सूर्य राशि से जाने जीवन में सफलता स्वभाव और विशेषता का गुण

सूर्य राशि की स्थिति का असर चंद्रमा के अनुरुप ही विशेष होता है. पाश्चात्य ज्योतिष में विशेष रुप से सूर्य को आधार मानक भविष्यवाणी होती है. वहीं किसी कुंडली के आधार स्तंभ के रुप में सूर्य चंद्रमा ओर लग्न इन तीन बातों पर विशेष रुप से अधिक ध्यान दिया जाता है.

सूर्य का प्रभाव व्यक्ति की चेतना भीतर तक असर डालता है. सूर्य किसी भी व्यक्ति की कुंडली में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि वह आत्मा का स्वरुप है इसलिए एक व्यक्ति के व्यक्तित्व पर एवं उसके संपूर्ण जीवन की सफलता असफलता पर भी इसका गहरा असर होता है. 

मेष राशि पर सूर्य का प्रभाव 

मेष राशि में सूर्य की स्थिति उत्तम फल देने वाली मानी गई है लेकिन इसके भी कुछ विपरित असर देखने को मिल जाते हैं. मेष में सूर्य का होना व्यक्ति को मजबूत चरित्र एवं दृढ़ प्रतिज्ञ बनाने वाला होता है. सूर्य का प्रभाव व्यक्ति को उच्च पद प्राप्ति देने में तथा अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता देने में सक्षम होता है. आवेगी स्वभाव के साथ नेतृत्व का होना भी व्यक्ति को उत्तम परिणाम देता है. रिश्तों की बात आती है तो जोश और उत्साह बेहद अधिक दिखाई देखने को मिलता है. 

वृष राशि पर सूर्य का प्रभाव 

वृष राशि पर सूर्य का होना व्यक्ति के अंतर्ज्ञान को बढ़ाता है. प्रत्यक्ष रुप से काम करता है. अपने विचारों को रुचि के साथ तुरंत व्यक्त करने की क्षमता रखते हैं. जल्दबाजी के साथ धैर्य भी इनका गुण होता है. व्यक्ति जल्दी से अपनी भावनाओं का इज़हार न करके धीमी गति बनाता है. ये रिश्ते से पीछे हटने में देर नहीं करना चाहेंगे और आगे बढ़ने की प्रवृत्ति रखते हैं. अस्वीकृति उन्हें कुछ दिनों के लिए चुभ सकती है लेकिन वे अपने जीवन को फिर से जीवित रखते हुए तेजी से आगे बढ़ सकते हैं. रोमांच और पूर्ण संतुष्टि पाने की चेष्ठा में आगे रहते हैं. कुछ हासिल करने के लिए मेहनत करने से पीछे नही हटते हैं. 

मिथुन राशि पर सूर्य का प्रभाव 

मिथुन राशि में सूर्य की उपस्थिति उत्साहित और ज्ञान प्रदान करति है. व्यक्ति तारीफ करने ओर उसे सुनने के प्रति जागरुक होता है. प्यार करने की इच्छा बहुत होती है. आत्मविश्वास और सम्मान दो ऐसे गुण हैं जो इन्हें आकर्षित करते हैं. मन की बात खुलकर कहने में सक्षम होते हैं. इन्हें तारीफें भी पसंद आती हैं. जिद्दी स्वभाव और चंचलता का भाव अधिक रह सकता है. शारीरिक स्नेह पसंद होता है. अपने जीवन में एक ऐसा साथी चाहिए होता है जो उन्हें भरपूर प्यार और देखभाल का अहसास करा सके. 

कर्क राशि पर सूर्य का प्रभाव

कर्क राशि के लिए सूर्य की स्थिति बेहद विशेष हो सकती है क्योंकि सूर्य की गति एवं उसकी उर्जा यहां बदली हुई दिखाई दे सकती है. अच्छे उपहार और ढेर सारा प्रेम इन्हें प्रिय होता है.  दिलों पर शासन करना इनका गुण होता है. सभी के साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार करना पसंद करते हैं. जब वे वास्तव में करते हैं तो उसमें परिपक्कता करते हैं. यह भावनात्मकता एवं उदारता को लेकर भी आगे रहते हैं.  

सिंह राशि पर सूर्य का प्रभाव 

सिंह राशि में सूर्य का होना उत्तम एवं प्रबल शक्ति को दर्शाता है. दूसरे उनकी आकर्षित हुए बिना नहीं रह पाते हैं. जब वे किसी से रिश्ता निभाते हैं, तो वे रिश्ते को मजबूत करने के लिए हर संभव कार्य भी करते हैं. प्रतिबद्धताओं का कोई डर नहीं है उसमें सदैव आगे रहते हैं. भौतिकवादी विचारों के साथ साथ जीवन को उत्तम स्तर देने में आगे रहते हैं. अपने आस पास की चीजों में एकाधिकार को पाने के लिए काफी दृढ़ प्रतिज्ञ होते हैं. 

कन्या राशि पर सूर्य का प्रभाव

कन्या राशि के लोग उन लोगों की ओर तुरंत आकर्षित हो जाते हैं जो उन्हें प्रेम प्रदान करते हैं. अपने आस पास के लोगों को लेकर वह श्रेष्ठ प्रयास में रहते हैं. कभी-कभी अपने अकेलेपनसे तनाव में आ सकते हैं. अपने महत्वपूर्ण क्षणों को दूसरों के साथ बिताना भी पसंद करते हैं. इनके लिए रिश्तों में ईमानदारी और वफादारी अहम बाते होती हैं. सभी के साथ मेल जोल एवं पोषण की कोशिश इनमें अधिक होती है. कोमल एवं उदार रुपों से चीजों का बदलाव करने में आगे रह सकते हैं. 

तुला राशि पर सूर्य का प्रभाव 

तुला में सूर्य का होना कई मायनों से विशेष बन जाता है क्योंकि यहां सूर्य निर्बल होते हैं. अपनी उर्जा को वह निर्मल रुप से लेकर चलना चाहते हैं. यह प्यार करने और रिश्तों को स्वयं के भीतर सहेज कर रखने की इच्छा रख सकते हैं. स्वभाव से हंसमुख और चुलबुले भी होते हैं. आसानी से और जल्दी से परिस्थितियों के अनुकूल हो सकते हैं. कठिन परिस्थितियों में बोलने के लिए आगे रह सकते हैं. एक विशेषता जो आपके मित्रों द्वारा सबसे अधिक पसंद की जाती है. आकर्षण का प्रभाव भी बेहद उत्तम होता है.

वृश्चिक राशि पर सूर्य का प्रभाव 

सूर्य की स्थिति यहां होने पर यह व्यवहर से क्रोध एवं जिद को अधिक कर सकती है. व्यक्ति उन लोगों की तरफ सबसे ज्यादा आकर्षित होते हैं जिनका व्यक्तित्व इनसे मिलता जुलता होता है. बार पार्टनर के साथ लम्बा सफर तय करना इनकी इच्छा होती है. भावनात्मक रूप से परिपक्व और अत्यधिक सहानुभूतिपूर्ण, स्नेही और देखभाल करने वाले होते हैं. एक विश्वसनीय साथी सहयोगी भी बनते हैं. अकेलापन और जल्द से दूसरों के समक्ष न खुल पाना इनमें अधिक होता है. कई बर मूडी अधिक लग सकते हैं. 

धनु राशि पर सूर्य का प्रभाव 

धनु में सूर्य का होना व्यक्ति को अधिक उत्साही एवं अभिमानी भी बना सकता है. इनका आदर्श साथी वही होता है जो इनकी बातों को ध्यान से सुने और पूरी तरह से समझे. यह अपने नियंत्रण की स्थिति को अधिक पसंद करते हैं. इनके अद्भुत गुणों में से एक यह है कि वे उन लोगों की देखभाल करना पसंद करते हैं जिन्हें वे प्यार करते हैं. अपने साथी के प्रति पूर्ण समर्पण का भाव रखते हैं. अपने कार्यक्षेत्र में अग्रीण होते हैं. 

मकर राशि पर सूर्य का प्रभाव 

मकर में सूर्य का होना व्यक्ति को बोल्ड और जीवंत बना सकता है. लोगों का ध्यान आकर्षित करना पसंद करते हैं. इनका आत्मविश्वासी स्वभाव हर किसी को अपनी ओर खींचने में सक्षम होता है. यह अपने प्रियजनों को आसानी से नहीं छोड़ते हैं. जल्दी घुलना-मिलना अधिक पसंद नही होता है, लेकिन जब ये किसी रिश्ते में आते हैं तो रिश्ते में पूरी वफादारी दिखाते हैं. नजरअंदाज किए जाने से नफरत करते हैं. काम काज में परिश्रमी तथा समाज कल्याण के कार्यों में शामिल रहते हैं. 

कुंभ राशि पर सूर्य का प्रभाव 

कुंभ राशि पर सूर्य का होना मस्त मौला और जिदी बना सकता है. कई रचनात्मक से गुणों से संपन्न होते हैं जो इन्हें एक बेहतरीन कार्यकुशलता देता है. स्वयं को किसी के भी अनुकूल बना सकते हैं. अपने शांत स्वभाव के कारण ये अपने रिश्तों में अनावश्यक मांग नहीं करते हैं. तार्किक तर्क उन्हें बिना किसी बड़े तर्क के किसी भी विवाद को निपटाने का कौशल देता है. इनका प्राकृतिक स्वभाव इन्हें अपने साथी की जरूरतों के प्रति संवेदनशील बनाता है. आत्म-आलोचनात्मक हो सकते हैं तथा ईमानदारी से आगे बढ़ने वाले होते हैं. 

मीन राशि में सूर्य का प्रभाव 

मीन राशि में सूर्य का होना व्यक्ति को कई तरह से ओजस्वी ओर आध्यात्मिक गुण प्रदान करता है. उत्साह से भरे होते हैं लेकिन उदारता भी इनमें काफी होती है. परंपराओं पर रह कर काम करने की इच्छा अधिक रख सकते हैं. इनके कई दोस्त हो सकते हैं. हमेशा प्यार के लिए काफी इमोशनल रहते हैं. इनके अंदर रिश्तों के प्रति काफी लगाव होता है. वे खुशी-खुशी लोगों से जुड़ते हैं और उन्हें एक-दूसरे को जानने का मौका देते हैं. 

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शनि के साथ मंगल का षडाष्टक होना देता है गंभीर प्रभाव?

शनि और मंगल से बनने वाला षडाष्टक योग कई तरह से कुंडली पर अपना असर डालता है. सामान्य रुप से यह एक विपरित स्थिति को ही अधिक दर्शाता है. यह खराब योगों के रुप में जाना जाता है.

ग्रह की ये स्थिति कई बार व्यक्ति को जीवन में परेशानियों एवं अचानक होने वाली दुर्घटनाओं से अधिक प्रभावित करती है. शनि और मंगल का षडाष्टक होना कई तरह से अपना प्रभाव डालता है. आइये समझने की कोशिश करते हैं कि यह किस राशि के लिए कैसे अपना असर दिखा सकता है. 

मेष राशि पर असर 

मेष राशि के लिए जब इस योग का निर्माण होता है तो यह समय स्वास्थ्य के लिए एवं मानसिक विचारधारा के लिए अस्त व्यस्तता लेकर आता है. इस का लाभ क्रोध की अधिकता या कहें साहस में वृद्धि के रुप में ही अधिक प्राप्त होता है. आर्थिक रुप से यह अवधि काफी सकारात्मक और अनुकूल प्रतीत कम ही दिखाई देती है. व्यर्थ के संघर्ष अधिक रहते हैं. नौकरीपेशा या किसी व्यवसाय से जुड़े हैं, उन्हें इस अवधि की

वृष राशि पर असर

वृष राशि के लिए यह योग परेशानी ओर कठिनाओं को दर्शाता है. इस समय पर जिद के चलते काम खरब होते हैं. प्रयत्नों के द्वारा ही अपने प्रयास में सफल होते हैं. शनि के साथ मंगल का यह योग वैवाहिक एवं भौतिक सुखों को लेकर अधिक परेशानी दे सकता है. जीवन सुचारू रुप से कम ही चल पाता है. सकारात्मक प्रभावों को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से भगवान हनुमान की पूजा करने की सलाह दी जाती है. जीवन में कार्यकुशलता पर दूसरों का असर व्यवधान को उत्पन्न करने वाला होता है. 

