सिंह राशि में वक्री शुक्र का गोचर

सिंह राशि में शुक्र का वक्री होकर गोचर करना सभि राशियों के लिए विशेष समय होता है. शुक्र सौंदर्य का स्त्री तत्व युक्त ग्रह है जब अग्नि तत्व युक्त राशि में यह वक्री होगा तो अवश्य ही इसके परिणाम सोच से विपरित हो सकते हैं. जब शुक्र वक्री होता है, तो यह रिश्तों में समस्याएं और विवाद दे सकता है, धन लाभ में वृद्धि हो सकती है और यह सब संबंधित राशियों पर निर्भर करता है. शुक्र ज्योतिष शास्त्र में सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है और शुक्र द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को आंकने में इसका स्थान महत्वपूर्ण है. तुला और वृषभ राशि में शुक्र बलवान होता है. शुक्र ग्रह सिंह राशि में वक्री हो रहा है, जिसका स्वामी ग्रह सूर्य है. यह शुक्र-सिंह की शत्रु राशि है. इसके कारण, शुक्र अपेक्षित पूर्ण लाभकारी परिणाम देने में अत्यधिक प्रभावी नहीं हो सकता है.

मेष राशि 

मेष राशि के लिए शुक्र दूसरे और सातवें घर का स्वामी है और पांचवें घर में गोचर करने वाला है. सिंह राशि में शुक्र के वक्री होने के कारण जीवनसाथी के साथ रिश्ते में कम क्षणों का सामना करना पड़ सकता है. प्रेम संबंधों में मुद्दों का सामना परेशानी देगा. प्रियजनों के आपसी तालमेल के रूप में अपनी प्रतिक्रिया में कुछ कठोर रह सकते हैं. इस दौरान धन की समस्या का सामना करना पड़ सकता है, खर्चे भी बढ़ सकते हैं. ऋण लेने की आवश्यकता पड़ सकती है. करियर में दबाव और अपने वरिष्ठों से सहयोग की कमी का सामना करना पड़ सकता है.  यदि व्यवसाय में हैं तो अधिक मुनाफ़ा प्राप्त करना कठिन रहेगा. व्यवसाय के संबंध मेंकड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है. व्यापारिक लेन-देन में हानि का सामना करने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. इसलिए इस ओर ध्यान से कार्य करने की जरूरत होगी.

वृष राशि 

वृषभ राशि के लिए, शुक्र पहले और छठे घर का स्वामी है और चौथे घर में गोचर करेगा. इस समय के दौरान कुछ आराम की कमी हो सकती है. संपत्ति खरीदने और लाभ प्राप्त करने के लिए उसमें निवेश करने के प्रति अधिक उत्सुक हो सकते हैं. अपने परिवार पर अधिक पैसा खर्च करने के कारण उन्हें अधिक खर्चों का सामना करना पड़ेगा. चीजों को पूरा करने के लिए ऋण ले सकते हैं. करियर में अपनी उम्मीदों से कहीं अधिक उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है. आपके ऊपर नौकरी का दबाव अधिक हो सकता है और इसके कारण आप उसे संभालने की स्थिति में नहीं होंगे. 

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए, शुक्र पांचवें और बारहवें घर का स्वामी है और अभी तीसरे घर में गोचर करने वाला है. इसके कारण,  बुद्धि का उपयोग संपत्ति में निवेश करने और उसे बढ़ाने में अधिक कर सकते हैं. काम को लेकर अधिक यात्राएं करनी पड़ सकती हैं. करियर के लिए लंबी दूरी की यात्रा का सामना करना पड़ सकता है. परिवार एवं भाई बहनों के साथ समय बिता पाएंगे.   करियर के संबंध में विदेश जाने के मौके भी मिल सकते हैं. कुछ मस्ती और रोमांचक मौके मिल सकते हैं. इस दौरान पदोन्नति के अच्छे मौके मिलेंगे और ये चीजें खुश कर सकती हैं. यदि आप व्यवसाय में हैं, तो यह समय मूवमेंट द्वारा मुनाफ़ा और सफलता देने का अच्छा समय हो सकता है. 

कर्क राशि 

कर्क राशि के जातकों के लिए, शुक्र चौथे और ग्यारहवें घर का स्वामी है और दूसरे घर में गोचर कर रहा है. इसके कारण, पारिवारिक समस्याओं और उसी को लेकर विवादों का सामना करना पड़ सकता है. परिवार के लिए अधिक पैसा खर्च करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है. बढ़ती प्रतिबद्धताओं के कारण तनाव हो सकता है. घर संबंधी परेशानियां हो सकती हैं. नौकरी के दबाव के साथ-साथ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. गुप्त रुप से किए जाने वाले प्रयास सफल न हो पाएं. खान पान में लापरवाही से अत्यधिक परेशानी हो सकती हैं. इसलिए, इस ओर ध्यान देने की अधिक जरुरत होगी. 

सिंह राशि 

सिंह राशि के लिए, शुक्र तीसरे और दसवें घर का स्वामी होकर पहले घर में होगा. इस समय आत्मनिर्भर अधिक दिखाई दे सकते हैं. अपनी प्रतिबद्धताओं में सफल होने के लिए दृढ़ संकल्पित हो सकते हैं. हो सकता है कि वे अपने करियर के संबंध में अवसरों की तलाश में हों. अभी मौके मिलेंगे. खर्चों में वृद्धि खुद के कारन अधिक हो सकती है. लोगों का सहयोग अधिक काम न आए लेकिन आपके प्रयासों द्वारा सफलता संभव होगी. लंबी दूरी की यात्रा या विदेश में नए अवसरों का सामना करना पड़ सकता है

कन्या राशि 

कन्या राशि के लिए, शुक्र दूसरे और नौवें घर का स्वामी होकर 12वें घर में होगा. इस कारण मिलेजुले असर प्रभावित करने वाले होंगे.  धन हानि और परिवार में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे तर्क-वितर्क हो सकते हैं जिनका आपको सामना करना होगा जो शांति को बिगाड़ सकते हैं. बड़ी परियोजनाओं और योजनाओं में निवेश जैसे बड़े फैसले लेने से बचने की जरूरत है. इस समय खान पान ओर वाहन इत्यादि के चलते सेहत पर असर पड़ सकता है. करियर में हैं तो आपको अपने कार्य क्षेत्र में अशांति का सामना करना पड़ सकता है. नौकरी का दबाव हो सकता है और ऐसी चीजें आपके लिए परेशानी का कारण बन सकती हैं. 

तुला राशि 

तुला राशि के लिए, शुक्र पहले और आठवें घर का स्वामी है और ग्यारहवें घर में गोचर करेगा. अचानक धन प्राप्त हो सकता है. किसी पुराने मित्रों से मुलाकात का समय होगा. किसी के प्रति आकर्षण अधिक रहने वाला है. और विरासत तथा अन्य अप्रत्याशित स्रोतों से अधिक धन एकत्रित हो सकता है. इस दौरान भाग्य का साथ मिलने से अधिक लाभ हो सकता है और इससे वे प्रसन्न  करियर में कुछ उतार-चढ़ाव रह सकते हैं. आसानी से सफलता पाने का योग भी हो सकता है. आपके लिए नई नौकरी के बहुत सारे अवसर उपलब्ध होंगे और ऐसे अवसर आपको संतुष्टि प्रदान कर सकते हैं. 

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के लिए, शुक्र सातवें और बारहवें घर का स्वामी है और अभी दसवें घर में स्थित है. इसके कारण क्रोध में अधिकता होगी ओर जोश में काम करने वाले होंगे.  इच्छाओं को पूरा नहीं कर पाएंगे और संघर्ष मन को परेशान कर सकता है. धीमी गति से काम करना ही उम्मीद अनुसार फलों को देगा. करियर में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और इस तरह उन्हें काम में कम संतुष्टि का सामना करना पड़ सकता है. इस दौरान उनके लिए व्यक्तिगत संबंधों में तालमेल बिठाना भी आवश्यक हो सकता है क्योंकि उनके जीवन साथी के साथ उनकी बहस हो सकती है.

धनु राशि 

धनु राशि के लिए, शुक्र छठे और ग्यारहवें घर का स्वामी होकर नवम भाव में गोचर करने वाला है. भाग्य को लेकर कई सारी संभावनाएं रहेंगी. प्रयासों में सफल होने के लिए बेहतर स्थिति में होंगे. अपनी इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम होंगे. इन जातकों का सौभाग्य सक्रिय रहेगा और इसके कारण कुछ अच्छे मौके [अएंगे. इस समय तेजी से काम करने से बेहतर होगा की कुछ संभल कर आगे बढ़ा जाए. करियर में स्थिति सामनय रहेगी. परिवार के साथ कुछ यात्राएं कर सकते हैं. आध्यात्मिक कार्यों में शामिल होने का मौका मिलेगा. 

मकर राशि 

मकर राशि के लिए, शुक्र पांचवें और दसवें घर का स्वामी होकर आठवें घर में होगा. इस समय अधिक ध्यान केंद्रित करने और अधिक सावधानी से काम करने की आवश्यकता है. मानसिक रुप से तनाव होने के कारण भ्रम की स्थिति बनी रह सकती है. इस समय योग एवं मेडिटेशन करना अधिक कारगर रहेगा. कुछ अवसर मिलने में विलंब का सामना करना पड़ सकता है.  विदेश में काम कर रहे हैं तो वरिष्ठों से सहयोग मिल सकता है. कुछ काम में अचानक से बेहतर परिणाम संतोषजनक रह सकते हैं. इस समय गुप्त संबंधों को लेकर सजग रहें अन्यथा परेशानी हो सकती है. स्वास्थ्य को लेकर भी सावधान रहने की जरूरत है. 

कुंभ राशि

कुंभ राशि के लिए, शुक्र चौथे और नौवें घर का स्वामी होकर सातवें घर में गोचर करेगा. सातवें घर में स्थित होने के कारण दांपत्य जीवन पर इसका गहरा असर पड़ने वाला है. इसके कारण कुछ अनबन भी रह सकती है. संपत्ति को बढ़ाने के साथ साथ लाभ कमाने पर अधिक ध्यान केंद्रित रहने वाला है. मित्रों का दायरा बढ़ाने, नए संपर्क और सहयोगी हासिल करने की स्थिति में अधिक प्रयास करने वाले होंगे. सामाजिक दायरा विस्तार प्राप्त कर सकता है. 

मीन राशि

मीन राशि के लिए शुक्र तीसरे और आठवें घर का स्वामी होकर छठे घर में स्थित होगा. इस समय कानूनी फैसलों को लेकर देरी का सामना करना पड़ सकता है. आय प्राप्त करने के लिए संघर्ष रहेगा. अप्रत्याशित स्रोतों के माध्यम से अधिक लाभ प्राप्त करने की उम्मीद भी होगी. परिवार और भाई-बहनों के साथ रिश्ते ठीक नहीं रह पाएं. इस समय विवाद से बच कर आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी.  व्यवसाय के संबंध में मुनाफा कमाने के लिए अनुकूल समय हो सकता है. सेहत को लेकर ध्यान रखने की जरूरत होगी. 

