आईये जानें, कैसा होगा गुरु महाराज वक्री होकर धनु मे जाना

गुरु का गोचर इस समय मकर राशि पर हो रहा है. मकर राशि में ही गुरु इस समय वक्री होकर गोचर कर रहे हैं. पर आने वाले 30 जून 2020 को गुरु मकर से निकल कर अपनी पूर्व राशि धनु में प्रवेश करेंगे. गुरु वक्री होंगे और अपनी स्वराशि में जाने के कारण इनके इस बदलाव का असर कई प्रकार से दिखाई देगा. विशेष रुप से ये समय धनु राशि, मीन राशि मकर, राशि और मिथुन राशि वालों के लिए महत्वपूर्ण होगा.

30 जून से 19 नवम्बर क गुरु धनु राशि में ही गोचर करेंगे. इसके बाद 20 नवम्बर को पुन: मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे. 30 जून को मंगलवार के दिन गुरु(बृहस्पति) का राशि परिवर्तन होगा. यह राशि परिवर्तन प्रात:काल समय के दौरान होगा. वक्री गुरु उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में होंगे.

वक्री गुरु का उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में फल

वक्री गुरु की स्थिति एक बार फिर से धनु में होने के कारण ये समय सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक रुप से बदलाव को दिखाएगा. इसका असर उन कामों पर होगा जो रुके हुए थे. एक बार फिर से कुछ बेहतर रुख दिखई दे सकता है. कुछ सकारात्मक परिवेश की स्थिति लोगों पर असर डाल सकती है. लेकिन उसी के साथ यह एक अत्यधिक उग्र स्थिति भी होगी, क्योंकि धनु में वक्री गुरु की स्थिति उसके कारक तत्वों को विस्तार देने वाली होगी.

वक्री गुरु का धनु में होने का पौराणिक महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसर कुछ ऎसे सिद्धांत दिए गए हैं जिनमें ग्रहों के वक्री होने और उस कारण उनके मिलने वाले फलों को बहुत ही बेहतर रुप से बताया गया है. कुछ बातों के अनुसार मान्यता है कि शुभ ग्रहों का मार्गी से वक्री होना उनके इफैक्ट को बढ़ाने वाला होता है. माना जाता है कि शुभ ग्रह अपनी वक्री अवस्था में जो शुभ फल देते हैं उसमें वृद्धि कर देते हैं. इसी में धनु राशि में गुरु का मकर से निकल कर वक्री अवस्था में ही धनु की ओर लौटना काफी प्रभावशाली असर देने वाला होगा.

गुरु महाराज 13 सितंबर को मार्गी हो जाएंगे और धनु राशि में ही स्थित रहेंगे. तब तक का समय कुछ राशि वालों को अचानक होने वाले अवसर देगा. आइये जानते हैं कैसा रहेगा गुरु(बृहस्पति) का गोचर राशियों के लिए किस तरह का होगा.

30 जून से 19 नवम्बर 2020 तक इन राशिवालों पर होगा गुरु महाराज खास असर

बृहस्पति का एक बार फिर से गोचर में धनु राशि की और लौटना बड़े बदलाव का संकेत देने वाला हो सकता है. इस समय पर धनु और मीन राशि वालों पर जिम्मेदारियों की एक नयी लिस्ट सामने आ सकती है, तो वहीं दूसरी ओर मिथुन राशि वालों को अपने पुराने कामों में एक बार फिर से हाथ आजमाने का मौका मिल सकता है.

मेष राशि

मेष राशि वालों के लिए इस समय भाग्य का एक बार फिर आपको साथ मिल सकता है. पर कोशिश यही करें की खुद अपने कामों को पूरा करने की कोशिश करें. घर के किसी वरिष्ठ सदस्य की ओर से आपको कुछ नयी बातें पता चलेंगी. यात्राओं पर जाने के योग हैं पर संभल कर काम करना ही बेहतर होगा.

वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों के लिए गुरु का पुन: वक्री होकर धनु में जाना मिले जुले फलों से प्रभाव डालने वाला होगा. आपको कुछ चीजों में अचानक होने वाली परेशानियां सामने आ सकती हैं. कुछ कारणों से चिंता बढ़ सकती है.

मिथुन राशि

आप लोगों के लिए गुरु का प्रभाव सो समझ कर काम करने के मौके देगा. आप अपने रिश्ते में एक बार फिर से बेहतर कोशिशों को देख पाएंगे. बच्चों के लिए ये समय अनुकूल रह सकता है वह अपनी योग्यता का परिचय दे सकते हैं.

कर्क राशि

थोड़ा सकारत्मक हो सकता है क्योंकि एक बार पुन: भाग्य का सहयोग आपके काम को बेहतर रंग दे पाए. प्रेम रिश्तों की ओर से कुछ समय के लिए राहत मिल सके. यात्रा का योग भी बनेगा.

सिंह राशि

इस राशि के लिए गुरु का वक्री होकर धनु में आना कुछ मानसिक समस्याओं से राहत दिला सकता है. आपकी ताकत बढ़ेगी. आप में काम को लेकर बेहतर क्षमता का विकास होगा.

कन्या राशि

आप लोगों के लिए वक्री गुरु कुछ तेजी से आने वाले अवसर देने वाला होगा. सकारात्मक फलों की प्राप्ति की आशंका भी बढ़ेगी. परिवार में किसी का आगमन होगा या फिर आपकी घर वापसी का समय भी होगा.

तुला राशि

तुला राशि वालों के लिए वक्री गुरु का प्रभाव खर्चों की वृद्धि तो दिखाता है पर अब वह आपको अपने लिए कुछ नए स्थान की प्राप्ति के अवसर भी देता प्रतीत होता है.

वृश्चिक राशि

आप को घरेलु स्तर पर लोगों का सहयोग मिलने की उम्मीद दिखाई देगी. अगर किसी कारण से कुछ प्रोपर्टी के काम रुके हुए थे वो पुन: गति पकड़ सकते हैं.

धनु राशि

अपने ही घर पर एक बार फिर से गुरु का आना आप लोगों को नए अवसर देने कि कोशिश कर सकता है. अच्छे परिणाम लेकर आएगा.

मकर राशि

गुरु अपनी वक्र स्थिति में होने के कारण थोड़ी राहत ले कर आ सकता है. आप अपने काम को ध्यान दे पाएंगे. बाहरी संपर्क लाभ देने योग्य होंगे.

मीन राशि

आपके लिए काम में वृद्धि और अब आप अपने प्रयास, चाहे वो आम जिंदगी हो या आपका कार्य-क्षेत्र, उन्हीं जगहों पर करेंगे जहां से आप बेहतर अनुभव कर पाएंगे.

वक्री गुरु के लिए उपाय

वक्री गुरु का धनु राशि में गोचर करना क्रोध को बढ़ाने और खर्चों में वृद्धि करने वाला होगा. इस समय वक्री गुरु के लिए सबसे बेहतर उपाय गुरु के मंत्र जाप का होगा. वक्री होना स्थिति को अधिकता यानी के दोहराव दे सकता है. चीजों में बार-बार लगे रहना और पुन: फिर से उन अवसरों को देने वाला जो किसी कारण से छूट गए थे.

  • “ ऊं गुरु गुरुवे नम:” मंत्र की एक मामला का नियमित रुप से जाप करने से गुरु के शुभ फलों में वृद्धि के योग बनेंगे.
  • गुरु के लिए नारायण कवच का पाठ नियमित रुप से करें.
  • हल्दी की गांठ का दान बृह्स्पतिवार के दिन करना शुभ होगा.
  • श्री विष्णु भगवान को केसर और तुलसी भेंट करने से शांति प्राप्त होती है.
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    कर्क संक्रांति, सही समय पर किया गया कार्य होगा सफल

    सूर्य का मिथुन राशि से निकल कर कर्क राशि में जाना ही “कर्क संक्रांति” कहलाता है.  कर्क राशि वालों के लिए सूर्य उनकी राशि में ही गोचर करेंगे. सूर्य राशि द्वारा सूर्य का कर्क राशि में गोचर का फल आपके लिए उत्साह को बढ़ाने वाला होगा.

    संक्रांति के लिए पंचांग गणना अनुसार विशेष समय को निकाला जाता है. यह वो समय होता है जिस समय संक्रांति के लिए किया जाने वाला स्नान, पूजा पाठ और दान कार्य करना बहुत शुभ माना जाता है. इस समय पर साधारण जन द्वारा संक्रांति से जुड़े सभी कार्य कर सकते हैं.

    कर्क संक्रांति में स्नान दान का शुभ समय

    • 16 जुलाई को बुधवार के दिन 17:30 कर्क संक्रांति का आरंभ होगा.
    • कर्क संक्रांति का पुण्य काल दोपहर से अगले दिन तक होगा.

    संक्रांति वार-नक्षत्र फल

    कर्क संक्रांति वार नक्षत्र से अर्थ होता है कि संक्रांति किस दिन आरंभ हुई है और संक्रांति किस नक्षत्र में हो रही है. इस वर्ष यह संक्रांति वार और नक्षत्र के योग से बनने पर ब्राह्मण कार्य के लिए अच्छी होगी. इस संक्रांति पर पशुओं से लाभ की प्राप्ति भी होगी.

    कर्क संक्रांति पर कौन किस वस्तु का करे दान ?

    मेष राशि वालों के लिए

    मेष राशि वालों के लिए सूर्य का गोचर चतुर्थ भाव में हो रहा है. मेष लग्न वालों के लिए सूर्य पंचम भाव का स्वामी बनता है. आपके लिए सूर्य का चौथे भाव में होना इमोशनली आप पर अधिक प्रभाव डालने वाला होगा. सूर्य का चौथे भाव में होना परेशानी और बेचैनी बढ़ाने वाला हो सकता होता है.

    उपाय –

    इस समय पर आप को अपने वजन के अनुसार अनाज का दान करना चाहिए.

