मिथुन लग्न तो जान लें कौन सी दशा है शुभ और कौन सी है अशुभ

मिथुन लग्न वालों के लिए नौ ग्रह अपनी दशा और अपना प्रभाव दिखाते हैं। मिथुन लग्न के लोगों को शुक्र, बुध और चंद्रमा की दशा में अच्छे और अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं, लेकिन मंगल और बृहस्पति की दशाएं बहुत सहायक नहीं होती हैं। इसी तरह शनि और सूर्य की दशाएं मध्यम तरीके से अपना प्रभाव दिखाती हैं।

मिथुन लग्न के लिए कुछ ग्रह शुभ हो सकते हैं, जबकि कुछ ग्रह बहुत बुरे हो सकते हैं। आमतौर पर इस लग्न के लोगों के लिए ग्रह इस प्रकार की भूमिका निभाते हैं। मिथुन लग्न पर बुध का प्रभाव होता है क्योंकि इस लग्न का स्वामी बुध होता है। अब बुध के मित्र और शत्रु ग्रहों की स्थिति के अलावा इस लग्न के लिए शुभ और अशुभ ग्रहों को जानने के बाद ही उनके दशा परिणामों को समझना संभव है। आइए देखें कि इस लग्न के लिए कौन से ग्रह शुभ और अशुभ ग्रह बनते हैं और वे अपनी दशा का प्रभाव कैसे दिखाते हैं।

शुक्र महादशा

मिथुन लग्न के लिए शुक्र महादशा को अनुकूल शुक्र दशा के रूप में देखा जाता है। इस दौरान व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं लेकिन यह व्यक्ति के आर्थिक पक्ष को भी प्रभावित करता है। इस समय जातक अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूर्ण करने में सक्षम होता है। यह जीवन में नई चीजों की प्राप्ति के साथ-साथ नए रोमांच का समय होता है। जातक अपने आस-पास के लोगों से घुल-मिल जाता है और कई नए रिश्ते भी बनाता है। वह स्वभाव से अच्छा रह पाता है और समय कुछ हद तक भाग्यशाली साबित हो सकता है। अधिकांश लाभ दूसरों के प्रयासों से भी प्राप्त होते हैं। लेखन, अभिनय, नृत्य, संगीत से जुड़ने का अवसर मिलता है। वह इन जगहों पर अधिक शामिल हो पाता है। जीवन में सफलता का स्वाद चखने और लोकप्रिय होने का अवसर मिलता है।

बुध महादशा
मिथुन लग्न के बुध महादशा का प्रभाव शुभ होता है। बुध इस लग्न का स्वामी है। इसलिए यह अच्छा है। इस समय जातक समाज में असाधारण रूप से आगे बढ़ सकता है। जातक सुख-सुविधाओं, भोजन, स्वास्थ्य और रखरखाव पर अधिक धन खर्च करता है। वह सौंदर्य प्रसाधनों और कपड़ों पर बहुत अधिक खर्च कर सकता है। जातक इस समय अपने व्यवसाय के माध्यम से बहुत अधिक धन अर्जित करने में सक्षम होता है। यह दशा व्यवसाय में चमक लाती है। इस दशा के दौरान व्यक्ति का झुकाव कला और रचनात्मक चीजों की ओर भी होता है। जातक को अपने प्रियजनों से अधिक लगाव होता है। तकनीकी कार्यों में निखार आता है। किसी व्यवसाय में भागीदार के रूप में शामिल होने का भी मौका मिलता है। जातक को शिक्षण संस्थाओं और समाज कल्याण या धर्मार्थ ट्रस्ट से जुड़ने का अवसर मिलता है। कुछ लोगों को पाचन तंत्र और त्वचा रोगों से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

शनि महादशा
शनि मिथुन लग्न के लिए भाग्येश होने के साथ अष्टम भी होता है. अब इस स्थिति शनि अपने फलों को मिश्रित रुप में देता है. शनि वैसे बुध का मित्र होता है ऎसे में यह दशा कुछ सकारात्मक भी होती है. शनि की दशा में व्यापार में तीव्र उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है. इस समय व्यक्ति परिणामों को धीमे रुप में पाता है. लोहा, इस्पात, धातु, कृषि व्यवसाय जैसी चीजों में जुड़ सकता है. व्यक्ति को विदेशी मुद्रा का लाभ भी इस समय पर मिल सकता है. ऋण चुकाने में व्यक्ति को लम्बा समय लग जाता है. कई बार दूसरों के कारण अपना हिस्सा खोना पड़ सकता है. कुछ नकली या जाली दस्तावेज के कारण भी परेशानियों का सामना करना पड़ जाता है. सेहत के मामले में कोई ऎसी व्याधी इस समय यदि हो जाए तो वह लम्बी व्याधी बन सकती है. इस दशा के दौरान मजबूत मित्रों और रिश्तेदारों का सहयोग प्राप्त होगा. साझेदारों को धोखा देने के कारण बदनामी हो सकती है.

मंगल महादशा
मिथुन लग्न के लिए मंगल दशा काफी उतार-चढ़ाव ला सकती है. इस दशा के दौरान कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. कर्ज को लेकर परेशान रह सकते हैं या धन का अचानक से नुकसान झेलना पड़ सकता है, अपने उधार चुकाने के लिए संघर्ष अधिक रहता है. हीं चुका पाते हैं. समाज में अच्छा नाम होगा लेकिन कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है. इस समय विशेष रुप से साहस में वृद्धि होती है. व्यक्ति कठोर कार्यों को कर पाने में सक्षम होता है. सेहत की समस्याओं से भी दो-चार होना पड़ सकता है. इस दशा के दौरान कुछ दुष्प्रभाव को कम करने के लिए, दशा के दौरान कम से कम दशा शांति कर लेना अनुकूल रहता है.

चंद्रमा महादशा
मिथुन लग्न के लिए चंद्रमा की दशा का प्रभाव न्यूट्रल रुप में अधिक देखा जाता है. यह दशा विदेश यात्रा धन लाभ के मौके देते हैं. इस समय के दोरान व्यक्ति सभाव से काफी चंचल भी रह सकता है. एक निर्णय पर टिक पाना मुश्किल होता है. इच्छाओं की अधिकता रहती है. परिवार के साथ सहयोग मिलता है. व्यक्ति इस समय पर ऎसे कार्यों में लाभ पाता है जो चंद्रमा से संबंधित होते हैं. इसके अलावा शिक्षण संस्थान, सिनेमा, सोशल मीडिया में व्यक्ति अधिक शामिल रह सकता है. इस दौरान व्यक्ति को जलीय यात्राओं को करने का मौका मिलता है. स्वास्थ्य को लेकर कफ एवं वात की समस्या अधिक प्रभावित कर सकती है.

सूर्य महादशा
सूर्य की दशा व्यक्ति के लिए साहस और परिश्रम का समय दिखाती है. इस समय व्यक्ति अपने रिश्तों एवं अपने कार्य को लेकर अधिक भागदौड़ करता है. भाई बंधुओं की ओर से जीवन अधिक प्रभावित होता है. अपने कार्य क्षेत्र में उसे सफलता मिलती है. व्यवसाय फलता-फूलता है. इस समय नकारात्मक रुप से उसक अक्रोध और जिद परेशानी अधिक रह सकती है. नेत्र दृष्टि पर भी असर पड़ सकता है. पारिवारिक जीवन में स्थिति साधारण रह सकती है. मित्र की ओर से कुछ धोखा मिल सकता है अथवा अधिकारी परेशानी बन सकते हैं. कानून के अनुसार बाधाएँ खड़ी हो सकती हैं.

गुरु महादशा
मिथुन लग्न के लिए गुरु की दशा अधिक सहयोगात्मक नहीं बन पाती है. इस समय के दौरान ज्ञान तो होता है लेकिन उसका उपयोग सही रुप से नहीं हो पाता है. श्वास संबंधी समस्या, दमा कुछ परेशानी पैदा कर सकता है. स्त्रियों से लाभ होता है लेकिन गुरु जनों से स्खत निर्देश मिलते हैं. धन लाभ होता है मातृपक्ष से सहयोग मिलता है. कुछ लोगों को पैतृक संपत्तियों को कम दरों पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है. ज्ञान और बुद्धि होने के बावजूद शिक्षा में परिणाम मध्यम ही रह पाते हैं. खराब परिणामों के बावजूद व्यक्ति का आत्मविश्वास ऊंचा रहता है. कई स्थितियों में अपने नेतृत्व के कारण अच्छ अप्रदर्शन कर पाते हैं.

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सूर्य-शनि का समसप्तक योग : दुर्घटनाओं और असहमति का समय

सूर्य और शनि से बबने वाले योगों का असर कष्ट और परेशानी को अधिक देने वाला होता है. जब भी इन दो विरोधी ग्रहों का योग किसी भी तरह से हो रहा हो तब तब परिस्थितियां बेहद पेचीदा दिखाई देने लगती हैं. अब इसी में एक योग है सूर्य शनि समसप्तक योग. ज्योतिष में इस योग तब बनता है जब भी सूर्य शनि आमने सामने आते हैं. इसे हम इस तरह से समझ सकते हैं की जब सूर्य किसी राशि में हो तब  उसके सामने वाली राशि में शनि विराजमान हो तो इस स्थिति को समसप्तक योग कहा जाता है. 

क्या होता है समसप्तक योग ? 

वैसे तो ग्रहों का विपरीत स्थिति में होना एक मजबूत योग माना जाता है. जब दो ग्रह विपरीत स्थिति में होते हैं तो समसप्तक योग बनता है. इसमें दोनों के मध्य का अंतर 180 डिग्री का कोण होता है.यह ज्योतिष अनुसार दूसरा सबसे शक्तिशाली दृष्टि प्रभाव होता है. यह योग जैसा दिखता है लेकिन अंतर यह है कि विरोध में होने की स्थिति अतिशयोक्ति का कारण बन जाती है क्योंकि यह युति योग की तरह एक साथ ग्रह की स्थिति नहीं होता है बल्कि उससे अलग काफी प्रबल होता है. इसलिए समसप्तक योग में शामिल ग्रहों के बीच एक गतिशील और उच्च ऊर्जा बनी रहती है, लेकिन अगर शुभता की कमी हो तब ऎसे में यह दो राशियों और ग्रहों के बीच तनाव, संघर्ष या टकराव का संकेत हो सकता है. अगर सही तरीके से समझा जाए तो इसे रचनात्मक और ऊर्जावान शक्ति स्रोत के रूप में इस्तेमाल कर सकता है.

