कृष्णमूर्ति पद्धति और सप्तम भाव – KP Astrology and Seventh House
परम्परागत ज्योतिष (Traditional astrology) हो या कृष्णमूर्ति पद्धति (Krishnamurthy Paddhati) सभी में फलादेश के लिये आधारभूत नियमों को समझना बेहद जरूरी होता है. दोनों ही पद्धति में आधारभूत नियमों में समानता है. जब हम विवाह, वैवाहिक जीवन तथा साझेदारी व्यवसाय की बात करते हैं तो परम्परागत ज्योतिष हो या कृष्णमूर्ति पद्धति दोनों में ही सप्तम भाव से विश्लेषण किया जाता है. इसी प्रकार से दोनों ही पद्धति में अष्टम भाव का भी विश्लेषण किया जाता है.
सप्तम भाव को विवाह या जया भाव के नाम से भी जाना जाता है. इस भाव से विवाह, जीवनसाथी, साझेदारी, विदेशी व्यापार तथा अन्तर्राष्ट्रीय मामलों का आंकलन किया जाता है. इस भाव से वैवाहिक जीवन के सुख तथा विवाह से संबन्धित सभी विषयों को देखा जाता है. शीघ्र विवाह, विवाह में विलम्ब तथा विवाह की आयु ज्ञात करने के लिये भी सप्तम भाव को देखा जाता है. कानूनी साझेदारों, कारोबार के लेन-देन इत्यादि के लिये भी इसी घर को देखा जाता है.
सप्तम भाव से देखी जाने वाली अन्य बातें: (Other Information of the Seventh House as per K.P.Systems)
कारोबार की स्थिति, व्यापार केन्द्र, विवाह मंडल, विदेश में प्रतिष्ठा व सभाओं में प्राप्त होने वाले सम्मान भी इस घर से देखा जाता है. विवाह कराने वाली संस्थाएं भी सप्तम भाव से देखी जाती है. अगर आप शिक्षा के उद्देश्य से छोटी यात्रा करना चाहते हैं तो इस विषय में भी सातवें भाव से विचार किया जाएगा. यह भाव चतुर्थ भाव से चौथा होने के कारण माता की माता अर्थात नानी के विषय में भी ज्ञान प्रदान करता है. सप्तम घर से कानूनी नोटिस का भी विचार किया जाता है.
इस भाव की महत्ता आपके समक्ष खड़े विपक्षी व्यक्ति को दिखाती है. जहां कुण्डली में लग्न स्थिति को आपकी स्वयं की स्थिति कहा जाता है वही सातवें भाव को आपके सामने आपके प्रतिद्वंदी कहें या फिर आपका विपरीत रुप जो आपके समक्ष खड़ा हुआ होता है. सातवां भाव जातक को उसकी कमियां दिखाता है.
विवाह विचार - इस भाव का संबंध विवाह रीति से भी होता है. आपका विवाह सुख कैसा होगा, विवाह बाद की आपकी स्थिति, विवाह समय इत्यादि बातें इस भाव से देखी जाती हैं. इस भाव के नक्षत्र स्वामी की स्थिति भी ये बताती है की विवाह संबंधों की मजबूती किस प्रकार व्यक्ति को प्रभाव में डालती हैं ये भी देखा जा सकता है.
पार्टनरशिप का काम - सातवां भाव कारोबार की जानकारी भी देता है. बहुत से लोग अपने काम को अकेले शुरु नहीं कर पाते जिसमें कई कारण हो सकते हैं जैसे पैसों का न होना, निर्भरता की प्रवृत्ति या रिस्क न ले पाना इत्यादि. ऎसे में व्यक्ति का दूसरों के साथ काम करने के बारे में अधिक सोचता है. ऎसे में उसकी दूसरों के साथ सहभागिता कैसी रहेगी. उसका काम चल पाएगा या नही, या वो अपने काम में दूसरों के साथ सही से तालमेल बिठा पाएगा या नहीं इन सभी बातों के लिए सातवें भाव को समझने की आवश्यकता होती है.
सामाजिक स्थिति -इस भाव से सामाजिक रुप से आपकी स्थिति भी स्पष्ट होती है. आपके लोगों के साथ कैसे संबंध रहेंगे, आपके विरोधियों पर आपका प्रभाव कितना मजबूत होगा. ये सभी बातें इस भाव से समझने में मदद मिलती है. ये एक प्रकार से पब्लिक फिगर का घर भी कहा जा सकता है.
