बुध का अन्य ग्रहों से संबंध क्यों है विशेष

बुध का कुंडली में अस्थित्व जीवन के उन पहलुओं से होता है जो हमें सामाजिक रुप से एवं विश्लेषणात्मक रुप से महत्वपूर्ण बनाते हैं बुध के मित्र ग्रहों में सूर्य और शुक्र का स्थान विशेष रुप से आता है. इसके अलावा शनि, मंगल और बृहस्पति के साथ सम स्थिति होती है और शत्रुता का भाव चंद्रमा के साथ दिखाई देता है. बुध के अन्य ग्रहों से सम्बन्धों के सम्बन्ध में यह स्पष्ट देखा जाता है कि बुध के शत्रु से अधिक उसके मित्र हैं. और अब, आपके लिए यह समझना आसान होगा कि क्या होता है जब बुध अन्य ग्रहों के साथ एक हो जाता है. ऎसे में बुध की कुंडली में स्थिति कई बातों के द्वारा हमारे लिए विशेष बन जाती है. 

बुध और सूर्य की युति

बुध की अपने मित्र ग्रह सूर्य के साथ युति से बुधादित्य योग बनाता है.  बुध और सूर्य का संबंध ज्ञान ओर अनुसंधान के क्षेत्र में प्रगति का होता है. यह दोनों ग्रहों की युति आपको व्यक्ति को विश्लेषणात्मक कौशल और बुद्धिमत्ता जैसी अच्छी विशेषताओं को देने वाली होती है. बुध का सूर्य के साथ योग व्यक्तित्व विकसित करने में मदद करता है. बुध के भीतर जो कल्पनात्मकता है उसे बेहतर क्षमता सूर्य के योग द्वारा प्राप्त होती है. इस योग में व्यक्ति विचारशील और मान सम्मान को पाने में सक्षम होता है. 

बुध और शुक्र की युति

बुध के साथ शुक्र का संबंध काफी अनुकूल माना गया है. यह दोनों के एक अच्छे रिश्ते की अवधारणा भी दिखाते हैं लेकिन इसमें भटकाव भी होता है. यहां दोनों ही कोमल ग्रह हैं ओर भावनात्मक होकर बौद्धिक तर्क क्षमता को अधिक स्थान नहीं देना चाहेंगे. जब सौंदर्य के साथ बुद्धि का योग होता है तो इसका असर दूर से ही दिखाई देने लगता है. यह एक शुभ सकारात्मक उर्जाओं का संगम भी होता है. शुक्र और बुध का मिलन कुंडली में जिस भी भाव स्थान पर बनता है वहां उन गुणों में रचनात्मकता को भी शामिल कर देने वाला होता है.  इस युति में व्यक्ति को अपने मौखिक और गैर-मौखिक संचार कौशल को तेज करने में मदद मिलती है. व्यक्ति विज्ञान या गणित विषयों में रुचि ले सकते हैं और साथ में कलात्मक क्षेत्र में अपने साथ को सभी के मध्य स्थापित करने में सक्षम होता है. आर्थिक स्थिति भी अनुकूल रहती है. 

बुध और शनि की युति

बुध के साथ शनि का यह बौद्धिकता के साथ साथ ज्ञान का वो अनुभव देता है जिसके आधार पर व्यवहारिक गुणों का आगमन होता है. एक ही घर में बुध और शनि की युति का प्रभाव होने पर व्यक्ति नियमों एवं ज्ञान को बेहतर रुप से तर्क संगता के साथ दूसरों तक पहुंचा पाने में सक्षम होता है. व्यवसायी या वकील बनने का गुण भी इन युति योग में काफी असर दिखाने वाली होती है. स्वास्थ्य की दृष्टि से वायु विकार अधिक परेशानी दे सकते हैं. व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. यह योग व्यक्ति को तटस्थ गुण भी देता है. व्यक्ति भावनात्मक रुप से अपने आप को नियंत्रित रखना जानता है. इन ग्रहों की यह युति संतान के सुख में बाधा कारक भी मानी जाती है विशेष रुप से जब यह योग पंचम, सप्तम भाव में बनता हो तब. 

बुध और मंगल की युति

बुध और मंगल का एक साथ होना सकारात्मकता में कमी को दर्शाता है. लेकिन इसके बावजूद इस योग के प्रभाव स्वरुप व्यक्ति तर्क संगत एवं चतुराई से काम करने वाला बनता है. बुध की कोमलता को मंगल अपने साहस से भर देने वाला होता है. इसके कारण व्यक्ति में बहादुरी का गुण होता है. वह ऊर्जावान होकर काम करता है. जल्दबाजी एवं लापरवाही भी होती है. गंभीर बातचीत करते समय व्यक्ति काफी सजग भी होता है. व्यक्ति अपनी बात एवं अपने तर्क को साबित करने के लिए तर्क-वितर्क में लिप्त हो सकता है. करियर में अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है. स्वास्थ्य में त्वचा से संबंधी रोग अधिक परेशानी देते हैं. 

बुध और गुरु की युति

बुध के साथ बृहस्पति का योग काफी ज्ञान प्रदान करने वाला होता है. बुध ग्रह बुद्धि का कारक है और गुरु ज्ञान् का कारक है. ऎसे में इन दोनों का एक साथ होना विशेष बन सकता है. इनके द्वारा व्यक्ति चीजों को जल्द से ग्रहण करता है. जल्दी ही जीवन में नई चीजें सीख सकता है. इस बात की संभावना अधिक रह सकती है कि व्यक्ति अनावश्यक लड़ाई-झगड़े में शामिल हो सकता है. स्वयं को सिद्ध करने के लिए हर संभव कोशिशें भी करता है. काम के क्षेत्र में नीतियों एवं योजनाओं को बेहतर रुप से लागु करने का विचार रखता है. बुध के साथ बृहस्पति की उपस्थिति जीवन में आध्यात्मिकता और उच्च ज्ञान विकसित करने में मदद कर सकती है. 

बुध और चंद्रमा की युति

बुध और चंद्रमा का एक साथ होना अधिक अनुकूल नहीं माना गया है. यह आपसी शत्रुता के कारण ही कमजोर योग होता है. यह युति अनुकूल परिणाम नहीं दे पाती है.  जीवन में कोई बड़ी समस्या नहीं हो लीन मानसिक रुप से बेचैनी अवश्य रहती है. यह स्थिति दिमागी रुप से अधिक प्रभावित करने वाली है. असंतोष का असर जीवन के किसी न किसी क्षेत्र पर बना रह सकता है.  इन दोनों का प्रभाव व्यक्ति को किसी एक निर्णय को लेने नहीं देता है, जीवन में कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सक्षम नहीं हो पाते हैं. असमंजस की स्थिति सदैव बनी रहती है. किसी न किसी प्रकार का भय भी मन में रह सकता है. 

बुध और राहु की युति

बुध के साथ राहु के साथ युति योग में होना, कई तरह के विचारों से जोड़ने वाला होता है. इस का असर व्यक्ति के अपने आस पास की गतिविधियों पर भी होता है. नवीन विचारों और बुद्धिमत्ता का विकास करने के लिए ये योग सहायक बन सकता है. तर्क शक्ति अधिक काम करने वाली होती है.  

बुध और केतु की युति

बुध के साथ केतु का होना व्यक्ति को अविष्कारों से जोड़ने वाला हो सकता है. एक शोधकर्ता या अन्वेषक के रूप में काम करने में आगे रह सकते हैं. धुनिक तकनीकों का उपयोग करके बहुत सारी जानकारी एकत्र करना पसंद कर सकते हैं. यह योग स्वास्थ्य के संदर्भ में वाणी संबंधी दोष या फिर त्वचा संबंधी रोग दे सकता है. 

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आत्मकारक बुध का प्रभाव और उसकी विशेषता

बुध ग्रह का आत्मकारक रुप में होना कुंडली में बुध के द्वारा पड़ने वाले विशेष प्रभावों को दर्शाता है. जैमिनी ज्योतिष अनुसार ग्रहों का विभिन्न कारक रुपों में होना उनके द्वारा मिलने वाले फलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है. कोई भी ग्रह किसी भी रुप में अपने असर देने में सक्षम होता है. यदि ग्रह श्भ हो तो स्वाभाविक है की उसके अच्छे परिणाम मिल पाते हैं. उसके अनुकूल परिणाम ही जीवन को बेहतर रुप से आगे ले जाने में सहायक होते हैं.

इसके विपरित यदि ग्रह अशुभ पाप प्रभावित है तो उसके कारण शुभता की प्राप्ति हो पाना मुश्किल होता है.  जैमिनी अनुसार बुध के आत्मकारक होने की स्थिति तब बनती है जब वह सभी ग्रहों से अधिक अंशात्मक स्थिति में होता है. जब बुध ग्रहों में आत्मकारक होता है तो उसका असर व्यक्ति की बौद्धिकता और उसके द्वारा लिए गए फलों के रुप में दिखाई देता है. 

आत्मकारक रुप में सकारात्मक बुध का असर 

बुध का कुंडली में अनुकूल स्थिति में होना आत्मकारक रुप में बहुत ही बेहतर माना गया है. जीवन जीने की बेहतर कल्पना करना और जीवन में सभी आवश्यक सुख-सुविधाएं प्राप्त करने की इच्छा बुध के प्रभाव द्वारा देखने को मिलती है. बुध एक राजकुमार है जो जीवन को मस्ती के रुप में और आनंद के साथ जीने की चाह रखता है. मेहनत का परिणाम जिस रुप में हम करते हैं उस अनुरुप मिल पाए यह संभव नहीं है, इसमें बुध की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रहा है. बुध के बारे में एक या दो चीजें विशेष हैं कि बुध सबसे छोटा और निकटतम ग्रह है, जो सूर्य की परिक्रमा करता है. भारतीय ज्योतिष में, इसे लोकप्रिय रूप से बुद्धि के रुप में जाना जाता है, जो ज्ञान को दर्शाता है.

आत्मकारक बुध ग्रह की विशेषताएं

आत्मकारक रुप में बुध की विशेषताएं अनेक रुपों में हमें प्राप्त होती हैं. वहीं बुध जब कुंडली में अलग स्थिति में होगा तो वह अलग रुप में फल देने वाला होगा. बुध की स्थिति जब आत्मकारक बनती है तो उसके कई तरह के असर हमें देखने को मिल सकते हैं. 

मानसिक एवं बौद्धिक क्षमताएं

आत्मकारक रुप में यदि बुध की स्थिति देखी जाए तो इसका सीधा अर्थ व्यक्ति की मानसिक क्षमताओं पर अधिक पड़ता है. मन के रुप में चंद्रमा को विशेष रुप से जोड़ा गया है लेकिन इसी में बुध का भी गहरा असर माना गया है. व्यक्ति की मानसिक क्षमताएं कितनी तीव्र होंगी इसके लिए बुध की स्थिति को देखना अहम होता है. बुध का असर व्यक्ति को उचित रुप से आगे ले जाने में सहायक होता है. उचित रुप से लिए गए फैसले एवं मन में उभरने वाले विचार बुध के प्रभाव से सामने आते हैं. बुध बौद्धिक स्थिति के लिए भी बहुत उपयुक्त होता है. मानसिक क्षमताएं एवं बौद्धिक क्षमताओं पर बुध का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है. 

आत्मकारक रुप में बुध जब सामने आता है तो उसमें कई तरह के पहलुओं को देखा जा सकता है. बुध यदि कुंडली में शुभ स्थिति में होकर आत्मकारक बनता है तो उसके प्रभाव से बुद्धि का उपयोग बेहद उचित रुप से देखने को मिलता है. इसमें व्यक्ति की कई विचारधारें अन्य लोगों को प्रभावित करने वाली होती हैं. 

आत्मकारक बुध का ज्योतिष में महत्व 

बुध ग्रह वाणी और बुध को नियंत्रित करने वाला ग्रह माना गया है. यह मिथुन और कन्या राशियों का स्वामी होता है. बुध व्यक्ति के भाषण या संचार कौशल में प्रभाव ओर क्षमता प्रदान करने में मदद करता है. बुध के सहयोग द्वारा व्यक्ति अपनी छवि को भी बेहतर बना सकते हैं और अपने विचारों के द्वारा दूसरों को प्रभावित करने में सफल हो सकता है. ज्योतिष में बुध ग्रह वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करता है. यह शुभ ग्रह नकारात्मक चीजों के प्रभाव को कम करने में मदद करता है. यह सोचने की प्रक्रिया और मनोभावों भावों पर नियंत्रण रखता है.

