चंद्रमा कब और कैसे सेहत पर डालता है असर

ज्योतिष की एक शाखा ज्योतिष चिकित्सा ज्योतिष, ज्योतिष भैषज्य के नाम से है. इस चिकित्सा ज्योतिष द्वारा सेहत ओर रोग व्याधियों के बारे में जानकारी पता चल पाती है. सेहत पर पडने वाला किसी भी तरह का नकारात्मक प्रभाव जने के लिए चिकित्सा ज्योतिष बेहद कारगर सुत्र के रुप में काम करती है. रोग ज्योतिष अनुसर सभी ग्रहों की अपनी अपनी एक खास भूमिका है लेकिन इन सभी में चंद्रमा का रोल काफी अहम बन जाता है. स्वास्थ्य और रोग की अवधारणा में आइये जानते हैं कैसे चंद्रमा अपना प्रभाव दिखाता है. 

चिकित्सा ज्योतिष अनुसर चंद्रमा का प्रभाव 

चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है “चंद्रमा मनसो जाताः”. पृथ्वी के सबसे निकट होने के कारण, चंद्रमा पृथ्वी की वनस्पतियों और जीवों में जल की मात्रा को दर्शाता है और प्रभावित करता है. चंद्रमा प्रजनन और वृद्धि के लिए सहायक होता है, यह मातृ कारक भी है. सबसे तेज़ गति से चलने वाले ग्रह के रूप में, चंद्रमा मानव मनोदशा में उतार-चढ़ाव के लिए भी जिम्मेदार है इसी कारण मनोरोग से जुड़े सभी रोगों के साथ चंद्रमा अवश्य जुड़ा होता है. 

चंद्रमा वृषभ राशि में उच्च का होता है और इसके विपरीत राशि वृश्चिक में नीच का होता है. इसे शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से दशमी तक मध्यम शक्ति का माना जाता है. शुक्ल एकादशी से कृष्ण पंचमी तक मजबूत, और कृष्ण षष्ठी से अमावस्या तक कमजोर माना गया है.

जब चंद्रमा बलवान, अशुभ प्रभाव से मुक्त और शुभ ग्रहों से युक्त होता है, तो यह सभी दोषों को दूर कर देता है और  व्यक्ति को स्वस्थ, प्रसन्न और समृद्ध बनाता है. अनुसार चंद्रमा का बल अन्य सभी ग्रहों की शक्ति को बढ़ा देती है. चंद्रमा मुख्य रूप से जीवन के बचपन की अवधि को नियंत्रित करता है. इसलिए, जब जन्म के समय चंद्रमा कमजोर हो, राशि संधि में हो, पाप ग्रहों से युक्त हो और बिना किसी शुभ पहलू के हो या केंद्र में कोई शुभ न हो, तो यह बच्चे के जीवन के लिए खतरा दर्शाता है.  

राशियों में चंद्रमा का सेहत को लेकर प्रभाव 

मेष राशि में चंद्रमा

स्वास्थ्य औसत रहता है. चंद्रमा पर प्रतिकूल प्रभाव फेफड़ों के रोग, सांस लेने में समस्या और रक्त संबंधी बीमारियों का कारण बनता है.

वृष राशि में चंद्रमा

उच्च का होने के कारण चंद्रमा अच्छा स्वास्थ्य और सहनशक्ति देता है. पीड़ित होने पर व्यक्ति को आंख, गला, टॉन्सिल, वाणी और गर्दन के रोग होते हैं.

मिथुन राशि में चंद्रमा

व्यक्ति स्वस्थ होता है, लेकिन चंद्रमा के पीड़ित होने से फेफड़े, सांस लेने में समस्या और रक्त संबंधी बीमारियां होती हैं.

कर्क राशि में चंद्रमा 

यहां चंद्रमा अपनी राशि में होने के कारण अच्छा स्वास्थ्य देता है. पीड़ित होने पर यह छाती, पेट और रक्त के रोग देता है.

सिंह राशि में चंद्रमा 

व्यक्ति स्वस्थ होता है. पीड़ित होने पर व्यक्ति को चक्कर, हृदय और रक्त संबंधी बीमारियां होती हैं.

कन्या राशि में चंद्रमा 

व्यक्ति स्वस्थ होता है और उसमें रोगों के प्रति अच्छी प्रतिरोधक क्षमता होती है. पीड़ित चंद्रमा पेट, पाचन और त्वचा संबंधी समस्याएं पैदा करता है.