मिथुन राशि पर असर 

मिथुन राशि में शनि के साथ मंगल का यह योग स्वास्थ्य का ध्यान रखने की सलाह देता है क्योंकि स्वास्थ्य संबंधी कुछ मामूली समस्याओं का सामना करने की संभावना अधिक रह सकती है. आर्थिक पक्ष के लिए समय औसत रहता है. व्यवसायियों और नौकरीपेशा लोगों से अपेक्षा की जाएगी कि वे सामान्य से अधिक मेहनत करें तभी अच्छे लाभ मिल पाते हैं. तर्क की कुशलता मिलती है लेकिन व्यर्थ के मतभेद भी अपना असर डालने वाले होते हैं. 

कर्क राशि पर असर 

कर्क राशि के लिए इसका प्रभाव भाग्य एवं परिश्रम को अधिक बढ़ा देने का समय होता है. कई बार अच्छे भाग्य का इंतजार अधिक करना पड़ता है. परिवार को लेकर खिंचतान अधिक बनी रह सकती है. भगवान विष्णु की पूजा करने लाभ मिलता है. पेट की समस्या से पीड़ित होने की प्रबल संभावना है. स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहने और अपने खान-पान का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है. कोई भी निवेश करने के लिए दूसरों पर अधिक भरोसे से बचना होता है. 

सिंह राशि पर असर 

शनि के साथ मंगल की स्थिति सिंह राशि वालों के लिए भ्रमण के योग अधिक दिखाती है. रुकी हुई संभावना सामने अधिक होती हैं लेकिन देर से ही सही पर अच्छे लाभ मिल पाने सक्षम होते हैं.  जो लोग नौकरी करते हैं या उनका खुद का व्यवसाय है, उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. किसी नए उद्यम को चलाने के लिए अधिकारियों की ओर से सहयोग की कमी अधिक होती है. प्रेम संबंध में हैं, कुछ मामूली अनबन हो सकती है ऎसे में इन सभी खराब फलों से बचाव के लिए भगवान शिव की पूजा करने लाभ होता है. 

कन्या राशि प्रभाव 

शनि के साथ मंगल का यह योग व्यक्ति के लिए अपने द्वार अकिए गए शुभ कार्यों का उचित परिणाम देने में देरी देता है. पेट और किडनी से जुड़े रोग परेशान कर सकते हैं. बहुत अधिक भावनात्मक रुप से जल्द प्रभावित होते हैं. वित्तीय स्थिति अच्छी होने पर खर्चों की अधिकता संचय को कम करके धन के मामले में कई बार चिंता बढ़ा देती है. आर्थिक संकट से निकलने के लिए कर्ज लेने से बचना जरूरी होता है. कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करने के लिए साहस में कभी कमी नहीम करनी चाहिए. उचित रणनीति और योजना के साथ सफलता जरूर मिलती है. 

तुला राशि प्रभाव 

तुला राशि के लिए शनि और मंगल का ये असर् काम में लापरवाही से बचने की सलाह देता है. कोई नया उद्यम या परियोजना शुरू करने से पहले सतर्क होकर काम करना अधिक जरुरी होता है. घरेलू स्तर पर या प्रेम संबंधों के मामलों में चीजें परेशानी देने वाली होती है. जीवनसाथी के साथ विवाद और बहस होने की संभावना भी अधिक रह सकती है. भगवान हनुमान की प्रार्थना करने से सहायता बहुत अधिक मिलती है. 

वृश्चिक राशि प्रभाव 

शनि के साथ मंगल का षडाष्टक योग व्यक्ति को अधिक क्रियाशील बनाता है लेकिन निर्णय को कमजोर कर सकता है. यह योग जीवन में असंतोष की भावना भी अधिक देने वाला होता है. वित्त के मामले अस्थिर रह सकते हैं. शेयर बाजार में लाभ पाने के अवसर मिलते हैं. चीजों को करने से पूर्व सतर्क रहने की सलाह दी जाती है. अपने जीवन में अपने काम पर ध्यान देने की सलाह दी जाती है क्योंकि आत्मसंतुष्ट होने की जरूरत है अन्यथा असंतोष चैन नहीं लेने देगा. 

धनु राशि प्रभाव 

धनु राशि के लिए मंगल शनि का यह योग काम काज में प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है. अपनों के साथ छोटी-मोटी बहस और तकरार में उलझने की संभावना रहती है. जो लोग अपने प्रेमी को प्रपोज़ करना चाहते हैं उनके लिए जरुरी है अपने अभिमान को कुछ कम किया जाए. व्यक्ति को चाहिए की देवी दुर्गा का आशीर्वाद लेने और नियमित रूप से उनकी पूजा किया करे. किसी शारीरिक समस्या से अधिक मानसिक तनाव से ग्रस्त रह सकते हैं. 

मकर राशि प्रभाव 

मकर राशि के लिए शनि के साथ मंगल का यह योग व्यक्ति के भीतर असंतोष को अधिक जन्म देने वाला हो सकता है. किसी भी छोटी अवधि के लिए किया जाने वाला कार्य धन ओर परिश्रम की अधिकता को बढ़ा देता है. आर्थिक मामलों में योजनाओं से काम करना अधिक बेहतर होता है. सामाजिक रुप से अपने लिए उचित स्थिति बनाए रखने कि आवश्यकता है. अचानक से ही जीवन में इस योग का प्रभाव बड़ा मुनाफ़ा या कोई नया प्रोजेक्ट दिलाने में सहायक भी बनता है. प्रेम संबंधों को लेकर असंतोष एवं एक से अधिक रिश्तों की प्राप्ति भी होती है. 

कुंभ राशि प्रभाव 

कुंभ राशि के लिए यह असर व्यक्ति को अपने जीवन में कार्यक्षेत्र की सफलता दिलाता है. व्यक्ति साहसी और परिश्रमी होता है. शांति और सद्भाव को लेकर यह व्यक्ति को गंभीर मामले देने वाला होता है. व्यक्ति को सकारात्मक दिशा में काम करने के लिए बहुत अधिक धैर्य के साथ आगे बढ़ने की जरुरत होती है. जल्दबाजी से बचने पर ही व्यक्ति अपने जीवन में बेहतर परिणाम को देख पाता है. भगवान श्री विष्णु की पूजा करनाीअच्छे परिणाम देने वाला होता है. 

मीन राशि प्रभाव 

मीन राशि के लिए शनि के साथ मंगल का यह योग व्यक्ति को मानसिक एवं भावनात्मक रुप से अधिक प्रभावित कर सकता है. अपने भाई बंधुओं के साथ उसका संबंध मिलेजुले फलों की स्थिति को अधिक दर्शाता है. किसी भी काम में आगे बढ़ने से पहले सावधानी बरतने की जरुरत होती है और जिद से बचने कि जरुरत होती है. कामकाज को लेकर विशेष रुप से सतर्क रहने की जरूरत होती है. सामाजिक छवि को बनाने में सफल होते हैं. 

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शुक्र के आत्मकारक होने पर मिलता है विशेष लाभ

ग्रहों में आत्मकारक रुप जैमिनी के महत्वपूर्ण सूत्र की परिभाषा है. आत्म कारक ग्रह का असर जीवन में व्यक्ति को कई तरह से असर दिखाने वाला होता है. आत्मक कारक ग्रह यदि कुंडली में शुभस्थ होगा तो उसका बेहतर परिणाम व्यक्ति को प्राप्त होता है. शुक्र के शुभ फल होने पर आत्म कारक की स्थिति काफी मजबूत होती है. लेकिन यदि आत्मकारक होकर शुक्र कमजोर होगा तो उसके बेहतर परिणाम मिल पाने में देरी का सामना करना पड़ सकता है. इन सभी बातों के बावजूद भी शुक्र का आत्मकारक होना विशेष होता है. 

आत्मकारक आत्मा की इच्छा का कारक है. जन्म कुंडली में सूर्य को प्राकृतिक आत्मकारक माना जाता है. जैमिनी ज्योतिष अनुसार जन्म कुंडली में सभी ग्रहों की डिग्री होती है और ऎसे में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शनि या शुक्र में से कोई भी ग्रह जिसकी कुंडली में उच्चतम अंश हो वह ग्रह आत्मकारक कहलाता है. अगर कुंडली में शुक्र अधिकतम अंशों में होता है तो आत्मकारक बनता है. आत्मकारक शुक्र के साथ, व्यक्ति को जीवन में भौतिक सुख संपत्ति को पाने में सहायता मिल सकती है और शुक्र की शुभता होने पर वह व्यक्ति जीवन के मूलभूत तत्वों के अलावा अपने जीवन को समृद्ध रुप से जी भी सकता है. 

ज्योतिष में शुक्र का क्या महत्व रहा है?

शुक्र को ज्योतिष में आनंद को प्रदान करने वाला ग्रह माना गया है. ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह बुध और शनि को अपना मित्र मानता है लेकिन यह सूर्य, चंद्र और मंगल से शत्रुता रखता है. साथ ही यह बृहस्पति के प्रति उसका तटस्थ एवं उदासीन भाव रहता है. उत्तर दिशा में शुक्र बलवान होता है और इसकी शुभता द्वारा जीवन में रोमांस, प्रेम और संतुलन की प्राप्ति होती है. यह विवाह, रिश्तों और एक व्यक्ति के जीवन में अन्य लोगों के साथ भावनात्मक बंधन से भी जुड़ा हुआ ग्रह है. इसका सौन्दर्य से गहरा संबंध है. इसलिए, यह आकर्षण ओर आनंद की अनुभूति को प्रदान करने वाला ग्रह है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र प्रत्येक राशि में एक महीने तक रहता है और साथ ही राशि चक्र को पूरा करने में इसे लगभग एक वर्ष का समय लगता है. शुक्र को तुला और वृष राशि का स्वामी माना गया है. यह कुंडली के दूसरे और सातवें भाव का स्वामी भी होता है.

शुक्र की शुभ अशुभ स्थिति

शुक्र व्यक्ति के जीवन के वैवाहिक, यौन सुख और धन पर अपना अधिकार रखता है. यह व्यक्ति के मन के भावनात्मक पक्ष को भी नियंत्रित करता है. अशुभ स्थिति में शुक्र होने वाले व्यक्ति में चतुराई, चालाकी, विद्रोही भाव दिखाई दे सकते हैं. यदि शुक्र कुंडली में शुभ स्थिति में है तो यह जीवन में विभिन्न चीजों को प्रदान करता है. शुक्र की शुभ स्थिति किसी के भी जीवन को समृद्धि और प्रेम से भर देने वाली होती है. लेकिन अगर यह अशुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. शुक्र की शुभ और अशुभ स्थिति का पता कुंडली में उसके भाव स्वामित्व एवं स्थिति के आधार पर ही होता है. यह प्यार और सुख का ग्रह है इसलिए यदि शुक्र सही स्थिति में है, तो विलासितापूर्ण जीवन की प्राप्ति कर पाने में व्यक्ति सक्षम होता है. 

शुक्र के आत्मकारक होने के शुभ अशुभ प्रभाव 

व्यक्ति को किसी भी प्रकार के गलत कार्यों, वासना से दूर रहना चाहिए. उसका एक अच्छा और साफ चरित्र होना चाहिए. एक आत्मकारक शुक्र कामुकता और रिश्तों से जुड़ी चीजों को गड़बड़ कर सकता है. इसके पीड़ित होने पर शुगर की समस्या भी हो सकती है. आत्मकारक शुक्र वाले लोग आमतौर पर ललित कलाओं में निपुण हो सकते हैं. उनमें कला का कौशल काफी प्रखर रुप से देखने को मिल सकता है. व्यक्ति के पास बारीक नजर होती है. व्यक्ति को सौंदर्यशास्त्र की भी बहुत अच्छी समझ होती है. आत्मकारक शुक्र का प्रभाव व्यक्ति को चीजों को सजाने एवं उन्हें  सुंदर बनाने की अच्छी क्षमता भी देता है. 

