प्रदोष व्रत तिथियां 2025

प्रदोष व्रत एक अत्यंत ही शुभकारक एवं प्रभावशाली व्रत होता है. यह व्रत एक निश्चित तिथि और समय को दर्शाता है. प्रदोष को प्रदोषम के नाम से भी पुकारा जाता है. प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष ओर कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन आता है. मुख्य रुप से इस प्रदोष व्रत को संबंध भगवान शिव से संबंधित रहा है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है.

प्रदोष के दिन व्रत एवं पूजन करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है. यह व्रत मनवांछित वस्तुओं की प्राप्ति में सहायक बनता है. प्रदोष व्रत का पूजन त्रयोदशी तिथि के संध्याकाल में प्रदोष समय पर विशेष रुप से करने का विधान बताया गया है. प्रदोष व्रत को कई श्रेणी में बांटा गया है. इसे दिन, समय, मास इत्यादि से संबंधित रखते हुए नित्य प्रदोष, पक्ष प्रदोष , मास प्रदोष, महा प्रदोष इत्यादि में विभाजित किया गया है.

प्रदोष पूजन-विधि

प्रदोष व्रत की पूजा में श्वेत वस्त्रों अथवा हल्के रंग के वस्त्रों को धारण करना चाहिए. भगवान शिव के मंदिर जा कर शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए. साथ ही शिव के पंचाक्षरी मंत्र का जाप भी करना चाहिए. भगवान शिव को बेल पत्र भी चढ़ाने चाहिए. प्रदोष व्रत कथा का पाठ करना चाहिए. भगवान शिव की आरती करने के पश्चात भोग लगाना चाहिए और भगवान के भोग को प्रसाद स्वरुप सभी में बांटना चाहिए. प्रदोष पूजा में भगवान शिव का पूजन प्रात:काल एवं संध्या समय प्रदोष काल में अवश्य करना चाहिए.

वर्ष 2025 में प्रदोष व्रत की तिथियाँ | Pradosh Fast Dates for 2025

दिनाँक दिन हिन्दु चांद्र मास
11 जनवरी शनिवार पौष शुक्ल पक्ष
27 जनवरी  सोमवार माघ कृष्ण पक्ष
09 फरवरी रविवार माघ शुक्ल पक्ष
25 फरवरी मंगलवार फाल्गुन कृष्ण पक्ष
11 मार्च मंगलवार फाल्गुन शुक्ल पक्ष
27 मार्च बृहस्पतिवार चैत्र कृष्ण पक्ष
10 अप्रैल बृहस्पतिवार चैत्र शुक्ल पक्ष
25 अप्रैल शुक्रवार वैशाख कृष्ण पक्ष
09 मई शुक्रवार वैशाख शुक्ल पक्ष
24 मई शनिवार ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष
08 जून  रविवार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष
23 जून सोमवार आषाढ़ कृष्ण पक्ष
08 जुलाई मंगलवार आषाढ़ शुक्ल पक्ष
22 जुलाई मंगलवार श्रावण कृष्ण पक्ष
06 अगस्त बुधवार श्रावण शुक्ल पक्ष
20 अगस्त बुधवार भाद्रपद कृष्ण पक्ष
05 सितंबर शुक्रवार भाद्रपद शुक्ल पक्ष
19 सितंबर शुक्रवार आश्विन कृष्ण पक्ष
04 अक्टूबर शनिवार आश्विन शुक्ल पक्ष
18 अक्टूबर  शनिवार कार्तिक कृष्ण पक्ष
03 नवंबर सोमवार कार्तिक शुक्ल पक्ष
17 नवंबर सोमवार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष
02 दिसंबर  मंगलवार मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष
17 दिसंबर बुधवार पौष कृष्ण पक्ष

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साल 2025 में इस दिन होगी अमावस्या

हिन्दू पंचांग की 30वीं व अंतिम तिथि अमावस्या कही जाती है. अमावस्या का दिन अंधकार का समय होता है जब चंद्रमा पूर्ण रुप से लुप्त हो जाता है और दिखाई नहीं देता है. हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि को पितृ कार्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि इस दिन पितरों का दिन होता है.

अमावस्या के देव पितृ कहे गए हैं, इस कारण इस तिथि के दिन तर्पण के कार्य विशेष रुप से किए जाते हैं. किसी भी प्रकार के पितृ दोष से मुक्ति के लिए अमावस्या तिथि के दिन पितरों के समक्ष किया गया दान-पूजा पितृ शांति कराने वाली होती है. अमावस्या के दिन किए गए दान और स्नान की भी बहुत महत्ता होती है.

अमावस्या तिथि महत्व

अमावस्या चंद्रमा की 16 कलाओं में से एक है. अमावस्या को अमावस, अमावस्या, अमावासी, कुहू अमावस, अमामासी, सिनी अमावस्या और दर्श अमावस्या इत्यादि नामों से भी जाना जाता है. अमावस्या माह में एक बार ही आती है और किसी विशेष दिन होने पर इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है.

सोमवार के दिन अमावस्या तिथि होने पर यह सौमवती अमावस्या कहलाती है. मंगलवार के दिन अमावस्या होने पर यह भौमवती अमावस्या कहलाती है. शनिवार के दिन अमावस्या तिथि होने पर यह शनि अमावस्या कहलाती है. यह तीन दिनों के साथ अमावस्या का योग अत्यंत खास हो जाता है. आईये जानें इस वर्ष 2025 में किस दिन कौन सी अमावस्या का संयोग रहने वाला है.

वर्ष 2025 में अमावस्या तिथियाँ | Amawasya 2025 Dates

दिनाँक वार चन्द्रमास
29 जनवरी  बुधवार माघ माह
27 फरवरी  बृहस्पतिवार फाल्गुन 
29 मार्च शनिवार  चैत्र
27 अप्रैल रविवार वैशाख माह
26 मई सोमवार ज्येष्ठ माह
25 जून  बुधवार आषाढ़ माह 
24 जुलाई   बृहस्पतिवार श्रावण माह
22 अगस्त शुक्रवार भाद्रपद माह
21 सितंबर  रविवार आश्विन माह
21 अक्टूबर   मंगलवार कार्तिक माह
19 नवंबर बुधवार मार्गशीर्ष माह
20 दिसंबर   शुक्रवार पौष माह
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गणेश चतुर्थी मुहूर्त और आसान पूजा विधि

गणेश चतुर्थी का उत्सव बहुत ही उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता रहा है. भगवान श्री गणेश जी का पूजन एवं स्मरण मात्र ही सभी संकटों को दूर कर देने का अचूक उपाय होता है. गणेश जी को चतुर्थी तिथि अत्यंत ही प्रिय है. हिन्दू कैलेंडर में चतुर्थी तिथि शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों में आती है और इन समय को ही गणेश चतुर्थी के रुप में जाना जाता है.

