बुध का कर्क राशि में गोचर

बुध अपनी स्वराशि मिथुन को छोड़ कर अब कर्क राशि में प्रवेश करेंगे. मिथुन से निकल कर कर्क राशि में जाने पर बुध की स्थिति में बहुत तरह से बदलाव दिखाई देगा. इसका मुख्य करण यह है की बुध अभी तक अपनी ही राशि मिथुन में विराजमान थे और ऎसे में वह अनुकूल स्थिति में भी थे. परंतु अब बुध कर्क राशि में गोचर करेंगे तो इस कारण बहुत से बदलाव और विचारधारा में भी चेंज दिखाई देना स्वभाविक होगा.

बुध जिस भी ग्रह अथवा राशि में होते हैं उसके साथ मिलकर फल देते हैं, पर जब वह उस स्थान पर जाते हैं जहां उन्हें रहना पसंद न हो तो उस समय पर स्थिति बहुत अधिक अनुकूल नहीं हो पाती है. बुध कर्क राशि में स्वयं को सहज नहीं पाते हैं. ज्योतिष के अनुसार बुध कर्क राशि को मित्र नहीं मानते हैं, इसका मुख्य कारण है कि कर्क राशि का स्वामित्व चंद्रमा को प्राप्त होता है. इसी कारण कर्क राशि में बुध की स्थिति बहुत सुखद नहीं मानी गयी है.

बुध का कर्क राशि में प्रवेश समय

25 जुलाई 2021 को 11:40 मिनिट पर बुध का कर्क राशि में प्रवेश होगा. बुध ग्रह का कर्क राशि में गोचर 8 अगस्त को 25:34 तक रहेगा. इस पूरे समय बुध मार्गी होकर ही गोचरस्थ होंगे. इस पूरे समय पर बुध वक्री नहीं होंगे.

बुध के इस गोचर का सभी राशि के जातकों पर कैसा रहेगा. आईए विस्तार से जानते हैं बुध के कर्क राशि में गोचर का फल सभी 12 राशियों पर

बुध के कर्क राशि में गोचर का मेष राशि पर प्रभाव
बुध का गोचर आपके जीवन को कई मामलों में प्रभावित करेगा.
इस समय घरेलू मोर्चे पर आपकी स्थिति मजबूत रहेगी.
कुछ मामलों में घर पर कुछ नए आयोजन होंगे और व्यस्तता भी बढ़ने वाली है.
कुछ अचानक से लाभ की प्राप्ति हो सकती है.
अगर आप पेरेंटस हैं तो बच्चों को लेकर आप की चिंता अभी रहेगी.
स्त्री पक्ष के साथ कुछ अधिक बात न बन पाए.

बुध के कर्क राशि में गोचर का वृष राशि पर प्रभाव
वृष राशि के लोगों के लिए बुध का गोचर उन्हें काम को लेकर व्यर्थ की भागदौड़ कराने वाला हो सकता है.
न चाहते हुए भी उन कामों में उलझना पड़ सकता है जिसे आप करना न चाहें.
इस सम्य आपकी कलात्मक अभिव्यक्ति को बेहतर निखार मिल सकता है.
धनार्जन के लिए मौके मिलेंगे.
यात्रा का अवसर भी प्राप्त होगा.
अपने प्रियजनों के साथ मिलकर काम करने वाले हैं.

बुध के कर्क राशि में गोचर का मिथुन राशि पर प्रभाव
मिथुन राशि वालों के लिए बुध के कर्क में जाने से आपको आर्थिक मसलों पर काम तेज करने की जरूरत होगी.
इस समय आप अपनी वाणी द्वारा काम निकलवाने में आगे रह सकते हैं बस ध्यान रखना होगा.
नौकरी के क्षेत्र में और व्यापार में आप कुछ नए कामों को लाने कि सोच सकते हैं.
पैसों का संचय करने के लिए कुछ पॉलिसी पर भी विचार जा सकता है.

बुध के कर्क राशि में गोचर का कर्क राशि पर प्रभाव
कर्क राशि वालों के लिए बुध का गोचर उन्हें लाभ देने में सहायक होगा.
आपकी जन्म राशि पर इस समय बुध का गोचर होगा. ऎसे में ये समय आप के लिए अत्यंत खास होगा.
आपको इस समय पर भावनात्मक होकर फैसले लेने से बचना चाहिए.
बुध का गोचर आपकी राशि से में होने के कारण आप कुछ अधिक चंचल और वाचाल हो सकते हैं.
आपकी कलात्मक शैली ओर योग्यता भी इस समय पर बढ़ सकती है.
आपके लिए जरुरी है कि इस समय पर अपनी कथनी से अधिक करनी पर ध्यान देना होगा.

बुध के कर्क राशि में गोचर का सिंह राशि पर प्रभाव
सिंह राशि वालों के लिए इस समय दिल खोल कर खर्च करने वाला होगा. आपकी कल्पनाशीलता बढ़ेगी.
कुछ मामलों में अनिद्रा की शिकायत परेशान कर सकती है.
काम के क्षेत्र में मेहनत अधिक होगी. आपको लाभ के लिए मेहनत अधिक करनी होगी.
इस समय पर बाहरी संपर्क लाभ दे सकते हैं.
आपके लिए अपने विरोधियों के कारण तनाव झेलना पड सकता है.
कुछ मामलों में आप गुस्से और क्रोध के कारण आप लोगों के साथ विवादों में उलझ सकते हैं.

बुध के कर्क राशि में गोचर का कन्या राशि पर प्रभाव
आपको अतिरिक्त स्रोत मिलेंगे.
इस गोचर के कारण आप पैसों की बचत और उसे जोड़ने को लेकर कुछ नए काम शुरु कर सकते हैं.
आपके लिए जरूरी होगा कि इस समय किसी ऎसी चीजों में निवेश से बचें जो जोखिम से जुड़े हुए हों.
पारिवारिक दृष्टिकोण से आप एक दूसरे को लेकर अधिक नजदीक आ सकते हैं. यह गोचर अनुकूल रह सकता है.
आप अपने लोगों के साथ ज्यादा समय बिताएंगे.
किसी नए सदस्य का घर पर आगमन होने से घर के माहौल में बदलाव आएगा.

बुध के कर्क राशि में गोचर का तुला राशि पर प्रभाव
बुध का गोचर आप लोगों के लिए काम और प्र्तिस्पर्धा का मौका लेकर आ सकता है.
अपने प्रोजेक्ट को पूर करने के लिए किसी की मदद आपके लिए बहुत काम आ सकती है.
इस समय पर आपने नेतृत्व का उपयोग बेहतर रुप से कर सकते हैं.
छात्रों के लिए समय थोड़ा मुश्किल हो सकता है.
अपनी पढ़ाई में कंसर्टेशन सही से न कर पाना जैसी दिक्क्तें आप को प्रभावित कर सकती हैं.

बुध के कर्क राशि में गोचर का वृश्चिक राशि पर प्रभाव
आप के लिए समय थोड़ा अनुकूल न हो क्योंकि भाग्य पर रोक लग सकती है.
चीजों को पूरा करने के लिए अधिक मेहनत करने की जरूरत होगी.
जितनी क्षमता होगी उससे अधिक का काम करने पर भी शायद लाभ पूरा न मिल पाए.
माता-पिता के साथ कुछ विवाद हो सकता है. इस समय स्वास्थ्य का ख्याल रखें.
पेट से जुड़े विकार प्रभाव डाल सकते हैं.
पानी से जुड़ी बिमारियां परेशानी बढ़ा सकती है.

बुध के कर्क राशि में गोचर का धनु राशि पर प्रभाव
आपको कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है.
कुछ लोगों को पदोन्नति मिलने की भी संभावना है.
जरूरी है की इस समय किसी के साथ उलझें नही आपके लिए स्थिति बहुत बेहतर नही हो पाएगी.
मानसिक और शारिरीक स्थिति खराब हो सकती है.
स्वास्थ्य का ख्याल रखना जरूरी है.
अपनी ड्राइविंग का संभल कर उपयोग करना बेहतर होगा.
कारोबारी अपने विचारों को आगे बढ़ा स्कते हैं.
नए माल की खरीद और बिक्री तेजी से होगी.
नया कारोबार शुरु करने की शुरुआत कर सकते हैं.

बुध के कर्क राशि में गोचर का मकर राशि पर प्रभाव
आप लोगों को इस समय अपने पुराने कामों को पूरा करने का अच्छा मौका प्राप्त होगा.
परिवार में खर्च की स्थिति परेशान कर सकती है.
भागदौड़ अधिक रहने वाली है.
कुछ समय के लिए घर से दूरी भी बना सकते हैं.
भाईयों के साथ झगड़ा बढ़ सकता है.
घर पर लोग आपकी बातों पर सहमति न बनाना चाहें.
जो लोग अपने काम से जुड़े हुए हैं वो अपने काम को आगे बढ़ाने में कोशिश कर सकते हैं.
पिता के साथ किसी बात को लेकर मतभेद आपके तनाव को आगे ले जा सकता है.

बुध के कर्क राशि में गोचर का कुम्भ राशि पर प्रभाव
आपकी मानसिक और वैवाहिक स्थिति दिनों ही थोड़ा प्रभावित रह सकती है.
इस समय झगड़े बढ़ सकते हैं.
संपत्ति का लाभ मिलेगा और नए काम उभरेंगे.
कुछ बातें छुपा कर रखते हुए आप आगे बढ़ सकते हैं.
इस समय दुविधा भी परेशान करेगी.
घरेलू जीवन में अस्थिरता के कारण आप बाहर जाकर मन की शांति खोजना चाहेंगे.
अपने खान पान पर नियंत्रण रखने की जरुरत होगी.

बुध के कर्क राशि में गोचर का मीन राशि पर प्रभाव
परिवार के लोगों के साथ मिलकर धन के सही प्रबंधन की बात कर सकते हैं.
सेहत का ख्याल रखें व्यर्थ की भागदौड़ के कारण सेहत कुछ खराब हो सकती है.
परिवार में कुछ लोगों का आना आपको परेशान कर सकता है.
आप इस समय दूसरों के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं.
आपके लिए जरुरी है कि अपने शरीर को सक्रिय बनाकर रखें.
घर पर शादी विवाह से जुड़े कुछ मांगलिक आयोजन होगा.
किसी धार्मिक उत्सव की तैयारियों में परिवार एक दूसरे के साथ जुड़ेगा.

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वक्री मंगल का मेष राशि में गोचर, इन राशियों को रहना होगा संभल कर

वक्री मंगल का मेष राशि में होने का प्रभाव

मंगल का मेष राशि में गोचर कई तरह से व्यक्ति को प्रभावित करता है. मंगल एक ऊर्जा से भरपूर ग्रह है. जब वह अपनी राशि में होता है तो उसकी उर्जा ओर अधिक विकसित होती जाती है. मेष राशि मंगल की स्वराशि है और इसी राशि में जाते हुए मंगल अधिक बलशाली और अनुकूल भी माना गया है. मंगल की राशि मेष होने पर मंगल का साल भर में कई राशि में गोचर होता है. मंगल जब भी जिस भी राशि में जाता है. उस राशि में वह राशि के गुणों और उससे प्रभावित भी जरूर होता है. ऎसे में मंगल उसी के अनुसार फलों को भी देता है.

राशि के अनुसर मिलने वाले फल शुभ और अशुभ दोनों ही तरह के हो सकते हैं. मंगल का मेष राशि में होना मंगल को बलशाली बनाने वाला होगा. मंगल के मेष राशि पर होने के कारण इसकी शुभफलों को पाने वाला होता है.

वक्री मंगल का समय

मंगल 10 सितंबर 2020 को मेष राशि में गोचर करते हुए वक्री होंगे. 10 सितंबर को मंगल 03:50 पर वक्री होंगे.

