चंद्रमा के साथ गुरु का योग भाग्य को बनाता है प्रबल

चंद्रमा के साथ गुरु का होना एक अनुकूल स्थिति का निर्देश देने वाला सिद्धांत है. यह दोनों ग्रह बेहद शुभ माने जाते हैं. चंद्रमा एक शीतल प्रधान ग्रह है वहीं गुरु शुभता प्रदान करने वाला ग्रह है. इन दोनों के मध्य भी आपसी संबंधों का रुप मित्र स्वरुप होता है. यह दोनों ग्रह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ते चले जाते हैं. चंद्रमा जहां हमारी भावनाओं को दिखाता है वहीं बृहस्पति हमारे ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है.

आईये जानते हैं कि चंद्रमा और बृहस्पति का एक साथ किसी भाव में होना किसी तरह के प्रभाव देने वाला हो सकता है :- 

कुंडली के प्रथम भाव में चंद्रमा और गुरु की युति

जब पहले भाव में चंद्रमा और गुरु साथ होते हैं तब यह एक कोमल और अड़िग व्यकित्व को दर्शाने वाला होता है. प्रथम भाव में चंद्रमा और गुरु का होना व्यक्ति की अभिव्यक्ति में उदारता के साथ साथ ज्ञान के उच्च स्तर को दर्शाने वाला होता है. व्यक्ति को यह योग एक प्रमुख व्यक्तित्व को प्रदान करने वाला था. व्यक्ति अपने काम में अग्रीण होता है. परिवार में सर्वोप्रमुख बनकर उभरता है. अपनी योग्यता के द्वारा वह जीवन में उच्च पदों को पाने में भी सक्षम होता है.

कुंडली के दूसरे भाव में चंद्रमा और गुरु योग 

द्वितीय भाव में चंद्रमा और गुरु का योग काफी अच्छे असर दिखाता है. व्यक्ति अपने जीवन के आरंभिक दौर का अच्छा समय देखता है. व्यक्ति उच्च कुल में जन्म लेता है, वाणी का प्रभाव काफी महत्वपूर्ण होता है. यह स्थिति व्यक्ति को बेहतरीन वक्ता बनाने वाली होती है. धन की कभी कमी नहीं होती है, ऐसे व्यक्ति की बात ध्यान से सुनी जाती है. लोगों को बदल देने वाला और मार्गदर्शक बनता है. व्यक्ति कथा वाचक और बड़े-बड़े लोगों के साथ उठता बैठता है. 

कुंडली के तीसरे भाव में चंद्रमा और गुरु योग 

तीसरे भाव में चंद्रमा और गुरु का योग व्यक्ति को उच्च पद दिलाने में भी सहायक होता है. व्यक्ति अपनी मेहनत और अपनी प्रतिभा को पाने में सफल होता है. भाई-बहनों का सुख भी प्राप्त होता है. उच्च पद की प्राप्ति हो सकती है. शक्तिशाली और सम्मानित स्थान प्राप्त होता है. नाम और यश की प्राप्ति होती है. व्यक्ति अपने जीवन में काफी व्यस्तता भी पाता है, व्यक्ति अपने दम पर नाम कमाता है. सामाजिक प्रतिष्ठा को पाता है.

कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा और गुरु योग

चतुर्थ भाव में चंद्रमा और बृहस्पति का प्रभाव व्यक्ति को माता से अत्यधिक प्यार और लाभ दिलाने वाला होता है. भूमि व वाहन का सुख मिलता है. परिवार का प्रेम और सहयोग भी इस के द्वारा प्राप्त होता है. जीवन के कुछ अनुभव काफी अग्रीण भूमिका निभाने वाले होते हैं. स्त्री पक्ष के सहयोग से व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ता है, चल अचल संपत्ति का प्रबल लाभ मिलता है,

कुंडली के पंचम भाव में चंद्रमा और गुरु योग 

पंचम भाव में चंद्रमा और गुरु का योग व्यक्ति को ज्ञान और धन देता है, व्यक्ति बुद्धिमान होता है, इस दौरान व्यक्ति एक अच्छा स्कूल शिक्षक या वैज्ञानिक हो सकता है, व्यक्ति उच्चकोटि का लेखक भी बन सकता है, व्यक्ति को पूर्ण संतान का सुख प्राप्त होता है तथा संतान के उच्च पद पर होने के योग भी बनते हैं, व्यक्ति अपनी बुद्धि, विवेक और विद्या के बल पर जीवन में नाम कमाता है,

कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा और गुरु योग 

छठे भाव में चंद्रमा और गुरु का योग थोड़ा कमजोर परिणाम देने वाला होता है. छठे भाव में गुरु शत्रु हो जाता है, शत्रु दबे रहते हैं साथ ही चंद्रमा मन और माता के लिए अच्छा नहीं होता है. यह स्थिति व्यक्ति को मानसिक रुप से बेचैन बना सकती है. उच्च पद प्राप्ति में कमी होती है. स्वास्थ्य खराब रहता है, यह भाव काफी कठोर स्थान होता है इस कारण यह दो कोमल ग्रह अपनी शक्तियों एवं गुणों को भरपूर रुप से दिखा नहीं पाते हैं. इसमें शुभ ग्रह बृहस्पति और चंद्रमा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं रह पाती है.

कुंडली के सातवें भाव में चंद्रमा और गुरु योग

सप्तम भाव में चंद्रमा और गुरु का योग व्यक्ति को एक अच्छा जीवनसाथी देने में सहायक बनता है. वैवाहिक जीवन में साथी उच्च पद पर आसीन होता है. विवाह का सुख अनुकूल रहता है, जीवन साथी उच्च विचार वाला होता है. व्यक्ति को समाज में विशेष मान-सम्मान मिलता है. सामाजिक रुप से उच्च पद प्राप्ति एवं मान सम्मान भी प्राप्त होता है. वैवाहिक जीवन में भी प्रबल सुख मिलता है,

कुंडली के आठवें भाव में चंद्रमा और गुरु योग

अष्टम भाव में चंद्रमा और गुरु का योग व्यक्ति को गुप्त विद्याओं की ओर ले जाने वाला होता है. इसमें बड़े-बड़े तांत्रिक और साधु-संतों का व्यक्ति को सहयोग मिल सकता है. व्यक्ति की सोच आध्यात्मिक होती है. इस दौरान यह व्यक्ति को अप्रत्याशित धन प्रदान करता है और छिपे हुए धन की ओर भी इशारा करता है. जीवन में परेशानियां भी आती रहती हैं विशेष रुप से स्वास्थ्य को लेकर थोड़ा अधिक सजग रहना होता है और मानसिक रुप से मजबूती चाहिए होती है. 

 कुंडली के नवें भाव में चंद्रमा और गुरु योग 

वम भाव में चंद्रमा और गुरु का योग व्यक्ति को कर्म से अधिक भाग्य का सुख प्रदान करता है. गुरु और चंद्रमा इस  भाग्य स्थान में धार्मिक गुणों को प्रदान करने वाले होते हैं. व्यक्ति भाग्यशाली होता है और आध्यात्मिक रुप से भी उसका रुझान अधिक रह सकता है. व्यक्ति धार्मिक होता है और समाज में अच्छा काम करता है, समाज के लिए परोपकारी कार्य करने से इन्हें जीवन में मान-सम्मान और धन की प्राप्ति होती है.

कुंडली के दसवें भाव में चंद्रमा और गुरु योग 

दशम भाव में चंद्रमा और गुरु का योग व्यक्ति को उच्च पद प्रदान करने में सहायक होता है. व्यक्ति भाग्य से अधिक कर्म को महत्व देता है, उसे समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है, दशम भाव व्यवसाय का भी भाव है, व्यक्ति अपने करियर में ऊंचाइयों तक पहुंचता है,

कुंडली के ग्यारहवें भाव में चंद्रमा और गुरु योग 

एकादश भाव में चंद्रमा और गुरु का योग व्यक्ति को आय के एक से अधिक स्रोत देता है, व्यक्ति को कई तरह से आय प्राप्त होती है, यह कम मेहनत में अधिक धन प्राप्ति का संकेत है, ऐसा व्यक्ति घर बैठे धन अर्जन करता है, व्यक्ति को एक से अधिक माध्यमों से धन प्राप्ति की संभावना बनती है. ब्याज पर धन देकर धन कमा सकते हैं और 

कुंडली के बारहवें भाव में चंद्रमा और गुरु योग 

एकादश भाव में चंद्रमा और गुरु का योग व्यक्ति को कमजोर प्रभाव देने वाला होता है. है, जो व्यक्ति घर से दूर धार्मिक कार्यों पर धन खर्च करता है वह सफलता का सूचक होता है, इस दौरान व्यक्ति जन्म स्थान से दूर रहकर ही तरक्की हासिल कर सकता है, धर्म और कर्म के कार्यों में व्यक्ति का नेतृत्व करता है,

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कुंभ राशि में शनि के अस्त होने का प्रभाव

शनि का गोचर या स्थिति जब कुंभ राशि में अस्त होती है तो इसका असर काफी धीमे रुप से मिलने वाले परिणाम के रुप में दिखाई देता है. कुंभ राशि शनि की स्वराशि है ओर यह शनि के स्वामित्व की मूलत्रिकोण राशि भी है. शनि का इस राशि में होना एक शुभ एवं सकारात्मक प्रभाव वाला माना जाता है. शनि का अस्त होना कुंभ राशि में होने पर यह स्थिति उन फलों को नहीं दे पाती है जो मिलने की संभावना अधिक होती है. 

मेष राशि के लिए अस्त शनि का प्रभाव 

शनि मेष राशि से एकादश भाव में गोचर करते हुए अस्त होंगे. शनि की यह स्थिति लाभ में कुछ धीमापन दे सकती है. कार्य क्षेत्र पर चली आ रही अनिश्चितता का अभी समापन होना मुश्किल होगा. इस समय सामाजिक रुप से काम करते हुए भी अधिक मान सम्मान की प्राप्ति नहीं हो पाएगी. व्यर्थ की यात्राएं कुछ ज्यादा हो सकती हैं. आय के नए स्रोत खुलने की संभावना कुछ समय के लिए रुक सकती है. ये समय अपनी इच्छाओं को लेकर भी अधिक उत्साह नहीं दिखाई दे पाएगा. कभी-कभी कार्यों के होने में देरी होगी जिससे आपको धैर्य की थोड़ी कमी महसूस होने की संभावना है. दंपति के मध्य तालमेल की कमी रह सकती है. आलस्य और काम में लापरवाही का असर अधिक पड़ सकता है. 

वृष राशि के लिए शनि का अस्त प्रभव 

शनि वृष राशि से दसवें भाव में अस्त होगा. शनि का कर्म क्षेत्र में अस्त होना मिश्रित प्रभाव देने वाला होगा. अपने काम के प्रति काफी गंभीर रह सकते हैं लेकिन दूसरों के द्वारा परेशानी उत्पन्न की जा सकती है. ध्यान केंद्रित कर पाएंगे. कार्यक्षेत्र में आप अपनी मेहनत के दम पर आगे बढ़ने में सफल रहेंगे. आपको अपने काम में अपने वरिष्ठ अधिकारी का कुछ हस्तक्षेप महसूस हो सकता है. आपके अप्रत्याशित ख़र्चों में कुछ वृद्धि होगी, लेकिन आय और ख़र्चों में संतुलन बना रहेगा. जमीन व वाहन आदि में निवेश की योजना पर काम करने का समय होगा अभी इन में लाभ पाने के लिए कुछ अधिक इंतजार करना पड़ सकता है. 

मिथुन राशि के लिए शनि अस्त का प्रभाव  

शनि मिथुन राशि के लिए नवम भाव में अस्त होगा. कुंभ राशि के नवम भाव स्थान में होने और वहां शनि के अस्त होने पर भाग्य का मिलने वाला सहयोग भी अटकाव में होगा. शनि के अस्त होने की यह स्थिति आत्मचिंतन की ओर ले जाने वाली भी होगी. यहां अब कई तरह के अनुभवों से होकर गुजरना होगा. गलतियां दूर करने की कोशिश भी होगी. वहीं कुछ चल रहे काम रुकेंगे भी. आध्यात्मिक रुप से यात्राओं का समय अधिक रहेगा. आत्मविश्वास में कुछ कमी रह सकती है. दूसरों के हस्तक्षे बढ़ेगा. आपकी आध्यात्मिक उन्नति के रास्ते खुलने की भी संभावना रहेगी. महत्वपूर्ण कार्यों में भाग्य साथ कम ही दे पाएगा. कुछ लम्बी दूरी की यात्राएं अभी स्थगित हो सकती हैं. इस समय पिता के साथ सहमति की कमी रहने वाली है. 