तुला राशि में चंद्रमा 

व्यक्ति स्वस्थ होता है और उसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है. पीड़ित होने पर व्यक्ति को गुर्दे, रक्त, मूत्र और पीठ की समस्याएं होती हैं. उसे सिर और पेट की बीमारियां भी हो सकती हैं.

वृश्चिक राशि में चंद्रमा 

यहां चंद्रमा कमजोर होता है और इसलिए व्यक्ति अक्सर बीमार पड़ता है. बचपन में स्वास्थ्य ज़्यादातर कमज़ोर होता है. उसे मूत्र संबंधी परेशानियाँ और गुप्तांगों के रोग होते हैं.

धनु राशि में चंद्रमा

व्यक्ति का शरीर मज़बूत होता है, लेकिन अगर चंद्रमा पीड़ित हो तो उसे रक्त, यकृत और तंत्रिका संबंधी बीमारियाँ, साइटिका और कटिवात के दर्द होते हैं.

मकर राशि में चंद्रमा

व्यक्ति में रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, जिसके कारण उसे लंबे समय तक बीमार रहना पड़ता है. उसे कब्ज़, पित्त और गठिया की समस्या होती है.

कुंभ राशि में चंद्रमा

व्यक्ति में प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है, लेकिन अगर चंद्रमा पीड़ित हो तो उसे एनीमिया, चक्कर आना और कमज़ोरी होती है. नेत्र, तंत्रिका संबंधी शिकायतों से भी जूझना पड़ सकता है.

मीन राशि में चंद्रमा

यहाँ चंद्रमा बीमारियों को आकर्षित करता है और व्यक्ति को संक्रमण जल्दी होता है. उसे रक्त संबंधी बीमारियाँ, पैरों रोग होते हैं. 

चंद्रमा के साथ ग्रह युति का स्वास्थ पर प्रभाव 

कुंडली में कमजोर और पीड़ित चन्द्रमा का असर सेहत को कमजोर बनाता ही है.

अगर चंद्रमा पाप ग्रहों के साथ हो, तो भी व्यक्ति को किसी न किसी बीमारी से पीड़ित होना पड़ सकता है.

जन्म कुंडली में केन्द्र में कोई शुभ ग्रह न हो तब सेहत के संदर्भ में बार बार रोगों का प्रभाव झेलना पड़ सकता है. 

चन्द्रमा दूसरे या बारहवें भाव का स्वामी होने पर शनि या अन्य पाप ग्रहों से पीड़ित हो तो नेत्र रोगों से प्रभावित कर सकता है. 

चंद्रमा का राहु के साथ संबंध होना और इस पर खराब भावों का योग भी बने, तो व्यक्ति मानसिक रुप से किसी न किसी आघात के कारण प्रभावित होता है. 

स्वास्थ्य और रोग व्याधि में चंद्रमा के गोचर का महत्व 

जन्मकालीन चंद्रमा से अलग-अलग घरों में ग्रहों के गोचर से चंद्रमा के घर और गोचर करने वाले ग्रह के कारकत्व से संबंधित बीमारी होती है. जन्म के चंद्रमा से बीमारी का कारण बनने वाले ग्रह का नाम सूर्य दुसरे भाव, पंचम भाव, अष्टम भाव और बारहवां भाव. 

  • चंद्रमा चतुर्थ भाव या आठवां भा, या बारहवां भाव 
  • मंगल पहला भाव, दुसरा भाव, चौथा भाव, पाम्चवां भाव, सातवां भाव, आठवां भाव, दसवां भाव, बारहवां भाव, 
  • बुध तीसरा भाव, सातवां भाव, नवां भाव या बारहवां भाव. 
  • बृहस्पति तीसरा भाव, छठा भाव, आठवां भाव, या बारहवां भाव
  • शुक्र छठा भाव, सातवां भाव, दसवां भाव. 
  • शनि पहला भाव, दूसरा भाव, चौथा भाव, सातवां भाव, आठवां भाव या बारहवां भाव.
  • राहु पहला भाव, पांचवां भाव, सातवां भाव, आठवां भाव, नवां भाव, बारहवां भाव. 
  • केतु  पहला भाव, चौथा भाव, सातवां भाव, आठवां भाव, दसवां भाव, बारहवां भाव. 

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