वक्री मंगल का सभी राशियों पर असर

मेष राशि में वक्री मंगल का फल

मेष राशि वालों के लिये वक्री मंगल का प्रभाव आपकी राशि पर ही हो रहा है. इसलिए जरुरी होगा कि अपने इमोशन को कंट्रोल में रखें. ज्यादा जोश में काम न लें. जितना संभव हो सके अपनी बचत का ख्याल रखें. गुस्से में इजाफा होगा और मनर्जी अधिक बढ़ सकती है. दांपत्य जीवन में मनमुटाव अधिक बढ़ सकता है. मकान या वाहन खरीदने को लेकर भी आप काफी कोशिशों में होंगे. इस समय आप प्रयास अधिक करेंगे और हो सकता है कि कुछ और इंतजार करना पड़े. इस समय आपको सिर्फ अपने को नियंत्रण में रखने की जरुरत है. रोमांटिक लाइफ में में थोड़ा स्ट्रेस बढ़ सकता है.

वृष राशि में वक्री मंगल का फल

वृषभ राशि वालों के लिये मंगल का वक्री होना उनके प्रयासों को बढ़ाने वाला हो सकता है. अभी कुछ ऎसे काम टल सकते हैं जिन पर आपको अधिक कोशिश करनी होगी. खर्च तो बने ही रहेंगे साथ ही स्वास्थ्य का ख्याल रखें क्योंकि इस समय चोट लगने या उंचाईसे गिरने का डर भी बना हुआ है. मंगल का वक्री होना प्रोपर्टी और कानूनी कार्यवाही में, लेन-देन से जुड़े कामों में देरी कराने वाला हो सकता है. आप को चीजों को टालने की आदत छोड़नी होगी. आलसी होने से फायदा नही होगा. कुछ मामलों में निराश अधिक प्रभाव डाल सकती है. सलाह यही है कि जितना हो सके अपने आप को शांत रखने और अधिक उत्साहित होने से बचना चाहिए.

मिथुन राशि में वक्री मंगल का फल

मिथुन राशि वाले के लिए वक्री मंगल अचानक से उन चीजों को बढ़ा सकता है जिसके बारे में आप बहुत पहले से ही सोच में लगे हुए थे. पढ़ाई और बच्चों की स्थिति दोनों ही क्षेत्र पर संघर्ष अधिक हो सकता है. वक्री हो रहे मंगल से जीवन के कुछ क्षेत्रों में अचानक से एक प्रगति देख सकते हैं. इस समय काम में सजगता रखने की जरूरत होगी. थोड़ा सचेत रहने से आप उन चीजों पर पकड़ बनाने में सफल होंगे जो समाजिक क्षेत्र आपको आगे ले जा सके. आप मेहनत से आगे रहेंगे और आत्मविश्वास भी बढ़ेगा. आत्मबल मजबूत होने से काम आसान होंगे पर ध्यान रखें की ओवरकोन्फिडेंस से बचें. क्योंकि ज्यादा आत्मविश्वास भी कई बार परेशानियों को बढ़ा सकता या गलत कदम भी उठा सकते हैं.

कर्क राशि में वक्री मंगल का फल

इस समय आप अपने काम को लेकर बेचैनी का अनुभव कर सकते हैं. कुछ ऎसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं जिसके चलते आप अपने काम से जी चुरा सकते हैं. काम में बदलाव को लेकर काफी उत्साहित होंगे. संयम व धैर्य से काम लेंने की जरूरत है. बद्लाव तब तक न करें जब तक आपके पास आगे की सुरक्षा न हो. किसी भी तरह से किसी विवाद या बेकार की बहसबाजी में नहीं उलझें. इस समय साथ में लगे लोग दूरी बढ़ा सकते हैं. प्रोजेक्ट पर बार बार कोशिशें करनी पड़ सकती हैं. कुछ लाभ भी मिलेगा. मकान या फिर किसी निर्माण काम का आरंभ आपके लिए बेहतर हो सकता है. पढ़ाई के मामले में लापरवाही से बचना होगा.

सिंह राशि में वक्री मंगल का फल

मंगल का वक्री होना सिंह राशि वालों को मिलने वाले फलों में देरी कर सकता है, लेकिन परिश्रम से अच्छे भाग्य का साथ जरूर मिल सकता है. इसलिए निराश हुए बिना अपने काम को करते रहें. गोचरवत वक्री मंगल कुछ कामों को आसानी से पूरा भी करवा पाएगा. अटके हुए काम पूरे होंगे. अचानक से कहीं जाने की तैयारी होगी. मंगल के कारण कुछ भाग्य का साथ कम मिले. बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. किसी प्रोजेक्ट पर अगर धन लगाया हुआ है तो शायद आशा के अनुरुप फल न मिल पाएं. प्रतिस्पर्धियों अधिक रहने वाली है. आपका विवाद बढ़ सकता है. अभी रिश्तों में अल्गाव या तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.

कन्या राशि में वक्री मंगल का फल

वक्री मंगल का प्रभाव कन्या राशि वालों के लिये ऎसी परिस्थितियां उत्पन्न करेगा जो आपको मानसिक रुप से तनाव में डालने वाली हो सकती हैं. इस समय पर काम में आपकी लापरवाही देखने को मिल सकती है. मंगल वक्री हो रहे हैं इस कारण से आर्थिक क्षेत्र और काम दोनों ही प्रभाव में आएंगे. इस समय काम छोड़ने का नही सोचें तो बेहतर होगा. अब समय है जायदाद के मसलों से लाभ पाने का. पर घरेलू मोर्चे पर बहुत से लोगों के साथ बात न बन पाए. विवाद या झगड़े की संभावना भी बढ़ सकती है. नई जिम्मेदारियां मिली हैं तो उनका दबाव महसूस भी होगा. पर संभल कर काम करें और बहुत अधिक विश्वास से बचें. विरोधी दबाव अधिक बना सकते हैं.

तुला राशि में वक्री मंगल का फल

तुला राशि वालों के लिए मंगल का वक्री होना उनकी इच्छों को बढ़ाने का काम करने वाला होता है. प्रेम के मामले में किसी की सुनने वाले नही हैं आप. इस समय अपनी जिद्द और इच्छा को ही आगे रखते हुए काम करना चाहेंगे. पर ध्यान देने कि बात यह है कि क्या आपके साथी को आपकी इस बात से सहमती होगी. ऎसा होना मुश्किल होगा. वैवाहिक लाईफ में कई कारणों से स्थिति तनाव वाली बन सकती है. अपनी बोलचाल को नियंत्रित रखें कहीं गुस्से में कोई अपशब्द न निकले. काम को लेकर धीमी रही रफ्तार अब तेज होने वाली है.

वृश्चिकी राशि में वक्री मंगल का फल

आपके लिए प्रतिस्पर्धा अब बढ़ने वाली है. आप काम को लेकर ज्यादा उत्साहित न हों. जितना हो सके उतना ही आगे बढ़ना बेहतर होगा. अपने स्वास्थ्य का भी आपको इस समय ध्यान रखने की जरूरत होगी. हेल्थ में थोड़ी गिरावट महसूस कर सकते हैं,. आपके लिए खर्च की अधिकता बढ़ सकती है. अभी के समय कुछ कानूनी दावपेंच अधिक रहेंगे. जितना हो सके फजूलखर्ची से बचने का प्रयास करें. कड़ी मेहनत के बावजूद अनुकूल परिणाम न मिल पाएं पर इससे निराश नहीं होना चाहिए. प्रयास बनाए रखें देर सबेर सफलता जरूर मिलेगी.

धनु राशि में वक्री मंगल का फल

धनु राशि के लिये मंगल का वक्री होना. उन चीजों पर अधिक ध्यान देने वाला होगा जिस कोम लेकर आपके भविष्य का निर्धारण होगा. यानी के अपनी एजुकेशन और अपने कैरियर से रिलेटिड सारे मामले ध्यान में रखें. लापरवाही बिलकुल न करें. क्यौंकि किसी कारण से असफलता का सामना भी करना पड़ सकता है. वक्री प्रभाव के कारण एकाग्रता की कमी ओर बेकार कि बातों पर अधिक ध्यान केन्द्रित होगा. माता-पिता के लिए संतान इस समय अधिक ध्यान खिंच सकती है. बच्चों को लेकर चिंता रह सकती है. प्रेम के मामले में आप रिश्तों को आजमाना चाहेंगे.

मकर राशि में वक्री मंगल का फल

मकर राशि वालों के वक्री मंगल का प्रभाव आपके सुख और चैन को प्रभावित कर सकता है. इस समय इतनी जल्दी जल्दी परिस्थितियां बदलती हैं की उन्हें संभाल पाने का समय ही नही मिल पाता है. इस समय पर घरेलू मसलों को संभालने में परेशानी होती है. रिश्तों को ठीक रखने के लिए काफी मेहनत करनी होती है. खुद को भावनात्मक रुप से मजबूत रखना होगा. अपनी जल्दबाजी और गुस्से को रोक कर रखना होगा. स्त्री पक्ष के स्वास्थ्य पर आपका ध्यान अधिक होगा. माता के साथ संबंधों में तनाव आ सकता है या उनको लेकर आप अधिक चिंता में रहेंगे. वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बहुत अधिक बातचित होगी, लेकिन इसमें थोड़ी खटास पैदा भी हो सकती है. काम के स्थान में बदलाव या उन्नती मिल सकती है.

कुंभ राशि में वक्री मंगल का फल

वक्री मंगल आपकी मेहनत को बढ़ाने वाला है. अगर आप अभी अपनी ओर से पूरी कोशिश नहीं कर पाएं हैं तो अब उस तरफ से आपको निराशा हाथ नहीं लगेगी. आपकी मेहनत बेहतर परिणाम देने में सहायक होगी. मंगल के वक्री होने से आपको लाभ हो सकता है. आप अपने भाग्य का कुछ साथ भी पा सकते हैं. इतना ध्यान रखें की मिलने वाले लाभ हो सकता है आपकी सोच से थोड़े कम हों. काम के क्षेत्र में लोगों का विरोध परेशान कर सकता है.. व्यवसायी लोगों को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है. पिता या कोई ऎसा व्यक्ति आपके लिए कोई बेहतर सुझाव या मार्गदर्शक के रुप में सामने आएगा. कंधे और शरीर में दर्द की शिकायत हो सकती है. भाईयों के साथ तनाव बढ़ सकता है.

मीन राशि में वक्री मंगल का फल

आपके लिए खर्चों कि अधिकता का दौर होगा. जीवन साथी के साथ मिलकर जिम्मेदारियों के प्रति सजग होने का समय है. रोमांटिक लाइफ में पार्टनर के साथ आपको पुर्ण साथ न मिल सके ऎसे में तनाव हो सकता है. इस समय संभल कर काम करें. किसी ओर के प्रति आपका मन आकर्षित होता है. घूमने फिरने के योग भी बन रहे हैं जिनके कारण खर्च में वृ्द्धि हो सकती है. मांगलिक आयोजन होने से घर पर लोगों का आगमन हो सकता है. इस समय जरूरी है सोच समझ कर बात करने कि क्योंकि आप अपनी बोलचाल में कठोर हो सकते हैं.

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वारुणी योग 2025, दुर्लभ और शुभदायक मुहूर्त होता है वारुणी योग

वारुणी योग एक अत्यंत ही शुभ एवं उत्तम गति प्रदान करने वाला समय होता है. हिन्दू पंचांग का एक अत्यंत ही पावन शुभ समय मुहूर्त भी है. यह उन शुभ मुहूर्तों की ही तरह है जो अबूझ मुहूर्त के महत्व को दर्शाते हैं. वारुणी योग के समय पर बहुत से धार्मिक कृत्य किए जाते हैं. यह एक ऎसा समय होता है, जिसका हर पल अपने आप में नवीनता और शुभता लाने वाला होता है.

