लाल किताब का खाना नम्बर 4 | Fourth House in Lal Kitab
लाल किताब कुण्डली के चौथे घर को माता का घर कहा जाता है. इसका स्वामी और कारक ग्रह चंद्रमा है और इस घर को केन्द्र स्थानों में से एक माना जाता है. लाल किताब में इस केन्द्र स्थानों को बंद मुट्ठी का भाव कहा जाता है. इसे बंद मुट्ठी का भाव कहने से तात्पर्य य्ह भी है कि इस भाव से गर्भस्थ शिशु का विचार भी किया जाता है.
चौथे घर के ग्रह रात्रिबली होते हैं इन ग्रहों के कारोबार भी रात्रि के समय किए जाएं तो बहुत लाभदायक माने गए हैं. माना जाता है कि संकट के समय जब कोई भी ग्रह मददगार नहीं बनता तब उस स्थिति में चौथे घर के ग्रह सहायक बनते हैं. चौथे घर में कर्क राशि की कल्पना की गई है. इस लिए चौथे घर में जो भी ग्रह स्थित होता है उसका प्रभाव चंद्रमा के समान होता है, लेकिन उक्त ग्रह का प्रभाव उस घर पर दिखाई देता है जहां शनि स्थित हो. अगर चौथे घर में कोई भी ग्रह नहीं हो तो वृद्धावस्था के समय तक उन्नति होती है. जब चौथे घर में कोई ग्रह नहीं हो तो दूसरा घर प्रबल हो जाता है.
चंद्र का फल घर दे चंद्र बैठा चंद्र खाह नष्टी हो.
पाप बैठा घर चंद्र माता बुध शनि दो उमदा हो.
आठ तीजा 6 टेवे मंदा मौत बहाना चौथा.
चौथे घर में शनि को अच्छा नहीं माना जाता है. यहां बैठा शनि सर्प की भांति प्रभाव देने वाला होगा. मंगल भी यहां जला हुआ बद या मंगलीक योग बनाने वाला बनता है. लेकिन राहु और केतु के चौथे घर में होने पर वह धर्मात्मा ही रहेंगे. राहु केतु किसी दूसरे घर में मंदे कार्य छोड़ने का वचन नहीं देते. लेकिन यह घर उनके खराबी की बुनियाद भी है क्योंकि चौथे घर में बैठे हुए राहु-केतु चुप रहेंगे. यह भी स्वभाविक है कि उनके चुप रहने से लाभ के स्थान पर हानि भी संभवत: दिखाई दे सकती है. क्योंकि यह एक परेशानि के दबने की नहीं बल्कि बढ़ने का भी असर दर्शाता है.
तखत पावे जब चौथा टेवे राहु मंदा खुद होता हो.
मुट्ठी चंद्र 8 या 11 बैठे अकेला चौथे न मंदा हो.
चार समुद्र ग्रह 9 नाभि मुद्रा कोई न रखता हो.
तीनों मित्र नर ग्रह शरण माता की पेट के अंदर कुल पलता हो.
जब टेवे में चतुर्थ घर मुख्य हो सिंहासन अधिपति हो तो राहु का प्रभाव मंदा हो जाता है. यदि चंद्रमा केन्द्र स्थानों से बाहर हो, चौथा घर खाली हो तो चंद्रमा का प्रभाव सभी ग्रहों अनुकूल रहेगा. जब चौथे खाने में अकेला ग्रह हो तथा चंद्रमा केन्द्र के खानों से बाहर कहीं भी खराब हो रहा हो तो चौथे घर का ग्रह शुभ फल दे सकता है. चाहे वह चंद्रमा का मित्र हो या शत्रु. इस नियम के अनुसार मंगल बद या मंगलीक पर भी यह सिधांत लागू हो सकता है. यदि चंद्रमा वृश्चिक राशि का नीच का हो अथवा 11वें भाव में मंद हो तो, चौथे घर वाला ग्रह शुभ देने वाला माना जा सकता है.
लाल किताब के चौथे भाव में सभी ग्रहों का प्रभाव
चौथे भाव में बृहस्पति का प्रभाव
लाल किताब कुण्डली को चौथे घर में बृहस्पति की स्थिति होने पर यह एक शुभता प्रदान करने वाला होता है. इस स्थान पर बृहस्पति व्यक्ति को सुख और सम्मान देने में सहायक होता है. माता का सुख पाने वाला. भाग्य का धनि होता है. यहां चंद्रमा मोती के समान फल देने वाला है.चौथे घर का बृहस्पति “रुहानी शक्ति” का नेत्र भी कहा जाता है. यहां बृहस्पति के होने से व्यक्ति के धन में वृद्धि होती है. मकान और वाहन इत्यादि की प्राप्ति उसे होती है. जातक धार्मिक क्षेत्र में मजबूत होता है. लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करने वाला और सभी धर्मों का सम्मान भी करता है. व्यक्ति दूरदर्शी होती है. जातक त्याग करने में भी आगे रहता है. मिलनसार होता है. वाद-विवाद से दूर रहने की इच्छा रखता है.
