लाल किताब में ग्रहों व राशियों का संबंध
लाल किताब कुण्डली में ग्रहों व राशियों के महत्व को बहुत स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है. यहां राशियों के स्वामी हैं जिसमें मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल हैं. वृष और तुका के स्वामी शुक्र हैं, मिथुन और कन्या के स्वामी बुध हैं, धनु और मीन राशि के स्वामी बृहस्पति हैं, कर्क के स्वामी चंद्रमा हैं, सिंह राशि के स्वामी सूर्य हैं. इसके अतिरिक्त केतु की राशि कन्या और राहु की राशि मीन को कहा गया है.
यहा इस बात का ध्यान अवश्य रखें की लाल किताब कुण्डली में जब भी राशि की बात की जाती है तो वह जन्म कुण्डली की राशि नहीं होती अपितु पक्के घरों की राशि होती है. जब भी कुन्डली बनाएं तो उसकी राशियों के नम्बर मिटा दें 1(मेष) नम्बर से लिखते हुए बारह राशियों को भर दें. उच्च ओर नीच या स्वक्षेत्री का विचार इन्हीं से होता है.
उच्च ग्रह शुभत्व में पूर्ण बली होता है.
नीच का ग्रह सब से नीच या मंदी हालत का होता है.
स्वगृही ग्रह मध्यम श्रेणी का शुभ ग्रह समझा जाएगा.
जो ग्रह जिस राशि में उच्च का है वह उससे सातवीं राशि में नीच का होगा. खाना न 1 जिसे में मेष राशि प्राप्त है इसमें सूर्य होगा तो इसके सातवें घर में 7(तुला)राशि में यह ग्रह नीच का हो जाएगा. इसी प्रकार शनि सातवें घर तुला में उच्च का होता है और पहले घर मेष में नीच का होता है. इसी प्रकार चंद्रमा दूसरे घर में वृष में उच्च का है तो वृश्चिक में नीच का हो जाएगा.
उच्च का ग्रह -
लाल किताब में उच्च के ग्रह की स्थिति में सूर्य मेष राशि में उच्च का होगा और शनि तुला में उच्च का होगा इसी प्रकार अन्य राशि में ग्रहों की उच्च और नीच स्थिति का वर्णन मिलता है. उच्च का ग्रह अच्छा और मजबूत स्थिति वाला माना जाता है.
नीच का ग्रह -
लाल किताब में शनि अगर मेष राशि में स्थित होगा तो नीच होगा और इसी प्रकार सूर्य अगर तुला में होगा तो नीच होगा. नीच का ग्रह शुभ फल नही दे पाता है.
पक्के घर का ग्रह -
लाल किताब कुण्डली में सभी ग्रहों को पक्के घर मिले हुए हैं जैसे कुण्डली का पहला घर सूर्य का पक्का घर है. इसी प्रकार सभी ग्रहों के पक्के घर दिए होते हैं पक्के घर में बैठा हुआ ग्रह व्यक्ति को उसके अनुरुप फल देने में सक्षम होता है.
ग्रहफल का ग्रह -
ग्रह अपनी राशि या अपने पक्के घर में बिना किसी ग्रह का साथी बने स्थित हो तो वह ग्रह ग्रहफल का ग्रह होता है.
राशिफल का ग्रह -
अपनी उच्च-नीच, मित्र-शत्रु राशि के लावा ग्रह अगर अपने कारक भाव को छोड़कर अन्य राशि में बैठा हुआ हो, किसी अन्य ग्रह के साथ मिलकर राशि संबंध बनाता है तो उसे राशिफल का ग्रह कहा जाता है.
राशियों से ग्रहों का संबंध तालिका | Table For Relations Between Planets and Signs
राशि नं | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 |
---|---|---|---|---|---|---|
नाम राशि | वृष | मेष | मिथुन | कर्क | सिंह | कन्या |
स्वामी ग्रह | मंगल | शुक्र | बुध | चंद्रमा | सूर्य | बुध /केतु |
उच्च ग्रह | सूर्य | चंद्रमा | राहु | बृहस्पति | - | बुध/राहु |
नीच ग्रह | शनि | - | केतु | मंगल | - | शुक्र/केतु |
पक्का घर | सूर्य | बृहस्पति | मंगल | चंद्रमा | बृहस्पति | केतु |
भाग्य कारक | मंगल | चंद्रमा | बुध | चंद्रमा | सूर्य | राहु |
ग्रहफल का ग्रह | मंगल | राहु/केतु | शनि | चंद्रमा | बृहस्पति/सूर्य | बुध/केतु |
राशिफल का ग्रह | राहु | - | शनि | मंगल/शुक्र/ केतु | - | नर ग्रह शनि |
राशि नं | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 |
---|---|---|---|---|---|---|
नाम राशि | तुला | वृश्चिक | धनु | मकर | कुम्भ | मीन |
स्वामी ग्रह | शुक्र | मंगल | बृहस्पति | शनि | शनि | बृहस्पति/राहु |
उच्च ग्रह | शनि | - | केतु | मंगल | - | शुक्र/केतु |
नीच ग्रह | सूर्य | चंद्रमा td> | राहु | बृहस्पति | - | बुध/राहु |
पक्का घर | शुक्र/बुध | मंगल/शनि | बृहस्पति | शनि | बृहस्पति | राहु |
भाग्य कारक | शुक्र | चंद्रमा | बृहस्पति | शनि | बृहस्पति | केतु |
ग्रहफल का ग्रह | शुक्र | मंगल | बृहस्पति | शनि | बृहस्पति/शनि | राहु |
राशिफल का ग्रह | सूर्य/बुध/राहु | - | शनि | केतु/बुध | - | बुध |
इस तालिका में केतु छठे घर का स्वामी होकर नीच का है, घर का स्वामी अन्य ग्रह है परंतु पक्का घर अन्य ग्रह का है. सात ग्रहों और बारह राशियों से चौरासी योनि का चक्कर मानते हैं. सातवें वर्ष के पश्चात आठवें वर्ष में हर ग्रह का वही प्रभाव होता है. इसी सिद्धांत से ग्रह तथा राशि का संयुक्त प्रभाव ग्रहण करते हैं कि गोचर में जब कोई ग्रह स्थित राशि पर आता है तो पहला फल प्रदान करता है.
दूसरे घर यानी के वृष राशि में कोई ग्रह नीच का नहीं होता. यह खाना राहु-केतु की संयुक्त स्थिति है. जिसके लिए राशिफल का ग्रह नहीं है. अर्थात दूसरे घर वृष राशि में स्थित ग्रह अपना फल प्रदान करने में स्वतंत्र है. वह शुभ - अशुभ अपने कारक तत्वों से प्रदान करेगा.
खाना नम्बर 5 में कोई ग्रह उच्च या नीच का नहीं होता. इस घर में स्थित ग्रह अपनी निजी कमाई या संतान के भाग्य का ग्रह होता है. इसी प्रकार खाना नम्बर 11 कुम्भ में उच्च- नीच दोनों भाग नहीं होते हैं. यह सांसारिक रूप से भाग्य का निर्धारक होता है.