बुध का मिथुन राशि गोचर क्या आपके लिए है शुभ?

बुध का मिथुन राशि प्रवेश संचार हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण समय होता है क्योंकि बुध इस समय अपनी स्वराशि में गोचर कर रहा होता है. बुध का प्रभाव यहां आकर विकसित होता है. बुद्धि के कारक बुध मिथुन में प्रवेश करने पर विचारों में गतिशीलता को देख पाते हैं. बुध को देवताओं का दूत भी कहा गया है ओर एक प्रकार से स्म्देशवाहक की भूमिका को भी बखूबी निभाने वाले ग्रह होते हैं.

बुध का मिथुन राशि गोचर समय

बुध का मिथुन राशि में प्रवेश 06 जून 2025 को होगा. बुध इस दिन सुबह 09:27 मिनिट पर वृषभ राशि से निकल कर मिथुन राशि में चले जाएंगे. बुध का प्रवेश अपने ही घर पर होना एक शुभ संकेत माना जाता है. मिथुन राशि बुध के स्वामित्व की राशि है इसलिए बुध अपने घर पर काफी प्रभावी एवं बहुत अधिक प्राभावी भी माने जाते हैं.

मिथुन राशि में बुध का फल
मिथुन राशि में बुध के होने से व्यक्ति बौद्धिक एवं वाक चातुर्य में निपुणता हासिल कर सकता है. तर्क हो या वितर्क दोनों में ही इसकी पकड़ खूब रह सकती है. लम्बी बहस देर तक चलने वाली बातचीत में हमेशा अग्रिण रहने वाला होगा. बुध को कला से जोड़ा गया है जिसमें नृत्य, गायन का स्थान बहुत विशेष रहा है ऎसे में इस से संबंधित विषयों पर अच्छी पकड़ बनती है.

अथवा इन चीजों के प्रति आकर्षण भी बहुत रह सकता है. बुध को वाणी का अधिकार मिला है ऎसे में बुध मिथुन रशि में होकर अधिक बोलने वाला बना सकता है.अगर शुभ ग्रहों का प्रभाव इस पर बना रहे तो यह एक अच्छी और प्रभावशाली वाणी को प्रदान करेगा जिसे लोगों के मध्य विशेष स्थान प्राप्त होगा.

मेष राशि के लिए बुध का गोचर
मेष राशि के लिए बुध का गोचर तीसरे घर पर होगा. इस स्थान पर बुध प्रयासों को बढ़ाने वाला होगा. अपने संचार द्वारा सफलता पाने में सक्षम होंगे. लेखन, मीडिया से जुड़े लोगों को अभी के समय में अच्छा लाभ मिल सकता है. आयात-निर्यात, मीडिया और संचार, प्रकाशन आदि के क्षेत्र से जुड़े काम इस अवधि में अच्छे परिणाम देने में सहायक होंगे. आर्थिक रूप से इस अवधि में आपको धन और वित्त के मामले में कुछ नुकसान हो सकता है

कई बार ऐसा भी हो सकता है कि आपको अप्रत्याशित वित्तीय लाभ हो सकता है. स्वास्थ्य के लिहाज से आपको सलाह दी जाती है कि कोई भी तनाव न लें और नियमित रूप से योग और ध्यान का अभ्यास करें.मित्रों के साथ कुछ यात्राएं भी हो सकती हैं.

वृषभ राशि के लिए बुध का गोचर
वृषभ राशि के लिए बुध का गोचर दूसरे घर पर होगा. इस स्थान पर बुध मिलेजुले फल दे सकता है. वाणी में जो प्रभावक्षमता होगी वह काफी महत्व रखेंगी. आर्थिक रूप से, इस अवधि के दौरान आपके खर्च थोड़े अधिक होंगे, लेकिन साथ ही साथ यह भी संभावना है कि आपको वेतन में वृद्धि मिल सकती है, लेकिन फिर भी आपको भविष्य की जरूरतों के लिए बचत पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी जाती है. अपने निजी जीवन में, अपने माता-पिता का सम्मान करें और अपने भाई-बहनों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखें और आक्रामकता या आवेग को अपने ऊपर हावी न होने दें क्योंकि यह आपके परिवार के साथ आपके रिश्ते को खराब कर सकता है.

स्वास्थ्य की दृष्टि से, इस अवधि के दौरान आपको कुछ छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और इसलिए आपको कुछ उपाय करने की सलाह दी जाती है. भोजन को लेकर संतुलित आहार का सेवन एवं नशे इत्यादि से दूर रहें ताकि भविष्य में आपको इसके बारे में तनाव न करना पड़े.

कर्क राशि के लिए बुध का गोचर
कर्क राशि के लिए द्वादश भाव पर बुध का गोचर होगा. यहां गोचर कुछ मामलों में नकारात्मक तो कुछ मामलों में सकारात्मक रुख दिखा सकता है. खर्च बहुत अधिक बढ़ सकते हैं अनचाहे खर्चों से खुद को बचाना मुश्किल होगा. लेकिन साथ ही ये समय बाहरी संपर्क द्वारा कुछ लाभ दिलाने में सहायक बन सकता है. विदेशी कंपनियां कुछ अच्छे मुनाफे के लिए बेहतर स्थान बन सकती हैं. बाहरी लोगों के साथ मित्रता तथा कुछ गहरे रिश्ते भी बन सकते हैं.

व्यक्तिगत जीवन में अचानक कोई घटना घट सकती है. स्वास्थ्य के लिहाज से इस समय सतर्क रहने की सलाह दी जाती है क्योंकि इस गोचर के दौरान मामूली चोट लग सकती है, और इस अवधि के दौरान आपको सर्दी और खांसी से संबंधित कुछ बातों का भी सामना करना पड़ सकता है. इस समय चिकित्सालय, किसी दूर की यात्रा करने या किसी आश्रम इत्यादि स्थान पर जाने का मौका मिल सकता है.

सिंह राशि के लिए बुध का प्रभाव
सिंह राशि के लिए एकादश घर में बुध का गोचर होगा. इस स्थान पर आप के लिए चीजों में वृद्धि होने का समय दिखाई दे सकता है. रिश्ते में एक से अधिक लोगों के साथ जुड़ाव हो सकता है. किसी समारोह या कोई मिटिंग इत्यादि में शामिल होने का अवसर मिल सकता है. वरिष्ठ एवं उच्च प्रतिष्ठित लोगों के साथ संपर्क स्थापित हो सकते हैं. आर्थिक स्थिति बेहतर होगी.

आपको किसी तीसरे पक्ष को शामिल किए बिना अपने व्यक्तिगत मामलों को सुलझाने की सलाह दी जाती है. जो जातक अविवाहित हैं उन्हें अच्छे मेल मिलेंगे, और इस बात की संभावना है कि वे एक प्रतिबद्ध रिश्ते में आ सकते हैं. इस गोचर में आपके जीवनसाथी के स्वास्थ्य पर भी थोड़ा ध्यान देने की आवश्यकता है. आर्थिक रूप से यह आपके लिए एक अच्छी अवधि है क्योंकि आप कमाई कर पाएंगे.
ये समय मित्रों के साथ लम्बी यात्राओं को करने का अवसर बःई देता है.

कन्या राशि के लिए बुध का प्रभाव

कन्या राशि के लिए दशम घर में बुध का गोचर होगा. इस गोचर के दौरान आपका काम और व्यवसाय बहुत अच्छा रह सकता है और आपको इस अवधि के दौरान नौकरी के नए प्रस्तावों पर नए अवसर प्राप्त हो सकते हैं. परिश्रम का अच्छा लाभ मिल सकता है. उत्साह एव्म जोश के साथ आप दूसरों के लिए भी मार्गदर्शक बन सकते हैं. काम में लगातार की जाने वाली कोशिशें भविष्य के लिए बेहतर स्थिति का निर्माण करने वाली होंगी.

इस समय अति आत्मविश्वास में आने से बचना चाहिए. कला के क्षेत्र में अभिनय करने वाले जातकों को इस अवधि में अनुकूल परिणाम देखने को मिल सकते हैं. व्यवसाय से जुड़ सकते हैं पैतृक कार्य में शामिल हो सकते हैं. इस समय आप उच्च अधिकारियों के साथ अच्छे संबंध बनाए रख पाएंगे. आपके काम में प्रगति होगी. जो छात्र विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं उनके लिए भी यह बहुत अच्छा समय है. नेतृत्व करने में अच्छा अनुभव प्राप्त होगा. मार्किटिंग से जुड़े स्किल में निखार आएगा.

तुला राशि के लिए बुध का प्रभाव
तुला राशि वालों के लिए बुध का गोचर नौवें घर पर होगा. भाग्य के घर पर बुध आपके लिए कई मायनों से सकारतमक बन सकता है. इस समय विदेश यात्रा या फिर लम्बी दूरी की यात्राओं का अवसर मिल सकता है. आध्यात्मिक जागरण, दर्शन ज्योतिष इत्यादि से जुड़ने का अवसर भी होगा. समाज कल्या के कार्य संस्थानगत कार्यों में व्यस्तता अधिक रह सकती है. इस अवधि के दौरान, व्यवसाय या नौकरी में अच्छी कुशलता दिखा सकते हैं. लोगों के साथ संपर्क स्थापित करने और अपने प्रयासों द्वारा अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं.

खर्च की स्थिति भी बनी रहेगी लेकिन कुल मिलाकर घर और बाहर दोनों जगह पर इसे संभाल भी सकते हैं. वरिष्ठ लोगों के कड़े निर्देश तो मिलेंगे लेकिन लाभ प्राप्त करने के साथ-साथ समर्थन भी प्राप्त कर सकते हैं. पदोन्नति मिलने की संभावना भी इस समय पर अच्छे संकेत देती दिखाई देती है. धन प्राप्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास लबह के अवसर देंगे. निवेश की योजनाओं में शामिल हो सकते हैं. गोचर के दौरान जो लोग अपने व्यवसाय का विस्तार करने के इच्छुक हैं, उन्हें ठीक से योजना बनाने में कुछ समय लेना चाहिए क्योंकि भारी निवेश की आवश्यकता होगी और जल्दबाजी में कोई भी निर्णय थोड़ा मुश्किलें दे सकता है.

वृश्चिक राशि के लिए बुध का प्रभाव
वृश्चिक राशि के लिए बुध आठवें स्थान पर होगा. बुध का गोचर अष्टम भाव में होना चिंताओं और अचानक होने वाले घटनाक्रम से प्रभावित कर सकता है. इस अवधि के दौरान, जीवन में कुछ उतार-चढ़ाव महसूस कर सकते हैं. गुप्त चीजों को जान सकते हैं या फिर जीवन में गुप्त एवं रहस्य का असर भी पड़ सकता है. काम पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो सकता है. इस समय पर आत्मिक चेतना का विकास भी तेज रह सकता है. व्यवसाय में अधिक भागदौड़ होगी और नए संपर्क काम आ सकते हैं.

काम में बहुत अधिक मेहनत करनी होगी तभी परिणाम मिल पाएंगे. अधिक परिश्रम एवं कम लाभ की स्थिति इस समय पर रहेगी. निजी जीवन में, पति-पत्नी और प्रेम विवाह जैसे मसलों में कुछ न कुछ खिंचाव बना रह सकता है. अपनों के साथ स्पष्टता न रह पाए. बातों में छुपाव रहेगा. सेहत में कमी रह सकती है. पेट से जूड़े रोग या फिर रक्त संबंधी रोग उभर सकते हैं.अपने खान पान के प्रति लापरवाही आपको अधिक परेशानी में डाल सकती है. इस समय धैर्य और शांति के साथ काम करना ही उचित होगा.

धनु राशि के लिए बुध का प्रभाव
धनु राशि के लिए ये समय बुध का प्रभाव सातवें घर पर होगा. इस गोचर में आपका व्यवसाय, विवाह संबंध, पार्टनरशिप पर सबसे अधिक बदलाव देखने को मिल सकता है. साझेदारी में काम करने वाले लोगों को इस समय में कुछ लाभ मिल सकते हैं. पैसों के लेनदेन से जुड़े मामले में थोड़ा संभल कर काम करने की जरुरत होगी. अनुकूल समय आपको कुछ राहत दे सकता है. जीवन साथी के साथ कुछ बातों को लेकर असहमति होगी लेकिन यह अधिक गंभीरता से बचेगी.

मान-सम्मान में वृद्धि होगी. कारोबार के लिए लाभ एवं मुनाफा पाने का समय दिखाई देता है. कुछ योग अके पक्ष में भी काम कर सकते हैं. संबंधों में आत्मियता से जुड़े रहने और विनम्र बने रहना सफलता की पहली सीढ़ी बन सकता है. आप का आकर्षण लोगों को आपकी ओर खिंच सकता है. नया काम करने या कोई योजना शुरू करने के लिए भी यह एक अनुकूल समय रहेगा. कुछ नए व्यापारियों के संपर्क में आने का मौका मिलेगा. निजी जीवन में, भी आपके साथ जुड़ते दिखाई देंगे. वैवाहिक जीवन के लिए यह अवधि थोड़ी कठिन रहने वाली है क्योंकि जीवनसाथी के साथ टकराव हो सकता है.

