लाल किताब का तीसरा भाव
लाल किताब कुण्डली में तीसरे घर को भाई बंधुओं का भाव कहा जाता है. इस घर का स्वामी बुध और कारक मंगल होता है. इस घर को मुख्यत: मृत्यु और भोग का घर माना जाता है. इस घर में राहु और बुध उच्च तथा शुक्र नीच का हो जाता है.
इस घर का रंग है खूनी असर होता भी खूनी है.
होता जभी ग्रह इस घर का जुलमी देता असर वह कुष्ठी है.
पापी अगर हो उमदा टेवे कुष्ठ सभी ग्रह करता है.
तीन काने पग बारह उमदा असर खाना आठ करता हो.
यह घर क्रूर कहा गया है, जब तीसरे में पाप ग्रह हों तो यह कुष्ठ कारक होता है. लेकिन अगर कोई पाप ग्रह कुण्डली में अधिक मजबूत स्थिति में हो तो कुष्ठ का नाश होता है. इसी में इस घर का कारक मंगल है. अगर यह भाव मंदा हो लेकिन 12वां भाव शुभ हो तो आठवें भाव पर प्रभाव डलता है.
ग्रह मंदे घर तीसरे बैठे बुरा मालिक नहीं करते हैं.
खून दृष्टि जुल्म से अपने जहर बाहर ही भरते हैं.
उम्र पहली हो ग्यारह शक्की ग्रह तीजे जब मंदा हो.
मौत रूकेगी आठ से उठती बैठा तीजे खाह कैसा हो.
ग्रह जब तक कोई तीसरे बैठा मौत टेवा न पाता हो.
अर्थात जब तीसरे घर में पाप ग्रहों छह और आठ घर भी मंदे हों तो यह मृत्यु तुल्य कष्ट जैसी स्थिति के कारण बनते हैं. इस अवस्था में 11 वर्ष तक का समय संदेह का माना जाता है.
भेद बृहस्पति से बेशक खुलता फैसला बुध से होता है.
माया दौलत जो 11 से आती भाग तिजे से जाती हो.
तासीर मंगल हो टेवे जैसी हालत वही कर पाती हो.
मंगल भाव कारक ग्रह है, टेवे में जैसा मंगल होगा वहीं ही तीसरे घर की अवस्था होगी. इस क्रूर भाव में स्थित पापी ग्रह जातक का बुरा नहीं करते हैं. पर अपनी क्रूर दृष्टि का असर अन्य संबंधियों पर डाल देते हैं. जातक को मृत्युतुल्य कष्ट कब हो सकता है इस बात का बोध हमें इस भाव से हो सकता है. संकट के समय तीसरे घर के ग्रहों से शत्रुता होने पर भी बुरा फल नहीं मिलता .
खाना नम्बर 12 का ग्रह तीसरे घर में बैठे ग्रह की सहायता करता है चाहे वह उसका शत्रु ही क्यों न हो. जिस प्रकार मंगल 12, केतु तीसरे हालांकि मंगल केतु शत्रु हैं इसी प्रकार बुध 12 हों शनि या गुरू तीसरे हों तो काफी समृद्धि का समय होता है.
तीसरे घर में सूर्य का फल
लाल किताब के तीसरे घर में सूर्य के होने पर व्यक्ति आर्थिक क्षेत्र में बहुत संपन्न होता है. उसके पास धन की कमी नही रहती है. जातक मेहनती होता है और अपने परिश्रम द्वारा धनार्जन भी करता है. अगर जातक का आचरण अच्छा नही होगा तो उसका सूर्य भी मंदा हो जाएगा. व्यक्ति आकर्शक और अपने परिवार के भाग्य का निर्माता भी होगा. संतान की आयु और उसकी सुखी जीवन को पाएगा.
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तीसरे घर में बृहस्पति
तीसरे घर में बृहस्पति का प्रभाव बुध अगर अच्छा हो कुण्डली में बृहस्पति जातक को साहसी और निडर बनाता है. न्याय करने वाला होता है. जातक के लिए दुर्गा पाठ करना उत्तम फल देने वाला होता है. लाल किताब कुण्डली के तीसरे घर में बृहस्पति हो और दूसरे घर उसका मित्र ग्रह बैठा हुआ हो तो जातक को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है. अगर बुध खराब हो कुण्डली में और शनि चौथे घर में बैठा हुआ हो तो जातक के करण परिवार को कष्ट होता है. मित्र से धोखा भी कर सकता है. खाना नम्बर तीन में स्थिति शुभ बृहस्पति भाई बहनों के लिए सुख दायक होता है. जातक की नेत्र दृष्टि अच्छी होती है.
