बृहस्पति के केतु के साथ योग का 12 भावों पर प्रभाव

बृहस्पति एक अत्यंत शुभ ग्रह है ओर केतु एक नकारात्मक ग्रह के रुप में पाप ग्रह माना गया है. यह छाया ग्रह है जो जब कुंडली में बृहस्पति के साथ होता है तो इसका योग बेहद महत्वपूर्ण बन जाता है. बृहस्पति अंतर्दृष्टि के प्रकाश को देते हुए अज्ञानता और अंधकार को दूर करने वाला ग्रह है. यह ईमानदारी और विस्तार का ग्रह है. उच्च लक्षण और आत्मा का उत्थान बृहस्पति द्वारा हो पाता है.

गुरु चण्डाल योग और इसका असर

केतु गुरु का योग चंडाल योग भी बनाता है, धर्म में आस्था या अनास्था, विश्वास इसी से प्रकट होता है. यह व्यक्ति के धार्मिक पक्ष का विस्तार करता है. लेकिन जब केतु आता है तो व्यक्ति जीवनकाल में कई रहस्यमयी और अलौकिक विधियों में निपुण हो सकता है. क्योंकि केतु एक अलौकिक ग्रह है, जो मोक्ष और त्याग को दर्शाता है. ब्रह्मांड के सबसे सूक्ष्म खगोलीय अंदरूनी तथ्यों को केतु की स्थिति द्वारा ही समझा जाता है. केतु व्यक्ति को हमेशा शांत और एकांत में रहने की आदत देगा. केतु द्वारा रहस्यमय का बोध होता है. यह पूर्व जन्मों में किए गए कार्यों को दर्शाता है. गुरु के साथ केतु मिलकर कई प्रकार की चीजों को करता है और जीवन को बदल देने वाला समय पाता है. 

बृहस्पति और केतु की युति से संबंधित योग है

इस योग के नकारात्मक और सकारात्मक दोनों पक्ष हैं क्योंकि राहु और केतु पाप ग्रह हैं और बृहस्पति पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं. इसलिए इस योग को भी समान रूप से दोष माना जाता है क्योंकि इसके कई दुष्प्रभाव होते हैं. यह योग किसी व्यक्ति के जीवन को अत्यधिक प्रभावित करता है. यह युति जिस भाव और राशि में स्थित है, उसके अनुसार यह बृहस्पति ग्रह और केतु से संबंधित अच्छे और बुरे परिणाम मिलते हैं.

व्यक्ति अनैतिक, अनैतिक और अवैध हो जाता है. ऐसे जातकों का व्यक्तित्व और चरित्र संदिग्ध हो सकता है. सभी कुंडली में केतु और बृहस्पति ग्रह की अलग-अलग शक्ति और कमजोरियां होती हैं, जो सभी को अलग-अलग प्रभावित करती हैं. किसी योग या दोष और लाभ के सभी परिणामों का विश्लेषण करने के लिए कुंडली को देखा जाना चाहिए और उसके अनुसार फलकथन करना उचित होता है. 

गुरु और केतु की युति को गणेश योग या योगिनी योग भी कहा जाता है. इस योग को ध्वजा योग के नाम से भी जाना गया है. बृहस्पति और केतु आध्यात्मिक प्रकृति के हैं. रहस्यवाद के लिए मौलिक मन की शांति इन दोनों के एक साथ होने पर मिलती है. बृहस्पति और केतु की युति जन्म कुण्डली में एक शुभ संयोग है. यह योग जादुई और पारलौकिक कर्मों की बात करता है, बृहस्पति संज्ञान के विकास को नियंत्रित करता है, जबकि केतु ज्ञान का प्रदर्शन करता है. इनका जुड़ाव मुक्ति या मोक्ष की ओर प्रेरित करता है.

कुंडली के प्रथम भाव में बृहस्पति और केतु  

कुंडली के इस भाव में बृहस्पति और केतु की युति होने से व्यक्ति बौद्धिक रुप से अपने विचारों में काफी दृढ़ हो सकता है. धन के मामले में भाग्यशाली रहता है लेकिन दूसरों के द्वारा धन को छीन लेने का भय भी रहता है.व्यक्ति धार्मिक होता और धर्म को अधिक महत्व देता है.  

कुंडली के दूसरे भाव में बृहस्पति और केतु  

कुंडली के दूसरे भाव में बृहस्पति और केतु की युति होने से व्यक्ति अपनी वाणी में काफी प्रभावशाली होता है. पूर्वजन्मों का उस प्र अधिक प्रभाव पड़ता है. व्यक्ति धूम्रपान और शराब जैसे पदार्थों का आदी हो सकता है. आर्थिक स्थिति में समस्या बनी रह सकती है. 

कुंडली के तीसरे भाव में गुरु और केतु  

कुडली के तीसरे भाव में गुरु और केतु की युति होने से व्यक्ति चतुर एवं कार्यशील होता है. परिवार में मानसिक तनाव हो सकता है. इस योग में भाई बंधुओं की ओर से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. व्यक्ति लेखन कार्य में काफी सफल हो सकता है. गलत कार्यों के लिए भी उसका रुझान हो जाता है.

कुंडली के चौथे भाव में बृहस्पति और केतु  

कुंडली के चतुर्थ भाव में बृहस्पति और केतु का योग व्यक्ति को परिवार से दूर ले जाने वाला होता है. व्यक्ति बौद्धिक एवं कुशल होता है. भौतिक सुख सुविधाओं को लेकर प्रयासशील रहता है. दूसरों का सहयोग नहीं मिल पाता है. मां को दिक्कत भी हो सकती है.

कुंडली के 5वें भाव में बृहस्पति और केतु  

पंचम भाव में गुरु और केतु का एक साथ होना व्यक्ति के प्रेम एवं संतान पक्ष पर असर करता है. व्यक्ति आध्यात्मिक रुप से काफी सजग होता है. इन चीजों की ओर रुझान भी रखता है. सामान्य शिक्षा में बाधा की स्थिति परेशानी दे सकती है. 

कुंडली के छठे भाव में बृहस्पति और केतु 

कुंडली के छठे भाव में बृहस्पति और केतु का होना कष्ट  एवं गलत रास्ते पर जाने के लिए अधिक उकसा सकता है. काम के क्षेत्र में रुकावटें आ सकती हैं व्यक्ति शत्रुओं के द्वारा परेशान हो सकता है. शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. 

कुंडली के सातवें भाव में बृहस्पति और केतु  

कुंडली के सप्तम भाव में बृहस्पति और केतु का होना व्यक्ति के दांपत्य जीवन को कमजोर कर सकता है. समस्याएं पैदा हो सकती है और रिश्तों में दूरी का असर पड़ता है. कमर से संबंधित परेशानी रहेगी. व्यक्ति को शत्रुओं से कष्ट हो सकता है. सामाजिक रुप से लाभ प्राप्ति के योग बनते हैं. 

कुंडली के आठवें भाव में गुरु और केतु  

कुंडली के अष्टम भाव में गुरु और केतु की युति व्यक्ति को आध्यात्मिक रुप से काफी मजबूत बना सकता है. जीवन साथी से भी तनावग्रस्त स्थिति मिल सकती है. लोगों का दुष्ट स्वभाव परेशानी देता है. आर्थिक स्थिति नाजुक होने के कारण दबाव अधिक रहता है.आकस्मिक दुर्घटना, चोट, ऑपरेशन इत्यादि का सामना करना पड़ सकता है. 

कुंडली के नवम भाव में बृहस्पति और केतु  

कुंडली के नवम भाव में बृहस्पति और केतु का होना धार्मिक गतिविधियों अलग विचार देता है. अलग संस्कृतियों के प्रति रुझान अधिक होता है. पिता से संबंध या सुख कमजोर रह सकता है. पारिवारिक जीवन में तनाव हो सकता है.  

कुंडली के दशम भाव में बृहस्पति और केतु  

कुंडली के दशम भाव में बृहस्पति और केतु का होना व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में आगे बढ़ाने का काम करता है. व्यक्ति एक से अधिक कार्यों में शामिल हो सकता है. व्यक्ति नैतिक कार्यों से अलग कई तरह के काम कर सकता है. नौकरी में उन्नति और प्रतिष्ठा पाना मुश्किल होता है. व्यापार और करियर में लगातार संघर्ष बना रह सकता है.

कुंडली के ग्यारहवें भाव में गुरु और केतु  

कुंडली के एकादश भाव में बृहस्पति और केतु का होना व्यक्ति को एक से अधिक आय के स्त्रोत देने वाला होता है. आर्थिक पक्ष में कई बार व्यक्ति गलत रास्तों से भी लाभ पाने में सक्षम होता है. मित्रों की संगति के साथ विरोध भी झेलना पड़ सकता है. 

कुंडली के बारहवें भाव में बृहस्पति और केतु  

कुंडली के द्वादश भाव में बृहस्पति और केतु का योग होने से व्यक्ति को विदेशी स्थान से लाभ प्राप्त करता है. आध्यात्मिक रुप से ये स्थिति अनुकूल होती है. नींद में कमी का अनुभव होता है. व्यक्ति भौतिक सुख सुविधाओं को पाने में सफल होता है. स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की जरुरत होती है. 

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शुक्र का कुंडली के विभिन्न भावों में गोचर फल

शुक्र को बेहद शुभ ग्रह के रुप में देखा जाता है. यह जीवन में इच्छाओं को उत्पन्न करने एवं सुखों को प्रदान करने वाला माना गया है. शुक्र की स्थिति व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक एवं विशेष असर दिखाने वाली होती है. शुक्र जब गोचर में एक राशि एक भाव में होता है तो इसका असर महत्वपूर्ण होता है. जन्म चंद्रमा जिस स्थान पर स्थित है, वहां से पहले भाव, दूसरे भाव. तीसरे भाव, चतुर्थ भाव, पंचम भाव, अष्टम भाव, नवम भाव, एकादश भाव और बारहवें भाव में शुक्र के गोचर की स्थिति शुभ फलों को प्रदान करने वाली मानी गई है.  इसके अतिरिक्त शेष भवओं पर अर्थात छठे भाव, सातवें भाव और दसवें भाव स्थान पर इसका गोचर अच्छा नहीं माना जाता है. 

शुक्र का प्रथम भाव में गोचर

जब शुक्र आपके पहले भाव से गोचर करता है, तो व्यक्ति दूसरों को खुश करने की कोशिशें करता है. आकर्षण और व्यक्तिगत आकर्षण के लिए समय विशेशः होता है. इस समय खुद के बदलाव एवं विकास पर अधिक ध्यान देते हैं और इस ओर प्रयास लगाते हैं. सामाजिक रुप से आगे रहते हैं. रिश्तों में नए संबंध भी इस समय जीवन पर असर डालते देखे जा सकते हैं. कला, रोमांस, सामाजिकता और व्यक्तिगत रचनात्मक आत्म-अभिव्यक्ति में अधिक शामिल दिखाई दे सकते हैं.इनसे संबंधित व्यवसाय में शामिल होने का यह एक अच्छा समय है लाभ प्राप्ति भी अच्छी होती है.

