प्रथम भाव के स्वामी का 12 भावों में फल

कुंडली में प्रथम भाव को लग्न भाव, पहला भाव, तनु भाव, केन्द्र और त्रिकोण भाव के रुप में जाना जाता है. लग्न को सबसे महत्वपूर्ण भाव माना जाता है. लग्न व्यक्ति की विशेषताओं, व्यक्तित्व लक्षणों, शारीरिक शक्ति, मानसिक शक्ति आदि के बारे में बताता है. लग्न के अलावा लग्न का स्वामी भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. कुंडली के जिस भी भाव में लग्न होता है उसका परिणाम और प्रभाव उसी अनुरुप देखने को मिलता है. कुंडली में लग्न और लग्नेश मजबूत है, तो व्यक्ति जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं को पार करने में सक्षम होता है.

इस भाव में लग्न के स्वामी के बारे में स्थिति अच्छी होती है तो कुछ भावों में इसकी स्थिति इसके विपतित दिखाई दे सकती है. लग्न के स्वामी के कारण, स्वास्थ्य अच्छा रहता है, लंबी आयु का लाभ मिल सकता है. मानसिक और शारीरिक रूप से मजबती देखने को मिलती है. जीवन में खुश और सफल होते है. कोई भी कदम उठाने से पहले हमेशा अच्छी तरह सोचते हैं, बुद्धिमान व्यक्ति होते हैं.ऎसे में लग्न के स्वामी और लग्न को समझना बहुत आवश्यक होता है. कुंडली में लग्न की स्थिति और लग्नेश की स्थिति फलित को प्रभावित करती है. 

लग्नेश का कुंडली के सभी भावों पर प्रभाव 

प्रथम भाव के स्वामी का प्रथम भाव में होना

प्रथम भाव के स्वामी का प्रथम भाव में होना काफी अच्छा माना गया है. इसके द्वारा शुभ केन्द्र का लाभ मिलता है. व्यक्ति शारीरिक सुख को पाता है. पराक्रम से संपन्न होता है. बुद्धिमान, चंचल स्वभाव का होता है. वैवाहिक जीवन काफी प्रभावित होता है रिश्तों में संपर्क की स्थिति प्रभाव डालती है. 

दूसरे भाव में प्रथम भाव के स्वामी का होना

दूसरे भाव में प्रथम भाव के स्वामी का होना धन को देने वाला होता है. आर्थिक रुप से व्यक्ति अधिक विचारशील होता है. व्यक्ति लाभ कमाने वाला, विद्वान, सुखी, अच्छे गुणों से संपन्न, धार्मिक, सम्मान प्रतिष्ठा के लिए उत्साही होता है.जीवन के अनेक पड़ावों पर उसकी स्थिति परेशानी और जोश को देने वाली होती है.

प्रथम भाव के स्वामी का तीसरे भाव में होना

प्रथम भाव के स्वामी का तीसरे भाव में होना साहस को देने वाला होगा. व्यक्ति जीवन में कई तरह के बेहतर परिणाम पाता है. व्यक्ति पराक्रम में काफी बेहतरीन होता है मान सम्मान पाता है.  सभी प्रकार की सम्पत्ति से संपन्न होता है, सम्माननीय होता है,  बुद्धिमान और सुखी संपन्न होता है. 

प्रथम भाव के स्वामी का चौथे भाव में होना

प्रथम भाव के स्वामी का चौथे भाव में होना व्यक्ति को घर परिवार के प्रति अधिक उत्साही बनाता है. व्यक्ति को पैतृक और मातृ सुख प्राप्त होगा, उसके कई भाई होंगे, वह कामुक, गुणी और आकर्षक हो सकता है. संपत्ति के अर्जन को लेकर उसका उत्साह काफी अधिक रहता है. 

