वक्री ग्रह | Retrograde Planets | Retrograde Planets in Astrology

वक्री ग्रहों के बारे में बहुत सी बाते कही जाती हैं लेकिन फिर भी इनके विषय में अभी तक भी बहुत सी बाते छिपी हुई सी ही हैं. गोचर में जब सूर्य से छठे, सातवें व आठवें भाव में ग्रह विचरण करता है तब वह उसकी वक्र गति कहलाती है. वक्र अर्थात उलटा, लेकिन ग्रह उलटा चलता प्रतीत होता है लेकिन होता नहीं है. बुध व शुक्र की वक्र अवस्था उनके अंशों पर निर्भर करती हैं. बुध जब सूर्य से 20 अंशों की दूरी बनाता है तब वक्री होना आरंभ हो जाता है, इसी तरह से शुक्र जब सूर्य से 29 अंशों की दूरी पर जाता है तब वक्री होना आरंभ हो जाता है. कई बार बड़े ग्रह जब पांचवें व नौंवे भाव में होते हैं तब भी वक्री हो जाते हैं. इस प्रकार मोटे तौर पर कह सकते हैं कि सूर्य से पांचवें भाव से नौंवे भाव तक ग्रह वक्री अवस्था में विचरण करते हैं.

वक्री ग्रहों के बारे में सभी विद्वानों का अपना-अपना मत हैं और ज्योतिषीय ग्रंथों में भी वक्री ग्रहों के बारे में भिन्न मत हैं. मत चाहे कुछ भी हों किन्तु एक बात स्पष्ट है कि वक्री ग्रह स्वास्थ्य के नजरिए से कभी भी शुभ नहीं माने जाते हैं और व्यक्ति की किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं करते हैं. वक्री ग्रह के विषय में ज्योतिषीय ग्रंथों में क्या लिखा है, आइए जानने का प्रयास करें.

  • सारावली के अनुसार वक्री ग्रह सुख प्रदान करने वाले होते हैं लेकिन यदि जन्म कुंडली में वक्री ग्रह शत्रु राशि में है या बलहीन अवस्था में हैं तब वह व्यक्ति को बिना कारण भ्रमण देने वाले होते हैं. यह व्यक्ति के लिए अरिष्टकारी भी सिद्ध होते हैं.
  • संकेतनिदि के अनुसार मंगल जब वक्री होता है तब अपने स्थान से तीसरे भाव के प्रभाव को दिखाता है. गुरु वक्री होने पर अपने स्थान से पंचम भाव के फल, बुध अपने स्थान से चतुर्थ भाव का प्रभाव, शुक्र अपने स्थान से सप्तम भाव का प्रभाव और शनि अपने स्थान से नवम भाव के परिणाम देता है.
  • जातक पारिजात के अनुसार वक्री ग्रह के अलावा शत्रु भाव में किसी अन्य ग्रह का भ्रमण अपना एक तिहाई फल खो देता है.
  • उत्तर कालामृत के अनुसार जिस तरह से ग्रह अपने उच्च अथवा मूल त्रिकोण राशि में होता है ठीक वैसे ही ग्रह वक्री अवस्था में भी होता है.
  • फल दीपिका में मंत्रेश्वर जी का कथन है कि ग्रह की वक्र गति उस ग्रह विशेष के चेष्टाबल को बढ़ाने का काम करती है.
  • कृष्णमूर्ति पद्धति के अनुसार प्रश्न के समय संबंधित ग्रह का वक्री होना अथवा वक्री ग्रह के नक्षत्र में होना नकारात्मक माना जाता है. काम के ना होने की संभावनाएँ अधिक बनती हैं. यदि संबंधित ग्रह वक्री नहीं है लेकिन प्रश्न के समय वक्री ग्रह के नक्षत्र में स्थित है तब कार्य पूर्ण नहीं होगा जब तक कि ग्रह वक्री अवस्था में स्थित रहेगा.
  • सर्वार्थ चिन्तामणि में आचार्य वेंकटेश ने वक्री ग्रहों की दशा व अन्तर्दशा का बढ़िया विवरण किया है. उनके अनुसार यदि मंगल ग्रह वक्री है और उसकी दशा/अन्तर्दशा चल रही हो तब व्यक्ति अग्नि तथा शत्रु आदि के भय से परेशान रहता है. ऎसी स्थिति में व्यक्ति एकांतवास करना चाहता है.
  • सर्वार्थ चिन्तामणि के अनुसार ही वक्री बुध अपनी दशा/अन्तर्दशा में शुभ फल प्रदान करता है. व्यक्ति अपने साथी व परिवार का सुख भोगता है. व्यक्ति की रुचि धार्मिक कार्यों की ओर भी बनी रहती है.
  • सर्वार्थ चिन्तामणि के अनुसार ही वक्री गुरु परिवार में सुख व समृद्धि प्रदान करता है और शत्रु पक्ष पर विजय हासिल कराता है. व्यक्ति वैभवशाली जीवन जीता है.
  • शुक्र मान – सम्मान का द्योतक है इसलिए सर्वार्थ चिन्तामणि में कहा गया है कि वक्री शुक्र की दशा में व्यक्ति वाहन सुख पाता है और अपनी सुख सुविधाओं के लिए सभी तरह के साधन जुटा लेता है.
  • सर्वार्थ चिन्तामणि के अनुसार ही वक्री शनि अपनी दशा/अन्तर्दशा में अपव्यय करवाता है. व्यक्ति चाहे कितने भी प्रयास क्यूँ ना कर ले उसे सफलता नहीं मिलती है. ऎसा शनि व्यक्ति को मानसिक तनाव व दुख प्रदान करता है.

उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए वक्री ग्रहों के संदर्भ में बहुत सी बाते निकलकर सामने आती हैं. जैसे कि यदि कोई वक्री ग्रह बलहीन है तब वह फलित के समय बली सिद्ध होता है और यदि वक्री ग्रह बलवान है तब वह निर्बल सिद्ध होता है. लेकिन इसके साथ ही जन्म कुंडली के विश्लेषण में अन्य सभी पहलुओं पर भी विचार अवश्य कर लेना चाहिए. गोचर के वक्री ग्रहों का प्रभाव देश अथवा स्थान विशेष पर प्रभाव ज्यादा देखा जाता है. जब भी कोई मुख्य ग्रह वक्री से मार्गी होता है या मार्गी से वक्री होता है तब अपना प्रभाव अवश्य दिखाता है, यह प्रभाव व्यक्ति विशेष पर भी देखा जा सकता है.

कई विद्वानों का मत है कि शुभ ग्रह वक्री होने पर व्यक्ति को सभी प्रकार का सुख, धन आदि प्रदान करते हैं और अशुभ ग्रह वक्री होने पर प्रतिकूल परिणाम देते हैं, व्यक्ति व्यसनों का भी शिकार हो जाता है. एक मत यह भी है कि वक्री ग्रहों की दशा/अन्तर्दशा में व्यक्ति के सम्मान व प्रतिष्ठा में कमी हो सकती है. इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि क्रूर ग्रह वक्री हों तो इनकी क्रूरता बढ़ जाती है और सौम्य ग्रह वक्री हो तो इनकी सौम्यता बढ़ जाती है. यदि यात्रा के समय की कुंडली देखी जाए तब एक भी वक्री ग्रह लग्न में स्थित होना अशुभ माना जाता है.

कई विद्वानों का यह भी मत है कि गोचर के वक्री ग्रह जिस भाव में स्थित होते हैं उससे एक भाव पीछे से फल प्रदान करते हैं. कई अन्य लोगों का यह भी मत है कि भाग्येश यदि वक्री ग्रह हो तब ऎसा व्यक्ति अति भाग्यवान समझा जाता है. इसलिए वक्री ग्रहों को सदा अनिष्टकारी नहीं समझना चाहिए. कई बार किसी विशेष स्थान व विशेष योग में शामिल वक्री ग्रह अत्यधिक शुभ फल प्रदान करते हैं और व्यक्ति इनकी दशा/अन्तर्दशा में काफी ऊंचाईयों तक भी पहुंचता है. यदि किसी व्यक्ति विशेष की जन्म कुंडली में कोई ग्रह वक्री है तो गोचर में जब यही ग्रह पुन: वक्री होता है तब व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. आइए वक्री ग्रहों के शुभ फलों के बारे में और जानकारी प्रदान करने का प्रयास करते हैं. पाठकों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि सूर्य व चंद्रमा सदैव मार्गी रहते हैं और राहु/केतु सदैव वक्री रहते हैं.

