मकर लग्न दसवें स्थान पर आने वाला लग्ब्न है. यह शनि के स्वामित्व का लग्न है और जीवन में व्यवहारिक रुप से आगे बढ़ने की इसकी क्षमता भी बेहतरीन है. किसी भी लग्न के लिए तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव के स्वामी अशुभ माने जाते हैं उसी के अनुसार यहां भी मकर लग्न के लिए इन भावों के स्वामी कमजोर फल देने वाले होंगे. इसके अलावा जो ग्रह इस लग्न के मित्र होंगे वह इस लग्न के लिए खराब होने पर भी कुछ अनुकूलता दिखा सकते हैं. मकर लग्न के लिए शुभ ग्रह रुप में शुक्र पंचम भाव और दशम भाव का स्वामि होकर अत्यधिक शुभ बन जाता है. बुध इस लग्न के लिए छठे और नौवें भाव का स्वामी होकर सम बन जाता है. मंगल इस लग्न के लिए चतुर्थ और एकादश भाव का स्वामी होकर सम होता है. बृहस्पति इस लग्न के लिए तीसरे और बारहवें भाव का स्वामी होने के कारण बृहस्पति नकारात्मक बनता है. चंद्रमा मकर लग्न वालों के लिए मारक बन सकता है. सूर्य: सूर्य अष्टम भाव का स्वामी होकर खराब फल देता है. शनि तटस्थ बनकर अपना फल देता है. इसके अलावा राहु और केतु अपनी स्थिति के अनुसार फल देते हैं.
सूर्य का फल
मकर लग्न के लिए सूर्य आठवें भाव का स्वामी होता है. सूर्य इस लग्न के लिए बहुत अनुकूल नहीं होता है. अष्टम भाव का स्वामी होने के साथ साथ ही शनि के साथ सूर्य का संबंध भी कमजोर है इस कारण इस लग्न के लिए सूर्य बहुत अधिक सहायक नहीं बन पाता है. यह दूसरों के धन और व्यवसाय के द्वारा किया गया संचय दर्शाता है. अपने पूर्वजों से संबंधित मामलों और उनके द्वार अप्राप्त होने वाले लाभ एवं हानि दोनों ही प्रकार के परिणाम देता है. पैतृक विरासत और लाभ, उतावले स्वभाव और सनकी स्वभाव के लिए इसका असर मकर लग्न को अधिक प्रभावित करने वाला होता है. सिरदर्द और आंखों से संबंधित परेशानी भी सूर्य द्वारा ही मिलती है. कम उम्र में लालच और उसके द्वारा किए जाने वाले काम, पिता के सुखों से रहित होना भी सूर्य के अष्टमेश होने के कारण ही होता है. यदि सूर्य पीड़ित है तो व्यक्ति को पिता अथवा धन की हानि होती है. जीवन में विपरित परिणाम मिलते हैं.
चंद्रमा का फल
मकर लग्न के लिए चंद्रमा सातवें भाव का स्वामी होता है. शनि और चंद्रमा के मध्य शत्रु भाव की स्थिति का प्रभाव भी खराब फलों को दर्शा सकता है. चंद्रमा होता केन्द्र का स्वामी है किंतु इस केन्द्र स्थान को मारक भी कहा जाता है, इस कारण से चंद्रमा मकर लग्न के लिए मारकेश भी बन जाता है. चंद्रमा दर्शाता है कि व्यक्ति को कैसा संघ मिल सकता है, साझेदारी कैसी हो सकती हहै और महिलाओं के द्वारा उसे लाभ हो सकता है. व्यक्ति संगीत एवं कलात्मक चीजों का शौकीन हो सकता है, सुखद प्रेम के प्रति सदैव आकर्षित होता है. वित्तीय स्थिति मध्यम रहती है. मूत्र एवं गुप्त संक्रमण संबंधी रोग या बीमारियों से जल्द प्रभावित हो सकता है. चंद्रमा कमजोर और पीड़ित हो तो विपरीत परिणाम अधिक देखने को मिलते हैं.