गणेश चतुर्थी पर विघ्नहर्ता गणेश जी की आराधना करने से सभी संकटों का निवारण होता है, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. परिवार में आर्थिक संपन्नता आती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चतुर्थी तिथि भगवान श्री दिन गणेश जी की के जन्म उत्पत्ति की तिथि भी मानी गई है. इसलिए भगवान श्री गणेश जी के आशिर्वाद प्राप्ति के लिए इस दिन विशेष रुप से गणेश भगवान की पूजा करने का विधान रहा है. गणेश चतुर्थी शुभता और सुख की प्राप्ति करना वाली होती है.

गणेश चतुर्थी पूजन विधि

गणेश चतुर्थी व्रत करने से गणेश जी की कृपा से संकट टल जाते हैं, आर्थिक संपन्नता मिलती ​है. संतान का सुख प्राप्त होता है. विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश का पूजन सभी कष्टों को हर लेने वाला होता है.

चतुर्थी के दिन प्रात:काल समय स्नान आदि से कार्यों से निवृत्त होकर साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए. श्री गणेश भगवान का स्मरण करना चाहिए. पूजन एवं व्रत का संकल्प करना चाहिए. भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति अथवा चित्र पूजा स्थल पर स्थापित करना चाहिए. कलश में जल भरकर स्थापित करना चाहिए. भगवान श्री गणेश जी का वंदन करना चाहिए. संध्या समय में धूप-दीप, पुष्प, अक्षत्, रोली आदि षोडशोपचार पूजन करना चाहिए. पूजा में भगवान श्री गणेश जी को लड्डुओं का भोग अवश्य लगवाना चाहिए. भोग को प्रसाद रुप में सभी में बांटना चाहिए.

श्रीगणेश संकष्टी चतुर्थी व्रत तिथियाँ 2025 | Ganesh Chaturthi Fast Tithi 2025

दिनाँक दिन हिन्दु माह
17 जनवरी  शुक्रवार माघ माह कृष्ण पक्ष
16 फरवरी रविवार फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष
17 मार्च सोमवार  चैत्र माह कृष्ण पक्ष पक्ष
16 अप्रैल बुधवार वैशाख माह कृष्ण पक्ष 
16 मई शुक्रवार ज्येष्ठ माह कृष्ण पक्ष 
14 जून शनिवार आषाढ़ माह कृष्ण पक्ष 
14 जुलाई सोमवार  श्रावण माह कृष्ण पक्ष
12 अगस्त मंगलवार  भाद्रपद माह कृष्ण पक्ष 
10 सितंबर बुधवार  आश्विन माह कृष्ण पक्ष 
10 अक्तूबर शुक्रवार कार्तिक माह कृष्ण पक्ष  
08 नवम्बर शनिवार मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष
07 दिसंबर रविवार  पौष माह कृष्ण पक्ष 
     

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जानिए एकादशी व्रत की महिमा, 2025 में इस दिन है एकादशी और ऎसे करें एकादशी पूजा

एकादशी पूजा विधि

एकादशी के दिन ब्रह्मामुहूर्त अथवा प्रात:काल समय उठकर, स्‍नान आदि से दैनिक कार्यों से निवृत होकर भगवान श्री विष्णु का स्मरण करना चाहिए. पूजा स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा अथवा चित्र का विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए. यदि व्रत का संकल्‍प कर सकते हैं तो व्रत को करना चाहिए. व्रत मे इस दिन निराहार रहना होता है, अन्न का सेवन नहीं किया जाता है लेकिन फलाहार का सेवन कर सकते हैं. संध्या के समय भगवान श्री विष्णु का पूजन करना चाहिए तुलसी के पौधे के समक्ष दीपक जलाना चाहिए. भगवान को अर्पित किए जाने वाले भोग में तुलसीदल अवश्य रखना चाहिए. सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मण को भोजन एवं दक्षिणा इत्यादि देना चाहिए. अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करना चाहिए.

एकादशी में भूल कर भी नहीं करें ये काम

एकादशी के दिन तामसिक भोजन के सेवन से दूर रहना चाहिए. चावल व मसूर की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए. दूसरे का अनाज ग्रहण नहीं करना चाहिए. किसी कि भी निंदा व चुगली करने से बचना चाहिए. किसी भी प्रकार के गलत कार्य को करने से बचना चाहिए, जुआ खेलना, क्रोध करना, झूठ बोलना अथवा किसी भी प्रकार के नकारात्मक प्रभाव से बचने का प्रयास करना चाहिए.

एकादशी महत्व

हिन्दू धर्म में एकादशी का महत्व अत्यधिक माना गया है. इस दिन विष्णु भगवान की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. वर्ष में कुल 24 एकादशी आती हैं. जिस वर्ष अधिकमास या मलमास होता है, उस वर्ष में 26 एकादशी होती हैं. एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को दिव्य फलों की प्राप्ति होती है.

एकादशी के विषय में कहा जाता है कि यह दो प्रकार की होती हैं – विद्धा एकादशी और शुद्धा एकादशी. जो एकादशी दशमी से युक्त होती है वह विद्धा एकादशी कहलाती है. सूर्योदय कालिक एकादशी तिथि द्वादशी तिथि से युक्त हो तब वह शुद्धा एकादशी कहलाती है. साधारण गृहस्थ व्यक्तियों तथा साधकों को शुद्धा एकादशी व्रत रखना शुभ तथा पुण्य देने वाला माना गया है.

शुद्ध चित मन से भगवान का पूजन करना चाहिए. आईये जानते हैं की वर्ष 2025 में पड़ने वाली एकादशी तिथि के बारे में विस्तार से.