कर्क राशि के लिए अस्त शनि प्रभाव 

शनि कर्क राशि से अष्टम भाव में अस्त स्थिति में होगा. इस समय के दौरान पर अपने काम को लेकर अब कुछ ज्यादा लापरवाही भी अपना असर डालने वाली होगी. शनि के अस्त होने से  आत्मविश्लेषण और आत्मनिरीक्षण का समय होगा, जिसके द्वारा अपनी गलतियों को ढूंढ पाने में सक्षम होंगे. अपने विषय पर ध्यान केंद्रित करने का समय होगा. अपने काम में कुशलता से काम कर पाएंगे, लेकिन धैर्य का अभाव होगा. इसलिए धैर्य रखने की जरूरत है तभी लाभ प्राप्त करने के बेहतर अवसर आपके पास होंगे. गहरे रहस्यों को खोजने की ओर भी आपका ध्यान अभी कुछ कम रहने वाला है. शोध से जुड़े छात्रों को इस समय अपने काम में ज्यादा सफलता न मिल पाए. वाहन चलाते समय  सावधान रहने की आवश्यकता होगी. कुछ लंबी दूरी की यात्रा की योजना भी बना सकते हैं जिसे भविष्य में पूरा करने का मौका मिलेगा. नई निवेश योजनाओं के मामले में आपको सावधान रहना चाहिए.

सिंह राशि के लिए अस्त शनि का प्रभाव 

शनि सिंह राशि के लिए सप्तम भाव में अस्त स्थिति में होने के कारण रिश्तों पर से ध्यान कुछ समय के लिए हटा रहने वाला है. इस समय स्थिति मिलीजुली रहेगी. अविवाहित जातकों के विवाह में कुछ देरी महसूस हो सकती है. संयुक्त उद्यमों या संयुक्त व्यवसाय में नए निवेश के मामले में इस समय जल्दबाजी से बचने की जरुरत होगी. सावधान रहना होगा. अपने पार्टनर के साथ किसी भी तरह की बेवजह की बहस से बचना ही आवश्यक होगा. पारिवारिक जीवन में कुछ रूखापन आने की संभावना रह सकती है. मन अधिक उचाट भी रह सकता है. जीवनसाथी के साथ भी रिश्ते की गर्माहट कम महसूस होगी. रूखेपन पर काबू रखने की आवश्यकता होगी. आपको अपने प्रोजेक्ट के मामले में अपने भाग्य का साथ मिलेगा.

कन्या राशि के लिए शनि अस्त का प्रभाव 

शनि कन्या राशि से छठे भाव में अस्त होने पर व्यक्ति को अपने विरोधियों के साथ कुछ समय के लिए राहत का संकेत मिलेगा. यह स्थिति मिलीजुली रहेगी और पुराने विवाद खुलने की संभावना रहेगी, इसलिए किसी भी समय व्यर्थ की बहसबाजी करने से बचने की आवश्यकता होगी. छिपे हुए शत्रु और वैचारिक विरोधियों में वृद्धि होने की संभावना है लेकिन उन्हें नियंत्रित करने में सक्षम होंगे. अपने पुराने रोगों का इलाज मिलने के आसार रहेंगे. जीवनसाथी के साथ कुछ अनबन रहेगी जिससे परिवार में खुशी का माहौल कम रहेगा इसलिए अभी किसी प्रकार के निर्णय को जल्दबाजी में न लेना ही उचित होगा. नौकरीपेशा लोग मौजूदा नौकरी में बदलाव की उम्मीद कर सकते हैं.

तुला राशि के लिए अस्त शनि का प्रभाव 

शनि तुला राशि के लिए पंचम भाव में अस्त स्थिति में होगा. इस समय में सकारात्मक रुप से चीजें कम दिखाई दे सकती हैं. अपनी पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करने में अभी कमजोर रह सकते हैं.  यदि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा में बैठने वाले हैं तो मेहनत के बल पर सफलता की उम्मीद की जा सकती है. आय के नए स्रोत खुलने की उम्मीद रहेगी. लाभ के मामले में आपको कई मौके मिलेंगे, जिससे आर्थिक पक्ष मजबूत होगा. प्यार के मामले में साथी की ओर से दूरी अधिक देखने को मिल सकती है. सच्चा जीवनसाथी मिलने की उम्मीद अभी कम है. विवाहित जोड़े परिवार में एक नए बच्चे का स्वागत करने की उम्मीद कर सकते हैं. स्वास्थ्य को लेकर अभी अधिक सजग रहना होगा.

वृश्चिक राशि के लिए शनि का प्रभाव 

शनि वृश्चिक राशि के लिए चतुर्थ भाव में अस्त दिखाई देने वाले हैं. इस समय कई सारे कामों को थोड़ा धीमी गति से करना अनुकूल होगा. नए काम की शुरुआत अधिक अनुकूल नहीं है. यह  समय धैर्य के साथ अपने काम के प्रति ध्यान केंद्रित करने का है. अपने आसपास के सकारात्मक लोगों से संपर्क बनाए रखने की आवश्यकता होगी, ताकि निर्णय लेते समय भ्रम से बचने में सफल हो सकें. कोई भी नया निवेश करने के लिए समय लेना जरुरी है. अपने निर्णय को जल्दबाजी में लेने से रोकना होगा. नए घर में प्रवेश करने की योजना बना रहे हैं तो अभी कुछ समय के लिए रुकना बेहतर होगा. इस समय किसी पुराने निवेश अच्छा मुनाफ़ा हो सकता है.

धनु राशि के लिए शनि का अस्त होना

शनि धनु राशि के लिए तीसरे भाव में अस्त स्थिति में होंगे. यह समय कुछ शुभ फल देने में सक्षम कम ही रह सकता है. अपने प्रयासों में सफलता मिलने की उम्मीद कुछ लम्बा समय ले सकती है.  जिससे आप कुछ निराशा का अनुभव भी कर सकते हैं. भाग्य का साथ समय पर मिलने में अभी विलंब होगा. भाई-बहनों से जुड़े विवादों में कमी आएगी. पुराने रोगों में कुछ राहत मिल सकती है. छोटी यात्राओं की भी उम्मीद कर सकते हैं, लेकिन इसमें धन अधिक खर्च हो सकता है.  जिससे आपका पेशेवर नेटवर्क बढ़ेगा. अगर आप नौकरी में बदलाव या स्थानांतरण की उम्मीद कर रहे हैं तो यह एक अच्छा समय होगा.

मकर राशि के लिए अस्त शनि का प्रभाव 

शनि मकर राशि के लिए दूसरे भाव में अस्त स्थिति में होंगे. जिससे मकर राशि वालों को अपने आर्थिक मसलों को लेकर अधिक सावधान रहना होगा. शनि क्क़ा अस्त होना कमाई के साधनों में कुछ धीमापन ला सकता है. अप्रत्याशित खर्चे नियंत्रण में रह पाना मुश्किल होगा. कलात्मक वस्तुओं को घर लाने की योजना बना सकते हैं. लेकिन जमीन-जायदाद से जुड़े निवेश में सावधानी बरतने की जरूरत होगी. अपने परिवार में कुछ आयोजनों का आनंद उठा सकेंगे. लेकिन आपको अपने आसपास के लोगों के साथ संवाद करते समय अपने बोलने के तरीके को नियंत्रित करने की आवश्यकता होगी. घर से दुरी भी बन सकती है इस समय मन अशांत रह सकता है.

कुंभ राशि के लिए अस्त शनि प्रभाव

कुंभ राशि के लिए शनि लग्न में ही अस्त होने वाले हैं अत: इस कारण से काम में देरी होने की भी संभावना रहेगी. शनि के अस्त होने का कुंभ राशि पर असर मिलाजुला रहने वाला है. काम से जुड़ी छोटी यात्राओं के योग बनेंगे, जिसमें खर्च भी अधिक रहने वाला है.  पेशेवर नेटवर्क बढ़ेगा. लेकिन भाई-बहनों के साथ किसी भी तरह के वाद-विवाद से बचने की जरूरत होगी. जीवनसाथी के साथ किसी भी तरह के वाद-विवाद से भी बचना होगा. अप्रत्याशित चीजों का होना परेशानी दे सकता है लेकिन सफलता मिलने की संभावना है. काम की अधिकता के कारण आप स्वास्थ्य के मामले में सावधान रहना होगा. कमाई के नए स्रोत खुलने की संभावना है, आपकी आर्थिक स्थिति में संतुलन स्थापित होगा. यदि किसी नए कार्य में प्रवेश करने की योजना बना रहे हैं तो अभी थोड़ा समय रुकना बेहतर होगा.

मीन राशि के लिए अस्त शनि का प्रभाव 

शनि का अस्त होना मीन राशि के लिए बारहवें भाव में दिखाई देगा. मीन राशि वालों के लिए लाभ की स्थिति कुछ कमजोर रह सकती है. अपने कार्यों में बाधाओं का अनुभव हो सकता है, लेकिन भाग्य भी अपना साथ देगा. कई मौकों पर आप अपने फैसलों को लेकर असमंजस में रहेंगे, लेकिन भाग्य की मदद से आप इस स्थिति से बाहर आने में सफल रहेंगे. अप्रत्याशित ख़र्चों में वृद्धि होगी, लम्बी यात्राएं थकान बढ़ा सकती हैं. नए स्रोत भी मिलेंगे. आर्थिक पक्ष संतुलित रह सकता है. किसी धार्मिक यात्रा पर जाने की योजना भी बना सकते हैं. विदेश यात्रा के भी योग बनेंगे.

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गुरु आदित्य योग का कुंडली में क्या होता है असर

वैदिक ज्योतिष के अनुसार गुरु के साथ आदित्य अर्थात सूर्य का होना गुरु आदित्य योग का निर्माण करता है. सूर्य राजा ग्रह है. सूर्य आत्मा, अधिकार, अहंकार, पिता और आत्मविश्वास का प्रतिनिधित्व करता है. बृहस्पति धन, ज्ञान और खुशी का प्रतिनिधित्व करता है. इन दोनों का प्रभाव जीवन में शिक्षकों और गुरुओं का भी प्रतिनिधित्व करता है.

वैदिक ज्योतिष में सूर्य और गुरु को ज्ञान से संबंधित ग्रहों की श्रेणी में रखा जाता है. इन दोनों का एक साथ होना गुरु आदित्य योग का निर्माण करता है. इस युति को बहुत शुभ माना जाता है. यह योग आत्मविश्वास और अधिकार का विस्तार करने वाला होता है तथ आत्मविश्वासी एवं ज्ञानवान बनाता है. 

गुरु आदित्य योग पहले भाव में प्रभाव

यह योग जब पहले भाव में बनता है तो अच्छा माना जाता है. व्यक्ति के न्यायिक सेवाओं में शामिल होने के उच्च अवसर होते हैं. वह न्याय करने में योग्य होता है. वरिष्ठ एवं कुल का वाहक होता है.  पद प्राप्ति की उच्च संभावना है. अंतर्राष्ट्रीय संगठन में काम करने की काफी संभावना होती है. व्यक्ति आकर्षक दिखने वाला व्यक्ति होता है. आकर्षक व्यक्तित्व होता है. जीवन भर अच्छे स्वास्थ्य का आनंद पाने में सक्षम होते हैं. 

गुरु आदित्य योग दूसरे भाव में प्रभाव

दूसरे भाव में इस योग का प्रभाव होने पर व्यक्ति अच्छे कुल में जन्म लेता है. ईमानदार और आकर्षक व्यक्तित्व प्राप्त होता है. व्यकित खुद को अपना बॉस मानता है. वाक्पटु होता और वाणी में नेतृत्व के गुण होते हैं. द्वितीय भाव में इस योग का प्रभाव एक शाही और प्रसिद्ध परिवार दिलाता है. पिता बहुत ही प्रतिष्ठित और जाने-माने व्यक्ति होते हैं. जीवन के प्रति भौतिकवादी दृष्टिकोण हो सकता है और मानसिक तनाव से पीड़ित हो सकता है.

गुरु आदित्य योग तीसरे भाव में प्रभाव

तीसरे भाव में इस योग के होने पर व्यक्ति प्रतिभाशाली होता है, बहादुर और स्वाभिमान से भरा होता है. प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित होता है. दुष्ट और आक्रामक स्वभाव का हो सकता है. सामान्यतः समाज में अच्छा सम्मान पाता है. आर्थिक रुप से मजबूत होता है. धनवान हो सकता हैं. संपत्ति को अपनी मेहनत से हासिल करता है. कुछ मामलों में व्यक्ति बहुत लालची होता है. प्रतियोगिताओं में अच्छी सफलता पाता है. मार्गदर्शक और उच्च सलाहकार भी हो सकता है. इस भाव में इस योग का शुभ प्रभाव व्यक्ति को सामाजिक रुप से प्रतिष्ठा दिलाने में सहायक होता है. व्यक्ति को लेखन एवं पत्र पत्रिकाओं में भागीदारी का अवसर भी प्राप्त होता है. 

गुरु आदित्य योग चतुर्थ भाव में प्रभाव

गुरु आदित्य योग का प्रभाव जब चतुर्थ भाव से जुड़ता है तो यह कई तरह के सकारात्मक असर को दिखाता है. व्यक्ति को इसके द्वारा परिवार में समृद्धि का योग भी प्राप्त होता है. व्यक्ति प्राय: बुद्धिमान और सजग होता है. जीवन में कई तरह की उपलब्धियों को पाने में भी सक्षम होता है. एक समृद्ध और शानदार जीवन जीने का सुख भी उसे प्राप्त होता है. सरकार की ओर से बेहतर सकारात्मक रुख की प्राप्ति भी होती है. सरकारी कार्यों में अच्छा प्रदर्शन करने वाला होता है. सत्ता से लाभ मिलता है. अपने परिश्रम एवं कर्म के द्वारा व्यक्ति बहुत प्रसिद्ध होता है. माता-पिता का  प्रेम मिलता है अनुशासन भी उनकी ओर से कठोर रह सकता है. आध्यात्मिक और धार्मिक होने का गुण भी माता-पिता से प्राप्त हो सकता है. व्यक्ति पर अपनी पैतृक संपत्ति में से कुछ लाभ को प्राप्त करने में सफल होता है. अर्थशास्त्र और प्रबंधन के कार्यों में रुचि रखने वाले होते हैं.