यह कार्यों की सजगता, विकल्पों और विश्लेषणात्मक क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है. बुद्धि को नियंत्रित करता है. जन्म कुंडली में बुध मजबूत होता है, तो आत्मकारक होकर बुध शब्दों पर बेहतर नियंत्रण रखने के लिए उत्साह देता है. वे जान सकते हैं कि दूसरों के साथ कैसे संवाद करना है. इससे व्यक्ति सभी के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाने में और नए अविष्कार करने में भी आगे रहता है. यदि बुध कुंडली में अनुकूल स्थिति में है, तो व्यक्ति के पास एक विशेष गुण होता है कि बातचीत कैसे शुरू करेऔर उसे कैसे अंजाम तक पहंचाए. इसके अलावा, बुध तीन नक्षत्रों का भी स्वामी है. यह अश्लेषा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र और रेवती नक्षत्र का स्वामी है.

आत्मकारक रुप में बुध के प्रभाव 

आत्मकारक रुप में बुध ग्रह शुभ ग्रहों की दृष्टि में है या पाप ग्रहों की. बुध की शुभ ग्रह की दृष्टि आपको अपने जीवन में सकारात्मक परिणाम दे सकती है. यदि यह पाप ग्रहों की दृष्टि में है, तो यह कमजोर हो सकता है, और आपका समय प्रतिकूल हो सकता है. बुध यह भी प्रदर्शित करता है कि व्यक्ति दूसरों को समझाने में कितना अच्छा होता है. ब

ुध की स्थिति का गहराई से विश्लेषण करने और निर्णय लेने के कौशल को देने वाली होती है. बुध के शुभ ग्रह होने का प्रभाव हमारी वाणी, बुद्धि और संचार कौशल पर अत्यधिक महत्व है. यदि बुध ग्रह आत्मकारक होकर शत्रु की दृष्टि में है या कमजोर रूप में है, तो यह चुनौतीपूर्ण समय को दिखाने वाला होता है. आत्मकारक रुप में कमजोर बुध न तो कोई अच्छी सहायता प्रदान करता है और न ही उन्हें विशेष क्षमता का आशीर्वाद देता है.  

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मेष राशि में सूर्य – बृहस्पति का योग और सभी राशियों के लिए उसका फल

सूर्य के साथ बृहस्पति के मेष राशि में गोचर का प्रभाव सभी राशियों पर नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह का रहता है. यह गोचर कुछ राशि के लिए अच्छे परिणामों को देने वाला होगा ओर कुछ को कमजोर कर देने वाला होगा. विस्तार और विकास के अवसर मिल सकते हैं. दोनों ही ग्रह मेष राशि में बैठ कर ऊर्जावान और साहस से काम करने की अवधि को दर्शाते हैं. यह गोचर आत्मविश्वासी बनने और साहसिक कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करने वाला होगा. इस समय व्यवहार में आवेग भी अधिक बढ़ने वाला है. अन्वेषण का समय है, और स्थिरता बनाए रखने के लिए जरुरी होगा. 

भारतीय ज्योतिष में बृहस्पति को सबसे शुभ और लाभकारी ग्रह माना जाता है और सूर्य को आत्म कारक ग्रह के रुप में जाना जाता है. इन दोनों का ही प्रभाव ज्ञान, कर्म और आध्यात्मिकता से युक्त होता है. यह ग्रह जीवन के हर पहलू में प्रचुरता और वृद्धि का आशीर्वाद देता है. अगर इन दोनों का नकारात्मक प्रभाव देखा जा तो अहंकार और अति-भोग को जन्म देने वाली स्थिति देखने को मिल सकती है.  

आईये जानते हैं मेष राशि में सूर्य और बृहस्पति के गोचर का सभी राशियों पर असर 

मेष राशि  

सूर्य – गुरु का मेष राशि में गोचर इस राशि के जातकों पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ने वाला होगा. आत्मविश्वास और ऊर्जा की शक्ति अच्छी रहने वाली है. काम करने में जोश की भावना आने की संभावना है. नए और कठिन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए यह गोचर वास्तव में आशाजनक साबित हो सकता है. कार्य के दौरान वरिष्ठ लोगों की सलाह भी काम करने वाली होगी. आत्मविश्वास और उत्साह महसूस कर सकते हैं. व्यक्तित्व में निखार होगा और चीजों के प्रति आकर्षण अधिक रहने वाला है.  इस समय के दौरान प्रगति और मान सम्मान के अवसर भी प्राप्त होंगे. 

वृषभ राशि 

सूर्य और गुरु के गोचर के दौरान, वृषभ राशि के जातकों को ऐसे अवसर मिल सकते हैं जो उन्हें लम्बे समय तक प्रभावित करने वाले होंगे.  आत्म-जागरूकता और आध्यात्मिक विकास की यात्रा पर ले जा सकते हैं. नई चीजों और प्रथाओं के प्रति आकर्षित होना शुरू कर सकते हैं जिन पर अभी तक बाहरी रुप से आकर्षित थे. इस समय के दौरान भीतर से जुड़ने का समय मिल सकता है. आध्यात्मिक रुप से आगे रहने वाले हैं. अपने आप को लेकर भी कुछ बदलाव कर सकते हैं. पुरानी असफलताओं को दुर करने का समय होगा तथा पिछले दुखों से छुटकारा पाने का सबसे अच्छा समय हो सकता है. अब समय होगा नए लोगोम से मिलने का जो उनके विकास में सहायक के रुप में उभर सकते हैं. 

मिथुन राशि

सूर्य के साथ गुरु का योग लाभ भाव को बढ़ाने का काम करने वाला होगा. इस समय के दौरान सामाजिक क्षेत्र में लोगों के साथ मेल जोल के बड़े अवसर सामने आने वाले हैं.  सामाजिक संबंधों के मामले में नए अवसर प्रदान करने वाला समय होगा. मिथुन राशि के लोग इस अवसर का उपयोग उन संगठनों या समूहों में शामिल होने के लिए कर सकते हैं. विचारों और रुचियों के साथ लोगों के मध्य प्रशंसा का मौका भी मिलने वाला होगा. इसके अतिरिक्त, यह समान विचारधारा वाले लोगों से जुड़ने का मौका देगा. दोस्ती को सुधारने का भी उपयुक्त समय रहने वाला है.

कर्क राशि 

कर्क राशि वालों पर राहु के साथ गुरु का मेष राशि में गोचर का काफी अनुकूल प्रभाव देने वाला होगा. गोचर का समय करियर के नए अवसर ला सकता है. अपने प्रयासों के लिए पहचान मिलने की प्रबल संभावना है. इसके अतिरिक्त, नए काम की शुरुआत के लिए काफी बेहतर समय दिखाई दे सकता है. कार्यस्थल पर वांछित पदोन्नति और वेतन वृद्धि भी प्राप्त कर सकते हैं. इस समय का उपयोग अपने लक्ष्यों को निर्धारित करने में करना चाहिए और उन्हें पूरा करने के लिए काम करना शुरू कर देना चाहिए. इसके अलावा, व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के बीच एक स्वस्थ संतुलन बनाए रखने की सलाह दी जाती है, क्योंकि कुछ बातें इस समय व्यर्थ में बढ़ सकती हैं. 

कर्क राशि 

कर्क राशि वालों पर राहु के साथ गुरु का मेष राशि में गोचर का काफी अनुकूल प्रभाव देने वाला होगा. गोचर का समय करियर के नए अवसर ला सकता है. अपने प्रयासों के लिए पहचान मिलने की प्रबल संभावना है. इसके अतिरिक्त, नए काम की शुरुआत के लिए काफी बेहतर समय दिखाई दे सकता है. कार्यस्थल पर वांछित पदोन्नति और वेतन वृद्धि भी प्राप्त कर सकते हैं. इस समय का उपयोग अपने लक्ष्यों को निर्धारित करने में करना अच्छा होगा. अपने कामों को पूरा करने के लिए दूसरों की सहायता भी मिलने वाली है. इसके अलावा, व्यक्तिगत और कार्यक्षेत्र के जीवन में एक स्वस्थ संतुलन बनाए रखने की कोशिश लगातार जरुरी होता है. कुछ बातें इस समय व्यर्थ में बढ़ सकती हैं, इसलिए जरुरी है की काफी शांति बनाए रखी जाए.  

सिंह राशि 

सूर्य के साथ गुरु का यह गोचर सिंह राशि वालों को व्यक्तिगत और बौद्धिक मोर्चों परआगे बढ़ने का अवसर देगा. कुछ लोगों को उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने की इच्छा हो सकती है, ओर मौके सफल भी होंगे. इसके अलावा, जो लोग आध्यात्मिक रुप से जुड़े हुए हैं उनकी आध्यात्मिक खोज भी व्यापक हो सकती है. इस गोचर के दौरान गुरु या उपदेशक का मार्गदर्शन प्राप्त होने का सुख मिल सकता है. पिता का सुख एवं उनके दिशा निर्देश भी मिलने वाले हैं. जरूरत से ज्यादा खर्च करने और अतिभोग से बचने की आवश्यकता होगी. शिक्षा को लेकर छात्र अच्छे मौके पाएंगे गुरु जनों की सलाह अच्छे अवसरों को दिलाने में सहायक बनेगी. भाई बंधुओं के जीवन में इस समय बदलाव होंगे जो परिवार के साथ साथ आप पर भी असर डालने वाले होंगे. 

कन्या राशि 

मेष राशि में बृहस्पति का गोचर आर्थिक वृद्धि और रोमांटिक संबंधों पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा. इस अवधि के दौरान अप्रत्याशित लाभ से मूल निवासी लाभान्वित हो सकते हैं. इसके अलावा, यह गोचर पार्टनर के साथ रिश्ते को मजबूत करने में मददगार सिद्ध हो सकता है. अपने पार्टनर के साथ लंबे समय तक चलने वाले बंधन को बनाए रखने के लिए, इस समय अटकाव ओर मतभेदों का सामना करना पड़ सकता है. इस समय कोई पुराने रोग फिर से उभर सकते हैं. संपत्ति के मामले में अचक से कुछ लाभ मिल सकता है. लापरवाही से बचें तथा अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखते हुए काम करें. 

तुला राशि 

मेष राशि में सूर्य और गुरु का योग किसी नए साझेदारी के आरंभ का होगा. अपने काम में किसी के सहयोग द्वारा आगे बढ़ने के अवसर भी मिलने वाले हैं. अपने व्यवसाय में वृद्धि के लिए दूसरों के साथ सहयोग करने के नए तरीके मिल सकते हैं. विवाह एवं सगाई इत्यादी के होने का समय है और अविवाहितों के लिए रिश्ते भी आ सकते हैं. इस समय यदि विवाहित जोड़े अपने रिश्ते में किसी समस्या का सामना कर रहे हैं तो जरुरी है की बातचीत के द्वारा सुलझाने की कोशिश की जाए. 

वृश्चिक राशि 

सूर्य के साथ बृहस्पति का योग स्वास्थ्य और सेवा क्षेत्र में उत्कृष्टता प्रदान करने वाला होगा. ज़रूरतमंदों की मदद करके के लिए भी आप आगे रहने वाले हैं. कोई विवाद या कानूनी बातें हैं तो उन से बचाव होगा एवं सफलता भी प्राप्त हो सकती है. इस समय विशेष रुप से कुछ पुरानी आदतों को बदलने की इच्छा महसूस कर सकते हैं. यह समय खुद की देखभाल का भी होगा. स्वास्थ्य संबंधी उपचार के विभिन्न तरीके मददगार साबित हो सकते हैं. इस अवधि के दौरान जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन बनाए रखना मुख्य बात होगी, क्योंकि प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां अभी रहने वाली हैं.

धनु राशि

धनु राशि वालों के लिए पंचम भाव में सूर्य के साथ गुरु का गोचर होगा. अब समय होगा अच्छे प्रयासों को करने का और सफलताएं पाने का. प्रेरणा और रचनात्मक ऊर्जा का प्रवाह अब बना रहने वाला है. अपने जुनून का पता लगाने और फिर अपने लिए सबसे अच्छा विकल्प खोजने का मौका इस समय मिल सकता है. धनु राशि के लोग इस दौरान आकर्षक लग सकते हैं नए रिश्तों की आधारशीला भी अब रखी जा सकती है. कुछ मामलों में सावधानी बरतने और जोखिम भरे निवेश से बचने की सलाह दी जाती है.

मकर राशि 

मकर राशि के लिए सूर्य और गुरु के साथ मेष राशि में चतुर्थ भाव का गोचर काफी नवीनता को लिए होगा. इस समय जीवन में भावनात्मक रुप से दूसरों के साथ जुड.अव होगा. आपसी प्रेम और घर के माहौल में बदलाव दिखाई देगा. अपने रिश्ते को पोषित करने और परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताने का यह सबसे अच्छा समय रहने वाला है. माता-पिता का प्रेम और उनका सहयोग अधिक रहने वाला है. स्वास्थ्य को लेकर थोड़ा सावधान रहने की आवश्यकता होगी. 