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राजनीतिक सफलता के लिए भाव और ग्रह स्थिति

राजनीति में सफलता को पाने के लिए कुंडली में मौजूद दशाओं और ग्रहों की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है. राजनीति में धाक जमाने के लिए कुछ ग्रहों का साथ बहुत जरुरी होता है. उनके बिना इस क्षेत्र में आगे बढ़ना संभव नहीं हो सकता है. राजनीतिक सत्ता की चाहत हमेशा लोगों में सबसे ऊपर रह सकती है. लोग किसी भी काम में हों लेकिन वह सत्ता में अपनी उपस्थिति की चाहत से दूर नहीं होना चाहेंगे. विभिन्न क्षेत्रों के अधिकांश सफल व्यक्ति हमेशा राजनीतिक सत्ता के आकांक्षी देखे जा सकते हैं. राजनीति पूरी तरह शक्ति और अधिकार के बारे में है. इस दोनों चीजों को पाने के शुभ और पाप ग्रह दोनों की उपस्थिति बेहद महत्वपूर्ण होती है. इसलिए, राजनीतिक ऊंचाइयों को पाने के लिए सबसे मजबूत ग्रह योग और राजयोग का जन्म कुंडली में मौजूद होना जरूरी है.   

यह स्पष्ट होना चाहिए कि लग्न या लग्न के अतिरिक्त नवम भाव भी अत्यंत बली होना चाहिए. नवम भाव भाग्य का घर है और आपको राजनीति में ऊंचाई हासिल करने के लिए पर्याप्त भाग्यशाली होना चाहिए. एक, दसवां घर मजबूत लेकिन नौवां घर कमजोर होने पर, व्यक्ति किसी भी काम में ऊंचाई हासिल नहीं कर सकता. यदि किसी का नवम घर मजबूत है लेकिन 10वां घर कमजोर है तो भी वह राजनीतिक ऊंचाइयों को छू सकता है. यदि आपका दसवां घर मजबूत है और नवां घर मजबूत नहीं है, तो मेहनत और योग्यताओं के माध्यम से उस स्थिति तक पहुंच सकते हैं. ऎसे में भाग्य अधिक सहायक नहीं बन पाता है. इस कारण आसानी से चीजें हासिल भी नहीं हो पाती हैं.

राजनीतिक सफलता के लिए विशेष ग्रह और भाव 

राजनीति के क्षेत्र में आप कितने सफल होंगे इसका निर्धारण करने के लिए इससे जुड़े भाव स्थान और ग्रहों की स्थिति को जान लेना जरूरी होता है. कुछ विशेष ग्रह होते हैं. इन का मजबूत होना ही व्यक्ति को उसके कार्यक्षेत्र में अच्छी सफलता को देने वाला होता है. 

प्रथम भाव 

राजनीति में सफलता के लिए पहला मापदण्ड लग्न के द्वारा ही पूरा होता है. यह वो स्थान है जो व्यक्ति के संपूर्ण स्थिति की आधारशिला के रुप में स्थान पाता है. अगर कुण्डली में प्रथम भाव अच्छी स्थिति का होगा तो स्वाभाविक है कि उसके द्वारा व्यक्ति को बेहतर परिणाम मिल पाएंगे. लग्न बलवान होना चाहिए. इस पर शुभ, योगकारक ग्रहों का प्रभाव होना भी इसकी मजबूती के लिए आवश्यक शर्त के रुप में दिखाई देता है. इसके साथ ही अगर कुंडली में लग्न के साथ नवम भाव, दशम भाव या पंचम भाव का शुभ प्रभाव हो तो इसके कारण योगकारक स्थिति उसे बली बनाती है. 

अगर लग्नेश भी लग्न में मजबूत होकर बैठ जाए तो यह अच्छी स्थिति की पुष्टि करता है. एक मजबूत लग्न एक मजबूत व्यक्तित्व को देने में सहायक बनता है. यह जीवन में एक अच्छी स्थिति तक पहुंचने में मदद करने वाला भाव होता है. आपकी छवि लोगों को कितना आकर्षित करती है वो इसी के द्वारा संभव हो पाती है. अगर आप निडर और प्रभावशाली दिखते हैं तो वह आपके लग्न की शुभता के द्वारा संभव होता है.

नवम भाव 

राजनीति में सफलता के लिए दूसरा पक्ष नवम के द्वारा ही पूरा होता है. यह वो स्थान है जो व्यक्ति भाग्य द्वारा संपूर्ण स्थिति की आधारशिला को देख पाता है. अगर कुण्डली में नवम भाव अच्छी स्थिति का होगा तो स्वाभाविक है कि उसके द्वारा व्यक्ति को बेहतर परिणाम मिल पाएंगे. नवम बलवान होना चाहिए. इस पर शुभ, योगकारक ग्रहों का प्रभाव होना भी इसकी मजबूती के लिए आवश्यक शर्त के रुप में दिखाई देता है. इसके साथ ही अगर कुंडली में लग्न के साथ नवम भाव, दशम भाव या पंचम भाव का शुभ प्रभाव हो तो इसके कारण योगकारक स्थिति उसे बली बनाती है. 

अगर नवमेश अपन नवम स्थान में मजबूत होकर बैठ जाए तो यह अच्छी स्थिति की पुष्टि करता है. एक मजबूत नवम भाव एक मजबूत भाग्य को देने में सहायक बनता है. यह जीवन में एक अच्छी स्थिति तक पहुंचने में मदद करने वाला भाव होता है.व्यक्ति को भाग्य से लोगों के स्थान मिलता है, वह अधिकार्यों एवं उच्च संपन्न लोगों का साथ ही भाव के द्वारा  कर पाता है.  

नवम भाव अत्यंत बली होना चाहिए. इस पर अपने स्वयं के स्वामी या दसवें अथवा चतुर्थ के  स्वामी और लग्नेश के साथ होना चाहिए. मजबूत नवम भाव और नवमेश आपको बहुत भाग्यशाली बनाएंगे और यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि केवल भाग्यशाली व्यक्ति ही राजनीतिक नेता या विधायक या मंत्री बन सकता है.

दसवां घर

राजनीति में सफलता के लिए तीसरा मापदण्ड दशम भाव के द्वारा ही पूरा होता है. यह वो स्थान है जो व्यक्ति के काम को दिखाता है. अगर कुण्डली में दशम भाव अच्छी स्थिति का होगा तो स्वाभाविक है कि उसके द्वारा व्यक्ति को बेहतर परिणाम मिल पाएंगे. दशम बलवान होना चाहिए. इस पर शुभ, योगकारक ग्रहों का प्रभाव होना भी इसकी मजबूती के लिए आवश्यक शर्त के रुप में दिखाई देता है. इसके साथ ही अगर कुंडली में दशम के साथ नवम भाव, लग्न भाव का शुभ प्रभाव हो तो इसके कारण योगकारक स्थिति उसे बली बनाती है. अगर दशमेश भी मजबूत होकर बैठ जाए तो यह अच्छी स्थिति की पुष्टि करता है. एक मजबूत दशम भाव व्यक्ति को अच्छा कार्य प्रदान करने वाला होता है. यह जीवन में एक अच्छी स्थिति तक पहुंचने में मदद करने वाला भाव होता है. आपकी छवि लोगों को कितना आकर्षित करती है वो इसी के द्वारा संभव हो पाती है. अगर आप निडर और प्रभावशाली दिखते हैं तो वह आपके लग्न की शुभता के द्वारा संभव होता है.

दसवां घर बहुत मजबूत होना चाहिए. दसवां घर कर्म या पेशे का घर है. यह अधिकार, पद और प्रतिष्ठा का भी सदन है. तो मजबूत दसवां भाव व्यक्ति को अधिकार, शक्ति और पद देने में सहयोगी होता है. 

ग्रह का प्रभाव राजनीति से जुड़ने के लिए 

यदि कुंडली में ग्रहों की बात करें तो इसमें शनि और राहु की स्थिति बहुत मुख्य बन जाती है. इन दोनों के द्वारा व्यक्ति इस स्थान पर अपना प्रभुत्व जमाता है. इसके साथ ही सूर्य, बुध गुरु का मंगल का प्रभाव व्यक्ति को अन्य प्रकार के गुण देता है जो सत्ता पर अपना स्थान बनाने के लिए जरूरी होते हैं. 

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ज्योतिष अनुसार मृत ग्रह का प्रभाव और परिणाम

वैदिक ज्योतिष का आधार नौ ग्रह, 12 राशियां एवं 12 भाव होते हैं. इसके बिना हम ज्योतिष शास्त्र में गणना एवं भविष्यवाणी नहीं कर सकते. इसी में ग्रहों के अंश बल की स्थिति के अनुसार कुंडली में ग्रह की अवस्था को देखा जाता है. ग्रहों का आकलन करके व्यक्ति के भविष्य के समय और अनुकूल तथा प्रतिकूल घटनाओं सहित घटनाओं की गणना करते हैं. वैदिक ज्योतिष में कुल नौ ग्रह माने गये हैं और इनका अम्श बल यदि मृत अवस्था में हो तो स्थिति गंभीर होती है. यहां ग्रह अपना परिणाम देने में कमजोर हो जाता है. सभी ग्रहों कि मृत अवस्थaा का प्रारुप अलग रुप से दिखाई दे सकता है. ग्रह की मृत अवस्था को जानकर इसके सही परिणाम को समझा जा सकता है. कई बार कुंडली में ग्रह अच्छा होता है लेकिन मृत अवस्था में होने के कारण आपना परिणाम नही दे पाता है. अंश बल में मृत ग्रह की स्थिति ग्रहों के संदर्भ में भविष्य क्या हो सकता यह निर्धारित करने में एक विशेष भूमिका निभाते हैं.

वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा ग्रह

वैदिक ज्योतिष में दूसरा ग्रह चंद्रमा है. इसे मातृ कारक माना जाता है. इसके साथ ही इसका असर हमारे दिमाग पर भी पड़ता है. आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि चंद्रमा का हमारे समुद्रों, जलाशयों, नदियों और उच्च या निम्न ज्वार जैसे प्रमुख जल निकायों पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है. चंद्रमा को रानी के रूप में भी जाना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में चंद्रमा मृत अवस्था में होगा तो यह अनुकूल परिणाम नहीं देगा. इसके द्वारा मिलने वाले फल भी व्यक्ति को नहीं मिल पाएंगे.

वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह

वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को बौद्धिकता का प्रतीक माना जाता है. बुध एक ऐसा ग्रह है जो व्यक्ति की तार्किक क्षमता को दर्शाता है. ऐसा कहा जाता है कि जिस व्यक्ति का बुध मजबूत होता है उसके अंदर किसी भी तरह की गणना करने की क्षमता अन्य लोगों से काफी अलग होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि बुध का संबंध गणित से है और यह खगोलीय ज्ञान भी प्रदान करता है. यह ग्रह अपनी स्थिति के अनुसार सूर्य के बहुत करीब होता है. इसके साथ ही यह व्यक्ति की वाणी पर भी प्रभाव डालता है और हमारी संचार क्षमता से संबंधित होता है. ज्योतिष शास्त्र में अगर बुध मृत अवस्था में होगा तो इसके द्वारा मिलने अवले फल कमजोर हो जाएंगे. मृत अवस्था में ग्रह अपने प्रभावों को देने में सक्षम नहीं होगा. इसका असर कुंडली पर गहरे रुप से पड़ने वाला होगा. मृत अवस्था के चलते इस ग्रह की स्थिति निराशाजनक असर दे सकती है.

