लाल किताब का खाना नम्बर 7

लाल किताब का सातवां घर वैवाहिक जीवन तथा गृहस्थी के स्वरूप को बताता है. यह गृहस्थी का कारक है. विवाह संबंधी समस्त शुभाशुभ फलों का निर्धारण इसी से किया जा सकता है. इसी के साथ जातक अपने जीवन के निर्वाह हेतु किस काम को चुनेगा वह व्यवसाय में जाएगा या नौकरी करेगा अथवा उसका जीवन निर्वाह कितना अच्छा या कितना बुरा रहेगा इत्यादि कई अन्य बातें भी इसी भाव से देखी जाती हैं. पति पत्नी के मध्य संबंध, संतान की स्थिति तथा उनसे संबंध के बारे में भी इसी घर को लिया जाता है.

लाल किताब में सातवें घर को गृहस्थी की चक्की कहा जाता है. आकाश जमीन दो पत्थर सातवें रिजक अकल की चक्की हो. दोनों घुमावें कीली लोहे की घर आठ्वें जो होती हो. अर्थ है कि सप्तम भाव का कारक बुध तथा भावेश शुक्र है. शुक्र को पृथ्वी तथा रिजक यानी के धन कहा गया है. बुध को अकाश और बुद्धि माना जाता है. इस चक्की की कीली अर्थात धुरी आठवां घर होता है. जिसके अनुसार आठवें घर के ग्रह गोचर या वर्षफल में जब लग्न या अष्टम भाव में आएंगे तो आपसी संबंधों के फलस्वरूप शुभाशुभ फल देने में सक्षम होंगे.

घर पहले के खाली होते सातवां फौरन सोया
पंज साला हो सूर्य निकले आठ जब दूजे होया

जब आठवें घर का ग्रह धन भाव में होगा तो पांच वर्ष में भाग्य का सूर्य उदय होगा. अगर लग्न में कोई ग्रह न हो तो सातवें घर को सोया हुआ ग्रह कहा जाएगा. सातवें घर का स्वामी शुक्र और कारक ग्रह बुध व शुक्र दोनों ही होते हैं. इस घर में शनि उच्च का और सूर्य नीच का होता है. इस घर में शनि अगर पिड़ित हो तो ही वह अपने शुभ फलों में कमी करता है. सातवें घर की अपनी दृष्टि किसी भी घर पर नहीं होती है परंतु सातवें खाने पर पहले घर की दृष्टि होती है. अगर पहला घर खाली हो तो सातवां घर सो जाता है जिसका उल्लेख हम पहले ही कर चुके हैं.

सातवें घर में शनि और केतु का प्रभाव बुध के समक्ष विचरण करने वाला होता है. अगर यह ग्रह खराब फल दे रहें हों तो इनके उपायों से इन्हें अनुकूल भी किया जा सकता है. अधिकांशत: स्त्री ग्रहों का स्त्रियों पर प्रभाव होता है और पुरूष ग्रहों का पुरूषों पर लेकिन आठवें घर में चंद्रमा के साथ दो या दो से ज्यादा ग्रह हो जाने पर जो प्रभाव माता पर होने वाला होता है वह गुरू अर्थात पिता पर होता है.

इसी प्रकार अन्य तथ्य से इस बात की पुष्टि की जा सकती है कि:-

दो से ज्यादा घर सातवें में स्त्री ग्रह नर होते हैं.

असूल मिलावट बेशक अपने असर मर्द पर करते हैं. अर्थात जब स्त्री भावों में दो से अधिक ग्रह हों तो स्त्री ग्रहों को पुरूष ग्रह जानकर प्रभाव मानना चाहिए. सिद्धांत अनुसार स्त्री ग्रह शुक्र पत्नी पर और चंद्रमा माता पर असर देते हैं और नर ग्रह सूर्य, गुरू, मंगल पुरूषों पर प्रभाव डालते हैं. इस तरह से सातवें घर में शुक्र के साथ दो और ग्रह हों तो मिलावट या दृष्टि के आधार पर लग्न या सातवें घर में बैठे ग्रहों का जो प्रभाव चंद्रमा पर होता है वह अब गुरू पर माना जाएगा.

