कुंडली में चंद्रमा कब अस्त होता है और उसका प्रभाव

वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है और इससे प्रभावित व्यक्ति हमेशा भावनात्मक रूप से अस्थिर रहता है. उत्तर कालामृत में चंद्रमा को मन का कारक भी कहा गया है. चंद्रमा को भगवान शिव के माथे पर विराजमान भी देखा जाता है और देवी के माथे की शोभा भी बढ़ाता है. जन्म कुंडली में दशा की गणना करने की विधि चंद्रमा की स्थिति पर आधारित होती है, जैसे विंशोत्तरी दशा की गणना के लिए चंद्रमा की गति को देखा जाता है. वैसे तो सभी ग्रहों का प्रत्येक मनुष्य के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, लेकिन चंद्रमा का व्यक्ति के रोजमर्रा के जीवन पर अधिक प्रभाव पड़ता है. ज्योतिषियों के अनुसार चंद्रमा एक राशि में सवा दो दिन तक रहता है जिसके कारण इसे सबसे तेज गति से चलने वाला ग्रह भी माना जाता है. चंद्रमा मन का कारक है इसलिए यह व्यक्ति के मन में अस्थिरता पैदा करता है.

किसी व्यक्ति का मूड जन्म कुंडली के विभिन्न राशियों और घरों में चंद्रमा की गति पर निर्भर करता है. जब संक्रमण चरण के दौरान चंद्रमा छठे, आठवें या बारहवें घर में होता है तो जातक भावनात्मक रूप से टूट जाता है, परेशान रहता है और अत्यधिक भावुक हो जाता है. चंद्रमा कर्क राशि में और वृषभ राशि में सबसे मजबूत होता है. वहीं, वृश्चिक राशि में यह नीच अवस्था में होता है. जब चंद्रमा मित्र ग्रहों या बृहस्पति के साथ युति करता है तो जातक की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और वह उच्च पद प्राप्त करता है. जब जन्म कुंडली में चंद्रमा अच्छी स्थिति में होता है तो जातक का दिमाग और सोचने की प्रक्रिया स्थिर होती है. ऐसा व्यक्ति धैर्यवान और दृढ़ता गुणों से भरपूर होता है. उच्च स्थिति में चंद्रमा समाज में सम्मान और उच्च स्थान दिलाता है. जातक चंचल स्वभाव का तथा विलासिता प्रेमी होता है.

कुंडली में नीच स्थिति में चंद्रमा बीमारी और मन की अस्थिरता का कारण बनता है. कोई भी निर्णय लेते समय जातक भ्रमित रहता है. स्वराशि में चंद्रमा होने पर जातक तेजस्वी, बुद्धिमान और अचानक धन प्राप्त करने वाला होता है. ऐसा व्यक्ति सही निर्णय लेने में सक्षम होता है.शुभ और बलवान चंद्रमा जातक को भाग्यशाली, सुंदर और समृद्ध बनाता है. एक मजबूत चंद्रमा का वर्णन इस प्रकार किया गया है, ” प्रधान बल संयुक्त संपूर्णशाशा लांछना ||”. एकोपि कुरुते जातं नराधिप मरिन्दमान् | आरोग्यं प्रद्दतु नो दिनकर शयचन्द्रो || इस प्रकार इसे ऐसे भी लगाया जा सकता है कि मजबूत चंद्रमा भाग्य को मजबूत बनाता है.

चंद्रमा का न केवल वैदिक खगोलीय महत्व भी है. सौर मंडल में चंद्रमा का स्थान सभी ग्रहों से भिन्न है. वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है. ज्योतिषियों के अनुसार चंद्रमा के प्रभाव से जातक का मन विचलित और स्थिर होता है. कहते हैं कि अगर मन वश में हो तो हर काम आसानी से हो जाता है, लेकिन अगर मन अस्थिर हो तो काम करने में दिक्कतें आती हैं, साथ ही काम कुशलता से नहीं हो पाता, कुल मिलाकर नुकसान ही होता है. चंद्रमा का बहुत महत्व है प्रकृति पर भी यह अपना असर दिखाता है. समुद्र में ज्वार-भाटे से लेकर ग्रहण तक चंद्रमा हर तरह से योगदान देता है. सूर्य के बाद चंद्रमा आकाश में सबसे चमकीला ग्रह है. इसलिए आकाश में सूर्य और चंद्रमा का आकार हमेशा समान होता है.

कुंडली में चंद्रमा कब अस्त होता 

चन्द्रमा जब सूर्य से बारह अंश या इससे अधिक समीप आता है तो अस्त हो जाता है. चंद्रमा की स्थिति जब सूर्य के करीब होगी तो इसका असर अपने पूर्ण फलों को देने वाला है. वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा नौ ग्रहों के क्रम में सूर्य के बाद दूसरा ग्रह है. वैदिक ज्योतिष में यह मन, माता, मानसिक स्थिति, मनोबल, सुख, शांति, धन, आदि का कारक है अब जब यह ग्रह अस्त होता है तो उसका फल नहीं मिलता है. ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा राशियों में कर्क राशि का स्वामी है और राशियों में रोहिणी का स्वामी है. चंद्रमा की गति सभी ग्रहों में सबसे तेज़ है. चंद्रमा के गोचर की अवधि सबसे कम होती है. यह लगभग सवा दो दिन में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करता है. वैदिक ज्योतिष में कुंडली में मूल प्रभाव व्यक्ति की चंद्र राशि की गणना से देखा जाता है. अब जब चंद्रमा अअत होगा तो इन सभी चीजों का परिणाम व्यक्ति को पूरी तरह से नहीं मिल पाता है. 

अस्त चंद्रमा देता है मानसिक असंतोष 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि कुंडली के लग्न भाव में चंद्रमा अस्त होकर बैठा हो तो परेशानी एवं चिंता को दिखाता है. कुंडली में यह भाव होने से व्यक्ति साहसी और धैर्यवान होता है लेकिन अस्त होने पर यह अनुकूल परिणाम नहीं दे पाता है . चंद्र ग्रह के प्रभाव से व्यक्तिअपने जीवन में सिद्धांतों को अधिक महत्व देता है. व्यक्ति खानाबदोश जैसा होता है. इसके साथ ही लग्न भाव में बैठा अस्त चंद्रमा कल्पनाशील बनाता है. इसके साथ ही व्यक्ति संवेदनशील और भावुक होने के कारण असंतोष को दर्शाता है. 

ज्योतिषशास्त्र में यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा मजबूत है तो व्यक्ति को इसके सकारात्मक परिणाम मिलते हैं. लेकिन चंद्रमा अस्त होने पर तनाव देने वाला होता है. चंद्रमा के कमजोर  होने से मानसिक रूप से प्रसन्न करता है. मन की स्थिति मजबूत है, वह विचलित नहीं होता. व्यक्ति को अपने विचारों और निर्णयों पर संदेह नहीं होता. परिवार की बात करें तो उनके अपनी मां के साथ अच्छे संबंध नही रह पाते हैं और मां का स्वास्थ्य भी तनव देता है

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बुध के तुला राशि में प्रवेश के साथ बदलेगी इन राशियों की किस्मत

बुद्धि, बोलचाल, विवेक का स्वामी बुध ग्रह जब तुला राशि में होता है तो विचार तेजी से सामने आते चले जाते हैं. बुध तर्क और बौद्धिकता का प्रतीक है, तुला राशि वायु तत्व युक्त शुक्र के स्वामित्व की राशि है ऎसे में इन दोनों का संबंध कई मायनों में खास बन जाता है. इस समय पर विचारों के साथ साथ भावनाएं भी प्रकट होने में देर नहीं लगाती हैं. प्रेम, स्थिरता, संतुलन और सुरक्षा का प्रतिनिधित्व इस समय अधिक देखने को मिलता है. इन दोनों का एक साथ आना निश्चित रूप से आपके जीवन को किसी न किसी तरह से बदल देता है. 

मेष राशि 

मेष राशि के लोगों के लिए ये समय अपने काम के साथ साथ निजी जीवन को लेकर अधिक व्यस्तत होता है. काम का बोझ बढ़ सकता है, जिससे उन पर अधिक दबाव और अधिक तनाव भी आ सकता है. रिश्तों के मामले में आप अपने साथी के साथ संवाद करने में बेहतर हो सकते हैं. पिछले विवादों और असहमतियों का समाधान मिलने की संभावना भी अधिक दिखाई देती है.  अपने खान-पान पर उचित ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है. इस समय नए रिश्तों की शुरुआत भी होती है. मेल जोल और बातचीत के द्वारा सामाजिक रुप से गतिशीलता का प्रभाव देखने को मिलता है. 

वृष राशि 

वृषभ राशि वालों को नौकरी के नए अवसर मिल पाते हैं. आर्थिक रूप से, आप समृद्धि के लिए पूरी तरह तैयार दिखाई दे सकते हैं, लेकिनसाथ में ध्यान देना होगा कि अपने खर्चों पर नज़र रखें. प्यार और रिश्ते की दुनिया में अनुकूल समय का आनंद ले सकते हैं. शांति और सद्भाव बना रह सकता है. जब फिटनेस की बात आती है तो कुछ नया करने से बेहतर योग और अन्य बातों पर अधिक ध्यान देना चाहेंगे. अब इस समय मार्ग बदलने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. स्वास्थ्य के प्रति अधिक ध्यान देना होगा. लापरवाही से बचना होगा तथा आध्यात्मिक रुप से स्वयं को मजबूत करने का मौका मिलेगा. 

मिथुन राशि

अब इस समय पर नए दोस्त बन सकते हैं और लोगों की संगति को पसंद करने वाले होंगे. यह गोचर उत्साह को बढ़ाएगा. विचारों को व्यक्त करने का अवसर देगा. करियर का क्षेत्र समृद्ध हो सकता है. खुद को नई व्यावसायिक संभावनाओं की ओर बढ़ते हुए देख सकते हैं. इस गोचर के दौरान दोस्तों, परिवार और प्रियजनों के साथ अधिक समय बिताने का मौका मिल सकता है. तनाव और चिंता के प्रति अधिक संवेदनशील रहेंगे जिसके चलते परेशानी हो सकती है अत: इस ओर अधिक ध्यान देने की जरुरत होगी. 