बृहस्पति का मंदा फल
उपाय
चौथे घर में सूर्य का प्रभाव
चौथे घर में सूर्य व्यक्ति को धन की चिंता नही देता है. व्यक्ति अपनी संतान के लिए ढेर सारी दौलत छोड़ कर मरता है. जातक शुद्ध हृदय का होता है. उदार व्यक्तित्व वाला होता है. किसी भी काम को करने में बुद्धिमानी दिखाता है और अपनी ओर से योग्यता से करता है. अचानक से धन की प्राप्ति होती है. कुण्डली में चंद्रमा में जिस घर में बैठा होगा उस घर से संबंधित आर्थिक लाभ भी मिलता है. अगर कुण्डली में सूर्य चौथे में हो और बृहस्पति दसवें घर में हो तो व्यक्ति का सोना बहुत अधिक खो सकता है.
सूर्य का मंदा फल
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चौथे भाव में शुक्र का प्रभाव
चौथे भाव में शुक्र का प्रभाव जातक को कामुक बनाता है. व्यक्ति रोमांस और फ्लर्ट करने वाला होता है. व्यक्ति के एक साथ अधिक रिश्ते हो सकते हैं. जातक के दो विवाह भी हो सकते हैं. व्यक्ति का संबंध अपने से बडी़ आयु के लोगों के साथ हो सकता है. इस स्थान पर शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन साथी का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है. अपने काम को लेकर व्यक्ति यात्राएं भी अधिक कर सकता है. किसी एक जगह पर टिक कर काम कर पाना आसान नही होता है. इस स्थान का शुक्र व्यक्ति को मेल-जोल वाला बनाता है. व्यक्ति को लोगों को परखने कि समझ भी होती है.
शुक्र के मंदा होने का फल
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चौथे भाव में चंद्रमा का प्रभाव
चंद्रमा की यहां स्थिति शुभता देने में सहायक होती है. चंद्रमा यहां व्यक्ति धन संपत्ति देने वाला होता है. आर्थिक क्षेत्र में व्यक्ति को अच्छे मौके मिलते हैं. दान करने से लाभ होगा. खर्च होगा तो धन भी बढ़ेगा. इस स्थान पर चंद्रमा के होने पर जब भी व्यक्ति कोई काम आरंभ करता हो तो उसे एक दूध का कलश भर कर रख लेना चाहिए. ऎसा करने से उसे काम में सफलता भी मिल सकती है.
चंद्रमा के मंदा होने का प्रभाव
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चौथे भाव में मंगल का प्रभाव
जातक परिवार का भरण-पोषण करने में भी सक्षम होता है. स्पष्ट और शुद्ध विचारों वाला होता है. अगर मंगल शुभ प्रभाव में हो तो उसे आर्थिक लाभ मिलता है. अगर व्यक्ति के साथ कोई शरारत की जा रही है तो वह उसका मुंह तोड़ जवाब दे सकता है. व्यक्ति के आगे दूसरों की चल नही पाती है.
मंगल के मंदा होने का फल
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चौथे घर में बुध का प्रभाव
बुध राजयोग कारक बनता है. चौथे घर में स्थिति बुध के प्रभाव से व्यक्ति में हुनर आता है. वह अपने जीवन को इसी हुनर के आधार पर जीता भी है. माता-पिता से व्यक्ति को सुख की प्राप्ति होती है, माता-पिता की आयु भी लम्बी होती है. माता-पिता का आशीर्वाद और स्नेह जातक को सदैव मिलता है. जातक दूसरों के कष्ट को अपने पर भी ले लेता है. व्यक्ति अपने साथ सा दूसरों के लिए भी शुभकारी होता है. वह सभी का भला करने की कोशिशें करता है.
मंदे बुध का फल
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चौथे घर में शनि का प्रभाव
मंदे शनि का फल
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चौथे घर में राहु केतु का प्रभाव
राहु के चौथे घर में होना व्यक्ति को बुरे कामों से दूर रखने की कोशिशों जैसा होता है. धार्मिक रुप से व्यक्ति मजबूत होता है. व्यक्ति गुणवान बुद्धिमान नम्रता वाला होगा. अपनी इच्छा के अनुरूप धन का व्यय कर सकने में समर्थ भी होगा. ख़र्चा अधिक करेगा लेकिन वो खर्च अच्छे कामों पर ही अधिक होगा.
राहु मंदा होने का फल
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चौथे घर में केतु का प्रभाव
राहु और केतु दोनों ही इस घर में होकर कुछ गलत न करने की प्रतिज्ञा लेते हैं. पिता के लिए शुभ होगा, संतान का फल भी शुभदायक होगा. संतान जन्म में देरी हो सकती है. अगर बृहस्पति ग्रह उत्तम हो कुण्डली में साथ ही वर्षफल कुण्डली में भी शुभ हो जाए संतान दीर्घायु होगी.
केतु मंदा होने का फल
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