गुरु आदित्य योग पंचम भाव में प्रभाव

गुरु आदित्य योग का प्रभाव पंचम भाव में होने पर व्यक्ति को अपने जीवन में शिक्षा एवं ज्ञान को प्राप्त करने के अनुकूल मौके प्राप्त होते हैं. इस योग के द्वारा कला हो या फिर गणनात्मक य अफिर विज्ञान सभी में प्रगति के मौके मिल सकते हैं. कुछ मामलों में व्यक्ति को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में देरी का सामना करना पड़ सकता है. एक से अधिक रुझान होने पर स्थिति इस तरह से अपना असर डालने वाली होती है. संतान सुख की प्राप्ति में यह योग कुछ देरी दे सकता है, अथवा परेशानी हो सकती है. व्यक्ति के आस-पास के लोग उसे एक बुद्धिमान व्यक्ति मानते हैं. वे बहुत ज्ञानी होता है तथा अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचाने के लिए भी उसमें काफी जिज्ञासा बनी रहती है. सरकार के लिए काम करने के अवसर भी व्यक्ति को प्राप्त होते हैं. स्वास्थ्य के लिहाज से थोड़ा संभल कर रहने की आवश्यकता होती है. पाचन संबंधी दिक्कतों और लीवर से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. ब्लड प्रेशर, शुगर और डायबिटीज जैसी रक्त संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं. इसलिए सेहत से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए सावधानी बरतना अत्यंत आवश्यक होता है. 

गुरु आदित्य योग छठे भाव में प्रभाव

गुरु आदित्य योग का छठे भाव में होना मिलेजुले असर को दिखाने वाला होता है. यह स्थिति व्यक्ति को चतुर बनाती है. व्यक्ति अपने काम में बुद्धिमान तो होता है लेकिन साथ ही साहस भी उसमें खूब होता है. अपने विरोधियों को परास्त करने में उसे अच्छी योग्यता भी प्राप्त होती है. व्यक्ति विभिन्न परिस्थितियों को संभालने और उन्हें अपने पक्ष में बदलने में माहिर होता हैं. अपने शत्रुओं पर विजयी होने का लाभ इस योग के द्वारा उसे मिल सकता है. प्रशासनिक कार्यों में बहुत अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता उनमें होती है. व्यक्ति विनम्र और दयालु होता है. धन संचय करने की ओर झुकाव हो सकता है और इसके लिए वे कड़ी मेहनत भी करता है. हृदय एवं उदर संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. 

गुरु आदित्य योग सप्तम भाव में प्रभाव

सप्तम भाव में गुरु आदित्य योग का होना व्यक्ति के आपसी समझौतों पर असर डालने वाला होगा. व्यक्ति अपनी विचारधारा को दूसरों पर आरोपित करने वाला होता है. राजनितिक एवं सामाजिक क्षेत्र में काम करने के लिए अवसर मिलेंगे. जीवनसाथी प्रभावशाली स्वभाव का हो सकता है. व्यक्ति के अपने सहकर्मियों के साथ संबंध अधिक अनुकूल नहीं रह पाते हैं. यहां विचारधाराओं को लेकर मतभेद की स्थिति बनी रह सकती है. व्यक्ति कुछ दयालु और उदार हो सकता है. दूसरों के साथ संवाद करने में उसे सफलता मिलती है. व्यक्ति के बेहतर परामर्श देने में भी सक्षम होता है. विवाह के बाद भाग्य में वृद्धि का योग भी बनता है. अभिमान एवं अहंकार के कारण आपसी संबंधों में समस्या आ सकती है. आमतौर पर व्यक्ति का स्वभाव बहुत ही आलोचनात्मक होता है. राजनीति में इनकी रुचि होती है तथा सफल राजनयिक बनने में आगे रहते हैं. 

गुरु आदित्य योग नवम भाव में प्रभाव

गुरु आदित्य योग के नवम भाव एक अच्छा योग माना गया है. इस स्थान पर इन दोनों का प्रभाव व्यक्ति को प्रसिद्धि और समृद्धि दिलाने वाला होता है. व्यक्ति कई विषयों के बारे में ज्ञान प्राप्त करना चाहता है और दूसरों को पढ़ाने की भी इच्छा रखता है. आशावादी होता है और हमेशा लोगों को स्थिति का अनुकूल पक्ष दूसरों को दिखाने वाला होता है. व्यक्ति के लिए नैतिकता और सिद्धांत बहुत महत्वपूर्ण हैं. अपनी परंपराओं के लिए काम करने वाला होता है. दर्शन शास्त्र, इतिहास एवं ज्योतिष जैसी शिक्षाओं को अर्जित करने के साथ साथ दूसरों को भी इनसे जोड़ता है. लोग अक्सर बड़े सपने देखते हैं, उन्हें पूरा करने में सफल हो सकते हैं. अपने पिता एवं वरिष्ठ लोगों की इच्छा का पालन करते हैं. उनके बच्चों में महान गुण होते हैं और वे बहुत गुणी होते हैं, और बड़े होने पर वे बहुत प्रसिद्ध हो सकते हैं.

गुरु आदित्य योग दशम भाव में प्रभाव

दशम भाव में सूर्य और गुरु की युति जातक को समाज में अच्छा नाम और सम्मान देती है. वे शक्तिशाली और अत्यधिक प्रतिष्ठित हो सकते हैं. आरामदायक और शानदार जीवन जीने में सफल होते हैं. अधिकांश क्षेत्रों में सफल होते हैं. वे सामाजिक कल्याण से संबंधित गतिविधियों में बहुत सक्रिय हैं इसमें नाम भी कमाते हैं. मेहनती होते हैं और अपने प्रयासों से कई संपत्तियां हासिल करते हैं. इसके अतिरिक्त, वे राजनीति के विषय में भी रुचि रखते हैं. व्यक्ति अपने जीवन में करियर को लेकर सफलता भी पाता है. 

गुरु आदित्य योग ग्यारहवें भाव में प्रभाव
गुरु आदित्य योग का प्रभाव एकादश भाव में होने पर व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए आतुर रहता है. सामाजिक रुप से उसका दायरा मजबूत होता है. उसकी बातों को दूसरे लोग मान सम्मान देने वाले होते हैं. व्यक्ति जीवन भर अच्छी जीवन शक्ति और अच्छा स्वास्थ्य भी पाने में सफल रहता है. दयालु और मददगार होता है दूसरों के लिए सहयोगी रहता है. अपनी दोस्ती के मामले में बहुत खुशकिस्मत होता हैं. कई वफादार दोस्त और अच्छे सामाजिक मित्र होते हैं. आर्थिक रुप से व्यक्ति धनवान और होता है, जीवन में मूलभूत आवश्यकताओं को लेकर सजग होता है और शानदार वस्तुओं को पाता है. जीवन में आसानी से सफलता मिल जाती है, खासकर शेयर बाजारों के क्षेत्र में अच्छे लाभ पाते हैं. ज़िम्मेदार व्यक्ति होते हैं, ख़ासकर अपने परिवारों को लेकर इनका दृष्टिकोण काफी मजबूत होता है.

गुरु आदित्य योग बारहवें भाव में प्रभाव
गुरु आदित्य योग का प्रभाव बारहवें भाव में होना बाहरी संपर्क द्वारा लाभ ओर चुनौतियों को दर्शाता है. इस युति के असर द्वारा व्यक्ति दयालु और दानशील बनता है. धार्मिक संगठनों और गैर सरकारी संगठनों से जुड़ता है और सामाजिक रुप से कई तरह के कार्य करता है. व्यक्ति के विचारों में विद्रोह की भावना भी अधिक होती है. कई बार व्यक्ति विवाद में अधिक शामिल दिखाई दे सकता है. उसमें नैतिकता की कमी हो सकती है. संकीर्ण सोच का प्रभाव भी व्यक्ति में अधिक रह सकता है. अपमानजनक भाषा का प्रयोग कर सकता है. आर्थिक रुप से परेशानी अधिक झेलनी पड़ सकती है.

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संकटा दशा का आपकी कुंडली पर असर

संकटा दशा का समय काफी चुनौतियों एवं जीवन में होने वाले बदलावों से भरा माना गया है. संकटा दशा का समय आठ वर्ष का होता है. यह समय जिन कार्यों को करते हैं या जो फैसले लेते हैं उन सभी पर दूरगामी असर दिखाता है.  इस दशा में प्रसिद्धि मिलती है लेकिन साथ ही अपयश भी मिलता है क्योंकि छोटी सी गलती भी इस समय पर काफी बड़े रुप में सामने आती है.  यह दशा धन, यश और पद प्रतिष्ठा पर अधिक असर डने वाली होती है. आइये जानें इस दशा का संबंध कुंडली के किस भाव से कैसे असर दिखाता है. 

संकटा दशा और इसके कुंडली प्रभाव

किसी व्यक्ति के भाग्य पर संकटा का प्रभाव और जन्म कुंडली में उसकी ऊर्जाओं का प्रकट होने का समय होता है. यह दशा व्यक्ति में कई तरह के उत्साह और काम करने की इच्छ अभी प्रदान करती है.  संकटा की दशा को समझने के लिए अपने दृष्टिकोण को कई तरह से बदलना पड़ता है. भाग्य, कर्म यह दोनों बातें इस दशा पर जोर डालती हैं. यह दशा कुछ असामान्य प्रकृति, विनाश और विस्तार की प्रकृति को दिखाती है. संकटा की स्थिति दुखों के कारणों, जीवन में समस्याओं का एहसास करने और उन्हें हल करने के तरीके खोजने के लिए भी संभव बनाती है.  संकटा दशा एक सर्प की भांति होती है, हम उसे भगवान शिव के गले में लिपटे हुए देख सकते हैं. संकटा वह है जो सभी प्रकार के विष और नशीले पदार्थों का प्रतिनिधित्व करता है. यह संकटा की जहरीली प्रकृति है जो कुंडली में उसके संपर्क में आने वाली हर चीज को नष्ट कर सकती है.संकटा का उन भावों और ग्रहों पर भी विषैला प्रभाव पड़ता है जो उसके साथ में होते हैं. 

संकटा दशा भाव प्रभाव

दूसरी ओर, संकटा का प्रभाव जिस भाव में स्थित होता है, वह असीम शक्ति का स्थान होता है, एक ऐसा स्थान जहाँ साहस, दृढ़ता, अपने आप में दृढ़ विश्वास और अपनी ताकत दिखाते हुए व्यक्ति अपने जीवन के लक्ष्यों को विकास की ओर ले जाने में सक्षम होता है. इसीलिए इस दशा में जो भाव आता है, वह भाग्य का क्षेत्र है, विकास का स्थान होता है. और सभी जानते हैं कि विकास कमजोरियों और बाधाओं पर काबू पाने से ही मिलता है. जिस भाव में संकटा दशा का असर अधिक होता है उस भाव को असीमित संभावनाओं से भरा देखा जा सकता है.

संकटा के प्रभाव का भाव में उसकी उपस्थिति, जीवन के उन क्षेत्रों को साझा कर सकती है जिनके साथ वह संपर्क में आती है. उदाहरण के लिए, संकटाीअगर पंचम भाव से संबंधित है तो संतान के साथ विचारों में होने वाले मतभेद दे सकती है, अलगाव का कारण बन सकती है, गुढ़ शिक्षा के लिए प्रेरित कर सकती है. सप्तम भाव पर संकटा की होना जीवनसाथी या साझेदारों के साथ अलगाव का कारण बन सकता है. संकटा के नवम भाव पर प्रभाव पिता या गुरु से अलगाव हो सकता है, व्यक्ति नई परंपराओं से जुड़ सकता है. 

प्रथम भाव में संकटा 

पहले भाव में संकटा व्यक्ति को अहंकार की तीव्र भावना देने वाला समय होता है. इस दशा का प्रभाव व्यक्ति को अधिक बातूनी और बहुत मुखर भी बना सकता है. व्यक्ति को निर्भीक और साहसी भी बनता है. अक्सर व्यक्ति शेयर मार्किट, लाटरी जैसे कामों में शामिल भी हो सकता है. इस समय व्यक्ति अपनी स्वतंत्र इच्छा शक्ति को दूसरों पर थोपने की कोशिश भी कर सकता है. दुर्घटनाओं और चिंताओं का दौर भी इस दशा में विशेष होता है. 

