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संपत्ति ख़रीदना एक बड़ा निर्णय होता है. एक घर को बनाने के लिए व्यक्ति अपनी ओर से बड़े प्रयास करता है. इसमें से कुछ के लिए यह सपना पूरा करने में जीवन लग जाता है या कभी-कभी जीवन भर की बचत भी शामिल हो सकती है. पर जब हम घर
ज्योतिष में सूर्य और चंद्रमा का असर आत्मा और मन के अधिकार स्वरुप दिखाई देता है. किसी भी कुंडली में यदि ये दोनों ग्रह शुभस्त हों तो व्यक्ति की आत्मा और मन दोनों ही शुद्ध होते हैं. इसके अलग यदि ये दोनों ग्रह किसी प्रकार
ज्योतिष शास्त्र मे शनि का संबंध धीमी गति और लम्बे इंतजार से रहा है. शनि को एक पाप ग्रह के रुप में भी चिन्हित किया जाता रहा है. शनि को बुजुर्ग और अलगाववादी ग्रह कहा गया है. शनि मंद गति से चलने वाला ग्रह है और यह एक राशि
धनु संक्रांति सूर्य का धनु राशि प्रवेश समय है. इस समय पर सूर्य वृश्चिक राशि से निकल कर धनु राशि में प्रवेश करते हैं और एक माह धनु राशि में गोचरस्थ होंगे. इस गोचरकाल के समय को खर मास के नाम से भी जाना जाता रहा है.
पंचांग निर्माण में ग्रहों एवं समय गणना के आधार पर कई तरह के योग एवं कालों का विभाजन संभव हो पाता है. इस में एक विशेष काल की गणना बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है जिसे राहुकाल के नाम से जाना जाता है. सामान्य रुप से राहु काल को
हिंदू पंचांग में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष महत्व हिंदू पंचांग को ज्योतिष फलकथन एवं खगोलिय गणना इत्यादि हेतु उपयोग में लाया जाता है. हिंदू धर्म में मौजूद समस्त व्रत त्यौहार एव्म धार्मिक क्रियाकला पंचांग द्वारा ही
कर्क राशि वालों के लिए इस माह ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार की होगी. माह के शुरु में राशि स्वामी सूर्य का गोचर मीन राशि में होगा माह मध्य के बाद मेष में प्रवेश होगा. बुध माह के आरंभ में कमजोर स्थिति में मीन राशि में
इस समय के दौरान राशि स्वामी की युति माह आरंभ में मकर राशि में सूर्य एवं बुध के साथ होगी. इसके पश्चात माह मध्य के बाद सूर्य के स्थान बदलाव के साथ ही बुध शनि संबंध दृष्टिगोचर होगा. इस समय पर चीजों में काफी व्यस्तता का
कन्या राशि वालों के लिए इस माह राशि स्वामी की स्थिति प्रयास की अधिकता के साथ साथ कुछ् सकारात्मक प्रभाव भी देगी. अभी के समय में राशि स्वामी की मजबूती बहुत अधिक न हो पाने से वृथा की भागदौड़ ओर खर्च की अधिकता बनी रह सकती
अगस्त माह – श्रावण शुक्ल पक्ष (प्रथम अधिक)(सूर्य दक्षिणायन) | Shravan Shukla Paksha (Surya Dakshinayan) – August 2023 दिनांक व्रत और त्यौहार हिन्दु तिथि 01 अगस्त भद्रा 13:57 तक, अधिक श्रावण पूर्णिमा, श्री
जुलाई माह 2023 – आषाढ़ शुक्ल पक्ष (सूर्य उत्तर दक्षिणायन) | Ashad Shukla Paksha (Surya Uttar Dakshinayan) – July 2023 दिनांक व्रत और त्यौहार हिन्दु तिथि 01 जुलाई शनि प्रदोष व्रत आषाढ़ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी
जून माह 2023 - ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष (सूर्य उत्तर दक्षिणायन) | Jyeshtha Shukla Paksha (Surya Uttar Dakshinayan) - June 2023 दिनांक व्रत और त्यौहार हिन्दु तिथि 01 जून प्रदोष व्रत, वट सावित्रि व्रत आरंभ, चम्पक द्वादशी
मार्च माह 2024 - फाल्गुन कृष्ण पक्ष (सूर्य उत्तरायण) | Phalgun Krishna Paksha (Surya Uttarayan) - 2024 दिनांक व्रत और त्योहार हिन्दु तिथि 01 मार्च फाल्गुन कृष्ण पक्ष षष्ठी, तिथि वृद्धि फाल्गुन कृष्ण पक्ष षष्ठी (6) 02
फरवरी 2024 - माघ कृष्ण पक्ष (सूर्य उत्तरायण) | Magh Krishna Paksha (Surya Uttarayan) - February 2024 दिनांक व्रत और त्यौहार हिन्दु तिथि 01 फरवरी बुध मकर राशि प्रभाव माघ कृष्ण पक्ष षष्ठी (6) 02 फरवरी स्वामी विवेकानंद
जनवरी 2024 - पौष कृष्ण पक्ष (सूर्य उत्तरायण) | Paush Krishna Paksha (Surya Uttarayan) - January 2024 दिनांक व्रत और त्यौहार हिन्दु तिथि 1 जनवरी सन 2024 ईस्वी आरंभ पौष कृष्ण पक्ष पंचमी (05) 4 जनवरी रुक्मिणी अष्टमी पौष
राहु अभी तक एक लम्बे समय से मिथुन राशि में गोचरस्थ थे. पर अब वह मिथुन से निकल कर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे और फिर वहीं पूरा डेढ़ साल का समय बिताएंगे. राहु को छाया ग्रह का रुप कहा गया है. ऎसे में इस छाया का प्रभाव इतना
24 जनवरी 2020 से शनि का राशि परिवर्तन होगा. इस समय गुरु की राशि धनु से निकल कर अपनी राशि मकर में प्रवेश करेंगे. आने वाले ढाई वर्षों तक शनि मकर राशि में ही गोचरस्थ होंगे. शनि के इस गोचर में धनु राशि वालों के लिए सढे़साती
शनि का गोचर ज्योतिशः की दृष्टि से एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना होती है. शनि और गुरु ऎसे ग्रह हैं जिनके राशि परिवर्तन को लेकर सभी में जिज्ञासा रहती है क्योंकि इन दो ग्रहों की जीवन पर बहुत गहरी छाप पड़ती है. ऎसे में शनि का
13 अप्रैल 2021 को नव विक्रम संवत का आरंभ होगा. 2078 का नव संवत्सर “राक्षस” नाम से पुकारा और जाना जाएगा. इस वर्ष संवत के राजा मंगल होंगे और मंत्री भी मंगल ही होंगे. राक्षस नामक संवत के प्रभाव से विकास के कार्यों में
हिन्दु माह के दौरान एकादशी तिथि का बहुत महत्व माना जाता है. इसमें भी निर्जला एकादशी को विशेष स्थान प्राप्त है. एकादशी तिथि को भगवान कृष्ण को भी अति प्रिय रहती है. एकादशी तिथि में भगवान कृष्ण का पूजन होता है साथ ही व्रत
पंचांग शब्द का अर्थ है - पाँच अंग. तिथि, वार, नक्षत्र, योग तथा करण के आधार पर पंचांग का निर्माण होता है. इन सभी की गणना गणितीय विधि पर आधारित है. आपको पंचाँग के पांचों अंगों की गणना की विधि सरल तथा आसान तरीके से समझाई
पंचांग का एक महत्वपूर्ण विषय है करण. पंचांग के पांच अंगों में करण भी विशिष्ट अंग होता है. करण कुल 11 हैं और प्रत्येक तिथि दो करणों से मिलकर बनी होती है. इस प्रकार कुल 11 करण होते हैं. इनमें से बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर,
सूर्य अपने अंशों से जब 12 अंश आगे जाता है, तो एक तिथि का निर्माण होता है. इसके अतिरिक्त सूर्य से चन्द्र जब 109 अंशों से लेकर 120 अंश के मध्य होता है. उस समय चन्द्र मास अनुसार शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि चल रही है. इसी