मंगल ग्रह | Mars Planet

मंगल को सभी ग्रहों में क्रूरतम ग्रह माना जाता है, इसके प्रभाव से व्यक्ति अति शीघ्र क्रोध से भर जाता है और उत्तेजित रहता है. जिनकी कुंडली में मंगल वक्री रहते हैं ऎसे व्यक्तियों के वैज्ञानिक, डॉक्टर अथवा गूढ़ विद्याओं में रुचि रखने की संभावना अधिक बनती है. जिन मजदूरों की जन्म कुंडली में मंगल वक्री अवस्था में स्थित होता है वह काम करने की बजाय जरा – जरा सी बात पर उत्तेजित होकर हड़ताल पर ज्यादा रहते हैं.

बुध ग्रह | Mercury Planet

बुध के बारे में कहा गया है कि वह जिन ग्रहों के सथ स्थित होता है उनके अनुसार शुभ अथवा अशुभ फल देता है. बुध यदि पाप ग्रहों के साथ है तो पापी और शुभ ग्रहों के साथ है तो शुभ फल प्रदान करता है. जिनकी जन्म कुंडली में बुध वक्री होता है वह जल्दी ही मुसीबत में घबरा जाते हैं और स्वभाव से कमजोर भी होते हैं. लेकिन जब-जब गोचर में बुध वक्री होता है तब-तब इन व्यक्तियों की बुद्धि तीक्ष्ण हो जाती है. इस समय यह समाज की विभिन्न समस्याओं को सुलझाने में अत्यधिक सक्षम भी होते हैं और बहुत ही निराले रुप से काम करते हैं.

बृहस्पति ग्रह | Jupiter Planet

बृहस्पति यदि किसी की जन्म कुंडली में वक्री हो तो यह भी शुभ फल प्रदान करता है. ऎसे व्यक्ति बहुत ही विलक्षण प्रतिभा के धनी होते हैं. जब तक यह अपने कामो को अंजाम तक नहीं पहुंचा देते हैं तब तक उसे करने के लिए प्रयासरत रहते हैं, कोई काम अधूरा नहीं छोड़ते हैं, अन्तत: पूरा कर ही लेते हैं. यदि ऎसे व्यक्तियों का कोई काम बीच में पड़ा हो और किसी कारणवश वह उसे नहीं कर पाते हैं तब गोचर में बृहस्पति के दुबारा वक्री होने पर वह अपने काम को पूरा कर ही लेते हैं.

शुक्र ग्रह | Venus Planet

जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में शुक्र वक्री अवस्था में होता है वह धार्मिक स्वभाव के होते हैं. धर्म पर विश्वास रखने के कारण ही व्यक्ति कई बार लोकप्रियता भी हासिल करता है. शुक्र जब गोचरवश वक्री होता है तब व्यक्ति सत्यवादी होने साथ क्रूर भी हो जाता है. ऎसे में यदि व्यक्ति किसी का प्रेम या सम्मान नहीं पाता है तब विद्रोही भी हो जाता है. यदि व्यक्ति किसी कला के क्षेत्र से आजीविका कमाता है तब गोचर के शुक्र के समय यह अपने व्यवसाय में अच्छा नाम कमाते हैं.

शनि ग्रह | Saturn Planet

जिनकी जन्म कुंडली में शनि वक्री होता है और जब उनके युवा होने पर शनि वक्री होता है तब उस दौरान व्यक्ति स्वभाव से शक्की हो जाता हैं. साथ में ऎसे व्यक्ति स्वार्थी भी हो जाते हैं. ऎसे व्यक्तियों में दिखावे की प्रवृति अधिक पाई जाती है. व्यक्ति ऊपर से कुछ तो भीतर से कुछ ओर होता है. बाहर से ऎसे व्यक्ति सिद्धांतवादी होने का दिखावा करते हैं लेकिन अंदर से नीरे खोखले ही होते हैं और प्राय: स्वभाव से इन्हें लचीला ही देखा गया है.

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मंगल के मकर, कुंभ ओर मीन राशि में होने पर कैसा होगा असर? आईये जानें

मकरस्थ मंगल फल | Mars Aspecting Capricorn

मकर में स्थित होने पर मंगल को उच्चत्तम बल की प्राप्ति होती है. यहां स्थित मंगल के कारण जातक में मंगल से जुडे़ हुए गुण वृद्धि को पाते हैं. इस स्थान में मंगल अपनी शुभता में वृद्धि करता है जातक को धन धान्य का सुख मिलता है. भू-संपदा से वह काफी धन अर्जित कर सकता है. मकर राशि में मंगल व्यक्ति का एक अधिक व्यवस्थित और नियंत्रित रूप दर्शाता है. जातक हर समय उत्साहित के रूप में सामने नहीं आते हैं, बल्कि वह काफी सोच विचार करते हुए ही अपने कामों को करने की कोशिश करता है. वह अपनी ऊर्जा को ऎसी ही व्यर्थ नहीं होने देता

मकरस्थ मंगल होने से जातक के भीतर प्रमुखता की चाह रहती है वह सभी चीजों के शीर्ष पर रहने की चाह रखता है. आम तौर पर जातक को कड़ी मेहनत का डर नहीं होता उसका ध्यान तो केवल लक्ष्य की ओर ही उन्मुख रहता है. वह अपने काम पर चरम तक पहुंचना चाहता है और अपनी महत्वकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जी जान से कोशिश करता है. अधिकांशत: स्वभाव से स्वयं में सिमित रहने वाले हो सकते हैं. यह अपने इसी प्रकार से अधिक अच्छे से प्रदर्शित कर सकते हैं जिसमें इन्हें अपनी क्षमता दिखाने का अवसर मिलता है या यह स्वयं ही अपने लक्ष्य को पाने की चाह रखते हैं.

अधिक मेलजोल कि बाजाय खुद को समेटे हुए रखते हैं. यह अपने को शांत कर व्यक्त करते हैं. यह क्रोध को नियंत्रित करना जानते हैं और किसी भी प्रकार से अधिक क्रोध न करने की पूरी कोशिश करते हैं . व्यक्ति किसी भी प्रकार की बर्बादी से घृणा करता है, किसी भी काम को गोलमाल करना इन्हें पसंद नहीं है. इन्हें आलसी नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह अपनी मन:स्थिति को मजबूत रखते हुए काम को अंजाम देने का प्रयास करते हैं. बुद्धिमान होते हैं और समाज में प्रसिद्धि भी पाते हैं. युद्ध में विजय होते हैं तथा स्वतंत्र और अनेक बेहतर बातों से पूर्ण होते हैं.

कुम्भगत मंगल का फल | Mars Aspecting Aquarius

कुंभस्थ मंगल के होने पर जातक को स्वतंत्रता की चाह खूब रहती है वह अपनी आजा़दी को किसी के द्वारा बाधित नहीं होने देना चाहता है. इस स्थान में म्गल के होने पर जातक के विचारों को समझने में कठिनाई होती है वह क्या चाहता है इस बात का सही प्रकार से पता नहीं चल पाता है. इन्हें लोगों को आश्चर्यचकित करने में मजा आता है यह अपने कामोम से लोगों को अचंभित करने की मता रखते हैं. वह इसे किसी अन्य तरीके से नहीं होता. जातक अपने तरीके से जीवन जीना चाहता है और अपने अनुरूप कामों को करने की कोशिश करता है.

जातक आमतौर पर खुले विचारों वाला होता है, यह दुनिया को प्रगतिशील और खुले रूप से स्वीकार करते हैं, यह व्यक्तिगत रूप में काफी जिद्दी हो सकते हैं. जब यह कुध को बंधा हुआ पाते हैं तो विद्रोह करने से दूर नहीं रहते हैं. यह एक वायु तत्व राशि में मंगल के स्थित होने से व्यक्ति मे विचारों की कशमकश बनी रहती है वह अपने ख्यालों की दुनिया भी सजाता है. इनमें अधिक आकर्षण नहीं होता है अनाकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं. आर्थिक रूप से कई बार परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

व्यक्ति प्रेम के प्रति कुछ खास अभिव्यक्ति नहीं रखता है, आम तौर पर काफी चालाक होते हैं, यह लोग चतुराई के साथ मनमानी का मिश्रण हैं, काफी रचनात्मक होते हैं. इनमें एक अच्छी विशेषताओं में से एक दूसरों हो जाने की इच्छा होती है. यह स्वतंत्रता और व्यक्तित्व और दूसरों के लिए इसकी अहमियत जानते हैं. आमतौर पर अधिक भावुक नहीं होते हैं. व्यक्तिगत संबंधों में अंतरंगता के प्रति इनके दृष्टिकोण चौंकाने वाले होते हैं इनके अधिक व्यक्तिगत और स्नेही भाव में कमी रहती है.