शुक्र का दूसरे भाव में 

शुक्र का गोचर में दूसरे भाव में होना एक अच्छा प्रभाव दिखाने वाला होता है. जनसंपर्क में काम करके व्यक्ति अच्छी स्थिति को पाता है. व्यक्ति दूसरों के प्रति भी अधिक सहयोगी होता है. दूसरों के साथ शांति बनाना है, परिवार के लिए कुछ नवीन कार्यों को करना तथा इच्छा शक्ति भी मजबूत रहती है. इस समय व्यक्ति दूसरों की कठिनाइयों को कम करने का सबसे अच्छा तरीका खोजने में मदद करने वाला होता है. शुक्र के दूसरे भाव में गोचर करते समय मौज-मस्ती के भी अवसर प्राप्त होते हैं. जब शुक्र आपके दूसरे भाव से गोचर करता है, तो यहां मुख्य रुप से शब्द कला, संगीत और शोबिज से संबंधित कामों में अच्छा करने का मौका देता है. किसी भी तरह की कलात्मक अभिव्यक्ति जैसे पेंटिंग, नृत्य, संगीत या मूर्तिकला बहुत फायदेमंद परिणाम देने वाली होती है. 

शुक्र का तृतीय भाव में गोचर

शुक्र के तीसरे भाव में गोचर का समय व्यक्ति को कई मायनों में मेलजोल की स्थिति दिलाने वाला होता है. यह सामाजिक गतिविधियों, आनंद, प्रेम, कलात्मक व्यवहार और व्यवसाय से जुड़ा रहने वाला समय होता है. इस समय यात्राओं के लिए सबसे अच्छे मौके भी मिलते हैं. अपने भाई-बहनों, पड़ोसियों, दोस्तों और सहकर्मियों के साथ व्यक्ति के संबंध भी विकसित होते हैं. संचार बहुत बेहतर होता है और इसके द्वारा लाभ प्राप्ति का भी बेहतर समय होता है. व्यक्ति अपने रिश्तों को लेकर भी बहुत ही सौहार्दपूर्ण स्थिति को पाने वाला होता है. 

शुक्र का चतुर्थ भाव में गोचर

शुक्र का चतुर्थ भाव में गोचर होना व्यक्ति को भौतिक सुख समृद्धि प्रदान करने वाला होता है. शुक्र गोचर की विशेषता परिवार के सदस्यों के साथ व्यवहार में बदलाव को दिखाने वाली होती है. जीवन में नई वस्तुओं का आगमन होता है.  व्यक्ति अपनों के साथ अच्छे रिश्ते पाता है. माता-पिता के साथ बहुत अधिक सामंजस्य की अभिव्यक्ति होती है. घर में सुंदरता से संबंधित चीजों को  लाते हैं रहन सहन में बदलाव होता है.  प्रकृति से जुड़ते हैं, सुंदरता के प्रति बहुत संवेदनशील भी होते हैं. घर या बगीचे को सुंदर बनाने के लिए कला या विलासिता की वस्तुएं खरीदी जाती हैं. जमीन-जायदाद या फर्नीचर या घरेलू सामान से जुड़ी व्यावसायिक गतिविधियों में शामिल होने का योग होता है. 

शुक्र का गोचर पंचम भाव में

जब शुक्र आपके पंचम भाव से गोचर करेगा, तो कुछ रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से खुद को अभिव्यक्त करने वाला भी बनाता है. बच्छों या मित्रों के साथ रचनात्मकता का संब्म्ध जुड़ता है. लोगों के साथ बहुत अच्छे से घुलमिल जाते हैं. यह एक साथ खेलने और मस्ती करने का अच्छा समय है. अधिक समझ महसूस करते हैं और कई तरह के मान सम्मान भी पाने में सफल होते हैं. अधिक दयालु और उदार बनते हैं. प्रेम संबंधों से जुड़ने का समय होता है नए रिश्तों की शुरुआत का समय होता है. ये समय कई तरह के कार्यों में शामिल होने का भी अच्छा समय होता है. 

शुक्र का छठे भाव में गोचर

आपके छठे भाव से शुक्र का यह गोचर काम या पेशे से जुड़े सभी मामलों के लिए कुछ अटकाव एवं चुनौतियों को देने वाला समय होता है. इस समय सेहत की स्थिति भी प्रभावित होती है. व्यक्ति चीजों को हल करने के लिए दूसरों के साथ काम करने को तैयार होता है. कार्यस्थल पर भी दूसरों से आपको कुछ अधिक प्रतिस्पर्धा झेलनी पड़ सकती है. आर्थिक मदद के लिए दूसरों का पक्ष काम आता है. इस गोचर के समय वैवाहिक जीवन की स्थिति पर भी मिलाजुला असर पड़ता दिखाई देता है. इस समय पर व्यक्ति कई तरह की गतिविधियों में शामिल होता है. 

शुक्र का सातवें भाव में गोचर

सप्तम भाव में शुक्र का गोचर मिलेजुले परिणाम देने वाला होता है. शुक्र के गोचर का असर रिश्तों पर पड़ता है. जनसंपर्क, सामाजिक गतिविधियों में भागीदारी का समय होता है. महत्वपूर्ण या  व्यावसायिक भागीदारों के साथ संबंधों में कुछ बदलाव अचानक से देखने को मिलता है. व्यक्ति मांगलिक सुख को पाता है. वैवाहिक जीवन से संबंधित रिश्ते भी इस समय प्राप्त होते हैं. लोगों के साथ घनिष्ठ संबंध भी विकसित होते हैं. किसी के साथ समस्या होने पर इसे सुलझाने में दूसरों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण बन जाती है. 

शुक्र का आठवें भाव में गोचर

शुक्र का अष्टम भाव में गोचर होना काफी महत्वपूर्ण होता है. इस समय स्थिति कुछ कमजोर पक्ष में भी काम करने वाली होती है. सामाजिक संपर्क के माध्यम से विवाद भी उभर सकते हैं. गुप्त विरोधियों का दबाव भी अधिक बढ़ने लगता है. व्यावसायिक क्षेत्र में इस समय संभल कर काम करने की जरुरत होती है. यौन संबंधों की ओर अधिक झुकाव भी उत्पन्न होता है. इस समय के वैवाहिक जीवन के सुख पर असर पड़ता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से भी स्थिति कमजोर रह सकती है. संक्रमण इत्यादि का खतरा बढ़ सकता है. 

शुक्र का नवम भाव में गोचर

शुक्र का ये गोचर सामान्यत: अनुकूल सिद्ध होता है. इस अवधि में विवाह की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं नए रिश्तों का आगमन होता है. व्यक्ति के लिए यात्राओं का समय होता है. व्यक्ति संगीत, कला और प्रेम संबंधों में गहरी रुचि ले सकता है.सामाजिक रूप से सक्रिय होने का अवसर मिलता है. समाज में संबंध स्थापित होते हैं. पिता के समक्ष रिश्ते अनुकूल होते हैं. आर्थिक समृद्धि एवं पद प्राप्ति का समय होता है. 

शुक्र का दशम भाव में गोचर

शुक्र के दशम भाव में गोचर की स्थिति व्यक्ति को नए कार्यों एवं पद प्राप्ति के मोके दिलाने वाली होती है. लेकिन संघर्ष भी अधिक रह सकता है. शुक्र के प्रभाव से भाग्य का साथ कम मिलता और विवाद की संभावना भी अधिक होती है. मानसिक अशांति और शारीरिक क्षमता पर भी प्रभाव पड़ता है. खर्च अधिक होने की स्थिति परेशानी चिंता दे सकती है. कार्यो उन्मुख होने का समय होता है. परिवार के प्रति आकर्षण बढ़ता है, इसके अलावा समृद्ध जीवन की इच्छा भी बढ़ती है.

शुक्र का एकादश भाव में गोचर

शुक्र के लाभ भाव स्थान में गोचर के द्वारा जीवन में आगे बढ़ने की इच्छाओं को बल प्राप्त होता है. इस भाव में शुक्र के गोचर से धन, मान-सम्मान, समृद्धि, नए स्थान के साथ-साथ शत्रुओं का सामना भी होता है. यह समय सामाजिक रुप से सक्रियता देने वाला होता है. विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलता है. भाई बंधुओं के साथ संबंध प्रगाढ़ होते हैं. इस भाव में शुक्र का गोचर आर्थिक स्थिरता को प्रदान करने में सहायक बनता है.

बारहवें भाव में शुक्र का गोचर

शुक्र के बारहवें भाव में गोचर की स्थिति आकर्षण और जिज्ञासा में वृद्धि को दिखाती है.  व्यर्थ के भय को जन्म मिलता है. यहां शुक्र कामुकता को जन्म देता है, इस समय में व्यक्ति शांतिपूर्ण और सुकून भरा जीवन जीना चाहता है लेकिन अपनी इच्छाओं के कारण परेशानी झेलता है. शुक्र के गोचर के कारण मिश्रित फल मिलते हैं. इस समय में आर्थिक स्थिति उतार-चढ़ाव से प्रभवैत होती है.  धन हानि और खर्चों में अचानक से वृद्धि हो सकती है. 

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मंगल का विभिन्न राशियों में फल

मंगल उत्साह और साहस का ग्रह है. यह जिस राशि में होता है उस राशि के साथ जुड़कर अपना फल देता है. मंगल की स्थिति जीवन में व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है. व्यक्ति अपने जीवन के संकल्पों एवं निर्णयों के लिए जिम्मेदार होता है. आइये जानते हैं मंगल कैसे देता है विभिन्न राशियों में बैठ कर अपना प्रभाव 

मंगल मेष राशि में

मंगल मेष राशि में अपने प्रमुख स्थान पर है, क्योंकि मेष वास्तव में मंगल की राशि है जो मंगल को मजबूती देने वाली है. मेष राशि में मंगल वाले लोग अत्यधिक सक्रिय, प्रतिस्पर्धी और शारीरिक गतिविधि में अधिक संलग्न रहते देखे जा सकते हैं. मंगल मेष में होने पर खेलकूद से जोड़ता है व्यक्ति को शारीरिक गतिविधियों से जोड़ने का काम करता है, लेकिन यह प्रवृत्ति कई बार भी उन्हें दुर्घटना इत्यादि से भी परेशान करने वाली होती है. मेष राशि में मंगल निश्चित रूप से एक शुद्ध, उच्च शक्ति वाली ऊर्जा का समय होता है. व्यक्ति बोल्ड, साहसी और स्वतंत्र अतिवादी भी हो सकता है. कभी-कभी  अत्यधिक आक्रामक भी बना सकता है. 

मंगल वृष राशि में

वृष राशि में मंगल का का होना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. मंगल का असर यहां व्यक्ति को जिद्दी बनाता है., कुछ क्रोधी भी लेकिन अपने जीवन को भौतिक रुप से संपन्न बनाने के लिए प्रेरित करने वाला होता है.  व्यक्ति में दृढ़ संकल्प मजबूत होता है.  वृष में बैठा मंगल व्यक्ति को कई बार अविश्वसनीय रूप से धैर्यवान बना सकता है. किसी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कैसे दृढ़ रहना है इन्हें अच्छे से आता है.  व्यक्ति हार नहीं मानता है और उनके पास एक बेहतर स्थिर दृष्टिकोण भी होता है. व्यक्ति बहुत विचारशील और व्यवस्थित  होता है तथा जीवन की गुणवत्ता के लिए प्रयास करता है. 