आत्मकारक शुक्र की विशेषताएं

आत्मकारक शुक्र वाले व्यक्ति जब भी तनाव होगा तो वह पेंटिंग, कला के किसी अन्य काम में अपना हाथ आजमाना चाहेगा. अपने आप को प्रकृति एवं कला से जोड़ने की उसकी कोशिश उसे किसी भी तरह के तनाव को दूर करने के लिए सहायक बन जाती है. व्यक्ति का झुकाव फिल्म, अभिनय, नृत्य और मनोरंजन सहित सभी प्रकार की कलाओं की ओर होता है. आत्मकारक शुक्र का प्रभाव व्यक्ति को कई बार बहुत जिद्दी भी बना सकता है. आत्मकारक शुक्र व्यक्ति को सामाजिक कार्यों और महिला संगठनों की सेवा करने की ओर प्रेरित करने वाला भी होता है. समाज में पिछड़ों की स्थिति को ऊपर उठाना इनके जीवन में शामिल होता है. अपने जीवनसाथी के प्रति इनमें सम्मान का भाव रहता है. आत्मकारक शुक्र चीजों को दूसरे नजरिए से देखने के लिए प्रोत्साहित भी करता है. 

शुक्र अपनी वाणी और लेखन से अपना प्रभाव रखने वाले लोगों को लाभ पहुंचाता है. इन्हें जीवन में कई अनुभव होते हैं. मजबूत शुक्र वाले लोग स्वतंत्र विचारों वाले होते हैं और अन्य लोगों के साथ संबंध बनाए रखने से उन्हें कोई सरोकार नहीं रहता है. जीवन सुचारू रहता है अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर पाते हैं, लेकिन तभी जब वे किसी भी तरह के विवाहेतर संबंध में खुद को शामिल नहीं करते. कम्युनिकेशन स्किल बराबर रहता है बहुत आसानी से वित्तीय कार्यों, सफेदपोश अपराधों, स्टॉक एक्सचेंज निवेशों से निपट सकते हैं. आत्मकारक शुक्र बहुत अनुशासित, समय का पाबंद भी बना सकता है. एक अच्छा स्वास्थ्य भी इस के द्वारा प्राप्त होता है. शुक्र के आत्मकारक होने पर दिमाग बहुत तेज होता है और ये काफी परिपक्व बनाता है. सहज निर्णय लेने में सक्षम बनाता है. 

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कन्या राशि में केतु का प्रभाव

केतु का किसी भी राशि में होना एवं राशि गोचर एक बेहद महत्वपूर्ण समय होता है क्योंकि इनका असर जीवन में होने वाले बदलावों की स्थिति पर असर दिखाता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार,  केतु किसी व्यक्ति की कुंडली में बहुत महत्व रखता है.

कुंडली में अराजकता, निराशा, अलगाव, विनाश का कारण इन्हें विशेष माना जाता है. केतु ग्रह छाया ग्रह के रूप में है, जो ग्रह और भाव के अनुसार अपने परिणाम देता है.  केतु सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से अपना असर दिखाता है.  कर्म सिद्धांत के साथ-साथ आध्यात्मिक और अलौकिक शक्तियों के लिए भी केतु विशेष होता है. 

कन्या राशि में मौजूद केतु का असर सभी 12 राशियों को अपने अनुसार प्रभवैत करने वाला होता है:

केतु गोचर का असर सभी राशियों पर असर 

मेष राशि 

मेष राशि के लिए केतु कुंडली के छठे भाव में गोचर द्वारा प्रतिस्पर्धाओं में जीत हासिल होगी. वैवाहिक जीवन में कुछ खटास आ सकती है या पार्टनर के व्यवहार स्वास्थ्य के कारण परेशानी रहेगी.  चिंतित महसूस कर सकते हैं. रिश्ते को बनाए रखने के लिए पूरी कोशिश करनी होगी जिससे सफलता मिलेगी. विवाह और रिश्तों में तनाव कम होगा. कानूनी मामलों में फैसला पक्ष में होगा. 

वृषभ राशि 

वृष राशि के जातकों के लिए केतु का गोचर पंचम में होने के कारण प्रेम संबंधों एवं वैवाहिक जीवन में परेशानी के साथ व्यर्थ के मतभेद तनाव दे सकते हैं. एक-दूसरे को लेकर कुछ गलतफहमियां उभर सकती हैं, जो ब्रेकअप का कारण बन सकती हैं. इस गोचर के दोरान छात्र अपनी शिक्षा में एकग्रता की कमी महसूस करेंगे. कुछ बातों में धोखा मिल सकता है और लम्बे समय से चली आ रही साझेदारी भी टूट सकती है.

मिथुन राशि

मिथुन राशि वालों के लिए केतु का गोचर चतुर्थ भाव में होगा. इस कारण से यह चुनौतीपूर्ण समय रह सकता है. परिवार में एक दूसरे के साथ संबंधों में बदलाव और मतभेदों से निपटना पड़ सकता है. केतु का प्रभाव चीजों से अलग करने वाला होगा. एकांत अधिक प्रिय लग सकता है. लोगों की भावनाओं को समझने में कठिनाई होगी.

परिवार में लोगों के बीच दूरियां बढ़ सकती हैं. इसलिए इस समय के दौरान चीजों को शांत भाव से समझने का समय है. स्पष्ट रूप से समझ की कमी के कारण गलतफहमियां पैदा हो सकती हैं. वाहन इत्यादि का संभल कर उपयोग करने की आवश्यकता होगी क्योंकि खराब परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है.

कर्क राशि 

कर्क राशि के लिए केतु का गोचर तीसरे भाव में होगा. यह गोचर फ़ायदेमंद रह सकता है. कुछ कार्यों में अच्छे भाग्यशाली रह सकते हैं. केतु का तीसरे भाव में गोचर एक अनुकूल स्थिति मानी जाती है. परिणामस्वरूप, यह लोकप्रियता दिला सकता है. अपने काम में प्रसिद्धि के साथ साथ लाभ प्रदान करने में सहायक होगा. रिश्तों को लेकर सकारात्मक परिणाम होंगे लेकिन भाई बंधुओं के साथ कुछ सामंजस्य में कमी भी हो सकती है. 

सिंह राशि 

सिंह राशि के लिए केतु का गोचर दूसरे भाव में होगा. ऎसे में यह विशेष रुप से वाणी और संचार पर असर डालने वाला होगा. इस समय लोगों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. केतु के गोचर के फलस्वरूप वाणी में बदलाव देख सकते हैं यदि खराब असर है तो भाषा में कठोरता एवं गले संबंधी रोग अधिक असर डाल सकते हैं. इस समय अधिक सतर्क रहना चाहिए क्योंकि अपश्ब्दों एवं कठोर वाणी से रिश्ते संकट में पड़ सकते हैं. कुछ बातों से विवाद और असहमति उभरने का अधिक संकेत दिखाई देता है. 

कन्या राशि 

केतु का गोचर कन्या राशि वालों पर ही होगा, प्रथम भाव में गोचर का प्रभाव मानसिक रुप से चिंताओं में वृद्धि वाला रहेगा. व्यवहार एवं आचरण में बदलाव देखने को मिलेगा. कुछ बातों में गोपनीय एवं रहस्यमय दिखाई देंगे. जीवन साथी एवं आस-पास के लोगों को समझने में कठिनाई हो सकती है. इसलिए जरुरी होगा अधिक शांति एवं समझदारी से काम लेना, ताकि इन परिस्थितियों का आपके रिश्तों पर हानिकारक प्रभाव न पड़े. इस समय अधिक अंतर्मुखी रहने वाले हैं. 

तुला राशि 

तुला राशि के लिए केतु का गोचर बारहवें भाव में होगा. इस अवधि में कुछ अतिरिक्त खर्चे बढ़ सकते हैं. विदेशी मामलों में यह समय लाभ दिला सकता है. विदेश यात्रा के साथ साथ बाहरी संपर्क के द्वारा कुछ अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं. आध्यात्मिक पक्ष से मजबूत रहने वाले हों जिससे आपके जीवन में तनाव बढ़ेगा. सुनिश्चित करें कि आप इसे अपने रिश्ते या विवाह को प्रभावित न करने दें.

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के लिए केतु का गोचर ग्यारहवें भाव में होगा. इस अवधि के दौरान इच्छाओं पर कुछ अंकुश दिखाई दे सकता है. अंतरंग संबंध बनाना कठिन होगा और प्रेमी के साथ संबंध खराब हो सकते हैं. कुछ मामलों में भाग्यशाली समय होगा जिसमें आर्थिक लाभ को लेकर सकारात्मकता देखने को मिल सकती है. प्रेम संबंधों में मतभेद से बचने के लिए आवश्यक है की भ्रम और व्यर्थ के मतभेद से बचना ही उचित होगा. 

धनु राशि

धनु राशि के लिए केतु का गोचर दशम भाव में होगा. कार्यक्षेत्र में बदलाव दिखाई दे सकता है. कुछ कार्यों को लेकर सहकर्मियों के साथ संबंधों में खटास आ सकती है. इस समय एक दूसरे को समझने में की आवश्यकता होगी. इस समय काम के साथ खुद के लिए समय निकालना भी जरुरी होगा. घरेलू मामलों के चलते कुछ स्थान परिवर्तन की स्थिति भी बनती दिखाई दे सकती है. 

मकर राशि 

केतु का गोचर मकर राशि के नवम भाव पर होगा. नवम भाव में गोचर का असर भाग्य में कुछ संघर्ष को बढ़ा सकता है. यह अवधि महत्वपूर्ण रह सकती है. इस समय यात्राएं अधिक हो सकती हैं विशेष रुप से धार्मिक यात्राओं का समय बनेगा. जीवन को भी स्थिरता प्रदान होगी, सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने की आवश्यकता होगी. इस समय प्रयासों को अपने रिश्तों और सामाजिक रुप से बेहतर बनाने के लिए आगे बढ़ना होगा. 

कुंभ राशि

कुंभ राशि के लिए केतु का गोचर अष्टम भाव में होगा. इस भाव में केतु की गतिविधि भौतिक जीवन के लिए कुछ उथल-पुथल प्रदान करने वाली रह सकती है. अपने रिश्तों के प्रति वैराग्य का अनुभव कर सकते हैं. इस समय सजग होकर परिस्थितियों के अनुसार काम करना चाहिए. जितना संभव हो सके मध्यस्था के रुप में काम करने और कठिनाइयों का समाधान करने की जरुरी है. 

मीन राशि

मीन राशि वालों के लिए केतु का गोचर सातवें भाव पर होगा. इस गोचर के कारण आपसी संबंधों एवं पार्टनर के बीच आपसी तालमेल की कमी हो सकती है. सप्तम भाव में गोचर का प्रभाव राजनीतिक रुप से अच्छे परिणाम दे सकता है. जीवनसाथी का बर्ताव कुछ अलग रह सकता है जिसके चलते शक की स्थिति अपना असर डाल सकती है. 