    वृषभ राशि के लिए

    सूर्य का वृषभ राशि में जाना यानी की आपकी मेहनत के बढ़ने का समय होगा. अब बातों से ज्यादा जरुरी होग अकी आप कुछ एक्शन भी करें. लेकिन जरूरी है की आप अपनी मेहनत और सोच को बेहतर ढ़ंग से आगे ले जा सकें. आप अपनी संभावनाओं को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक होंगे.

    उपाय –

    धर्म स्थल पर खीर का दान करें.

    मिथुन राशि के लिए

    आर्थिक लाभ देने में सकारात्मक रुख दिखा सकता है. वित्त और परिवार के साथ जुड़े मसले इस समय ज्यादा प्रभावित कर सकते हैं. घरेलू मुद्दे अब आपको अधिक अपनी ओर खिंचेंगे. आपको अपने लिए इस समय कुछ संभल कर काम करने की जरूरत होगी. अपना धन उधार देने से बचना चाहिए. कोई रुकी हुई पेमेंट अब मिल सकती है. सूर्य की यह गति पारिवारिक संबंधित खर्चों में वृद्धि करने वाली है. आपको सोच विचार के बाद ही वित्त और परिवार से संबंधित मामले में जरुरी निर्णय लेने की आवश्यकता है.

    उपाय –

    आज के दिन ब्राह्मण को घी का दान करें.

    कर्क राशि के लिए

    सूर्य की इस गति से काम चल सकता है, भावनात्मक हो सकता है जब चीजें आपके कदम नहीं बढ़ाएंगी. अपनी खोज में उचित प्रगति करने के लिए आपको स्वभावतः सही रहने की आवश्यकता है. आपको संघर्ष से बचने और विवाद से दूर रहने की आवश्यकता है.

    उपाय –

    चंदन का दान करें.

    सिंह राशि के लिए

    भाई बहनों के साथ ज्यादा उलझें नहीं क्योंकि छोटी से बात भी तनाव को बढ़ाने का काम कर सकती है. किसी भी उतार-चढ़ाव के बारे में सजग रहने की जरुरत होगी. कंधे ओर घुटने का दर्द इस समय परेशान कर सकता है. अपनी ट्रैवलिंग में सावधानी से रहें.

    उपाय –

    आज के दिन केसर का दान करें.

    कन्या राशि वालों के लिए

    आपके लिए जरुरी है की अपनी बोल-चाल में क्रोध को शामिल न होंने दें. क्यों गुस्से औए आवेग से प्रेरित जल्दबाजी में निर्णय लेने के कारण कुछ बातें बढ़ सकती हैं. परिवार के वरिष्ठ लोगों के साथ से किसी भी तरह के विवाद से खुद को दूर रखें.

    उपाय –

    हरी वस्तुओं का दान करें.

    तुला राशि वालों के लिए

      सूर्य का कर्क संक्रांति में जाना आप लोगों के काम के क्षेत्र में नए अवसर देने वाला हो सकता है. आपको इस समय पर थोड़ी सावधानी रखनी होगी. बच्चों की ओर से कुछ दिक्कत हो सकती है. रिश्तों को संभाल कर आगे बढ़ना होगा अन्यथा विवाद उभरने में देर नही लगेगा

    उपाय –

    गरीबों को खीर का दान करें.

    वृश्चिक राशि वालों के लिए

      परिवार से जुड़ा कोई भी मुद्दा हो तो आक्रामक तरीके से अपने विचार न रखें. अपने शांत रखें और बहुत विनम्रता के साथ बात को संभालें. आपके लिए परिवार में शांति और सद्भाव बनाए रखने की जरूरत होगी. आंखों में जलन या मुंह में छाले हो सकते हैं.

    उपाय –

    सात अनाज का दान करें.

    धनु राशि वालों के लिए

    कुछ यात्राएं हो सकती हैं. आपके लिए कोई बड़ा वित्तीय लाभ यहां नहीं है. रक्तचाप में अनियमितता से परेशान हो सकते हैं. यहां बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है. लोगों के साथ मेल जोल बढ़ेगा. संपत्ति के मामले सामने अधिक सामने होंगे.

    उपाय –

    शक्कर का दान करें.

    मकर राशि वालों के लिए

    इस स्थान पर बैठे हुए सूर्य आपके लिए परेशानी को बढ़ा सकता है. शनि और सूर्य का समसप्तक में होना अधिकारियों के साथ आपके तालमेल में को काम करने वाला हो सकता है. आपको अपने काम में थोड़ी उलझन का सामना करना पड़ सकता है.

    उपाय –

    तिल का दान करें.

    कुम्भ राशि वालों के लिए

    काम काज के लिए समय थोड़ा संघर्ष करना पड़ेगा. इस समय आपके किसी काम के पूरा होने में व्यवधान हो सकती है. घरेलू स्तर पर आप पर ज्यादा दबाव होगा. सभी कामों को कर पाना संभव नही होगा. किसी मित्र से बात करके आप अपनी कुछ समस्याओं का हल पा सकेंगे.

    उपाय –

    गरीबों को खिचड़ी का दान करें.

    मीन राशि वालों के लिए

    हालांकि, आपको व्यवसाय या वित्त से संबंधित प्रमुख निर्णय लेते समय अच्छी तरह से विचार-विमर्श करने करने लेने की आवश्यकता है. व्यावसायिक मोर्चे पर कोई उत्साहजनक काम की परिकल्पना यहां अभी संभव न हो पाए. संतान पक्ष की ओर से चिंताओं में वृद्धि का योग है. अपने स्वास्थ्य को लेकर भी सजग रहें.

    उपाय –

    कन्याओं को मीठी वस्तु बांटें.

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    अब मिथुन राशि में बुध होंगे मार्गी, मिल सकते हैं नए मौके

    बुध एक ऎसा ग्रह है जो बुद्धि विवेक पर अपना आधिपत्य रखता है. बुध ग्रह का प्रभाव किसी भी व्यक्ति को एक अच्छा जानकार और बेहतर वक्ता बनाने के लिए काफी महत्वपूर्ण हो सकता है. किसी व्यक्ति विशेष, संस्था, स्थान के बारे में बेहतर ढंग से जने के लिए बुध की स्थिति का आंकलन करना अत्यंत ही आवश्यक हो जाता है.

    बुध एक ऎसा ग्रह है जो स्वतंत्र रुप से रहने वाला, किसी भी प्रकार की पाबंदियों से मुक्त होकर चलने वाला है. इस कारन से गोचर हो या कुंडली सभी स्थान पर इसी प्रत्येक गतिविधि को ध्यान में रखने कि जरूरत पड़ती है.

    बुध का मार्गी होने का समय

    12 जुलाई को बुध कन्या राशि में मार्गी होंगे. अभी इससे पूर्व यानि की बुध मिथुन राशि में वक्री होकर गोचर कर रहे थे. 24 मई को बुध ने मिथुन राशि में प्रवेश किया था. उस समय पर मिथुन राशि में बुध का आना एक महत्वपूर्ण घटना थी क्योंकि इस समय पर बुध अपनी राशि में प्रवेश करते हैं और इस कारण से बुध का बल भी बढ़ जाता है.

    इसी बीच 18 जून को बुध मिथुन राशि में ही होकर वक्री हो जाते हैं. उनके चाल में वक्रता आने से बुध के परिणामों में बदलाव अधिक बढ़ गया. जब स्वराशि में ग्रह वक्री होता है तो ये स्थिति कई गुना अधिक प्रभाव देने कि क्षमता को प्रदान करती है. इस समय पर बुध के शुभ गुणों में भी वक्रता का प्रभाव लक्षित होने लगता है.

    लेकिन एक बार फिर से 12 जुलाई को बुध अपनी मिथुन राशि में मार्गी होंगे. मार्गी होने पर बुध के पुन: कुछ बेहतर परिणाम प्राप्त होने कि एक बार फिर से उम्मीद दिखाई देती है. बुध का मार्गी होने का फल एक बार फिर से सुधार की संभावनाएं लाने वाला होगा.

    बुध के मार्गी होने का राशियों पर फल

    मार्गी बुध का मेष पर प्रभाव

    बुध का मार्गी होना कुछ समय के लिए मेष वालों को कुछ राहत मिले सकती है. पढ़ाई को लेकर अब कुछ ध्यान जा सकता है. अपने पुराने फैसलों को लेकर अब आप बेहतर फील करेंगे. आर्थिक रुप से आप सामान्य रहेंगे. कुछ ऎसी चीजों को खरीद सकते हैं जिनको लेकर आप ज्यादा समय तक उपयोग न करना चाहें.

    मार्गी बुध का वृष पर प्रभाव

    आपको अपने लोगों का साथ मिल सकेगा. किसी के द्वारा पैसों से संबंधी मामले सहायक बन सकेंगे. इस समय आप अपने जरुरी काम निपटाने में आगे होंगे. परिवार के लोगों के साथ कुछ बेहतर रुप से रिश्ते आगे बढ़ने कि अच्छी आशंका बनती है. अभी जीवन साथी के साथ कुछ ओर समय बिताने का मौका मिलेगा.

    मार्गी बुध का मिथुन पर प्रभाव

    धन लाभ के योग बनते नजर आ रहे हैं. आपकी आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर होगी. लंबे समय से चल रहे कर्ज से मुक्ति मिल सकती है. नौकरी में अच्छा बदलाव भी हो सकता है. पत्नी के स्वास्थ्य में सुधार होगा. भगवान विष्णु को कमल का फूल अर्पित करने से लाभ होगा.

    मार्गी बुध का कर्क पर प्रभाव

    आपके काम आगे बढ़ेने के मौके आएंगे. धन लाभ के योग आपको कुछ राहत दे सकते हैं. अपने काम के लिए अब आपके पास कुछ बेहतर आईडिया होंगे जिन्हें आप लागू कर सकते हैं. अपने मानसिक तनाव से कुछ राहत भी मिलेगी. शी ओर गलत का निर्ण्य करना अब आसान होगा.