सूर्य-शनि समसप्तक योग का महत्व

सूर्य और शनि जब बिल्कुल परस्पर आमने सामने होते हैं तब इस योग का निर्माण होता है. ज्योतिष शास्त्र में ये दोनों परस्पर विरोधी ग्रह हैं और जब समसप्तक योग बनाते हैं तो चिंताओं को बढ़ा देते हैं.  यह योग धन, स्वास्थ्य और महत्वपूर्ण ऊर्जा की हानि के रूप में परिणाम दे सकता है. यहां कोई शुभ ग्रहों की उपस्थिति कुछ हद तक बुरे प्रभावों को कम कर सकती है लेकिन अगर ऎसा नहीं है तब तनाव अधिक रहता है. ज्योतिष में सूर्य और शनि का समसप्तक योग अर्थव्यवस्था और उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. यहां तक ​​कि यात्रा और आतिथ्य उद्योग भी सूर्य-शनि समसप्तक योग से प्रभावित होते हैं. 

समसप्तक योग का सकारात्मक प्रभाव सामाजिक कल्याण और धर्मार्थ संगठनों पर पड़ता है. इस योग का पिता पर बुरा प्रभाव पड़ता है, खासकर उनके स्वास्थ्य पर. लेकिन यह तब और भी बुरा हो जाता है जब यह योग नवम या दशम भाव में बनता है. यह रिश्तों के बीच दरार पैदा करता है. व्यक्ति में अभिव्यक्ति और भावनाओं की कमी होती है. ऐसे  योग वाले व्यक्ति मेहनती होते हैं, लेकिन वास्तविक परिणाम तब मिलते हैं जब जातक 30 वर्ष की आयु पार कर जाता है.  अच्छे प्रशासक और अनुशासित माने जाते हैं.  

सूर्य और शनि का समसप्तक योग प्रभाव  

सूर्य और शनि का यह योग विशेष असर दिखाता है. ऐसा माना जाता है कि जब भी सूर्य और शनि एक दूसरे के इतने विरोध में होते हैं, तो वे हमारे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में गहरा बदलाव और परिवर्तन लाते हैं. सूर्य-शनि के यह योग साल में एक बार बनता है और एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना का समय होता है. यह योग तब होती है जब सूर्य और शनि राशि चक्र केांअमने सामने होते हैं यह एक दुर्लभ घटना है, जब सूर्य और शनि आमने सामने होते हैं. वैदिक ज्योतिष में सूर्य और शनि समसप्तक योग दिलचस्प लेकिन अक्सर खराब भयावह घटनाक्रम को देने वाला होता है. 

सूर्य शनि का यह योग सीमाओं को निर्धारित करने, ज़िम्मेदारियों को प्राथमिकता देने, लक्ष्यों पर विचार करने, प्रतिबद्धताओं का मूल्यांकन करने और जीवन में लक्ष्यों को सुव्यवस्थित करने के लिए आवश्यक समय होता है. यह समय किसी व्यक्ति के लिए सीमाओं का सामना करने, चुनौतियों का सामना करने और व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी लेने का अवसर होता है. इस प्रकार, यह घटना सम्मान और चुनौती दोनों हो सकती है, क्योंकि यह हमें मूल्यवान सबक और विकास के अवसर प्रदान करता है.

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सूर्य और शनि को कट्टर दुश्मन माना जाता है. सूर्य को पिता माना जाता है जबकि शनि को पुत्र माना जाता है. सूर्य अधिकार का प्रतीक है जबकि उसी समय, शनि वास्तविकता, अनुशासन और जीवन की सीमाओं को दर्शाता है और कर्म का प्रतिनिधित्व करता है. ऐसा माना जाता है कि जिन लोगों की जन्म कुंडली में यह योग होता है, वे अपनी उम्र से बहुत पहले परिपक्व हो जाते हैं.

ज्योतिष के अनुसार, सूर्य किसी व्यक्ति  की पहचान और जीवन शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है. अहंकार, रचनात्मकता और आत्म-अभिव्यक्ति का प्रतीक है. इस बीच, शनि अनुशासन, संरचना और जिम्मेदारी का प्रतिनिधित्व करता है और इसलिए इसे राशि चक्र का कार्यपालक कहा जाता है. जब इन दो ग्रहों की ऊर्जा आमने सामने से मिलती है, तो वे व्यक्तिगत विकास और परिवर्तन का एक अलग रंग दिखाती है. 

कुंडली में सूर्य शनि समसप्तक योग 

सूर्य शनि का यह समसप्तक योग गोचर एवं जन्म कुंडली में निर्मित होने पर अपने कई तरह के परिणाम देता है.  इस योग में शनि जो करता है वह यह है कि यह पिता के पक्ष को दूर कर देता है. यह समय पिता द्वारा प्रदान किया जाने वाला वह समर्थन छीन लेता है और व्यक्ति को जीवन के शुरुआती दौर में खुद संघर्ष करने देता है. ऐसा जरूरी नहीं है कि पिता के साथ कड़वे संबंधों के कारण ऐसा हुआ हो, यह पिता के स्वास्थ्य की चिंता, असमय मृत्यु जैसा भी हो सकता है, या फिर संतान ने ऐसा नया काम चुन लिया हो जिसमें पिता को भूमिका या कोई विशेषज्ञता नहीं है और वह संतान की मदद नहीं कर सकता. 

इस समसप्तक योग में सूर्य का अहंकार और दृढ़ संकल्प इतना बड़ा है कि यह जातक को परिस्थितियों के सामने आत्मसमर्पण करने की अनुमति नहीं देता है और उसे अपनी स्थिति को ऊपर उठाने और दुनिया में अपनी पहचान बनाने के लिए बार-बार कड़ी मेहनत करने के लिए मजबूर करता है. तो मूल रूप से यह व्यक्ति को कम उम्र में बहुत परिपक्व और मेहनती बनाता है और किसी के समर्थन के बिना अकेले समस्याओं से निपटने की प्रवृत्ति देता है और यही कारण है कि यह सफलता में देरी भी करता है. और 30 की उम्र के बाद शनि व्यक्ति से अपनी पकड़ ढीली कर देता है और व्यक्ति को जीवन के शुरुआती दौर में सीखे गए कौशल का उपयोग करने देता है. 

सूर्य शनि समसप्तक योग में एक बात जो हमेशा सामने आती है वह है पिता के साथ संबंध को लेकर यह स्थिति  पिता के साथ संबंधों में कड़वाहट देता है लेकिन बहुत स्पष्ट रूप से पिता के साथ संबंध तभी खराब होंगे जब सूर्य त्रिक भाव में हो या राह, केतु, मंगल द्वारा पीड़ित हो. पर इसके अलावा अगर पिता के साथ संबंध अच्छे भी हों तो एक बात तो यह है कि पिता के साथ रिश्ते में दूरी किसी अन्य रुप में देखने को मिल जाएगी. जरूरी नहीं कि यह कटु संबंधों के कारण हो, बल्कि पिता की व्यावसायिक मजबूरियों के कारण उसे परिवार से दूर रहना पड़ता है या हो सकता है कि व्यक्ति किसी दूसरे स्थान में काम करता हो और पिता किसी दूसरे स्थान में रहता हो.

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Signature Astrology: सिग्‍नेचर हस्ताक्षर ज्योतिष खोल सकता है आपकी पर्सनालिटी के राज

ज्योतिष की विभिन्न शाखाओं में सिग्‍नेचर ज्योतिष जिसे हस्ताक्षर ज्योतिष के नाम से भी जाना जाता है, आपके जीवन पर असर दालता है. आपके व्यक्तित्व को समझने में मदद करता है. हस्ताक्षर ज्योतिष काफी गहन विश्लेषण पर आधारित है. हस्ताक्षर हमारी राशि से जुड़ते हैं और, इससे लोगों को बेहतर तरीके से जानने और समझने में मदद मिलती है. नाम के आधार पर आपके हस्ताक्षर में जो भी उत्तार-चढ़ाव होते हैं या जिस भी तरीके से लोग अपने हस्ताक्षर करते हैं वह व्यक्ति के व्यवहार एवं उसके भविष्य को बदल देने वाली संभावनाओं का भी पैमाना बनता है. 

सिग्‍नेचर ज्योतिष बहुत कुछ बताता है. यह स्थितियों को ठीक से समझने में मदद करता है। हस्ताक्षर ज्योतिष लोगों के व्यक्तित्व, ताकत और कमजोरियों को निर्धारित करने और यह जानने के लिए एक अच्छा साधन भी है कि कोई क्या पसंद करता है या उसे क्या नापसंद है। इस के अलावा सिग्‍नेचर का प्रभाव भविष्य से मिलने वाले अच्छे और खराब प्रभावों को भी बताता है. आइए ज्योतिष में हस्ताक्षर विश्लेषण के महत्व के बारे में अधिक विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं. 

हस्ताक्षर और उनके विभिन्न प्रकार

हस्ताक्षर कई तरह के होते हैं. कुछ आसानी से पढ़े जा सकते हैं तो कुछ इतने गोल मोल होते हैं की समझ से परे दिखाई देते हैं. कुछ लोग बड़े साइन करना पसंद करते हैं तो कुछ को छोटे से अल्प साइन ही अच्छे लगते हैं. कुछ लोग पूरा नाम लिखर सिग्नेचर करते हैं तो कुछ आधे नाम से ही इसे करते हैं. ऎसे में इन सभी का कुछ न कुछ अर्थ अवश्य होता है. इन अलग अलग आकृतियों में बने सिग्नेचर का महत्व बेहद खास होता है. आइए विभिन्न प्रकार के चिह्नों को देखते हैं और सामान्य तौर पर आपका हस्ताक्षर आपके बारे में क्या कहता है.

बड़े और बोल्ड हस्ताक्षर

बड़े और आत्मविश्वास से भरे हस्ताक्षर व्यक्ति के महत्वाकांक्षी व्यक्तित्व को दर्शाते हैं – बाहर जाने वाले लोग जो ध्यान का केंद्र बनना पसंद करते हैं. इसके अलावा, यह सफल होने की इच्छा के कारण काम में लगे रहने वाले व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है.

छोटे हस्ताक्षर

साफ और स्वच्छ हस्ताक्षर जो एक विनम्र स्वभाव को दर्शाते हैं और यह भी कि आप एक अंतर्मुखी होना पसंद करते हैं. करीबी रिश्तों को प्राथमिकता देना इन्हें पसंद होता है. इसके अलावा, आपके पास जो आंतरिक आत्मविश्वास है उसे दिखाने के लिए प्रोत्साहन की आवश्यकता है.

अस्पष्ट हस्ताक्षर

अस्पष्ट ज्योतिषीय हस्ताक्षर व्यक्ति की जल्दी से फैसला लेने के लिए उकसाते हैं, रचनात्मकता हो सकते हैं लेकि दिशा बोध का ज्ञान कम होता है इसके अलावा, इसमें विवरणों को अनदेखा करने की प्रवृत्ति होती है. कुछ मामलों में गुप्त एवं गोपनीयता को प्राथमिकता देते हैं. 

हस्ताक्षर में बिंदु या लाइन

हस्ताक्षर में बिंदु जोड़ना गंभीरता और आत्म-जागरूकता का प्रतिनिधित्व करता है.यह आत्मविश्वास और दूसरों द्वारा ध्यान दिए जाने की इच्छा को दर्शाता है. यह कभी-कभी भाग्य भी लाता है.