मकर राशि के लिए बुध का प्रभाव
बुध का गोचर मकर राशि के लिए छठे घर में होगा. बुध के इस स्थान पर होने से चुनौतियों को बौद्धिक रुप से हल करने में आगे रहेंगे. इसी के साथ कुछ युक्तियों को अपनाकर आगे रह सकते हैं. इस समय जरुरत होगी अनावश्यक विवादों से बचने की क्योंकि दूसरे इसी मौकों की तलाश में होंगे. आपकी छोटी सी गलती को भी बड़ा बना कर देखा जा सकता है. इस समय आवश्यकता होगी अपनों को साथ लेकर चला जाए और कड़े वचनों से दूर रहा जाए.

कुछ शत्रु आपको अपने प्रियजनों से अलग कर सकते हैं. आर्थिक स्थिति मिलेजुले असर की होगी उधार लेने से अभी बचना चाहिए. सेहत के लिहाज से आप फिट और स्वस्थ रह सकते हैं लेकिन फिर भी यह सलाह दी जाती है कि आप किसी भी तरह की शारीरिक गतिविधि में शामिल न हों और खुद को तनाव में न लेना उचित होगा. बेहतर होगा कि आप ध्यान और योग का अभ्यास करें, जो आपके मानसिक के साथ-साथ आपके लिए भी अच्छा होगा. इस समय छात्र परिक्षा एवं अन्य प्रकार की प्रतियोगिताओं में शामिल हो सकते हैं.

कुंभ राशि के लिए बुध का प्रभाव
बुध का कुंभ राशि के लिए बुद्धि के स्थान पर गोचर होगा. कुंभ राशि के पंचम घर में बुध का गोचर मानसिक रुप से काफी उत्साहित और जिज्ञासु बना सकता है. इस गोचर के दौरान, सफलता मिलने की अच्छी संभावनाएं उत्पन्न होंगी. अपनी परियोजना को पूरा करने में अधिक रचनात्मक होंगे. छात्रों के लिए यह एक अच्छा समय होगा. कला क्षेत्र से जुड़े छात्र प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रह सकते हैं. समस्याओं को आसानी से हल करने में सक्षम होंगे. इस समय पर दर्शन एवं ज्ञान से जुड़ विषयों पर ठीक से ध्यान केंद्रित कर पाएंगे.

लॉटरी और सट्टेबाजी के माध्यम से लाभ प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन यह स्थिति बहुत ही अल्पकालिक रुप से असर डालेगी. नई योजनाओं में सोच समझ कर ही निवेश करना उचित होगा. प्रेम संबंधों के लिए ये समय सकारात्मक रह सकता है. रिश्ते की शुरुआत का समय भी होगा. बहुत अधिक तर्क से बचना इस समय उचित होगा. दोस्तों के साथ कुछ मौज मस्ती के अवसरों में शामिल हो सकते हैं.

मीन राशि के लिए बुध का प्रभाव
मीन राशि के चतुर्थ भाव घर में बुध का गोचर होगा. मीन राशि के लिए ये समय आर्थिक रुप से अपनों की ओर से कुछ सहायक बन सकता है. इस दौरान आपका अधिकतर ध्यान अपने निजी जीवन को बेहतर बनाने पर लगा रह सकता है. अपनों के साथ संबंधों को सुधारने के लिए एक-दूसरे के साथ कुछ समय बिताना उचित होगा.

नई चीजों की खरीदारी का समय बेहतर रह सकता है. इस अवधि में आपके माता पिता के साथ संबंधों में कुछ सुधार होगा, लेकिन उनकी ओर से कड़े निर्देश कुछ चिंता और स्वतंत्रता में कमी के चलते परेशान कर सकते हैं. तनाव का अनुभव कर सकते हैं, लेकिन अपनी सहनशक्ति से आप इस विपरीत परिस्थिति से अच्छी तरह निपटने में सक्षम हो सकते हैं. वैवाहिक जीवन में किसी भी तरह के वाद-विवाद से बचने की सलाह दी जाती है, अन्यथा लड़ाई-झगड़े बढ़ सकते हैं. स्वास्थ्य के लिहाज से यह समय आपके लिए सामान्य रह सकता है, लेकिन फिर भी सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी.

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मंगल का अश्विनी नक्षत्र में होने का विशेष फल

मंगल ग्रह

मंगल ग्रह साहस, ऊर्जा, शक्ति, इच्छाओं, काम करने की तीव्रता, आक्रामक स्वभाव, क्रोध, लड़ने की क्षमता, सैनिक, खिलाड़ी आदि का प्रतिनिधित्व करता है. और मेष राशि जो राशि चक्र की पहली राशि है अग्नि तत्व से युक्त होती है तथा मंगल के स्वामित्व की राशि ही है.

अश्विनी नक्षत्र

अश्विनी पहला नक्षत्र है, इसलिए यह सक्रियता की प्रकृति के साथ आता है. इसमें अनेक दिव्य गुण मौजूद होते हैं यह चिकित्सकों या डॉक्टरों का भी नक्षत्र है क्योंकि इसके देवता अश्विनी कुमार हैं, जो देवताओं को वैध माने जाते हैं. इस नक्षत्र को भ्रम, छल से भी जोड़ा जाता है क्योंकि केतु इस नक्षत्र पर प्रभाव डालता है.

इन तीनों चीजों का समिश्रण काफी प्रभावी होगा. दो चीजें प्रथम स्थिति या कहें आरंभ को दर्शाती है जिसमें मेष राशि और नक्षत्र तो वहीं मंगल का प्रभाव यहां होने से चीजों में अग्रीणता को बनाए रखना काफी महत्वपूर्ण होता है. मेष राशि में अश्विनी, भरणी और कृतिका नाम के नक्षत्र आते हैं.

अश्विनी नक्षत्र का सामान्य फल
अश्विनी नक्षत्र पर मंगल की स्थिति होने पर विशेष रुप से कुछ बातों पर ध्यान रखने और संभल कर आगे बढ़ने की जरुरत होती है. इस समय के दौरान मंगल मंत्र जाप के साथ ही नक्षत्र पूजा करना अत्यंत शुभदायक होता है. इस गोचर के दौरान पर निर्णायक स्थिति अधिक दिखाई देती है जो सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनो ही रुपों में दिखाई देती है.

इस समय के दौरान स्वास्थ्य संदर्भ के लिहज से स्थिति कुछ मिलेजुले प्रभाव दर्शाती है. सेहत पर असर दिखाई दे सकता है शरीर में पित्त की अधिकता रह सकती है तथा उच्च रक्तचाप से संबंधित प्रभाव भी दृष्टिगोचर होगा. मसिक उन्मांद, बेचैनी तथा दुर्घटना के कारण सेहत पर असर दिखाई दे सकता है. दूसरा पक्ष दर्शाता है की इस समय पर रोग उपचार की स्थिति भी अनुकूल रह सकती है.

अश्विनी नक्षत्र में मंगल का गोचर फल
मंगल का अश्विनी नक्षत्र में होना एक विशेष स्थिति का परिचायक बनता है. यह बहुत मजबूत स्थिति होती है मंगल ग्रह के लिए. मंगल जहां अपनी मूल त्रिकोण राशि में होता है तथा नक्षत्र के प्रभाव में स्वयं को पाता है. यहां मंगल साहस, उत्साह, मजबूत इरादों को दर्शाता है. इस समय पर काम में सक्रियता आने लगती है. मंगल कार्यों को करने में जल्दबाजी दर्शा सकता है क्योंकि यहां उसे प्रथम स्थान को पाना भी है. जो कुछ भी करेंगे उसमें प्रथम होना पसंद करेंगे. अश्विनी रोग निवारक बनता है उपचार को दर्शाता ऎसे में कार्य का होना भी सही होना आवश्यक होगा.


इस समय स्वास्थ्य की स्थिति पर भी विशेष ध्यान बना रह सकता है. देखभाल से संबंधित कार्यों में भी अधिक ध्यान जाता है. केतु के साथ होने पर ये समय स्वास्थ्य के लिहाज से कोई सर्जरी होने ओर उसमें सफलता को भी दर्शाती है.

मंगल-केतु का प्रभाव कुछ भौगौलिक परिवर्तन का समय भी होगा. भूकंप, हिमस्खलन, हिंसात्मक घटना क्रम भी इस समय पर दिखाई दे सकते हैं. ऊर्जा की अधिकता युद्ध एवं विध्वंस की स्थिति का निर्माण करने वाली भी होती है. स्थिति बहुत आक्रामक और आवेगी भी दिखाई दे सकती है. कभी-कभी, वे हिंसक भी हो सकते हैं क्योंकि केतु बिना सिर के होता है और केतु के साथ मंगल का संबंध कार्यों या आक्रामकता के मामलों में नेतृत्वहीन बना सकता है. इस समय पर धैर्य और शांति के साथ विचार विमर्श के बाद ही निर्णय लेना चाहिए.

आक्रामक प्रवृत्तियों को सकारात्मक कार्यों में बदलने की आवश्यकता होती है. दूसरी ओर केतु का संबंध मनोगत और आध्यात्मिकता से भी जुड़ा है, यह वह सकारात्मक क्रिया हो सकती है जहां अपनी ऊर्जा का निवेश करके अच्छे लाभ पाए जा सकते हैं. कुल मिलाकर, मंगल की अश्विनी नक्षत्र में स्थिति एक बहुत अच्छी स्थिति तब बन सकती है जब क्रोध या आक्रामकता का सकारात्मक उपयोग कर पाने की योग्यता को विकसित किया जाए.

अश्विनी नक्षत्र प्रत्येक पद पर मंगल का असर

अश्विनी नक्षत्र के (1) पहले पद में मंगल का गोचर
अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल बनता है. इस चरण में मंगल ग्रह का गोचर प्रभाव व्यक्ति के भीतर अधिक ऊर्जा को दर्शाने वाला होगा. दूसरों पर रौब दर्शाने, अधिकार जमाने की स्थिति भी अधिक दिखाई दे सकती है. इस समय पर क्रोध की अधिकता, उत्तेजना तथा कार्यों में तेजी बनी रहेगी. कार्यक्षेत्र में पराक्रम बना रहेगा. आय प्राप्ति के नए अवसर प्राप्त हो सकते हैं.

अश्विनी नक्षत्र के (2) दूसरे पद में मंगल का गोचर
अश्विनी नक्षत्र के इस दूसरे चरण का स्वामी शुक्र होता है. इस नक्षत्र के द्वितीय चरण में मंगल का गोचर स्रजनात्मक चीजों का निर्माण करने वाला होता है. ये समय कला ओर अभिव्यक्ति का अच्छा संगम बनता है. इस स्थान पर मंगल आगे बढ़ने ओर नए अवसरों का लाभ उठाने की अच्छी संभावनाएं दर्शाता है. व्यक्ति कड़ी मेहनत से द्वारा अपने कार्यों को करने में आगे रह सकता है. छोटे छोटे अल्प अवधी वाले कार्य करने में रूचि भी अधिक होगी.

अश्विनी नक्षत्र के (3) तीसरे पद पर मंगल का गोचर
अश्विनी नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी बुध होता है. इस स्थान पर मंगल के गोचर की स्थिति कुछ बदलावों एवं विरोधाभास को दर्शा सकती है. शास्त्रों के अनुसार अश्वनी नक्षत्र के तीसरे चरण में मंगल की स्थिति व्यक्ति को आर्थिक रुप से ललायित करने वाली हो सकती है, ऐश्वर्यशाली जीवन जीने के लिए संघर्ष जारी रह सकता है किंतु बहुत अधिक अनुकूल परिणाम मिलने में देरी की संभावनाएं अधिक दिखाई देती है.

अश्विनी नक्षत्र के (4) चौथे पद पर मंगल का गोचर
अश्विनी नक्षत्र के चतुर्थ चरण में मंगल की स्थिति सकारात्मक दिखाई दे सकती है. इस चरण का स्वामी चन्द्रमा मित्र स्वरुप दिखाई देता है. शास्त्रों के अनुसार अश्वनी नक्षत्र के चौथे चरण में मंगल का गोचर इच्छाओं के प्रति प्रयाशील बनाता है. स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से इस समय थोड़ा सजग रहने की आवश्यकता होती है. इस समय पर मानसिक रुप से कुछ अशांती एवं उद्विग्न स्वभाव की स्थिति भी दिखाई देती है.

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वक्री बृहस्पति का मीन राशि में गोचर का फल

28 जुलाई 2022 को बृहस्पति का मार्गी से वक्री अवस्था में बदलाव होगा. जिस प्रकार मार्गी बृहस्पति अनुकूलता को दर्शाता है वहीं गुरु का वक्रत्व अनुकूलता को दर्शाता है.
वैदिक ज्योतिष में, बृहस्पति का गोचर काफी महत्व रखता है. गुरु का असर ज्ञान, विद्वता, विवाह सुख, शिक्षा, आध्यतमिक दृष्टिकोण के लिए बहुत उपयुक्त होता है ऎसे में अपनी स्वराशि मीन में स्थित होकर जब गुरु वक्र अवस्था में होंगे तब ज्ञान की स्थिति में उच्च स्तर की वक्रता अर्थात कुछ विशेष बातें अवश्य दिखाई देंगी जो बदलाव के संकेत देंगी.

