अब होंगे राहु अपनी उच्च राशि में, बदल जाएगी राहु की चाल
राहु अभी तक एक लम्बे समय से मिथुन राशि में गोचरस्थ थे. पर अब वह मिथुन से निकल कर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे और फिर वहीं पूरा डेढ़ साल का समय बिताएंगे. राहु को छाया ग्रह का रुप कहा गया है. ऎसे में इस छाया का प्रभाव इतना गहरा होता है की यह जीवन के क्षेत्र में बदलाव लेकर आता है. इस समय पर वृषभ राशि वालों के लिए ये समय बहुत प्रभावशालि होगा. मानसिक और शारीरिक रुप से ही ये बदलावों को दिखाएगा.
राहु का वृषभ राशि गोचर समय
राहु का वृषभ राशि में प्रेवश समय बुधवार के दिन दोपहर 12:52 के समय पर होगा. राहु के वृषभ राशि में प्रवेश के साथ ही मिथुन राशि पर से राहु की स्थिति हट जाएगी.
राहु का मृगशिरा नक्षत्र में जाना
राहु का इस समय मृगशिरा नक्षत्र में होगा. मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी मंगल हैं. इस समय पर राहु का मंगल के नक्षत्र में जाना प्रभावशालि होगा. इस समय पर स्थिति में बदलाव और आक्रामकता का प्रभाव दिखाई दे सकता है. राहु का मृगशिरा नक्षत्र में जाना बल और शक्ति में वृद्धि करने जैसा ही होता है. इस समय पर उथल-पुथल का समय अवश्य दिखाई देगा. यह समय आर्थिक क्षेत्र में कमी परेशान कर सकती है.
राहु की उच्च राशि कौन सी हैं ?
ज्योतिष शास्त्र में राहु की स्थिति पर की प्रकार से विचार किया गया है. ज्योतिष में सभी ग्रहों की राशियों को निश्चित किया गया है. लेकिन राहु और केतु को छाया ग्रह कहा गया है इस कारण इनके स्वामित्व की राशियों के बारे में चर्चा कम ही मिलत है. कुछ विचारक वृष और मिथुन राशि को राहु की राशि के रुप में संबोधित किया जाता है. राहु का इन दोनों में से किसी भी राशि में होना राहु को बलशालि बनाने में सहायक बनता है. इसलिए राहु की उच्च राशि के रुप में “वृष राशि” और “मिथुन राशि” को बताया गया है.
इस लिए जब भी राहु जब भी वृषभ या मिथुन राशियों में गोचर करता है, तो इस गोचर को बहुत प्रभावशाली माना जाता है. वृषभ में राहु को उच्च का राहु कहा जाता है. मुख्य शब्दों में वृष राशि में होने पर राहु दूसरे सभी ग्रहों से अधिक ताकतवर रहता है.
कुंडली में उच्च के राहु का फल
राहु कुंडली में जिस घर में बैठा हो उस घर से जुड़े घटना क्रम व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं. वृषभ राशि में बैठा हुआ राहु अपनी बेहतर स्थिति का माना गया है. यहां बैठ कर राहु व्यक्ति में कला का विस्तार करने में सफल होता है. जातक में चीजों को बढ़ा चढ़ा कर करने की आदत भी देखने को मिलती है. कुंडली में उच्च का राहु अगर अनुकूल स्थिति में शुभ अवस्था में बैठा हुआ हो तो वह कौशल और ज्ञान को बढ़ाने में सहायक बनता है. व्यक्ति को चीजों को समझने कि बेहतर सोच देता है.व्यक्ति अपने मूल्य स्थापित करता है. उसकी सोच दूसरों से भिन्न होती है.
व्यक्ति मानसिक रुप से चीजों को जोड़ता है. अपने कौशल से पहचान स्थापित करता है. अपनी योग्यता से पहचान स्थापित करने के लिए प्रयासरत रहता है. उच्च का राहु व्यक्ति को गूढ़़् विषयों को समझने कि सोच भी देता है. गुढ बातों को समझने की योग्यता भी देता है. दर्शन के विषय अथवा शोध जैसे कार्यों में पकड़ अच्छी बना सकता है.
राहु शांति के लिए उपाय
राहु का गोचर पर प्रभाव जब उच्च राशि में होता है तो वह व्यक्ति को मानसिक रुप से बदलाव देने वाला होता है. राहु सदैव वक्री गति से चलने वाला ग्रह है और जब वह मजबूत स्थिति में आता है तो उसके फलों में और भी अधिक वृद्धि के संयोग बन जाते हैं. राहु का मिथुन राशि से वृषभ राशि में जाना एक बड़े बदलाव को दिखाएगा. वृष राशि वालों के लिए अनेक चीजों और क्षेत्रों पर बदलाव देखने को मिलेगा. रिश्ते हों या काम हो या फिर शिक्षा हर क्षेत्र पर ये अपना प्रभाव देगा.
वृष राशि के लिए राहु का गोचर धनार्जन में कुछ न कुछ बढ़ोतरी कर सकता है. इस स्थान पर राहु का होना धन और परिवार के लिए ज्यादा बेहतर न हो पाए. विवाद और संघर्ष अधिक करना पड़ता है. झूठ और धोखा जीवन के अनेक हिस्सों पर असर डालता है.
अचानक से किसी के धोखे का शिकार हो सकते है या फिर दूसरों को आपके द्वारा भी धोखा मिल सकता है. पैसे कमाने के लिए यात्रा या फिर परिवार से दूर भी होना पड़ सकता है. खर्चों को रोकना बस में नहीं होगा. इस समय पर इच्छाएं अधिक होंगी किसी प्रकार के व्यसन का शिकार भी बन सकते हैं. खान पान की ओर झुकाव अधिक होगा अपने पर ध्यान दे पाएंगे. अब कुछ ऎसा करने में भी आगे रह सकते हैं जो आपकी कलात्मकता को अभिव्यक्ति दे पाए.