इस योग के प्रत्येक क्षण पवित्रता से भरपूर और शुभ दायक माना गया है. वारुणी योग के महत्व के बारे में धर्म सिंद्धु, काशी इत्यादि ग्रंथों में पढ़ने को मिलता है. इन सभी में इस योग की महत्ता का बहुत ही सुंदर शब्दों में वर्णन किया गया है. उत्तर भारत हो या दक्षिण भारत सभी ओर इस वारुणी योग की धूम रहती है. संपूर्ण भारत वर्ष में इस समय की शुभता का वर्णन विभिन्न भाषाओं के ग्रंथों में प्राप्त होता है.

तीन प्रकार का वारुणी योग

वारुणी योग के विषय में बताया गया है की यह तीन प्रकार से बनता है. जिस कारण इसकी महत्ता क्रमश: आगे बढ़ती जाती है. यह योग माह, नक्षत्र, दिन और शुभ योगों के द्वारा ही अलग-अलग रुप में शुभता को प्रकट करता है.

वारुणी योग में कई तरह के विचार भी मिलते हैं. वारुणी योग में बताए गए माह में फाल्गुन माह, चैत्र माह, मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाले महावारुणी योग के विषय में भी बताया गया है.

वारुणी योग

कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को शतभिषा नक्षत्र होने के कारण “वारुणी योग” बनता है.

महावारुणी योग

कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन शतभिषा नक्षत्र का होना और शनिवार का दिन होने पर “महावारुणी योग” बनता है.

महामहावारुणी योग

कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को शतभिषा नक्षत्र, शनिवार और शुभ नामक योग हो तो “महामहावारुणी योग” बनता है.

वारुणी योग पौराणिक महत्व

वारुणी योग के विषय में पौराणिक आख्यानों में बहुत सी परिभाषाएं प्राप्त होती हैं. वारुणी योग के बारे में चैत्र, फाल्गुन, मार्गशीर्ष इत्यादि मासों में इस योग के बनने की बात कही गयी है.

भविष्यपुराण

भविष्यपुराण के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी यदि शनिवार या शतभिषा से युक्त हो तो वह महावारुणी पर्व कहलाता है . इस समय पर किया गया पवित्र नदियों में स्नान, दान एवं श्राद्ध कार्य अक्षय फल देने वाला होता है.

चैत्रे मासि सिताष्टम्यां शनौ शतभिषा यदि ।

गंगाया यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा ।।

सेयं महावारुणीति ख्याता कृष्णत्रयोदशी ।

अस्यां स्नानं च दानं च श्राद्धं वाक्षयमुच्यते ।।

नारदपुराण

वारुणेन समायुक्ता मधौ कृष्णा त्रयोदशी ।।

गंगायां यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा ।।

स्कन्दपुराण

वारुणेन समायुक्ता मधौ कृष्णा त्रयोदशी।

गङ्गायां यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा॥

शनिवारसमायुक्ता सा महावारुणी स्मृता।

गङ्गायां यदि लभ्येत कोटिसूर्यग्रहैः समा॥

देवीभागवत पुराण

वारुणं कालिकाख्यञ्च शाम्बं नन्दिकृतं शुभम्।

सौरं पाराशरप्रोक्तमादित्यं चातिविस्तरम्॥

वारुणी योग स्नान पूजा

वारुणी योग में प्रात:काल स्नान करने के बाद श्री विष्णु का पूजन करना चाहिए. भगवान शिव का पूजन करना चाहिए. सुर्य नमस्कार और पूजन किया जाता है. इसके अलावा राधा-कृष्ण का पूजन, तुलसी, पीपल, आंवला वृक्ष का पूजन करना चाहिए. प्रात:काल तुलसी के समक्ष दीपक जलाना चाहिए. इस समय पर धार्मिक ग्रंथों गीता, भागवत, रामायण, पुराण इत्यादि का पाठ करना चाहिए. वारुणी योग में भजन कीर्तन कथा को करना उत्तम होता है. इस उपासना में भी में ईष्ट पूजन और तुलसी की पूजा करते हैं. नदी, तलाब या घर के बाहर दीपदान भी करना चाहिए.

वारुणी योग में जो व्यक्ति स्नान के साथ-साथ पूजा उपासना, जप इत्यादि करता है उसे अक्षय पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. इस पावन अवसर पर दिन भर व्रत धारण करके रात्रि में तारों को अर्ध्य देकर भोजन करने की परंपरा भी रही है.

वारुणी योग में गंगा स्नान का महत्व

वारुणी योग में स्नान की परंपरा भी बहुत ही प्राचीन काल से चली आ रही है. प्रायः इस दिन स्नान और दान की परंपरा रही है. स्नान करने का अत्यंत ही शुभ फल बताया गया है. इस दिन को गंगा स्नान के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है. स्नान करने के साथ ही इस संपूर्ण योग में तप करने का भी विधान बताया गया है. साथ ही मौन साधना और ध्यान का भी इस समय पर बहुत ही शुभ महत्व होता है.

वारुणी योग के आरंभ से ही स्नान और धार्मिक उपदेश व कथा का संगम होने पर शुब फल मिलते हैं. धारणाओं और मान्यताओं के अनुसार सृष्टि चक्र अपने शुभ स्तर पर होता है. इसलिए इसे देवताओं के लिए भी असाध्य और कठिन बताया गया है क्योंकि उन्हें भी इस स्नान का फल लेने के लिए पृथ्वी पर आना ही पड़ेगा.

वारुणी योग के लिए प्रत्येक दिन गंगा, यमुना या किसी नदी, घाट या सरोवर इत्यादि में स्नान करना चाहिए. यदि यह संभव नही हो पाता है. ऎसे में घर पर ही स्नान करना चाहिए. स्नान करने के पश्चात अपने भगवान का पूजन व मंत्र जाप भी करना चाहिए. इस समय में नक्षत्र और शुभ योग का संगम हो तो महावारूणी का समय होता है. ये समय स्नान के लिए अत्यंत ही शुभदायक माना गया है. इसके अतिरिक्त समस्त नक्षत्रों का ध्यान करते हुए स्नान भी अपना विशेष फलदायी प्रभाव देता है.

वारुणी योग में दान का आध्यात्मिक प्रभाव

शास्त्रों में वारुणी योग की बड़ी महिमा बताई गई है. इस दिन पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करके नक्षत्र आराधना करते हैं. शास्त्रोक्त अनुसार स्नान करने से सुख, स्वास्थ्य लाभ और समृद्धि की प्राप्ति होती है.

दान और संयम का पालन करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. तीर्थाटन के समान शुभफल की प्राप्ति होती है. इस समय पर सामर्थ्य अनुसार और शुद्ध मन से किया गया दान अक्षय होता है.

वारुणी योग की महिमा के बारे में पौराणिक ग्रंथों में विस्तार से उल्लेख प्राप्त होता है. इस दिन के स्नान, तप को मोक्ष प्रदान करने वाला कहा गया है. दान और जाप करने से स्वर्ग के द्वार खुलते हैं. पाप कर्म समाप्त होते हैं. गंगा स्नान, दीप दान, हवन, यज्ञ और विभिन्न अनुष्ठान आदि करने से पाप और ताप का शमन होता है. इस दिन किए जाने वाला अन्न,धन और वस्त्र दान का शुभता देने वाला है.

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केतु का वृश्चिक राशि में गोचर, जाने सभी 12 राशियों पर इसका प्रभाव

ग्रहों का गोचर प्रत्येक राशि पर अपने अनुरुप शुभाशुभ फल देने में समर्थ होता है. जब भी कोई ग्रह एक राशि से निकल कर दूसरी राशि में जाता है वह समय किसी न किसी रुप में प्रभवित अवश्य करता है. इस साल के अंत में केतु की राशि में चेंज होने वाला है. केतु पिछले डेढ़ साल से धनु राशु में गोचरस्थ था. अब आने वाले सितंबर 2020-21 में केतु का गोचर वृश्चिक राशि में होगा.

ज्योतिष दृष्टि से केतु का प्रभाव

धनु राशि से निकल कर वृश्चिक राशि पर केतु का गोचर होना कई प्रकार के बदलावों वाला होगा. केतु ग्रह को कृष्ण स्वरुप वाला ग्रह भी कहा जाता है और केतु की आकृति एक ध्वज(झंडे) की तरह बतायी गई है. केतु का प्रमुख स्वरुप मोक्ष की प्राप्ति कराने वाला ग्रह है. नव ग्रहों में इसे पाप ग्रह की श्रेणी में जोड़ा जाता है. नकारात्मकता प्रभाव देने वाला भी कहा गया है. धार्मिक ग्रंथों में मौजूद तथ्यों के आधार पर केतु को राहु का ही आधा हिस्सा बताया गया है. राहु को सिर और केतु को धड़ वाला हिस्सा बताया जाता है.

केतु ग्रह एक राशि को पार करने में लगभग डेढ़ वर्ष का समय लेता है. गोचर हो या कुंडली जहां पर भी केतु, जिस भी भाव में बैठा होगा उस भाव को प्रभावित करता है. प्रत्येक भाव में केतु के गोचरस्थ होने का प्रभाव अलग-अलग रुप में पड़ता है. केतु की स्थिति जिस भी भाव में हो उस भाव से जुड़े फलों में कमी अवश्य ही प्रभावित होती है. केतु बाधा और विरक्ति का कारक बनता है. केतु ग्रह वृश्चिक राशि में उच्च के माने गए हैं इस कारन से इस वर्ष 2021 में केतु का वृश्चिक राशि में गोचर उच्चस्थ प्रभाव वाला होगा.

आइये जानते हैं कि केतु गोचर प्रत्येक 12 राशियों पर किस प्रकार का प्रभाव होगा.

केतु का वृश्चिक राशि में गोचर का सभी राशियों पर प्रभाव

मेष राशि पर केतु का प्रभाव

मेष राशि के जातकों पर केतु का प्रभाव उनके विरोधियों को परास्त करने में सक्षम होंगे. इस समय पर प्रतिस्पर्धा अधिक रहने वाली है. इस समय पर आप के लिए भागदौड़ वाला समय रहेगा. मेहनत अधिक होगी. स्वास्थ्य का ख्याल रखें और व्यर्थ की बातों में खुद को उलझा कर न रखें. इस समय पर अचानक से कुछ घटनाक्रम आप पर प्रभाव डालेंगे. संपत्ति ओर परिवार के क्षेत्र में कुछ बदलाव भी दिखाई देंगे. जो भी लोग गूढ़ विषयो के प्रति रुझान रखते हैं उनके लिए ये समय बहुत बेहतर हो सकता है.

वृषभ राशि पर केतु का प्रभाव

इस समय केतु का प्रभाव आप को कुछ मानसिक बल देगा. इस समय आप उन चीजों को लेकर केन्द्रित होंगे जिन पर आपका ध्यान अभी तक नही गय था. इस समय आपको आद्यात्मिक और नए विचार प्रभावित करेंगे. सोच-विचार अधिक रहने वाला है. आप को सतर्कता रखनी होगी अपने विरोधियों से. इस समय आपको कानून ओर कोर्ट से जुड़े मसलों पर बेहतर सफलता प्राप्त हो सकती है. पार्टनरशिप से जुड़े काम में कुछ बदलाव की स्थिति भी दिखाई देती है. इस समय वैवाहिक संबंधों को लेकर तनाव की स्थिति परेशान कर सकती है. इसलिए जरूरी है की धैर्य से काम लीजिए.

मिथुन राशि पर केतु का प्रभाव

मिथुन राशि वालों को मानसिक रुप से थोड़ी राहत दिखाई देगी. इस समय किसी लम्बे समय से चले आ रहे अटकाव और भ्रम की स्थिति से मुक्ति भी मिल सकती है. कोर्ट केस और विवाद इत्यादि में आपको सफलता मिल सकती है. जो छात्र प्रतियोगी परिक्षाओं के लिए तैयारी कर रहे हैं उन्हें कुछ सकारात्मक परिणाम भी प्राप्त होने कि उम्मीद बढ़ती है. इस समय आप मध्यस्था या समझोता करने में सफल भी होंगे. मिथुन राशि वालों के लिए जहां एक तरफ केतु के शुभ प्रभाव होंगे वहीं इनके अंदर आध्यात्मिक गुणों का विकास होगा.

