कुंडली में हों ये योग तो कर सकते हैं होटल का व्यवसाय

होटल व्यवसाय के क्षेत्र में सफलता का निर्धारण कुण्डली के दूसरे भाव, चौथे भाव और एकादश भाव से करना चाहिए. यह स्थान जातक के लिए विशेष प्रभावशाली माने जाते हैं. इसके साथ-साथ इस क्षेत्र में सफलता के लिए शुक्र का होना महत्वपूर्ण माना जाता है. इसके अतिरिक्त केतु, मंगल व राहु का संबंध भी आने पर यह योग निर्धारित हो सकता है. दशम भाव उच्च व्यवसाय का भाव है तो दशम से सप्तम जनता से संबंधित भाव हैं.

वहीं द्वितीय भाव वाणी का स्थान और भोजन से संबंधी भी होता है. अत: इनका इस व्यवसाय में विशेष योगदान रहता है. राहु और शुक्र का अन्य ग्रहों से संबन्ध व्यक्ति को होटल व्यवसाय की ओर लेकर जाता है. दशमेश का शुक्र के साथ होना या दशमेश शुक्र बली अवस्था में स्थित हो तो व्यक्ति को होटल के काम में अच्छा करने के मौके देता है. मंगल अग्नि तत्व होने से इसके लिए महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है जो काम करने की योग्यता देता है.

जन्म कुण्डली में मंगल, शुक्र, और राहु का सप्तम भाव में अच्छी स्थिति में होना और जनता कारक शनि का अच्छी स्थितियों में होना इस क्षेत्र में अनुकूल माना जाता है.

जन्म कुण्डली में यदि इस उद्योग के कारक ग्रह शुक्र, मंगल, राहु, शनि इत्यादि में से दो या दो से अधिक ग्रह जातक के धन भाव में स्थित होकर धन प्राप्ति में सहायक हो रहे तो जातक के लिए इस व्यवसाय द्वारा लाभ की प्राप्ति होती है.

होटल व्यवसाय में बुध का योगदान भी आता है क्योंकि यह व्यापार का कारक है और जनता से जुडे़ होने के कारण जनता कारक शनि चौथे भाव का स्वामी की केन्द्र या त्रिकोण स्थान में लग्नेश के साथ या कर्म भाव के स्वामी के साथ हो तो जातक इस व्यवसाय में अच्छा करने में सक्षम हो सकता है.

यदि जन्म कुण्डली का लग्न मेष राशि का हो और दशमेश और एकादशेश शनि उच्च राशि का होकर नवम में स्थित मंगल को देखे और मंगल की दृष्टि पराक्रम भाव पर पड़ती हो तो जातक को इस व्यवसाय की ओर रूझान रख सकता है.

जन्म कुण्डली में नवें, दसवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी शुभ स्थानों में कारक ग्रहों मंगल, शुक्र आदि के साथ संबंध बनाता हो तो जातक को इस क्षेत्र में प्रसिद्धि प्राप्त होती है और व्यक्ति को इसमें अच्छे लाभ की प्राप्ति होती है.

जातक की कुण्डली में लग्नेश चौथे भाव में शनि क साथ बैठा हो अथवा चौथे भाव के स्वामी के साथ हो और दशम भाव में स्थित मंगल व शुक्र के साथ संबंध स्थापित कर रहा हो तो जातक को होटल व्यापार करने की चाह रहती है और वह इस कार्य में दक्षता हासिल करने में सफल भी रहता है.

जन्म कुण्डली में धनेश और लग्नेश अगर बुध और शुक्र हों तो यह स्थिति अनुकूल प्रभाव देने वाली रह सकती है. इस स्थिति में यदि बुध भाग्य स्थान को दृष्टि देता हो और गुरू लाभेश होकर बुध पर दृष्टि दे रहा हो. सुख भाव का स्वामी स्वगृही होकर कर्म भाव को प्रभावित करता हो व इसके अतिरिक्त मंगल किसी भी प्रकार से शुक्र और भाग्यभाव या भाग्येश को प्रभावित करता हो तो जातक को होटेल के काम में काफी सफलता मिलती है.

कुण्डली में लग्न में व्यापार का कारक बुध अगर मंगल, शुक्र, और शनि की राशि में हो या इनके ही नक्षत्रों में स्थित हो और दूसरे भाव का स्वामी व एकादश भाव पाप मुक्त होकर लग्न भाव, धन भाव या लाभ भाव में स्थित हो और चतुर्थेश कर्म भाव या लाभ भाव या लग्न को प्रभावित करता हो तो व्यक्ति होटल व्यवसाय से जुड़कर प्रसिद्धि प्राप्त करता है.

जातक की जन्म कुण्डली में लग्नेश मंगल, शुक्र से संबंध बनाते हुए पंचम भाव में बैठकर धनेश गुरू के साथ संबंध बनाते हुए परस्पर दृष्टि संबंध बनाए हुए कर्मेश सूर्य और भाग्येश चंद्र की धन स्थान में युति निश्चित ही होटल के कार्यों में रूचि देती है और सफल भी बनाती है.

चतुर्थ भाव का स्वामी शनि कारक ग्रह शुक्र और राहु के साथ होकर लग्न में स्थित होकर राहु के साथ मंगल से दृष्टि संबंध बनाता है तो जातक को इस काम में बहुत सफलता मिलती है. यदि जातक की कुण्डली में इस प्रकार के योग कुछ अधिक हों तो प्रबल संभावना होटेल के क्षेत्र में उन्नती पाने वाली होती है.

होटल से संबंधित काम को करने में कारक ग्रह शुक्र, मंगल, राहु, शनि आदि में से जितने ग्रहों का आपस में संबन्ध होगा तो यह स्थिति बहुत फायदेमंद रहती है. इसके अतिरिक्त लग्न, नवम, दशम, व एकादश के स्वामी शुभ स्थानों में होकर मंगल व शुक्र आदि से संबध बनाये तो व्यक्ति को इस क्षेत्र में उच्च सफलता प्राप्त होती है.

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कर्क लग्न का आठवां नवांश | Eighth Navansh of Cancer Ascendant

कर्क लग्न का आठवां नवांश कुम्भ राशि का होता है, इस राशि के स्वामी शनि हैं यह नवांश राशि शनि की मूलत्रिकोण राशि भी है जिस कारण इस नवांश का प्रभाव शनि की शुभता को अधिक विस्तार से दर्शाने में सहायक होता है. कर्क लग्न में यदि जातक का आठवां नवांश कुम्भ से संबंधित होता है तो जातक के जीवन में अष्टम भाव से संबंधित बाते अधिक बनी रह सकती हैं क्योंकि यह राशि जन्म कुण्डली के आठवें भाव को अभिव्यक्त करती है.