दूसरे भाव में संकटा दशा प्रभाव 

इस समय के दौरान आर्थिक मुद्दे महत्वपूर्ण होते हैं. इस समय फूसरे लोगों की  गलत धारणा का सामना भी करना पड़ सकता है. विपरीत परिस्थितियों पर व्यक्ति अपनों से दूर हो सकता है.  व्यक्ति की बचत और धन की स्थिति के लिए हानिकारक समय होता है, दूसरे घर में संकटा सकारात्मक रूप से धीरे-धीरे सुधार देती है. संयम और सब्र का परिणाम लाभ के रुप में मिलता है. स्वास्थ्य को लेकर सजग रहने की आवश्यकता होती है. 

संकटा तीसरे भाव में

संकटा का प्रभाव तीसरे भाव पर होने से ये समय क्रियात्मकता में तेजी लाता है. व्यक्ति को सफलता का अवसर मिलता है कई बार जिस कार्य को हाथ में लेता है उसमें सफलता प्राप्त होती है. यह डींग मारने और शेखी बघारने का गुण भी देता है और ये व्यक्ति इस गुण को सर्वश्रेष्ठ बनाते हैं. भ्रमण के अधिक मौके मिलते हैं. कई अलग अलग लोगों के साथ मेल जोल का समय भी होता है. 

चतुर्थ भाव में संकटा

यह समय मिलेजुले रुप से असर डालता हैअच्छी या बुरी दोनों तरह की परिस्थितियां होती है. व्यक्ति प्राय: करियर में अपने उत्थान, पर्याप्त अचल संपत्ति के मालिक होने का सुख पाता है. किंतु सुख की कमी झेलता है. बहुत महत्वाकांक्षी होता है. अपने सुख स्थान से दूर चला जा सकता है. परिवार के लोगों के साथ तनाव होता है माता का सुख प्रभावित होता है. 

पंचम भाव में संकटा

यह घर शिक्षा, ज्ञान, बुद्धि और संतान से संबंधित है. और पंचम भाव में संकटा अहंकार की अतिरिक्त भावना देने वाला समय होता है. अति आत्मविश्वासी बनाता है. यह गर्भावस्था के दौरान भी समस्या पैदा करता है और अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है. यह स्थिति प्रबंधन में सैद्धांतिक दक्षता देती है न कि व्यावहारिक. व्यर्थ के मुद्दों से दूर रहने की आवश्यकता होती है. 

छठे भाव में संकटा

यइस भाव से संबंधित होने पर कई तरह के बदलाव और चुनौतियां होती हैं. अनुकूल स्थिति मिलती है जो शत्रुओं को हराने के काम आती है. लेकिन अकेलापन अधिक देती है. स्वास्थ्य को लेकर चिंता बनी रहती है. चिंताएं अधिक होती हैं और काम की अधिकता भी रहती है. 

सातवें घर में संकटा

इस दशा का असर वैवाहिक जीवन पर पड़ता है. साझेदारी के काम तनाव बढ़ा देने वाले होते हैं. अक्सर जीवनसाथी में अहंकार की तीव्र भावना होती है, और वैवाहिक जीवन में सामंजस्य कम हो जाता है. व्यापारिक लेन-देन में संकटा दशा के समय यह सुनिश्चित करना होता है कि सौदे में खरीदार और विक्रेता दोनों सीधे हों और मामले में कोई अनैतिक व्यवहार शामिल न हो अन्यथा कानूनी मसले असर डालते हैं. 

आठवें घर में संकटा

आठवें घर में संकटा सबसे पहले व्यक्ति को अवांछित परेशानियों को देने वाली होती है. स्वास्थ्य पर विशेष रूप से संकटा की महादशा के दौरान चिंता बढ़ जाती है. व्यक्ति की पृष्ठभूमि में बदलाव होगा. खान पान में बदलाव का असर सेहत पर होगा. व्यर्थ के झूठे आरोप लग सकते हैं. गलत काम या व्यवसाय की ओर रुझान भी हो सकता है.  

नवम भाव में संकटा

संकटा अकेला बहुत प्रभावी नहीं है, जब तक कि यह किसी अन्य ग्रह के साथ न हो या यह नवम भाव के स्वामी से सीधे दृष्टि प्राप्त न करता हो. नवम भाव या नवम भाव के स्वामी के ग्रह के अनुसार व्यक्ति व्यवहार करता है और रंग बदलता है. धार्मिक यात्राएं होगी. अलग संक्सृति के साथ जुड़ाव होगा. भाग्य कुछ कम साथ दे पाएगा. पिता को लेकर सुख प्रभावित होता है. लोगों के साथ तर्क वितर्क बढ़ता है.

दसवें भाव में संकटा

यह समय संकटा दशा के लिए बहुत प्रभावी होता है. इस समय व्यक्ति अपने करियर को लेकर कई नवीन बातों में व्यस्थ होता है. व्यक्ति स्वतंत्र रूप से कार्य करता है. समाज में उनकी स्थिति भी मजबूत होती है. व्यक्ति को विरोधियों की ओर से अटकाव अधिक झेलने पड़ सकते हैं. अहंकार की उच्च भावना होती है. कई बार स्वभाव की कठोरता विवाद को बढ़ावा देने वाली होती है. 

ग्यारहवें भाव में संकटा

इस भाव में जब इस दशा का संबंध ब राशि कोई भी हो और घर का स्वामी कोई भी हो, संकटा हमेशा एकादश भाव में शुभ असर दिखाने वाली भी मानी जाती है. इस समय व्यक्ति अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अधिक उत्साहित होता है. परिश्रम करता है. भाग्य का साथ मिलने से व्यक्ति को कभी भी धन की कमी नहीं होती है, लेकिन ये समय धन के खर्च को भी दिखाता है  

बारहवें भाव में संकटा

इस भाव में अकेले बहुत प्रभावशाली नहीं है. यह दान और सामाजिक कार्यों के लिए धन खर्च करने के लिए प्रोत्साहित करने वाली दशा है. इस समय शरीर, कंधे, गर्दन और छाती से संबंधित रोग अधिक परेशान कर सकते हैं. विदेश गमन का अवसर भी प्राप्त होता है. 

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अपनी कुंडली से जाने ग्रहों के असर को और दूर करें सारे भ्रम

ज्योतिष के थोड़े से ज्ञान के साथ भी सभी जानते होंगे कि वैदिक ज्योतिष के अनुसार एक कुंडली में बारह भाव और नौ ग्रह होते हैं. लेकिन इन भाव और ग्रहों के संबंध को समझ कर ही हम अपनी कुंडली का सही से रहस्य जान पाने में सक्षम हो सकते हैं. कई बर कुंडली में खराब ग्रह ही इतने अच्छे परिणाम दे जाते हैं जो कोई शुभ ग्रह नहीं दे पाता है तो कुछ कुंडलियों में ग्रहों की शुभता भी अधिक असर नहीं दे पाती है. अब इन सभी बातों को जान पाना तभी संभव होता है जब कुंडली में ग्रहों की शक्ति एवं उनकी स्थिति का बोध हो. कई बार जीवन में होने वाली परेशानियों के लिए लोग किसी विशेष ग्रह को दोष देना शुरू कर देते हैं लेकिन यह उचित नहीं है क्योंकि ग्रहों का असर हमारे कर्म एवं प्रारब्ध से भी जुड़ा होता है. शनि, मंगल, राहु और केतु यहां सबसे ज्यादा दोष लेने वाले ग्रह हैं लेकिन इन ग्रहों की भूमिका को जाने बिना इन पर दोष लगाना उचित नहीं है. 

किसी भी कुंडली में केवल अच्छे या बुरे ग्रह नहीं होते हैं. कोई भी ग्रह किसी भी घर में हो, चाहे वह बलवान हो या निर्बल, अपने आप कोई परिणाम नहीं देता है. सैद्धांतिक रूप से कुंडली में विभिन्न ग्रहों की भूमिका समान रहती है. व्यक्ति के जीवन में बदलाव के साथ-साथ कुंडली में विभिन्न ग्रहों का महत्व बदलता रहता है इसलिए बेहतर होगा कि अपने जीवन के किसी खास पड़ाव पर किसी ग्रह की भूमिका को समझ ली जाए. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जन्म कुंडली में अलग-अलग ग्रहों का परिणाम इस बात पर निर्भर करता है कि आप अपनी स्वतंत्र इच्छा एवं कर्मों से ग्रहों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं. कुंडली में ग्रह आपके जन्म के समय किसी विशेष क्षण में नक्षत्र में ग्रहों की स्थिति पर आधारित होते हैं. जन्म का यह विशेष क्षण भगवान ब्रह्मा द्वारा तय किया जाता है. भगवान ब्रह्मा यह कैसे तय करते हैं यह सब आपके पिछले जन्मों के कर्मों पर आधारित है. तो एक तरह से आप खुद ही अपनी कुंडली बनाते हैं. 

सूर्य ग्रह 

कुंडली में सूर्य सबसे महत्वपूर्ण ग्रह होता है क्योंकि यह कुंडली का प्रथम आधार होता है. सूर्य सभी ग्रहों में प्रमुख है और व्यक्ति की आत्मा है. इसमें विभिन्न सकारात्मक गुण होते हैं जैसे कि एक पिता के रूप में होना, अपार शक्ति होना, स्वाभिमान और अधिकार दिखाना. जीवन को किस दिशा में किस रुप में जीना है यह सूर्य द्वारा संचालित होता है. सूर्य संसार में मिलने वाली उपाधियों, मान सम्मान का द्योतक होता है. इसके द्वारा ही व्यक्ति को बड़े अधिकार मिलते हैं. सूर्य यह दिखाता है कि कोई व्यक्ति खुद को दुनिया के सामने कैसे प्रस्तुत करता है. एक मजबूत सूर्य ऊर्जा और अधिकार का प्रतिनिधित्व करता है, तो एक कमजोर सूर्य व्यक्ति को अहं से भरपूर अति-आत्मविश्वासी बना सकता है. जब अच्छे करियर की बात आती है तो मजबूत सूर्य की आवश्यकता होती है, लेकिन निजी संबंधों के मामले में यह अधिकार को बढ़ा कर परेशानी देता है. 

चंद्रमा ग्रह 

चंद्रमा दूसरा ग्रह है जो सूर्य के बाद आता है. हमारी सभी भावनाओं पर इसका प्रभाव पड़ता है यह दोनों ग्रह दृष्य होते हुए नियमित रुप से हमारे सामने आते हैं. चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है, सभी की मां के रूप में कार्य करता है, प्यार, मन की शांति, सकारात्मकता और भावनाएं प्रदान करता है. एक मजबूत चंद्रमा व्यक्ति के जीवन के सभी चरणों में मदद करता है, लेकिन एक कमजोर चंद्रमा चंचल मन या यहां तक कि अवसाद जैसी परेशानियां भी ला सकता है.

मंगल ग्रह 

मंगल साहस, जुनून, बहादुरी, शक्ति और आत्मविश्वास को दर्शाता है. जीवन के कई पहलुओं में, हमें इन सभी की समान रूप से आवश्यकता नहीं होती है. एक मजबूत मंगल आपके करियर और आत्मविश्वस में मदद कर सकता है लेकिन वैवाहिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है. इसलिए कुंडली में कहां इसकी स्थिति किस रुप में है इसे देख कर ही उचित निर्णय कर पाना सही होगा. मंगल यदि कमजोर होगा तब भी यह आपके साहस को कम कर देगा और सफलताओं को पाने के लिए व्यवधान भी देने वाला होगा.

शुक्र ग्रह 

शुक्र शुभ एवं कोमल ग्रह के रुप में स्थान पाता है. यह विशेष रुप से प्रेम, संबंध, रोमांस, सौंदर्य, यौन जीवन, संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है. रिश्ता चाहे किसी भी रुप में हो चाहे वह जीवनसाथी के साथ में हो, प्रेमी के साथ का हो या फिर व्यावसायिक सहयोगियों के साथ हो. बहुत से लोग नहीं जानते होंगे, लेकिन एक अच्छा शुक्र आपके करियर के जीवन का सार भी है. तो किस स्तर पर शुक्र के सहयोग की आवश्यकता है, यह कुंडली के द्वारा और हमारे काम की स्थिति से भी तय होता है. शुक्र यदि शुभ है तो जीवन में आपकी भावनात्मक प्रतिक्रिया को काफी सजग रखता है और इसके प्रति जागरुक बनाता है. लेकिन कमजोर है तो नीरस होने का भाव भी दे सकता है.

बुध ग्रह 

बुध तेजी से चलने वाला और बुध वाणी, बुद्धि, ग्रहण शक्ति, सतर्कता और तर्क का प्रतिनिधित्व करता है. बुध जीवन भर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन शिक्षा के प्रारंभिक चरण में यह अधिक महत्व रखता है. अगर बुद्धि उचित हो तो निर्णय भी उचित रुप से लिए जा सकते हैं. लेकिन यही अगर भ्रम में हो तो विचारधारा भटकती है. बुध ही हमारी खुशी, मौजमस्ती और वाक पटुता को भी दिखाता है. एक अच्छा बुध लोकप्रिय बनाता है अब यह किस रुप में कुंडली में है उसे देख कर ही अपनी ख्याती को जान सकते हैं. 