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मकर लग्न के लिए सभी ग्रहों का प्रभाव

मकर लग्न दसवें स्थान पर आने वाला लग्ब्न है. यह शनि के स्वामित्व का लग्न है और जीवन में व्यवहारिक रुप से आगे बढ़ने की इसकी क्षमता भी बेहतरीन है. किसी भी लग्न के लिए तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव के स्वामी अशुभ माने जाते हैं उसी के अनुसार यहां भी मकर लग्न के लिए इन भावों के स्वामी कमजोर फल देने वाले होंगे. इसके अलावा जो ग्रह इस लग्न के मित्र होंगे वह इस लग्न के लिए खराब होने पर भी कुछ अनुकूलता दिखा सकते हैं. मकर लग्न के लिए शुभ ग्रह रुप में शुक्र पंचम भाव और दशम भाव का स्वामि होकर अत्यधिक शुभ बन जाता है. बुध इस लग्न के लिए छठे और नौवें भाव का स्वामी होकर सम बन जाता है. मंगल इस लग्न के लिए चतुर्थ और एकादश भाव का स्वामी होकर सम होता है. बृहस्पति इस लग्न के लिए तीसरे और बारहवें भाव का स्वामी होने के कारण बृहस्पति नकारात्मक बनता है. चंद्रमा मकर लग्न वालों के लिए मारक बन सकता है. सूर्य: सूर्य अष्टम भाव का स्वामी होकर खराब फल देता है. शनि तटस्थ बनकर अपना फल देता है. इसके अलावा राहु और केतु अपनी स्थिति के अनुसार फल देते हैं.

सूर्य का फल 

मकर लग्न के लिए सूर्य आठवें भाव का स्वामी होता है. सूर्य इस लग्न के लिए बहुत अनुकूल नहीं होता है. अष्टम भाव का स्वामी होने के साथ साथ ही शनि के साथ सूर्य का संबंध भी कमजोर है इस कारण इस लग्न के लिए सूर्य बहुत अधिक सहायक नहीं बन पाता है. यह दूसरों के धन और व्यवसाय के द्वारा किया गया संचय दर्शाता है. अपने पूर्वजों से संबंधित मामलों और उनके द्वार अप्राप्त होने वाले लाभ एवं हानि दोनों ही प्रकार के परिणाम देता है. पैतृक विरासत और लाभ, उतावले स्वभाव और सनकी स्वभाव के लिए इसका असर मकर लग्न को अधिक प्रभावित करने वाला होता है. सिरदर्द और आंखों से संबंधित परेशानी भी सूर्य द्वारा ही मिलती है. कम उम्र में लालच और उसके द्वारा किए जाने वाले काम, पिता के सुखों से रहित होना भी सूर्य के अष्टमेश होने के कारण ही होता है. यदि सूर्य पीड़ित है तो व्यक्ति को पिता अथवा धन की हानि होती है. जीवन में विपरित परिणाम मिलते हैं.

चंद्रमा का फल 

मकर लग्न के लिए चंद्रमा सातवें भाव का स्वामी होता है. शनि और चंद्रमा के मध्य शत्रु भाव की स्थिति का प्रभाव भी खराब फलों को दर्शा सकता है. चंद्रमा होता केन्द्र का स्वामी है किंतु इस केन्द्र स्थान को मारक भी कहा जाता है, इस कारण से चंद्रमा मकर लग्न के लिए मारकेश भी बन जाता है. चंद्रमा दर्शाता है कि व्यक्ति को कैसा संघ मिल सकता है, साझेदारी कैसी हो सकती हहै और महिलाओं के द्वारा उसे लाभ हो सकता है. व्यक्ति संगीत एवं कलात्मक चीजों का शौकीन हो सकता है, सुखद प्रेम के प्रति सदैव आकर्षित होता है. वित्तीय स्थिति मध्यम रहती है. मूत्र एवं गुप्त संक्रमण संबंधी रोग या बीमारियों से जल्द प्रभावित हो सकता है. चंद्रमा कमजोर और पीड़ित हो तो विपरीत परिणाम अधिक देखने को मिलते हैं. 

मंगल का फल 

मकर लग्न के लिए मंगल चौथे और ग्यारहवें भाव का स्वामी होता है. व्यक्ति को धन, शक्ति और अधिकार प्रदान इसी के प्रभाव से मिलता है. नौकर, सहकर्मी, विरासत, भूमि और माता-पिता की संपत्ति के माध्यम से लाभ की प्राप्ति मंगल पर निर्भर करती है. जीवन में वास्तविक मित्र और समर्थक, परिचितों के माध्यम से होने वाले व्य्वधान, शत्रु और बाधाओं पर विजय. शुभ कर्म और आशाएं मंगल के द्वारा ही देखी जाती हैं. ऊंचाई से गिरने का खतरा, शरीर पर चोट या चोट का निशान मंगल के कारण झेलने को मिल सकते हैं. झगड़ालू स्वभाव और लड़ाई में फंसना, युद्ध या कुश्ती के लिए इच्छुक होना अथवा इनके माध्यम से दुर्घटना का शिकार होना मंगल के कुंडली में स्थिति द्वारा संभव हो पाता है. यदि मंगल कुंडली में पीड़ित है तो नकारात्मक परिणाम अधिक देने वाला होता है. अगर मंगल शुभ स्थिति में है तो संपत्ति एवं भवन से लाभ देने वाला होता है. 

बुध का फल 

मकर लग्न के लिए बुध छठे भाव और नवम भाव का स्वामी होता है.बुध के प्रभाव से व्यक्ति को लंबी यात्राएं, अनेक विद्याएं, ज्ञान, विवेक की प्राप्ति होती है. अपने एवं परायों से मिलने वाले लाभ हानि की स्थिति बुध दर्शाता है. परदेशियों के साथ संबंध, पत्नी के साथ संबंध और यात्राएं, शत्रुओं से दुःख, विज्ञान में रुचि, आविष्कार कानून या दर्शन सहित राजनीतिक अर्थव्यवस्था जैसी बातें बुध के प्रभाव द्वारा ही देखने को मिलती हैं. जीवन में बुध की स्थिति भाग्य एवं विरोध दोनों के मध्य झूलती है. बीमारी और खराब स्वास्थ्य के लिए बुध जिम्मेदार होता है. बुध के कमजोर होने पर कई बार असफल व्यवसाय की स्थिति झेलनी पड़ सकती है. बुध की प्रबलता और उस पर शुभ दृष्टि के कारण माता-पिता का सुख एवं सौभाग्य की प्राप्ति अच्छे से संभव हो सकती है. 

बृहस्पति का फल 

मकर लग्न के लिए बृहस्पति तीसरे भाव और ग्यारहवें भाव का स्वामी होता है. बृहस्पति का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में साहस, परिश्रम के साथ साथ उसकी महत्वाकांक्षाओं को दर्शने वाला होता है. जीवन में होने वाले उलटफेर, ऋण का प्रभाव, कानों से संबंधित रोग, जीवन में चिंता जैसी बातें बृहस्पति के द्वारा असर डालने वाली होती हैं. यात्राओं और कहीं से स्थान बदलाव, निष्कासन, भाइयों, पड़ोसियों, लेखन, शिक्षा और सिद्धि की प्राप्ति से जुड़े कामों में भी बृहस्पति का प्रभाव अधिक दिखने को मिलता है. कुछ गुप्त दुख और जीवन में सीमाओं का मूल्यांकन भी बृहस्पति के कारण ही होता है. बृहस्पति का अनुकूल होना ही सफलता को पाने का अधिकार दिलाता है.

शुक्र का फल              

मकर लग्न के लिए शुक्र पंचम भाव और दशम भाव का स्वामी होने के कारण एक योग कारक ग्रह बन जाता है. योग्यता और सफलता का सुख शुक्र के द्वारा मिलता है. शुक्र के माध्यम से जीवन में गरिमा, शक्ति, सम्मान और अधिकार के साथ जीने की संभावना सबसे अच्छी दिखाई देती है. व्यक्ति उच्च महत्वाकांक्षी होता है. माता के माध्यम से लाभ पाता है. कई प्रेम प्रसंग भी जीवन में हो सकते हैं. धनवान होता है, शत्रुओं पर विजय, संपत्ति और दूसरों की संपत्ति का आशीर्वाद भी शुक्र के शुभ फल की देन होता है. 

शनि का फल 

मकर लग्न के लिए शनि ग्रह विशेष होता है क्योंकि यह लग्न का स्वामी भी होता है. शनि का प्रभाव शांत स्वभाव, उच्च पद, संपत्ति संपन्न बनाने में सहायक बनता है. शनि का असर ही व्यक्ति को जीवन में कइ तरह के बदलावों का संकेत देता है. लोगों के साथ संबंध, संगति का असर इस लग्न में शनि की स्थिति से देखने को मिलता है. जीवन पर होने वाले बदलाव, शत्रुओं पर शक्ति का उपयोग, अच्छा स्वास्थ्य, सद्भाव, कठिनाइयों पर विजय, धन की प्राप्ति होती है जैसी बातें शनि के द्वारा संभव हो पाती हैं. 

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मेष राशि में वक्री बृहस्पति का सभी राशियों पर प्रभाव

4 सितंबर 2023 को गुरु मेष राशि में वक्री हो रहे हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति को विस्तार, प्रचुरता और समृद्धि का ग्रह कहा गया है. बृहस्पति का वक्री होना काफी चीजों को बदल देने वाला समय होता है. इस समय पर चीजें वैसी नहीं रहती हैं जैसी वो दिख रही होती हैं. यह अचानक से होने वाली गंभीरता ओर बदलाव का समय होता है. वक्री बृहस्पति का समय इस बात पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है कि जीवन में बदलाव करने की आवश्यकता है या नहीं. चीजों पर नजर डालने और अपने उद्देश्यों या इच्छाओं को फिर से समझने जानने की कोशिश करने की जरूरत का संकेत दिखाता है. यह एक ऐसा समय होता है जब पहले खोई हुई क्षमता अधिक मजबूती के साथ फिर से सामने होती है. बृहस्पति, सभी ग्रहों में सबसे विस्तृत दृष्टिकोण प्रदान करता है. यह एक शिक्षक की भांति होता है जो उन तरीकों के साथ बढ़ने में मदद करता हैं जो हमारे जीवन में जागरूकता और सौभाग्य को बढ़ाते हैं. वक्री होने पर यह उपलब्ध अवसरों का एहसास करने के लिए सीमाओं से आगे बढ़ने में मदद करता है.

मेष राशि 

अपनी भावनाओं और दूसरों के प्रति दृष्टिकोण को लेकर अधिक भावनात्मक होने से बचने का समय है. किसी भी चीज को लेकर अति न करें. इस समय कोई बड़ा कार्य करने के लिए तैयार रहें क्योंकि कुछ नवी चीजें अब सामने दिखाई देने वाली हैं. अत्यधिक प्रतिस्पर्धी होने की प्रवृत्ति का लाभ अब मिल सकता है, यहां तक ​​कि अपने स्वयं के व्यक्तिगत विकास को देखने और उसमें सुधार करने के लिए बदलाव करना होगा. इस समय जल्दबाजी में कोई निर्णय न लेना ही उचित होगा. उग्र व्यवहार आपके खिलाफ काम कर सकता है, इसलिए शांत रहें और चीजों को सहजता के साथागे बढ़ने दिजिए. 

वृष राशि 

वृष राशि वालों को चाहिए की इस समय अपनी दैनिक गतिविधियों पर ध्यान दें. अपनी मौजूदा दिनचर्या को देखते हुए विचार करें कि क्या यह चीजें लक्ष्यों को आगे बढ़ा रही हैं या आपको उसी स्थान पर टिकाए हुए हैं. अगर बदलाव न हो रहा हो तो जरुरी है की अब इन चीजों में कुछ चेंज किया जाए. कुछ हफ्तों के दौरान असामान्य रूप से उच्च स्तर के तनाव का प्रभाव अब कम हो सकता है. इस समय यह ब्रेक ताजी हवा की सांस लेने का और नए अनुभवों को महसूस करने का समय हो सकता है. अपनी असफलताओं को उस बड़ी बाधा के रूप में मानें जो अभी बाकी है. खुद को समय दें और नए संबंध बनाएं.यह चेंज ही आने वाले समय में अच्छे परिणा म दे पाएंगे. 