वैदिक ज्योतिष में शुक्र

वैदिक ज्योतिष में शुक्र एक ऐसा ग्रह है जिसके बारे में हर कोई चाहता है कि वह उसकी कुंडली में प्रबल हो. ज्योतिष शास्त्र में शुक्र प्रेम, रोमांस, सौंदर्य आदि का कारक है. किसी भी व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार के रिश्ते होते हैं. यह पुरुषों की कुंडली में पत्नी, प्रेमिका या किसी लड़की का प्रतिनिधित्व करता है. यह विवाह क्षेत्र को भी नियंत्रित करने वाला माना जाता है. इसके साथ ही यह व्यक्ति के जीवन में खुशियों का भी ख्याल रखता है और समृद्धि को दर्शाता है.  ज्योतिष शास्त्र में अगर शुक्र मृत अवस्था में होगा तो इसके द्वारा मिलने अवले फल कमजोर हो जाएंगे. मृत अवस्था में ग्रह अपने प्रभावों को देने में सक्षम नहीं होगा. इसका असर कुंडली पर गहरे रुप से पड़ने वाला होगा. मृत अवस्था के चलते इस ग्रह की स्थिति निराशाजनक असर दे सकती है.

वैदिक ज्योतिष में मंगल

वैदिक ज्योतिष में मंगल को साहस का कारक माना गया है. इसके साथ ही यह व्यक्ति के पराक्रम के साथ साथ क्रोध को भी बढ़ाने का काम करता है. मंगल ग्रह जीवन में सभी खतरों से लड़ने की क्षमता और आक्रामकता को दर्शाता है. यह हमें हर प्रकार की परिस्थिति से निपटने की हिम्मत देता है. इसी कारण शुभ स्थिति में मंगल ग्रह का होना व्यक्ति को लड़ने के लिए तैयार रखता है. यदि कुंडली में मंगल सकारात्मक रूप से प्रभावी है तो सेना, पुलिस, सुरक्षा और अग्निशमन दल जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को बहुत मान्यता मिलती है.  ज्योतिष शास्त्र में अगर मंगल मृत अवस्था में होगा तो इसके द्वारा मिलने अवले फल कमजोर हो जाएंगे. मृत अवस्था में ग्रह अपने प्रभावों को देने में सक्षम नहीं होगा. इसका असर कुंडली पर गहरे रुप से पड़ने वाला होगा. मृत अवस्था के चलते इस ग्रह की स्थिति निराशाजनक असर दे सकती है.

वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह

गुरु ज्ञान और विस्तार का कारक ग्रह है, इसे सभी ग्रहों में से यह सबसे शुभ ग्रह है. यह ज्ञान देने वाला ग्रह होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति ग्रह की कृपा से लोगों की कुंडली में कई प्रतिकूल समय का प्रभाव कम हो जाता है. गुरु या कहें बृहस्पति ग्रह मीन और धनु राशि का स्वामी है, यह कर्क राशि में उच्च का और मकर राशि में नीच का होता है. स्त्री की कुंडली में बृहस्पति पति का प्रतिनिधित्व करता है. इसके साथ ही यह व्यक्ति के अंदर आध्यात्मिकता के कारक का भी प्रतिनिधित्व करता है.  ज्योतिष शास्त्र में अगर बृहस्पति मृत अवस्था में होगा तो इसके द्वारा मिलने अवले फल कमजोर हो जाएंगे. मृत अवस्था में ग्रह अपने प्रभावों को देने में सक्षम नहीं होगा. इसका असर कुंडली पर गहरे रुप से पड़ने वाला होगा. मृत अवस्था के चलते इस ग्रह की स्थिति निराशाजनक असर दे सकती है.

वैदिक ज्योतिष में शनि

वैदिक ज्योतिष में शनि को न्याय का प्रतिनिधि ग्रह माना जाता है. इसे कर्मफलदाता भी कहा जाता है. शनि व्यक्ति के कर्मों के अनुसार फल देता है. शनि वह ग्रह है जो ज्योतिष में न्याय के लिए जाना जाता है. शनि वर्तमान समय में किए गए कर्मों के अनुसार व्यक्ति का न्याय करते हैं और उसी के अनुसार फल देते हैं. शनि अन्य ग्रहों की तुलना में धीमी गति से चलने वाला ग्रह है और इस कारण व्यक्ति को फल देने में समय लगता है. ज्योतिष शास्त्र में अगर शनि मृत अवस्था में होगा तो इसके द्वारा मिलने अवले फल कमजोर हो जाएंगे. मृत अवस्था में ग्रह अपने प्रभावों को देने में सक्षम नहीं होगा. इसका असर कुंडली पर गहरे रुप से पड़ने वाला होगा. मृत अवस्था के चलते इस ग्रह की स्थिति निराशाजनक असर दे सकती है.

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तुला राशि में बुध और केतु की युति का गोचर फल

बुध और केतु का तुला राशि में युति गोचर फल अपने आकस्मिक परिणामों को लेकर अधिक उल्लेखनीय माना गया है. जब कोई ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में जाता है तो परिवर्तनों और आश्चर्यों से भरा होता है. जब ग्रह युति में गोचर करता है तो पूरी दुनिया में घटनाएँ घटित होती हैं. केतु के साथ बुध का तुला राशि में एक साथ होना खास होगा. तुला राशि का स्वामित्व शुक्र के पास है, इसलिए हम कह सकते हैं कि बुध और केतु शुक्र के स्वामित्व वाली राशि में रहेंगे. केतु की बुध, शुक्र और शनि से मित्रता मिलती है जिसके चलते यह स्थिति कई मायनों में अपने परिणामों के लिए विशेष होगी.  

तुला राशि में बुध और केतु की युति का प्रभाव देखना है तो हमें सबसे पहले यह देखना होगा कि ये दोनों ग्रह क्या दर्शाते हैं. बुध संचारी ग्रह है और केतु भ्रम फैलाने वाला ग्रह है. शक्तिशाली देश विकासशील देशों को भ्रम तो दे सकते हैं लेकिन वास्तव में संकट में उनकी मदद नहीं करेंगे. साथ ही संचार और संवाद भी बहुत स्पष्ट या ईमानदार नहीं होगा. विश्व नेताओं को उनके बातचीत के तरीके से ग़लत समझा जा सकता है.

तुला राशि में बुध केतु युति का सभी राशियों पर प्रभाव 

मेष राशि के लिए प्रभाव

मेष राशि को अपने परिवार या दोस्तों से बात करते समय सावधान रहना चाहिए. इस युति अवधि के दौरान वे अपना आपा खो सकते हैं और मुसीबत में पड़ सकते हैं. उन्हें अपने स्वास्थ्य विशेषकर त्वचा और गले का ध्यान रखना चाहिए और वाहन चलाते समय भी सावधान रहना चाहिए. उन्हें कुछ नए अवसर मिल सकते हैं लेकिन निवेश करने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार कर लेना चाहिए.  

वृषभ राशि के लिए प्रभाव 

वृषभ राशि में चंद्रमा वाले जातकों के लिए यह युति अवधि स्वास्थ्य के लिए कठिन हो सकती है. इन्हें खांसी-जुकाम जैसी समस्या हो सकती है. इन्हें अपने पेट को लेकर भी सावधान रहना चाहिए. आर्थिक पक्ष पर भी आप जरूरत से ज्यादा खर्च कर सकते हैं. पार्टनरशिप से जुड़े लोगों को घाटा हो सकता है. हालाँकि, सब कुछ नकारात्मक पक्ष पर नहीं है. अगर छात्र इंटर्नशिप की तलाश में हैं तो यह उनके लिए अच्छा समय है. और जोड़े भी एक साथ अपना समय एन्जॉय करेंगे.

मिथुन राशि के लिए प्रभाव

मिथुन राशि के लिए समय कुल मिलाकर औसत है. परिवार में कोई बीमारी हो सकती है जिसके कारण अतिरिक्त ख़र्चे के साथ-साथ मन पर तनाव भी रहेगा. उनकी आंखों में भी कुछ परेशानी हो सकती है. उन्हें काम में कुछ नुकसान और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. शांत रहना और ध्यान करना महत्वपूर्ण है. जातक को अपने कर्मचारियों से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है इसलिए सावधान रह कर काम करने की जरूरत होगी.

कर्क राशि के लिए प्रभाव

छात्रों के लिए अच्छा समय है क्योंकि इससे उन्हें अपनी पढ़ाई पर बहुत ध्यान मिलता है और वे अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम होते हैं. साथ ही परिवार या दोस्तों के साथ कोई यात्रा भी हो सकती है जिससे जातक को अच्छा आनंद मिलेगा. पैर की चोट से सावधान रहना होगा. बिजनेस से जुड़े लोगों को नए निवेश का ध्यान रखना चाहिए और यह भी कि क्या बात करनी है, समस्या खड़ी हो सकती है.

सिंह राशि के लिए प्रभाव

सिंह राशि के लिए नौकरी बदलने या वर्तमान नौकरी में वेतन में बढ़ोतरी पाने के लिए एक अच्छा समय होगा. किसी रिश्ते की शुरुआत करने या शादी के लिए अच्छा रिश्ता ढूंढने के लिए भी यह एक अच्छी अवधि है. स्वास्थ्य के प्रति बहुत सावधान रहना होगा. छोटी सी समस्या को भी हल्के में नहीं लेना चाहिए. महिलाओं और बच्चों को अपने खान-पान का भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इससे पेट संबंधी समस्या हो सकती है. 

कन्या राशि के लिए प्रभाव

कन्या राशि वालों को आर्थिक तंगी हो सकती है क्योंकि लोग आपका बकाया पैसा नहीं दे पाएं. नई नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को सफलता मिलेगी. स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहना होगा. उन्हें हाथ में चोट लग सकती है या त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. करियर और फाइनेंस से जुड़े फैसलों में उलझन हो सकती है. काम या अध्ययन के लिए विदेश जाने की योजना बना रहे हैं, तो मौके मिल सकते हैं.

तुला राशि के लिए प्रभाव

तुला राशि के लिए अनुकूल समय देखने को मिलेगा. प्रोपर्टी से संबंधित लाभ होंगे. घर बेचना चाहते हैं या कुछ विरासत में लेना चाहते हैं तो कानूनी दस्तावेजों की अच्छी तरह जांच कर लेनी चाहिए. डिजाइनिंग और मार्केटिंग से जुड़े कार्यों से जुड़े लोगों को काम में सफलता मिलेगी. स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि पैर में चोट लग सकती है. रिश्तों के लिहाज से यह एक अच्छा समय है कुछ को नया प्यार मिल सकता है.

