मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि को हनुमान जयंती भी मनाई जाती है. इस त्योहार को हनुमान व्रतम के नाम से भी जाना जाता है. कन्नड़ हनुमान जयंती मुख्य रूप से कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के अन्य हिस्सों में
भगवान सूर्य की पूजा का दिन भानु सप्तमी कहलाता है. इस दिन भानु यानि सूर्य की पूजा की जाती है. शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को भानु सप्तमी व्रत रखा जाता है. धर्म ग्रंथों के अनुसार, सूर्य देव की पूजा करने वाले भक्तों को धन,
मगसर अमावस्या को मार्गशीर्ष माह के दौरान मनाया जाता है. यह अमवास्य तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष अर्थात मगसर महीने में नवंबर-दिसंबर के कृष्ण पक्ष में आती है, मगसर अमावस्या का दूसरा नाम अगहन अमावस्या है, मगसर को
अगहन मास भक्ति और समर्पण से भरा होता है. ऎसे में इस माह में आने वाली अमावस्या को अगहन अमावस्या के नाम से जाना जाता है. साल भर में आने वाली सभी अमावस्या में से विशेष यह अगहन अमावस्या काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. अगहन
मार्गशीर्ष माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का दिन गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के रुप में पूजा जाता है. इस दिन भगवान श्री गणेश जी का पूजन विधि विधान के साथ करते हैं. भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और गणेश जी की पूजा वंदना
देव दिवाली 2024 महत्वपूर्ण तिथि हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाई जाती है. देव दीपावली कोप देवताओं की दीपावली के पर्व नम से जान अजाता है. मान्यताओं के अनुसर इस दिन देवताओं दीपावली का पर्व मनाया था. इस दिन
विजयादशमी का संबंध ज्योतिष शास्त्र अनुसार मुहूर्त प्रकरण में आता है. मुहूर्त गणना में इस दिन को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है.यह एक अबूझ मुहूर्त भी है, वो मुहूर्त जिन पर किसी शुभ कार्य को करने के लिए किसी से सलाह-मशविरा
दुर्गा विसर्जन नवरात्रि के अंतिम दिन का प्रतीक है जिसे भक्त उत्साह के साथ मनाते हैं. देश भर के अलग अलग हिस्सों में इसे मनाते हुए देख अजा सकता है. अलग अलग स्थानों में अलग अलग रंग रुप लिए ये दिन विशेष महत्व रखता है.
संधि पूजा देवी दुर्गा के निमित्त किया जाने वाला विशेष अनुष्ठान होता है. इसे विशेष रुप से नवरात्रि के दौरान किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री राम जी द्वारा किया गया था संधि पूजन. संधि पूजा द्वारा देवी का
शिव वास अपने नाम के अनुरुप भगवान शिव के निवास स्थान की स्थिति को बताता है. शिव वास की स्थिति को जानकर भगवान शिव के रुद्राभिषेक को करना शुभफल देने वाला होता है. शिव वास के नियमों के द्वारा जान सकते हैं कि अनुष्ठान के समय
आश्विन मास की पूर्णिमा को आश्विन पूर्णिमा कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इसी पूर्णिमा के दिन समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी का जन्म हुआ था, और इस दिन कई अन्य विशेष घटनाएं घटित हुई जिनके कारण यह दिन वर्ष भर की पूर्णिमाओं
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को महेश्वर व्रत करने का विधान है. इस वर्ष महेश्वर व्रत 24 मार्च 2024 को रविवार के दिन किया जाएगा. महेश्वर भगवान शिव का ही एक अन्य नाम है. इस दिन भगवान शिव का पूजन करना अत्यंत शुभ
भारतवर्ष में प्रत्येक दिन किसी न किसी महत्व से जुड़ा होता है. यहां मौजूद तिथि, नक्षत्र और दिनों का मेल होने पर कोई उत्सव, व्रत-त्यौहार इत्यादि संपन्न होते हैं. इन सभी का मेल एक उत्साह ओर विश्वास के साथ भक्ति और शक्ति के
व्रत और त्यौहार की श्रेणी में प्रत्येक दिन और समय किसी न किसी तिथि नक्षत्र योग इत्यादि के कारण अपनी महत्ता रखता है. इसी के मध्य में आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन कोकिला व्रत भी मनाया जाता है. अषाढ़ मास में आने वाले अंतिम
नवचंडी शक्ति का ही एक अंग है. देवी के नव रुपों का स्वरुप है. नव चंडी देवी की शक्ति और उसका पूजन किसी भी भक्त को साधना की परकाष्ठा तक पहुंचा देने में अत्यंत ही सहायक बनता है. नवचण्डी का पूजन एक यज्ञ का रुप होता है.