वक्री बृहस्पति का मेष राशि प्रभाव
भाग्य का सहयोग अब बार-बार के प्रयासों से ही संभव हो सकेगा. इस समय अचानक से कुछ चीजों में अवरोध दिखाई दे सकता है.
चिंताएं तो होगी लेकिन अब उन से मुक्ति का मार्ग भी होगा. स्वास्थ्य को लेकर सजग रहने की आवश्यकता होगी.
सामाजिक एवं आध्यतमिक गतिविधियों में बदलाव का समय दिखाई देगा.
खर्च अधिक बने रहने की संभावना है इसलिए संपत्ति में निवेश पर ध्यान रखें.
नौकरी या व्यापार करने वालों के लिए यह समय नई शुरुआत के लिए उपयुक्त नही हो.

वक्री बृहस्पति का वृषभ राशि प्रभाव
इस समय पर यात्राएं अधिक बनी रह सकती हैं.
एक कार्य में बार-बार प्रयास करने की कोशिश होगी.
संतान संबंधी मामले आपको प्रभावित कर सकते हैं.
भाई-बहनों के साथ संबंधों में बदलाव देखने को मिल सकता है.
जीवनसाथी के साथ तनावपूर्ण स्थितियां उभर सकती हैं.
छात्र अपनी शिक्षा को लेकर असमंज की स्थिति में रह सकते हैं.
कुछ प्रपोजल इस समय आपको लाभ दिला सकते हैं.

वक्री बृहस्पति का मिथुन राशि प्रभाव
खुद को लेकर अधिक प्रयासों में दिखाई देंगे. शारीरिक रूप से, आप फिट होने के लिए कई चीजों से जुड़ सकते हैं.
रोग का असर कुछ चिंता को बढ़ा सकता है लेकिन जल्दी ही इससे बचने का मार्ग मिलेगा.
फंसा हुआ धन मिल सकता है, शेयर मार्किट या लोन इत्यादि में संभल कर आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी.
लंबे समय से अटके हुए प्रोजेक्ट आगे बढ़ सकते हैं
नौकरी अथवा कारोबार में नए बदलाव का समय बना हुआ है.
रिश्तों में कुछ अलगाव भी दिखाई दे सकता जो व्यर्थ के कारणों से अधिक उभर सकता है.

वक्री बृहस्पति का कर्क राशि प्रभाव
प्रयासों द्वारा कार्य के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी.
लंबी यात्राओं पर जाने की संभावना है.
निवेश के बारे में ध्यान पूर्वक कार्य करने की आवश्यकता होगी.
नौकरी में लगे लोगों को नए अवसर मिल सकते हैं, लेकिन प्रत्योगिताएं कठिन रह सकती हैं.
विवाह प्रस्ताव मिल सकते हैं लेकिन इस समय बात पक्के होने में कुछ समय भी लग सकता है.
धन खर्च की अधिकता रहने वाली है जो विशेष रुप से सामाजिक गतिविधियों पर ज्यादा हो सकता है.

वक्री बृहस्पति का सिंह राशि प्रभाव
स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता हो सकती है.
इस समय बिमारी उभरने का अथवा चिकित्सक के पास अधिक चक्कर लग सकते हैं
आर्थिक रूप से चीजों में सुधार हो सकता है, लेकिन समय के साथ आपके खर्चे बने रहेंगे.
ससुराल पक्ष से संबंध कुछ अनुकूलता में कमी को देख पाएंगे.
क्रोध ओर जिद बनी रह सकती है इसलिए इस पर नियंत्रण रखना जरूरी है.
पैतृक संपत्ति का लाभ मिलने के योग पुन: बन सकते हैं.
नौकरी की तलाश कर रहे लोगों का इंतजार खत्म हो सकता है.

वक्री बृहस्पति का कन्या राशि प्रभाव
कार्यक्षेत्र में लोगों के साथ मेल जोल होगा और कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम की शुरुआत होगी.
रोग उभर सकते हैं इसलिए स्वास्थ्य पर नज़र रखने की आवश्यकता होगी.
नौकरी और कारोबार में बेहतर अवसर होंगे तथा लाभ के अवसर भी मिल सकते हैं.
आप साझेदारी में काम करते हैं तो आपको सावधान रहने की आवश्यकता होगी.
रिश्तों अथवा पार्टनर के साथ कुछ समस्याएं हो सकती हैं.
खर्चे बने रह सकते हैं तथा आय प्राप्ति का योग सकारात्मक होगा.

वक्री बृहस्पति का तुला राशि प्रभाव
प्रतियोगीताओं में सफलता का समय है और प्रयासों द्वारा सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं.
शत्रुओं और रोग आपके लिए चिंता बढ़ाने का कारण बन सकते हैं.
समय थोड़ा कठिन हो सकता है और खर्च में वृद्धि होगी.
करियर के मामले में आपको लाभ मिल सकता है.
विदेश से जुड़े व्यवसाय लाभ दिला सकते हैं.
विवाद इत्यादि में विजय मिल सकती है

वक्री बृहस्पति का वृश्चिक राशि प्रभाव
शिक्षा के क्षेत्र में आपके पास नए विकल्प मौजूद होंगे.
उच्च शिक्षा प्राप्ति का योग बनेगा, बाहरी संपर्क द्वारा विस्तार के अवसर मिल सकते हैं.
नए रिश्तों का आरंभ होता दिखाई देगा.
पुराने निवेश कुछ लाभ दिला सकते हैं.
वरिष्ठों के साथ अपने संबंधों में सुधार होगा.
यात्राएं अधिक रह सकती है जिसमें खर्च अधिक होगा.

वक्री बृहस्पति का धनु राशि प्रभाव
वक्री बृहस्पति का धनु राशि के लिए प्रयासों की अधिकता का समय होगा.
वक्री बृहस्पति सुख से थोड़ा दूर ले जाने वाला हो सकता है.
घर से संबंधित कामों में कुछ समय के लिए व्यवधान की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
स्वास्थ्य के लिहाज से थोड़ा संभल कर रहने की आवश्यकता होगी.
आर्थिक रुप से परिवार पर धन खर्च की अधिकता का समय रहने वाला है.
परिवार के वरिष्ठ लोगों के साथ कुछ मतभेद की स्थिति उभर सकती है.

वक्री बृहस्पति का मकर राशि प्रभाव
वक्री बृहस्पति का मकर राशि के तीसरे घर पर वक्रत्व का असर होगा.
काम काज में कुछ आलस्य दिखा सकते हैं इसलिए आवश्यक है की इस स्थिति से बचा जाए.
किसी काम को बार बार करने की कोशिशें इस समय कुछ अधिक हो सकती हैं, एक बार में सफलता हासिल न हो पाए.
अभिरुचि के क्षेत्र से दूरी होने से मानसिक रुप से असंतोष भी हो सकता है. इस समय दुसाहसिक कार्यों से बचने की आवश्यकता होगी.
भाई बहनों को लेकर थोड़ी चिंता अधिक रह सकती है.

वक्री बृहस्पति का कुंभ राशि प्रभाव
वक्री बृहस्पति कुंभ राशि के दूसरे घर पर असर डालते हुए धन, और वाणी के क्षेत्र पर असर डाल सकता है.
इस समय वाणी में कठोरता से बचना होगा तथा व्यर्थ की बहस इत्यादि से भी खुद को दूर रखने की आवश्यकता होगी.
खान पान की लापरवाही सेहत पर असर डाल सकती है.
दांपत्य जीवन में साथी के से कुछ वैचारिक मतभेद भी उभर सकते हैं.
इस समय धन प्राप्ति के लिए अधिक कोशिशें करनी होंगी.

वक्री बृहस्पति का मीन राशि प्रभाव
वक्री बृहस्पति का मीन राशि के लिए असर विचारधारा को अचानक से बदल देने वाला हो सकता है.
इस समय कुछ अधिक सोच विचार लगे रहेंगे.
अपनों को लेकर चिंताएं हेल्थ को भी प्रभावित कर सकती हैं.
वैवाहिक जीवन में संबंधों एवं साथी के व्यवहार, स्वास्थ्य को लेकर अधिक उलझाव में रह सकते हैं.
धन खर्च बना रहने वाला है. परिवार एवं संतान की आवश्यकताओं पर धन व्यय होगा.
घर पर कुछ धार्मिक गतिविधियों में अधिक भागीदारी रहने वाली है.

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सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र गोचर

सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र प्रवेश कई मायनों में बदलावों की स्थिति को दर्शाता है. किसी भी ग्रह का राशि और नक्षत्र बदलाव किसी न किसी रुप में बदलाव का संकेत अवश्य देता है. मृगशिरा नक्षत्र वृषभ राशि और मिथुन राशि के मध्य आता है. मृगशिरा नक्षत्र के आरंभिक दो चरण वृषभ राशि में आते हैं और बाकी 2 चरण मिथुन राशि में आते हैं. मृगशिरा 27 नक्षत्रों में से पांचवां नक्षत्र है, यह राशि चक्र में सबसे उत्सुक नक्षत्र है और मनोविनोद की एक अच्छी स्थिति भी दिखाई देती है. 

ज्योतिष में मृगशिरा नक्षत्र

वैदिक ज्योतिष के अनुसार मृगशिरा नक्षत्र का अधिपति ग्रह मंगल ग्रह है जिसका प्रतीकात्मक सिर हिरण है. जैसे हिरण हमेशा संवेदनशील, चिंतित और आसपास के प्रति शंकालु होते हैं, वैसे ही मृगशिरा नक्षत्र का प्रभाव भी व्यक्ति पर होता है. यह आध्यात्मिक चिंतनशीलता, दृढ़ता, शक्ति और साहस को दर्शाता है. चंद्रमा इसके देव हैं. इस नक्षत्र का प्रभाव प्रेम एवं अभिव्यक्ति की शुद्धता को दर्शाता है. यह एक नाजुक और संवेदनशील नक्षत्र भी है ऎसे में मानसिक रुप से बहुत उतार-चढ़ाव भी होता है. बुद्धिमानी, ईमानदारी और आज्ञाकारिता को भी इस नक्षत्र से जोड़ा जाता है. 

सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र गोचर में विभिन्न ग्रहों से योग 

सूर्य के मृगशिरा नक्षत्र में आते ही सूर्य इस नक्षत्र के प्रत्येक पद पर जाता है उसका उस नक्षत्र के चरण स्वामी के साथ भी संबंध बनता है. ग्रहों का प्रभाव ओर वेध भी इस गोचर में विशेष रुप से असर डालने वाला होता है. 

मृगशिरा पहले चरण में सूर्य-सूर्य, 

मृगशिरा दूसरे चरण में सूर्य -बुध, 

मृगशिरा तीसरे चरण में सूर्य-शुक्र

मृगशिरा चतुर्थ चरण में सूर्य -मंगल

मृगशिरा नक्षत्र प्रत्येक पद पर सूर्य का असर 

मृगशिरा नक्षत्र के (1) पहले पद में सूर्य का गोचर 

मृगशिरा नक्षत्र के प्रथम पद में सूर्य का आगमन मानसिकता तथा क्षमता को प्रभावित करने वाला होता है. मृगशिरा के पहले पद में  23° 20′ – 26° 40′ सिंह नवांश में होता है और सूर्य द्वारा प्रभावित होता है. ऎसे में यह स्थिति कुछ चीजों में प्रतिभा एवं साहस की वृद्धि को दर्शाती है. इस समय व्यक्ति बहुत रचनात्मक और कलात्मक हो सकता है लेकिन अभी के समय पर आक्रामकता भी अधिक देखने को मिल सकती है. शिक्षा से जुड़े छात्रों को अपने क्षेत्र में विकास के अच्छे मौके मिल सकते हैं. व्यक्ति अपनी सुंदरता पर अधिक ध्यान देना चाहेगा. राजनीतिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण में भी बदलाव दिखाई देंगे. 

मृगशिरा नक्षत्र के (2) दूसरे पद में सूर्य का गोचर 

मृगशिरा नक्षत्र के दुसरे पद में सूर्य का जाना यहां स्थिति में थोड़ा बौद्धिक एवं रचनात्मक स्थिति को प्रभावित करने वाली होगी. मृगशिरा नक्षत्र का दूसरा चरण 26° 40′ – 30° 00″ वृष राशि में होता है और बुध द्वारा शासित कन्या नवांश में आता है. ऐसे में गोचर व्यक्ति को काफी व्यस्त बना सकता है. सामाजिक स्थिति में मिलनसार भी होंगे तथा कार्यरत होकर अपनी स्थिति को बेहतर बनाएंगे. इस समय पर कार्यक्षेत्र में भी मजबूत मानसिक क्षमताएं दिखाई देंगी. कुछ नए दृष्टिकोण शामिल होंगे. छात्र अपने क्षेत्र में अपनी छुपी योग्यताओं को दिखाने में आगे रह सकते हैं. 

मृगशिरा नक्षत्र के (3) तीसरे पद पर सूर्य का गोचर 

मृगशिरा नक्षत्र तीसरा चरण 00° 00′ – 3 ° 20′ तक मिथुन राशि में चला जाता है, मृगशिरा का तीसरा पद तुला नवांश में स्थित होता है जो शुक्र द्वारा प्रभावित होता है. ऎसे में सुर्य का इस चरण में आना कुछ खिंचतान की स्थिति को दर्शाने वाला होता है. इस समय आर्थिक स्थिति एवं जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु अधिक ध्यान केन्द्रित हो सकता है. कुछ नए खर्च तथा कुछ नवीन निवेश योजनाएं भी इस समय पर काम कर सकती हैं. भौतिक लाभ प्राप्ति का योग भी कुछ सहायक हो सकता है. 

