कुंडली में मौजूद गण बता देगा आपके सारे भेद

कुंडली में गण की स्थिति को कुछ विशेष पहलुओं से देखा जाता है. जिसमें विवाह को लेकर यह प्रमुखता से होती है, लेकिन इसके अलावा भी गण का असर व्यक्ति की कुंडली में कई तरह के असर दिखाने में आगे रहता है. किसी व्यक्ति के भविष्य और चरित्र का पता लगाने के लिए कई ज्योतिषीय मापदंड हैं. व्यक्ति का गण उसके मूल स्वभाव और प्रेरणाओं को प्रकट करता है जो व्यक्ति के जीवन को निर्देशित करते हैं. कुंडली में गण की स्थिति जीवन के उन अनसुलझे राज खोलने में सक्षम होती है जिसको जान पाना हर किसी के लिए संभव नही होता है. इसका उद्देश्य किसी के व्यवहार के सामान्य लक्षणों की पहचान करना है जो किसी व्यक्ति के स्वभाव से निर्धारित होता है. गणों को मोटे तौर पर तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है जो देव गण, मनुष्य गण और राक्षस गण हैं.

इन तीन प्रकार के गणों को मूल रूप से तीन गुणों, सात्विक, राजसिक और तामसिक के आधार पर सृष्टि के सिद्धांतों के अनुसार विभाजित किया गया है. इन गण की स्थिति व्यक्ति के आपसी रिश्तों पर बहुत विशेष प्रभाव डालने वाली होती है. इन अमूर्त घटकों पर विश्वास करना कठिन हो सकता है लेकिन गण का आधार काफी तर्क संगत है और इसका सटिक असर देखने को मिलता है. आधुनिक विज्ञान हर चीज़ को परिभाषित नहीं कर सकता. ज्योतिष के माध्यम से इन गणों के बारे में बेहतर जानकारी प्राप्त करने में हम सक्षम हो सकते हैं. 

मनुष्य गण और उसका जीवन पर प्रभाव 

मनुष्य गण को कोमल और अनुकूल गण में स्थान प्रप्त होता है. यह गण अच्छे एवं खराब दोनों की परिणामों के लिए उत्तरदायी होता है. इस गण के अंतर्गत  रोहिणी नक्षत्र, पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र, पूर्वा आषाढ़ नक्षत्र, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र, भरणी नक्षत्र और आर्द्रा नक्षत्र में जन्मे लोग मनुष्य गण के होते हैं.

वैदिक ज्योतिष कहता है कि जो लोग मनुष्य गण में पैदा होते हैं वे आत्म-सम्मान को महत्व देते हैं. इस गण के जातक आमतौर पर धनवान होते हैं और समृद्ध जीवन जीते हैं. इस गण के लोग अच्छे शरीर, लम्बे शरीर संरचना और बड़ी आँखों वाले होते हैं.

उनका शरीर आकर्षक होता है और आंखों और चेहरे की सुस्पष्ट संरचना उनकी सुंदरता को बढ़ाती है. मनुष्य गण के लोग स्नेही और देखभाल करने वाले स्वभाव के होते हैं. ये लोग कार्यस्थल पर उन्हें सौंपे गए कार्यों को समय पर पूरा करना और अपने परिवार के पास घर लौटना पसंद करते हैं. उन्हें ऑफिस में अतिरिक्त घंटे बर्बाद करना पसंद नहीं आता है. यह चतुर एवं व्यवहार कुशल होते हैं. इनमें चीजों को अपने अनुसार करने का गुण भी खूब होता है.

देव गण और उसका जीवन पर प्रभाव 

देव गण को शुभ गण माना जाता है. इस गण में पुनर्वसु नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, रेवती नक्षत्र और अश्विनी नक्षत्र में जन्मे लोग देव गण के हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देव गण में जन्म लेने वाले लोगों में कई सकारात्मक विशेषताएं होती हैं.

देव अच्छे शरीर के साथ आकर्षक होते हैं. देव गण जातक को बुद्धिमान और तेजवान बनाते हैं. व्यक्ति बुद्धिमान विचारों वाले सरल लोग होंगे. देव गण के लोग दयालु और विनम्र होते हैं. दया करुणा इनमें बहुत होती है. विकलांगों और गरीब लोगों के प्रति उनका मदद करने का रवैया उनके स्वभाव का एक प्रमुख गुण है.

ये संकटग्रस्त लोगों की दिल खोलकर मदद करते हैं. देव गण से प्रभावित होने वालों में अत्यधिक भूख नहीं होती है और वे मितव्ययी भोजन करते हैं. उनमें एक अंतर्निहित दिव्यता होती है जो बहुत कम मनुष्यों के अंदर मौजूद होती है. मूलतः ये वे लोग हैं जो बिना किसी अपेक्षा के दूसरों के लिए काम करते हैं.

यदि आप किसी संकट से गुजर रहे हैं और देव गण के जातकों से संपर्क करते हैं, तो वे गंभीरता से आपकी बात सुनेंगे और आपकी समस्याओं को हल करने के तरीके सुझाने का प्रयास करेंगे. यह उनके स्वभाव के दयालु पक्ष को दर्शाता है.

राक्षस गण और उसका जीवन पर प्रभाव 

राक्षस गण को कठोर गण के रुप में देखा जाता है. इस गण का प्रभव व्यक्ति में कुछ अधिक साहस भी लाता है ओर दुसाहसिक कार्यों को करने की क्षमता भी देता है. मघा नक्षत्र, अश्लेषा नक्षत्र, धनिष्ठा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, कृतिका नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र और विशाखा नक्षत्र में जन्मे लोग राक्षस गण के होते हैं. इन नक्षत्रों के मामले में मनुष्य के अंधेरे पक्ष को रेखांकित या कहें कि उजागर किया जाता है.

जिन लोगों का जन्म गण राक्षस गण होता है, उनका चरित्र जिद्दी और कठोर हो सकता है. यह लोग अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करते हैं, जो कभी-कभी अच्छा निर्णय नहीं हो सकता है. इनका शरीर भारी होता है और ये काफी आक्रामक हो सकते हैं. राक्षस गण अनेक मनुष्यों के अंदर विद्यमान राक्षसी प्रवृत्ति का सूचक है. इस गण के व्यक्ति का स्वभाव ऐसा होता है कि वे दूसरों को बढ़ते हुए नहीं देख सकता है. अगर कोई मदद मांगेगा तो ऐसा व्यवहार करेंगे कि दोबारा मांगने की हिम्मत नहीं होगी.

उनमें छोटी-छोटी बातों पर लड़ने की प्रवृत्ति हो सकती है. ये कठोर भी लग सकते हैं और हो सकता है कि उन्हें इस बात का एहसास भी न हो कि उनके शब्दों और कार्यों का दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ता है. ऐसा पाया गया है कि राक्षस गण के लोगों को मधुमेह होने का खतरा रहता है.

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