावनाएं होती हैं, चाहे वह मशीनरी, चमड़ा, सीमेंट, भट्टी, लकड़ी, रबर आदि से संबंधित हो.

शनि के कमजोर या अशुभ प्रभाव देने पर व्यक्ति को जीवन में संघर्षों का सामना करा सकता है. स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हो सकते हैं, मुख्य रूप से पाचन तंत्र, पेट और पाचन नली से संबंधित. उन्हें जीवन में धन हानि या कानूनी मुद्दों का शिकार होने की भी संभावना है. अब शनि का मीन राशि में जाना कई राशियों के लिए रह सकता है विशेष तो कईयों को मिल सकता है फेरबदला. 

मेष राशि

मेष की जन्म कुंडली में शनि 10वें और 11वें भाव का स्वामी है.  यह बारहवें भाव (यात्रा और व्यय का भाव) से गोचर करेगा. यह आपके लिए साढ़ेसाती का पहला चरण है. आपसे सामान्य से थोड़ा अधिक प्रभावी ढंग से काम करने की उम्मीद की जाएगी. कई बार कार्यस्थल पर चुनौतीपूर्ण परिस्थितियाँ आ सकती हैं. गोचर का आप पर क्या अतिरिक्त प्रभाव पड़ेगा इसके लिए जन्म कुंडली से जानें शनि गोचर प्रभाव. शनि के मीन राशि प्रवेश का मेष पर असर 2025

वृष राशि

9वें और 10वें भाव का स्वामी यह ग्यारहवें भाव से गोचर करेगा जो लाभ का भाव है. यह आपके पेशेवर जीवन के लिए एक अच्छा चरण प्रतीत होता है. आप अधिक मेहनती होंगे और अपने अधीनस्थों के साथ भी अच्छे संबंध रखेंगे. क्या वित्तीय मोर्चे के संबंध में गोचर अनुकूल है जिसका उत्तर आपको अपनी जन्म कुंडली से ज्ञात होगा.

मिथुन राशि 

मिथुन राशि वालों के लिए, शनि 8वें और 9वें भाव का स्वामी है. यह इस समय 10वें भाव में गोचर कर रहा है. यह आपके लिए एक महत्वपूर्ण गोचर है क्योंकि यह भाव लक्ष्यों की पूर्ति पर केंद्रित है. आपको अपनी ऊर्जा के स्तर को और अधिक उत्साही स्तर पर ले जाने की आवश्यकता होगी. हालाँकि, आपको वित्तीय निर्णयों के बारे में सावधान रहने की आवश्यकता है.  

कर्क राशि 

शनि आपके लिए 7वें और 8वें भाव का स्वामी है.शनि इन राशि वालों की जन्म कुंडली में 9वें भाव से गोचर करेगा. इस भाव में गोचर के कारण, आप धार्मिक और आध्यात्मिक यात्राओं के प्रति अधिक इच्छुक होंगे. गोचर आपको आसपास के लोगों के साथ तालमेल बनाए रखने में मदद करेगा. आपको काम पर पदोन्नति मिलने वाली है. 

सिंह राशि

सिंह राशि वालों के लिए, शनि आपकी जन्म कुंडली में 6वें और 7वें भाव पर शासन करता है. शनि आपकी कुंडली में 8वें भाव में गोचर कर रहा है, इसलिए आप ढैया (छोटी पनोती) के प्रभाव में रहेंगे. अपने करियर की योजना अधिक झुकाव के साथ बनाना शुरू करें, क्योंकि ग्रह आपके दृढ़ संकल्प की परीक्षा लेगा. गोचर चरण के दौरान परिस्थितियों का सामना करने के लिए पर्याप्त साहसी और आत्मविश्वासी बनें. 

कन्या राशि

शनि कन्या राशि वालों के लिए 5वें और 6वें भाव का स्वामी ग्रह है. यह आपकी जन्म कुंडली में 7वें भाव (साझेदारी का भाव) में प्रवेश करेगा. आपको अपने वैवाहिक जीवन में धैर्य रखने की आवश्यकता होगी, क्योंकि गोचर उसमें असंतुलन पैदा कर सकता है. अपने करियर जीवन में नए कौशल विकसित करना आपके लिए फायदेमंद रहेगा. करियर में अपने पिछले कार्यों पर फिर से विचार करने और अपनी गलतियों से सीखने का यह एक अच्छा समय होगा. इस समय नौकरी में स्थानांतरण या कार्यालय में पदोन्नति मिलने की संभावना होगी.  

तुला राशि

शनि तुला राशि वालों के लिए चौथे और पांचवें भाव का स्वामी है.  यह विरोधियों के छठे भाव से होकर गुजरेगा. इस कारण आपको चतुराई से काम लेना होगा.अपने वरिष्ठों से शांति से बात करें. आपको अपने वित्त की योजना बनाने का सुझाव दिया जाता है क्योंकि कुछ अप्रत्याशित खर्चे होने की संभावना है. जैसे-जैसे गोचर आगे बढ़ेगा, शनि आपके लिए कुछ आश्चर्य लेकर आएगा.  

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि वालों के लिए शनि तीसरे और चौथे भाव का स्वामी है. शनि इस बार यह 5वें भाव में गोचर कर रहा है. 23 जनवरी 2020 तक आप ढैय्या (शनि की छोटी पनोती) के प्रभाव में रहेंगे. इसके कारण पिछले वर्षों में घरेलू या सामाजिक जीवन से जुड़े कुछ मुद्दे सामने आए होंगे. अब, आने वाले गोचर में आपका ढैय्या चरण समाप्त हो जाएगा. आगामी गोचर चरण में आपका समग्र जीवन पथ बदलने वाला है.

धनु राशि

धनु राशि वालों के लिए शनि दूसरे और तीसरे भाव का स्वामी है. शनि आपकी कुंडली में चौथे भाव में गोचर कर रहा है, इसलिए आप ढैया (छोटी पनोती) के प्रभाव में रहेंगे. सीमाओं का ग्रह होने के कारण, यह आपको सीमित महसूस कराएगा. लेकिन आपको अपना दृढ़ संकल्प और आशावाद सर्वोच्च स्तर पर रखना चाहिए. क्या यह चरण आपको अपने करियर में उच्च ऊंचाई प्राप्त करने में मदद करेगा 

मकर राशि

मकर राशि के पहले और दूसरे भाव का स्वामी शनि इस समय तीसरे भाव में गोचर करेगा. इसलिए आपको वित्तीय बाधाओं का अनुभव हुआ होगा. इस चरण के बाद, शनि आपकी जन्म कुंडली में तीसरे भाव से गोचर करेगा. यह आपके करियर के लिए लाभदायक समय प्रतीत होता है.  पदोन्नति मिलने के योग बनने वाले हैं. 

कुंभ राशि

शनि कुंभ राशि वालों के लिए पहले और बारहवें भाव का स्वामी ग्रह है. आप साढ़ेसाती के प्रभाव में रहेंगे. इस वजह से आपको करियर या विवाह संबंधी मामलों में मंदी का सामना करना पड़ सकता है. इसके बाद, आपकी कुंडली में शनि के दूसरे भाव में गोचर के साथ साढ़ेसाती का तीसरा चरण शुरू होगा. क्या आने वाले चरण में आपके लिए कुछ उज्ज्वल अवसर हैं 

मीन राशि

मीन राशि के लिए शनि ग्यारहवें और बारहवें भाव का स्वामी है. आपकी जन्म कुंडली में पहले भाव स्वयं के भाव में प्रवेश कर रहा है. यह लगभग 30 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद मकर राशि में वापस आ रहा है. इस गोचर में आप साढ़ेसाती के दूसरे चरण में प्रवेश करेंगे. चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से निपटने के दौरान खुद पर विश्वास और मजबूत आत्मविश्वास सामने आएगा. आने वाले गोचर चरण में आपके लिए बदलाव होगा.

अपनी कुंडली से जानें कैसा रहेगा शनि का मीन राशि गोचर आपके लिए क्या शनि साढ़ेसाती या शनि ढैय्या करेगी आपको प्रभावित Saturn Sadesati Analysis

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शुक्र का सिंह राशि में प्रवेश बढ़ सकती हैं मुश्किलें

शुक्र का गोचर सिंह राशि में होने पर इसका परिणाम कई मायनों में खास होता है. सूर्य के स्वामित्व की सिंह राशि के लिए, शुक्र का गोचर जीवन में बहुत सारे बदलाव लाने वाला होता है. इसके कारण कुछ परेशानियां भी देखने को मिलती हैं जो विशेष कर भावनात्मक रुप से परेशान करती हैं. इस समय करियर की दिशा बदलने, नई वस्तुओं को पाने से लेकर स्वास्थ्य एवं रिश्तों पर इसका खास असर पड़ता है.

शुक्र का सिंह राशि प्रवेश समय
शुक्र का गोचर सिंह राशि में 15 सितंबर 2025 के दिन होगा. 12:33 एएम पर शुक्र सिंह राशि में प्रवेश करेगा. इस कारण सभी 12 राशियां प्रभावित होंगी. भौतिक सुखों का कारक एक अग्नि तत्व युक्त राशि में जब भी जाता है तो उसके कोमल गुण कठोर होने लगते हैं. शुक्र की स्थिति आपके व्यवहार में भी आवश्यक बदलाव लाएगी जो समाज में आपकी पहुँच, नाम और प्रसिद्धि को और मजबूत करेगी.आइये जान लेते हैं शुक्र के गोचर का सिंह राशि प्रभाव.

मेष राशि
शुक्र गोचर के दौरान आपके लिए अनुकूल परिणाम आने का संकेत देता है. यह समय व्यक्तिगत और करियर दोनों ही स्थानों पर अच्छी खबर लेकर आएगा. आप आखिरकार लंबे समय से प्रतीक्षित पदोन्नति की उम्मीद कर सकते हैं और आपके वेतन में भी वृद्धि होने वाली है. इसके अलावा, रिश्ते के मोर्चे पर चीजें सुचारू और शांत रहने के लिए बाध्य हैं और आप अपने साथी के साथ कुछ शांत, रोमांटिक समय भी बिता सकते हैं. यह गोचर आपके लिए अपने दूर के रिश्तेदारों के साथ किसी भी लंबे समय से चले आ रहे झगड़े को दूर करने के लिए भी अनुकूल होगा.