कर्क राशि पर केतु का प्रभाव

राशि पर प्रभाव के चलते आपकी एकाग्रता पर इसका असर दिखाई दे सकता है. केतु का इस साल आपके बौद्धिकता पर असर दिखाई देगा. सोच विचार में लगे रहते दिखाई देंगे. शिक्षा के मामले में छात्रों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है. इस समय पर एकाग्रता पर परेशान अधिक होगी. प्रेम संबंधों में तनाव का असर भी दिखाई देगा. कुछ कारणों से रिश्ते में आप जल्दबाजी में फैसला लेने से बचें. छोटे बच्चों को लेकर पेरेंट्स की चिंता बनी रहने वाली है.

सिंह राशि पर केतु का प्रभाव

केतु के गोचर परिणामस्वरूप मिले-जुले रिजल्ट दिखाई दे सकते हैं. कुछ न कुछ कारणों से आपका सुख प्रभावित होगा. बच्चों को परेशानी हो सकती है. इस समय आपको भी थोड़ा बहुत स्वास्थ कष्ट उठाना पड़ सकता है. इसलिए पहले से ही स्वास्थ को लेकर सजग रहना जरूरी होगा. पढ़ाई में सफ़लता मिलने के योग हैं, किसी दोस्त या फिर कोइ ऎसा व्यक्ति आपके लिए मददगार सिद्ध होगा जो आपको सकारात्मक रुख भी देगा. दोस्तों कि ओर से सहायता मिल सकती है. मेहनत अधिक रहेगी और उसी के अनुरुप धन लाभ भी हो सकता है. पारिवारिक मसलों को सुलझाना आसान नहीं होगा.

कन्या राशि पर केतु का प्रभाव

आपके लिए ये समय काम के क्षेत्र में परेशानी बढ़ा सकता है. मिले-जुले परिणाम देखने को मिल सकते हैं. नौकरी या व्यवसाय हो, सहयोगियों का सहयोग मिल सकता है. ध्यान रखें की व्यर्थ के विवाद से बचें ओर अपने कामों को दूसरों पर छोड़्ने से बचें. सफलता मिल सकत है पर ध्यन रखें की गुप्त रुप से शत्रु आपकी सफलता पर पानी न फेर दें. आपके लिए इस समय अपनी काम करने की शैली और भाषा पर अधिक काम करना चाहिए इसके बेहतर उपयोग से आपको लाभ मिल सकता है.

तुला राशि पर केतु का प्रभाव

खर्चों पर रोक नही लग पाएगी तो आने वाले समय में आप उससे परेशान हो सकते हैं. इस समय किसी दूर बैठे व्यक्ति की ओर आपका जुकाव अधिक हो सकता है. आप अपने संघर्ष से सफलता की सीढ़ी चढ़ेंगे. लोगों के बीच अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो सकते हैं. कही आवागमन होगा जिसके कारण आपकी बचत भी प्रभावित होगी. आने वाले समय में कुछ आर्थिक लाभ भी होने की दिशा बनती दिखाई देती है. घर पर कुछ मांगलिक कार्य आयोजित होंगे. घर पर किसी नए व्यक्ति का आगम होने कि भी आशंका दिखाई देती है.

वृश्चिक राशि पर केतु का प्रभाव

छोटी दूरी की यात्रा बनी रहने वाली है. इस समय पर भाई-बहनों के बीच थोड़ी अनबन होने से आप परेशान होंगे. छात्रों का परिणाम उन्हें उस अनुकूल न मिल पाए प्रयासों में वृद्धि का समय होगा. आप अब कुछ अधिक ही गुस्से में और जल्दबाजी में रह सकते हैं. सफलता मिलेगी. अपने विरोधियों पर विजय मिलेगी. स्वास्थ्य को लेकर थोड़ा तनाव रह सकता है. मुख्य रुप से मानसिक रुप से उधेड़बुन बनी रहने वाली है. आपके लिए प्रेम संबंधों को लेकर सजग होना जरूरू होगा. क्योंकि इस समय आप उनसे मुख भी मोड़ सकते हैं.

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धनु राशि पर केतु का प्रभाव

प्रेम जीवन में सफलता मिलने के योग हैं आप अब अपनी मानसिक परेशानियों से निजात पा सकते हैं. इस समय आप किसी सर्जरी इत्यादि से भी गुजर सकते हैं इसके लिए खुद को सावधान रखें.नए रिश्तों में आगे बढ़ने का समय है. जिंदगी में कुछ नए लोगों के आने से आपके जीवन में होंगे बदलाव. शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हैं तो उच्च शिक्षा के क्षेत्र के लिए आने वाले समय में अवसर उभरेंगे. धीरे-धीरे स्थिति में होगा सुधार और भाग्य के बेहतरीन होने की उम्मीद काम करेगी. प्रतियोगी परीक्षा में आने वाले समय में सफलता मिलने के योग बनते नज़र आ रहे हैं. परिवार का साथ पाने के लिए अब बेहतरीन समय आने वाला है. आप अपनी वाणी से दूसरों को आहत न करें और अपने बड़बोलेपन से बचें.

मकर राशि पर केतु का प्रभाव

आपके लिए इस समय संघर्ष अधिक रहने वाला है. इस समय आप कुछ नकारात्मक भी अधिक रह सकता है. आप अपने काम काज में ओरों के हस्तक्षेप से भी परेशान रहेंगे. वैवाहिक जीवन में आप कुछ न कुछ बातें कलह को बढ़ा सकती है. परिवार का कोई सदस्य हेल्थ को लेकर काफी परेशानी में रहेगा. व्यापार के क्षेत्र में किसी तरह का कोई निवेश करने की सोच रहे हैं तो टालना बेहतर होगा. नौकरीपेशा लोगों को काम में बदलाव मिलेंगे. काम चलते ट्रैवलिंग अधिक होने की उम्मिद भी है. आपको हाथ पैर में चोट या फिर अनिद्रा के कारण परेशानी हो सकती है.

कुम्भ राशि पर केतु का प्रभाव

खर्चे बढ़ेंगे और घर के लोगों पर ही अधिक व्यय रहेगा. कुछ कारणों के कारण आप ज्यादा ही परेशान रहेंगे लेकिन इस समय आप कुछ समय के लिए घर से दूर जाकर रह सकते हैं. घर के लोगों के साथ अपनी सेहत का ख़ास ख्याल रखें. इस समय आपको स्वास्थ सम्बन्धी परेशानियां हो सकती हैं. हाथ पैरों में दर्द की शिकायत रह सकती है. इस समय नींद में कमी की परेशानी भी झेलनी पड़ सकती है.

मीन राशि पर केतु का प्रभाव

भाग्य का साथ मिल सकता है. परिवार का पूरा-पूरा सहयोग न मिल पाए. आमदनी में बढ़ोतरी होगी और काम के क्षेत्र में नए अवसर भी उभरेंगे. बुद्धि और मेहनत के द्वारा विरोधियों पर हावी हो सकते हैं. किसी तरह के वाद-विवाद से बचना चाहिए. छात्र पक्ष को शिक्षा के क्षेत्र में काफी परिश्रम की जरूरत होगी. किसी वरिष्ठ सदस्यों के साथ मतभेद के कारण परेशानी हो सकती है. आपको जीत मिलने के भी योग हैं पर जरुर है की आप अपने लिए सतर्कता से काम करें. बहुत अधिक भरोसा और निर्भरता के कारण चिंता अधिक रह सकती है. छात्र उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कदम बढ़ाना चाहते हैं तो अभी से आवेदन करना अनुकूल होगा.

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केतु का वृश्चिक राशि में गोचर, उच्च का केतु बदलेगा भाग्य

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में केतु का स्थान छाया ग्रह के रुप में है. इसे ग्रह न समझ कर परछाई कहा गया है. इस छाया ग्रह होने के कारण केतु बहुत ही गहरा असर डालने में सक्षम होता है. राहु ओर केतु यह दोनों ही ग्रह छाया ग्रह कहे जाते हैं. केतु ग्रह न होकर ग्रह की छाया है. पर इस छाया का भी अपना उतना ही महत्व होता है जितना अन्य का. शायद उससे भी बढ़कर इसका बहुत महत्व रहता है.

केतु ग्रह का सभी के जीवन में बहुत असर होता है.केतु की छाया जीवन में किसी रुप में पड़ रही है उसी के अनुरूप इसका फल मनुष्य को अवश्य प्राप्त होता है. मान्यता है की केतु की छाया का प्रभाव प्रकृति को ढक लेने में भी सक्षम है. केतु की शुभता से ज्ञान की प्राप्ति होती है. आत्मज्ञान मिलता है. जिस प्रकार अज्ञानी को ज्ञान का तभी पता चल सकता है जब उसे प्रकाश देने वाला गुरु मौजूद हो. उसी तरह से केतु ग्रह भी भीतर के ज्ञान को उजागर करने वाला होता है.

वृश्चिक राशि में केतु का प्रवेश (गोचर) समय

  • 23 सितंबर 2020 को केतु वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे.
  • केतु का वृश्चिक राशि प्रवेश समय दोपहर 12:52 के करीब होगा.
  • वृश्चिक राशि में स्थित होने पर केतु को उच्च का भी कहा गया है. वृश्चिक राशि में जाने पर केतु का बल अधिक बढ़ जाता है. वृश्चिक में गोचर करता हुआ केतु दूसरी राशियों की तुलना में ज्यादा स्ट्रांग हो जाते हैं. कुछ उच्च का होने पर तर्कशीलता का गुण देता है. गोचर में केतु यदि उच्च का हो तो अपने प्रभावों में तेजी देता है. केतु सदा अशुभ होता है जो सत्य नहीं है क्योंकि कुंडली में केतु का सही स्थान में होना और मजबूत होने से यह शुभ प्रभाव देने में भी सक्षम होता है.

    केतु के वृश्चिक में जाने के साथ ही अपनी स्ट्रांग स्थिति में होंगे. उच्च होना केवल आपके बल को दर्शाता है. केतु का प्रभाव शुभ या अशुभ स्वभाव को नहीं जिसके चलते किसी कुंडली में उच्च का केतु शुभ अथवा अशुभ दोनों प्रकार के फल ही प्रदान कर सकता है जिसका निर्णय उस कुंडली में केतु के शुभ और अशुभ स्वभाव को देखकर ही किया जा सकता है. कुंडली के विभिन्न भावों में स्थित होने पर उच्च के केतु द्वारा प्रदान किये जाने वाले फल भी अलग-ालग होंगे. कुछ संभावित शुभ तथा अशुभ फलों के बारे में विचार किया जा सकता है जो सामान्य फल विवेचना को दर्शाता है.

    केतु ग्रह की छाया का जीवन पर प्रभाव

    केतु का असर जीवन में विरक्ति का भाव लाता है. यह एक ऎसा ग्रह है जो भोग विलास से मुक्ति दिलाने में भी सक्षम होता है. केतु का खराब होने के कारण कई तरह के रोग जीवन में प्रभाव डाल सकते हैं. कुंडली में केतु के दोष युक्त होने या फिर खराब होने के कारण इस स्थिति से बचाव के लिए की प्रकार की बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता होती हैं.

    केतु के विषय में अनेक ग्रंथों में विचार मिलता है. केतु को ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान मिलता है. ज्योतिष में केतु ग्रह को एक पाप ग्रह माना जाता है. परंतु केतु के फलों को मिलने वाले शुभाशुभ फलों की प्राप्ति होती है. केतु के द्वारा व्यक्ति को हमेशा ही बुरे फल प्राप्त नहीं करते हैं. केतु ग्रह के द्वारा व्यक्ति को शुभ फल भी मिल सकते हैं.

