मंगल रत्न मूंगा - Coral Gemstone Astrology, Properties and Benefits

रत्नो में एक अजीब आकृ्षण शक्ति पाई जाती है. इसलिये रत्नों को एक बार देखने के बाद इनकी चमक व किरणों को बार-बार देखने का भाव बना रहता है. अदभूत वस्तुओं की ओर व्यक्ति प्राचीन समय से ही जिज्ञासु रहा है. व्यक्ति इनके जितना करीब जाता है. उसके मोह में वृ्द्धि होती जाती है. रत्नों के इस मोह को बरकार रखते हुए हम इन्हें गहराई से जानने का प्रयास करते है आईये रत्नों के कुछ खास भेद खोलने की कोशिश करें:-

मंगल का रत्न मूंगा है. मूंगा रत्न के विषय में यह कहा जाता है. इसे धारण करने पर व्यक्ति को अपने शत्रुओं को परास्त करने में सहयोग प्राप्त होता है. मूंगे को संस्कृ्त में प्रवाल, हिंदी में मूंगा, मराठी में इसे पोवले कहते है. मूंगे को उर्दु व फारसी में मिरजान कहते है.

मंगल के रंग (The colours of Mars)
मंगल केसर, नारिंगी, सिंदुरी लाल, गहरे लाल रंग में पाया जाता है. मूंगा गोल, लम्बा व त्रिकोण आकार में पाया जाता है. मेष राशि को शुभ करने के लिये त्रिकोने आकार के मूंगे को धारण करना चाहिए. वृ्श्चिक राशि का अशुभ प्रभाव दूर करने के लिये गोल आकार का मूंगा धारण किया जा सकता है.

मूंगा धारण करने के कारण (Reasons of Wearing Coral)
मूंगे को छोटे भाई का सुख, साहस में वृ्द्धि, पराक्रम को बढाने के लिये, धैर्य शक्ति में वृ्द्धि करने के लिये, शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिये, युद्ध व कोर्ट केस जीतने के लिये, स्वयं में नेतृ्त्व के गुण को बढाने के लिये, अस्त्र-शस्त्र हानि से बचने के लिये, मैकेनिकल इंजिनियर के क्षेत्र में रुचि होने पर इस क्षेत्र को अपना कर्म क्षेत्र बनाने के लिये भी मूंगा धारण किया जा सकता है.

उपरोक्त विषयों के फल अपने पक्ष में करने के लिये व्यक्ति को मंगल की महादशा आरम्भ होते ही मूंगा रत्न धारण कर लेना चाहिए.

मूंगा पदार्थ न होकर सजीव वनस्पति (Coral is extracted from an ocean plant)
मूंगा निर्जीव पदार्थ न होकर सजीव वनस्पति होता है. यह वनस्पति समुद्र की लगभग एक हजार नीचे की तलहटी में यह पाई जाती है. मूंगा वनस्पति समुद्र की तह के पत्थरों पर पाई जाती है. मूंगे का पौधा डेढ से 2 फीट की उंचाई का हो सकता है. ईटली में मूंगे पर श्रीगणेश, श्रीकृ्ष्ण, सरस्वती के चित्र रेखांकित किये जात है. जो उसके बाद देश-विदेश में विक्रय के लिये जाते है. मूंगे की माला को जाप करने के लिये भी प्रयोग किया जाता है.

मूंगे में चिकित्सा संबन्धी गुण (Medicinal benefits of wearing Coral)
मूंगे रत्न कीमत में अधिक महंगा रत्न नहीं पर यह बहुमूल्य औषधी के रुप में प्रयोग किया जाता है. मूंगे की भस्म का सेवन करने पर शारीरिक बल में वृ्द्धि होती है. उदर संबन्धी रोगों में भी इसका सेवन किया जा सकता है. मूंगे के विषय में यह मान्यता है की छोटे बच्चे के गले में मूंगा बांधने से बालारिष्ट की संभावनाओं में कमी होती है.

इसके अलावा मूंगे को रात भर जल में रखकर सुबह इस जल को आंखों में डालने से आंखे तेज होती है. यह प्रयोग नियमित रुप से करना चाहिए. पीलिया रोग होने पर व्यक्ति को मूंगे की भस्म को दूध की मलाई के साथ सेवन करना चाहिए.

मिरगी व ह्रदय रोग होने की स्थिति में भी मूंगे की भस्म का सेवन करना लाभकारी रहता है.