वृष राशि
यह गोचर आपके लिए कुछ घरेलु स्तर पर बदलाव देगा. कुछ मामलों में लाभकारी होगा. यह आपके जीवन साथी के साथ झगड़े और बहस को सुलझाने और झगड़ों को खत्म करने का भी एक अच्छा समय है. इस गोचर के दौरान आप जो बोल रहे हैं, उसके बारे में बहुत सावधान रहने की आवश्यकता है क्योंकि आपके शब्द आपके आस-पास के करीबी रिश्तों में दरार पैदा कर सकते हैं. आपकी रचनात्मकता भी सर्वकालिक उच्च स्तर पर रह सकती है और आप गायन, नृत्य और लेखन जैसे अपने भूले हुए शौक भी पूरा कर सकते हैं.

मिथुन राशि
शुक्र का गोचर मिथुन राशि वालों को परिश्रम का अच्छा परिणाम देगा. मेहनत अधिक रहेगी लेकिन लाभ भी मिलेंगे. यह गोचर अच्छी खबर लेकर आएगा जो विशेष रूप से स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे उन्हें राहत दे सकता है. परिवार के भीतर कोई भी व्यक्तिगत झगड़ा भी अपने आप सुलझ सकता है. ध्यान रखें कि आप अपने संदेह और डर को अपने ऊपर हावी न होने दें और पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाएँ.भाई बंधुओं के साथ व्यर्थ में न उलझें रिश्तों को बना कर रखें.

कर्क राशि
यह गोचर आपके लिए अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ अधिक समय बिताने के लिए पर्याप्त अवसर लाएगा – कुछ ऐसा जो आपको पिछले दिनों परेशान कर रहा था. आपके साथी के साथ कोई भी झगड़ा या बहस भी दूर हो सकती है क्योंकि शुक्र आपके रोमांटिक जीवन में अपना जादू बिखेरेगा. काम के मोर्चे पर भी चीजें सुचारू रहेंगी क्योंकि लंबे समय से प्रतीक्षित पदोन्नति हो सकती है. इस समय अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है. बाहर का खाना या बहुत मसालेदार कुछ भी खाने से बचें, क्योंकि इससे आपका पेट खराब हो सकता है.

सिंह राशि
शुक्र का सिंह राशि में गोचर प्रेम संबंधों में अहंकार के टकराव के कारण वैवाहिक जीवन में समस्याएँ पैदा कर सकता है. विलासिता के क्षेत्र में हैं तो खर्चे अधिक होंगे. व्यक्तिगत और व्यावसायिक संबंधों में टकराव लाएगा, लेकिन अहंकारी व्यवहार पर सतर्कता आवश्यक है. शुक्र का गोचर प्रेम और रोमांस, बच्चों और अटकलों के 5वें घर में होगा. यह गोचर रिश्तों में व्यक्तित्व का मिश्रण लाएगा जो प्रेम संबंधों में रोमांस के उत्साह को दर्शाता है. इस समय स्वभाव में नियंत्रण रखना होगा भावनाएं हावि न हो पाएं.

कन्या राशि
व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों तरह से प्रयास तेज करने होंगे. आप व्यावसायिक दूरदर्शिता का प्रदर्शन करेंगे लेकिन यह आपके दृष्टिकोण में बदलाव लाएगा, जो आपके व्यक्तिगत और व्यावसायिक संबंधों को प्रभावित करेगा, क्योंकि आप रिश्तों के महत्व को समझते हैं. ये गोचर भाई-बहन, पहल, छोटी यात्रा और संचार को प्रभावित करने वाला है. इस समय नीरस दिनचर्या को बुद्धिमानी भरे प्रयासों से रोमांचक बनाया जा सकता है.आपके वैवाहिक अथवा प्रेम संबंध आपके रिश्ते में नीरस दिनचर्या के कारण अपनी चमक खो सकते हैं. इसलिए आपको एक-दूसरे के साथ नए माहौल में कुछ समय बिताकर कुछ उत्साह जोड़ने की कोशिश करनी चाहिए.

तुला राशि
प्रेम संबंध आपके साथी के साथ मजबूत और सामंजस्यपूर्ण होंगे. यदि आप अविवाहित हैं, तो नए रिश्ते की तलाश में आपको अपना प्रेम साथी मिल सकता है, लेकिन आपको मौजूदा प्रेम संबंधों में टकराव का सामना करना पड़ सकता है. आपका वैवाहिक संबंध समृद्ध होगा जहाँ आपका जीवनसाथी बिना शर्त प्यार और जुनून के साथ आपका समर्थन करेगा, जिससे एक-दूसरे के साथ बंधन मजबूत होगा. करियर में कदम प्रगतिशील होंगे, खासकर यदि आप रचनात्मक क्षेत्रों से जुड़े हैं तो अपनी कड़ी मेहनत के लिए अच्छी प्रतिष्ठा मिलेगी. आपकी सैलरी में बढ़ोतरी हो सकती है और व्यवसाय में लाभ हो सकता है.

वृश्चिक राशि
आपका व्यक्तिगत जीवन प्रेम और स्नेह से भरा रहेगा. आपके पेशेवर उद्यम उचित रहेंगे, लेकिन आपको वित्तीय मामलों में सावधानी बरतनी होगी क्योंकि आपको अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऋण की आवश्यकता पड़ सकती है. कुछ मामलों में यह समय अहंकारी व्यक्तित्व को प्रकट करेगा, जो आपको आपके व्यक्तिगत संबंधों में परेशानी और काम पर गलत असर डाल सकता है. परिवार के लिए भौतिक सुख-सुविधाएँ खरीदेंगे; लेकिन इस अवधि के दौरान माँ के स्वास्थ्य का ध्यान रखें और अपने साथी के साथ किसी भी मुद्दे को सुलझाने का प्रयास करें.

धनु राशि
आपमें अच्छी वित्तीय स्थिरता और रिश्तों में मजबूत बंधन बनाए रखने की क्षमता होगी लेकिन इस समय कोई भी बड़ा व्यक्तिगत और करियर में निर्णय लेने से बचना होगा क्योंकि यह आपकी प्रगति के लिए फलदायी नहीं होगा. इस समय पर कुछ मामलों जैसे साथी और परिवार के साथ एक मजबूत बंधन साझा करेंगे.व्यावसायिक जीवन में अच्छी सतर्कता की आवश्यकता होगी इसलिए, जल्दी पैसा कमाने की योजनाओं के लिए अपने उपक्रमों में किसी भी वित्तीय निवेश से बचें.

मकर राशि
शुक्र का गोचर होने से अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा क्योंकि आपके करियर और रिश्तों में अचानक बाधाएँ आ सकती हैं जिससे आप चिंतित हो सकते हैं. जब शुक्र सिंह राशि में वक्री होगा, तो यह आपको काम और निजी जीवन दोनों में मुखर बनाएगा. ये समय अचानक आने वाली बाधाओं को इंगित करता है और प्रयासों के साथ कड़ी मेहनत से मध्यम करियर परिणाम मिलेंगे. आपके व्यक्तिगत संबंध प्रभावित होंगे. व्यवसाय में, आपके मुनाफे में उतार-चढ़ाव होगा जो आपकी उम्मीदों के अनुसार नहीं होगा, लेकिन कड़ी मेहनत आपके भविष्य में अच्छा भुगतान करेगी.

कुंभ राशि
इस समय शुक्र का गोचर जीवन साथी के साथ रिश्तों को प्रभावित कर सकता है. पार्टनर के साथ आपके व्यक्तिगत संबंधों में अचानक कमी आएगी, लेकिन आपका प्रयास आपके जीवनसाथी के लिए लाभ लाएगा. विपरीत लिंग के किसी व्यक्ति से विचलित न हों और अपने साथी/जीवनसाथी पर ध्यान दें. कुंभ राशि यह गोचर आपके प्रेम संबंधों में समृद्धि और पेशेवर मोर्चे पर सौहार्दपूर्ण साझेदारी लाएगा. व्यवसायिक उद्यमियों के रूप में अनुकूल सौदे होंगे, लेकिन यदि आप कर्मचारी हैं तो आपको कड़ी मेहनत करनी होगी.

मीन राशि
इस गोचर के दौरान आपके व्यक्तिगत और अन्य संबंधों में संघर्ष और आपकी व्यावसायिक संभावनाओं में बाधा लाएगा. खर्चों में भी उतार-चढ़ाव आएंगे और आप उन्हें संतुलित करने का प्रयास करना होगा जिससे अचानक खर्च से आप को परेशानी न हो. सेहत के लिए अधिक ध्यान रखना है. न लोगों से सावधान रहना आवश्यक है जो सभी के साथ आपके संबंधों को खराब करना चाहते हैं.

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मंगल का वृषभ राशि प्रवेश: मंगल वृष राशि परिवर्तन का राशियों पर असर

मंगल का शुक्र के स्वामित्व की राशि वृष में होगा राशि परिवर्तन, मंगल के वृषभ राशि प्रवेश से बदल सकता है कई राशियों का स्वभाव. वृषभ राशि में मंगल का होना देता है कुछ खास दृष्टि 

प्रभाव कुछ राशियों पर. मंगल वृष में बैठ कर चौथी दृष्टि से सिंह को देखेगा, सातवीं दृष्टि से वृश्चिक राशि को देखता है और आठवी दृष्टि से धनु राशि पर असर होगा. 

मंगल का वृषभ राशि प्रवेश समय 

12 जुलाई 2024 को मंगल का वृषभ राशि में प्रवेश होगा. 12 जुलाई 2024 को शुक्रवार के दिन शाम 18:58 पर मंगल का गोचर वृषभ राशि में होना आरंभ होगा. मंगल का मेष से निकल कर वृषभ में जाना मंगल के गुणों पर असर डालने वाली घटना होती है. 

ज्योतिष में मंगल का असर

ज्योतिष अनुसार मंगल शक्ति, साहस, धीरज, समर्पण, इच्छाशक्ति, कुछ भी करने की प्रेरणा और किसी भी कार्य को पूरा करने की ऊर्जा है। मंगल के प्रभाव में आने वाले लोग साहसी होते हैं। वृषभ राशि पृथ्वी तत्व वाली एक स्थिर राशि है, जिसके कारण मंगल का प्रभाव व्यक्ति को समझदार और आगे बढ़ने में माहिर बनाता है। वृषभ राशि में मंगल का गोचर जीवन को बेहतर बनाने के लिए ऊर्जा का उपयोग करेगा। विलासिता और भौतिक लाभ प्राप्त करने में अच्छे परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। संपत्ति से लाभ उठाने के लिए यह बहुत अच्छा समय हो सकता है।

मंगल का वृषभ राशि परिवर्तन: मंगल-शुक्र का प्रभाव 12 राशियों पर 

मंगल का वृषभ राशि में होना मंगल के प्रभाव में परिवर्तन को दर्शाता है। इस समय सभी प्रकार के प्राकृतिक भौगोलिक परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। इस समय मंगल अपनी स्वराशि से निकल कर वृष में होने पर बदलाव के संकेत देगा.