    मार्गी बुध का सिंह पर प्रभाव

    आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर होगी. लंबे समय से चल रहे कर्ज से मुक्ति मिल सकती है. नौकरी में अच्छा बदलाव भी हो सकता है. पत्नी के स्वास्थ्य में सुधार होगा. भगवान विष्णु को कमल का फूल अर्पित करने से लाभ होगा.

    मार्गी बुध का कन्या पर प्रभाव

    कन्या राशि वालों के बुध का मार्गी होना. थोड़ी राहत देने वाला होगा. इस समय आप बहुत सी चीजों को लेकर उलझे हुए हैं. इसका कारण ग्रहों का गोचर अनुकुल न होना आपको काफी समय से परेशानी देता रहा है. अब समय है आपके अंदर छुपी प्रतिभा के बाहर आने का. रिश्तों को लेकर आगे बढ़ने का.

    मार्गी बुध का तुला पर प्रभाव

    आप अब अपने भाग्य का साथ पाने में सफल हो सकेंगे. आप कुछ समय से जिन खर्चों को रोकने में लगे थे उन्हें अब करना होगा. आप कुछ ऎसे काम भी कर सकते हैं जिनका संबंध बाहरी संपक से जुड़ा हुआ हो. मल्टीनेशनल कंपनी में काम का दबाव आपको परेशानी देगा पर आप उसे करने में बहुत अधिक सफलता को पा सकते हैं.

    मार्गी बुध का वृश्चिक पर प्रभाव

    आप के लिए स्थिति बेहतर्न हो पर कुल मिलाकर कुछ चीजों का विचार करने के लिए अब समय अनुकूल होगा. कुछ ऎसे लोग इस समय सामने आ सकते हैं जो आप से दूरी बना कर चल रहे थे. कुछ शत्रु जो अभी तक आपके पिछे थे वे अब आपके सामने होंगे. ये स्थिति आपके लिए बेहतर होगी. आप अपने अच्छे बुरे को जान पाएंगे. मित्रों के साथ विवाद से बचना बेहतर होगा. लाटरी या शेयर मार्किट में निवेश अभी करना सही नही होगा.

    मार्गी बुध का धनु पर प्रभाव

    धनु राशि वालों के लिए मार्गी बुध कुछ मिश्रित फल देने में सक्षम हो सकता है. प्रेमी कि ओर से मिले-जुले परिणाम लेकर आ सकता है. धन की प्राप्ति होगी और कर्ज चुकाने में भी सफल हो सकते हैं. अगर किसी बात को लेकर बहुत अधिक कन्फ्यूज में थे तो अब उससे मुक्त होंगे.

    मार्गी बुध का मकर पर प्रभाव

    हालांकि शेयर मार्केट में पैसा निवेश ना करें. किसी को उधार न दें. बुध के मार्गी होने पर अपनी बुद्धि का सही दिशा में इस्तेमाल कर पाएंगे. गुड़ का दान करने से लाभ होगा.

    मार्गी बुध का कुम्भ पर प्रभाव

    आपके लिए बुध का मार्गी होना बेहतर फल देने में सहायक बन सकता है. आप अपने लिए अच्छे स्थान को पा सकते हैं. परिवार में किसी के आने से स्थिति आपके लिए सकारात्मक हो सकती है.

    मार्गी बुध का मीन पर प्रभाव

    काम के स्थान पर आप पर जिम्मेदारी अधिक हो सकती है. इस समय आप पर हर बात निर्भर हो सकती है. इसलिए आपको स्वयं को मजबूती से सामने रखना होगा.

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    शनिदेव ने बदली अपनी चाल, अब बदल जाएगा सभी का हाल

    एक लम्बे समय से शनि राशि गोचर कर रहे हैं. मकर और कुंभ राशि शनि के स्वामित्व की राशि हैं. शनि का मकर या कुंभ राशि में गोचर करना शनि के कारक तत्वों में वृद्धि करने वाला हो सकता है. पर इसी बीच में शनि ग्रह की चाल में परिवर्तन भी होता है शनि वक्री से मार्गी होते हैं अथवा मार्गी से वक्री होते हैं. ऎसे में शनि के शुभ प्रभाव में व्रकता समाप्त होगी.  किसी भी ग्रह में जब उसकी चाल में बदलाव को देखा जाता है तो ये स्थिति काफी बदलाव और तनाव को दिखाने वाली है. ग्रह के फलों में भी वृद्धि होने लगती है और इस प्रकार चीजों की अधिकता अस्थिरता को भी जन्म देती है.

    साल 2024 को शनि की चाल में बदलाव होगा. शनि वक्री एवं मार्गी होंगे, शनि का वक्री से मार्गी होना कुछ सुधार और स्थिरता की ओर इशारा करने वाला होगा. शनि का मार्गी होना सभी राशि के लोगों पर अपना विशेष प्रभाव डालने वाला होगा .

    शनि का मार्गी होना क्यों है प्रभावशाली

    शनि देव का किसी एक राशि में रहना एक लम्बा समय होता है. शनि जिस भी राशि में गोचर करते हैं उस राशि के गुण स्वभाव और प्रभाव पर अपना असर भी अवश्य डालते हैं. शनि यदि मित्र राशि, उच्च राशि या स्वराशि में होते हैं तो यह स्थिति शनि से मिलने वाली सभी चीजों को बढ़ाने का काम करती है. इसके विपरित यदि शनि अपनी किसी शत्रु राशि, नीचस्थ राशि में हों तो ऎसे में उन सभी गुणों में कमि आती है ओर विपरित फल भी मिलने की संभावना बढ़ जाती है.

    इस वर्ष शनि का कुंभ राशि में गोचर हो रहा है. इस राशि के स्वामी शनि हैं. इसलिए शनि का राशि में गोचर बहुत मायनों में खास माना गया है.

    जाने, मार्गी शनि का क्या होगा आप पर प्रभाव

    मेष राशि पर शनि का असर

    मेष राशि वालों के लिए शनि का मार्गी होना उनकी मानसिक और कार्य क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं में राहत देने वाला होगा. पिछले कुछ समय से चली आ रही दबाव की स्थिति भी कुछ कम होती दिखाई देगी. गुरु की दृष्टि के चलते निर्वाह योग्य आय के साधन भी बनेंगे. यदि धन कहीं अटका हुआ था तो उसकी फिर से प्राप्ति की संभावना बनेगी.

    उपाय –

    राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें

    वृष राशि पर शनि का असर

    अभी कुछ समय से संबंधों की उधेड़बुन जो आप पर अधिक भारी हो रही थी, उसमें उलझाव दूर होने वाला है. भाग्य का सहयोग अब कुछ फ्ल देने वाला बनेगा. आपको इस समय धार्मिक कृत्य करने के मौके भी प्राप्त होंगे. छात्रों को शोध से जुड़े काम करने का बेहतर अवसर भी मिलेगा.

    उपाय –

    पशुओं को चारा खिलाएं.

    मिथुन राशि पर शनि का असर

    आपके लिए काम के संसाधनों में बदलाव और अचानक मिलने वाले लाभ की स्थिति बनती दिखाई देती है. फैमली में किसी संपंति से जुड़े मसले अब सामने आ सकते हैं. परिवार में नए व्यक्ति का आगमन बदलाव को दिखाने वाला होगा. कुछ बदलाव आपको मानसिक रुप से और आर्थिक रुप से बदल कर रख सकते हैं. अभी के समय पर निवेश के मौके प्राप्त होंगे.

    उपाय –

    11 दिन लगातार मंदिर में दीपक जलाएं.

    कर्क राशि पर शनि का असर

    आपके लिए मानसिक परेशानियों का अभी अंत न हो लेकिन कुछ समय पर आप इस मसले पर रह कर काम को बेहतर ढंग से अंजाम दे सकते हैं. शादिशुदा जीवन में होने चले आ रहे संताप कम होंगे और नए सिरे से बातें सुलझेंगी. पार्टनर्शिप में कर रहे काम में अब आप के लिए मुनाफे की स्थिति है.

    उपाय – शिवाष्टक पाठ का नियमित स्त्रोत करें.

     

    सिंह राशि पर शनि का असर

    तनाव ओर दबाव के चलते आपको काम में बदलाव झेलना पड़ सकता है. वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जिन मसलों को लेकर बात नहीं बन पाई है उसमें आगे बढ़ना बेहतर नही होगा. कुछ समय के लिए स्थिति को ठंडे बस्ते में डाल देना ही बेहतर होगा.

    उपाय –

    गाय को गुड़ के साथ रोटी खिलाएं

    कन्या राशि पर शनि का असर

    अब समय से बच्चों की ओर से आपको राहत मिलने का.निसंतान दंपतियों के लिए मौका है संतान के सुख को पाने का. कुछ लम्बी यात्राओं का भी समय है, पर ध्यान रखें इस यात्राओं में खर्च की वृद्धि बनी रहने वाली है.

    उपाय –

    दुर्गा कवच का पाठ नियमित रुप से 40 दिन तक करें

    तुला राशि पर शनि का असर

    प्रोपर्टी के मामले अब लाभ दिला सकते हैं. अब इस समय पर सुख की कमी परेशानी दिला सकती है. आपके लिए घर से दूर जाने के नई स्थितियां बनेंगी. धनार्जन के लिए समय ज्यादा बेहतर न हो इस समय पर आप अपनी जमा पूंजी को खर्च करने का मामला दिखाई देता है. मधुमेह और संक्रमण की संभावना अधिक बनी हुई है. उपाय –

    शिवलिंग पर कच्चे दूध से अभिषेक किया करें

    वृश्चिक राशि पर मार्गी शनि का असर

    काम और भागदौड़ के कारण स्थिति बेहतर न हो लेकिन अभी आने वाले समय पर आप बेहतर परिणाम पा सकते हैं. आद्यात्मिक क्षेत्र में आपके लिए विशेष मौके दिखाई देंगे. जो लोग किसी विशेष मंत्र साधना पर काम करना चाहते हैं तो वह आपके लिए अनुकूलता से भरा समय रहने वाला है. उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए छात्र बेहतर फल को पा सकते हैं.