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के लिए अबनी निजता को लेकर अधिक कठोर होने का समय हो सकता है. पर ध्यान रखें की निजी मर्यादाओं में दूसरों का कष्ट न होने पाए. काम को लेकर आगे बढ़ाने की सलाह दी जाती है. खुली सोच और लचीलापन मददगार होगा क्योंकि जिद और आदतों को चुनौती देने का समय है. अपनी दृष्टि को व्यापक बनाने के लिए परिश्रम की आवश्यकता है. किसी भी नकारात्मक रूढ़िवादिता पर पुनर्विचार करें जिसे आपने अनजाने में बढ़ावा दिया हो जो आपको अपने लक्ष्यों का पीछा करने से रोकता है. अगर खुद को नम्र नहीम बनाएंगे तो इसके कारन उलझन सुलझेगी नहीं. अपनी अनुकूलन क्षमता का परीक्षण करें तथा अपनी सीमाओं को फिर से परिभाषित करने की आवश्यकता है.

कर्क राशि 

यह समय लाभ, इच्छा पूर्ति पर असर डालने वाला होगा. बृहस्पति के वक्री होने का मतलब है कि  इच्छाओं और पूर्व निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने में कठिनाई हो सकती है. इस अवधि के दौरान जिन चीजों के होने की उम्मीद कर रहे थे, उनमें देरी होगी या परिणाम संतोषजनक मिल न पाए. ये समय आर्थिक परेशानी भी बढ़ा सकता है और आपको भविष्य के संबंध में कुछ बदलाव करने पड़ सकते हैं. चीजों को लेकर अधिक खर्च उठाना पड़ सकता है. रिश्तों के मामले में समय मध्यम रह सकता है. अपनों के साथ कम्युनिकेशन गैप से बचें. कुछ मामले अभी लंबित हो सकते हैं. धार्मिक यात्राओं का समय होगा और साथ ही खर्च भी अधिक रह सकता है. 

सिंह राशि 

स्वास्थ्य की दृष्टि से ध्यान रखने का समय है विशेष रुप से जीवन साथी के स्वास्थ्य को लेकर थोड़ी चिंता रह सकती है. वक्री बृहस्पति इस बात की ओर इशारा करता है कि इस वक्री गोचर के दौरान कोई भी नया कदम उठाते समय बहुत धैर्य और सावधानी बरतनी होगी. संतान पक्ष को लेकर कुछ चिंता हो सकती है. छात्रों को अपनी शिक्षा में भागदौड़ का अनुभव करना पड़ सकता है. इस अवधि के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. बोलचाल में शब्दों का प्रयोग सोच-समझकर करें ताकि किसी को आहत न करें. नौकरी में किसी भी नए प्रोजेक्ट की शुरुआत करने से पूर्व अच्छी से सभी चीजों पर ध्यान देना होगा अन्यथा लापरवाही के चलते परेशानी हो सकती है. लाभ में देरी हो सकती है. पारिवारिक वातावरण सौहार्दपूर्ण रहेगा और इस दौरान परिवार में शांति बनी रह सकती है. 

कन्या  राशि

बृहस्पति का यह वक्री होना किसी भी तरह के संबंध में विवाद की स्थिति को उत्पन्न करने का काम कर सकता है. इस समय के दौरान विचारों में अलगाव की स्थिति परेशानी दे सकती है. अलग धर्म और परंपराओं केव प्रति अधिक रुझान भी उत्पन्न हो सकता है. किसी दूसरों के कारण कानूनी समस्याओं का सामना कर सकते हैं. नौकरी में अच्छा करेंगे लेकिन सहकर्मियों की ओर से थोड़ा सहयोग में कमी रहेगी. नौकरी या वेतन वृद्धि में अभी विलंब हो सकता है. कई चीजों में धैर्य की ही आवश्यकता है क्योंकि कुछ अटकाव अधिक असर डाल सकते हैं. इस अवधि के दौरान परिवार में पूजा अथवा मांगलिक कार्य हो सकते हैं. कड़ी मेहनत के माध्यम से अपने कई वांछित लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं और समस्याओं से भी राहत मिलने की उम्मीद है.

तुला राशि 

तुला राशि वालों के लिए बृहस्पति होना प्रयासों में वृद्धि का संकेत देगा. इस भाव में वक्री बृहस्पति लाभ प्रदान कर सकता है, लेकिन कुछ देरी के साथ. अपने कामों में निवेश का लाभ पाने के  लिए प्रयास करने की आवश्यकता है. जीवन में कुछ असंतोष महसूस कर सकते हैं. कुछ मामलों के चलते आध्यात्मिक विश्वास कम हो सकता है और आध्यात्मिक रूप से बेचैन महसूस करेंगे. स्वास्थ्य की बात करें तो आपको अपने स्वास्थ्य का अधिक ध्यान रखने की आवश्यकता है क्योंकि खराब स्वास्थ्य के संकेत मिल रहे हैं. अवांछित बातों पर समय और ऊर्जा बर्बाद न करना ही उचित होगा.

वृश्चिक राशि 

वक्री बृहस्पति का असर नैतिक मूल्यों और उदारता के मामले में आपको कुछ कठोर बना सकता है. अपनों की ओर से सहयोग की कमी परेशान कर सकती है. काम में स्वतंत्रता की इच्छा रखेंगे, लेकिन प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा. बृहस्पति का वक्री होना चीजों को फिर से करने का सुझाव देता है, इसलिए काम को लेकर उचित रुप से सोच विचार करते हुए आगे बढ़ना आवश्यक होगा. अभी नौकरी नहीं बदलनी चाहिए क्योंकि यह आपके लिए फ़ायदेमंद साबित नहीं होगा. कार्यस्थल पर सहकर्मियों के साथ कुछ अनबन भी हो सकती है. आर्थिक रूप से भी समय उतना अनुकूल नहीं है और आर्थिक मामलों में आपको आर्थिक उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं और पैसों के लेन-देन को लेकर ध्यान रखना होगा. 

धनु राशि 

आपके राशि का स्वामी अब वक्री होने से स्वास्थ्य संबंधी कुछ परेशानियां भी हो सकती हैं. ब्लड शुगर से परेशान हैं तो इस दौरान अधिक ध्यान रखने की आवश्यकता होगी. वजन भी बढ़ सकता है. यदि आप एक व्यवसायी व्यक्ति हैं, तो कार्यक्षेत्र में बहुत सी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. सहकर्मी भी मददगार साबित नहीं हो पाएं. स्वभाव में कोमलता के कारण दूसरे धोखा भी दे सकते हैं. इस गोचर के दौरान कड़ी मेहनत आपको किसी भी तरह की प्रतियोगिता में जीत दिलाएगी. वैवाहिक जीवन में भी टकराव का सामना करना पड़ सकता है.अपनी भावनाओं के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता होगी. दूसरों के साथ तार्किक दृष्टिकोण से जुड़कर अपने रिश्ते सुधारने की जरूरत है. 

मकर राशि 

विचार प्रक्रिया के प्रति अपने अंतर्ज्ञान का एक मजबूत समर्थन मिलेगा. अपने टूटे हुए कनेक्शन को फिर से बनाने का प्रयास करने वाले हैं. उन चीजों का सामना करेंगे जिन्हें जीवन के प्रति अपने उत्साह को बढ़ाने के लिए बाधाओं के रूप में देखा अब उन्हें दूर  करने का समय होगा. अब उन कारणों की पहचान करने की आवश्यकता है अटकाव देते हैं. नई रुचियों की खोज करने या मित्र बनाने के लिए तैयार रहें. शोध और ध्यान के मामले में बृहस्पति वक्री होना अच्छा रह सकता है. बाहरी चीजों के लिए फायदेमंद साबित होगा. इस दौरान निडर हो सकते हैं और साहसिक निर्णय ले सकते हैं. जीवन में किसी भी चीज का सामना करने से नहीं डरेंगे.  शत्रुओं पर विजय प्राप्त करेंगे और आप धार्मिक गतिविधियों में भी शामिल हो सकते हैं. 

कुंभ राशि 

अब वक्री बृहस्पति का असर आपको लाभ के मौके दे सकता है. कोई आपके लिए एक बेहतर हमदर्द के रूप में भी सामने खड़ा हो सकता है. दूसरों को बेहतर ढंग से समझने के लिए,  आलोचनात्मक रवैये पर फिर से विचार करने की जरूरत होगी. आराम करने का प्रयास भी अधिक मिलेगा. अपनी योजना में कुछ बदलाव करने की जरुरत होगी. सामाजिक रुप से लोगों के साथ जुड़ाव होगा. नए दोस्त बनाने का समय हैं. अपनी इच्छाओं एवं योजनाओं को लेकर आपको आगे बढ़ना चाहिए. शिक्षा के मामले में छात्रों को अभी भ्रम से बचना होगा और उचित रुप से क्या चाहिए इस पर विचार करना होगा. 

मीन राशि 

वक्री बृहस्पति राशि स्वामी है इसलिए अपनी ऊर्जा को उन चीजों या लोगों पर बर्बाद न करें जो मायने नहीं रखते: व्यवस्था बनाए रखने की प्रबल आवश्यकता है.  कुछ मामलों में प्रतिष्ठा को बचाने और दूसरों के साथ मैत्रीपूर्ण व्यवहार करने के लिए दबाव महसूस कर सकते हैं. अपने रचनात्मक पक्ष पर ध्यान केंद्रित करने के लिए यह एक बेहतरीन समय है. कार्यस्थल पर मुद्दों को हल करने के नए तरीकों के बारे में सोचने की कोशिश करें. विशेष रूप से वरिष्ठों के साथ आपके संबंध बेहतर करने की कोशिश करें. प्रेम जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है अन्यथा संबंध विच्छेद की संभावना बढ़ सकती है. इस अवधि के दौरान, व्यक्ति बिना बात को लेकर अधिक कठोर हो सकते हैं ऎसे में चीजों परेशानी उत्पन्न करने वाली होंगी. इस ओर ध्यान रखें तथा कठोरता से बचने की कोशिश करें. 

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वक्री शनि का कुंभ राशि गोचर फल 29 जून 2024

 शनि 29 जून, 2024 को 24:29 पर अपनी वक्री गति से चलने वाले हैं. शनि वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह है, जिसे कर्म का ग्रह कहा जाता है और इसलिए जब शनि वक्री होता है तो जीवन में कई बदलाव लाता है. हर घटना की तरह यह भी अलग-अलग राशियों में अलग-अलग असर देने वाला होता है.  

मेष राशि पर वक्री शनि का प्रभाव

शनि का कुम्भ राशि में वक्री होना मेष राशि वालों के लिए थोड़ा परेशानी दे सकता है. इस समय पर खर्च की अधिकता रह सकती है. पर विदेश यात्रा के लिए समय बनता है. जो लोग विदेश के कार्यों में लगे हुए हैं उन्हें लाभ मिल सकता है. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. आर्थिक रूप से भी यह समय निवेश की कमी और व्यय की अधिकता को देने वाला हो सकता है. नौकरी एवं व्यवसाय में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. रिश्ते और दांपत्य जीवन भी साधारण ही रह सकता है. 

शनि का कुम्भ में वक्री होना वृष राशि पर प्रभाव

शनि का वक्री होना थोड़ा प्रयास करने और मेहनत करने की क्षमता को बढ़ा देने वाला होगा. वृष राशि वालों के लिए कुछ चीजें कुछ कठिन होसकटि हैं. शरिर की ऊर्जा में कुछ कमी महसूस हो सकती है. धन के मामलों की बात आने पर ध्यान से लेन देन करने की जरूरत होगी. हर चीज का ध्यान रखते हुए आगे बढ़ना होगा. कर्मचारियों और उद्यमियों दोनों के लिए गड़बड़ी भी देखी जा सकती है. अपने प्रेमी या जीवनसाथी के साथ वाद-विवाद हो सकता है इसलिए इससे बचने की सलाह दी जाती है क्योंकि कुछ विवाद होने की संभावना है.