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों के लिए गुरु ओर सूर्य का तीसरे भाव में मेष राशि में होना सकारात्मक रुप से लाभ देने वाला होगा. वित्तीय और बौद्धिक विकास में सहायक रहने वाला होगा. अपने व्यवसाय को अगले स्तर तक ले जाने के लिए नए- नए तरीके खोजने में सक्षम होंगे. साथ ही उनके रिश्ते में चल रही परेशानियां भी खत्म होंगी और वे अपने जीवनसाथी के साथ अच्छा समय व्यतीत कर पाएंगे. परिश्रम का अच्छा लाभ मिल पाएगा. 

मीन राशि

मीन राशि वालों के लिए गुरु के साथ सूर्य संबंध दूसरे भाव में होना विशेष होगा. इस गोचर के दौरान कुछ अप्रत्याशित लाभ प्राप्त कर सकते हैं. आर्थिक मोर्चे पर यह अवधि अच्छे असर देगी. आत्मविश्वासी महसूस कर सकते हैं और आत्म-मूल्य का एहसास कर सकते हैं. आय के विभिन्न स्रोतों के संपर्क में आ सकते हैं. पैतृक संपत्ति के मामले में कुछ विवाद भी उभर सकते हैं. वाणी में क्रोध एवं अभिमान भी झलक सकता हे. 

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मेष राशि में राहु और गुरु की युति गोचर का विभिन्न राशियों पर प्रभाव

राहु के साथ गुरु का योग मेष राशि में जब गोचर के लिए होता है तब इस स्थिति में बदलाव और बौद्धिक ज्ञान में नए विचारों के साथ जानकारी बढ़ाने की स्थिति भी हमारे सामने होती है. वैदिक ज्योतिष में राहु एक छाया ग्रह है जो समाज की सीमा को तोड़ने के लिए प्रेरित करता है, वहीं गुरु अर्थात बृहस्पति नियमों के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है. अब इस समय विरोधाभास की स्थिति अधिक देखने को मिल सकती है.

यश, नाम, सिद्धि, व्यसनों की अतृप्त इच्छाओं को पूरा करने के लिए इन दोनों का योग मेष में बहुत अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है. राहु सभी सांसारिक इच्छाओं को लेकर लालच, जुनून, भूख का प्रतिनिधित्व करता है. जबकि, बृहस्पति ज्ञान का ग्रह है वह अच्छे नियमों, शिक्षाओं, उदारता, शिक्षा का प्रतिनिधित्व करता है. व्यक्ति को बुद्धिमान, परोपकारी, धनवान, साक्षर बनाने में यह ग्रह सबसे बड़ी भूमिका निभाता है. मेष राशि में बैठ कर राहु और गुरु मिलकर अस्तित्व को बदल देने के लिए विशेष होते हैं. 

मेष राशि 

गुरु और बृहस्पति का मेष राशि में गोचर लोगों और चीजों दोनों के प्रति आपकी विचारधारा में बदलाव लाने वाला होगा. अब इस समय काम में कई तरह के बदलाव दिखाई देंगे. ऎसे में जरुरी है कि सावधानी से काम लेने की जरूरत होती है क्योंकि आप व्यर्थ के झगड़े में पड़ सकते हैं. छात्रों को शैक्षणिक क्षेत्र में अच्छे परिणाम मिल सकते हैं. वहीं जीवन में बाधाओं से पार पाने के लिए साहस और बौद्धिकता दोनों ही अच्छे से काम करने वाले होंगे. पैसा कमाने के लिए संघर्ष अच्छे लाभ देने में सहायक होंगे. स्वास्थ्य में गिरावट के कुछ संकेत मिल सकते हैं, इसलिए लापरवाही से बचने की आवश्यकता होगी. ये समय विदेश यात्रा का अवसर देने वाला होगा और विदेशी लोगों के साथ अच्छे संबंध विकसित होंगे. धार्मिक रुप से नई विचार सामने होंगे, लम्बी यात्राओं पर जाने का समय होगा. खर्चों की अधिकता होगी लेकिन निर्वाह योग्य आय के साधन बनेंगे. 

वृषभ राशि 

राहु और गुरु एक साथ मेष राशि में जब गोचर करते हैं तो उसमें विदेशी और अपने धर्म से इतर के लोगों के साथ के संपर्क और लाभ अधिक प्रभावित करने वाले होंगे. इस समय किसी व्यस्न को लेकर लत अधिक बढ़ सकती है. जल्दबाजी में की जाने वाली खरीदारी या कहीं अचानक से धन लगा देने के कारण खर्चों की अधिकता बनी रहेगी. इस समय मानसिक रुप से समस्याएं आप को अधिक परेशानी दे सकती हैं. कानूनी कार्यवाही, चिकित्सा मुद्दों और अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं में व्यस्त होने का समय होगा. स्वास्थ्य संबंधी समस्याए आपकी लापरवाही के चलते परेशानी दे सकती हैं. कुछ अधूरे काम अब  बाद आपकी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं. इस समय भौतिक और आध्यात्मिक यात्रा अच्छे से बनी रह सकती है. इस युति के परिणामस्वरूप, परित्याग की समस्या का सामना करना पड़ता है. शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. एक अच्छा कैरियर मार्ग और आय प्राप्त करने के लिए विदेश में रहना और विदेशी लोगों से संपर्क साधना अच्छा होगा. 

मिथुन राशि

मिथुन राशि वालों के लिए ये समय अच्छे लाभ प्राप्ति के लिए अनुकूल होगा. इच्छाओं की प्रवृत्ति में वृद्धि को देख पाएंगे. मित्रों के साथ मिलकर नए जगहों की यात्रा और नए लोगों से संपर्क का अवसर भी प्राप्त होगा. अभी के समय अचानक यात्राएं बढ़ सकती हैं. परिवार में कुछ बातों को लेकर असहमति परेशान कर सकती है. समाज में सम्मान और एक बढ़ता हुआ सामाजिक नेटवर्क आपको मिल सकता है. इस समय सोच समझ कर काम करना होगा, अत्यधिक उत्साहित होने से लाभ नहीं मिल पाएगा. परोपकारी प्रयासों में हिस्सा ले पाएंए. कार्यक्षेत्र में पहचान बनाने के लिए इस समय अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है लेकिन उस का लाभ काम पर अपनी योग्यता स्थापित करने में मिल पाएगा. संचार के कामों अब आगे बढ़ कर नए असर हमें मिल सकते हैं. 

कर्क राशि 

कर्क राशि वालों को अब अपने काम में अगर कोई रुकावट होती है तो उसमें बौद्धिक रुप से आगे बढ़ कर अच्छे लाभ अपने लिए अर्जित कर पाने का समय होगा. दशम भाव करियर का घर होता है और इसे कर्म भाव कहते हैं. यह अब एक्टिव होगा अचानक उभरने वाले मौकों से व्यवसाय और लाभ का क्षेत्र अब अलग रंग से प्रभावित होने वाला होगा. यहां बृहस्पति के साथ राहु दोनो मिलकर अच्छे लाभ देंगे. नई उम्मीदों एवं नई सोच को आगे ले जाने का समय होगा. अब इस समय अपराजेय बनने का समय होगा. व्यवसाय की समझ रखने वाले और काम पर परिपक्व अंतर्दृष्टि रखने वाले हैं. एक समझदार नेता के रूप में जाने जाएंगे. नौकरी में बदलाव को लेकर तनाव में रह सकते हैं. हर कीमत पर विवादों से दूर रहना होगा. तीर्थ यात्रा और अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लाभ मिलेंगे. पिता की चिकित्सा संबंधी समस्याओं का ध्यान रखने की जरुरत होगी. किसी भी असहमति को संभालने के लिए खुद को संयम रखना होगा. 

सिंह राशि 

राहु के साथ बृहस्पति का मेष राशि गोचर अब कुछ बदलाव और लाभ को देने वाला होगा. नौवां घर उच्च शिक्षा का घर है इस घर को धर्म भाव भी कहा जाता है. यह घर अच्छे कर्म, धार्मिक प्रवृत्ति, नैतिकता, उच्च शिक्षा, आध्यात्मिक शिक्षा, दान और दान के प्रति मानसिक झुकाव को दिखाने वाला होता है. इस जगह पर राहु के साथ बृहस्पति का होना सामाजिक बदलावों के लिए विशेष होगा. इस समय के दौरान आध्यात्मिक रुप से विस्तार का अवसर मिल सकता है. व्यक्ति अपनी सोच के साथ साथ दूसरों को बदलने के लिए उत्साहित कर सकता है. नए धर्मों के साथ जुड़ने का समय भी होगा. सामाजिक क्षेत्र में अलग अलग लोगों के साथ मेलजोल का मौका कई तरह से कल्याणकारी कामों से जुड़ने का समय भी दिखा सकता है. शिक्षक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रुप में भी भूमिका अग्रीण रह सकती है. 

कन्या राशि 

कन्या राशि के लिए मेष में राहु और बृहस्पति का गोचर काफी संभल कर काम करने के संकेत देने वाला होगा. व्यर्थ के बदलावों की स्थिति भी अभी बनी रहने वाली है. इस समय के दौरान कुछ गुप्त नितियों के सामने आने का भी समय होगा. अपने आस पास के लोगों के साथ बेहतर रुप में शामिल रहने की जरुरत होगी. आध्यात्मिक रुप से कुछ अधिक जागरुक भी रह सकते हैं और इनसे जुड़ी गतिविधियों में शामिल होने का भी समय होगा. इस समय के दौरान यह आवश्यक होगा कि अपने ससुराल पक्ष के साथ अच्छे से रिश्तों को निभाया जाए. जब लोगों के साथ मिलें तो उनके साथ शांतिपूर्ण संबंधों को बनाने की कोशिश करें. व्यर्थ के मुद्दों  में फंसने से बचें. अपने संबंध का आनंद उठाएं ओर दूसरों की बातों पर अधिक ध्यान देने से बचें. सट्टा गतिविधियों में शामिल होने से बचें क्योंकि पैसे खो सकते हैं. स्वास्थ्य में होने वाले किसी भी बदलाव पर ध्यान देने की जरुरत होगी. वाहन इत्यदै का संभल कर प्रयोग करना उचित होगा. दांपत्य जीवन में और कार्यक्षेत्र में किसी न किसी कारण काम की अधिकता बनी रह सकती है. पैतृक मामलों में बातें सुनने को मिलेंगी. इस समय गुप्त रिश्तों के उजागर होने कि संभावना भी काफी प्रबल दिखाई दे सकती है. 

तुला राशि 

तुला राशि वालों के लिए मेष राशि में बैठे राहु और बृहस्पति अब इच्छाओं को बढ़ाने वाले होंगे. अविवाहित लोगों के रिश्तों के होने की संभावनाएं कुछ तेज होंगी. कुछ भ्रम की स्थिति चीजों के होने में देरी भी करवा सकती है. यहां पर साझेदारी के मामलों में बहुत अधिक भरोसे से बचन अहोगा, अन्यथा धोखा भी हो सकता है. प्रेम प्रसंगों के मामले में स्थिति सामनय रुप से काम करेगी लेकिन वैवाहिक जीवन में इसका कुछ अलग असर दिखाई देगा. इस समय काम के लिहाज से किसी नए संगठन से की जाने वाली साझेदारी बहुत अधिक महत्वपूर्ण होगी. इस भाव में राहु कभी भी शुभ फल नहीं देगा, लेकिन बृहस्पति कुछ संतुलन बैठाने की कोशिश करेगा. संबंधों के आपसी मुद्दों के कारण बहस की स्थिति भी उभरेगी. इस समय रूखा व्यवहार आपके वैवाहिक जीवन में बाधा उत्पन्न कर सकता है. अपने बिजनेस पार्टनर के साथ भी दोस्ताना व्यवहार बनाए रखने की जरुरत होगी. पार्टनर के साथ स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है. कानूनी कार्यवाहियों और किसी भी अन्य प्रयास में सफलता के योग बनेंगे. 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के लिए मेष राशि में बृहस्पति और राहु का योग रचनात्मक तरीकों से लाभ कमाने के लिए आगे ले जाने वाला होगा और इसमें राहु अपना रंग भरने वाला होगा. इस प्रकार कुछ बड़े परिवर्तन प्राप्त कर पाएंगे. इस समय व्यक्ति रहस्यमय मार्ग का अनुसरण करने में गहरी रुचि रखने वाला होगा. व्यक्ति गुप्त विद्याओं का संग्रह करने वाला होगा. आध्यात्मिक गुरु, ज्योतिषी, भाग्य बताने वाले बन सकते हैं. यह भाव मुख्य रूप से शत्रुओं, बाधाओं, समस्याओं का प्रतिनिधित्व करता है. छठे भाव में राहु और बृहस्पति की युति के परिणामस्वरूप, व्यक्ति धन के मामलों से निपटने में अधिक व्यस्त रह सकता है. शेयर मार्केट, फाइनेंस सेक्टर और बैंकिंग में हाथ आजमाने का समय होगा. व्यावसायिक सफलता के मौके होंगे इसके अलावा, कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना कर सकते हैं. मोटापा और सर्जरी अथवा पेट संबंधी समस्याओं का खतरा हो सकता है. 