एकादशी व्रत 2025 की तिथियाँ | Ekadasi Vrat Dates 2025

एकादशी का नाम माह दिनाँक दिन
पुत्रदा एकादशी पौष शुक्ल पक्ष 10 जनवरी शुक्रवार
षटतिला एकादशी माघ कृष्ण पक्ष 25 जनवरी शनिवार
जया एकादशी माघ शुक्ल पक्ष 08 फरवरी शनिवार
विजया एकादशी फाल्गुन कृष्ण पक्ष 24 फरवरी सोमवार
आमलकी एकादशी फाल्गुन शुक्ल पक्ष 10 मार्च सोमवार
पापमोचनी एकादशी चैत्र कृष्ण पक्ष 26 मार्च बुधवार
कामदा एकादशी चैत्र शुक्ल पक्ष 08 अप्रैल मंगलवार
वरुथिनी एकादशी वैशाख कृष्ण पक्ष 24 अप्रैल गुरुवार
मोहिनी एकादशी वैशाख शुक्ल पक्ष 08 मई गुरुवार
अपरा एकादशी ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष 23 मई शुक्रवार
निर्जला एकादशी ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष 07 जून शनिवार
योगिनी एकादशी आषाढ़ कृष्ण पक्ष 22 जून रविवार
देवशयनी (हरिशयनी) एकादशी आषाढ़ शुक्ल पक्ष 06 जुलाई रविवार
कामिका एकादशी श्रावण कृष्ण पक्ष 21 जुलाई सोमवार
पवित्रा एकादशी श्रावण शुक्ल पक्ष 05 अगस्त मंगलवार
अजा एकादशी भाद्रपद कृष्ण पक्ष 19 अगस्त मंगलवार
पदमा एकादशी भाद्रपद शुक्ल पक्ष 03 सितंबर बुधवार
इन्दिरा एकादशी आश्विन कृष्ण पक्ष 17 सितंबर बुधवार
पापांकुशा एकादशी आश्विन शुक्ल पक्ष 03 अक्तूबर शुक्रवार
रमा एकादशी कार्तिक कृष्ण पक्ष 17 अक्टूबर शुक्रवार
देवप्रबोधिनी (हरिप्रबोधिनी)एकादशी कार्तिक शुक्ल पक्ष 02 नवम्बर रविवार
उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष 15 नवंबर शनिवार
मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष 01 दिसंबर सोमवार
सफला एकादशी पौष कृष्ण पक्ष 15 दिसंबर सोमवार
पुत्रदा एकादशी पौष शुक्ल पक्ष 31 दिसंबर सोमवार

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जानिए वर्ष 2025 में कब-कब लगेगा पंचक और क्या होगा इसका असर

पंचक अर्थात पांच, किसी कार्य का बार-बार होना और उसकी शुभता में कमी होना. यह नक्षत्र आधारित गणना होती है. जिसमें धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण से रेवती नक्षत्र तक का समय पंचक का समय कहलाता है. पंचक की गणना को चंद्रमा के द्वारा समझा जाता है. क्योंकि जब चंद्रमा का गोचर कुम्भ राशि से मीन राशि तक होता है तो उस काल को पंचक कहा जाता है.

इसे और भी सरलता से समझने के लिए हम कह सकते हैं की चंद्रमा जब कुम्भ राशि और मीन राशि में गोचर करता है तब उसी समय के दौरान धनिष्ठा नक्षत्र के उत्तरार्ध से आरंभ होते हुए शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र और रेवती नक्षत्र में भी रहता है. चंद्रमा के गोचर के इस पूरे समय अंतराल को ” पंचक काल” कहा गया है.

पंचक को कई बातों में शुभ नहीं माना गया है, ऎसे में कुछ विशेष कार्यों को करने के लिए पंचक समय को भी देखा जाता है. जिससे की उस कार्य में हानि न हो और उस काम से अशुभता नहीं बढ़ पाए.

पंचक काल में नहीं किए जाने वाले कार्य

  • पंचक समय के दौरान मुख्य रुप से दक्षिण दिशा की यात्रा करने की मनाही होती है. इस समय पर दक्षिण दिशा में की गई यात्रा से कष्ट बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है.
  • पंचक समय के दौरान किसी मकान, भवन या दुकान इत्यादि की छत डालना भी वर्जित होता है. पंचक के समय पर यदि निर्माण कार्य किया जाए तो उस कार्य में बाधा या दुर्घटना होने की संभावना बढ़ जाती है.
  • पंचक समय के दौरान पर चारपाई या पलंग इत्यादि बनाना या खरीदना भी उपयुक्त नहीं माना गया है.
  • पंचकों के समय में शव दाह संस्कार करना भी वर्जित होता है.
  • पंचकों में बांस की चटाई बनाना, दीवार, पिलर इत्यादि को बनाना, तांबा, पीतल, तृण घास फूस या लकडी़ का संचय करने की भी मनाही होती है. यह कार्य करना भी शुभ नहीं होता है.

यह कुछ महत्वपूर्ण कार्य होते हैं जिन्हें पंचकों के दौरान करना वर्जित होता है. इन कार्यों को करने पर अशुभता और दुख की प्राप्ति होने की संभावना बढ़ जाती है.

आईये जानते हैं वर्ष 2025 में कब और किस दिन से लगने वाले हैं पंचक

पंचकों का प्रारम्भ तथा समाप्ति समय 2025 | Starting and ending time of Panchak 2025 (Indian time)

पंचक प्रारंभ काल पंचक समाप्ति काल
दिनाँक समय (घ.मि.) दिनाँक समय (घ.मि.)
03 जनवरी  10:48 से 07 जनवरी 17:50 तक
30 जनवरी  18:35 से 03 फरवरी 23:17 तक
27 फरवरी 04:27 से 03 मार्च 06:39 तक
26 मार्च 15:15 से 30 मार्च  16:35 तक
22 अप्रैल 02:31 से 27 अप्रैल  03:39 तक
20 मई   07:36 से 24 मई 13:48 तक
16 जून 13:10 से 20 जून  21:45 तक
13 जुलाई  18:54 से 18 जुलाई  03:29  तक
09 अगस्त 26:11 से 14 अगस्त   09:06 तक
06 सितंबर 11:22 से 10 सितंबर 16:03 तक
03 अक्तूबर  21:28 से 07 अक्तूबर 25:28 तक
31 अक्टूबर  06:49 से 04 नवंबर 12:35 तक
27 नवंबर 14:07 से 01 दिसंबर 23:18 तक

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वर्ष 2022 पंचांग व्रत और त्यौहार

नववर्ष के आरंभ के साथ ही आरंभ होता है एक बार फिर से व्रत और त्यौहारों के पुनरागमन का समय होता है. इस वर्ष 2021 में आने वाले व्रत और त्योहारों का एक विस्तृत रुप हमें देखने को मिलेगा और ये व्रत और त्योहार हम सभी को एक सूत्र में बांधने का कार्य भी करेंगे. हर एक व्रत व त्यौहार अपने पीछे बहुत सी कहानियों और कथाओं को समेटे होता है. लोक जीवन और या शहरी जीवन यह त्यौहार हर क्षेत्र में अपना रंग बिखेरते दिखाई देते हैं.

आने वाले सभी दिवसों में कोई न कोई महत्वपूर्ण बात जरुर छिपी होती है जो जीवन में नई चेतना और ऊर्जा का संचार करने में सहायक बनती है. यह सभी महत्वपूर्ण त्योहार एवं उपवास हम सभी को प्रकृति और ईश्वर से जुड़ने का साधन बनते हैं. यह व्रत-त्योहार हमारे दैनिक जीवन में एक अलग उत्साह लाते हैं और एक दूसरे के साथ संपर्क जोड़ने का मार्ग भी बनते हैं. यह समय मेल जोल और प्रेम को बढ़ाने वाला होता है.

हमारे जीवन के दुख, कलेश और नकारात्मकता को दूर करने में भी इन व्रत एवं त्यौहारों का एक अत्यंत चमत्कारिक असर भी होता है. ऎसे में हम सभी को मिलकर इन शुभ दिनों का स्वागत करना चाहिए. आईये जानते हैं वर्ष 2021 के व्रत एवं त्योहार के बारे में और उत्साह व उमंग के साथ स्वागत करते हैं इन सभी शुभ दिवसों का जिनके आने से हमारे जीवन में भी शुभता का आगमन होता है.

