संकटा दशा का आपकी कुंडली पर असर

संकटा दशा का समय काफी चुनौतियों एवं जीवन में होने वाले बदलावों से भरा माना गया है. संकटा दशा का समय आठ वर्ष का होता है. यह समय जिन कार्यों को करते हैं या जो फैसले लेते हैं उन सभी पर दूरगामी असर दिखाता है.  इस दशा में प्रसिद्धि मिलती है लेकिन साथ ही अपयश भी मिलता है क्योंकि छोटी सी गलती भी इस समय पर काफी बड़े रुप में सामने आती है.  यह दशा धन, यश और पद प्रतिष्ठा पर अधिक असर डने वाली होती है. आइये जानें इस दशा का संबंध कुंडली के किस भाव से कैसे असर दिखाता है. 

किसी व्यक्ति के भाग्य पर संकटा का प्रभाव और जन्म कुंडली में उसकी ऊर्जाओं का प्रकट होने का समय होता है. यह दशा व्यक्ति में कई तरह के उत्साह और काम करने की इच्छ अभी प्रदान करती है.  संकटा की दशा को समझने के लिए अपने दृष्टिकोण को कई तरह से बदलना पड़ता है. भाग्य, कर्म यह दोनों बातें इस दशा पर जोर डालती हैं. यह दशा कुछ असामान्य प्रकृति, विनाश और विस्तार की प्रकृति को दिखाती है. संकटा की स्थिति दुखों के कारणों, जीवन में समस्याओं का एहसास करने और उन्हें हल करने के तरीके खोजने के लिए भी संभव बनाती है.  संकटा दशा एक सर्प की भांति होती है, हम उसे भगवान शिव के गले में लिपटे हुए देख सकते हैं. संकटा वह है जो सभी प्रकार के विष और नशीले पदार्थों का प्रतिनिधित्व करता है. यह संकटा की जहरीली प्रकृति है जो कुंडली में उसके संपर्क में आने वाली हर चीज को नष्ट कर सकती है.संकटा का उन भावों और ग्रहों पर भी विषैला प्रभाव पड़ता है जो उसके साथ में होते हैं. 

दूसरी ओर, संकटा का प्रभाव जिस भाव में स्थित होता है, वह असीम शक्ति का स्थान होता है, एक ऐसा स्थान जहाँ साहस, दृढ़ता, अपने आप में दृढ़ विश्वास और अपनी ताकत दिखाते हुए व्यक्ति अपने जीवन के लक्ष्यों को विकास की ओर ले जाने में सक्षम होता है. इसीलिए इस दशा में जो भाव आता है, वह भाग्य का क्षेत्र है, विकास का स्थान होता है. और सभी जानते हैं कि विकास कमजोरियों और बाधाओं पर काबू पाने से ही मिलता है. जिस भाव में संकटा दशा का असर अधिक होता है उस भाव को असीमित संभावनाओं से भरा देखा जा सकता है.

संकटा के प्रभाव का भाव में उसकी उपस्थिति, जीवन के उन क्षेत्रों को साझा कर सकती है जिनके साथ वह संपर्क में आती है. उदाहरण के लिए, संकटाीअगर पंचम भाव से संबंधित है तो संतान के साथ विचारों में होने वाले मतभेद दे सकती है, अलगाव का कारण बन सकती है, गुढ़ शिक्षा के लिए प्रेरित कर सकती है. सप्तम भाव पर संकटा की होना जीवनसाथी या साझेदारों के साथ अलगाव का कारण बन सकता है. संकटा के नवम भाव पर प्रभाव पिता या गुरु से अलगाव हो सकता है, व्यक्ति नई परंपराओं से जुड़ सकता है. 

प्रथम भाव में संकटा 

पहले भाव में संकटा व्यक्ति को अहंकार की तीव्र भावना देने वाला समय होता है. इस दशा का प्रभाव व्यक्ति को अधिक बातूनी और बहुत मुखर भी बना सकता है. व्यक्ति को निर्भीक और साहसी भी बनता है. अक्सर व्यक्ति शेयर मार्किट, लाटरी जैसे कामों में शामिल भी हो सकता है. इस समय व्यक्ति अपनी स्वतंत्र इच्छा शक्ति को दूसरों पर थोपने की कोशिश भी कर सकता है. दुर्घटनाओं और चिंताओं का दौर भी इस दशा में विशेष होता है. 

दूसरे भाव में संकटा दशा प्रभाव 

इस समय के दौरान आर्थिक मुद्दे महत्वपूर्ण होते हैं. इस समय फूसरे लोगों की  गलत धारणा का सामना भी करना पड़ सकता है. विपरीत परिस्थितियों पर व्यक्ति अपनों से दूर हो सकता है.  व्यक्ति की बचत और धन की स्थिति के लिए हानिकारक समय होता है, दूसरे घर में संकटा सकारात्मक रूप से धीरे-धीरे सुधार देती है. संयम और सब्र का परिणाम लाभ के रुप में मिलता है. स्वास्थ्य को लेकर सजग रहने की आवश्यकता होती है. 