वृश्चिक राशि के लिए प्रभाव

वृश्चिक राशि वालों को कामकाज के मोर्चे पर रुकावटें आ सकती हैं और साझेदारी में शामिल लोगों से बहस हो सकती है. स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि उन्हें सर्दी और खांसी संबंधी समस्या हो सकती है. भोजन पर नियंत्रण रखना चाहिए और केवल स्वस्थ भोजन ही खाना चाहिए. यदि उन्हें कोई जरूरी काम है तो कुछ समय के लिए टाल देना बेहतर हैगा. इस अवधि में माता के साथ संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं. नए उद्यम करने या किसी से कर्ज लेने से बचना चाहिए.  

धनु राशि के लिए प्रभाव

धनु राशि के विद्यार्थियों के लिए यह अच्छा समय है क्योंकि उन्हें अच्छे परिणाम मिलेंगे. नौकरीपेशा लोगों को भी प्रमोशन या वेतन वृद्धि मिल सकती है. स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और सावधान रहना चाहिए. इस समय चलने-फिरने में कठिनाई और पीठ दर्द की समस्या हो सकती है. शांत रहना चाहिए और अपने परिवार के बड़ों से क्रोध से बात नहीं करनी चाहिए. मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है.  

मकर राशि के लिए प्रभाव

बुध केतु युति गोचर के दौरान समय मिलाजुला रहेगा. कुछ काम मिल सकता है लेकिन लंबी अवधि का न मिल पाए. महिलाओं को संतान संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है इसलिए जो महिलाएं गर्भवती हैं उन्हें विशेष सावधान रहने की जरूरत है. छात्र वीजा के लिए आवेदन करना चाहते हैं तो यह अच्छा समय है. सरकारी नौकरियों के लिए भी यह एक अच्छा समय है.

कुंभ राशि के लिए प्रभाव

कुंभ राशि वालों को परिवार की जिम्मेदारी अधिक उठानी पड़ सकती है. प्रियजनों की देखभाल करनी पड़ सकती है. कामकाज के मोर्चे पर भी तनाव हो सकता है इसलिए स्वयं को शांत रखते हुए काम करें. कुछ कार्यों में सफलता मिलने में विलंब हो सकता है. तकनीकी क्षेत्र के लोगों के लिए यह अच्छा है क्योंकि उन्हें नौकरी के नए अवसर मिल सकते हैं. माता-पिता औरांन्य लोगों से बात करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए अन्यथा बेवजह के विवाद उभर सकते हैं.

मीन राशि के लिए प्रभाव

मीन राशि के लिए युति का प्रभाव सामान्य होगा. परिवार और दोस्तों के साथ यात्रा पर जाने का अवसर मिल सकता है. कार्यों को पूरा करने में भी सक्षम रह सकते हैं. स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और स्वस्थ भोजन खाना चाहिए. शेयर बाजार में निवेश के लिए यह बहुत अच्छा समय है.

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कुंडली में मौजूद गण बता देगा आपके सारे भेद

कुंडली में गण की स्थिति को कुछ विशेष पहलुओं से देखा जाता है. जिसमें विवाह को लेकर यह प्रमुखता से होती है, लेकिन इसके अलावा भी गण का असर व्यक्ति की कुंडली में कई तरह के असर दिखाने में आगे रहता है. किसी व्यक्ति के भविष्य और चरित्र का पता लगाने के लिए कई ज्योतिषीय मापदंड हैं. व्यक्ति का गण उसके मूल स्वभाव और प्रेरणाओं को प्रकट करता है जो व्यक्ति के जीवन को निर्देशित करते हैं. कुंडली में गण की स्थिति जीवन के उन अनसुलझे राज खोलने में सक्षम होती है जिसको जान पाना हर किसी के लिए संभव नही होता है. इसका उद्देश्य किसी के व्यवहार के सामान्य लक्षणों की पहचान करना है जो किसी व्यक्ति के स्वभाव से निर्धारित होता है. गणों को मोटे तौर पर तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है जो देव गण, मनुष्य गण और राक्षस गण हैं.

इन तीन प्रकार के गणों को मूल रूप से तीन गुणों, सात्विक, राजसिक और तामसिक के आधार पर सृष्टि के सिद्धांतों के अनुसार विभाजित किया गया है. इन गण की स्थिति व्यक्ति के आपसी रिश्तों पर बहुत विशेष प्रभाव डालने वाली होती है. इन अमूर्त घटकों पर विश्वास करना कठिन हो सकता है लेकिन गण का आधार काफी तर्क संगत है और इसका सटिक असर देखने को मिलता है. आधुनिक विज्ञान हर चीज़ को परिभाषित नहीं कर सकता. ज्योतिष के माध्यम से इन गणों के बारे में बेहतर जानकारी प्राप्त करने में हम सक्षम हो सकते हैं. 

मनुष्य गण और उसका जीवन पर प्रभाव 

मनुष्य गण को कोमल और अनुकूल गण में स्थान प्रप्त होता है. यह गण अच्छे एवं खराब दोनों की परिणामों के लिए उत्तरदायी होता है. इस गण के अंतर्गत  रोहिणी नक्षत्र, पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र, पूर्वा आषाढ़ नक्षत्र, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र, भरणी नक्षत्र और आर्द्रा नक्षत्र में जन्मे लोग मनुष्य गण के होते हैं.

वैदिक ज्योतिष कहता है कि जो लोग मनुष्य गण में पैदा होते हैं वे आत्म-सम्मान को महत्व देते हैं. इस गण के जातक आमतौर पर धनवान होते हैं और समृद्ध जीवन जीते हैं. इस गण के लोग अच्छे शरीर, लम्बे शरीर संरचना और बड़ी आँखों वाले होते हैं.

उनका शरीर आकर्षक होता है और आंखों और चेहरे की सुस्पष्ट संरचना उनकी सुंदरता को बढ़ाती है. मनुष्य गण के लोग स्नेही और देखभाल करने वाले स्वभाव के होते हैं. ये लोग कार्यस्थल पर उन्हें सौंपे गए कार्यों को समय पर पूरा करना और अपने परिवार के पास घर लौटना पसंद करते हैं. उन्हें ऑफिस में अतिरिक्त घंटे बर्बाद करना पसंद नहीं आता है. यह चतुर एवं व्यवहार कुशल होते हैं. इनमें चीजों को अपने अनुसार करने का गुण भी खूब होता है.

देव गण और उसका जीवन पर प्रभाव 

देव गण को शुभ गण माना जाता है. इस गण में पुनर्वसु नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, रेवती नक्षत्र और अश्विनी नक्षत्र में जन्मे लोग देव गण के हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देव गण में जन्म लेने वाले लोगों में कई सकारात्मक विशेषताएं होती हैं.

देव अच्छे शरीर के साथ आकर्षक होते हैं. देव गण जातक को बुद्धिमान और तेजवान बनाते हैं. व्यक्ति बुद्धिमान विचारों वाले सरल लोग होंगे. देव गण के लोग दयालु और विनम्र होते हैं. दया करुणा इनमें बहुत होती है. विकलांगों और गरीब लोगों के प्रति उनका मदद करने का रवैया उनके स्वभाव का एक प्रमुख गुण है.

ये संकटग्रस्त लोगों की दिल खोलकर मदद करते हैं. देव गण से प्रभावित होने वालों में अत्यधिक भूख नहीं होती है और वे मितव्ययी भोजन करते हैं. उनमें एक अंतर्निहित दिव्यता होती है जो बहुत कम मनुष्यों के अंदर मौजूद होती है. मूलतः ये वे लोग हैं जो बिना किसी अपेक्षा के दूसरों के लिए काम करते हैं.

यदि आप किसी संकट से गुजर रहे हैं और देव गण के जातकों से संपर्क करते हैं, तो वे गंभीरता से आपकी बात सुनेंगे और आपकी समस्याओं को हल करने के तरीके सुझाने का प्रयास करेंगे. यह उनके स्वभाव के दयालु पक्ष को दर्शाता है.

राक्षस गण और उसका जीवन पर प्रभाव 

राक्षस गण को कठोर गण के रुप में देखा जाता है. इस गण का प्रभव व्यक्ति में कुछ अधिक साहस भी लाता है ओर दुसाहसिक कार्यों को करने की क्षमता भी देता है. मघा नक्षत्र, अश्लेषा नक्षत्र, धनिष्ठा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, कृतिका नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र और विशाखा नक्षत्र में जन्मे लोग राक्षस गण के होते हैं. इन नक्षत्रों के मामले में मनुष्य के अंधेरे पक्ष को रेखांकित या कहें कि उजागर किया जाता है.

जिन लोगों का जन्म गण राक्षस गण होता है, उनका चरित्र जिद्दी और कठोर हो सकता है. यह लोग अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करते हैं, जो कभी-कभी अच्छा निर्णय नहीं हो सकता है. इनका शरीर भारी होता है और ये काफी आक्रामक हो सकते हैं. राक्षस गण अनेक मनुष्यों के अंदर विद्यमान राक्षसी प्रवृत्ति का सूचक है. इस गण के व्यक्ति का स्वभाव ऐसा होता है कि वे दूसरों को बढ़ते हुए नहीं देख सकता है. अगर कोई मदद मांगेगा तो ऐसा व्यवहार करेंगे कि दोबारा मांगने की हिम्मत नहीं होगी.

उनमें छोटी-छोटी बातों पर लड़ने की प्रवृत्ति हो सकती है. ये कठोर भी लग सकते हैं और हो सकता है कि उन्हें इस बात का एहसास भी न हो कि उनके शब्दों और कार्यों का दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ता है. ऐसा पाया गया है कि राक्षस गण के लोगों को मधुमेह होने का खतरा रहता है.

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सिंह राशि में मंगल और शुक्र की युति का आप पर रहेगा विशेष प्रभाव

सिंह राशि में मंगल-शुक्र युति का असर बहुत विशेष होगा. इस युति का असर ज्योतिष में बेहद विशेष माना जाता है विशेष रुप से संबंधों और इच्छों की दृष्टि से योग को बेहद महत्व दिया जाता है. शुक्र मंगल युति विपरित लिंग के मध्य काफी प्रसिद्धि दिलाने वाली होती है. व्यक्ति अपने समूह में आकर्षण का केन्द्र भी बन सकता है. एक शुभ रुप से बनी युति अनुकूल परिणाम देती है लेकिन यदि अशुभ प्रभाव हो तो यह स्थिति अनैतिक एवं विवाहेत्तर संबंधों की आधारशिला के लिए भी जिम्मेदार मानी जाती है. आइये जानते हैं कि सिंह राशि में आखिर मंगल शुक्र का एक साथ होना कैसे बदलेगा आपकी विचारधारा को और क्या होंगे इसके दूरगामी परिणाम 

मंगल-शुक्र युति का मेष राशि पर प्रभाव

मेष राशि वालों के लिए इस संयोग के दौरान समय अच्छा रहेगा, इस युति से पढ़ाई पर कोई गंभीर नुकसान नहीं हो सकता है, इसलिए यह कहा जा सकता है कि मेष राशि के छात्र अच्छा प्रदर्शन  कर सकते हैं. इस समय प्रेम संबंधों को लेकर कुछ तनातनी होगी तो नए रिश्ते बनेंगे. स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए. रक्त संबंधी विकार हो सकते हैं, मांसपेशियों में दर्द की शिकायत हो सकती है. वैवाहिक रिश्ते में जीवनसाथी से बात करते समय सावधानी बरतें अन्यथा अनावश्यक मुद्दे पैदा हो सकते हैं. 