कर्क राशि 

इस दौरान कर्क राशि वालों को अपने धन का प्रबंधन अधिक कुशलता से करना जरूरी होगा. किसी को पैसा न दें और न ही उधार दें. काम अनुकूल रुप से चलता रह सकता है. अपनी समस्याएं सुलझाने का मौका मिल सकता है. परिवार, की ओर से कुछ सहयोग मिल पाए. सामाजिक रुप से अधिक व्य्सत रह सकते हैं. आय का एक बड़ा स्रोत मिल सकता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से आपको कुछ उतार-चढ़ाव का अनुभव हो सकता है. इसलिए, अच्छे भोजन और फिटनेस पर निवेश करने की जरुरत होगी

सिंह राशि 

इस गोचर के दौरान आपके यात्रा योग बन सकते हैं. आर्थिक रूप से आपको मुनाफ़ा होने की संभावना है. कुछ निवेश करने का यह बहुत अच्छा समय हो सकता है. यदि आप कलात्मक क्षेत्र में उद्यम करना चाह रहे हैं, तो आगे बढ़ना अनुकूल रह सकता है. परिवार और दोस्त आपका समर्थन करने के लिए मौजूद न भी हों फिर भी किस्मत का साथ मिलेगा. नई नौकरी के अवसरों की भी प्रतीक्षा अब कुछ पूरी होती दिखाई देती है. स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए योग और नियमित व्यायाम जरूरी काम होंगे.

कन्या राशि 

कन्या राशि वालों के लिए यह गोचर काफी अनुकूल रह सकता है. परिवार और प्रियजनों के लिए अधिक समय होगा. अपने वित्त के प्रति अधिक सावधान और सतर्क रहने की आवश्यकता है. पेशेवर जीवन में आपको आकर्षक अवसर मिलेंगे. स्वास्थ्य की दृष्टि से, आपको अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है और ऐसे साहसिक कार्यों से बचने की ज़रूरत है जो छोटी चोटों और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं.

तुला राशि 

इस गोचर के दौरान तुला राशि वाले ऊर्जा से भरपूर रह सकते हैं. आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक दृढ़ और उत्साही महसूस कर सकते हैं. आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे, कुछ समय के लिए अहंकारी और अज्ञानी होकर फैसले ले सकते हैं इसलिए इस तरफ ध्यान देने की अधिक जरूरत होगी. व्यवसायिक जीवन में व्यवधानों के कारण थोड़ा कष्ट हो सकता है. आपको अपने साथी के साथ संचार सुधारने के लिए समय मिल पाएगा. 

वृश्चिक राशि 

 इस दौरन खुद की देखभाल अत्यंत महत्वपूर्ण है. आवश्यकताओं के प्रति अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है. कुछ कारणों से आर्थिक रूप से फ़ायदा होगा, लेकिन अनावश्यक ख़र्चे न करें, क्योंकि इसका उल्टा असर हो सकता है. व्यवसाय बढ़ेगा और आप जनसंपर्क सुधारने में और अधिक कौशल सीख सकते हैं. जीवनशैली में लापरवाही  आदतें न अपनाएं क्योंकि यह हानिकारक साबित हो सकती हैं.

धनु राशि

अनुकूल समय का अनुभव हो सकता है तथा नए व्यवसाय के अवसरों में उद्यम करने, कर्ज चुकाने या आपके द्वारा लिए गए किसी भी ऋण का भुगतान करने का यह सबसे अच्छा समय है. अपने रिश्ते पर ध्यान देने से सुधार होगा. अभी से भविष्य की योजना बनाना शुरू कर देना चाहिए. स्वास्थ्य की दृष्टि से यह आपके लिए अनुकूल समय है.

मकर राशि 

इस समय जो नए अवसर तलाश रहे हैं, अनुकूल मौके मिल सकते हैं. निवेश या व्यावसायिक साझेदारी शुरू करने का समय होगा. वित्तीय लाभ के योग बन रहे हैं. इसके बारे में होशियार और सतर्क बने रहने की जरूरत होगी. साथी के साथ अपने मुद्दों को सुलझाएं और दीर्घकालिक संबंध बनाएं.  सेहत को लेकर सजग रहना होगा.

कुंभ राशि

कुंभ राशि, इस गोचर के दौरान अपनी सभी पारिवारिक ज़िम्मेदारियों से कुछ राहत पा सकती है. इस समय काम और जीवन के बीच संतुलन बनाने की भी आवश्यकता होगी. काम के सिलसिले में यात्रा कर सकते हैं.  स्वास्थ्य पहले से बेहतर रह सकता है.

मीन राशि

मीन राशि वालों के लिए यह गोचर थोड़ा चुनौतीपूर्ण है, कुछ उतार-चढ़ाव के साथ आ सकता है. व्यक्तिगत जीवन हो या व्यावसायिक जीवन, कुछ चुनौतियों से पार पाना पड़ सकता है. घर में या कार्यक्षेत्र  में किसी भी तरह की ग़लतफ़हमी से बचें

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मंगल तुला राशि में जानें इसका आपके जीवन पर प्रभाव

मंगल जब तुला में होता है तो यह काफी जबरदस्त तरह से अपना असर दिखा सकता है. मंगल एक अग्नि तत्व युक्त ग्रह है ओर तुला राशि शुक्र के स्वामित्व की परिवर्तनशील वायु तत्व राशि है. ऎसे में तुला पर मंगल का गोचर बहुत अधिक अनुकूलता तो नहीं दिखाता है लेकिन यह नए अवसरों और अपनी इच्छाओं को पूरा करने का बेहतर समय जरूर देता है. ज्योतिष में शुक्र और मंगल का निष्पक्ष संबंध है. शुक्र स्त्रीत्व और जल है और मंगल पुरुषत्व और अग्नि है. इन दोनों की मिलने वाली संयुक्त ऊर्जा एक संतुलित व्यक्तित्व का निर्माण करती है. तुला राशि में मंगल का होना उत्साह और आनंद को देने में सहायक होता है. दान देने वाले और मिलनसार व्यक्तित्व की प्राप्ति होती है. आमतौर पर, व्यक्ति को सभी की ओर से सहयोग मिलता है. भीड़ में मुख्य स्थान रखने वाला होता है. लोगों का पसंदीदा होता है. व्यक्ति का स्वभाव मेल जोल वाला और दूसरों की मदद करने में आगे रहने वाला होता है. व्यक्ति के भीतर अपनी बात मनवाने की क्षमता और बेहतरीन संचार क्षमता होती है.  

तुला रशि में मंगल का गोचर प्रभाव 

जन्म कुंडली से अलग जब मंगल तुला राशि में होता है, तो व्यक्ति अत्यधिक सहनशील हो जाता है, संतुलित स्वभाव बनाए रखता है. उसके भाव जल्द बदल सकते हैं. कभी-कभी शत्रुतापूर्ण हो सकते हैं और कभी-कभी काफी शांत और शांतिप्रिय हो सकते हैं. तुला राशि में मंगल कला और सुंदरता की गहरी समझ भी देता है. व्यक्ति दूसरों को भी बढ़ावा देता है.  व्यक्ति शारीरिक आवेगों की तुलना में भावनात्मक संतुष्टि की ओर अधिक आकर्षित होते हैं. यौन इच्छा अधिक होती है, रोमांटिक होते हैं. इसके साथ ही ईश्वर एवं आध्यात्मिक विचारधारा वाले व्यक्ति भी होते हैं. वे सफल उद्यमी हैं जो विलासितापूर्ण जीवन जीने की इच्छा रखते हैं. वे बहुत ज्यादा खर्च करते हैं. वे पारस्परिक संबंधों में अत्यधिक सहयोगी होते हैं और दुश्मनों की तुलना में दोस्त बनाने के लिए अधिक उत्सुक होते हैं. अक्सर संघर्षों में मध्यस्थता करने में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं.

तुला राशि में मंगल का व्यक्तित्व पर असर 

यदि मंगल तुला राशि में है तो व्यक्ति को कल्पनाशील और कलात्मक बना सकता है. तुला राशि के लिए न्याय अत्यंत महत्वपूर्ण है. यदि आपकी जन्म कुंडली में मंगल मौजूद है तो आप जो सही है उसके लिए दृढ़ता से संघर्ष करेंगे. व्यक्ति एक संतुलित, निष्पक्ष जीवन जीना चाहते हैं. शांत और सद्भाव में काम करन अपसंद करता है. एक भरोसेमंद दोस्त और साथी बनता है. विकल्प चुनने से पहले आप अपनी सभी संभावनाओं पर ध्यानपूर्वक विचार करने में कुशल होता है, व्यक्ति तब तक कोई निर्णय नहीं लेते जब तक कि आप सावधानीपूर्वक अनुमान न लगा लें कि इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है. क्यौंकि व्यक्ति चीजों को संतुलित रुप से नैतिक रूप से करना चाहता है. 

आयोजनों और सामाजिक गतिविधियों में सीधे भाग नहीं लेते कुछ स्वयं में अधिक रमे रह सकते हैं. नखरेबाज भी हैं हो सकते हैं. किसी के जीवन में तुला का मंगल चीजौं को बेहतर तरह से एवं न्याय को कायम रखना पसंद करता है. केवल अपने लिए ही नहीं बल्कि अपने आस-पास के सभी लोगों के लिए भी लगातार नैतिक रूप से कार्य करने की आकांक्षा रखना पसंद करता है. न्याय और समानता के प्रति प्रतिबद्धता की प्रबल भावना होती है. मंगल का प्रभाव जन्म कुंडली में तुला में होने पर दुनिया में व्याप्त अन्याय के खिलाफ खड़े होने की शक्ति और साहस प्रदान करता है. व्यक्ति अपनी शक्ति फर सामर्थ्य के अनुसार से सब कुछ करने की कोशिश करता है.

चीजों का चुनाव करने से पहले सभी फायदे और नुकसान पर विचार कर लेना इनके लिए अधिक बेहतर होता है.  

कूटनीतिक व्यवहार आपको अपने कार्यक्षेत्र या नौकरी में सफल होने में मदद करता है. लोगों से कैसे बात करनी है और उन्हें अपना समर्थन देने के लिए कैसे राजी करना है. इन बातों का अनुभव अच्छा होता है. अपने दृष्टिकोण को इस तरह से व्यक्त करने में कुशल हैं जिससे किसी को ठेस न पहुंचे. इस गुण के परिणामस्वरूप सफलता भी मिलती है. 