हस्ताक्षर में लाइन या रेखा को जोड़ना मजबूत छवि और मान्यता की आवश्यकता को दिखाता है. सभी से महत्व की मांग को दर्शाता है. सफल और सम्मानित होने की इच्छा को दर्शाता है. साथ ही, यह उच्च आत्मसम्मान को दर्शाता है.

ज्योतिषीय हस्ताक्षर और राशि प्रभाव 

ज्योतिष में हस्ताक्षर का विश्लेषण आत्मविश्वास, संवेदनशीलता और महत्वाकांक्षा जैसे गुणों को भी दर्शाता है. इससे करियर के चुनाव करने, व्यक्तिगत विकास में सहायता करने, रिश्तों में गहरे संबंध बनाने और अपने भीतर के संस्करण को जानने में मदद मिलती है. प्रत्येक राशि चार तत्वों अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल में से एक और तीन समूहों चर स्थिर द्विस्वभाव में से एक से संबंधित है.  

इन सभी के गुण धर्म का हस्ताक्षर पर भी प्रभाव होता है. जन्म कुंडली में इन तत्वों का प्रभाव देखने को मिलता. जब हस्ताक्षर राशि ज्योतिष के बारे में बात करते हैं तो प्रत्येक राशि के लोगों के हस्ताक्षर से उनके जीवन को समझने में मदद मिलती है.

मेष राशि  हस्ताक्षर 

 मेष राशि के लिए हस्ताक्षर विश्लेषण उनके साहस और स्वतंत्र भावना को दर्शाता है. इसलिए, यह आपके आधिकारिक स्वभाव को भी दर्शाता है और आप उन चीजों को कैसे संभालते हैं जिनके लिए आप जिम्मेदार हैं. 

वृषभ राशि  हस्ताक्षर

वृषभ राशि के जातकों का ज्योतिषीय हस्ताक्षर आपकी अत्यधिक वफ़ादारी को दर्शाता है. इसके अलावा, यह उन लोगों के दयालु स्वभाव को भी दर्शाता है जिनकी आप परवाह करते हैं. यह आपके कई बार जिद्दीपन को भी दर्शाता है.

मिथुन राशि  हस्ताक्षर

मिथुन राशि के जातकों का ज्योतिषीय हस्ताक्षर लोगों के प्रति उनके प्यार को दर्शाता है और आप कैसे चाहते हैं कि वे सभी खुश और एक साथ रहें. दूसरी ओर, आपको जानकारी सुनना और साझा करना भी पसंद है.

कर्क राशि  हस्ताक्षर

कर्क राशि के जातकों के हस्ताक्षर उनके देखभाल करने वाले स्वभाव को दर्शाते हैं. यह यह भी दर्शाता है कि आप अपनी ज़रूरतों से पहले दूसरों की ज़रूरतों को प्राथमिकता देते हैं.

सिंह राशि  हस्ताक्षर  

सिंह राशि के जातकों के लिए हस्ताक्षर विश्लेषण से पता चलता है कि आपका व्यक्तित्व बहुत बड़ा है. इतना ही नहीं, बल्कि आपके पास कितनी रचनात्मकता है. नेता बनना कुछ ऐसा है जो आपको खुश करता है.

कन्या राशि  हस्ताक्षर

कन्या राशि के लोगों के हस्ताक्षर दर्शाते हैं कि कन्या राशि के लोगों का दिमाग बहुत ही व्यावहारिक होता है, जो उन्हें किसी भी परिस्थिति को तार्किक रूप से समझने में मदद करता है.

तुला राशि  हस्ताक्षर

तुला राशि के लोगों के हस्ताक्षर में बीच का रास्ता निकालने की क्षमता होती है, जहाँ वे व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन को संतुलित करने में अच्छे होते हैं.

वृश्चिक राशि  हस्ताक्षर

वृश्चिक राशि हस्ताक्षर से पता चलता है कि समर्पित होते हैं. कड़ी मेहनत करते हैं. ऐसे व्यक्ति होते हैं जो दूसरों की सफलता के लिए भी प्रार्थना करते हैं.

धनु राशि  हस्ताक्षर

धनु राशि के लोगों के हस्ताक्षर विश्लेषण उनके बारे में बहुत कुछ कहते हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उनका दिमाग हमेशा विकसित और विकसित होता रहता है.

मकर राशि  हस्ताक्षर

इस राशि के लिए मकर राशि के हस्ताक्षर ज्योतिष में बताया गया है कि वे चीजों को बनाए रखने और आंतरिक शक्ति को प्रबल रखते हैं.

कुंभ राशि  हस्ताक्षर

स्वतंत्र भावना और उनके अंदर छिपे बच्चे के व्यक्तित्व को दर्शाता है. यह उन्हें अपने समूहों में खास बनाता है.

मीन राशि  हस्ताक्षर

मीन राशि के हस्ताक्षर अधिक सहज बनाते हैं. आत्म-जागरूकता होती है. इससे उन्हें किसी भी चीज़ से ज़्यादा अपनी आंतरिक भावना पर भरोसा करने में मदद मिलती है.

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मांगलिक दोष के बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए कुंभ विवाह कितना कारगर

हम सभी ने  प्रसिद्ध मांगलिक दोष के बारे में सुना है. ज्योतिष भविष्यवाणियों में जब भी मंगल दोष की बात आती है तो इसको सुनकर एक तरह का डर भी देखने को अधिक मिलता है. लोग मंगल दोष से सबसे अधिक डरते हैं. लेकिन क्या सच में यह इतने डरने की बात है? क्योंकि मंगल दोष का प्रभाव उसका असर आखिर कैसे शांत हो सकता है और मंगल दोष कैसे शुभ प्रभाव दे सकता है, इन बातों को जान लेने पर मंगल दोष उतना परेशान नहीं करता है.

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मंगल दोष के प्रभावों पर विचार करते हुए इसे शांत करने के कुछ उपायों पर भी नज़र डालेंगे. तो, चलिए शुरू करते हैं क्या है मंगल दोष और क्या कुंभ या घट विवाह जैसी बातें इसे शांत कर पाती हैं. 

मांगलिक योग या मांगलिक दोष  

सबसे पहले सम लेना जरूरी है की ये योग है या दोष. जन्म कुंडली में मंगल की स्थिति को कुछ खास भावों से जोड़ा गया है. ज्योतिशः मांगलिक दोष के विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है. यह किसी व्यक्ति के जीवन को कैसे प्रभावित करता है.  मांगलिक दोष उन लोगों के लिए है जो मंगल के प्रभाव में पैदा हुए हैं. इसका मतलब है कि उनकी कुंडली में मंगल ग्रह अधिक स्वामित्व रखता है और प्रमुख ग्रह है.  जब जन्म के समय किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह 1, 4, 7, 8 या 12वें भाव में होता है, तो उस व्यक्ति को मांगलिक दोष होता है.

मंगल इन भावों में जहां भी बैठे वह सातवें भाव ओर आठवें भाव पर अपना असर डालता है.किसी व्यक्ति की कुंडली में सातवां भाव व्यक्ति के जीवन के विवाह और जीवनसाथी को नियंत्रित करता है. मंगल सातवें भाव में होता है, तो यह खराब होता है.  इस प्रकार, इस भाव में मंगल की स्थिति नकारात्मक और कठोर परिणाम देती है. कभी-कभी, साथी का जीवन भी खतरे में पड़ जाता है. आम तौर पर, मांगलिक दोष दो प्रकार के होते हैं. इनमें अंशिक दोष और पूर्ण मांगलिक दोष शामिल हैं. आइए इन मांगलिक दोषों पर विस्तार से नज़र डालें.

आंशिक मांगलिक

यह दोष चंद्रमा के प्रभाव से बनता है जो बहुत अधिक प्रभावि नहीं होता है. इसके अलावा आंशिक मांगलिक का प्रभाव तब भी निर्मित होता है जब मंगल कि स्थिति जन्म कुंडली में शांतो हो रही है. कुंडली में कुछ विशेष योगों के कारण मंगल आंशिक मांगलिक का फल देता है. पूजा या कुछ अनुष्ठान करके इसका समाधान किया जा सकता है. आंशिक मांगलिक दोष के कुछ उदाहरण हैं: विवाह समारोह के बाद, सबसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं. दूल्हा और दुल्हन के बीच छोटे-मोटे विवाद होते हैं. विवाहित महिलाओं को संतान होने में कठिनाई होती है. परिवार में तनाव होता है.

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पूर्ण मांगलिक दोष

पूर्ण मांगलिक दोष यह काफी हानिकारक माना  है और विवाहित जीवन पर कुछ घातक प्रभाव डालता है. अगर मांगलिक दोष वाली लड़की की शादी किसी ऐसे लड़के से हो जो मांगलिक नहीं है, तो लड़की के मांगलिक दोष का लड़के के जीवन पर असर पड़ता है. इस स्थिति में मांगलिक की माम्गलिक से शादी उचित है. इसके अलावा कुंभ विवाह का उपाय इसमें विशेष होता है. शास्त्रों में इसे प्रमाणिक माना गया है.

मंगल दोष का प्रबल होना शादी के बाद गंभीर रिश्ते की समस्याएँ दे सकता हे, जीवन साथी की अचानक और अप्रत्याशित मृत्यु का कारण बन सकता है, आपसी विवाद को अधिक देता है, अलगाव का कष्ट देता है. कोई बड़ी दुर्घटना या बीमारी.

मंगलिक दोष के उपाय क्या कुंभ पूजा से मिलता है लाभ ? 

मंगल दोष के नकारात्मक और बुरे प्रभावों पर प्रकाश डाला है, अब इसके लिए कुछ उपायों पर नज़र डालते हैं.  इन उपायों को वैदिक रुप से बेहतरीन माना गया है. अगर आपको मांगलिक दोष है, तो मंगल दोष वाले व्यक्ति से शादी करें. इससे मांगलिक दोष के प्रभाव को बेअसर करने में मदद मिलती है. मंगल दोष के लिए विशेष पूजा करने से भी मदद मिलती है.

इनमें मंगल कवचम पूजा और मंगल उपासना शामिल हो सकती है. उपयुक्त रत्न पहनने से भी इस दोष के प्रभाव कम होते हैं. अगर आपकी कुंडली में मंगल दोष है, तो आप अपने घर में मंगल यंत्र भी रख सकते हैं. इसके अलावा, आप यंत्र को पहन सकते हैं. मंगलवार का व्रत रखना भी इस दोष के लिए लाभकारी उपाय है.  