बृहस्पति ग्रह 

बृहस्पति एक अन्य शुभ ग्रह होता है. यह ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है. यह एक व्यक्ति की अधिक मदद करता है जब वह शिक्षा और करियर के स्तर तक पहुंचता है, इसलिए व्यक्ति की शुरुआती उम्र में या कहें कि शुरुआती समय में उतना महत्वपूर्ण नहीं होता लेकिन बाद के समय में यह विशेष प्रभाव रखता है. इसके द्वारा ही जीवन कि दिशा का बोध भी संभव होता है. उच्च ज्ञान की प्राप्ति का आधार ही यह बनता है. 

राहु ग्रह
राहु नाम और प्रसिद्धि लाता है, लेकिन बिगड़ा हुआ राहु अपमान लाता है. राहु सांसारिक इच्छाओं, हेरफेर के अलावा उससे जुड़े कई अन्य अर्थों का ग्रह है. जीवन के प्रारंभिक समय में राहु का भारी प्रभाव एक व्यक्ति को मोबाइल, फोन, इंटरनेट से संबंधित गतिविधियों में बहुत अधिक शामिल कर सकता है. राहु एक छायादार और रहस्यमय ग्रह है, जो यदि नकारात्मक कार्य करता है, तो व्यक्ति को अति-महत्वाकांक्षी, अति-आत्मविश्वासी बनाता है,. यह एक व्यक्ति को कोई सीमा से पार ले जाने का काम करता है, तो कुंडली में इसका उपयोग कैसे करते हैं यह हम पर निर्भर करता है. नियंत्रण में रहेगे तो, राहु अच्छी भूमिका निभाएगा, शेखी बघारें या हद से आगे बढ़ते हैं तो राहु तबाही मचाएगा.

केतु ग्रह
केतु आध्यात्मिकता तो दिखाता है लेकिन वैराग्य भी. यह राहु की भांति ही एक छाया ग्रह है और बिना भौतिक अस्तित्व वाला ग्रह है. केतु को सांसारिक इच्छाओं के लिए हानिकारक और आध्यात्मिक रूप से लाभकारी माना जाता है. केतु का एक प्रतिकूल प्रभाव एक व्यक्ति को सांसारिक और सांसारिक इच्छाओं से दूर कर सकता है, जिसमें प्यार और रोमांस भी शामिल है, उस उम्र में जब आपको उनकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है.

शनि ग्रह
शनि एक कर्म ग्रह है जो व्यावहारिक रूप से किसी व्यक्ति के जीवन को उस प्रकार के कर्मों के साथ धारण करता है जो वह करता है. अधिक महत्वाकांक्षी बनते हैं, या गलत कार्य करते हैं तो शनि दंड देगा. शनि एक शिक्षक और एक कानून का पालन कराने वाले की भूमिका निभाता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि शनि का कुंडली पर कैसा असर है. एक ग्रह के रूप में शनि की इतनी व्यापक व्याख्या है कि मैं इसे संक्षेप में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता. अब इन सभी ग्रहों की स्थिति को कुंडली में देख कर जान सकते हैं की व्यक्ति किस दिशा की ओर अधिक बढ़ सकता है ओर कहां उसे नियंत्रण की आवश्यकता होती है.

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सूर्य षडबल में अगर मजबूत हो तो क्या होगा उसका असर

किसी भी ग्रह की शक्ति या उसके बल को जानना होता है तो उसे उक्त ग्रह की विभिन्न स्थितियों का विश्लेषण करके जाना जा सकता है. यह विभिन्न पद ग्रह शक्ति के विभिन्न स्रोत हैं जिन्हें षडबल के नाम से जाना जाता है. षडबल की गणना के तरीके ग्रहों और कुंडली में मौजूद भावों की स्थिति के बारे में जानकारी विस्तार से देते हैं. इसी में जब सूर्य को षडबल में अच्छा शक्ति बल मिलता है तो उसका प्रभाव कई तरह से व्यक्ति को प्राप्त होता है. सूर्य के षडबल में मजबूत होने का असर कई तरह से मिलता है. 

सूर्य का षडबल में मजबूत होने का कुंडली पर असर 

वैदिक ज्योतिष में सूर्य एक विशेष ग्रह है. इसका प्रभाव अन्य ग्रहों के साथ साथ जीवन पर भी पड़ता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि आपकी जन्म कुंडली में सूर्य शक्तिशाली है तो यह शक्ति, पद और अधिकार देने में सहायक बनता है. जन्म कुण्डली में सूर्य के बली होने से का करियर एवं सम्मान का फल अवश्य प्राप्त होता है. ज्योतिष अनुसार सूर्य की अलग-अलग स्थिति होती है. यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के लिए अलग असर दिखाने वाला होता है. जन्म कुंडली में षडबल में यदि सूर्य शक्तिशाली होता है, तब इसके प्रभाव में कई प्रकार के फल प्राप्त होते हैं. सूर्य का षडबल में मजबूत होना व्यक्ति के जीवन पर चमक बिखेरने का काम करता है. इसके असर द्वारा व्यक्ति शक्तिशाली, गतिशील, अधिकार सम्पन्न और प्रभावशाली होता है. व्यक्ति में नेतृत्व के गुण भी होते हैं. वह साहसी होता है, लोगों के मध्य आकर्षण का केंद्र बनता है.

वैदिक ज्योतिष में सूर्य का प्रभाव  

जब किसी की जन्म कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, तो उनके पास सफल करियर या मान सम्मान की कमी बनी रहती है. जब किसी राशि में सूर्य कमजोर होता है, तो व्यक्ति असफल करियर का अनुभव कर सकता है. व्यक्ति में आत्मबल भी कमजोर होता है. सूर्य से होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी उसे हो सकती हैं. हृदय, हड्ड़ी, त्वचा और नेत्र रोग भी हो सकते हैं. इसके विपरित यदि सूर्य अच्छी स्थिति में है तो उसका असर सफलता ओर स्वास्थ्य सुरक्षा की गारंटी के रुप में देखा जाता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार राशियों में प्रत्येक ग्रह का अपना भाव एवं राशि होती है. इसी प्रकार सूर्य का सिंह राशि में स्थान होता है मेष राशि उसका उच्च बल स्थान होता है. लग्न दशम भाव में वह अच्छी मजबूत स्थिति को पाता है. जब सूर्य षडबल में इन्हीं स्थिति को पाता है तो व्यक्ति स्वतंत्र, बलवान, गतिशील, आज्ञाकारी और जिद्दी होता है. प्रचलित मान्यता के अनुसार ज्ञानवान, अभिमानी, स्वतंत्र और सुखमय जीवन व्यतीत करने वाला होता है.

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य पीड़ित हो तो उसका जीवन संघर्षमय बना देता है. किसी को उसके द्वारा किए जाने वाले कार्यों के लिए उचित श्रेय नहीं मिल पाता है. लोगों के साथ उसके अच्छे संबंध नहीं हो सकते हैं. मंगल, शनि, राहु और केतु के अशुभ प्रभाव से सूर्य आमतौर पर पीड़ित होता है. यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य पीड़ित हो तो उसे कष्ट होता है. सूर्य को अपना राशि चक्र पूरा करने में एक वर्ष लगता है. प्रत्येक राशि में इसे एक मास कहते हैं. मकर से मिथुन राशि में सूर्य का गमन उत्तरायण अर्थात उत्तर की ओर गति करता है और कर्क से धनु राशि में गोचर दक्षिणायन अर्थात दक्षिणावर्त गति करने वाला होता है. सूर्य की इस गति के कारण ऋतु चक्र होता है. सूर्य जब मकर और कुम्भ को रोकता है तो शीतकाल होता है. जब यह मीन और मेष राशि में होता है, तो मौसम बसंत होता है; वृष और मिथुन राशि में, मौसम गर्मी का होता है; जब कर्क और सिंह राशि में, यह मानसून है; कन्या और तुला राशि में, यह शरद ऋतु है, और जब सूर्य वृश्चिक और धनु राशि में होता है, तो यह शरद ऋतु और सर्दियों के बीच का समय होता है.

षडबल में सूर्य का सकारात्मक प्रभाव 

सूर्य अगर षडबल में मजबूत हो तब उसका असर प्रेरित करने वाला होता है. व्यक्ति बिना किसी हिचकिचाहट के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है. व्यक्ति अपने निर्णयों और कार्यों में आवेगी होता है लेकिन आत्मविश्वास एवं सहजता से भी पूर्ण होता है. दृढ़ता और अभिमान भी उसमें अधिक होता है. उसका जुनून ही सफलता सुनिश्चित करने वाला होता है. व्यक्ति सक्रिय रुप से चीजों में शामिल रहने वाला, रोमांच, खेल इत्यादि से जुड़े कामों में उन्मुख होता है. वह तब तक बेचैन रहता है जब तक कि वे लगातार अपनी सफलता में आगे न रहे और क्रियाशील होकर काम न करे. षडबल में सूर्य का अच्छा होना व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद भी प्रदान करता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी रहती है. व्यक्ति के पास जो कुछ भी है उसमें साहस जरूर दिखाता है, और कठिनाइयों का सामना करने पर भी वे जल्दी से हिम्मत नहीं हारता. व्यक्ति जन्म से ही नेता होता हैं. दूसरों पर अपना नियंत्रण करना चाहेंगे. हर चीज में प्रथम बनना चाहेंगे. उच्च स्तर की प्रतिस्पर्धा भी उनमें होती है. जीतने के लिए कुछ भी करने वाला होता है लेकिन गलत कार्यों से नहीं बल्कि बेहतर रुप से आगे बढ़ने वाला होता है. अपने रिश्तों के लिए भावुक होता है. 

षडबल में उच्च प्रभाव के कुछ नकारात्मक प्रभाव 

षडबल में मजबूत सूर्य भी कहीं न कहीं नकारात्मक रुप से अपना असर भी देता है. अपनी विभिन्न गतिविधियों में बहुत अधिक व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होता है लेकिन अभिमान और क्रोध की स्थिति भी अधिक असर डालने वाली होती है. क्रोध एवं उत्साह की अधिकता कभी-कभी दूसरों के लिए आक्रामक भी सकता है. क्रूर व्यवहार और निर्दयी लगता है. सूर्य का मजबूत प्रभाव आवेगपूर्ण व्यवहार देता है. व्यवहार अक्सर किसी और की सुविचारित योजना के रास्ते में आ जाता है. जब वे असहमत होते हैं, तो वे खुले तौर पर ऐसा करता है. इस प्रकार मजबूत सूर्य के कुछ प्रभाव नकारात्मक लक्षण के रुप में भी षडबल में देखे जा सकते हैं. 

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राहु का मीन राशि गोचर 2025 राशियों पर प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार सबसे अधिक कठोर ग्रहों में राहु का नाम भी विशेष रुप से लिया जाता रहा है. राहु, जो लगातार वक्री रहता है और हर डेढ़ साल में राशि परिवर्तन करता है, राहु का असर  शनि के समान फल देने वाला माना गया है. राहु के गोचर 2025 की बात करें तो इस साल राहु मीन राशि के गोचर करेगा, मीन राशि जो बृहस्पति के स्वामित्व की राशि है, अत: इस स्थिति के कारण यह गोचर आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक रुप से असर डालने वाला होगा. 

राहु गोचर 2025 मीन राशि पर

मेष राशि के लिए राहु गोचर

अब राहु के गोचर की स्थिति बाहरी संपर्क में विस्तार को दिखाने वालि होगी. राहु का असर निर्णयों पर असर डालने वाला होगा. चीजें कुछ धूमिल भी दिखाई दे सकती हैं. जो भी करेंगे उसमें जल्दबाजी कर सकते हैं. कुछ कामों में गलतियां हो सकती हैं  लेकिन जल्द ही स्थिति नियंत्रण में भी होगी. 

स्वास्थ्य के मामले में चीजें अधिक ध्यान से करने की आवश्यकता होगी. राहु गोचर  बारहवें भाव को एक्टिव करने वाला है इसलिए विदेश यात्रा की संभावना बढ़ाएगा. धार्मिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं. खर्चों की अधिकता का भी रहेगी लेकिन सफलताओं को पाने के लिए रिस्क पर काम करने वाले हैं. 

वृष राशि के लिए राहु गोचर

वृष राशि के राहु एकादश भाव में गोचर करने वाला है, जिससे काफी समय से अटकी योजनाएं और आकांक्षाएं पूरी हो सकती हैं. समाज में एक सम्मानित स्थान पाने का भी समय होगा. बड़े अधिकारियों के साथ मेल की स्थिति के अवसर भी प्राप्त होंगे. सामाजिक दायरे का विस्तार होने की प्रबल संभावना है. इस वर्ष के अधिकांश समय में राहु की एकादश भाव में स्थिति आपको सामाजिक रूप से काफी व्यस्त रखने वाली होगी.

समाज की परियोजनाओं में सक्रिय भाग लेते दिखाई देंगे. समाज की परियोजनाओं में सक्रिय भाग ले सकते हैं तथा सार्वजनिक बातचीत में नाम का प्रचार कर सकते हैं तथा राजनीतिक क्षेत्र में हों या सामाजिक क्षेत्र में व्यस्तता अच्छे से बनी रहने वाली है. 