मूंगे के विशेष लाभ (Special benefits of wearing Coral)
मूंगे के विषय में यह कहा जाता है कि उसमें विशेष शक्तियां है. इसलिये मूंगे को धारण करने पर व्यक्ति की धैर्य शक्ति में वृ्द्धि होती है. मूंगा शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सहयोग करता है. एक छोटा मूंगा गले में बांधने पर बच्चे को नजर लगने की संभावनाएं कम रहती है. जब कोई व्यक्ति स्वप्न में डर जाता है. तो उसके लिये व्यक्ति को मूंगा धारण करने की सलाह दी जाती है.

मूंगा रत्न धारण करने संबन्धी योग (Yogas for wearing Coral)

  1. जन्म कुण्डली में जब मंगल अस्त, नीच, प्रभावहीन या अनिष्ट करने वाला हों, तो इस प्रकार की अशुभता में कमी करने के लिये मंगल रत्न मूंगा धारण करना चाहिए. मंगल कुण्डली में जब अशुभ ग्रहों के साथ हों तो व्यक्ति में शीघ्र क्रोध या उतेजना आने की संभावना रहती है. इस प्रकार के स्वभाव में संतुलन लाने के लिये व्यक्ति को मूंगा धारण करना चाहिए.

  2. जिस व्यक्ति की कुण्डली में मंगल की महादशा आरम्भ हुई हों या अन्तर्दशा के शुभ फल प्राप्त न हों रहे हों इस स्थिति में मूंगा रत्न धारण करने से लाभ प्राप्त होता है.

  3. जिन व्यक्तियों में नेतृ्त्व के गुण की कमी हों तथा इसके कारण वे अपने कार्य क्षेत्र में यथोचित लाभ प्राप्त करने में असमर्थ हों, स्वयं में नेतृ्त्व का गुण बढाने के लिये मूंगा हितकारी रहता है.

  4. जन्म कुण्डली में जब मंगल चतुर्थ भाव में हों तो व्यक्ति के जीवन साथी के स्वास्थय में कमी रहने की संभावना बनती है. चतुर्थ भाव में मंगल मांगलिक योग का निर्माण करता है. इस योग के अशुभ फल को दूर करने के लिये मूंगा सहयोगी रहता है.

  5. जब जन्म कुण्डली में मंगल तीसरे स्थान में हों तो व्यक्ति के अपने भाईयों से मतभेद रहते है. इस योग में व्यक्ति के संबन्ध अपने पिता से मधुर न रहने की संभावना बनती है. कुण्डली में इस प्रकार के दोषों को दूर करने के लिये व्यक्ति को मूंगा रत्न धारण करना चाहिए.

  6. मंगल दूसरे भाव में स्थित होकर नवम भाव की शुभता में कमी कर रहा होता है. व्यक्ति को सफलता प्राप्ति के लिये जीवन के अनेक कार्यो में मेहनत के साथ-साथ भाग्य का सहयोग भी साथ होना जरूरी होता है. और यह तभी हो सकता है.

जब कुण्डली में नवम भाव बली हों, इस भाव पर किसी भी प्रकार का कोई अशुभ प्रभाव होने पर भाग्य में कमी की संभावनाएं बनती है. इस भाव के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिये मूंगा रत्न धारण करना लाभकारी रहता है.

  1. जब जन्म कुण्डली में मंगल किसी भी भाव में स्थित हों तथा उसकी दृ्ष्टि सप्तम, नवम, दशम या एकादश भाव में से किसी एक भाव पर हों तो मूंगा धारण करने से इस अशुभता में कमी होने की संभावना रहती है.

  2. जन्म कुण्डली में मंगल वक्री हों, अस्तगंत हों या गोचर में इसके फलों का वेध हो रहा हों, तो इस स्थिति में व्यक्ति को शीघ्र क्रोध आने की संभावना रहती है. अस्तगंत मंगल व्यक्ति के साहस में कमी करता है, जिसके प्रभाव स्वरुप व्यक्ति को जोखिम लेने में भय लगता है.

व्यापारी क्षेत्र के व्यक्ति के लिये यह स्थिति लाभों में कमी का कारण बन सकती है. इस योग में से कोई भी एक योग व्यक्ति की जन्म कुण्डली में हों तो मूंगा धारण करना साहस में वृ्द्धि करता है.

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