    उपाय –

    श्री विष्णु के नाम का पाठ किया करें.

    धनु राशि पर मार्गी शनि का असर

    परिवार में चले रहे विवाद में कुछ धीमापन दिखाई दे सकता है. आप इस समय जल्दबाजी से निर्णय लेने में आगे दिखाई देंगे. जो लोग ऎसे काम से जुड़े हुए जिनमं रहस्यों को जानने कि प्रव्रत्ति होती है तो उसमेम आपके लिए बेहतर मौके आएंगे.

    उपाय –

    हल्दी का उपयोग दान में करें.

    मकर राशि पर मार्गी शनि का असर

    अब इस समय आप अपने काम को लेकर आप कुछ नयी प्लानिंग के साथ आगे बढ़ सकते हैं. विरोधी हावी होने का प्रयास करेंगे पर अब आप उन सभी पर दबाव बनाने में सफल हो सलते हैं. क्रोध पर नियंत्रण रखकर अच्छा समय आपके पक्ष का हो सकता है. एक लम्बा इंतजार अब समाप्त हो सकता है.

    उपाय –

    दत्तात्रेय स्त्रोत का पाठ करें.

    कुम्भ राशि पर मार्गी शनि का असर

    सेहत के मामले में अब सुधार की संभावना बनेगी. आप के लिए जरूरी है की आप अपने विरोधियों पर ध्यान बना कर रखें. आपके लिए इस समय आपने सिर का भाग ज्यादा इफैक्ट पर होगा. चोट लगने का डर बना हुआ है. कार्यस्थल पर लोगों के साथ मेल जोल होगा.

    उपाय –

    शनि देव के निमित्त सरसों के तेल का दीपक शनिवार के दिन जलाया करें.

    मीन राशि पर मार्गी शनि का असर

    आपके काम के लिए अब लाभ भी होंगे. अपनी योग्यता के अनुसार आय मिल सकती है. सम्मान प्राप्त होने की उम्मीद भी बनेगी. कुछ एक साथ दूसरे काम भी सामने होंगे. बच्चों को लेकर अधिक ध्यान रहेगा. आप मानसिक रुप से खुद को लेकर भी अधिक सजग दिखाई देंगे.

    उपाय –

    नारायण कवच का पाठ करें.

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    अधिक मास अमावस्या : एक ही मास में दो अमावस्या का योग बनाता है इसे खास

    वर्ष 2020 में आने वाले अधिक मास के समय पर, एक मास में दो अमावस्या का योग बन रहा है. दो अमावस्या का योग आश्विन मास पर बनने के कारण ये समय श्राद्ध और तर्पण कार्यों के लिए अत्यंत ही विचारणीय हो जाता है.

    दर्शद्व यमतिक्रम्य यदा संक्रमते रवि:।

    अधिमास: स विज्ञेय: सर्वकर्मसु गर्हित: ।।

    अर्थात : – दो अमावस्याओं के भीतर सूर्य की संक्रान्ति न होने से उस मास को अधिक मास कहा जाता है. इस अधिक मास में शुभ मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए.

    अधिक मास अमावस्या मुहूर्त समय

    प्रथम शुद्ध अधिक आश्विन अमावस्या

    अमावस्या तिथि आरंभ – 16 सितंबर 2020, बुधवार 19:58

    अमावस्या तिथि समाप्ति – 17 सितंबर 2020, बृहस्पतिवार 16:31

    द्वितीय अधिक अमावस्या

    अमावस्या तिथि आरंभ – 15 अक्टूबर 2020, बृहस्पतिवार 08:35 (चतुर्दशी तिथी क्षय)

    अमावस्या तिथि समाप्ति – 16 अक्टूबर 2020, शुक्रवार 25:02

    अधिक मास अमावस्या उपाय

    अधिक मास में आने वाली अमावस्या का समय श्री विष्णु पूजन एवं भगवान शिव के पूज का होता है. इस अमावस्या का आश्विन मास के साथ संबंध होने के कारण श्राद्ध पक्ष के साथ इस तिथि का संबंध जुड़ने से यह इस बार के पितर पक्ष में बहुत प्रभशालि दिन होने वाला है.

    अधिक मास अमावस्या के दिन पितरों को जल और तिल का तर्पण करने से उन्हें शांति मिलती है. अधिक माह अमावस्या के दिन श्राद्ध कार्यों का वह पड़ाव होता है जब सभी पितरों के लिए ये तिथि सर्वमान्य होती है. अधिक मास की अमावस्या के समय पर सर्व पितृ अमावस्या, पितृ विसर्जनी के कार्यों को संपन्न किया जाता है. पितृ लोक से आए हुए पितर संतुष्ट होकर अपने लोक लौटते हैं.

    अधिक अमावस्या – तीन साल इंतजार

    अधिकमास की अमावस्या को तीन वर्ष पश्चात आती है इस कारण से इसके महत्व की वृद्धि खुद ब खुद ही स्पष्ट होती है. है. इस अमावस्या को मलमास की अमावस्या या पुरुषोत्तम अमवस्या के नाम से भी पुकारा जाता है. इस अमावस्या के साथ ही अधिक माह की समाप्ति हो जाती है. अमावस्या को पितृपक्ष की महत्वपूर्ण तिथि का समय माना गया है.

    इस कारण् से अधिकमास की अमावस्या के दिन किए गए उपाय विशेष फलदायी होते हैं. रोग, कष्ट आदि से परेशान होने पर इस दिन महामृत्युंजय जप और अनुष्ठान करने से रोगों का नाश होता है. इस अधिक अमावस्य अपर किर जाने वाले उपायों द्वारा व्यक्ति कष्टों से निजात प्राप्त कर सकता है.

    आईये जानते हैं की कौन से उपाय ओर सावधानियां अधिक अमावस्या में करने से लाभ ओर सुख की प्राप्ति संभव हो सकती है.
    अधिक अमावस्या पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि अमावस्या के दिन कुछ कार्यों को करने से बचना चाहिए. जैसे की अमावस्या तिथि के दिन बाल को नहीं धोना चाहिए. बाल धोना अत्यंत ही खराब माना गया है.

    अधिक अमावस्या को रात्रि समय पर ऎसे स्थानों पर जाने से बचना चाहिए, जहां सुनसान स्थान हो या फिर जिस स्थान पर नकारात्मक उर्जा अधिक अनुभव होती हो. इन स्थानों पर जाने से इस लिए मना किया जाता है. क्योंकि इस समय पर हमारी ऊर्जा का स्त्रोत बहुत अधिक होता है. इस कारण से नकारात्मक चीजों से हम सभी जल्द ही प्रभावित होते हैं.

    अमावस्या की रात्रि का समय तंत्र शास्त्र के लिए अत्यंत ही प्रभावशाली माना गया है. इस समय पर दुर्गा उपासना का भी बहुत महत्व रहा है. नकारात्मक शक्तियां इस समय पर अधिक सक्रिय होती हैं. इसलिए इस समय पर किसी सुनसान वृक्ष के नीचे खड़ा होना, या किसी प्रकार की ऎसी गतिविधियों से बचना चाहिए जो शुद्धता और सात्विकता से रहित होती है.

    अधिक मास की अमावस्या में से कोई भी उपाय, अच्छे मन एवं सात्विक भावना से किया जाए तो वह मनोकामना को पूर्ण करने में सहायक बनता है.

    अधिक अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष एवं बड़ के वृक्ष का पूजन किया जाना उत्तम होता है. पीपल के वृक्ष के पर कच्चा दूध चढ़ाना चाहिए. प्रात:काल समय और संध्या समय पर पीपल के वृक्ष का पूजन करना चाहिए. पीपल के वृक्ष के नीचे तेल का दीपक अवश्य जलाना चाहिए. अपने पूर्वजों को याद करते हुए नमस्कार करना चाहिए.

    अधिक मास अमावस्या के दिन प्रात:काल जल्दी उठना अत्यंत शुभ होता है. इस दिन पर प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त समय उठ कर श्री नारायण का स्मरण करना चाहिए. सुबह समय स्नान करने बाद सूर्य को जल अवश्य चढ़ाना चाहिए. भगवान श्री विष्णु की पूजा करनी चाहिए. अधिक मास की अमावस्या पर किसी पवित्र नदी या धर्म स्थल पर जाकर स्नान करन अत्यंत ही शुभदायक होता है.

    इस दिन जल में काले तिल डालकर तर्पण करन अत्यंत शुभ होता है. तिल का दान करने से पितृगण प्रसन्न होते हैं. अधिक मास की अमावस्या तिथि पर गाय के शुद्ध घी का दीपक जला कर पितरों को याद किया जाता है.

    किसी भी तरह के वाद-विवाद से बचने की कोशिश करनी चाहिए. अमावस्या के दिन लड़ाई झगड़ा ना करना ही बेहतर होता है. ऐसा माना जाता है कि अमावस्या के समय पर पितृ पृथ्वी पर विचरण करते हैं. ऎसे में पितृ हमारे नज़दीक होते हैं. इस लिए ये समय ही होता है पितृरों से आशीर्वाद और सुख की प्राप्ति पाने का. इसलिए इस तिथि के समय पर यदि घर पर सुख शांति व्याप्त रहे तो पूर्वजों को भी शांति की प्राप्ति मिलती है और वह हमें सदैव अपना आशीष प्रदान करते हैं.

    अधिक मास की अमावस्या पितृ दोष से मुक्ति का आधार

    अधिक मास की अमावस्या के दिन मिलता है पितृ दोष से मुक्ति पाने का एक विशेष अवसर. इस दिन किया जाने वाला दान और पुण्य कई गुना वृद्धि को पाता है. आश्विन मास में आने वाली अधिक मास अमावस्या के दिन से समाप्त होने के साथ ही श्राद्ध कार्य का काम बहुत शुभ माना गया है. अमावस्या तिथि का समय दुर्गा साधना करने वालों के लिए भी महत्व रखता है. गरुण पुराण एवं भविष्यपुराण में अंतर्गत श्राद्धों के बारे में पता चलता है.इस तिथि की महत्ता का पौराणिक ग्रंथ आधार बनते हैं.

