लाल किताब का खाना नम्बर 5 | Fifth House of Lal Kitab
लाल किताब में पांचवां घर शुभाशुभ भाव कहलाता है. यह मिश्रित फल देने वाला होता है जीवन में मिलने वाली सफलता या असफलता सभी का विचार इस भाव से किया जाता है. संतान और संतान से संबंधी अच्छी-बुरी सभी बातों का विचार किया जाता है. पांचवें घर में बैठा हुआ ग्रह नवें घर को देखता है. इस कारण से यदि नौवां घर खराब हो रखा हो तो इसका फल मंदा होता है.
गुरू टेवे में जब तक उमदा औलाद दुखी न होती हो
पांच पापी गुरू मंदा टेवे बिजली चमका आ देती है.
खाना नम्बर 5 का कारक ग्रह बृहस्पति को माना गया है. अगर कुण्डली में बृहस्पति शुभ हो तो संतान को भी शुभ फल प्राप्त होने स्वभाविक होते हैं. यदि पांचवां घर पाप ग्रह से त्रस्त हो और गुरू की स्थिति भी शुभ न हो तो उक्त स्थिति में संतान पर प्रभाव अवश्य पडे़गा. अगर टेवे में चंद्रमा मजबूत स्थिति में हो तो प्रभाव में शुभता दिखाई देगी.
शनि शुक्र या दो कोई मंदा बिजली चमकती मंदी हो
चंद्र भला तो चमक हो उमदा असर हालत दो जल्दी हो
इसका अर्थ हुआ की यदि कुण्डली में शनि या शुक्र मंदे हो रहें हों तो दोनों की अवस्था के कारण अशुभ फल देने वाले बनते हैं. लेकिन अगर चंद्रमा अच्छी स्थिति में हो तो यह खराब हालत में कुछ सुधार हो सकता है.
खाना 5 में अगर शुक्र, सूर्य या अकेला अकेला सूर्य और गुरू हो तो जब कोई पापी ग्रह या शुक्र गोचर में लग्न में आ जाए तो सेहत के लिए मंदा हो जाता है इस कारण से स्वास्थ्य परेशानी और चिंता का विषय बन जाता है. अगर पांचवें घर में शुक्र या अन्य कोई पापी ग्रह हो तथा बृहस्पति और सूर्य लग्न में आ जाएं तो ऎसी स्थिति में स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
लाल किताब उपाय के लिए छठे घर घर को पाताल और दशम घर को जद्दी घर कहा जाता है. पांचवे घर का संबंध 8 और 10 से बताते हैं कि जब छठा और दसवां घर विषैला हो रहा हो तथा मंदा हो तो वह और अधिक मंदा होता जाता है.
घर तीसरा या चौथा या होवे नवां मंदा बुरा असर पांचवां देता है.
6 और 10 खवाह दोस्त उसका शत्रु जहरी आ होता है.
मतलब की तीसरे, चौथे और नौवें घर का बुरा प्रभाव पांचवें घर पर पड़ता है. जब छठे और दसवें घर में कोई ग्रह हो और चाहे वह पंचम के स्वामी सूर्य का मित्र ही क्यों न हो वह जहरीला शत्रु गिना जाता है.छठे और दसवें घर में जो ग्रह बैठे हों वह परस्पर शत्रु बन जाते हैं चाहे वह नैसर्गिक मित्र ही क्यों न हों पांचवें घर के शत्रु बन जाते हैं. दोनों का जहर पांचवें घर में जाकर संतान के लिए खराब होता है. पर यह सारा असर गुरू और सूर्य पर निर्भर करता है. टेवे में राहु मंदा हो तो विपरित प्रभाव देखा जाता है. जो इस बात से समझ सकते हैं कि केतु भला तो सब कुछ भला उमदा राहु मंदे सब उलटा होता हो.
सूर्य का पांचवे घर में प्रभाव । Sun in fifth house
लाल किताब कुण्डली के 5वें घर में सूर्य की स्थिति परिवार की उन्नति की कारक होती हैं. संतान के प्रति अधिक मोह नही रहता है. लाल किताब कुण्डली में अगर शुक्र 2 या 7वें घर में होगा और पंचम का सूर्य आर्थिक संपन्नता देने वाला होगा. धन की वृद्धि बनी रहेगी. कुण्डली में सूर्य 5वें घर में हो और बृहस्पति शुभ अवस्था में हो तो यह स्थिति बुद्धि और यश को बढा़ने वाली होगी. अगर चंद्रमा चौथे घर में हो और सूर्य 5 वें घर में तो धनवान होगा संतान का सुख भोगेगा.
मंदे सूर्य का फल
पांचवें घर में मंदे फल के रुप में एक से अधिक विवाह दे सकता है. पुत्र संतान पर कष्ट अधिक हो सकता है.
उपाय
चंद्रमा का पांचवें घर में प्रभाव । Moon in fifth house
पांचवें भाव में चंद्रमा की स्थिति को लाल किताब में “बच्चों के दूध की माता और रुहानी लहर कहा जाता है. इस भाव में चंद्रमा के होने से व्यक्ति के लिए नौकरी अधिक अच्छी होती है. व्यक्ति अच्छा काम करता है. माता का अपनी संतान के प्रति पूर्ण रुप से समर्पित होगी. व्यक्ति जल्द से किसी के आगे नहीं झुकेगा.
मंदे चंद्रमा का फल
अगर व्यक्ति किसी का खराब करेगा, बुरा करेगा तो ये काम जातक का बहुत खराब हाल करेगा. व्यक्ति किसी की बुराई करने पर अपने पर ही उलटा असर देखेगा.