मंगल के वृषभ में गोचर का मेष राशि प्रभाव 

मेष राशि के लिए मंगल लग्न और अष्टम भाव का स्वामी है। मंगल दूसरे भाव में गोचर कर रहा है। दूसरा भाव परिवार, बचत और वाणी का प्रतिनिधित्व करता है। अतः मंगल का गोचर संचार को प्रभावी बनाएगा। कुछ लोग कटुभाषी भी हो सकते हैं। परिवार के साथ भी कुछ वाद-विवाद हो सकता है। आर्थिक मामलों में भी अचानक उतार-चढ़ाव आ सकता है, इसलिए इस बारे में सावधान रहें। विद्यार्थियों के लिए अपनी तैयारी शुरू करने का यह अच्छा समय है। विवाहित लोगों को ससुराल पक्ष से सहयोग मिल सकता है। आप तीर्थ यात्रा की योजना भी बना सकते हैं। आपको संपत्ति से कुछ लाभ मिल सकता है। 

मंगल के वृषभ में गोचर का वृष राशि प्रभाव 

वृषभ राशि के लिए मंगल बारहवें और सातवें भाव का स्वामी है। इस समय यह लग्न में गोचर कर रहा है। आप खुद पर अधिक ध्यान दे सकते हैं। क्रोध और जिद्दीपन बना रहेगा। आप नेतृत्व में आगे रह सकते हैं। आपको विदेश यात्रा और धन लाभ के नए अवसर मिल सकते हैं। आपको माता का सहयोग भी मिल सकता है। आप नई चीजें खरीद सकते हैं, वाहन आदि ले सकते हैं। संपत्ति की बिक्री और खरीद से संबंधित कुछ काम हो सकते हैं। दांपत्य जीवन में आप अपने साथी के साथ अधिक समय बिता सकते हैं। प्रेम संबंधों में रिश्ते मजबूत बनेंगे। आपको अपने साथी का सहयोग मिलेगा। यात्रा करते समय आपको सतर्क रहने की आवश्यकता होगी। मिथुन राशि

मंगल के वृष में गोचर का मिथुन राशि प्रभाव 

मिथुन राशि के लिए मंगल छठे भाव और ग्यारहवें भाव का स्वामी है। इस समय मंगल बारहवें भाव में गोचर करेगा। इस कारण काम को सावधानी से करने की आवश्यकता होगी। यह समय खर्च और हानि का भी रहेगा, इसलिए आपको अपने काम में सजग रहना होगा। लापरवाही परेशानी का कारण बन सकती है। किसी भी डील के दौरान आपको सावधान रहने की आवश्यकता है। पार्टनर के साथ आपके रिश्ते में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं, इसलिए अपने दांपत्य जीवन पर विशेष ध्यान दें। स्वास्थ्य को लेकर भी थोड़ी चिंता हो सकती है। लापरवाही से बचें और अपना खान-पान बेहतर रखें। नशीले पदार्थों या अन्य प्रकार के गलत पदार्थों के सेवन से बचें। वाहन चलाते समय गति के प्रति लापरवाही न बरतें। विदेशी कंपनियों में काम करने वाले लोगों को लाभ मिल सकता है। लंबी दूरी की यात्राएं भी अब अधिक हो सकती हैं।

मंगल के वृष में गोचर का कर्क राशि प्रभाव 

कर्क राशि के लिए मंगल योगकारक ग्रह है और लाभ भाव में गोचर करने के कारण यह अनुकूल परिणाम देने में सहायक होगा। मंगल केंद्र और त्रिकोण भाव का स्वामी बनकर अच्छा लाभ देगा। इस समय आर्थिक स्थिति में कई स्रोत सहायक होंगे। इच्छाओं का विस्तार होगा और उन्हें पूरा करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। बड़े भाई-बंधुओं का सहयोग मिलेगा। इस समय सामाजिक क्षेत्र में प्रशंसा और सम्मान मिलने की भी संभावना रहेगी। इच्छाओं की पूर्ति और लाभ के लिए समय अनुकूल रहेगा। कार्यस्थल पर किए गए सभी प्रयासों के सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। प्रॉपर्टी या सुरक्षा क्षेत्र में अच्छा लाभ और पदोन्नति पाने का समय रहेगा। 

मंगल के वृषभ में गोचर का सिंह राशि प्रभाव 

सिंह राशि के लिए मंगल नवम और चतुर्थ भाव का स्वामी है। इस समय मंगल का कर्म भाव दशम भाव में गोचर होने से आपको अपने काम से उन्नति के अवसर मिल सकते हैं। अधिकारियों से संबंध लाभ दिलाने में सहायक होंगे। कार्यस्थल पर सहकर्मियों से मिलकर आप नई योजनाओं पर काम शुरू कर सकते हैं। आधिकारिक तौर पर कुछ सम्मान पाने का भी समय रहेगा। शारीरिक स्वास्थ्य और व्यक्तित्व में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे। यह नई जगहों और नए लोगों से मेलजोल बढ़ाने का समय रहेगा। आप किसी शारीरिक गतिविधि में शामिल हो सकते हैं। छात्रों की पढ़ाई में अचानक कुछ रुकावट आ सकती है, इसलिए कृपया अतिरिक्त सावधानी बरतें। कुल मिलाकर यह समय सिंह राशि वालों के लिए अनुकूल रहेगा।

मंगल के वृषभ में गोचर का कन्या राशि प्रभाव 

कन्या राशि वालों के लिए मंगल नवम भाव में गोचर करेगा। मंगल पिता, गुरु, भाग्य के स्थान में परिवर्तन दिखाएगा। आपको अपने बड़ों से मार्गदर्शन मिल सकता है। पिता और गुरु के कारण आपको अचानक लाभ मिल सकता है। आपको तीर्थ यात्रा का अवसर भी मिल सकता है। घरेलू क्षेत्र में नियम-कायदों के कारण स्थिति थोड़ी कठिन हो सकती है। इस समय खर्चे तो रहेंगे लेकिन उन्हें पूरा करने की क्षमता भी आपमें आ सकती है। आपको विदेशी संपर्क का अवसर मिल सकता है। भाई-बहनों के साथ आप अच्छा समय बिता पाएंगे लेकिन साथ ही उन्हें लेकर चिंता भी हो सकती है। आपको अपने क्रोध और आवेश को नियंत्रण में रखने की आवश्यकता होगी।

मंगल के वृषभ में गोचर का तुला राशि प्रभाव 

तुला राशि के लिए मंगल दूसरे और सातवें भाव का स्वामी है। आठवें भाव में मंगल के गोचर से परेशानी और चिंता हो सकती है। अचानक होने वाली घटनाएं भी परेशानी का कारण बन सकती हैं। इस दौरान अपने किसी बड़े काम पर अधिक ध्यान देना जरूरी होगा। स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही परेशानी खड़ी कर सकती है। कुछ चुनौतीपूर्ण समय रहेगा लेकिन अभी किया गया संघर्ष भविष्य के लिए फायदेमंद रहेगा। बेहतर उम्मीद देने में भी मदद करेगा। अचानक होने वाली चीजों से मानसिक बेचैनी भी पैदा हो सकती है। आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव हो सकता है। धैर्य और विनम्रता इस समय सबसे उपयोगी चीजों में से एक होगी। भाषा शैली में कटुता से बचना होगा।

मंगल के वृषभ में गोचर का वृश्चिक राशि प्रभाव 

 वृश्चिक राशि के लिए मंगल का गोचर सातवें भाव में होगा। इसका असर जीवनसाथी, वैवाहिक संबंधों, व्यापारिक साझेदारी पर पड़ेगा। मंगल की स्थिति रिश्तों में कुछ तनाव ला सकती है, लेकिन अगर आप बेवजह के अहंकार के टकराव और बहस से बच पाते हैं तो कई मामलों में सफलता भी चख सकते हैं। अपने साथी को लेकर ज्यादा चिंता न करें, रिश्ते में स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति बेहतर रहेगी। आर्थिक मामलों में भी कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं। कार्यक्षेत्र में उन्नति के अवसर मिल सकते हैं। अपने काम के लिए यात्रा करने का भी समय है।

मंगल के वृषभ में गोचर का धनु राशि प्रभाव  

धनु राशि वालों के लिए मंगल का गोचर छठे भाव में होगा। इस गोचर के फलस्वरूप आपको मिले-जुले परिणाम मिलेंगे। छठा भाव कुंडली का शत्रु भाव है और स्वास्थ्य, प्रतिस्पर्धा, मातृ पक्ष का भी प्रतिनिधित्व करता है। इस दौरान आप अपने विरोधियों को परास्त करने में कुशल होंगे। समस्याएं अधिक होंगी लेकिन समाधान आसानी से मिल जाएंगे। गोचर के कारण स्वास्थ्य की दृष्टि से यह समय मिले-जुले परिणाम दे सकता है। इस समय रोग प्रतिरोधक क्षमता और शारीरिक शक्ति अच्छी रहेगी लेकिन वाहन आदि का प्रयोग सावधानी से करें, साहसिक गतिविधियों से स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। शत्रुओं का नाश होगा, वे आपको किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को सफलता मिलेगी, आप अपनी परीक्षा अच्छे से पास करेंगे। आपको लंबी दूरी की यात्रा करने का अवसर भी मिल सकता है। कुछ खर्चे अधिक हो सकते हैं लेकिन कुल मिलाकर स्थिति नियंत्रण में रहेगी।

मंगल के वृषभ में गोचर का मकर राशि प्रभाव 

मकर राशि वालों के लिए मंगल का गोचर पांचवें भाव में होगा। शिक्षा, प्रेम, संतान, इन सभी चीजों पर असर पड़ेगा। रिश्तों में कोमलता बनाए रखने की जरूरत होगी। परिवार में कुछ निर्माण कार्य भी करवा सकते हैं। आर्थिक रूप से आय बढ़ाने के अवसर भी मिल सकते हैं। विद्यार्थियों के लिए अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यह बहुत अच्छा समय है। आप ऊर्जा से भरपूर रहेंगे। उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे और खेलकूद से जुड़े विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने का मौका मिल सकता है। कार्यस्थल पर अच्छे अवसर मिल सकते हैं। कार्यभार और जिम्मेदारी में वृद्धि का भी समय है। आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल रहेंगे।