कुंभ विवाह: मांगलिक दोष को दूर करने का एक महत्वपूर्ण उपाय

मांगलिक दोष कुंडली में एक संरचना है जो विवाह समारोह के बाद विवाहित जोड़े के जीवन को प्रभावित करती है. मंगल दोष एक ऐसा दोष है जो विवाह के बाद अपने वास्तविक रंगों को दर्शाता है. कुंभ विवाह निश्चित रूप से एक साधारण विवाह की तरह है. अगर किसी महिला में मांगलिक दोष है, तो उसे यह अनुष्ठान पूरा करना होगा. सब कुछ एक असली शादी की तरह होता है. माता-पिता “कन्या दान” करते हैं और मिट्टी के बर्तन के साथ “फेरे” लेते हैं. पंडित मंत्र जाप करते हुए विवाह पूरी रस्म संपन्न करते हैं.

बाद में बर्तन को किसी नदी या तालाब में डुबो दिया जाता है. एक बार अनुष्ठान पूरा हो जाने के बाद, मांगलिक दोष से मुक्त होते है, और विवाह कर सकती है. यह पूजा सुनिश्चित करती है कि विवाहित जोड़े को शादी के बाद गंभीर समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा. इसका यह भी अर्थ है कि लड़की का होने वाला पति अब उसके मंगल दोष से मुक्त हो गया है. 

मांगलिक योग के लाभ 

मंगल का असर व्यक्ति को क्रोधी ओर जोश से भरने वाला होता है. इसके अलावा, उनका व्यक्तित्व मजबूत होता है. दुनिया से अपनी दूरी बनाए रखने की कोशिश करती हैं. इसके साथ ही, एक मांगलिक लड़की का करियर बहुत अच्छा होगा. जहां मांगलिक योग की मुश्किलें जीवन को काफी प्रभावित करती हैं, लेकिन इसके दूसरी ओर मंगल दोष के कुछ लाभ भी हैं.

इनमें एक सफल करियर के साथ-साथ एक शक्तिशाली व्यक्तित्व भी शामिल है. इसके अलावा, व्यक्ति स्वभाव से बहुत अनुशासित और ईमानदार भी होता है. आध्यात्मिक रूप से इच्छुक होंगे. मंगल दोष व्यक्ति को साहस और ऊर्जाओं से भर देने वाला होता है. यही ऊर्जा जीवन को रंग देती है और विकास के मार्ग को दिखाती है. 

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कुंडली के कौन से भाव और ग्रह बनाते हैं कर्ज की संभावना

आर्थिक संकट जब कर्ज के रुप में आता है तो बहुत बड़ी समस्या होता है. जीवन में होने वाले घाटे और कर्ज के लिए कुंडली के कुछ भाव और ग्रह विशेष रुप से जिम्मेदार होते हैं. कर्ज की स्थिति किसी भी रुप में बन सकती है. तंगी के पीछे कोई भी कारण हो सकता है. कुछ लोगों को यह जन्म से ही होता है तो कुछ के साथ यह एक खास समय पर होने वाली गंभीर घटना भी होती है. 

कुंडली में कर्ज के योगों से मुक्ति के लिए ज्योतिष परामर्श : – https://astrobix.com/discuss/index

जीवन में आर्थिक स्थिति को लेकर हर कोई किसी न किसी तरह से प्रयास करता नजर आता है. आर्थिक उन्नति की चाहत हर किसी के अंदर मौजूद होती है. लेकिन हर किसी को एक जैसी स्थिति महसूस नहीं होती. कहीं न कहीं पैसों की कमी इतनी ज्यादा रहती है कि व्यक्ति कर्ज लेने पर मजबूर हो जाता है. 

वहीं दूसरी ओर अगर वह कर्ज लेता है तो भी वह उसे चुकाने में सक्षम होता है. लेकिन कुछ मामलों में कर्ज से छुटकारा पाना नामुमकिन होता है. कभी-कभी यह स्थिति पीढ़ियों पर भी अपना प्रभाव छोड़ने वाली होती है.

कुंडली में पाप ग्रहों का प्रभाव देता है कर्ज की परेशानी 

बहुत से लोग जन्म कुंडली के पाप ग्रहों के प्रभाव से कर्ज को पाते हैं. वहीं शुभ ग्रहों के द्वारा सकारात्मक सुख पाते हैं कर्ज से मुक्ति मिलती है. मंगल, शनि, राहु केतु जैसे नकारात्मक ग्रहों के कारण निराशा हाथ लगती है. इसके अलावा कुंडली में बनने वाले योग भी आपके भविष्य का परिणाम होते हैं. 

कुंडली में शुभ योग धन लाभ के संकेत देते हैं 

नकारात्मक ग्रह वर्तमान जीवन में समस्या देते हैं लेकिन सुधार के अवसर भी देते हैं जो पहले नहीं हो सका. कुंडली के दूसरे, नौवें, दसवें और ग्यारहवें घर में कुछ अच्छे ग्रहों की युति आर्थिक लाभ देती है. सबसे पहले ग्रह और भाव पर ध्यान देना जरूरी है, साथ ही धन हानि संबंधी योगों पर भी नजर रखना जरूरी है. कुंडली में बनने वाले धन लक्ष्मी योग से व्यक्ति को आर्थिक उन्नति भी मिलती है.

कुंडली में कर्ज के भाव और उनका फल 

जिस घर पर कर्ज का पता चलता है, वह घर धन प्राप्ति में बाधा बनता है. धन भाव का छठे भाव या बारहवें भाव से संबंध भी आर्थिक स्थिति को कमजोर करता है. कुंडली का दूसरा भाव व्यक्ति की आर्थिक स्थिति और धन संचय करने की क्षमता को दर्शाता है. इससे पता चलता है कि जीवन में कितना धन एकत्रित होगा. 

लग्न कुंडली का वह स्थान है जो व्यक्ति की योग्यता से धन अर्जन को दर्शाता है. इसके अलावा धन और लाभ की स्थिति भी धन को दर्शाती है. इस प्रकार यदि किसी कुंडली में द्वितीय भाव, द्वितीयेश और कारक बृहस्पति मजबूत स्थिति में हों तो यह भाव जातक को आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है. लेकिन यदि यह भाव कमजोर हो तो स्वाभाविक रूप से व्यक्ति को आर्थिक हानि का सामना करना पड़ता है.

कर्ज का भाव और उससे मुक्ति के उपाय

कुंडली में छठा भाव कर्ज की स्थिति के लिए विशेष रुप से जिम्मेदार होता है. इस भाव को ऋण का स्थान भी कहा जाता है. 

यह कर्ज व्यक्ति पर किसी भी रुप में हो सकता है. कई बार यह ऋण पैतृक रुप से दिखाई देता है तो कई बार इस कर्ज की मुक्ति भी संभव हो सकती है. 

कर्ज किस रुप में हमें प्राप्त होता है उसके लिए जरूरी है की यह देखा जाए कि इस भाव से किन ग्रहों का संबंध बनता है और इस भाव का स्वामी किन किन स्थानों को प्रभावित कर रहा होता है. 

कुंडली में मौजूद ऋण का स्थान व्यक्ति के कर्ज की स्थिति को किस रुप में समाप्त कर पाएगा या नहीं यह बात हमें कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति के द्वारा एवं अन्य प्रकार के योगों से देखने को मिलती है. 

कुंडली में मौजूद द्वादश भाव की स्थिति भी कर्ज के प्रभाव को दिखाती है. जीवन में मौजूद कई तरह के असर इस भाव के द्वारा संचालित होते हैं. यदि कुंडली में कर्ज की स्थिति को देखना समझना है तो उसके लिए इन भाव स्थानों का विश्लेषण करना भी बेहद जरूरी होता है. 

कर्ज से मुक्ति के उपायों के लिए मंगल के ऋणमोचन स्त्रोत का जाप उत्तम माना गया है.

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वृश्चिक राशि में सूर्य का गोचर , इन राशियों के लिए रहेगा परेशानी का समय

सूर्य का नवंबर माह मध्य में वृश्चिक राशि में प्रवेश करता है. सूर्य तुला राशि से निकल कर नवंबर मध्य में वृश्चिक राशि में चले जाते हैं. सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में ग्रह प्रवेश करता है तो इसके काफी प्रभाव उस दौरान देखने को मिलते हैं. आइये जान लेते हैं सूर्य जब वृश्चिक में जाता है तो कैसे राशियों को प्रभावित करता है.

सूर्य 16 नवंबर 2025 को वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे ओर फिर एक माह इसी राशि में गोचर करेगा. सूर्य के वृश्चिक राशि का विशेष प्रभाव तुला राशि, वृश्चिक राशि, वृष राशि और सिंह राशि पर पड़ता है. इसका कारण यह है कि इस समय सूर्य तुला राशि से निकल जाते हैं, वृश्चिक में आते हैं वृश्चिक में बैठ कर वृष राशि को देखते हैं और सिंह राशि के स्वामी होते हैं. अब इस तरह से इन कुछ को सबसे अधिक बदलाव प्रभावित करते हैं. इसके पश्चात नक्षत्र प्रभाव और अन्य ग्रहों का युति योग सभी को प्रभावित करता है.

वृश्चिक राशि में सूर्य का गोचर 2025: डेट और टाइम

सूर्य 16 नवंबर 2025 को वृश्चिक राशि में गोचर करेगा.
सूर्य का वृश्चिक राशि प्रवेश समय – 13:36 सुबह
सूर्य का वृश्चिक संक्रांति समय भी यही होगा.

सूर्य गोचर का विभिन्न राशियों पर प्रभाव परिवार, करियर और रोमांस, शिक्षा, आर्थिक स्थिति इत्यादि बातों पर रहेगा. सूर्य को अन्य नौ ग्रहों में से एक मुख्य ग्रह माना जाता है. सूर्य एक बहुत मजबूत ग्रह है, जो सभी मनुष्यों को प्रकाश और ऊर्जा प्रदान करता है. यह बहुत शक्तिशाली है और साहस, आत्मविश्वास, इच्छा शक्ति, अच्छी दृष्टि, मजबूत दिल का प्रतिनिधित्व करता है लेकिन केवल तभी जब सूर्य की स्थिति अनुकूल भाव में हो. इस बार सूर्य वृश्चिक राशि में गोचर करेगा और इसी महीने सूर्य ग्रह 16 नवंबर 2025 को तुला राशि से वृश्चिक राशि में गोचर करेगा.

वृश्चिक राशि में सूर्य का गोचर 2025: सभी राशियों पर इसका प्रभाव

मेष राशि
मेष राशि वालों के आठवें भाव में सूर्य की स्थिति आपके करियर, व्यवसाय या रोमांटिक जीवन में कुछ कठिनाइयाँ दे सकती है. अप्रत्याशित वित्तीय लाभ और आपको पैतृक संपत्ति मिल सकती है. इस दौरान आप बेचैन महसूस कर सकते हैं और घर में शांति से रहना मुश्किल हो सकता है.

वृष राशि
सूर्य वृषभ राशि के सातवें भाव में प्रवेश करेगा. यह साझेदारी और व्यावसायिक प्रयासों में सफलता के साथ-साथ एक पूर्ण रोमांटिक जीवन की ओर ले जा सकता है. दूसरी ओर, आपके जीवनसाथी या साथी को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं. इस दौरान आपको वह मिल सकता है जो आप चाहते हैं और आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकते हैं.