मीनस्थ मंगल का फल | Mars Aspecting Pisces

मीनस्थ में राशि में मंगल के होने से इसके गुणों में कुछ कोमलता आ सकती है. जातक कोमल और हल्के स्वभाव का हो सकता है. वह समय के साथ चलने वाला होत है और प्रवाह के साथ जाने के लिए तैयार रहता है. खुद को को अभिव्यक्त करने के लिए रचनात्मकता का सहारा लेता है. वह अप्रत्यक्ष आक्रामकता के माध्यम से कुछ परेशानी उठा सकते हैं. जातक को वास्तव में क्या चाहिए इस बात का उन्हें शायद सही तरह से पता न चल पाए. यह वास्तव में भावनाओं में जीने वाले होते हैं. यह बौद्धिक रूप से अच्छी तरह से काम कर सकते हैं, लेकिन शारीरिक और व्यावहारिक चुनौतियों से निपटने में इन्हें समस्याएं हो सकती हैं.

मीन राशि में मंगल ग्रह कला की ओर आकर्षित होता है, और बहुत प्रतिभाशाली हो सकता है. क्योंकि इसमें यह आवश्यक आत्मनिरीक्षण के साथ साथ साथ ही रंग, लय और टोन के प्रति संवेदनशील होते हैं. यह दिखने में शांत लगते हैं जबकि अक्सर अंदर से बेचैन हो सकते हैं. अपने आसपास के वातावरण के लिए बहुत संवेदनशील होते हैं. यह भावुक अधिक होते हैं, प्यार के बारे में बहुत आदर्शवादी होते हैं. इनकी संवेदनशीलता इन्हें अपने पार्टनर के लिए बहुत संवेदनशील बनाती है. यह अपने साथी के साथ एक भावनात्मक संबंध की चाह अधिक रखते हैं.

“मंगलराशि दृष्टि योगफल – भाग 1”

“मंगलराशि दृष्टि योगफल – भाग 2”

“मंगलराशि दृष्टि योगफल – भाग 3”

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शनि अगर आपकी कुंडली में तुला, वृश्चिक या धनु राशि पर है तो ऎसा होगा प्रभाव

तुलागत शनि का योगफल | Saturn Aspecting Libra

तुलागत शनि की स्थिति काफी प्रबल होती है. यह शनि को उचित बल की प्राप्ति होती है तथा वह अपने प्रभावों के अनुरूप प्रभाव दिखाने में सक्षम होता है. व्यक्तित्व, शारीरिक स्वास्थ्य का सामान्य रहता है. जातक को अपने कार्य स्थान में पदोन्नति या वेतन वृद्धि मिल सकती है. व्यक्ति प्रतियोगिताओं में अच्छा करने की पूरी कोशिश करता है. शनि मजबूत स्थिति में हो सफलता प्राप्त होती है. जातक उच्च शिक्षा के लिए विदेश यात्रा की योजना बना सकता है. जातक के खर्च में बढ़ोतरी रहती है तथा इन्हें विदेश यात्राओं के अनेक मौके मिल सकते हैं.

जातक अपने परिवार से दूर हो सकता है कहीं दूर जाकर भाग्योदय होता है. व्यक्ति को दिव्य ज्ञान की प्राप्ति में शनि की यह स्थिति काफी प्रभावशाली रह सकती है.जातक हर विषय पर तर्क-वितर्क कर सकता है. उच्च राशि में होने के कारण बाधाओं के समाप्त होने पर पुन:लाभ प्राप्ति संभावना रहती है. व्यक्ति को दूसरों से धन लाभ हो सकता है, शनि व्यक्ति से सेवा कार्य कराता है जातक कठोर परिश्रम करने वाला, नौकरी पसन्द, दिमागी और शारीरिक कार्य करने में कुशल होता है. जातक सभी प्रकार के उत्तरदायित्व वाली नौकरियां करने वाला होता है.

जातक में धन के प्रति ललक बनी रहती है वह आर्थिक रूप से सदृढ़ रहने की इच्छा रखता है जिसके लिए वह खूब परिश्रम भी करता है. अपनी वाणी से दूसरों को अपनी ओर कर लेने की कला से अवगत होता है तथा कुछल वक्ता के रूप में जाना जाता है. व्यक्ति को परदेस से धन की प्राप्ति होती है तथा सेवकों से भी धन की प्राप्ति का मार्ग सरल होता है. जातक को सभी के समक्ष सम्मान पाने में सफल रहता है तथा इन्हें विद्वान लोगों की संगती का अवसर भी प्राप्त होता है. जातक सलाहकार जैसे कार्यों में विशेष सफलता पाता है और अपने चातुर्य द्वारा योग्य स्थान पाता है.

वृश्चिकगत शनि का योगफल | Saturn Aspecting Scorpio

वृश्चिकगत शनि के होने पर जातक का मन विद्वेष से भरा हो सकता है. वह दूसरों के लिए अहित के कामों में संलग्न रहने वाला हो सकता है. जातक में साहस अधिक रहता है वह दूसरों के समक्ष हार नहीं मानता है. तथा अपनी बात को सर्वथा सही मानता है. व्यक्ति में क्रोध अधिक होता है वह विषम स्वभाव का प्रदर्शन करने वाला होता है. उसे दूसरों से कोई अधिक लगाव नहीं रहता वह स्वयं के विषय में अधिक विचारशील रहने वाला होता है. जातक अपने मन की थाह किसी को नहीं लगने देता है. वह अपने कामों को अपने सामर्थ्य द्वारा पूरा करना चाहता है साथ ही किसी भी प्रकार के जोड़-तोड़ से उसे कर लेना चाहता है.

लालच का भाव इनमें रह सकता है यह किसी भी प्रकार से अपनी इच्छाओं की पूर्ती करना चाहते हैं जिस कारण से लोगों की अवमानना भी सहन करनी पड़ सकती है. जातक को किसी भी कार्य का फल का फल विलम्ब से प्राप्त होता है. इनसे मिलने वाले फल रुक-रुक कर मिलते हैं. शनि देव बाधक ग्रह के रुप में भी जाने जाते है. इसलिये इस स्थिति में फलों की प्राप्ति में बाधाएं आने की संभावना रहती है. जातक में घमंड भी रहता है, वह आसानी से दूसरों के समक्ष हार नहीं मानता है.

व्यक्ति का आचरण दूसरों के धन द्वारा सुख प्राप्ति में लगा रह सकता है. जीवन में प्रसन्नता के मौके कम ही मिलते हैं जिसका एक कारण व्यक्ति के स्वयं की खिन्नता भी होती है. व्यक्ति कई प्रकार के रोगों से त्रस्त रह सकता है तथा कामों में निर्दयी रूप अधिक झलकता है. फिर भी यह अपने कामों को पूरा करने की लग्न लिए होते हैं और आसानी से कोई विचार भी नहीं छोड़ पाते हैं.

धनुगत शनि का योगफल | Saturn Aspecting Sagittarius

शनुगत शनि के होने पर जातक में व्यवहारिकता का गुण खूब होता है. वह ज्ञान को पाने में सफल रहता है और अपने प्रयासों से उच्च शिक्षा को पाने में भी सफल रहता है. जातक को विद्वानों का साथ मिलता है जिसके प्रभाव स्वरूप उसमें अच्छे आचरण की अभिव्यक्ति देखी जा सकती है. जातक शास्त्रों तथा वेदों के अर्थ को समझने में योग्य होता है. जातक को संतती का सुख प्राप्त होता है तथा संतन की ओर से सम्मान और गर्व भी अनुभव होता है.

जातक अपने मनोभावों को कम व्यक्त करता है तथा अपने मन की बात आसानी से किसी को नहीं बताता है., समझदारीपूर्ण कामों को करने में लगा रहता है जिसके कारण दूसरे भी इससे प्रभावित रहते हैं.