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    मंगल का मीन राशि में गोचर लाएगा नए बदलाव

    17 मई 2022 को मंगलवार के दिन मंगल का मीन राशि में प्रवेश होगा. वर्तमान में मंगल पिछले काफी समय से कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं. पर अब आने वाली 17 मई से मंगल अपनी राशि में बदलाव करेंगे. मंगल अब अपनी मित्र राशि मीन में प्रस्थान करेंगे. मंगल का मीन राशि में गोचर कुछ राशि वालों के लिए परेशानी दे सकता है, तो वहीं कुछ की मेहनत को बढ़ा सकता है.

    मंगल मीन राशि प्रवेश समय

    मंगल का मीन राशि में प्रवेश 17 मई मंगलवार को लगभग 09:32 मिनिट समय पर होगा. इस समय पर मंगल व गुरु के मंत्र जाप करना अत्यंत उत्तम होगा. शांत शुद्ध अवस्था में साधना स्थान पर बैठ कर इस समय पर किया गया मंगल गुरु के मंत्र जाप करना शुभता में वृद्धि करता है.

    कैसा रहेगा सभी राशि के लोगों पर इसका असर

    मेष राशि

    मेष राशि वालों के लिए मंगल का राशि परिवर्तन तनाव बढ़ा सकता है. आपके खर्चों में वृद्धि के संकेत देता है. पर साथ ही कुछ धन लाभ की उम्मीद भी जगाता है. मेष लग्न और मेष राशि वालों के लिए बारहवें घर में मंगल के जाने पर आध्यात्मिक क्षेत्र में रुझान बढ़ सकता है. द्वादश भाव में मंगल का गुरु की राशि में होना. भनात्मक पहलू को भी प्रभावित करने वाला होगा. इस समय यदि सेहत पर ध्यान रखा जाए तो बेहतर होगा. मौसम के बदलाव का आप की सेहत पर भी असर होगा. भागदौड़ और यात्राओं के योग तो बन रहे हैं लेकिन ये काम किसी कारण से रुकावत के चलते पूरी न हो पाए. प्यार को लेकर अभी थोड़ा शांत रहना चाहिए. मेहनत अधिक बढ़ सकती है, नींद में परेशानी और मानसिक रुप से बेचैनी भी अधिक रहेगी.

    वृष राशि

    वृष राशि के लोगों के लिए इस समय आपको दूसरों के कारण परेशानी झेलनी पड़ सकती है. कुछ चीजों में आपको संभावनाएं प्राप्त होंगी लाभ की लेकिन इस समय कुछ मामलों में देरी भी होगी. ग्रहों का प्रभाव परेशानी को बढ़ा सकता है, पर इस समय सबसे जरुरी बात है की अपने रिश्तों को लेकर आप थोड़ नम्र बनें. किसी के साथ विवाद में न उलझें. अपने जरुरी कामों को समय पर पुरा कर लेना आवश्यक होगा. आप अपने विरोधियों पर दबाव बनाने की कोशिश सफल होगी. आय के स्त्रोत उभरेंगे जिनका आप लाभ उठा सकते हैं. 11वें भाव मंगल का गोचर आपकी सोच पर फैमली का नियंत्रण ला सकता है.

    मिथुन राशि

    मिथुन राशि वालों के लिए इस समय मंगल का भ्रमण 10वें घर में होगा. इस कारण से आप अपने काम में बेहतर करने की कोशिश में कुछ सफलता पा सकते हैं. आप कुछ बातों को लेकर ज्यादा गुस्से और मनमाने स्वभाव में हो सकते हैं. घूमने और काम से आय के मामलों में सफलता मिल सकती है. पर ध्यान रखें की इस समय अपने काम में किसी भी प्रकार के बदलाव की जल्दबाजी से बचना चाहिए. विरोधी आप पर प्रभाव डाल सकते हैं. स्वास्थ्य ठीक न रह पाए. मानसिक रुप से द्वंद की स्थिति अधिक परेशान कर सकती है. बच्चों के मामले में वे आपकी सुनना पसंद न करें. घर के वरिष्ठ सदस्य के स्वास्थ्य का ख्याल रखें. संतान पक्ष से प्रसन्नता के साथ सहयोग मिल सकता है. साझेदारी में लाभ के योग हैं. जीवन में विवाद से बचें और पराक्रम अधिक करने पर सफलता के योग हैं.

    कर्क राशि

    कर्क राशि वालों के लिए मंगल का गोचर इस समय उनके 9वें घर को इफैक्ट कर सकता है. इस समय आपके प्रभाव में वृद्धि होगी. आपको कुछ ममलों में रास्ते की अड़चने दूर होंगी. विवाह और मांगलिक कार्य इस समय पर किए जा सकते हैं. पूजा-पाठ इत्यादि और यात्राओं का योग भी है. आप अपने प्रयास तेज रखें आपको बेहतर सफलता मिलने की आशा अब कुछ बनती दिखाई देती है. वहीं आप अपनी महत्वाकांक्षाएं पूरा करने के लिए प्रयास तेज कर सकते हैं. पर ध्यान रखें की भाग्येश अभी वक्री है इसकिए थोड़ा प्रयास में अधिकता रह सकती है. कानूनी दावपेज पर काम हो सकता है. व्यापार और व्यवसाय में प्रगति करने कि कोशिश बेहतर फल देने में सफल हो सकती है.

    सिंह राशि

    आपके लिए इस समय गुप्त धन की प्राप्ति के योग दिखाई देते हैं. छात्रों के लिए ये समय अपने काम में और मेहनत करने की जरूरत होगी. किसी बाहरी व्यक्ति का प्रभाव आपको कुछ समय के लिए काम में रोक भी सकता है. पर जल्द ही आप अपने काम को सही से करने में आगे बढ़ सकते हैं. इस समय पर प्रेम का मसला कुछ समय के लिए शांति से निपटाना ही बेहतर होगा. अपने जीवन साथी के साथ बातों पर बहस अधिक हो सकती है. अलगाव होने और स्थन परिवर्तन होने कि स्थिति अभी बन सकती है. अगर किसी संपत्ति का मुद्दा उलझा हुआ है तो उसमें काम होगा. काम कहीं हद तक आपके पक्ष को आगे बढ़ाने में भी फायदे का सौदा बन सकता है.

    कन्या राशि

    आप लोगों के लिए साझेदारी के कामों को बेहतर रुप से करने की जरूरत होगी, एक दूसरे पर भरोसे में कमी आ सकती है. इसलिए अपने मान-सम्मान को बनाए रखने के लिए खुद को बेहतर साबित करना होगा. इसके लिए अपने गुस्से और जिद्द को काबू में रखने की जरूरत होगी. इस समय वैवाहिक मसले आप पर अधिक दबाव बना सकते हैं. किसी मांगलिक आयोजनों में भी आपकी भागीदारी होगी. शत्रुपक्ष से राहत पाएंगे, स्वास्थ्य के लिएहाज से नाभी या पेट के नीचले हिस्से पर अधिक परेशानी हो सकती है. बाहरी संपर्क अनुकूल हो सकते हैं. आपको अपने काम में जोश और उत्साह भी मिलेगा. इसमें अपने मित्रों का साथ लेकर आगे बढ़ना आपके लिए अच्छा हो सकता है.

    तुला राशि

    तुला लग्न-राशि वालों को अपने पैसों ओर अपनी सेहत पर ध्यान रखने की ज्यादा जरूरत है. आपके मांगलिक कार्य समय पर हो सकते हैं. किसी घरेलू संपत्ति को बेचने का मन भी बना सकते हैं.आपको परेशान करने के लिए गुप्त शत्रु अपनी ओर से पूरी कोशिश करने वाले हैं. अपनी नीतियों द्वारा सफल होने का मौका आने वाला है. पर अपनी योजनाओं को अभी खुद तक ही सीमित रखना बेहतर होगा.किसी साथी मित्र से दूरी परेशान भी कर सकती है. आर्थिक क्षेत्र में निर्वाह योग्य आय के साधन सामने आते रहेंगे.

    वृश्चिक राशि

    आपका ध्यान अब अपने पुराने कामों को पूरा करने की ओर जा सकता है. कुछ बाहरी संपर्क के मौके बढ. सकते हैं. काम में तनाव रहने वाल अहै. क्योंकि अभी काफी समय से आप अपने मन के अनुरुप काम कर पाने में शायद संभल सकते हैं. सुख-शांतिदायक समय रहेगा. आर्थिक क्षेत्र में किसी का सहयोग आपको परेशानियों से बचा सकता है. अपने पुराने मित्रों से बात करने क अमौका मिलेगा.आपके प्रभाव में वृद्धि होकर भाग्य का सहयोग भी मिलेगा. वहीं जीवनसाथी का सहयोग अनुकूल रहेगा.

    धनु राशि

    धनु लग्न व राशि वालों के लिए इस समय काम के मले में विदेशी संपक बन सकते हैं. आपसी बातचीत से ही आप अपने काम बेहतर कर सकते हैं. जितना भी संभव हो सके अपने लोगों का साथ दें क्योंकि आपके छुपे हुए शत्रु आपको परेशान करने के लिए किसी भी हद तक जाने का सोच सकते हैं. कुछ पारिवारिक प्रोगराम आपके लिए कुछ नयी संभनाएं ओर अच्छा समय देकर जाएंगे. प्रोपर्टी के मसले आप बेहतर तरीके से सुलझा सकते हैं. आपके लिए अच्छे लाभ कमाने के मौके उभरेंगे. बच्चों की ओर से प्रसन्नता प्राप्त हो सकेगी. कोई सदस्य आप्के लिए सहायक बनेगा. आप अपने आत्मविश्वास में उत्साहजनक स्थिति देख पाएंगे.