प्रथम भाव के स्वामी का पांचवें भाव में होना

प्रथम भाव के स्वामी का पांचवें भाव में होना शुभता को देने वाला होता है. व्यक्ति को संतान सुख सामान्य होगा, वह अपनी पहली संतान को खो सकता है लेकिन अगर पाप प्रभाव हो तब यह होता है. प्रेम को लेकर अधिक उत्साही होता है. क्रोध अधिक करने वाला होगा, अधिकारियों के साथ अच्छे संबंध होते हैं. 

प्रथम भाव के स्वामी का छठे भाव में होना

प्रथम भाव के स्वामी का छठे भाव में होना व्यक्ति को काफी कुशल बनता है. सेहत पर असर रहता है और यह तब अधिक होता है जब लग्न के स्वामी का संबंध पाप ग्रह से हो तो व्यक्ति शारीरिक सुख से वंचित रहेगा और यदि शुभ दृष्टि न हो तो शत्रुओं से परेशान रहेगा.

प्रथम भाव के स्वामी का सातवें भाव में होना

प्रथम भाव के स्वामी का सातवें भाव में होना व्यक्ति के रिश्तों के लिए विशेष होता है. जीवन साथी के साथ संबंध प्रभवित होते हैं. यदि संबंधित ग्रह शुभ है तो व्यक्ति लक्ष्यहीन भटकेगा, दरिद्रता का सामना करेगा और उदास रहेगा. वह दूसरों के लिए विश्वासपात्र बन जाएगा अगर ग्रह मजबूत है तो.

प्रथम भाव के स्वामी का अष्टम भाव में होना

प्रथम भाव के स्वामी का अष्टम भाव में फल विशेष होता है. इस भाव के प्रभाव के कारण व्यक्ति विद्वान तो होगा लेकिन रोग से भी प्रभावित होता है. पाप ग्रहों का असर पड़ने पर चोर, क्रोधी, जुआरी, दूसरों की पत्नियों से युक्त हो सकता है.

प्रथम भाव के स्वामी का नवम भाव में होना

प्रथम भाव के स्वामी का नवम भाव में होना कई मायनों में विशेष बन जाता है. व्यक्ति भाग्यशाली, लोगों का प्रिय, श्री विष्णु का भक्त, कुशल, वाकपटु, पत्नी, पुत्र और धन से संपन्न होता है. व्य्क्ति उन चीजों को पाने में सक्षम होता है जो भाग्य में उसके लिए विशेष मायने रखती हैं. 

दसवें भाव में प्रथम भाव के स्वामी का होना

दसवें भाव में प्रथम भाव के स्वामी का होना अनुकूल स्थिति को देने में सक्षम होता है. व्यक्ति को पैतृक सुख, राजसी सम्मान, पुरुषों के बीच प्रसिद्धि मिलेगी और निस्संदेह उसके पास स्वयं अर्जित धन होता है. बाहरी संपर्क से वह खुद के लिए कई विशेष संपत्तियों को अर्जित कर सकता है. 

एकादश भाव में प्रथम भाव के स्वामी का होना

एकादश भाव में प्रथम भाव के स्वामी का होना व्यक्ति को लाभ की ओर खिंचता है. व्यक्ति हमेशा लाभ, अच्छे गुणों, प्रसिद्धि और कई पत्नियों से संपन्न होता है. जीवन में उसे कई पहलुओं पर विजय की प्राप्ति होती है. सामाजिक क्षेत्र में उसकी स्थिति कई बातों से प्रभावित हो सकती है.

द्वादश भाव में प्रथम भाव के स्वामी का होना

द्वादश भाव यानि के बारहवें भाव में लग्न का स्वामी है तो खर्चों की अधिकता देने वाला होता है. शुभ दृष्टि या युति न हो, तो व्यक्ति शारीरिक सुख से वंचित होगा, बेकार खर्च करेगा और बहुत क्रोधी हो सकता है. इस भाव की स्थिति व्यक्ति को परिवार से कुछ दूर ले जा सकती है. विदेश में निवास का सुख मिल सकता है.