तुला राशि में मंगल के नकारात्मक लक्षण भी मिलते हैं. व्यक्तित्व का एक गुण जो सबसे अधिक हानिकारक है, वह है काम को टालना. इसके साथ ही विकल्पों पर विचार करने में बहुत अधिक समय व्यतीत कर देना भी परेशानी देता है. निर्णय लेने की क्षमता काफी सीमित रह सकती है.

विरोध से बचना तथा लड़ाई से दूर रहना अधिक पसंद करते हैं. तर्क व्यक्त करने के लिए अपनी राय ज़ोर से बोलने के बजाय अन्य लोगों की युक्तियों का उपयोग करते हैं.  व्यक्ति हर उस चीज़ की ओर आकर्षित हो सकते हैं जो बाहर से आकर्षक लगती है. कभी-कभी आप केवल अपने दिखने के आधार पर भी निर्णय ले सकते हैं, जो  हानिकारक हो सकता है. अपनी प्रतिष्ठा को बहुत अधिक महत्व देते हैं. लोगों का दिल जीतने के प्रयास में, कई बार दिखावा भी कर बैठते हैं. यह बातें मंगल के तुला राशि में होने से व्यक्तित्व में कुछ नकारात्मक असर दर्शाती हैं. 

तुला राशि में मंगल का करियर और रिश्तों पर  प्रभाव

मंगल की तुला राशि में अनुकूलता स्थापित करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है. यह चयन करना कठिन हो सकता है कि कौन सी चीज़ आकर्षित करती है. विपरीत लिंग के लोगों के साथ समय बिताना पसंद होता है, लेकिन व्यक्ति प्रतिबद्ध होने से झिझकता है. 

मंगल तुला राशि में होना लक्ष्यों को समय पर पूरा करने के लिए बहुत अच्छा होता है. जीवन अपनी गति से स्वतंत्र होकर जीने की इच्छा होती है. धीमी गति से न आगे बढ़ने से बचना चाहिए अन्यथा बहुत सारे मौके गवां सकते हैं. 

अपने लक्ष्यों तक जल्दी पहुंचना चाहते हैं, तो बेहतरी के लिए बदलाव करना आवश्यक होगा. तुला राशि में मंगल के साथ आपको भाग्य का अनुभव तभी हो सकता है जब सकारात्मक ऊर्जा को अपनाएंगे और सकारात्मक सोचेंगे. तुला राशि में मंगल वाले लोगों में असाधारण बातचीत कौशल होता है. अपने प्रभावी विवाद समाधान कौशल के कारण वे अक्सर उत्कृष्ट प्रशासक बनते हैं. तुला राशि में मंगल के साथ, व्यक्ति परिवार और दोस्तों के सुख के लिए जितना संभव हो किसी भी हद तक जा सकते हैं.

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सूर्य से बनने वाला नीच भंग राजयोग

नीच भंग को ज्योतिष में किसी ग्रह की कमजोर स्थिति का प्रबल होने का संकेत बनता है. यह ग्रहों की उनकी राशि भाव स्थिति के अनुसार अपना असर दिखाता है.  जब पंचधा मैत्री, नैसर्गिक मैत्री, तत्कालित मैत्री का उपयोग करते हैं तो किसी राशि में ग्रह की निम्नलिखित संभावित स्थितियाँ होती हैं. ग्रह के नीच भंग का निवारण कैसे हो सकता है और कौन कर सकता है तो इसके लिए कुंडली में मौजूद ग्रह की स्थिति को देखना जरुरी होता है.  

जब हम सूर्य के नीच भंग योग की बत करते हैं तो पहले सूर्य का नीचस्थ स्थिति का होना और उसके बाद इस स्थिति का समाप्त हो जाना यह दोनों बातें यहां काम करती हैं. जिस राशि पर सूर्य स्थित है उसका स्वामी शुक्र होता है. सूर्य में राशि में स्थित हो, वहां उच्च का हो जाता है. जिस राशि पर सूर्य उच्च होता है, उसका स्वामी मंगल होता है. 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार नीच भंग राजयोग एक प्रबल राजयोग है जो व्यक्ति को सक्षम और सक्षम बनाता है और अपने कर्मों के माध्यम से व्यक्ति जीवन में आने वाली सभी प्रकार की चुनौतियों को पीछे छोड़कर जीवन में सफलता की राह पर आगे बढ़ता है. जैसा कि नाम से पता चलता है, नीच भंग राजयोग के लिए पहली आवश्यक शर्त कुंडली में ग्रह का नीच होना है. यह बहुत ही प्रभावशाली राजयोग माना जाता है, जब कुंडली में छठा भाव आठवां भाव और भारहवें भाव के स्वामी एक ही भाव में स्थित हों तो यह राजयोग बनता है. ऐसा व्यक्ति राजनीति और प्रशासन में उच्च पदों पर आसीन होता है. नीचभंग राजयोग जिस ग्रह से बनता है उस ग्रह के क्षेत्र में व्यक्ति शासन करता है.

यदि यह स्थिति सूर्य द्वारा निर्मित हो तो ऐसे व्यक्ति की लोकप्रियता बहुत अधिक होती है. इस योग के कारण अत्यंत सामान्य परिवार में जन्मा बच्चा भी विश्व प्रसिद्ध व्यक्ति बन सकता है. किसी की कुंडली में राजयोग का बनना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि किसी भी कुंडली में राजयोग जितने मजबूत होते हैं, व्यक्ति का जीवन स्तर उतना ही बेहतर होता है और उसे जीवन में प्रसिद्धि और भाग्य मिलता है. महान सफलता, प्रसिद्धि, लक्ष्मी सब कुछ प्रदान करती है. यदि हम नीच भंग राजयोग के फल की बात करें तो इस योग में जन्म लेने से आपको कई प्रकार के सुख मिलते हैं और कुछ परेशानियों का सामना करने के बाद आप जीवन में निश्चित रूप से प्रगति करते हैं. नीच भंग राज योग के कारण आपके जीवन में धीरे-धीरे सफलता मिलने लगती है और आप बहुत मजबूत स्थिति में खड़े हो जाते हैं. यदि जन्म कुंडली में नीच भंग राज योग बनाने वाले ग्रह की महादशा या अंतर्दशा सही समय पर आती है तो व्यक्ति को फल देने में देर नहीं लगती है.

सूर्य का राशि प्रभाव और नीच भंग स्थिति 

सूर्य का नीच भंग राजयोग वायु तत्व राशियां मिथुन, तुला और कुंभ राशियों में संभव होता है. मिथुन राशि का स्वामी बुध, सूर्य के समतुल्य है, तुला राशि का स्वामी शुक्र, सूर्य का शत्रु है और कुंभ राशि का स्वामी शनि भी सूर्य का शत्रु है. तुला राशि में नीच का सूर्य लग्न में हो तो व्यक्ति सामाजिक गुणों से संपन्न होता है. इस स्थान पर सूर्य विशेष रूप से अपना कोई भी गुण देने में असमर्थ होता है. तुला एक परिवर्तनशील राशि है, इसलिए लोग घूमने-फिरने के शौकीन होते हैं लेकिन उनकी चिंताएं बढ़ती रहती हैं. छोटे-बड़े सभी को समान दृष्टि से देखा जाता है. लोकप्रिय भी बनाता है. 

व्यक्ति अपनी बुद्धि, सोच और ज्ञान से लोगों को समान रूप से आकर्षित करता है. तुला का सूर्य अच्छी राह दिखाता है ताकि कोई उन्हें बदनाम न कर दे. महिलाओं से पूर्ण सहयोग नहीं मिल पाता है. तुला लग्न में बुध और शुक्र हैं, बृहस्पति सूर्य को देख रहा है और नवांश में सूर्य उच्च का होता है तब यहां सूर्य नकारात्मक परिणाम नहीं देता. व्यक्ति समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाए रख पाने में सक्षम होता है. वह लोगों को दिशा दिखाता है. अपनी ताकत और कुशलता से वह हर तरह का काम बिना झुके और मिले ही कर लेने में सक्षम होता है. बुध और शुक्र पर नैसर्गिक शुभ ग्रह बृहस्पति की दृष्टि के कारण वे एक उदार नेता भी थे और जनता के कल्याण के लिए कार्य करते रहे. अन्याय करने की प्रवृत्ति कभी नहीं रहती है.

तुला राशि में नीच भंग सूर्य का प्रभाव 

लग्न में सूर्य नीच राशि तुला में है लेकिन वहीं शनि स्थिति है तो ऎसे में नीच भ्म्ग कि स्थिति बनती है. जन्म सूर्य के उगते समय नीच के सूर्य पर बृहस्पति की दृष्टि के कारण होने पर इसे शुभता मिलती है. चारों केन्द्रों में चार ग्रह होने से भी नीच भंग में सहयोग मिलता है.शुभ बृहस्पति की दृष्टि सूर्य पर होने से व्यक्ति कुछ ही समय में अच्छे धन को पाने में सक्षम होता है. वहीं चंद्र लग्न से गुरु की दृष्टि फिर से सूर्य पर होने से यह अनुकूल बनती है.  गुरु से संबंध निरंतर बना रहता है. इसका तात्पर्य यह है कि यदि सूर्य वायु तत्व तुला राशि में नीच राशि में हो तो भी कभी-कभी व्यक्ति को नीच का फल नहीं मिलता है. इस प्रकार के संबंध जैसे नीच भंग राजयोग, धनादि योग और कई प्रकार के राजयोग बनते हैं. अत: इसे नीच सूर्य कहकर नीच सूर्य मानना उचित नहीं है.