इनके जीवन में कई बातें अचानक से प्रभाव डालने वाली होंगी साथ ही जातक अपने को स्वतंत्र रूप से सामने नहीं लाना चाहेगा. जातक पतला और लंबे कद का श्यामल रंग का होता है. इनके लंबे और घने बाल होते हैं. चेहरे की बनावट सुंदर होती है जिससे गंभीरता का आभास होता है. इनकी आंखे चमकदार होती है इनके व्यक्तित्व से लगता है कि उनमें किसी प्रकार का दिखावा नहीं है.

व्यक्ति के स्वास्थ्य सुख में वृ्द्धि होती है उसमें आत्मविश्वास भी बढता है. जातक के धन संबन्धी परेशानियों में कमी होती है परंतु साथ ही खर्चों में भी अधिकता हो सकती है और व्यापार क्षेत्र भी बाधित हो सकता है लेकिन अधिनस्थों के सहयोग से अपने काम को सुचारू रूप से आगे ले जाने में सफल रह सकते हैं इनमें कठोर प्रशासक होने के गुण नहीं होते जिए कारण इनकी कुछ योजनाएं पूर्ण रूप नहीं ले पाती हैं. परंतु आपकी उदारता भी आपके साथ अन्य लोगों को जोड़ने में सहायक होती है और जातक काफी हद तक अपनी योजनाओं को पूरा करता है.

व्यक्ति को किसी से संवाद करने कि प्रबल इच्छा नहीं पाई जाती है. यह दूसरों की बात को सुनना पसंद नहीं करते और ऐसा करने पर कभी कभी वे उदंड माने जा सकते हैं लेकिन ऎसा नहीं होता क्योंकि यह अपने को सीमित रखते हैं इसलिए लोग इन्हें सही से समझ नहीं पाते हैं. यह लुभावने और आकर्षक स्वाभाव वाले होते हैं परंतु शर्मिले संवेदनशील भी होते हैं इन्हें स्वयं की विशेषताओं को दूसरों के सम्मुख दिखाने की चाह होती है लेकिन उसे यह उचित प्रकार से अभिव्यक्त नहीं कर पाते हैं.

इस नवांश के प्रभाव से जातक काफी मजबूत इच्छाशक्ति और जो उन्हें उचित लगता है उसके लिए अतिम क्षण तक लड़ने को तैयार रहने वाला हो सकता है. जातक में दूरदर्शीता के गुण देखे जा सकते हैं जिस कारण कुछ बातों के बारे में यह सही निर्णय ले सकते हैं. यह मार्गदर्शक होते हैं और किसी की सहायता के लिए भी सदैव तत्पर रहते हैं. यह दूसरों के विचारों के प्रति भी सहनशील होते हैं. इसलिए लोगों को समझने की कला भी इनमें खूब होती है.

यह एक अच्छे श्रोता हो सकते हैं इन्हें मित्रों का साथ मिलता है और यह उनका ख्याल रखते हैं उनकी सहायता के लिए सदैव तैयार रहने वाले होते हैं परंतु इनमें क्रोध भी अधिक होता है इसलिए छोटी सी बात भी इन्हें पर्शान कर सकती है जिसके लिए वह संबंधों से दूर होने की कोशिश कर सकते हैं लेकिन मन से यह जुडे़ रहने की इच्छा रखते हैं.

जातक में आदर्शवादी रूप भी देखा जा सकता है अपने नियमों के अनुरूप चलने की चाह रखते हैं ओर इसलिए कुछ लोग इन्हें कठोर भी मान सकते हैं. इनका मन रोमांटिक होता है और यह प्रेम की भावना से पूर्ण होते हैं परंतु प्रेम में अधिक सफल नहीं हो पाते हैं विचारों में कुछ न कुछ तकरार बनी ही रहती है जो इन्हें संभलने नहीं देती है. यह व्यवहारिक, लुभावने और मिलनसार स्वाभाव वाले होते हैं, ऐसी प्रकृति के लोग अपने दायरे से बाहर जाकर भी लोगों की मदद करते हैं लेकिन उनमें भावनात्क सहयोग का आभाव होता है.

जातक को दुर्घटनाओं से सावधान रहना चाहिए जातक को हड्डियों में अक्सर दर्द की शिकायत रह सकती है. चलने में थकावट जल्द हो जाती है यह रक्त और रक्त संवहन की समस्या से प्रभावित हो सकते हैं. यह कोई काम या बात समझ लेते है तो उसे पूरी तरह सोच विचार कर कार्य करते है परन्तु किसी बात को समझने में समय लग सकता है पर जब जान लेते हैं तो उसमें प्रवीणता लाने की पूरी कोशिश करते हैं.

जातक कुछ आलसी हो सकता है. इनमें कल्पनाशिलता के गुण अच्छे होते हैं. दूसरों की क्मियों और दोष को बताने में आप काफी कुशल प्रतीत होते हैं.वैवाहिक जीवन में कुछ न कुछ परेशानियां उभर सकती हैं. दांपत्य जीवन सुखमय न रहने की संभावनाएं उभर सकती हैं.

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मेष से कन्या राशि तक शनि के गोचर का फल

आज हम आपको शनि का फल विभिन्न भावों में बताने का प्रयास करेगें. शनि का फल हम मेष से कन्या राशि में बताने का प्रयास करेगें कि किस तरह के फल शनि प्रदान करते हैं.

शनि का फल मेष राशि में | Saturn’s effects in Aries sign

आइए मेष राशि के शनि से आज की वेबकास्ट का आरंभ करते हैं, शनि मेष राशि में नीच का होता है इसलिए इसके शुभ फलों का प्रभाव कम होता है. मेष राशि के शनि से आपके चेहरे का रंग सुर्ख लालीपन लिए होता है.

मेष राशि अग्नितत्व राशि है इसलिए इस राशि में शनि के होने से आप तेज स्वभाव के व्यक्ति हो सकते हैं. आपकी भाषा कठोर हो सकती है या आप बहुत ही रुखी वाणी का उपयोग कर सकते है. आपके मित्रों की संख्या कम होने की संभावना बनती है.

वृष राशि के शनि का फल | Saturn in Taurus Sign

इस भाग में हम वृष राशि के शनि के प्रभावों की चर्चा करेगें. इस राशि में शनि के होने से आप शारीरिक रुप से भारी अथवा स्थूल हो सकते हैं. आप सांसारिक प्रवृति के व्यक्ति हो सकते हैं, जिससे आप सभी प्रकार के भोगों को भोगने की इच्छा रख सकते हैं.

आपका रुझान भौतिकतावाद की तरफ भी हो सकता है. आप चतुर व अनुचित तर्क देने वाले व्यक्ति हो सकते है. आप हठधर्मी व्यक्ति होते हैं, एक बार जो सोचते वह करते भी है.