“शनिगत स्थिति का योगफल – भाग 1”

“शनिगत स्थिति का योगफल – भाग 2”

“शनिगत स्थिति का योगफल – भाग 4”

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कर्क, सिंह या कन्या राशि का शनि दे सकता है मानसिक तनाव

कर्कगत शनि का योगफल | Saturn Aspecting Cancer

कर्कगत शनि के होने पर जातक को ऎसे लोगों का साथ मिलता है जो उसके भाग्यनिर्माण में सहायक बनते हैं और सुभग लोगों से जुड़कर जातक में शुद्धता का निर्माण होता है और वह कई विषयों पर विचाराधीन रहते हुए कार्य करने की सोचता है. जातक का स्वास्थ्य कुछ खराब सा रह सकता है, वह बचपन में बिमारी से परेशान भी रह सकता है जिस कारण उसका मन उदासी और थकावट से युक्त हो सकता है. आर्थिक रूप से मजबूती पाने के लिए जातक को काफी संघर्षों का सामना करने की जरूरत पड़ सकती है. व्यक्ति की बुद्धि तेज होती है जिसके द्वारा वह अपने कार्यों को पूर्ण कर लेने में सक्षम होता है और चतुराई पूर्वक अपने कामों को अंजाम देता है.

जातक का मन कोमल होता है और वह विशिष्ट कामों में लगा रहता है. उसके द्वारा किस गए कार्यों के दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं. जातक में उतावलापन भी खूब होता है किसी भी काम को करने में वह जल्दबाजी का परिचय दे सकता है. इस कार्यक्षमता से उसे कई बार परेशानी भी उठानी पड़ सकती है. क्योंकि तेजी से किए गए कामों में विचारों का अभाव हो सकता है जो उस कामों के सही मापदडों को समझने में पूर्ण रूप से सहयोगात्मक न बन सके. जातक का व्यवहार कुछ हद तक समझ से परे भी रह सकता है वह कभी कभी काफी हठता और कर्कशता से युक्त व्यवहार भी कर सकता है.

शत्रुओं को पीडा़ देने की कोशिशों में यह सदैव ही प्रयासरत रहता है. अपने बंधुओं का भी विरोधी हो सकता है जिस कारण बंधुओं का साथ नहीं मिल पाता है और उनसे दूरी की स्थिति बनी रहती है. व्यक्ति अपना मार्ग स्वयं निर्धारित करने की इच्छा रखता है और उसे स्वयं को भीड़ से अलग दिखाने की चाह रहती है. जीवन की मध्यावस्था में व्यक्ति जीवन में आर्थिक संपन्नता को पा सकता है या उसका जीवन कुछ अच्छे राजसी रूप से व्यतीत हो सकता है. सुखों की प्राप्ति करता है.

सिंहगत शनि का योगफल | Saturn Aspecting Leo

सिंहगत शनि के योगफल द्वारा जातक में साहस की अधिकता रहती है. जातक का लेखन के कामों में मन अधिक रमता है वह अध्ययन कार्यों में वह काफी अनुरक्त रहता है. व्यक्ति की चाह ज्ञान को पाने की ओर प्रयासरत रहती है. वह विद्वानों की संगती पाना चाहता है और विद्वान भी बनता उसकी संगती उच्च वर्ग के लोगों के साथ बनती है. व्यक्ति कई प्रकार के कठोरता पूर्ण कामों को करने वाला होता है. उसके इस कार्यों से उसे निंदित भी होना पड़ सकता है और आचरण से भी निंदा पूर्ण कामों को करना आना चाहिए. जातक को स्त्री पक्ष से दूरी सहन करनी पड़ सकती है और उनके प्रति उसका व्यवहार भी कठोर रहता है.

जातक नौकरी द्वारा अपनी आजीविका को पाता है. कई बार व्यक्ति कुछ नीच कार्यों को भी करने की ओर प्रयासरत रहता जिस कारण लोग उससे दूरी बना लेते हैं और उसे अपने लोगों से भी दूरी सहन करनी पड़ सकती है. क्रोध अधिक करता है और उसके इस व्यवहार से दूसरों को कष्ट होता है. जातक स्वयं में ही अधिक खोया रहने वाला होता है उसका अपना संसार होता है.

जातक अधिक जिम्मेदारियों का निर्वाह करने में सक्षम नहीं रह पाता वह अपने को अधिक बोझ और जिम्मेदारियों के मध्य पिसा हुआ पाता है. इसके कारण उसका मन भी खिन्न रहता है. व्यक्ति में स्थिरता की अधिक चाहत होती है वह अधिक आवागमन करने की इच्छा नहीं करता इसलिए जब भी इन स्थितियों का सामना करना पड़ता है तो वह मन से परेशान हो उठता है.

कन्यागत शनि का योगफल | Saturn Aspecting Virgo

कन्यागत शनि के होने पर जातक जिद्दी और हठी हो सकता है वह मन से काफी गलत विचारों की ओर भी उन्मुख रह सकता है. उसे दूसरों से अधिक स्वयं के हित की चाह रह सकता है. आलस्य की अधिकता उसमें सदैव ही बनी रहती है. व्यक्ति में दूसरों का धन और दूसरों के सुख को पाने की चाहत रहती है, वह उनके धन धान्य को पाना चाहता है और उनके सभी सुखों को पाने की लालसा रखता है. बुरे कार्यों की ओर भी उन्मुक्त रहने वाला होता है. व्यक्ति के मित्रों की संख्या भी सीमित होती है और वह अधिक मेल जोल से दूर ही रहता है. वह अपने प्रयासों में कमी कर सकता है परंतु फिर भी उसके पास आर्थिक स्थिति की अनुकूलता बनी रहती है.

व्यक्ति में कुछ परोपकारिता का भाव भी निहीत होता है जिसके द्वारा वह अपने कर्मों को शुद्ध कर पाने में सक्षम रहता है. जातक को शिल्प कलाओं की अधिक समझ नहीं होती है. कई बार वह कामों को बिना सोचे विचारे ही कर बैठता है जिस कारण उसे कठिनाई का सामना भी करना पड़ सकता है.

“शनिगत स्थिति का योगफल – भाग 1”

“शनिगत स्थिति का योगफल – भाग 3”

“शनिगत स्थिति का योगफल – भाग 4”

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शनि का मेष, वृष या मिथुन राशि में होने पर ऎसा होगा असर

मेषगत शनि का योगफल | Saturn Aspecting Aries

मेषगत शनि के होने पर जातक का व्यवहार कठोर और उग्र किस्म का हो सकता है. जातक में नियंत्रण शक्ति की कमी देखी जा सकती है. व्यर्थ का गुस्सा हो जाना और अपने हठ के समक्ष किसी अन्य की नहीं चलने देना चाहता है. अनेक व्यसनों का शिकार हो सकता है क्योंकि भावनाओं में बहुत कोमल होने के कारण तथा यह अपने संवेदनशील होने के कारण काफी परेशान से रहते हैं जिस कारण कई गलत आदतों के शिकार हो सकते हैं. व्यक्ति बार-बार किस जाने वाले प्रयासों से भी हताश हो सकता है जिस कारण वह स्वयं पर दबाव की स्थिति का अनुभव करता है.

मेषगत शनि में शनि बलहीन हो जाता है. यहां पर उसकी स्थिति काफी कमजोर रह सकती है, किंतु इस कारण वह अपने कर्म क्षेत्र से मुख नहीं मोड़ता अपितु अपने काम को जारी रखता हुआ आगे की ओर बढ़ने का प्रयास भी करता है. व्यक्ति अधिक सोचने और विचारने लगता है वाणी से कठोर हो सकता है. व्यक्ति में चालाकी से युक्त कामों को करने की समझ अधिक होती है वह अपने प्रपंचों द्वारा काम में आगे बढ़ने की कोशिशों में लगा रह सकता है. कार्यों में दूसरों को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति भी व्यक्ति में बखूबी देखी जाती है.

अपने बंधु-बांधवों के साथ उसका आचरण अनुकूल न रह सके जिस कारण विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. आर्थिक रूप से काफी परिश्रम करना पड़ सकता है. रहन सहन पर अधिक ध्यान नहीं देने वाला हो सकता है व्यक्ति में बदले की भावना अधिक रह सकती है इस कारण वह अपमानित हो सकता है.