2022 के फास्ट एण्ड फैस्टिवल लिस्ट

जनवरी माह के त्यौहार-व्रत-उपवास, 2022 | Fasts and Festivals of January 2022

दिनांक प्रमुख त्यौहार हिन्दु तिथि
1 जनवरी

मासिक शिवरात्रि , नव वर्ष

पौष कृष्ण चतुर्दशी (14)
2 जनवरी पौष अमावस्या पौष अमावस्या
3 जनवरी

पौष पुत्रदा एकादशी

पौष शुक्ल  एकादशी
6 जनवरी , वरद चतुर्थी पौष शुक्ल चतुर्थी
13 जनवरी वैकुंठ एकादशी , पौष पुत्रदा एकादशी , लोहड़ी (लोहरी) पौष शुक्ल एकादशी
14 जनवरी मकर संक्रांति पौष शुक्ल द्वादशी
17 जनवरी 

पौष पूर्णिमा , पूर्णिमा , पूर्णिमा व्रत , सत्य व्रत , सत्य व्रत , माघस्नान प्रारंभ

 पौष पूर्णिमा
21 जनवरी 

संकष्टी गणेश चतुर्थी , सकट चौथ

माघ कृष्ण चतुर्थी
26 जनवरी

गणतंत्र दिवस

माघ कृष्ण नवमी
28 जनवरी षटतिला एकादशी माघ कृष्ण एकादशी
30 जनवरी

प्रदोष व्रत , मासिक शिवरात्रि

माघ कृष्ण चतुर्दशी

फरवरी माह के त्यौहार-व्रत-उपवास, 2022 | Fasts and Festivals of February 2022

दिनांक प्रमुख त्यौहार तिथि
1 फरवरी

माघ मौनी अमावस्या

माघ अमावस्या

2 फरवरी माघ गुप्त नवरात्र माघ शुक्ल प्रतिपदा
3 फरवरी गौरी तृतीया माघ शुक्ल तृतीया
5 फरवरी बसंत पंचमी , सरस्वती पूजा माघ शुक्ल पंचमी
12 फरवरी जया एकादशी माघ शुक्ल एकादशी
13 फरवरी भीष्म द्वादशी माघ शुक्ल द्वादशी
16 फरवरी माघ पूर्णिमा माघ पूर्णिमा
20 फरवरी

संकष्टी चतुर्थी

माघ कृष्ण चतुर्थी
27 फरवरी विजया एकादशी माघ कृष्ण एकादशी
28 फरवरी

प्रदोष व्रत 

माघ कृष्ण त्रयोदशी

मार्च माह के त्यौहार-व्रत-उपवास, 2022 | Fasts and Festivals of March 2022

दिनांक प्रमुख त्यौहार तिथि
2 मार्च फाल्गुन अमावस्या  फाल्गुन अमावस्या
4 मार्च फूलेरा दूज, श्रीरामकृष्ण परमहंस जयंती फाल्गुन शुक्ल द्वितीया
7 मार्च याज्ञवल्क्य जयंती फाल्गुन शुक्ल पक्ष पंचमी 
10 मार्च होलाष्टक प्रारंभ, अन्नपूर्णा अष्टमी फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी
14 मार्च आमलकी एकादशी, चैत्र संक्रांति फाल्गुन एकादशी
18 मार्च फाल्गुन पूर्णिमा, होलाष्टक समाप्त, होली पर्व, श्री चैतन्य महाप्रभु जयंती फाल्गुन पूर्णिमा   
19 मार्च वसन्तोत्सव, होला मेला, श्रीआनंदपुर व पोंटा साहिब चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा
21 मार्च श्री गणेश चतुर्थी व्रत चैत्र कृष्ण पक्ष तृतीया
22 मार्च श्री रंग पंचमी, मेला नवचंडी मेरठ चैत्र कृष्ण पक्ष पंचमी
23 मार्च एकनाथ षष्ठी चैत्र कृष्ण पक्ष षष्ठी
24 मार्च शीतला सप्तमी चैत्र कृष्ण पक्ष सप्तमी
28 मार्च पापमोचनी एकादशी चैत्र कृष्ण पक्ष एकादशी
31 मार्च अमावस पितृकार्येषु,  मेला पृथूदव – पिहोवातीर्थ (हरियाणा) चैत्र कृष्ण पक्ष चतुर्दशी

अप्रैल माह के त्यौहार-व्रत-उपवास, 2022 | Fasts and Festivals of April 2022

दिनांक प्रमुख त्यौहार तिथि
1 अप्रैल चैत्र अमावस्या चैत्र अमावस
2 अप्रैल युगादी, गुड़ी पड़वा, चैत्र नवरात्रि, झूलेलाल जयन्ती चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
3 अप्रैल मत्स्य जयन्ती चैत्र शुक्ल द्वितीया
4 अप्रैल गौरी पूजा, गणगौर चैत्र शुक्ल तृतीया
6 अप्रैल  रोहिणी व्रत, स्कन्द षष्ठी, नाग पंचमी चैत्र शुक्ल पंचमी
10 अप्रैल रामनवमी व्रत, महातारा जयंती चैत्र शुक्ल नवमी
12 अप्रैल  कामदा एकादशी चैत्र शुक्ल एकादशी
14 अप्रैल महावीर स्वामी जयन्ती, मेष संक्रान्ति,  बैसाखी चैत्र शुक्ल पक्ष त्रयोदशी
16 अप्रैल श्री हनुमान जयंती (दक्षिणी भारत), वैशाख स्नान प्रारंभ चैत्र पूर्णिमा चैत्र पूर्णिमा
26 अप्रैल वरुथिनी एकादशी व्रत (स्मार्त), श्रीवल्लभाचार्य जयंती वैशाख कृष्ण पक्ष एकादशी
29 अप्रैल मासशिवरात्रि व्रत, भद्रा, पञ्चक, गण्ड मूल वैशाख कृष्ण पक्ष चतुर्दशी
30 अप्रैल वैशाख अमावस वैशाख अमावस

मई माह के त्यौहार-व्रत-उपवास, 2022 | Fasts and Festivals of May, 2022

दिनांक प्रमुख त्यौहार तिथि
3 मई श्रीपरशुराम जयंती, अक्षया तृतीया, केदार-बदरी यात्रा आरंभ, शिवाजी जयंती वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया
6 मई आद्यगुरु श्रीशंकराचार्य जयंती वैशाख शुक्ल पक्ष पंचमी 
8 मई श्रीगंगा जयंती वैशाख शुक्ल सप्तमी
13 मई मोहिनी एकादशी पारण, परशुराम द्वादशी वैशाख शुक्ल द्वादशी
16 मई बुद्ध पूर्णिमा, चन्द्र ग्रहण, वैशाख पूर्णिमा वैशाख पूर्णिमा
26 मई अपरा एकादशी व्रत ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष एकादशी
30 मई ज्येष्ठ अमावस, भावुका अमावस, वट सावित्री व्रत, शनैश्चरी जयंती ज्येष्ठ अमावस