मिथुन राशि के लिए राहु गोचर

आपके कार्यस्थल में कुछ बदलाव आने की संभावना है, इस समय अपने परिश्रम के बल पर एक मजबूत स्थिति बनाने में सक्षम होंगे. अपने काम के लिए प्रशंसा प्राप्त कर पाने के भी कुछ अवसर मिल सकते हैं. काम दूसरों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा उसे करने में जल्दबाजी से बचें. काम में चिंता और मेहनत अधिक रहने वाली है.

अपने काम को लेकर बहुत अधिक व्यस्त रहेंगे और परिणामस्वरूप अपने परिवार से दूरी भी बढ़ सकती है इसलिए स्थिति के अनुसार काम करने की जरुरत होगी. अपने घरेलू जीवन में कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन कुल मिलाकर, स्थिति कुछ प्रगति को देने में सहायक होगी. 

कर्क राशि के लिए राहु गोचर

राहु का गोचर नवम भाव में होगा, इस अवधि में मानसिक रुप से चीजों को लेकर परिपक्वता विकसित होगी, जो इस बात को प्रभावित करेगी कि आप अपने आस पास की चीजों को कितना महत्व देते हैं. कार्यक्षेत्र में आपको सफलता मिलेगी. परिश्रम का परिणाम देर से सही पर मिलेगा. इस समय पर भाग्य का सहयोग मिलने में कुछ अटकाव हो सकते हैं लेकिन चीजें पक्ष में भी काम जरुर करेंगी.

इस समय पर्दे के पीछे काम करने के बजाय सामने काम करना पसंद करने वाले हैं. विचारों में दूसरी संस्कृति के लोगों विचारधारों से जुड़ने का मौका भी मिलने वाला है. नवम भाव में प्रवेश करने से राहु भाग्य पर प्रभाव डालेगा, लंबी दूरी की यात्रा व गंगा स्नान के योग बनेंगे. विदेश यात्रा के योग बनेंगे और यदि आपने पहले ही इस दिशा में प्रयास किया है तो अब सफलता मिलेगी. इस दौरान पिता के स्वास्थ्य को लेकर ध्यान रखने की आवश्यकता होगी तथा भाई बंधुओं के साथ व्यर्थ के विवाद से दूर रहना हितकारी होगा. 

सिंह राशि के लिए राहु गोचर

इस समय पर कुछ अचानक होने वाली चिंताएं एवं अटकाव दिखाई दे सकते हैं. कुछ मामलों में भाग्य के सहयोग की कमी का अनुभव कर सकते हैं. नौकरी में अधिकारियों एवं गुप्त शत्रुओं के कारण चिंता रह सकती है. व्यर्थ के मामलों में समय को बर्बाद कर सकते हैं. इसलिए अभी थोड़ा धैर्य बरतने की जरूरत होगी.

राहु का प्रवेश अष्टम भाव में होने के कारण निवेश को लेकर सजग रहना जरुरी होगा. इस समय स्वास्थ्य नरम रह सकता है. काम में बिगड़ाव या अटकाव हो सकता है, इसलिए आपको अपना ख्याल रखना होगा. वाहन इत्यादि का संभल कर उपयोग करें. उधार या किराए की स्थिति से बचें. शेयर मार्किट में अचानक से लाभ के लालच से बचना अधिक आवश्यक होगा. 

कन्या राशि के लिए राहु गोचर

राहु का प्रभाव सप्तम भाव में रहेगा, जिसका असर वैवाहिक जीवन और व्यावसायिक साझेदारी पर पड़ेगा. इस समय रिश्तों में उतार-चढ़ाव की स्थिति पैदा हो सकती है. पहले से कहीं अधिक कठोर एवं निरंकुश अनुभव कर सकते हैं. इस समय अक्सर बिना ज्यादा सोचे समझे निर्णय लेने से परेशानियां लम्बे समय तक असर डाल सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप लाभ की कमी हो सकती है.

अपने व्यापारिक साझेदार से संबंधित कामों में कुछ सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी क्योंकि वे इस समय बहुत सी चीजों के बारे में सोचना होगा लेकिन एक साथ अधिक कामों में शामिल होने से बचने की जरुरत होगी. इस समय सौहार्दपूर्ण व्यवहार आपको मदद कर सकता है और आपके व्यवसाय को आगे बढ़ा सकता है. कुछ अलगाव हो सकता है जो मुद्दों का कारण बन सकता है इसलिए व्यर्थ के असंतोष से बचें. 

तुला राशि के लिए राहु गोचर

छठे भाव में राहु का होना किसी भी मुश्किल या परेशानी से बचाव के लिए अच्छा माना गया है. ऐसा नहीं है कि आप बीमारियों, ऋण समस्याओं, या शत्रुओं का सामना नहीं करेंगे लेकिन इनसे निचात भी पाने में सफल होंगे. घटनाओं के होने की अभी भी संभावना बनी हुई है, लेकिन राहु आपको उन सभी पर काबू पाने और आगे बढ़ने में मदद करने वाला होगा. किसी भी चीज से भयभीत नहीं होने देगा. साहस मिलेगा. जीवन में आगे बढ़ेंगे, व्यक्तित्व विकसित होगा और खुद को उस तरह के व्यक्ति के रूप में पहचानने में सक्षम होंगे जैसा बनना चाहते हैं.

जीवनसाथी के साथ किसी भी तरह के वाद-विवाद से बचना होगा. हो सके तो आपसी सहमति का रास्ता अपनाएं, या किसी अनुभवी व्यक्ति अथवा किसी बड़े से मार्गदर्शन लें. स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है. याद रखें कि इस अवधि के दौरान व्यवसाय में उतार-चढ़ाव का अनुभव होगा इसलिए धैर्य से काम लेना ही सफलता को दिलाने वाला बनेगा. कोर्ट कचहरी और कचहरी से जुड़े मामलों में आपको सफलता मिलेगी.

वृश्चिक राशि के लिए राहु गोचर

राहु का गोचर पंचम भाव पर होगा. बौद्धिकता में बदलाव का समय होगा. कई तरह की योजनाएं और विचार मिलेंगे. बुद्धि आगे बढ़ेगी. राहु का विचारों पर पूर्ण प्रभाव होने के कारण चिंताएं होंगी तो इसके अलावा कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेंगे और निर्णय लेने की आपकी क्षमता तेज होगी. माता-पिता के लिए इस समय बच्चों पर ध्यान देने का समय होगा क्योंकि वे बुरी संगत में पड़ सकते हैं और परिणामस्वरूप गलत कार्य कर सकते हैं, इसलिए उनके लिए सावधान रहना जरुरी होगा.

प्रेम संबंध इस समय बहुत अच्छे न भी रहें लेकिन एक से अधिक वृद्धि के संकेत तो मिलेंगे. प्रेम प्रसंगों में बदलाव और रोमांच का समय होगा तथा कुछ मामलों में संबंध प्रगाढ़ होंगे. छात्रों को जीवन में कुछ कठिनाइयां और समस्याएं आ सकती हैं, क्योंकि एकाग्रता अभी कई दिशाओं में लगी होगी. दिमाग तेज होगा और जो एक बार पढ़ चुके होंगे उसे याद रख पाने में भी सफल होंगे बस अभी लक्ष्य निर्धारित करने में मुश्किल होगी. 

धनु राशि के लिए राहु गोचर

धनु राशि के लिए चतुर्थ भाव में राहु का होना काफी अधिक संभल कर काम करने का संकेत देता है. इस दौरान जीवन में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं जिसके कारण चिंता एवं थकान असर डालेगी. पारिवारिक संबंध बिगड़ने के कारण घर से दूरी बना सकते हैं. इस समय पारिवारिक जीवन में शांति लाने के लिए आपको काफ़ी मेहनत करनी पड़ सकती है. चीजें कुछ उथल-पुथल वाली हो सकती है.

चुपचाप, धैर्यपूर्वक काम करना चाहिए और सबसे जटिल स्थितियों को भी समझने और समझाने का प्रयास करना चाहिए. इस दौरान अलगाव की स्थितियां भी बन सकती हैं. माता के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव आ सकता है. इस दौरान घर खरीदारी के साथ ही वाहन आभूषण वस्त्र इत्यादि की खरीद फरोख्त का सिलसिला जारी रह सकता है. 

मकर राशि के लिए राहु गोचर

राहु इस समय तीसरे भाव में प्रवेश करेगा और साहस, उत्साह, आत्मविश्वास, संचार को प्रभावित करने वाला होगा. अधिकांश समय तक चीजें आपके पक्ष में काम करने वाली होंगी. साहस, पराक्रम, शक्ति, जोखिम लेने की क्षमता, अपने विरोधियों पर एक मजबूत पकड़ आदि जैसे गुण जीवन में उभरेंगे. जो कुछ करने के लिए तैयार हैं उसमें सफल होंगे.

राहु योजनाओं को बढ़ाने के लिए मार्ग बनाएगा. भाई-बहन मदद का सहयोग दे सकते हैं, लेकिन उन्हें भी परेशानी हो सकती है जो विवाद या स्वास्थ्य इत्यादि के रुप में सामने आ सकती है. छोटी दूरी की यात्राओं पर जाने का अवसर मिल सकता है. अधिक व्यस्त और हड़बड़ी भी अधिक रहने वाली है. कार्यस्थल पर सहयोग के लिए सहकर्मियों पर भरोसा करने और उनका साथ पाने का भी समय होगा. 

कुंभ राशि के लिए राहु गोचर 

कुंभ राशि के लिए इस समय में राहु दूसरे भाव में विराजमान होगा. ऎसे में आर्थिक मामलों में अच्छे संकेत देख पाएंगे. लेकिन परिवार से दूरी हो सकती है किसी कारण से घर से दूर जाना पड़ सकता है अथवा मानसिक रुप से परिवार में चिंता एवं द्वेष असर डाल सकता है. वाणी में कठोरता हो सकती है एवं चालाकी भ्रम भी अपनी बातों से अपना प्रभाव डाल सकते हैं.

लोगों से जितने दूर होते जाते हैं, आप धन के उतने ही करीब होते जाएंगे. इसलिए सावधानी से सौहार्दपूर्ण समझौते पर पहुंचने का प्रयास करना चाहिए अन्यथा अपने परिवार से कटा हुआ महसूस करने लगेंगे. स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के प्रति सचेत रहना होगा तथा आहार या खान-पान भी संतुलित रहना होगा. 

मीन राशि के लिए राहु गोचर

राहु का गोचर मीन राशि पर ही होगा तो इस गोचर के दौरान मंगल मीन राशि के लिए खुद के अस्तित्व, प्रकृति और व्यक्तित्व पर राहु का असर पड़ने वाला है. स्वभाव में तेज़ मिज़ाज और आक्रामकता देखने को मिल सकती है. व्यक्तिगत अथवा पारिवारिक संबंधों में कुछ उतार-चढ़ाव भी बने रह सकते हैं.

वाणी और व्यवहार में तल्खी की वजह से रिश्ते खराब हो सकते हैं. धनार्जन और निरंतर प्रगति के मामले में संबंध और वित्त का अच्छा लाभ देख सकते हैं. खान पान में लापरवाही से बचना होगा तथा गलत चीजों के पीछे न पड़ना ही उचित होगा. आध्यात्मिक पक्ष मजबूत रहने वाला है. 

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वैदिक ज्योतिष में शुक्र जब अन्य ग्रहों के साथ होता है तो क्यों निर्बल होता है या बली

शुक्र को एक चमकते तारे के रुप में हम सभी जानते हैं. इसकी चमक इतनी है की यह भोर के तारे के रुप में भी जाना जाता है. शुक्र को एक शुभ एवं आकर्षण से युक्त ग्रह माना गया है. शुक्र को प्रेम और भावनाओं का ग्रह भी माना गया है. भावनाओं एवं प्रेम का स्वामी आपको खाली हाथ नहीं छोड़ सकता और जब यह कुंडली में अच्छी स्थिति में हो तब तो जीवन में हर प्रकार की भौतिक सुख सुविधाएं व्यक्ति को प्राप्त होती हैं.

शुक्र ग्रह को ज्योतिष में प्रेम जीवन, रोमांस, मनोरंजन, संगीत और नृत्य से जोड़ा गया है. कुंडली में शुक्र जीवन में अंतरंगता, यौन सुख और विलासितापूर्ण सुख-सुविधाओं का आंकलन करता है. यदि शुक्र एक अशुभ ग्रह से जुड़ा है या यह कमजोर है, तो शारीरिक आकर्षण की कमी हो सकती है या असफल वैवाहिक जीवन हो सकता है. इसके अलावा, शुक्र ग्रह  शुभ हो तो फिर क्या कहने जीवन का आकर्षण अलग ही रुप में देखने को मिलता है. 

शुक्र ग्रह की विशेषता अन्य ग्रहों से कैसे होती है प्रभावित 

शुक्र का संबंध सभी ग्रहों के साथ कुछ भिन्नता लिए होता है. यदि शुक्र के साथ शनि का संबंध होना या फिर बुध के साथ संबंध होना एक सकारात्मक लक्षण को दर्शाता है यह शुभ रुप से काम करने वाला योग होता है. वहीं शत्रुता की स्थिति की बात करें तो शुक्र का सूर्य के साथ होना, चंद्रमा के साथ होना या केतु के साथ होना राहु के साथ होना नकारात्मक रुप से अपना असर दिखाता है. इसके अलावा सम रुप से शुक्र का असर बृहस्पति और मंगल के साथ बना रहता है. इस प्रकार शुक्र जब अकेला नहीं होता है और ग्रहों के साथ युति योग दृष्टि योग या अन्य प्रकार से संबंध बनाता है तब शुभ और अशुभ फल ग्रहों के प्रभाव स्वरुप व्यक्ति को प्राप्त होते हैं. 