धनु राशि

धनु राशि वालों के लिए बृहस्पति का राहु के साथ मेष राशि में होना व्यक्ति को अच्छे लाभ देने में सहायक बनेगा. पंचम भाव रचनात्मकता, चंचलता, रोमांस, कौशल और आनंद का प्रतिनिधित्व करता है. इस घर को पुत्र भाव भी कहा जाता है. इस घर में राहु और बृहस्पति की युति गोचर के कारण रचनात्मक जीवन शैली में आगे बढ़ने के अच्छे अवसर मिलते हैं. अपनी रचनात्मक विशेषज्ञता को अपने काम में और जीवन में शामिल करने का अच्छा समय दिखाई देगा. कला के क्षेत्र में बहुत अच्छा कर पाएंगे. छात्रों को इस समय अपने लिए कुछ नई चीजों से जुड़ने का समय मिलेगा. इसके अलावा तकनीक से जुड़े काम भी कुछ अचानक से अवसर दिलाने वाले होंगे. राहु का असर आसानी से व्यस्नों के आदी बनाने वाला ग्रह है. इस कारण अभी के समय जुए, लाटरी, ड्रग्स जैसे गलत कामों की ओर रुझान बढ़ सकता है. विवाहेतर संबंधों में शामिल हो सकते हैं जो प्रेम संबंधों के कारण परेशानी मिल सकती है. 

मकर राशि 

आधिकारिक पदों की प्राप्ति मिल सकती है. स्वभाव से उदार हो सकते हैं. इस भाव में यह युति उत्तम परिणाम देती है. ऐसे जातक जीवन में प्रसिद्धि अर्जित करते हैं और फिर भी अच्छे स्वभाव के होते हैं और कृतज्ञ होते हैं. पिता का समय बहुत अच्छा बीतेगा, लेकिन आपके साथ उनके संबंध बिगड़ सकते हैं. लंबी यात्रा की संभावना प्रबल है. अध्यात्मिक यात्राएं भी रहने वाली हैं. कुछ चीजों में भाग्य का अधिक सहयोग काम नहीं आए य अफिर बिगड़ता स्वास्थ्य लक्ष्यों को विफल कर सकता है. इस दौरान उधार लेने, किराए पर लेने या वाहन चलाने से बचें क्योंकि दुर्घटना होने की संभावना है. अभी किसी को पैसा उधार देने से बचें क्योंकि पता नहीं वह आपको वापस मिलेगा या नहीं. आध्यात्मिक प्रभाव से सहज रहने वाले हैं इस समय बच्चों को लेकर पेरेंट्स को अधिक सजग रहना होगा. नियंत्रण खोने का जोखिम उठाने से बचें. प्रेम संबंधों और विवाह प्रस्तावों को लेकर आगे बढ़ना इस समय काफी अनुकूल है. पढ़ाई पर ध्यान देना छात्रों के लिए मुश्किल हो सकता है. असंतुलित आहार आपके पेट को खराब कर सकता है. इसलिए खान-पान पर ध्यान रखने की जरुरत होगी. कुछ पारिवारिक विवादों को छोड़कर जीवन सामान्य रहने वाला है.

कुंभ राशि 

राहु और बृहस्पति की ऊर्जा अवसरों को खिंचने का काम करने वाली होगी. एक संतोषजनक करियर बनाने में सफल हो सकते हैं. बदलाव होंगे लेकिन लाभ भी मिलेगा. संघर्ष के बावजूद बृहस्पति की कृपा उन्हें सीखने के प्रति उत्साही बनाए रखने वाली होती है. शोध की क्षमता को भी इस समय अच्छा मौका मिलेगा. इस प्रकार, वैज्ञानिक क्षेत्रों में अच्छी खोज कर सकते हैं. आकस्मिक घटनाओं के कारक होने के कारण ऐसी ग्रह स्थिति अचानक बड़ी हानि होने की संभावना का संकेत भी देती है. सफलता के मार्ग में कई शत्रु और बाधाएं भी हो सकती हैं. अपनी कंपनी में अच्छी तरह से स्थापित होने में सफल रहेंगे. अंतर्राष्ट्रीय यात्रा के अवसरों और मातृ पक्ष से सहायता से बहुत लाभ हो सकता है. बीमार हो सकते हैं लेकिन जल्द राहत भी मिल पाएगी. अपने बच्चों का ध्यान रखना होगा, हानिकारक प्रभावों के संपर्क में आ सकते हैं. बौद्धिक प्रयास और प्रेम संबंध दोनों ही इस समय लाभ देने वाले होंगे. 

मीन राशि 

आपके लंबे समय से होने वाली बातें सपने सच होंगे. धन लाभ के आसार भी अचानक से मिलने वाले हैं. राजनीति से जुड़े कामों में अच्छे अवसर होंगे. अभी बहुराष्ट्रिय कंपनियों में लाभ के अवसर भी मिलेंगे.कुछ लोग इस समय ब्रेकअप का शिकार भी हो सकते हैं, इसके अलावा, उन्हें एक ऐसा साथी मिल सकता है जिसके विचार बहुत अधिक अलग हो सकते हैं. यह दांपत्य जीवन में सुख की संभावना को कम कर देने का समय होता है इसलिए एक दूसरे पर भरोसे की नीति को कमजोर नहीं होने देना होगा और शांति के साथ चीजों को सुलझाना ही अच्छे परिणाम देने वाला होगा.

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मेष राशि में सूर्य-राहु का गोचर और सभी राशियों पर इसका असर

मेष राशि में सूर्य और राहु का योग कई तरह के असर दिखाने वाला समय होता है. किसी भी युति का निर्माण तब होता है जब दो या दो से अधिक ग्रह एक दूसरे के निकट होते हैं. या वह एक राशि भाव में स्थित होते हैं. इसी में जब मेष राशि में सूर्य के साथ राहु के युति योग को देखते हैं तो व्यक्ति के जीवन और व्यक्तित्व को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने वाला समय होता है.

सूर्य स्वयं, अहंकार, जीवन शक्ति और इच्छा शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है. संचार और बुद्धि के रुप में भी बुद्धिमान और आत्मविश्वासी व्यक्ति का संकेत देता है. इस के साथ राहु का योग कुछ चुनौतियां पैदा कर सकता है. राहु जुनून, भ्रम और अचानक परिवर्तन से जुड़ा है और इसका प्रभाव सूर्य पर नकारात्मक रुप से अधिक पड़ता है किंतु इसके कुछ सकारात्मक पहलू भी काम लरते हैं. 

मेष राशि में सूर्य और राहु की युति व्यक्तियों में सफलता और पहचान की तीव्र इच्छा देने वाली होगी. अपनी महत्वाकांक्षाओं को लेकर सजग होना होगा कहीं गलत मार्ग की ओर अधिक प्रशस्त न होने लगें. चीजों को लेकर सावधान रहने की आवश्यकता हो सकती है. आवेगपूर्णता और चीजों को सोचने से पहले कार्य करने की प्रवृत्ति से भी संघर्ष कर सकते हैं, जिससे उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में समस्याएँ पैदा हो सकती हैं. कुल मिलाकर, इस युति का प्रभाव व्यक्ति की विशिष्ट जन्म कुंडली और अन्य ज्योतिषीय कारकों पर भी निर्भर करेगा.

सूर्य और राहु युति विशेषता

यह योग ऊर्जा का एक मजबूत उछाल देता है जिससे व्यक्ति अत्यधिक सक्रिय और उत्साही बन जाता है. तीक्ष्ण बुद्धि क अयोग मिलता है,  इस युति में बुध का प्रभाव तीव्र बुद्धि, त्वरित सोच और अच्छे संचार कौशल को दर्शाता है. सूर्य और राहु का प्रभाव अत्यधिक महत्वाकांक्षी और प्रतिस्पर्धी प्रकृति का निर्माण कर सकता है, जिससे व्यक्ति सफलता और पहचान के लिए प्रयास करता है.

राहु अपरंपरागत सोच का कारण बन सकता है, जिससे अद्वितीय और नवीन विचार और दृष्टिकोण सामने आते हैं. इस युति में सूर्य का प्रभाव अहंकार और आत्म-महत्व की उच्च भावना को जन्म दे सकता है, जो रिश्तों में संघर्ष और कठिनाइयों का कारण बन सकता है.

मेष राशि 

मेष राशि में बैठ कर राहु के साथ सुर्य का असर काफी दूरगामी होगा. इस समय पर उत्साह में वृद्धि देखने को मिलेगी और यह युति करियर या व्यवसाय में सफलता के अवसर ला सकती है.  यहमय स्व्यक्तिगत संबंधों में टकराव और गलतफहमियों का कारण भी बन सकता है. मेष राशि में सूर्य अपनी प्रबल स्थिति को पाता है जिसके फलस्वरुप राहु की ऊर्जा भी इसके साथ एक विस्फोटजनक चीजों के लिए उत्तरदायी भी होगा. इस समय क्रोध भी रहने वाला है इसलिए संचार के प्रति सचेत रहना चाहिए और अनावश्यक जोखिम लेने से बचना भी आवश्यक होगा. 

इस समय विशेष रुप से जरूरी होगा की धैर्य ओर संयम के साथ फैसले लिए जाएं. 

वृषभ राशि 

वृषभ राशि वालों के लिए सूर्य और राहु का योग आर्थिक मसलों में अधिक सोच विचार से आगे बढ़ने के लिए होगा. वित्तीय मामलों में चुनौतियां देखने को मिल सकती है. इस समय व्यर्थ के खर्च की ओर भी मन की प्रवृत्ति हो सकती है. अपने निवेश को लेकर सतर्क रहना होगा और इस दौरान बड़े फैसले लेने से बचना होगा. प्रेम प्रसंगों में व्यक्ति कुछ नए रिश्तों की ओर भी आकर्षित हो सकता है. शिक्षार्थियों के लिए विदेश जाने का मौका भी इस समय मिलेगा. इस समय के दौरान जो लोग विदेशी कंपनियों में काम कर रहे होंगे उनके पास काम की अधिकता बढ़ सकती है. इस समय लम्बी दूरी की अचानक से होने वाली यात्राएं हो सकती हैं.

मिथुन राशि

मिथुन राशि वालों के लिए सूर्य और राहु का योग क्रियात्मक शक्ति को बढ़ाने वाला होगा. संचार कौशल से कई तरह के काम हो पाएंगे. सीखने और बौद्धिक खोज के नए अवसर ला सकता है. इस समय कुछ बातों को लेकर तनाव और चिंता भी अधिक असर डाल सकती है. अपने मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरुरी होगा. मित्रों के साथ कोई लम्बी दूरी की यात्राओं पर जाने का अवसर भी मिल सकता है. 

कर्क राशि 

कर्क राशि वालों के लिए सूर्य राहु का युति योग करियर से जुड़े मामलों में कुछ नए बदलव दे सकता है. करियर के अवसर पहचान दिला सकते हैं. इस समय परिवार में कुछ चिंता एवं तनाव की स्थिति परेशानी दे सकती है. यह व्यक्तिगत संबंधों में टकराव भी पैदा कर सकता है. इस समय थोड़ा संभल कर काम करने की आवश्यकता होगी. परिवार और निजी जीवन को प्राथमिकता देनी होगी, तथा प्रियजनों की उपेक्षा करने से बचना होगा. इस समय कुछ यात्राएं भी होने वाली हैं जो मस्ती और रोमांच दे सकती हैं. 

सिंह राशि 

सिंह राशि वालों के लिए राहु के साथ सूर्य का युति योग, भाग्य पर असर डालने वाला होगा. करियर या रचनात्मक गतिविधियों में सफलता और पहचान मिल सकती है. इस समय कुछ धार्मिक यात्राओं का समय होगा तथा सामाजिक रुप से लोगों के साथ कल्याणकारी कामों में भागीदारी होगी. यह सहकर्मियों या व्यावसायिक साझेदारों के साथ टकराव और गलतफहमी भी पैदा कर सकता है. इसलिए कूटनीतिक को ध्यान में रखते हुए अनावश्यक तर्क-वितर्क से बचना चाहिए. इस समय 

कन्या राशि 

कन्या राशि वालों के लिए राहु के साथ बुध का योग इस समय कई सारी गतिविधियों से भरा रह सकता है. अपनी वाणि में क्रोध को शामिल न करें अन्यथा अपनों के सतह बहस अधिक बढ़ सकती है. कुछ रचनात्मक योग्यताएं बढ़ सकती हैं. नई चीजों को सीखने और यात्रा के नए अवसर भी मिल सकते हैं. इस समय मानसिक रुप से तनाव और चिंता भी बनी रह सकती है. अनावश्यक भय परेशानी दे सकता है. अपने स्वास्थ्य को लेकर अधिक ध्यान रखना होगा एवं लापरवाही से बचने की जरुरत होगी. 