फाल्गुन माह के शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन माह की पूर्णिमा तक होलाष्टक का समय माना जाता है, जिसमें शुभ कार्य वर्जित रहते हैं. होला अष्टक अर्थात होली से पहले के वो आठ दिन जिस समय पर सभी शुभ एवं मांगलिक कार्य रोक दिए जाते
भीष्म द्वादशी का पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को किया जाता है. यह व्रत भीष्म पितामह के निमित्त किया जाता है. इस दिन महाभारत की कथा के भीष्म पर्व का पठन किया जाता है, साथ ही भगवान श्री कृष्ण का पूजन भी होता है.
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन श्री पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है. इस पर्व को हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता है. यह दिन भिन्न भिन्न रुपों में अलग अलग स्थानों पर मनाते हुए देखा जा सकता है. इस दिन मंदिरों में
माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को "वरद कुंद चतुर्थी" के रुप में मनाया जाता है. वैसे यह चतुर्थी अन्य नामों से भी जानी जाती है. जिसमें इसे तिल, कुंद, विनायक आदि नाम भी दिए गए हैं. इस दिन भगवान श्री गणेश का पूजन
पौष माह की पूर्णिमा को शाकम्भरी जयंती मनाई जाती है. शक्ति के अनेक अवतारों में से एक अवतार शाकंभरी माता का भी है. देवी दुर्गा के भिन्न-भिन्न अवतारों में से एक शांकंभरी अवतार सृष्टि के कल्याण और सृजन हेतु होता है. माता
शीतला षष्ठी का व्रत षष्ठी तिथि के दिन किया जाता है. माता षष्ठी का पूजन संतान की कुशलता और दिर्घायु के लिए किया जाता है. इस व्रत का संपूर्ण भारत वर्ष में बहुत महत्व होता है. शीतला माता का पूजन करने से घर परिवार में सुख
हिन्दू पंचांग अनुसार षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी के रुप में मनाई जाती है. षष्ठी तिथि भगवान स्कन्द की जन्म तिथि होती है. भगवान स्कंद की षष्ठी तिथि को दक्षिण भारत में बहुत उल्लास के साथ मनाया जाता है. दक्षिण भारत में स्कंद
कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा को “कार्तिक पूर्णिमा” के नाम से जाना जाता है. कार्तिक पूर्णिमा का पर्व संपूर्ण भारत वर्ष में उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दिन के पावन अवसर पर देश के अनेक क्षेत्रों पर पूजा पाठ,
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी “चंपा षष्ठी” नाम से भी मनाई जाती है. मान्यता है की चंपा षष्ठी का पर्व भगवान शिव के एक अवतार खंडोवा को समर्पित है. खंडोवा या खंडोबा को अन्य कई नामों से भी पुकारा जाता है. इसमें से
हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में यम को मृत्यु का देवता बताया गया है. यम जिन्हें यमराज व धर्मराज के नाम से भी पुकारा जाता है. वेद में भी यम वर्णन विस्तार रुप से प्राप्त होता है. यमराज, का वाहन महिष है अर्थात भैसा. भैंसे पर
ज्योतिष शास्त्र में पंचाग गणना अनुसार माह की 30वीं तिथि को अमावस्या कहा जाता है. इस समय के दौरान चंद्रमा और सूर्य एक समान अंशों पर मौजूद होते हैं. इस तिथि के दौरान चंद्रमा के प्रकाश का पूर्ण रुप से लोप हो जाता है अर्थात
मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भैरव जयंती का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष 23 नवंबर 2024 को भैरव जयंती का उत्सव मनाया जाएगा. भैरव को भगवान शिव का ही एक रुप माना जाता है और भैरव शिव के अंशावतार हैं. भैरव का जन्म
कार्तिक मास की 30वीं तिथि को “कार्तिक अमावस्या” के नाम से मनाया जाता है. हिन्दू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व रहता रहा है. प्रत्येक माह में आने वाली अमावस्या किसी न किसी रुप में कुछ खास लिए होती है. हर महीने में एक
कार्तिक माह में तुलसी पूजा का महात्मय पुराणों में वर्णित किया गया है. इसी के द्वारा इस बात को समझ जा सकता है कि इस माह में तुलसी पूजन पवित्रता व शुद्धता का प्रमाण बनता है. शास्त्रों में कार्तिक मास को श्रेष्ठ मास माना
भाद्रपद माह की अमावस्या पिठोरी अमावस्या कहा जाता है. इस वर्ष 03 सितंबर, 2024 को मंगलवार के दिन मनाई जाएगी. पिठोरी अमावस्या के दिन स्नान-दान का महत्व होता है. इस दिन पवित्र नदियों ओर धर्म स्थलों के दर्शन किए जाते हैं.