    मकर राशि

    कुटुम्ब के लोगों का साथ आपके तनाव को बढ़ा सकता है पर आप उनको छोड़ना नहीं चाहेंगे. भाई बहनों के साथ तनाव अधिक बढ़ सकता है. आप इस समय अपनी सोच को लेकर अधिक ही केन्द्रित दिखाई दे सकते हैं. किसी का अचानक सहयोग मिलने से प्रसन्नता मिलेगी. बोलचाल में आप थोड़े उग्र दिखाई दे सकते हैं. आपकी यात्रा के योग बने हुए है. भाग्य में शुरुआती समय रुकावट के बाद सफल भी मिलेगी. नौकरीपेशा के लिए काम में बदलाव का रुख दिखाई दे सकता है.धार्मिक कार्यों में जुड़ने को मिलेगा.

    कुंभ राशि

    कुंभ राशि वालों को आर्थिक लाभ पाने के लिए मेहनत अधिक करनी होगी. पर फिर भी स्थिति बेहतर होगी. अपने काम में एकाग्रता बनाए रखें ओर जितना समय हो अपने काम को बेहतर कर पाने की कोशिश करें क्योंकि शनि-बृहस्पति का गोचर आपके लिए कुछ नवीनता दिलाने तथा संबंधों को बढ़ाने का काम कर सकता है. पैसों की बचत का ख्याल आपको बैंक या किसी प्रकार के निवेश की ओर ले जा सकता है. परिवारके साथ कुछ समय अधिक रहने का मौका अएगा लेकिन इस समय घरेलू तनाव भी आप को प्रभावित कर सकता है.

    मीन राशि

    मीन लग्न वालों के लिए उनकी जन्म राशि पर मंगल का गोचर आपको उत्साह देने वाला होगा. इस समय पर इच्छाएं बढ़ सकती हैं. इस समय आपके मंगल गुरु की युति होने से आप के प्रयास अनुकूल होंगे लाभ प्राप्ति होगी. मान सम्मान की प्राप्ति का भी समय होगा. स्वास्थ्य के मामले में थोड़ा सावधानी बरतनी की आवश्यकता होगी. इसी के साथ ही आप माइग्रेन या नर्वस सिस्टम से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें आप पर इफैक्ट डाल सकती हैं. आप की राशि वालों के लिए आपकी महत्वाकांक्षाएं पूरी करने के लिए अभी बेहतर मौके हैं. अपने परिवार को लेकर आप अधिक सोच में होंगे. कुछ कारणों से आपकी बातें दूसरों को समझ न आएं लेकिन ऎसे में निराश होने की जरूरत नही है. आप अपनी ओर से काम करते रहें आपको धीरे-धीरे बेहतर परिणाम मिल सकते हैं.

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    अब वक्री बुध होंगे अस्त, पड़ सकती है दोहरी मार

    इस साल भी बुध अस्त होने वाले हैं बुध के अस्त होने के कारण कई खास कार्यों पर लग सकती है.  बुध का प्रभाव व्यक्ति को बौद्धिकता की उत्तम प्रवीणता देता है. बुध का प्रभाव ही वनस्पतियों पर असर डालता है.

    बुध जब अस्त होंगे तो उस दौरान कुछ राशि वाले लोगों के लिए ये समय परेशानी वाला होगा तो कुछ के लिए राहत भी ला सकता है.

    वक्री और अस्त बुध का नक्षत्र में होने का फल

    बुध जिस समय अस्त अवस्था में होंगे उस समय के दौरान बुध की स्थिति जब उन नक्षत्रों में होगी तो उस स्थिति में ये समय संभल कर काम करने वाला होता है. मौसम और जलवायु के परिवर्तन की ओर इशारा करता है. इस समय पर कोलाहल भी होगा और उत्साह की प्रवृति भी झलकेगी.

    सामाजिक स्तर पर शुभ कार्यों को करने कि प्रवृत्ति आती है, लेकिन इस समय बुध अस्त है इस कारण से इस समय क्रोध की अधिकता बढ़ सकती है. इसके साथ ही काम में जल्दबाजी भी होगी. पर ये समय कुछ ऎसी स्थिति पैदा कर सकता है जिसको लेकर लोगों के मध्य भ्रम पैदा हो सकता है. शुभता में कुछ समय के लिए कमी आ सकती है बुध के अस्त होने के कारण.

    कैसी होगी ग्रहों की स्थिति

    ग्रह दशाओं को देखा जाए तो इस समय गुरु निचस्थ होना, बुध , राहू, केतु वक्री गति के कारण शुभ फलों में कमी को प्रकट करने वाले होंगे. ग्रह अपने विपरित चाल के प्रभाव से जन समूह को बहुत आसानी से प्रभावित करेंगे. ऎसे समय पर सामाजिक-राजनितिक और आर्थिक परिवेश में बदलाव दिखाई देंगे जो संतोषजनक नहीं होंगे.

    बुध के अस्त होने का फल

    बुध के अस्त होने पर जिससे छुटपुट बूंदाबांदी के योग बन रहा है. इस समय के दौरान पर स्वाती नक्षत्र, तुला राशि और मंगल और शुक्र का समसप्तक योग बनेगा. सुर्य और बुध का द्विग्रही योग बनेगा. इस समय पर एक प्रकार का अचानक से होने वाला बदलाव दिखाई देगा. शेयर बाजार में इस समय पर आरंभिक मंदि आएगी अचान्क से पर फिर उसके बाद तेजी आने कि संभावना बढ़ जाएगी.

    बुध कब होंगे अस्त – उदय

    बुध के अस्त होते ही ग्रहों के बहुत सारे परिणाम बदल जाएंगे. इस समय परिवर्तन भी अधिक दिखाई देगा.

    • 2024 बुध अस्त एवं उदय समय

      बुध ग्रह अस्त प्रारम्भ
      फरवरी 7, 2024, बुधवार को 06:22 ए एम
      बुध ग्रह अस्त समाप्त
      मार्च 11, 2024, सोमवार को 07:17 पी एम

    • बुध ग्रह अस्त प्रारम्भ
      अप्रैल 4, 2024, बृहस्पतिवार को 07:35 पी एम
      बुध ग्रह अस्त समाप्त
      मई 1, 2024, बुधवार को 04:38 ए एम
    • बुध ग्रह अस्त प्रारम्भ
      जून 2, 2024, रविवार को 04:35 ए एम
      बुध ग्रह अस्त समाप्त
      जून 25, 2024, मंगलवार को 08:20 पी एम
    • बुध ग्रह अस्त प्रारम्भ
      अगस्त 4, 2024, रविवार को 08:02 पी एम
      बुध ग्रह अस्त समाप्त
      अगस्त 28, 2024, बुधवार को 04:57 ए एम
    • बुध ग्रह अस्त प्रारम्भ
      सितम्बर 20, 2024, शुक्रवार को 05:27 ए एम
      बुध ग्रह अस्त समाप्त
      अक्टूबर 27, 2024, रविवार को 06:26 पी एम
    • बुध ग्रह अस्त प्रारम्भ
      नवम्बर 29, 2024, शुक्रवार को 06:16 पी एम
      बुध ग्रह अस्त समाप्त
      दिसम्बर 12, 2024, बृहस्पतिवार को 06:02 ए एम

    बुध इस समय पर बहुत कम समय के लिए अस्त होंगे ऎसे में इस स्थिति से कुछ राहत प्राप्त होगी. प्रभाव कम समय पड़ेगा ऎसे में कमी का असर कम ही होगा. इस समय पर बुध से संबंधित उपाय अवश्य करने चाहिए.

    बुध का असर पड़ेगा धीमा

    बुध के अस्त होने के कारन बुध के कारक तत्वों में कमी का असर साफ रुप से देखने को मिल सकता है. इस समय के दौरान बौद्धिकता से जुड़े हुए काम कमजोर पड़ सकते हैं. शिक्षकों लेखकों और मिडिया कर्मियों को हो सकती है परेशानी. वहीं बुद्धिजीवी वर्ग में इस समय असंतोष की स्थिति प्रभावित कर सकती है.

    बुध होंगे अस्त, जानें क्या होगा आपकी राशि पर असर

    बुध के अस्त होने का प्रभाव लगभग हर राशि पर पड़ेगा. जिनके लिए बुध ज्यादा महत्वपूर्ण है, वह लोग बुध के प्रभाव से सीधे तौर पर प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाएंगे. जिन भी व्यक्तियों की कुंडली में बुध अनुकूल अवस्था में नही हो उनके लिए बुध परेशानी दे सकता है. ख़राब या कमजोर है बुध के कारण उनकी आय, प्रतिभा और अन्य चीजों पर असर पड़ेगा. बुध का अस्त होना मानसिक व त्वचा से जुड़े रोग दे सकता है.

    बुध के निर्बल होने के कारण दो तरफा परएशानी झेलनी पड़ सकती है. जिनका बुध मजबूत है, उन पर ज्यादा प्रभाव न पड़ पाए लेकिन फिर भी बहुत सी बातों को लेकर उन्हें भी सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी.

    इस समय पर मिथुन और कन्या राशि वालों के लिए यह अधिक सावधानी बरतने का समय होगा. क्योंकि बुध इन्हीं दो राशियों का स्वामी है. वहीं तुला राशि में अस्त होने वाले हैं इस लिए तुला राशि वालों पर भी इसका असर दिखाई देगा. सिंह राशि वालों को भी परेशानी हो सकती है. इसके साथ ही ख़राब प्रभाव होने पर धनार्जन से जुड़े मसले परेशान कर सकते हैं. आर्थिक स्थिति में गिरावट झेलनी पड़ सकती है. संक्रमण से जुड़े रोग अधिक परेशान कर सकते हैं.

    अस्त बुध के उपाय

    बुध ग्रह यदि अस्त हों चाहे वह गोचर में हो या ये स्थिति किसी व्यक्ति कि कुण्डली में बनती हो दोनों ही स्थानों पर समान रुप से असर डालने वाली होती है. बुध हमारी वाणी को दर्शाता है, हमारी त्वचा हमरी सोच पर असर डालता है. यह व्यक्ति की दक्षता और उसकी प्रभाव क्षमता की शैली को दर्शाता है. कुंडली में अस्त अवस्था में हो तो इसके कारण कई प्रकार के दोष उत्पन्न हो सकते हैं.

