Category Archives: Ashtakavarga

एकाधिपत्य शोधन | Ekadhipatya Shodhan

त्रिकोण शोधन करने के उपरांत दुसरा शोधन एकाधिपत्य शोधन कहलाता है. इस एकाधिपत्य शोधन से तात्पर्य होता है कि एक ही ग्रह का अधिपति या स्वामी होना. यह शोधन उन दो राशियों के लिए करते हैं जिनका स्वामी एक ही … Continue reading

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एकाधिपत्य शोधन करने का तरीका | Method to Calculate Ekadhipatya Shodhan

त्रिकोण शोधन करने के उपरांत दूसरा शोधन एकाधिपत्य शोधन कहलाता है. इस एकाधिपत्य शोधन से तात्पर्य होता है कि एक ही ग्रह का अधिपति या स्वामी होना. यह शोधन उन दो राशियों के लिए करते हैं जिनका स्वामी एक ही … Continue reading

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त्रिकोण शोधन करने का तरीका | Method To Compute Trikon Shodhan

सर्वाष्टकवर्ग में मंडल शोधन करने के पश्चात त्रिकोण शोधन करना होता है. जन्म कुण्डली में स्थित बारह राशियों को अग्नि, पृथ्वी, वायु और जल के आधार पर चार वर्गों में विभाजित किया जाता है. इस तरह से हर एक वर्ग … Continue reading

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सर्वाष्टकवर्ग में मंडल शोधन करने का तरीका | Method For Doing Mandal Shodhan in Sarvashtakavarga

जिस प्रकार हर ग्रह के भिन्नाष्टक में शोधन करके उसका शोध्य पिण्ड ज्ञात किया जाता है, उसी तरह से सर्वाष्टकवर्ग का भी शोध्य पिण्ड निकाला जा सकता है. परंतु यहां एक बात विशेष ध्यान देने योग्य होती है कि भिन्नाष्टक … Continue reading

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सर्वाष्टक बनाने का तरीका | Method to Create Sarvashtak

अष्टकवर्ग में ग्रहों का भिन्नाष्टकवर्ग बनाए बिना सीधे ही सर्वाष्टक वर्ग कैसे बनाया जाए इसके लिए सर्वाष्टकवर्ग सारणी का उपयोग करते हुए सर्वाष्टकवर्ग बनाया जाता है जिसका उल्लेख हम पहले ही कर चुके हैं. अब उन नियमों को कुण्डली में … Continue reading

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अष्टकवर्ग में फलित के नियम | Rules for Results in Ashtakavarga

पराशर होरा शास्त्र में महर्षि पराशर जी कहते हैं कि विभिन्न लग्नों के लिए तात्कालिक शुभ और अशुभ ग्रह होते हैं जिनके द्वारा फलित को समझने में आसानी होती है. यह कई बार देखने में आता है कि ग्रह किसी … Continue reading

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अष्टकवर्ग में नक्षत्रों द्वारा गोचर की महत्ता | Significance of Transits Through Nakshatra in Ashtakavarga

नक्षत्रों द्वारा गोचर के महत्व को समझने में सहायता मिलती है. अष्टकवर्ग में इनका उपयोग करके फलित के संदर्भ को जाना जा सकता है. नक्षत्रों को क्रमश: जन्म, सम्पत, विपत, क्षेम, प्रत्येरि, साधक, वध, मित्र और अति मित्र के रूप … Continue reading

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सर्वाष्टक वर्ग बनाने की सारिणी | Procedure for Formulating Sarva Ashtak Varga

सर्वाष्टक बनाने के लिए आप प्रस्तारक वर्ग न बनाना चाहें तो यहां दि गई विधि से आप आसानी से सर्वाष्टक बना सकते हैं. कभी कभी किसी विशेष कार्य के लिए केवल सर्वाष्टकवर्ग की ही आवश्यकता होती है. इसलिए ऎसे में … Continue reading

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अष्टकवर्ग कुंडली बनाने का नियम

अष्टकवर्ग कुण्डली बनाने के लिए आठ वर्ग कुण्डलियां बनाई जाती हैं. जिसमें सभी सात ग्रह होते हैं और लग्न होता है. इसे बनाने के लिए सबसे पहले ग्रहों का प्रस्तारक वर्ग बनाया जाता है. जिसमें सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, … Continue reading

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अष्टक वर्ग का शोध्य पिण्ड | Shodhya Pinda of Ashtakavarga

अष्टकवर्ग के नियमों के अनुसार हर ग्रह के भिन्नाष्टक में दोनों शोधनों त्रिकोण शोधन और एकाधिपत्य शोधन एवं मंडल शोधन को करने के बाद शोध्य पिण्ड की गणना करनी पड़ती है. ग्रहों के शोध्य पिण्ड निकालने के लिए प्रत्येक ग्रह … Continue reading

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