तुला राशि 

तुला राशि वालों के लिए ये समय अपने और आस पास के लोगों के साथ संबंधों को लेकर महत्वपूर्ण होगा. धनार्जन के अवसर और सफलता को पाने का भी समय होगा. दूसरी ओर, यह व्यक्तिगत संबंधों में टकराव और गलतफहमियां भी पैदा कर सकता है विशेष रुप से जीवन साथी के साथ कुछ मसले परेशानी दे सकते हैं. अपने निवेश में सावधानी बरतनी चाहिए और अनावश्यक ख़र्चों से बचना चाहिए. इस समय साझेदारी से जुड़े काम में लेनदेन जैसी चीजों को ध्यान पूर्वक करने की जरूरत होगी.

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि वालों के लिए यह योग कई मायनों में संघर्ष एवं सफलता दोनों ही असर देने वाला होगा. अपने विरोधियों को दबाने में कामयाबी मिलेगी. इस समय शत्रुओं का प्रभाव अधिक होगा इसलिए अपने काम में गोपनियता को बना कर रखने की आवश्यकता होगी. यह युति आध्यात्मिक विकास और आत्म-जागरूकता के नए अवसर ला सकती है. व्यक्तिगत संबंधों में संघर्ष और तनाव भी पैदा कर सकता है. लोगों के साथ व्यर्थ के मुद्दों पर बहस से बचने की आवश्यकता होगी. वृश्चिक राशि वालों को धैर्य के साथ काम करने की जरुरत होगी. आवेग से बचना होगा और अपनी संचार शैली को भी नम्र बना कर आगे बढ़ने की जरूरत होगी. स्वास्थ्य के मामले में थोड़ी अचानक से होने वाली परेशानी दिक्कत दे सकती है.

धनु राशि
धनु राशि वालों के लिए सूर्य के साथ राहु का योग नए अवसरों को देगा. इस समय रिसर्च से जुड़े मामलों में अच्छे मौके मिलेंगे. यह युति करियर या व्यवसाय में सफलता दिला सकती है. दूसरी ओर, यह सहकर्मियों या व्यावसायिक साझेदारों के साथ टकराव और गलतफहमी भी पैदा हो सकती है. कूटनीतिक रुप से काम करना फायदे का सौदा होगा. अनावश्यक तर्क-वितर्क से बचना चाहिए. प्रेम संबंधों को लेकर थोड़ा अनबन भी रहने वाली है लेकिन धीरे धीरे चीजें पटरी पर आने लगेंगी. संतान पक्ष को लेकर थोड़ा सजग रहना होगा और खान पान को लापरवाही से बचना होगा.

मकर राशि
सूर्य के साथ राहु का युति योग युति वित्तीय अवसर और सफलता दे सकता है. इस समय के दौरान जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नई चीजों को जानने का समय होगा. इसके अलावा, अभी के दौरान परिवार को लेकर कुछ तनाव और चिंता भी पैदा हो सकती है. किसी का स्वास्थ्य परेशानी दे सकता है. इस समय स्वयं के मानसिक और भावनात्मक कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए और अपने निजी जीवन की उपेक्षा करने से बचना चाहिए. यदि संभव हो सके तो मेडिटेशन से जुड़ी क्रियाएं अवश्य करें यह स्वास्थ्य एवं सकारात्मक ऊर्जा को मजबूत बनाने वाली होंगी.

कुंभ राशि
कुंभ राशि वालों के लिए सूर्य और राहु का योग परिश्रम की अधिकता देने वाला होता है. इस समय के दौरान सोशल संपर्क में भी धाक जमाने का अवसर मिल सकता है. यात्राओं का अवसर बना रह सकता है. यह युति रचनात्मकता और आत्म-अभिव्यक्ति के नए अवसर ला सकती है. इसके अलावा, यह व्यक्तिगत संबंधों में टकराव और गलतफहमियां भी पैदा करता है. अपने संचार के प्रति सचेत रहना चाहिए और अनावश्यक तर्क-वितर्क से बचना होगा. आर्थिक मसलों में सफलता के बेहतर योग अब बन सकते हैं. संपर्क बनेंगे तथा धार्मिक यात्राएं भी होंगी. भाई बंधुओं के साथ अनबन से बचें और विवादों को शांति से निपटाएं.

मीन राशि
सूर्य के साथ राहु का योग वाणी को प्रभावित करने वाला होगा. करियर या रचनात्मक गतिविधियों में सफलता और पहचान पाने का समय होगा. अपनी पैतृक संपत्ति के चलते कुछ परेशानी ओर विवाद बने रह सकते हैं. लोगों के साथ तनाव और चिंता भी पैदा हो सकता है. आध्यात्मिक रुप से काफी रुझान रख सकते हैं. मानसिक और भावनात्मक रुप से किसी के साथ जुड़ाव आपको कुछ समय के लिए विचलित भी कर सकता है. अपने निजी जीवन की उपेक्षा करने से बचना चाहिए और प्रेम पूर्वक रिश्तों के साथ डील करना अच्छा होगा.

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बुध का राहु के साथ मेष राशि में गोचर 2023

बुध के मेष राशि में राहु के साथ होने की स्थिति अचानक होने वाले बदलावों को दिखाने वाली होती है. बुध और राहु का मेष राशि में गोचर अचानक से चीजों को घटित करने के लिए ऊर्जा की अधिकता देखने को मिलती है. बुध को संचार, बुद्धि और मानसिक चपलता के ग्रह के रूप में जाना जाता है, जबकि राहु को भ्रम, अम्धकार, अराजकता, आध्यात्मिक विरोध के रुप में देखा जाता है. अब इन दोनों का योग मेष राशि में होगा जो मुखरता, नेतृत्व और आरंभ को लेकर उत्साहित रहने वाली राशि है. इस गोचर के दौरान चारों ओर बदलाव की स्थिति दिखाई देगी. मानसिक ऊर्जा की एक बढ़ी हुई भावना का अनुभव होगा. कुछ नया करने एवं विरोध करने की शक्ति भी इस समय वृद्धि को पाने वाली है. 

यह गोचर नई परियोजनाओं को शुरू करने, महत्वपूर्ण कामों में अटकाव और शुरूआत करने और अपने लक्ष्यों की दिशा में निर्णायक कदम उठाने का समय हो सकता है. आइए जानें कि यह गोचर सभी राशियों के जीवन में क्या लेकर आएगा.

बुध राहु का गोचर मेष राशि के लिए

इस गोचर के दौरान चीजों के तेज़ी से आगे बढ़ने की उम्मीद कर सकते हैं. यह अपने विचारों को गति देने और निर्णायक कार्रवाई करने का समय है. छोटी यात्राओं, सक्रिय गतिविधियों और ऐसी किसी भी चीज़ को करने से पहले देखें की वह आपके लिए जरुरी है या नहीं. तेजी से बदलाव में बेहतर सोच की आवश्यकता होगी. इस समय सामान्य से अधिक अधीर होने की संभावना है, इसलिए ध्यान केंद्रित रहना और मल्टीटास्किंग से बचना महत्वपूर्ण है. खुद को सामान्य से अधिक अभिव्यक्त करते हुए पा सकते हैं या बेचैनी महसूस कर सकते हैं और नई परियोजनाओं को शुरू करने के लिए उत्सुक हो सकते हैं.

बुध राहु का गोचर वृष राशि के लिए 

मेष राशि में बुध के साथ राहु का गोचर, लाभ का होगा, इसके अलावा नई चीजों के अनुभव का समय होगा. सीधी बातचीत का समय है इसलिए घुमावदार चीजों से बचें. जो कहते हैं उसके बारे में बहुत खुले और ईमानदार रहने की जरुरत भी होगी. यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि शब्द आपके आस-पास के लोगों को परेशानी न दे पाएं. विचार-मंथन और अपने विचारों को दूसरों तक पहुँचाने के लिए यह बहुत अच्छा समय है. यदि लोग आपसे सहमत नहीं हैं तो उन पर बहुत अधिक दबाव न डालें धीरे धीरे बदलाव होगा. इस समय बाहरी चीजों का अछा लाभ मिलेगा विदेश में कार्यरत लोगों के पास नए अवसर होंगे.

बुध राहु का गोचर मिथुन राशि के लिए 

बुध और राहु का योग मिथुन वालों के लिए महत्वपूर्ण होगा. यदि आप हाल ही में अटका हुआ महसूस कर रहे हैं, तो यह गोचर फिर से आगे बढ़ने में मदद कर सकता है. नई परियोजना को शुरू करने का समय भी है. इस समय अपनी बातों से दूसरों पर अच्छा असर कर पाने में सक्षम होंगे. व्यक्तिगत या व्यावसायिक जीवन में कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं. नेटवर्किंग और कनेक्शन बनाने में सफल रहने वाले हैं, लेकिन ध्यान दें. इस समय का उपयोग अपने आप को अधिक स्पष्ट रूप से व्यक्त करने, नए विचारों, दृष्टिकोणों और रुचियों के साथ जुड़ने में करें. किसी भी तरह के अनुबंध पर हस्ताक्षर करने से बचें और शार्टकट का उपयोग न करें. 

बुध राहु का गोचर कर्क राशि के लिए 

बुध के साथ राहु का गोचर कर्म को प्रभावित करने वाला होगा. यह गोचर कुछ असंतुलित सा महसूस करवा सकता है. इस दौरान आप खुद को सामान्य से अधिक भावनात्मक रूप से अस्थिर महसूस कर सकते हैं. खुद को संभालें और धीमी गति से आगे बढ़ने की कोशिश करें. लगातार किए जाने वाले प्रयास अनुकूलता को पाएंगे. सोशल इंटरेक्शन में शमैल हों लेकिन इसे दिल पर न लगाएं. स्वास्थ्य का ख़्याल रखें और दूसरों की नकारात्मक भावनाओं को अपने ऊपर न आनें दें, यह समय विस्तार करने और नई चीजों को आजमाने का अवसर भी हो सकता है. ध्यान पूर्वक काम करें. 

बुध राहु का गोचर सिंह राशि के लिए 

बुध का राहु के साथ मेष राशि गोचर सिंह राशि वालों के लिए नई यात्राओं एवं आध्यात्मिक क्षेत्र में अलग काम करने का होगा. यह गोचर मानसिक कुशाग्रता को बढ़ाएगा और स्वयं के अधिक मुखर पक्ष को सक्रिय करने वाला भी होगा. मानसिक गतिविधियों के लिए भरपूर ऊर्जा होगी, और संचार कौशल अपने चरम पर होगा, लक्ष्यों और सामाजिक प्रतिष्ठा को आगे बढ़ाने के लिए काफी परिश्रम से आगे बढ़ने वाले हैं. वाक्पटुता का उपयोग करने का यह एक अच्छा समय है. नई परियोजनाओं को शुरू करने या नए कौशल सीखने का यह एक अच्छा समय है. खुद को प्रेरित करने के लिए प्रतिस्पर्धा में शामिल होना भी अनुकूल रहेगा.

बुध राहु का गोचर कन्या राशि के लिए 

कन्या राशि के लिए बुध के साथ राहु का गोचर अचानक होने वाली घटनाओं के रुप में भी सामने होगा. यह गोचर स्वास्थ्य और कामकाजी जीवन को प्रभावित करने वाला होगा. आराम करना और संतुलित आहार लेना इस समय जरुरी है अन्यथा व्यर्थ की समस्याएं बढ़ सकती हैं. संक्रमण एवं बीमार होने का खतरा अधिक हो सकता है. खुद को अधिक तनावग्रस्त महसूस कर सकते हैं, इसलिए  अगर जरुरत लगे तो ब्रेक लेना अच्छा होगा. खुद की देखभाल का अभ्यास करें. संचार के मामले में, आप खुद को सामान्य से अधिक बात करते हुए पा सकते हैं, इसलिए सावधान रहें कि आप अपने आसपास के लोगों पर हावी न हो जाएं. प्रेम संबंधों को लेकर सजग रहें ओर दबव से बचें. 