मिथुन राशि
सूर्य के मिथुन राशि छठे भाव में गोचर के कारण आप अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं. लोग शैक्षणिक रूप से असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं, और आप अपने पेशेवर जीवन को आगे बढ़ा सकते हैं. खेल से जुड़े लोग धनवान और प्रसिद्ध हो सकते हैं, और कुछ मिथुन राशि के लोगों को सरकारी नौकरी मिल सकती है.

कर्क राशि
सूर्य कर्क राशि वालों के लिए सूर्य पंचम भाव में प्रवेश करेगा, कर्क राशि के लोगों को फिर से प्यार हो सकता है. जिन लोगों का ब्रेकअप हो चुका है, उनमें से कुछ लोग अपने जीवनसाथी के साथ सुलह कर सकते हैं. गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं. आपकी इच्छाएँ पूरी होंगी और भाग्य आपका साथ देगा. इस दौरान, आप कुल मिलाकर और विभिन्न स्रोतों से अधिक धन कमा सकते हैं.

सिंह राशि
सिंह राशि के लिए जब सूर्य, चौथे भाव में होंगे, तो सिंह राशि के जातक घर में सद्भाव और शांति का अनुभव कर सकते हैं. कुछ टकराव हो सकते हैं, लेकिन अंत में, सब कुछ आपके व्यक्तिगत लाभ के लिए काम करेगा. छात्र परीक्षाओं में असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं.

कन्या राशि
कन्या राशि के लिए सूर्य तीसरे भाव में होगा, कन्या राशि के लोगों को रोजगार या प्रयासों से लाभ हो सकता है और अधिकारियों या अपने वरिष्ठों से अनुग्रह प्राप्त हो सकता है. बैंकिंग, मीडिया, संचार, शिक्षण और खेल उद्योग के पेशेवर इस अवधि के दौरान अत्यधिक सफल हो सकते हैं. इस समय आप अपनी मेहनत और लगन के कारण अच्छा जीवनयापन कर सकते हैं.

तुला राशि
तुला राशि के लिए सूर्य का दूसरे भाव में होगा. घर में शांति और सौहार्द नहीं लाएगा, लेकिन नवविवाहितों के लिए यह एक सुखद समय होगा. आपके पास विभिन्न स्रोतों से धन आ सकता है, और आपके व्यवसाय और परिवार की संपत्ति में वृद्धि हो सकती है. यह समय सीमा समुदाय में प्रतिष्ठा, शक्ति और सम्मान ला सकती है.

वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के लोगों के लिए सूर्य लग्न में होगा. सूर्य के पहले भाव में होने के कारण करियर और व्यवसाय में सफलता मिल सकती है, और उनकी लोकप्रियता में वृद्धि हो सकती है. वृश्चिक राशि के लोगों को सरकारी नौकरी मिल सकती है या अधिकार वाले पद मिल सकते हैं. उन्हें मनोरंजन और खेल उद्योग में काम मिल सकता है.

धनु राशि
धनु राशि के लिए सूर्य का गोचर द्वादश भाव में होगा. कुछ लोगों को सूर्य के बारहवें भाव में होने के कारण त्वचा, बाल या आँखों से संबंधित समस्याएँ हो सकती हैं. आप लंबी यात्राओं पर जा सकते हैं. भले ही आपके खर्चे अधिक होंगे, लेकिन धन की कमी नहीं होगी.

मकर राशि
सूर्य के ग्यारहवें भाव में होने से मकर राशि के लोगों को सौभाग्य और रिश्तों, साझेदारी, गेमिंग, दोस्तों और भाई-बहनों से लाभ मिल सकता है. इस दौरान आपकी आय में वृद्धि हो सकती है और आपको कई स्रोतों से आय प्राप्त हो सकती है. आपके व्यावसायिक उपक्रमों से वित्तीय सफलता मिल सकती है, और आपके आराम और विलासिता का स्तर बढ़ सकता है.

कुंभ राशि
दसवें घर में सूर्य की स्थिति कुंभ राशि वालों को उनके कार्यक्षेत्र में सफलता और उन्नति को बढ़ावा देकर लाभान्वित कर सकती है. मनोरंजन और खेल उद्योग में लोग प्रसिद्ध और सफल हो सकते हैं, और आपको अपने करियर में अच्छे अवसर मिलेंगे. इस दौरान बिना नौकरी वाले लोगों को काम मिल सकता है.

मीन राशि
मीन राशि के लोगों को शैक्षणिक उपलब्धि और प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के मामले में नौवें घर में सूर्य की चाल से लाभ हो सकता है. वे विदेश यात्रा भी कर सकते हैं और कुछ लोग वहां काम या छात्रवृत्ति भी पा सकते हैं. इस दौरान आपकी वित्तीय स्थिति और करियर बेहतर हो सकता है.

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चंद्रमा कब और कैसे सेहत पर डालता है असर

ज्योतिष की एक शाखा ज्योतिष चिकित्सा ज्योतिष, ज्योतिष भैषज्य के नाम से है. इस चिकित्सा ज्योतिष द्वारा सेहत ओर रोग व्याधियों के बारे में जानकारी पता चल पाती है. सेहत पर पडने वाला किसी भी तरह का नकारात्मक प्रभाव जने के लिए चिकित्सा ज्योतिष बेहद कारगर सुत्र के रुप में काम करती है. रोग ज्योतिष अनुसर सभी ग्रहों की अपनी अपनी एक खास भूमिका है लेकिन इन सभी में चंद्रमा का रोल काफी अहम बन जाता है. स्वास्थ्य और रोग की अवधारणा में आइये जानते हैं कैसे चंद्रमा अपना प्रभाव दिखाता है. 

चिकित्सा ज्योतिष अनुसर चंद्रमा का प्रभाव 

चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है “चंद्रमा मनसो जाताः”. पृथ्वी के सबसे निकट होने के कारण, चंद्रमा पृथ्वी की वनस्पतियों और जीवों में जल की मात्रा को दर्शाता है और प्रभावित करता है. चंद्रमा प्रजनन और वृद्धि के लिए सहायक होता है, यह मातृ कारक भी है. सबसे तेज़ गति से चलने वाले ग्रह के रूप में, चंद्रमा मानव मनोदशा में उतार-चढ़ाव के लिए भी जिम्मेदार है इसी कारण मनोरोग से जुड़े सभी रोगों के साथ चंद्रमा अवश्य जुड़ा होता है. 

चंद्रमा वृषभ राशि में उच्च का होता है और इसके विपरीत राशि वृश्चिक में नीच का होता है. इसे शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से दशमी तक मध्यम शक्ति का माना जाता है. शुक्ल एकादशी से कृष्ण पंचमी तक मजबूत, और कृष्ण षष्ठी से अमावस्या तक कमजोर माना गया है.

जब चंद्रमा बलवान, अशुभ प्रभाव से मुक्त और शुभ ग्रहों से युक्त होता है, तो यह सभी दोषों को दूर कर देता है और  व्यक्ति को स्वस्थ, प्रसन्न और समृद्ध बनाता है. अनुसार चंद्रमा का बल अन्य सभी ग्रहों की शक्ति को बढ़ा देती है. चंद्रमा मुख्य रूप से जीवन के बचपन की अवधि को नियंत्रित करता है. इसलिए, जब जन्म के समय चंद्रमा कमजोर हो, राशि संधि में हो, पाप ग्रहों से युक्त हो और बिना किसी शुभ पहलू के हो या केंद्र में कोई शुभ न हो, तो यह बच्चे के जीवन के लिए खतरा दर्शाता है.  

राशियों में चंद्रमा का सेहत को लेकर प्रभाव 

मेष राशि में चंद्रमा

स्वास्थ्य औसत रहता है. चंद्रमा पर प्रतिकूल प्रभाव फेफड़ों के रोग, सांस लेने में समस्या और रक्त संबंधी बीमारियों का कारण बनता है.

वृष राशि में चंद्रमा

उच्च का होने के कारण चंद्रमा अच्छा स्वास्थ्य और सहनशक्ति देता है. पीड़ित होने पर व्यक्ति को आंख, गला, टॉन्सिल, वाणी और गर्दन के रोग होते हैं.

मिथुन राशि में चंद्रमा

व्यक्ति स्वस्थ होता है, लेकिन चंद्रमा के पीड़ित होने से फेफड़े, सांस लेने में समस्या और रक्त संबंधी बीमारियां होती हैं.

कर्क राशि में चंद्रमा 

यहां चंद्रमा अपनी राशि में होने के कारण अच्छा स्वास्थ्य देता है. पीड़ित होने पर यह छाती, पेट और रक्त के रोग देता है.

सिंह राशि में चंद्रमा 

व्यक्ति स्वस्थ होता है. पीड़ित होने पर व्यक्ति को चक्कर, हृदय और रक्त संबंधी बीमारियां होती हैं.

कन्या राशि में चंद्रमा 

व्यक्ति स्वस्थ होता है और उसमें रोगों के प्रति अच्छी प्रतिरोधक क्षमता होती है. पीड़ित चंद्रमा पेट, पाचन और त्वचा संबंधी समस्याएं पैदा करता है.

तुला राशि में चंद्रमा 

व्यक्ति स्वस्थ होता है और उसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है. पीड़ित होने पर व्यक्ति को गुर्दे, रक्त, मूत्र और पीठ की समस्याएं होती हैं. उसे सिर और पेट की बीमारियां भी हो सकती हैं.

वृश्चिक राशि में चंद्रमा 

यहां चंद्रमा कमजोर होता है और इसलिए व्यक्ति अक्सर बीमार पड़ता है. बचपन में स्वास्थ्य ज़्यादातर कमज़ोर होता है. उसे मूत्र संबंधी परेशानियाँ और गुप्तांगों के रोग होते हैं.

धनु राशि में चंद्रमा

व्यक्ति का शरीर मज़बूत होता है, लेकिन अगर चंद्रमा पीड़ित हो तो उसे रक्त, यकृत और तंत्रिका संबंधी बीमारियाँ, साइटिका और कटिवात के दर्द होते हैं.

मकर राशि में चंद्रमा

व्यक्ति में रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, जिसके कारण उसे लंबे समय तक बीमार रहना पड़ता है. उसे कब्ज़, पित्त और गठिया की समस्या होती है.

कुंभ राशि में चंद्रमा

व्यक्ति में प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है, लेकिन अगर चंद्रमा पीड़ित हो तो उसे एनीमिया, चक्कर आना और कमज़ोरी होती है. नेत्र, तंत्रिका संबंधी शिकायतों से भी जूझना पड़ सकता है.

मीन राशि में चंद्रमा

यहाँ चंद्रमा बीमारियों को आकर्षित करता है और व्यक्ति को संक्रमण जल्दी होता है. उसे रक्त संबंधी बीमारियाँ, पैरों रोग होते हैं. 