उपाय
गुरु का पांचवें घर में प्रभाव । Jupiter in fifth house
लाल किताब कुण्डली के 5वें घर में बृहस्पति को अनुकूल माना गया है. व्यक्ति का व्यवहार और विचार इसी घर से देखें जाते हैं. पंचम में स्थिति बृहस्पति के प्रभाव से किसी प्रकार की पराविद्या मिल सकती है. व्यक्ति का भाग्य उसकी संतान से चमकता है.
मंदे गुरु का प्रभाव
गुरू पांचवे खाने में अगर मंदा हो तो व्यक्ति को अपनी संतान से संबंधित कष्ट परेशान कर सकते हैं. उसे मानसिक रुप से चिंताएं अधिक रहेंगी. एकाग्रता का अभाव भी अधिक रह सकता है.
उपाय
बुध का 5वें घर में प्रभाव
बुध का लाल किताब कुण्डली के 5वें घर में होना अच्छा कहा गया है. 5वें घर का बुध ज्ञान को प्रदान करने वाला है.
ऎसे जातक के मुख से बोली हुई बात सच भी हो जाती है. जातक अपने पिता के लिए अच्छा भाग्य न ला सके लेकिन अपनी संतान के लिए शुभदायक होगा.
मंदे बुध का फल
भाग्य से मिलने वाले फलों में कमी आएगी. व्यर्थ की भागदौड़ अधिक रहेगी जीवन में. छोटी से छोटी चीजों के लिए भी व्यक्ति को कुछ अधिक मेहनत करने की आवश्यकता होती है.
उपाय
मंगल का पांचवें घर में प्रभाव । Mars, in fifth house
मंगल अगर 5वें घर में बुरी स्थिति में होगा तो व्यक्ति को शुभ प्रभाव नही देगा. व्यक्ति की आयु के साथ साथ आर्थिक क्षेत्र में वृद्धि भी होगी अगर मंगल खराब है तो स्थिति खराब होती जाएगी और अगर मंगल शुभ है तो समय के साथ स्थिति शुभ होती जाएगी. संतान, माता-पिता को सुख देने वाली होगी.
मंदे मंगल का प्रभाव
मंगल के पांचवे घर में खराब होने के कारण बच्चों के स्वास्थ्य एवं बच्चे के जन्म से संबंधित परेशानी अधिक रहती है.
उपाय
शुक्र का 5वें घर में प्रभाव
शुक्र की 5वें घर में स्थिति के कारण व्यक्ति प्रेम विवाह करने के कारण संतान का सुख पूर्ण रुप से भोग नहीं पाता है. इस भाव का शुक्र व्यक्ति को संयुक्त परिवार की आधारशिला देता है. व्यक्ति अगर शुभ आचर्ण करेगा तो उसके लिए स्थिति अच्छी होगी. अगर व्यक्ति व्यभिचारी होगा गलत काम करने वाला होगा तो उसे पतन की स्थिति ही झेलनी होगी.
मंदे शुक्र का प्रभाव
सूर्य अगर लग्न में हो बृहस्पति 9वें भाव में हो तो शुक्र का प्रभाव मंदा आता है. जातक विलासी और भोगी होगा.
उपाय
शनि का 5वें घर में प्रभाव
लाल किताब कुण्डली के 10वें घर में कोई ग्रह होगा, व्यक्ति जब भी नया मकान बनाएगा तो संतान का कष्ट भी झेलना पड़ सकता है. अगर वर्षफल कुन्डली में सूर्य 1 में होगा तो उस दौरान जातक को धन से संबंधी परेशानी झेलनी पड़ेगी. जातक स्वाभिमानी, अहंकार से युक्त और विवेक से जीवन को चलाने वाला हो सकता है. अगर कुण्डली में खाना नम्बर 11 खाली हो तो जातक धार्मिक क्षेत्र में उत्तम स्तर को पाता है.
मंदे शनि का प्रभाव
शनि अगर 5वें घर में होगा तो अनुकूल नहीं माना जाएगा. यह स्थिति संतान के लिए खराब हो सकती है. 5वें घर में शनि को संतान को खाने वाले सांप भी कहा जाता है. यहां मुख्य रुप संतान के लिए ही स्थिति खराब बताई जाती है. बाकि चीजों पर इसका बुरा प्रभाव नहीं आता है.
उपाय
राहु का पांचवें घर में प्रभाव
लाल किताब कुण्डली में 5वें घर में राहु की स्थिति होने पर व्यक्ति अधिक शरारती हो सकता है. व्यक्ति तेज बुद्धि वाला होता है. स्वस्थ और पिता को मदद देने वाला होता है. राज्य की ओर से लाभ मिल सकता है.
मंदे राहु का प्रभाव
मंदा राहु स्वास्थ्य और रोग पर खर्च कराता है. संतान का कष्ट देता है.
उपाय
केतु का पांचवें घर में प्रभाव
केतु 5वे घर में होने पर अगर जातक का व्यवहार उत्तम होगा तो उसे संतान से भी अधिक पोतों की संख्या होगी. लेकिन यहां पर संतान की संख्या बृहस्पति के आधार पर ही होगी. गुरु का प्रभाव उस पर 24 वर्ष तक रहेगा. गुरु के प्रभाव पर ही केतु का फल निर्भर करेगा. 24 वर्ष के बाद ही केतु अपने फल देगा. आर्थिक स्थिति अनुकूल रहेगी.
मंदे केतु का प्रभाव
जातक बचपन में सुंदर होगा लेकिन जवानी में बदसूरत होने लगता है. दमा के रोग का प्रभाव व्यक्ति पर जल्द पड़ेगा. पुत्र संतान जन्म लेगी पर उसे कष्ट अधिक रह सकता है.
उपाय