मंगल के वृषभ में गोचर का कुंभ राशि प्रभाव 

कुंभ राशि वालों के लिए मंगल चौथे भाव में गोचर करेगा। यह समय अनुकूल हो सकता है। वाहन, संपत्ति आदि प्राप्त करने का भी समय है। मंगल के वृषभ राशि में गोचर करने पर पदोन्नति की संभावना अधिक रहेगी। इस समय संतान पर ध्यान देने की जरूरत है। घरेलू क्षेत्र में कुछ चीजें तनाव का कारण बन सकती हैं, इसलिए शांति और धैर्य के साथ उनका सामना करना उचित है। स्थिति में जल्द ही सुधार होगा। आप अपने प्रियजनों के साथ समय बिता पाएंगे। आपको मां का प्यार मिलेगा, लेकिन उनके स्वभाव या स्वास्थ्य में थोड़ा बदलाव भी देखा जा सकता है। इस समय घर का निर्माण कार्य भी हो सकता है। परिवार में मेहमानों का आना-जाना लगा रह सकता है।

मंगल के वृषभ में गोचर का मीन राशि प्रभाव 

मीन राशि वालों के लिए मंगल पराक्रम भाव में गोचर करेगा। इसके फलस्वरूप आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे और कई प्रकार की सफलता प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होगा। कुंडली का तीसरा भाव आपके भाई-बहन, शौक, यात्रा, संचार कौशल को दर्शाता है। इसलिए इस दौरान मंगल का प्रभाव इन चीजों पर दिखाई देगा। आप अपने शौक पूरे करने के लिए भी समय निकाल पाएंगे। आप वाणी में तेज होंगे और एक अच्छे वक्ता साबित हो सकते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से इस अवधि में आपकी सहनशक्ति और ऊर्जा शक्ति अच्छी रहेगी। भाई-बहनों के साथ कुछ कहासुनी हो सकती है लेकिन जल्द ही सुलह हो जाएगी और चीजें बेहतर होंगी।

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कुंडली में चंद्रमा कब अस्त होता है और उसका प्रभाव

वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है और इससे प्रभावित व्यक्ति हमेशा भावनात्मक रूप से अस्थिर रहता है. उत्तर कालामृत में चंद्रमा को मन का कारक भी कहा गया है. चंद्रमा को भगवान शिव के माथे पर विराजमान भी देखा जाता है और देवी के माथे की शोभा भी बढ़ाता है. जन्म कुंडली में दशा की गणना करने की विधि चंद्रमा की स्थिति पर आधारित होती है, जैसे विंशोत्तरी दशा की गणना के लिए चंद्रमा की गति को देखा जाता है.

सभी ग्रहों का प्रत्येक मनुष्य के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, लेकिन चंद्रमा का व्यक्ति के रोजमर्रा के जीवन पर अधिक प्रभाव पड़ता है. ज्योतिषियों के अनुसार चंद्रमा एक राशि में सवा दो दिन तक रहता है जिसके कारण इसे सबसे तेज गति से चलने वाला ग्रह भी माना जाता है. चंद्रमा मन का कारक है इसलिए यह व्यक्ति के मन में अस्थिरता पैदा करता है.

चंद्रमा और मन पर इसका असर

किसी व्यक्ति का मूड जन्म कुंडली के विभिन्न राशियों और घरों में चंद्रमा की गति पर निर्भर करता है. जब संक्रमण चरण के दौरान चंद्रमा छठे, आठवें या बारहवें घर में होता है तो जातक भावनात्मक रूप से टूट जाता है, परेशान रहता है और अत्यधिक भावुक हो जाता है. चंद्रमा कर्क राशि में और वृषभ राशि में सबसे मजबूत होता है. वहीं, वृश्चिक राशि में यह नीच अवस्था में होता है. जब चंद्रमा मित्र ग्रहों या बृहस्पति के साथ युति करता है तो जातक की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और वह उच्च पद प्राप्त करता है. जब जन्म कुंडली में चंद्रमा अच्छी स्थिति में होता है तो जातक का दिमाग और सोचने की प्रक्रिया स्थिर होती है. ऐसा व्यक्ति धैर्यवान और दृढ़ता गुणों से भरपूर होता है. उच्च स्थिति में चंद्रमा समाज में सम्मान और उच्च स्थान दिलाता है. जातक चंचल स्वभाव का तथा विलासिता प्रेमी होता है.

कुंडली में नीच स्थिति में चंद्रमा बीमारी और मन की अस्थिरता का कारण बनता है. कोई भी निर्णय लेते समय जातक भ्रमित रहता है. स्वराशि में चंद्रमा होने पर जातक तेजस्वी, बुद्धिमान और अचानक धन प्राप्त करने वाला होता है. ऐसा व्यक्ति सही निर्णय लेने में सक्षम होता है.शुभ और बलवान चंद्रमा जातक को भाग्यशाली, सुंदर और समृद्ध बनाता है. एक मजबूत चंद्रमा का वर्णन इस प्रकार किया गया है, ” प्रधान बल संयुक्त संपूर्णशाशा लांछना ||”. एकोपि कुरुते जातं नराधिप मरिन्दमान् | आरोग्यं प्रद्दतु नो दिनकर शयचन्द्रो || इस प्रकार इसे ऐसे भी लगाया जा सकता है कि मजबूत चंद्रमा भाग्य को मजबूत बनाता है.

चंद्रमा का न केवल वैदिक खगोलीय महत्व भी है. सौर मंडल में चंद्रमा का स्थान सभी ग्रहों से भिन्न है. वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है. ज्योतिषियों के अनुसार चंद्रमा के प्रभाव से जातक का मन विचलित और स्थिर होता है. कहते हैं कि अगर मन वश में हो तो हर काम आसानी से हो जाता है, लेकिन अगर मन अस्थिर हो तो काम करने में दिक्कतें आती हैं, साथ ही काम कुशलता से नहीं हो पाता, कुल मिलाकर नुकसान ही होता है. चंद्रमा का बहुत महत्व है प्रकृति पर भी यह अपना असर दिखाता है. समुद्र में ज्वार-भाटे से लेकर ग्रहण तक चंद्रमा हर तरह से योगदान देता है. सूर्य के बाद चंद्रमा आकाश में सबसे चमकीला ग्रह है. इसलिए आकाश में सूर्य और चंद्रमा का आकार हमेशा समान होता है.

कुंडली में चंद्रमा कब अस्त होता 

चन्द्रमा जब सूर्य से बारह अंश या इससे अधिक समीप आता है तो अस्त हो जाता है. चंद्रमा की स्थिति जब सूर्य के करीब होगी तो इसका असर अपने पूर्ण फलों को देने वाला है. वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा नौ ग्रहों के क्रम में सूर्य के बाद दूसरा ग्रह है. वैदिक ज्योतिष में यह मन, माता, मानसिक स्थिति, मनोबल, सुख, शांति, धन, आदि का कारक है अब जब यह ग्रह अस्त होता है तो उसका फल नहीं मिलता है. ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा राशियों में कर्क राशि का स्वामी है और राशियों में रोहिणी का स्वामी है. चंद्रमा की गति सभी ग्रहों में सबसे तेज़ है. चंद्रमा के गोचर की अवधि सबसे कम होती है. यह लगभग सवा दो दिन में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करता है. वैदिक ज्योतिष में कुंडली में मूल प्रभाव व्यक्ति की चंद्र राशि की गणना से देखा जाता है. अब जब चंद्रमा अअत होगा तो इन सभी चीजों का परिणाम व्यक्ति को पूरी तरह से नहीं मिल पाता है. 

अस्त चंद्रमा देता है मानसिक असंतोष 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि कुंडली के लग्न भाव में चंद्रमा अस्त होकर बैठा हो तो परेशानी एवं चिंता को दिखाता है. कुंडली में यह भाव होने से व्यक्ति साहसी और धैर्यवान होता है लेकिन अस्त होने पर यह अनुकूल परिणाम नहीं दे पाता है . चंद्र ग्रह के प्रभाव से व्यक्तिअपने जीवन में सिद्धांतों को अधिक महत्व देता है. व्यक्ति खानाबदोश जैसा होता है. इसके साथ ही लग्न भाव में बैठा अस्त चंद्रमा कल्पनाशील बनाता है. इसके साथ ही व्यक्ति संवेदनशील और भावुक होने के कारण असंतोष को दर्शाता है. 

ज्योतिषशास्त्र में यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा मजबूत है तो व्यक्ति को इसके सकारात्मक परिणाम मिलते हैं. लेकिन चंद्रमा अस्त होने पर तनाव देने वाला होता है. चंद्रमा के कमजोर  होने से मानसिक रूप से प्रसन्न करता है. मन की स्थिति मजबूत है, वह विचलित नहीं होता. व्यक्ति को अपने विचारों और निर्णयों पर संदेह नहीं होता. परिवार की बात करें तो उनके अपनी मां के साथ अच्छे संबंध नही रह पाते हैं और मां का स्वास्थ्य भी तनव देता है

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बुध के तुला राशि में प्रवेश के साथ बदलेगी इन राशियों की किस्मत

बुद्धि, बोलचाल, विवेक का स्वामी बुध ग्रह जब तुला राशि में होता है तो विचार तेजी से सामने आते चले जाते हैं. बुध तर्क और बौद्धिकता का प्रतीक है, तुला राशि वायु तत्व युक्त शुक्र के स्वामित्व की राशि है ऎसे में इन दोनों का संबंध कई मायनों में खास बन जाता है. इस समय पर विचारों के साथ साथ भावनाएं भी प्रकट होने में देर नहीं लगाती हैं. प्रेम, स्थिरता, संतुलन और सुरक्षा का प्रतिनिधित्व इस समय अधिक देखने को मिलता है. इन दोनों का एक साथ आना निश्चित रूप से आपके जीवन को किसी न किसी तरह से बदल देता है. 