मिथुन राशि वालों के लिए वक्री शनि का प्रभाव 

मिथुन राशि वालों के लिए ये समय धन के क्षेत्र में और इच्छाओं को लेकर बदलाव की नीति को दिखाने वाला होगा. वक्री शनि का प्रभाव सेहत पर असर डाल सकता है. संतान को लेकर कुछ चिंता भी अधिक रह सकती है. कोई पुरानी बीमारी फिर से उभर कर परेशान कर सकती है. अपने खान पान और दिनचर्या को लेकर अधिक सजग रहना होगा. इस दौरान कोई भी बड़ा निवेश करने से बचें. कोई नया प्रोजेक्ट शुरू नहीं करना चाहिए. अपने रिश्तों या विवाह में सामंजस्य और एकजुटता बनाए रखने के लिए भी कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है.

कर्क राशि वालों के लिए वक्री शनि का प्रभाव 

कर्क राशि के लिए शनि का वक्री होना साझेदारी से जुड़े कार्यों में चुनौतियां दे सकता है. वक्री शनि का असर कुछ चिंताजनक असर भी दिखा सकता है. कार्यक्षेत्र और परिवार को लेकर कुछ तनाव में रहने की संभावना है. यह धन के लिए भी औसत समय है. कार्यस्थल पर कहीं न कहीं कोई समस्या आपको परेशान कर सकती है. व्यापार में अभी बदलाव से बचें ओर कुछ समय स्थिति के अनुरुप शांत रहते हुए काम करें. जीवनसाथी के साथ कुछ वाद-विवाद और असहमति का भी सामना करना पड़ सकता है. 

सिंह राशि के लिए कुम्भ में शनि के वक्री होने का प्रभाव

सिंह राशि के लिए शनि का वक्री होना सेहत के मामलों को लेकर तनाव दे सकता है. अभी इस समय कुछ गुप्त मामलों में तेजी भी दिखाई दे सकती है. इस समय पूरी तरह से स्वस्थ महसूस नहीं कर पाएं, धन को लेकर अचानक प्राप्ति के साथ खर्च की स्थिति समान रुप से होगी. अपनों की ओर से कुछ समस्याएं भी देखने को मिल सकती हैं. किसी वरिष्ठ की सलाह को मान लेने में ही भलाई होगी. आध्यात्मिक रुप से इस समय मन में भटकाव भी अधिक रह सकता है.रिश्ते में हैं तो कुछ अनबन या रुकावटें भी आ सकती हैं.  

कन्या राशि के लिए कुम्भ में शनि के वक्री होने का प्रभाव

कन्या राशि के लिए कुंभ राशि में वक्री शनि का प्रभाव काम को लेकर बदलाव देगा. इस समय आर्थिक मसले दूसरों के दबाव के चलते परेशानी का सबब बन सकते हैं. करियर को प्रभावित करेगा और सहकर्मियों के साथ कुछ विचारों में तनातनी उभर सकती है. कार्यक्षेत्र में अधिक मेहनत और प्रयास करने की आवश्यकता होगी. पहले से अधिक मेहनत करने से आप थोड़े हैरान और परेशान हो सकते हैं. स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. इस समय पर चिकित्सक की सलाह पर काम करना बेहद जरुरी होगा अन्यथा लापरवाही बढ़ सकती है. 

तुला राशि के लिए कुम्भ में शनि के वक्री होने का प्रभाव

इस समय तुला राशि के लिए वक्री शनि का असर इन्हें काम की अधिकता के कारण वर्कहॉलिक बना सकता है. शारीरिक थकान और मानसिक तनाव अधिक हावी हो सकता है, लेकिन ध्यान रखें कि सेहत को लेकर लापरवाही से बचें. मेहनत करते रहने से आने वाले समय में कई चीजों का लाभ अवश्य प्राप्त हो सकता है. संतान की ओर से कुछ चिंता रहेगी. इस समय छात्र अपनी पढ़ाई को लेकर कुछ लापरवाह भी दिखाई दे सकते हैं. करियर को लेकर भागदौड़ अधिक रहने वाली है. को पुराना रुका हुआ काम फिर से शुरू करने का मौका मिल सकता है, जिससे उनके कारोबार में तरक्की होगी. चुनौतियां परिवार की ओर से भी उभरेंगे ऎसे में कुछ समय के लिए स्वयं को अधिक समय देने की आवश्यकता है. प्रेम के मामले में रिश्ते में धीमापन उदास कर सकता है लेकिन जल्द ही स्थिति सुधार होगा. 

वृश्चिक राशि के लिए कुम्भ में शनि के वक्री होने का प्रभाव

वृश्चिक राशि वालों के लिए यह समय कुछ काम में सुस्ती का असर दिखाने वाला हो सकता है. इस समय आर्थिक अनुकूलता को लेकर आएगा, चुनौतियां कम होंगी और धन लाभ के योग बनेंगे.  प्रेम संबंधों में तनाव बढ़ने की संभावना रहेगी. इस समय सोच समझकर बात करनी चाहिए और ऐसा काम नहीं करें जिसके चलते किसी की भावनाएं आहत हों. विद्यार्थियों को पढ़ाई पर अधिक ध्यान देकर काम करना होगा तभी वे बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे. भाई बंधुओं को लेकर इस समय कुछ सोच विचार तेज हो सकते हैं या किसी काम के चलते लगातार ट्रैवलिंग करनी पड़ सकती है. वाहन इत्यादि का संभल कर उपयोग करने की सलाह दी जाती है. 

धनु राशि के लिए कुम्भ में शनि के वक्री होने का प्रभाव

शनि का कुंभ राशि में वक्री होना मुख्य रूप से धनु राशि वालों के आर्थिक पक्ष के साथ साथ उनके काम करने की गति को प्रभावित करेगा. विदेश यात्राओं में विघ्न आ सकते हैं. कामकाज को लेकर भागदौड़ ज्यादा रह सकती है. परिवार में कुछ जरूरी काम समय के लिए टल सकते हैं. नौकरी बदलने की सोच रहे हैं तो इस विचार पर अभी आगे बढ़ना उचित नहीं हो पाए.  दिशनि की वक्री अवस्था में नौकरी बदलने से बार-बार नौकरी बदलने की नौबत आएगी और स्थिरता का अभाव रह सकता है. परिवार में कुछ पूजा पाठ के कार्य भी संपन्न हो सकते हैं. 

मकर राशि के लिए कुम्भ में शनि के वक्री होने का प्रभाव

शनि के वक्री होने के कारण इस समय जो बातें पहले अधिक महत्वपूर्ण लग रहीं थी उन पर विचार कुछ बदले हुए होंगे. अपने काम को बेहतर बनाने की कोशिश करने में तेजी लाने वाले हैं.  भाग्य की कृपा से आपके काम तो बनेंगे लेकिन अगर आपकी कुंडली में शनि वक्री नहीं है तो यह आपके काम में कुछ देरी करा सकता है. जिस नतीजे का इंतजार कर रहे थे, उसमें थोड़ी देर हो सकती है. वैवाहिक जीवन में कुछ तनाव रहने की संभावना है. अपने जीवन साथी के स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी. बिजनेस को लेकर पार्टनर के साथ संबंधों पर थोड़ा ध्यान देना होगा. काम में आलस्य के चलते नुक्सान उठाना पड़ सकता है इसलिए किसी भी प्रकार की लापरवाही से बचना ही उचित होगा. 

कुंभ राशि के लिए कुम्भ में शनि के वक्री होने का प्रभाव

कुंभ राशि वालों के लिए राशि स्वामी का वक्री होना दांपत्य जीवन में हल्का तनाव दे सकता है. इसके अलावा खर्च को लेकर भी अधिक सोच विचार बना रहने वाला है. अनुशासित जीवन जीने से आपको लाभ होगा. अपने आस पास के लोगों ज़रूरतों पर ध्यान देना होगा क्योंकि रिश्तों में दूरियों के आने का संकेत बन रहा है. आर्थिक रूप से यह समय आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने वाला है. विदेशी मामलों में तेजी का समय है कुछ अच्छे अवसर मिल सकते हैं. अचानक से यात्राओं क अयोग भी बन रहा है.  जो लोग लंबे समय तक मानसिक तनाव से जूझकर बाहर निकले हैं, अब फिर से कुछ समय के लिए इस ओर बढ़ सकते हैं, इसलिए घबराएं नहीं, बल्कि इस समय का डटकर सामना करना चाहिए. अपने स्वास्थ्य पर भी ध्यान बनाए रखने की जरुरत होगी. 

मीन राशि के लिए कुम्भ में शनि के वक्री होने का प्रभाव

मीन राशि वालों के लिए इस समय आर्थिक पक्ष की स्थिति कुछ चिंता दे सकती है. भाग्य का आशीर्वाद मिलने में विलंब हो सकता है. शनि अपने पिछले गोचर में आपको जो देना चाहते थे वह अब आपको देंगे, इसलिए यदि आपके कार्यों की गति ठीक है, तो इस दशा में आपको लंबी यात्राओं से लाभ होगा. छात्रों को उच्च शिक्षा में आगे बढ़ने का मौका मिल सकता है जो लोग विदेश जाने के लिए प्रयास कर रहें हैं उन्हें सफलता मिल सकती है. परिवार में किसी के स्वास्थ्य को लेकर थोड़ी परेशानी हो सकती है.भाई-बहनों से संबंधों में उतार-चढ़ाव की स्थिति बन सकती है, अचानक कोई पैतृक संपत्ति मिलने से सुख मिल सकता है. वाद-विवाद को लेकर थोड़ा सावधान रहें क्योंकि कोर्ट या कचहरी में चल रहे मामले कुछ समय के लिए चल सकते हैं. 

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मंगल-केतु का तुला राशि में गोचर देगा गंभीर परिणाम

वैदिक ज्योतिष में केतु के साथ मंगल का गोचर बेहद परिवर्तन के साथ ही एक महत्वपूर्ण घटना का समय भी बन जाता है. मंगल ऊर्जा, साहस और पराक्रम का कारक है और केतु क्रोध अलगाव को दर्शाता है. ऎसे में तुला राशि में केतु और मंगल की स्थिति का असर एक साथ गोचर के कारण परेशानी देने वाला भी होगा. यह एक विस्फोटक स्थिति को भी दर्शाने वाला होगा. केतु-मंगल का तुला राशि में होना बेहद क्रांतिकारी रुप से अपना असर दिखा सकता है. यह राशि गोचर करता सभी बारह राशियों के लिए विशेष होने वाला होगा.  तुला राशि में मंगल के आने के बाद इस देश ओर दुनिया पर होने वाले असर काफी महत्वपूर्ण होंगे. इस समय प्राकृति आपदाओं का प्रभाव भी जीवन पर होगा. 

मेष राशि 

मंगल और केतु का तुला राशि में गोचर मेष राशि के लिए बदलाव ओर उत्साह को बढ़ाने का संकेत होगा. मंगल जो मेष राशि का अधिपति ग्रह है वह केतु के साथ तुला राशि में होने पर गोचर साझेदारी और संबंधों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का संकेत देता है. अपने काम में जितना संभव हो धैर्य को बनाए रखना उचित होगा. यह गोचर रिश्तों में सामंजस्य और संतुलन को कमजोर करने वाला होगा. विवाद और उत्तेजना अधिक दिखाई देगी. इस गोचर के दौरान अपनी मुखरता का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है. मंगल के साथ केतु दोनों ही एक उग्र और आवेगी ग्रह हैं, और तुला राशि में इसका गोचर ठीक से नहीं होने पर संघर्ष या गलतफहमी पैदा कर सकता है.

वृष राशि 

वृष राशि वालों के लिए मंगल और केतु का तुला राशि में होना नए विचारों से जुड़ने के समय को दर्शाता है. इससे बेहतर संचार और नई चीजों के अविष्कार का समय होगा. प्रियजनों के साथ गहरे संबंध अभी न बन पाएं लेकिन इस ओर शुरुआत हो सकती है. यह गोचर रचनात्मकता और कलात्मक अभिव्यक्ति को बढ़ावा दे सकता है. नए शौक या परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए अधिक प्रेरित और प्रेरित महसूस कर सकते हैं, विशेष रूप से वे जिनमें साझेदारी या सहयोग शामिल है. अभी इस समय के दौरान सेहत को लेकर अचानक से कुछ परेशानी हो सकती है. 