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चंद्र शुक्र योग से दूर होता है दरिद्र योग

चंद्रमा के साथ शुक्र का होना एक अनुकूल स्थिति का निर्देश देने वाला सिद्धांत है. यह दोनों ग्रह बेहद शुभ माने जाते हैं. चंद्रमा एक शीतल प्रधान ग्रह है वहीं शुक्र भी शीतल और शुभता प्रदान करने वाला ग्रह है. इन दोनों के मध्य भी आपसी संबंधों का रुप मित्र स्वरुप होता है. यह दोनों ग्रह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ते चले जाते हैं. चंद्रमा जहां हमारी भावनाओं को दिखाता है वहीं शुक्र हमारे ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है.

आईये जानते हैं कि चंद्रमा और शुक्र का एक साथ किसी भाव में होना किसी तरह के प्रभाव देने वाला हो सकता है :-

कुंडली के प्रथम भाव में चंद्रमा और शुक्र की युति

जब पहले भाव में चंद्रमा और शुक्र साथ होते हैं तब यह एक कोमल और अड़िग व्यकित्व को दर्शाने वाला होता है. प्रथम भाव में चंद्रमा और शुक्र का होना व्यक्ति की अभिव्यक्ति में उदारता के साथ साथ ज्ञान के उच्च स्तर को दर्शाने वाला होता है. व्यक्ति को यह योग एक प्रमुख व्यक्तित्व को प्रदान करने वाला था. व्यक्ति अपने काम में अग्रीण होता है. परिवार में सर्वोप्रमुख बनकर उभरता है. अपनी योग्यता के द्वारा वह जीवन में उच्च पदों को पाने में भी सक्षम होता है.

कुंडली के दूसरे भाव में चंद्रमा और शुक्र योग

द्वितीय भाव में चंद्रमा और शुक्र का योग काफी अच्छे असर दिखाता है. व्यक्ति अपने जीवन के आरंभिक दौर का अच्छा समय देखता है. व्यक्ति उच्च कुल में जन्म लेता है, वाणी का प्रभाव काफी महत्वपूर्ण होता है. यह स्थिति व्यक्ति को बेहतरीन वक्ता बनाने वाली होती है. धन की कभी कमी नहीं होती है, ऐसे व्यक्ति की बात ध्यान से सुनी जाती है. लोगों को बदल देने वाला और मार्गदर्शक बनता है. व्यक्ति कथा वाचक और बड़े-बड़े लोगों के साथ उठता बैठता है.

कुंडली के तीसरे भाव में चंद्रमा और शुक्र योग

तीसरे भाव में चंद्रमा और शुक्र का योग व्यक्ति को उच्च पद दिलाने में भी सहायक होता है. व्यक्ति अपनी मेहनत और अपनी प्रतिभा को पाने में सफल होता है. भाई-बहनों का सुख भी प्राप्त होता है. उच्च पद की प्राप्ति हो सकती है. शक्तिशाली और सम्मानित स्थान प्राप्त होता है. नाम और यश की प्राप्ति होती है. व्यक्ति अपने जीवन में काफी व्यस्तता भी पाता है, व्यक्ति अपने दम पर नाम कमाता है. सामाजिक प्रतिष्ठा को पाता है.

कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा और शुक्र योग

चतुर्थ भाव में चंद्रमा और शुक्र का प्रभाव व्यक्ति को माता से अत्यधिक प्यार और लाभ दिलाने वाला होता है. भूमि व वाहन का सुख मिलता है. परिवार का प्रेम और सहयोग भी इस के द्वारा प्राप्त होता है. जीवन के कुछ अनुभव काफी अग्रीण भूमिका निभाने वाले होते हैं. स्त्री पक्ष के सहयोग से व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ता है, चल अचल संपत्ति का प्रबल लाभ मिलता है,