नीच का सूर्य एकादश भाव में भाग्येश होकर बैठता है. गुरु नीच उच्च होकर नीच को भंग करने में समर्थ होता है. कर्क राशि में बृहस्पति उच्च का होने के कारण इसका स्वामी लग्न से, चंद्र लग्न से केंद्र में तथा बृहस्पति की दृष्टि के अंतर्गत स्थित सूर्य का होना विशेष होगा. बृहस्पति शनि की दृष्टि के अंतर्गत स्थित होता है तथा सूर्य शनि लग्न से केंद्र में स्थित होता है. चन्द्र लग्न से केन्द्र में तथा चन्द्र लग्न से धन स्थान में होने पर भी नीच भंग को बल मिलता है. सूर्य जहां उच्च का है वहां का स्वामी मंगल नीच का होकर भी सूर्य की नीच भंग करता है. इसी प्रकार कई प्रकार से जब बृहस्पति सूर्य का प्रभाव पड़ता है तो व्यक्ति को कई राजयोग प्राप्त होते हैं. सिर्फ नीच ग्रह के नीच स्थिति में होने से व्यक्ति कमजोर नहीं हो जाता. नीचस्थ सूर्य पर शनि की दृष्टि है, लेकिन एक महिला की कुंडली में यदि सप्तमेश लग्न हो तो उसके पति का भाग्य बहुत प्रबल होता है. क्योंकि जहां सूर्य उच्च का होता है, वहां का स्वामी मंगल बृहस्पति से दृष्ट होने पर शुभ होता है. सूर्य नीच का होने के कारण राशि का स्वामी शुक्र सूर्य के साथ होने पर भी सूर्य का नीच भंग होता है.

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केतु का विभिन्न राशियों पर असर

केतु तब होता है जब चंद्रमा उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ता है और सूर्य के पथ को पार करता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, केतु दक्षिण नोड होता है और राहु को उत्तरी नोड के नाम से जाना जाता है. यह अपने रहस्यमय और हानिकारक गुणों के लिए जाना जाता है लेकिन बहुत से लोग नहीं जानते कि इसमें छिपे हुए गुण भी होते हैं. इसकी गतिविधियों, विचारों, व्यवहार या यहां तक कि इसके अस्तित्व के बारे में पूरी तरह से अनिश्चितता की संभावना है. केतु अच्छे और बुरे दोनों के कर्म संग्रह का प्रतिनिधित्व करता है और इसके चलते या तो लाभकारी या अशुभ के रूप में कार्य करता है. केतु विभिन्न राशियों के साथ अलग-अलग कार्य करता है और विभिन्न प्राथमिक शक्तियों को प्रभावित करता है. आइए देखें कि केतु प्रत्येक राशि के साथ क्या करता है:

केतु- विभिन्न राशियों पर प्रभाव

केतु का प्रभाव

 मेष राशि

केतु इस राशि का पक्षधर है और व्यक्तियों को जोश और ऊर्जा से लाभान्वित करता है. प्रथम भाव के व्यक्ति दुखी, अविश्वासी और असामाजिक हो सकते हैं, लेकिन बुद्धिमान और चतुर होंगे. शुक्र के साथ इस ग्रह का मित्रवत संबंध होने के कारण यह पिता के लिए अनुकूल होता है, लेकिन व्यक्ति के जीवनसाथी को स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

वृषभ राशि 

केतु पृथ्वी और शुक्र जैसे तत्वों का पक्षधर है लेकिन सफलता के लिए कड़ी मेहनत की मांग करता है. केतु सफलता की गारंटी देता है लेकिन देरी की उम्मीद करता है. भले ही व्यक्ति अच्छी आय अर्जित करता हो, लेकिन उसका खर्च उसकी भरपाई कर देगा. व्यक्ति में दिमाग पढ़ने जैसे गुणों का अनुभव होगा लेकिन फिर भी वह बेचैन और अशांत रहेगा. 

मिथुन राशि 

केतु तृतीय भाव को अनुकूल बनाकर व्यक्तिों को मनोरंजन और मीडिया जैसे रोजगार के क्षेत्रों में लाभ प्रदान करता है. यह व्यक्ति को जीवन में प्रसिद्ध और धनवान बनाएगा. मिथुन राशि का दोहरा स्वभाव केतु को अनेक विषयों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है. हालाँकि केतु कानूनी उलझनें पैदा करके व्यक्ति को परेशान कर सकता है.

कर्क राशि 

चंद्रमा, जो कर्क राशि के चौथे घर का स्वामी है, केतु का शत्रु है. चंद्रमा तत्व के कारण व्यक्ति को जीवन में कठिनाइयों और अच्छे परिणामों की कमी का सामना करना पड़ सकता है. व्यक्ति को अवसाद, तनाव और हृदय संबंधी समस्याओं का अनुभव हो सकता है. सुख-शांति का कारण देर-सवेर चिंता का कारण बन सकता है.

सिंह राशि 

प्रेम और शिक्षा के मामले में केतु प्रतिकूल है. केतु की उपस्थिति से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी हो सकती हैं. हृदय, रक्तचाप और अस्थमा से संबंधित रोग चिंता का कारण बन सकते हैं. सिंह राशि में केतु के कारण व्यक्ति को गर्भधारण में देरी या गर्भपात का भी सामना करना पड़ सकता है. सिंह राशि वालों को सलाह दी जाती है कि वे अपने स्वास्थ्य का अच्छे से ध्यान रखें.

कन्या राशि 

कन्या राशि में केतु अच्छे और अनुकूल परिणाम देता है. व्यक्ति का जीवन सुचारू और सुखी रहेगा. पर्याप्त आय होगी और व्यक्ति की कड़ी मेहनत के कारण समाज का नाम रोशन होगा. यदि व्यक्ति एकाग्र और एकाग्रचित्त हो तो केतु सफलता दिलाने में मदद कर सकता है. संभावना यह है कि वे विदेश में आराम से बस जाएं. व्यक्ति को कमजोर दृष्टि जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

तुला राशि

तुला राशि में केतु शुभ नहीं माना जाता है और इसका परिणाम प्रतिकूल होता है. सातवें घर में केतु की उपस्थिति से वैवाहिक जीवन और साझेदारी में टकराव की संभावना बढ़ जाती है. व्यक्ति विवाहेतर संबंध में रुचि ले सकता है और किसी समय तनाव और चिंता का कारण बन सकता है.

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि वालों को आंतों की खराबी, हर्निया या कुछ जननांग रोगों जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. कुंडली के आठवें घर में केतु के कारण समस्याएं उत्पन्न होती हैं. ज्योतिषियों का दावा है कि आठवां घर पत्नी से सुख दिलाता है. लेकिन केतु की उपस्थिति से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं जैसे प्रजनन अंगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. व्यक्ति को दुर्घटनाओं, चोटों का खतरा रहेगा और वित्तीय मामलों में तनाव का सामना करना पड़ सकता है.

धनु राशि 

नवम भाव में इसकी उपस्थिति का लाभ मिलता है. व्यक्ति आर्थिक रूप से मजबूत और स्थिर होगा. वे स्वास्थ्य समस्याओं की चिंता किए बिना सुखी और सहज जीवन जिएंगे. यदि वे कड़ी मेहनत करेंगे तो वे सफलता की राह बनाएंगे. व्यक्ति को धार्मिक स्थानों की यात्रा करने और धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने के पर्याप्त अवसर मिलेंगे.

मकर राशि 

दशम भाव में शनि की स्थिति उसके व्यवहार को प्रभावित करती है. यदि जन्म कुंडली में शनि की स्थिति मजबूत है, तो यह सकारात्मक और लाभकारी तरीके से काम करेगा. व्यक्ति भाग्यशाली और अवसरवादी होगा, लेकिन वह कम उम्र में ही अपने पिता के सुख की कमी अनुभव कर सकते हैं. 

कुम्भ राशि

धन के मामले में कुंभ राशि को भाग्यशाली माना जाता है. उन्हें आय के कई स्रोत मिलेंगे. व्यक्ति कई स्थितियों में खुद को भाग्यशाली पाएगा और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को संभालने में सक्षम होगा. षडयंत्रों में फंस सकते हैं लेकिन इससे मामला सुलझने में मदद मिलेगी. यदि स्थान अशुभ है, तो व्यक्ति को कठिन और कठोर जीवन जीना पड़ सकता है. करियर और जीवन में संघर्ष करना पड़ सकता है.

मीन राशि 

बारहवां घर वह स्थान है जहां खर्च और व्यय की स्थिति होती है. यह पिछले जीवन के कर्मों और अभी भी कर्म को दर्शाता है. यह गहरे घाव और बोझ की स्थिति को दिखाता है. इस भाव में केतु ग्रह वाले लोग रहस्य रखने और दमित कामुकता में अधिक प्रमुख होंगे. साथ ही, गलत चीजों के एवं समाज के प्रति संवेदनशील दिखाई दे सकते हैं. 

केतु मिश्रित फल को दिखाता है. यह शुभ या अशुभ दोनों प्रकार का गोचर करा सकता है. ऐसा माना जाता है कि ग्रह अपना प्रभाव पैरों के तलवों पर डालता है, जो त्वचा से संबंधित रोग, दिवास्वप्न, जोड़ों में दर्द और कारावास या मृत्यु आदि की संभावना दर्शाता है. लेकिन जब शुभ गोचर की बात आती है, तो इसके परिणाम अन्य की तुलना में कहीं अधिक शुभ होते हैं. शुभ ग्रहों का योग. जिस कारण कुछ विद्वान इसे शुभ ग्रहों की श्रेणी में रखना पसंद करते हैं.

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लग्न कुंडली और नवांश कुंडली में ग्रहों की भूमिका

जन्म कुंडली को ही लग्न कुंडली के नाम से जाना जाता है ओर नवमांश कुंडली का निर्माण ग्रहों की शक्ति को बता है. ग्रह कितने शुभ और खराब हो सकते हैं इसका असर नवांश से देखा जाता है. लग्न कुंडली संपुर्ण अस्थित्व है ओर नवांश कुंडली उस अस्तित्व में आने वाले पड़ावों की भूमिका तय करने वाली होती है. लग्न कुंडली का लग्न ओर नवांश कुंडली का लग्न काफी विशेष होते हैं. यहां मौजूद ग्रह व्यक्ति के जीवन पर काफी गहरा असर दिखाते हैं. लग्न में मौजूद ग्रह और नवांश में मौजुद ग्रह का फल प्रत्येक ग्रह की स्थिति और उसके प्रभाव के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. नवांश कुंडली में लग्न की विशेष भूमिका होती है. यह जीवन में होने वाली घटनाओं पर विशेष नजर रखता है. लग्न में मौजूद राशि और उसके स्वामी की स्थिति विशेष होती है, जिसके कारण व्यक्ति को अपने जीवन में कुछ विशेष प्रभाव देखने को मिलते हैं.