वृषगत शनि का योगफल | Saturn Aspecting Taurus

वृषगत शनि के होने पर व्यक्ति मेहनत करने वाला होता है. वह परिश्रम द्वारा भाग्य निर्माण करने वाला होता है. आजीविका में प्रयासरत रहने पर ही जातक को लाभ की प्राप्ति हो सकती है. वह कई प्रकार से अपने मार्ग को स्पष्ट करने का प्रयास करता रहता है. उसे कई प्रकार के विवादों से अपने को निकालने का प्रयास करते रहना पड़ सकता है. जातक की भाषा छल युक्त भी हो सकती जिस कारण इसका अंदाज लगा पाना कठिन होता है. यह झूठ भी बहुत प्रभावशाली तरिके से बोलते हैं जिस कारण इन पर संदेह कर पाना कठिन काम है.

जातक का प्रेम अपने से बड़ी उम्र की स्त्री से रह सकता है. मित्र संगती अच्छी नहीं मिल पाती है इस कारण से गलत मार्ग की ओर मन का आकर्षण बढ़ जाता है. स्त्री गमन से यह व्यसन की चपेट में आ सकता है. यहां जातक कोई भी काम सोच विचार कर करने की ओर रहता है. उसे अपनी स्थिति का बोध नहीं हो पाता है. अनेक कामों को एक साथ करने में लगा रह सकता है. किसी भी बात को करने में काफी सजग रहता है और अपनी बात को पूर्ण रूप से खुले तौर पर कहता है. व्यक्ति अपने व्यवहारिक ज्ञान द्वारा दूसरों पर अपनी छाप छोड़ने की योग्यता रखता है.

मिथुनगत शनि का योगफल | Saturn Aspecting Gemini

मिथुनगत शनि के होने पर जातक में चातुर्य का प्रादुर्भाव होता है, वह अपनी बौद्धिक कुशला द्वारा लाभ पाने के प्रयासों में लगा रहता है. जातक कर्ज भी ले सकता जिस कारण उसे उस कर्ज को चुकाने में काफी प्रयत्न करना पड़ सकता है. जातक बंधन में भी रह सकता है और अपने हितों की पूर्ती न कर पाने का भाव भी उसके मन को परेशान कर सकता है. जातक में दम्भ भी बहुत होता है वह अपने कामों में अधिक बेहतर रूप से नहीं जुड़ पाता क्योंकि उसके फैसलों पर सभी का चल पाना कठिन काम होता है.

जातक अपने परिश्रम से भाग्योन्नति करने में सक्षम होता है. राज्य, व्यापार नौकरी के क्षेत्र में सफलता पाने में समर्थ होता है. बंधुओं का सहयोग मिलाजुला रहता है. राजनीतिज्ञों द्वारा लाभ की प्राप्ति होती है. धन, कुटुंब के मामलों में उतार-चढा़व स्थिति का वातावरण बना रहता है.

“शनिगत स्थिति का योगफल – भाग 2”

“शनिगत स्थिति का योगफल – भाग 3”

“शनिगत स्थिति का योगफल – भाग 4”

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सिंह लग्न का सातवां नवांश | Seventh Navansh of Leo Ascendant

सिंह लग्न का सातवां नवांश तुला राशि का होता है जिसका स्वामी शुक्र है. इस लग्न में जन्में जातका का रंग रूप प्रभावशाली और आकर्षक होता है. दिखने में सुंदर चेहरे पर लालिमा लिए हुए और रूपवान होता है. नैन नक्श तीखे होते हैं. शरीर ह्रष्ट-पुष्ट होता है, बोलने में मधुर भाषी और कुशल होता है. अपनी वाक चातुर्य से यह दूसरों को प्रभावित करने में सक्षम होता है. जातक में कूटनीतिज्ञता का भाव बहुत होता है वह किसी भी परिस्थिति को समझने में सक्षम रहता है और स्थिति के अनुरूप आचरण करने की कोशिश भी करता है.

व्यक्ति के गुणों में वृद्धि, धन प्राप्ति, साहस और शक्ति होती है. धर्म व सत्यवादी आचरण इनमें रहता है. खेलकूद व घूमने फिरने के शौकिन होंगे. शत्रुओं पर नियंत्रण करना अच्छे से जानते हैं. काम को लेकर जल्दबाजी रह सकती है, कल्पनाओं की उडा़न अधिक रह सकती है. लोगों से मेलजोल बनाने वाले होते हैं, कार्यों के प्रति आप निष्ठावान रहते हैं और काम में मन लगाकर कार्य करते हैं.जिम्मेदारियों को निभाने की पूरी चाह रखते हैं. आप उदारवादी रवैया भी अपनाते हैं. किसी भी विषय के बारे में समझ रखने की कोशिश कर सकते हैं. अच्छे वक्ता हो सकते हैं, आर्थिक स्थिति जीवन के मध्य भाग से बेहतर रहेगी. बौद्धिक क्षमता के द्वारा आप अपनी कार्ययोजनाओं को आगे तक ले जाने की चाह रखेंगे.

सिंह लग्न के सातवें नवांश का प्रभाव | Effect of Seventh Navamsha of Leo Ascendant

जातक में साहस और हिम्मत बनी रहती है वह कठिन स्थिति में भी अपने विचारों की उपयोगिता को समझने वाला होता है. अपने कार्यों के प्रति सजग रहते हुए आगे बढ़ते रहने की ललक भी व्यक्ति में खूब बनी रहती है. व्यक्ति अपनी बौद्धिक क्षमता द्वारा अनेकों कार्यों को करने की कोशिश करता है. इनमें बाहुबल द्वारा कामों को पूरा कर लेने की भी अच्छी खासी प्रवृत्ति होती है, जिसके कारण यह विजय पाने में सफल रहते हैं. जातक की भाषा में अधिकारपूर्ण भाव झलकता है जिससे इनका एक अलग ही चरित्र उभर कर आता है और इन्हें सम्मानजनक स्थान की प्राप्ति भी होती है.

सहयोगियों का प्रभाव अधिक रहता है, सोच प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाती. उत्तम स्तर की बौद्धिक रचनाओं की ओर झुकाव होता है. आर्थिक कामों को निपटाने में काफी निपुण रहते हैं. जातक में निडरता, सांमंजस्य का विचार और विचारों में स्थिरता की अभिव्यक्ति रहती है. एक अच्छे रूप में यह अपनी प्रतिभा को निखारने की कोशिश भी करते हैं जिससे इनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है. इन्हें किसी एक जगह पर रहकर काम करने में मजा नहीं आता यह अपने स्थान में परिवर्तन की चाह भी रखते हैं जिस कारण इनके पूर्ण प्रदर्शन में कमी आ सकती है. इस नवांश के प्रभाव स्वरूप व्यक्ति ऐश्वर्य और आराम पसंद करने वाला होता है. सौंदर्य और सजावट का आकर्षण इनमें सदैव बना ही रहता है.

सिंह लग्न के सातवें नवांश का महत्व | Significance of Seventh Navamsha of Leo Ascendant

व्यक्ति में आत्मविश्वास खूब होता है व दूसरों के समक्ष एक अच्छा ओहदा पाने वाले होते हैं. जातक किसी भी क्षेत्र से जुडा़ हुआ हो वह उसमें पारंगता हासिल कर लेने की प्रवृत्ति रखता है. राजनीति के क्षेत्र में भी इनका प्रभुत्व कायम रहता है. सत्ता पक्ष से भी इन्हें काफी लाभ मिलता है. समाज में उच्च वर्ग के लोगों के साथ इनका संबंध दृढ़ता को पाता है,जातक राजनीति से संबंधित कामों से धनार्जन करने का विचार रखता है. अपने रौबदार व्यवहार और कुशल वाक कला द्वारा लोगों को अपनी ओर कर लेने के प्रयासों में सफल रहता है और इसके निर्णयों को समझने में सभी लोग अपना सहयोग भी देते हैं.

जातक का वैवाहिक जीवन सुखद रूप से व्यतीत करने के लिए जातक को प्रयासरत रहना होता है. जीवन साथी के रूप में सहयोग करने वाला साथी प्राप्त होता है. साथी में निड़रता व उदंड का भाव रहता है. वह सत्य का आचरण करने वाला होता है और स्पष्ट वक्ता होता है. व्यवहार कुशलता इनमें खूब होती है तथा यह स्थिति को संभालने की कोशिश भी करते हैं. साथी में क्रोध अधिक हो सकता है जिस कारण कई बार दांपत्य जीवन में कई बार तनाव की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है इसलिए संभवत: इन बातों को समझने का प्रयास करना चाहिए और एक दूसरे को बेहतर रूप से समझने की कोशिश करनी चाहिए. अपने ज्ञान और अनुकूल आचरण की योग्यता से जातक दूसरों के मन में स्थान बना सकता है स्वयं पर नियंत्रण ही इन्हें आगे तक ले जाने में सहायक हो सकता है.