कुंडली के पंचम भाव में चंद्रमा और शुक्र योग

पंचम भाव में चंद्रमा और शुक्र का योग व्यक्ति को ज्ञान और धन देता है, व्यक्ति बुद्धिमान होता है, इस दौरान व्यक्ति एक अच्छा स्कूल शिक्षक या वैज्ञानिक हो सकता है, व्यक्ति उच्चकोटि का लेखक भी बन सकता है, व्यक्ति को पूर्ण संतान का सुख प्राप्त होता है तथा संतान के उच्च पद पर होने के योग भी बनते हैं, व्यक्ति अपनी बुद्धि, विवेक और विद्या के बल पर जीवन में नाम कमाता है,

कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा और शुक्र योग

छठे भाव में चंद्रमा और शुक्र का योग थोड़ा कमजोर परिणाम देने वाला होता है. छठे भाव में शुक्र शत्रु हो जाता है, शत्रु दबे रहते हैं साथ ही चंद्रमा मन और माता के लिए अच्छा नहीं होता है. यह स्थिति व्यक्ति को मानसिक रुप से बेचैन बना सकती है. उच्च पद प्राप्ति में कमी होती है. स्वास्थ्य खराब रहता है, यह भाव काफी कठोर स्थान होता है इस कारण यह दो कोमल ग्रह अपनी शक्तियों एवं गुणों को भरपूर रुप से दिखा नहीं पाते हैं. इसमें शुभ ग्रह बृहस्पति और चंद्रमा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं रह पाती है.

कुंडली के सातवें भाव में चंद्रमा और शुक्र योग

सप्तम भाव में चंद्रमा और शुक्र का योग व्यक्ति को एक अच्छा जीवनसाथी देने में सहायक बनता है. वैवाहिक जीवन में साथी उच्च पद पर आसीन होता है. विवाह का सुख अनुकूल रहता है, जीवन साथी उच्च विचार वाला होता है. व्यक्ति को समाज में विशेष मान-सम्मान मिलता है. सामाजिक रुप से उच्च पद प्राप्ति एवं मान सम्मान भी प्राप्त होता है. वैवाहिक जीवन में भी प्रबल सुख मिलता है,

कुंडली के आठवें भाव में चंद्रमा और शुक्र योग

अष्टम भाव में चंद्रमा और शुक्र का योग व्यक्ति को गुप्त विद्याओं की ओर ले जाने वाला होता है. इसमें बड़े-बड़े तांत्रिक और साधु-संतों का व्यक्ति को सहयोग मिल सकता है. व्यक्ति की सोच आध्यात्मिक होती है. इस दौरान यह व्यक्ति को अप्रत्याशित धन प्रदान करता है और छिपे हुए धन की ओर भी इशारा करता है. जीवन में परेशानियां भी आती रहती हैं विशेष रुप से स्वास्थ्य को लेकर थोड़ा अधिक सजग रहना होता है और मानसिक रुप से मजबूती चाहिए होती है.

कुंडली के नवें भाव में चंद्रमा और शुक्र योग

वम भाव में चंद्रमा और शुक्र का योग व्यक्ति को कर्म से अधिक भाग्य का सुख प्रदान करता है. शुक्र और चंद्रमा इस भाग्य स्थान में धार्मिक गुणों को प्रदान करने वाले होते हैं. व्यक्ति भाग्यशाली होता है और आध्यात्मिक रुप से भी उसका रुझान अधिक रह सकता है. व्यक्ति धार्मिक होता है और समाज में अच्छा काम करता है, समाज के लिए परोपकारी कार्य करने से इन्हें जीवन में मान-सम्मान और धन की प्राप्ति होती है.

