नवचंडी यज्ञ - पूजा कब और क्यों की जाती है

नवचंडी शक्ति का ही एक अंग है. देवी के नव रुपों का स्वरुप है. नव चंडी देवी की शक्ति और उसका पूजन किसी भी भक्त को साधना की परकाष्ठा तक पहुंचा देने में अत्यंत ही सहायक बनता है. नवचण्डी का पूजन एक यज्ञ का रुप होता है. नवचन्डी साधना एक नव दुर्गा पूजा है. इस पूजा द्वारा जीवन में शक्ति, समृद्धि, सफलता की प्राप्ति होती है. दुर्गा पूजन द्वारा सभी प्रकार की शक्तियों की प्राप्ति संभव हो पाती है.

विरोधियों को परास्त करता है

नवचंडी पूजा कई कारणों के लिए की जाती है. नव चंडी यज्ञ सभी कष्टों को दूर करता है. इस पूजा के द्वारा दुश्मन व किसी भी प्रकार के शत्रुओं का नाश कर देने में सहायक होता है. कुछ मामलों में अगर विरोधी काम पूरा नहीं होने देते हैं तो इस पूजा के द्वारा काम पूर्ण होते हैं. व्यक्ति के जीवन में आने वाले विरोधी, युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए इन सभी में सफलता के लिए नवचण्डी पूजा बहुत कारगर होती है. अगर कोई व्यक्ति किसी परेशानी में है. व्यक्ति अपने कार्यों में सफलता न प्राप्त कर पा रहा हो. तो उस के लिए इस पूजा का अनुष्ठान आरंभ करना सफलता के मार्ग प्रशस्त करने वाला होता है.

नवचंडी पूजा - ग्रह शांति का उपाय

नव चंडी पूजा द्वारा ग्रहों की शांति भी संभव हो पाती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दुर्गा पूजा द्वारा पाप ग्रहों की शांति संभव होती है. राहु केतु शनि इत्यादि पाप ग्रहों से बचने के लिए नच चंडी पाठ का जाप करना एक अत्यंत चमत्कारी उपाय की ही तरह होता है. कइ बार कुण्डली में मौजूद कुछ ग्रहों के द्वारा जातक के जीवन में कई प्रकार के उतार-चढ़ाव आते हैं. जीवन में आने वाली कष्टकारी दशाओं से बचने के लिए ग्रह शांति करना उचित होता है. इस प्रकार ग्रह शांति से जातक को पाप ग्रहों से मिलने वाले प्रभावों से मुक्ति प्राप्त होती है. बुरे ग्रहों का प्रभाव नष्ट होता है. व्यक्ति को जीवन की हर सफलता प्राप्त होती हैं.

नव चंडी पूजा महत्व

नव चंडी पूजा में भगवान गणेश, भगवान शिव, नव ग्रह, और नव दुर्गा की पूजा होती है. इसके प्रभाव से व्यक्ति जीवन में धन्य धान्य की वृद्धि होती है. नवचंडी पूजा और हवन द्वारा देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. अगर आपके ग्रह नक्षत्र आपके पक्ष में नहीं हों. तो ऎसे समय में उन सभी को अपने अनुकूल करने के लिए नवचंडी यज्ञ बहुत सहायक बनता है. नव चंडी पूजा सब से अधिक सकारात्मक फल देने वाली शक्ति है. व्यक्ति को ऊर्जावान और सकारात्मक माहौल प्राप्त होता है. नव चंडी यज्ञ एक असाधारण पूजा है. यह पूजा साधक को शक्तियों से जोड़ती है.

नवचंडी पूजा का लाभ और इसकी शक्ति इतनी है, की इसको करने से ग्रहों की स्थिति को आपके पक्ष में किया जा सकता है. भाग्य हमारे लिए सहायक बनता है. नवचंडी पूजा के पूरा होने पर दिव्य अनुभूति प्राप्त होती है. चारों ओर का वातावरण में सकारात्मक होता है. मन की शांति प्राप्त होती है. नव चंडी पूजा से कठिन परिस्थितियां अनुकूल हो जाती हैं. जीवन की उदासी और दर्द दूर हो जाते हैं. नव चंडी यज्ञ पूजा कठिनाइयों और बुरी किस्मत के विरुद्ध एक शक्तिशाली उपाय बनता है.