मिथुन राशि 

मिथुन राशि वालों के लिए मंगल-केतु का तुला राशि गोचर एकाग्रता की कमी को दे सकता है. इस समय छात्रों को अपनी पढ़ाई को लेकर परेशानी रह सकती है. इस समय बच्चों की ओर से माता-पिता को चिंता होगी. गर्भवत महिलाओं को विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होगी. यह समय दर्शन, तंत्र और विज्ञान जैसे विषयों पर  अच्छी पकड़ देने वाला होगा. आध्यात्मिक रुप से जागरण का समय होगा. अचानक से गुढ़ चीजों की ओर रुझान भी बढ़ने वाला है. दोस्तों के साथ विवाद अथवा प्रेम संबंधों में अलगाव होने कि संभावना अधिक रह सकती है. 

कर्क राशि 

मंगल-केतु का तुला राशि में गोचर कर्क राशि वालों के लिए मिलेजुले फलों को देगा. इस समय के दौरान घर परिवार में कुछ अशांति मिल सकती है. इस समय पर चीजों की स्थिरता की उम्मीद कम हौ रहने वाली है. यह गोचर साझेदारी और सहयोग पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का होगा क्योंकि व्यर्थ के विवाद इस समय अधिक परेशानी देने वाले होंगे. यह व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों संबंधों में विकास और विस्तार के लिए अभी संघर्ष की जरूरत होगी. नेतृत्व करने में आगे रह सकते हैं. रिश्तों पर काम करने और दूसरों के साथ सामान्य आधार खोजने के लिए खुद को अधिक तैयार करना होगा, यह गोचर संघर्ष या शक्ति संघर्ष के रूप में चुनौतियाँ भी ला सकता है. 

सिंह राशि 

इस गोचर के दौरान अपनी और दूसरों की ज़रूरतों के बीच संतुलन बनाने की दिशा में अधिक काम करने की जरुरत होगी. परिश्रम में वृद्धि रहेगी. अपने संबंधों में उत्पन्न होने वाली किसी भी चुनौती से निपटने के लिए अधिक कूटनीतिक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत होगी. भाई बंधुओं की ओर से चिंता अधिक रहने वाली है. कंधे और हाथ में दर्द या खिंचाव रह सकता है. इस समय यह गोचर सामाजिककरण और नए कनेक्शन बनाने के अवसर बढ़ा सकता है. 

कन्या राशि 

कन्या राशि में विशेष रूप से उन लोगों के लिए समय थोड़ा संभल कर करने वाला होगा जो जिम्मेदारियों का अधिक निर्वाह कर रहे होंगे. समान रुचियों या मूल्यों को साझा करने का समय कम ही मिल पाएगा. वाणी में कठोरता का समय अधिक रह सकता है. खुद को कुछ अलग थलग भी पा सकते हैं. आर्थिक निवेश की स्थिति कमजोर होगी और इस समय अचानक से धन खर्च की मांग भी बढ़ सकती है. 

तुला राशि 

तुला राशि वालों पर ही मंगल और केतु का असर होने वाला है. अपने आप को कई सारी बातों में उलझा हुआ देख सकता है. काम करने के लिए खुद को अधिक प्रेरित महसूस कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त, यह गोचर रचनात्मकता और कलात्मक अभिव्यक्ति में कुछ कमी को दिखाता है इसलिए नए शौक या परियोजनाओं का पता लगाने के लिए आगे रहना महसूस कर सकते हैं, विशेष रूप से वे जिनमें साझेदारी या सहयोग शामिल है. तुला राशि वालों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इस गोचर के दौरान अपनी अनिर्णय की प्रवृत्ति और आसानी से विचलित होने की प्रवृत्ति से सावधान रहने की जरुरत होती है. 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के लिए मंगल केतु का तुला में होना अभी क्रोध ओर उत्साह की अधिकता को दिखाने वाला होता है. तुला राशि में केतु – मंगल के गोचर का असर विवाद और आगे रहने की प्रवृत्ति में बढ़ोत्तरी को दर्शाता है. यह गोचर व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों ओर ध्यान देने के साथ साथ प्रगत्ति को देने में सहायक होगा. यह गोचर कुछ चुनौतियाँ भी ला सकता है. इनमें संघर्ष या शक्ति संघर्ष शामिल हैं, जिनके लिए सावधानीपूर्वक बातचीत और संचार कौशल की आवश्यकता हो सकती है. इस अवधि के दौरान  शांत रहना महत्वपूर्ण है. उत्पन्न होने वाली किसी भी चुनौती से निपटने के लिए उनकी भावनात्मक बुद्धिमत्ता का उपयोग करना महत्वपूर्ण है. विदेशी मामलों में लाभ की स्थिति मिल सकती है. 

धनु राशि 

तुला राशि में मंगल का गोचर सिंह राशि के जातकों के लिए विशेष रूप से उनके पेशेवर जीवन में कुछ सकारात्मक विकास ला सकता है. यह गोचर करियर में उन्नति या मान्यता के अवसर पैदा कर सकता है. इसलिए, सिंह राशि के लोग खुद को अधिक नेतृत्व वाली भूमिकाएं निभाते हुए पा सकते हैं. मंगल ग्रह की ऊर्जा चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं से निपटने के लिए आवश्यक प्रेरणा भी प्रदान कर सकती है. लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में साहसिक कदम उठा सकते हैं. इस समय पर किसी कानूनी मामलों पर अधिक हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा.

मकर राशि 

यह गोचर कुछ चुनौतियाँ भी ला सकता है, जैसे संघर्ष या अधिकार को लेकर विवाद. संघर्ष के साथ अलगाव जैसी बातें परेशानी दे सकती हैं. इस अवधि के दौरान जमीन से जुड़े रहना और ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है. उत्पन्न होने वाले किसी भी संघर्ष को हल करने के लिए उनके करिश्मे और कूटनीति का उपयोग करना महत्वपूर्ण है. अपने प्रेम जीवन में अधिक संतुलन और सामंजस्य की तलाश कर सकते हैं. इस गोचर के दौरान जमीन से जुड़े और खुले विचारों वाले रहें. किसी भी टकराव को हल करने के लिए स्पष्ट रूप से संवाद करना जरूरी होगा. 

कुंभ राशि 

कुंभ राशि के लिए मंगल-केतु गोचर महत्वपूर्ण प्रभाव देने वाला होता है. मंगल ऊर्जा, क्रिया का ग्रह और केतु का वहां प्रतिस्पर्धा को लेकर नई चीजें देगा. इस समय के दौरान पर यात्राओं का समय होगा. इस गोचर के दौरान, अधिक आत्मविश्वास और मुखर महसूस कर सकते हैं. अधिक जोखिम लेने और अपने लक्ष्यों को अधिक दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ाने वाले हो सकते हैं. अपने काम में इस समय बहुत अधिक मेहनत की जरुरत होगी. कार्यों में बहुत अधिक आक्रामक या आवेगी न बनने के लिए सावधान रहें, क्योंकि मंगल कभी-कभी इन प्रवृत्तियों को सामने ला सकता है. 

मीन राशि 

केतु- मंगल के तुला राशि में गोचर का होना मिलाजुला असर हो सकता है. कुछ चुनौतीपूर्ण अवधि हो सकती है. इस गोचर के दौरान अपने रिश्तों में तनाव और संघर्ष का अनुभव हो सकता है, क्योंकि मंगल-केतु व्यक्तित्व का अधिक मुखर और टकराव वाला पक्ष सामने ला सकता है. जीवन में हताशा और अधीरता की भावना भी महसूस कर सकते हैं. अपने खान पान को लेकर सजग रहने की जरुरत होगी. 

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मंगल के साथ राहु का क्यों बनाता है दुर्घटना का योग

कुंडली में मंगल और राहु एक साथ होने पर दुर्घटना का योग बनाता है. यह एक ऐसा ज्योतिषीय योग है जिसे नकारात्मक योगों की श्रेणी में रखा जाता है. यह वैदिक ज्योतिष में कई चुनौतियों को दर्शाता है. यदि राहु किसी कुंडली में स्थिति या दृष्टि के कारण मंगल से संबंध बनाता है तो इसे खराब योग कहते हैं. कुण्डली में जिस भी भाव का निर्माण होता है अर्थात यदि राहु और मंगल एक ही भाव में स्थित हों या राहु और मंगल की परस्पर दृष्टि हो तो कुण्डली में उस भाव से संबंधित दुर्घटना का प्रभाव झेलना पड़ सकता है. राहु और मंगल जब कुंडली के किसी भी भाव में हों तो युति बनाते हैं. जन्म कुंडली में राहु और मंगल की स्थिति खराब होने पर यह दोष अशुभ और हानिकारक प्रभाव दे सकता है.

इसका जीवन पर ज्यादा नकारात्मक प्रभाव दशा और गोचर में अधिक पड़ता है. यह दोनों ग्रह, अग्नि का प्रतीक हैं. कुंडली में इस के कारण व्यक्ति क्रोध में फंसा रहता है और निर्णय नहीं ले पाता है. इसके कारण क्रोध, अग्नि, दुर्घटना, रक्त संबंधी रोग और त्वचा की समस्याओं का कारण बनता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति बहुत क्रोधी हो जाता है हिंसा दुर्घट्ना का कारण बनती है. ये कोई निर्णय लेने में असमर्थ होते हैं लेकिन न्यायप्रिय होते हैं.इस योग के प्रभाव में दुर्घटनाएं अधिक असर डालने वाली होती हैं. इस योग के प्रभाव में व्यक्ति के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं.

इस योग से जुड़े दुष्प्रभाव 

दुर्घटना योग का प्रभाव आक्रामक, हिंसक और नकारात्मक रुप से असर डालता है. इस योग के प्रभाव में व्यक्ति का अपने भाइयों, मित्रों और अन्य संबंधियों से मतभेद हो जाता है. अंगारक योग होने से धन की कमी रहती है. इसके प्रभाव से योग बनाने वाले ग्रहों की दशा में दुर्घटना होने की संभावना बनती है. वह रोगों से पीड़ित रहता है और उसके शत्रु उस पर काला जादू करते हैं. अंगारक योग का बुरा प्रभाव व्यापार और वैवाहिक जीवन पर भी पड़ता है. कुंडली के पहले भाव में राहु-मंगल अंगारक योग होने से पेट की बीमारी और शरीर में चोट लग सकती है.

प्रथम भाव में

यह दोनों वर्जनाओं को तोड़ने का काम करते हैं जोखिम उठाने के लिए आगे रहते हैं. मंगल जुनून और आक्रामकता का प्रतिनिधित्व करता है. वैदिक ज्योतिष या लग्न में पहला घर शरीर और आत्म-दृष्टि का प्रतिनिधित्व करता है. तो, पहले घर में राहु और मंगल एक हिंसक स्वभाव, लालच, अतृप्त भूख और क्रोध पैदा कर सकते हैं. इसके प्रभाव से दुर्घटनाएं अधिक परेशानी दे सकती हैं. 

दूसरे भाव में

दूसरा घर धन, समृद्धि और भाग्य का प्रतिनिधित्व करता है. मंगल दुर्घटनाओं, चोटों, सर्जरी और रक्त का प्रतिनिधित्व करता है. इस योग के कारण जातक को आर्थिक हानि, शल्य चिकित्सा और बीमारी का सामना करना पड़ सकता है. मंगल के उग्र स्वभाव के कारण इन्हें अपनी संपत्ति से भी हाथ धोना पड़ सकता है.