मिथुन राशि में शनि का प्रभाव | Effects of Saturn in Gemini Sign

आपको हम अब मिथुन राशि के शनि के बारे में बताने का प्रयास करेगें. इस राशि में शनि के प्रभाव से आपका कद लंबा होने की संभावना है. आप स्वभाव से कुछ चिड़चिड़े हो सकते हैं और चपल प्रवृति के होते हैं.

आप दूसरो के साथ धोखाधड़ी करने वाले व्यक्ति हो सकते हैं. आप सभी कामों में निपुण होगें लेकिन भाषा सुसंस्कृत नहीं होती है. भाषा आप शुद्ध नहीं बोलते हैं. किसी बात को कहने में आपको झिझक नहीं होगी और आप बिना हिचक अपनी बात कह देते हैं.

कर्क राशि में शनि का प्रभाव | Saturn’s Effects in Cancer Sign

कर्क राशि के शनि की बात करते हैं. कर्क राशि में शनि की स्थिति से आप द्वेष व वैर रखने वाले व्यक्ति हो सकते हैं. एक बार आपको जिससे चिढ़ हो जाती है तब आप कभी दुबारा उससे बात करने का प्रयास भी नहीं करते हैं.

कर्क राशि के शनि से आप शक्की स्वभाव के व्यक्ति हो सकते हैं, आप आसानी से किसी पर विश्वास नहीं करेगें. आप किसी भी काम को करने से पहले यह देखते हैं कि इसमें लाभ होगा या हानि होने की संभावना बनती है, तभी आप आगे बढ़ते हैं.

आपका दिमाग सदा अशांत रहने वाला होता है इस कारण मस्तिष्क में सदा कुछ ना कुछ उधेड़ बुन चलती ही रहती है. आपका शरीर रोगी तथा दुर्बल होने की संभावना बनती है.

सिंह राशि में शनि का प्रभाव | Effects of Saturn in Leo Sign

सिंह राशि के शनि के फलों को बताने का प्रयास करते हैं. इस राशि में शनि के होने से आपके कंधे गोल तथा चौड़े होते हैं. आप उदार ह्रदय प्रवृति के होने के साथ थोड़े कामुक भी हो सकते हैं.

आप शक्तिशाली होने के साथ क्रोधी स्वभाव के भी होते हैं और यह आपके लिए मुश्किलें भी उत्पन्न करने वाला हो सकता है. आप दूसरों के विरोध का सामना करने से झिझक सकते हैं. कोई आपका विरोध करता है तब आप परेशान होकर सामने आने से भी कतराते हैं.

कन्या राशि के शनि का फल | Saturn in Virgo Sign

कन्या राशि के शनि की बात करें तो आप उन्माद व विषाद की स्थिति से ग्रस्त हो सकते है. शनि के इस राशि में होने पर आपके शरीर पर बहुत घने व काले लंबे बाल हो सकते हैं. आप स्वभाव से संकोची व्यक्ति होते है रुखे व अस्वस्थ रहने वाले हो सकते हैं.

इस राशि में शनि के प्रभाव से आप पुराने विचारो के व्यक्ति हो सकते हैं और रुढ़ियो व परंपराओं पर चलने वाले होते हैं. आपको दूसरो की बात मानने या उनके आधीन काम करने में किसी तरह की परेशानी या दिक्कत नहीं होती है.

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नक्षत्र से जाने रोग होने और उसके सही होने का समय

ज्योतिष में चिकित्सा विज्ञान पर कई शोध किए गए हैं जिनके द्वारा जन्म कुण्डली से इस बात को जानने में बहुत सहायता मिलती है कि व्यक्ति को कौन सा रोग अधिक प्रभावित कर सकता है. इसी के साथ नक्षत्रों का भी रोग विचार करने में महत्वपूर्ण स्थान होता है जिसमें रोग की अवधि और उसके ठीक होने के समय को भी जाना जा सकता है.

जन्म कुंडली में अगर रोग के आरंभ होने के समय अश्विनी नक्षत्र चल रहा हो तो बीमारी के एक सप्ताह या दो माह तक बने रहने की संभावना रहती है. इस स्थिति में जातक को स्वास्थ्य लाभ या तो जल्द से या फिर काफी देरी से मिल सकता है इसलिए इस समय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए व्यक्ति अपने पर पूर्ण ध्यान देने की आवश्यकता होती है.

  • यदि जातक की बीमारी आरंभ होने के समय पर भरणी नक्षत्र हो तो जातक की बिमारी एक या दो दिन में समाप्त हो जाती है अथवा उसे मृत्यु तुल्य कष्ट झेलना पड़ सकता है. इस स्थिति में जातक को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
  • व्यक्ति का रोग यदि कृतिका नक्षत्र के समय आरंभ हो रहा हो तो स्वास्थ्य लाभ पाने में व्यक्ति को दो सप्ताह या दो माह से अधिक का समय लग सकता है. स्वास्थ्य लाभ के लिए व्यक्ति को नक्षत्र संबंधी उपाय भी करने चाहिए जिससे की उसे कुछ राहत प्राप्त हो सके और संकट से मुक्ति का मार्ग प्राप्त हो सके.
  • यदि किसी व्यक्ति की बीमारी रोहिणी नक्षत्र के समय आरंभ हुई हो तो उसकी बीमारी को ठीक होने में एक सप्ताह का समय लग सकता है जातक को जल्द ही स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है वह रोग से लड़ने कि क्षमता को जागृत पाता है और उसे अधिक परेशानी नहीं उठानी पड़ती है. यह स्थिति व्यक्ति के लिए अनुकूल ही रहती है.
  • इसी प्रकार यदि व्यक्ति का स्वास्थ्य आर्द्रा नक्षत्र के समय खराब हुआ हो तो रोग एक माह के समय तक रह सकता है स्वास्थ्य लाभ मिलने में दिक्कत आती है. जातक को स्वास्थ्य लाभ में देरी होने से अपना अधिक ध्यान रखना चाहिए और समय समय पर डाक्टरी जांच कराते रहना चाहिए.
  • यदि किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य पुनर्वसु नक्षत्र के आरंभ होने के साथ ही खराब हुआ हो तो उस जातक को जल्द ही स्वास्थ्य लाभ मिलता है. इस नक्षत्र के अधिक खराब प्रभाव नहीं झेलने पड़ते और सेहत के लिए यह बहुत कष्टकारी नहीं होता है और व्यक्ति को शीघ्र राहत मिलती है.
  • व्यक्ति को यदि बीमारी पुष्य नक्षत्र के समय पर आरंभ हुई हो तो जातक के स्वास्थ्य में जल्द से सुधार होता है. इस नक्षत्र के प्रभाव स्वरूप व्यक्ति को अधिक कष्ट की अनुभूति नहीं होती है और वह सेहत का लाभ उठाने में सफल होता है चार से पांच दिन के भीतर रोग नियंत्रण में आने लगता है और बीमारी से छुटकारा प्राप्त होता है.
  • अगर किसी व्यक्ति की बीमारी आश्लेषा नक्षत्र के समय पर आरंभ हुई हो या इस समय पर उसे अपने रोग का बोध हुआ हो तो जातक को कष्ट की अनुभूती हो सकती है और सेहत में सुधार के लिए अधिक समय लग सकता है.
  • मघा नक्षत्र के समय पर आरंभ हुई बीमारी मृत्यु तुल्य कष्ट देने वाली हो सकती है और कई प्रकार से स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें परेशान कर सकती है साथ ही अन्य रोग भी उभर सकने का भय बना रह सकता है.
  • यदि किसी व्यक्ति का रोग पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के समय पर उभर कर सामने आता है और इसी समय उसे बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया हो उसके रोग के दूर होने में एक सप्ताह तक का समय आराम से लग सकता है. किंतु व्यक्ति को यदि कोई गंभीर बीमारी हो तो उसे मृत्यु तुल्य कष्ट झेलना पड़ सकता है.