मेष राशि 

मेष राशि के लोगों के लिए ये समय अपने काम के साथ साथ निजी जीवन को लेकर अधिक व्यस्तत होता है. काम का बोझ बढ़ सकता है, जिससे उन पर अधिक दबाव और अधिक तनाव भी आ सकता है. रिश्तों के मामले में आप अपने साथी के साथ संवाद करने में बेहतर हो सकते हैं. पिछले विवादों और असहमतियों का समाधान मिलने की संभावना भी अधिक दिखाई देती है.  अपने खान-पान पर उचित ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है. इस समय नए रिश्तों की शुरुआत भी होती है. मेल जोल और बातचीत के द्वारा सामाजिक रुप से गतिशीलता का प्रभाव देखने को मिलता है. 

वृष राशि 

वृषभ राशि वालों को नौकरी के नए अवसर मिल पाते हैं. आर्थिक रूप से, आप समृद्धि के लिए पूरी तरह तैयार दिखाई दे सकते हैं, लेकिनसाथ में ध्यान देना होगा कि अपने खर्चों पर नज़र रखें. प्यार और रिश्ते की दुनिया में अनुकूल समय का आनंद ले सकते हैं. शांति और सद्भाव बना रह सकता है. जब फिटनेस की बात आती है तो कुछ नया करने से बेहतर योग और अन्य बातों पर अधिक ध्यान देना चाहेंगे. अब इस समय मार्ग बदलने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. स्वास्थ्य के प्रति अधिक ध्यान देना होगा. लापरवाही से बचना होगा तथा आध्यात्मिक रुप से स्वयं को मजबूत करने का मौका मिलेगा. 

मिथुन राशि

अब इस समय पर नए दोस्त बन सकते हैं और लोगों की संगति को पसंद करने वाले होंगे. यह गोचर उत्साह को बढ़ाएगा. विचारों को व्यक्त करने का अवसर देगा. करियर का क्षेत्र समृद्ध हो सकता है. खुद को नई व्यावसायिक संभावनाओं की ओर बढ़ते हुए देख सकते हैं. इस गोचर के दौरान दोस्तों, परिवार और प्रियजनों के साथ अधिक समय बिताने का मौका मिल सकता है. तनाव और चिंता के प्रति अधिक संवेदनशील रहेंगे जिसके चलते परेशानी हो सकती है अत: इस ओर अधिक ध्यान देने की जरुरत होगी. 

कर्क राशि 

इस दौरान कर्क राशि वालों को अपने धन का प्रबंधन अधिक कुशलता से करना जरूरी होगा. किसी को पैसा न दें और न ही उधार दें. काम अनुकूल रुप से चलता रह सकता है. अपनी समस्याएं सुलझाने का मौका मिल सकता है. परिवार, की ओर से कुछ सहयोग मिल पाए. सामाजिक रुप से अधिक व्य्सत रह सकते हैं. आय का एक बड़ा स्रोत मिल सकता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से आपको कुछ उतार-चढ़ाव का अनुभव हो सकता है. इसलिए, अच्छे भोजन और फिटनेस पर निवेश करने की जरुरत होगी

सिंह राशि 

इस गोचर के दौरान आपके यात्रा योग बन सकते हैं. आर्थिक रूप से आपको मुनाफ़ा होने की संभावना है. कुछ निवेश करने का यह बहुत अच्छा समय हो सकता है. यदि आप कलात्मक क्षेत्र में उद्यम करना चाह रहे हैं, तो आगे बढ़ना अनुकूल रह सकता है. परिवार और दोस्त आपका समर्थन करने के लिए मौजूद न भी हों फिर भी किस्मत का साथ मिलेगा. नई नौकरी के अवसरों की भी प्रतीक्षा अब कुछ पूरी होती दिखाई देती है. स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए योग और नियमित व्यायाम जरूरी काम होंगे.

कन्या राशि 

कन्या राशि वालों के लिए यह गोचर काफी अनुकूल रह सकता है. परिवार और प्रियजनों के लिए अधिक समय होगा. अपने वित्त के प्रति अधिक सावधान और सतर्क रहने की आवश्यकता है. पेशेवर जीवन में आपको आकर्षक अवसर मिलेंगे. स्वास्थ्य की दृष्टि से, आपको अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है और ऐसे साहसिक कार्यों से बचने की ज़रूरत है जो छोटी चोटों और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं.

तुला राशि 

इस गोचर के दौरान तुला राशि वाले ऊर्जा से भरपूर रह सकते हैं. आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक दृढ़ और उत्साही महसूस कर सकते हैं. आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे, कुछ समय के लिए अहंकारी और अज्ञानी होकर फैसले ले सकते हैं इसलिए इस तरफ ध्यान देने की अधिक जरूरत होगी. व्यवसायिक जीवन में व्यवधानों के कारण थोड़ा कष्ट हो सकता है. आपको अपने साथी के साथ संचार सुधारने के लिए समय मिल पाएगा. 

वृश्चिक राशि 

 इस दौरन खुद की देखभाल अत्यंत महत्वपूर्ण है. आवश्यकताओं के प्रति अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है. कुछ कारणों से आर्थिक रूप से फ़ायदा होगा, लेकिन अनावश्यक ख़र्चे न करें, क्योंकि इसका उल्टा असर हो सकता है. व्यवसाय बढ़ेगा और आप जनसंपर्क सुधारने में और अधिक कौशल सीख सकते हैं. जीवनशैली में लापरवाही  आदतें न अपनाएं क्योंकि यह हानिकारक साबित हो सकती हैं.

धनु राशि

अनुकूल समय का अनुभव हो सकता है तथा नए व्यवसाय के अवसरों में उद्यम करने, कर्ज चुकाने या आपके द्वारा लिए गए किसी भी ऋण का भुगतान करने का यह सबसे अच्छा समय है. अपने रिश्ते पर ध्यान देने से सुधार होगा. अभी से भविष्य की योजना बनाना शुरू कर देना चाहिए. स्वास्थ्य की दृष्टि से यह आपके लिए अनुकूल समय है.

मकर राशि 

इस समय जो नए अवसर तलाश रहे हैं, अनुकूल मौके मिल सकते हैं. निवेश या व्यावसायिक साझेदारी शुरू करने का समय होगा. वित्तीय लाभ के योग बन रहे हैं. इसके बारे में होशियार और सतर्क बने रहने की जरूरत होगी. साथी के साथ अपने मुद्दों को सुलझाएं और दीर्घकालिक संबंध बनाएं.  सेहत को लेकर सजग रहना होगा.

कुंभ राशि

कुंभ राशि, इस गोचर के दौरान अपनी सभी पारिवारिक ज़िम्मेदारियों से कुछ राहत पा सकती है. इस समय काम और जीवन के बीच संतुलन बनाने की भी आवश्यकता होगी. काम के सिलसिले में यात्रा कर सकते हैं.  स्वास्थ्य पहले से बेहतर रह सकता है.

मीन राशि

मीन राशि वालों के लिए यह गोचर थोड़ा चुनौतीपूर्ण है, कुछ उतार-चढ़ाव के साथ आ सकता है. व्यक्तिगत जीवन हो या व्यावसायिक जीवन, कुछ चुनौतियों से पार पाना पड़ सकता है. घर में या कार्यक्षेत्र  में किसी भी तरह की ग़लतफ़हमी से बचें

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मंगल तुला राशि में जानें इसका आपके जीवन पर प्रभाव

मंगल जब तुला में होता है तो यह काफी जबरदस्त तरह से अपना असर दिखा सकता है. मंगल एक अग्नि तत्व युक्त ग्रह है ओर तुला राशि शुक्र के स्वामित्व की परिवर्तनशील वायु तत्व राशि है. ऎसे में तुला पर मंगल का गोचर बहुत अधिक अनुकूलता तो नहीं दिखाता है लेकिन यह नए अवसरों और अपनी इच्छाओं को पूरा करने का बेहतर समय जरूर देता है. ज्योतिष में शुक्र और मंगल का निष्पक्ष संबंध है. शुक्र स्त्रीत्व और जल है और मंगल पुरुषत्व और अग्नि है. इन दोनों की मिलने वाली संयुक्त ऊर्जा एक संतुलित व्यक्तित्व का निर्माण करती है. तुला राशि में मंगल का होना उत्साह और आनंद को देने में सहायक होता है. दान देने वाले और मिलनसार व्यक्तित्व की प्राप्ति होती है. आमतौर पर, व्यक्ति को सभी की ओर से सहयोग मिलता है. भीड़ में मुख्य स्थान रखने वाला होता है. लोगों का पसंदीदा होता है. व्यक्ति का स्वभाव मेल जोल वाला और दूसरों की मदद करने में आगे रहने वाला होता है. व्यक्ति के भीतर अपनी बात मनवाने की क्षमता और बेहतरीन संचार क्षमता होती है.  

तुला रशि में मंगल का गोचर प्रभाव 

जन्म कुंडली से अलग जब मंगल तुला राशि में होता है, तो व्यक्ति अत्यधिक सहनशील हो जाता है, संतुलित स्वभाव बनाए रखता है. उसके भाव जल्द बदल सकते हैं. कभी-कभी शत्रुतापूर्ण हो सकते हैं और कभी-कभी काफी शांत और शांतिप्रिय हो सकते हैं. तुला राशि में मंगल कला और सुंदरता की गहरी समझ भी देता है. व्यक्ति दूसरों को भी बढ़ावा देता है.  व्यक्ति शारीरिक आवेगों की तुलना में भावनात्मक संतुष्टि की ओर अधिक आकर्षित होते हैं. यौन इच्छा अधिक होती है, रोमांटिक होते हैं. इसके साथ ही ईश्वर एवं आध्यात्मिक विचारधारा वाले व्यक्ति भी होते हैं. वे सफल उद्यमी हैं जो विलासितापूर्ण जीवन जीने की इच्छा रखते हैं. वे बहुत ज्यादा खर्च करते हैं. वे पारस्परिक संबंधों में अत्यधिक सहयोगी होते हैं और दुश्मनों की तुलना में दोस्त बनाने के लिए अधिक उत्सुक होते हैं. अक्सर संघर्षों में मध्यस्थता करने में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं.

तुला राशि में मंगल का व्यक्तित्व पर असर 

यदि मंगल तुला राशि में है तो व्यक्ति को कल्पनाशील और कलात्मक बना सकता है. तुला राशि के लिए न्याय अत्यंत महत्वपूर्ण है. यदि आपकी जन्म कुंडली में मंगल मौजूद है तो आप जो सही है उसके लिए दृढ़ता से संघर्ष करेंगे. व्यक्ति एक संतुलित, निष्पक्ष जीवन जीना चाहते हैं. शांत और सद्भाव में काम करन अपसंद करता है. एक भरोसेमंद दोस्त और साथी बनता है. विकल्प चुनने से पहले आप अपनी सभी संभावनाओं पर ध्यानपूर्वक विचार करने में कुशल होता है, व्यक्ति तब तक कोई निर्णय नहीं लेते जब तक कि आप सावधानीपूर्वक अनुमान न लगा लें कि इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है. क्यौंकि व्यक्ति चीजों को संतुलित रुप से नैतिक रूप से करना चाहता है. 

