बुध का अन्य ग्रहों से संबंध क्यों है विशेष

बुध का कुंडली में अस्थित्व जीवन के उन पहलुओं से होता है जो हमें सामाजिक रुप से एवं विश्लेषणात्मक रुप से महत्वपूर्ण बनाते हैं बुध के मित्र ग्रहों में सूर्य और शुक्र का स्थान विशेष रुप से आता है. इसके अलावा शनि, मंगल और बृहस्पति के साथ सम स्थिति होती है और शत्रुता का भाव चंद्रमा के साथ दिखाई देता है. बुध के अन्य ग्रहों से सम्बन्धों के सम्बन्ध में यह स्पष्ट देखा जाता है कि बुध के शत्रु से अधिक उसके मित्र हैं. और अब, आपके लिए यह समझना आसान होगा कि क्या होता है जब बुध अन्य ग्रहों के साथ एक हो जाता है. ऎसे में बुध की कुंडली में स्थिति कई बातों के द्वारा हमारे लिए विशेष बन जाती है. 

बुध और सूर्य की युति

बुध की अपने मित्र ग्रह सूर्य के साथ युति से बुधादित्य योग बनाता है.  बुध और सूर्य का संबंध ज्ञान ओर अनुसंधान के क्षेत्र में प्रगति का होता है. यह दोनों ग्रहों की युति आपको व्यक्ति को विश्लेषणात्मक कौशल और बुद्धिमत्ता जैसी अच्छी विशेषताओं को देने वाली होती है. बुध का सूर्य के साथ योग व्यक्तित्व विकसित करने में मदद करता है. बुध के भीतर जो कल्पनात्मकता है उसे बेहतर क्षमता सूर्य के योग द्वारा प्राप्त होती है. इस योग में व्यक्ति विचारशील और मान सम्मान को पाने में सक्षम होता है. 

बुध और शुक्र की युति

बुध के साथ शुक्र का संबंध काफी अनुकूल माना गया है. यह दोनों के एक अच्छे रिश्ते की अवधारणा भी दिखाते हैं लेकिन इसमें भटकाव भी होता है. यहां दोनों ही कोमल ग्रह हैं ओर भावनात्मक होकर बौद्धिक तर्क क्षमता को अधिक स्थान नहीं देना चाहेंगे. जब सौंदर्य के साथ बुद्धि का योग होता है तो इसका असर दूर से ही दिखाई देने लगता है. यह एक शुभ सकारात्मक उर्जाओं का संगम भी होता है. शुक्र और बुध का मिलन कुंडली में जिस भी भाव स्थान पर बनता है वहां उन गुणों में रचनात्मकता को भी शामिल कर देने वाला होता है.  इस युति में व्यक्ति को अपने मौखिक और गैर-मौखिक संचार कौशल को तेज करने में मदद मिलती है. व्यक्ति विज्ञान या गणित विषयों में रुचि ले सकते हैं और साथ में कलात्मक क्षेत्र में अपने साथ को सभी के मध्य स्थापित करने में सक्षम होता है. आर्थिक स्थिति भी अनुकूल रहती है. 

बुध और शनि की युति

बुध के साथ शनि का यह बौद्धिकता के साथ साथ ज्ञान का वो अनुभव देता है जिसके आधार पर व्यवहारिक गुणों का आगमन होता है. एक ही घर में बुध और शनि की युति का प्रभाव होने पर व्यक्ति नियमों एवं ज्ञान को बेहतर रुप से तर्क संगता के साथ दूसरों तक पहुंचा पाने में सक्षम होता है. व्यवसायी या वकील बनने का गुण भी इन युति योग में काफी असर दिखाने वाली होती है. स्वास्थ्य की दृष्टि से वायु विकार अधिक परेशानी दे सकते हैं. व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. यह योग व्यक्ति को तटस्थ गुण भी देता है. व्यक्ति भावनात्मक रुप से अपने आप को नियंत्रित रखना जानता है. इन ग्रहों की यह युति संतान के सुख में बाधा कारक भी मानी जाती है विशेष रुप से जब यह योग पंचम, सप्तम भाव में बनता हो तब. 