“नक्षत्र द्वारा रोग मुक्ति का निर्धारण – भाग 2”

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कर्क लग्न का तीसरा नवांश | Third Navamsha of Cancer Ascendant

कर्क लग्न का तीसरा नवांश कन्या राशि का होता है. इस नवांश के स्वामी बुध हैं. इस नवांश के होने से जातक का रंग साफ और गोरा होता है. आंखें सुंदर तथा पैनी दृष्टि होती है व शरीर कोमल होता है. जातक में अधिक परिश्रम करने कि चाह नहीम होती अधिकतर आलस्य का भाव इन पर ज्यादा प्रभाव डाले हुए होता है. इनका कद मध्यम और वाणी मधुर होती है तथा प्रभावशाली होते हैं. इनका स्वभाव अपने में अधिक सीमित होता है.

जातक शर्मीला और संवेदनशील होता है. जीवन में, व्यावहारिक तौर पर विचार करने वाले होते हैं. प्यार की गहराई में उतरकर ही उसे अपना पाते हैं. व्यवहार में कुछ लापरवाह हो सकते हैं किंतु समझते सब हैं. इन व्यक्तियों के चेहरे पर जीवंत और एक लापरवाह मुस्कुराहट बनी रहती है. आलसी और स्वभाव से सुस्त होते हैं जिस कारण किसी काम को करने में बहुत अधिक समय भी ले सकते हैं. धीमे कार्यकर्ता के रूप में पहचाने जा सकते हैं. तीखी आवाज है और कभी कभी शरीर की चमक खो देते हैं.

मध्यम बुद्धिमान होते हैं इनमें करिगरी के अच्छे गुण भी होते हैं. अपने काम के प्रति चौकस, समझदार व अध्ययनशील, रहते हैं. बोलने में नरम और तार्किक होते हैं यह जल्दी अपने रहस्यों को उजागर नहीं करते. चतुराई खूब होती है और अपने आप को दूसरों के समक्ष स्पष्ट नहीं करते हैं. कर्म का क्षेत्र अधिक महत्वपूर्ण रहता है और जीवन प्रयंत इनकी मेहनत ही इनके लाभ का स्तर निश्चित करती है.

जातक को भ्रमण करना अच्छा लगतावह कई स्थानों की यात्रा करता है. अपने काम के सिलसिले में भी इन्हें कई बार यात्राओं पर जाना पड़ता है. आमतौर पर यह अपने जन्म स्थान से दूसर जाकर कार्य करते हैं. जीवन के अंत में संपत्ति या संपत्ति के अधिग्रहण का लाभ भी इन्हें खूब मिलता है.

कर्क लग्न के तीसरे नवांश का महत्व | Importance of Third Navamsha of Cancer Ascendant

व्यवस्थित होने के साथ साथ यह प्रतिनिधि होते हैं अपने काम के. खुद के हर कदम की जानकारी इन्हें खूब होती है किंतु किसी ओर का दखल पसंद नहीं करते हैं. एक समर्पित व्यक्ति के रूप में अपने आस पास की बातों को ध्यान में रखना इन्हें पता होता है. कुशल और व्यावहारिक व्यक्तियों का साथ भी मलता है. परंतु उचित लाभ मिल सके यह आवश्यक नहीं होता है. व्यवहार में बदलाव बना रहता है कुछ हद बातों से सभी को अपनी ओर मोड़ सकते हैं. यह भावनाओं में बहते नहीं हैं अपितु सोच विचार करके ही अपने कामों के बारे में निश्चित होते हैं.

अधिक मेल जोल न सही लेकिन मित्रों का साथ इन्हें मिल ही जाता है. यह आकलन में संतुलित और निष्पक्ष से होते हैं. अनावश्यक रूप से भावनाओं में बहते नहीं मिलते हैं और भावनाओं में उच्च स्तर का प्रदर्शन करते हैं. वह ठंडे दिमाग से काम करने की कोशिश करते हैं. हालांकि, सबसे अच्छे प्रयासों के बावजूद अनुकूल सफलता नहीं मिल पाती है जिससे इनका मनोबल टूट भी सकता है.

अपने काम में पूरी तरह से सचेत रहते हैं साफ और स्पष्ट छवी की चाह इनमें बनी रहती है. हालांकि कभी कभार यह चुनौतियों को अपनाने से दूर भाग सकते हैं लेकिन काम में कड़ी मेहनत और शांत दृढ़ संकल्प के साथ अपनी क्षमताएं को साबित करने की क्षमता रखते हैं. उचित रूप में भी यह अपनी पूर्णता के साथ सफलता हासिल कर लेते हैं. गुस्सैल नहीं होते हैं लेकिन किसी के विरोध को सह नहीं पाते.शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप में यह वक्त के साथ चलने की कोशिश करते हैं. शायद यह वजह है कि यह अच्छे संचारक बन सकते हैं. अधिकतम लाभ के लिए अपने मानसिक तीक्ष्णता का उपयोग भी खूब करते हैं.

शरीर से अधिक हष्ट-पुष्ट न होने के कारण इन्हें रोग जल्द ही घेर सकते हैं इसलिए अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखने की आवश्यकता है. विवादों से दूर रहना ही अच्छा लगता है किसी व्यर्थ के तामझाम में नहीं फसना चाहते हैम्. अपनी बातचीत में हास्य और चातुर्य का परिचय देते हैं. जीवन साथी आपको पूर्ण सहयोग देने की कोशिश करता है और आपके सुख दुख का बराबर का भागदार बनता है. साथी स्वभाव से काफी स्पष्टवादी होता है और सरल हृदय का होता है.