मंगल का फल
मकर लग्न के लिए मंगल चौथे और ग्यारहवें भाव का स्वामी होता है. व्यक्ति को धन, शक्ति और अधिकार प्रदान इसी के प्रभाव से मिलता है. नौकर, सहकर्मी, विरासत, भूमि और माता-पिता की संपत्ति के माध्यम से लाभ की प्राप्ति मंगल पर निर्भर करती है. जीवन में वास्तविक मित्र और समर्थक, परिचितों के माध्यम से होने वाले व्य्वधान, शत्रु और बाधाओं पर विजय. शुभ कर्म और आशाएं मंगल के द्वारा ही देखी जाती हैं. ऊंचाई से गिरने का खतरा, शरीर पर चोट या चोट का निशान मंगल के कारण झेलने को मिल सकते हैं. झगड़ालू स्वभाव और लड़ाई में फंसना, युद्ध या कुश्ती के लिए इच्छुक होना अथवा इनके माध्यम से दुर्घटना का शिकार होना मंगल के कुंडली में स्थिति द्वारा संभव हो पाता है. यदि मंगल कुंडली में पीड़ित है तो नकारात्मक परिणाम अधिक देने वाला होता है. अगर मंगल शुभ स्थिति में है तो संपत्ति एवं भवन से लाभ देने वाला होता है.
बुध का फल
मकर लग्न के लिए बुध छठे भाव और नवम भाव का स्वामी होता है.बुध के प्रभाव से व्यक्ति को लंबी यात्राएं, अनेक विद्याएं, ज्ञान, विवेक की प्राप्ति होती है. अपने एवं परायों से मिलने वाले लाभ हानि की स्थिति बुध दर्शाता है. परदेशियों के साथ संबंध, पत्नी के साथ संबंध और यात्राएं, शत्रुओं से दुःख, विज्ञान में रुचि, आविष्कार कानून या दर्शन सहित राजनीतिक अर्थव्यवस्था जैसी बातें बुध के प्रभाव द्वारा ही देखने को मिलती हैं. जीवन में बुध की स्थिति भाग्य एवं विरोध दोनों के मध्य झूलती है. बीमारी और खराब स्वास्थ्य के लिए बुध जिम्मेदार होता है. बुध के कमजोर होने पर कई बार असफल व्यवसाय की स्थिति झेलनी पड़ सकती है. बुध की प्रबलता और उस पर शुभ दृष्टि के कारण माता-पिता का सुख एवं सौभाग्य की प्राप्ति अच्छे से संभव हो सकती है.
बृहस्पति का फल
मकर लग्न के लिए बृहस्पति तीसरे भाव और ग्यारहवें भाव का स्वामी होता है. बृहस्पति का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में साहस, परिश्रम के साथ साथ उसकी महत्वाकांक्षाओं को दर्शने वाला होता है. जीवन में होने वाले उलटफेर, ऋण का प्रभाव, कानों से संबंधित रोग, जीवन में चिंता जैसी बातें बृहस्पति के द्वारा असर डालने वाली होती हैं. यात्राओं और कहीं से स्थान बदलाव, निष्कासन, भाइयों, पड़ोसियों, लेखन, शिक्षा और सिद्धि की प्राप्ति से जुड़े कामों में भी बृहस्पति का प्रभाव अधिक दिखने को मिलता है. कुछ गुप्त दुख और जीवन में सीमाओं का मूल्यांकन भी बृहस्पति के कारण ही होता है. बृहस्पति का अनुकूल होना ही सफलता को पाने का अधिकार दिलाता है.
शुक्र का फल
मकर लग्न के लिए शुक्र पंचम भाव और दशम भाव का स्वामी होने के कारण एक योग कारक ग्रह बन जाता है. योग्यता और सफलता का सुख शुक्र के द्वारा मिलता है. शुक्र के माध्यम से जीवन में गरिमा, शक्ति, सम्मान और अधिकार के साथ जीने की संभावना सबसे अच्छी दिखाई देती है. व्यक्ति उच्च महत्वाकांक्षी होता है. माता के माध्यम से लाभ पाता है. कई प्रेम प्रसंग भी जीवन में हो सकते हैं. धनवान होता है, शत्रुओं पर विजय, संपत्ति और दूसरों की संपत्ति का आशीर्वाद भी शुक्र के शुभ फल की देन होता है.
शनि का फल
मकर लग्न के लिए शनि ग्रह विशेष होता है क्योंकि यह लग्न का स्वामी भी होता है. शनि का प्रभाव शांत स्वभाव, उच्च पद, संपत्ति संपन्न बनाने में सहायक बनता है. शनि का असर ही व्यक्ति को जीवन में कइ तरह के बदलावों का संकेत देता है. लोगों के साथ संबंध, संगति का असर इस लग्न में शनि की स्थिति से देखने को मिलता है. जीवन पर होने वाले बदलाव, शत्रुओं पर शक्ति का उपयोग, अच्छा स्वास्थ्य, सद्भाव, कठिनाइयों पर विजय, धन की प्राप्ति होती है जैसी बातें शनि के द्वारा संभव हो पाती हैं.