    कुण्डली में बुध के अस्त होने वाणी दोष हो सकता है यह किसी भी प्रकार का हो सकता है, वाणी में भारी पन हकलाना, संकोची होना, धीमी होना इत्यादि दोष अपना प्रभाव डाल सकते हैं. वहीं जब गोचर में बुध अस्त होते हैं तो इस दौरान व्यक्ति अपनी संवाद शैली को प्रभावित पा सकता है. त्वचा से प्रभावित रोग हो सकते हैं, आर्थिक व्यापारिक क्षेत्र इत्यादि में प्रभाव पड़ सकता है. ऎसे में इन स्थिति से बचने के लिए आवश्यक है की बुध से संबंधित उपाय किए जाएं. बुध के उपाय करने से इन दोषों को शांति प्राप्त होती है.

    इस समय पर सबसे असरदायक उपाय बुध के मंत्रों का जप करना माना गया है. बुध के बीज मंत्र ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः का जाप करने से बुध ग्रह को मजबूती प्राप्त होती है. इसके अतिरिक्त विष्णु सहस्त्रनाम इत्यादि का पाठ करना भी उत्तम होता है.

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    इस बार आश्विन मास में आने वाला अधिक मास है बहुत खास

    अधिक मास अर्थात मास की अधिकता को ही अधिकमास कहा जाता है. मास का अर्थ माह से होता है. हिंदू पंचांग गणना में तिथि, दिन मास की स्थिति को समझने के लिए जिस वैदिक गणना आधार लिया जाता है, उसके अंतर्गत ही अधिक मास की कल्पना की गई है. वर्ष की सही गणना करने हेतु ही अधिक मास और क्षय मास का निर्धारण किया गया है.

    कई सालों बाद आया आश्विन मास में अधिकमास

    इस बार अधिक मास का समय आश्विन मास के समय पर होगा. इस कारण इस मास का समय पितृ पक्ष के दौरान होने से यह समय अत्यंत खास भी हो जाता है. आश्विन मास पितृ पक्ष के कार्यों के लिए महत्वपुर्ण समय माना गया है. ऎसे में इस समय पर अधिक मास होने के कारण इसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाना तय है. आश्विन मास पर पितरों और श्री विष्णु भगवान का पूजन एक साथ होने पर समय की शुभता बढ. गयी है. पितरों के लिए मोक्ष का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा.

    इससे पहले 2001 में आया था आश्विन अधिक मास. वर्तमान में इस बार फिर से आश्विन मास होने वाला है अधिक मास.

    अधिक मास कब से कब तक होगा

    अधिक मास का आरंभ 18 सितंबर 2021 को शुक्रवार से आरंभ होगा.

    अधिक मास की समाप्ति 16 अक्टूबर 2021 को शुक्रवार के दिन होगी.

    आश्विन अधिक मास में आने वाले व्रत और त्यौहार

  • 27 सितंबर 2020 को पुरुषोत्तम एकादशी
  • 28 सितंबर से 3 अक्टूबर तक पंचक काल होगा.
  • 29 सितंबर को भौम प्रदोष व्रत होगा.
  • 1 अक्टूबर 2020 को अधिक मास आश्विन पूर्णिमा होगी .
  • 13 अक्तूबर 2020 को पुरुषोत्तम एकादशी.
  • 14 अक्टूबर को प्रदोष व्रत होगा .
  • 15 अक्टूबर 2020 को मासिक शिवरात्रि व्रत .
  • 16 अक्टूबर 2020 को अधिकमास आश्विन अमावस्या .
  • आश्विन अधिक मास में क्या करना चाहिए

    अधिक मास के समय पर विशेष रुप से भगवान श्री विष्णु की पूजा करनी चाहिए. इस माह को भगवान श्री विष्णु ने नाम दिया है पुरुषोत्तम मास का. इस कारण से भगवान स्वय कहते हैं “कि जो व्यक्ति पुरुषोत्तम मास के समय मेरा पूजन करता है उसे विष्णु लोक की प्राप्ति होती है”. अत: अधिक मास के समय पर भगवान का पूजन, भजन नाम स्मरण इत्यादि करना उत्तम होता है.

    अधिक मास को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है

    अधिक मास को कई नामों से पुकारा गया है. इस मास को “मलिम्लुच”, “संसर्प”, “अंहस्पति”, “अंहसस्पति” इत्यादि नामों से पुकारा जाता है.

    अधिक मास क्यों आता है ?

    अधिक मास क्यों आता है इसे समझने के लिए हमें सूर्य सिद्धांत समझना होगा. पंचांग के निर्माण में जो गणित की गणना की जाती है उसमें वैदिक ज्योतिष गणित का उपयोग होता है. इस गणित में सौर वर्ष में 365 दिन, 15 घटी, 31 पल व 30 विपल होते हैं. पर इसके दूसरी ओर जब हम चन्द्र वर्ष की गणना करते हैं तो उसमें 354 दिन, 22 घटी, 1 पल व 23 विपल का समय आ जाता है. इस तरह से देखा जाए तो सौर वर्ष और चन्द्र वर्ष दोनों में 10 दिन, 53 घटी, 30 पल एवं 7 विपल का अंतर आ जाता है. यह अंतर हर वर्ष में रहता है. सौर वर्ष और चंद्र वर्ष के मध्य होने वाले इसी अंतर को दुर करने के लिए, अधिक मास की कल्पना को आधार दिया गया है.

    अधिक मास करें दान, हर समस्या का होगा समाधान

    अधिक मास के समय पर दान करने का महत्व बहुत अधिक कहा गया है. इस समय पर दान में धन, भोजन, वस्त्र का उपयोग बहुत ही शुभ होता है. स्वर्ण का दान करने से सौ यज्ञ करने का पुण्य फल प्राप्त होता है. मान्यता है की अधिक मास में किया गया अन्न दान पाप कर्मों को समाप्त करके पुण्य फलों को प्राप्त करने वाला होता है. इस समय के दान की महत्ता के बारे में नारद पुराण, विष्णु पुराण इत्यादि में वर्णन मिलता है.

    अधिकमास में किए गए धार्मिक कार्यों का फल कई गुना बढ़ जाता है. श्री विष्णु पूजा-पाठ द्वारा पाप कर्मों की शांति होती है. इस समय पर किसी भी प्रकार की हत्या से मुक्ति का फल भी प्राप्त होता है.भक्त गण अपनी पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास से अपनी भक्ति के साथ इस पुरुषोत्तम मास में भगवान श्री विष्णु को प्रसन्न करते हैं. इन धार्मिक कार्य द्वारा भक्त का इहलोक और परलोक को सुधारने का मार्ग प्रशस्त होता है.

    यह मास इतना ही प्रभावशाली होता है कि किसी के भीतर आद्यात्मिक बल को मजबूती देने में सक्षम होता है. इस समय को पवित्र और शुद्धता की श्रेणी में रखा जाता है. हर तीन साल में आने वाले इस पावन समय पर कई प्रकार के प्रवचन एवं सत्संग के कार्य किए जाते हैं प्राथना और जप की महत्ता प्रमुख होती है.

    हर तीन साल बाद ही क्यों आता है अधिक मास

    अधिक मास आखिर तीन साल बाद ही क्यों आता है. आखिर क्यों और किन कारणों से इसे इतना पवित्र माना जाता है. इस बात को समझने के लिए वैज्ञानिक और ज्योतिषी आधारा दोनों की समान रुप से भूमिका को स्विकार किया गया है. वैज्ञानिक गणना और वैदिक ज्योतिष गणना इस स्थिति को बहुत ही स्टीक रुप से समझाने में मदद करती है. इन सभी सवालों को स्वाभाविक रूप से जानने की जिज्ञासा हम सभी के मन में आती है. तो आईये जानने की कोशिश करते हैं कि किस प्रकार ये काम करता है.

    ज्योतिष में महर्षि वशिष्ठ, पराशर, भास्कराचार्य इत्यादि के सिद्धांतों को देखा जाए तो उस अनुसार हिंदू कैलेंडर सूर्य और चंद्र के आधार पर चलता है. सूर्य मास को संक्रांति से समझा जाता है और चंद्र मास को पूर्णिमा-अमावस्या के आधार पर देखा जाता है.

    अधिकमास चंद्र वर्ष का एक आधिक भाग है, जो प्र्त्येक 32 माह, 16 दिन और 8 घटी के अंतर से आता है. इसकी उत्पति इस लिए की गई ताकि सूर्य और चंद्र वर्ष के बीच जो अंतर आता है उसका संतुलन बनाने में सहायता मिल सके. भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष में 354 दिनों का. इन दोनों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर आ जाता है. यह हर तीन वर्ष में लगभग 1 माह के समान हो जाता है. इसी अंतर को मिटाने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास सामने आता आता है. इस कारन से इसे अधिकमास की उपाधी प्राप्त होती है.

    अधिक मास में क्या नहीं करना चाहिए.

  • अधिकमास में सभी मांगलिक कार्य नहीं होते हैं.
  • विवाह,सगाई, महोत्सव, मूर्ति प्रतिष्ठा नही की जाती है.
  • बड़े- बड़े यज्ञ का आयोजन कुछ विशेष कारण से होता है.
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    अभी निपटा लें अपने जरुरी काम क्योंकि 18 जुलाई से रुक जाएंगे सभी मांगलिक कार्य

    17 जुलाई को मनाई जाएगी देवशयनी एकादशी इस दिन के बाद से सभी प्रकार के विवाह, सगाई, गृह प्रवेश मुहूर्त इत्यादि शुभ मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी. आषाढ़ मास की एकादशी के दिन से इन मांगलिक कार्यों पर रोक का आरंभ होगा. ऎसा इसलिए होगा क्योंकि इस दिन से भगवान श्रीविष्णु क्षीर सागर में निंद्रा अवस्था में चले जाएंगे. इस कारण से भगवान के शयन के साथ ही सभी शुभ मुहूर्तों पर रोक लग जाती है.