सातवें घर में सूर्य

लाल किताब कुण्डली के सातवें घर में सूर्य होना अच्छा नही माना जाता है. इस भाव में सूर्य साथी के साथ अनबन और तनाव की स्थिति देता है. सूर्य का इस भाव में विचार करने के साथ साथ केन्द्र और त्रिकोण में बैठे ग्रहों का विचार भी करना चाहिए. इस घर में सूर्य नीचस्थ माना जाता है. लेकिन जातक के जीवन आयु पर इस का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है. संतान के लिए उत्तम होगा लेकिन अपने माता-पिता और ससुराल के लिए अच्छा नही होता है.

उपाय

  • सूर्य के बुरे प्रभाव से बचने के लिए रात को खाना बनाने के बाद चुल्हे की आग को दूध से बुझाएं.
  • तांबे के चौकोर टुकड़े को किसी जमीन के अंदर दबा देना चाहिए. इससे आर्थिक स्थिति अनुकूल रहती है.
  • सातवें घर में बृहस्पति

    लाल किताब कुण्डली के सातवें घर में बृहस्पति की स्थिति व्यक्ति को धार्मिक कार्य करने वाला बनाती है. इस खाने में स्त्री की कुण्डली में बृहस्पति का फल अच्छा कहा जाता है. वह धन एवं संतान का सुख भी पाती है. लेकिन लड़के की कुण्डली में बृहस्पति होने पर उसे परिवार में कोई सम्मान नहीं मिल पाता है. पूजा पाठ करने वाला होगा और धार्मिक कामों में आगे रहेगा. व्यक्ति स्त्री के द्वारा भाग्य और आर्थिक उन्नती को प्राप्त कर पाएगा.

    उपाय

  • वस्त्र का दान नही करें.
  • किसी से भी कोई वस्तु मुफ्त में नहीं लेनी चाहिए.
  • सातवें घर में मंगल

    सातवें घर में मंगल का होना व्यक्ति को मंगलीक भी बनाता है. व्यक्ति की आर्थिक स्थिति सामान्य रहती है. जातक को स्त्री का सुख मिलता है. वह परिवार में मुख्या की भूमिका भी निभाता है. दूसरों का सहयोग करने में आगे रहने वाला होता है. जातक परिवार का पालन करने वाला होता है. बुध और मंगल साथ में होने पर खराब करते हैं, या अन्य किसी प्रकार से मंदा होने पर व्यक्ति को अर्थिक क्षेत्र में कमजोर बनाता है और संतान से संबंधित कष्ट देता है.

    उपाय

  • भाई की संतान का पालन पोषण करना उत्तम फल देता है.
  • बहन और बुआ को मीठी चीज खिलाएं उनके साथ संबंध अच्छे बना कर रखें.
  • सातवें घर में शुक्र

    सातवें घर में अकेला शुक्र खराब फल नहीं देता है. शुक्र सातवें घर में अच्छा माना जाता है. पर अगर शुक्र के साथ कोई ग्रह बैठा हुआ हो तो शुक्र अपने साथी ग्रह के जैसा फल ही देता है. अगर खाना नम्बर 1 में कोई ग्रह बैठा हो तो शुक्र का फल भी वैसा ही होगा. बुध का प्रभाव शुक्र पर आने पर विवाह, गृहस्थी की स्थिति उत्तम होगी. पत्नी अगर कम सुंदर होगी तो सुख की प्राप्ति अधिक होगी. वह शांत स्वभाव की विनम्र भी होगी. अगर राहु आठवें भाव में बैठा हुआ हो तो यह स्थिति शुक्र को खराब करने वाली होती है स्त्री को कष्ट झेलना पड़ता है.