मेष लग्न का गुण एवं विशेषताएं

लग्न या नवांश कुंडली में मेष राशि हो तो उसका प्रभाव जीवन पर दिखाई देगा. यह व्यक्ति को आंतरिक आत्मविश्वास देने में भी सहायक होता है. आपको कार्यों को सीखने और नई चीजों को आजमाने की क्षमता भी मिलेगी. कुछ व्यावहारिक विचारों का असर व्यवहार में भी दिखेगा, लेकिन साथ ही व्यक्ति में अपनी असफलताओं से उबरने की इच्छा भी बनी रह सकती है. व्यक्ति अपनी गतिविधियों में बहुत मेहनती रह सकता है और आक्रामक और प्रतिस्पर्धी होने की भावना भी दिखा सकता है. मेहनती और आत्म-केंद्रित, वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहेगा और जो भी कार्य करेगा उसमें उत्कृष्टता हासिल करना चाहेगा.

वृषभ लग्न का गुण एवं विशेषताएं

लग्न या नवांश कुंडली में वृषभ राशि हो तो जातक के स्वभाव एवं भावनात्मक स्थिति में कहीं न कहीं स्थिरता अवश्य होगी. वह खुद को दिखाने की चाहत भी रखेगा लेकिन साथ ही उन बातों को छिपाएगा जो उसकी कमजोरी साबित हो सकती हैं. जातक आमतौर पर आकर्षक होगा और उसके अनुरूप ढल भी जाएगा. खासतौर पर बिजनेस के लिए काम करने की उनकी क्षमता बेहतर होती है. किसी रचनात्मक गुण में भी उनकी रुचि देखी जा सकती है. इसका प्रभाव कला, संगीत, विज्ञान और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में अवश्य देखा जा सकता है. भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति की भी इच्छा रहेगी.

मिथुन लग्न का गुण एवं विशेषताएं

लग्न या नवांश कुंडली में मिथुन राशि का होना व्यक्ति को कुछ अलग करने का उत्साह देता है. यह व्यक्ति में व्यावहारिकता का गुण प्रदान करता है. एक साथ कई काम करने की इच्छा हो सकती है. सक्रिय लेकिन अस्थिर मन से व्यक्तित्व हासिल किया जा सकता है. ये बुद्धिजीवी होते हैं लेकिन बेकार की बातों में पड़कर इस गुण को नजरअंदाज कर सकते हैं. मिथुन राशि का प्रभाव बुद्धिमता को दर्शाता है.

कर्क लग्न का का गुण एवं विशेषताएं

लग्न या नवांश कुंडली में कर्क राशि का होना व्यक्ति का भावनात्मक पक्ष अधिक कार्य कर सकता है. उनका चुंबकीय आकर्षण, दृढ़ और महत्वाकांक्षी गुण उनके कार्यस्थल को भी प्रभावित करते हैं. साथ ही काम में सफलता पाने की इच्छा भी अधिक होती है. जातक अत्यंत तेजस्वी, उत्साही, संवेदनशील, कल्पनाशील, परिश्रमी, बुद्धिमान एवं भावुक हो सकता है. इसके साथ ही उसके अंदर कुछ कलात्मक भी हो सकता है या फिर उसका रुझान भी इस ओर हो सकता है. अपनी चीजों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है.

सिंह लग्न का का गुण एवं विशेषताएं

लग्न या नवमांश कुंडली में सिंह राशि का होना बेहतर और मजबूत व्यक्तित्व के निर्माण का संकेत देता है. जातक में दिखावा करने की प्रवृत्ति भी हो सकती है. प्रभावशाली व्यक्तित्व के साथ-साथ उनमें स्वयं को सदैव आगे रखने की चाहत भी रहेगी. वह दूसरों को उनके काम में मार्गदर्शन करने और अपने विचारों को दृढ़ विश्वास के साथ आगे बढ़ाने में बहुत मजबूत होंगे. उसे निडर, शक्तिशाली, आत्मविश्वासी और अति महत्वाकांक्षी होने का भी एहसास होगा. आप एक स्वतंत्र विचारक और साहसी स्वभाव भी प्राप्त कर सकते हैं. कार्य को अपनी इच्छानुसार करने में अधिक तत्पर रहेंगे तथा निर्देश देने में कुशल होंगे.

कन्या लग्न का गुण एवं विशेषताएं

लग्न या नवांश में कन्या राशि होने पर व्यक्ति अपने बारे में और बाहरी दुनिया के बारे में जानने में अधिक रुचि रखता है. ये लोग अभिव्यक्ति जानते हैं, अगर कुछ करना हो तो किसी की मदद लेने को भी तैयार रहते हैं. वे अपनी ओर से भी समर्पण चाहते हैं. ये लोग जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण में तार्किक, व्यावहारिक और व्यवस्थित हो सकते हैं. भौतिक संसार में गहराई से जड़ें जमा सकता है. आप कड़ी मेहनत और निरंतर अभ्यास के माध्यम से अपने कौशल में सुधार करने का प्रयास कर सकते हैं.

तुला लग्न का गुण एवं विशेषताएं

लग्न या नवांश कुंडली में तुला राशि की उपस्थिति व्यक्तित्व में इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं को एक अलग ही रंग देती है. व्यक्ति में संतुलन, सामंजस्य और न्याय का कौशल होता है. तुला राशि की ऊर्जा व्यक्ति को नई चीजों को अपनाने के लिए समय और सहजता देती है. आपके जीवन में संतुलन की तलाश भी जारी रह सकती है. भावनाएँ काम करती हैं और इसके कारण कभी-कभी दूसरों पर निर्भरता की भावना बढ़ जाती है.

वृश्चिक लग्न का गुण एवं विशेषताएं

लग्न या नवमांश कुंडली में वृश्चिक राशि का होना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. जीवन का अधिकांश भाग भ्रम और रहस्यमय स्थितियों के प्रभाव में रह सकता है. व्यक्ति में जुझारूपन की भावना देखी जा सकती है. अपनी हार को जीत में बदलने की चाहत काफी प्रबल दिखाई दे सकती है. भौतिक सुख-सुविधाओं की चाहत और उनके प्रति उपेक्षा की भावना के बीच भी संघर्ष हो सकता है. वे पूर्व दिखा सकते हैं उनकी मानसिक क्षमताओं के साथ असाधारण साहस.

धनु लग्न का गुण एवं विशेषताएं

लग्न या नवांश में धनु राशि का होना साहसी एवं आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. धनु जहां भी जाता है अपनी छाप जरूर छोड़ता है. यह निर्भयता को दर्शाता है. व्यक्ति सदैव ज्ञान की खोज में रह सकता है. भौगोलिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक साहसिक कार्यों में आगे रह सकते हैं. उनमें कार्यों को अपने अनुसार करने का उत्साह अधिक हो सकता है. बुद्धिमान, खुला और हमेशा आशावादी हैं. रोमांच चाहने वाले लोग अपनी किस्मत और सकारात्मकता पर भरोसा करते हैं. नई जगहों की खोज और नए अनुभवों को आज़माने के लिए तत्पर रहें.

मकर लग्न का गुण एवं विशेषताएं

नवांश या लग्न में मकर राशि का होना व्यक्ति में स्पष्ट रूप से आगे बढ़ने की इच्छा अधिक दे सकता है. किसी काम में इनकी अधिकता परेशानी का कारण भी बन सकती है. केवल धैर्य, दृढ़ता और समर्पण ही उन्हें आगे बढ़ने में मदद कर सकता है. शारीरिक और भावनात्मक दोनों क्षेत्रों में बहुत अधिक प्रयास की आवश्यकता होती है तभी उचित परिणाम प्राप्त हो सकते हैं.

कुंभ लग्न का गुण एवं विशेषताएं

नवांश या लग्न रूप में कुंभ राशि का होना एक स्वतंत्र और उन्मुक्त दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है. इससे एक ऐसी स्थिति बनती है जिसमें कुछ बदलाव और ढेर सारे मनोरंजन की आवश्यकता होती है. उनमें संतुष्टि की कमी अधिक हो सकती है. हर वक्त कुछ नया करने की चाहत होती है. खुद को बेहतर जगह पर खड़ा देखने की चाहत उन्हें कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है. इनमें बहुत सारे गुप्त गुण भी होते हैं और दूसरों का इनके प्रति आकर्षण भी दिखता है.

मीन लग्न का गुण एवं विशेषताएं

नवांश या लग्न कुण्डली में मीन राशि का होना व्यक्ति के विचारों एवं भावनात्मक पक्ष पर अधिक केन्द्रित प्रतीत होता है. बुद्धिमान, उत्साही, संवेदनशील, सक्रिय और बहुत रचनात्मक हो सकते हैं. आध्यात्म की ओर इनका गहरा रुझान हो सकता है लेकिन इसके अपने विचार होते हैं.

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कर्क राशि में वक्री शुक्र का प्रभाव और आपकी राशि पर इसका असर

कर्क राशि और शुक्र दोनों ही स्त्री तत्व युक्त शीतलता से भरपुर ग्रह माने जाते हैं. इन दोनों की स्थिति का जीवन पर असर व्यक्ति को कुछ अधिक महत्वाकांक्षी भी बना देता है ओर साथ में जल्द से काम करने को लेकर उत्सुक भी बनाता है. शुक्र प्रेम, रिश्ते, सौंदर्य को दिखाता है और चंद्रमा अके भावनात्मक पक्ष पर पकड़ बनाता है. अब इन दोनों की शीतलता का असर भी व्यक्ति को खूब मिलता है लेकिन इन दोनों का असर व्यक्ति को भावुक , मन मर्जी करने वाला और जिद्दी भी बनाता है. लेकिन यह सभी बातें तब अधिक देखने को मिलती हैं जब शुक्र की स्थिति या चंद्रमा की स्थिति कमजोर हो रही है. अब शुक्र अगर कर्क राशि में हो और वक्री होकर बैठा हुआ हो तब ऎसी बात देखने को मिल सकती है. 