मंगल-शुक्र की युति का वृषभ राशि पर प्रभाव

समय अनुकूल रह सकता है और घर परिवार के लिए कुछ नई वस्तुओं की खरीदारी भी होगी. लेकिन आपको शेयर बाजार की गतिविधियों या सट्टेबाजी से बचना चाहिए. दोस्तों या पार्टनर के साथ बहस करने से भी बचना चाहिए क्योंकि इससे कुछ परेशानियां खड़ी हो सकती हैं. स्वास्थ्य संबंधी छोटी-मोटी परेशानियां हो सकती हैं. बुखार या बदन दर्द की शिकायत होने की संभावना है. इसलिए स्वास्थ्य और फिटनेस के प्रति सचेत रहना चाहिए. अपने माता-पिता का सहयोग मिलेगा इस समय माता-पिता को अपने बच्चों का ख्याल रखना चाहिए. 

मंगल-शुक्र की युति का मिथुन राशि पर प्रभाव

मिथुन राशि वालों के लिए परिश्रम द्वारा सफलता के मौके निर्मित होंगे. जो अभ्यर्थी विदेश में बसना चाहते हैं उन्हें इस दौरान परीक्षा देनी होगी परिणाम पक्ष में हो सकते हैं. सरकारी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं उन्हें सफलता मिल सकती है. वित्त के मामले में यह उचित समय होगा. जमीन की खरीददारी या शेयर बाजार से जुड़े लोगों को धैर्यपूर्वक काम करना चाहिए. यात्राओं का समय होगा अपने लोगों के साथ भ्रमण के मौके मिल सकते हैं. शादीशुदा जोड़ों को अपने वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. भाई बहनों के साथ छोटी मोटी नोक झौंक हो सकती है. 

मंगल-शुक्र की युति का कर्क राशि पर प्रभाव

छात्र अपने शैक्षणिक वर्ष में अच्छे अंक अर्जित कर सकते हैं. व्यवसाय के मालिक नई रणनीति लेकर आ सकते हैं. विवाहित जोड़ों का अपने जीवनसाथी के साथ टकराव हो सकता है. कर्क राशि के लिए मंगल और शुक्र की युति स्वास्थ्य की स्थिति को ख़राब कर सकती है. गले या मांसपेशियों में दर्द होने की संभावना है. महिलाओं को स्त्री रोग संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. आर्थिक पक्ष मजबूत रहने वाला है.

मंगल-शुक्र की युति का सिंह राशि पर प्रभाव

मंगल शुक्र युति आपके लिए यह अनुकूल समय दे सकती है. आने वाले दिनों में कुछ यात्राओं का आनंद ले सकते हैं. चीजों को खरीदने या बेचने के लिए प्रतिकूल समय है. कार्यस्थल में बदलाव की तलाश कर रहे नौकरीपेशा लोगों को अवसर मिल सकते हैं. इस समय लव पार्टनर मिल सकता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से मांसपेशियों में दर्द हो सकता है. छात्रों को अपनी परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए गंभीर प्रयासों की आवश्यकता हो सकती है. आने वाले समय के लिए अभी से ही कुछ बदलाव आप कर सकते हैं. धन प्राप्ति का भी अच्छा योग बना हुआ है. 

मंगल-शुक्र की युति का कन्या राशि पर प्रभाव

इस समय धन नियंत्रण पर पकड़ खोने की संभावना है, जिसके कारण ख़र्च बढ़ सकता है. कुछ मामलों में नकदी की कमी का अनुभव हो सकता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से आपको गैस और एसिडिटी की समस्या की शिकायत हो सकती है. हड्डियों में दर्द की समस्या हो सकती है. छात्रों को अपने गुरुओं से उचित मार्गदर्शन मिल सकता है. उद्यमियों को अपने काम में मन लगाना चाहिए क्योंकि मेहनत द्वारा आप लाभ कमाने में आगे रह सकते हैं. प्रेम संबंधों के मामले में स्थिति मिलेजुले परिणाम देगी.

मंगल-शुक्र की युति का तुला राशि पर प्रभाव

इस समय कार्य क्षेत्र अथवा अन्य चीजों में नए प्रस्ताव मिल सकते हैं. प्रेम के नए चरण में प्रवेश कर सकते हैं. शेयर बाजार की गतिविधियों से जुड़े लोगों के लिए उचित समय रहेगा. पुराने मित्रों से मिलने का अवसर मिल सकता है. कुछ मामलों अच्छे समय का आनंद ले सकते हैं विदेश में उच्च शिक्षा की योजना बना रहे छात्रों को अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं. दोस्तों के साथ कुछ बेहतर समय बिताकर उनके साथ अपनी दोस्ती को मजबूत कर सकते हैं. इस समय आपको अपने जीवन का प्यार भी मिल सकता है.

मंगल-शुक्र की युति का वृश्चिक राशि पर प्रभाव

वृश्चिक राशि वालों के लिए समय अच्छा रहने की संभावना है. काम के स्थान पर आपकी प्रतिभा को सराहा जाएगा. संपत्ति से संबंधित सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं. नया घर खरीदने का मन बना सकते हैं.इस समय जल्दबाजी में निर्णय लेने से बचना चाहिए. पड़ोसियों के साथ संबंधों का ध्यान रखना चाहिए. जीवन साथी की तलाश में हैं तो साथी की तलाश किसी वरिष्ठ के सहयोग से पूर्ण हो सकती है. महिलाओं को कमर दर्द की शिकायत हो सकती है. इस समय लंबी दूरी की यात्रा से बचना उचित होगा क्योंकि थकान अधिक बढ़ सकती है.

मंगल-शुक्र की युति का धनु राशि पर प्रभाव

इस समय भगय का सहयोग मिल सकता है. कुछ मौद्रिक लाभ कमाने में आगे रहेंगे. अधिकारियों की ओर से मदद भी मिल सकती है. नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को मनचाहे अवसर मिल सकते हैं. कुछ मामलों में प्रगति कर सकते हैं क्योंकि भाग्य आपको अच्छा सहयोग दे सकता है. कड़ी मेहनत का परिणाम अब मिल सकता है. परिवार के बड़ों का आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए. प्रेमियों के लिए समय अनुकूल रहेगा अपने रिश्ते में सुधार का समय होगा. 

मंगल-शुक्र की युति का मकर राशि पर प्रभाव

इस समय यह युति का प्रभाव ध्यान से आगे बढ़ने की स्थिति की ओर ईशारा करता है. अपने पड़ोसियों के साथ वाद-विवाद से बचना चाहिए. इस समय किसी कार्यवाही से जूझ रहे व्यक्तियों को सावधानी से काम करना चाहिए. इस समय अचानक से लाभ मिल सकता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से पेट दर्द, यौन संक्रमण अथवा आंत संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. कुछ मामलों में गंभीर सिरदर्द हो सकता है. पैतृक संपत्ति के मसले आपकी चिंता भी बढ़ा सकता है.

मंगल-शुक्र की युति का कुंभ राशि पर प्रभाव

कुंभ राशि वाले लोगों को मिश्रित परिणाम मिलने की संभावना है. वैवाहिक जीवन पर इन ग्रहों की युति से कुछ बदलाव देखने को मिलेगा. इस दौरान आर्थिक लाभ हो सकता है लेकिन रक्त संबंधी समस्या या मांसपेशियों में दर्द हो सकता है. कारोबार को लेकर नए फैसले लेने वाले हैं. कुछ मामलों के फैसले का इंतजार कर रहे व्यक्तियों को मिलाजुला असर देखने को मिलेगा. जल्दबाजी में कोई फैसला लेने से बचना चाहिए. प्रेमी अपने पार्टनर से मन की बातों को शेयर करने का अच्छा समय होगा. 

मंगल-शुक्र की युति का मीन राशि पर प्रभाव

इस समय के दौरान मीन राशि वाले रिश्तों को लेकर संवेदनशील और भावुक रह सकते हैं. धन खर्च बढ़ सकता है कुल मिलाकर, वित्तीय मामलों से निपटने के लिए अभी से ही सजग रहने की जरूरत होती है. कुछ मामलों में भाग्य की कमी महसूस हो सकती है. काम में रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है. सब कुछ होते हुए भी खाली हाथ महसूस हो सकता है. शरीर में दर्द या हड्डी से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. यह भी संभावना है कि आप अपनी बात मनवाने के लिए अपने बड़ों के साथ बहस कर सकते हैं. इसलिए आपको उनसे बहस करने से बचना चाहिए. आर्थिक परेशानियां दूर हो सकती हैं लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से आपको नेत्र पीड़ा हो सकती है. 

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बुध का कर्क राशि प्रवेश जानें अपनी राशि पर इसका प्रभाव

वैदिक ज्योतिष में बुध को एक राजकुमार के रूप में वर्णित किया गया है. बुध अन्य ग्रहों की तुलना में सूर्य के बहुत निकट है. यह व्यक्ति में बुद्धि और हास्य का प्रतिनिधित्व करता है और कई स्थितियों में यह ग्रह बहुत लाभकारी माना जाता है. जिन लोगों की कुंडली में बुध मजबूत स्थिति में होता है वे लोग तेजस्वी, बुद्धिमान होते हैं. इसके विपरीत यदि बुध कमजोर या नकारात्मक स्थिति में हो तो व्यक्ति को निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है. बुध कर्क राशि में गोचर कर रहा है और बुध का कर्क राशि में गोचर राशियों के लिए कई तरह के अपने असर दिखाने वाला होगा. आइए जानते हैं कि इस गोचर से किस राशि को सबसे ज्यादा और सबसे कम फायदा होगा.

बुध के कर्क राशि में गोचर का मेष राशि पर प्रभाव

मेष राशि वालों के लिए बुध का गोचर उनके सामाजिक और आर्थिक जीवन पर असर डालने वाला होगा. इस समय पर धन संबंधी मामलों में और निवेश इत्यादि को लेकर सोच विचार की आवश्यकता अधिक रह सकती है. 

बुध के कर्क राशि में गोचर का वृषभ राशि पर प्रभाव

आप में कुछ आलस्य भी अधिक रह सकता है अथवा काम को करने में आनाकानी कर सकते हैं. अपने लोगों के साथ बात न बन पाए. किसी कारण से आपका व्यवहार थोड़ा कठोर भी हो सकता है और मनमर्जी भी अधिक कर सकते हैं

बुध के कर्क राशि में गोचर का मिथुन राशि पर प्रभाव
मिथुन राशि वालों के लिए आर्थिक मामलों पर आपको अपने काम में तेजी लाने की जरूरत होगी, क्योंकि बुध की स्थिति अब उनसे कर्क राशि में आ गई है. इस समय आप अपनी वाणी से काम निकालने में आगे रह सकते हैं, बस सावधान रहना होगा. नौकरी और बिजनेस के क्षेत्र में आप कुछ नए काम लाने के बारे में सोच सकते हैं. पैसे बचाने के लिए कुछ नीतियों पर भी विचार किया जा सकता है.