देव प्रबोधिनी एकादशी, सभी एकादशियों में से ये एकादशी एक अत्यंत ही शुभ और अमोघ फलदायी एकादशी होती है. देव प्रबोधिनी एकादशी को देव उठनी एकादशी, देवुत्थान एकादशी इत्यादि नामों से जानी जाती है. वैष्णव संप्रदाय में एकदशी
भीष्म पंचक का समय कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से आरंभ होता है और कर्तिक पूर्णिमा तक चलता है. पूरे पांच दिन चलने वाले इस पंचक कार्य में स्नान और दान का बहुत ही शुभ महत्व होता है. धार्मिक मान्यता अनुसार भीष्म पंचक
कुबेर देव का पूजन करना जीवन में शुभता और आर्थिक समृद्धि को प्रदान करने वाला होता है. कुबेर पूजा को विशेष रुप से दिपावली के समय पर किया जाता है. कुबेर जी को धनाध्यक्ष और अपार धन दौलत का स्वामी माना गया है. यह धन के देवता
कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन विश्वकर्मा पुजन होता है. इस उत्सव पर निर्माण और सृजन के देवता विश्वकर्मा का पूजन होता है. मान्यता अनुसार विश्वकर्मा पूजन के दिन सभी प्रकार की मशीनों, शस्त्रों इत्यादि मशीनों की भी
अन्नकूट पर्व अपने नाम के अर्थ को सिद्ध करता है. इस दिन अन्न का पूजन होता है और भगवान को ढेर सारे पकवानों का भोग लगाया जाता है. कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन अन्नकूट का त्यौहार मनाया जाता है. यह पर्व एक
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को त्रिपुरोत्सव का पर्व मनाया जाता है. प्रदोषव्यापिनी इस पर्व को विधि विधान से मनाने का कार्य प्राचीन समय से ही चला रहा है. पूर्णिमा के दिन पड़ने वाले इस पर्व को सभी लोग बहुत
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को आश्विन पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. संपूर्ण वर्ष में आने वाली सभी पूर्णिमा तिथियों की भांति इस पूर्णिमा का भी अपना एक अलग प्रभाव होता है. आश्विन पूर्णिमा को संपूर्ण भारत
धर्म ग्रंथों में धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना गया है. धर्म ग्रंथों में प्रत्येक देवता किसी न किसी शक्ति से पूर्ण होते हैं. किसी के पास अग्नि की शक्ति है तो कोई प्राण ऊर्जा का कारक है, कोई आकाश तो कोई हवा का संरक्षक
आश्विन मास की अमावस्या तिथि आश्विन अमावस्या के नाम से जानी जाती है. हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास कि अमावस्या के दिन श्राद्ध कार्यों का अंतिम दिन होता है. इसके साथ ही तर्पण के काम समाप्त होते हैं. कृष्ण पक्ष की
माँ दुर्गा की पूजा में प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व होता है. इसमें अत्यंत ही महत्वपूर्ण समय नवरात्रि का होता है. नव रात्रि अर्थात देवी पूजा के वो नौ दिन, जब हर एक दिन एक अलग रुप में होता है. साधक के लिए यह सभी नौ
सावन शिवरात्रि का पर्व भगवान शिव के साथ जुड़ा है. सावन शिवरात्रि का दिन अत्यंत ही शुभ और मनोकामनाओं की पूर्ति वाला होता है. शिवरात्रि को कई तरह से मनाया जाता है. इस वर्ष 02 अगस्त 2024 को सावन/श्रावण शिवरात्रि का पर्व
गायत्री माता को हिन्दू भारतीय संस्कृति में अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. जीव और जगत के मध्य जो संबंध है वह माँ गायत्री के द्वारा ही संभव हो पाता है. गायत्री को ही चारों वेदों की उत्पति का आधार भी माना गया है.