मृगशिरा नक्षत्र के (4) चौथे पद पर सूर्य का गोचर 

मृगशिरा नक्षत्र चौथा चरण 3° 20″ – 6 ° 40′ मिथुन राशि में ही पड़ता है. यह मंगल ग्रह द्वारा प्रभावित वृश्चिक नवांश में पड़ता है. ऎसे में सूर्य का इस नक्षत्र के अंतिम चरण में जाना बदलाव और आक्रमकता का समय होता है. विचारों में उग्रता एवं जिद भी दिखाई दे सकती है. इस समय बहुत तर्क-वितर्क भी हो सकते हैं. सहजता के साथ मसले सुलझाने में दिलचस्पी कम भी रहेगी. ऎसे में आवश्यक होता है की स्थिति को जितना संभव हो सके धैर्य के साथ स्थिति को नियंत्रित करना उचित होता है. कार्य क्षेत्र हो या परिवार की स्थिति बदलाव और जल्दबाजी से बचना आवश्यक होता है.दूसरे लोगों की ज़िंदगी में बहुत अधिक दखल देने से भी बचना चाहिए अन्यथा छवि प्रभावित हो सकती है. 

मृगशिरा नक्षत्र गोचर का सामान्य फल  

जब सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में होता है, तो लोग अपने करियर में उतार-चढ़ाव की स्थिति भी अभी बनी रहती दिखाई देती है. काम-काज में संतुष्ट महसूस नहीं कर सकते हैं और अपने लिए पद प्राप्ति की चाह भी बनी रह सकती है. नई संभावनाओं की तलाश भी बनी रहने वाली है. इस समय की स्थिति सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों ही रुपों में बनी रह सकती है. यह समय मानसिक सुधार की स्थिति को दर्शाता है. इस समय चीजों का पूर्ण रुप से समर्थन नही हो पाता है. अनुसंधान के कामों में भी ध्यान अधिक रह सकता है. खर्च की स्थिति भी इस समय पर बनी रह सकती है. 

सूर्य का मृगशिरा नक्षत्र में जाना कई मायनों में महत्वपूर्ण होता है. इस नक्षत्र में आने पर भौगौलिक रुप से भी बदलाव स्पष्ट दिखाई देते हैं. मौसम में परिवर्तन की स्थिति विशेष रुप से वर्षा के आगमन की सूचना भी लाने वाली होती है. 

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शुक्र का वृषभ राशि गोचर 2025, विशेष लाभ का योग

शुक्र के वृष राशि में गोचर से  शुक्र का बल वृद्धि पाएगा. शुक्र से जुड़े वस्तुओं में भी वृद्धि देखने को मिलेगी, इस समय पर कुछ अच्छी वस्तुओं की प्राप्ति होगी. आस पास की स्थिति भी भौतिक रुप से समृद्धि होने लगेगी. कुछ अच्छी वस्तुओं के प्रति झुकाव होगा तथा कला, फैशन, रचनात्मक चीजों में निखार भी देखने को मिलेगा, वाणी और व्यक्तित्व में बदलाव होगा. तार्किक बुद्धि अच्छी होगी, यह गोचर आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति को बेहतर रुप देने वाला होगा.

शुक्र का वृषभ राशि में प्रवेश का समय

शुक्र का वृषभ राशि में प्रवेश 29 जून 2025 के दिन होगा. शुक्र 29 जून को 14:08 मिनिट पर वृष राशि में गोचर करेगा.

शुक्र ग्रह को सौंदर्य, भौतिक सुख, प्रेम संबंध आदि का कारक माना जाता है. शुक्र वृषभ राशि और तुला राशि का स्वामी है ऎसे में अपनी स्वराशि में शुक्र का गोचर खास होगा. 

ज्योतिष के अनुसार, जिस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र की मजबूत स्थिति होती है, वह अपने जीवन में सभी प्रकार की विलासिता और भौतिक चीजों के सुखों का अनुभव कर पाने में सफल होता है लेकिन कुंडली में शुक्र की कमजोर स्थिति इन चीजों से दूर ले जाने वाली होती है. 

शुक्र के वृषभ राशि में गोचर का सभी राशियों पर असर

शुक्र का वृष राशि में गोच एक शुभ स्थिति रहेगी उन के लिए जिनकी कुंडली में शुक्र उत्तम रुप से स्थिति है ओर शुभ फलों का कारक बनता है. 

मेष राशि

मेष राशि के लिए शुक्र दूसरे और सप्तम भाव का स्वामी होता है और इस समय दूसरे भाव में गोचर करेगा. शुक्र का गोचर परिवार और आर्थिक स्थिति के लिए अच्छा रहेगा. शुभ समाचार देने वाला होगा. इस दौरान घर में सुख-शांति का माहौल रहेगा और परिवार के सदस्य आपसी सहयोग करते दिखाई दे सकते हैं. माता का प्रेम आपके लिए अच्छा होगा. परिवार के साथ कुछ अच्छे समय को बिता सकते हैं. जीवन के पलों का आनंद ले सकते हैं.

परिवार में किसी प्रकार का शुभ या मांगलिक कार्य भी हो सकते हैं. परिवार में किसी नए सदस्य के आने की दस्तक सुनाई दे सकती है. शुक्र का गोचर साझेदारी से जुड़े कामों के लिए अच्छा रह सकता है काम में व्यवसाय में प्रगति मिल सकती है. प्रगति के नए अवसर प्राप्त हो सकते हैं. पहले से ही किसी परियोजना को निपटाने में लगे हैं तो काम पूरा हो सकता है. ससुराल पक्ष से अनुकूल परिणाम देख पाएंगे. किसी अटके हुए कार्य को पूरा करने में ससुराल का सहयोग मिल सकता है. 

वृषभ राशि 

वृष राशि के लिए शुक्र लग्न और छठे भाव का स्वामी होता है और इस समय गोचर में लग्न पर ही इसका असर होगा. शुक्र इस समय मानसिक क्षमताओं, दृष्टिकोण को प्रभावित करने वाला होगा. यह गोचर काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है. शुक्र का प्रभाव व्यक्तित्व को निखारने वाला होगा. इसके साथ ही स्वभाव में सुधार होगा. रहन सहन, पहनावे, खान पान में बदलाव दिखाई देगा. खरीदारी भी अधिक रह सकती है. प्रेम संबंधों के लिए अच्छा होगा.

नए रिश्ते भी आरंभ हो सकते हैं. साथी के बीच प्रेम बढ़ेगा, साथी हर हाल में साथ देता दिखाई देगा. जीवन साथी के साथ प्रेम बढ़ेगा. स्वास्थ्य के मामले में कमजोर स्थिति हो सकती है. मानसिक तनाव या फिर संक्रमण इत्यादि से पीड़ित रह सकते हैं. शांत और धैर्य के साथ काम करना उचित होगा. तनाव से छुटकारा पाने के लिए अभिरुचि से जुड़े कामों में शामिल होना अच्छा होगा. 

मिथुन राशि

मिथुन राशि के लिए शुक्र बारहवें, पांचवें भाव का स्वामी होगा. अभी के समय शुक्र का पंचम भाव में गोचर होगा. विदेश यात्रा का योग बनेगा. खर्च की अधिकता होगी. स्वास्थ्य के लिए कमजोर स्थिति रह सकती है. अनिद्रा नेत्र रोग, तनाव चिंता जैसी बातें असर डाल सकती हैं. बारहवें भाव में गोचर के कारण खर्चों में वृद्धि देखने को मिलेगी. महंगी वस्तुओं की खरीदारी होगी कुछ अपव्यय में भी वृद्धि रहने वाली है. आकर्षक एवं लुभावनी चीजों पर अधिक धन खर्च कर सकते हैं.

इसके अलावा इस समय आय से अधिक खर्च खुद पर तथा परिवार की जरूरतों को पूरा करने में होगा. व्यक्तिगत रूप से आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है. पैसा जमा करना ही इस स्थिति से बचाव कर सकता है. लंबे समय से विदेश जाने के इच्छुक लोगों को इस गोचर का लाभ मिलेगा. विदेश यात्रा पर जाने का अनुकूल समय होगा. प्रेम संबंधों में कुछ बातें दूरी बढ़ा सकती हैं, संबंधों को लेकर सजग रहना होगा. जीवन सतही के स्वास्थ्य के कारण चिंता अधिक रह सकती है. 

कर्क राशि 

कर्क राशि के लिए शुक्र ग्यारहवें और चौथे भाव का स्वामी होता है और इस समय गोचर में एकादश भाव को प्रभावित करने वाला होगा. इस  गोचर का असर दोस्तों पर, लाभ, उपलब्धियों, इच्छाओं पर सीधेतोर पर होगा. इनकम में वृद्धि का समय होगा. कुछ इच्छाएं पूर्ण होती दिखाई देंगी. काम के स्थान पर कुछ प्रमोशन मिलने के भी योग भी बन सकते हैं. इस गोचर का प्रभाव सामाजिक रुप से जुड़ने का होगा तथा कुछ उपलब्धियों को पाने के लिए भी उचित होगा.

आय के कुछ अन्य स्रोतों इस समय सामने आ सकते हैं. उधार या कहीं अटका हुआ धन मिलने का समय भी रहेगा. बड़े भाई बंधुओं की ओर से आर्थिक सहयोग एवं मार्गदर्शन भी मिलेगा. शेयर बाजार इत्यादि से कुछ लाभ की उम्मीद बन सकती है प्रेम और रोमांस में आप काफी रोमांच को पाएंगे. दोस्तों के साथ भ्रमण के  अवसर मिलेंगे. 

सिंह राशि 

सिंह राशि के लिए शुक्र दशम और तीसरे भाव का स्वामी होता है और इस समय शुक्र का गोचर दसवें घर पर होगा. यह समय करियर, व्यवसाय, प्रसिद्धि और सामाजिक स्थिति को प्रभावित करने वाला होगा. कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्ति के बेहतर अवसर मिल सकते हैं. पदोन्नति प्राप्त हो सकती है. अपने सहकर्मियों के साथ मिलकर कुछ सकारात्मक चीजों को प्राप्त कर सकते हैं.

घरेलू क्षेत्र में सुखद माहौल भी प्राप्त होगा. अपने बड़ों का प्रेम प्राप्त होगा. माता या किसी स्त्री पक्ष की सहायता से कुछ आवश्यक कामों को पूरा कर पाने में भी सफल रह सकते हैं. जीवन साथी के साथ कुछ दुरी हो सकती है, अपने क्रोध को नियंत्रित रखते हुए काम करना ही अनुकूल संबंधों की आधारशीला बन सकता है. 

कन्या राशि 

कन्या राशि के लिए शुक्र नवम और द्वितीय भाव का स्वामी है और वृष राशि में नवम भाव में गोचर होगा. यात्राओं का योग होगा. यात्रा द्वारा लाभ प्राप्ति की अच्छी संभावनाएं होंगी. प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती दिखाई देगी. धार्मिक कार्यों में शामिल हो सकते हैं. वरिष्ठ लोगों का दृष्टिकोण इस समय काम आएगा. संबंधों के लिए ये गोचर जीवन में अनुकूलता देने वाला हो सकता है.

साथी के साथ कोई गलतफहमी हो रही थी या वाद-विवाद की स्थिति बन रही थी तो इस दौरान वह चीजें समाप्त होंगी. रिश्तों में मजबूती का समय होगा. पिता या किसी बड़े व्यक्ति का पूरा सहयोग भी मिल सकता है. धर्म के प्रति सक्रियता बढ़ेगी, आर्थिक जीवन के मामले में भी अच्छा लाभ मिलने की संभावना है.

तुला राशि

तुला राशि के लिए शुक्र आठवें और लग्न भाव का स्वामी होता है और गोचर में यह आठवें भाव में होगा. इस समय आपकी पैतृक विरासत, विचारों, लड़ाई-झ्गड़ों, गुप्त विरोधियों, अचानक होने वाली चुनौतियों पर असर डालने वाला होगा. राशि से अष्टम भाव में होने से अचानक कुछ लाभ मिलने की संभावना होगी. धन लबह होगा लेकिन जोखिम वाला निवेश घाटा भी दे सकता है. स्वास्थ्य के मामले में आपको थोड़ा संभल कर रहने की जरूरत होगी. स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बनी रह सकती हैं.

इस समय कोई घटना घट सकती है और सकारात्मक या नकारात्मक दोनों तरह से प्रभावित कर सकती है. वाहन चलाते समय विशेष ध्यान रखने की जरुरत होगी. छोटी समस्या भी बड़ी परेशानी हो सकती है. लापरवाही से बचना होगा. स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरुरत होगी. आध्यात्मि दृष्टिकोण विकसित होगा. प्रेम संबंधों की बात करें तो स्थिति मिलीजुली सी रह सकती है. मांगलिक कार्यक्रम होने की संभावना अधिक रह सकती है. 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के लिए शुक्र सप्तम और द्वादश भाव का स्वामी होता है और इस समय गोचर में सप्तम भाव को प्रभाव देगा. ऎसे में विवाह, साझेदारी और दीर्घकालिक समझौतों पर इसका असर दिखाई दे सकता है. जीवनसाथी की सेहत का खास ख्याल रखने की आवश्यकता होगी क्योंकि सेहत में थोड़ी गिरावट का समय है. स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से खुद भी कुछ छोटी-मोटी परेशानियों से जूझना पड़ सकता है. खान-पान का ध्यान रखें और बाहर के भोजन से परहेज बेहतर होगा.