    केतु से जुड़ी चीजें

    केतु का प्रभाव अनेक वस्तुओं और क्षेत्रों पर पड़ता रहता है. केतु को मुख्य रुप से यह आध्यात्म के साथ जोड़ा जाता है. इसके साथ जुड़ कर यह व्यक्ति को वैराग्य और मोक्ष की प्राप्ति कराने में भी सहायक होता है. नव ग्रहों में शायद केतु ही एक ऎसा ग्रह है जो मोक्ष के लिए सबसे अधिक सहायक ग्रह बनता है. केतु का संबंधो गुढ़ विषयों को समझने के लिए अत्यंत ही उपयोगी है. केतु तंत्र-मंत्र से जुड़े कार्यों आदि का कारक होता है.

    केतु से प्रभावित राशि और नक्षत्र

    ज्योतिष में केतु को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है. लेकिन कुछ विचारकों द्वारा केतु के लिए वृश्चिक और धनु इसकी राशि है और इसी स्थान पर यह बली भी होता है. केतु की उच्च राशि है, जबकि मिथनु में केतु निर्बल माना गया है. वहीं नक्षत्रों में केतु को अश्विनी नक्षत्र, मघा नक्षत्र और मूल नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त होता है. वैदिक ज्योतिष में केतु ग्रह राक्षस का धड़ है. इसके सिर के भाग को राहु को कहा गया है.

    केतु के गोचर का वृश्चिक राशि पर प्रभाव

    वृश्चिक राशि वालों के लिए केतु का गोचर के लिहाज से बहुत गंभीर असर देने वाला होगा. घरेलू स्तर पर आप थोड़े से धुन के पक्के होंगे. घर की चीजों और माहौल को संभालने की कोशिश भी करेंगे. ज्योतिष में केतु ग्रह की कोई निश्चित राशि नहीं होने के कारण केतु जिस स्थान में अर्थात जिस भी भाव में बैठा होता है, उसके अनुसार फल देता है. इसलिए केतु जिस राशि में होता उसके अनुरुप फल देता है. अभी केतु वृश्चिक में बैठेंगे तो अब वह आपको ज्यादा प्रभावित करने वाले हैं.

    केतु तृतीय, पंचम, षष्टम, नवम एवं द्वादश भाव में हो तो बेहतर फल देने वाला होता है. गोचर अगर कुंडली के इन भावों पर होता है फायदे का सौदा होता है. वृश्चिक राशि में तो ये स्थिति व्यक्ति को बेहतर सकारात्मक परिणाम देने में बहुत अधिक सफल भी होती है. व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों और दायित्वों के प्रति गंभीर बनता है. आर्थिक स्थिति को बेहतर करने में सफल होता है.

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    शुक्र का मिथुन राशि गोचर 2025 में जाना बदल सकता है आपका भाग्य

    शुक्र अपनी स्वराशि वृष से निकल कर मिथुन राशि की ओर संचार करेंगे. शुक्र अपनी स्वराशि को त्यागकर बुध की राशि मिथुन में जाएंगे. शुक्र का बुध की राशि में जाना अनुकूल स्थिति की ओर इशारा करता है. शुक्र ओर बुध का संबम्ध मित्रता से युक्त माना गया है. इस लिए जब भी शुक्र मिथुन राशि में जाता है तो उस समय का दौर कलात्मकता को बढ़ाने वाला होता है. बौद्धिकता प्रखर होती है. इस समय पर ऎसी चीजों को बढ़ावा मिलने की संभावना बढ़ जाती है जिसमें व्यक्ति की योगता सामने आती है. ये समय सामाजिक सांस्कृतिऔर राजनितिक क्षेत्र में बदलाव को दिखाता है.

    शुक्र का मिथुन राशि प्रवेश समय

    24 जुलाई 2025 को गुरुवार के दिन प्रात:कल समय होगा. शुक्र अपनी स्वराशि वृष से बाहर आकर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे. पूरा माह शुक्र मिथुन राशि में ही गोचरस्थ होंगे. इसके बाद 19 अगस्त 2025 तक इसी में रहेंगे.

    आईये जानते हैं, कैसा होगा 12 राशियों पर इसका असर

    मेष राशि

    शुक्र का मिथुन राशि में गोचर मेष राशि वालों के लिए उनके तीसरे भाव पर होने जा रहा है. यह स्थिति तृतीय पराक्रम भाव में होने से अपनी मेहनत को ऎसी जगह पर लागाना अधिक पसंद करेंगे जिसमें आपकी कौशलता को प्रदर्शित करने का मौका मिले. आप अपने आलस्य को यदि छोड़ देंगे तो आप अच्छे लाभ को पाने में सफल भी हो सकते हैं. इस समय आपके अपने भाई बहनों कि ओर से काम में कुछ सहयोग मिल सकता है. मेहनत के द्वारा लाभ होगा. रोज के कामों में भी सफलता मिलेगी. इस समय आप अपने पसंद की चीजों को लेकर आगे बढ़ना चाहेंगे.

    वृष राशि

    वृषभ राशि वालों के लिए शुक्र अब शुक्र पहले घर से निकल कर दूसरे घर में गोचर करेंगे. दूसरे भाव से भ्रमण करते हुए शुक्र आपकी आर्थिक स्थिति को बेहतर करने में सहायक बनेंगे. आप अपने परिवार को नजदीक लाने की कोशिशों में आगे बढ़ेंगे. छात्रों को अपनी पढ़ाई के क्षेत्र में मेहनत अधिक करने की जरूरत होगी. इस समय एकाग्रता में कमी आ सकती है. मन में भटकाव की स्थिति अधिक रहने वाली है. अपनी भाषा और वाणी द्वारा धन का लाभ पा सकते हैं. परिवार पर धन खर्च होगा इसलिए अभी धन को इधार देने से बचें. धन के मामलों में सावधानी रखना होगी.

    मिथुन राशि

    मिथुन राशि वालों के लिए शुक्र लग्न में आने वाला है. आपके 12वें घर से निकल कर शुक्र अब आपके लग्न पर आएंगे. अभी तक आप खुद को लेकर कुछ लापरवाह रहे हों लेकिन अब अपने पर ध्यान देने लगेंगे. आप खुद के स्वास्थ्य और खुद कि इच्छा को लेकर अधिक एकाग्र होंगे. प्रेम संबंधों के लिए अब आप अपनी ओर से थोड़ा अधिक एफर्ट लगा सकते हैं. आपकी भावना प्रबल होगी. इस समय आपके खर्चों में वृद्धि का संकेत दिखाई देता है. ट्रैवलिंग के योग भी बन रहे हैं. इस योग के बनने से धन का व्यय भी होगा.

    कर्क राशि

    इस समय आपके लाभ पर खर्च की अधिकता का प्रभाव अधिक दिखाई देगा. कर्क राशि वालों के लिए 12वें भाव में गोचर का योग बनने के कारन आपकी भागदौड़ बढ़ सक्ती है. इस समय आपके मित्र आप के लिए शत्रुता का भाव भी दिखा सकते हैं. इनकम के साथ ही खर्च भी अधिक रहेगा. पारिवारिक मामलों में खर्च रहेगा. स्वास्थ्य का ख्याल रखें. इस समय रिश्तों की खिंचतान आपके लिए दिक्कत अधिक बन सकती है.

    सिंह राशि

    सिंह राशि वालों के लिए शुक्र का गोचर 11वें भाव में होगा. आपके लिए इस समय काम में मेहनत के साथ साथ अपनी कौशलता पर भी ध्यान देने की जरूरत होगी. कुछ चीजों में नया काम ओर नए लोगोम के साथ मुलाकात की संभावना बढ़ सकती है. एकादश भाव में गोचर करने के कारण शि़अ के क्षेत्र में जो लोग कला से संबंधित विषयों में लगे हुए उनके लिए अच्छे परिणाम की प्राप्ति हो सकती है. शुक्र का ये गोचर आपको अपनी मेहनत से काम दिलाने वाला होगा. बच्चों की ओर से आपको कुछ अच्छी बातें पता चल सकती हैं.

    कन्या राशि

    कन्या राशि वालों के लिए शुक्र का गोचर एक बदलावों को देने वाला होगा. इस समय आप अपने कुछ अधूरे किए हुए कामों को पूरा कर पाएंगे. नौकरी या व्यापार दोनों ही क्षेत्रों में आपकी मेहनत बढ़ सकती है. दशम भाव में गोचर करते हुए शुक्र आपने विरोधियों ओर अपने मित्रों दोनों को साथ ले चलने के लिए कोशिश को कर सकता है. आपको भाग्य का साथ आपको काम में मिल सकता है. आप अपने परिवार की ओर से कुछ बेहतर रुख देख पाएंगे. स्त्री पक्ष की ओर से कुछ लाभ हो सकता है. किसी भी ऎसे क्षेत्र में जहां बुद्धि और कौशल का योग प्रबल हो तो उस काम में आप बहुत अच्छा कर सकते हैं.

    तुला राशि

    तुला राशि वालों के लिए इस समय शुक्र का गोचर काम और प्रोजेक्ट से जुड़े नए मौके ला सकता है.मेहनत करने का समय है. इस राशि के छात्र अपनी पढ़ाई में उच्च शिक्षा को लेकर आगे बढ़ सकते हैं. नए प्रोजेक्ट और नए काम बनेंगे. बास की ओर से कुछ सहायता मिल सकती है. आपकी नॉलिज का विस्तार होगा. आप अपने स्वभाव द्वारा लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं. परिवार में माता की ओर से आपको प्रेम और सकारात्मक रुख हासिल होगा.इस समय आप प्यार के मामले में अपने रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए कोशिशों में लगे रहेंगे. वैवाहिक संबंधों को लेकर स्थिति कुछ नए अनुभवों को देने वाली होगी. इस समय आप किसी व्यक्ति के साथ भावनात्मक रुप से अधिक जुड़ाव का अनुभव कर सकते हैं. स्वास्थ्य का ख्याल रखें संक्रमण का खतरा भी हो सकता है. तुला राशि वालों के लिए तीसरे घर में शुक्र का होना मुश्किलों से आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. कठिनाइयों से ही सफलता मिल सकती है.

    वृश्चिक राशि

    आप लोगों के लिए ये समय बहुत अधिक संभल कर आगे बढ़ने का होगा. इसका कारण वृश्चिक राशि वालों के लिए शुक्र का गोचर आठवें घर में होगा. इसलिए आपका मन उन चीजों की ओर ज्यादा रह सकता है जिसे आप हर किसी से छुपा कर रखना चाहते होंगे. इस समय पर बाहरी मासलों को सावधानी रखने की जरूरत होगी. कुछ बाहरी लोगों के कारण काम पूरा होने में अड़चने आ सकती है. ट्रैवलिंग में संभल कर आगे बढ़ना होगा. संपत्ति का लाभ मिल सकता है. प्रेम संबंधों में आप इस समय झूठ का सहारा भी ले सकते हैं. परिवार में मांगलिक कार्यों में भागीदारी होगी. अपने पेट का ख्याल रखें पानी से संबंधित रोग जल्दी ही असर डाल सकते हैं.

    धनु राशि

    धनु राशि वालों के लिए शुक्र अब सातवें घर में आने वाला है. इसलिए अपने विवाह ओर प्यार को लेकर आपको तालमेल बनाने की जरूरत होगि. इस समय आपके रिश्ते आगे बढ़ सकते हैं. जो दूरियां बनी थी वो अप दूर हो सकती है. आपको इस समय सहभागिता में काम से लाभ मिलने की बेहतर संभावना भी बनती दिखाई देती है. बस आवश्यकता होगी तो आपकी सजगता की स्वास्थ्य समस्याओं पर धन खर्च बढ़ सकता है. पारिवारिक जीवन में बदलाव आएंगे. कुछ निर्माण से जुड़े काम आगे बढ़ सकते हैं.