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को कोजागर व्रत किया जाता है. कोजागर व्रत माँ लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए होता है. इस दिन मुख्य रुप से लक्ष्मी पूजन करते हैं. लक्ष्मी मां के आशीर्वाद से जीवन में किसी भी प्रकार की
संतान की लम्बी ऊम्र और उसके सुख की कामना के लिए किया जाता है जीवित्पुत्रिका व्रत. जीवित्पुत्रिका व्रत इस वर्ष 25 सितंबर, 2024 को बुधवार, के दिन मनाया जाएगा. इस दिन व्रत को माताएं अपने बच्चों के आरोग्य और उनके सुखी जीवन
महालक्ष्मी व्रत का प्रारम्भ भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी से होता है और आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर इसका समापन होता है. 16 दिनों तक चलने वाले इस व्रत में देवी लक्ष्मी की पूजा का विधान बताया गया है. महा
भाद्रपद मास की पूर्णिमा "भाद्रपद पूर्णिमा" के नाम से जानी जाती है. इस पूर्णिमा के दिन कुछ विशेष अनुष्ठान पूरे किए जाते हैं. इस पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की पूजा, शिव पार्वती पूजा, चंद्रमा पूजा कार्य संपन्न होते हैं. इस
भाद्रपद माह में सूर्य का सिंह राशि में प्रवेश करना भाद्रपद संक्रान्ति कहलाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की संक्रान्ति के समय भगवान सूर्य का पूजन और भगवान श्री कृष्ण का पूजन विशेष रुप से होता है. संक्रान्ति
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को “हल षष्ठी” के रुप में मनाया जाता है. हल षष्ठी के दिन व्रत करने का विधान भी रहता है. इस अवसर पर षष्ठी देवी की पूजा, बलराम जी, कृष्ण जी की पूजा, सूर्य उपासना करना अत्यंत शुभदायक होता
आषाढ़ मास को आने वाली अमावस्या तिथि “आषाढ़ अमावस्या” के नाम से जानी जाती है. इस वर्ष 05 जुलाई 2024 को शुक्रवार के दिन आषाढ़ अमावस्या संपन्न होगी. आषाढ़ मास की अमावस्या के समय स्नान - दान और पितरों के लिए दान इत्यादि
सौभाग्य और सुख की प्राप्ति में एक और व्रत है जिसे कजली तृतीया के रुप में मनाया जाता है. भाद्रपद माह में आने वाला यह व्रत सुख एवं सौभाग्य को देने वाला होता है. भाद्र माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कज्जली तृतीया का
ज्येष्ठ माह में आने वाली 30वीं तिथि “ज्येष्ठ अमावस्या” कहलाती है. इस अमावस्या तिथि के दौरान पूजा पाठ और स्नान दान का विशेष आयोजन किया जाता है. हिन्दू पंचांग में अमावस्या तिथि को लेकर कई प्रकार के मत प्रचलित हैं ओर साथ
हयग्रीव को श्री विष्णु भगवान का एक अवतार रुप माना गया है. सावन मास की पूर्णिमा को हयग्रीव जयंती मनाई जाती है. भगवान विष्णु के अवतारों में से एक हयग्रीव ने वेदों का कल्याण किया. इस कारण यह अवतार जीवन में ज्ञान को प्रदान
देवी की शक्तियों में से एक मां छिन्नमस्तिका का स्वरुप अत्यंत ही प्रभावशाली है. छिन्नमस्तिका को चिन्तपूर्णि माता के नाम से भी जाना जाता है. देवी के सभी रुपों का संबंध विभिन्न शक्ति पीठों से रहा है. भारत के भिन्न-भिन्न
आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि के दौरान श्री विष्णु भगवान का पूजन और गुरु का पूजन किया जाता है. वर्ष भर में आने वाली सभी प्रमुख पूर्णिमाओं में एक आषाढ़ पूर्णिमा भी है. इस दिन भी किसी विशेष कार्य का आयोजन होता है और विशेष
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को चंपक द्वादशी का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष चम्पा द्वादशी 19 जून 2024 को मनाई जाएगी. इस तिथि में भगवन श्री विष्णु का पूजन होता है और भगवान की चंपा के फूलों से पूजा होती है.