प्रेम जीवन में सफलता मिलेगी, कार्यक्षेत्र में बदलाव दिख सकता है. वरिष्ठ आपको पूरा सहयोग दे सकते हैं इसके बावजूद इस समय आपको अधिकांश निर्णयों के बारे में ठीक से सोचने की जरूत होगी. पारिवारिक जीवन में अशांति हो सकती है, संबंधों में कुछ वाद-विवाद होने की संभावना बनी रहेगी. जिन लोगों के अपने संबंध कमजोर थे वे संबंध सुधारने में कामयाब भी होंगे. विदेश यात्रा अथवा लम्बी दूरी की यात्राएं इस समय पर हो सकती हैं. इस गोचर के दौरान विवाह से जुड़ा रिश्ता भी कहीं पक्का होने की संभावना है. कार्यस्थल की स्थिति में पहले से थोड़ी मजबूती दिखाई दे सकती है. साझेदारी के काम में लाभ मिल सकता है. 

धनु राशि

धनु राशि के लिए शुक्र छठे और ग्यारहवें भाव का स्वामी होता है और इस समय गोचर में छ्ठे भाव को प्रभावित करने वाला होगा. यह समय आपकी प्रतिस्पर्धाओं, स्वास्थ्य, विरोधियों, खर्चों की स्थिति इत्यादि पर असर डालने वाला होगा. स्वास्थ्य और दिनचर्या पर आप कुछ बदलाव देख सकते हैं. जीवन में कुछ चुनौतियां दिखाई दे सकती है विशेष कर प्रेम संबंधों में थोड़ा स्थिति कमजोर रह सकती है इसलिए बहसबाजी तथा जल्दबाजी के निर्णयों से बचना चाहिए अन्यथा बात अधिक बढ़ सकती है.

इस दौरान आपके विरोधी भी कार्यस्थल पर अधिक सक्रिय रह सकते हैं. नुकसान पहुंचाने और हावी होने की कोशिश भी कर सकते हैं. ऎसे में अधिक सावधान रहने की जरुरत होगी. आर्थिक जीवन में कई कीमती चीजों पर पैसा खर्च कर सकते हैं. आर्थिक संकट के चलते बैंक या किसी अन्य संस्था से ऋण लेने का विचार कर सकते हैं. परिक्षाओं में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकते हैं. स्वास्थ्य पर इस गोचर का असर कफ की अधिकता, संक्रमण से जुड़े रोग दे सकता है. 

मकर राशि

मकर राशि के लिए शुक्र पंचम और दशम भाव का स्वामी बनता है और अब ये समय पंचम भाव में गोचर की स्थिति को दर्शाता है. इस समय पर प्रेम संबंधों, संतान, शिक्षा से जुड़े कामों पर इसका असर दिखाई देगा. छात्रों को अच्छे फल मिल सकते हैं. शुक्र का आपकी राशि से इस भाव में गोचर प्रेम जीवन में अनुकूलता को दर्शाने वाला होता है. मित्रों के साथ समय बिताने में भी आप आगे रह सकते हैं.

प्रेम का आनंद लेने में भी आपको सुख की प्राप्ति हो सकती है. विवाह से जुड़े मसलों में आप को आगे बढ़ने का समय मिल सकता है. जीवन साथी से सहयोग मिल सकता है, साथी आपको आकर्षित करने में आगे रह सकता है वह इच्छाओं को पूरा करने के लिए तैयार रह सकता है. 

कुंभ राशि

कुंभ राशि के लिए शुक्र नवम और चतुर्थ भाव का स्वामी होता है,  शुक्र का यह गोचर आपके चौथे भाव में होगा. इस समय पर परिवार, रिश्ते, संपत्ति, माता को चतुर्थ भाव अधिक प्रभावित होता है. इस समय पर गोचर कुछ खर्च को बढ़ा सकता है. इस समय बहुत से लोग नया घर और वाहन इत्यादि खरीद सकते हैं. घर की मरम्मत, सजावट पर खर्च इत्यादि रह सकता है.

घर से दूर जाना पड़ सकता है. स्वास्थ्य में कुछ गिरावट हो सकती है. स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता होगी. कार्यस्थल पर स्थिति बेहतर करने की जरुरत होगी. अपने प्रदर्शन में सफल हो सकते हैं.  कार्यस्थल पर आपको अपने सहयोगियों और अधिकारियों से प्रशंसा भी प्राप्त हो सकती है. 

मीन राशि

मीन राशि के लिए शुक्र आपके तीसरे और आठवें भाव का स्वामी है और इस समय गोचर में शुक्र तीसरे भाव में ही गोचर होगा. इस समय पर संचार कौशल, छोटे भाई-बहनों पर इस का अधिक प्रभावित होगा. इस समय मीडिया, कला और अभिनय से जुड़े लोगों को कार्यक्षेत्र में लाभ मिलने के योग दिखाई देंगे. अच्छी लाइफस्टाइल से लोगों को बहुत आसानी से प्रभावित कर उनके दिलों में अपने लिए एक खास जगह भी बना पाएंगे. इसके अलावा कार्यक्षेत्र में भी सफलता मिल सकती है.

अपनी मेहनत के बल पर अपनी आमदनी में वृद्धि करने में सक्षम होंगे. कई लोगों को इस समय किसी छोटी यात्रा पर जाना पड़ सकता है. यह गोचर आपको समाज में प्रसिद्धि दिलाने वाला हो सकता है. इस समय आपको अपने भाई-बहनों का पूरा सहयोग मिल सकता है. कुछ स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए अपनी सेहत का ख्याल रखने की जरूरत होगी. 

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शनि महाराज – मित्र या शत्रु

शनि देव अपने स्वरुप एवं अपने प्रभाव के कारण सभी के मध्य एक अत्यंत रहस्यमय एवं कठोर देव के रुप में स्थापित हैं शनि देव को सनातन धर्म में एवं ज्योतिष शास्त्र दोनों ही स्थानों पर काफी महत्व प्रदान किया गया है. वैदिक संस्कृति में शनि को नौ ग्रहों में से एक ग्रह के रुप में स्थान प्राप्त है. यदि खगोलीय स्थिति को देखें तो शनि का वैज्ञानिक स्वरुप भी काफी आकर्षक रहा रहा है. शनि को नव ग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह बताया गया है जिसके कारण इन्हें शनै:शनै: भी कहते हैं अर्थात धीमी गति से चलने वाले शनि देव. 

शनि ग्रह का रंग काला, नीला बताया गया है. कर्म, न्याय और दण्ड प्रदान करने वाले देव हैं. शनि को सकारात्मक रुप से दीर्घायु, अनुशासन, जिम्मेदारी, नेतृत्व, अधिकार, विनम्रता, आध्यात्मिक, तपस्या तथा कर्तव्यनिष्ठा से जोड़ा जाता है तथा नकारात्मक रुप से दुःख, वृद्धावस्था, लम्बी व्याधि, चिंता, कष्ट जैसी स्थितियों का कारक माना गया है. विभिन्न ग्रंथों तथा आचार्यों जैसे कि आर्यभट्ट, वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त इत्यादि आ़चार्यों ने शनि का एक स्वरुप ही वर्णन किया है 

देवता या मनुष्य शनि किसी से नहीं करते भेदभाव 

किसी भी ग्रह में से सबसे अधिक प्रश्न सूचक शब्द शनि के साथ इसी रुप में दिखाई देता है की शनि मित्र हैं या फिर शत्रु क्योंकि शनि के प्रभाव से कोई भी अछूता नहीं रहा है. शनि देव का प्रभाव एवं उनकी कथाओं का वर्णन विस्तार रुप से पुराणों में मिलता है. शनि देव के लिए समस्त देवी देवता, यक्ष, नाग, किन्नर तथा अन्य समस्त प्राणी समान ही हैं क्योंकि शनि देव ने सभी को समान रुप से प्रभावित किया है. शनि के कष्ट से कोई अछूता नहीं रहा है, भगवान शिव हों या श्री विष्णु भगवान या उनके अवतार स्वरुप श्री राम सभी ने शनि के प्रकोप को सहन किया है. शनि देव की स्थिति ही कुछ इस प्रकार रही है जिसके कारण वह कभी शत्रुवत तो कभी मित्रवत प्रतीत होते हैं. 

शनि का एक प्रमुख गुण जो सर्वमान्य है वह कर्मों के अनुरुप फल प्रदान करना रहा है, जिसके चलते सभी को शनि का प्रकोप झेलना पड़ा है. यहां स्वयं शनि देव के पिता सूर्य देव को भी अपने पुत्र के शनि के कारण अंधकार से ग्रसित होना पड़ा था अत: जिसके परिणाम स्वरुप सूर्य एवं शनि के मध्य एक प्रकार की दूरी, अलगाव शत्रुता का भाव भी दृष्टिगोचर होता है. 

पौराणिक आख्यान शनि वर्णन 

ॐ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम् ||

जो नीले पर्व की तरह देदीप्यमान हैं, सूर्य के पुत्र हैं, यम के बड़े भाई हैं. छाया और सूर्य से जन्मे हैं, उन धीमी गति से चलने वाले शनि देव को मेरा नमस्कार है. 

शनि देव से संबंधित कई श्लोक मौजूद हैं जो उनके स्वरुप एवं उनके संबंधों के विषय में बताते हैं. शनि देव को सूर्य एवं छाया के पुत्र कहा गया है. इनके अन्य भाई बहनों में मनु, यमराज, यमुना एवं भद्रा हैं. 

शनि साढ़ेसाती और शनि ढैय्या विचार क्यों देता है अधिक भय

ज्योतिष शास्त्र में शनि देव की सबसे चिंताजनक एवं गंभीर स्थिति शनि साढ़ेसाती तथा शनि ढैय्या के समय से जुड़ी मानी जाती है. शनि का असल प्रभाव इसी समय पर व्यक्ति पर गहराई से दिखाई देता है. 

बारह राशियों में शनि की साढे़साती और ढैय्या का प्रभाव कब और कैसे पड़ता है इस बात को समझना आवश्यक होता है. सौरमंण्डल में मौजूद नव ग्रहों के मध्य शनि ग्रह, पृथ्वी से सबसे अधिक दूरी पर मौजूद होते हुए संचरण करते हैं. शनि एक राशि में ढ़ाई वर्ष के काल तक गोचरस्थ होते हैं. शनि की गति में वक्री और मार्गी स्थिति के प्रभाव होने के कारण यह ढ़ाई वर्ष का समय कम और ज्यादा हो सकता है. किंतु खगोलीय गणना अनुसार शनि संपूर्ण राशि चक्र का भ्रमण 29 वर्ष 5 माह 17 दिन ओर 5 घंटों में पूरा करते हैं. 

द्वादशे जन्मगे राशौ द्वितीयै च शनैश्चर: ।

सार्धानि सप्तवर्षाणि तदा दुखै: युतो भवेत्।।

गोचर में जब शनि किसी राशि में प्रवेश करते हैं तब उस राशि से 12वीं राशि को आने वाले ढ़ाई वर्ष के लिए परेशानी तथा कष्ट की स्थिति झेलनी पड़ती है. अर्थात पहली जिस राशि में शनि ने प्रवेश किया हो उसे पांच वर्ष तक और अपनी से दूसरी राशि को लगभग साढ़ेसात वर्ष तक संघर्षशील परिस्थितियों का सामना करना होगा. शनि के जन्म चंद्र राशि से पहली राशि में उपस्थिति होने से लेकर उसके बारहवीं राशि पर होने की क्रिया साढ़ेसाती होती है. 

शनि ढैय्या 

गोचर में जब शनि चंद्र राशि से चतुर्थ अथवा अष्टम स्थान पर गोचर करता है तो शनि ढैय्या का समय आरंभ होता है. यह समय ढ़ाई वर्ष का होता है. शनि देव को ग्रंथों में संकट, दुर्भाग्य, लम्बी व्याधियों, चिंताओं, कठोर परिश्रम, सेवा भाव से संबंधित माना गया है. शनि देव का प्रभाव जीवन में कई तरह से कष्ट एवं समस्याओं की स्थिति भी देखाई देती है. 

“ढैय्या प्रददाति वै रविसुतो: राशे चतुर्थाष्टमे।

व्याधिं बन्धु विरोधं विदेशगमनं, कलेशं च चिंताधिकम्।।”

इस प्रकार यह समय चिंता, परेशानी, मानसिक तनाव, रोग, हानि, कष्ट इत्यादि प्रकार से असर डालने वाला होता है. इसी के साथ यह भी समझने की आवश्यकता है की यह समय यदि हम अपनी जिम्मेदारियों को उचित रुप से निर्वाह करने में सक्षम होते हैं तो इसके सकारात्मक असर भी हमे मिलते हैं.

शनि देव हम सभी को हमारे कर्म अनुसार ही फल प्रदान करते हैं और इस तथ्य को भागवत में भी दर्शाया गया है की अपने कर्मों का फल हमें अवश्य भोगना पड़ता है. कर्मों के बंधन से सृष्टि में कोई मुक्त नहीं हो सकता है. अत: शनि देव मित्र ही हैं वह हमें चाहे कठिन समय दिखाते हैं किंतु यही हमारे धैर्य एवं साहस की परिक्षा होती है.