शुक्र कर्क राशि में जब होता है तो बहुत ही खास तरीके से अपने फलों को देता है. यहां बैठ कर शुक्र अच्छा अनुभव दिखाता है. सभी के साथ मेल जोल की स्थिति एवं लगाव को दर्शाने वाला हो सकता है. दूसरों के साथ जल्द ही जुड़ सकता है. लोगों को अपनी कंपनी में सहज महसूस करवा सकता है, वह जहां भी होगा व्यक्ति अपना स्नेह फैलाने के लिए तत्पर हो सकता है. कर्क राशि में शुक्र रिश्तों के लिए अधिक उत्साहित होता है वह भावनात्मक रूप से प्यार को पाना चाहता है. क्योंकि शुक्र संवेदनशीलता को दिखाता है वहीं कर्क राशि भावनाओं का बहाव लाती है. कर्क राशि प्रेम और परिवार के संबंध में गहरा स्थान चाहती है. पर परेशानी ओर दुविधा तब अधिक बन सकती है जब शुक्र में वक्रता का असर आ जाए. दोनों एक साथ मिलते हैं तो घनिष्ठता लाते हैं लेकिन अब चीजों में एक निष्ठता का असर कम हो जाता है. शुक्र का वक्री होनाीअधिकता की संभावना पैदा होती है, और हमारे रिश्ते बनाने का मौका भी बढ़ जाता है. एक से अधिक रिश्तों का असर जीवन पर पड़ता है.    

कर्क राशि में वक्री  शुक्र गोचर का प्रत्येक राशि पर प्रभाव

मेष राशि – मेष राशि के लिए वक्री शुक्र आपके रिश्तों को प्रभावित कर सकता है. लव लाइफ में थोड़ा बदलावदे सकता है. वक्री शुक्र के कारण अधिक संवेदनशील और भावुक हो जायेंगे. इससे आपके करियर और कामकाज पर असर पड़ सकता है. इस समय खर्चों की अधिकता भी रह सकती है. 

वृषभ राशि 

वक्री शुक्र के कारण राशि का असर मानसिकता को बदल देने वाला होगा.  इससे आपके जीवन में बदलाव आएगा. प्रियजनों के साथ भावनात्मक रूप से कुछ कमी का अनुभव महसूस कर सकते हैं. दोस्तों और परिवार के साथ व्यर्थ की बातों पत तनाव भी हो सकता है. हेल्थ और काम इन पर अधिक समय देने की जरुरत होगी.  

मिथुन राशि

वक्री शुक्र का असर आर्थिक मामलों को कमजोर करने वाला हो सकता है. शुक्र अपना कुछ नकारात्मक प्रभाव देगा. व्यापार करने वाले को धन के अधिक खर्च से बचना होगा. संतान और पार्टनर के साथ संबंध कुछ मिलेजुले से रह सकते हैं. समस्याओं का समाधान होगा लेकिन समय लगेगा. कोई मामलें अचानक से चिंता दे सकते हैं खान पान का सही से ध्यान रखने की जरुरत होगी. 

कर्क राशि 

वक्री शुक्र का असर कुछ भावनात्मक रुप से चिंता में डाल सकता है. इस परिवर्तन के बाद कर्क राशि वालों के लिए यह समय रिश्तों को लेकर बदलाव भी दे सकता है. आलस्य के चलते कामों में देरी और लापरवाही जैसी बातें परेशान कर सकती है. लव पार्टनर के साथ कुछ अनबन हो सकती है इसलिए स्थिति अनुसार शांत रहते हुए काम करना ही उचित होगा. 

सिंह राशि 

सिंह राशि के लोग इस समय वक्री शुक्र के कारण खर्चों की अधिकता से परेशान हो सकते हैं. यात्राएं अधिक होंगी तो कुछ व्यर्थ की ही सिद्ध हो सकती हैं. वैसे इस समय अधिक आत्मविश्वासी बनेंगे. इससे उन्हें फायदा होगा. वे जीवन में नए प्रेम संबंधों का स्वागत कर सकते हैं. यदि आप प्रेम संबंध में हैं तो यह समय रिश्ते के लिए अनुकूल रहेगा.

कन्या राशि 

कन्या राशि वालों के लिए वक्री शुक्र का असर, सामाजिक स्तर पर अधिक व्यस्तता देगा. इस समय कुछ मामलों में लोगों के साथ तालमेल की कमी अनुभव हो सकती है. वक्री शुक्र के कारण परिवार से दूर भी रहने की स्थिति निर्मित होती है. कुछ नए दोस्त बनेंगे ओर नए कामों में शामिल होने का अच्छा समय रह सकता है. अपने स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से सावधान रहने की जरुरत होगी.

तुला राशि 

तुला राशि के लिए शुक्र का वक्री होना मानसिक रुप से जल्दबाजी वाला होगा. शुक्र का गोचर जीवन में खुशियां लाएगा. गुप्त प्रेम या किसी अन्य प्रकार की गुप्त पूर्ति आपको संतुष्ट कर देगी. इस दौरान लोग कई चीज़ों की ओर आकर्षित होंगे, जैसे विलासिता, प्यार और रिश्ते.

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के लिए शुक्र का नवम भाव में कर्क राशि में वक्री होना नए रोमांच देगा. इस समय भागदौड़ अधिक रह सकती है. अपने मन की इच्छाओं को पूरा करने के लिए आप उत्साहित भी रह सकते हैं. जीवनसाथी के साथ भरपूर रोमांस के मौके मिलेंगे और आपके रिश्ते में सुधार आएगा. यह गोचर आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहेगा. आपको सलाह दी जाती है कि कभी-कभी खुद को भी दें और बहुत अधिक भौतिकवादी बनने से बचें और अपने प्रियजनों के मूल्य को समझें.

धनु राशि 

धनु राशि वालों के लिए शुक्र का आठवें भाव में वक्री होना आध्यात्मिक रुप से नई चीजों से जोड़ने वाला होगा. आप गुप्त अनुसंधानों में शामिल हो सकते हैं. अचानक से कुछ ऎसी चीजें भी मिल सकती हैं जिनके द्बारा तनाव भी हो सकता है. यौन संबंधों को लेकर सजग रहें. संक्रमण इत्यादि का खतरा इस समय बढ़ सकता है. धनु राशि वालों के लिए यह गोचर मिलेजुले असर दिखाएगा इसलिए जो काम करें उसे ध्यान पूर्वक ही करें. स्वास्थ्य का ख़्याल रखने की सलाह दी जाती है. लंबे समय तक स्क्रीन पर काम करने से बचें. आप अपने आध्यात्मिक विकास पर काम करेंगे और विभिन्न धार्मिक स्थानों की यात्रा कर सकते हैं.

मकर राशि 

कर्क राशि के लिए शुक्र का वक्री होना जीवन में नए मौके देने वाला होगा लेकिन जीवन साथी की ओर से चिंता भी देगा. इस समय आप अपने परिवार में चल रही बातों के कारण तनाव को झेल सकते हैं. यह गोचर आपके जीवन में कई अवसर लाएगा. आपकी मनचाही इच्छाएं पूरी होंगी लेकिन इसी के साथ आप की हडबड़ी के चलते कुछ परेशानी भी हो सकती है. संक्रमण इत्यादि का खतरा इस समय सेहत को कुछ कमजोर भी कर सकता है. 

कुंभ राशि 

कुंभ राशि के लिए शुक्र का छठे भाव में कर्क राशि में वक्री होना हेल्थ पर असर डालने वाला होगा. आप के लिए जरुरी है की अपनी सेहत को लेकर अधिक सजग रहें. खान पान में लापरवाही नुकसान दे सकती है. धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं. इस समय कुछ विरोधियों का असर भी चिंता दे सकता है लेकिन आप अपनी बातों से उन्हें बहला भी सकते हैं. प्रतिस्पर्धाओं का दौर अभी रहने वाला है. 

मीन राशि 

मीन राशि वालों के लिए शुक्र का वक्री होना काम में तेजी को देगा लेकिन आपको कुछ अस्त व्यस्त कर देने वाला भी होगा. यह गोचर आपके जीवन में नए लोगों का संग भी ला सकता है. जोश और प्यार भी होगा लेकिन इस समय सेहत के कारण अधिक परेशानी अनुभव हो सकती है. आर्थिक परेशानियां दूर होंगी. सलाह दी जाती है कि यात्रा पर जाएं और अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें. 

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सूर्य की होरा का ज्योतिष अनुसार प्रभाव

होरा का असर कई मायनों में महत्व रखता है. ज्योतिष में होरा का असर कई तरह से जीवन पर असर डालता है.ऎसे में होरा आर्थिक जीवन, विवाह, सुख या मुहूर्त इत्यादि पर अपना असर डालने वाला होता है. मुहूर्त शास्त्र में होरा की भूमिका बहुत ही विशेष असर होता है. अब सूर्य की होरा का असर कई मायनों में विशेष होता है. सूर्य की होरा में जन्मा व्यक्ति अधिक उत्साहित और सूर्य की भांति अग्रसर दिखाई देगा. सूर्य की होरा का प्रभाव व्यक्ति के व्यवहार, उसके काम काज, एवं उसकी जीवनशैली पर भी पड़ता है. सूर्य की होरा का असर जब होता है तो व्यक्ति के काम पर भी इसका प्रभाव देखने को मिलता है. 

सूर्य की होरा में जन्में व्यक्ति का जीवन सूर्य के प्रभावों से जुड़ा होता है. उसके भीतर क्रोध, उत्साह तेजी, अभिमान, स्वाभिमान जैसे गुण होते हैं. सूर्य की होरा व्यक्ति के जीवन को कई तरह से प्रभावित करने वाली होती है. 

सूर्य की होरा का जीवन पर असर 

सूर्य की होरा को समझने से पूर्व सूर्य के गुण एवं उसके कारक तत्वों को समझने की अधिक आवश्यकता होती है. सूर्य, ज्योतिष नवग्रहों में सबसे प्रमुख हैं, सूर्य स्वयं का प्रतिनिधित्व करता है और इसमें पुरुष ऊर्जा है, यह सिंह राशि का स्वामी है और कृत्तिका, उत्तराफाल्गुनी और उत्तराषाढ़ा सितारों का स्वामी है, प्रत्येक राशि का भ्रमण करने में उसे एक महीने का समय लगता है.  सूर्य एक राजसी ग्रह है इसमें विवेक, बुद्धि, व्यक्तित्व, साहस, सरकार, राजपरिवार, उच्च पद, नेतृत्व, कष्ट सहने की क्षमता, प्रतिरक्षा, प्रसिद्धि, आत्म-गुण जैसे गुण हैं, निर्भरता, उदार रवैया, सम्मान, विश्वसनीयता, सूर्य पिता का प्रतीक है, राजा का स्थान पाता है. शक्ति और अधिकार के लिए विशेष होता है. 