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सूर्य दृष्टि योगा फल – भाग 3 | Yoga Results of Aspecting Sun – Part 3

सूर्य के तुलागत होने के कारण इसे संगती दोष लगता है, इस स्थिति में सूर्य अपनी शक्ति से क्षीण होता है, इस स्थिति सूर्य की निर्बल स्थिति मानी जाती है. जिसके फलस्वरूप व्यक्ति को अनुकूल फल नहीं मिल पाते हैं. उसे सूर्य के मिलने वाले शुभ फलों में कमी आती है. इसी के साथ ही जातक को इस स्थिति के विपरित फलों को झेलना पड़ सकता है. जीवन में आर्थिक क्षेत्र में अधिक अपव्यय का सामना करना पड़ सकता है.

व्यक्ति के लिए अनेक प्रकार के व्यर्थ के खर्च बढ़ जाते हैं, अपव्ययों पर रोक नहीं लग पाती है. प्रेम के प्रति अधिक उदार नहीं हो पाता, प्रेम भाव में कमी दिखाता है, किसी के साथ अधिक घुलमिल नहीं हो पाता है, स्वभाव में कठोरता दिखाई देती है. काम में लगा रहने वाला और लाभ में कमी को पाता है. स्वभाव से काफी ढीठ प्रवृत्ति का हो सकता है, स्वभाव में रूखापन लिए होगा.

नीच कार्यों को करने में रत, विदेश यात्रा करने का इच्छुक, स्वर्ण या लोहादि धातु के कार्यों द्वारा जीविका कमाने वाला हो सकता है, लोगों के द्वेष का पात्र बनता बिना वजह के ही दूसरों से शत्रुता करने वाला होता है. दूसरों की सेवा में लगा रहने वाला, परस्त्रीरत तथा राज्य पक्ष से पीडित रहता है.

सरकार का भय उस पर बना रहता है. मलिन अवस्था में रहने वाला हो सकता है. जातक परम्परा को तोड कर जो भी मन मे आता है वह करने की चाह कर सकता है, स्वयं को कभी भी किसी भी माहौल में ढाल लेने की प्रवृत्ति रखता है अक्सर झूठ बोलने की आदत भी जातक के अन्दर देखी जाती है.

वृश्चिकगत सूर्य का फल | Sun Aspecting Scorpio Sign

वृश्चिक राशिगत सूर्य होने पर सूर्य के तेज में उफान आता है, यह मंगल की राशि है और इस कारण से कुछ उग्र हो सकत है जो कि स्वभाविक ही है. इससे प्रभावित होने पर व्यक्ति युद्ध में कुशल और विजय पाता है. किसी के भी समक्ष साहस दिखाना इनके स्वभाव में होता है. किसी की बात को सहन नहीं कर पाता और पलट कर जवाब देने की प्रवृत्ति रहती है इसलिए कुछ लोग इन्हें बुरा भी समझ सकते हैं किंतु अपने स्वभाव से विवश होने के कारण ही इनका व्यवहार ऎसा होता है. सहन क्षमता कम होती है किंतु लड़ने की क्षमता अधिक होती है.

स्वभाव से कुछ क्रूर हो सकता है, वेदसम्मत मार्ग से दूर रहने वाला हो सकता अर्थात अपने ही विचारों को सही समझने वाला होगा और किसी अन्य बात पर आसानी से विश्वास नहीं कर पाता है. वचन से झूठ बोलने वाला हो सकता है. जातक बुद्धिमान, मिलनसार और विनम्र होता है, आत्मनिर्भर और नियंत्रण में हैं, लेकिन नीचे वे भावनात्मक ऊर्जा से भरपूर होता है.

कल्पनाशील होते हैं, अपने अंतर्ज्ञान का उपयोग करने में माहिर हैं, विश्लेषणात्मक कौशल का अच्छा ज्ञान होता है. प्रतिभा को निखारने में लगा रहता है इस कारण कुछ जुनूनी हो सकता है. उनके आसपास क्या हो रहा है इसकी जानकारी अधिक नहीं रखते है.

कारोबार करने में इनकी प्रतिभा खूब काम आती है, संपत्ति छिपा रखने में ही सफल होता है. इतना बेहतर है कि यह लोग जांच, अनुसंधान, जासूसी, सैन्य, विज्ञान, रहस्य, चिकित्सा, कानून या मनोविज्ञान के रूप में भी अच्छे से काम कर सकते हैं. कर्मचारियों के रूप में यह कम मेहनती और लापरवाह भी हो सकते हैं.

इनके व्यक्तित्व के नकारात्मक पक्ष में दूसरों को तंग करना, प्रतिहिंसक होना, जोड़ तोड़ की कारगुजारी करना या दूसरों से जलन की भावना भी हो सकती है. विद्रोही हो सकता है, आक्रामक, अभिमानी, और कुछ परपीड़क क्रूरता में लिप्त हो सकते हैं. अनुशासित होते हैं, सकारात्मक पक्ष वाले और संकल्प पर अडिग रहते हैं, बहुत संवेदनशील होते हैं.,प्यार और अपने साथियों के प्रति वफादार हैं. भावुक और जुनूनी होता है.

धनुगत सूर्य का फल | Sun Aspecting Sagittarius Sign

धनु राशिगत सूर्य के होने पर मनुष्य आर्थिक संपन्नता पाता है, राजा का प्रिय होता और सरकार से लाभ भी पाता है. अच्छे लोगों का सेवक बनता है. शस्त्र और अस्त्र बनाने में कुशल होता है. हथियार चलाने में निपुणता मिलती है. शांत चित वाला बंधुओं का हितकारी होता है. सत्व बल से युक्त होता है, बुरे कार्यों से दूर और शुभता को पाने वाला होता है. दुसरों की भलाई के लिए काम करता है तथा हष्ट पुष्ट देह पाता है.

स्वतंत्रता इनकी चाह होती है, बिन अकिसी रोकटोक के जीवन जीना चाहते हैं एक योद्ध होते हैं. सिद्धांतों और रोमांच के साथ उत्तेजना का मिश्रण है यह, खुली बाहों से स्वागत योग्य परिवर्तन की लालसा रखते हैं. दार्शनिक और अन्वेषक होते हैं.

उत्साहजनक, सकारात्मक प्रकृति के होते हैं और दोस्त बनाने में भी आगे रहते हैं. मित्र की खुशी के लिए कुछ भी कर सकते हैं एक अच्छे मित्र के रूप में सामने आते हैं. बदले में उपकार की उम्मीद नहीं है, इनमें दया भावना नि: स्वार्थ होती है. दूसरे लोगों की योजनाओं में हस्तक्षेप नहीं करते और इनमें अधिकार जताने या जलन की प्रवृत्ति नहीं होती है.