    उपाय

  • किसी मन्दिर में जौ दान करें.
  • गाय की सेवा करें.
  • सातवें घर में चंद्रमा

    चंद्रमा को सातवें घर में बच्चों की माता और लक्ष्मी स्वरुपा माना जाता है. वैसे बुध खाना नम्बर 7 का कारक होकर चंद्रमा के फल खराब भी करता है. चंद्रमा का प्रभाव व्यक्ति को आर्थिक उन्नती देने में मदद करता है. जातक कहीं भी जाए अपने प्रयास से सोना-चांदी इत्यादि को जरुर कमा सकेगा. व्यक्ति की मृत्यु अपने पैतृक घर पर ही होगी. व्यक्ति किसी कलात्मक अभिव्यक्ति की तरफ झुकाव रख सकता है साथ ही उसे गुढ़ विद्या के प्रति भी लगाव होगा.

    उपाय

  • चंद्रमा की शांति के लिए उसके मित्र ग्रहों की वस्तु का दान करना बहुत फायदेमंद होता है.
  • धर्म स्थल पर जाकर माथा टेकना और कुछ दान करने से चंद्रमा की अशुभता कम होती है.
  • सातवें घर में बुध

    सातवें घर में बुध की स्थिति दूसरों के लिए मददगार होती है. अच्छा व्यापारी होगा. महत्वकांक्षी होगा. अगर व्यक्ति कुछ समय के लिए बनी हुई मित्रता में भी अपनी ओर से पूरी निष्ठा दिखाता है. हाथों की कारीगरी में निपुण होता है. अगर खाना नम्बर 1 में कोई ग्रह हो तो वह बुध को जगाने का काम करता है. व्यक्ति कुल को तारने वाला होता है. चंद्रमा 1 में हो तो व्यक्ति यात्राएं भी अधिक करता है.

    उपाय

  • अगर बुध सातवें घर में मंदा हो तो व्यक्ति की पत्नी, बहन बुआ के लिए खराबी करता है. बुध के लिए व्यक्ति को हरे रंग की वस्तुओं का उपयोग कम से कम करना चाहिए.
  • सातवें घर में शनि

    व्यक्ति अपना भाग्य खुद लिखता है. गृहस्थ जीवन में सकारात्मक शनि चालाकी देता है. व्यक्ति का परोपकार ही उसे शुभता देने वाला होता है व्यक्ति में चालाकी ओर होशियारी भी अच्छी होती है, जिससे वह किसी से धोखा नहीं खाता है. यात्राएं करने का मौका मिलता है. आर्थिक स्थिति से उन्नत होता है. व्यकि यदि गलत चीजों की ओर जल्द ही आकर्षित हो सकता है. पर उसकी यही गलतियां उसे जेल भी पहुंचा सकती है.

    उपाय

  • शहद का बर्तन बंद करके घर पर किसी स्थान पर रख दीजिए.
  • लोहे की बांसुरी जंगल में कहीं किसी स्थान पर दबा कर आएं.
  • सातवें घर में राहु

    राहु के सातवें घर में होने से विवाह में परेशानी होती है. जीवन साथी के साथ अलगाव की स्थिति भी अधिक परेशान करती है. राहु के यहां होने पर अगर शादी जल्द हो जाए 21 वर्ष में या 29 वर्ष से पहले हो जाए तो यह स्थिति परेशानी देने वाली होती है.

    उपाय

  • राहु के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए अपने पास चांदी की कोई वस्तु सदैव रखें.
  • विवाह समय कन्या को चांदी कोई ठोस वस्तु साथ में दान देना गृहस्थी के लिए उत्तम होता है.
  • सातवें घर में केतु

    केतु सातवें घर में होने एक कारण व्यक्ति अपने कहे का पक्का होता है. व्यक्ति अपने अहंकार के कारण ही परेशानी पाता है. केतु के कारण उसके सामने के घर का यानी के लग्न का हाल खराब हो जाता है.

    उपाय

  • काले-सफेद मिले-जुले रंग का कंबल धर्म स्थान में दान करें.