सप्तम में स्थित राशि
सूर्य - इस भाव में स्थिति सूर्य एवं भाव नक्षत्र की स्थिति के अनुसार दांपत्य जीवन में परेशानी देखने को मिल सकती है. व्यक्ति गुस्सा अधिक होता है, वह अपनी इच्छा के अनुरुप काम करना चाहता है. नेतृत्व की इच्छा भी अधिक रहती है.
चंद्रमा -प्रेम और रोमांस की इच्छा अधिक रहती है. चंचलता अधिक रहती है. लोगों के साथ मिलकर काम करने की प्रवृत्ति भी व्यक्ति होती है.
मंगल -जातक ऊर्जा से भरा होता है. जल्दबाजी में काम करता है, इस कारण अपनी चलाने के चक्कर में परेशानी झेलनी पड़ती है.
बुध -बुध के कारण जातक मनमर्जी अधिक करने वाला है. वह अपने काम को निकालने के लिए हर संभव प्रयास करता है.
बृहस्पति -जातक के लिए गुरु का इस स्थान में अनुकूलता लाता है. जातक दूसरों के मध्य में आकर्षक व्यक्तित्व रखता है. जातक काम काज में अपनी ओर से ईमानदारी निभाता है. दांपत्य जीवन को सफल बनाने के लिए भी स्वयं प्रयास भी करता है.
शुक्र - शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति के मन में प्रेम ओर रोमांस को लेकर उत्साह अधिक रहता है. लोगों के साथ मेल-जोल बना रहता है. काम के क्षेत्र भी जातक की प्रसिद्धि रहती है. अपनी कार्यशैली से वह सभी के साथ ताल मेल बिठाने की कोशिश भी अधिक करता है. दांपत्य जीवन में प्रेम ओर सुख को पाता है. कला के क्षेत्र में व्यक्ति की रुचि अधिक रह सकती है.
शनि ग्रह -शनि के प्रभाव से व्यक्ति दांपत्य जीवन में काफी तनाव झेल सकता है. अपने से बड़े वर्ग के व्यक्तियों के साथ संपक अधिक बनते हैं. लोगों के मध्य अधिक मेल जोल नही देख पाता है. विवाह परंपरा से हट कर या गैर कास्ट में भी हो सकता है. किसी के साथ सहभागिता में किए गए काम में ध्यान अधिक बनाए रखने की आवश्यकता होती है.
राहु-केतु -परंपरा से हट कर काम करने वाला होता है. प्रेम के प्रति अधिक उत्सुकता हो सकती है. रिश्तों को लेकर कन्फयूजन भी बनी रह सकती है. किसी अपनाएं और किसे छोड़ा जाए इसी का विचार अधिक रहता है. काम में व्यवधान होने से विलम्ब और धोखा भी झेलना पड़ सकता है.
आप से सम्बन्धित लोगों के लिए सातवें घर का फल: (Results of the Seventh House for Your Friends and Relatives as per K.P.Systems)
सप्तम घर से छोटे-भाई बहनों तथा मित्रों की संतान को देखा जाता है. मित्रों के प्रेम-प्रसंगों के लिये भी इस घर को देखा जाता है. शिक्षा में आने वाली बाधाएं, कला, माता के घर, वाहन को खरीदना, संतान के मित्र, जीवनसाथी का स्वास्थ्य, पिता के व्ययों के लिये सप्तम घर का विचार किया जा सकता है. भाई-बन्धुओं को प्राप्त होने वाले सम्मान, अचानक से मिलने वाले प्रमोशन के लिये भी सातवें घर को देखा जाता है.
सप्तम भाव से घर के स्थानों का विचार:- (Place of the Sevenrth House in the Home as per K.P.Systems)
बडे कमरे, पलंग, गद्दा रखने का स्थान सप्तम भाव से पता चलता है. यह एक प्रकार से आपके कम्फर्ट को भी दिखाता है. आप अपनी चीजों से कितना सुख पाएंगे सातवें स्थान से इन बातों की जानकारी में मदद मिलती है.
अन्य बातें:- (Other Information)
यह स्थान अष्टम से बारहवां भाव होने के कारण, अष्टम भाव से प्राप्त होने वाले लाभों में कमी करता है. इस घर से घर-परिवार से प्राप्त होने वाली वसीयतें, नुकसान की भरपाई, बोनस, फंड, ग्रेच्युटी में आने वाली मुश्किलों को भी देखा जाता है.