मंगल मिथुन राशि में 

मंगल का मिथुन राशि में होना व्यक्ति को उत्सही एवं चंचलता देने वाला हो सकता है. यह एक ऐसा प्लेसमेंट है जो मंगल के जोश को सक्रिय कर देने वाला होता है. मिथुन राशि बदलाव के पक्ष की राशि है. उच्च मानसिक कार्यों से युक्त होती है ऎसे में मंगल का यहां होना उनके पास एक तेज़ बुद्धि है और अपने तर्कों से आगे बढ़ने वाला है.  चीजों एवं जानकारी को जल्दी से समझने वाले होते हैं और उच्च ऊर्जा को दर्शाते हैं इनमें एक कमी हो सकती है जल्द से ऊब जाना और बेचैनी का सामना करना. कई बार ये लोग बिखरे हुए भी लग सकते हैं, मल्टीटास्किंग में अविश्वसनीय हो सकते हैं, और उनकी बहुत सारी रुचियां होती हैं, इसलिए ये लोग भी बहुमुखी हैं और वे हमेशा एक कदम आगे रहने वाले हो सकते हैं. 

कर्क राशि में मंगल 

कर्क राशि में मंगल का होना कुछ कमजोर और अधिक अस्थिर रह सकते हैं. यहां मंगल थोड़ा असहज दिखाई दे सकता है. मंगल ग्रह यहां अपनी नीच स्थिति में होता है. मंगल भावनाओं का उपयोग करना पसंद नहीं करता है लेकिन यहां कर्म में वह भावनाओं से लड़ता दिखाई देता है. यह भावनाओं के बिना कार्रवाई का उपयोग करना पसंद करता है और जब यह कर्क राशि में होता है, तो यह इसे भावनाओं का उपयोग करने के लिए मजबूर करता है. कर्क में मंगल का प्रभाव लोगों के प्राकृतिक नेतृत्व को दर्शाता है. व्यक्ति परिवार और रिश्ते-उन्मुख होने के साथ, सुखों को पाने के लिए ललायित रहने वाला होता है. 

सिंह राशि में मंगल

सिंह राशि में मंगल की स्थिति ऊर्जा और जुनून के साथ काम करने वाली होती है. सिंह के मंगल में होने पर व्यक्ति आत्मविश्वास में मजबूत होता है. उसके आस पास की ऊर्जा उसे मजबूत बनाती है. आत्मविश्वास, पहल, प्रेरणा और दृढ़ संकल्प देने वाली होती है.  शीर्ष पर रहने की स्थिति मजबूत होती है. सिंह में मंगल जबर्दस्त इच्छाशक्ति और उत्साह, और नेतृत्व करने की स्वाभाविक क्षमता के साथ दिखाई देता है. उन्हें दूसरों को बहुत अधिक दबाव देने के लिए भी जाना जा सकता है लेकिन अच्छी स्थिति होने पर, मंगल बहुत प्रेरक, उदार और वफादार व्यक्तित्व प्रदान करता है. 

मंगल कन्या राशि में

जब मंगल ग्रह कन्या राशि में होता है तो यह विचारशीलता को दर्शाता है और साथ ही जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए आगे रखता है. ये असर व्यक्ति को व्यस्त बनाता है. हर चीज पर कड़ी मेहनत करने वाले होते हैं.  कन्या राशि एक बहुत ही मानसिक और बौद्धिक राशि है ऎसे में मंगल यहां बैठ कर व्यक्ति को तर्क से परिपूर्ण बना सकता है. मंगल की स्थिति यहां बिखरी हुई, उन्मत्त ऊर्जा को दर्शाने वाली होती है. कन्या में मंगल का होना चिंताजनक भी होता है. क्योंकि यहां मंगल का होना चीजों पर विवरणों पर बहुत ज्यादा ध्यान देने वाला बनाता है ऎसे में उनके कारण महत्वपूर्ण चीजें छूट जाती हैं. 

तुला राशि में मंगल

तुला राशि में मंगल की स्थिति कुछ मिलेजुले प्रभाव को दिखाने वाली होती है. जैसे मंगल कर्म में कमजोर होता है वैसे ही तुला राशि भी मंगल के अधिक अनुकूल नहीं होती है. मंगल यहां पर होकर थोड़ा असहज हो सकता है क्योंकि मंगल की स्थिति थोड़ा स्वार्थी तरीके से काम करना पसंद करती देखी जाती है. यहां व्यक्ति कुछ अधिक कल्पनाशील होकर काम करने की इच्छा रखता है. तुला राशि की उच्च विचारधारा मंगल को कई तरह से प्रेरित करने वाली होती है. तुला राशि में मंगल का होना व्यक्ति को सामाजिक बनाने का काम करता है. सामाजिकता से जुड़ कर, लोगों के साथ काम करना, सहयोग और सद्भावना जैसी बातें इसकी प्राथमिकताओं में शामिल हो सकती हैं.  तुला राशि में मंगल होने का परिणाम यह भी हो सकता है कि लोग बहुत अधिक मिलनसार हो सकते हैं और अपनी स्वयं की इच्छाओं और जरूरतों की उपेक्षा कर सकते हैं.

मंगल वृश्चिक राशि में 

वृश्चिक में मंगल का होना एक बेहतर परिणाम माना जाता है क्योंकि मंगल के लिए यह स्थान उसका घर होता है. वृश्चिक राशि मंगल के स्वामित्व की राशि भी है. मंगल ग्रह जब वृश्चिक में होता है तो बेहतर परिणाम देने वाला होता है. यहां व्यक्ति तर्क कुशल बनाने वाला संकेत भी होता है. प्रेम और रोमांस व्यक्ति में उत्साही होता है. वृश्चिक राशि में मंगल का होना परिश्रमी बनाता है और बाधाओं से लड़ने वाला भी बनाता है. उनके पास वास्तव में एक मजबूत इच्छा शक्ति होती है लेकिन इसका असर व्यक्ति को जिद्दी भी बनाता है. 

मंगल धनु राशि में  

मंगल का धनु राशि में होना व्यक्ति को एकाग्रता से पूर्ण और जोशिला बनाता है. व्यक्ति भीड़ में आकर्षण का केन्द्र भी बनता है. एक मजबूत दार्शनिक होता है ओर दूसरों के लिए मार्गदर्शक का काम भी करता है. व्यक्ति में कमर्ठता का गुण होता है. सभी को साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति भी उसमें होती है.  व्यक्ति के पास एक बहुत ही आदर्शवादी रवैया भी होता है, कई बार ये लोग क्सर जोखिम लेने वाले होते हैं, लेकिन बहुत भाग्यशाली भी होते हैं. मंगल धनु में बैठ कर खुद को भाग्यशाली भी बनाता है. साहसिक भावना और शारीरिक सहनशक्ति अच्छी होती है. 

मकर राशि में मंगल

मकर राशि में मंगल की स्थिति काफी उच्च होती है. यहां मंगल काफी उन्नत स्थिति का होता है. मकर राशि में मंगल उच्च का होता है, मंगल यहां उच्च प्रतिष्ठित स्थिति में होता है और यहां पूरी शक्ति से आगे बढ़ने वाला होता है. मंगल की ऊर्जा के लिए ये स्वतंत्र स्थान भी होता है. मंगल का असर व्यक्ति को प्रेरित, महत्वाकांक्षी और प्रत्यक्ष भी बनाता है. उनके पास अच्छी करियर स्थिति और वित्तीय सुरक्षा होती है. सफलता की ओर काम करने में सपक्षम होते हैं. मकर राशि में मंगल भी जोखिम लेने वाला नहीं है, सतर्क और रूढ़िवादी रहना पसंद करता है.ऎसे में गणनात्मक होकर वे कड़ी मेहनत करते हुए आगे बढ़ते हैं. जिम्मेदार, अनुशासित और परिपक्व बनते हैं, उत्कृष्ट कर्मचारी और उद्यमी भी बनते हैं. 

मंगल कुंभ राशि में

कुंभ राशि में मंगल का होना एक दिलचस्प स्थिति को दर्शाने वाला होता है. आगे बढ़ते हुए व्यक्ति स्वतंत्र विचारधारा को लेकर चलता है. इनमें कई बार हठ और उच्च भावना भी होती है. किसी भी काम को करने के लिए वह आगे बढ़ते हैं मंगल कुंभ में होकर व्यक्ति को स्वतंत्र और दृढ़ निश्चयी बनाता है. व्यक्ति स्वयं के बारे में तथा दूसरों को लेकर काफी अधिक सोच विचार वाला होता है. जोखिम लेकर आगे बढ़ने की स्थिति भी इनमें होती है. इनके पास मजबूत मानसिक ऊर्जा शक्ति होती है और अपरंपरागत, कल्पनाशील विचारों के साथ एक असामान्य स्थिति भी यहा दिखाई देती है. 

मीन राशि में मंगल

मीन राशि में मंगल का होना शक्ति को कई बार उपकारी तरीके से उपयोग करने वाला बनाता है. भावनात्मक एवं उदार व्यकित्व देने में सहायक होता है. मंगल के मीन में होने पर व्यक्ति अधिक दयालु बनाता है और ये लोग दूसरों के सहयोग के लिए अपनी बहुत सारी ऊर्जा भी मदद करने उपयोग करते हैं. अपनी शक्ति को दूसरों की सहायता के साथ योगदान देने में लगाते हैं.  मंगल का मीन में होना कुछ असंगठित भी बना सकता है, ये लोग जो महसूस करते हैं उसके प्रवाह के साथ जाना पसंद करते हैं. इनके पास बहुत सारी कलात्मक, रचनात्मक प्रतिभा है, जो कला और संगीत जैसी चीजों से इन्हें जोड़ने का काम करती है. एक स्वप्निल, नरम दृष्टिकोण इनके स्वभाव का अंग हो सकता है. 

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बुध का कुंडली के 12 भाव में गोचर फल

बुध एक ऎसा ग्रह है जो अपनी तेज रफता के साथ चलते हुए गोचर में अपना असर हर राशि पर जल्द से जल्द देने की कोशिश करता है. बुध को राशि चक्र का एक चक्र पूरा करने में लगभग साल का समय लग जाता है यह सूर्य के समान ही उसके पास या आगे पीछे रहते हुए राशि भ्रमण में होता है. यह प्रत्येक राशि में तीस दिनों तक का समय व्यतीत करता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसकी गति सीधी है या वक्री क्योंकि चाल में जब भी बदलाव होगा तब समय सीमा भी कम अधिक हो सकती है. जन्म के समय चंद्रमा जिस भाव में स्थित होता है, वहां से दूसरे, चौथे, छठे, आठवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में बुध को अच्छे परिणाम देने वाला माना जाता है. इसके अतिरिक्त भाव स्थानों पर जिसमें से लग्न भाव, तिसरे भाव, पंचम भाव, सप्तम भाव, नवम भाव और द्वादश भाव में यह कमजोर परिणाम दिखाता है. 

पहले भाव में बुध का गोचर 

पहले घर में बुध का गोचर कई मायनों में अपने असर को दिखाता है. यह मानसिक रुप से विचारशीलता को बढ़ा देने वाला समय होता है. गले में खराश और टॉन्सिलिटिस जैसी स्वास्थ्य समस्याएं भी दे सकता है. इस समय व्यक्ति संगति को लेकर काफी उत्साहित दिखाई देता है. कुछ स्थिति स्वतंत्रता को कमजोर कर देने वाली होती है. ज्यादातर ऐसी स्थिति भी देखने को मिल सकती है अनिच्छा से किसी की बातों के अनुसार अधिक काम करना पड़ सकता है. 