जून माह के त्यौहार-व्रत-उपवास, 2022 | Fasts and Festivals of June, 2022

दिनांक प्रमुख त्यौहार तिथि
3 जून गणेश चतुर्थी, उमा अवतार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष चतुर्थी
5 जून स्कंद षष्ठी, विन्ध्यवासिनी पूजा, अरण्य षष्ठी ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष षष्ठी
8 जून श्री दुर्गाष्टमी, धूमावती जयंती, मेला क्षीर भवानी ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष अष्टमी
9 जून श्रीगंगा दशहरा (हरिद्वार) ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशमी
10 जून  निर्जला एकादशी व्रत ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी
14 जून ज्येष्ठ पूर्णिमा, वट सावित्री व्रत, सन्त कबीर जयन्ती ज्येष्ठ पूर्णिमा
24 जून योगिनी एकादशी व्रत  आषाढ़ कृष्ण पक्ष एकादशी
29 जून आषाढ़ अमावस्या आषाढ़ अमावस्या

जुलाई माह के त्यौहार-व्रत-उपवास, 2022 | Fasts and Festivals of July, 2022

दिनांक प्रमुख त्यौहार तिथि
1 जुलाई जगन्नाथ रथयात्रा, गण्डमूल आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया
3 जुलाई  श्री गणेश चतुर्थी आषाढ़ शुक्ल पक्ष चतुर्थी
8 जुलाई भढली नवमी, गुप्त नवरात्र समाप्त आषाढ़ शुक्ल पक्ष नवमी
10 जुलाई देवशयनी (हरिशयनी) एकादशी व्रत, चतुर्मास्य व्रत नियम आरंभ, श्री विष्णु शयनोत्सव आषाढ़ शुक्ल एकादशी
13 जुलाई कोकिला व्रत, शिवशयनोत्सव, आषाढी़ पूर्णिमा, गुरू पूर्णिमा, व्यास पूजा आषाढ़ पूर्णिमा
18 जुलाई नाग पंचमी आषाढ़ कृष्ण पंचमी
24 जुलाई कामिका एकादशी श्रावण कृष्ण एकादशी
28 जुलाई श्रावण(हरियाली) अमावस श्रावण अमावस्या

अगस्त माह के त्यौहार-व्रत-उपवास, 2022 | Fasts and Festivals of August, 2022

दिनांक प्रमुख त्यौहार तिथि
1 अगस्त  तृतीय श्रावण सोमवार व्रत, विनायक चतुर्थी श्रावण शुक्ल पक्ष चतुर्थी
2 अगस्त नाग पंचमी, श्रावणी उपाकर्म श्रावण शुक्ल पंचमी
3 अगस्त श्री कल्कि जयंती, गायत्री जपम , स्कंद षष्ठी श्रावण शुक्ल पक्ष षष्ठी
8 अगस्त पवित्रा एकादशी व्रत श्रावण शुक्ल पक्ष एकादशी
9 अगस्त  श्रावण पुत्रदा एकादशी पारण, चतुर्थ मंगला गौरी व्रत, दामोदर द्वादशी, प्रदोष व्रत श्रावण शुक्ल पक्ष द्वादशी
11 अगस्त श्रावण पूर्णिमा, रक्षा बंधन, खण्डग्रास चंद्रग्रहण,हयग्रीव जयंती, कोकिला व्रत समाप्त, ऋषि तर्पण,  ऋग्वेदि उपाकर्म, श्री सत्यनारायण व्रत श्रावण पूर्णिमा
14 अगस्त कज्जली तृतीया भाद्रपद कृष्ण पक्ष तृतीया
15 अगस्त श्री गणेश बहुला चतुर्थी भाद्रपद कृष्ण पक्ष चतुर्थी
17 अगस्त चंदन षष्ठी व्रत, हल षष्ठी, गण्डमूल, संक्रांति भाद्रपद कृष्ण पक्ष षष्ठी
18 अगस्त शीतला सप्तमी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत (स्मार्त) भाद्रपद कृष्ण पक्ष सप्तमी
19 अगस्त  श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत(वैष्णव) भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी
20 अगस्त  श्रीगुग्गा नवमी भाद्रपद कृष्ण पक्ष नवमी
22 अगस्त  अजा एकादशी भाद्रपद कृष्ण पक्ष एकादशी
23 अगस्त अजा एकादशी, वत्स द्वादशी पूजा भाद्रपद कृष्ण पक्ष एकादशी
27 अगस्त भाद्रपद अमावस्या भाद्रपद अमावस्या
31 अगस्त सिद्धि विनायक व्रत, कलंक चतुर्थी – चंद्र दर्शन निषेध, पत्थर चौथ, विश्वकर्मा पूजन भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी

सितंबर माह के त्यौहार-व्रत-उपवास, 2022 | Fasts and Festivals of September, 2022

दिनांक प्रमुख त्यौहार तिथि
2 सितंबर अक्षय नवमी, कूष्माण्ड नवमी, आरोग्य व्रत कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी
4 सितम्बर भीष्मपंचक प्रारंभ, हरिप्रबोधिनी एकादशी व्रत, चातुर्मास्य व्रत नियमादि समाप्त कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी
5 सितंबर तुलसी विवाह, शनि त्रयोदशी कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वादशी
 सितंबर कार्तिक पूर्णिमा, श्रीगुरुनानक जयन्ती, दीपदान, भीष्मपंचक समाप्त, कार्तिक स्नान समाप्त भाद्रपद शुक्ल तृतीया
10 सितंबर सिद्धि विनायक व्रत, कलंक चतुर्थी व्रत, पत्थर चौथ भाद्रपद शुक्लपक्ष चतुर्थी
11 सितम्बर ऋषी पंचमी भाद्रपद शुक्लपक्ष पंचमी
14 सितंबर राधाष्टमी, श्रीमहालक्ष्मी व्रत आरंभ,दधीची जयंती भाद्रपद शुक्लपक्ष अष्टमी
17 सितंबर पदमा एकादशी भाद्रपद शुक्लपक्ष एकादशी
19 सितंबर अनन्त चतुर्दशी व्रत, कदली व्रत, मेला सोढ़ल(जालन्धर) भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी

अक्तूबर माह के त्यौहार-व्रत-उपवास 2022 | Fasts and Festivals of October, 2022

दिनांक प्रमुख त्यौहार तिथि
2 अक्तूबर इन्दिरा एकादशी व्रत प्रथम अधिक मास आश्विन पूर्णिमा (15)
6 अक्तूबर आश्विन अमावस, सर्वपितृ श्राद्ध द्वितीय (अधिक)आश्विन कृष्णपक्ष प्रतिपदा (1)
7 अक्तूबर आश्विन शुक्लपक्ष आरंभ, शरद नवरात्रे आरम्भ, घटस्थापना द्वितीय (अधिक)आश्विन कृष्णपक्ष एकादशी (11)
13 अक्तूबर श्रीदुर्गाष्टमी, महाष्टमी द्वितीय (अधिक)आश्विन अमावस्या (30)
14 अक्तूबर महानवमी द्वितीय शुद्ध आश्विन शुक्लपक्ष प्रतिपदा(1)
15 अक्तूबर विजयादशमी, दशहरा, आयुध पूजा, अपराजिता पूजन द्वितीय शुद्ध आश्विन शुक्ल सप्तमी (7)
16 अक्तूबर पापांकुशा एकादशी व्रत द्वितीय शुद्ध आश्विन शुक्ल अष्टमी (8)
19 अक्तूबर शरद पूर्णिमा व्रत, कोजागर व्रत द्वितीय शुद्ध आश्विन शुक्ल दशमी (10)
20 अक्टूबर आश्विन पूर्णिमा, महर्षि वाल्मीकि जयन्ती, कार्तिक स्नान प्रारम्भ, श्रीसत्यनारायण व्रत द्वितीय शुद्ध आश्विन शुक्ल एकादशी (11)
24 अक्टूबर करवा चौथ व्रत, श्रीगणेश चतुर्थी व्रत, करक चतुर्थी द्वितीय शुद्ध आश्विन शुक्ल चतुर्दशी (14)
28 अक्टूबर अहोई अष्टमी व्रत – चन्द्रोदय व्यापिनी द्वितीय शुद्ध आश्विन पूर्णिमा (15)

नवंबर माह के त्यौहार-व्रत-उपवास, 2022 | Fasts and Festivals of November, 2022

दिनांक प्रमुख त्यौहार तिथि
1 नवम्बर रमा एकादशी, कौमुदि महोत्सव आरंभ, गोवत्स द्वादशी कार्तिक कृष्णपक्ष एकादशी
2 नवम्बर धन त्रयोदशी, धनवन्तरी जयन्ती, यमाय दीपदान कार्तिक कृष्णपक्ष त्रयोदशी
3 नवम्बर हनुमान जयंती, नरक चतुर्दशी,रुप चोदश कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी
4 नवम्बर कार्तिक अमावस, दीपावली, श्रीमहालक्ष्मी पूजन, कुबेर पूजा  कार्तिक अमावस्या
5 नवम्बर अन्नकूट, गोवर्धन पूजा, गोक्रीडा़, विश्वकर्मा डे(पंजाब) बली पूजा और मार्गपाली पूजा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा
6 नवम्बर भैया दूज, यम द्वितीया, विश्वकर्मा पूजन कार्तिक शुक्लपक्ष द्वितीया
10 नवम्बर सूर्य षष्ठी व्रत कार्तिक शुक्लपक्ष षष्ठी
11 नवम्बर गोपाष्टमी कार्तिक शुक्लपक्ष अष्टमी
12 नवम्बर अक्षय नवमी, कुष्माण्ड नवमी, आवंला नवमी, आरोग्य व्रत कार्तिक शुक्लपक्ष नवमी
15 नवम्बर देवप्रबोधिनी (हरिप्रबोधनी) एकादशी व्रत (वैष्णव), भीष्म पंचक प्रारम्भ, तुलसी विवाह, चातुर्मास्य व्रतादि नियम समाप्त कार्तिक शुक्लपक्ष एकादशी
17 नवम्बर बैकुण्ठ चतुर्दशी कार्तिक शुक्लपक्ष त्रयोदशी
18 नवम्बर भीष्म पंचक समाप्त, मेला पुष्कर श्रीसत्यनारायण व्रत, त्रिपुरोत्सव कार्तिक शुक्लपक्ष चतुर्दशी
19 नवम्बर कार्तिक पूर्णिमा, श्रीगुरुनानक जयन्ती, कार्तिक स्नान समाप्त कार्तिक पूर्णिमा
22 नवम्बर सौभाग्य सुंदरी व्रत, गणेश चतुर्थी व्रत मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष तृतीया
27 नवम्बर काल भैरव अष्टमी, भैरव जयंती मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अष्टमी
30 नवम्बर उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष एकादशी

दिसंबर माह के त्यौहार-व्रत-उपवास, 2022 | Fasts and Festivals of December, 2022

दिनांक प्रमुख त्यौहार तिथि
4 दिसम्बर सौभाग्य सुंदरी व्रत, गणेश चतुर्थी व्रत मार्गशीर्ष अमावस
8 दिसम्बर काल भैरव अष्टमी, भैरव जयंती मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष पंचमी
10 दिसम्बर उत्पन्ना एकादशी (स्मार्त), एकादशी तिथि क्षय मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष सप्तमी
14 दिसंबर उत्पन्ना एकादशी (वैष्णव) मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी
17 दिसंबर मार्गशीर्ष (भौमवती) अमावस मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष चतुर्दशी
18 दिसम्बर नाग पंचमी, श्रीराम विवाहोत्सव मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष चतुर्दशी
19 दिसम्बर मित्र सप्तमी, विष्णु सप्तमी मार्गशीर्ष पूर्णिमा
30 दिसम्बर मोक्षदा एकादशी व्रत, श्रीगीता जयन्ती पौष कृष्णपक्ष एकादशी 
     
     
     
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शुभ विवाह मुहूर्त दिसंबर 2022

हिन्दूओं में शुभ विवाह की तिथि ज्ञात करने के लिये वर-वधू की जन्म राशि का प्रयोग किया जाता है. वर या वधू का जन्म जिस चन्द्र नक्षत्र में हुआ होता है, उस नक्षत्र के चरण में आने वाले अक्षर को भी विवाह की तिथि ज्ञात करने के लिये प्रयोग किया जाता है. विवाह की तिथि सदैव वर-वधू की कुंडली में गुण-मिलान करने के बाद निकाली जाती है क्योंकि विवाह की तिथि तय होने के बाद, कुण्डलियों की मिलान प्रक्रिया नहीं करनी चाहिए.

निम्न सारणी से विवाह मुहूर्त समय का निर्णय करने के लिये वर-कन्या की राशियों में विवाह की एक समान तिथि को विवाह मुहूर्त के लिये लिया जाता है. उदाहरण के लिये वृष राशि के वर का विवाह – वृष राशि की कन्या से हो रहा हो, तो दोनों के विवाह के लिये 2, 4 (चंद्र दान), 7, 8, 9 तिथियाँ एक समान होने के कारण शुभ रहेगी.