शनि देव की दशा महा दशा एवं इनका साढ़ेसाती असर जीवन में कायाकल्प को दिखाता है. शनि जब भी व्यक्ति को प्रभावित करते हैं तब जीवन को जीना विशेष मुश्किल सा दिखाई देता है. चुनौतियों से अधिक प्रभावित होना पड़ सकता है. असफलताएं, विफलता, लगातार किए जाने वाले प्रयास, तंत्रिका तंत्र से जुड़े रोग भी इस समय पर उभर सकते हैं. किंतु समझने की आवश्यकता है की ये समय परिश्रम और कमर्ठता का समय होता है. शनि देव संघर्ष वाली स्थितियों को उत्पन्न करते हुए व्यक्ति को जीने का मार्ग सिखाने वाले सच्चे मार्गदर्शक होते हैं. 

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विवाह के लिए 10 विशेष ज्योतिषीय कारक । Top 10 Astrological factors for marriage

विवाह एक ऎसी परंपरा है जो हर दृष्टिकोण से अत्यंत ही आवश्यक एवं प्रभावशाली स्थिति है जिसके द्वारा परिवार, समाज एवं राष्ट के निर्माण की नींव रखी जा सकती है. विश्वभर में विवाह एक ऎसा संबंध है जिसे सभी धर्म एवं पंथों ने स्वीकार किया और इसकी महत्ता को समझा है. विवाह के विचार पर भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत ही उत्कृष्ट पहलू सभी के समक्ष उपस्थित है और ज्योतिष शास्त्र चाहे वे भारतीय ज्योतिष हो या फिर पाश्चात्य ज्योतिष सभी में विवाह होने की स्थिति पर कुछ महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख मिलता है जिसमें कई मायनों में समानताएं मौजूद हैं. इनके आधार पर हम समझ सकते हैं की एक विवाह होने हेतु कौन-कौन से ज्योतिषीय कारक इस पर गहरा असर डालने में सक्षम होते हैं. 

ब्रह्मो दैवस्तथैवार्ष: प्रजापत्यस्थासुर: ।

गान्धर्वो राक्षश्चैव पैशाचश्चाष्टमोSधम:।।

“विवाह के विषय में आठ प्रकार के विवाह का उल्लेख हमें धर्म ग्रंथों में प्राप्त होता है. नारद पुराण एवं मनु समृति में ब्रह्म विवाह, दैव विवाह, आर्य विवाह, प्राजापत्य विवाह, असुर विवाह, गन्धर्व विवाह, राक्षस विवाह एवं पिशाच विवाह के बारे में कुछ संदर्भ प्राप्त होते हैं. इन सभी में ब्रह्म विवाह को श्रेष्ठ माना गया है.”

आपके जीवन में विवाह कब होगा, विवाह सुखद होगा, विवाह की स्थिति कैसी होगी इत्यादि बातों की सूक्ष्मता का वर्णन ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही सटिकता पूर्ण किया गया है. पराशर होरा शास्त्र, फलदीपिका, सर्वार्थ चिंतामणि इत्यादि ग्रंथों में विवाह से संबंधित कई विचार मौजूद हैं. किसी भी व्यक्ति के विवाह के लिए कौन सी ज्योतिषीय स्थितियां कार्य करती हैं एवं विवाह होगा या नहीं इन बातों को शास्त्रों द्वारा सहजता पूर्ण तर्क रुप से समझा जा सकता है. 

विवाह से जुड़े मुख्य ज्योतिषिय सूत्र 

विवाह संबंधित भाव 

विवाह के लिए जन्म कुंडली में मौजूद ग्रह नक्षत्र एवं भाव फल की स्थिति को देखा जाता है. किसी भी व्यक्ति की कुण्डली में सप्तम भाव मुख्य रुप से विवाह के लिए देखा जाता है. इसी के साथ लग्न भाव, द्वितीय भाव, पंचम भाव, नवम भाव, अष्टम भाव, एकादश भाव और अष्ट भाव को भी विवाह के लिए देखा जाता है. कुंडली के इन भावों द्वारा विवाह होने की स्थिति, विवाह के सुख-दुख एवं विवाह होने की संभावनाओं को प्रमाणिकता द्वारा जाना जा सकता है. 

विवाह हेतु मुख्य कारक ग्रह 

विवाह के लिए दूसरा मुख्य कारक ग्रह स्थिति बनती है. जन्म कुंडली में विवाह सुख के लिए मुख्य रुप से बृहस्पति, शुक्र और मंगल को विशेष रुप से देखा जाता है. यह ग्रह विवाह एवं विवाह उपरांत इत्यादि की स्थिति के विषय में स्पष्ट रुप से संकेत देने में सक्षम होते हैं. 

विवाह से संबंधित भाव स्वामी 

विवाह के लिए जन्म कुंडली में मौजूद विवाह भावों के साथ ही उनके स्वामियों की स्थिति को भी देखा जाता है जिसके आधार पर विवाह होने की पुष्टि होती है तथा विवाह का सुख किस प्रकार का होगा यह पता लगाया जा सकता है. इस में मुख्य रुप से सातवें भाव के स्वामी ग्रह, लग्न भाव के स्वामी ग्रह, दूसरे भाव के स्वामी ग्रह, पांचवें भाव के स्वामी ग्रह, नौवें भाव के स्वामी ग्रह तथा ग्यारहवें भाव के स्वामी ग्रह को देखना होता है. जन्म कुंडली में इनकी शुभ स्थिति शुभ विवाह के लिए उत्तरदायी होती है. 

विवाह हेतु भाव कारक ग्रह 

जन्म कुंडली में विवाह के लिए विवाह कारक ग्रह की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है. कुंडली में सप्तम भाव का कारक ग्रह शुक्र मुख्य रुप से विवाह का कारक ग्रह बनता है. सप्तम भाव के कारक ग्रह शुक्र की कुंडली में अवस्था को जांच करके ही विवाह होने की संभावनाओं को अभिव्यक्त किया जा सकता है. 

ग्रह दृष्टि  

विवाह के लिए कुंडली में ग्रहों की दृ्ष्टि एवं अवस्थाओं को समझना आवश्यक होता है. सप्तम भाव या सप्तम भाव के स्वामी पर शुभ या पाप ग्रह की दृष्टि होना अथवा कारक ग्रह पर भी शुभ एवं अकारक ग्रह की दृष्टि को देखना- समझाना आवश्यक होता है जो विवाह के लिए मुख्य कारक बनता है. 

ग्रह युति 

विवाह हेतु विवाह भाव, भाव के स्वामी तथा भाव के कारक के साथ अन्य ग्रहों का युति संबंध किस प्रकार हो रहा है. इस तथ्य को देखना भी विवाह के लिए आवश्यक होता है. शुभ युति उत्तम विवाह को दर्शाती है तथा अशुभ युति विवाह सुख को बाधित करती है.

विवाह योग 

जन्म कुंडली में बनने वाले विवाह योग भी इसमें विशेष स्थान रखते हैं. व्यक्ति का विवाह होगा या नहीं होगा, विवाह जल्दी होगा या देर से होगा इत्यादि बातें विवाह योग द्वारा देखी जाती हैं. जन्म कुंडली में यदि लग्न भाव और भावेश, सप्तम भाव-भावेश, पंचम भाव-भावेश, नवम भाव भावेश की शुभ स्थिति, मांगलिक योग इत्यादि विवाह योग का निर्माण करती है जिसके द्वारा विवाह उचित आयु में एवं शुभ प्रकार से संपन्न होता है. 

विवाह हेतु वर्ग कुंडलियां 

विवाह के लिए लग्न कुंडली के साथ साथ अन्य वर्ग कुंडलियों का अध्ययन भी किया जाता है और यह वर्ग कुंडलियां विवाह होने की शुभ स्थिति को बताती हैं. विवाह के लिए नवांश कुंडली, द्रेष्काण्ड कुण्डली, द्वादशांश कुंडली इत्यादि का अध्ययन विवाह होने की पुष्टि तथा सुखी विवाह जीवन के लिए अपनी सहमति देने में मुख्य कारक बनते हैं.  

विवाह दशा 

विवाह होने की स्थिति किसी व्यक्ति के जीवन में तभी बनती है जब उस व्यक्ति की कुंडली में विवाह की दशा भी चल रही होती है. अगर कुंडली में विवाह की दशा नहीं चल रही है. तो चाहे विवाह भाव का गोचर बना हुआ हो लेकिन विवाह तब तक संपन्न नहीं होता है जब तक विवाह भाव की दशा अंतरदशा का योग प्राप्त न हो रहा हो, इसलिए विवाह हेने के लिए विवाह की दशा का होना भी अत्यंत महत्वपूर्ण कारक होता है. 

विवाह गोचर 

अब बात आती है विवाह के गोचर की, ग्रहों की गोचर की स्थिति सदैव बदलाव से प्रभावित होती है. ऎसे में जब विवाह दशा आरंभ हो और विवाह भाव पर ग्रहों का गोचर भी लग रहा हो, तो ऎसे में विवाह होना निशिचित होता है. विवाह होने की पूर्णता: इस गोचर द्वारा ही संपूर्ण होती है. किसी व्यक्ति का विवाह कब होगा इन बातों पर कई सारे अन्य कारक भी निश्चित रुप से अपना काम करते हैं  किंतु एक महत्वपूर्ण एवं सरसरी निगाह स्वरुप विवाह के लिए भाव, योग, दशा, गोचर इन सभी का निसंदेह अग्रीण स्थान होता है.   

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सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र गोचर फल

सूर्य ने 22 जून को गोचर करते हुए आर्द्रा नक्षत्र में जाएंगे. आर्द्रा नक्षत्र मिथुन राशि में 06.20 से 20.00 डिग्री पर स्थित होता है, पश्चिमी ज्योतिष में इसे ओरियन के नक्षत्र में बेटेलगेस के नक्षत्र और डॉग स्टार सीरियस से भी जोड़ा जाता है. 

सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश 22  जून 2022 को 11:42 पर होगा. इस समय पर शक आषाढ़ माह भी आरंभ होगा. सूर्य का आर्द्रा में जाना मौसम में नमी के आरंभ का समय होता है. आर्द्रा नक्षत्र जिसका अर्थ होता है “नम” यानी के नमी से युक्त यह नक्षत्र सूर्य के साथ जुड़ते ही भौगौलिक परिवर्तनों का समय होता है तथा विशेष बदलावों को दर्शाता है. 

आर्द्रा के स्वामी राहु पर शनि की दृष्टि 

आर्द्रा मानसिक ऊर्जा को केन्द्रित न होने दे, भ्रम पैदा कर सकता है ऎसे में चुनौतियों से निपटने के लिए साहस की तलाश करना आवश्यक हो जाता है. आर्द्रा के स्वामी राहु पर गोचर अनुसार शनि की दृष्टि पड़ रही है और इसलिए इस गोचर का प्रभाव अधिक प्रबल हो सकता है क्योंकि राहु अधिक चिंतित और अस्थिर होता है. आर्द्रा में सूर्य से सबसे अधिक प्रभावित होता है. 

जब सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में आता है, तो जीवन में अनेक आंतरिक एवं बाहरी उथल-पुथल , परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं क्योंकि आर्द्रा उथल-पुथल और अराजक घटनाओं को दर्शाता है,इस समय पर करियर में कई उतार-चढ़ाव और बदलाव आ सकते हैं. पिता और सत्ता के साथ संबंधों में कुछ तनाव की स्थिति उभर सकती है. विचारों का मतभेद दिखाइ देता है. ऐसे लोगों से मिल सकते हैं जो चोट पहुँचाने में आगे रह सकते हैं. वहीं यह एक ऐसा नक्षत्र है जो चिकित्सा के साथ भी करीब से जुड़ा हुआ है. इसलिए चिकित्सा के क्षेत्र एवं अस्पताल से जुड.ए क्षेत्र में दबाव अधिक रह सकता है. 

आपात स्थिति में लोगों की सेवा का भाव भी दिखाई देगा. राहु के प्रभाव के चलते दवाएं, ड्रग्स, विषाणु का प्रभाव अधिक होगा. चिकित्सा या नए जमाने के वैज्ञानिक और तकनीकी उपकरणों के साथ काम करने का समय होगा. पौराणिक कथा के कारण वे धनुर्विद्या जैसे क्षेत्र में भी शामिल है. मिथुन राशि के प्रभाव के कारण, यात्रा आर संचार से संबंधित व्यवसाय में भी तेजी का समय होगा. संचार के ऑनलाइन तरीकों में तेजी आएगी. 

सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र गोचर में विभिन्न ग्रहों से योग 

सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में आते ही सूर्य इस नक्षत्र के प्रत्येक पद पर जाता है उसका उस नक्षत्र के चरण स्वामी के साथ भी संबंध बनता है. ग्रहों का प्रभाव ओर वेध भी इस गोचर में विशेष रुप से असर डालने वाला होता है. 

