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Monthly Archives: May 2013
छिद्र ग्रह की दशा | Dasha of Chhidra Planet
वैदिक ज्योतिष में अरिष्ट व प्रतिकूल घटनाओं का अध्ययन करने के लिए बहुत सी बातों का आंकलन किया जाता है. जन्म कुंडली, संबंधित वर्ग कुंडली, दशा/अन्तर्दशा तथा घटना के समय का गोचर देखा जाता है. इन सभी में एक महत्वपूर्ण … Continue reading
सिद्धा योगिनी दशा | Siddha Yogini Dasha
योगिनी दशा में अलगी दशा सिद्धा की आती है यह शुक्र की दशा होती है इसकी दशा अवधि सात वर्ष की होती है. यह शुभ दशा मानी गई है. इस दशा में व्यक्ति सुख, सौभाग्य को पाता है. उच्चपद व … Continue reading
सूर्य गोचर का फल: कुंडली से जानें
कुण्डली में सूर्य गोचर में कैसा फल प्रदान करेंगे इस विषय के बारे में समझने के लिए यह समझना होगा की गोचर में सूर्य कुण्डली के सभी भावों में अलग- अलग फल देते हैं. जन्म कुण्डली में चंद्रमा जिस भाव … Continue reading
चिकित्सा ज्योतिष में वर्ग कुण्डलियों का महत्व | Importance of Varga Kundalis in Medical Astrology
चिकित्सा ज्योतिष में हम जन्म कुण्डली का अध्ययन तो करते ही है साथ ही वर्ग कुण्डलियाँ भी बहुत महत्व रखती हैं. कई बार जन्म कुण्डली में स्वास्थ्य के नजरिये से कोई परेशानी दिखाई नहीं देती है लेकिन जब हम वर्ग … Continue reading
अष्टकवर्ग में फलित के नियम | Rules for Results in Ashtakavarga
पराशर होरा शास्त्र में महर्षि पराशर जी कहते हैं कि विभिन्न लग्नों के लिए तात्कालिक शुभ और अशुभ ग्रह होते हैं जिनके द्वारा फलित को समझने में आसानी होती है. यह कई बार देखने में आता है कि ग्रह किसी … Continue reading
कुण्डली से जाने संबंधों में अलगाव का कारण | Reasons For Separation in Astrology
कुण्डली का सप्तम भाव विवाह का प्रमुख स्थान होता है. यदि आपकी कुण्डली में सप्तम भाव या सप्तमेश का संबंध लग्न या लग्नेश, पंचम भाव या पंचमेश और नवम भाव या नवमेश से नहीं बनता है तब प्रेम संबंध विवाह … Continue reading
डायबिटिज (मधुमेह) होने के योग | Yogas in a Kundali for Diabetes
वैदिक ज्योतिष में मेडिकल ज्योतिष का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान माना गया है. इसके द्वारा व्यक्ति की जन्म कुण्डली से उसके स्वास्थ्य का आंकलन बेहतर तरीके से किया जा सकता है. कई बार चिकित्सक जातक की बीमारी को ढूंढ ही नहीं … Continue reading
अष्टकवर्ग में नक्षत्रों द्वारा गोचर की महत्ता | Significance of Transits Through Nakshatra in Ashtakavarga
नक्षत्रों द्वारा गोचर के महत्व को समझने में सहायता मिलती है. अष्टकवर्ग में इनका उपयोग करके फलित के संदर्भ को जाना जा सकता है. नक्षत्रों को क्रमश: जन्म, सम्पत, विपत, क्षेम, प्रत्येरि, साधक, वध, मित्र और अति मित्र के रूप … Continue reading
सर्वाष्टक वर्ग बनाने की सारिणी | Procedure for Formulating Sarva Ashtak Varga
सर्वाष्टक बनाने के लिए आप प्रस्तारक वर्ग न बनाना चाहें तो यहां दि गई विधि से आप आसानी से सर्वाष्टक बना सकते हैं. कभी कभी किसी विशेष कार्य के लिए केवल सर्वाष्टकवर्ग की ही आवश्यकता होती है. इसलिए ऎसे में … Continue reading
अष्टकवर्ग कुंडली बनाने का नियम
अष्टकवर्ग कुण्डली बनाने के लिए आठ वर्ग कुण्डलियां बनाई जाती हैं. जिसमें सभी सात ग्रह होते हैं और लग्न होता है. इसे बनाने के लिए सबसे पहले ग्रहों का प्रस्तारक वर्ग बनाया जाता है. जिसमें सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, … Continue reading