    मकर राशि

    इस समय मकर राशि वालों के लिए खर्च में वृद्धि का दौर रहने वाला समय होता है. काम कि अधिकता आपको परेशानी दे सकती है. थकान ओर विवाद का दौर आपको थोड़ा निराश भी कर सकता है. मकर राशि वालों के लिए छठे घर में गोचर होने के कारण आपका ध्यान किसी एक चीज पर अधिक हो सकता है. काम के क्षेत्र में संभलकर चलने की सलाह देता है ये समय. वरिष्ठ लोग कुछ लाभ के मौके दे सकते हैं. बच्चों का ख्याल रखें उनकी गतिविधियों पर अपना ध्यान बना कर रखने कि जरूरत होगी.

    कुंभ राशि

    कुम्भ राशि वालों के लिए शुक्र का का गोचर उन्हें मानसिक रुप से परेशान कर सकता है. सोच पर कई चीजों को लेकर बंटी हो सकती है. इस समय आप अपने रिश्तों को लेकर भी काफी उलझन में होंगे. प्यार के मामले में आप थोड़ी जल्दबाजी भी कर सकते हैं. कुंभ राशि वालों के लिए पंचम स्थान पर शुक्र का असर होने के कारण, बच्चों का सुख देने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रह सकती है. संतान सुख, मनोरंजन पर खर्च, घर पर कुछ शुभ कार्य, भाग्य का सहयोग मिलना जैसी चीजों का होना दिखाई देता है.

    मीन राशि

    मीन राशि के लिए शुक्र का गोचर घर पर अनेक बदलावों ओर कुछ नए लोगों के साथ को सामने लाने वाला होगा. आपके सुख स्थान पर शुक्र का आना भावनाओं को बढ़ाने का काम करेगा. अभी तक जिन चीजों के लिए आप रुके हुए थे या फिर जिन पर आप अपनी इच्छाओं को दबा रहे थे वे अब एक बार फिर से उभर सकती हैं. आप अपने बच्चों और अपने घर पर कुछ बदलावों को देख सकते हैं. आपके किसी अपने का स्वास्थ कुछ कमजोर हो सकता है. लिए चतुर्थ भाव में शुक्र का गोचर आपके लिए खर्च बढा़ सकता है.

    शुक्र के उपाय

    • मिथुन राशि में शुक्र का गोचर होने पर कुछ उपाय करना अत्यंत ही लाभदायी होता है. ग्रह जिस समय पर राशि परिवर्तन करता है उस समय पर ग्रह से संबंधित पूजा अर्चना एवं मंत्र जाप करना अत्यंत ही सकारात्मक फल प्रदान करने वाला होता है.
    • इस समय शुक्र के गोचर की अशुभता में कमी लाने और उससे बचाव के लिए व्यक्ति को चाहिए की वह साफ स्वच्छता के साथ सफेद वस्त्र पहन कर शुक्र के मंत्र जाप अवश्य किया करे. स्नान करने के लिए पानी में दूध और इलायची डाल कर स्नान करने से शुक्र कि शुभता प्राप्त होती है. शुक्रवार के दिन किसी धर्म स्थल पर दूध से बनी खीर गरीबों को दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति संभव हो पाती है.
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    कैसा रहेगा वृषभ राशि वालों के लिए राहु का गोचर

    राहु का प्रभाव वृषभ राशि पर होने के कारण वृष राशि वालों के लिए तो अब आने वाला समय काफी बदलावों को दिखा सकता है. राहु एक ऎसा ग्रह है जो अपने प्रभाव का पूर्ण प्रभाव जिस स्थन में बैठा होता है या जिसके साथ बैठा होता है उसी के अनुरुप देता है. राहु का वृषभ राशि में होना शुक्र के प्रभाव क्षेत्र में जाने वाला होगा. इस कारण राहु के प्रभाव में शुक्र का संयोग मिलने से उएज्जना और आक्रमाकता बढ़ सकती है साथ ही लिप्सा किसी वस्तु के प्रति चाह में भी वृद्धि होना स्वभाविक होता है.

    राहु का वृषभ राशि में जाने का समय

    23 सितंबर को राहु मिथुन राशि से निकल जाएंगे और वह वृष राशि में 12:52 के करीब प्रवेश करेंगे.

    राहु राशि परिवर्तन ऎसे डालेगा अपना असर

    जिन लोगों की भी वृष राशि होगी उन सभी के ऊपर राहु का अधिक रुप से लक्षित होगा. राहु अन्य राशियों को भी प्रभावित करेगा लेकिन वृषभ राशि वालों के लिए यह समय बहुत ज्यादा असर डालने वाला होगा. राहू का गोचर शरीर पर असर डालने वाला होगा. गोचर का प्रभाव आपको परिश्रमी बनाने वाला होगा. अपने कार्यों को चतुराई के साथ करने में आगे रहेंगे. इस समय जरूरी होगा कि ऎसे निर्णयों को लेने से बचना चाहिए जो जल्दबाजी में ले रहे होंगे.

    शरीर रुप से बलिष्ट होंगे. आकर्षण क्षमता का विस्तार होगा. बौद्धिकता रुप से आप चीजों को अपने अनुरुप करने के लिए प्रयासरत रहने वाले हैं. राहू का परिवर्तन वृषभ वालों के लिए अनुकूल माना जाता है इसका मुख्य कारण यह है की राहु कि शुक्र के प्रति मित्रता का भाव होना है. इसलिए राहु इसमें शुभता दे सकता है, लेकिन यह शुभता पुर्ण रुप से लक्षित इस कारण नही हो पाएगी क्योंकि मानसिक रुप से किसी न किसी बात को लेकर द्वंद की स्थिति परेशान करेगी. व्यक्ति इसके प्रभाव से अपने काम को बहुत ही योजनाबध तरीके से करना चाहेगा. अपनी बातों को लेकर आप खुद ही स्थिर न रह पाएं. व्यवहार में स्पष्टता का अभाव भी झलक सकता है. व्यक्तिव में छुपी हुई संभावनाएं सामने आएंगे. दूसरे आपको बारे में किसी एक निर्णय पर न रह पाएं.

    आपकी बुद्धि इस समय में काफी तीक्ष्ण हो जाएगी. कुछ नयी चीजों की शुरुआत का समय है. आपके लिए इस समय नए मौके उभर सकते हैं. साथ ही अपनी चीजों के प्रति आपका ध्यान भी अधिक रहने वाला है. राहु के बदलाव के कारण आपके साथ जुड़े लोगों के लिए भी चेंज देने वाला होगा. क्योंकि आप प्रभावित होंगे तो आपके साथ जो भी कुछ है वो भी प्रभावित हुए बिना नही रह पाएगा.

    पारिवारिक जीवन

    वैदिक ज्योतिष में राहु को एक क्रूर और छाया ग्रह कहा गया है. अपनी तामसिक प्रवृति के कारण ही इसे उग्रता से युक्त माना गया है. इस कारण इसका वृषभ राशि के रूप में स्थित होता है तो वह बली होता है. राहु व्यक्ति के मन और बुद्धि को भ्रमित कर देता है. राहु आपके जीवन को गंभीर रुप से प्रभावित करते हैं. इसके के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में ऎसी चीजें घटती हैं जो अचानक से घटती हैं, अप्रत्याशित रुप से चीजों के फल बनते दिखाई देते हैं.

    ये समय बदलावों को लाता है, परिवार में लोगों के साथ होने वाले मतभेद बढ़ सकते हैं. आप दूसरों के साथ सहमती नहीं बना पाएं. आपके लिए जरुरी होगा की सभी को साथ में लेकर चलें. ऎसा करना आपकी महत्ता को दूसरों के सने रखने वाला होगा. मेल जोल के द्वारा ही मसले सुलझ सकते हैं. माता की ओर से थोड़ी चिंता हो सकती है. बच्चों को लेकर आप अधिक सजग रहें ओर उनकी गतिविधियों पर नजर बना कर रखें. इस समय धार्मिक पक्ष मजबूत होगा. कुछ यात्राएं भी होने की संभावना होगी, गंगा स्नान ओर नदियों के दर्शन भी होंगे.

    घर पर कुछ शुभ मांगलिक आयोजन होंगे. जिसमें आपकी भूमिका अहम रह सकती है. इस समय के दोरान कोई विवाद भी उभर सकता है इसलिए अपनी उन्मुक्तता पर नियंत्रण लगाने कि जरूरत होगी. इस समय आप कुछ अधिक भावना प्रधान होंगे. भावुकता के चलते आप कुछ ऎसे काम कर सकते हैं जो दूसरों के लिए परेशानी या चिंता को दर्शा सकते हैं.

    लव अफेयर्स

    राहु का प्रेम संबंधों पर गहरा असर होगा. आप अपने पुराने रिश्तों से अलग हो सकते हैं, तो कुछ नए रिलेश्न की ओर आपका झुकाव शुरु होगा. इस समय आप इंटरनेट के जरिये अपने प्रेमी का साथ पा सकते हैं. आप अपने रिश्तों के कारण आप काफी असमंजस में हो सकते हैं. किसी भी एक चीज को लेकर निर्णय ले पाना आसान नहीं होगा. प्यार में आप किसी ऎसे व्यक्ति के संपर्क में हो सकते हैं जो आपसे काफी दूर होगा. जीवन में प्यार के मामले में आपको शुभाशुभ दोनों घटना की प्राप्ति हो सकती है. अपने रिश्तों को अंजाम देने में भी आप समर्थ होंगे. आपको अपने साथी से कुछ अधिक प्यार पा सकते हैं.

    नौकरी और व्यवस्या

    काम के लिहाज से आप काफी व्यस्त रह सकेंगे. इस समय आपके काम में नए अवसर होंगे. जो लोग ट्रेडींग के काम से जुड़े हुए हैं, उनके लिए बहुत अच्छे मौके उभरेंगे. राहु के प्रभाव से कम्प्यूटर और विदेशी संपर्क से लाभ के अच्छे अवसर मिल सकेंगे. फैशन और कला क्षेत्र मेम जुड़ कर भी अच्छे लाभ की प्राप्ति इस समय आपके लिए रास्ते खोल सकती है.

    कुछ मामलों में शेयर मार्किट से जुड़े कामों में आरंभिक तौर पर अचानक से उछाल दिखाई दे पर बहुत अधिक निवेश की स्थिति से बचना होगा. तभी बेहतर मुनाफे को पा सकते हैं. व्यवसायिक क्षेत्रों में नए आईडिया सामने आएंगे.

    स्वास्थ्य का हाल

    राहु का सेहत पर असर होगा. आपक को पानी से जुड़े संक्रमण परेशानी दे सकते हैं. जिन लोगों को क[ह से संबंधित शिकायत रहती है उस का ध्यान जरुर रखना चाहिए. माईग्रेन और याद्शात पर भी असर रह सकता है. मानसिक रुप से कुछ चीजें तनाव को बढ़ा सकती हैं.

    राहु का काम है की वह व्यक्ति के मन मे नयी चीजों को करने का जोश देता है. पर इसके कारण जीवन में धोखा भी मिल सकता है. छुपे हुए शत्रुओं का आप पर प्रभाव अधिक बढ़ सकता है. सपने दिखाना राहु का काम है. लोगों के सामने परंपरा से हटते हुए या फिर कुछ एकदम अलग सोच लोगों के सामने रखता है.

    विशेष :

    यह सब जातक की जन्मकुंडली में राहु की स्थिति पर निर्भर होता है. राहु कुंडली में किस स्थिति में बैठा है, केंद्र, त्रिकोण, दशा महादशा इत्यादि की स्थिति पर निर्भर करता है.

