प्रत्येक मास की अपनी एक मुख्य विशिष्टता होती है, इसी तरह कार्तिक माह में तुलसी पूजा का महात्मय पुराणों में वर्णित किया गया है. इसी के द्वारा इस बात को समझ जा सकता है कि इस माह में तुलसी पूजन पवित्रता व शुद्धता का प्रमाण बनता है. शास्त्रों

तमसो मा ज्योतिर्गमय का संदेश देने वाली दिवाली हर्षोल्लास के साथ लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश, कुबेर इत्यादि की पूजा की जाती है. दीवाली का त्योहार न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी मनाया जाता है. माना जाता है कि इस दिन भगवान राम चौदह वर्ष का

हिन्दू पंचांग अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज एवं यम द्वितीया के रूप में मनाते हैं. भाई दूज का यह त्यौहार विशेष रूप से भाई और बहन के मध्य स्थापित प्रगाढ़ संबंधों को दर्शाता है. राखी के बाद आने वाला यह पर दूसरा

हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को अनेक रूप में पूजा जाता है इनमें से ही एक श्वेतार्क गणपति भी हैं. धार्मिक लोक मान्यताओं में धन, सुख-सौभाग्य समृद्धि ऐश्वर्य और प्रसन्नता के लिए श्वेतार्क के गणेश की मूर्ति शुभ फल देने वाली मानी जाती है.

गोवत्स द्वादशी व्रत कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की द्वादशी को मनाया जाता है. इस दिन गायों तथा उनके बछडो़ की सेवा की जाती है. सुबह नित्यकर्म से निवृत होकर गाय तथा बछडे़ का पूजन किया जाता है. इस वर्ष यह पर्व 28 अक्टूबर, 2024 को मनाया जाएगा. इस

आषाढ़ शुक्ल पक्ष और कार्तिक मास कृष्णपक्ष की षष्ठी का उल्लेख स्कन्द-षष्ठी के नाम से किया जाता है. पुराणों के अनुसार षष्ठी तिथि को कार्तिकेय भगवान का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन स्कन्द भगवान की पूजा का विशेष महत्व है, पंचमी से युक्त षष्ठी तिथि

कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुण्ठ चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है. इस वर्ष यह व्रत, 14 नवम्बर 2024 को रखा जाएगा. इस शुभ दिन के उपलक्ष्य में भगवान शिव तथा विष्णु की पूजा की जाती है. इसके साथ ही व्रत का पारण किया जाता है. यह

दीवाली के दिन राशि के अनुसार पूजन करने से सुख व समृद्धि की प्राप्ति होती है दीवाली का मुहूर्त्त शुभ व अबूझ मुहूर्तों में आता है अत: इस दिन किसी राशि के अनुरूप साधना व मंत्र जाप करने से शीघ्र सफलता प्राप्त होती है व शुभ फलों की प्राप्ति

गोवर्धन पूजा जिसे अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है. कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है. इस वर्ष 02 नवंबर 2024 को गोवर्धन पूजा की जाएगी. यह पर्व उत्तर भारत में विशेषकर मथुरा क्षेत्र में बहुत ही धूम-धाम और

कुबेर देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं. कुबेर जी की पूजा धन धान्य से पूर्ण बना देती है. सुख समृद्धि के मार्ग खुलते हैं. उन्नति, विकास व धन सम्पन्नता के लिए कुबेर यन्त्र पूजन अत्यंत लाभकारी होता है. यह यन्त्र मन्त्र वेदों से प्रमाणित है, प्रत्येक

दिवाली का पर्व भारतीय संस्कृत्ति में अत्यधिक लोकप्रिय व महत्वपूर्ण त्यौहारों के रुप में स्थान पाता है. यह धन, वैभव एवं उल्लास की कामना एवं पूर्णता का पर्व है. कार्तिक मास की अमावस्या को मनाए जाने वाले इस पंच दिवसीय पर्व को सभी वर्गों के

दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन शुभ समय मुहूर्त्त समय पर ही किया जाना चाहिए. पूजा को सांयकाल अथवा अर्द्धरात्रि को अपने शहर व स्थान के मुहुर्त्त के अनुसार ही करना चाहिए. इस वर्ष 01 नवंबर, 2024 के दिन दिवाली मनाई जाएगी. दीपावली में अमावस्या

एकादशी के व्रत को व्रतों में श्र्ष्ठ माना गया है. एकादशी व्रत का उपवास व्यक्ति को अर्थ-काम से ऊपर उठकर मोक्ष और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है. इसी श्रेणी में रमा एकादशी व्रत भी आता है. यह व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी

रूप चतुर्दशी को नर्क चतुर्दशी, नरक चौदस, रुप चौदस अथवा नरका पूजा के नामों से जाना जाता है. इस दिन कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विधान होता है. इस वर्ष 2024 को रूप चतुर्दशी 31 अक्टूबर के दिन मनाई जाएगी. इसे छोटी

निशीथव्यापिनी कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हनुमान जयंती का महोत्सव मनाया जाता है. इस वर्ष 30 अक्टूबर 2024 के दिन हनुमान जयंती मनाई जाएगी. इस दिन भक्तों को चाहिए की वह प्रात: स्नानादि से निवृत होकर संकल्प लेकर भगवान हनुमान जी का

नवरात्रों के समय गृह शांति पूजा सभी बाधाऔम को दूर करने का योग्य समय होता है. अध्यात्मिक साधना के लिए जो लोग इच्छुक होते हैं वह लोग इन दिनों साधना रत रहते है. ग्रहों से पीड़ित व्यक्ति इन दस दिनों में ग्रह शांति भी कर सकते हैं यह इसके लिए

कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष कि अष्टमी को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है. यह व्रत पूजन संतान व पति के कल्याण हेतु किया जाता है. अहोई अष्टमी व्रत उदयकालिक एवं प्रदोषव्यापिनी अष्टमी को ही किया जाता है. यह व्रत मुख्यत: स्त्रियों द्वारा किया

कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करवा चौथ का व्रत किया जाता है, पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन चंद्रमा की पूजा अर्चना की जाती है. करवा चौथ व्रत को करक चतुर्दशी के नाम से भी जाना

करवा चौथ व्रत | Karva Chauth Vrat करवा चौथ व्रत कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है. यह पवित्र पर्व सौभाग्यवती स्त्रियाँ मनाती हैं. पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती

रामलीला | Ramlila दशहरा पर्व से पूर्व नौ दिनों तक कई स्थानों पर रामलीलाओं का आयोजन किया जाता है. इसमें राम-सीता के जीवन की झाँकियां दिखाई जाती है. इस दौरान बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है. रामलीला नाटक का मंचन देश के विभिन्न क्षेत्रों में