यदि शुक्र अपने मित्रों जैसे शनि या बुध के साथ स्थित है, तो यह आपको एक रोमाम्चक, उत्सुकता पूर्ण,  रोमांटिक और सामंजस्यपूर्ण संबंध का आशीर्वाद दे सकता है. अपने प्रियजन के साथ-साथ अपने बच्चों के साथ भी अच्छा समय बिता सकते हैं. वहीं, अगर प्रेम के देवता अपने शत्रुओं, सूर्य या चंद्रमा के साथ हैं तो चीजें समान नहीं रह सकती हैं. आइए इसके मित्रों और शत्रुओं के ग्रहों के साथ इसके संबंध के बारे में समझने की कोशिश करें :- 

शुक्र का सूर्य से प्रभावित होना 

शुक्र का असर जल तत्व युक्त, भावनाओं की कोमलता से होता है. यहां जब वह अग्नि तत्व युक्त सूर्य के साथ होता है तब स्थितियां काफी विरोधाभास में दिखाई दे सकती हैं. सूर्य की कठोरता का असर प्रेम के इस ग्रह पर भी पड़ता है. सूर्य के साथ होने पर यह अपना असर जीवन में मिश्रित परिणाम से देने वाला होता है. सरल स्वभाव और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी हो सकते हैं. लेकिन, आपके अपने क़रीबी लोगों के साथ अहम को लेकर टकराव होने की संभावना भी रहती है. इस योग में सूर्य यदि अधिक बली है तब शुक्र के फल मिलने में बाधा आती है. शुक्र की कोमलता आकर्षण प्रेम एवं लगाव जैसी चीजों की कमी का असर जीवन को प्रभावित करने वाला होता है. इन दोनों ग्रहों का साथ होना यौन संबंधों की कमी के साथ संतान प्राप्ति में परेशानी भी दे सकता है. 

शुक्र का चंद्रमा से प्रभावित होना 

शुक्र की भावनतमक उर्जा जब मानसिकता से मिलती है तो यह विस्तार को पाती है. चंद्रमा के साथ शुक्र का होना प्रेम ओर कोमलता को पाने में संभव होता है लेकिन इच्छाओं की अधिकता को रोक पाना मुश्किल होता है. यह दोनों ग्रह काफी शुभ ग्रहों के रुप में जाने जाते हैं दोनों की प्रवृत्ति में शीतलता का गुण भी होता है. नमी एवं जल से संबंधित होते हैं. ऎसे में व्यक्ति के भीतर इनका असर भावनाओं के उतार-चढ़ाव के रुप में भी देखने को मिलता है. सौहार्दपूर्ण माहौल को बढ़ाने में मदद करने वाला योग भी है यह. साथ ही जीवन में रोमांस और प्यार की कमी नहीं रहने देता है, लेकिन अतृप्त इच्छाओं के कारण लगातार बदलाव एवं दौड़ लगी रह सकती है. कुंडली में यह योग है उन्हें अपने शब्दों पर संयम रखने की बात को दर्शाता है क्योंकि अपनी भावनाओं पर कंट्रोल कर पाना इस युति योग में मुश्किल दिखाई देता है. व्यर्थ की इच्छाओं को छोड़ना उचित होता है अन्यथा कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है.

शुक्र का शनि से प्रभावित होना 

शुक्र का संबंध जब शनि के साथ बनता है तो यहां ऊर्जाएं आपसे में टकराती हैं क्योंकि एक में नमी है तो दूसरे में शुष्कता का भाव है. यह रिश्तों में विवाह रोमांस की कमी या देरी को दर्शाने वाला हो सकता है. वैसे दोनों ग्रह एक-दूसरे के मित्र हैं, लेकिन यह युति ज्यादा मदद नहीं करती है क्योंकि गुण एवं प्रकृति में काफी भेद होता है. दोनों आपके जीवन में खुशियां और प्यार फैलाने में मदद करते हैं लेकिन इसमें वृद्धि के संकेत कम ही देता है. 

शुक्र का बुध से प्रभावित होना 

शुक्र का योग जब बुध के संपर्क में होता है तो यह उत्साह के साथ उतावलापन देने वाला हो सकता है. व्यक्ति अति आत्मविश्वासी और अहंकारी भी हो सकता है. बुद्धिमान और नई चीजों को बेहतर रुप से कर पाने में कुशलता प्रदान करता है. मौखिक और गैर-मौखिक संचार में सुधार देता है. लोगों के मध्य प्रसिद्धि दिलाने वाला होता है. कुछ कलात्मक गुण व्यक्ति के भीतर काफी बेहतर होते हैं. 

शुक्र का गुरु से प्रभावित होना 

शुक्र और बृहस्पति का एक साथ होना काफी विशेष बन जाता है क्योंकि दोनों एक समान रुप से शुभ ग्रह हैं और दोनों ही ज्ञान को प्रदान करने वाले भी हैं. इसका असर उदारता और सद्भाव का गुण व्यक्ति में प्रदान करने वाला होता है. यह व्यक्ति को बौद्धिकता के साथ नवीनता के प्रति सजग बनाता है. आरामदायक और शानदार जीवन प्रदान करता है. शुक्र-बृहस्पति की युति आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत करने के निर्देश देने वाली होती है. 

शुक्र का मंगल से प्रभावित होना 

शुक्र के साथ मंगल का संपर्क कुछ रोमाम्चकारी और कामुकता का असर दिखाने वाला गुण इंगित करता है. यहां भावनाएं प्रेम को लेकर अधिक व्याकुल दिखाई दे सकती हैं. प्रेमी होंगे तो भावनात्मक रुप से कामुकता में भी परिपूर्ण होंगे. यौन संबंधों का आकर्षण भी विशेष होगा. मंगल की आक्रामकता रिश्तों में भटकाव देने वाली बन जाती है इसलिए जरूरी है की रिश्ते में बहुत अधिक मांग से बचा जाए. हिंसा या शारीरिक शोषण में लिप्त होने का संकेत भी इस योग में देखने को मिल सकता है. 

शुक्र का केतु से प्रभावित होना  

शुक्र का केतु के साथ होना संतोषजनक नहीं रह पाता है. इसका मुख्य कारन इन दोनों ग्रहों के गुण हैं. एक प्रेम का ग्रह है तो दूसरा विरक्ति का. ऎसे में जब दोनों एक साथ होते हैं तो चीजें एक दूसरे को पीछे धकेलती दिखाई दे सकती है. व्यक्ति अपने रिश्ते के लक्ष्यों को पूरा कर पाने में बहुत अधिक सफल नहीं रह पाता है. 

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मेष राशि में चंद्रमा के साथ राहु का गोचर

गोचर में जब ग्रहों के भ्रमण की स्थिति बनती है तब ग्रहों का योग अन्य ग्रहों के साथ अवश्य बनता है. इस योग में सभी ग्रह युति अनुसार अपना प्रभाव भी देते हैं. कुछ युति योग गोचर में अच्छे होते हैं तो कुछ खराब. इसी संदर्भ में चंद्रमा के साथ राहु के गोचर का युति योग जब बनता है तो यह समय अत्यधिक संवेदनशील और मानसिक उथल पुथल को दिखाने वाला होता है. अब इस समय पर जब भी यह योग जिस भी राशि में बनता है उसका भी असर इसकी शक्ति को कम या ज्यादा कर सकता है. इसी क्रम में मेष राशि में इन दोनों ग्रहों का गोचर बेहद अहम हो जाता है. 

मेष राशि में चंद्रमा और राहु युति गोचर फल 

मेष राशि के लिए – मेष राशि में ही यह गोचर होने से स्वभाव में क्रोध की अधिकता एवं आक्रामकता का भाव अधिक बना रह सकता है. स्वभाव में बदलाव के कारण कुछ भावनात्मक रुप से अनियंत्रण स्थितियों को अनुभव कर सकते हैं. अपने काम में धैर्य का अभाव भी रह सकता है. बेचैनी के चलते सेहत पर असर पड़ सकता है. इस समय के दौरान वाहन इत्यादि का संभल कर उपयोग करने की सलाह दी जाती है. काम में जितना शांत होकर आगे बढ़ेंगे उतना बेहतर होगा. 

वृष राशि के लिए – वृष राशि के लिए चंद्रमा के साथ राहु का गोचर बारहवें भाव होगा. इस सय के दौरान पर विदेशी क्षेत्र से जुड़े कामों के लिए समय अधिक अनुकूल रह सकता है. अचानक से खर्चों की अधिकता भी इस समय पर होगी. स्वास्थ्य के लिहाज से समय कमजोर रह सकता है. इस समय के दोरान बेचैनी तथा नींद की कमी के कारण परेशानी का अनुभव हो सकता है. अचानक से किसी यात्रा पर जाने का संकेत भी इस समय पर मिल सकता है. कुछ बाहरी लोगों के हस्तक्षेप की स्थिति अधिक रह सकती है. इस समय खान-पान को लेकर लापरवाही से बचना उचित होगा. 

मिथुन राशि के लिए – मिथुन राशि वालों के लिए राहु के साथ चंद्रमा का योग लाभ स्थान पर होगा. यहाम इच्छाएं भी बढ़ सकती हैं. किसी काम को करने की उत्कंठा अधिक बढ़ सकती है. प्रेम संबंधों को लेकर कुछ तनाव हो सकता है. वरिष्ठ लोगों के साथ काम करने में कुछ दबाव अधिक रहने वाला है. दिशा निर्देश कठोर रह सकते हैं. अपने आप को अभिव्यक्त करने में समय लगेगा. अपनी बातचित को लेकर सजग रहने की आवश्यकता होगी अन्यथा व्यर्थ के विवाद बढ़ सकते हैं. किसी पुराने काम से अभी कुछ लाभ प्राप्ति हो सकति है. चंद्र के साथ छाया ग्रह है, इसके कारण आप वास्तविकता की धारणा का आनंद ले सकते हैं कुछ नई चीजों को जान पाएंगे. 

कर्क राशि के लिए – कर्क राशि वालों के लिए यह गोचर दशम भाव पर होगा. राहु और चंद्र की युति के प्रभाव आपको या तो अचानक भावुक कर सकता है या क्रोध और आक्रोश में भर सकता है. इसका असर काम पर भी होगा. कार्यक्षेत्र में अवसर भी अचानक से सामने होंगे. परिवार को लेकर चिंता अधिक रह सकती है. काम और परिवार दोनों ओर की जिम्मेदारियों को पूरा कर पाना मुश्किल रह सकता है. कुछ चीजों में तेजी से निर्णय लेने से बचना उचित होगा. जो काम किया जाए उसके हर पहलु पर विचार करके आगे बढ़ना ही बेहतर परिणाम देने वाला होगा. आकस्मिक यात्रा एवं किसी से मुलाकात का अवसर होगा. विचारों में तेजी बनी रहने वाली है इसलिए बहुत अधिक सोच विचार से खुद को बचाएं और अपने काम पर अधिक एकाग्रता बनाना अनुकूल होगा.

सिंह राशि के लिए – सिंह राशि वालों के लिए नवम भाव पर राहु के साथ चंद्रमा का गोचर होने से आध्यात्मिक रुप से आगे बढ़ने का समय होगा. कुछ धार्मिक गतिविधियों में शामिल हो पाएंगे. अपने पुराने कार्यों को बेहतर रुप से करने की कोशिश रहने वाली है. इस समय पर पिता को लेकर थोड़ी चिंता रह सकती है, या किसी वरिष्ठ का संपर्क कुछ मार्गदर्शन देने वाला होगा. इस समय सामाजिक रुप से कुछ कामों की अगुवाई भी कर सकते हैं. अपने भाई बंधुओं के साथ यात्रा पर जाने का समय भी बनता है.काम के क्षेत्र में इस समय नीतियों को दूसरों के समक्ष जल्द से खोलना उचित नही होगा. स्वास्थ्य के संदर्भ में अपनों के लिए चिंता रह सकती है. पारंपरिक कार्यों से अलग कुछ नई चीजों में शामिल हो सकते हैं. 

कन्या राशि के लिए – कन्या राशि वालों के लिए इस समय आठवें भाव में चंद्रमा के साथ राहु की युति गोचर का असर संभल कर काम करने की ओर इशारा देता है. अभी के समय काम में आलस्य का परिचय भी दे सकते हैं. कुछ व्यर्थ की चिंताएं परेशान कर सकती है. मन में पुरानी बातों का प्रभाव भी अधिक रहने वाला है. इस समय आध्यात्मिक रुप से काफी अच्छा अनुभव मिलेगा. धार्मिक पक्ष मजबूत रहेगा तथा किसी मांगलिक कार्य में भागीदारी का अवसर भी प्राप्त होगा. इस समय जरुरी है की बाधाओं और अटकावों से डरें नहीं क्योंकि जल्द ही इनसे राहत मिलेगी. अपने स्वभाव में क्रोध से बचें तथा स्वास्थ्य को लेकर सजग रहना जरुरी होगा. 

