Tag Archives: ashtakavarga in astrology

शुक्र के भिनाष्टकवर्ग का विवेचन | Analysis of Bheenashtakvarga of Venus

शुक्र के भिनाष्टकवर्ग से जन्म कुण्डली के जातक को शुक्र से प्राप्त होने वाले शुभाशुभ परिणामों की विवेचना के लिए उससे प्राप्त बिन्दुओं की संख्या को जानने की आवश्यकता होती है. शुक्र को वैभव, विलासिता और ऎश्चर्य का कारक माना … Continue reading

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बृहस्पति के भिन्नाष्टकवर्ग का विवेचन | Analysis Of Bheenashtakvarga of Jupiter

अष्टकवर्ग में बृहस्पति के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा जातक को बृहस्पति से प्राप्त होने वाले शुभाशुभ परिणामों की विवेचना के लिए बिन्दुओं की संख्या का निर्धारण करने की आवश्यकता पड़ती है. बृहस्पति को समस्त ग्रहों में शुभ ग्रह माना गया है. इसी … Continue reading

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बुध के भिन्नाष्टक का विवेचन | Analysis of Bheenashtakvarga of Mercury

अष्टकवर्ग में बुध के फलों के बारे में जानने के लिए उसके भिन्नाष्ट वर्ग में प्राप्त बिन्दुओं की संख्या द्वारा समझना आसान होता है. किसी जातक की कुण्डली में 0 से 3 बिन्दुओं के साथ स्थित बुध निर्बल होता है … Continue reading

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मंगल के भिन्नाष्टकवर्ग का विवेचन | Analysis of Bheenshastakvarga of Mars

मंगल के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा कुण्डली का अध्ययन करके जातक को मंगल के शुभाशुभ प्रभावों को बताया जा सकता है. मंगल के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा प्राप्त अंकों से जातक की अनुकूल और विपरित परिस्थितियों को समझने का पूर्ण प्रयास किया जा सकता … Continue reading

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चंद्रमा का भिन्नाष्टक और उसका फलकथन

चंद्रमा के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा जातक के शुभाशुभ फलों के बारे में बताया जा सकता है. कुण्डली में 4 बिन्दुओं के साथ स्थित चंद्रमा औसत स्तर का फल देने वाला बनता है. परंतु यदि यह 5 से 8 बिन्दुओं के साथ … Continue reading

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सूर्य के भिन्नाष्टकवर्ग की विवेचना | Analysis of Bheenashtakvarga of Sun

सूर्य के भिन्न्ष्टकवर्ग से जातक के शुभाशुभ परिणामों की विवेचना की जाती है. सूर्य को राजा का स्थान प्राप्त है. वह आत्मा है. यह आरोग्य व चेतना शक्ति को दर्शाता है. यदि जन्म कुण्डली में सूर्य बली होकर अधिक बिन्दुओं … Continue reading

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त्रिकोण शोधन करने का तरीका | Method To Compute Trikon Shodhan

सर्वाष्टकवर्ग में मंडल शोधन करने के पश्चात त्रिकोण शोधन करना होता है. जन्म कुण्डली में स्थित बारह राशियों को अग्नि, पृथ्वी, वायु और जल के आधार पर चार वर्गों में विभाजित किया जाता है. इस तरह से हर एक वर्ग … Continue reading

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अष्टकवर्ग में फलित के नियम | Rules for Results in Ashtakavarga

पराशर होरा शास्त्र में महर्षि पराशर जी कहते हैं कि विभिन्न लग्नों के लिए तात्कालिक शुभ और अशुभ ग्रह होते हैं जिनके द्वारा फलित को समझने में आसानी होती है. यह कई बार देखने में आता है कि ग्रह किसी … Continue reading

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अष्टकवर्ग में नक्षत्रों द्वारा गोचर की महत्ता | Significance of Transits Through Nakshatra in Ashtakavarga

नक्षत्रों द्वारा गोचर के महत्व को समझने में सहायता मिलती है. अष्टकवर्ग में इनका उपयोग करके फलित के संदर्भ को जाना जा सकता है. नक्षत्रों को क्रमश: जन्म, सम्पत, विपत, क्षेम, प्रत्येरि, साधक, वध, मित्र और अति मित्र के रूप … Continue reading

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सर्वाष्टक वर्ग बनाने की सारिणी | Procedure for Formulating Sarva Ashtak Varga

सर्वाष्टक बनाने के लिए आप प्रस्तारक वर्ग न बनाना चाहें तो यहां दि गई विधि से आप आसानी से सर्वाष्टक बना सकते हैं. कभी कभी किसी विशेष कार्य के लिए केवल सर्वाष्टकवर्ग की ही आवश्यकता होती है. इसलिए ऎसे में … Continue reading

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