अमावस्या तिथि
अमावस्या तिथि अंधेरे पक्ष को दर्शाती है. यह वह समय होता है जब अंधकार बहुत अधिक गहन होता है. इस तिथि के दौरान घर की चौखट, चौराहे, नदी, तलाब इत्यादि स्थानों पर दीपक जला कर प्रकाश का संचार करने की प्रथा प्राचीन काल से ही चली आ रही है. इस अंधकार को प्रकाश के माध्य्म से दूर करने का तात्पर्य उसी प्रकार से लिया जा सकता है, जिस प्रकार जीवन में आने वाले कष्टों से उबरने के लिए हमें स्वयं ही खुद को भीतर से आलोकित करने की आवश्यकता होती है.
हमारे भीतर का प्रकाश ही हमारी सभी बाधाओं से हमें निकाल पाने में सक्षम होता है. उसी प्रकार अमावस्य के अंधेर को हम प्रकाश के माध्यम से ही दूर कर सकते हैं. यह तिथि कृष्ण पक्ष के दौरान आती है और प्रत्येक माह में एक बार इस का आगमन होता है.
अमावस्या तिथि वार योग
अमावस्या तिथि के दिन कृष्ण पक्ष का समापन होता है. कृष्ण पक्ष पूर्णिमा तिथि के बाद आने वाली प्रतिपदा तिथि से शुरु होता है. तथा अमावस्या तिथि के दिन यह पक्ष समाप्त हो जाता है. इस तिथि के दिन सूर्य और चन्द्र दोनों समान अंशों पर होते है.
अमावस्या तिथि पित्तर तर्पण कार्य
इस तिथि के देव पित्तर देव है, अत: इस तिथि के दिन पित्तरों के तर्पण कार्य किए जाते है. चन्द्र मास की यह अंतिम तिथि होती है. तर्पण और पित्तर कार्यो के अलावा इस तिथि में अन्य कोई कार्य नहीं करना चाहिए.
मुहूर्त और अन्य शुभ कार्यो के लिए इस तिथि का सर्वथा त्याग किया जाता है.
इस तिथि में केवल भगवान शिव का पूजन और शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए. इस तिथि के विषय में यह मान्यता है, कि जो व्यक्ति इस तिथि में पित्तरों के मोक्ष प्राप्ति के पक्ष से दानादि कार्य करता है, उसके पूर्वजों की आत्मा को शान्ति प्राप्त होती है. अमावस्या तिथि में तीर्थ स्थानों पर स्नान और दान करना विशेष कल्याणकारी रहता है. इस तिथि अवसर पर बहुत से पर्वों का आयोजन भी होता है जो पौराणिक मान्यताओं में अमोघ फलदायक बताए गए हैं.
अमावस्या तिथि में जन्मा जातक
अमावस्या तिथि में जन्म लेने वाले व्यक्ति में लम्बी आयु वाला होता है. घर से अधिक उसे परदेश में गमन करना पडता है. वह बुद्धि को कुटिल कार्यों में प्रयोग करता है. सत्तकार्यों को करने में उसे बुद्धि का सहयोग प्राप्त नहीं होता है. इसके साथ ही वह पराक्रमी होता है. अमावस्या तिथि में जन्म लेने वाला व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करता है. व्यर्थ की सलाह देने की प्रवृति उस व्यक्ति में पाई जाती है.
अमावस्या तिथि के समय जन्म लेने वाला जातक जीवन में कष्ट और संघर्ष अधिक पाता है. मानसिक रुप से भी वह अधिक असंतुष्ट रह सकता है. अपनों का विरोधी बन सकता है. व्यक्ति जीवन में असंतुष्टी की भावना अधिक रखता है. इस तिथि में जन्मे जातक को अमावस्या के दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को खाना खिलाना चाहिए. पीपल के वृक्ष को लगाना चाहिए, अपने पूर्वजों के निमित्त दान इत्यादि करना चाहिए.
अमावस्या तिथि पर्व
अमावस्या तिथि पितरों के निमित्त महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन व्यक्ति अपने पूर्वजों के लिए दान -पूजा पाठ व्रत इत्यादि करता है. इस सभी का व्यक्ति को शुभ फल ही मिलता है. अमावस्य के दिन सोमवार पड़े तो उस दिन सोमवती अमावस्या के नाम से मनाई जाती है, यदि मंगलवार के दिन अमावस्या तिथि पड़ रही हो तो भौमवती अमावस्या के नाम से मनाई जाती है. अगर शनिवार के दिन अमावस्या तिथि पड़ रही हो तो उस दिन शनि अमावस्या के नाम से इसे मनाया जाता है. जिस दिन के साथ जुड़ती है तो उस दिन के अनुरुप इसका महत्व भी बढ़ जाता है. अन्य वारों में आने वाली अमावस्या की तुलना में इन तीन वारों में पडने वाली अमावस्या व्रत-उपवास के लिये विशेष होती है. (stairsupplies.com)
हरियाली अमावस्या –
श्रावण माह में आने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या के रुप में मनाया जाता है. इस दिन विशेष रुप से भगवान शिव जी का पूजन करने का विधान होता है. ये समय मौसम में होने वाले बदलावों के लिए प्रभावशाली रहता है. इस अमावस्या को पितृकार्येषु अमावस्या भी कहा जाता है.
कुशाग्रहणी अमावस्या –
भाद्रपद की अमावस्या को कुशाग्रहणी (कुशोत्पाटिनी) अमावस्या कहा जाता है. शास्त्रों में इसे कुशाग्रहणी अमावस्या या कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन कुशा को तोड़ कर रख लिया जाता है और पूरे साल होने वाले धार्मिक कृत्यों के लिये उपयोग में लाया जाता है.
कार्तिक अमावस्या –
कार्तिक माह की अमावस्या कार्तिक अमावस्या एवं दीपावली नाम से जानी जाती है. यह दिन तंत्र-मंत्र एवं अन्य प्रकार की धार्मिक कृत्यों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है.
मौनी अमावस्या –
यह माघ माह अमावस्या को मौनी अमावस्या नाम से जाना जाता है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन संगम के तट पर देवों का वास होता है ऎसे में इस स्थान पर गंगा स्नान करना शुभ फलों को देने वाला बनता है.