बुध राहु का गोचर तुला राशि के लिए 

बुध के साथ राहु का गोचर तुला राशि वालों के दांपर्य जीवन एवं व्यवहारिक साझेदारी पर होने वाला है. कार्यों को पूरा करने के लिए समय कुछ कम हो सकता है. काम में टालमटोल कर सकते हैं या अटका हुआ महसूस कर सकते हैं. आवेगपूर्ण तरीके से कार्य करने या पहले बिना सोचे समझे कुछ भी कहने और करने से अधिक सावधान रहें. यदि संभव हो, तो समय को ऊर्जा को रचनात्मक परियोजनाओं, शारीरिक गतिविधि में लगाएं. लोगों के साथ सोशल नेटवर्किंग या कोई जन कल्याण के कामों में भागीदार बनें. 

बुध राहु का गोचर वृश्चिक राशि के लिए 

बुध के साथ राहु का गोचर वृश्चिक वालों को मिलेजुले प्रभाव देगा. यह एक ऊर्जावान और तेजी से काम करने का समय है, इसलिए इसका उपयोग चीजों को पूरा करने के लिए करना अधिक बेहतर होगा. कानूनी मामलों में अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं. आगे बढ़ने और अपने आसपास के लोगों के साथ अपनी बातचीत में दृढ़ होकर रहें. विरोधी परेशान करेंगे लेकिन उनसे जीतने में भी सफल होंगे. यह गोचर रचनात्मकता और विशिष्टता को व्यक्त करने के साथ-साथ नए रिश्तों या परियोजनाओं को आगे बढ़ाने का भी समय है. जोखिम लेने और साहसिक निर्णय लेने से न डरें.

बुध राहु का गोचर धनु राशि के लिए 

राहु के साथ बुध का मेष राशि गोचर का प्रभाव छात्रों के जीवन में बदलाव लेकर आ सकता है. यह गोचर नई अंतर्दृष्टि और नवीन अनुभवों को पाने का समय हो सकता है. नए रिश्तों के कारण जीवन बदलने का भी समय है. निर्णय लेने तेजी कर सकते हैं. इस समय ये जानेंगे कि जीवन में क्या चाहते हैं और अपने लक्ष्यों की दिशा में योजनाओं को निर्धारित कर पाएंगे. इसके अतिरिक्त, यह समय भीतर देखने और अतीत को प्रतिबिंबित करने का एक अच्छा समय है. अंतर्ज्ञान काफी मजबूत रहने वाला है, कुछ नई शिक्षा को प्राप्त कर सकते हैं. 

बुध राहु का गोचर मकर राशि के लिए 

मकर राशि के लिए राहु के साथ बुध का यह गोचर ऊर्जा और सक्रियता देने वाला हो सकता है. संचार के कार्यों और मानसिक गतिविधियों में अधिक व्यस्त दिखाई देने वाले हैं. संचार कौशल को अछे से उपयोग करके नेटवर्किंग, लेखन या सार्वजनिक क्षेत्र से लाप पाने में उपयोग कर सकते हैं. खुद को नए विषयों या विचारों को सीखने, अध्ययन करने का भी अनुकूल समय होगा. परिवार में कुछ बदलाव होंगे और नई चीजों का आगमन होगा. दूसरों से जुड़ने और खुद को अधिक आत्मविश्वास से व्यक्त करने के लिए बेहतर समय है. 

बुध राहु का गोचर कुम्भ राशि के लिए 

राहु के साथ बुध परिश्रम से सफलता का समय होगा. विकास और परिवर्तन की अवधि का अनुभव कर पाएंगे. यह जोखिम उठाने और अपने सपनों को पूरा करने का समय है. कड़ी मेहनत निश्चित रूप से रंग लाएगी. बुध की उपस्थिति से, अधिक तार्किक रूप से सोचने और अपने लक्ष्यों के लिए सबसे उपयुक्त निर्णय लेने में सक्षम बना सकती है, राहु चातुर्य देगा और संचार के लाभ उत्पन्न करने वाला होग. खुद को वर्तमान में बना कर रखना होगा और दिवास्वप्न से दूर रहना अच्छा होगा. 

बुध राहु का गोचर मीन राशि के लिए 

मीन राशि के लिए बुध के साथ राहु का योग आध्यात्मिक ऊर्जा से जुड़ने के लिए बेहतर होगा. यह समय के प्रवाह के साथ जाने और अपनी सहज प्रवृत्ति पर भरोसा करने का समय है. यह चीजों को जबरदस्ती थोपने या केवल तर्क के आधार पर निर्णय लेने का समय नहीं है. इसके बजाय, अपने दिल की सुनें और खुद को अपने अंतर्ज्ञान द्वारा आगे लेकर बढ़ने का समय होगा. ध्यान लगाने, योगा करने, या ऐसी कोई गतिविधि करने में समय व्यतीत करें जो आपके अवचेतन मन को शांति दे पाए. गोचर के दौरान खुद को सामान्य से अधिक संवेदनशील पा सकते हैं. विरोधाभास की स्थिति में शांत रह कर काम करना सफलता देगा. 

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वक्री शुक्र का मेष राशि में गोचर का असर

शुक्र का मेष राशि में गोचर करना उसके परिभ्रमण का एक हिस्सा है, किंतु जब भ्रमण की इस स्थिति पर वक्रता का प्रभाव पड़ता है तो यह अपने प्रभाव में कई तरह के बदलाव दिखाता है. शुक्र के मेष राशि में होने का उत्साही एवं क्रियात्मक प्रभाव अधिक देखने को मिल सकता है. इसी के साथ यह रोमांस एवं प्रेम संबंधों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण स्थान होता है. मेष की ऊर्जा शुक्र को आगे बढ़ने के लिए उत्साह देती है. नए रिश्तों में जाना और नई जोखिम उठाना भी इस स्थान पर देखने को मिलता है. अब जब शुक्र वक्री अवस्था में मेष में होता है तब इसका प्रभाव कई तरह से दिखाई दे सकता है. 

वक्री शुक्र का सभी राशि पर असर 

खगोल जीवन में परिवर्तन और बदलाव की लहर लाने के लिए तैयार है. प्यार और रिश्तों से लेकर करियर की संभावनाओं तक, इस ग्रह परिवर्तन का प्रभाव बहुत अधिक रहने की उम्मीद होती है. तो, एक रोमांचक सवारी का समय होता है. आइए जानें इस गोचर का क्या महत्व है और यह आपके जीवन को कैसे प्रभावित कर सकता है.

मेष राशि 

वक्री शुक्र का गोचर आपके फैसलों को अधिक तेजी से सामने लाता है. अपने लिए जो भी काम करना चाहते हैं उसे सोच समझ करना होता है. यह अपनी खुशी और भलाई पर ध्यान देने का समय है. थोड़ी आत्म-देखभाल करना और अपनी इच्छाओं को तलाशने व्यक्ति के जीवन में शामिल होने लगता है. जीवन में कुछ आवश्यक ऊर्जा और उत्साह लाएगा. खुद को किसी नए व्यक्ति के प्रति आकर्षित भी पा सकते हैं. मौके लें किंतु स्थिति अनुसार व्यवहार जरुरी होगा. 

वृष राशि

वक्री शुक्र के प्रभाव अनुसार इस बात पर ध्यान देना ज़रूरी है कि इस गोचर के दौरान आप जो कुछ भी करना चाहते हैं, वह आपके मूल मूल्यों के अनुरूप होना चाहिए. अपनी इच्छाओं को लेकर अनियंत्रत होने से बचना होगा. जीवन में सरल सुखों को भी देखना है केवल कामुकता प्रमुख नहीं है. अविवाहित हैं, तो आप किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति आकर्षित हो सकते हैं जो मुखर और स्वतंत्र है. यदि किसी रिश्ते में हैं, तो स्वतंत्रता की अधिक चाह रखेंगे इसलिए चीजों के मध्य सामंजस्य बनाना होता है. 

मिथुन राशि 

वक्री शुक्र का प्रभाव रिश्तों और आप दूसरों के साथ कैसे बातचीत करें इस पर अधिक होगा. यह गोचर उन सभी क्षेत्रों को उजागर करेगा जहां संचार कौशल से लाभ दिला सकते हैं ओर इस ओर अधिक ध्यान से काम करने की आवश्यकता है. इस समय ठीक से सोचे बिना खुद को अधिक आवेगी और अपनी इच्छाओं पर काम निर्भर रह सकते हैं. इस बात का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है ताकि कोई ऐसा निर्णय न लें जिसके लिए आपको बाद में पछताना पड़े.

कर्क राशि 

वक्री शुक्र का असर जीवन में बहुत से बदलाव ला सकता है. रिश्तों और आत्म-सम्मान के मामले में ज्यादा चिंता रहेगी. व्यक्तिगत लक्ष्यों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने से अपने डर और असुरक्षा का सामना करने के लिए मजबूर किया जा सकता है. अपनी प्रवृत्ति पर भरोसा करना सीखना होगा. सच्ची इच्छाओं से जुड़ने का समय होगा जिसके परिणामस्वरूप अधिक पूर्ण संबंध बनाने में सक्षम होंगे.

सिंह राशि 

वक्री शुक्र का प्रभाव ख़ुद को ज़्यादा आत्मविश्वासी और स्वतंत्र महसूस कराने वाला होगा. नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार होना होगा. किसी भी स्थिति से अधिकतम लाभ उठाने के लिए बहुत आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प से काम लेना होगा. जोखिम लेने और कुछ नया करने की कोशिश करने के लिए और अधिक इच्छुक होंगे. अपने आप को अधिक स्पष्टता के साथ अभिव्यक्त करने में सक्षम होंगे.  

कन्या राशि 

वक्री शुक्र का प्रभाव अतीत के मसलों को सने ला सकता है. पुराने रिश्तों पर पुनर्विचार करने पर विवश भी कर सकता है. जरूरी है कि वर्तमान में रहा जाए और अभी पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है. भविष्य संभावनाओं से भरा है, लेकिन यदि आप अतीत में जी रहे हैं तो निराशा और चिंता अधिक रहेगी. यह आत्मचिंतन का भी समय है. अपनी भावनाओं को कंट्रोल करना ही होगा. अपने लिए समय निकालें और समझें कि वास्तव में क्या आवश्यक है.

तुला राशि 

वक्री शुक्र का प्रभाव आज़ादी के लिए उत्साहित करने वाला होगा. यह यात्रा करने या नई चुनौतियों का सामना करने के लिए आगे रख सकता है. व्यक्तिगत लक्ष्यों और इच्छाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करने वाले हैं जिसके चलते दूसरे इग्नोर हो सकते हैं. अधिक मुखर और आत्मविश्वासी रह सकते हैं इस समय जरुरी है की दूसरों को भी अभिव्यक्ति का समय दें ओर खुद को थोपें नहीं. 

वृश्चिक राशि 

वक्री शुक्र का सर इस समय स्वभाव को अधिक प्रभावित कर सकता है. आत्म-मूल्य, ईर्ष्या और शक्ति की गतिशीलता के मुद्दों को लेकर परेशानी होगी. जरुरी है की अपनी चुनौतियों से अवगत होना, ताकि आप रचनात्मक तरीके से इनका सामना कर सकें. यह रिश्तों में बड़े परिवर्तन का भी समय है. अपने आप को दूसरों के साथ नम्रता से जोड़ने पर ही सफलता सामने दिखाई दे सकती है. 

धनु राशि 

वक्री शुक्र के प्रभाव से अधिक जोश वाले होंगे इसके अलावा सकारात्मक रवैये का जीवन में अनुकूल फल मिल रहा है. सकारात्मक सलाह से आप दूसरों की मदद कर सकते हैं. चीजें  रास्ते पर चलेंगी, और टकराव भी होग अलेकिन जरूरी है की दोस्ताना रुख बनाए रखें. अधिक ग्रहणशील बनें. सामाजिकता, नेटवर्किंग जैसे काम अच्छे प्रभाव देंगे. रिश्तों में नवीनता का असर होगा क्रोध एवं जल्दबाजी से बचना होगा. 

मकर राशि 

वक्री शुक्र के प्रभाव द्वारा जो लोग रिश्ते में हैं उन्हें लग सकता है कि उनका साथी अधिक मांग करने वाला हो गया है. ऎसे में विवाद और अलगाव भी उत्पन्न हो सकता है. जितना संभव हो एक दूसरे के प्रति सहज बनें. जो लोग अविवाहित हैं वे किसी ऐसे व्यक्ति की ओर आकर्षित हो सकते हैं जो ऊर्जा और उत्साह से भरा हो लेकिन इस समय तर्क और असहमति भी अधिक आप को प्रभावित करने वाली है. 