आयोजनों और सामाजिक गतिविधियों में सीधे भाग नहीं लेते कुछ स्वयं में अधिक रमे रह सकते हैं. नखरेबाज भी हैं हो सकते हैं. किसी के जीवन में तुला का मंगल चीजौं को बेहतर तरह से एवं न्याय को कायम रखना पसंद करता है. केवल अपने लिए ही नहीं बल्कि अपने आस-पास के सभी लोगों के लिए भी लगातार नैतिक रूप से कार्य करने की आकांक्षा रखना पसंद करता है. न्याय और समानता के प्रति प्रतिबद्धता की प्रबल भावना होती है. मंगल का प्रभाव जन्म कुंडली में तुला में होने पर दुनिया में व्याप्त अन्याय के खिलाफ खड़े होने की शक्ति और साहस प्रदान करता है. व्यक्ति अपनी शक्ति फर सामर्थ्य के अनुसार से सब कुछ करने की कोशिश करता है.

चीजों का चुनाव करने से पहले सभी फायदे और नुकसान पर विचार कर लेना इनके लिए अधिक बेहतर होता है.  

कूटनीतिक व्यवहार आपको अपने कार्यक्षेत्र या नौकरी में सफल होने में मदद करता है. लोगों से कैसे बात करनी है और उन्हें अपना समर्थन देने के लिए कैसे राजी करना है. इन बातों का अनुभव अच्छा होता है. अपने दृष्टिकोण को इस तरह से व्यक्त करने में कुशल हैं जिससे किसी को ठेस न पहुंचे. इस गुण के परिणामस्वरूप सफलता भी मिलती है. 

तुला राशि में मंगल के नकारात्मक लक्षण भी मिलते हैं. व्यक्तित्व का एक गुण जो सबसे अधिक हानिकारक है, वह है काम को टालना. इसके साथ ही विकल्पों पर विचार करने में बहुत अधिक समय व्यतीत कर देना भी परेशानी देता है. निर्णय लेने की क्षमता काफी सीमित रह सकती है.

विरोध से बचना तथा लड़ाई से दूर रहना अधिक पसंद करते हैं. तर्क व्यक्त करने के लिए अपनी राय ज़ोर से बोलने के बजाय अन्य लोगों की युक्तियों का उपयोग करते हैं.  व्यक्ति हर उस चीज़ की ओर आकर्षित हो सकते हैं जो बाहर से आकर्षक लगती है. कभी-कभी आप केवल अपने दिखने के आधार पर भी निर्णय ले सकते हैं, जो  हानिकारक हो सकता है. अपनी प्रतिष्ठा को बहुत अधिक महत्व देते हैं. लोगों का दिल जीतने के प्रयास में, कई बार दिखावा भी कर बैठते हैं. यह बातें मंगल के तुला राशि में होने से व्यक्तित्व में कुछ नकारात्मक असर दर्शाती हैं. 

तुला राशि में मंगल का करियर और रिश्तों पर  प्रभाव

मंगल की तुला राशि में अनुकूलता स्थापित करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है. यह चयन करना कठिन हो सकता है कि कौन सी चीज़ आकर्षित करती है. विपरीत लिंग के लोगों के साथ समय बिताना पसंद होता है, लेकिन व्यक्ति प्रतिबद्ध होने से झिझकता है. 

मंगल तुला राशि में होना लक्ष्यों को समय पर पूरा करने के लिए बहुत अच्छा होता है. जीवन अपनी गति से स्वतंत्र होकर जीने की इच्छा होती है. धीमी गति से न आगे बढ़ने से बचना चाहिए अन्यथा बहुत सारे मौके गवां सकते हैं. 

अपने लक्ष्यों तक जल्दी पहुंचना चाहते हैं, तो बेहतरी के लिए बदलाव करना आवश्यक होगा. तुला राशि में मंगल के साथ आपको भाग्य का अनुभव तभी हो सकता है जब सकारात्मक ऊर्जा को अपनाएंगे और सकारात्मक सोचेंगे. तुला राशि में मंगल वाले लोगों में असाधारण बातचीत कौशल होता है. अपने प्रभावी विवाद समाधान कौशल के कारण वे अक्सर उत्कृष्ट प्रशासक बनते हैं. तुला राशि में मंगल के साथ, व्यक्ति परिवार और दोस्तों के सुख के लिए जितना संभव हो किसी भी हद तक जा सकते हैं.

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सूर्य से बनने वाला नीच भंग राजयोग

नीच भंग को ज्योतिष में किसी ग्रह की कमजोर स्थिति का प्रबल होने का संकेत बनता है. यह ग्रहों की उनकी राशि भाव स्थिति के अनुसार अपना असर दिखाता है.  जब पंचधा मैत्री, नैसर्गिक मैत्री, तत्कालित मैत्री का उपयोग करते हैं तो किसी राशि में ग्रह की निम्नलिखित संभावित स्थितियाँ होती हैं. ग्रह के नीच भंग का निवारण कैसे हो सकता है और कौन कर सकता है तो इसके लिए कुंडली में मौजूद ग्रह की स्थिति को देखना जरुरी होता है.  

जब हम सूर्य के नीच भंग योग की बत करते हैं तो पहले सूर्य का नीचस्थ स्थिति का होना और उसके बाद इस स्थिति का समाप्त हो जाना यह दोनों बातें यहां काम करती हैं. जिस राशि पर सूर्य स्थित है उसका स्वामी शुक्र होता है. सूर्य में राशि में स्थित हो, वहां उच्च का हो जाता है. जिस राशि पर सूर्य उच्च होता है, उसका स्वामी मंगल होता है. 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार नीच भंग राजयोग एक प्रबल राजयोग है जो व्यक्ति को सक्षम और सक्षम बनाता है और अपने कर्मों के माध्यम से व्यक्ति जीवन में आने वाली सभी प्रकार की चुनौतियों को पीछे छोड़कर जीवन में सफलता की राह पर आगे बढ़ता है. जैसा कि नाम से पता चलता है, नीच भंग राजयोग के लिए पहली आवश्यक शर्त कुंडली में ग्रह का नीच होना है. यह बहुत ही प्रभावशाली राजयोग माना जाता है, जब कुंडली में छठा भाव आठवां भाव और भारहवें भाव के स्वामी एक ही भाव में स्थित हों तो यह राजयोग बनता है. ऐसा व्यक्ति राजनीति और प्रशासन में उच्च पदों पर आसीन होता है. नीचभंग राजयोग जिस ग्रह से बनता है उस ग्रह के क्षेत्र में व्यक्ति शासन करता है.

यदि यह स्थिति सूर्य द्वारा निर्मित हो तो ऐसे व्यक्ति की लोकप्रियता बहुत अधिक होती है. इस योग के कारण अत्यंत सामान्य परिवार में जन्मा बच्चा भी विश्व प्रसिद्ध व्यक्ति बन सकता है. किसी की कुंडली में राजयोग का बनना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि किसी भी कुंडली में राजयोग जितने मजबूत होते हैं, व्यक्ति का जीवन स्तर उतना ही बेहतर होता है और उसे जीवन में प्रसिद्धि और भाग्य मिलता है.

सफलता, प्रसिद्धि, लक्ष्मी सब कुछ प्रदान करती है. यदि हम नीच भंग राजयोग के फल की बात करें तो इस योग में जन्म लेने से आपको कई प्रकार के सुख मिलते हैं और कुछ परेशानियों का सामना करने के बाद आप जीवन में निश्चित रूप से प्रगति करते हैं. नीच भंग राज योग के कारण आपके जीवन में धीरे-धीरे सफलता मिलने लगती है और आप बहुत मजबूत स्थिति में खड़े हो जाते हैं. यदि जन्म कुंडली में नीच भंग राज योग बनाने वाले ग्रह की महादशा या अंतर्दशा सही समय पर आती है तो व्यक्ति को फल देने में देर नहीं लगती है.

सूर्य का राशि प्रभाव और नीच भंग स्थिति 

सूर्य का नीच भंग राजयोग वायु तत्व राशियां मिथुन, तुला और कुंभ राशियों में संभव होता है. मिथुन राशि का स्वामी बुध, सूर्य के समतुल्य है, तुला राशि का स्वामी शुक्र, सूर्य का शत्रु है और कुंभ राशि का स्वामी शनि भी सूर्य का शत्रु है. तुला राशि में नीच का सूर्य लग्न में हो तो व्यक्ति सामाजिक गुणों से संपन्न होता है. इस स्थान पर सूर्य विशेष रूप से अपना कोई भी गुण देने में असमर्थ होता है. तुला एक परिवर्तनशील राशि है, इसलिए लोग घूमने-फिरने के शौकीन होते हैं लेकिन उनकी चिंताएं बढ़ती रहती हैं. छोटे-बड़े सभी को समान दृष्टि से देखा जाता है. लोकप्रिय भी बनाता है. 

व्यक्ति अपनी बुद्धि, सोच और ज्ञान से लोगों को समान रूप से आकर्षित करता है. तुला का सूर्य अच्छी राह दिखाता है ताकि कोई उन्हें बदनाम न कर दे. महिलाओं से पूर्ण सहयोग नहीं मिल पाता है. तुला लग्न में बुध और शुक्र हैं, बृहस्पति सूर्य को देख रहा है और नवांश में सूर्य उच्च का होता है तब यहां सूर्य नकारात्मक परिणाम नहीं देता. व्यक्ति समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाए रख पाने में सक्षम होता है. वह लोगों को दिशा दिखाता है. अपनी ताकत और कुशलता से वह हर तरह का काम बिना झुके और मिले ही कर लेने में सक्षम होता है. बुध और शुक्र पर नैसर्गिक शुभ ग्रह बृहस्पति की दृष्टि के कारण वे एक उदार नेता भी थे और जनता के कल्याण के लिए कार्य करते रहे. अन्याय करने की प्रवृत्ति कभी नहीं रहती है.