बुध के कर्क राशि में गोचर का कर्क राशि पर प्रभाव
कर्क राशि वालों के लिए बुध का गोचर उन्हें लाभ दिलाने में सहायक रहेगा. इस समय बुध आपकी जन्म राशि पर गोचर करेगा. ऐसे में यह समय आपके लिए बेहद खास रहेगा. इस समय आपको भावनात्मक निर्णय लेने से बचना चाहिए. आपकी राशि में बुध के गोचर के कारण आप कुछ अधिक चंचल और बातूनी हो सकते हैं. इस दौरान आपकी कलात्मक शैली और क्षमता में भी वृद्धि हो सकती है. आपके लिए जरूरी है कि इस समय आपको अपनी बातों से ज्यादा काम करने पर ध्यान देना होगा.

बुध के कर्क राशि में गोचर का सिंह राशि पर प्रभाव
सिंह राशि के जातकों के लिए यह समय खुलकर बिताने का रहेगा. आपकी कल्पनाशक्ति में वृद्धि होगी. कुछ मामलों में अनिद्रा की शिकायत परेशान कर सकती है. कार्यक्षेत्र में मेहनत अधिक रहेगी. लाभ के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी. इस समय बाहरी संपर्क लाभ दे सकते हैं. विरोधियों के कारण आपको तनाव का सामना करना पड़ सकता है. कुछ मामलों में गुस्से और आवेश के कारण आप लोगों से विवादों में उलझ सकते हैं.

बुध के कर्क राशि में गोचर का कन्या राशि पर प्रभाव
आपको अतिरिक्त स्रोत मिलेंगे. इस गोचर के कारण आप पैसे बचाने और जोड़ने से जुड़ा कोई नया काम शुरू कर सकते हैं. आपके लिए जरूरी होगा कि ऐसी चीजों में निवेश करने से बचें जो जोखिम से जुड़ी हों. पारिवारिक दृष्टिकोण से आप एक दूसरे के करीब आ सकते हैं. यह गोचर अनुकूल रह सकता है. आप अपने लोगों के साथ अधिक समय बिताएंगे. घर में किसी नए सदस्य के आगमन से घर के माहौल में बदलाव आएगा.

बुध के कर्क राशि में गोचर का तुला राशि पर प्रभाव
बुध का गोचर आपके लिए काम और प्रतिस्पर्धा के अवसर लेकर आ सकता है. अपना प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए किसी की मदद आपके बहुत काम आ सकती है. इस समय आप अपने नेतृत्व का बेहतर तरीके से उपयोग कर सकते हैं. विद्यार्थियों के लिए समय थोड़ा कठिन हो सकता है. पढ़ाई में कंसर्ट ठीक से न कर पाने जैसी समस्याएं आपको प्रभावित कर सकती हैं.

बुध के कर्क राशि में गोचर का वृश्चिक राशि पर प्रभाव
समय आपके लिए थोड़ा अनुकूल नहीं रहेगा क्योंकि भाग्य पर अंकुश लग सकता है. कार्यों को पूरा करने के लिए अधिक मेहनत की आवश्यकता होगी. अपनी क्षमता से अधिक मेहनत करने पर भी आपको पूरा लाभ नहीं मिल पाएगा. माता-पिता से कुछ विवाद हो सकता है. इस समय अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें. पेट संबंधी विकार प्रभावित कर सकते हैं. जल संबंधी रोग परेशानी बढ़ा सकते हैं.

बुध के कर्क राशि में गोचर का धनु राशि पर प्रभाव
आपको कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है. कुछ लोगों को प्रमोशन मिलने की भी संभावना है. लेकिन जरूरी है कि इस समय किसी से न उलझें, स्थिति आपके लिए ज्यादा बेहतर नहीं रहेगी. मानसिक और शारीरिक स्थिति खराब हो सकती है. सेहत का ध्यान रखना जरूरी है, बेहतर होगा कि वाहन सावधानी से चलाएं. कारोबारी अपने विचारों को आगे बढ़ा सकते हैं. नए सामान की खरीद-फरोख्त तेज रहेगी. नये बिजनेस की शुरुआत कर सकते हैं.

बुध के कर्क राशि में गोचर का मकर राशि पर प्रभाव
इस समय आप लोगों को अपने पुराने कार्यों को पूरा करने का अच्छा मौका मिलेगा. परिवार में खर्चों की स्थिति परेशानियां और भागदौड़ बढ़ाने वाली है. आप कुछ समय के लिए घर से दूर भी रह सकते हैं. भाइयों से झगड़ा बढ़ सकता है. घर में लोग आपकी बातों पर सहमत नहीं होना चाहेंगे. जो लोग अपने काम से जुड़े हैं वे अपने काम को आगे बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं. पिता के साथ मतभेद आपके तनाव को और बढ़ा सकता है.

बुध के कर्क राशि में गोचर का कुंभ राशि पर प्रभाव
आपकी मानसिक और वैवाहिक स्थिति कई दिनों से परेशानी में है. इस समय झगड़े बढ़ सकते हैं. संपत्ति का लाभ मिलेगा. नए कार्य सामने आएंगे. कुछ बातें छिपाकर आप आगे बढ़ सकते हैं. इस समय दुविधा भी आपको परेशान करेगी. सेहत से जुड़ी बुरी बातें आपको शुरुआत में परेशान भी कर सकती हैं, लेकिन इन सबके बीच एक खास बात यह रहेगी कि आपके अंदर साहस और विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति उभरकर आएगी. घरेलू जीवन में अस्थिरता के कारण आप बाहर जाकर मानसिक शांति पाना चाहेंगे. अपने खान-पान पर नियंत्रण रखने की जरूरत रहेगी.

बुध के कर्क राशि में गोचर का मीन राशि पर प्रभाव
परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर आप पैसों के उचित प्रबंधन के बारे में बात कर सकते हैं. अपनी सेहत का ख्याल रखना. आप व्यस्त रहेंगे. परिवार में कुछ लोगों का आगमन आपको व्यस्त कर सकता है. इससे सेहत ख़राब हो सकती है. इस समय आप दूसरों के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं. आपके लिए अपने शरीर को सक्रिय रखना जरूरी है. घर में विवाह संबंधी कोई शुभ कार्यक्रम होगा या परिवार किसी धार्मिक उत्सव की तैयारियों में एक-दूसरे के साथ शामिल होंगे.

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शनि उदय का मेष से मीन राशि वालों पर असर

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के अस्त और उदय दोनों ही स्थितियों का असर देखने को मिलता है. इस पर शनि उदय का प्रभाव जब अस्त से मुक्त होकर उदय स्थिति में होता है तब शनि उदय के प्रभाव बेहतर रुप से देखने को मिलते हैं. शनि उदय उदय की स्थिति हर लग्न के लिए अलग – अलग फलों को देने वाली होती है.  ज्योतिष में शनि उदय को काल पुरुष के अनुसार दशम एवं लाभ स्थान का स्वामित्व प्राप्त है. 

व्यक्ति के जीवन में कर्म की स्थिति और उसके लाभ को शनि उदय से ही देखा जाता है. इसके अलावा यह ग्रह गूढ़ ज्ञान और रहस्य का भी कारक है. शनि उदय अष्टम भाव का कारक भी है. इसे नवग्रहों में सेवक का दर्जा प्राप्त है. इसलिए शनि उदय प्रधान व्यक्ति को बहुत अधिक कार्य करते हुए देखा जा सकता है. शनि उदय की उदय अवस्था का असर मेष से मीन लग्न तक भिन्न भिन्न तरह से देखने को मिलता है आईये जानें शनि उदय उदय का आप के लग्न अनुसार क्या होगा असर 

मेष से मीन लग्न तक शनि उदय उदय का प्रभाव 

मेष लग्न 

मेष लग्न की कुंडली के व्यक्ति के लिए शनि उदय परम राजयोग कारक होता है. शनि उदय दशम और लाभ का स्वामी होने के कारण जातक को अत्यधिक लाभ देता है, लेकिन इसके लिए शनि उदय की स्थिति शुभ होनी चाहिए. इस कुंडली में गुरु और शनि उदय की युति केंद्र या त्रिकोण में हो तो व्यक्ति ज्ञानी और गुणी दोनों होता है.शनि का असर कई मायनों में सहायक बनता है.

वृषभ लग्न

वृष लग्न की कुंडली के व्यक्ति के लिए शनि उदय लाभकारी होता है. भाग्येश और दशमेश का कारक शनि उदय होने से व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते हैं. शनि उदय की शुभ स्थिति जातक को न्यायप्रिय, धर्मात्मा और साधु-संतों का प्रेमी बनाती है. शनि का असर व्यक्ति के जीवन को सुख एवं प्रेम से परिपूर्ण कर देने में भी सहक होता है. 

मिथुन लग्न

मिथुन लग्न की कुंडली के व्यक्ति के लिए शनि उदय कुछ हद तक मिलेजुले फलों को देने वाला होता है. इसका कारण यह है कि इनका मकर राशि अष्टम भाव में स्थित है. लेकिन भाग्य में कुंभ राशि होने के कारण शनि उदय की शुभ स्थिति न केवल व्यक्ति को दीर्घायु प्रदान करती है, बल्कि उसे शोधकर्ता भी बनाती है. इस लग्न में यदि बुध और शनि उदय की युति भाग्य स्थान या दशम स्थान में हो तो व्यक्ति महान गणितज्ञ होता है. इस कारण से कुछ खरब तो कुछh अच्छे फल व्यक्ति को प्राप्त होते हैं.

कर्क लग्न

कर्क लग्न की कुंडली के जातकों के लिए शनि उदय अत्यंत खराब फल दे सकता है. इस कुंडली में शनि उदय बलवान मारकेश का फल देता है. यदि कुंडली के आठवें घर में कोई शुभ ग्रह पीड़ित हो तो स्थिति काफी परेशानी देती है. शनि इस लग्न के लिए मारक का कार्य करते हुए अनुकूलता की कमी को दर्शाता है लेकिन शनि उदय की स्थिति व्यक्ति को राजनीति में प्रतिष्ठा भी दिला देने वाली होती है.

सिंह लग्न

सिंह लग्न की कुंडली के जातकों के लिए शनि उदय अनुकूलता की कमी का कारक होता है. यह लग्नेश सूर्य का प्रबल शत्रु है तथा छठे भाव में अधिक फल देता है. यदि शनि उदय अच्छा नहीं है तो व्यक्ति जीवन भर बीमारियों से पीड़ित रहेगा. कर्ज में डूबा रहता है. कुम्भ राशि में मारक स्थान पर होने से सहयोगी अच्छे नहीं मिलते हैं. शनि का प्रभाव शत्रुओं से अधिक प्रतिस्पर्धा भी दे सकता है. 

