किसी भी ग्रह की शक्ति या उसके बल को जानना होता है तो उसे उक्त ग्रह की विभिन्न स्थितियों का विश्लेषण करके जाना जा सकता है. यह विभिन्न पद ग्रह शक्ति के विभिन्न स्रोत हैं जिन्हें षडबल के नाम से जाना जाता है. षडबल की गणना के तरीके ग्रहों और कुंडली में मौजूद भावों की स्थिति के बारे में जानकारी विस्तार से देते हैं. इसी में जब सूर्य को षडबल में अच्छा शक्ति बल मिलता है तो उसका प्रभाव कई तरह से व्यक्ति को प्राप्त होता है. सूर्य के षडबल में मजबूत होने का असर कई तरह से मिलता है.
सूर्य का षडबल में मजबूत होने का कुंडली पर असर
वैदिक ज्योतिष में सूर्य एक विशेष ग्रह है. इसका प्रभाव अन्य ग्रहों के साथ साथ जीवन पर भी पड़ता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि आपकी जन्म कुंडली में सूर्य शक्तिशाली है तो यह शक्ति, पद और अधिकार देने में सहायक बनता है. जन्म कुण्डली में सूर्य के बली होने से का करियर एवं सम्मान का फल अवश्य प्राप्त होता है. ज्योतिष अनुसार सूर्य की अलग-अलग स्थिति होती है. यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के लिए अलग असर दिखाने वाला होता है. जन्म कुंडली में षडबल में यदि सूर्य शक्तिशाली होता है, तब इसके प्रभाव में कई प्रकार के फल प्राप्त होते हैं. सूर्य का षडबल में मजबूत होना व्यक्ति के जीवन पर चमक बिखेरने का काम करता है. इसके असर द्वारा व्यक्ति शक्तिशाली, गतिशील, अधिकार सम्पन्न और प्रभावशाली होता है. व्यक्ति में नेतृत्व के गुण भी होते हैं. वह साहसी होता है, लोगों के मध्य आकर्षण का केंद्र बनता है.
वैदिक ज्योतिष में सूर्य का प्रभाव
जब किसी की जन्म कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, तो उनके पास सफल करियर या मान सम्मान की कमी बनी रहती है. जब किसी राशि में सूर्य कमजोर होता है, तो व्यक्ति असफल करियर का अनुभव कर सकता है. व्यक्ति में आत्मबल भी कमजोर होता है. सूर्य से होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी उसे हो सकती हैं. हृदय, हड्ड़ी, त्वचा और नेत्र रोग भी हो सकते हैं. इसके विपरित यदि सूर्य अच्छी स्थिति में है तो उसका असर सफलता ओर स्वास्थ्य सुरक्षा की गारंटी के रुप में देखा जाता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार राशियों में प्रत्येक ग्रह का अपना भाव एवं राशि होती है. इसी प्रकार सूर्य का सिंह राशि में स्थान होता है मेष राशि उसका उच्च बल स्थान होता है. लग्न दशम भाव में वह अच्छी मजबूत स्थिति को पाता है. जब सूर्य षडबल में इन्हीं स्थिति को पाता है तो व्यक्ति स्वतंत्र, बलवान, गतिशील, आज्ञाकारी और जिद्दी होता है. प्रचलित मान्यता के अनुसार ज्ञानवान, अभिमानी, स्वतंत्र और सुखमय जीवन व्यतीत करने वाला होता है.
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य पीड़ित हो तो उसका जीवन संघर्षमय बना देता है. किसी को उसके द्वारा किए जाने वाले कार्यों के लिए उचित श्रेय नहीं मिल पाता है. लोगों के साथ उसके अच्छे संबंध नहीं हो सकते हैं. मंगल, शनि, राहु और केतु के अशुभ प्रभाव से सूर्य आमतौर पर पीड़ित होता है. यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में सूर्य पीड़ित हो तो उसे कष्ट होता है. सूर्य को अपना राशि चक्र पूरा करने में एक वर्ष लगता है. प्रत्येक राशि में इसे एक मास कहते हैं. मकर से मिथुन राशि में सूर्य का गमन उत्तरायण अर्थात उत्तर की ओर गति करता है और कर्क से धनु राशि में गोचर दक्षिणायन अर्थात दक्षिणावर्त गति करने वाला होता है. सूर्य की इस गति के कारण ऋतु चक्र होता है. सूर्य जब मकर और कुम्भ को रोकता है तो शीतकाल होता है. जब यह मीन और मेष राशि में होता है, तो मौसम बसंत होता है; वृष और मिथुन राशि में, मौसम गर्मी का होता है; जब कर्क और सिंह राशि में, यह मानसून है; कन्या और तुला राशि में, यह शरद ऋतु है, और जब सूर्य वृश्चिक और धनु राशि में होता है, तो यह शरद ऋतु और सर्दियों के बीच का समय होता है.
षडबल में सूर्य का सकारात्मक प्रभाव
सूर्य अगर षडबल में मजबूत हो तब उसका असर प्रेरित करने वाला होता है. व्यक्ति बिना किसी हिचकिचाहट के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है. व्यक्ति अपने निर्णयों और कार्यों में आवेगी होता है लेकिन आत्मविश्वास एवं सहजता से भी पूर्ण होता है. दृढ़ता और अभिमान भी उसमें अधिक होता है. उसका जुनून ही सफलता सुनिश्चित करने वाला होता है. व्यक्ति सक्रिय रुप से चीजों में शामिल रहने वाला, रोमांच, खेल इत्यादि से जुड़े कामों में उन्मुख होता है. वह तब तक बेचैन रहता है जब तक कि वे लगातार अपनी सफलता में आगे न रहे और क्रियाशील होकर काम न करे. षडबल में सूर्य का अच्छा होना व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद भी प्रदान करता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी रहती है. व्यक्ति के पास जो कुछ भी है उसमें साहस जरूर दिखाता है, और कठिनाइयों का सामना करने पर भी वे जल्दी से हिम्मत नहीं हारता. व्यक्ति जन्म से ही नेता होता हैं. दूसरों पर अपना नियंत्रण करना चाहेंगे. हर चीज में प्रथम बनना चाहेंगे. उच्च स्तर की प्रतिस्पर्धा भी उनमें होती है. जीतने के लिए कुछ भी करने वाला होता है लेकिन गलत कार्यों से नहीं बल्कि बेहतर रुप से आगे बढ़ने वाला होता है. अपने रिश्तों के लिए भावुक होता है.
षडबल में उच्च प्रभाव के कुछ नकारात्मक प्रभाव
षडबल में मजबूत सूर्य भी कहीं न कहीं नकारात्मक रुप से अपना असर भी देता है. अपनी विभिन्न गतिविधियों में बहुत अधिक व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होता है लेकिन अभिमान और क्रोध की स्थिति भी अधिक असर डालने वाली होती है. क्रोध एवं उत्साह की अधिकता कभी-कभी दूसरों के लिए आक्रामक भी सकता है. क्रूर व्यवहार और निर्दयी लगता है. सूर्य का मजबूत प्रभाव आवेगपूर्ण व्यवहार देता है. व्यवहार अक्सर किसी और की सुविचारित योजना के रास्ते में आ जाता है. जब वे असहमत होते हैं, तो वे खुले तौर पर ऐसा करता है. इस प्रकार मजबूत सूर्य के कुछ प्रभाव नकारात्मक लक्षण के रुप में भी षडबल में देखे जा सकते हैं.