आर्द्रा पहले चरण में सूर्य-सूर्य, 

आर्द्रा दूसरे चरण में सूर्य -बुध, 

आर्द्रा तीसरे चरण में सूर्य-शुक्र

आर्द्रा चतुर्थ चरण में सूर्य -मंगल

आर्द्रा नक्षत्र प्रत्येक पद पर सूर्य का असर 

आर्द्रा नक्षत्र के (1) पहले पद में सूर्य का गोचर 

आर्द्रा नक्षत्र का पहला पद बृहस्पति द्वारा शासित धनु नवांश में पड़ता है. इस चरण के दौरान जिज्ञासा और खोज करने की इच्छा होती है. इस पाद में ग्रह शिथिल होते हैं लेकिन भौतिक अतिरेक का कारण बन सकते हैं. यह तूफान से पहले की शांति दिखाई देने जैसा होता है. इस समय सूर्य का गोचर काफी चीजों में बदलाव को दिखाता है. आने वाले समय के दोरान काफी नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.  

आर्द्रा नक्षत्र के (2) दूसरे पद में सूर्य का गोचर 

इस नक्षत्र की दूसरी तिमाही शनि द्वारा शासित मकर नवांश में आती है. यह सभी प्रकार की भौतिक महत्वाकांक्षाओं और कुंठाओं का प्रतीक है. इस नक्षत्र के नकारात्मक गुण आमतौर पर धीरे धीरे ही सामने आते हैं. यहां तूफ़ान तेज़ होता जाता है इसलिए समय कष्ट चिंता और समस्याएं दर्शाने वाला होता है. इस समय पर सुर्य क अगोचर अचानक से स्थिति में विकटता को बढ़ा सकता है. चीजें नियंत्रण से बाहर लग सकती हैं.  

आर्द्रा नक्षत्र के (3) तीसरे पद पर सूर्य का गोचर 

आर्द्रा नक्षत्र का तीसरा पद शनि द्वारा शासित कुंभ नवांश में पड़ता है. यह एक वैज्ञानिक प्रकृति का प्रतीक है. तूफान अपने चरम पर है और इस प्रकार अचानक प्रेरणा और तीव्र मानसिक गतिविधि प्रदान करता है. सूर्य का इस समय गोचर परिश्रम की ओर आगे बढ़ने के समय को दर्शाता है. इस स्मय के दोरान छोटी छोटी चीजों पर ध्यान केन्द्रित करना आवश्यक होता है. 

आर्द्रा नक्षत्र के (4) चौथे पद पर सूर्य का गोचर 

आर्द्रा नक्षत्र का चौथा पाद मीन नवांश में पड़ता है और बृहस्पति द्वारा शासित होता है. यह संवेदनशीलता और करुणा का प्रतीक है. कमजोर लोगों की मदद करने की प्रबल इच्छा होगी. इस समय पर सूर्य का गोचर धीमे धीमे शांति और स्थिरता को लाता है. तूफान के पश्चात निर्मल स्थिति का आगमन होता है. निर्मल शांति से वातावरण व्याप्त है, और इस चरण के दौरान परिणाम असामान्य रूप से सकारात्मक देखने को मिलते हैं.

आर्द्रा नक्षत्र गोचर अन्य विशेषता 

आर्द्रा राशि चक्र में अधिक कठिन नक्षत्रों में से एक है जो संघर्ष कठिन स्थितियों, तूफानों के बाद होने वाली स्पष्टता और भावनात्मक स्पष्टता को दर्शाता है. आर्द्रा में सूर्य की स्थिति कई स्थानों में अचानक होने वाले बदलावों को दिखाती है. करियर हो या जीवन का उद्देश्य वह हर पहलूओं के आसपास अशांति पैदा करने वाली होती है. ऎसे में यह स्वयं का फिर से मूल्यांकन करने का समय होता है कि आप अपने करियर के साथ क्या करना चाहते हैं, अपने जीवन में उद्देश्य को क्से पूरा कर पाते हैं. 

आर्द्रा के लिए प्राथमिक प्रतीक एक मनुष्य का सिर है, जो सोच का नवीनता का प्रतिनिधित्व करता है, और एक आंसू है, जो आने वाले दुख का प्रतिनिधित्व करता है. यह एक उदीयमान नक्षत्र है और शानदार मानसिक क्षमताओं को दर्शाता . रुद्र इसके स्वामी हैं इसलिए चुनौतोयों भीष्ण तूफानों की स्थिति भी इस समय पर अधिक देखने को मिलती है. 

अगर हम अतीत में फंस जाते हैं तो आर्द्रा अचानक से भावनात्मक उथल पुथल देता है. इसका उद्देश्य कठोरता से बाहर निकालना और बेहतर भविष्य बनाने के लिए जीवन को बदलना भी होता है. इसमें यूरेनस का गुण भी होता है. तूफान की स्थिति गंदगी को साफ करके  उज्जवल और चमकदार छाप छोड़ती है लेकिन इसके साथ कुछ मिट जाने का दुख भी होता है. यह देखने का नजरिया हो सकता है कि इसे सकारात्मक उद्देश्य से जोड़े या फिर इसे नकारात्मक रुप से. इस नक्षत्र को माया या भ्रम के किसी भी स्तर को नष्ट करने वाला भी माना जाता है. 

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कुंभ राशि में वक्री शनि का गोचर, होंगे खास बदलाव

कुंभ राशि में वक्री शनि का सभी राशियों पर होगा असर 

जून माह को शनि कुंभ राशि में गोचर करते हुए वक्री होंगे. शनि कर्म प्रधान ग्रह है, इनकी दशा और इनका प्रभाव व्यक्ति को कर्म करने की ओर अत्यधिक उन्मुख बना सकता है. 17 जून, 2023, को 22:52 बजे वक्री होते हुए शनि की गति में कुछ समय के लिए स्तंभित स्थिति भी होगी क्योंकि ग्रह की चाल बदलते समय कुछ समय के लिए ग्रह स्थिर होता है उसके पश्चात ग्रह आगे बढ़ता है. इसी प्रकार शनि ग्रह जब सामान्य अवस्था एवं गति से वक्री होने वाले होते हैं तब वह कुछ समय के लिए अपनी गति पर रुके हुए प्रतीत होते हैं. इनकी इस अवस्था को स्तंभित अवस्था कहा जाएगा. कुछ आचार्यों के अनुसर इसे भीत अवस्था भी माना जाता है. इसलिए शनि का इस अवस्था में होना चाल में वक्रता का आगमन जीवन को काफी पहलुओं से प्रभावित करने वाला होगा. आईये जानें कैसा रहेगा शनि का इस वर्ष वक्रत्व को अपनाना. 

कुंभ राशि में शनि का वक्री असर 

कुंभ राशि शनि के स्वामित्व वाली राशि है और यह राशि चक्र की ग्यारहवीं राशि है जो लाभ स्थान को भी दर्शाती है. शनि अपनी ही राशि में वक्री होने जा रहा हैं और शनि की मूल त्रिकोण राशि भी यही है ऎसे में इस राशि में शनि का असर काफी अलग होगा शुरुआती समय में जहां शनि यहीं होंगे उल्टी चाल चलते हुए राशि परिवर्तन भी शनि करेंगे तो इस स्थिति में यह समय संभल कर फैसले लेने वाला होगा. 

जब कोई ग्रह अपनी राशि में गोचर कर रहा होता है तो संतोषजनक होता है लेकिन वक्री होते ही उसका असंतोष व्याप्त होने लगता है. ऎसे में कुंभ में शनि का वक्री होकर गोचर करना भी बहुत शुभता को नहीं दिखाता है.  शनि वक्री होने पर करियर, विवाह, संबंधों, संतान, कर्म क्षेत्र इत्यादि में रुकावटें आ सकती हैं और आलस्य का भाव भी आ सकता है. प्रयासों में लगातर की जाने वाली कोशिशें शामिल होती दिखाई देंगे. 

वक्री शनि का सामान्य प्रभाव

कार्यक्षेत्र में बदलाव, व्यवसाय में बदलाव के साथ नई नीतियों का अनुसरण करने का समय होगा.

इस समय के दोरान प्राकृत्तिक स्थिति बदलेगी. खाद्य उत्पादन से जुड़े कार्यों में बढ़ोत्तरी की संभावना दिखाई देगी. 

धनार्जन के कार्यों में परिश्रम अधिक रहेगा लेकिन कुछ अचानक से होने वाले लाभ वृद्धि और धन का संचय करवाने में भी सहायक हो सकते हैं. 

नई चीजों की खोजु एवं शोध के कामों से जुड़े लोगों को अच्छे मौके मिल सकते हैं. 

खदानों एवं धातुओं के काम में लाभ प्राप्ति होगी. 

पारंपरिक मामलों में अधिक रुचि विकसित होना संभव हो सकता है.

संबंधों में अनबन दिखाई देगी, रिश्तों में दूरी एक बार पुन: सामने आ सकती है. 

राष्ट्रिय एवं अंतराष्ट्रिय मुद्दे गंभीर हो सकते हैं. इस समय जनता के मध्य असंतोष की स्थिति अधिक जटिल हो सकती है.   

वक्री शनि का प्रभाव पाया बदलाव भी करेगा ऎसे में राशियों पर इसका असर कई मायनों में बदलाव को दिखाएगा. 

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सूर्य का मिथुन राशि गोचर 15 जून से 16 जुलाई

सूर्य का गोचर मिथुन राशि में अनुकूल स्थिति का माना गया है. मिथुन राशि बुध के स्वामित्व की राशि है ऎसे में सुर्य के लिए ये स्थान मित्रवत स्थिति को दर्शाता है. बुद्धज्ञान एवं कुशलता में निखार देखने को मिलता है. कला से संबंधित मामलों में अच्छे प्रदर्शन करने की क्षमता विकसित होती है तथा मान सम्मान प्राप्ति के योग भी निर्मित होते हैं. गोचर के प्रभाव स्वरुप मौसम में भी बदलाव की स्थिति दिखाई देती है. इस समय के दौरान प्राकृतिक रुप से स्थिति में काफी बदलाव होते हैं. 

सूर्य का मिथुन राशि गोचर 15 जून से 2025 में शुरु होगा,

सूर्य का मिथुन राशि में गोचर नए लोगों से मिलने, नए विचारों को बांटने, नई चीजें सीखने का समय हो सकता है. वैदिक ज्योतिष में सूर्य को आत्मा और बुध को बुद्धि  कहा गया है. ऎसे में इन का साथ आत्मा की बौद्धिकता का उत्तम स्तर भी दिखाई देता है. राशियों के लिए ये समय विशेष होता है. सुर्य और बुध में मित्रता का भाव देखने को  मिलता है.

सूर्य के मिथुन राशि में गोचर के दौरान मौसम में बदलाव दिखाई देने लगता है  शुरू हो जाता है. इस दौरान अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है क्योंकि संक्रमण तेजी से फैल सकता है. दुनिया की अर्थव्यवस्था में भी उतार-चढ़ाव होता है. कुछ स्थानों पर संचार बाधित हो जाता है, मिथुन राशि में सूर्य नेटवर्किंग बनाने, अपने लेखन, मीडिया या संचार को शुरू करने, छोटी यात्राओं पर जाने और नए स्थानों और रुचियों की खोज करने का एक अच्छा समय बनता है.

सूर्य के मिथुन राशि में गोचर का सभी राशि पर प्रभाव 

मेष राशि

मेष राशि के लिए सूर्य पराक्रम एवं भाई-बहनों के तीसरे भाव में गोचरस्थ होगा. इस समय पर छोटी दूरी की यात्रा और संचार के काम अच्छे रह सकते हैं. सूर्य का मिथुन राशि में गोचर संतान को लेकर थोड़ा चिंता दे सकता है. निजी जीवन में आपका समय खुशनुमा और मजेदार बीतेगा. व्यापार और मार्कटिंग से जुड़े काम बेहतर मुनाफा दिला सकते हैं. यात्रा उत्साहजनक रहने वाली होगी. छात्रों को शिक्षा को लेकर अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे.

इस अवधि के दौरान रचनात्मक पक्ष का जागेगा, बिक्री, विपणन, मीडिया या पत्रकारिता से संबंधित व्यवसायों में लाभ का समय होगा. कुछ मस्ती ओर साहसिक कार्य भी कर सकते हैं. भाई बंधुओं के साथ मिलाजुला असर आप को प्रभावित करने वाला होगा. संचार एवं नेतृत्व क्षमता अच्छी होगी, जो लोग खेल इत्यादि के क्षेत्र में हैं उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा. 

वृषभ राशि 

सूर्य चतुर्थ भाव का स्वामी होने के कारण धन, परिवार और संचार के दूसरे भाव में गोचरस्थ होंगे. सूर्य का गोचर आपके कुटुम्ब और परिवार में मुख्य रुप से असर डालने वाला होगा. घर पर कुछ बदलाव कर सकते हैं. निर्माण के काम में कुछ पैसा खर्च हो सकता है. संपत्तियों या अचल संपत्तियों में निवेश करने में भी सोच विचार कर सकते हैं. धन आपको प्राप्त हो सकता इसके अलावा परिवार में किसी के सहयोग से धन लाभ मिल सकता है. अपने परिवार और प्रियजनों के साथ समय बिताने की ओर अधिक झुकाव रह सकता है. 

वाणी में अधिकार और सख्त लहजा देखने को मिल सकता है इसलिए अपनी बोलचल में मिठास को शामिल करें ओर बहुत अधिक दबाव बनाने से बचना चाहिए. आपको दूसरों के साथ व्यवहार करते समय बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए अपनी व्यवहार कुशलता को नियंत्रण रखने की आवश्यकता होगी. कार्यक्षेत्र में आप नेतृत्व कर सकते हैं. अधिकारियों से सहयोग मिल सकता है, व्यापार से जुड़े लोगों को सौदों और बातचीत से लाभ मिलेगा. सेहत के लिहाज से चेहरे, आंखों से जुड़ी समस्याओं को लेकर सावधान रहने की जरूरत है. संक्रमण से बचने के लिए खान-पान में ध्यान रखें.

