कुण्डली में राजयोग - Rajayoga in Your Kundali

ज्योतिषशास्त्र में कई शुभ योगों का जिक्र किया गया है. कुछ शुभ योगों को राजयोग की श्रेणी में रखा गया है. कुण्डली (Kundli) में राजयोग होने पर व्यक्ति को सुख-सम्पत्ति मान-सम्मान एवं ख्याति मिलती है ऐसी ज्योतिषशास्त्र की मान्यता है. इन्हीं कारणों से लोगों में यह जानने की उत्सुकता रहती है कि क्या उनकी कुण्डली में राजयोग है. इस आलेख में कुछ ऐसे योगों के विषय में बताया जा रहा है जिन्हें राजयोग की श्रेणी में रखा गया है. इन योगों में से कोई भी योग जन्मपत्री में हो तो आप मान साकते हैं कि आपकी कुण्डली में राजयोग है. राजयोग का आपको क्या फल मिलेगा यह भी बताया जा रहा है.

कलानिधि योग (Kalanidhi Yoga)

जन्म कुण्डली (Kundli) में द्वितीय अथवा पंचम भाव में गुरू के साथ बुध या शुक्र की युति होने पर कलानिधि योग (Kalanidhi Yoga) बनता है. गुरू यदि द्वितीय अथवा पंचम में हो और शुक्र या बुध उसे देख रहे हों तब भी कलानिधि योग का निर्माण होता है. यह योग राजयोग की श्रेणी में आता है. जिस व्यक्ति की कुण्डली में यह योग बनता है वह कलाओं में निपुण होता है. अपनी योग्यता से धन-दौलत अर्जित करता है. वाहन सुख तथा समाज में इन्हें प्रतिष्ठित भी मिलती है. राजनीति में भी यह सफल हो सकते हैं.

काहल योग (Kahal Yoga)

गुरू एवं चतुर्थेश एक दूसरे से केन्द्र में हों और लग्नेश बलवान हों तो काहल योग (Kahal Yoga) बनता है. काहल योग तब भी बनता है जब चतुर्थेश एवं लग्नेश दोनों एक दूसरे से केन्द्र भाव में विराजमान हों. काहल राजयोग जिस व्यक्ति की जन्म कुण्डली में होता है वह बहादुर एवं साहसी होता है. वह जहां भी कार्य करता है उसकी भूमिका नेता के समान होती है. यह राजनेता अथवा किसी संस्थान के प्रमुख हो सकते हैं. आर्थिक स्थिति मजबूत रहती है.

अमारक योग (Amarak Yoga)

सप्तमेश एवं नवमेश में गृह परिवर्तन योग होने पर अमारक योग (Amarak Yoga) बनता है. अमारक योग में सप्तमेश एवं नवमेश दोनों का बलवान होना जरूरी होता है. इस राजयोग वाले व्यक्ति को विवाह के पश्चात भाग्य का पूर्ण सहयोग मिलता है. इनका जीवनसाथी गुणवान होता है तथा वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है. धर्म-कर्म में इनकी गहरी आस्था होती है. विद्वान के रूप में इन्हें सम्मान मिलता है. वृद्धावस्था आन्नद एवं सुख से बिताते हैं.

गजकेशरी योग (Gajakesari Yoga)

गजकेशरी योग को केशरी योग के नाम से भी जाना जाता है. यह योग गुरू चन्द्र के एक दूसरे से केन्द्र में स्थित होने पर बनता है. यह उच्च कोटि का राजयोग होता है. जिनकी कुण्डली में यह राजयोग होता है वह सुखी जीवन जीते हैं. इनके सगे-सम्बन्धियों की संख्या अधिक होती है तथा उनसे पूरा सहयोग मिलता है. गजकेशरी योग से प्रभावित व्यक्ति अपने नेक एवं नम्र स्वभाव के कारण प्रतिष्ठित होते हैं तथा आत्मविश्वास एवं मजबूत इरादों से मुश्किल हालातों एवं चुनौतियो का सामना भी आसानी से कर पाते हैं. इनका यह गुण इन्हें कामयाबी दिलाता है.

लक्ष्मी योग (Laxmi Yoga)

राजयोग की श्रेणी में लक्ष्मी योग का नाम भी लिया जाता है. नवमेश की युति लग्नेश अथवा पंचमेश के साथ होने पर यह योग (Gaja Kesari Yoga) बनता है. लक्ष्मी राज योग वाले व्यक्ति काफी धन अर्जित करता है. मान्यता है कि जिस व्यक्ति की जन्म कुण्डली में यह योग होता है वह धन-सम्पत्ति एवं वैभव से परिपूर्ण सुखमय जीवन जीवन जीते हैं. समाज में इन्हें सम्मान मिलता है. परिवार में यह आदरणीय होते हैं.

अमला योग (Amala Yoga)

चन्द्रमा जिस भाव में हो उससे दसवें घर में कोई शुभ ग्रह होने पर अमला योग बनता है. शुभ ग्रह पर किसी पाप ग्रह का प्रभाव नहीं होना चाहिए. कुण्डली में यह स्थिति बन रही हो तो जीवन भर सुख एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. ज्योतिषशास्त्र में इस योग के विषय में कहा गया है कि जो व्यक्ति इस योग के साथ जन्म लेता है वह भले ही गरीब परिवार में जन्म ले परंतु गरीबी का साया उस पर नहीं रहता है.

राजयोग (Raja Yoga)

उपरोक्त योग राजयोग की श्रेणी में रखे गये हैं परंतु मूल रूप से जिसे राजयोग कहते हैं वह तब बनता है जब केन्द्र अथवा त्रिकोण के स्वामी एक दूसरे के घर में बैठें अथवा दो केन्द्र भाव के स्वामी गृह परिवर्तन करें और त्रिकोण भाव के स्वामी की उनपर दृष्टि हो. यह राजयोग जिस व्यक्ति की कुण्डली (Kundli) में होता है वह राजा के समान वैभवपू्र्ण जीवन जीता है. इनकी आयु लम्बी होती है. जबतक जीते हैं सम्मान से जीते हैं मृत्यु के पश्चात भी इनकी ख्याति व नाम बना रहता है.

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