दूसरे भाव में बुध गोचर का फल 

इस समय पर बुध का गोचर आर्थिक क्षेत्र में अच्छे परिणाम दिखाने वाला होता है. व्यक्ति अपनी मांग के अनुरुप अच्छे काम करने में सक्षम भी होता है. वाणी में चतुराई आती है. अपना काम निकलवाने में व्यक्ति सफल होता है. खर्चों की अधिकता होती है लेकिन लाभ प्राप्ति के कारण स्थिति सामंजस्य को पाती है. व्यक्ति सामाजिक रुप से अपने लिए अच्छे स्थान को पाता है. दूसरे लोग इनकी बातों में सहजता से आ सकते हैं. 

तीसरे भाव में बुध गोचर का फल 

तीसरा भाव बुध के गोचर के लिए शुभ होता है. यह विशेष रूप से व्यापार एवं सौदा करने वालों के लिए आर्थिक लाभ और आय में वृद्धि का प्रतीक होता है. यह अवधि चीजों को सीखने और ज्ञान प्राप्त करने में सफलता के रूप में अच्छे मौके देने वाली होती है यह अवधि अच्छे लोगों की संगति में भी लाती है और अच्छे पकवानों का स्वाद चखने का अवसर देती है.  इस समय यात्राओं का समय होता है संचार के क्षेत्र में भी यह समय काफी अच्छा माना जाता है. 

चतुर्थ भाव में बुध गोचर का फल 

इस समय काम में विवादों से बचने के लिए सावधानी बरतने की जरुरत होती है. इस दौरान काम को बेहतरीन तरीके से करना जरुरी होता है. अनावश्यक ख़र्चों से भी सावधान रहना पड़ता है क्योंकि इससे आपकी जेब पर भारी बोझ पड़ सकता है. खराब लोगों के कारण दबाव अधिक रहता है. योजनाएं अटकाव के कारण आगे बढ़ नहीं पाती हैं. इस समय घर में कुछ नवीन वस्तुओं के आगमन का भी समय होता है. 

पंचम भाव में बुध गोचर का फल 

पंचम भाव में गोचर के कारण बुध व्यक्ति को कई तरह के लोगों स मिलवाता है. व्यक्ति मित्रों के साथ जुड़कर कई तरह की उपलब्धियों को भी पाने के लिए प्रेरित दिखाई देता है. इस समय कलात्मक पक्ष के साथ साथ रचनात्मक क्षेत्र में भी अच्छे अवसर दिखाई देते हैं. यहां व्यक्ति बौद्धिक रुप से काफी सजग होकर काम कर पाता है. शेयर मार्किट इत्यादि से लाभ की स्थिति भी बनती है. मित्रों और अधिकारियों से प्रशंसा पदोन्नति, बेहतर के लिए बदलाव, नए विषयों का अध्ययन का समय होता है.

छठे भाव में बुध गोचर का फल 

छठे भाव में बुध का गोचर अच्छे परिणाम दिलाने में सहायक बनता है. इस समय पर अपने कार्यक्षेत्र में प्रतिष्ठा की प्राप्ति भी संभव हो पाती है. व्यापार के क्षेत्र में यात्राएं होती हैं और नए सौदे भी इस समय पर मिल सकते हैं. व्यक्ति अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने में सफल होता है. इस समय नए विषयों का अध्ययन कर पाते हैं और समाजिक रुप से कई तरह के काम में भागीदारी का समय भी होता है. स्वास्थ्य को लेकर त्वचा एवं गले से संबंधित कुछ विकार परेशानी दे सकते हैं. 

सप्तम भाव में बुध गोचर का फल 

सातवें भाव में बुध का गोचर असुरक्षा एवं अनिश्चितता का माहौल दे सकता है. इस समय व्यर्थ के आरोप प्रत्यारोपों के कारण मानसिक रुप से व्यक्ति परेशान होता है. यह  समय मानसिक और शारीरिक रूप से कुछ कठिन रह सकता है. यह अवधि बीमारी का संकेत भी देने वाली होती है. अपने साथी को लेकर चिंताएं रह सकती हैं. इस गोचर के दौरान आपको शारीरिक दर्द और शारीरिक कमजोरी का अनुभव करना पड़ सकता है. मानसिक रूप से बेचैन और परेशान भी अधिक रह सकते हैं. 

अष्टम भाव बुध गोचर का फल 

आठवें भाव में बुध के गोचर का फल अस्वस्थता के साथ चिंता की अधिकता वाला होता है. इस समय अकस्मात होने वाले लाभ भी प्राप्त होते हैं. नौकरों और वरिष्ठों की ओर से काम काज में सहायता भी मिल पाती है. भागदौड़ अधिक बनी रह सकती है. वाणी में झूठ का असर दिखाई दे सकता है. कुछ मामलों में गलतफमियों के चलते परेशानी अधिक उठानी पड़ सकती है. 

नवम भाव में बुध गोचर का फल 

नवम भाव में बुध का गोचर कुछ काम की अधिकता के साथ साथ जिम्मेदारियों को भी बढ़ा देने वाला होता है. दिशा निर्देशों का पालन करना आसान नहीं होता है. संतान एवं जीवन साथी के मध्य तालमेल बिठाने में दिक्कत हो सकती है. यह समय अध्ययन के लिए बेहतर होता है. आध्यात्मिक रुप से लोगों के साथ विचारों का आदान प्रदान भी बढ़ता है. स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना होता है.

दशम भाव में बुध का गोचर फल 

बुध का गोचर जब दशम भाव में होता है तो यह स्थिति अच्छी आय का संकेत देने में सहायक होती है. नए विषय का अध्ययन कर पाते हैं. धार्मिक मामलों में रुचि बढ़ सकती है. अधिकारियों के साथ संपर्क बनता है और काम में अच्छे लाभ भी मिलते हैंइस समय व्यक्ति परिवार और काम को लेकर कुछ अधिक व्यस्त रह सकता है. 

एकादश भाव में बुध का गोचर 

एकादश भाव में बुध अच्छे परिणाम देने वाला होता है. यह कुछ नए समाचार, अच्छी आय, सरकारी कार्यों में सफलता को दिखा सकता है. इस समय मित्रों और रिश्तेदारों के साथ मेल जोल अधिक बढ़ता है. सामाजिक रुप से भागीदारी भी रहती है. विलासिता की वस्तुओं पर धन खर्च होता है और साथ ही नवीन वस्तुओं की प्राप्ति का समय होता है. 

द्वादश भाव में बुध का गोचर फल 

बारहवें भाव में बुध का गोचर होने पर व्यक्ति को मिलेजुले परिणाम अधिक मिल सकते हैं. इस समय आय प्राप्ति के लिए बाहरी संपर्क अधिक काम आते हैं. लम्बी दूरी की यात्राओं का समय भी बनता है. विदेश कारोबार में मुनाफा मिल पाता है. इस समय खर्चों की अधिकता रह सकती है. शत्रुओं से सावधान रहना होता है अन्यथा मान हानि का असर भी जीवन पर पड़ सकता है. 

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बुद्धि के विकास के लिए क्यों अहम होता है बुध ग्रह ?

बुध को संस्कृत में बुद्ध कहा जाता है और इसका अर्थ बुद्धिमत्ता और तर्क की कुशलता. बुध जितना अच्छा होगा उतना ही गुण बेहतर होता चला जाएगा. बुध एक ऎसा ग्रह है जो वाणी और बुद्धि का ऎसा संतुलन देता है जिसके कारण व्यक्ति का काया कल्प हो सकता है. सभी अच्छे वकीलों और वाद-विवाद करने वालों के पास ये गुण बुध ग्रह के कारण ही उन्हें मिलता है. स्मृति, अवलोकन करने और जानकारी एकत्र करने की क्षमता ये सभी बातें बुध के अधीन मानी गई हैं. व्यक्ति का पढ़ना सुनना इसी बुध पर निर्भर करता है. व्यक्ति चीजों को समझने के लिए जो भी काम करता है वह बुध पर निर्भर करता है. 

मिथुन और कन्या पर बुध का असर 

बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि का स्वामित्व पाता है. मिथुन राशि का चिन्ह दो चेहरे हैं, एक अंदर की ओर देख रहा है और दूसरा बाहर की ओर देख रहा है. यह ग्रहण कर लेने के लिए बुध की क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है, चिंतन क्षमता का चेहरा अंदर की ओर होता है बुध उसका उपयोग करके इसका बोध कराता है और फिर दूसरों को अपनी समझ बाहर की ओर चेहरा व्यक्त या संप्रेषित करता है. यह इस अद्वितीय क्षमता के कारण है कि बुध को मौखिक संचार की शक्ति का आधिपत्य सौंपा गया है. भीतर की ओर देखने वाला चेहरा इस तथ्य से भी संबंधित है कि बुध तंत्रिका तंत्र पर शासन करता है. पीड़ित बुध तंत्रिका तंत्र से संबंधित बीमारियों का कारण बन सकता है.

अब दूसरी राशि कन्या राशि है, यह एक युवा कन्या है जिसके हाथों में अनाज के बीज हैं और वह नाव पर सवार हैं. यह दिन-प्रतिदिन के कार्यों, सेवा और विकास के सांसारिक व्यापारिक मामलों के साथ बुध के संबंध का प्रतीक बनती है. हर किसी को अनाज भरण पोषण की आवश्यकता होती है जो एक कृषि प्रधान समाज में बुनियाद का प्रतिनिधित्व करता है. कारीगर वर्ग, कुशल पेशेवर वर्ग, कौशलता का उपयोग करके अपनी आजीविका अर्जित करने वाले प्रशिक्षण के लिए बुध द्वारा कन्या राशि को मजबूती मिलती है. यह कालपुरुष कुंडली में रोजमर्रा के काम का छठा भाव है. जीवन की नाव पर सवार कुमारी इस तथ्य का प्रतीक है कि हमारी बुद्धि एक कोमल अबोध रुप की तरह है. मासूमियत या हमारी बुद्धि की शून्यता के बिना, हम कुछ भी सीखने और कुछ भी अर्जित करने में सक्षम नहीं होंगे, इसके लिए जरुरी है की नाव को इस अस्थिर दुनिया में अपने अस्तित्व के अशांत जल पर चला सकें इसके लिए बुध सहायक बनता है.

बुद्धि की अपार उर्वरता को पाने में बुध सहायक बनता है. यह विचारों को जन्म देता है, समस्याओं को हल करने में हमारी मदद करता है. कालपुरुष कुंडली में तीसरा भाव मिथुन का और छठा भाव कन्या का होता है. बुध इन दोनों के द्वारा समस्याओं या बाधाओं का सामना करने की क्षमता विकसित करता है. समस्याओं को हल करने वाले विचारों के लिए बुध की आवश्यकता होती है. कन्या राशि का बुध, असीम ज्ञान देता है, यही कारण है कि कन्या राशि में बुध को उच्च का माना जाता है. बुध यहां होकर समस्याओं या बाधाओं से जूझने और हल करने के लिए परिपक्क बनाता है. 

बुध का सूर्य से संबंध 

विंशोत्तरी दशा बुध की दशा से समाप्त होती है. बुध की सहायता के बिना केतु जिस मोक्ष या मुक्ति की कामना करता है, उसे प्राप्त नहीं कर सकता है. बुध के बारे में एक और अनोखी बात यह है कि यह एकमात्र ऐसा ग्रह है जो सूर्य के बहुत करीब होने के कारण अस्त के दोष को नहीं पाता है. सूर्य की अत्यधिक रोशनी ग्रह पर हावी होने के कारण अपनी शक्ति खोने के कारण ग्रह अस्त हो जाता है लेकिन बुध सूर्य से काफी ज्ञान पाता है. बुध के लिए सूर्य उसका शिक्षक भी है. हर दूसरे ग्रह का प्रभाव तब अस्त हो जाता है जब वे सूर्य के बहुत करीब आ जाते हैं.लेकिन जब बुध सूर्य के साथ होता है, तो यह एक प्रसिद्ध राजयोग बनाता है. इस शुभ योग के कारण जीवन में बड़ी सफलता प्राप्त करने में व्यक्ति सक्षम होता है.