बुध और मंगल की युति

बुध और मंगल का एक साथ होना सकारात्मकता में कमी को दर्शाता है. लेकिन इसके बावजूद इस योग के प्रभाव स्वरुप व्यक्ति तर्क संगत एवं चतुराई से काम करने वाला बनता है. बुध की कोमलता को मंगल अपने साहस से भर देने वाला होता है. इसके कारण व्यक्ति में बहादुरी का गुण होता है. वह ऊर्जावान होकर काम करता है. जल्दबाजी एवं लापरवाही भी होती है. गंभीर बातचीत करते समय व्यक्ति काफी सजग भी होता है. व्यक्ति अपनी बात एवं अपने तर्क को साबित करने के लिए तर्क-वितर्क में लिप्त हो सकता है. करियर में अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है. स्वास्थ्य में त्वचा से संबंधी रोग अधिक परेशानी देते हैं. 

बुध और गुरु की युति

बुध के साथ बृहस्पति का योग काफी ज्ञान प्रदान करने वाला होता है. बुध ग्रह बुद्धि का कारक है और गुरु ज्ञान् का कारक है. ऎसे में इन दोनों का एक साथ होना विशेष बन सकता है. इनके द्वारा व्यक्ति चीजों को जल्द से ग्रहण करता है. जल्दी ही जीवन में नई चीजें सीख सकता है. इस बात की संभावना अधिक रह सकती है कि व्यक्ति अनावश्यक लड़ाई-झगड़े में शामिल हो सकता है. स्वयं को सिद्ध करने के लिए हर संभव कोशिशें भी करता है. काम के क्षेत्र में नीतियों एवं योजनाओं को बेहतर रुप से लागु करने का विचार रखता है. बुध के साथ बृहस्पति की उपस्थिति जीवन में आध्यात्मिकता और उच्च ज्ञान विकसित करने में मदद कर सकती है. 

बुध और चंद्रमा की युति

बुध और चंद्रमा का एक साथ होना अधिक अनुकूल नहीं माना गया है. यह आपसी शत्रुता के कारण ही कमजोर योग होता है. यह युति अनुकूल परिणाम नहीं दे पाती है.  जीवन में कोई बड़ी समस्या नहीं हो लीन मानसिक रुप से बेचैनी अवश्य रहती है. यह स्थिति दिमागी रुप से अधिक प्रभावित करने वाली है. असंतोष का असर जीवन के किसी न किसी क्षेत्र पर बना रह सकता है.  इन दोनों का प्रभाव व्यक्ति को किसी एक निर्णय को लेने नहीं देता है, जीवन में कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सक्षम नहीं हो पाते हैं. असमंजस की स्थिति सदैव बनी रहती है. किसी न किसी प्रकार का भय भी मन में रह सकता है. 

बुध और राहु की युति

बुध के साथ राहु के साथ युति योग में होना, कई तरह के विचारों से जोड़ने वाला होता है. इस का असर व्यक्ति के अपने आस पास की गतिविधियों पर भी होता है. नवीन विचारों और बुद्धिमत्ता का विकास करने के लिए ये योग सहायक बन सकता है. तर्क शक्ति अधिक काम करने वाली होती है.  

बुध और केतु की युति

बुध के साथ केतु का होना व्यक्ति को अविष्कारों से जोड़ने वाला हो सकता है. एक शोधकर्ता या अन्वेषक के रूप में काम करने में आगे रह सकते हैं. धुनिक तकनीकों का उपयोग करके बहुत सारी जानकारी एकत्र करना पसंद कर सकते हैं. यह योग स्वास्थ्य के संदर्भ में वाणी संबंधी दोष या फिर त्वचा संबंधी रोग दे सकता है. 

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