ज्योतिष में सभी नौ ग्रह का अपना विशिष्ट महत्व होता है. सभी ग्रह अपनी दशा/अन्तर्दशा में अपने फल प्रदान करने की क्षमता रखते हैं. इसी के अन्तर्गत मंगल ग्रह उग्र स्वभाव वाला ग्रह माना गया है. यह मेष तथा वृश्चिक राशि राशि का स्वामी होता है. मकर में यह उच्च होता है एवं कर्क में नीच.यह सूर्य, चन्द्र और गुरू के साथ मित्रता और शुक्र, शनि एवं राहु के साथ समभाव रखता है. मंगल बुध और केतु से वैर भाव रखता है. सूर्य बुध की युति होने पर मंगल शुभ फल देता है. शनि के साथ मंगल समभाव होता है परंतु सूर्य और शनि की युति होने पर मंगल अशुभ फल देता है.टेवे में राहु जब मंगल पर दृष्टि डालता है तब मंगल नेष्ट हो जाता है.
यदि ग्रह शुभ होकर पीड़ित है तब उन्हें कई प्रकार से बली बनाया जा सकता है और यदि ग्रह कुंडली में अशुभ भाव का स्वामी है तब भी उसका उपचार किया जा सकता है. मंगल का तरूणावस्था पर विशेष रूप से प्रभाव रखता है.शरीर में मज्जा, रक्त, यकृत, होंठ, पेट, छाती एवं बाजू पर मंगल का प्रभाव होता है.बल, पराक्रम, अहंकार, क्रोध, झूठ, द्वेष, गर्व एवं साहस मंगल के अधिकार क्षेत्र में हैं.यह तमोगुण वाला ग्रह है अत: इससे प्रभावित व्यक्ति में तमोगुण पाया जाता है.
मंगल का रिश्तेदार भाई होता है अत: शुभ मंगल होने पर भाईयों को इसका लाभ मिलता है जबकि मंदा होने से भाई को कष्ट एवं परेशानी का सामना करना होता है. ग्रह को शुभ अथवा बली बनाने के लिए कई प्रकार के उपाय किए जाते है. सबसे आसान एवं सरल आने वाला उपाय होता है मंत्र जाप. इसमें आपका थोड़ा सा समय लगता है और फल बहुत अच्छे और शुभ प्राप्त होते हैं.
मंगल की दशा में नीचे लिखे मंत्रों में से किसी एक मंत्र का जाप किया जा सकता है. आप किसी भी एक मंत्र का चुनाव अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं. रात्रि समय में ही मंगल के मंत्र का जाप करें तो बेहतर होता है. किसी भी मंत्र की एक माला का जाप करें. एक माला अर्थात 108 बार मंत्र जाप करना.
मंगल के लिए वैदिक मंत्र | Vedic Mantra
“ॐ अग्निमूर्धादिव: ककुत्पति: पृथिव्यअयम। अपा रेता सिजिन्नवति ।”
मंगल के लिए तांत्रोक्त मंत्र | Tantrokta Mantra
- “ॐ हां हंस: खं ख:”
- “ॐ हूं श्रीं मंगलाय नम:”
- “ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:”
मंगल का नाम मंत्र | Naam Mantra
- “ॐ अं अंगारकाय नम:”
- “ॐ भौं भौमाय नम:”
मंगल का पौराणिक मंत्र | Puranic Mantra
“ॐ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम । कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम ।।”
मंगल गायत्री मंत्र | Mars’s Gayatri Mantra
“ॐ क्षिति पुत्राय विदमहे लोहितांगाय धीमहि-तन्नो भौम: प्रचोदयात”
मंगल शक्तिशाली स्वभाव का ग्रह है. यह व्यक्ति की नाभी पर निवास करता है जिस व्यक्ति कि कुण्डली में मंगल शुभ होता है वह अपने पराक्रम का प्रयोग शुभ कर्यों में करता है जबकि मंगल अशुभ होने पर व्यक्ति अपनी शक्ति एवं पराक्रम का इस्तेमाल असामाजिक कार्यों में करता है.कमज़ोर मंगल वाले व्यक्ति में साहस एवं पराक्रम का अभाव होता है. इसलिए मंगल की शुभता हेतु यदि इन मंत्रों का जाप किया जाए तो अवश्य लाभ प्राप्त होता है.