विजयदशमी क्यों है अबूझ मुहूर्त ? ज्योतिष महत्व

विजयादशमी का संबंध ज्योतिष शास्त्र अनुसार मुहूर्त प्रकरण में आता है. मुहूर्त गणना में इस दिन को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है.यह एक अबूझ मुहूर्त भी है, वो मुहूर्त जिन पर किसी शुभ कार्य को करने के लिए किसी से सलाह-मशविरा नहीं करना पड़ता. शुभ कार्य बिना सोचे-समझे किए जा सकते हैं. दीपावली, होली, दशहरा, अक्षय तृतीया आदि को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है.

दशहरा पर गृह प्रवेश किया जा सकता है, विवाह सगाई कार्य भी किए जाते हैं. इसके अलावा नया कार्य आरंभ करने, भूमि, भवन, वाहन, सोने-चांदी के आभूषण, खाता बही आदि खरीदने के लिए श्रेष्ठ है. इस दिन खरीदारी स्थायी समृद्धि प्रदान करती है. इसके अलावा सोना, पीतल का हाथी, दक्षिणावर्ती शंख खरीदने से लक्ष्मी आकर्षित होती हैं. नई प्रॉपर्टी खरीदना या फ्लैट बुक करना लाभकारी रहेगा. दशहरे के दिन लोग नया काम शुरू करते हैं, शस्त्रों की पूजा की जाती है. प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना करते थे और युद्ध के लिए प्रस्थान करते थे.

विजयादशमी का ज्योतिष महत्व
आश्विन माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजया तिथि के रुप में भी जाना गया है. ज्योतिष अनुसार इस दिन किसी भी कार्य में जीत प्राप्त करने का शुभ योग बनता है. इस समय पर ग्रहों की स्थिति विशेष आसर दिखाती है. इसे ज्योतीष शास्त्र में बेहद विशेष माना गया है. ग्रह नक्षत्रों का प्रभव इस दिन विजय को प्रदान करने वाला होता है. इस कारन से इस दिन को शुभ मुहूर्तों में से एक माना जाता है.

कुछ स्थानों पर लोग इसे अपना महत्वपूर्ण दिन मानते हैं. उनका मानना ​​है कि अगर दुश्मन से युद्ध की संभावना न भी हो तो भी राजाओं को इस दौरान अपनी सीमाओं का उल्लंघन अवश्य करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार एक बार जब राजा युधिष्ठिर ने इसके बारे में पूछा तो श्रीकृष्ण ने उन्हें इसका महत्व बताते हुए कहा कि विजयादशमी के दिन राजा को अपने सेवकों और हाथी-घोड़ों को सजाकर धूमधाम से मंगलाचार करना चाहिए.

राजा को अपने पुरोहित के साथ पूर्व दिशा में जाकर अपने राज्य की सीमा से बाहर जाकर वास्तु पूजा करनी चाहिए तथा आठ दिग्पालों और पार्थ देवता की पूजा करनी चाहिए. शत्रु की प्रतिमा या पुतला बनाकर उसकी छाती में बाण मारना चाहिए और पूजा इत्यादि के पश्चात सभी कार्य करने पर ही अपने स्थान में वापस लौट जाना चाहिए. इस प्रकार जो भी राजा हो या कोई भी व्यक्ति विजय पूजा करता है तो वह अपने शत्रु पर सदैव विजय प्राप्त करता है. इस कारण से इस दिन को मुहूर्त शास्त्र में बहुत खास माना गया है. आज भी किसी विजय प्राप्ति दुश्मन को परास्त करने के लिए इस दिन का चयन करना शुभता देने वाला होता है.

ज्योतिष अनुसार शनि देव होते हैं शांत
विजयादशमी के दिन शनि देव की शुभता एवं शांति के लिए शमी वृक्ष की पूजा को बहुत महत्व पूर्ण माना गया है. शनि देव को शमी से जोड़ा जाता है, इसके अलावा श्मंतक वृक्ष की पूजा भी इस दिन करना अनुकूल होता है.

शास्त्रों के अनुसार माता पार्वती भगवान शिव से शमी वृक्ष के महत्व के बारे में पूछती हैं, तब शिव उन्हें बताते हैं कि वनवास के दौरान अर्जुन ने अपने अस्त्र शमी वृक्ष से ही प्राप्त किए थे. अर्जुन शमी वृक्ष से अपना धनुष-बाण उठाते हैं तथा शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं. इस तरह शमी वृक्ष ने अर्जुन के शस्त्रों की रक्षा की थी.

रामायण काल की एक घटना भी शमी के पूजन को बताती है. श्री रामजी ने लंका पर आक्रमण करने से पहले शमी वृक्ष का पूजन किया था इसलिए विजय काल में शमी वृक्ष की पूजा का विशेष विधान है.

आर्थिक सुख समृद्धि प्राप्त होने का समय
इस दिन को धन लाभ प्राप्ति का भी समय माना जाता है जिस प्रकार शमी के पूजन से शनि देव शांत होते हैं उसी प्रकार अपराजिता का पूजन करने से धन की स्थिति अच्छी होती है. ज्योतिश अनुसार अपराजिता वृक्ष की पूजा करने के बाद इसके पत्तों को स्वर्ण पत्तियों के रूप में एक दूसरे को दिया जाता है. इसका प्रभाव आर्थिक सुख समृद्धि को देने वाला होता है. इसकी पत्तियों को धन संपदा के रुप में देखा जाता है.

कानूनी मामलों में मिलती है विजय
विजयादशमी के दिन को कानूनी मामलों में विजय प्राप्ति के लिए उपयोग किया जाता है. ज्योतिष अनुसार अपराजिता पूजा के नाम से भी जाना जाता है. अपराजिता संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति और ऊर्जा है, अपराजिता पूजन अपने नाम के अनुरूप ही है. यह भगवान विष्णु को प्रिय है और हर परिस्थिति में विजय प्रदान करती है. तंत्र शास्त्र में युद्ध या मुकदमे की स्थिति में यह पूजा बहुत कारगर होती है. शास्त्रों में इसका महत्व बताया गया है. दशहरे के दिन शस्त्रों की पूजा करके देवताओं की शक्ति का आह्वान किया जाता है, इस दिन हर व्यक्ति अपने जीवन में प्रतिदिन उपयोग में आने वाली वस्तुओं की पूजा करता है. यह पर्व क्षत्रियों का प्रमुख पर्व है, जिसमें वे अपराजिता देवी की पूजा करते हैं. इस पूजा से सभी सुख भी प्राप्त होते हैं.