पूर्णिमा तिथि जिसमें चंद्रमा पूर्णरुप में मौजूद होता है. पूर्णिमा तिथि को सौम्य और बलिष्ठ तिथि कहा जाता है. इस तिथि को ज्योतिष में विशेष बल महत्व दिया गया है. पूर्णिमा के दौरान चंद्रमा का बल अधिक होता है और उसमें आकर्षण
एक हिन्दू तिथि सूर्य के अपने 12 अंशों से आगे बढने पर तिथि बनती है. सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य देव है, तथा प्रत्येक पक्ष में एक सप्तमी तिथि होती है. सप्तमी तिथि को शुभ प्रदायक माना गया है. इस तिथि में जातक को सूर्य का
11 करणों में एक करण चतुष्पद नाम से है. चतुष्पद करण कठोर और असामान्य कार्यों के लिए उपयुक्त होता है. इस करण को भी एक कम शुभ करण की श्रेणी में ही रखा जाता है. ऎसा इस कारण से होता है क्योंकि अमावस तिथि के समय पर आने के
ज्योतिष का वर्तमान में उपलब्ध इतिहास आर्यभट्ट प्रथम के द्वारा लिखे गए शास्त्र से मिलता है. आर्यभट्ट ज्योतिषी ने अपने समय से पूर्व के सभी ज्योतिषियों का वर्णन विस्तार से किया था. उस समय के द्वारा लिखे गये, सभी शास्त्रों
त्रयोदशी तिथि – हिन्दू कैलेण्डर तिथि त्रयोदशी तिथि हिन्दु माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों समय पर आती है. अन्य तिथियों की भांति ही इस तिथि का भी अपना एक अलग महत्व रहा है. इस तिथि का मुहूर्त पंचाग और पर्व
11 करणों में तैतिल करण तीसरे क्रम में आता है. तैतिल करण को मिलाकर कुल 11 करण है. ज्योतिष का मुख्य भाग समझने जाने वाले पंचाग ज्ञात करने के लिए करण की गणना कि जाती है. विभिन्न कार्यो के लिए शुभ मुहूर्त निकालने के लिए भी
अमावस्या तिथि अंधेरे पक्ष को दर्शाती है. यह वह समय होता है जब अंधकार बहुत अधिक गहन होता है. इस तिथि के दौरान घर की चौखट, चौराहे, नदी, तलाब इत्यादि स्थानों पर दीपक जला कर प्रकाश का संचार करने की प्रथा प्राचीन काल से ही
वर-वधू की कुण्डली का मिलान करते समय मांगलिक दोष व अन्य ग्रहों दोषों के साथ साथ अष्टकूट मिलान भी किया जाता है. अष्टकूट मिलान के अलावा इसे कूट मिलान भी कहा जाता है. कूट मिलान करते समय आठ मिलान प्रकार के मिलान किए जाते है.
फाल्गुन माह को फागुन माह भी हा जाता है. इस माह का आगमन ही हर दिशा में रंगों को बिखेरता सा प्रतीत होता है. मौसम में मन को भा लेने वाला जादू सा छाया होता है. इस माह के दौरान प्रकृति में अनूपम छटा बिखरी होती है. इस मौसम
मिथुन राशि वालों के लिए मंगल ग्यारहवें भाव में मेष राशि में गोचर कर रहा है. ये योजनाएं सफल भी होंगी. यदि आप बेरोजगार हैं तो रोजगार प्राप्त होगा. और यदि आप नौकरी में है तो प्रमोशन की प्रबल संभावना.मिथुन राशि वालों के लिए
चन्द्र मास की पहली तिथि प्रतिपदा कहलाती है. एक चन्द्र मास कुल 30 तिथियों से मिलकर बना होता है. जिसमें दो पक्ष होते है. इसका एक पक्ष शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष होता है. शुक्ल पक्ष में 14 तिथियां तथा कृष्ण पक्ष में भी