इस वर्ष आषाढ़, शुक्ल षष्ठी को 12 जुलाई, 2024, शुक्रवार के दिन स्कंद षष्ठी का त्यौहार मनाया जाएगा. स्कंद षष्ठी के दिन भगवान स्कंद की पूजा की जाती है. भगवान स्कंद सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने वाले होते हैं. स्कन्द
इस वर्ष 04 अगस्त 2024 को श्रावण अमावस्या मनाई जाएगी . सावन मास में मनाई जाने वाली अमावस्या “हरियाली अमावस्या” के नाम से भी पुकारी जाती है. इसके अलावा इसे चितलगी अमावस्या, चुक्कला अमावस्या, गटारी अमावस्या इत्यदि नामों
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को विवस्वत सप्तमी के रुप में मनाई जाती है. इस वर्ष 2024 में विवस्वत सप्तमी तिथि 13 जुलाई को मनाई जाएगी. इस दिन सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व बताया जाता है. सूर्य के अनेकों नाम
वैशाख अमावस्या का पर्व वैशाख माह की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है. वैशाख अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने व धर्म स्थलों पर जाकर दान-जप-तप इत्यादि करने का भी विशेष महत्व माना गया है. वैशाख अमावस्या पूजा
वैशाख पूर्णिमा का उत्सव रोशनी से भरपूर और हर दिशाओं को प्रकाशित करने वाला त्यौहार है. पूर्णिमा का समय "ॐ असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतं गमय ॥" इन पंक्तियों को चरितार्थ करने जैसा है. यह वह समय होता
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मत्स्य जयंती के पर्व के रुप में मनाया जाता है. इस वर्ष 11 अप्रैल 2024 को बृहस्पतिवार के दिन मत्स्य जयंती मनाई जाएगी. मत्स्य जयंती पर श्री विष्णु भगवान का अभिषेक होता है, पूजा
खरमास को मांगलिक कार्यों विशेषकर विवाह के परिपेक्ष में शुभ नहीं माना जाता है. इस कारण इस समय अवधि को त्यागने की बात कही जाती है. आईये जानते हैं की खर मास होता क्या होता है. सूर्य का धनु राशि में गोचर समय खर मास कहलाता
तिथि पंचांग का एक महत्वपूर्ण अंग हैं. तिथि के निर्धारण से ही व्रत और त्यौहारों का आयोजन होता है. कई बार हम देखते हैं की कुछ त्यौहार या व्रत दो दिन मनाने पड़ जाते हैं. ऎसे में इनका मुख्य कारण तिथि के कम या ज्यादा होने के
धनतेरस | Dhanteras धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर 2024 के दिन मनाया जाएगा. हिंदुओं के महत्वपूर्ण त्यौहार दिवाली का आरंभ धनतेरस के शुभ दिन से हो जाता है. धनतेरस से आरंभ होते हुए नरक चतुर्दशी, दीवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज तक
हर वर्ष भारतवर्ष में दिवाली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. प्रतिवर्ष यह कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाती है. रावण से दस दिन के युद्ध के बाद श्रीराम जी जब अयोध्या वापिस आते हैं तब उस दिन कार्तिक माह की
दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन शुभ समय मुहूर्त्त समय पर ही किया जाना चाहिए. पूजा को सांयकाल अथवा अर्द्धरात्रि को अपने शहर व स्थान के मुहुर्त्त के अनुसार ही करना चाहिए. इस वर्ष 01 नवंबर, 2024 के दिन दिवाली मनाई जाएगी.
रामलीला | Ramlila दशहरा पर्व से पूर्व नौ दिनों तक कई स्थानों पर रामलीलाओं का आयोजन किया जाता है. इसमें राम-सीता के जीवन की झाँकियां दिखाई जाती है. इस दौरान बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है. रामलीला नाटक का मंचन देश के
विजयादशमी अर्थात दशहरा की धूम संपूर्ण भारत-वर्ष में देखी जाती है. सत्यता का प्रतीक दशहरा अनेक महत्वपूर्ण संदेशों को देते हुए भारत के कोने-कोने में जोश एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है. विजय दशमी का पर्व आश्विन माह की
जन्माष्टमी अर्थात कृष्ण जन्मोत्सव इस वर्ष जन्माष्टमी का त्यौहार 26 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा. जन्माष्टमी जिसके आगमन से पहले ही उसकी तैयारियां जोर शोर से आरंभ हो जाती है पूरे भारत वर्ष में इस त्यौहार का उत्साह देखने
रक्षा बंधन का त्यौहार भाई बहन के प्रेम का प्रतीक होकर चारों ओर अपनी छटा को बिखेरता सा प्रतीत होता है. सात्विक एवं पवित्रता का सौंदर्य लिए यह त्यौहार सभी जन के हृदय को अपनी खुश्बू से महकाता है. इतना पवित्र पर्व यदि शुभ
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पवित्रा एकादशी के रुप में मनाते हैं. इस वर्ष पवित्रा एकादशी का पर्व 16 अगस्त 2024 को मनाया जाना है. धर्म ग्रंथों के अनुसर इस व्रत की कथा सुनने मात्र से वाजपेयी यज्ञ का फल प्राप्त
प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश चतुर्थी व्रत किए जाने का विधान रहा है. भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को बहुला गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. इस वर्ष बहुला चतुर्थी का त्यौहार 12