चंद्रमा के साथ ग्रह युति का स्वास्थ पर प्रभाव 

कुंडली में कमजोर और पीड़ित चन्द्रमा का असर सेहत को कमजोर बनाता ही है.

अगर चंद्रमा पाप ग्रहों के साथ हो, तो भी व्यक्ति को किसी न किसी बीमारी से पीड़ित होना पड़ सकता है.

जन्म कुंडली में केन्द्र में कोई शुभ ग्रह न हो तब सेहत के संदर्भ में बार बार रोगों का प्रभाव झेलना पड़ सकता है. 

चन्द्रमा दूसरे या बारहवें भाव का स्वामी होने पर शनि या अन्य पाप ग्रहों से पीड़ित हो तो नेत्र रोगों से प्रभावित कर सकता है. 

चंद्रमा का राहु के साथ संबंध होना और इस पर खराब भावों का योग भी बने, तो व्यक्ति मानसिक रुप से किसी न किसी आघात के कारण प्रभावित होता है. 

स्वास्थ्य और रोग व्याधि में चंद्रमा के गोचर का महत्व 

जन्मकालीन चंद्रमा से अलग-अलग घरों में ग्रहों के गोचर से चंद्रमा के घर और गोचर करने वाले ग्रह के कारकत्व से संबंधित बीमारी होती है. जन्म के चंद्रमा से बीमारी का कारण बनने वाले ग्रह का नाम सूर्य दुसरे भाव, पंचम भाव, अष्टम भाव और बारहवां भाव. 

  • चंद्रमा चतुर्थ भाव या आठवां भा, या बारहवां भाव 
  • मंगल पहला भाव, दुसरा भाव, चौथा भाव, पाम्चवां भाव, सातवां भाव, आठवां भाव, दसवां भाव, बारहवां भाव, 
  • बुध तीसरा भाव, सातवां भाव, नवां भाव या बारहवां भाव. 
  • बृहस्पति तीसरा भाव, छठा भाव, आठवां भाव, या बारहवां भाव
  • शुक्र छठा भाव, सातवां भाव, दसवां भाव. 
  • शनि पहला भाव, दूसरा भाव, चौथा भाव, सातवां भाव, आठवां भाव या बारहवां भाव.
  • राहु पहला भाव, पांचवां भाव, सातवां भाव, आठवां भाव, नवां भाव, बारहवां भाव. 
  • केतु  पहला भाव, चौथा भाव, सातवां भाव, आठवां भाव, दसवां भाव, बारहवां भाव. 

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शुक्र का तुला राशि प्रवेश और प्रभाव

शुक्र का तुला राशि प्रवेश होना ज्योतिष में शुक्र के प्रबल होने का उसके शुभ होने का खास समय होता है. शुक्र ज्योतिष में तुला राशि का स्वामित्व पाता है ओर ऎसे में शुक्र जब अपनी स्वराशि तुला में जाता है तो इसका शुभ फल तो मिलता ही है साथ ही शुक्र के कारक तत्वों में वृद्धि का योग बनता है. 

शुक्र के तुला राशि गोचर डेट 2025

शुक्र कन्या राशि में गोचर करने के बाद तुला में जाते हैं. शुक्र 02 नवंबर 2025 को तुला राशि में प्रवेश करेंगे. इस समय बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, शुक्र तुला राशि में गोचर करते हुए 26 नवंबर तक यहीं पर रहेंगे.

तुला राशि में प्रवेश करने से उन लोगों पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिनकी कुंडली में शुक्र मजबूत है. इसके अलाव शुक्र के गोचर से सामाजिक रुप से भी बदलाव होगा. मनोरंचन, रचनात्मक एवं कला क्षेत्र भी इस गोचर से प्रभावित होंगे.

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शुक्र का तुला राशि प्रवेश ज्योतिष अनुसार 

राशि चक्र में तुला राशि सातवें स्थान में आती है और कला चक्र में सप्तम भाव को दर्शाता है. यह वह स्थान है जो विवाह, साझेदारी, सामाजिक स्थिति का विशेष प्रभाव दिखाता है. तुला राशि भी एक स्वतंत्र और हंसमुख राशि है, समायोजन का प्रभाव इस राशि में देखने को मिलता है. इस राशि का स्वभाव गतिशील होता है और शुक्र का यहां होना व्यक्ति को भी गतिशीलता के साथ प्रगति देने वाला होगा.

तुला राशि का स्वामी शुक्र है, इस राशि के प्रभाव और स्वामित्व दोनों के अनुसार तुला राशि के विशाल ज्ञान के कारण यह शुभ फल देने वाला माना जाता है। तुला राशि प्रेम और लगाव का प्रतिनिधित्व करती है। इस प्रकार, सुख, वैभव, सुंदरता और विलासिता के ग्रह शुक्र के संतुलन की राशि में गोचर करने से कुछ राशियों के लिए भी समृद्धि के कई अवसर आएंगे. 

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 मेष राशि पर प्रभाव

मेष राशि के लिए शुक्र का प्रभाव सप्तम भाव में होने से जीवन साथी और सामाजिक स्थिति में कुछ सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे. शुक्र गोचर के द्वारा पारिवारिक जीवन में बदलाव और एक दूसरे के साथ संपर्क में वृद्धि का योग बनेगा. आपसी रिश्ते मजबूत होंगे.

प्रेम संबंधों को तेजी मिलेगी. विवाह से जुड़े मुद्दे इस समय अधिक प्रभावित करेंगे. परिवार से लाभ मिल सकता है और पैतृक संपत्ति पर भी आपको अधिकार मिल सकता है। स्वास्थ्य के मामले में उचित देखभाल करें, संक्रमण विशेष रुप से यौन संपर्क से होने वाले रोग प्रभाव डाल सकते हैं. 

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 वृषभ राशि पर प्रभाव

तुला राशि पर ही यह गोचर काफी शुभ होगा लेकिन छठा भाव जागृत होने से समस्याएं भी आएंगी लेकिन उनसे विजय पाने में सफल भी होंगे. कुछ कारणों से अलगाव का अनुभव करेंगे और चीजों के प्रति काफी दुख भी महसूस हो सकता है. परिवार में एक दूसरे से छोटे-मोटे मतभेद परेशानी का कारण बन सकते हैं। इस समय आप खुद को यात्राओं में भी व्यस्त पा सकते हैं। वित्तीय निवेश करने का भी मौका मिलेगा लेकिन बड़ा निवेश करने से बचें. स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा.

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 मिथुन राशि पर प्रभाव

मिथुन राशि वालों के लिए शुक्र का गोचर इस समय पंचम भाव को जागृत कर सकता है. प्रेम संबंधों का आरंभ होगा. मेहनत और कुशलता का गुण भी उभरेगा. विरोधियों से लड़ने की शक्ति मिलेगी और समझदारी भी विकसित होगी. रिश्तों के लिए नए अवसर भी लेकर आएगा. इसके साथ ही आप इस समय संतान पर अधिक ध्यान देने वाले हैं. संतान के लिए प्रयासरत जातकों को संतान सुख भी मिल सकता है. शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए भी समय सकारात्मक रहने वाला है. 

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 कर्क राशि पर प्रभाव

कर्क राशि के लिए यह गोचर चतुर्थ भाव में होगा जिसके कुछ अच्छे परिणाम मिल सकते हैं. नई वस्तुओं की प्राप्ति का योग बनेगा.  शुक्र के गोचर से आपके रिश्तों में नई चीजें देखने को मिलेंगी. आपको अपने मित्रों का सहयोग भी मिल सकता है. कार्यक्षेत्र में आपके प्रयास अच्छे रहेंगे और यह आपको आगे बढ़ने में मदद करेंगे. परिवार में मात अका स्नेह मिलेगा. स्त्री पक्ष से सहयोग बना रह सकता है. 

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 सिंह राशि पर प्रभाव

सिंह राशि वालों के तिसरे भाव में शुक्र का असर होगा. इस समय शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा. काम में बदलाव को लेकर नई शुरुआत देखने को मिल सकती है. इस समय सामाजिक रुप से अधिक व्यस्त होंगे. भाई बंधुओं के साथ संबंध मजबूत होंगे. यात्रा का समय होगा. 

शुक्र का तुला राशि में गोचर 2025 कन्या राशि पर प्रभाव

कन्या राशि वालों के लिए शुक्र आर्थिक समृद्धि को देने वाला हो सकता है. इस दौरान आपको धन की प्राप्ति भी हो सकती है. इस समय आपके लिए नई सोच और नए अवसर आएंगे. आप घर में कुछ नई चीजें लाने की तैयारी भी करना चाहेंगे. घर में विरोधियों से सतर्क रहें, अन्यथा वे आपको परेशान करने का मौका नहीं छोड़ेंगे. स्वास्थ्य के लिहाज से सेहत को लेकर सावधान रहने की जरूरत है, गले और पेट से जुड़े संक्रमण आपको प्रभावित कर सकते हैं.  

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 तुला राशि पर प्रभाव

तुला राशि पर ही शुक्र का होना विशेष रहेगा. यह गोचर सुख देने में सहायक हो सकता है. नौकरी पेशा लोगों को कुछ लाभ मिल सकता है. जीवन साथी की ओर से सहयोग मिल सकता है. इस समय अधिकारियों से भी संतोषजनक परिणाम देखने को मिलेंगे. यदि कोई काम लंबे समय से लंबित है, तो अब उसे आगे बढ़ाने का मौका मिल सकता है. शुक्र आपको काम की ओर लगाने वाला होगा. इस समय उत्साह अधिक रहेगा. 

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 वृश्चिक राशि पर प्रभाव

शुक्र का यह गोचर वृश्चिक के व्यय भाव को एक्टिव कर देने वाला होता है. इस गोचर में चाहे आप चाहें या न चाहें, लेकिन आपको काफी मेहनत करनी पड़ती है. आर्थिक मामलों में खर्चे से बचने के लिए प्रयास बनाए रखने होते हैं. इस समय आपको लापरवाही से बचना होगा. अपने गुस्से और अपनी सोच को बेहतर दिशा में ले जाने की जरूरत है. अपने रिश्तों से दूरी हो सकती है, लंबी दूरी की यात्रा का योग बनता है. विदेशी कंपनी में कार्यरत लोगों को अच्छा लाभ मिल सकता है.

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 धनु राशि पर प्रभाव
संतान सुख मिलने की भी अच्छी उम्मीद है. शुभ समाचार मिलने के योग बन रहे हैं, अपनों के साथ निकटता प्राप्त हो सकती है. शुक्र का लाभ स्थान में गोचर आर्थिक सुख संपन्नता देता है. रचनात्मकता में भी वृद्धि होगी जिसके द्वारा लाभ प्राप्त होता है. इस समय कुछ यात्राएं भी कर सकते हैं और धार्मिक दृष्टि से भी आप कुछ स्थानों को देखने के इच्छुक हो सकते हैं. सामाजिक रुप से मान सम्मान की प्राप्ति का योग बनता है.