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    मंगल का मेष राशि में गोचर, लाएगा कठोर बदलाव

    मंगल एक उग्र व अग्नि युक्त ग्रह हैं. सभी ग्रहों में से मंगल को ही ऎसे कार्यों का सौंपा जाता है जिनमें शक्ति और साहस का परिचय दिया जा सके. यह एक योद्धा की भांति है जिसमें अदम्य साहस है विपत्तियों से लड़ने का. मंगल ग्रह को एक अग्नि तत्व ग्रह का स्थान प्राप्त है. 

    मंगल की दो राशियां हैं. मंगल की एक राशि मेष है और दूसरी वृश्चिक राशि है. ऎसे में मंगल जब भी अपने भ्रमण काल में जिस भी किसी राशि में जाता है तो उस समय को किसी न किसी कारण से विशिष्ट माना जाता है.मंगल का अपनी मंगल का प्रभव क्षेत्र तब अधिक बढ़ जाता है जब वह अपने क्षेत्र में होता है.मेष राशि भी अग्नि तत्व युक्त राशि है एवं तीव्रता से काम करना पसंद होता है. ऎसे में मेष पर मंगल के आते ही सामाजिक एवं भौगोलिक रुप से स्थिति का अचानक चेंज दिखाइ देंगे. 

    मेष राशि में मंगल की राहु से युति 

    इस समय मेष राशि पर ही राहु का गोचर भी हो रहा है. ऎसे में मंगल के यहां आने से स्थिति अनियंत्रित भी दिखाई देगी. मेदिनी ज्योतिष के अनुसार भी ये स्थिति परिवर्तन को दर्शाने वाली होती है. राहु और मंगल का योग उग्रता में वृद्धि का कारक बन जाता है. क्रोध की अधिकता होती है. विचारशीलता की कमी होने से काम बिगड़ भी सकते हैं. पर्यावरण में दुर्घटनाओं आपदाओं की स्थिति भी दिखाई देगी. इस समय के दौरान कुछ हिम्सा की स्थिति भी दिखाई दे सकती है. 

    ज्योतिष में मंगल और राहु का युति संबंध अंगारक योग का निर्माण करता है जिसे शुभता की कमी का कारक भी कहा जाता है क्योंकि दो पाप ग्रहों की युति होने से आक्रामक एवं गतिशीलता अधिक दिखाई देगी. इस समय के दोरान सोच समझ कर किए जाने वाले कार्य ही बेहतर परिणाम दे सकते हैं अन्यथा अशांति से प्रभावित होना पड़ सकता है. 

    मंगल का मेष राशि जाने का समय राशि परिवर्तन

    मंगल 27 जून 2022 को सोमवार के दिन प्रात:काल समय मेष राशि में प्रवेश करेंगे. मंगल का मेष राशि में प्रवेश का समय कुछ भिन्न-भिन्न समय गणना आधार के कारण थोड़ा सा अलग भी हो सकता है. मंगल ग्रह सुबह के समय 05:39 मिनिट पर मीन से निकल कर मेष राशि में जाएंगे.

    इस तरह से मंगल कई बार अपनी स्थिति में परिवर्तन करेंगे. इनकी चाल में प्रभाव बदलेगा और इनका गोचर भी बदलेगा. इन सभी में मुख्य बात ये होगी की मंगल इस समय दो राशियों के मध्य ही बदलाव को कर पाएगा. ऎसे में इन दोनों में ही इसका बदलाव बहुत सारे उतार-चढ़ाव देने वाला भी अवश्य होगा.

    मंगल अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश

    मंगल का मेष राशि में जाना इस समय मंगल के नक्षत्र परिवर्तन को भी दर्शाएगा. मंगल इस समय अश्विनी नक्षत्र में गोचर करेंगे. अश्विनी नक्षत्र केतु की अधिपत्य का नक्षत्र है. ऎसे में मंगल इस समय केतु के प्रभाव क्षेत्र में भी होगा. इस लिए स्थिति बहुत मजबूती से दिखाई देगा.

    ज्योतिष में सभी नक्षत्रों का एक विशेष स्थान है. नक्षत्र गणना में महत्वपूर्ण माने जाने वाले स्भी नक्षत्रों में से अश्विनी को प्रथम नक्षत्र बताया गया है. अश्विनी नक्षत्र एक विलक्षण नक्षत्र है. इस नक्षत्र को अश्विनी कुमारों से जोड़ा गया है. अश्विनी कुमार सूर्य से संबंध रखते हैं क्योंकि इन्हें सूर्य की संतान कहा गया है. इस कारण से मंगल मे इस नक्षत्र के साथ होने से स्वास्थ्य के क्षेत्र में और काम के क्षेत्र में तेजी और अस्थिरता भी दिखाई देगी.

    मंगल का का गोचर अश्विनी नक्षत्र में होने की स्थिति के प्रभाव से इस समय उन राशि के लोगों पर इसका अधिक प्रभाव दिखाई देगा जो इस नक्षत्र में जन्मे हैं. व्यक्ति अपने जीवन में बहुत से विलक्षण कार्य कर सकने योग्य बन सकता है. अश्व के मुख वाले इस अश्विनी नक्षत्र का प्रतीक चिह्न अश्व ही माना गया है. इस लिए इस नक्षत्र को घोड़े के बहुत से गुणों से जोड़ कर भी देखा गया है. इस नक्षत्र के प्रभाव से व्यक्ति को यात्राओं पर जाने का योग भी प्राप्त होता है. एक बेहतर और लम्बी दूरी तय करने वाले लोगों को अपने काम में परिश्रम और थकान दोनो ही बातें प्रभाव डालेंगी.

     

    मंगल का मेष राशि में गोचर का सभी राशियों पर असर

    मेष राशि

    मेष राशि वालों के लिए समय बहुत निर्णायक भूमिका वाला होगा. इस समय आपको उत्साह मिलेगा. आप अपने कामों को जोश के साथ आगे बढ़ा सकते हैं. अभी के समय पर आपको अपने क्रोध एवं उत्तेजना को नियंत्रित रखना होगा तभी उचित परिणाम मिल सकते हैं. 

    वृषभ राशि

    वृषभ राशि वालों को खर्चों को लेकर परेशानी अधिक रह सकती है. आपके लिए इस समय काम का दबाव अधिक रह सकता है. आपके पास नए संपर्क भी बनेंगे जो आपके लिए आगे बढ़ने में सहायक बनेंगे. स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना भी जरुरी होगा.

    मिथुन राशि

    मिथुन राशि के लिए ये समय आर्थिक क्षेत्र में कभी अच्छा तो कभी कमी को दर्शा सकता है. आप अपनी कोशिशों से आर्थिक लाभ को पा सकते हैं. आपके पुराने किए हुए कामों का कुछ लाभ अब आपको शायद मिल पाए. आपके लिए बेहतर होगा कि आप अपनी बचत का ख्याल रखें.

    कर्क राशि

    कर्क राशि वालों के लिए ये समय अपने परिवार की जिम्मेदारियों को लेकर अधिक सक्रिय करने वाला है. इस गोचर काल में आपको कुछ बेहतर अवसर मिलेंगे. इस समय कार्यक्षेत्र में अधिक तनाव एवं तर्क से बचना उचित होगा. किसी प्रकार के शार्टकट से अभी दूर रहना ही उचित होगा.

    सिंह राशि

    आपको कुछ नए अवसरों की प्राप्ति होनी की उम्मीद बंधती दिखाई देती है. पिता की ओर से बेहतर मार्गदर्शन मिल सकता है. आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी लेकिन अपने खर्चों पर कंट्रोल करने की बहुत जरूरत होगी. अपने स्वास्थ्य के कारण आपको कुछ दिक्कत हो सकती है.

    कन्या राशि

    कन्या राशि वालों के लिए अष्टम से संबंधित परिणाम दिखाई देंगे. ऎसे में संभल कर काम करन अहोगा दुर्घटन अके योग भी बनते हैं. काम को लेकर दूसरों के द्वारा आप को परेशानी अधिक बढ़ सकती है. मनोकूल काम न बन पाए. परिवार की ओर से आपको कहीं ट्रैवलिंग पर जाने के मौके भी मिल सकते हैं.

    तुला राशि

    तुला राशि के लिए ये समय कार्य क्षेत्र में अधिकारियों का सहयोग सही से न मिल पाए. धीरे धीरे आप की ओर उनका ध्यान जरुर बढ़ेगा. दांपत्य जीवन में साथी के साथ बहसबाजी से दूर रहना ही उचित होगा. प्रेम ओर विश्वास प्रभावित हो सकता है. प्यार को लेकर आप कुछ चुनौतियां देख सकते हैं. आपके लिए जरूरी है कि अपने बोल चाल पर ध्यान रखें.

    वृश्चिक राशि

    वृश्चिक राशि के लिए ये समय जल्दबाजी के काम से बचने का होगा. प्रतिस्पर्धाओं में शामिल होंगे और विजय भी बन सकते हैं. आपके लिए ये समय काम के क्षेत्र में सफलता देने वाला बन सकता है. इस समय आप अपने काम में बेहतर करने की प्रतिभा दूसरों को दिखा सकते हैं. मित्रों का सहयोग आपको सकारात्मक रुख दे सकता है.

    धनु राशि

    धनु राशि के लिए ये समय शिक्षा, प्रेम संबंधों, संतान से जुड़े मुद्दों को प्रभावित करने वाला होगा. आप अपनी मेहनत में बहुत बेहतर होंगे. आपके लिए जरुरी है कि आप अपने गुस्से को अधिक न बढ़ने दीजिये. पैसों को लेकर भी आप काफी जोड़ तोड़ करने वाले हैं. स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की आवश्यकता होगी.

    मकर राशि

    मकर राशि के लिए ये समय परिवार में स्थिति को कुछ कमजोर कर सकता है. मतभेदों को किसी भी कारण से बढ़ने से रोकना होगा. आप अपनी स्वतंत्रता को सही से उपयोग में नही ला पाएं. आप कुछ बेहतर कर पाने के लिए खुद की मेहनत से अधिक दूसरों की निर्भरता से बचते हैं तो वो आपके लिए अच्छा होगा.

    कुम्भ राशि

    कुंभ राशि वालों की मेहनत बढ़ेगी और पराक्रम द्वारा अच्छे लाभ भी मिल सकते हैं. बदलावों से सम्भल कर रहने की जरूरत होगी. आपको अधिकारों और कर्तव्यों के साथ-साथ तालमेल बिठाने की जरूरत होगी. आर्थिक क्षेत्र में वृद्धि के बेहतर योग भी दिखाई देंगे.

    मीन राशि

    आर्थिक मसले सुधार को पाएंगे, ट्रैवलिंग का दौर होंगे. पर संभल कर अपनी यात्राओं को करें. भाईयों कि ओर से तनाव बढ़ सकता है. वेतन में भी वृद्धि देखने को मिलेगी. आपका आपके कार्यालय में दबदबा रहेगा और आपके अधिकार बढ़ेंगे, जिससे आपके साथ काम करने वाले कुछ लोग आपके विरुद्ध षड्यंत्र रच सकते हैं.

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    आश्विन अधिक मास : आश्विन मास में किए जाने वाले काम

    आश्विन मास जो श्राद्ध कार्य के लिए अत्यंत ही शुभ और महत्वपूर्ण मास बताया गया है. अधिक मास के रुप में इस साल का समय आश्विन मास में होना इस समय को अत्यधिक उत्तम बनाने जैसा है. इस समय पर चंद्र आश्विन मास “अधिक” पुरुषोत्तम मास का समय होगा. इस की अवधि का आरंभ होगा.

