पापाकुंशा एकादशी व्रत आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन किया जाता है. पापाकुंशा एकादशी के दिन मनोवांछित फल कि प्राप्ति के लिये श्री विष्णु भगवान कि पूजा की जाती है. इस वर्ष 13 अक्तूबर 2024 को यह व्रत किया जाएगा. एकादशी के पूजने से

नवरात्रों के आठवें दिन महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है. इस वर्ष 11 अक्टूबर 2024 के दिन महागौरी पूजन संपन्न होगा. माँ महागौरी की पूजा से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा देवी का भक्त जीवन में पवित्र और अक्षय पुण्यों को प्राप्त करता

आदि शक्ति माँ ललिता दस महाविद्याओं में से एक हैं, उपांग ललिता का व्रत भक्तजनों के लिए शुभ फलदायक होता है. इस वर्ष उपांग ललिता व्रत 07 अक्टूबर 2024 के दिन किया जाएगा. इस दिन उपांग ललिता की पूजा भक्ति-भाव सहित करने से देवी मां की कृपा व

महर्षि वाल्मीकि प्राचीन वैदिक काल के महान ऋषियों कि श्रेणीमें प्रमुख स्थान प्राप्त करते हैं. इन्होंने संस्कृत मे महान ग्रंथ रामायण महान ग्रंथ की रचना कि थी इनके द्वारा रचित रामायण वाल्मीकि रामायण कहलाती है. हिंदु धर्म की महान कृति रामायण

विजयादशमी अर्थात दशहरा की धूम संपूर्ण भारत-वर्ष में देखी जाती है. सत्यता का प्रतीक दशहरा अनेक महत्वपूर्ण संदेशों को देते हुए भारत के कोने-कोने में जोश एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है. विजय दशमी का पर्व आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को

मान्यता है कि देवता भी शक्ति हेतु मां दुर्गा की पूजा किया करते है. नवरात्रों में मां दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है. मां दुर्गा को शक्ति कहा गया है. नवरात्रों में नौ दिन क्रमश शैलपुत्री, ब्रह्माचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्माण्डा,

नवरात्रों के समय गृह शांति पूजा सभी बाधाओं को दूर करने का योग्य समय होता है. अध्यात्मिक साधना के लिए जो लोग इच्छुक होते हैं वह लोग इन दिनों साधना रत रहते है. ग्रहों से पीड़ित व्यक्ति इन दस दिनों में ग्रह शांति भी कर सकते हैं यह इसके लिए

सरस्वती वाणी एवं ज्ञान की देवी है. ज्ञान को संसार में सभी चीजों से श्रेष्ठ कहा गया है. इस आधार पर देवी सरस्वती सभी से श्रेष्ठ हैं. कहा जाता है कि जहां सरस्वती का वास होता है वहां लक्ष्मी एवं काली माता भी विराजमान रहती हैं. इसका प्रमाण है

वर्ष 2024 में 17 अक्तूबर से कार्तिक स्नान का आरंभ होगा. इस पूरे माह स्नान, दान, दीपदान, तुलसी विवाह, कार्तिक कथा का माहात्म्य आदि सुनते हैं. ऎसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है व पापों का शमन होता है. पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति इस

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा शरद पूर्णिमा के रुप में मनाई जाती है. वर्ष 2024 में शरद पूर्णिमा 17 अक्टूबर, को मनाई जाएगी. शरद पूर्णिमा को कोजोगार पूर्णिमा व्रत और रास पूर्णिमा भी कहा जाता है. कुछ क्षेत्रों में इस व्रत को कौमुदी व्रत

श्राद्ध अवसर पर पितृदोष शांति के उपाय करने से पितर दोष से मुक्ति मिलती है. पितृ दोष की शांति के लिए शास्त्रों में अनेक विधि-विधान बताए गए हैं जैसे कि किन कारणों से पितृ दोष होता है और पितृ दोष की शांति कैसे करें. मान्यता है कि आश्विन कृष्ण

भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से आरंभ होने वाला गणेश महोत्सव अनंत चतुर्दशी तक चलता है. गणेशोत्सव सारे विश्व में बड़े ही हर्षोल्लास एवं आस्था के साथ मनाया जाता है. घर-घर में भगवान गणेशजी की पूजा होती है, लोग मोहल्लों, चौराहों,

यद्यपि प्रत्येक अमावस्या पितरों की पुण्य तिथि होती है किंतु आश्विन मास की अमावस्या पितृ पक्ष के लिए उत्तम मानी जाती है. इस अमावस्या को सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या अथवा महालया के नाम से भी जाना जाता है. शास्त्रोक्त अनुसार इस दिन किया जाने

प्रतिवर्ष भाद्रपद माह की अष्टमी को दाधीच जंयती मनाई जाती है. पौराणिक आख्यानों के अनुसार महर्षि दधीचि ने अपनी हड्डियो को दान में देकर देवताओं की रक्षा की थी. इस वर्ष 11 सितंबर 2024 को दधिचि जयंती मनाई जाएगी. महर्षि दधीचि जयंती पूरे देश मे

नंदा देवी की अराधना प्राचीन काल से ही होती चली आ रही है. नंदा को नवदुर्गाओं में से एक बताया गया है. भाद्रपद कृष्ण पक्ष की नवमी तथा शुक्ल पक्ष की नवमी को नन्दा कहा जाता है. साल में तीन अवधियों में दुर्गा पूजा की जाती है. भाद्रपद के शुक्ल

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन दशावतार व्रत का विधान बताया गया है. इस दिन भगवान श्री विष्णु जी के दस अवतारों की पूजा की जाती है तथा कथा श्रवण होता है. भगवान विष्णु को की नामों से जाना जाता है वह अपने अवतारों के रूप में अपने लीला

भाद्रपद मास की चतुर्थी से आरंभ भगवान गणेश उत्सव भाद्रपद मास की अनंत चतुर्दशी तक चलता है. दस दिन तक मनाए जाने वाले गणेश जन्मोत्सव का बहुत महत्व होता है. गणेश महोत्सव की धूम भारतवर्ष में देखी जा सकती है. इस महत्वपूर्ण पर्व के समय देश भर में

प्रतिवर्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा से से आश्विन मास की अमावस्या तक का समय श्राद्ध कर्म के रुप में जाना जाता है. इस वर्ष 17 सितंबर से 02 अक्टूबर तक श्राद्ध मनाए जाएंगे. इस पितृपक्ष अवधि में पूर्वजों के लिए श्रद्धा पूर्वक किया गया दान तर्पण

भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी पदमा एकादशी कही जाती है. इस वर्ष 14 सितंबर 2024 को पदमा एकादशी का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन भगवान श्री विष्णु के वामन रुप कि पूजा की जाती है. इस व्रत को करने से व्यक्ति के सुख, सौभाग्य में बढोतरी होती है. इस

भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनन्त चतुर्दशी के रुप में मनाई जाती है. इस दिन अनन्त भगवान की पूजा करते हैं और संकटों से रक्षा करने वाला अनन्तसूत्रबांधा जाता है. अनंत चतुर्दशी मुहूर्त्त | Anant Chaturdashi Muhurat भाद्रपद मास के