अब सूर्य इतना प्रमुख ग्रह है और जन्म कुंडली में सूर्य अच्छी स्थिति में है, तो यह बुद्धि, दृढ़ इच्छाशक्ति, चरित्र, जीवन शक्ति, अधिकार, साहस, आत्मविश्वास और नेतृत्व प्रदान करने वाला ग्रह बन जाता है. साथ ही, यदि सूर्य बहुत अधिक मजबूत स्थिति में है, तो इसका परिणाम अभिमान, अहंकार और अति आत्मविश्वास, आत्म-केंद्रित स्वभाव, हर किसी से आगे निकल जाने जैसी प्रवृतियों को जन्म देने वाला होता है. कमजोर स्थिति में सूर्य व्यक्ति को कमजोर बना सकता है, आत्मविश्वास की कमी दे सकता है. आत्मसम्मान में कमी, नम्रता में कमी, दूसरों पर हावी होने की इच्छा और ऊर्जा की कमी इस समय अधिक देखने को मिल सकती है. 

सूर्य की होरा का व्यक्तित्व पर प्रभाव 

सूर्य की स्थिति जुनून, नेतृत्व, गतिशीलता, कौशल, संचार और प्रबंधकीय कौशल को दर्शाने वाली होती है. व्यक्ति चीजें सीखने में बेहतर होता है. टीम वर्क करने में बहुत बेहतर होता है. इन गुणों में सूर्य की होरा में जन्मा व्यक्ति इन चीजों से प्रभावित रहता है. उसके काम की स्थिति इन चीजों के द्वारा अधिक प्रभाव में दिखाई देती है. सूर्य की होरा का असर व्यक्ति को अपने आस पास की चीजों के प्रति सजग बनाता है लेकिन वह कई बार लापरवाही के साथ उन पर काम करता है.  सूर्य की होरा में होने के कारण व्यक्ति स्वाभाविक रूप से कलाकार होता है. वह अपने आस पास के लोगों को खुश और संतुष्ट रहने के लिए अपने इन गुणों को उपयोग करने में आगे रह सकता है. सूर्य की होरा में होने के कारण जिस काम को पसंद होता है और वे उसके प्रति समर्पित होता है. 

वह बिना रुके आगे बढ़ने के लिए ललायित रहता है. खुद को किसी काम में गहराई से शामिल कर लेने में उसका गुण बहुत होता है. उसके लिए हर समय काम करना और बेहद व्यस्त रहना अच्छा होता है. वह मेहनत के साथ आगे बढ़ता है. सूर्य की होरा का असर व्यक्ति को जुनून से काम करने वाला बनाता है. यह लोग जो भी काम करते हैं उसमें अपना पूर्ण देने की इच्छा भी रखते हैं. निष्ठा ईमानदारी करियर की सबसे बड़ी ताकत भी होती है. काम सहित अपने हर काम में सूर्य की होरा वाला व्यक्ति उग्र तीव्रता के साथ आगे बढ़ता है, यह लोग जो कर रहे हैं उस पर विश्वास करते हैं. अपने इसी भरोसे के कारण इन्हें कोई नहीं रोक सकता. इन लोगों को विलासिता पसंद होती है. अधिक धन और जीवन को बेहतर बनाने के लिए परिश्रम भी खूब करते हैं. 

 सूर्य की होरा में करियर पर असर 

सूर्य की होरा का प्रभाव व्यक्ति को कमाई के लिए इच्छुक बनाता है. अच्छी जीवन शैली को लेकर भी ये लोग बेहद उत्साहित देखे जा सकते हैं. 

सूर्य की होरा का प्रभाव राजनेता या सरकार में किसी शक्तिशाली पद प्रदान करने वाला होता है. व्यक्ति इस होरा में जन्म लेने पर एक अच्छे करियर के लिए उन्मुख दिखाई देता है. अपने काम में बंधन इन्हें पसंद नहीं होगा. जहां काम करेंगे वहां खुश और संतुष्ट महसूस करने की उनकी चाह जब भी बाधित होगी वह अपना अच्छा प्रदर्शन नहीम कर पाएंगे. यह सूर्य की होरा के प्रभाव के कारण एक अच्छे बिजनेसमैन हो सकते हैं. इसके साथ ही उनके पास मजबूत संचार और प्रबंधकीय कौशल भी होता है.  कंपनी के अध्यक्ष, निदेशकों या प्रबंधकों के रूप में उत्कृष्टता से काम करने वाले होते हैं. 

नेतृत्व और शक्तिशाली स्थिति इनके काम में दिखाई देती है. एक उत्कृष्ट आयोजक और विश्लेषक का काम भी ये अच्छे से कर सकते हैं इसलिए नई परियोजनाओं के लिए अच्छी तरह से आधार तैयार करते हैं. आत्म दृष्टिकोण भी इनमें मजबूत होता है. औद्योगिक क्षेत्र में नौकरी के लिए उपयुक्त होते हैं. आकर्षण से भरपूर और लोगों से बात करना पसंद करते हैं एक अच्छे वक्ता और राजनयिक हो सकते हैं. आप सैनिक या सर्जन भी बन सकते हैं. इंजीनियरिंग, वास्तुकला, कानून या प्रशासनिक सेवाओं, कृषि, परिवहन और चिकित्सा की ओर हो सकता है,  

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कन्या राशि में चंद्र-केतु गोचर का प्रभाव

ग्रहों के गोचर में युति गोचर की भूमिका काफी विशेष मानी गई है. ऎसे में जब एक शुभ और एक पाप ग्रह आपस में साथ होकर गोचर करते हैं तो इसका असर व्यापक रुप से देखने को मिलता है. यह गोचर कई मायनों में अपने परिणाम दिखा सकता है. जब केतु के साथ चंद्रमा के गोचर की बात आती है तो यह समय अधिक सजगता से बिताने का होता है. यह द्नों ग्रह काफी नाजुक युति को दिखाते हैं. जिस राशि में इनका युति गोचर होता है वह भी काफी महत्वपूर्ण होता है. 

केतु गोचर व्यक्तियों के जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के महत्वपूर्ण परिवर्तन लाता है और चंद्रमा मन पर सीधा असर करता है. कन्या राशि पोषण की राशि है जो जीवन के लिए सुरक्षा और देखभाल से भरपूर होती है. अब इन तीनों का योग जब एक साथ होता है तो यह असर सभी के लिए होता है. 

कन्या राशि में चंद्रमा के साथ केतु के गोचर का प्रत्येक राशि पर अलग-अलग प्रभाव पड़ सकता है. प्रत्येक राशि पर केतु चंद्र के कन्या राशि में गोचर का प्रभाव इस प्रकार होगा. 

मेष राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

मेष राशि के लिए चंद्र केतु गोचर आप लोगों को नई चुनौतियों से रुबरु करा सकता है. सफलता के मौके होंगे. केतु और चंद्रमा का गोचर आपके करियर और कारोबार में अप्रत्याशित बदलाव ला सकता है. आप अपनी दिशा और उद्देश्य के बारे में अनिश्चित महसूस कर सकते हैं लेकिन भरोसा रखें कि यह विकास और परिवर्तन का समय है. इस समय अधिक विचलित होने से बचना ही उचित होगा.

वृषभ राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

वृषभ राशि के लिए चंद्र केतु गोचर अचानक से किसी खर्च या कोई नए कार्य को दे सकता है. यह गोचर आपकी आध्यात्मिक मान्यताओं और प्रथाओं में बदलाव ला सकता है. कुछ नई आध्यात्मिक प्रथाओं की खोज करने और जीवन में गहरे अर्थ खोजने के लिए किसी आश्रम या धर्म गुरु की दिशा में खिंचाव महसूस कर सकते हैं.

मिथुन राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

मिथुन राशि के लिए चंद्र केतु गोचर आपके लाभ को बढ़ा सकता है लेकिन दोस्तों के साथ परेशानी दे सकता है.कन्या राशि में केतु गोचर वित्तीय अस्थिरता और अनिश्चितता ला सकता है. आपको अप्रत्याशित ख़र्चों या आय में उतार-चढ़ाव का अनुभव हो सकता है. इस समय अपने बड़े या किसी वरिष्ठ के साथ कुछ परेशानी हो सकती हैं  लेकिन विश्वास रखें कि चीज़ें स्थिर हो जाएंगी.

कर्क राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

कर्क राशि के लिए चंद्र केतु गोचर तनाव अधिक देने वाला होगा. यह गोचर आपके आंतरिक स्व और अवचेतन मन के साथ गहरा संबंध ला सकता है और इस समय आप खुद को लेकर अधिक बेचैन रहने वाले हैं. अपने काम में नवीनता लाने के लिए कुछ कर सकते हैं. इस दौरान आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि का अनुभव हो सकता है. परिवार में स्थिति को लेकर अधिक बहसबाजी से दूर रहना हितकर होगा.

सिंह राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

सिंह राशि के लिए चंद्र केतु गोचर भाग्य के सहयोग को देगा लेकिन कुछ मामलों में भटकाव भी रहेगा. केतु का कन्या राशि में गोचर रिश्ते में अप्रत्याशित बदलाव ला सकता है. आप अपने प्रियजनों के साथ संघर्ष या किसी बात को लेकर गलतफहमी का अनुभव कर सकते हैं. पिता के साथ कुछ तनाव हो सकता है. कोई यात्रा अचानक से ही बनने वाली है. 

कन्या राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

कन्या राशि के लिए चंद्र केतु गोचर आध्यात्मिक और गुढ़ विषयों पर मजबूत पकड़ देने वाला होगा. मानसिक रुप से उधेड़बुन भी होगी, लेकिन मार्ग भी दिखाई देगा. यह गोचर आध्यात्मिक जागृति और जीवन में आपके उद्देश्य की गहरी समझ ला सकता है. इस दौरान, अंतर्ज्ञान मजबूत रह सकता है. विदेश यात्रा के लिए समय मिलेगा या किसी विशिष्ट व्यक्ति का संपर्क विचारधारा को बदल देने वाला होगा. 

तुला राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

तुला राशि के लिए चंद्र केतु गोचर वैवाहिक जीवन में कुछ चुनौतियाँ ला सकता है. रिश्ते में कुछ अलगाव हो सकता है. परिवार के साथ अनबन अधिक हो सकती है. कहीं बाहर जाकर रहना पड़ सकता है. असफलताओं या अप्रत्याशित परिवर्तनों का अनुभव हो सकता है लेकिन भरोसा रखें कि ये अस्थायी हैं और बड़े अवसरों का समय जरूर मिल पाएगा. 