कुम्भ राशि 

वक्री शुक्र का असर विकास और नई शुरुआत का समय है, लेकिन स्वतंत्र रुप से निर्णय लेना भी उचित नहीम होगा. साहस और ऊर्जा काम आएगी यदि सही से उपयोग की जाए. कुछ कामों जोखिम उठा सकते हैं, नई चीजों को आजमा सकते हैं और नए अनुभवों के लिए खुल सकते हैं. यह समय थोड.अ सोच समझ कर आगे बढ़ना उचित होगा. यह व्यक्तिगत विकास पर ध्यान केंद्रित करने का भी समय है.

मीन राशि

वक्री शुक्र का प्रभाव ऊर्जा शक्ति में बदलाव को दिखाने वाला होगा. रचनात्मकता अधिक रहने वाली है. बाहरी लोगों के साथ संपर्क का समय भी होगा. भावुक और प्रेमी दोनों हो महसूस कर सकते हैं. अविवाहितों के लिए खुद को बाहर निकालने और नए रिश्ते शुरू करने का यह एक अच्छा समय है. जो लोग पहले से ही किसी रिश्ते में हैं, वे खुद को सामान्य से अधिक भावुक महसूस कर सकते हैं. इस पारगमन का उपयोग अपने रचनात्मक पक्ष में टैप करने और खुद को नए तरीकों से अभिव्यक्त करने के लिए करें.

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नवांश में बैठे मंगल का बल कैसे जानें

नवांश कुंडली ग्रहों की शक्ति एवं उनके प्रभाव को देखने हेतु महत्वपूर्ण होती है.  नवांश कुंडली में मंगल की उपस्थिति जिस स्थान एवं ग्रहों के साथ होगी उसकी क्षमता एवं प्रभाव उसी के अनुरुप प्राप्त होते हैं. नवांश कुंडली के प्रयेक भाव में बैठा मंगल अलग-अलग तरह से अपना 

प्रथम भाव नवांश में मंगल

नवांश कुंडली के पहले घर में बैठा मंगल व्यक्ति को कुछ अतिरिक्त प्रभाव देने वाला होता है. मंगल का असर व्यक्ति को कुछ अधिक सक्रिय बना सकता है. व्यक्ति प्रतिस्पर्धा में शामिल होता है, काम करने के लिए वह उत्साह दिखाने वाला होता है. आरंभिक रुप से उसकी उर्जा न दिखाई दे पाए लेकिन जल्द ही उसकी प्रतिभा सभी के समक्ष होती है. यहां उसे कुछ बल प्राप्त होता है.  लक्ष्य निर्धारण करने में वह कुशल हो सकता है. 

द्वितीय भाव नवांश में मंगल 

नवांश कुंडली के दूसरे भाव में बैठा मंगल जीतने के लिए साहस देता है. व्यक्ति को ऊर्जा से भरपूर रखने के लिए प्रयासशील बनाता है. व्यक्ति को शारीरिक गतिविधियां पसंद होती हैं. वह अपने परिवार के लिए भी कर्मठ होगा. उसके द्वारा किए गए काम गतिविधियां आर्थिक लाभ प्राप्ति के क्षेत्र में सहायक हो सकती हैं. अपने बोलने एवं संप्रेषण में वह थोड़ा अधिक उत्साहित एवं कठोर भी हो सकता है. प्रयासों के द्वारा उसे लाभ प्राप्ति होगी. खानेपीने में लापरवाही के कारण कुछ रोग भी उस पर असर डाल सकते हैं. 

तृतीय भाव नवांश में मंगल 

मंगल का तीसरे नवमांश में होने के कारण कुछ स्पर्धाओं में वह अपने प्रयासों के द्वारा आगे बढ़ने में सफल हो सकता है. खेल कूद से जुड़े लोगों के लिए यह स्थिति बेहतर असर देने वाली हो सकती है.  व्यक्ति में आक्रामकता, प्रतिस्पर्धा, क्रोध, जीत की भावना जैसे गुण भी होंगे जो उसे आगे ले जाने के लिए सहयोगी बनेंगे. अपनों के साथ उसका रवैया कई बार कुछ असंतोषजन भी होगा. कई बार अधिक उत्साह के चलते व्यक्ति व्यर्थ की समस्याओं में भी फंस सकता है. अधीर हो सकता है और जल्द से चीजों को पाने की इच्छा रख सकता है, 

चतुर्थ भाव नवांश में मंगल 

नवांश कुंडली के इस स्थान पर होने के कारण व्यक्ति महत्वकांक्षी हो सकता है. अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शॉर्टकट रास्ते अपना सकता है. मंगल का यहां होना उसे मकान या भूमि के द्वारा कुछ लाभ प्रदान करने में भी सहयोग दिखा सकता है. परिवार एवं लोगों के साथ बेहतर तारत्म्य बनाने में उसे कुछ परेशानी हो सकती है. कई बार लम्बी यात्राओं से लाभ और अचानक से किसी भौतिक संपत्ति की प्राप्ति भी हो सकती है.

पंचम भाव नवांश मंगल 

नवांश कुंडली के पंचम भाव में मंगल का होना व्यक्ति को प्रयासशील बना देता है. अपने खर्चों को लेकर व्यक्ति कई बार जल्दबाजी में होकर हानि का सामना भी कर सकता है. व्यक्ति कई बार लाटरी या सट्टे को लेकर भी कई बार जल्दबाजी के फैसले ले लेता है. स्वतंत्र रूप से काम करने वाला होता है. दूसरों के लिए फैसले लेने ओर मार्गदर्शन की इच्छा भी व्यक्ति में अधिक देखने को मिल सकती है. कुछ रचनात्मक कामों में भी वह फैसला ले सकता है ओर इसमें मान सम्मान भी प्राप्त हो सकते हैं. 

छठे भाव नवांश में मंगल 

नवांश कुंडली के छठे भाव में मंगल का होना व्यक्ति को उत्साहित और अधिक तीव्र बना सकता है. साहस के साथ काम करने का गुण व्यक्ति के भीतर होता है. फैसले लेने में भी निड़रता देखने को मिलती है. वह अपने लक्ष्यों को पाने में अपनी एकाग्रता एवं लक्ष्य साधना का बेहतर परिणाम देख पाता है. विरोधियों का हस्तक्षेप अधिक रहता है लेकिन उन्हें चुप कराने में भी कुशलता मिलती है. दुर्घटना या अचानक होने वाली घटनाएं स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं. 

सप्तम भाव नवांश में मंगल 

नवांश के सातवें भाव में जब मंगल होता है तो इसका असर व्यक्ति को जीवन में सामाजिक क्षेत्र पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने में मदद्गार हो सकता है. व्यक्ति सलाहकारों से सलाह लेने से बचता है. वह अपने निर्णयों को स्वयं द्वारा लेना पसंद कर सकता है. कुछ मामलों में अपनों के लिए स्वार्थी भी हो सकता है. विपरितलिंग के मध्य आकर्षण पाता है. व्यक्ति दूसरों पर अधिकार जताने में भी काफी इच्छुक हो सकता है. मांगल्य कार्यों में मिलेजुले परिणाम पाता है. 

अष्टम भाव नवांश में मंगल 

नवांश के आठवें भाव में मंगल की स्थिति कमजोर होती है. इसका प्रभाव व्यक्ति को अनुकूल परिणामों में कमी को दर्शाने वाला होता है. मंगल की स्थिति के द्वारा व्यक्ति अपने शत्रुओं एवं व्याधियों से परेशान हो सकता है. जीवन में अचानक होने वाले घटनाक्रम उसे मानसिक रुप से परेशानी दे सकते हैं. व्यक्ति को लाभ प्राप्ति भी आकस्मिक रुप से हो सकती है. मंगल का प्रभव व्यक्ति को गुढ़ चीजों को आसानी से कर लेने में सहायक बनता है. व्यक्ति दबंग, कठोर एवं साहसिक होता है,रक्त संबंधी विकार परेशानी दे सकते हैं. 

नवम भाव नवांश में मंगल 

मंगल के नवांश के नवम भाव में होने पर व्यक्ति को अपने कार्यों में सफलता पाने का अवसर मिलता है. वह जीवन के प्रति कुछ सकारात्मक होता है. उसके पास कई चीजों को करने का मौका भी होता है. जीवन में परिश्रम द्वारा सफलताओं को पाने के लिए प्रेरित होता है. व्यक्ति अपने वरिष्ठों का कठोर अनुशासन पाता है. भाई बंधुओं के प्रति अधिक लगाव होता है, किंतु परिस्थितियां अधिक सहायक नहीं बन पाती है. संघर्ष द्वारा लाभ प्राप्ति योग होता है. मान सम्मान प्राप्ति मिलती है. 

दशम भाव नवांश में मंगल 

मंगल के दशम नवांश में होने के कारण व्यक्ति में अपनी स्थिति को बेहतर बनाने की इच्छा शक्ति मजबूत होती है. नवीन चीजों के प्रति खुद को ढ़ाल लेने का गुण भी होता है. व्यक्ति अधिकारियों के सामने अपनी प्रतिभा को अच्छे से स्थापित करने वाला होता है. भौतिक सुख संपत्ति को एकत्रित कर पाने में सक्षम होता है. व्यक्ति अपने काम के द्वारा प्रसिद्धि भी पाता है. उच्च पदों को पाने में सफल होता है. 

एकादश भाव नवांश में मंगल 

मंगल के एकादश भाव में होने की स्थिति कुछ लाभकारी पहलू दिखाने में सहायक बनती है. व्यक्ति दोस्तों के समक्ष अपने को स्थापित करता है. भीड़ का नेतृत्व करने वाला होता है. एक से अधिक कार्यों को करने में कुशल होता है. घूमने फिरने के मौके मिलते हैं. प्रेम और रोमांस को लेकर वह आगे रहने वाला होता है. अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास उसके द्वारा किए जाते हैं. 

द्वादश भाव नवांश में मंगल 

बारहवें भाव में मंगल की स्थिति कमजोर रहती है. मंगल के प्रभाव से व्यक्ति अपने आस पास की चीजों को लेकर अधिक गंभीर भी दिखाई दे सकता है. रिश्तों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है. प्रेम संबंधों में अलगाव एवं असंतुष्टि का असर भी देखने को मिल सकता है.

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मीन राशि में बृहस्पति अस्त होने का प्रभाव

वर्तमान में मीन राशि में स्थित बृहस्पति अब एक बार पुन: गोचर में अस्त होने वाले हैं. बृहस्पति का अस्त होना गोचर एवं आध्यात्मिक दोनों ही पहलुओं से काफी विशेष माना जाता है. गुरु की स्थिति को अत्यंत शुभ माना गया है ओर जब गुरु अस्त होते हैं तो ऎसे में विवाह-सगाई कार्य, गृह प्रवेश, गृह निर्माण कार्य, नया व्यवसाय एवं कार्यालय आरंभ कोई भी शुभ नवीन कार्यों को करने की मनाही का संकेत मिलता है. इस समय पर ऎसे कार्यों को कुछ समय के लिए रोक देने को कहा जाता है जो जीवन की सुख समृद्धि एवं शुभता के द्योतक होते हैं. 

गुरु क्यों अस्त होता है? 

पंचांग गणना अनुसार गुरु का अस्त होना वह स्थिति होती है जब बृहस्पति सूर्य के अत्यधिक समीपस्त होने लगता है. उस समय सूर्य के प्रभस्वरुप गुरु अस्त होने लगता है. गुरु की अस्त स्थिति के कारण ही गुरु के मिलने वाले शुभ फलों में भी कुछ कमी आ जाती है. ऎसे में बृहस्पति के गुण कमजोर होने के कारण विवाह एवं अन्य प्रकार के मांगलिक कार्यों को रोक दिया जाता है. बृहस्पति एक बेहद ही शुभ ग्रह है, यह दांपत्य सुख, विस्तार, समृद्धि एवं प्रसन्नता का ग्रह है ज्ञान की प्राप्ति का आधार है. इस कारण इसके अस्त होने के कारण इन शुभतत्वों में कमी होती है जिसके चलते यदि अस्त समय पर शुभ मांगलिक कार्यों को किया जाए तो उनका सकारात्मक फल भी कमजोर हो जाता है. 

गुरु अस्त होने का विभिन्न पंचांग अनुसार समय 

01 अप्रैल, 2023, शनिवार को 19:12  बजे और अस्त समाप्त 3 मई, 2023, बुधवार को 04:56 ए एम बजे पर होगा. 

28 मार्च 2023, मंगलवार को गुरु अस्त स्थिति और अस्त समाप्त समय 27 अप्रैल 2023 बृहस्पतिवार को होगा. 