    17 जुलाई को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है. इस एकादशी को देवताओं के शयन की एकादशी भी कहा जाता है. इस समय पर देवता विश्राम में होते हैं. ऎसे में हिंदू धर्म अनुसार होने वाले शुभ कामों को कुछ समय के लिए रोक दिया जाता है. इसके कुछ समय पश्चात श्रावण संक्राति के साथ ही दक्षिणायन का समय भी आरंभ हो जाएगा. दक्षिणायन समय पर देवताओं की रात्रि का समय होता है अत: ये दोनों समय का मेल होने से उन सभी कामों को रोक देने के निर्देश शास्त्रों में दिये गए हैं.

    आषाढी एकादशी के बाद कब होगी शुभ मुहूर्त की शुरुआत

    पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस एकादशी के दिन से ही भगवान श्री विष्‍णु योग निद्रा में होते हैं. इस दिन को हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व प्रदान किया गया है. भगवान विष्‍णु के योग निद्रा में चले जाने के बाद से शुभ समय का आभाव हो जाता है. आने वाले लगभग चार महीने इसी प्रकार से भगवान योग निद्रा में रहते हैं. चार मास पश्चात भगवान श्री विष्णु कार्तिक एकादशी के दिन अपनी निंद्रा से जागते हैं. इस दिन को देवप्रबोधनी, देव उठानी देवोत्थान इत्यादि नामों से भी जाना जाता है. आने वाली 4 नवंबर को होगी देव उठानी एकादशी और एक बार फिर से शुरुआत होगी मांगलिक कार्यों की.

    आषाढी एकादशी पौराणिक कथा

    पौराणिक कथाओं से ज्ञात होता है की ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं. इन दिनों में भगवान के अनुपस्थित होने के कारण ही कोई भी मांगलिक कामों न करने की बात बतायी गयी है. एक कथा अनुसार इस समय पर भगवान विष्‍णु पाताल लोक के राजा बलि के पास उसके संरक्षक के रुप में रहते हैं. ऎसे में उनके बिना कोई भी शुभ कार्य पृथ्वी पर नहीं हो पाते हैं.

    एक अन्य कथा अनुसार श्री हरि इस समय पर क्षीर सागर में योग निद्रा में चले जाते हैं. इसलिए भगवान जब तक योग निंद्रा में रहते हैं उस समय तक हिंदू पंचांग में चौमासा का आरंभ होता है. इन चतुर्मास पर गृह प्रवेश के काम गृह निर्माण के कार्य, शादि इत्यादि शुभ अवसरों को रोक दिया जाता है. जब भगवान पुन: जागते हैं तो उस समय पर एक बार फिर से सभी काम आरंभ होते हैं.

    भगवान के शयन की स्थिति होने की वजह से जनेऊ, नामकरण व उपनयन संस्‍कार इत्यादि भी नहीं किए जाने की परंपरा अधिक रहती है.

    आषाढी एकादशी से शुरु होंगे साधना और उपासना कार्य

    इस समय पर साधना का कार्य आरंभ होता है. ये समय पूजा ध्यान और मंत्र साधना करने के लिए बहुत अच्छा बताया गया है. इस समय पर एक साथ पर रह कर सत्संग का आयोजन होता है. साधु-मुनि व संत लोग भक्ति के सभी कामों में इस समय पर सभी को अपने धार्मिक विचारों से प्रेरित करते हैं.

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    21 जून को लगने वाला कंकण सूर्यग्रहण बढ़ा सकता है परेशानियां, इस राशि और नक्षत्र पर होगा खास असर

    21 जून को लगने वाला कंकण सूर्य ग्रहण एक बहुत बड़ा और अधिक प्रभावशाली ग्रहण होगा. कंकण सूर्य ग्रहण को भारत समेत अन्य कई देशों में भी देखा जा सकेगा. इस कंकण सूर्य ग्रहण के प्रभाव के चलते राजनैतिक, आर्थिक, प्राकृतिक बदलाव स्पष्ट रुप से दिखाई देंगे. ये ग्रहण अनेक प्रकार की अकस्मात आने वाली आपदाओं का कारक भी बन सकता है.

    मेदिनी ज्योतिष भी ग्रहण से संबंधित अनेक उतार-चढ़ावों की व्याख्या भी करता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण काल का समय चाहे विश्व के परिपेक्ष में हो या किसी व्यक्ति विशेष के संदर्भ में यह समान रुप से अपना प्रभाव देने में सक्षम होता है.

    ग्रहण और वक्री ग्रहों का मेल लाएगा बदलाव

  • ग्रहण काल समय पर ग्रहों में वक्रता का प्रभाव अधिक रहेगा.
  • इस समय पर बुध, गुरु, शनि, शुक्र सभी ग्रह वक्री होंगे. सूर्य और चंद्रमा पर राहु केतु का ग्रास होगा.
  • इस कारण समय संकट ओर आपदा की स्थिति में वृद्धि का संकेत देता है.
  • ग्रहण समय पर राहु केतु की चाल में भी बदलाव दिखाई देगा.
  • ग्रहों की वक्री चाल का सीधा असर ग्रहण के बुरे प्रभाव को बढ़ाने वाला होगा.
  • ग्रहण काल समय पर ग्रहों में वक्रता का प्रभाव अधिक रहेगा.
  • इस समय पर बुध, गुरु, शनि, शुक्र सभी ग्रह वक्री होंगे.
  • सूर्य और चंद्रमा पर राहु-केतु का ग्रास होगा. इस कारण ये समय संकट और आपदा की स्थिति में वृद्धि का संकेत देता है.
  • मृगशिरा नक्षत्र में होगा ग्रहण

  • सूर्य चंद्र और राहु होंगे मंगल के नक्षत्र में
  • ग्रहण कल समय सुर्य, चंद्रमा और राहु तीनों का स्थान मृगशिरा नक्षत्र में होगा.
  • मंगल के इस नक्षत्र में होने वाले ग्रहण के कारण अग्नि का प्रभाव प्रवल होगा.
  • मानसिक संताप की स्थिति भी बढ़ेगी.
  • ये समय उग्रता को बढ़ाने वाला होगा.
  • गुस्से ओर क्रोध को निंयंत्रित रखने कि आवश्यकता होगी.
  • मृगशिरा नक्षत्र में जिनका जन्म हुआ है उनके लिए ये समय कठिन हो सकता है. अपने कामों में थोड़ा संभल कर आगे बढ़ने कि जरुरत होगी.
  • कंकण सूर्य ग्रहण का लोगों पर असर

    21 जून 2021 को इस साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा. यह कंकण सूर्य ग्रहण आषाढ़ मास कि अमावस्या तिथि को लगने वाला है. इस ग्रहण के समय ग्रहों की स्थिति भी बहुत अधिक अनुकूल नही होने के कारण इसका अधिक असर भी दिखाई देगा. इसके कारण देश और विदेश में अनेक स्थानों पर तनाव की स्थिति दिखाई देगी. लोगों के मध्य मतभेद होगा. और साथ ही जातीय एवं नस्ल भेद की स्थिति भी प्रभाव डालेगी.

    कंकण सूर्य ग्रहण बढ़ा सकता राजनीतिक उथल-पुथल

    राजनैतिक परिवेश की स्थिति से ये समय अचानक से होने वाले बदलावों का गवाह बनेगा. इस समय किसी एक राजनैतिक पार्टी की सत्ता पर लोगों बहुत अधिक विश्वास न बन पाए. राजनैतिक समीकरण भी बदलते नजर आएंगे. इसका मुख्य कारण इसलिए होगा क्योंकि बुध और सूर्य की एक साथ स्थिति होने और ग्रहण का मिथुन राशि पर पड़ना बौद्धिकता को अवश्य ही प्रभवैत करने वाला होगा.

    इस समय पर कुछ राजनैतिक पार्टियों के गठबंधन भी टूट सकते हैं. नेताओं में निरंकुशता भी दिखाई देगी. लोगों की निजता पर इसका असर पड़ेगा. इस समय दबाव की स्थिति अधिक बढ़ने वाली है. इस समय में एक देश का दूसरे देश पर विरोधाभस होगा. आत्मघाती हमलों में वृद्धि की संभावना अधिक दिखाई देती है.

    मेदिनी ज्योतिष – कंकण सूर्य ग्रहण लाएगा मौसम में बदलाव

    कंकण सूर्य ग्रह का प्रभाव प्राकृतिक स्ठिति पर भी दिखाई देगा. मेदिनी ज्योतिष के अनुसार ग्रहण काल के पहले ओर बाद के कुछ समय तक ग्रहण का प्रभाव अवश्य लक्षित होता है. यह वो समय होता है जब सृष्टि का प्रत्येक कण इसके प्रभाव से मुक्त नही हो पाता है. ऎसे में मोसम में बदलाव और ताप की अधिकता बढ़ सकती है. अग्नि और बाढ़ से होने वाली दुर्घटनाओं में वृद्धि हो सकती है. इस समय पर भूस्खलन एवं प्राकृतिक आपदाओं की कुछ समय के लिए प्रवृत्ति अधिक रह सकती है. भूकंप एवं अतिवृष्टि का प्रभाव होगा. वन्य जीव जन्तुओं पर भी असुरक्षा का खतरा बढ़ सकता है.

    सूर्य ग्रहण के कुछ समय के पश्चात ही 5 जुलाई को लगने वाला उपछाया चंद्रग्रहण भी इस विपत्ति को बढ़ाने का काम करेगा. बहुत कम अंतराल पर आने वाले सूर्य और चंद्र ग्रहणों की ये स्थिति विश्व में होने वाले बदलावों और परेशानियों की ओर ही संकेत अधिक करती प्रतीत होती है.

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