    आश्विन “अधिकमास” का आरंभ समय

  • आश्विन शुक्ल पक्ष और दूसरे आश्विन कृष्ण पक्ष. दोनों पक्षों में संक्रांति का नहीं होना इस मास हो आश्विन अधिमास बनाता है.
  • आश्विन अधिक मास का आरंभ – 18 सितंबर को शुक्रवार के दिन से आरंभ होगा.
  • आश्विन अधिक मास की समाप्ति – 16 अक्टूबर शुक्रवार के दिन होगी.
  • आश्विन अधिक मास मंत्र

    इस मास के आरंभ होने पर प्रात:काल सुर्योदय समय से पूर्व उठकर स्नान इत्यादि कार्यों को पूरा कर लेने के बाद भगवान को याद करना चाहिए. इस समय पर तुलसीदल से पूजा शालिग्राम का पूजन करना चाहिए और मंत्रों का पाठ करना चाहिए. इस शुभ समय पर संपूर्ण मास के दौरान इस मंत्र का 1 माला जाप नियमित करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है.

    “ गोवर्द्धनधर्म वन्दे गोपालं गोपरुपिणम् ।

    गोकुलोत्सवमीशानं गोविंदमं गोपिकाप्रियम् ।।”

    अधिक मास का निर्णय कैसे होता है ?

    अधिक मास का निर्धारन करने के लिए ज्योतिष शास्त्र गणना को आधार बनाया जाता है. भगवान सुर्य सभी ज्योतिषशास्त्र के अधिष्ठाता हैं. इसलिए सौर वर्ष को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है. सूर्य का मेषादि 12 राशियों में संक्रमण द्वारा संवत्सर बनता है. जिसे सौर वर्ष कहा जाता है.

    ब्रह्मसिद्धांत के अनुसार – जिस माह में सूर्य देव का किसी भी राशि में संचरण न हो वह मास ही “अधिक मास” होता है.

    “अधिकमास” का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक विचार

    धार्मिक व आध्यात्मिक उन्नती को पाने के लिए यह समय अत्यंत पुण्यदायी माना गया है. यह केवल आध्यात्मिक रुप से महत्वपूर्ण नही है अपितु ये समय वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्व रखता है. ये एक गणित गणना ही जो संपूर्ण वर्ष के समय को एक सूत्र में बांधने में बहुत उपयोगी होती है.

    ज्योतिष कि गणित गणना में सोर वर्ष 365 दिन 6 घंटे और 11 सैकंड का होता है. लेकिन एक चंद्र वर्ष 354 दिन और लगभग 9 घंटों का होता है. इस कारन से सोर वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच में आने वाले इस अंतर को खत्म करने के लिए शास्त्र के जानकारों ने “अधिकमास” की स्थापना की है.

    चिंतामणि के अनुसार – एक अधिक मास से दूसरे अधिक मास तक की समय अवधि एक बार दोबारा से 28 मास से लेकर 36 मास के बीतर हो सकती है. इस तरह से हर तीसरे वर्ष में अधिकमास की पुनरावृत्ति होती है.

    आश्विन अधिक मास महात्म्य

    इस मास की निंदा मल मास के रुप में होती है. पर पुरुषोत्तम भगवान का साथ मिलने से श्रेष्ठ स्थान को पाता है. अधिक मास ने अपनी निष्ठा और तप द्वारा श्री विष्णु को प्रसन्न करके पुरुषोत्तम मास का नाम पाया. भगवान द्वारा इस मास को उन्का स्वामित्व प्राप्त हुआ और यह सभी मासों में सबसे उत्तम स्थान पा गया.

    शिवपुराण के अनुसार भी इस मास को महत्व दिया गया है. मलमास, अधिमास या पुरुषोत्तम मास कहें इन सभी को भगवान शिव का स्वरुप बताया गया है. कुछ स्थानों में प्राप्त होता है जिसमें कहा गया है की भगवान शिव ही महीनों में अधिमास को भगवान शिव का स्वरुप कहा गया है. इस लिए इस मास में भगवान विष्णु और शिव भगवान की अराधना विधित है. मान्यता है की इस मास को दोनों का ही आशीर्वाद मिलता है. कहा जाता है कि सौ वर्षों के तप का फल इस मास में किए जाने वाले एक दिन के व्रत में स्वत: ही प्राप्त हो जाता है. ऎसे में इस मास की महत्ता बहुत ही शुभ रुप से प्रकट होती है.

    आश्विन अधिक मास का फल

    आश्विन अधिमास के आने पर व्यक्ति को चाहिए कि शृद्धा और विश्वास के साथ पूजा का आरंभ करना चाहिए. इस मास में व्रत, उपवास, पूजन, धर्म ग्रंथों का पाठ करना, दान और स्नान इत्यादि शुभ कार्यों को किया जाता है. यह मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला समय होता है.

    अधिकमास जब भी जिस भी वर्ष में आता है उस वर्ष अनुसर उसके प्र्भाव को बताया गया है. आश्विन अधिक मास के बारे में कहा गया है कि जब आश्विन मास अधिमास होता है, तो उस समय देश और लोगों पर ही इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं. इस समय राज्य को दूसरे के शासन द्वारा परेशानी उठानी पड़ती है. गलत लोगों का बोल बाला होता है. चोरों से जनता अधिक परेशानी झेलती है. दुख का सर अधिक गहरा होता है. धार्मिक कार्यों में वृस्शि होती है. इस समय पर दक्षिण दिशा कि ओर अकाल जैसी स्थिति असर डालने वाली होती है.
    इस समय कुछ साकार्त्मक पहलू भी होता है जो आरोज्ञ को बढ़ाने में सहायक बनता है.

    आचार्य गर्ग द्वारा – अधिमास को लेकर शिक्षित लोगों की वृद्धि होती है. ज्ञान में वृद्धि का का अच्छा समय भी आया है.

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    पुरुषोत्तम मास क्या होता है? जाने पुरुषोत्तम मास की कथा और इसकी महिमा

    सभी मासों में पुरुषोत्तम मास का बहुत गहरा और गंभीर असर देखने को मिलता है. पुरुषोत्तम मास सभी 12 मासों से अलग होता है. यह प्रत्येक वर्ष में आने वाले मासों से इसलिए भिन्न है क्योंकि यह हर वर्ष नहीं आता है. यह केवल तीन वर्ष में 1 बार आता है. इस कारण इसके विषय में और इसकी महत्ता के बारे में पुराणों में बहुत ही सुंदर रुप से उल्लेख भी मिलता है.

    पुरुषोत्तम क्यों है सभी 12 मासों से अलग

    हिन्दी महिनों के नाम

  • चैत्र माह (मार्च से अप्रैल)
  • वैशाख माह (अप्रैल से मई)
  • ज्येष्ठ माह (मई से जून)
  • आषाढ़ माह (जून से जुलाई)
  • श्रावण माह (जुलाई से अगस्त)
  • भाद्रपद माह (अगस्त से सितंबर)
  • आश्विन माह (सितंबर से अक्टूबर)
  • कार्तिक माह (अक्टूबर से नवम्बर)
  • मार्गशीर्ष माह (नवम्बर से दिसंबर)
  • पौष माह (दिसंबर से जनवरी)
  • माघ माह (जनवरी से स फरवरी)
  • फाल्गुन माह (फरवरी से मार्च)
  • यह वो माह हैं जो प्रत्येक वर्ष में समान रुप से आते हैं. पर पुरुषोत्तम मास हर वर्ष नही आता है. यह पंचांग की गणना का वह अंग है जो समय को समान रुप से रखने के लिए हर तीन वर्ष में आता है. इसके द्वारा ही समय की गणना को सही रुप से किया जाना संभव हो पाता है.

    पुरुषोत्तम मास कथा

    पुरुषोत्तम मास की कथा को पुराणों में बहुत ही आकर्षक रुप में वर्णित किया गया है. पुरुषोत्तम मास का विचार और कथा का अध्ययन ही हमे बताता है की यह मास अपने आप में इतना विशेष क्यों है. पुरुषोत्तम मास के बारे में कहा गया है की इस मास को मल मास के नाम से पुकारा जाता रहा था. यह लम्बे समय तक अपने इसी स्वरुप में विराजमान रहा. मलमास को उसके नाम और बिना किसी अधिकार के होने के कारण कोई भी इस मास की प्रशंसा नहीं करता था.

    मल मास अपनी इस स्थिति से बहुत चिंतित रहने लगा. अपने नाम के कारण तो उसे सदैव ही निंदा सहनी पड़्ती थी. पर अब इसके साथ ही उसके कोई स्वामी नही थे तो इसलिए उसके अस्तित्व को नकारा जाने लगा था. परंतु सत्य बात यही थी की मलमास के बिना वर्ष की गणना कर पाना संभव ही नही हो सकता था. मलमास के बिना समय गणना की स्थिति अव्यवस्थित हो सकती थी.

    अपनी इस प्रकार की अवहेलना से दुखी मलमास चिंतित हो श्री हरि की शरण में जाता है. मलमास अपने महत्व और अपनी स्थिति का स्पष्ट रुप से श्री विष्णु जी के सामने सारी कथा कह देता है. मलमास की कथा के अनुसार, स्वामी विहीन होने के कारण उसे मलमास जैसी निंदा सुननी पड़ती थी. मल मास को इस बात से दु:खी होकर देख कर श्री विष्णु जी ने उसे आश्वासन प्रदान किया की अब से कोई तुम्हारी निंदा नहीं कर पाएगा.

    भक्तवत्सल श्रीविष्णु ने उसे अपने लोक में स्थान देने का निश्चिय क्या. भगवान ने मलमास से कहा की मैं अब से तुम्हे वरदान देता हूं की मै तुम्हारा स्वामी बनूंगा. तुम्हारे भीतर मेरे ही गुण विद्यमान होंगे. करुणासिंधु ने मलमास को अपने सभी दिव्य गुणों से सुशोभित कर दिया. मल मास को अपन अनाम पुरुषोत्तम दिया और कहा की अब से तुम पुरुषोत्तम मास के नाम से जगत में विख्यात होगे और मेरे नाम से ही जाने जाओगे. भगवान के दिए गए वरदान के अनुसार ही मल मास को पुरुषोत्तम मास कहा जाने लगा. इस मास के स्वामी श्री विष्णु हैं, इसलिए इस समय पर श्री विष्णु जी का ध्यान-पूजन जप किया जाना अत्यंत उत्तम होता है.

    पुरुषोत्तम मास के अन्य नाम

    पुरुषोत्तम मास के अनेक नाम दिए गए हैं. इस मास को अधिकमास और मल मास भी कहा जाता है. इस दुर्लभ पुरुषोत्तम मास के समय पर भगवान श्री विष्णु के नामों का जप करना, स्नान, पूजन व दान करने से अनेक पुण्य फलों की प्राति होगी. इस मास को प्रत्येक दिवस का समय अपने अपने अनुरुप फलों को देने में सहायक होता है. इस समय पर एकादशी अमावस्या और पूर्णिमा तिथि का स्थान उत्तम होता है. इस मास में आने वालि एकादशी तिथि के दिन व्रत करने और पुरुषोत्तम मास कथा का श्रवण करने से पुरूषोत्तम मास से प्राप्त होने वाले शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

    पुरुषोत्तम मास में उपासना का महत्व

    पुरुषोत्तम मास के प्रति तीसरे वर्ष में आगमन पर सभी स्थानों पर भगवान के भजन और पूजा पाठ का आयोजन किया जाता है. इस पवित्र मास में जो भी कोई श्रद्धा-भक्ति के साथ शुभ अच्छे कार्य करता है उन्हें अपने द्वारा किए गए शुभ कर्मों का कई गुना पुण्य मिल सकेगा. इस पुरुषोत्तम या कहे अधिकमास को धर्म और कर्म के लिए अत्यंत उत्तम समय बताया गया है.

    पुरुषोत्तम मास के समय पर भागवत कथा का पाठ करने का विधान उत्तम बताया गया है. इस समय पर संध्या उपासना के साथ ही दीपक प्रज्जवलित करना भी अत्यंत उत्तम होता है. इस समय पर भगवान श्री विष्णु जी के समक्ष घी का दीपक नियमित रुप से जलाना चाहिए. इसी के साथ भगवान श्री विष्णु के मंत्र एवं उनके नामों का स्मरण करना चाहिए.

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