कन्या लग्न

कन्या लग्न की कुंडली के व्यक्ति के लिए शनि उदय सामान्य फल देता है. कन्या लग्न की कुंडली में शनि उदय अष्टम भाव में नीच का हो तो अकस्मात होने वाली घटनाओं से अधिक प्रभावित होता है. कन्या लग्न में छठे भाव में कुंभ राशि हो और आठवें भाव में शनि उदय हो तो विपरीत राजयोग बनाता है, जिससे व्यक्ति अपने शत्रुओं के धन से धनवान बन सकता है.

तुला लग्न

तुला लग्न की कुंडली के व्यक्ति के लिए शनि उदय अत्यंत शुभ एवं लाभकारी होता है. मूल त्रिकोण की पंचम राशि में होने के कारक व्यक्ति को शिक्षा और ज्ञान दोनो को प्रदान करने में सहायक होता है. यदि शनि उदय और शुक्र की युति केंद्र या त्रिकोण में हो तो व्यक्ति उच्च श्रेणी का व्यवसाय भी प्राप्त कर सकता है. राजयोगकारक के रुप में व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते हैं. 

वृश्चिक लग्न

वृश्चिक लग्न की कुंडली के लिए शनि उदय का प्रभाव अधिक अनुकूल नहीं होता है. यह सामान्य रुप से अपना असर दिखाता है. क्योंकि लग्नेश मंगल के साथ शनि सहज नहीं है, इस लग्न की कुंडली में शनि उदय चतुर्थ भाव में बलवान हो तो शश: राजयोग बनता है, जो उत्तम धन का भोग कराता है. लेकिन इसके विपरित खराब जगहों पर होकर कमजोर परिणाम दिखा सकता है.

धनु लग्न

धनु लग्न की कुंडली के लिए शनि उदय सामान्य रहता है. यदि शनि की स्थिति ठीक हो तो व्यक्ति धनवान होता है. इस लग्न कुंडली के लिए शनि उदय पराक्रम भाव का स्वामी है इसलिए व्यक्ति को मेहनत से ही सब कुछ मिलता है. परिश्रम और कर्म का गुण उसके लिए काम करता है. 

मकर लग्न

मकर लग्न की कुंडली के लिए शनि उदय राजयोग कारक होता है क्योंकि यह स्वयं शनि उदय का लग्न होता है. इस लग्न कुंडली के जातकों के लिए शनि उदय कई प्रकार के राजयोग बनाते हैं. शनि उदय का प्रभाव व्यक्ति को कर्मठ बनाता है. व्यक्ति जीवन में परंपराओं का पालन करते हुए आगे बढ़ता है. व्यक्ति विदेश में खूब धन कमाने में भी सक्षम होता है.

कुंभ लग्न 

कुंभ लग्न की कुंडली के लिए शनि उदय अत्यंत शुभ है, यदि इस लग्न की कुंडली में शनि लग्नेश होता है. व्यक्ति अपनी मेहनत के आधार पर अच्छे परिणाम पाता है. यदि शनि उदय की स्थिति शुभ ग्रहों के साथ होने पर मनोकूल फल भी प्रदान करने वाली होती है. व्यक्ति को अत्यधिक ज्ञानी बनाती है और नए अनुसंधानों में शामिल करती है.

मीन लग्न 

मीन लग्न कुंडली के लिए शनि उदय द्वादश भाव के फल में वृद्धि करने के कारण सामान्यतः शुभ रहता है. यदि मीन लग्न में शनि उदय की स्थिति अशुभ हो तो व्यक्ति रोगों से पीड़ित होता है और धन की हानि होती है. इस लग्न कुंडली में शनि उदय लाभ का स्वामी होकर जातक को लाभ देता है, लेकिन इसके लिए शनि उदय का मजबूत होना जरूरी है.

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सूर्य का अश्विनी नक्षत्र गोचर फल

सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर ऊर्जा में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है जो हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव डाल सकता है. यह खगोलीय घटना राशि के अनुसार कैसे प्रभावित कर सकती है.आइए देखें कि इस गोचर में क्या निहित है!

मेष राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर करियर को आगे बढ़ाने की चाहत रखने वाले व्यक्तियों के लिए अनुकूल होता है. अब अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में साहसिक कदम उठाने का समय बनता है. वरिष्ठों और सहकर्मियों पर समान रूप से मजबूत प्रभाव डालने के लिए अपने आत्मविश्वास और दृढ़ता का उपयोग करने का समय होता है. धन के मामले में, आवेगपूर्ण खर्च से बचना और स्मार्ट निवेश करने पर ध्यान केंद्रित करना ही भविष्य में लाभ को दिलाता है. शारीरिक फिटनेस को प्राथमिकता देने से उत्पन्न होने वाली किसी भी भावना को संतुलित करने में मदद भी करता है.

वृषभ राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर लक्ष्यों और महत्वाकांक्षाओं का पुनर्मूल्यांकन करने का समय हो सकता है. अपने सपनों को प्राप्त करने की दिशा में कार्रवाई करने का समय होता है. चीजों को पाने की तीव्र इच्छा महसूस कर सकते हैं. यह ध्यान रखना होगा कि जल्दबाजी में कोई भी निर्णय न लिया जाए. निवेश करने या नए अवसर को पाने का समय है. चीजों पर अमल करने के लिए एक अच्छा समय हो सकता है. प्रेम जीवन के मामले में, यह उन लोगों के लिए एक रोमांचक समय हो सकता है जो रोमांटिक रिश्तों की तलाश में हैं या मौजूदा रिश्तों को मजबूत करना चाहते हैं.

मिथुन राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर अवधि के दौरान विचारों, रचनात्मकता और बौद्धिक जिज्ञासा में वृद्धि महसूस कर सकते हैं. खुद को सीखने, नए विषयों का पता लगाने और प्रेरक चीजों में शामिल हो सकते हैं. स्म्चार में शामिल होने के लिए उत्सुक पा सकते हैं. आप कार्रवाई करने, त्वरित निर्णय लेने और बिना ज्यादा सोचे-समझे नए अनुभवों को अपनाने की तीव्र इच्छा महसूस कर सकते हैं. हालाँकि, आपको आवेगपूर्ण कार्य करने के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है. वित्तीय निवेश या व्यावसायिक उपक्रमों में परिकलित जोखिम फलदायी रहेंगे.

कर्क राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर करियर में जीवन शक्ति और उत्साह में ज़बरदस्त वृद्धि का अनुभव करेंगे. स्वाभाविक सहज ज्ञान युक्त और पोषण करने वाले गुण सामने आ सकते हैं, जो आपको कार्यस्थल में गहरे भावनात्मक स्तर पर दूसरों के साथ जुड़ने में सक्षम बनाते हैं,. इसमे टीम की गतिशीलता और सहयोग बेहतर हो सकता है. पदोन्नति, बोनस या नए व्यावसायिक अवसर हो सकते हैं जो आय बढ़ा सकते हैं. अपने रिश्तों में ग़लतफहमियों से सावधान रहने की जरुरत होगी.

सिंह राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर नए कौशल विकसित करने या चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने का एक उत्कृष्ट समय है जो करियर के विकास को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. यह गोचर निवेश या आय के अन्य साधनों के माध्यम से धन लाभ के लिए भी अनुकूल समय प्रस्तुत करता है. जब दिल के मामलों की बात आती है, तो आपकी करिश्माई आभा संभावित साझेदारों को आपकी ओर आकर्षित करेगी, जिससे आपको सार्थक रिश्तों में आने के पर्याप्त अवसर मिलेंगे.

कन्या राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर विश्लेषणात्मक या वैज्ञानिक क्षेत्र में करियर रखने वालों के लिए, यह गोचर विकास और उन्नति के नए अवसर ला सकता है. यह कौशल को निखारने और नई तकनीक विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने का समय है जो साथियों से अलग करके दिखाएगा. जब पैसों की बात आती है तो अचानक ख़र्चे आने की संभावना है. धन प्रबंधन के प्रति मितव्ययी दृष्टिकोण अपनाना उचित होगा. जो लोग पहले से ही किसी रिश्ते में हैं उन्हें अपनी इच्छाओं के बारे में खुलकर बात करके अपने बंधन को मजबूत करना चाहिए.

तुला राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर रिश्तों में कार्रवाई करने के लिए प्रेरित महसूस करवाएगा, चाहे वह नए कनेक्शन शुरू करना हो या मौजूदा संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाना हो. व्यक्तिगत स्तर पर, यह आत्म-चिंतन और आत्म-खोज का समय हो सकता है. आप नई रुचियों, शौक या गतिविधियों को तलाशने की इच्छा महसूस कर सकते हैं जो आपको खुशी और संतुष्टि प्रदान करें. पेशेवर जीवन के संदर्भ में, आप जोखिम लेने और अपने कार्यस्थल या व्यावसायिक प्रयासों में खुद को मुखर करने के लिए अधिक इच्छुक हो सकते हैं.

वृश्चिक राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर अपनी इच्छाओं को व्यक्त करने और अपनी आवश्यकताओं पर जोर देने की तीव्र इच्छा महसूस करेंगे. तीव्रता और भावनात्मक गहराई रिश्तों में संभावित संघर्ष या शक्ति संघर्ष का कारण भी बन सकती है. करियर के मामले में, सूर्य का गोचर आपके पेशेवर जीवन की कमान संभालने के अवसर लाएगा. आप जोखिम लेने और नई परियोजनाएं या व्यावसायिक उद्यम शुरू करने के इच्छुक होंगे. अपने शरीर की ज़रूरतों और सीमाओं को सुनना और अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना न भूलें.

धनु राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर खुद पर जोर देने, नई परियोजनाएं शुरू करने और आत्मविश्वास के साथ अपने जीवन की जिम्मेदारी लेने का समय है. परिकलित जोखिम लें और अपने पेशेवर विकास पर ध्यान केंद्रित करें. प्रेम जीवन में, आप अधिक मिलनसार, बहिर्मुखी और नए रोमांटिक अवसर तलाशने के लिए उत्सुक महसूस कर सकते हैं. मौजूदा रोमांटिक रिश्तों में भी जोश और उत्साह की वृद्धि का अनुभव हो सकता है. हालाँकि, अपनी वित्तीय योजना के प्रति सचेत रहें, जल्दबाजी में वित्तीय निर्णय लेने से बचें और एक बजट पर कायम रहें.

मकर राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर करियर में उत्कृष्टता हासिल करने के नए अवसर ला सकता है. आपको अपने एच के लिए मान्यता मिलने की संभावना है. कार्यस्थल पर कड़ी मेहनत और समर्पण. हालाँकि, आपको वित्त से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि आपको कुछ अप्रत्याशित नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
जब भावनाओं को व्यक्त करने की बात आती है तो आप आमतौर पर संयमित रहते हैं, लेकिन यह गोचर आपके प्रेम जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. नए कनेक्शन तलाशने का यह बेहतरीन समय है.