वृश्चिक राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

वृश्चिक राशि के लिए चंद्र केतु गोचर लाभ के मौके देगा, इस समय कुछ वाणी में कठोरता भी अधिक बढ़ सकती है. यह गोचर आपके आध्यात्मिक विश्वासों के अलावा सामाजिक प्रथाओं की गहरी समझ ला सकता है. नई मित्रता को अपना सकते हैं. छात्र कुछ दुविधा में रह सकते हैं. आध्यात्मिक शिक्षाओं की खोज की ओर आकर्षित हो सकते हैं और जीवन में गहरे अर्थ की तलाश कर सकते हैं.

धनु राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

धनु राशि के लिए चंद्र केतु गोचर काम काज में कुछ तेजी देगा लेकिन आर्थिक पक्ष अभी कमजोर होगा. इस समय किसी बड़े निवेश से बचना ही सही होगा. केतु चंद्र का कन्या राशि में होना वित्तीय अस्थिरता और अनिश्चितता ला सकता है. आपको अप्रत्याशित अनुभव हो सकता है ख़र्चे या आय में उतार-चढ़ाव लेकिन भरोसा रखें कि अंततः चीज़ें स्थिर हो जाएंगी.

मकर राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

मकर राशि के लिए चंद्र केतु गोचर आपके भीतर उत्साह भरने वाला होगा लेकिन जोश में होश का ध्यान रखते हुए काम किया जाना अधिक बेहतर होगा. यह गोचर बाहरी लोगों के साथ संपर्क को बढ़ा सकता है. इस दौरान आपको कुछ मामलों में धीमी गति से ही आगे बढ़ना चाहिए. नए रिश्ते इस समय आपके मन को चंचल भी कर सकते हैं. 

कुंभ राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

कुंभ राशि के लिए चंद्र केतु गोचर आपके भीतर कुछ नवीन वस्तुओं की खोज को देने वाला होगा. अपने पुराने अनुभवों को लेकर आप अधिक जागरुक भी होंगे. कुछ अप्रत्याशित बदलाव ला सकता है. इस समय आध्यात्मिक रुप से व्यस्त रहेंगे. अचानक से लोगों के साथ मेल जोल होगा साथ ही गुप्त रहस्यों का पता लग सकता है. 

मीन राशि के लिए चंद्र केतु गोचर 

मीन राशि के लिए चंद्र केतु गोचर प्रेम संबंधों को कुछ कमजोर कर सकता है. अलगाव का अनुभव हो सकता है. इस समय आप रिश्तों में काफी उधेड़बुन में दिखाई देने वाले हैं.सामाजिक रुप से कुछ दूरी भी बना सकते हैं. किसी नए काम की शुरुआत को लेकर उत्साहित होंगे. आर्थिक रुप से खर्चों की अधिकता अभी बनी रहने वाली है. 

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शुक्र-बुध का एक साथ होना क्यों है इतना शुभ

बुध हमारी बुद्धि है और शुक्र सुंदरता है. यह दोनों ग्रह कोमल और प्रेम तथा भावनाओं को दर्शाते हैं एक दूसरे के साथ बहुत अच्छे से मेल खाते हैं. रिश्तों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनसे सुख भी देते हैं. इस युति के साथ अगर पाप प्रभाव नहीं हो तो इसके बहुत बेहतर परिणाम हमें मिल सकते हैं लेकिन अगर इसके फल में पाप ग्रह का असर मिलता है तो परिणाम बदल सकते हैं. हर कुंडली में इनका असर इन दोनों ग्रहों की प्लेसमेंट से होता है लेकिन सामान्य सिद्धांत के आधार पर यह दोनों ग्रह जो परिणाम देते हैं वह कुछ सकारात्मक अधिक होते हैं. आईये जाने अगर आपकी कुंडली के यह मौजूद होते हैं तो किस भाव में क्या फल दे सकते हैं.   

शुक्र बुध का पहले भाव पर प्रभाव 

अगर शुक्र के साथ बुध का युति योग पहले भाव पर बनता है तो इसका लाभ मिलता है. व्यक्ति मस्त मौला होता है. उस पर सभी के साथ मिलकर चलने की इच्छा देखी जाती है. वह दूसरों के साथ अपने रिश्तों को लेकर काफी ज्यादा न सोचना चाहे लेकिन हृदय में भावनाएं अवश्य रखेगा. मन से कोमल और प्रेमी स्वभाव क अहोगा. व्यक्ति कार्यों को करने के लिए उत्सुक होगा. कई बार जल्दबाजी के चलते परेशानी में भी पड़ सकता है. इस भाव में शुक्र-बुध की युति व्यक्ति को आकर्षक बना सकती है लोग उसके प्रति खीम्चाव अनुभव कर सकते हैं. वह अपने कामों में रचनात्मक कुशलता से भी आगे बढ़ता है. 

शुक्र बुध का दूसरे भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के दूसरे भाव में होता है. इसका असर व्यक्ति को अपने परिवार के सुख के रुप में दिखाई देता है. व्यक्ति अपने बोल चाल में कुशल होता है. अपनी बातों को घुमाने में कुशल होता है. जल्द ही लोगों को अपने अनुसार डाल सकता है. कोमल और उदार होता है. आर्थिक लाभ को पाता है लेकिन खर्च भी अधिक कर सकता है.

शुक्र बुध का तीसरे भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के तीसरे भाव में होता है. इस भाव में होने से वह बौद्धिक कर्म की ओर अधिक ध्यान देता है. शारीरिक श्रम में उसकी रुचि कम हो सकती है. यात्राएं करने का शौक हो सकता है. बहनों का सुख उसे अधिक मिल सकता है. अपने आस पास के लोगों के मध्य लोकप्रिय हो सकता है. दूसरों के सहारे आगे बढ़ सकता है. 

शुक्र बुध का चतुर्थ भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के चौथे भाव में होता है. इस भाव में आर्थिक लाभ पात अहै. कई बार वह अपने परिवार की ओर से सुखों को पाने में सफल होता है. कोमल एवं काम करने में कुछ धीमा हो सकता है. अपने मनोकूल काम करना इसे अधिक पसंद हो सकता है. परिवार में लोगों के मध्य केन्द्र का स्थान पाने में सक्षम होता है. कफ के विकार और वात विकार असर जल्दी से डाल सकते हैं. 

शुक्र बुध का पंचम भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के पंचम भाव में होता है. वह बौद्धिक और रचनात्मक कामों को करके आगे बढ़ता है. उसे इनके द्वारा सम्मान प्रसिद्धि भी मिल सकती है. व्यक्ति दोस्तों को बनाता है अपने दोस्तों के मध्य काफी प्रसिद्ध भी रहता है. प्रेमी और रोमांस करने में आगे रह सकता है. 

शुक्र बुध का छठे भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के छठे भाव में होता है. यहां कुछ कमजोर परिणाम देता है. इस स्थान पर उसे कई बार अपनी कमियों के कारण परेशानी अधिक झेलनी पड़ सकटि है. रिश्तों में परेशानी हो सकती है. कानूनी गतिविधियों में अधिक फंसना पड़ सकता है. रोग जल्द असर डाल सकते हैं. संगीत, ललित कला जैसे कामों में  सफलता संभव मिल सकती है.

शुक्र बुध का सप्तम भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के सातवें भाव में होता है. प्रेम और रोमांस की अधिकता व्यक्ति में होती है. चाहतें कुछ अधिक होती हैं. विवाह और वैवाहिक संबंधों में समान को पाता है. अपने जीवन साथी का सुख उसे मिलता है. साझेदारी के काम में वह सम्मान पाता है. अच्छे लाभ को पाने में सफल रह सकता है. 

शुक्र बुध का आठवें भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के आठवें भाव में होता है तब चीजें कई तरह से कमजोर होती हैं तो कुछ लाभ भी मिलता है. जीवनसाथी से विवाह और कमाई के माध्यम से अच्छा धन मिल सकता है. जीवनसाथी से अलगाव हो सकता है. रोग अचानक से प्रभाव डालने वाले होते हैं. 

शुक्र बुध का नवम भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के नवम भाव में होता है तो व्यक्ति अपने जीवन में कई शुभता को पात अहै. आध्यात्मिक रुप से मिलेजुले परिणाम उसे मिलते हैं. वह उच्च शिक्षा हेतु आगे बढ़ सकता है. पिता से सहयोग मिल सकता है. परिवार का सुख एवं यात्राओं से लाभ की प्राप्ति होती है. 

शुक्र बुध का दशम भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के दशम भाव में होता है तो रचनात्मक कला और संचार से संबंधित काम देता है. व्यक्ति अपने वरिष्ठ जनों का सहयोग पाता है. माता पिता का प्रेम मिलता है. स्त्री पक्ष से लाभ मिल सकता है.काम में व्यक्ति को अच्छी पहचान मिलती है. अच्छा नाम और प्रसिद्धि मिल सकती है. गुरुजनों का सहयोग मिल सकता है. आर्थिक पक्ष को अपनी मेहनत द्वारा अच्छा बना सकता है. यात्राएं करता है. कई चीजों को पाने में सफलता मिलती है.

शुक्र बुध का एकादश भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के एकादश भाव में होता है तो व्यक्ति को लाभ मिलता है. इच्छाएं अधिक होती हैं. इस कारण कई बार कुछ चीजों की कमी तनाव भी दे सकती है. व्यक्ति को अपने भाई बहनों का साथ मिलता है. कई लम्बी यात्राएं जीवन में बदलाव लाती हैं. 

शुक्र बुध का बारहवें भाव पर प्रभाव 

शुक्र बुध का योग जब कुंडली के द्वादश भाव में होता है तो परेशानी या फिर खर्च की अधिकता देता है. इसके द्वारा स्वास्थ्य को लेकर भी कुछ चिंता रह सकती है. विदेशों में भ्रमण का अवसर मिलता है. अनैतिक रिश्तों का असर बःई जीवन पर अपना असर डाल सकता है. किसी के द्वारा छल और दबाव भी झेलना पड़ सकता है. लोगों के साथ मेलजोल और संपर्क जल्द से स्थापित होता है.

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