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नवमांश कुंडली में सिंह लग्न का आठवां नवांश देता है ये फल

सिंह लग्न का आठवां नवांश वृश्चिक राशि का होता है. जातक का रंग व नैन नक्श प्रभावशाली होते हैं. उसकी देह मजबूत होती है तथा वह हृष्ट-पुष्ट दिखाई देता है. आवाज में भारीपन हो सकता है उसका व्यवहार रौब जमाने वाला हो सकता है. जातक के अंग सुडौल व सुंदर होते हैं. वह कम बोलने वाला तथा अपनी बात की महत्ता को समझने वाला होता है. जातक गंभीर व्यक्तित्व का होता है तथा विचारों में तल्लीन रहने वाला होता है. व्यक्ति कल्पनाओं द्वारा अपने सपनों की हकीकत का निर्माण करता है. व्यक्ति स्वयं के विषय में नहीं बताना चाहता किंतु दूसरों की मन:स्थिति को भांपने की कोशिशों में लगा रहता है उनके राजों को जानने की चाह रखता है.

सिंह लग्न के आठवें नवांश में जन्मा जातक पराक्रमी व योद्धा किस्म का हो सकता है. वह अपने निणयों के प्रति अटल रहने वाला हो सकता है. जातक में स्वयं के प्रदर्शन की भावना बहुत होती है, वह दूसरों के समक्ष अपना शक्ति प्रदर्शन करने वाला होता है और उसमें जुझारूपन भी खूब होता है. जातक अपने कार्यों की पूर्ति करने से पिछे नहीं हटता है. वह किसी न किसी रूप में स्वयं को स्थापित करने की इच्छा अवश्य रखता है उसकी यही योग्यता उसे आगे तक ले जाने में सहायक सिद्ध होती है.

जातक के मुख पर विशेष सौम्यता का प्रादुर्भाव होते देखा जा सकता है, इस कारण व्यक्ति के सही व्यक्तित्व को समझने में कठिनाई होती है. जातक में सहन शक्ति की कमी देखी जा सकती है अर्थात वह अन्य किसी के द्वारा कही गई बात को सहन नहीं कर सकता. उसके संदर्भ में अपने विचारों को सदैव रखने का प्रयास करता है. यदि वह अपनी बात को नही रख सके तो उसके मन में बात सदैव चलती रहती और उसे जैसे ही मौका मिलता है वह अपनी बात को कह देता है. दूसरों को मनोभावों न समझते हुए उसका यह व्यवहार नकारात्मकता का अभिप्राय बन सकता है.

सिंह लग्न का आठवें नवांश का प्रभाव | Effect of Eighth Navamsha of Leo Ascendant

सिंह लग्न के इस आठवे वृश्चिक नवांश में जातक की भावनाएं काफी प्रबल होती हैं. जातक अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचाने के लिए अधिक उत्सुक नहीं होता किंतु उसे अपनी इच्छा पूर्ति की चाह बहुत होती है. वह अपनी आकांक्षाओं के प्रति सचेत रहता है तथा हर प्रकार से उन्हें पूर्ण करने की इच्छा रखता है. नवांश में वृश्चिक राशि के प्रभाव स्वरूप जातक तेजस्वी एवं आत्मविश्वास से पूर्ण होता है. अग्नि तथा जल का रुप मिलकर व्यक्ति के स्वभाव को प्रभावित करता है. जातक अपने विचारों को काफी प्रभावशाली रूप से दूसरों के समझ प्रस्तुत करने की कोशिश करता है.

जातक ऊर्जावान होते हैं किसी भी कार्य को करने से पीछे नहीं हटते हैं जो कार्य प्रारंभ करते हैं उसे पूरा करके ही दम लेते हैं पूर्ण रूप से अपने काम को पूरा करने की हर संभव कोशिश करते हैं. नीतियाँ बनाना एवं उन पर कार्य करना इनकी आदत में निहीत होता है. अनुशासन में रहकर जीवन जीते हैं . इनका मन बहुत जल्द ही प्रभावित होता है अत: इन्हें कौन सी बात बुरी लग जाए पता नहीं चल पाता है.

यह जीवन में जो नियम बनाते हैं, उन पर स्वयं भी कार्य करते हैं और दूसरों से भी यहीं इच्छा रखते हैं कि दूसरे इनकी बात को समझें. इन्हें अपना मान सम्मान बहुत प्रिय होता है इसलिए यह जल्द ही किसी के साथ नहीं घुलते मिलते अपितु उचित प्रकार से ही साथी का चयन करने वाले होते हैं. यदि किसी से कोई वादा करते हैं तो उसकी पूर्ति अवश्य करते हैं अपने वचनों से पिछे हटना इनकी आदत में नहीं होता है.

सिंह लग्न का आठवें नवांश का महत्व | Significance of Eighth Navamsha of Leo Ascendant

जातक के स्वभाव एवं व्यवहार में स्थिरता देखने को मिलती है. इन्हें अपने परिवार का सहयोग प्राप्त होता है जीवन में सुख साधनों को जुटाने की चाह बनी रहती है. तीखा बोलने से पीछे नहीं हटते हैं. वाक कुशला और चतुराई से पूर्ण कामों को पूरा करते हैं. अधिक परिश्रम करना जातक को पसंद नहीं होता है यह स्वयं कार्य करने की अपेक्षा दूसरों से काम करवाने वाले होते हैं. परंतु जल्दी से किसी के द्वारा किए गए कार्यों से संतुष्ट भी नहीं हो पाते हैं. मानसिक रूप से योजनाओं द्वारा काम को पूरा करने की कोशिश बहुत होती है.

जातक में ज्ञान प्राप्ति की चाह सदैव बनी रहती है, जातक का स्वभाव संदेह से भरा रह सकता है. इनमें प्रतिशोध लेने की इच्छा भी खूब बलवती रहती है. धन तथा भू-संपदा प्राप्त करने में यह काफी कुशल होते हैं. दया भावना भी इनमें होती है तथा अपने अधिनस्थों कार्य करने वालों के प्रति इनका व्यवहार सौम्य रहता है. जीवन साथी इनके लिए सहायक होता है तथा जीवन में आने वाले उतार-चढा़वों को सहने वाला होता है.

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कुंडली में शुक्र का मकर, कुम्भ, मीन राशि में होना दे सकता है ये फल

मकरगत शुक्र का योगफल | Venus Aspecting Capricorn

मकरगत शुक्र के होने पर जातक के व्यय अधिक रह सकते हैं, उसे अपनी आर्थिक स्थिति पर निगाह बनाए रखी चाहिए. व्यक्ति को अज्ञात भय का डर सताए रहता है. परेशानियों और संकटों से ग्रस्त रह सकता है लेकिन सूझबूझ द्वारा इन समस्याओं से बचने में भी सफल रहता है. जातक में अधिक शारीरिक क्षमता का अभाव हो सकता है. जातक अपने से अधिक उम्र की स्त्रियों के प्रति आकर्षित रह सकता है तथा किसी बुरे कर्म को करने में भी अधिक उत्साहित रह सकता है.

जातक की भावनाओं में कटुता आ सकती है. वह हृदय रोग संबंधी परेशानियों से त्रस्त भी रह सकता है. जातक को अपने स्वास्थ्य का भली भांति ध्यान रखने की आवश्यकता होती है. लोभ की प्रवृत्ति भी रह सकती है जिस कारण वह झूठ व ठगी जैसे कामों की ओर प्रवृत्त रह सकता है. परंतु यदि जातक पाप कर्मों की ओर आकर्षित होता है तो उसे इस कारण से बहुत सी परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है.

इसलिए जहां तक संभव हो सके व्यक्ति को अपने कर्मों में शुभता लाने का प्रयास अवश्य करना चाहिए जिससे की उसकी स्थिति में कोई बुरा प्रभाव हावी न हो सके. व्यक्ति को अस्थिर बनाने वाली हो सकती है. विपरीत लिंग वाले व्यक्ति में इनकी विशेष अभिरूचि होती है. इनके कई प्रेम प्रसंग होते हैं. भोग विलास में इनका मन रमता है. माता पिता से विवाद और मनमुटाव होने की संभावना रहती है.