संकटा तीसरे भाव में

संकटा का प्रभाव तीसरे भाव पर होने से ये समय क्रियात्मकता में तेजी लाता है. व्यक्ति को सफलता का अवसर मिलता है कई बार जिस कार्य को हाथ में लेता है उसमें सफलता प्राप्त होती है. यह डींग मारने और शेखी बघारने का गुण भी देता है और ये व्यक्ति इस गुण को सर्वश्रेष्ठ बनाते हैं. भ्रमण के अधिक मौके मिलते हैं. कई अलग अलग लोगों के साथ मेल जोल का समय भी होता है. 

चतुर्थ भाव में संकटा

यह समय मिलेजुले रुप से असर डालता हैअच्छी या बुरी दोनों तरह की परिस्थितियां होती है. व्यक्ति प्राय: करियर में अपने उत्थान, पर्याप्त अचल संपत्ति के मालिक होने का सुख पाता है. किंतु सुख की कमी झेलता है. बहुत महत्वाकांक्षी होता है. अपने सुख स्थान से दूर चला जा सकता है. परिवार के लोगों के साथ तनाव होता है माता का सुख प्रभावित होता है. 

पंचम भाव में संकटा

यह घर शिक्षा, ज्ञान, बुद्धि और संतान से संबंधित है. और पंचम भाव में संकटा अहंकार की अतिरिक्त भावना देने वाला समय होता है. अति आत्मविश्वासी बनाता है. यह गर्भावस्था के दौरान भी समस्या पैदा करता है और अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है. यह स्थिति प्रबंधन में सैद्धांतिक दक्षता देती है न कि व्यावहारिक. व्यर्थ के मुद्दों से दूर रहने की आवश्यकता होती है. 

छठे भाव में संकटा

यइस भाव से संबंधित होने पर कई तरह के बदलाव और चुनौतियां होती हैं. अनुकूल स्थिति मिलती है जो शत्रुओं को हराने के काम आती है. लेकिन अकेलापन अधिक देती है. स्वास्थ्य को लेकर चिंता बनी रहती है. चिंताएं अधिक होती हैं और काम की अधिकता भी रहती है. 

सातवें घर में संकटा

इस दशा का असर वैवाहिक जीवन पर पड़ता है. साझेदारी के काम तनाव बढ़ा देने वाले होते हैं. अक्सर जीवनसाथी में अहंकार की तीव्र भावना होती है, और वैवाहिक जीवन में सामंजस्य कम हो जाता है. व्यापारिक लेन-देन में संकटा दशा के समय यह सुनिश्चित करना होता है कि सौदे में खरीदार और विक्रेता दोनों सीधे हों और मामले में कोई अनैतिक व्यवहार शामिल न हो अन्यथा कानूनी मसले असर डालते हैं. 

आठवें घर में संकटा

आठवें घर में संकटा सबसे पहले व्यक्ति को अवांछित परेशानियों को देने वाली होती है. स्वास्थ्य पर विशेष रूप से संकटा की महादशा के दौरान चिंता बढ़ जाती है. व्यक्ति की पृष्ठभूमि में बदलाव होगा. खान पान में बदलाव का असर सेहत पर होगा. व्यर्थ के झूठे आरोप लग सकते हैं. गलत काम या व्यवसाय की ओर रुझान भी हो सकता है.  

नवम भाव में संकटा

संकटा अकेला बहुत प्रभावी नहीं है, जब तक कि यह किसी अन्य ग्रह के साथ न हो या यह नवम भाव के स्वामी से सीधे दृष्टि प्राप्त न करता हो. नवम भाव या नवम भाव के स्वामी के ग्रह के अनुसार व्यक्ति व्यवहार करता है और रंग बदलता है. धार्मिक यात्राएं होगी. अलग संक्सृति के साथ जुड़ाव होगा. भाग्य कुछ कम साथ दे पाएगा. पिता को लेकर सुख प्रभावित होता है. लोगों के साथ तर्क वितर्क बढ़ता है.

दसवें भाव में संकटा

यह समय संकटा दशा के लिए बहुत प्रभावी होता है. इस समय व्यक्ति अपने करियर को लेकर कई नवीन बातों में व्यस्थ होता है. व्यक्ति स्वतंत्र रूप से कार्य करता है. समाज में उनकी स्थिति भी मजबूत होती है. व्यक्ति को विरोधियों की ओर से अटकाव अधिक झेलने पड़ सकते हैं. अहंकार की उच्च भावना होती है. कई बार स्वभाव की कठोरता विवाद को बढ़ावा देने वाली होती है. 

ग्यारहवें भाव में संकटा

इस भाव में जब इस दशा का संबंध ब राशि कोई भी हो और घर का स्वामी कोई भी हो, संकटा हमेशा एकादश भाव में शुभ असर दिखाने वाली भी मानी जाती है. इस समय व्यक्ति अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अधिक उत्साहित होता है. परिश्रम करता है. भाग्य का साथ मिलने से व्यक्ति को कभी भी धन की कमी नहीं होती है, लेकिन ये समय धन के खर्च को भी दिखाता है  

बारहवें भाव में संकटा

इस भाव में अकेले बहुत प्रभावशाली नहीं है. यह दान और सामाजिक कार्यों के लिए धन खर्च करने के लिए प्रोत्साहित करने वाली दशा है. इस समय शरीर, कंधे, गर्दन और छाती से संबंधित रोग अधिक परेशान कर सकते हैं. विदेश गमन का अवसर भी प्राप्त होता है. 

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