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 मकर राशि पर प्रभाव
कार्यक्षेत्र पर शुक्र का गोचर यात्राओं पर जाने के योग देता है. इस समय कुछ अच्छे लाभ भी मिल सकते हैं. माता-पिता से प्यार और सहयोग मिलेगा. दूसरे लोग आपकी गतिविधियों पर अधिक ध्यान देने वाले होते है. समाज में पद प्राप्ति के योग भी बनते हैं. आय के नए अवसर और करियर में आगे बढ़ने का मौका मिलता है.

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 कुंभ राशि पर प्रभाव
कुंभ के लिए यह गोचर अनुकूल होगा, किसी से जुड़ने की संभावना भी आपको बहुत खुशी दे सकती है. आध्यात्मिक रुप से आगे बढ़ सकते हैं. मांगलिक कामों में शामिल होम्गे. इस समय आपके साथ काम करने वाले लोगों से आपको कुछ मदद भी मिल सकती है. आर्थिक दृष्टि से इस समय आपके लिए धन प्राप्ति के योग हैं.

तुला राशि में शुक्र का गोचर 2025 मीन राशि पर प्रभाव
मीन राशि के लिए आठवें भाव को बल मिलेगा. इस कारण चीजों को ध्यान से करना होगा. यह समय सावधान रहने और अपनी सुरक्षा के लिए सजग होने की बात कहता है. यौन संबंधों, वैवाहिक जीवन में कुछ नए मोड़ ला सकता है. विश्वास और भरोसे की स्थिति भी डगमगा सकती है. विवाहेत्तर संबंधों का अवसर भी इस दौरान बढ़ सकता है. भावनाओं में बहने से बचना होगा.

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मीन राशि में शनि : सभी 12 राशियों पर शनि के गोचर का प्रभाव

29 मार्च 2025, शनिवार को 11:01 पी एम बजे शनि का प्रवेश मीन राशि में होगा. साल की शुरुआत के साथ, शनि बड़ी परिवर्तनकारी ग्रह घटना को देगा जिसका असर देश दुनिया से लेकर सभी राशियों पर होगा. यह एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना होगी. वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि देव मीन राशि में अपना गोचर करने जा रहे हैं. यह कोई सामान्य गोचर नहीं है. ग्रह अन्य राशियों में 30 वर्षों के गोचर के बाद मीन राशि में है. यह गुरु के घर वापसी जैसा है. शनि लगभग ढाई साल तक इस राशि में आगे और पीछे चलता रहेगा.

आपकी कुंडली पर शनि का प्रभाव

जब  कुंडली में शनि अनुकूल स्थिति में होता है, तो व्यक्ति अच्छी संचार शक्तियों वाला विद्वान बनता है. जब यह अशुभ होता है, तो इसमें शुभता को भी कमजोर कर देने की शक्ति होति है. दूसरी ओर, यदि यह शुभ है, तो यह जीवन में सौभाग्य प्रदान करता है. शुभ शनि वाले जातकों के लिए व्यापार में करियर बनाने की अच्छी संभावनाएं होती हैं, चाहे वह मशीनरी, चमड़ा, सीमेंट, भट्टी, लकड़ी, रबर आदि से संबंधित हो.

शनि के कमजोर या अशुभ प्रभाव देने पर व्यक्ति को जीवन में संघर्षों का सामना करा सकता है. स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हो सकते हैं, मुख्य रूप से पाचन तंत्र, पेट और पाचन नली से संबंधित. उन्हें जीवन में धन हानि या कानूनी मुद्दों का शिकार होने की भी संभावना है. अब शनि का मीन राशि में जाना कई राशियों के लिए रह सकता है विशेष तो कईयों को मिल सकता है फेरबदला. 

मेष राशि

मेष की जन्म कुंडली में शनि 10वें और 11वें भाव का स्वामी है.  यह बारहवें भाव (यात्रा और व्यय का भाव) से गोचर करेगा. यह आपके लिए साढ़ेसाती का पहला चरण है. आपसे सामान्य से थोड़ा अधिक प्रभावी ढंग से काम करने की उम्मीद की जाएगी. कई बार कार्यस्थल पर चुनौतीपूर्ण परिस्थितियाँ आ सकती हैं. गोचर का आप पर क्या अतिरिक्त प्रभाव पड़ेगा इसके लिए जन्म कुंडली से जानें शनि गोचर प्रभाव. शनि के मीन राशि प्रवेश का मेष पर असर 2025

वृष राशि

9वें और 10वें भाव का स्वामी यह ग्यारहवें भाव से गोचर करेगा जो लाभ का भाव है. यह आपके पेशेवर जीवन के लिए एक अच्छा चरण प्रतीत होता है. आप अधिक मेहनती होंगे और अपने अधीनस्थों के साथ भी अच्छे संबंध रखेंगे. क्या वित्तीय मोर्चे के संबंध में गोचर अनुकूल है जिसका उत्तर आपको अपनी जन्म कुंडली से ज्ञात होगा.

मिथुन राशि 

मिथुन राशि वालों के लिए, शनि 8वें और 9वें भाव का स्वामी है. यह इस समय 10वें भाव में गोचर कर रहा है. यह आपके लिए एक महत्वपूर्ण गोचर है क्योंकि यह भाव लक्ष्यों की पूर्ति पर केंद्रित है. आपको अपनी ऊर्जा के स्तर को और अधिक उत्साही स्तर पर ले जाने की आवश्यकता होगी. हालाँकि, आपको वित्तीय निर्णयों के बारे में सावधान रहने की आवश्यकता है.  

कर्क राशि 

शनि आपके लिए 7वें और 8वें भाव का स्वामी है.शनि इन राशि वालों की जन्म कुंडली में 9वें भाव से गोचर करेगा. इस भाव में गोचर के कारण, आप धार्मिक और आध्यात्मिक यात्राओं के प्रति अधिक इच्छुक होंगे. गोचर आपको आसपास के लोगों के साथ तालमेल बनाए रखने में मदद करेगा. आपको काम पर पदोन्नति मिलने वाली है. 

सिंह राशि

सिंह राशि वालों के लिए, शनि आपकी जन्म कुंडली में 6वें और 7वें भाव पर शासन करता है. शनि आपकी कुंडली में 8वें भाव में गोचर कर रहा है, इसलिए आप ढैया (छोटी पनोती) के प्रभाव में रहेंगे. अपने करियर की योजना अधिक झुकाव के साथ बनाना शुरू करें, क्योंकि ग्रह आपके दृढ़ संकल्प की परीक्षा लेगा. गोचर चरण के दौरान परिस्थितियों का सामना करने के लिए पर्याप्त साहसी और आत्मविश्वासी बनें. 

कन्या राशि

शनि कन्या राशि वालों के लिए 5वें और 6वें भाव का स्वामी ग्रह है. यह आपकी जन्म कुंडली में 7वें भाव (साझेदारी का भाव) में प्रवेश करेगा. आपको अपने वैवाहिक जीवन में धैर्य रखने की आवश्यकता होगी, क्योंकि गोचर उसमें असंतुलन पैदा कर सकता है. अपने करियर जीवन में नए कौशल विकसित करना आपके लिए फायदेमंद रहेगा. करियर में अपने पिछले कार्यों पर फिर से विचार करने और अपनी गलतियों से सीखने का यह एक अच्छा समय होगा. इस समय नौकरी में स्थानांतरण या कार्यालय में पदोन्नति मिलने की संभावना होगी.  

तुला राशि

शनि तुला राशि वालों के लिए चौथे और पांचवें भाव का स्वामी है.  यह विरोधियों के छठे भाव से होकर गुजरेगा. इस कारण आपको चतुराई से काम लेना होगा.अपने वरिष्ठों से शांति से बात करें. आपको अपने वित्त की योजना बनाने का सुझाव दिया जाता है क्योंकि कुछ अप्रत्याशित खर्चे होने की संभावना है. जैसे-जैसे गोचर आगे बढ़ेगा, शनि आपके लिए कुछ आश्चर्य लेकर आएगा.  

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि वालों के लिए शनि तीसरे और चौथे भाव का स्वामी है. शनि इस बार यह 5वें भाव में गोचर कर रहा है. 23 जनवरी 2020 तक आप ढैय्या (शनि की छोटी पनोती) के प्रभाव में रहेंगे. इसके कारण पिछले वर्षों में घरेलू या सामाजिक जीवन से जुड़े कुछ मुद्दे सामने आए होंगे. अब, आने वाले गोचर में आपका ढैय्या चरण समाप्त हो जाएगा. आगामी गोचर चरण में आपका समग्र जीवन पथ बदलने वाला है.

धनु राशि

धनु राशि वालों के लिए शनि दूसरे और तीसरे भाव का स्वामी है. शनि आपकी कुंडली में चौथे भाव में गोचर कर रहा है, इसलिए आप ढैया (छोटी पनोती) के प्रभाव में रहेंगे. सीमाओं का ग्रह होने के कारण, यह आपको सीमित महसूस कराएगा. लेकिन आपको अपना दृढ़ संकल्प और आशावाद सर्वोच्च स्तर पर रखना चाहिए. क्या यह चरण आपको अपने करियर में उच्च ऊंचाई प्राप्त करने में मदद करेगा 

मकर राशि

मकर राशि के पहले और दूसरे भाव का स्वामी शनि इस समय तीसरे भाव में गोचर करेगा. इसलिए आपको वित्तीय बाधाओं का अनुभव हुआ होगा. इस चरण के बाद, शनि आपकी जन्म कुंडली में तीसरे भाव से गोचर करेगा. यह आपके करियर के लिए लाभदायक समय प्रतीत होता है.  पदोन्नति मिलने के योग बनने वाले हैं. 

कुंभ राशि

शनि कुंभ राशि वालों के लिए पहले और बारहवें भाव का स्वामी ग्रह है. आप साढ़ेसाती के प्रभाव में रहेंगे. इस वजह से आपको करियर या विवाह संबंधी मामलों में मंदी का सामना करना पड़ सकता है. इसके बाद, आपकी कुंडली में शनि के दूसरे भाव में गोचर के साथ साढ़ेसाती का तीसरा चरण शुरू होगा. क्या आने वाले चरण में आपके लिए कुछ उज्ज्वल अवसर हैं 

मीन राशि

मीन राशि के लिए शनि ग्यारहवें और बारहवें भाव का स्वामी है. आपकी जन्म कुंडली में पहले भाव स्वयं के भाव में प्रवेश कर रहा है. यह लगभग 30 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद मकर राशि में वापस आ रहा है. इस गोचर में आप साढ़ेसाती के दूसरे चरण में प्रवेश करेंगे. चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से निपटने के दौरान खुद पर विश्वास और मजबूत आत्मविश्वास सामने आएगा. आने वाले गोचर चरण में आपके लिए बदलाव होगा.