तुला राशि के लिए – तुला राशि के लिए सातवें भाव में चंद्रमा के साथ राहु का युति गोचर का असर स्वभाव में कठोरता को देने वाला होगा. गलत चीजों का आकर्षण भी अधिक रहने वाला है. कार्यों में अटकाव और बाधाओं को दूर करने के लिए आगे रहेंगे. रोमांस को लेकर रिश्तों की उधेड़बुन भी अब अधिक रह सकती है. वैवाहिक जीवन पर मनमुटाव के कारण थोड़ा समय चिंता अधिक रह सकती है. स्वभाव से कुछ ज्यादा ही स्मार्ट हो सकते हैं, लेकिन दूसरी ओर, दिखावे या झूठे वक्ता भी बन सकते हैं. 

वृश्चिक राशि के लिए – छठे भाव में राहु के साथ चंद्रमा का असर भागदौड़ की अधिकता दे सकता है. इस समय के दौरान स्वास्थ्य को लेकर परेशानी भी अधिक रह सकती है.अपने काम को आसानी से करने के लिए सक्षम हो सकते हैं. लोगों को अपने अनुसार ढाल लेने में कुशलता मिलेगी. इस समय जरुरी है कि आप अधिक क्रोध से तथा विवाद इत्यादि से खुद को दूर रखें. आप न केवल परिस्थितियों के अनुसार अपने व्यवहार और जवाबों से दूसरों को झुका सकते हैं बस थोड़ा नम्र बनें बाकि मुसीबत में होने पर कूटनीतिक पक्ष आपके लिए अच्छा काम करने वाला होगा. 

धनु राशि के लिए – चंद्रमा के साथ राहु का युति गोचर जीवन में अनेक प्रभावों के लिए जिम्मेदार बन सकता है. एक शानदार और आधुनिक जीवन शैली की ओर एक मजबूत झुकाव महसूस करने वाले होंगे. दोस्तों के साथ मौज मस्ती का समय मिलेगा. इस समय पैसों को अधिक खर्च कर सकते हैं. भौतिकवादी चीजों की ओर दिमाग रखना थोड़ा शिक्षा को लेकर एकाग्रता की कमी अभी रह सकती है. इस बात की प्रबल संभावना है कि इस समय कल्पनाओं में अधिक रहने वाले हैं. इस समय शेयर मार्किट में अचानक से लाभ का समय होगा. चतुर व्यक्तित्व काम आएगा और करियर को आगे बढ़ाने के लिए रचनात्मक पृष्ठभूमि पर दृढ़ता से आगे बढ़ पाएंगे.

मकर राशि के लिए – चंद्रमा की युति राहु के साथ गोचर होने पर मन चंचल और बेचैन रह सकता है. माता – पिता की ओर से कठोर अनुशासन भी देखने को मिलेगा. कुछ नकारात्मक विचारों में रहना और काम व स्वभाव में गोपनीयता रखना अभी जरुरी होगा. घर में कुछ चेंज हो सकते हैं. किसी के कारण आपसी मतभेद उभर सकते हैं इसलिए स्वभाव में नम्रता बनाने की आवश्यकता होगी. सेहत को लेकर परेशानी रह सकती है इसलिए लापरवाही से बचें और खान-पान का ध्यान रखें. 

कुंभ राशि के लिए – तीसरे भाव में राहु चंद्र का युति गोचर परिश्रम का अवसर देगा और उत्साह को बढ़ाने वाला होगा. आकर्षक व्यक्तित्व के अधिकारी होंगे. स्मार्ट रुप से काम करेंगे. वाणी में मधुरता होगी लेकिन चालाकी से काम निकलवाने की योग्यता भी होगी. इस समय उन चीज़ों के बारे में शेखी बघारना पसंद करेंगे जो आपके पास हैं पैसे से लेकर संपत्ति तक अच्छे अवसर मिलेंगे. भाई बहनों के साथ कुछ अनबन हो सकती है. 

मीन राशि के लिए – मीन राशि के लिए चंद्र के साथ राहु का गोचर दूसरे भाव में होना आर्थिक लाभ में वृद्धि को देने वाला होगा. द्वितीय भाव में चंद्रमा और राहु की युति गोचर का असर चालाकी देने वाला भी होगा. किसी को अपनी बातों में बांध लेना आपके लिए आसान होगा. इस प्रकार, स्वभाव से कुछ कूटनीतियों को दिखाने वाला भी होगा. धोखेबाजी से बचें और गुप्त रुप से काम करने की कोशिश करें. परिवार में कुछ असंतोष हो सकता है लेकिन स्थिति नियंत्रण में होगी. गले, आंखों से संबंधित रोग उभर सकते हैं. 

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भरणी नक्षत्र का प्रत्येक ग्रहों पर असर

 राशि चक्र में 13° 20 मेष – 25° 40 डिग्री मेष में भरणी नक्षत्र का स्थान समाहित होता है.  भरणी नक्षत्र मंगल मेष राशि के अंतर्गत आता है और शुक्र द्वारा प्रभावित होता है. भरणी का प्रभाव भरण से संबंधित होता है. यह एक प्रकार से संयम का तारा भी माना जाता है. भरणी का अर्थ  कड़ी मेहनत और अनुशासन की आवश्यकता को इंगित करता है. तो भरणी नक्षत्र मेष राशि के गुण को दर्शाता है जो अनुशासित, नियंत्रित, उत्साही और ऊर्जावान स्थिति के लिए विशेष है. इस नक्षत्र को मानवता का बोझ उठाने की क्षमता को दर्शाने वाला भी माना गया है. 

भरणी के देवता यम, मृत्यु के देवता हैं. यम का अर्थ है नियंत्रण योगिक अभ्यास जैसे श्वास नियंत्रण, हठ योग और ध्यान को पाने के लिए इस यम को ही साधना होता है. यम आत्मा को समझाने वाले हैं जहां वर्तमान जीवन से अपने कर्म के परिणाम का अनुभव करता है और आने वाले जीवन की तैयारी का भी समय होता है. यम अनुशासन और त्याग के देवता हैं. भरणी में चंद्रमा सच्चाई, आत्म-बलिदान, अशुद्धियों को दूर करने, रचनात्मक और धार्मिक दृष्टिकोण के बारे में है. जिन क्षेत्रों में वे काम करते हैं, उनमें रोमांच की प्रबल भावना होती है.

भरणी में सूर्य

भरणी में सूर्य की स्थिति का होना काफी विशेष होता है. इस का प्रभाव बेहद विलक्षण होता है. इस में मौजूद सूर्य का असर कई तरह से दिखाई देता है. जो उर्जा एवं शक्ति के स्वरुप में दिखाई देता है. यहां का असर व्यक्ति को बेहद अच्छी क्षमताएं देने वाला होता है. सूर्य मेष राशि में उच्च के होते हैं इस स्थिति में वह यहां अधिक प्रकाशवान होने के साथ साथ काफी उर्जावान भी होते हैं. इसका प्रभाव बौद्धिकता का गुण प्रदान करने वाला होता है. नेतृत्व का गुण भी प्राप्त होता है.

अधिकार, उग्रवादी स्वभाव और शक्ति संपन्न होने की स्थिति भी यहां अधिक दिखाई दे सकती है. व्यवहार कुशलता का गुण होगा. रचनात्मक हो सकते हैं. यहां परेशानी क्रोध और अभिमान से ही उत्पन्न हो सकती है ऎसे में इस स्थिति पर नियंत्रण रखते हुए काम करना यश, नाम और समृद्धि दिलाने में अत्यंत सहायक होता है. 

भरणी में चंद्रमा

भरणी में चंद्रमा का प्रभाव व्यक्तित्व में आकर्षण को भर देने वाला होता है. भनात्मक रुप से काफी लगाव रखने की प्रवृत्ति भी होती है. आकर्षक, करिश्माई और नेतृत्व करने का गुण भी इन्हें प्राप्त होता है. चंद्रमा की कोमलता यहां कुछ कठोर हो सकती है लेकिन उसका आकर्षण बहुत अधिक होता है. यह प्रेम एवं उन्मुक्त इच्छाओं की दर्शाने वाला है. जीवन में आगे बढ़ने और नई चीजों को जन्म देने की चाह भी इसमें देखने को मिलती है. भौतिक सुख सुविधाओं की चाह भी होती है.

कर्तव्यपरायण इसके विशेष गुण के रुप में भी मिलती है. अपने काम को करने में चतुर, खोजी मन के साथ नवीनताओं के साथ जुड़ सकते हैं, आरोग्य का लाभ भी प्राप्त होता है. कुछ गुप्त एवं तांत्रिक विद्या में रुचि रखने का गुण भी इसके द्वारा प्राप्त हो सकता है. उच्च प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़ना एवं अपनी अभिव्यक्ति में उत्कृष्ठ होना. 

भरणी में मंगल

मंगल की स्थिति भरणी में होने पर यह गजब की प्रवृत्ति को दर्शाने वाली होती है. भरणी में मौजूद उत्साह मंगल के साथ मिलकर अधिक बढ़ सकता है. जोश के साथ साथ जुनून भी प्राप्त होता है.  भावनात्मक रुप से भावुक होना भी अधिक असर डालने वाला होता है, आक्रामक और तीव्र यौन इच्छा भी प्राप्त होती है. काम करने में जो शुरुआती उत्साह होता है वह अंत तक बना रह पाए ऎसा कुछ मुश्किल दिखाई दे सकता है.

फैशन, डिजाइन, सौंदर्य और होटल प्रबंधन, सेना जैसे कार्यों में शामिल होने का मौका भी प्राप्त होता है. व्यक्ति में भ्रमण एवं नई चीजों से  जुड़ने का शौक आर्थिक क्षेत्र में भी लाभ दिलाने वाला हो सकता है. क्रोध के कारण गलत मार्ग एवं गलत कार्यों को करने से बचने की कोशिश अधिक करनी पड़ती है. 

भरणी में बुध 

भरणी में बुध की स्थिति व्यक्ति को मस्तमौला बनाने वाली होती है. अपनी कार्यशैली में बुध का भरणी में होना काफी रचनात्मकता से जुड़ने में सहायक बनता है. ऊर्जावान और भावुक तरीके से व्यत्कि अपनी बात एवं तथ्य को रखने वाले हो सकते हैं.

किसी चीज में इस प्रभाव के द्वारा अच्छी विशेषज्ञता प्राप्त हो सकती है. दूसरों को सलाह देने एवं मार्गदर्शक के रुप में भी ये सकारात्मक असर दिखाने वाला होता है. प्रेम के मामले में रोमांच के साथ साथ रोमांस को भी पाने की इच्छा अधिक मजबूत होती है. यह प्रभाव व्यक्ति को सलाहकार, मैचमेकर, लेखक, कॉमेडियन और अभिनेता भी बना सकता है. 

शुक्र भरणी में

भरण में शुक्र की स्थिति बहुत अच्छी मानी जाती है. इसका प्रभाव व्यक्ति को आकर्षक व्यक्तित्व प्रदान करने वाला होता है. शुभता का प्रभाव भी मिलता है. लोगों के मध्य स्थान प्राप्त होता है. भौतिक सुख सुविधाएं मिलती हैं.

व्यक्ति में इसके प्रभाव द्बारा कामुकता और तीव्र यौन इच्छा की भावना भी होती है. सौम्दर्य, फैशन, डिजाइन और खान-पान को लेकर इनका आकर्षण भी अधिक होता है. इन चीजों से जुड़ कर अच्छे लाभ भी प्राप्त करने में सक्षम होते हैं. 

भरणी में शनि

भरणी में शनि का प्रभाव कुछ कमजोर दिखाई दे सकता है. शनि ठंडा ग्रह है और भरणी गर्म नक्षत्र है, ऎसे में यहां खिंचतान की स्थिति भी अपना असर डालने वाली होती है. परिश्रम एवं कठोर कर्म करना आसान नहीं होता है.

व्यक्ति अच्छा प्रदर्शन करने में असफल भी हो सकता है. यह व्यक्ति को करियर के मामलों में निराश देने जैसी स्थिति भी हो सकती है. अनुशासन, संघर्ष व्यक्तित्व निर्माण, में इसकी अच्छी भूमिका देखने को मिल सकती है. 

भरणी में राहु
भरणी में राहु पालन-पोषण और देखभाल करता है. इसका प्रभाव व्यक्ति के भीतर खोज करने की प्रवृत्ति भी देता है. कई तरह की संगती में व्यक्ति आसानी से ढल सकता है. शक्ति का जैसे चाहे उपयोग करने की क्षमता रखता है.

भरणी में केतु
भरण में केतु का होना रहस्यात्मक गुढ़ तथ्यों की जानकारी पाने के लिए अच्छा संकेत बनता है. केतु छिपा हुआ और अलग ग्रह है. भरणी में केतु का प्रभाव कामुक गतिविधियों से दुर रखने वाला भी होता है. यह आध्यात्मिक पक्ष पर अधिक असर डालता है.

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