सूर्य के साथ बुध बुधादित्य योग कहलाता है. यह योग जातक को बहुत तेजवान बनाता है. बुध बुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है और सूर्य सत्य या आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है. सत्य या आत्मा के प्रकाश से प्रकाशित एक बुद्धि अधिक ज्ञान को लाती है और किसी भी तरह से हानिकारक नहीं होती है. इससे हमें स्पष्ट पता चलता है कि बुध सूर्य की किरणों से अस्त क्यों नहीं होता. यह सूर्य या आत्मा द्वारा प्रकाशित होने पर और अधिक शक्तिशाली हो जाता है.यह सूर्य के सबसे निकट का ग्रह भी है. यह इस तथ्य को इंगित करता है कि  सूर्य से निकलने वाली जीवन शक्ति के अलावा, बुद्धि जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कारक है. सूर्य के तेज से प्रकाशित उज्ज्वल बुद्धि के बिना हम सभी अधूरे हैं. 

बुध जीवन के आरंभिक जीवन अबोध पलों के लिए विशेष होता है क्योंकि ज्योतिष में बुध राजकुमार है. बच्चा जीवन के इस चरण में अपने आस-पास की हर प्रासंगिक वस्तु और व्यक्ति को पहचानना सीखता है. बच्चे जिज्ञासु और बेचैन होते हैं यह क्षमता उसे अपने आस पास के माहौल से मिलती है. चीजों को सीखने में बुध मदद करती है. बुध भाषा और संचार पर अधिकार रखता है. बुध भी चंद्रमा को छोड़कर सभी ग्रहों में सबसे अधिक जिज्ञासु और बेचैन करने वाला ग्रह है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यह चंद्रमा को छोड़कर अन्य सभी ग्रहों की तुलना में कम समय में सभी राशियों पर भ्रमण पूरा कर लेता है. मजबूत बुध वाला व्यक्ति जीवन भर अपनी जिज्ञासा बनाए रखता है. वह जीवन भर ज्ञान में सीखते और बढ़ते रहते हैं. वहीं बुध का कमजोर होना सीखने और समझने के गुण पर असर डालने वाला होता है. 

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मंगल का सभी 12 भावों में गोचर का प्रभाव

मंगल ग्रह का गोचर जन्म कुंडली के जिस भाव में होगा वहां बैठ कर कई तरह के असर दिखाने वाला होता है. मंगल ग्रह प्रत्येक राशि में लगभग 40 दिनों तक गोचर करता है. जन्म के समय चंद्रमा जिस भाव में स्थित होता है, वहां से तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव में गोचर करने पर यह सकारात्मक परिणाम लाता है. शेष भावों में, यानी पहले भाव, दूसरे भाव, चौथे भाव, पांचवें भाव, सातवें भाव, आठवें भाव, नवम भाव, दशम भाव और बारहवें भाव में अनुकूलता की कमी को दर्शाने वाला होता है. मंगल का ये गोचर कुछ नकारात्मक प्रभाव भी ला सकता है. मंगल का गोचर आपके जीवन को कई तरह से प्रभावित कर सकता है.

पहले भाव में मंगल गोचर का फल 

जब मंगल पहले भाव में गोचर करता है, तो व्यक्ति स्वयं को लेकर उत्साहित होता है. खान पान और रहन सहन में बदलाव का समय होता है. धन की ओर अधिक ध्यान देना शुरू हो जाता है. कमी के नए स्त्रोत विकसित होने का समय होता है. इस दौरान कुछ अनचाहे खर्चे भी हो सकते हैं. स्वास्थ्य की दृष्टि से आपको बुखार या रक्त संबंधी रोग हो सकते हैं. करियर में कुछ उतार-चढ़ाव भी आ सकते हैं. इस समय व्यवहार की कठोरता से बचना सबसे आवश्यक होता है. 

दूसरे भाव में मंगल गोचर का फल 

दूसरे भाव में मंगल का गोचर चारित्रिक गुणों, शारीरिक बनावट, स्वभाव एवं वाणी पर असर डालता है. इस समय पर जीवन की अनिश्चितताओं और अचानक होने वाले बदलावों को देख पाते हैं. मंगल का यह गोचर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी दर्शा सकता है. इसके अलावा इस समय मंगल देव प्रभाव से अपने कार्यक्षेत्र में हर काम को एक नई ऊर्जा के साथ करते हुए नजर आते हैं

तीसरे भाव में मंगल गोचर का फल  

तीसरे भाव में मंगल का गोचर अच्छे परिणामों को प्रदान करने वाला माना गया है. इससे आपको अपने अंदर सकारात्मक ऊर्जा का अहसास होता है. पार्टनरशिप से जुड़ा व्यापार करने वाले लोगों के बेहतर लाभ के मौके मिलते हैं. यह गोचर बहुत ही शुभ फल देने की संभावना वाला होता है. जीवनसाथी भी आपके कारोबार में खुलकर सहयोग करता है. वहीं नौकरीपेशा लोगों के लिए भी यह गोचर अधिक शुभ फल लेकर आता है. क्योंकि इस समय कार्यस्थल पर आपके काम को सभी सराहेंगे और इसके परिणाम स्वरूप आपको पूर्ण सफलता मिलती है. 

चतुर्थ भाव में मंगल गोचर का फल 

मंगल का गोचर चतुर्थ भाव में होने पर व्यक्ति को कई मामलों में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रह सकती है. इस दौरान काम ओर घर दोनों स्थानों पर तालमेल बनाए रखने की आवश्यकता होती है. अपने लक्ष्य के प्रति खुद को केंद्रित रखते हुए कड़ी मेहनत करने की जरूरत होती है. पारिवारिक जीवन में इस अवधि में आपको अपनी माता के स्वास्थ्य को लेकर सबसे ज्यादा सावधान रहने की जरूरत होती है क्योंकि इस बात की आशंका अधिक है कि इस गोचर के दौरान आपकी माता का स्वास्थ्य अथवा उनके साथ संबंध चिंता का कारण हो सकते हैं. 

पंचम भाव में मंगल गोचर का फल 

कुंडली के पांचवें भाव में मंगल का गोचर कई मायनों में मिलेजुले परिणामों को देने वाला होता है. प्रेम संबंधों को लेकर इस समय गोचर के दौरान कुछ बदलाव साफ तौर पर देखने को मिल सकते हैं. रिश्ता पहले से ज्यादा गहरा होता है लेकिन कई बार कुछ बातें अलगाव और विवाद का कारण भी बन जाती हैं. अपने प्रियतम के साथ परिणय सूत्र में बंधना चाहते हैं तो इस समय अनुकूल परिणाम मिलने वाले होते हैं.

छठे भाव में मंगल गोचर का फल 

छठे भाव में मंगल का गोचर अच्छे प्रभाव दिखाता है. इस भाव में मंगल का गोचर व्यक्ति की छवि को दूसरों पर प्रभावशाली रुप से डालने वाला होता है. इस दौरान हर तरह के कानूनी विवाद में सफलता पाने का भी अवसर प्राप्त होता है. इस बात की भी संभावना है कि यदि किसी कानूनी पचड़े में फंस भी जाते हैं तो मंगल देव की कृपा से आप उससे भी निकलने में सफल रहते हैं.इसके अलावा जिन लोगों का कोई कोर्ट केस चल रहा है उनका फैसला भी आपके पक्ष में आ सकता है. विरोधियों को दबाने में सफल होते हैं. 

सातवें भाव में मंगल गोचर का फल 

सातवें भाव में मंगल का गोचर होने के कारण यह परिवार एवं दांपत्य जीवन पर असर डालने वाला होता है. 

गोचर की यह अवधि उन के लिए भी कुछ बेहतर हो सकती है जो काम या विदेश में बसने से संबंधित विदेश यात्रा के इच्छुक हैं, लेकिन कुछ समस्याएं भी बनी रहेंगी. सेहत पर असर पड़ सकता है. अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहने की आवश्यकता होगी. वहीं पारिवारिक जीवन में भी एक दूसरे से मतभेद से बचने की जरूरत होगी. 

आठवें भाव में मंगल गोचर का फल 

मंगल का गोचर कुछ मायनों में आठवें भाव पर जब होता है, तब स्थिति कुछ कठिन और चुनौतिपूर्ण रहती है. 

इस समय हर तरह के लेन-देन करते समय काफी सावधानी बरतने की जरूरत है. यह आठवां भाव जीवन में अनिश्चितता और अचानक अच्छे और बुरे बदलावों को दिखाता है. अष्टम भाव में ग्रह स्थिति थोड़ी चिंताजनक हो सकती है. इसका सबसे बड़ा असर सेहत पर कई तरह की परेशानियां ला सकता है. करियर की बात करें तो इस अवधि में कई उतार-चढ़ाव देने वाला होता है. इस वजह से कार्यक्षेत्र में संघर्ष और मेहनत करने की आवश्यकता होगी. अपनी मेहनत के अनुसार सफलता और संतुष्टि में कमी रह सकती है. व्यवसाय से जुड़े हैं तो इस गोचर काल में कुछ लाभ मिलने के योग भी बनते हैं.

नवम भाव में मंगल गोचर का फल 

मंगल के यहां होने पर नौकरी और कार्यक्षेत्र में पदोन्नति मिलने के योग बनते है. निजी जीवन इस गोचर के कारण जीवनसाथी के साथ कुछ अनबन का सामना करना पड़ सकता है, वहीं वरिष्ठों से साथ रिश्ते मिलेजुले से होंगे. कार्यस्थल पर कार्यभार और दबाव अधिक होने के कारण परिवार के लिए समय की कमी परेशान कर सकती है. अपने जीवनसाथी को पर्याप्त समय नहीं दे पाएंगे जिसे रिश्ते के बीच कुछ तनाव और गलतफहमी पैदा हो सकती है. यह समय आध्यात्मिक स्थिति को प्रभावित करने वाला होगा. यात्राओं के मौके बने हुए होंगे. 

दशम भाव मंगल गोचर का फल 

खासतौर पर प्रतियोगी परीक्षा या किसी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे जातकों के लिए मंगल देव सफलता मिलने के पूरे योग बनाते हैं. खेल के क्षेत्र से जुड़े विद्यार्थियों को अच्छा प्रदर्शन देने में भी मंगल देव सहायक होते हैं. शत्रु और विरोधी सक्रिय रहेंगे, लेकिन अपनी सूझबूझ और मेहनत के बूते उन पर विजय पाने में सफल रह सकते हैं. 

ग्यारहवें भाव मंगल गोचर का फल 

लाभ भाव में मंगल का गोचर अच्छे फलों को दर्शाने वाला होता है. इस समय पर इच्छाएं ओर परिश्रम दोनों मिलकर काम करते हैं. जीवन में कुछ प्राप्तियों का समय होगा. इस समय मान सम्मान को पाने का अथवा कुछ बेहतर लाभ पाने का बेहतर समय होगा. स्वास्थ्य को लेकर सुधार की संभावना भी है. रिश्तों में सहभागिता का समय दिखाई देगा. सामाजिक रुप से स्थिति पक्ष में रहने वाली होगी. 