भावनात्मक होते हैं. जियो और जीने दो की परंपरा को मनने वाले होते हैं. हास्य की एक अच्छी भावना के साथ उत्कृष्ट वाचक के रूप में भी उभरते हैं. किसी की भावनाओं के साथ खेलते नहीं हैं. लोगों को वे हमेशा वास्तविक में रखते हैं क्योंकि वह जो कहते हैं उस पर भरोसा कर सकते है बहुत दिलकश लोग होते हैं.

इनके जीवन में साहसिक जीवन शैली और रोमांचक जीवन के अनुभवों की कोई कमी नहीं होती है. कुछ भी करने के लिए अनुकूल हैं , उत्कृष्ट कथाकार, हास्य कलाकारों, लेखकों, दार्शनिकों और अभिनेताओं के रूप में सामने आ सकते हैं और दबाव में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं.

सूर्य दृष्टि योग फल भाग -1 देखने के लिए यहां क्लिक करें

सूर्य दृष्टि योग फल भाग -2 देखने के लिए यहां क्लिक करें

सूर्य दृष्टि योग फल भाग -4 देखने के लिए यहां क्लिक करें

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सूर्य दृष्टि योगा फल – भाग 2 | Yoga Results of Aspecting Sun – Part 2

कर्कगत सूर्य का फल | Results For Sun Aspecting Cancer

कर्क गत सूर्य के होने से सूर्य का चंद्रमा की राशि में होना और अपने मित्र राशि में होना माना जाता है. यह एक अच्छी स्थिति ही मानी जाती है जिसमें व्यक्ति को कार्यों को करने में चपलता प्राप्त होती है, जीवन के सभी क्षेत्रों में वह जल्दी करने की चाह रखता है. गुणों से युक्त होता है और उनमें काफी प्रसिद्धि पाता है. काम को लेकर काफी तेजी दिखाता है फिर बाद में उसे चाहे कोई भी परिणाम प्राप्त हो.

सरकार के निजी लोगों से द्वेष रख सकता है, स्त्रियों में कम प्रिय होता है. कुछ तनाव भी पा सकता है उनसे. दिखने में आकर्षक और सुंदर होते हैं. किसी को भी अपनी ओर करने की कला अच्छे से जानते हैं. मेहनत खूब करता है जिस कारण उसे थकावट भी खूब महसूस होती है. मन से कुछ कोमल भी होता है, दूसरों के प्रति कुछ उदारता भी रखता है.

धार्मिकता के गुणों से युक्त, स्वाभिमानी तथा स्थिति के अनुरूप बोलने वाला होता है. व्यक्ति में विचारशीलता अधिक होती है सभी बातों के विषय में पूर्ण रूप से विचार करता है, हर समय दिमाग में कुछ न कुछ चलता ही रहता है. कफ प्रकृति वाला होता है, बुजुर्गों के साथ कुछ न कुछ विवाद बना रहता है.

सिंहस्थ सूर्य का फल | Results For Sun Aspecting Leo

सिंहस्थ सूर्य के होने पर यह स्थिति सूर्य को अपनी ही राशि में होने पर वह अधिक बल पता है. इसमें होने पर उसके गुणों में वृद्धि होती है. इससे प्रभावित व्यक्ति साहसी और शत्रु का नाश करने वाला होता है. स्वभाव से क्रोधी और विशिष्ट क्रियाओं में निपुण होता है. अलग -अलग तरह के कामों को में प्रविणता पा लेता है और जीवन में आगे बढ़ता है. काम काज में पदोन्नती पाता है ओर प्रतिष्ठित व्यक्तियों के मध्य रहने का मौका मिलता है.

व्यक्ति को वनों पर्वतों जैसे स्थानों में विचरण करना अच्छा लगता है, एकांत प्रिय होता है. अपने में मस्त और जीवन को अपने अनुसार जीने की कोशिश करने वाला होता है. शौर्य से पूर्ण कामों को करने की चाह रखने वाला होता, शूरवीर और तेजस्वी होता है. समाज में अपनी प्रतिभा की छाप छोड़ने वाला होता है, राज्य की ओर से संतुष्ट व सरकार के कामों को करने में तत्पर रहता है. राजा का सलाहकार बनकर या मंत्राल्य के पद को पाने में भी सक्षम होता है.

धीर-गम्भीर विचारों वाला होता है, अपनी बातों पर अडिग, नेतृत्व की चाह रखने वाला कुछ अंहकारी भी हो सकता है. विचारों में स्थिरता पाता है और अधिक सोच विचार में नहीं लगा रहता. धन से युक्त होता है अपने बूते पर काफी कुछ अर्जित भी कर सकता है. भीड़ से अलग ने की चाह भी रखता है, बोलने में कुशल और धार्मिक गुणों से युक्त होता है.

कन्यागत सूर्य का फल

कन्या में सूर्य के होने से जातक के व्यवहार में शलिनता का पुट होता है. स्त्रीवत कोमलता होती है. जातक कई सारी लिपियों का जानकार होता है और उसमें वह काफी दक्षता पा लेता है, इसकी भाषा को समझने की अच्छी समझ भी होती है. प्रिय वचन बोलने वाला होता है. कटुता से दूर रहने का प्रयास ही करता है. कई मामलों में यह मध्यस्थ बनकर उचित तरिके से गंभीर मसलों को सुलझा सकते हैं.

जातक मेधावी होता है, वेद शास्त्रों को पढ़ने का इच्छुक व जानकार भी हो सकता है. बोलने में कुशलता पाता है, हंसमुख विचारों से युक्त, मनोवोनोद प्रवृत्ति वाला, मित्रों के साथ प्रसन्न रहने वाला होता है. विद्वान लोगों की संगत में समय व्यतीत करने का मौका भी पाता है, बुद्धिजीवियों के संसर्ग में रहता है.

गुरू की सेवा करने वाला व धर्म के प्रति आसक्त होता है. मनोबल से कुछ कम हो सकता है जिस कारण कार्यों को करने में देरी कर सकता है. शर्मिला व सौम्य गुणों से युक्त होता है. सेवा कार्यों को कुशलता से करने वाला होता है. गीत संगीत के प्रति रूचि रखता है तथा कला के क्षेत्र से लगाव रखने वाला होता है.