दिसंबर 2022 में निम्न तिथियों में विवाह करना शुभ रहेगा. यहां जन्म राशि से अभिप्राय: चन्द्र स्थित राशि से है. इन विवाह मुहूर्तो में त्रिबल शुद्धि, सूर्य-चन्द्र शुद्धि व गुरु की शुभता का ध्यान रखा गया है..

वर(लड़के) की चंद्र राशि विवाह की तारीख
मेष राशि विवाह मुहुर्त नहीं है
वृष राशि 2, 4 (चंद्र दान), 7, 8, 9
मिथुन राशि 2, 4, 7, 8, 9, 14
कर्क राशि 2, 4, 7, 8-9 (चंद्र दान) 14
सिंह राशि विवाह मुहूर्त नहीं है
कन्या राशि 2, 7, 8, 9, 14
तुला राशि 2, 4, 8 (25:44 बाद), 9, 14
वृश्चिक राशि 2, 4, 7, 8, (25:44 तक), 14
धनु राशि विवाह मुहुर्त नहीं है.
मकर राशि 2, 7, 8, 9
कुम्भ राशि 2, 4, 8 (25:44 बाद), 9, 14
मीन राशि 2, 4, 7, 8 (25:44 तक), 14
वधु(लड़की) की चंद्र राशि विवाह की तारीख
मेष राशि 2, 4, 7, 8, 9, 14
वृष राशि 2, 4, 7, 8, 9
मिथुन राशि 2, 4, 7, 8, 9, 14
कर्क राशि 2, 4, 7, 8, 9, 14
सिंह राशि 2, 4, 7, 8, 9, 14
कन्या राशि 2, 4, 7, 8, 9, 14
तुला राशि 2, 4, 7, 8 (25:44 बाद), 9, 14
वृश्चिक राशि 2, 4, 7, 8 (25:44 तक), 14
धनु राशि 4, 7, 8, 9, 14
मकर राशि 2, 7, 8, 9
कुम्भ राशि 2, 4, 8 (25:44 बाद), 9, 14
मीन राशि 2, 4, 7, 8 (25:44 तक), 14
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नवंबर 2022 में ये दिन रहेंगे शादी के लिए सबसे शुभ

शादी जैसे शुभ मांगलिक कार्य के लिए एक अच्छे शुभ दिन का होना बहुत जरुरी माना गया है. प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कोई न कोई नया अध्याय जुड़ता ही है ऎसे में शादी-विवाह का कार्य भी दो लोगों के जीवन की एक नई शुरुआत ही है. जिसमें दो लोग मिलकर अपने दुख-सुख अपने हर पल को एक दूसरे के साथ बांटते हैं और परिवार की नींव रखते हैं. ऎसे में इस नींव का आरंभ अगर सबसे शुभ दिन में किया जाए तो यह कभी न टूटने वाला संबंध बन जाता है.

शादी विवाह के लिए शुभ मुहूर्त को कैसे चुना जाए इस बात को सावधानी पूर्वक अध्य्यन किया जाना चाहिए. हिन्दू विवाह मुहूर्त के लिए लड़के और लड़की की जन्म राशि का उपयोग होता है. इसके अलावा लड़के और लड़की के जन्म जिस नक्षत्र में होता है, उस नक्षत्र के चरण में आने वाले अक्षर को भी विवाह शुभ मुहूर्त के लिए उपयोग किया जाता है.

विवाह की तिथि के वर और कन्या की कुंडली के गुण मिलान करने के बाद निकाली जाती है. विवाह के लिए शुभ मुहूर्त समय का पता लगाने के लिए दोनों की राशियों में विवाह की एक समान तिथि को शुभ विवाह मुहूर्त के लिये लिया जाता है. उदाहरण के लिये अगर मेष राशि के लड़के की शादी और वृष राशि की लड़की की शादि के विवाह के लिये  21, 24, 25, 27 डेट एक जैसी होने के कारण शुभ रहेंगी.

नवंबर माह में आप किसी दिन विवाह के लिए चुन सकते हैं वो नीचे दी गई सारणी में से देख सकते हैं. निम्न तिथियों में विवाह करना शुभ रहेगा. यहां जन्म राशि से अभिप्राय: चन्द्र स्थित राशि से है. इन विवाह मुहूर्तो में त्रिबल शुद्धि, सूर्य-चन्द्र शुद्धि व गुरु की शुभता इत्यादि बातों का भी ध्यान रखा गया है.

वर(लड़के) की चंद्र राशि विवाह की तारीख
मेष राशि 21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
वृष राशि 21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
मिथुन राशि 21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
कर्क राशि 21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
सिंह राशि 21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
कन्या राशि 21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
तुला राशि 21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
वृश्चिक राशि 21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
धनु राशि 21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
मकर राशि 21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
कुम्भ राशि 21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
मीन राशि 21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
वधु(लड़की) की चंद्र राशि विवाह की तारीख
मेष राशि 21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
वृष राशि 21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
मिथुन राशि  21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
कर्क राशि  21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
सिंह राशि  21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
कन्या राशि  21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
तुला राशि  21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
वृश्चिक राशि  21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
धनु राशि  21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
मकर राशि  21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
कुम्भ राशि  21, 24, 25, 27(शुक्र तारा अस्त)
मीन राशि  21, 24, 25, 27 (शुक्र तारा अस्त)
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घर बैठे जानें, अक्टूबर माह 2024 में शादी विवाह का शुभ मुहूर्त

शुभ मुहूर्त में किए गए कामों को करने का फल भी शुभ प्रभाव देने वाला होता है. विवाह जैसा कार्य भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है. यह ऎसा काम है जो विवाह को एक शुभ आरंभ देता है और दांपत्य जीवन की मजबूत आधारशीला बनता है. मान्यता अनुसार शुभ समय पर किए गए काम में अगर कोई भी कमी हो तो उस शुभ समय के प्रभाव से दूर हो जाती है और कार्य बिना किसी बाधा और परेशानी के संपन्न होता है.

प्रेम और विवाह जीवन का ऎसा रंग हैं जिनके द्वारा दांपत्य जीवन का निर्वाह संपन्न होता है. ऎसे में इस संब्म्ध को और भी प्रगाढ़ बनाने के लिए अगर शुभ समय का चयन कर लिया जाए तो यह अत्यंत शुभदायक बनता है. वैसे तो विवाह मुहूर्त को प्राप्त करने के लिए बहुत सी बातों को ध्यान में रखते हुए तिथि निकाली जाती है. पर इसके साथ ही कई बार कुछ अबूझ मुहूर्त भी होते हैं जिनमें विवाह कार्य संपन्न किए जा सकते हैं. जैसे बसंत पंचमी, अक्षय तृतीया, दशहरा, देवउठनी एकादशी इत्यादि ऎसे ही कुछ अबूझ मुहूर्त समय होते हैं जो स्वयं में इतने शुभ माने जाते हैं की इस समय पर विवाह से संबंधित मांगलिक कार्यों को संपन्न किया जा सकता है.