बारहवें भाव मंगल गोचर का फल 

बारहवें भाव में मंगल का गोचर चिंता को दिखाने वाला होता है. इस समय लम्बी दूरी की यात्राएं अधिक रह सकती हैं. इस गोचर के दौरान शरीर में कुछ दर्द बना रहता है. पैरों, आंखों और पेट से संबंधी रोगों को लेकर सावधान रहना चाहिए. नींद संबंधी कुछ विकार भी बने रहते हैं. यह वह अवधि है  ख़र्चों को कम करने की दिशा में काम करने की आवश्यकता होती है. 

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चंद्रमा के गोचर का फल कैसे मिलता है ?

गोचर नियम अनुसार ग्रहों की स्थ्ति भाव अनुरुप फल प्रदान करती है. चंद्रमा का गोचर भी उसी अनुसार काम करता है. जन्म कुंडली में चंद्रमा का असर जिस भाव में होगा उसी अनुसार परिणाम मिलते हैं. गोचर के चंद्रमा को जब जन्म कुंडली में जन्मकालीन चंद्रमा की स्थिति से देखा जाता है तब उसके असर को समझा जाता है. 

जन्म कुंडली के पहले, तीसरे, छठे, दसवें और  ग्यारहवें भाव में गोचर करता हुआ चंद्रमा अच्छे परिणाम देता है. इसके अलावा गोचर के प्रभाव अनुसार जीवन में कुछ चुनौतियां अधिक बनी हुई दिखाई देती हैं. चंद्रमा 28 दिनों में एक राशि चक्र पूरा करता है, वह एक राशि में लगभग 2.5 दिन बिताता है. चंद्रमा मन और भावनाओं से संबंधित है. इसकी तेज गति हमारे दैनिक स्वभाव और भावनाओं में आने वाले उतार-चढ़ाव पर असर डालती है. 

चंद्र गोचर का सभी 12 भावों में फल 

चंद्रमा का पहले भाव में गोचर फल 

चन्द्रमा के पहले भाव में गोचर का असर रिश्तों एवं मानसिकता में होने वाले बदलावों का होता है. इस समय के दोरान व्यक्ति अपने आस पास की चीजों को लेकर बहुत अधिक सोच विचार करता है. इस समय आर्थिक स्थिति में खर्च की अधिकता रहती है. अधिक तनाव ओर चिंता बढ़ सकती है. 

चंद्रमा का दूसरे भाव में गोचर फल 

चंद्रमा का दूसरे भाव में गोचर होने पर व्यक्ति को आर्थिक रुप से लाभ की प्राप्ति होती है. दूसरे भाव में गोचर करता हुआ चंद्रमा व्यक्ति को काफी उत्साहित बना सकता है. व्यक्ति सुखी और संतुष्ट दिखाई देता है. गोचर के दौरान फैमली में संपत्ति को लेकर बातें अधिक बढ़ जाती हैं. इस अवधि तक कुछ नए लोगों के साथ मेल जोल बढ़ता है. बातचीत और नई चीजों में शामिल रहते हैं. 

चंद्रमा का तीसरे भाव में गोचर फल 

चंद्रमा के तीसरे भाव में गोचर का प्रभाव परिश्रम को अधिक बढ़ा देने वाला होता है. भागदौड़ एवं यात्रा का समय होता है.  धन लाभ भी संभव है. यह एक सकारात्मक अवधि है क्योंकि जातक के प्रयास सकारात्मक रुप से काम करते हैं. भावनात्मक संतुष्टि को पाते हैं, इस दौरान चीजों को लेकर व्यक्ति के भीतर अधिक जिज्ञासा भी बनी रहती है. रोमांस और रोमांच को लेकर व्यक्ति अधिक उत्साहित दिखाई देता है. 

चंद्रमा का चतुर्थ भाव में गोचर फल 

चंद्रमा का चतुर्थ भाव में गोचर घर परिवार के साथ मेल को बढ़ाता है. परिवार में कुछ कार्यों के होने की की उम्मीद कर सकते हैं. मित्रों और रिश्तेदारों से मुलाकात का समय होता है. काम काज को लेकर सम्मान और पहचान मिलती है. स्वास्थ्य को लेकर थोड.अ ध्यान रखने की आवश्यकता होती है. नई चीजों की खरीद फरोख्त का समय भी होता है. इस समय पर दोस्तों के साथ समय बिताने का मौका कम मिल पाता है. 

चंद्रमा का पंचम भाव में गोचर फल 

चंद्रमा का पंचम भाव में गोचर फल व्यक्ति के लिए भावनाओं में अधिक व्यस्त होता है. इस समय के दौरान अपनी मर्जी के काम की पूर्ति भी होती है. शिक्षा को लेकर उत्साह बना रहता है. छात्रों के लिए ये समय बेहतर होता है. इस समय प्रेम संबंधों पर भी अधिक ध्यान बना रहता है. नई मुलाकत ओर रिश्तों में नवीनता का समय होता है. दोस्तों से मुलाकात एवं नए दोस्तों को बनाने का समय होता है. 

चंद्रमा का छठे भाव में गोचर फल 

चंद्रमा का छठे भाव में गोचर व्यक्ति को नई चुनौतियों से रुबरु कराने वाला होता है. इस समय प्रतिस्पर्धा का दौर रहता है. व्यक्ति अपने कार्यों में अच्छी सफलता को पाने में सक्षम होता है. जीवन में नई घटनाएं घटती हैं. रोग विरोध जैसी बातें आप के जीवन पर भी असर डालने वाली होती है. लड़ाई-झगड़े और तर्क-वितर्क शुरू करने से भी बचना चाहिए. सामाजिक जीवन भी अधिक प्रेरक बनता है

चंद्रमा का सप्तम भाव में गोचर फल 

चंद्रमा का गोचर सातवें भाव में होने पर व्यक्ति के लिए नए संघर्ष की स्थिति सामने होती है लेकिन सफलता भी मिलती है. प्रेम और सहयोग का भी अच्छा समय होता है. व्यक्ति अपने लोगों के साथ अधिक नजदीकी संबंधों को पाता है. इस समय पर व्यक्ति अपने काम में किसी के सहयोग को पाता है. सामाजिक रुप से अधिक व्यस्त भी रहता है. यात्राएं बनी रहती हैं. 

चंद्रमा का अष्टम भाव में गोचर फल 

चंद्रमा के आठवें भाव में गोचर के चलते व्यक्ति अपने आस पास की चीजों को पहचान नहीं पाता है. भ्रम की स्थिति मानसिकता पर हावि रहती है.  निराशा की भावना विचारों में व्याप्त होती है. आँखों से संबंधित कुछ समस्याएँ भी उत्पन्न हो सकती हैं. कुछ आर्थिक दिक्कतों का भी सामना करना पड़ सकता है. यात्रा करने के लिए भी यह कम ही अनुकूल होता है. सेहत से संबंधी परेशानियों के कारण चिकित्सक के चक्कर भी लगाने पड़ सकते हैं. 

चंद्रमा का नवम भाव में गोचर फल 

नवम भाव में स्थित चंद्रमा का असर व्यक्ति को आध्यात्मिक क्षेत्र में उन्नती प्रदान करने वाला होता है. शत्रुओं को परास्त करने का साहस भी मिलता है. इस अवधि में व्यक्ति प्रसन्न और संतुष्ट रहता है. सेहत और रिश्तों में भी यह सुधार का समय होता है. इस समय पर बड़ों के मार्गदर्शन का लाभ मिलता है. दोस्त, रिश्तेदार और भाई-बहन हर समय साथ भी प्राप्त होता है. जीवनसाथी के साथ भी संबंध इस दौरान मधुर बने रह सकते हैं. 

चंद्रमा का दशम भाव में गोचर फल 

चंद्रमा का दसवें भाव में गोचर होने से काम काज को लेकर अधिक चिंता बनी रह सकती है. कार्य क्षेत्र में प्रगति के मौके होते हैं. इस समय अधिकारियों के साथ मेल जोल बढ़ सकता है. इस दौरान निवेश में आगे बढ़ने के कुछ अवसर अचानक से सामने आते हैं. खर्चा भी काफी बढ़ जाता है कुछ नए काम की शुरुआत के लिए भी समय विशेष होता है. परिवार में चहलकदमी बढ़ने लगती है. 

चंद्रमा का एकादश भाव में गोचर फल 

चंद्रमा के एकादश भाव में गोचर का प्रभाव व्यक्ति को अच्छे लाभ प्रदान करने वाला होता है. सफलता और प्रसिद्धि प्राप्त होने के मौके होते हैं. महत्वाकांक्षाएं बहुत तेजी से बढ़ती हैं. अपने प्रेम संबंधों में अच्छा समय देख पाते हैम. मित्रों के साथ ट्रैवलिंग का अवसर मिलता है. खर्चों की अधिकता के साथ कुछ अचानक से लाभ प्राप्त का अवसर भी मिलता है  

चंद्रमा का द्वादश भाव में गोचर फल 

चंद्रमा के बारहवें भाव में गोचर का प्रभाव कई मायनों में कमजोर होता है. इस समय पर कुछ स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं अधिक बढ़ सकती हैं. जीवन में कुछ दुख का अनुभव करता है. इस दौरान सहकर्मियों का अधिक सहयोग नहीं मिलता है.  कार्यक्षेत्र में आपका प्रदर्शन इस दौरान उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाता है. प्रतिष्ठा प्रभावित हो सकती है. पेट से जुड़ी कुछ समस्याएं जैसे अपच या मानसिक तनाव भी बना रहता है. सौदे अधिक लाभदायक नहीं हो पाते हैं. 

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सूर्य सिद्धांत : सूर्य गोचर में कब देता है शुभ और शुभ फल

गोचर नियम अनुसर ग्रहों की शुभता एवं अशुभता का प्रभाव जन्म राशि होने वाले ग्रह के गोचर की स्थिति पर निर्भर करता है. सभी ग्रहों की गोचर का फल उनकी इसी स्थिति के अनुसर मिलता है. जन्म कुंडली में कुछ भावों पर गोचर शुभ होता है तो कुछ अशुभ. हर ग्रह अपने अनुसार फल देता है. सूर्य का गोचर जन्मकालीन राशि से तीसरे भाव, छठे भाव, दशम भाव और एकादश भाव में शुभ माना जाता है. इन भावों में जब भी सूर्य के गोचर का असर देखा जाता है तो जीवन में कुछ सकारात्मक असर दिखाता है. इसके अलावा अन्य भावों में सूर्य का गोचर अनुकूलता की कमी को दर्शाता है. 

12 भाव अनुसार सूर्य का शुभ-अशुभ गोचर 

कुंडली के पहले भाव में सूर्य का गोचर फल 

कुंडली के पहले भाव में सूर्य का गोचर शुभता की कमी को दर्शाता है. सूर्य के गोचर फल के कारण व्यक्ति को सेहत से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. अपने काम को लेकर अधिक सावधान रहना होता है. गोचर के दौरान हृदय, रक्तचाप, सिरदर्द और आंखों से संबंधित  समस्याएं अपना असर डाल सकती हैं. मानसिक रुप से अशांतिआधिक रहती है. बेचैनी का भाव बना रहता है. जीवन में चीजों को देखने का नजरिया भी बदला हुआ सा होता है. 

कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य का गोचर फल 

कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य का गोचर होने पर धन से जुड़े मामले अधिक समस्या उत्पन्न करने वाले होते हैं. परिवार में स्थिरता के साथ अशांति का अनुभव हो सकता है. समाज में स्थिति को लेकर भी अधिक सजग होते हैं. वाणी में कठोरता आने लगती है और व्यर्थ के विवाद बढ़ सकते हैं. कार्यस्थल पर भी कठिनाइयों का सना करना पड़ सकता है. रोग एवं गुप्त चिंताएं बढ़ सकती हैं. गुस्से और चिड़चिड़ेपन पर नियंत्रण रखना इस समय बेहद जरुरी होता है. जीवनसाथी और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ भी अनबन हो सकती है.

कुंडली के तीसरे भाव में सूर्य का गोचर फल 

के तीसरे भाव में सूर्य का गोचर काफी अनुकूल होता है. इस समय के दौरान परिश्रम और उत्साह से व्यक्ति भाग्य का फल पाता है. नौकरी में प्रगति का मौक अमिलता है. कारोबार से जुड़े फैसलों को आगे बढ़ा पाने में सफल हो सकते हैं. कुछ पदोन्नति या वेतन वृद्धि भी देखने को मिल सकती है. इस समय अपने काम के साथ साथ अपने सुख एवं अच्छे स्वास्थ्य को पाते हैं. धनार्जन के मौके अच्छे होते हैं और शत्रु परास्त होते हैं. 

कुंडली के चतुर्थ भाव में सूर्य का गोचर फल 

कुंडली के चतुर्थ भाव में सुर्य का गोचर होने से व्यक्ति को आर्थिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है. अपने लोगों के साथ विवाद भी अधिक रह सकता है. इस गोचर के दौरान गुस्से और ज़ुबान पर क़ाबू रखने की ज़रुरत है क्योंकि यह परिवार में तनाव को बढ़ा सकती है. दोस्तों के साथ कुछ अलगाव समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. मान सम्मान को लेकर चिंता रहती है. माता-पिता का स्वास्थ्य भी चिंता देता है. किसी भी जोखिम भरे निवेश या अटकलों से बचना ही उचित होता है. स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना चाहिए सीने से संबंधित समस्याए एवं रक्तचाप समस्याए बनी रहती हैं. 

कुंडली के पंचम भाव में सूर्य का गोचर फल 

सूर्य के पंचम भाव में गोचर का प्रभाव परेशानी और चिंता को दिखाता है. मानसिक तनाव और व्यर्थ के विरोधाभास की स्थिति जीवन पर असर डालती है. छवि और स्थिति पर भी असर पडता है. प्रेम संबंधों को लेकर स्थिति कमजोर रह सकती है. अपने दोस्तों या सीनियर्स के साथ कुछ अनबन भी होती है. सहकर्मियों और कर्मचारियों के साथ कुछ कम्युनिकेशन गैप या गलतफहमी भी हो सकती है. काम का बोझ अधिक रहता है इसलिए तनाव का स्तर भी बढ़ जाता है. 

कुंडली के छठे भाव में सूर्य का गोचर फल

सूर्य का छठे भाव में गोचर करना बेहतर परिणाम दिलाने वाला होता है. यह अच्छा समय भी माना जाता है. इस समय कठिन मामलों में राहत पाने में मदद मिलती है. इस दौरान शत्रु भी कमजोर दिखाई देते हैं. यह कुल मिलाकर एक सुखद और भाग्यशाली अवधि साबित हो सकती है. प्रयास सफलता पाते हैं. सेहत पर भी बेहतर प्रभाव दिखाई देता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी रहती है. कानूनी मामलों में सफलता मिलती है. 

कुंडली के सप्तम भाव में सूर्य का गोचर फल

सूर्य का सप्तम भाव में गोचर कमजोर होता है. पारिवारिक जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. दूसरे आपके काम पर सवाल उठाने लगते हैं. शत्रु और प्रतिस्पर्धी भी आपको नीचे खींचने की कोशिश कर सकते हैं. वैवाहिक जीवन में दूरी, कुछ मानसिक तनाव पूरे समय बना रहता है. इस अवधि में आपको किसी भी तरह के वाद-विवाद से बचना चाहिए. स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं की संभावना भी बढ़ जाती है. 

कुंडली के अष्टम भाव में सूर्य का गोचर फल

कुंडली के अष्टम भाव में सूर्य का गोचर अच्छा नही होता है. इस समय पर हेल्थ पर असर अधिक दिखाई देता है. विशेष रूप से हृदय और पेट से संबंधित रोग उभर सकते हैं. अपने जीवनसाथी और बच्चों के साथ भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. नकारात्मक ग्रह ऊर्जा के चलते कार्यों में अटकाव हो सकता है. पिता अथवा वरिष्ठ लोगों के साथ रिश्ते में कमजोर स्थिति बनती है. सरकार के साथ कुछ मुद्दे भी इस दौरान आपको परेशान कर सकते हैं.

कुंडली के नवम भाव में सूर्य का गोचर फल

कुंडली के नवम भाव में भी सूर्य का गोचर कमजोर स्थिति को दर्शाता है. जमीन-जायदाद के मामलों में परेशानी बनी रह सकती है. किसी भी अप्रत्याशित यात्रा का होना थकान और परेशानी को बढ़ा सकता है.  घरेलू अशांति भी बढ़ती है क्योंकि समझ की कमी बनी रहती है. माता के साथ कुछ विवाद हो सकता है. सूर्य की इस स्थिति के कारण जीवन में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में देरी का अनुभव होता है. व्यर्थ के खर्च अधिक बढ़ सकते हैं और धन हानि भी संभव हो सकती है.

कुंडली के दशम भाव में सूर्य का गोचर फल

कुंडली के दशम भाव में सूर्य के गोचर की स्थिति वैदिक ज्योतिष में अच्छे परिणाम दिखाने वाली मानी जाती है. इस समय के दोरान करियर में प्रगति का समय होता है. सरकारी कार्यों में भी राहत मिलती है. इस गोचर के साथ स्थिति और कमाई में भी सुधार होता है. सामाजिक संपर्कों में भी सुधार होता है तथा उच्च अधिकारियों के साथ मेलजोल का अवसर मिलता है. यात्रा एवं लक्ष्यों को पूरा करने के लिए यह एक अच्छा समय होता है. व्यवसाय से संबंधित अच्छे परिणाम मिलते हैं.

कुंडली के एकादश भाव में सूर्य का गोचर फल

कुंडली के एकादश भाव में सूर्य का गोचर अच्छा माना जाता है. यह एक शुभ अवधि के रुप में सहायक बनता है. इस समय अधिक प्रयास किए बिना ही लाभ की प्राप्ति होती है. इस दौरान प्रमोशन, लाभ प्राप्ति के अतिरिक्त मौके मिल सकते हैं. मित्रों का सहयोग बढ़ता है. जीवन में इच्छाओं को पाने के लिए प्रयास अच्छे परिणाम दिखाते हैं.  नए लोगों अथवा उच्च स्तर के कार्यों से जुड़ने का मौका मिलता है. भाई बंधुओं का सुख प्राप्त होता है. समाज में प्रतिष्ठा पाने का समय होता है. 

कुंडली के द्वादश भाव में सूर्य का गोचर फल

सूर्य का द्वादश भाव में गोचर जीवन में चुनौतियों की अधिकता को दिखाने वाला होता है. सहकर्मियों और वरिष्ठों के साथ विवाद हो सकता है. शत्रु प्रगति में बाधा डाल सकते हैं.  इस दौरान विपक्ष अधिक मजबूत दिखाई देता है. सेहत भी परेशान करती है आंखों से संबंधित रोग परेशानी दे सकते हैं. इस दौरान जीवनसाथी के स्वास्थ्य एवं व्यवहार को लेकर भी चिंता बनी रह सकती है. खर्चों में वृद्धि जमा पूंजी पर दबाव डालती है. 

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सूर्य महादशा आपके लग्न पर कैसे डालती है अपना असर

सूर्य महादशा का प्रभाव व्यक्ति के ऊपर एक कम अवधि के लिए पड़ता है. इस दशा के दोरान व्यक्ति आत्मिक रुप से जागरुक बनता है. वह अपने आस पास की स्थिति को अब बहुत अधिक गहराई से देख पाता है. सूर्य आत्मा का कारक है जिसके चलते व्यक्ति जो भी अनुभव करता चला जाता है उन सभी का उसे आने वाले जीवन पर भी असर पड़ता है. सभी लग्नों में सूर्य की महादशा का असर कुछ मौलिक चीजों को छोड़ कर अलग-अलग दिखाई देता है. यहां व्यक्ति को सूर्य की दशा लग्न के अनुसार प्रभाव देती है. मेष से मीन लग्न तक सभी में सूर्य अपने अपने स्वामित्व के आधार पर ही अपने असर को दिखाता है. 

सूर्य महादशा के प्रभाव में चल रहे हैं, तो लग्न के आधार पर फल अशुभ और शुभ दोनों हो सकते हैं अलग-अलग लग्न अलग-अलग परिणाम देते हैं और यह पूरी तरह से सूर्य ग्रह की शक्ति और शक्ति पर निर्भर करता है. यदि सूर्य ग्रह स्वराशि, उच्च और मित्र राशि में स्थित हो तो निश्चित रूप से शुभ फल देता है. यदि यह पापी शनि, राहु, केतु और मंगल से पीड़ित है तो यह निश्चित रूप से बुरा परिणाम देगायदि ग्रह तुला राशि में नीच का हो तो सूर्य की महादशा अवश्य ही अशुभ फल देगी.

आइये जानते हैं कैसे सभी लग्न के लिए सूर्य महादशा दिखाती है अपना फल 

मेष लग्न के लिए सूर्य महादशा का परिणाम

मेष लग्न वालों के लिए सूर्य पंचम भाव का स्वामी होता है. सूर्य ग्रह पंचम भाव पर अधिपत्य रखता है जिसके कारण यह काफी शुभ हो जाता है. सूर्य व्यक्ति को शुभदायक फल प्रदान करता है.  से जातक के लिए एक लाभकारी ग्रह है.

वृष लग्न के लिए सूर्य महादशा का फल

वृष लग्न के लिए सूर्य चतुर्थ भाव का स्वामी होता है. इस स्थान को केन्द्र भाव भी कहा जाता है. यहां सूर्य शुभ स्थिति में होने पर अनुकूल परिणाम देता है. सूर्य की स्थिति का प्रभाव व्यक्ति को सकारात्मक रुप से मान सम्मान प्रदान करने में भी सहायक बनता है. 

मिथुन लग्न के लिए सूर्य महादशा का फल

मिथुन लग्न के लिए तीसरे भाव का स्वामी  होता है सूर्य ग्रह. यह इस भाव का स्वामी होकर मिलेजुले परिणाम प्रदान करता है. व्यक्ति को पराक्रम मिलता है साहस अच्छा होता है. एकाग्रता की कमी परेशान कर सकती है. 

कर्क लग्न के लिए सूर्य महादशा का परिणाम

कर्क लग्न के लिए सूर्य दूसरे भाव का स्वामी होता है. सूर्य ग्रह वैदिक ज्योतिष के अनुसार यहां पर तटस्थ होता है. इस दशा के दोरान व्यक्ति को आर्थिक स्थिति में अच्छे मौके मिलते हैं लेकिन क्रोध एवं वाणी में उग्रता का प्रभाव देखने को मिलता है. सूर्य पीड़ित और दुर्बल होने पर  बुरा परिणाम दे सकता है.