अपनी कुंडली से जानें कैसा रहेगा शनि का मीन राशि गोचर आपके लिए क्या शनि साढ़ेसाती या शनि ढैय्या करेगी आपको प्रभावित Saturn Sadesati Analysis

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शुक्र का सिंह राशि में प्रवेश बढ़ सकती हैं मुश्किलें

शुक्र का गोचर सिंह राशि में होने पर इसका परिणाम कई मायनों में खास होता है. सूर्य के स्वामित्व की सिंह राशि के लिए, शुक्र का गोचर जीवन में बहुत सारे बदलाव लाने वाला होता है. इसके कारण कुछ परेशानियां भी देखने को मिलती हैं जो विशेष कर भावनात्मक रुप से परेशान करती हैं. इस समय करियर की दिशा बदलने, नई वस्तुओं को पाने से लेकर स्वास्थ्य एवं रिश्तों पर इसका खास असर पड़ता है.

शुक्र का सिंह राशि प्रवेश समय
शुक्र का गोचर सिंह राशि में 15 सितंबर 2025 के दिन होगा. 12:33 एएम पर शुक्र सिंह राशि में प्रवेश करेगा. इस कारण सभी 12 राशियां प्रभावित होंगी. भौतिक सुखों का कारक एक अग्नि तत्व युक्त राशि में जब भी जाता है तो उसके कोमल गुण कठोर होने लगते हैं. शुक्र की स्थिति आपके व्यवहार में भी आवश्यक बदलाव लाएगी जो समाज में आपकी पहुँच, नाम और प्रसिद्धि को और मजबूत करेगी.आइये जान लेते हैं शुक्र के गोचर का सिंह राशि प्रभाव.

मेष राशि
शुक्र गोचर के दौरान आपके लिए अनुकूल परिणाम आने का संकेत देता है. यह समय व्यक्तिगत और करियर दोनों ही स्थानों पर अच्छी खबर लेकर आएगा. आप आखिरकार लंबे समय से प्रतीक्षित पदोन्नति की उम्मीद कर सकते हैं और आपके वेतन में भी वृद्धि होने वाली है. इसके अलावा, रिश्ते के मोर्चे पर चीजें सुचारू और शांत रहने के लिए बाध्य हैं और आप अपने साथी के साथ कुछ शांत, रोमांटिक समय भी बिता सकते हैं. यह गोचर आपके लिए अपने दूर के रिश्तेदारों के साथ किसी भी लंबे समय से चले आ रहे झगड़े को दूर करने के लिए भी अनुकूल होगा.

वृष राशि
यह गोचर आपके लिए कुछ घरेलु स्तर पर बदलाव देगा. कुछ मामलों में लाभकारी होगा. यह आपके जीवन साथी के साथ झगड़े और बहस को सुलझाने और झगड़ों को खत्म करने का भी एक अच्छा समय है. इस गोचर के दौरान आप जो बोल रहे हैं, उसके बारे में बहुत सावधान रहने की आवश्यकता है क्योंकि आपके शब्द आपके आस-पास के करीबी रिश्तों में दरार पैदा कर सकते हैं. आपकी रचनात्मकता भी सर्वकालिक उच्च स्तर पर रह सकती है और आप गायन, नृत्य और लेखन जैसे अपने भूले हुए शौक भी पूरा कर सकते हैं.

मिथुन राशि
शुक्र का गोचर मिथुन राशि वालों को परिश्रम का अच्छा परिणाम देगा. मेहनत अधिक रहेगी लेकिन लाभ भी मिलेंगे. यह गोचर अच्छी खबर लेकर आएगा जो विशेष रूप से स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे उन्हें राहत दे सकता है. परिवार के भीतर कोई भी व्यक्तिगत झगड़ा भी अपने आप सुलझ सकता है. ध्यान रखें कि आप अपने संदेह और डर को अपने ऊपर हावी न होने दें और पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाएँ.भाई बंधुओं के साथ व्यर्थ में न उलझें रिश्तों को बना कर रखें.

कर्क राशि
यह गोचर आपके लिए अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ अधिक समय बिताने के लिए पर्याप्त अवसर लाएगा – कुछ ऐसा जो आपको पिछले दिनों परेशान कर रहा था. आपके साथी के साथ कोई भी झगड़ा या बहस भी दूर हो सकती है क्योंकि शुक्र आपके रोमांटिक जीवन में अपना जादू बिखेरेगा. काम के मोर्चे पर भी चीजें सुचारू रहेंगी क्योंकि लंबे समय से प्रतीक्षित पदोन्नति हो सकती है. इस समय अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है. बाहर का खाना या बहुत मसालेदार कुछ भी खाने से बचें, क्योंकि इससे आपका पेट खराब हो सकता है.

सिंह राशि
शुक्र का सिंह राशि में गोचर प्रेम संबंधों में अहंकार के टकराव के कारण वैवाहिक जीवन में समस्याएँ पैदा कर सकता है. विलासिता के क्षेत्र में हैं तो खर्चे अधिक होंगे. व्यक्तिगत और व्यावसायिक संबंधों में टकराव लाएगा, लेकिन अहंकारी व्यवहार पर सतर्कता आवश्यक है. शुक्र का गोचर प्रेम और रोमांस, बच्चों और अटकलों के 5वें घर में होगा. यह गोचर रिश्तों में व्यक्तित्व का मिश्रण लाएगा जो प्रेम संबंधों में रोमांस के उत्साह को दर्शाता है. इस समय स्वभाव में नियंत्रण रखना होगा भावनाएं हावि न हो पाएं.

कन्या राशि
व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों तरह से प्रयास तेज करने होंगे. आप व्यावसायिक दूरदर्शिता का प्रदर्शन करेंगे लेकिन यह आपके दृष्टिकोण में बदलाव लाएगा, जो आपके व्यक्तिगत और व्यावसायिक संबंधों को प्रभावित करेगा, क्योंकि आप रिश्तों के महत्व को समझते हैं. ये गोचर भाई-बहन, पहल, छोटी यात्रा और संचार को प्रभावित करने वाला है. इस समय नीरस दिनचर्या को बुद्धिमानी भरे प्रयासों से रोमांचक बनाया जा सकता है.आपके वैवाहिक अथवा प्रेम संबंध आपके रिश्ते में नीरस दिनचर्या के कारण अपनी चमक खो सकते हैं. इसलिए आपको एक-दूसरे के साथ नए माहौल में कुछ समय बिताकर कुछ उत्साह जोड़ने की कोशिश करनी चाहिए.

तुला राशि
प्रेम संबंध आपके साथी के साथ मजबूत और सामंजस्यपूर्ण होंगे. यदि आप अविवाहित हैं, तो नए रिश्ते की तलाश में आपको अपना प्रेम साथी मिल सकता है, लेकिन आपको मौजूदा प्रेम संबंधों में टकराव का सामना करना पड़ सकता है. आपका वैवाहिक संबंध समृद्ध होगा जहाँ आपका जीवनसाथी बिना शर्त प्यार और जुनून के साथ आपका समर्थन करेगा, जिससे एक-दूसरे के साथ बंधन मजबूत होगा. करियर में कदम प्रगतिशील होंगे, खासकर यदि आप रचनात्मक क्षेत्रों से जुड़े हैं तो अपनी कड़ी मेहनत के लिए अच्छी प्रतिष्ठा मिलेगी. आपकी सैलरी में बढ़ोतरी हो सकती है और व्यवसाय में लाभ हो सकता है.

वृश्चिक राशि
आपका व्यक्तिगत जीवन प्रेम और स्नेह से भरा रहेगा. आपके पेशेवर उद्यम उचित रहेंगे, लेकिन आपको वित्तीय मामलों में सावधानी बरतनी होगी क्योंकि आपको अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऋण की आवश्यकता पड़ सकती है. कुछ मामलों में यह समय अहंकारी व्यक्तित्व को प्रकट करेगा, जो आपको आपके व्यक्तिगत संबंधों में परेशानी और काम पर गलत असर डाल सकता है. परिवार के लिए भौतिक सुख-सुविधाएँ खरीदेंगे; लेकिन इस अवधि के दौरान माँ के स्वास्थ्य का ध्यान रखें और अपने साथी के साथ किसी भी मुद्दे को सुलझाने का प्रयास करें.

धनु राशि
आपमें अच्छी वित्तीय स्थिरता और रिश्तों में मजबूत बंधन बनाए रखने की क्षमता होगी लेकिन इस समय कोई भी बड़ा व्यक्तिगत और करियर में निर्णय लेने से बचना होगा क्योंकि यह आपकी प्रगति के लिए फलदायी नहीं होगा. इस समय पर कुछ मामलों जैसे साथी और परिवार के साथ एक मजबूत बंधन साझा करेंगे.व्यावसायिक जीवन में अच्छी सतर्कता की आवश्यकता होगी इसलिए, जल्दी पैसा कमाने की योजनाओं के लिए अपने उपक्रमों में किसी भी वित्तीय निवेश से बचें.

मकर राशि
शुक्र का गोचर होने से अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा क्योंकि आपके करियर और रिश्तों में अचानक बाधाएँ आ सकती हैं जिससे आप चिंतित हो सकते हैं. जब शुक्र सिंह राशि में वक्री होगा, तो यह आपको काम और निजी जीवन दोनों में मुखर बनाएगा. ये समय अचानक आने वाली बाधाओं को इंगित करता है और प्रयासों के साथ कड़ी मेहनत से मध्यम करियर परिणाम मिलेंगे. आपके व्यक्तिगत संबंध प्रभावित होंगे. व्यवसाय में, आपके मुनाफे में उतार-चढ़ाव होगा जो आपकी उम्मीदों के अनुसार नहीं होगा, लेकिन कड़ी मेहनत आपके भविष्य में अच्छा भुगतान करेगी.

कुंभ राशि
इस समय शुक्र का गोचर जीवन साथी के साथ रिश्तों को प्रभावित कर सकता है. पार्टनर के साथ आपके व्यक्तिगत संबंधों में अचानक कमी आएगी, लेकिन आपका प्रयास आपके जीवनसाथी के लिए लाभ लाएगा. विपरीत लिंग के किसी व्यक्ति से विचलित न हों और अपने साथी/जीवनसाथी पर ध्यान दें. कुंभ राशि यह गोचर आपके प्रेम संबंधों में समृद्धि और पेशेवर मोर्चे पर सौहार्दपूर्ण साझेदारी लाएगा. व्यवसायिक उद्यमियों के रूप में अनुकूल सौदे होंगे, लेकिन यदि आप कर्मचारी हैं तो आपको कड़ी मेहनत करनी होगी.

मीन राशि
इस गोचर के दौरान आपके व्यक्तिगत और अन्य संबंधों में संघर्ष और आपकी व्यावसायिक संभावनाओं में बाधा लाएगा. खर्चों में भी उतार-चढ़ाव आएंगे और आप उन्हें संतुलित करने का प्रयास करना होगा जिससे अचानक खर्च से आप को परेशानी न हो. सेहत के लिए अधिक ध्यान रखना है. न लोगों से सावधान रहना आवश्यक है जो सभी के साथ आपके संबंधों को खराब करना चाहते हैं.

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