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इन्दु लग्न विवेचन | Analysis of Indu Lagna

इंदु लग्न को धन लग्न भी कहा जाता है अष्टकवर्ग में इसका विशेष उपयोग देखा जा सकता है. वृहतपराशर होरा शास्त्र में इसे चंद्र योग के नाम से संबोधित किया गया है. इंदु अर्थात चंद्रमा इस विशेष लग्न का उपयोग जातक की आर्थिक स्थित को जानने के लिए किया जाता है. इससे व्यक्ति के ऎश्वर्य एवं संपन्नता का पाता लगाया जाता है. साथ ही साथ यह जातक के जीवन में होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं को भी दर्शाता है.

इंदु लग्न गणना नियम | Rules To Calculate Indu Lagna

इंदु लग्न की गणना में राहु-केतु को स्थान प्राप्त नही है. इसके अतिरिक्त समस्त सातों ग्रहों को लिया जाता है जिन्हें कुछ अंक प्राप्त हैं जिन्हें ग्रहों की किरणें या कलाएं कहते हैं. जिसके अनुसार गणना करके इंदु लग्न को प्राप्त किया जाता है. यह कलाएं इस प्रकार हैं:-

ग्रह कलाओं की संख्या
सूर्य 30
चंद्रमा 16
मंगल 6
बुध 8
बृहस्पति 10
शुक्र 12
शनि 1

इन्दु लग्न की गणना करने के लिए सबसे पहले जन्म कुण्डली में चंद्रमा से नवमेश की कला का योग और लग्न से नवमेश की कलाओं का योग करना होता है.

इसके पश्चात इन दोनों का योग किया जाता है यदि यह योग 12 से कम हो तो उस संख्या को लिख लिया जाता है लेकिन अगर यह योग 12 से ज्यादा होता है तो इसमें से 12 के गुणक को इस तरह से कम किया जाता है कि शेष संख्या या तो 12 बचे या 12 से कम हो. परंतु ध्यान रखें कि 0 नहीं होना चाहिए यदि 0 आता है तो उसके स्थान पर 12 को लिखा जाता है.

इस प्रकार से जो संख्या प्राप्त हुई है उसे संख्या के बराबर जन्म कुण्डली में चंद्रमा द्वारा गृहीत भाव से आगे के भावों को गिनें अब गिनने पर जो भाव आता है वह जन्म कुण्डली का इंदु लग्न होता है.

उदाहरण कुण्डली से हम यहां आपको इन नियमों का उपयोग करके दिखाएंगे जिससे आप आसानी से कुण्डली में इन्दु लग्न का पता लगा सकेंगे:-

यहां हमने तुला लग्न की कुण्डली ली है . लग्न में गुरू और मंगल हैं. दूसरे भाव में शुक्र, तीसरे भाव में बुध चौथे में सूर्य, छठे में राहु, सप्तम में चंद्रमा, एकादश भाव में शनि और बारहवें भाव में केतु स्थित हैं. कुण्डली में लग्न से नवें भाव का स्वामी बुध है, जिसे 8 कलाएं प्राप्त हैं. इसी के साथ चंद्रमा से नवें भाव का स्वामी गुरू है जिस 10 कलाएं प्राप्त हैं.

इस प्रकार दोनों ग्रहों की कलाओं का योग बुध 8+ गुरू 10 =18 बनता है. यह योग चूंकि 12 से अधिक है इसलिए हम इसे 12 से भाग करते हैं. भाग करने पर शेषफल 6 प्राप्त होता है.

अब जन्म कुण्डली में चंद्रमा जो कर्क राशि का होकर सप्तम भाव में बैठा है यहां से 6 भाव आगे गिनने पर धनु राशि द्वारा गृहीत 12वां भाव आता है जो इस कुण्डली का इन्दु लग्न बनता है.

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सूर्य दृष्टि योगा फल – भाग 1 | Yoga Results Of Aspecting Sun – Part 1

मेषगत सूर्य का फल | Result of Sun Aspecting Aries

मेषगत सूर्य के होने से जातक शास्त्रों का अच्छा जानकार बनता है. जातक को इस स्थिति में उच्चता की प्राप्ति होती है जिसके फलस्वरूप सूर्य के गुणों में भी वृद्धि होना स्वाभाविक है. इसलिए यहां पर स्थिति सूर्य अपने तेज में बढो़त्तरी करता है और जातक को उसका यह तेज कई प्रकार से प्रभावित करता है. जातक अपनी कृतियों और रचनाओं के कारण काफी प्रसिद्धि पाने में सक्षम होता है. उसका चहुंमुखी विकास होता है.

परंतु इसी के साथ सूर्य का अत्यधिक तेज स्वभाव भी जातक के स्वभाव में स्पष्ट होते दिखाई देता है. जातक को क्रोध अधिक आ सकता है, वह युद्धप्रिय हो सकता है. इस प्रकार के अनेक कौशल जिसमें शक्ति का समावेश हो उसे अच्छे लग सकते हैं. सात्विकता के साथ ही उसमें ओजस्विता और अंह की पुष्टि भी हो सकती है.

अनेक स्थानों में विचरण करने की चाह उसमें रह सकती है क्योंकि मेष एक चर राशि है इसलिए जातक में भी स्थाईत्व का अभाव रह सकता है. साहसिक कार्यों में रूचि रख सकता है. सूर्य की तेजी और अग्नि जातक को प्रभावित करती है. पित्त की अधिकता हो सकती है. रक्तविकार की संभावनाएं भी रहती हैं. जातक के चेहरे पर तेज रहता है. राज्य व पिता से समर्थन की प्राप्ति होती है.

वृषभगत सूर्य का फल | Result Of Sun Aspecting Taurus

वृषगत राशि में स्थित होने पर सूर्य का प्रभाव तेज के साथ कलात्मकता से युक्त हो जाता है. इसके प्रभाव में जातक अच्छी वस्तुओं का शौकीन होता है. आभूषणों तथा महंगे वस्त्रों को पहनने की चाह रखने वाला, सलीके से युक्त बातचीत में अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति का परिचय देता है. साजसज्जा का ख्याल रखने वाला बनता है. सुगंधित वस्तुओं का प्रेमी, गीत संगीत व नृत्य आदि कलाओं का प्रेमी होता है.

इस राशि में स्थित होने पर जातक जल से भयभीत रह सकता है, उसे मुंह व नेत्र संबंधी विकार हो सकते हैं क्योंकि जब शुक्र की राशि में सूर्य स्थित होता है तो यह नेत्रों की ज्योति को प्रभावित करता है. जातक अपने भव्य चरित्र का आचरण भी करता है जिसे देखकर लोग उसे दिखावा करने वाला भी समझ सकते हैं.