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तीसरे घर में चंद्रमा का फल
चंद्रमा का तीसरे स्थान में फल व्यक्ति को अच्छी आयु देने वाला हो सकता है. आर्थिक रुप से संपन्न होगा. अपने क्षेत्र में जिससे भी वह जुड़ा हुआ हो उसमें अच्छी प्रगती पाता है. जातक कोशिश करता है की वह किसी से झगड़े नहीं. शांत अधिक रहता है. अगर वह कोई साधु होगा तो सिद्धियों को प्राप्त कर पाएगा. गृहस्थी में धन दौलत से भरपुर होगा. अगर जीवन साथी के प्रति अच्छा भाव बनाए रखेगा तो चंद्रमा उत्तम फल देने वाला होगा. तीसरे घर में चंद्रमा जातक को अच्छी साधना और ज्ञान प्रद्रान करने वाला होता है.
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मंगल का तीसरे घर में फल
तीसरे घर में मंगल यदि मित्र के साथ हो तो नेक होगा. और अगर शत्रु के साथ हो तो बुरा होगा. जातक के भाई बहन होंगे. जातक को अपने ज्ञान का पता नही होगा उसे अपनी क्षमताओं के बारे में सही से पता नही चल पाएगा. मंगल अगर अच्छा हुआ तो जीवन में सफलता देने वाला होता है. व्यक्ति के स्वभाव में तेजी होगी और वह किसी ऎसी चीज से जुड़ा हो सकता है जिसमें शक्ति का प्रदर्शन भी होता है. मंगल के खराब होने पर व्यक्ति को मोटापा परेशान करेगा. जातक झगड़ालू स्वभाव का होगा.
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शुक्र का तीसरे घर में फल
जातक का जीवन साथी उस के लिए बहुत मदद करने वाला होता है. अगर व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ अच्छा व्यवहार करता है तो उसकी कुण्डली में शुक्र शुभ फल देने में सहायक होता है. जातक की पत्नी निडर एवं साहसी होती है. वह अपने पति की हर प्रकार से मदद करने वाली होगी.जातक को आकर्षक व्यक्तित्व प्राप्त होता है. संबंधों में यदि पवित्रता बनाए रखी जाए तो जातक का वर्चस्व सदैव बना रहेगा. उसका किरदार भी उन्नत होगा. अर पुरुष जातक भ्रष्ट या बहुत से संबंध बनाता है तो उसे अपने लोगों से सम्मान कभी नहीं मिल पाएगा.
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बुध का तीसरे घर में फल
अगर खाना नम्बर 9 और 11 खाली होंगे तो बुध सोया हुआ होता है. ऎसे में जातक को कोई सुख नही मिल पाता है. आर्थिक क्षेत्र में मंदा होता है. बुध के खराब होने पर वाणी में दोष उभर सकता है. अपने परिवार और रिश्तेदारों के लिए खराब होगा. दांत के रोग बडते हैं. ससुराल पक्ष के लिए खराब होगा, बहन-बहु-माता के लिए खराब करेगा.
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शनि का तीसरे घर में फल
लाल किताब कुण्डली के तीसरे घर में शनि का होना व्यक्ति को एक बेहतर वैध बनाने वाला होता है. शनि से संबंधित चीजें अच्छा फल देने वाली होती हैं. अगर कुण्डली में तीसरे घर का कारण अगर 3-4-8 में बैठा हुआ हो तो यह स्थिति जातक के लिए अनुकूल होती है. पराये लोग भी मददगार होते हैं. अगर शनि मंदा होगा तो भाई-बंधुओं से परेशानी पा सकते हैं. जातक पर नशे का प्रभाव पड़ने पर वह अपने लिए खराबी कर सकता है.दक्षिण की ओर दरवाजा होने पर यह गलत प्रभाव देने वाला होगा.
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राहु का तीसरे घर में प्रभाव
राहु का तीसरे घर में होना अच्छा होता है. यह जातक को आर्थिक क्षेत्र में लाभ देने वाला होगा. इस स्थान में राहु उच्च का होता है. अगर मंगल शुभ स्थिति में राहु के साथ होना एक अच्छे योग को बनाता है. अगर सूर्य बुध साथ में होंगे तो जातक के लिए शुभ होंगे लेकिन जातक की बहन के लिए अच्छे न हो. अगर राहु इस घर में अकेला बैठा हो तो आयु और धन की रक्षा करने वाला बनता है.
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केतु का तीसरे घर में फल
केतु का स्थान तीसरे घर में होने पर अच्छा नही होता है. इस कारन जातक अपने भाइयों से झगड़ा बना रह सकता है. भाइ से दुखी होकर अलग रहता है. केतु के प्रभाव के कारण जातक स्वयं के धन का नाश करेगा और उसकी आयु पर भी प्रभाव पड़ सकता है स्वास्थ्य खराब रह सकता है. जातक दूसरों की मदद करने में आगे रहेगा. मकान का मुख्य द्वार दक्षिण की ओर नही होना चाहिए.
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