31 मार्च 2023, शुक्रवार को 06:24 गुरु अस्त स्थिति होगी और और अस्त समाप्त समय 30 अप्रैल 2023, रविवार को 03:19 को होगा

बृहस्पति अस्त प्रभाव का राशियों पर असर 

मेष राशि के लिए अस्त बृहस्पति  

मेष राशि वालों के बृहस्पति का अस्त होना आर्थिक मामलों में कुछ नए बदलाव का समय होगा. विदेशी कार्यों में लाभ का समय होगा लेकिन काम के पूरा होने की अवधि अब लंबी भी हो सकती है.  क़रीबी लोगों के साथ कुछ बहस हो सकती है, सामाजिक जीवन में रुचि कम हो सकती है. आर्थिक रूप से, धन व्यय पर नज़र बनाए रखनी होगी. 

वृष राशि के लिए अस्त बृहस्पति  

वृष राशि के लिए ग्यारहवें भाव में बृहस्पति अस्त होगा. इस समय अधिक लाभ मिलने में कुछ समय व्यवधान की स्थिति बनेगी. निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे बड़ा निवेश करने से अभी बचें. परिवार के बड़ों की ओर से थोड़ा अधिक दबाव बढ़ सकता है. इस समय यात्राएं कुछ समय के लिए असुविधाजनक भी लग सकती हैं. 

मिथुन राशि के लिए अस्त बृहस्पति 

बृहस्पति दशम भाव में अस्त होगा. इस घटना के दौरान नौकरी और व्यवसाय से जुड़े जीवन पर ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है. व्यवसायी या कामकाजी व्यक्ति अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में देरी का सामना कर सकता है, कुछ विफलता भी हाथ लग सकती है. स्वास्थ्य कुछ कमजोर हो सकता है. वरिष्ठ अधिकारियों से अधिक सहयोग अभी नहीं मिल पाए.

कर्क राशि के लिए अस्त बृहस्पति   

मिथुन राशि के लिए बृहस्पति नवम भाव में अस्त होगा. अचानक आध्यात्मिक गतिविधियों से हट कर कुछ काम शुरु हो सकते हैं. साधना में कुछ समय अटकाव हो सकता है. धार्मिक यात्राएं होंगी लेकिन यात्राओं में असुविधा परेशान कर सकती है. सामाजिक रुप से नए विचारों के साथ आगे आएंगे. आर्थिक रुप से स्थिति सामान्य रहेगी. 

सिंह राशि के लिए अस्त बृहस्पति   

सिंह राशि को इस समय अचानक से अपने काम में बदलाव दिखाई दे सकता है. उधार या कर्ज देने से अभी बचना चाहिए. स्वास्थ्य में गिरावट देखने को मिल सकती है, इसलिए आपको अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता हो सकती है. 

कन्या राशि के लिए अस्त बृहस्पति  

कन्या राशि वालों के लिए बृहस्पति का अस्त होना विवाह के सुख में कुछ कमी का संकेत दे सकता है, इस समय साझेदारी में किए जाने वाले कार्यों पर बारीकी से नजर बनाए रखनी होगी. कुछ नया करने से बचें. लेनदेन के मसलों में गड़बड़ी हो सकती है. ये समय अचानक से यात्रा का भी होगा. आर्थिक रुप से लाभ और खर्च दोनों की स्थिति बनी रहने वाली हैं. 

तुला राशि के लिए अस्त बृहस्पति

तुला राशि वालों के लिए यह स्थिति सामान्य रहेगी. छठे भाव का स्वामी अस्त होगा ऎसे में शत्रुओं से राहत रहेगी. कुछ नए काम अचानक से लाभ दे सकते हैं. व्यवसाय या नौकरी में स्थिति अनुकूल रहेगी.  इस समय केवल काम करने की रणनीति में अत्यधिक सावधानी की आवश्यकता हो सकती है. 

 वृश्चिक राशि के लिए अस्त बृहस्पति

वृश्चिक राशि वालों के लिए पंचम भाव में बृहस्पति का अस्त होगा. यह समय छात्रों की एकाग्रता की कमी को देने वाला होगा, इस समय बच्चे कुछ लापरवाह हो सकते हैं. मौज मस्ती में अधिक समय लगाते हुए छात्र अपनी शिक्षा में कमजोर हो सकते हैं. प्रेमियों के लिए स्थिति कमजोर होगी. संतान को लेकर कुछ चिंता रह सकती है. 

धनु राशि के लिए अस्त बृहस्पति

धनु राशि वालों को इस समय घर से दूर जाने के मौके मिलेंगे. काम एवं नई चीजों को सीखने के लिए कुछ यात्रा कर सकते हैं. धनार्जन के लिए और सेविंग बनाए रखने के लिए प्रयास अधिक करने की आवश्यकता होगी. 

मकर राशि के लिए अस्त बृहस्पति 

बृहस्पति का अस्त होना थकान की अधिकता दे सकता है.काम में अधिक ध्यान न देने से दूसरों के हस्तक्षेप की अधिकता होगी. ऎसे में चीजों पर नियंत्रण कम होगा. भाई बंधुओं के साथ व्यर्थ की बहस से बचने की आवश्यकता होगी. कंधे एवं कान से जुड़े रोग उभर सकते हैं. 

कुंभ राशि के लिए अस्त बृहस्पति 

 कुंभ राशि के लिए बृहस्पति का अस्त होना धन से जुड़े मामलों में कुछ निराशा दे सकता है. इस समय खान-पान में लापरवाही सेहत पर भी असर डल सकती है. परिवार में किसी सदस्य के कारण चहलकदमी बढ़ सकती है. सेविंग को लेकर लापरवाही से बचना होगा.

मीन राशि के लिए अस्त बृहस्पति 

लग्नेश बृहस्पति के अस्त होने के कारण मन एवं शरीर के तारतम्य में कमी दिखाई देगी. कुछ बातों को लेकर अधिक सोच विचार बना रह सकता है. कार्यों को लेकर परिश्रम बनाए रखने की आवश्यकता होगी. इस समय जरुरी है की बृहस्पति के मंत्रों का जाप नियमित रुप से किया जाए ऎसा करने से शक्ति एवं उत्साह बना रहेगा. 

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जन्म कुंडली में केन्द्र भावों की भूमिका और परिणाम

कुंडली में प्रत्येक भाव अपने आप में परिपूर्ण होता है, लेकिन इसके साथ ही एक कुछ भाव ऎसे होते हैं जिनका प्रभाव बेहद ही शुभ और विशेष बन जाता है. इन भावों को केन्द्र भाव की संज्ञा दी जाती है. कुंडली में मौजूद यह भाव व्यक्ति के अस्तित्व पर विशेष छाप छोड़ने वाले होते हैं इन भावों के संबंधों से ही धन योग, लक्ष्मी योग जैसे शुभ फल प्राप्त होते हैं. वहीं जब केन्द्र का संबंध एक दूसरे से बनता है तो दोनों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन को मजबूती देने वाला माना गया है.

केन्द्र भाव में कुंडली के चार स्तंभों को देखा जाता है. इन स्तंभों के द्वारा जीवन चलायमान होता है. इन के आधार पर ही कुंडली के कई योग निर्मित भी होते हैं. कुंडली के ये भाव जीवन के भौतिक स्वरुप के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं. 

कुंडली के केन्द्र भाव कौन से होते हैं 

पहला भाव – केन्द्र भाव 

जन्म कुंडली का पहला भाव केन्द्र भाव में स्थान पाता है. यह कुंडली के शुरुआत की स्थिति भी होती है ओर व्यक्ति का जीवन इसके द्वारा दृष्टिगोचर भी होता है. कुंडली का पहला घर जिसे लग्न भी कहा जाता है केन्द्र स्थान में बेहद विशेष होता है. इसको तनु या शरीर भाव के रूप में भी जाना जाता है जो जीवन की शुरुआत यानी बचपन, स्वास्थ्य, परिवेश, व्यक्तित्व, शारीरिक बनावट, चरित्र और कुंडली की सामान्य ताकत को रेखांकित करता है.

इस भाव के द्वारा शुभता आचरण एवं अच्छे खराब प्रभाव सभी को देखा जाता है. कुंडली में यदि लग्न मजबूत होता है तो व्यक्ति को जीवन में किसी भी संघर्ष से बच निकलने की अदभुत शक्ति भी प्राप्त होती है. लग्न का स्वामी ओर लग्न यदि हर प्रकार से शुभ होते हैं तो व्यक्ति कभी हार नहीं मानता है. वह अजय के रुप में सफलता को पाता है. इसके विपरित अगर यह केन्द्र भाव कमजोर हो जाए तो व्यक्ति को किसी के समक्ष विजय पाने में संघर्ष अधिक करना पड़ सकता है. आत्मसम्मान पर इसका गहरा असर भी पड़ता है. 

चतुर्थ भाव केन्द्र स्थान   

चौथा घर एक केंद्र भाव है जो गृह जीवन, आंतरिक सुख, माता के सुख, चल और अचल संपत्तियों, सामान्य शिक्षा को दर्शाता है। यह काल पुरुष – गर्दन और कंधों का भी प्रतिनिधित्व करता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार दूसरा घर एक व्यक्ति एवं उसके परिवार, भौतिक सुखों, वाहन, वस्त्र आभूषण, परिवार में माता, प्रेम रिश्तों के साथ संबंधों, उसके धन को दिखाने वाला स्थान होता है, यह एक व्यक्ति के मूल्यों एवं उसकी नैतिकता के लिए भी अच्छा स्थान होता है.

किसी के पारिवारिक मूल्यों और परंपराओं को समझने के लिए इस घर को देखा जा सकता है.  धन कमाने के लिए चुने गए रास्ते को समझने में भी यह घर मदद करता है. इसे कुंडली विश्लेषण के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है और परिवार के धन और मूल्यों को समझने के लिए कुंडली मिलान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.  एक व्यक्ति के लिए उसका सुख और घर के साथ उसके संबंधों की परिभाषा को समझाने वाला स्थान होता है. 

सातवां भाव केन्द्र भाव 

एक मजबूत सातवां घर एक व्यक्ति की जीवन शैली में एक भौतिकवादी स्थिति को दर्शाता है. साझेदारी के लिए ये स्थान बेहद अच्छा होता है. जीवन में होने वाले कोई भी काम जो मिल कर किए जा सकते हैं उन्हें इसके द्वारा देखा जाता है. यह विवाह का स्थान भी है. जीवन में प्रमुख लक्ष्य के रूप में पैसा कमाना और सामाजिक स्थिति भी इस भाव से देखने को मिलती है. खुशी और स्वतंत्रता को इससे भी जोड़ा जाता है. यह भाव प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए साथी एवं धन का सही तरीके से उपयोग करने की क्षमता भी देता है.

यह भाव व्यक्ति की भावनाओं को भी प्रभावित करता है, खासकर जीवन के दूसरे पड़ाव में साथी के साथ संबंधों को भी सके द्वारा देखा जाता है. इस केन्द्र भाव के कमजोर होने की स्थिति के परिणामस्वरूप शत्रुता, विरक्ति, ऋणों का संचय हो सकता है. घर की प्रतिकूल स्थिति का परिणाम यह भी हो सकता है कि व्यक्ति को अपने परिवार के सदस्यों के साथ कई तरह से नहीं मिल पाता है. यह अनुभव परिवार और परिचितों के विस्तारित क्षेत्रों में भी आगे बढ़ाया जा सकता है, विशिष्ट ग्रहों की उपस्थिति इस भाव पर अधिक प्रभाव डाल सकती है जबकि शुभ का होना जीवन को असमान बना सकता है. 

दशम भाव केन्द्र स्थान 

 दशम भाव क्रिया और कर्म का प्रतिनिधित्व करता है इसे कीर्तिस्थान के रूप में जाना जाता है. वैदिक ज्योतिष में दशम भाव आपके कार्यक्षेत्र को निर्धारित करता है. इस घर की चाल आपके करियर की रेखा तय करती है. इसी घर से सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है. शक्ति या दासता की स्थिति भी इसी घर से देखने को मिलती है. दशम भाव एक सामाजिक रुप से आगे बढ़ने को अग्रसर करता है.  यह  सत्ता में लोगों के साथ नेटवर्क को जोड़ने और बनाने के लिए आगे रखता है. दशम भाव सीधे तौर पर कमाई की क्षमता से भी जुड़ा होता है.

शक्ति और महत्वाकांक्षा को दर्शाता दशम भाव कड़ी मेहनत के प्रति किसी के दृष्टिकोण को स्थापित करता है. करियर में लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक प्रयास करने की बात इसी घर से आती है. जीवन के कर्मों का फल भी इस घर से देखा जा सकता है. कालपुरुष कुंडली अनुसार यह शनि ग्रह द्वारा अधिपति स्थान है और मंगल और सूर्य कारक बनते हैं. सबसे प्रभावशाली और शक्तिशाली लोग इस घर का प्रतिनिधित्व करते हैं. समाज के उच्च वर्ग में स्थापित होने के लिए इस घर की मजबूती आवश्यक होती है. 

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