जातक दिखने सुंदर और पतला होता है, व्यवहारिक होता है और व्यापार के कार्यों में दक्षता पाता है. दांपत्य संबंधों को भी प्रभावित करता है क्योंकि शुक्र वीर्य है और सूर्य अग्नि ऎसे में तेज, वीर्य को जला देता है ऎसे में जातक अधिक संतान से रहित हो सकता है. सहने की शक्ति भी अधिक होती है. कुछ मामलों में यौन सुख में भी कमी को दर्शाता है.

मिथुनगत सूर्य का फल | Result Of Sun in Gemini Sign

मिथुन में सूर्य के होने पर जातक को मेधावी बनने में सहायक बनता है. यह स्थिति में सूर्य एक बौद्धिकता से पूर्ण राशि में स्थित होता है जहां सूर्य भी ज्ञान का रूप माना जाता है वहीं जब वह इसमें स्थिति होता है तो जातक की बौद्धिकता अच्छी और प्रखर होकर उभरती है. उसे व्यापार जैसे कामों में अच्छी सफलता भी प्राप्त होती है.

जातक की भाषा भी मधुर बनती है और उसमें वाक कला का चातुर्य प्राप्त होता है. व्यवहार में सदाचार का आगमन होता है और कार्यों में दान पुण्य करने इच्छा जागृत होती है. शास्त्रों के प्रति झुकाव बढ़ता है और उनमें पारंगता मिलती है. विज्ञान और शास्त्र जैसे विषयों में अच्छी समझ रखने वाला होगा.

इस स्थान में वह दूसरों के लिए सहायक व मन से विकल भी रह सकता है. धन से युक्त होगा किंतु खर्चों में अधिकता बनी रहेगी. उदारता पूर्ण आचरण करने वाला होगा. ज्योतिष के विषयों रूझान रखने वाला दो माताओं का प्रेम पाता है या उनसे पालन पोषण का सुख प्राप्त करता है. सभी के समक्ष प्रिय व विनीत होता है.

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दो ग्रहों से बनने वाले योग का फल | Yogas Formed With a Combination of Two Planets

सूर्य और चंद्रमा का युतिफल | Combination of Sun and Moon

सूर्य के साथ चंद्रमा की स्थिति में जातक स्त्रियों के नियंत्रण में रहने वाला होता है और उनकी बात को समझता है. इसलिए स्त्रियों का साथ इन्हें पसंद भी आता है. आर्थिक रूप से जातक संपन्न होता है तथा विलास संबंधी वस्तुओं के प्रति आसक्त भी रहता है. मादक पदाथ जैसे शराब या आसव इत्यादि बेचने में कुशल होता है. जातक कार्यों को करने में कूटनीति से भी काम लेता है इनमें भी वह कुशल होता है.

सूर्य और चंद्रमा की युति जातक को कुछ गलत कामों की ओर भी उन्मुख कर सकती है इस स्थिति में जातक का मन मजबूत नहीं होता और उसमें अस्थिरता बनी रहती है. कुछ न कुछ करने में प्रयास रत रहता है और अपने काम से संतुष्ट नहीं हो पाता.

सूर्य और मंगल का युतिफल | Combination of Sun and Mars

सूर्य के साथ मंगल की युति में जातक काफी ओजस्वी और प्रतापी बनता है. दोनों ही ग्रह काफी आक्रामक होते हैं तथा गर्म हैं इसलिए इनके प्रभाव का एक साथ मिल जाना जातक के व्यवहार में भी उग्रता और तेजी को दर्शाने वाला होता है. जातक में साहस खूब होता है और वह स्वभाव से क्रोधी भी होता है.

जातक अपने हर काम में शक्ति की आजमाईश करने की चाह रखने वाला हो सकता है. अपने इस रवैये से कुछ मूर्खता पूर्ण कार्य भी कर बैठता है. मार-काट करने में ज्यादा मजा ले सकता है और पाप पूर्ण कार्यों कि ओर भी उन्मुख हो सकता है, उसमें नेतृत्व की भावना सदैव बनी रहती है और सभी के समक्ष खुद को हमेशा आगे रखने की चाह भी रहती है.

सूर्य और बुध का युतिफल | Combination of Sun and Mercury

सूर्य और बुध दोनों ही ज्ञान और बौद्धिकता का संगम है. इसके प्रभाव से जातक सेवाभाव से युक्त होता है और नौकरी करने वाला होता है. धन के क्षेत्र में अस्थिरता बनी रह सकती है. मधुर भाषी होता है और सभी का हृदय मोह लेता है. यश व सम्मान की रक्षा करने वाला, सज्जन व राजा का प्रिय होता है. सत्य, बल, रूप एवं विद्या इत्यादि गुणों से सम्पन्न होता है.

यह एक अच्छा योग संबंध माना गया है जिसमें जातक को विद्वानों का साथ मिलता है और वह अपने क्षेत्र में प्रगत्ति पाता है. नौकरी या व्यवसाय दोनों में ही इसकी बौद्धिकता अच्छे स्तर की होती है. लोगों के मध्य यह मुख्य स्थान पाता है.

सूर्य और गुरू का युतिफल | Combination of Sun and Jupiter

सूर्य के साथ गुरू की युति दो मित्र ग्रहों की संगति रूप में अच्छी रहती है. जातक धार्मिक विचारों वाला होगा. धर्म कर्म के कायों की ओर रूजान रखने वाला रहेगा. उसके कामों में दुष्टता नहीं होगी सभी कामों में नैतिकता का रंग दिखाई देगा. विद्वानों से सम्मानित और गुरू जनों का साथ पाने वाला होगा. सरकार को ओर से उसे सम्मान मिलेगा और एक योग्य शिक्षक के रूप में काम करने की इच्छा रख सकता है.

सूर्य और शुक्र का युतिफल | Combination of Sun and Venus

यह युति संबंध जातक के ज्ञान में कलात्मकता की छाप देने वाला होता है. जातक शस्त्रों को चलाने में निपुण और शक्ति विद्या से युक्त होता है. जातक को नाट्य क्षेत्र में कार्य करने की इच्छा रह सकती है. स्त्री के सहयोग से वह विपुल धन कमाने योग्य बनता है. इस युति के कारण जातक की नेत्र ज्योति भी प्रभावित हो सकती है.

सूर्य और शनि का युति फल | Combination of Sun and Saturn

सूर्य और शनि की युति अनुकूल नहीं मानी जाती क्योंकि इसमें मतभेद अधिक दिखाई देते हैं. इस युति के प्रभाव से जातक धातुओं का जानकार होता है. धर्म परायण होता है और अपने काम को दक्षता से करने वाला बनता है. स्त्री व पुत्र की ओर से उसे कष्ट भी मिल सकता है. कुछ के अनुसार यह युति संबंध पिता और पुत्र के संबंधों अथवा राजा और सेवक के मध्य में तनाव की स्थिति भी दर्शाती है.

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