मिथुन राशि

मिथुन राशि के लिए सूर्य तीसरे भाव का स्वामी होते हैं और इस समय मिथुन राशि में ही गोचरस्थ होंगे. लग्नस्थ स्थान पर सूर्य का गोचर आपके व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाला होगा. आप खुद के पहनावे, सोच विचार तथा व्यवहारकुशलता को बेहतर कर पाने में सफल भी होंगे. इस गोचर के दौरान, अपनी संभावनाओं को आगे बढ़ाने के लिए नए कदम उठाने के इच्छुक होंगे. छात्रों के लिए बेहतर समय होगा. अपने शोद्ध कार्यों को बेहतर तरीके से कर पाने में सक्षम हो सकते हैं. आप अपने मित्रों के साथ अच्छा समय व्यतीत कर पाएंगे.

कुछ यात्राएं पर अभी होंगी. अचानक से धन खर्च की स्थिति एवं यात्रा पर भी अधिक पैसा खर्च कर सकते हैं. जहां तक ​​करियर का सवाल है, काम और जिम्मेदारियों का बोझ अधिक हो सकता है. व्यापार पर चीजें आपके लिए संतोषजनक रह सकती हैं. जीवन साथी के साथ आपके वैचारिक मतभेद हो सकते हैं. प्रेम संबंधों में विश्वास को बल प्राप्त होगा. जीवन शक्ति का आनंद लेंगे इसलिए अपने शरीर की उचित देखभाल कर पाने में भी सक्षम होंगे. इस समय मनमर्जी को लेकर सजग रहने की जरुरत होगी. अहंकार को नियंत्रण में रखने की सलाह दी जाती है, अन्यथा, संबंधों में उतार-चढ़ाव पैदा होने में देर नहीं लगेगी. 

कर्क राशि 

कर्क राशि के लिए सूर्य द्वितीय भाव का स्वामी सूर्य होकर इस समय पर बारहवें भाव में गोचर करने वाले हैं. यह भाव व्यय, मोक्ष और हानि का भाव है ऎसे में स्थिति परेशानी और चिंता को दे सकती है. कर्क राशि के लिए ये समय सेहत के साथ साथ अपने कार्यों में संभल कर आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी. सेहत के लिहाज से सिरदर्द, बुखार, स्वास्थ्य और आंखों की समस्याओं से संबंधित कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.आपको विदेशी लाभ भी इस समय पर मिल सकता है. बहुराष्ट्रिय कंपनियों में कार्यरत लोगों के लिए समय बेहतर हो सकता है. इस समय नए लोगों के साथ मेल जोल भी होगा.

लम्बी यात्राएं भी कर सकते हैं.कुछ बड़ा निवेश करना अभी अधिक अनुकूल न रह पाए इसलिए अधिक इनवेस्टमेंट करने से बचने की सलाह दी जाती है. निवेश करने से पहले उचित प्रकार से चीजों की जांच कर लेना अधिक बेहतर होगा. दूसरों पर अधिक भरोसा न करना ही उचित होगा. कुछ चीजें आपको निराश कर सकती हैं. किसी भी गलतफहमी से बचने के लिए आपको अपने जीवनसाथी के साथ उचित संवाद बनाए रखने की आवश्यकता है. अपने खाने की आदतों पर नियंत्रण रखें और एक उचित आहार बनाए रखें स्वास्थ्य जांच के लिए जाना बुद्धिमानी होगी. मध्यम आयु वर्ग और उससे अधिक उम्र के पुराने स्वास्थ्य मुद्दों से परेशान हैं और उन्हें विविधताओं के बारे में जागरूक होने के लिए नियमित जांच की आवश्यकता है.

सिंह राशि 

सिंह राशि के के लिए सूर्य इन्ही के स्वामी भी हैं अर्थात पहले घर के स्वामी हैं. इस गोचर के दौरान सूर्य का गोचर एकादश भाव में होगा. सिंह राशि वालों के लिए सूर्य का गोचर मित्र राशि में होने पर बौद्धिकता एवं आर्थिक स्थिति में अलग स्थिति देखने को मिल सकता है. इस समय यह स्थिति आर्थिक जीवन में विभिन्न स्रोतों से लाभ प्राप्त करने की संभावना को बढ़ाने वाला होगा. भाई बंधुओं के साथ आपके संपर्क बढ़ सकते हैं. आप के मेल जोल का समय होगा ओर उनकी भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी. सामाजिक रुप से भी आप कुछ मामलों में आगे रह सकते हैं आपकी दक्षता और योग्यता को विस्तार का अवसर भी मिलेगा.

इस समय आप अपनी आय को कुछ निवेश भी करने का विचार कर सकते हैं. आर्थिक स्थिति बेहतर होगी, साथ ही समाज में आपका मान-सम्मान भी बढ़ेगा. प्रेम संबंधों के लिए ये समय थोड़ा उतार-चढ़ाव वाला रह सकता है. रिश्ते में दूरी या गलतफहमी की स्थिति को भी देख सकते हैं. स्वभाव में जिद्दीपन भी देखने को मिल सकता है. शिक्षा में आप एकाग्रता के साथ अच्छा प्रदर्शन हो सकता है. पारिवारिक जीवन में मित्रों और प्रियजनों के साथ कुछ सहयोग मिल सकता है. कार्यक्षेत्र में प्रमोशन इत्यादि से संबंधित समाचार भी सुनने को मिल सकते हैं. 

कन्या राशि 

कन्या राशि के लिए सूर्य बारहवें भाव का स्वामी होता है. इस समय सुर्य का गोचर दशम भाव को प्रभावित करेगा. सूर्य का यह गोचर आपके कार्यक्षेत्र में अवसर लाने वाला होगा. इस समय बाहरी संपर्क द्वारा आपके काम आगे बढ़ सकते हैं. विदेशी कंपनियों के साथ आप का काम जुड़ सकता है. इस समय आपके करियर में आगे बढ़ने के लिए परिश्रम अधिक करना होगा. नौकरी में  कार्यस्थल पर भी बेहतर प्रदर्शन करने के लिए आपको भागदौड़ भी करनी होगी यात्राओं का समय भी होगा जो काम से संबंधित हो सकती हैं.

अधिकारियों के साथ आप के संबंधों का कुछ लाभ मिल सकता है. पारिवारिक जीवन में यह समय आपके माता-पिता के स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है. वाहन इत्यादि का सभंल कर उपयोग करना उचित होगा. इस समय काम और व्यवहार में विशेष ध्यान रखने की जरुरत होगी. काम को पूरा करने के लिए अधिक प्रयास करने की भी आवश्यकता होगी, अपना समय अनावश्यक चीजों पर बर्बाद नही करना ही उचित होगा. 

तुला राशि 

तुला राशि के लिए सूर्य एकादश भाव का स्वामी होता है. इस समय सूर्य नवम भाव को प्रभवैत करने वाला होगा. गोचर का प्रभाव इनकम में वृद्धि देने में सहायक होगा. भाग्य का कुछ सहयोग भी मिलेगा. पारिवारिक जीवन में अपने वरिष्ठ लोगों या पिता का सहयोग आपके लिए लाभदायक होगा. कार्यस्थल पर आपको किसी काम से जुड़ी लंबी यात्रा पर जाना पड़ सकता है.

यात्राओं से लाभ पाने की बेहतर संभावनाएं दिखाई दे सकती हैं. धार्मिक कार्यों के प्रति भी झुकाव बढ़ा सकता है जिसके कारण धार्मिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं. भाई-बंधुओं के साथ कुछ बातों को लेकर तर्क अधिक हो सकता है. रिश्ते कुछ प्रभावित भी हो सकते हैं सरकार एवं अधिकारियों से सहयोग और लाभ मिलने की संभावना दिखाई देंगी. 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के लिए दशम भाव का स्वामी सूर्य इस समय गोचर में अष्टम भाव पर होगा. सूर्य का यह गोचर वृश्चिक राशि के लिए अनुकूलता में कमी को अधिक दिखा सकता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी. बाहर का खाना और ज्यादा मसालेदार खाने से बचना चाहिए. आर्थिक पक्ष कमजोर रह सकता है.

किसी भी जोखिम भर निवेश से बचना ही उचित होगा. पैसों का लेन-देन करते समय विशेष सावधानी बरतने की जरुरत होगी. व्यर्थ के वाद-विवाद से खुद को दूर ही रखें. कार्यस्थल पर अतिरिक्त मेहनत करने से ही फायदा होगा क्योंकि इस समय आपको हर कार्य में मेहनत के बाद ही सफलता मिलेगी इसलिए शुरू से ही अपनी मेहनत और प्रयास जारी रखें.

धनुराशि

धनु राशि के लिए नवम भाव का स्वामी सूर्य होता है. इस गोचर के दौरान सूर्य का सप्तम भाव में असर होगा. सूर्य का प्रभाव इस राशि के विवाहित लोगों, उनके जीवनसाथी और पार्टनरशिप में व्यापार करने वाले लोगों को अधिक प्रभावित करने वाला होगा.  जीवन साथी के साथ कुछ दुरी या अनबन अधिक देखने को मिल सकती है, लेकिन कुछ मामलों में साथी आपके सामाजिक क्षेत्र में विकास के लिए एक अच्छा सहयोगी भी बन सकता है.

इस समय संबंधों में अहंकार अधिक देखने को मिल सकता है जिसके परिणामस्वरूप इसका नकारात्मक प्रभाव आपके रिश्ते पर सीधा प्रभाव डालने वाला है. ऐसे में आपको अपने पार्टनर के साथ सही बातचीत के जरिए अपने रिश्ते को बेहतर बनाने की जरूरत होगी. जीवनसाथी के स्वास्थ्य को लेकर भी कुछ चिंता हो सकती है. साझेदारी से जुड़े व्यापार के लिए अच्छे लाभ प्राप्त हो सकते हैं. कार्यक्षेत्र में प्रगति कर सकते हैं.

मकर राशि

मकर राशि के लिए सूर्य अष्टम भाव का स्वामी होता है और अब यह गोचर के दौरान छठे भाव में होगा. इसलिए इस गोचर के दौरान आपको हर कार्य को पूरा करने के लिए अधिक प्रयास करने की आवश्यकता होगी.  काम में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ने वाली है. विरोधियों के प्रति भी आपको अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होगी. अपने विरोधियों पर विजय पाने में भी पूरी तरह सक्षम होंगे.

कार्यक्षेत्र में व्यस्तता रहेगी ओर अपने काम में आप काफी सजग ऊर्जावान दिखाई दे सकते हैं. सहकर्मी आपसे कुछ नाराज हो सकते हैं. ऐसे में आपको विशेष रूप से सलाह दी जाती है कि कार्यक्षेत्र में अपने साहस और आत्मविश्वास को बनाए रखें और किसी भी तरह के नकारात्मक विचारों को अपने ऊपर हावी न होने दें. लोन या किसी प्रकार के कर्ज का भुगतान कर सकते हैं. कोर्ट केस जैसे मामलों में सफलता मिल सकती है. 

कुंभ राशि

कुम्भ राशि के लिए सूर्य सप्तम भाव के स्वामी होते हैं. इस समय इनके लिए सूर्य का पंचम भाव में गोचर होगा. ऐसे में सूर्य के इस गोचर के प्रभाव से संतान, शिक्षा, प्रेम संबंध, मित्रता इत्यादि पर इसका असर देखने को मिल सकता है. शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं.

रिश्तों के मामले में थोड़ी चिंता होगी. संतान को लेकर भी माता-पिता का ध्यान धिक बना रहने वाला है. कुछ मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है. प्रेमी से वाद-विवाद हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप प्रेम जीवन में दूरियां देखने को मिल सकती हैं.  स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां परेशान कर सकती हैं.  

मीन राशि

मीन राशि के लिए सूर्य छठे भाव का स्वामी होता है और इस समय गोचर में सूर्य चतुर्थ भाव को प्रभावित करेगा. सूर्य के इस प्रभाव से घर-परिवार में कुछ विवाद की संभावना देखने को मिल सकती है. स्त्री पक्ष के स्वास्थ्य में कुछ गिरावट भी लाएगा. इस दौरान काम काज की अधिकता होगी तथा काम के चलते थकान भी रहेगी. उच्च रक्तचाप एवं हृदय संबंधी परेशानियां अधिक हो सकती हैं इसलिए स्वास्थ्य की उचित देखभाल करनी होगी.

कार्यक्षेत्र में कुछ समस्याओं से जूझना पड़ सकता है. मेहनत और सूझबूझ से आप समस्याओं का सामना करने में भी सफल होने वाले होंगे. इस समय जल्दबाजी में कोई निर्णय लिए बिना, आपको किसी भी निर्णय पर उचित विचार-विमर्श के बाद ही पहुंचने की आवश्यकता होगी. भूमि, भवन आदि से लाभ प्राप्त करने का मौका मिल सकता है. व्यवसाय अथवा नौकरी में बदलाव भी देखने को मिलेगा. 

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