कुंभ राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर व्यक्तिगत विकास और अन्वेषण की बढ़ती इच्छा को दिखाएगा. यदि आप इस ऊर्जा को पूरी तरह से अपनाते हैं तो इससे व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों ही रूप में रोमांचक अवसर प्राप्त हो सकते हैं. यह गोचर नए अवसर या परियोजनाएँ ला सकता है जिनके लिए नवीनता और रचनात्मकता की आवश्यकता है. जो लोग स्थिरता महसूस कर रहे हैं, उन्हें अंततः अपने जुनून को आगे बढ़ाने की प्रेरणा मिल सकती है. जहां तक प्रेम जीवन की बात है, रोमांटिक रिश्ते पीछे रह सकते हैं क्योंकि काम अधिक ध्यान देने की मांग करता है.

मीन राशि
सूर्य का अश्विनी नक्षत्र में गोचर नए कलात्मक प्रयासों या आध्यात्मिक प्रथाओं की खोज की ओर आकर्षित करने वाला होगा. आंतरिक ज्ञान को उजागर करने में यह मदद करता है. अपने विचारों और भावनाओं में खोए न रहने का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है. अपने कल्पनाशील पक्ष का पता लगाने के लिए जगह देते हुए वास्तविकता पर टिके रहने के बीच संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है. करियर की संभावनाओं के संदर्भ में, आप अपने रास्ते में कुछ अप्रत्याशित अवसर आते हुए अनुभव कर सकते हैं.

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जागृत शुक्र का प्रत्येक भाव में फल

प्राचीन किंवदंतियों के अनुसार, शुक्र भृगु और ख्याति के पुत्र थे. शुक्र का विवाह भगवान इंद्र की पुत्री जयंती से हुआ था. उनकी दूसरी पत्नी गो पितरों की पुत्री थीं. उन्होंने चार पुत्रों को जन्म दिया जिनका नाम त्वष्ठा, वरुत्रि, शण्ड और अमार्क रखा गया. शुक्र ने कठिन तपस्या से ‘संजीवनी विद्या’ प्राप्त की और इसका उपयोग उन्होंने मृत राक्षसों को पुनर्जीवित करने के लिए किया. अत: उन्हें राक्षसों का पुरोहित माना जाता था. शुक्र को कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे उशम्ना, कवि, भार्गव, भृगु, भृगुसुत, दैत्यगुरु, सीत, सूनु, कान, दान और वेज्य.

प्रत्येक ग्रह अलग-अलग प्रकार के फल देता है. जन्म कुंडली में शुक्र सप्तम भाव का कारक ग्रह है. यह सुख प्रदान करता है क्योंकि यह सुख और सौंदर्य का कारक ग्रह है. यह रचनात्मकता का कारक ग्रह भी है. शुक्र के बिना कोई भी रचनात्मक या सौंदर्य संबंधी कार्य पूरा नहीं हो सकता. शुक्र के बिना व्यक्ति को विलासिता नहीं मिल सकती. अत: यह इन सभी चीजों का कारक है. रत्नों में हीरे का कारक ग्रह शुक्र है. शुक्र को मजबूत करने के लिए पहने जाने वाले उपरत्न ओपल और जिरकोन हैं. किसी भी सफेद या चमकीली वस्तु का संबंध शुक्र से हो सकता है. यह झरने, फूल, यौवन, संगीत, कविता आदि का कारक ग्रह भी है.

वैदिक ज्योतिष में ग्रह एक दूसरे के प्रति या तो मित्रवत, तटस्थ या शत्रु होते हैं. ग्रहों की नैसर्गिक मैत्री नैसर्गिक मैत्री कहलाती है. स्थायी शत्रु नैसर्गिक शत्रु कहलाते हैं. बुध और शनि शुक्र के नैसर्गिक मित्र हैं. मंगल और बृहस्पति शुक्र के प्रति तटस्थ हैं. सूर्य और चंद्रमा शुक्र के शत्रु हैं.

नैसर्गिक मैत्री के अलावा ग्रहों के बीच तात्कालिक मैत्री भी होती है जिसे तत्कालिक मैत्री के नाम से जाना जाता है. यह कुंडली में ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है. शुक्र उन ग्रहों के अनुकूल रहेगा जो अपनी मूल स्थिति से तीन घर आगे और तीन घर पीछे मौजूद हैं.

पंचधा कुंडली नैसर्गिक और तत्कालिक मैत्री के आधार पर बनाई जाती है और यह उन ग्रहों के बारे में बताती है जो जन्म कुंडली में शुक्र के मित्र या शत्रु ग्रह हैं. पंचधा कुंडली के आधार पर ही शुभ या अशुभ फल का निर्धारण किया जाता है. उदाहरण के लिए, मान लें कि मंगल शुक्र का तात्कालिक मित्र है लेकिन वह शुक्र के प्रति तटस्थ है. अत: कुण्डली में शुक्र का तात्कालिक मित्र होकर तथा तटस्थ होकर, पंचधा कुण्डली में मंगल शुक्र के प्रति मित्रवत होकर शुभ फल देगा.

शुक्र गोचर के शुभ एवं अशुभ फल

वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को लग्न मानकर गोचर ग्रहों का विश्लेषण किया जाता है. यदि गोचर में शुक्र प्रथम भाव में हो तो व्यक्ति धन और सुख प्राप्त करता है लेकिन गलत गतिविधियों में शामिल हो सकता है. दूसरे भाव में गोचरीय शुक्र हो तो व्यक्ति को मान-सम्मान और धन की प्राप्ति होती है. तीसरे भाव में गोचर का शुक्र मौजूद होने पर व्यक्ति को सुंदर चीजें मिलती हैं. चतुर्थ भाव में होने पर शुक्र मित्रों और स्त्री समकक्षों से संबंधित सुख प्रदान करता है. पंचम भाव में शुक्र होने पर व्यक्ति धनवान और समृद्ध होता है. आठवें या नौवें भाव में गोचर का शुक्र मौजूद होने पर व्यक्ति को अपार सुख मिलता है. एकादश भाव में शुक्र व्यक्ति को धन, साहस और सफलता प्रदान करता है. यदि शुक्र बारहवें भाव में हो तो व्यक्ति को वस्त्र और धन प्रदान करता है.

जागृत शुक्र पहले भाव में 

प्रथम भाव में शुक्र के जागृत अवस्था फल व्यक्ति को आकर्षक ओर हंसमुख प्रक्रति देने वाला होता है. व्यक्ति सुसंस्कृत व्यक्ति होते हैं जिनके व्यक्तित्व में आकर्षण और कामुकता का बेहतरीन संयोग होता है. व्यक्ति की उपस्थिति लोगों पर गहरा प्रभाव डालने वाली होती है.

जागृत शुक्र दूसरे भाव में 

शुक्र का इस भाव में जागृत प्रभाव स्पर्श की अच्छी शक्ति देता है. शुक्र का असर व्यक्ति की भाषण कला में एक विशेष आकर्षण देता है. व्यक्ति के रूप-रंग पर भी इसका गजब असर होता है.  कला की दुनिया में शामिल दिखाई देते हैं अपनी बातों से दूसरों को आकर्षित कर लेने में कुशल होते हैं. धन संपदा का सुख पाते हैं. 

जागृत शुक्र तीसरे भाव में

शुक्र के इस स्थान में जागृत अवस्था का व्यक्ति को सुंदर परिवेश दिलाने वाली होती है. प्रेम में व्यक्ति उल्लेखनीय स्थिति को दिखाता है. अपने दिल की बातों को बड़ी सफाई से पेश करता है. प्रेम प्रदर्शित करने में आगे रहता है. संगीत और कविता जैसी चीज़ों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं. शुक्र का प्रभाव उनके व्यक्तित्व में चंचल उत्साह का स्पर्श देने वाला होता है. 

जागृत शुक्र चौथे भाव में

जागृत शुक्र का चतुर्थ भाव में असर व्यक्ति को सुख प्रदान करता है. व्यक्ति के केश घुंघराले तथा आंखों में आकर्षण भरपूर होता है. आकर्षक व्यक्ति होने के साथ साथ संवेदनशील और विनम्र स्वभाव मिलता है. दोस्तों के साथ वफादार होते हैं रिश्तों में आत्मियता को प्रदान करते हैं. 

जाग्रत शुक्र पंचम भाव में 

जागृत शुक्र का प्रभाव व्यक्ति को प्रशंसक एवं आत्म-जागरूक बनाता है. व्यक्ति अपनी योग्यता का जानकार होता है. अपने आस-पास के सभी लोगों से स्वीकृति और प्यार चाहते हैं. प्रथम भाव में शुक्र के ख़राब होने पर विवाह में देरी हो सकती है और उनके एक से अधिक साथी हो सकते हैं.

जागृत शुक्र छठे भाव में

छठे भाव में शुक्र, धन और सुख-सुविधा को प्रदान करता है लेकिन साथ में रोग का असर भी दिखाता है. शुक्र व्यक्ति की कमाई की क्षमता को बढ़ाता है. यह किसी से सलाह लिए बिना अपने दम पर चीजों को संभालने की अद्वितीय क्षमता पैदा करता है. व्यक्ति कला, सौंदर्य और मनोरंजक गतिविधियों पर भारी खर्च कर सकता है. शत्रुओं की ओर से उसे दोस्ती का रुख भी मिलता है.

जागृत शुक्र सातवें भाव में

सातवें भाव में शुक्र विवाह साझेदार के मामले में सबसे भाग्यशाली फल दिखाता हैं. आकर्षक, संपन्न और समान रूप से अनुकूल स्वभाव वाला आकर्षक जीवनसाथी भी मिलता है. रिश्तों में सुख पाता है. जीवन में सफलता की गारंटि मिलती है, भाषा से दूसरों को प्रभावित कर लेने में सक्षम होता है. 

जागृत शुक्र आठवें भाव में

जागृत शुक्र का आठवें भाव में होने से व्यक्ति को गुढ़ चीजों का फल मिलता है. शुक्र व्यावसायिक साझेदारी के लिए एक भाग्यशाली स्थिति देता है. व्यक्ति करीबी दोस्त और विश्वासपात्र होते हैं.  आठवें घर में शुक्र होने पर, व्यवसाय से लाभ होता है. व्यक्ति का पक्ष काफी मजबूत होता है.

जागृत शुक्र नवम भाव में 

नौवें भाव में शुक्र का प्रभाव व्यक्ति को यात्रा का सुख मिलता है. विदेशी स्थलों को पसंद करते हैं और दूसरी संस्कृति, संगीत और ललित कला की झलक प्रदान करते हैं. व्यक्ति सुखों को पाने में आगे रह सकता है. 

 जागृत सुख दशम भाव 

जागृत शुक्र दशम भाव में होने से पर्याप्त धन और सुख-सुविधाओं के साथ वित्तीय रूप से अच्छी तरह से सूचित साथी का सुख देती है. दसवें भाव में शुक्र व्यक्ति को लाभ और व्यवसाय में सुख देता है. कुछ गैर-जिम्मेदार बना सकता है. लोगों का इनसे अधिक आकर्षिण भी होता है. रहस्य, कामुकता और धन की प्राप्ति का सुख हमें जरुर मिलता है. 

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