सिंह लग्न के लिए सूर्य महादशा का फल

सिंह लग्न के लिए सूर्य लग्नेश होकर शुभ होता है. सूर्य ग्रह अत्यंत संतोषजनक और अभूतपूर्व परिणाम दे सकता है. सूर्य लग्न का स्वामी है और एक प्राकृतिक शुभ ग्रह बन जाता है. सूर्य की महादशा के दौरान विकास के अच्छे मौके मिलते हैं. सामाजिक प्रतिष्ठा, आर्थिक लाभ, महिमा और सामाजिक स्थिति अच्छी होती है. 

कन्या लग्न के लिए सूर्य महादशा का फल

कन्या लग्न  के लिए सूर्य बारहवें भाव का स्वामी होता है. यह भाव व्यय का स्थान होता है इस कारण से सूर्य की दशा कुछ खराब परिणाम देने वाली होती है. इस समय व्यक्ति अपने खर्चों के कारण परेशानी अनुभव कर सकता है. व्यक्ति को स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से परेशानी अधिक झेलनी पड़ सकती है. विदेश से लाभ मिलता है. 

तुला लग्न के लिए सूर्य महादशा का फल

तुला लग्न के लिए सूर्य एकादश भाव का स्वामी होकर लाभ प्रदान करने वाला होता है. लाभ भाव का स्वामी होकर सूर्य लाभकारी रहता है.. अच्छी स्थिति में स्थित सूर्य महादशा के दौरान पर्याप्त धन, ज्ञान, सम्मान, सम्मान और सामाजिक स्थिति मिल सकती है. 

वृश्चिक लग्न के लिए सूर्य महादशा का फल

वृश्चिक लग्न के लिए सूर्य दशम भाव का स्वामी होता है. सूर्य महादशा में व्यक्ति अपने करियर में नए पड़ाव अनुभव कर पाता है. 10वें भाव का स्वामी सूर्य यदि अच्छी स्थिति में तो व्यक्ति अपने करियर से ऊंचाईयों को छू लेने में सक्षम होता है. 

धनु लग्न के लिए सूर्य महादशा का फल

धनु लग्न के लिए सूर्य नवम भाव का स्वामी होता है. भाग्य का स्वामी बनकर सूर्य व्यक्ति को अच्छे लाभ प्रदान करता है. सूर्य महादशा व्यक्ति को भ्रमण के अवसर देती है. व्यक्ति को धार्मिक यात्राओं का मौका भी इस समय के दोरान मिलता है. 

मकर लग्न के लिए सूर्य महादशा का फल

मकर लग्न के लिए सूर्य अष्टम भाव का स्वामी होता है. अष्टम भाव का स्वामी होकर सूर्य दशा खराब रुप में फल अधिक देती  सूर्य की महादशा के दौरान अच्छे परिणाम का अनुभव नहीं हो पाते हैं. सूर्य ग्रह आठवें भाव का स्वामी है जो मारकेश भी बन जाता है. 

कुम्भ लग्न के लिए सूर्य महादशा का फल

कुम्भ लग्न के लिए सूर्य सप्तम भाव का स्वामी बनता है. सूर्य की स्थिति व्यक्ति को सामाजिक एवं कारोबार में अधिक प्रभावित करने वाली होती है. सूर्य की महादशा के दौरान मिलेजुले अनुभव हमें प्राप्त होते हैं. यदि जन्म कुंडली में सूर्य ग्रह पीड़ित है, तो वित्तीय मुद्दों और वैवाहिक कलह का अनुभव भी दे सकता है. 

मीन लग्न के लिए सूर्य महादशा का फल

मीन लग्न के लिए सूर्य छठे भाव का स्वामी होता है.  जन्म कुंडली में छठा भाव रोग, ऋण और शत्रुता को दर्शाता है. जन्म कुण्डली में सूर्य की महादशा व्यक्ति को शत्रुओं की अधिकता दे सकती है स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकती हैं. 

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बुध का मीन राशि में गोचर : जानें अपनी राशि पर इसका असर

बुध का मीन राशि में गोचर विशेष होता है क्योंकि बुध के लिए मीन राशि में होना नीच राशि स्थान भी होता है. यह विभिन्न राशियों के जातकों के जीवन में बड़े बदलाव ला सकता है. बुध एक व्यक्तिगत ग्रह है जो हमारे व्यक्तित्व का प्रतीक हैं, बुध हमारे व्यवहार को प्रभावित करता है और निर्धारित करता है, हमारे संवाद और संचार पर यह गहरा प्रभुत्व रखता है. कैसे बोलते हैं और अपनी रणनीतियों और व्यावहारिकता का उपयोग अपनी दिनचर्या में कैसे किया जाता है. बुध पर इसका गहरा महत्व डालता है.  

बुध का मीन राशि में गोचर समय 

बुध 27 फरवरी 2025 को गुरुवार को रात 23:45 बजे मीन राशि में प्रवेश करेगा. आइए जानते हैं कि बुध का मीन राशि में गोचर का विभिन्न राशियों पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है. 

मेष राशि पर बुध गोचर का प्रभाव

बुध आपके बारहवें भाव में गोचर करेगा. इसके कारण कुछ चिंता के मुद्दों से जूझना पड़ सकता है. निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है. चेतना और व्यावहारिक दृष्टिकोण की आवश्यकता भी होगी. यह भाव अवचेतन पक्ष से जुड़ी हुआ है. इस दौरान नींद की कमी प्रभावित कर सकती है. इसलिए जरूरत है स्वास्थ्य को लेकर सजग रहा जाए. इस अवधि में कोई भी बड़ा निर्णय लेने से बचना चाहिए.  

वृष राशि पर बुध गोचर का प्रभाव

बुध का गोचर एकादश भाव में होगा और इस वजह से सामाजिक क्षेत्र में प्रभाव कुछ मिलाजुला रह सकता है.  दूसरों के साथ कुछ भावनात्मक लगाव महसूस कर सकते हैं. कुछ भावनात्मक सहयोग भी मिलेगा नए रिलेशनशिप आरंभ हो सकते हैं. बुध का प्रभाव व्यक्ति को अपने पुराने काम पर अधिक फोकस करने के लिए प्रेरित करेगा. बौद्धिक रुप से मार्गदर्शन का समय होगा. 

मिथुन राशि पर बुध गोचर का प्रभाव

बुध मिथुन राशि के लिए  दशम भाव में गोचर करेगा. यह एक ऐसी स्थिति को जन्म देगा जहां सोचने की क्षमता तेज होगी. अपने मनोकूल काम न हो पाएं. नौकरी में कुछ बदलाव की संभावनाएं अधिक रहेंगी. मनचाहे परिणाम भी मिल सकते हैं. बुध गोचरके जन्म के चंद्रमा पर एक चौकोर पहलू बनाएगा और संघर्ष का कारण बनेगा जो आपके पेशे को बढ़ा सकता है.

कर्क राशि पर बुध गोचर का प्रभाव

कर्क राशि के लिए बुध नवम भाव में गोचर करेगा. कुछ भी नया सीखने के लिए सबसे अच्छा समय हो सकता है. इस अवधि में छात्रों के लिए समय काफी अनुकूल रह सकता है. परिक्षाओं में सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं. कोई विशेषज्ञता करियर के क्षेत्र में अच्छी तरह से उपयोग हो पाएगी.  यात्राओं एवं धार्मिकता से जुड़ने का समय होगा. 

सिंह राशि पर बुध गोचर का प्रभाव

सिंह राशि के लिए बुध अष्टम भाव में गोचर करेगा. दिनचर्या में अधिक व्यस्त दिखाई दे सकते हैं. इस स्थिति में और अधिक चीजों को जोड़ने की आवश्यकता हो सकती है. इस समय अचानक से लाभ और हानि की संभावना भी है. स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना होगा. रक्त संबंधी विकार उभर सकते हैं अपने निवेश के प्रति सजग रहना होगा.

बुध गोचर का कन्या राशि पर प्रभाव

कन्या राशि के लिए बुध का गोचर सप्तम भाव में होगा. यह चंद्रमा और बुध के बीच एक विपरीत स्थिति को भी दिखाता है. कुछ मामलों में रिश्ते में ठहराव की स्थिति भी परेशानी दे सकती है.  कई स्थितियां विभिन्न दुविधाओं को दिखा सकती हैं. अपने वैवाहिक जीवन को शांतिपूर्ण बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. रिश्ते में एकाकीपन आ सकता है.  

तुला राशि पर बुध गोचर का प्रभाव

तुला राशि में बुध का छठे भाव में गोचर होगा. इस अवधि के दौरान अप्रत्याशित धन हानि या नौकरी की असुरक्षा का भाव भी उजागर हो सकता है. लोगों के साथ व्यर्थ की बातों में तनाव भी हो सकता है. दिनचर्या में बदलाव की स्थिति दिखाई दे सकती है. इसलिए अपनी दिनचर्या में संतुलन बनाए रखना होगा, अन्यथा कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

वृश्चिक राशि पर बुध गोचर का प्रभाव

वृश्चिक राशि के लिए बुध का गोचर पंचम भाव में हो सकता है. बुध का गोचर लोगों के साथ तालमेल बिठाने में सहायक हो सकता है. इस दौरान शेयर बाजार से पैसा कमा सकते हैं. लंबे समय के बाद आप शांत और तनावमुक्त महसूस कर पाएंगे. यात्राओं का समय होगा अपने दोस्तों के साथ समय बिताने का समय होगा. 

बुध गोचर का धनु राशि पर प्रभाव

धनु राशि के लिए बुध का गोचर चतुर्थ भाव में होगा. यह गोचर परिवार में कुछ बदलाव दिखा सकता है. घर के वातावरण में अनावश्यक समस्याएं पैदा हो सकती हैं. अपने रिश्तेदारों के साथ संपत्ति के मुद्दों पर विवाद का सामना करना पड़ सकता है. परिवार के साथ समय बिताएं. माता-पिता का आशीर्वाद नियमित रुप से प्राप्त करें.

मकर राशि पर बुध गोचर का प्रभाव

मकर राशि के लिए बुध का गोचर तीसरे भाव में होगा. इस समय पराक्रम में कुछ कमी रह सकती है. अपने लक्ष्यों को पाने के लिए कोशिशें बढ़ानी होंगी. आत्मविश्वास कुछ कमजोर हो सकता है. इस समय खुद पर काम करने की जरुरत होगी. सकारात्मक रुप से आगे बढ़ना होगा मिलेगा. सेल्सपर्सन को अपने वार्षिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अच्छा लाभ मिलेगा.

कुंभ राशि पर बुध गोचर का प्रभाव

कुंभ राशि के लिए बुध दूसरे भाव में गोचर करेगा. इस समय के दौरान आर्थिक स्थिति पर अधिक ध्यान देने की जरुरत होगी. बजट को बेहतर रुप से बनाए रखने की जरुरत होगी. ये समय वितीय मामलों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है. धन कहीं अटका रह सकता है. परिवार पर अधिक ध्यान देने की जरुरत होगी. 

मीन राशि पर बुध गोचर का प्रभाव

मीन राशि के लिए बुध का गोचर प्रथम भाव में होगा. कुछ अधिक विचारों में रह सकते हैं. मतभेद अधिक रह सकते हैं. कोई भी कदम उठाने के बारे में असुरक्षित महसूस कर सकते हैं.  इस दौरान स्वास्थ्य का ध्यान अवश्य करना चाहिए. खान पान में लापरवाही से बचें और नींद के प्रति लापरवाही से बचें 

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