कुम्भस्थ शुक्र का योगफल | Venus Aspecting Aquarius

कुम्भस्थ शुक्र के होने पर जातक का वैचारिक स्वरूप परंपरागत होता है. जातक में क्रोध अधिक रहता है वह कामों को लेकर काफी उत्साहित भी रहता है. मन से उद्विग्न रह सकता है, किसी न किसी तथ्य के प्रति उसकी कार्यक्षमता में कमी रह सकती है. प्रयासरत रहते हुए भी काम में असफलता का सामना करना पड़ सकता है जिससे निराशा का भाव मन में आना स्वभाविक ही होगा.किसी अन्य के प्रति इनकी लालसा सदैव अग्रीण रह सकती है. जातक को अपने की अपेक्षा दूसरों पर अधिक आकर्षण रह सकता है.

जातक परस्त्रीगामी हो सकता है. कई बार परंपरागत होते हुए भी धर्म विरूद्ध भी हो सकता है. उसके कार्यों में सपष्टता दिखाई न दे सके. गुरू शिष्य परंपरा में निष्ठावान रहता है लेकिन अनेकों बार यह स्थिति अनुकूल रहे यह आवश्यक नहीं होती है. व्यक्ति स्वयं पर अधिक ध्यान नहीं देता और सामान्य ही रहने की चाह रखता है. अन्य लोगों द्वारा कई बार उपेक्षाओं का सामना भी करना पड़ जाता है जिस कारण हताशा भी बढ़ सकती है लेकिन हार न मानने की प्रवृत्ति भी अधिक होती है.

स्थित होकर व्यक्ति को स्वस्थ और नीरोग काया प्रदान करता है. व्यक्ति आत्मविश्वास से परिपूर्ण होता है अपने व्यक्तित्व एवं आत्मबल के कारण समाज में यश और प्रतिष्ठित होता है. साथी से वैमनस्य होता है तथा वैवाहिक जीवन का सुख प्रभावित हो सकता है. कारोबार एवं व्यापार में अनुकूलता प्राप्त हो सकती है. गुप्त विषयो एवं विद्याओं में इनकी रूचि होती है. आत्मविश्वास की कमी के कारण निर्णय लेने में कठिनाई महसूस करते हैं.

मीनगत शुक्र का योगफल | Venus Aspecting Pisces

मीनगत शुक्र के होने पर जातक में उदारता का गुण विद्यमान रहता है. वह दूसरों के लिए हितकारी सोचने वाला होता है. जातक में दान धर्म करने की इच्छा भी निहीत होती है. वह अपने कामों में सफलता पाने वाला होता है. मीनगत शुक्र के होने पर शुक्र बलशाली हो जाते हैं जातक को शारीरिक रूप से सुंदर और आकर्षक बनाने में यह स्थिति बहुत सहायक होती है. जातक का आकर्षण भाव अत्यधिक रहता है. सुंदरता और आकर्षण से सम्मोहित होकर अन्य इनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते हैं.

आर्थिक क्षेत्र में जातक की स्थिति अनुकूल ही रहती है वह अपने लोगों को संपन्न बनाने में भी सहायक होता है. शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला होता है. लोकप्रसिद्ध होता है अपने गुणों में कोमल होते हुए वह दूसरों के हृदय में अपने लिए अनुकूल स्थान बनाने में सफल रहता है. राजा का प्रिय व सम्मानिय स्थान पाने वाला होता है. कलात्मक अभिव्यक्ति बहुत उत्कृष्ठ होती है जिसके द्वारा वह विद्वानों से सम्मान पाने वाला बनता है.

“शुक्रगत स्थिति का योगफल – भाग 1”

“शुक्रगत स्थिति का योगफल – भाग 2”

“शुक्रगत स्थिति का योगफल – भाग 3”

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तुला वृश्चिक और धनु वालों के लिए ऎसा होगा शुक्र का असर

तुलागत शुक्र का योगफल | Venus Aspecting Libra

तुलागत शुक्र का फल व्यक्ति को वैचारिक सोच में स्वतंत्रता देने वाला होता है. इस स्थान पर व्यक्ति साहस से पूर्ण होता है अपने वचनों का शुद्ध मन से आचरण करने की ओर प्रवृत्त होता है. व्यक्ति में भ्रमण करने की इच्छा बहुत होती है और वह विदेश जाने के लिए सदैव आतुर रहता है. व्यक्ति अच्छी वस्तुओं का शौक होता है. वह सुंदर आभूषणों और सुंदर वस्त्रों की चाह रखता है तथा स्वयं को सभी से अलग समझता है. समस्त सुखों की अनुभूति करने की चाह रखता है.

अपनी चतुराई द्वारा काम करने में निपुण होता है, ब्राह्मणों और देवताओं की सेवाओं को करने से प्रसिद्धि पाता है. इनका मिलनसार स्वभाव इन्हें बहुत सारे लोगों से जोडने में मददगार होता है. संगीत व अन्य ललित कलाओं सुगंध व सौन्दर्य की वस्तुओं की ओर इनका झुकाव रहता है. जातक सुन्दर, आकर्षक व्यक्तित्व का होता है. यह लोग बहुत सोच विचार कर बात करने वाले होते हैं. स्वास्थ्य सामान्यत: ठीक रहता है. सौन्दर्य के प्रति रूझान रहता है और भोग-विलास में खर्च करने वाले होते हैं. भाग्य व बाहरी मामलों से धन कुटुंब का लाभ मिलता है.

जातक में सोच का दायरा का विस्तृत रूप में होता है वह अपने मन के अनुरूप कल्पनाओं की उडा़न भरने की चाह रखता है. प्रेम की चाह रहती है तथा स्त्री पक्ष के प्रति अधिक झुकाव लिए होता है. सभी राग-द्वेषों से दूर होकर अपने में मस्त रहना चाहता है. इसी के साथ ही व्यक्ति अपने लोगों की चाह को पूरा करने में भी तत्पर रहता है और किसी न किसी रूप में उनके लिए मददगार भी बनता है. कार्य निपुण होता है और सभी के प्रति प्रेम भावना भी रखता है. व्यक्ति का कलात्मक पक्ष काफी मजबूत रहता है.

वृश्चिकगत शुक्र का योगफल | Venus Aspecting Scorpio

वृश्चिकगत शुक्र के होने पर जातक की सौम्यता में कमी आती है. वह हठी और उदंड हो सकता है. संबंधों में खटपट रह सकती है, साझेदारी के मामलों में सावधानी रखनी चाहिए. आर्थिक मामलों में गुप्त नीति द्वारा काम करने वाले हो सकते हैं. राज्यपक्ष, व्यापार, राजनीति के मामलों में काफी निपुण रहते हैं. वाद-विवाद की स्थिति में पड़कर स्वयं के लिए परेशनियां उत्पन्न कर सकते हैं. शत्रु पक्ष पर अपनी नीति द्वारा सफलता पाने वाले होते हैं. कोर्ट-कचहरी के मामलों में सफलता मिलती है.

अपने कार्यों में काफी निपुण होते हैं. लोगों से इनके सम्पर्क बढते हैं, अत्यधिक उत्साही और स्फूर्तिवान बनें रहते हैं. सुविधा और विलास के साधनों पर खर्च करते हैं, भोग वृती पर अंकुश नहीं लगाते हैं. विरोधीयों और प्रतिद्वन्दीयों को मात देने में सक्ष्म होते हैं. निर्दयी भी हो सकते हैं कठोर कर्म करने वाले होते हैं. भाईयों के साथ संबंधों में तनाव रह सकता है या उनसे विरक्त हो सकते हैं. बड़बोलापन भी खूब होता है जिस कारण परेशानी में भी पड़ सकते हैं.

जातक में विद्वेष की भावना भी खूब रहती है. धर्म के प्रति अधिक लगाव नहीं रखते हैं. स्वभाव से दुष्ट, धोखेबाज हो सकता है, काम में आलस्य का परिचय देने वाला होता है. पर-स्त्री से प्रेम करने वाला हो सकता है. अपराध छिपाने में चतुर होता है, लोगों के मध्य पड़कर उनके झगड़े का निपटारा करना में सफल रहता है. एक अच्छा मध्यस्थ बन सकता है.