इसके अतिरिक्त जब किसी विशेष माह और विशेष समय की इच्छा रखते हैं तो उसके लिए पंचांग गणना और विवाह मुहूर्त आधार से शुभ समय को निकाला जाता है. शुभ विवाह की तारीख को जानने के लिए वर और कन्या की जन्म राशि का प्रयोग किया जाता है. नीचे दी हुई सारणी से विवाह मुहूर्त समय का निर्णय करने के लिये वर और कन्या की राशियों में विवाह की एक समान तिथि को विवाह मुहूर्त के लिये उपयोग गया है. उदाहरण के लिये मिथुन राशि के वर का विवाह और मेष राशि की कन्या से हो रहा हो, तो दोनों के विवाह के लिये (समान) तिथियाँ एक समान होने के कारण शुभ रहेगी.

अक्तूबर 2024 में इन तिथियों में विवाह करना शुभ रहेगा. यहां जन्म राशि से अभिप्राय: चन्द्र स्थित राशि से है. इन विवाह मुहूर्तो में त्रिबल शुद्धि, सूर्य-चन्द्र शुद्धि व गुरु की शुभता का ध्यान रखा गया है.

वर(लड़के) की चंद्र राशि विवाह की तारीख
मेष राशि विवाह मुहूर्त नही है 
वृष राशि विवाह मुहूर्त नही है 
मिथुन राशि विवाह मुहूर्त नही है 
कर्क राशि विवाह मुहूर्त नही है 
सिंह राशि विवाह मुहूर्त नही है 
कन्या राशि विवाह मुहूर्त नही है 
तुला राशि विवाह मुहूर्त नही है 
वृश्चिक राशि विवाह मुहूर्त नही है 
धनु राशि विवाह मुहूर्त नही है 
मकर राशि विवाह मुहूर्त नही है 
कुम्भ राशि विवाह मुहूर्त नही है 
मीन राशि विवाह मुहूर्त नही है 
वधु(लड़की) की चंद्र राशि विवाह की तारीख
मेष राशि विवाह मुहूर्त नही है   
वृष राशि विवाह मुहूर्त नही है 
मिथुन राशि विवाह मुहूर्त नही है 
कर्क राशि विवाह मुहूर्त नही है 
सिंह राशि विवाह मुहूर्त नही है 
कन्या राशि विवाह मुहूर्त नही है 
तुला राशि विवाह मुहूर्त नही है 
वृश्चिक राशि विवाह मुहूर्त नही है 
धनु राशि विवाह मुहूर्त नही है 
मकर राशि विवाह मुहूर्त नही है 
कुम्भ राशि विवाह मुहूर्त नही है 
मीन राशि विवाह मुहूर्त नही है 
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जुलाई माह 2022 में ये दिन रहेंगे सबसे शुभ विवाह के लिए

निम्न सारणी से विवाह मुहूर्त समय का निर्णय करने के लिये वर-कन्या की राशियों में विवाह की एक समान तिथि को विवाह मुहूर्त के लिये लिया जाता है. उदाहरण के लिये मेष राशि के वर का विवाह – धनु राशि की कन्या से हो रहा हो, तो दोनों के विवाह के लिये  3, 4, 5, 6  तिथियाँ एक समान होने के कारण शुभ रहेगी.

जुलाई 2022 में निम्न तिथियों में विवाह करना शुभ रहेगा. यहां जन्म राशि से अभिप्राय: चन्द्र स्थित राशि से है. इन विवाह मुहूर्तो में त्रिबल शुद्धि, सूर्य-चन्द्र शुद्धि व गुरु की शुभता का ध्यान रखा गया है.

वर(लड़के) की चंद्र राशि विवाह की तारीख
मेष राशि 3, 4, 5, 6, 8, 9, 14, 19, 20, 21,28, 29, 30, 31
वृष राशि 5 (16:52 बाद), 6, 7, 8, 9, 14, 18, 19, 20-21 (चंद्र दान), 23, 24, 25
मिथुन राशि

3, 4, 7 (24:22 बाद), 8, 9, 19, 20, 21, 23-24 (चंद्र दान), 30, 31

कर्क राशि 18, 19, 20, 21, 23, 24, 25 (चंद्र दान) 30, 31
सिंह राशि 3, 4, 5, 6, 8, 9, 14 
कन्या राशि 3, 4, 5, 6, 8, 9, 14, 18, 19, 20 (12:51 तक), 23, 24, 25, 30, 31
तुला राशि 3, 4, 5, 6, 8, 9, 18, 19, 20, 21, 25 (11:33 बाद), 30, 31
वृश्चिक राशि 18, 19, 20, 21, 23, 24, 25 (11:33 तक), 30, 31
धनु राशि 5 (16:52 बाद), 6, 7, 8, 9, 14, 18, 19, 20 (12:51 तक), 23, 24, 25
मकर राशि 5 (16:52 बाद), 6, 7, 8, 9, 14, 18, 19, 20 (12:15 तक), 23, 24, 25
कुम्भ राशि 3, 4, 5 (16:52 तक), 7 (24:22 बाद), 8, 9, 14, 18, 19, 20, 21, 25 (11:33 बाद), 30, 31
मीन राशि 18, 19, 20, 21, 23, 24, 25 (11:33 तक), 30, 31
वधु(लड़की) की चंद्र राशि विवाह की तारीख
मेष राशि 3, 4, 5, 6, 8, 9, 14, 18, 19-20-21 (चंद्र दान), 23, 24, 25, 30, 31
वृष राशि

5 (16:52 बाद), 6, 7, 8, 9, 14, 18, 19, 20, 21, 23, 24, 25

मिथुन राशि 3, 4, 7 (24:22 बाद), 8, 9, 19, 20, 21, 23, 24, 25, 30, 31
कर्क राशि 3, 4, 5, 6, 7 (24:22 तक), 14, 18, 19, 20, 21, 23, 24, 25, 30, 31
सिंह राशि 3, 4, 5, 6, 8, 9, 14, 20 (12:51 बाद), 21, 23, 24, 25, 30, 31
कन्या राशि 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 14, 18, 19, 20 (12:51 तक), 23, 24, 25, 30, 31
तुला राशि 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 18, 19, 20, 21, 25 (11:33 बाद), 30, 31
वृश्चिक राशि 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 14, 18, 19, 20, 21, 23, 24, 25 (11:33 तक), 30, 31
धनु राशि 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 14, 20 (12:51 बाद), 21, 23, 24, 25, 30, 31
मकर राशि 5 (16:52 बाद), 6, 7, 8, 9, 14, 18, 19, 20 (12:51 तक), 23, 23, 25
कुम्भ राशि 3, 4, 5 (16:52 तक), 7 (24:22 बाद), 8, 9, 14, 18, 19, 20, 21, 25 (11:33 बाद), 30, 31
मीन राशि 3, 4, 5, 6, 7 (24:22 तक), 14, 18, 19, 20, 21, 23, 24, 25 (11:33 तक), 30 31
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