तुला राशि में नीच भंग सूर्य का प्रभाव 

लग्न में सूर्य नीच राशि तुला में है लेकिन वहीं शनि स्थिति है तो ऎसे में नीच भ्म्ग कि स्थिति बनती है. जन्म सूर्य के उगते समय नीच के सूर्य पर बृहस्पति की दृष्टि के कारण होने पर इसे शुभता मिलती है. चारों केन्द्रों में चार ग्रह होने से भी नीच भंग में सहयोग मिलता है.शुभ बृहस्पति की दृष्टि सूर्य पर होने से व्यक्ति कुछ ही समय में अच्छे धन को पाने में सक्षम होता है. वहीं चंद्र लग्न से गुरु की दृष्टि फिर से सूर्य पर होने से यह अनुकूल बनती है.  गुरु से संबंध निरंतर बना रहता है. इसका तात्पर्य यह है कि यदि सूर्य वायु तत्व तुला राशि में नीच राशि में हो तो भी कभी-कभी व्यक्ति को नीच का फल नहीं मिलता है. इस प्रकार के संबंध जैसे नीच भंग राजयोग, धनादि योग और कई प्रकार के राजयोग बनते हैं. अत: इसे नीच सूर्य कहकर नीच सूर्य मानना उचित नहीं है.

नीच का सूर्य एकादश भाव में भाग्येश होकर बैठता है. गुरु नीच उच्च होकर नीच को भंग करने में समर्थ होता है. कर्क राशि में बृहस्पति उच्च का होने के कारण इसका स्वामी लग्न से, चंद्र लग्न से केंद्र में तथा बृहस्पति की दृष्टि के अंतर्गत स्थित सूर्य का होना विशेष होगा. बृहस्पति शनि की दृष्टि के अंतर्गत स्थित होता है तथा सूर्य शनि लग्न से केंद्र में स्थित होता है. चन्द्र लग्न से केन्द्र में तथा चन्द्र लग्न से धन स्थान में होने पर भी नीच भंग को बल मिलता है. सूर्य जहां उच्च का है वहां का स्वामी मंगल नीच का होकर भी सूर्य की नीच भंग करता है. इसी प्रकार कई प्रकार से जब बृहस्पति सूर्य का प्रभाव पड़ता है तो व्यक्ति को कई राजयोग प्राप्त होते हैं. सिर्फ नीच ग्रह के नीच स्थिति में होने से व्यक्ति कमजोर नहीं हो जाता. नीचस्थ सूर्य पर शनि की दृष्टि है, लेकिन एक महिला की कुंडली में यदि सप्तमेश लग्न हो तो उसके पति का भाग्य बहुत प्रबल होता है. क्योंकि जहां सूर्य उच्च का होता है, वहां का स्वामी मंगल बृहस्पति से दृष्ट होने पर शुभ होता है. सूर्य नीच का होने के कारण राशि का स्वामी शुक्र सूर्य के साथ होने पर भी सूर्य का नीच भंग होता है.

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केतु का विभिन्न राशियों पर असर

केतु तब होता है जब चंद्रमा उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ता है और सूर्य के पथ को पार करता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, केतु दक्षिण नोड होता है और राहु को उत्तरी नोड के नाम से जाना जाता है. यह अपने रहस्यमय और हानिकारक गुणों के लिए जाना जाता है लेकिन बहुत से लोग नहीं जानते कि इसमें छिपे हुए गुण भी होते हैं. इसकी गतिविधियों, विचारों, व्यवहार या यहां तक कि इसके अस्तित्व के बारे में पूरी तरह से अनिश्चितता की संभावना है. केतु अच्छे और बुरे दोनों के कर्म संग्रह का प्रतिनिधित्व करता है और इसके चलते या तो लाभकारी या अशुभ के रूप में कार्य करता है. केतु विभिन्न राशियों के साथ अलग-अलग कार्य करता है और विभिन्न प्राथमिक शक्तियों को प्रभावित करता है. आइए देखें कि केतु प्रत्येक राशि के साथ क्या करता है:

केतु- विभिन्न राशियों पर प्रभाव

केतु का प्रभाव

 मेष राशि

केतु इस राशि का पक्षधर है और व्यक्तियों को जोश और ऊर्जा से लाभान्वित करता है. प्रथम भाव के व्यक्ति दुखी, अविश्वासी और असामाजिक हो सकते हैं, लेकिन बुद्धिमान और चतुर होंगे. शुक्र के साथ इस ग्रह का मित्रवत संबंध होने के कारण यह पिता के लिए अनुकूल होता है, लेकिन व्यक्ति के जीवनसाथी को स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

वृषभ राशि 

केतु पृथ्वी और शुक्र जैसे तत्वों का पक्षधर है लेकिन सफलता के लिए कड़ी मेहनत की मांग करता है. केतु सफलता की गारंटी देता है लेकिन देरी की उम्मीद करता है. भले ही व्यक्ति अच्छी आय अर्जित करता हो, लेकिन उसका खर्च उसकी भरपाई कर देगा. व्यक्ति में दिमाग पढ़ने जैसे गुणों का अनुभव होगा लेकिन फिर भी वह बेचैन और अशांत रहेगा. 

मिथुन राशि 

केतु तृतीय भाव को अनुकूल बनाकर व्यक्तिों को मनोरंजन और मीडिया जैसे रोजगार के क्षेत्रों में लाभ प्रदान करता है. यह व्यक्ति को जीवन में प्रसिद्ध और धनवान बनाएगा. मिथुन राशि का दोहरा स्वभाव केतु को अनेक विषयों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है. हालाँकि केतु कानूनी उलझनें पैदा करके व्यक्ति को परेशान कर सकता है.

कर्क राशि 

चंद्रमा, जो कर्क राशि के चौथे घर का स्वामी है, केतु का शत्रु है. चंद्रमा तत्व के कारण व्यक्ति को जीवन में कठिनाइयों और अच्छे परिणामों की कमी का सामना करना पड़ सकता है. व्यक्ति को अवसाद, तनाव और हृदय संबंधी समस्याओं का अनुभव हो सकता है. सुख-शांति का कारण देर-सवेर चिंता का कारण बन सकता है.

सिंह राशि 

प्रेम और शिक्षा के मामले में केतु प्रतिकूल है. केतु की उपस्थिति से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी हो सकती हैं. हृदय, रक्तचाप और अस्थमा से संबंधित रोग चिंता का कारण बन सकते हैं. सिंह राशि में केतु के कारण व्यक्ति को गर्भधारण में देरी या गर्भपात का भी सामना करना पड़ सकता है. सिंह राशि वालों को सलाह दी जाती है कि वे अपने स्वास्थ्य का अच्छे से ध्यान रखें.

कन्या राशि 

कन्या राशि में केतु अच्छे और अनुकूल परिणाम देता है. व्यक्ति का जीवन सुचारू और सुखी रहेगा. पर्याप्त आय होगी और व्यक्ति की कड़ी मेहनत के कारण समाज का नाम रोशन होगा. यदि व्यक्ति एकाग्र और एकाग्रचित्त हो तो केतु सफलता दिलाने में मदद कर सकता है. संभावना यह है कि वे विदेश में आराम से बस जाएं. व्यक्ति को कमजोर दृष्टि जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

तुला राशि

तुला राशि में केतु शुभ नहीं माना जाता है और इसका परिणाम प्रतिकूल होता है. सातवें घर में केतु की उपस्थिति से वैवाहिक जीवन और साझेदारी में टकराव की संभावना बढ़ जाती है. व्यक्ति विवाहेतर संबंध में रुचि ले सकता है और किसी समय तनाव और चिंता का कारण बन सकता है.

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि वालों को आंतों की खराबी, हर्निया या कुछ जननांग रोगों जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. कुंडली के आठवें घर में केतु के कारण समस्याएं उत्पन्न होती हैं. ज्योतिषियों का दावा है कि आठवां घर पत्नी से सुख दिलाता है. लेकिन केतु की उपस्थिति से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं जैसे प्रजनन अंगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. व्यक्ति को दुर्घटनाओं, चोटों का खतरा रहेगा और वित्तीय मामलों में तनाव का सामना करना पड़ सकता है.

धनु राशि 

नवम भाव में इसकी उपस्थिति का लाभ मिलता है. व्यक्ति आर्थिक रूप से मजबूत और स्थिर होगा. वे स्वास्थ्य समस्याओं की चिंता किए बिना सुखी और सहज जीवन जिएंगे. यदि वे कड़ी मेहनत करेंगे तो वे सफलता की राह बनाएंगे. व्यक्ति को धार्मिक स्थानों की यात्रा करने और धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने के पर्याप्त अवसर मिलेंगे.

मकर राशि 

दशम भाव में शनि की स्थिति उसके व्यवहार को प्रभावित करती है. यदि जन्म कुंडली में शनि की स्थिति मजबूत है, तो यह सकारात्मक और लाभकारी तरीके से काम करेगा. व्यक्ति भाग्यशाली और अवसरवादी होगा, लेकिन वह कम उम्र में ही अपने पिता के सुख की कमी अनुभव कर सकते हैं. 

कुम्भ राशि

धन के मामले में कुंभ राशि को भाग्यशाली माना जाता है. उन्हें आय के कई स्रोत मिलेंगे. व्यक्ति कई स्थितियों में खुद को भाग्यशाली पाएगा और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को संभालने में सक्षम होगा. षडयंत्रों में फंस सकते हैं लेकिन इससे मामला सुलझने में मदद मिलेगी. यदि स्थान अशुभ है, तो व्यक्ति को कठिन और कठोर जीवन जीना पड़ सकता है. करियर और जीवन में संघर्ष करना पड़ सकता है.

मीन राशि 

बारहवां घर वह स्थान है जहां खर्च और व्यय की स्थिति होती है. यह पिछले जीवन के कर्मों और अभी भी कर्म को दर्शाता है. यह गहरे घाव और बोझ की स्थिति को दिखाता है. इस भाव में केतु ग्रह वाले लोग रहस्य रखने और दमित कामुकता में अधिक प्रमुख होंगे. साथ ही, गलत चीजों के एवं समाज के प्रति संवेदनशील दिखाई दे सकते हैं. 