धनुर्गत शुक्र का योगफल | Venus Aspecting Sagittarius

धनुर्गत शुक्र के होने पर जातक धर्म-कर्म करने वाला होता है. मान सम्मान पाने वाला अपने अच्छे आचरण से दूसरों के सम्मुख आदर ग्रहण करता है. अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूती देने वाला होता है. अपने परिश्रम द्वारा कठिन से कठिन कार्यों को करने के लिए सदैव तत्पर रहता है. विद्वानों की संगती में रहने वाला और उनसे आचरण की शुद्धता को सीखने वाला होता है. अपने लोगों के प्रति आदर भाव रखता है तथा समाज के हित के कार्यों को करने के लिए भी प्रयासरत रहता है. गो धन से पूर्ण होता है व साधुजनों की सेवा करने वाला होता है. अच्छी स्त्री का साथ पाता है व संतान की ओर से सुखद अनुभूति मिलती है.

सामाजिक प्रतिष्ठा और खुशहाली रहती है. सामाजिक क्षेत्र बढे़गा और मित्रों सहयोगियों का साथ भी मिलता है. स्त्रीवर्ग की ओर आकर्षित रहते हैं अभिलाषाओं की सम्पूर्ति होती है. कला संगीत इत्यादि में भी रुचि जागृत होती है. परिस्थितियों का बड़ी चतुरता से सामना करते हैं. ललितकला, संगीत व साहित्य में रूचि रहती है. यात्राओं से लाभ मिलता है, राज्य मंत्री जैसे पद की प्राप्ति भी होती है.

“शुक्रगत स्थिति का योगफल – भाग 1”

“शुक्रगत स्थिति का योगफल – भाग 2”

“शुक्रगत स्थिति का योगफल – भाग 4”

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अगर आपकी कुण्डली में शुक्र : कर्क, सिंह या कन्या राशि में बैठा है तो संभल कर करें हर काम

कर्कस्थ शुक्र का योगफल | Venus Aspecting Cancer

कर्कस्थ शुक्र के होने पर जातक कई प्रकार की सुंदर वस्तुओं से सुशोभित होता है. व्यक्ति में भावनाओं और इच्छाओं का संसार समाया होता है. वह सभी वस्तुओं को बहुत विस्तृत रूप से देखता है. अपने मन में उठने वाली तरंगों से अभिभूत रहता है. व्यक्ति को पद प्रतिष्ठा में वृद्धि दिलाने में सहायक बनती है. यात्राएं सफल रहती हैं छोटी यात्राएं सुखद व सुफलदायक हो सकती हैं. बहनों की संख्या अधिक रह सकती है उनके साथ प्रेम अधिक रहता है उनके साथ खुशहाल और सुखी रहते हैं.

जातक को प्रयत्नों में सफलता की प्राप्ति भी काफी हद तक प्राप्त होती है. माता के प्रति व्यक्ति का विशेष स्नेह रहता है. व्यक्ति उत्साही और स्फूर्तिवान रह सकता है लेकिन कोमलता से पूर्ण भी होता है. लोगों से इनके सम्पर्क अधिक बने रहते हैं.शुभ कृत्य के आयोजन में तत्पर रहने वाले हो सकते हैं. स्त्री वर्ग का साथ इन्हें रूचिकर लगता है व स्त्री वर्ग की ओर इनका झुकाव अधिक रहता है. महंगे और स्वादिष्ट भोजन के अवसर मिलते हैं. मंहगी चीजों के लिये यह अधिक पैसा खर्च कर सकते हैं.ललितकला, संगीत व साहित्य में इनकी रूचि रहती है.

जातक अपनी सुविधा और विलास के साधनों पर अधिक धन खर्च कर सकते हैं अत: इन्हें अपने खर्चो पर नियंत्रण रखना चाहिए. इनका विपरीत लिंगी से लगाव बढ़ता है. विरोधी और प्रतिद्वन्दी नुकसान पहुंचाने का प्रयत्न कर सकते हैं. मित्र और सहयोगियों का साथ पाने में सफल रहते हैं. आकर्षक और नीतिवान होते हैं. कोमल स्वभाव के गुणी कला से पूर्ण होते हैं. किसी वस्तु से जल्द ही प्रभावित हो जाते हैं. अभिलाषाओं और इच्छाओं की पूर्ति हेतु चाह अधिक रहती है किंतु उनके प्रति अधिक कर्मठता नहीं ला पाते हैं कोमल स्वभाव से युक्त रहते हैं.

सिंहस्थ शुक्र का योगफल | Venus Aspecting Leo

सिंहस्थ शुक्र के होने पर व्यक्ति सुख और आनंद की अनुभूती पाने में सफल रहता है. जातक का आत्मविश्वास बेहतर रहता है. मित्रों के सम्मुख सहयोगात्मक स्थिति को पाने में सफल होता है दोस्त मददगार होते हैं. प्रेम और संतान के सुख से फलिभूत रहने वाला होता है. जातक को स्त्रियों के सहयोग से धन की प्राप्ति होती है. खर्चे थोडे से ज्यादा हो सकते हैं. आप कीमती वस्तुओं के प्रति आकर्षित रहते हैं. और इन वस्तुओं पर यह कुछ ज्यादा ही खर्चे कर सकते हैं.

व्यक्ति का मनोबल कुछ कम रहता है परंतु वह अपने प्रयासों में कमी नहीं करता है. सुखों की प्राप्ती होते हुए भी जातक स्वभाव से कुछ दुखी रह सकता है. उपकार के भावना इनमें रहती है. यह गुरू और ब्राह्मणों की आज्ञा का पालन करने वाला होता है परंतु इसमें घमंड भी रहता है. अपनी तथा अपने परिवार की स्थिति को ध्यान में रखकर ही खर्चे करें तो अच्छा रहेगा. जातक को वाणी पर भी संयम रखना जरूरी होता है कटुता के उपयोग से इन्हें बचे रहना चाहिए.

जातक गुरूजनों और ब्राह्मणों की आज्ञा का पालन करने वाला होता है वह बहुत सी चिंताओं से घिरा रहता है. जातक को दिखावे से बचना होगा जो भी जैसा भी हो स्वाभाविक ढंग से काम करे तो अनुकूल फल की प्राप्ति हो सकती है. नई योजनाएं और नए प्रस्ताव में लगा रहता है. पैतृकव्यापार-व्यवसाय में तत्पर रहता है. उच्चस्थ पदाधिकारियों से सहयोग और समन्वय को पाने में सफल रहता है.

कन्यागत शुक्र का योगफल | Venus Aspecting Virgo

कन्यागत शुक्र के होने से जातक प्रसन्नचित रहता है, चिंताओं से मुक्त रहता है अधिक तनाव को अपने पर हावी नहीं होने देता है. कार्यों को चतुरता के साथ पूरा करने में लगा रहता है. अपने चातुर्य की अभिव्यक्ति में काफी सजग रहता है. सेवा भाव का गुण इसमें सदैव बना रहता है. यह दूसरों की सहायता करने में प्रसन्नता का अनुभव करता है. भूमि, भवन, वाहन, मातृ सुख, यश और धन की प्राप्ति में लगा रहता है. कोई महत्वपूर्ण पद भी मिल सकता है.

आय के स्रोत अधिक बने रहते हैं. भाई बहिनों का साथ मिलता है. यात्राओं से लाभ होता है. खर्चे अधिक होते हैं. प्रतिष्ठा और सम्मान में प्रचुर वृद्धि होती है. अपने कार्य क्षेत्र में यह महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त करते हैं. संग्रहशील होते हैं विलास सामग्री पर भी व्यय करते हैं. विपरीत परिस्थितियों से कुशलता से निपटने की कोशिश करते हैं.

माता पिता और गुरूजनों से संबंध अति मधुर रहते हैं. उच्च पदस्थ लोगों से सम्मान प्राप्त होता है. विपरीत परिस्थितियों से सही तौर पर निपटने की क्षमता का विकास होता है. धन कमाने हेतु बहुत से प्रयत्न करने पड़ते हैं. कन्या संतती पाने वाला, तीर्थ या सभा का विद्वान होता है.

“शुक्रगत स्थिति का योगफल – भाग 1”

“शुक्रगत स्थिति का योगफल – भाग 3”

“शुक्रगत स्थिति का योगफल – भाग 4”

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