तीसरे भाव में

तीसरा भाव भाई-बहन, आत्म-अभिव्यक्ति और छोटी यात्राओं का प्रतिनिधित्व करता है. राहु सभी भौतिक चीजों के लिए तरस रहा है. यह व्यक्ति को धोखा देता है और झूठ बोलता है. यह उन्हें क्रूर और कंजूस भी बनाता है. कार्यक्षेत्र में इनके लिए परेशानी भरा माहौल हो सकता है. इसलिए, वे बार-बार नौकरी बदल सकते हैं.

चतुर्थ भाव में

चौथा भाव या भाई का घर और माता के साथ संबंध दर्शाता है. जब इस घर में राहु और मंगल एक साथ आते हैं तो स्त्री पक्ष का सहयोग कम होता है. रिश्तों में रूहानी लगाव कम रह सकता है. विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. मान सम्मान पर गहरा असर पड़ सकता है. परिवार से दूर जाना पड़ सकता है.

पंचम भाव में

यह तकनीकी क्षेत्र में आगे ले जा सकता है लेकिन उसके कारण दुर्घटना भी दे सकता है. अधीर और चिंतित बना सकता है. जब यह इस घर में होता है, तो यह खुशी, चंचलता, शिक्षा, आशावाद और भाग्य का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यह बहुत नुकसान कर सकता है. राहु और मंगल की युति में बहुत ऊर्जा होती है जो संतान पक्ष पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. उत्पन्न करता है

छठे भाव में

छठा भाव ऋण, विरोध, शत्रुता, स्वास्थ्य, बाधाओं और दुर्भाग्य का प्रतिनिधित्व करता है. लेकिन यह ग्रह योग यहां कुछ सकारात्मक प्रभाव देता है. विरोधियों पर विजय प्राप्त हो सकती है. जातक शत्रुओं पर भारी रहता है. शत्रु को हानि पहुँचाने से नहीं हिचकिचाते.

सप्तम भाव में

सप्तम भाव प्रेम, संबंध, विवाह और जीवन साथी का प्रतिनिधित्व करता है. राहु अहंकारी है और मंगल हिंसक, अत: यदि इस भाव में मंगल और राहु एक साथ हों तो दांपत्य जीवन बहुत कष्टदायक और दुखी हो सकता है. यह इस घर के लिए बहुत ही विनाशकारी योग है. थी

आठवें भाव में

अष्टम भाव में राहु और मंगल की उपस्थिति जातक के लिए अनुकूलता की कमी का कारण बनती है. आठवां भाव दीर्घायु, मृत्यु और अचानक धन लाभ और हानि जैसी चीजों का प्रतिनिधित्व करता है. इसे एक खराब घर के रूप में देखा जाता है. यह युति जातक को मुसीबतों और अचानक होने वाली घटनाओं से प्रभावित करने वाली है.

नवम भाव में

तमाम मेहनत के बावजूद काफी प्रयासों के बाद परिणाम मिल पाते हैं. काम के प्रति बद्धता और बहिर्प्रवाह आपके वित्तीयको चुनौती देता है. काम के क्षेत्र में दुर्घटनाएं परेशानी देती हैं. इस स्थन पर किसी दुर्घटना के कारण काम से दूर होन अपड़ सकता है. जोखिम भरे काम मृत्यु तुल्य कष्ट देने वाले होते हैं शत्रुओं से परेशानी होती है. 

दशम प्रभाव 

यहां अपने काम में और सामाजिक क्षेत्र दुर्घटनाएं प्रभवैत कर सकती हैं. व्यवहार पर नियंत्रण रखना चाहिए, जो चिड़चिड़े और अत्यधिक आलोचनात्मक होने से दुश्मनों को खड़ा कर सकता है. सकता है. काम में शत्रुओं के कारण दुर्घटना प्रभावित कर सकती है. परिवार और बच्चों के साथ संबंधों में दूरियां आ सकती हैं.

एकादश प्रभाव 

यह वित्त पर नए सिरे से काम करने का समय होता है और सभी पुराने मामले सुलझाने के चलते विवाद उभर सकते हैं. सामाजिक मानदंडों के बाहर संबंध की संभावना विकसित हो सकती है लेकिन विवाद भी होते हैं. भाई-बहनों के साथ संबंध खराब हो सकते हैं और दुर्घटना प्रभावित कर सकती है. 

द्वादश भाव 

व्यर्थ के मुद्दों पर तनाव बढ़ सकता है. स्वभाव सख्त होता है. कुछ चुनौतियाँ पैदा बाहरी लोगों के कारण ही दुर्घटना के रुप में प्रभाव डालती हैं. जीवन में स्वास्थ्य को लेकर विवाद को लेकर दुर्घटना अपना असर डालने वाली होती है. 

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नौकरी में कब होगा बदलाव जानें अपनी कुंडली से

कार्यक्षेत्र में होने वाले बदलाव कई तरह के हो सकते हैं. यह कभी अच्छे तो कभी खराब या फिर सामान्य रुप से अपना असर डालने वाले होते हैं. नौकरी में प्रगत्ति के लिए कई बार व्यक्ति बदलाव को चुनते हैं तो कुछ न चाहते हुए भी नौकरी बदलने को मजबूर होते हैं. इसी तरह कई बार व्यवसाय में भी हम कई तरह के चेंज को देखते है. कुछ परिस्थितियों में तो कई बार एक व्यापार को बदल कर दूसरे काम को अपनाने के लिए आगे बढ़ते हैं. ऎसे में प्रश्न यह उठता है की आखिर कार्यक्षेत्र को लेकर बदलाव इतना असर क्यों डालने वाला होता है.

नौकरी या करियर में बदलाव अधिकांश मामलों में कुछ पसोपेश की स्थिति, संकट या अशांति का विषय अधिक दिखाई देता है. कभी-कभी आपके पास इस परिवर्तन या स्थानांतरण को स्वीकार करने का विकल्प होता है लेकिन अधिकांश समय यह स्थिति मनोकूल नहीं रह पाती है. इन बातों को समझने में ज्योतिष में कई सारे सुत्रों का उल्लेख मिलता है.

ज्योतिष अपने कई ज्योतिषीय कारकों के साथ नौकरी में परिवर्तन या स्थानांतरण की भविष्यवाणी कर सकता है. परिवर्तन कैसा रहेगा, किसी व्यक्ति के लिए फायदेमंद साबित हो भी सकता है या नहीं इन बातों को ज्योतिष के कारकतत्वों के आधार पर जाना जा सकता है. नौकरी में बदलाव के साथ लोग हमेशा बेहतर अवसर चाहते हैं लेकिन चीजें हमेशा वांछित नहीं होती हैं. आइए देखें कि ज्योतिष आपके जीवन में नौकरी में बदलाव या स्थानांतरण की भविष्यवाणी या संकेत कैसे दे सकता है.

नौकरी बदलाव अथवा स्थानांतरण के सूत्र

जन्म कुंडली में नौकरी में होने वाले बदलाव या व्यवसाय के क्षेत्र में होने वाले बदलाव के लिए कुछ भावों की स्थिति पर विशेष रुप से विचार किया जाता है. जन्म कुंडली में तीसरे भाव, चौथे भाव, छठे भाव, नौवें भाव, दसवें भाव और बारहवें भाव को नौकरी बदलने या स्थानांतरण के लिए विशेष रुप से देखा जाता है. यह भाव जीवन में आर्थिक स्थिति, मकान, भागय कर्म और व्यय को दर्शाने वाले होते हैं. 

कुंडली में दूसरे भाव, छठे भाव और दसवें भाव को अर्थ भाव कहा जाता है. अर्थ का संबंध व्यक्ति की आर्थिक स्थिति एवं समृद्धि से संबंधित होता है. जीवन में लक्ष्य या उद्देश्य और इसके प्रति व्यक्ति के समर्पण का संकेत भी इसी के द्वारा प्राप्त होता है. 

दूसरा भाव संपत्ति और संचित चीजों का प्रतिनिधित्व करता है. इस प्रकार, यह परिवार, धन, बैंक बचत, संचित ज्ञान और भावनात्मक जुड़ाव का भाव बनता है. इस भाव के द्वारा व्यक्ति को अपने कर्म क्षेत्र में अपनी स्थिति को जानने का भी मौका मिलता है. 

छठा भाव व्यक्ति की शक्ति और कार्य करने की क्षमता को दर्शाता है. यह प्रतियोगिता, दैनिक कार्य दिनचर्या, दूसरों की मदद करने, नौकरी और समस्याओं को सुलझाने का भाव है. अब इस भाव के द्वारा कार्यक्षेत्र में होने वाले बदलावों की भूमिका भी तय होती देखी जा सकती है. 

दशम भाव यह कर्म का स्थान माना गया है. इस भाव से ही व्यक्ति की स्थिति और उसे मिलने वाले सम्मान को देखा जाता है. दसवां भाव बहुत प्रमुख होता है क्योंकि इस भाव के द्वारा ही करियर को देखा जाता है और करियर से संबंधित मामलों में इसकी प्रमुख भूमिका होती है.

छठे और दसवें दोनों भाव कमाने और काम करने की क्षमता को प्रभावित करते हैं. जीवन की आरंभिक कमाई और अंतिम कमाई का इन्हीं से संबंध होता है. संचित धन, कमाई को आपके द्वितीय भाव द्वारा दर्शाया गया है. पीड़ित या कमजोर द्वितीय भाव अर्जित धन के संचय या प्रबंधन में कठिनाई को दर्शाता है. जबकि मजबूत होने पर यह भाव पैसे बचाने और समय के साथ इसे बढ़ाने के लिए इसे बेहतर बनाता है. 

यदि कोई व्यक्ति अच्छी नौकरी पाना चाहता है तो उसके लिए छठे और दसवें भाव को दर्शाने वाले सक्रिय ग्रहों की आवश्यकता होती है. इन भाव के स्वामियों का नौकरी और करियर पर गहरा प्रभाव भी पड़ता है. 

नौकरी में बदलाव के भाव 

नौकरी में परिवर्तन या हानि को पंचम भाव और नवम भाव से देखा जा सकता है. दोनों का छथे भाव, दशम भाव और द्वादश भाव में होना नुकसान या नौकरी में बदलाव का कारण बनता है. इन ग्रहों की दशा अवधि के दौरान या तो नौकरी खोने या बदलने की संभावना भी प्रबल होती है. व्यक्ति को दूसरी नौकरी पाने के लिए करियर के लिए सकारात्मक भावों यानी छठे भाव और दसवें भाव को दर्शाने वाले ग्रह की दशा का इंतजार करना पड़ता है. यदि कोई ग्रह पंचम भाव और नवम भाव के साथ-साथ 6वें और 10वें भाव का कारक है तो भी जातक नौकरी में बदलाव की उम्मीद कर सकता है, वह एक को छोड़ देगा और दूसरे को स्वीकार कर लेगा.

लग्न और उसका स्वामी इसका विशेष महत्व होता है. लग्न या लग्न का स्वामी व्यक्ति के व्यक्तित्व और परिवेश को दर्शाता है. काम करने के प्रति उसकी अभिरुचि का भी निर्धारण इसी के द्वारा होता है. दूसरा भाव और उसका स्वामी धन, बचत और वित्तीय संसाधनों को दर्शाता है. तीसरा भाव और उसका स्वामी व्यक्ति के साहस, उसके प्रयासों और छोटी यात्राओं को दर्शाता है. 

चौथा घर और उसका स्वामी घरेलू वातावरण को दर्शाता है और पीड़ित होने पर स्थान में परिवर्तन का कारण बनता है. छठा भाव और उसका स्वामी यह नौकरी और सेवा का भाव है. 

आठवां भाव और उसका स्वामी बाधाओं, नौकरी की हानि और शोध को दर्शाता है. नौवां भाव और उसका स्वामी दसवें घर से बारहवां होने के कारण स्थानांतरण, लंबी यात्रा और नौकरी में बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है. दसवां भाव और उसका स्वामी व्यक्ति के काम को, करियर और उसमें मिलने वाली सफलता को दर्शाता है. भारहवां भाव और इसका स्वामी व्यय, हानि स्थानान्तरण का भाव होता है

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