केतु मिश्रित फल को दिखाता है. यह शुभ या अशुभ दोनों प्रकार का गोचर करा सकता है. ऐसा माना जाता है कि ग्रह अपना प्रभाव पैरों के तलवों पर डालता है, जो त्वचा से संबंधित रोग, दिवास्वप्न, जोड़ों में दर्द और कारावास या मृत्यु आदि की संभावना दर्शाता है. लेकिन जब शुभ गोचर की बात आती है, तो इसके परिणाम अन्य की तुलना में कहीं अधिक शुभ होते हैं. शुभ ग्रहों का योग. जिस कारण कुछ विद्वान इसे शुभ ग्रहों की श्रेणी में रखना पसंद करते हैं.

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लग्न कुंडली और नवांश कुंडली में ग्रहों की भूमिका

जन्म कुंडली को ही लग्न कुंडली के नाम से जाना जाता है ओर नवमांश कुंडली का निर्माण ग्रहों की शक्ति को बता है. ग्रह कितने शुभ और खराब हो सकते हैं इसका असर नवांश से देखा जाता है. लग्न कुंडली संपुर्ण अस्थित्व है ओर नवांश कुंडली उस अस्तित्व में आने वाले पड़ावों की भूमिका तय करने वाली होती है. लग्न कुंडली का लग्न ओर नवांश कुंडली का लग्न काफी विशेष होते हैं. यहां मौजूद ग्रह व्यक्ति के जीवन पर काफी गहरा असर दिखाते हैं.

लग्न में मौजूद ग्रह और नवांश में मौजुद ग्रह का फल प्रत्येक ग्रह की स्थिति और उसके प्रभाव के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. नवांश कुंडली में लग्न की विशेष भूमिका होती है. यह जीवन में होने वाली घटनाओं पर विशेष नजर रखता है. लग्न में मौजूद राशि और उसके स्वामी की स्थिति विशेष होती है, जिसके कारण व्यक्ति को अपने जीवन में कुछ विशेष प्रभाव देखने को मिलते हैं.

मेष लग्न का गुण एवं विशेषताएं

लग्न या नवांश कुंडली में मेष राशि हो तो उसका प्रभाव जीवन पर दिखाई देगा. यह व्यक्ति को आंतरिक आत्मविश्वास देने में भी सहायक होता है. आपको कार्यों को सीखने और नई चीजों को आजमाने की क्षमता भी मिलेगी. कुछ व्यावहारिक विचारों का असर व्यवहार में भी दिखेगा, लेकिन साथ ही व्यक्ति में अपनी असफलताओं से उबरने की इच्छा भी बनी रह सकती है. व्यक्ति अपनी गतिविधियों में बहुत मेहनती रह सकता है और आक्रामक और प्रतिस्पर्धी होने की भावना भी दिखा सकता है. मेहनती और आत्म-केंद्रित, वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहेगा और जो भी कार्य करेगा उसमें उत्कृष्टता हासिल करना चाहेगा.

वृषभ लग्न का गुण एवं विशेषताएं

लग्न या नवांश कुंडली में वृषभ राशि हो तो जातक के स्वभाव एवं भावनात्मक स्थिति में कहीं न कहीं स्थिरता अवश्य होगी. वह खुद को दिखाने की चाहत भी रखेगा लेकिन साथ ही उन बातों को छिपाएगा जो उसकी कमजोरी साबित हो सकती हैं. जातक आमतौर पर आकर्षक होगा और उसके अनुरूप ढल भी जाएगा. खासतौर पर बिजनेस के लिए काम करने की उनकी क्षमता बेहतर होती है. किसी रचनात्मक गुण में भी उनकी रुचि देखी जा सकती है. इसका प्रभाव कला, संगीत, विज्ञान और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में अवश्य देखा जा सकता है. भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति की भी इच्छा रहेगी.

मिथुन लग्न का गुण एवं विशेषताएं

लग्न या नवांश कुंडली में मिथुन राशि का होना व्यक्ति को कुछ अलग करने का उत्साह देता है. यह व्यक्ति में व्यावहारिकता का गुण प्रदान करता है. एक साथ कई काम करने की इच्छा हो सकती है. सक्रिय लेकिन अस्थिर मन से व्यक्तित्व हासिल किया जा सकता है. ये बुद्धिजीवी होते हैं लेकिन बेकार की बातों में पड़कर इस गुण को नजरअंदाज कर सकते हैं. मिथुन राशि का प्रभाव बुद्धिमता को दर्शाता है.

कर्क लग्न का का गुण एवं विशेषताएं

लग्न या नवांश कुंडली में कर्क राशि का होना व्यक्ति का भावनात्मक पक्ष अधिक कार्य कर सकता है. उनका चुंबकीय आकर्षण, दृढ़ और महत्वाकांक्षी गुण उनके कार्यस्थल को भी प्रभावित करते हैं. साथ ही काम में सफलता पाने की इच्छा भी अधिक होती है. जातक अत्यंत तेजस्वी, उत्साही, संवेदनशील, कल्पनाशील, परिश्रमी, बुद्धिमान एवं भावुक हो सकता है. इसके साथ ही उसके अंदर कुछ कलात्मक भी हो सकता है या फिर उसका रुझान भी इस ओर हो सकता है. अपनी चीजों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है.

सिंह लग्न का का गुण एवं विशेषताएं

लग्न या नवमांश कुंडली में सिंह राशि का होना बेहतर और मजबूत व्यक्तित्व के निर्माण का संकेत देता है. जातक में दिखावा करने की प्रवृत्ति भी हो सकती है. प्रभावशाली व्यक्तित्व के साथ-साथ उनमें स्वयं को सदैव आगे रखने की चाहत भी रहेगी. वह दूसरों को उनके काम में मार्गदर्शन करने और अपने विचारों को दृढ़ विश्वास के साथ आगे बढ़ाने में बहुत मजबूत होंगे. उसे निडर, शक्तिशाली, आत्मविश्वासी और अति महत्वाकांक्षी होने का भी एहसास होगा. आप एक स्वतंत्र विचारक और साहसी स्वभाव भी प्राप्त कर सकते हैं. कार्य को अपनी इच्छानुसार करने में अधिक तत्पर रहेंगे तथा निर्देश देने में कुशल होंगे.

कन्या लग्न का गुण एवं विशेषताएं

लग्न या नवांश में कन्या राशि होने पर व्यक्ति अपने बारे में और बाहरी दुनिया के बारे में जानने में अधिक रुचि रखता है. ये लोग अभिव्यक्ति जानते हैं, अगर कुछ करना हो तो किसी की मदद लेने को भी तैयार रहते हैं. वे अपनी ओर से भी समर्पण चाहते हैं. ये लोग जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण में तार्किक, व्यावहारिक और व्यवस्थित हो सकते हैं. भौतिक संसार में गहराई से जड़ें जमा सकता है. आप कड़ी मेहनत और निरंतर अभ्यास के माध्यम से अपने कौशल में सुधार करने का प्रयास कर सकते हैं.

तुला लग्न का गुण एवं विशेषताएं

लग्न या नवांश कुंडली में तुला राशि की उपस्थिति व्यक्तित्व में इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं को एक अलग ही रंग देती है. व्यक्ति में संतुलन, सामंजस्य और न्याय का कौशल होता है. तुला राशि की ऊर्जा व्यक्ति को नई चीजों को अपनाने के लिए समय और सहजता देती है. आपके जीवन में संतुलन की तलाश भी जारी रह सकती है. भावनाएँ काम करती हैं और इसके कारण कभी-कभी दूसरों पर निर्भरता की भावना बढ़ जाती है.

वृश्चिक लग्न का गुण एवं विशेषताएं

लग्न या नवमांश कुंडली में वृश्चिक राशि का होना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. जीवन का अधिकांश भाग भ्रम और रहस्यमय स्थितियों के प्रभाव में रह सकता है. व्यक्ति में जुझारूपन की भावना देखी जा सकती है. अपनी हार को जीत में बदलने की चाहत काफी प्रबल दिखाई दे सकती है. भौतिक सुख-सुविधाओं की चाहत और उनके प्रति उपेक्षा की भावना के बीच भी संघर्ष हो सकता है. वे पूर्व दिखा सकते हैं उनकी मानसिक क्षमताओं के साथ असाधारण साहस.

धनु लग्न का गुण एवं विशेषताएं

लग्न या नवांश में धनु राशि का होना साहसी एवं आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. धनु जहां भी जाता है अपनी छाप जरूर छोड़ता है. यह निर्भयता को दर्शाता है. व्यक्ति सदैव ज्ञान की खोज में रह सकता है. भौगोलिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक साहसिक कार्यों में आगे रह सकते हैं. उनमें कार्यों को अपने अनुसार करने का उत्साह अधिक हो सकता है. बुद्धिमान, खुला और हमेशा आशावादी हैं. रोमांच चाहने वाले लोग अपनी किस्मत और सकारात्मकता पर भरोसा करते हैं. नई जगहों की खोज और नए अनुभवों को आज़माने के लिए तत्पर रहें.

मकर लग्न का गुण एवं विशेषताएं

नवांश या लग्न में मकर राशि का होना व्यक्ति में स्पष्ट रूप से आगे बढ़ने की इच्छा अधिक दे सकता है. किसी काम में इनकी अधिकता परेशानी का कारण भी बन सकती है. केवल धैर्य, दृढ़ता और समर्पण ही उन्हें आगे बढ़ने में मदद कर सकता है. शारीरिक और भावनात्मक दोनों क्षेत्रों में बहुत अधिक प्रयास की आवश्यकता होती है तभी उचित परिणाम प्राप्त हो सकते हैं.

कुंभ लग्न का गुण एवं विशेषताएं

नवांश या लग्न रूप में कुंभ राशि का होना एक स्वतंत्र और उन्मुक्त दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है. इससे एक ऐसी स्थिति बनती है जिसमें कुछ बदलाव और ढेर सारे मनोरंजन की आवश्यकता होती है. उनमें संतुष्टि की कमी अधिक हो सकती है. हर वक्त कुछ नया करने की चाहत होती है. खुद को बेहतर जगह पर खड़ा देखने की चाहत उन्हें कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है. इनमें बहुत सारे गुप्त गुण भी होते हैं और दूसरों का इनके प्रति आकर्षण भी दिखता है.

मीन लग्न का गुण एवं विशेषताएं

नवांश या लग्न कुण्डली में मीन राशि का होना व्यक्ति के विचारों एवं भावनात्मक पक्ष पर अधिक केन्द्रित प्रतीत होता है. बुद्धिमान, उत्साही, संवेदनशील, सक्रिय और बहुत रचनात्मक हो सकते हैं. आध्यात्म की ओर इनका गहरा रुझान हो सकता है लेकिन इसके अपने विचार होते हैं.

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