प्रश्न कुंडली के ये सूत्र बताते हैं विवाह होने का सटीक समय

प्रश्न कुंडली बहुत उपयोगी और विश्वसनीय सूत्र है जो विवाह से जुड़े प्रश्नों के सभी हल प्रदान करने में सहायक बनता है. प्रश्न कुंडली क्या होती है पहले ये जान लेना जरुरी है, तो प्रश्न कुंडली वह चार्ट होता है जो उसी समय बनाया जाता है जब कोई व्यक्ति प्रश्न करता है इस कारण से ही इसे प्रश्न कुंडली कहा जाता है. अब ऎसे में यदि किसी के पास अपना सही समय या जन्म तिथि का बोध न हो तब उस स्थिति में यह कुंडली बहुत ही कारगर सिद्ध होती है.

शादी के लिए सबसे पहले यह जान लेना जरुरी है कि शादी कब होगी. प्रश्न कुंडली विवाह के लिए सही समय का संकेत देती है, और इसके द्वारा विवाह के समय की भविष्यवाणी प्राप्त कर सकते हैं. प्रश्न कुंडली में परिभाषित चक्र बताते हैं कि व्यक्ति का विवाह कब होगा. प्रश्न कुंडली के प्रथम भाव, द्वितीय भाव, पंचम भाव, सप्तम भाव, नवम भाव और उनके स्वामी की स्थिति से विवाह का समय जाना जा सकता है. सप्तम भाव की स्थिति विवाह के समय को दर्शाती है, लेकिन साथ ही पहले, दूसरे, पांचवें और नवम भाव का असर भी विवाह के समय को अपना आधार प्रदान करने वाला होता है. 

ज्योतिष शास्त्र की अनेक शाखाएं या कहें मार्ग हैं जो जीवन में होने वाले घटना क्रम की बहुत सटीक जानकारी देने में सक्षम हैं. इसी में एक वर्ग प्रश्न कुंडली का भी है. शादी के लिए ज्योतिष भविष्यवाणी कैसे कर सकते हैं. विवाह के लिए ज्योतिष की भविष्यवाणी में प्रश्न कुंडली का योगदान बेहद निर्णायक माना गया है. जन्म कुंडली से अलग यह प्रश्न कुंडली निश्चित समय पर बनकर प्रश्न के अनुसार फल का निर्धारण करती है. जो कुछ विवरण प्राप्त होता है उसके द्वारा चार्ट बना कर विवाह-शादी के समय एवं उसकी स्थिति को जान पाना संभव होता है. प्रश्न कुंडली द्वारा शादी का कब होना किस समय में होना या जल्दी अथवा देरी क्यों होना इन बातों को भी इसके द्वारा समझा जा सकता है. 

प्रश्न कुंडली से भाव फल और ग्रह फल  

विवाह एक महत्वपूर्ण घटना है जो हर व्यक्ति की जीवन यात्रा में एक आदर्श बदलाव लाती है. युवा अवस्था में आते ही हर कोई शादी को बड़ी उम्मीदों से देखता है. ऎसे में ज्योतिष शास्त्र इस में हर संभव सहायता भी प्रदान करता है.  

प्रश्न कुंडली में कुंडली में लग्न और सातवां भाव विवाह से जुड़ा होता है. विवाह की स्थिति के लिए बृहस्पति एवं शुक्र ग्रह को भी देखा जाता है. विवाह के लिए प्रश्न कुंडली में इन ग्रहों के अलावा ग्रहों की सूची में शामिल मंगल, बुध और चंद्रमा को भी विशेष रुप से देखा जाता है. अशुभ ग्रहों की सूची में सूर्य, शनि, मंगल, राहु और केतु शामिल होते हैं जो विवाह में परेशानी का कारण बन सकते हैं. प्रश्न कुंडली में जहां शुभ ग्रह शीघ्र विवाह का कारण बनते हैं वहीं अशुभ ग्रह विवाह में देरी को दर्शाते हैं. 

यदि प्रश्न कुंडली में सप्तम भाव में बुध या चंद्रमा होता है, तो विवाह कुछ जल्द होता दिखाई दे सकता है. यदि सप्तम भाव में बृहस्पति – शुक्र है, तो आपकी शादी 24 साल से 26 साल के बीच का समय विवाह को दिखाता है. या देरी में भी विवाह के जल्द होने का संकेत देने वाला होता है.  सप्तम भाव में सूर्य का होना  विवाह में देरी होगी और कई बाधाओं को दर्शा सकता है. इसी प्रकार  मंगल का होना विवाह में गंभीर देरी का कारण बनता है. यदि शनि सप्तम भाव में विराजमान हो तो व्यक्ति के विवाह बहुत देरी में होने का संकेत देने वाला होता है.  

विवाह में ग्रहों का प्रभाव 

प्रश्न कुंडली के द्वारा विवाह में होने वाली शुभता अथवा विवाह के सुख की कमी जैसी बातों को भी आसानी से जाना जा सकता है. प्रश्न कुंडली व्यक्ति के दांपत्य जीवन में होने वाले उतार-चढ़ावों को भी बखूबी दर्शाने में सहायक होती है. इन बातों को हम कुछ बिंदुओं के द्वारा भी समझ सकते हैं. 

जब सप्तम भाव में अधिक संख्या में शुभ ग्रह हों, तो विवाह होने की संभावना के साथ साथ उसके शुभ होने की स्थिति में भी इजाफा होता है. इसके अलावा बुध और शुक्र की युति सप्तम भाव में हो तो व्यक्ति का विवाह शीघ्र होता है तथा जीवन साथी की सौम्यता एवं सहयोग की प्राप्ति भी होती दिखाई दे सकती है. 

प्रश्न कुंडली में देर से शादी के कारणों में सूर्य, शनि और राहु जैसे ग्रह तो शामिल होते ही हैं पर इसके साथ ही यदि सप्तम भाव में सूर्य, शनि या राहु सहित कोई भी ग्रह स्थित हो तो विवाह में देरी को भी दिखाते हैं. शादी के होने में कई तरह की अड़चनों को झेलना पड़ सकता है. अच्छे संबंधों की कमी भी इस कारण देखने को मिल सकती है. राहु का प्रभाव यदि सप्तम में होता है तो व्यक्ति को विवाह से धोखा भी मिल सकता है. 

इसके अलावा यदि प्रश्न कुंडली के सप्तम भाव में कोई ग्रह नहीं है, तो सप्तम भाव के स्वामी लग्न की स्थिति चंद्रमा का प्रभाव शादी पर अपना असर डालता है. 

प्रश्न कुंडली में विवाह के लिए भविष्यवाणी यह भी बता सकती है कि आपकी शादी कब होने की सबसे अधिक संभावना है. सूर्य एक माह का समय लेता है, मंगल 45 दिनों के करीब का, बृहस्पति एक राशि में 13 महीने तक रहता है. आपकी कुंडली में इन ग्रहों के साथ चंद्रमा गोचर के आधार पर आपके विवाह वर्ष की भविष्यवाणी की जा सकती है. जबकि विवाह जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ है और यह स्वाभाविक है कि लोग अपने विवाह के बारे में कुछ चिंता पैदा कर सकते हैं, जन्म कुंडली का बारीकी से अध्ययन करने और इससे आवश्यक जानकारी प्राप्त करने से विवाह के संबंध में कुछ निष्कर्ष निकालने में मदद मिल सकती है.

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