बुध और सूर्य | Mercury And Sun लाल किताब कुण्डली में जब हम दूसरे घर में बुद के साथ सूर्य को पाते हैं तो यह तथ्य एक उज्जवल बौद्धिकता और ज्ञान का पैमाना लेकर आता है. बुध के साथ सूर्य का होना जातक क्लो ज्ञान के क्षेत्र में एक ओजस रूप को
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राहु और सूर्य | Rahu and Sun राहु के साथ सूर्य के पहले घर में होने पर कुण्डली की अनुकूल स्थिति खराब होती है यहां इनकी युति होने पर ग्रहण की स्थिति उत्पन्न होती है. राहु के साथ सूर्य का संबंध इस घर के फलों में कमी आएगी और सेहत या स्वभाव में
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लाल किताब कुण्डली का दूसरा घर धर्म ग्रह कहा जाता है यहां स्थित जो भी ग्रह हो वह धर्म ग्रह के रूप में प्रमुखता पाता है और जातक को उससे संबंधि फलों की प्राप्ति होती है. इसी के साथ इस घर का प्रमुख कारक ग्रह यदि स्वयं यहां स्थिति हो जाता है तो
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मंगल और सूर्य | Mars and Sun लाल किताब टेवे के तीसरे घर में मंगल के होने से व्यक्ति में साहस की अधिकता होती है. वह शूरवीर होता है और कठिनाईयों से घबराता नहीं है. व्यक्ति में लड़ने की शक्ति होती है. उसे अपने जीवन में कठिनाईयों और परेशानियों
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चंद्र और सूर्य | Sun and Moon लाल किताब कुण्डली के तीसरे भाव में चंद्रमा के होने से जातक का स्वभाव का शांत तथा साधु जैसा प्रतीत होता है वह लोभ से परे स्वयं के सामर्थ्य से कुछ बनने की कोशिश करने वाला होता है. वह अपना उत्थान स्वयं ही करता
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चंद्रमा और शुक्र | Moon and Venus लाल किताब कुण्डली के तीसरे घर में चंद्रमा के साथ शुक्र का संबंध आने पर व्यक्ति के शौक अलग से दिखाई देने लगते हैं. वह अपने प्रयासों द्वारा अपनी छुपी हुई प्रतिभा को सबके सामने लाने में सफल होता है. कलात्मक
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सूर्य और शुक्र | Sun and Venus सूर्य और शुक्र की युति टेवे के तीसरे घर में बनने से व्यक्ति की भावनाएं और इच्छाएं अनियंत्रित सी रह सकती हैं. वह दोहरे जीवन की चाह रख सकता है, जीवन में उसे ऎश्वर्य के साथ ही मुक्ति की चाह भी रह सकती है. यह
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लाल किताब कुण्डली का दूसरा घर धर्म ग्रह कहा जाता है यहां स्थित जो भी ग्रह हो वह धर्म ग्रह के रूप में प्रमुखता पाता है और जातक को उससे संबंधि फलों की प्राप्ति होती है. इसी के साथ इस घर का प्रमुख कारक ग्रह यदि स्वयं यहां स्थिति हो जाता है तो
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लाल किताब कुण्डली के दूसरे घर को धर्म स्थान कहा गया है. इस घर का कारक ग्रह बृहस्पति है जिसके फलस्वरूप यह स्थान गुरू मंदिर भी कहा जाता है. धर्म भाव में जो भी ग्रह होता है या गोचर में चलकर आता है उसे भाग्य का ग्रह कहते हैं, पर साथ ही इसका
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केतु और सूर्य | Ketu and Sun केतु का लाल किताब कुण्डली में पहले घर में होना संदेह की प्रवृत्ति को दर्शता है. व्यवहार में गोपनियता का समावेश रहता है. इस विचार के फलस्वरूप जब यह सूर्य के साथ स्थित होता है तो उस उजाले पर भी अपना प्रभाव स्पष्ट
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लाल किताब कुण्डली में ग्रहों व राशियों के महत्व को बहुत स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है. यहां राशियों के स्वामी हैं जिसमें मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल हैं. वृष और तुका के स्वामी शुक्र हैं, मिथुन और कन्या के स्वामी बुध हैं, धनु और
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लाल किताब के खाना नम्बर 9 को भाग्य विधाता कहा जाता है. इसे लाल किताब में किस्मत की कहानी कहते हैं. इस घर का स्वामी और कारक दोनों ही बृहस्पति हैं. लाल किताब में इस स्थान को गुरू की गद्दी कहा गया है. नौंवा घर कर्मों का विशाल सागर कहा गया है.
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लाल किताब में आठवां घर मृत्यु व बिमारी का घर कहा गया है. इस घर का स्वामी मंगल है और कारक ग्रह शनि है इसलिए इस घर को शनि-मंगल की सांझी गद्दी कहा जाता है. मंगल ही यहां वृश्चिक का भावेश भी होता है. यह भाव न्याय, बुद्धि तथा दया से हटकर बदले का
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लाल किताब का सातवां घर वैवाहिक जीवन तथा गृहस्थी के स्वरूप को बताता है. यह गृहस्थी का कारक है. विवाह संबंधी समस्त शुभाशुभ फलों का निर्धारण इसी से किया जा सकता है. इसी के साथ जातक अपने जीवन के निर्वाह हेतु किस काम को चुनेगा वह व्यवसाय में
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लाल किताब में छठे घर को पाताल कहा जाता है, इसे पाताल की दुनिया, रहम का खजाना और खुफिया मदद का घर भी कहते हैं. इस घर से माता-पिता और ससुराल के साथ संबंधों का विचार करते हैं. इस घर के कारक ग्रह केतु माने गए हैं और स्वामी बुध कहे गए हैं. जब
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लाल किताब में पांचवां घर शुभाशुभ भाव कहलाता है. यह मिश्रित फल देने वाला होता है जीवन में मिलने वाली सफलता या असफलता सभी का विचार इस भाव से किया जाता है. संतान और संतान से संबंधी अच्छी-बुरी सभी बातों का विचार किया जाता है. पांचवें घर में
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लाल किताब कुण्डली के चौथे घर को माता का घर कहा जाता है. इसका स्वामी और कारक ग्रह चंद्रमा है और इस घर को केन्द्र स्थानों में से एक माना जाता है. लाल किताब में इस केन्द्र स्थानों को बंद मुट्ठी का भाव कहा जाता है. इसे बंद मुट्ठी का भाव कहने
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लाल किताब कुण्डली में तीसरे घर को भाई बंधुओं का भाव कहा जाता है. इस घर का स्वामी बुध और कारक मंगल होता है. इस घर को मुख्यत: मृत्यु और भोग का घर माना जाता है. इस घर में राहु और बुध उच्च तथा शुक्र नीच का हो जाता है. इस घर का रंग है खूनी असर
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ज्योतिष में कुण्डली के दूसरे भाव को धन भाव कहते हैं, परंतु लाल किताब कुण्डली में इसे धर्म भाव कहा जाता है. भाव का कारक बृहस्पति होने से इसे गुरू मंदिर भी कहा जाता है. धर्म भाव में जो भी ग्रह होता है या गोचर में चलकर आता है उसे भाग्य का
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लाल किताब में कुण्डली के पहले घर को राज्य सिंहासन कहते हैं. कुण्डली में ग्रहफल का ग्रह राजा कहा जाता है. ज्योतिष में इसे लग्न कहा जाता है. इस लग्न से ही जीव अर्थात रूह और माया अर्थात प्रकृत्ति का संबंध परिलक्षित होता है. भाग्य का शुभ होना