नवचंडी - तंत्र मंत्र अनुष्ठान

नव चंडी उपासना को सृष्टिरचना करनेवाला माना गया है. यह अनंतरूपा है. नवचण्डी अराधना शक्ति को जागृत करने का तरीका है. नव चंडी वह शक्ति है जो सृष्टि के संचालन के लिए आवश्यक है. योगमाया वह शक्ति है जो व्यक्त और अव्यक्त रूप में हैं, सभी तरफ व्याप्त है. भगवान कृष्ण 'योगमाया” पर आश्रित होकर अपनी लीला करते हैं. राधा जी कृष्ण की आदि शक्ति है. भगवान शिव भी शक्ति के बिना शक्तिहीन होते हैं.

दर्शन शास्त्र में किसी न किसी नाम रूप में शक्ति की चर्चा होती रही है. पुराणों में विभिन्न देवताओं की विभिन्न शक्तियों की कल्पना की गई है. तंत्र के अनुसार किसी अधिष्ठात्री देवी शक्ति के रूप में, जिसकी उपासना की जाती है. उस शक्ति के उपासक शाक्त कहे जाते हैं. जो शाक्त संप्रदाय से जुड़े होते हैं. यह शक्ति भी सृष्टि की रचना करनेवाली. संप्रदायों के तंत्रशास्त्रों में शक्ति की कल्पना की गई है.

नव चंडी कथा

नव चंडी पूजा की कथा में दुर्गा उत्पत्ति कथा का संबंध बहुत अधिक दिखाई देता है. इस कथा में दुर्गा को प्रमुख देवी कहा गया है. देवी, शक्ति और जगदम्बा भी कहते हैं. इसके साथ ही इन्हें अनेक नामों और रुपों से पूजा जाता है. शाक्त सम्प्रदाय की यह मुख्य देवी हैं जिनकी तुलना ब्रह्म से की जाती है. शक्ति, का आगमन अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने हेतु होता है.

शक्ति का निरूपण सिंह पर सवार एक देवी के रूप में होता है. दुर्गास्प्तशति में दुर्गा के नव रुपों का उल्लेख विस्तार रुप से मिलता है. इसमें देवी महिषासुर नामक असुर का वध करती हैं. शक्ति, दुर्गम नाम के दैत्य का वध करती है. समस्त ब्रह्मांड में विख्यात यह शक्ति हैं. माता के देश में अनेकों मंदिर और शक्ति पीठ हैं. दुर्गा सप्तशती, मार्कण्डेय पुराण, देवी पुराण इत्यादि में माता के अनेक रुप और शक्ति को दर्शाया गया है.

नवचंडी पूजा में नव दुर्गा की पूजा

नवचंडी पूजा अनुष्ठा के दौरान देवी के नौ रुपों का पूजन होता है. नवरात्रि के दौरान में नच चंडी पूजा अनुष्ठान किए जाते हैं. इसके अतिरिक्त शक्ति पीठों में नवचंडी अनुष्ठान किए जाते हैं. नव चंडी दुर्गा पूजा नौ अवतार की होती है.

शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री. इसमें सप्तशती का पाठ किया जाता है. नव चंडी पूजा विजय की प्राप्ति को दर्शाती है.

नवचंडी यज्ञ एक ऎसी पूजा है जिसके द्वारा धन, शक्ति की प्राप्ति होती है. जीवन में समृद्धि, सफलता पाने और समस्याओं को दूर करने के लिए नव चंडी यज्ञ को करने से सहायता प्राप्त होती है.

यह यज्ञ शत्रु और बुरे ग्रहों के परिणाम को दूर करता है. इस यज्ञ को समर्पित करने से मनुष्य जीवन प्रत्येक सफलता प्राप्त कर सकता है. यह मोक्ष प्राप्त करने के लिए है. इसके अलावा यह अशुभ ग्रहों के सभी प्रकार के बुरे प्रभावों को दूर करता है. इसके अलावा लोगों को इस पूजा से मन, शरीर और आत्मा की पवित्रता मिलती है. शुद्ध और शांत बनाने में भी मदद करता है. मन, शरीर, आत्मा में पवित्रता फैलाने के लिए नव चंडी पूजा करते हैं.