कुंडली के दसवें भाव में चंद्रमा और शुक्र योग

दशम भाव में चंद्रमा और शुक्र का योग व्यक्ति को उच्च पद प्रदान करने में सहायक होता है. व्यक्ति भाग्य से अधिक कर्म को महत्व देता है, उसे समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है, दशम भाव व्यवसाय का भी भाव है, व्यक्ति अपने करियर में ऊंचाइयों तक पहुंचता है,

कुंडली के ग्यारहवें भाव में चंद्रमा और शुक्र योग

एकादश भाव में चंद्रमा और शुक्र का योग व्यक्ति को आय के एक से अधिक स्रोत देता है, व्यक्ति को कई तरह से आय प्राप्त होती है, यह कम मेहनत में अधिक धन प्राप्ति का संकेत है, ऐसा व्यक्ति घर बैठे धन अर्जन करता है, व्यक्ति को एक से अधिक माध्यमों से धन प्राप्ति की संभावना बनती है. ब्याज पर धन देकर धन कमा सकते हैं और

कुंडली के बारहवें भाव में चंद्रमा और शुक्र योग

द्वादश भाव में चंद्रमा और शुक्र का योग व्यक्ति को कमजोर प्रभाव देने वाला होता है. है, जो व्यक्ति घर से दूर धार्मिक कार्यों पर धन खर्च करता है वह सफलता का सूचक होता है, इस दौरान व्यक्ति जन्म स्थान से दूर रहकर ही तरक्की हासिल कर सकता है, धर्म और कर्म के कार्यों में व्यक्ति का नेतृत्व करता है,

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मेष राशि में चंद्रमा का गोचर : नेतृत्व का समय

मेष राशि में चंद्रमा का होना एक अनुकूल स्थिति होती है. मेष राशि में चंद्रमा शुभ असर देने वाला होता है. मित्र स्थान में बैठ कर चंद्रमा नेतृत्व की कुशलता देता है. मेष में चंद्रमा का प्रभाव स्वभाव में तेजी, उग्रता, साहस और व्यक्तिगत स्वतंत्रता देता है. बड़ा प्रेमी बनाता है, व्यक्ति स्वतंत्र जीवन जीना पसंद करता है. कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय दूसरों के विचारों और राय की ज़्यादा नहीं सोचता है. मेष राशि में चंद्रमा अधिक चंचल, बहुत तेज़ बनाता है. चीजों को भूलने, माफ़ करने और जीवन में आगे बढ़ने में के लिए प्रेरणा मिलती है. हर चीज़ के बारे में बहुत गहराई से महसूस करते हैं, यह उन्हें भावनात्मक मूड में ज़्यादा देर तक टिकने से रोकता है.

मेष राशि में चंद्रमा बनाता है व्यवहार कुशल
मेष राशि में चंद्रमा वाले लोग किसी मामले की सच्चाई को समझने में सक्षम होते हैं और दूसरों को समझाने के लिए बेचैन भी हो सकते हैं. ऐसे लोग साहसी होते हैं और हमेशा जीवन में रोमांच की तलाश में रहते हैं. आप उन्हें सबसे ज़्यादा ज़िंदा और खुश तभी देख सकते हैं जब वे नई चीज़ें आज़माने और नए लोगों से मिलने के कगार पर हों भावनात्मक कमजोर होने पर अपने शब्दों से किसी को नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं रखते हैं, लेकिन कभी-कभी वे कठोर हो सकते हैं. उन पर किसी भी तरह के रिश्ते में भरोसा कर सकते हैं, क्योंकि हमेशा वास्तविक होने के साथ ईमानदार होने का प्रयास करते हैं.

एक ऎसे प्रेमी या साथी की आवश्यकता होगी जो आसानी से उनके बड़बोलेपन से हार न माने. मेष राशि में चंद्रमा वाले लोग अपने तर्कों में सहज, उत्तेजित और शत्रुतापूर्ण होने की संभावना रखते हैं. ऐसे लोग आत्मनिर्भर होते हैं और कभी-कभी चिढ़ जाते हैं. वे सब कुछ अपने लिए करते हैं. वे आत्म-अनुशासित होते हैं, और दूसरों द्वारा अनुशासित नहीं हो सकते. वे जो चाहें करेंगे और किसी के किसी भी तरह के प्रभुत्व को बर्दाश्त नहीं करेंगे. उनके दोस्त और रिश्तेदार या तो उन्हें पसंद करेंगे या उनके आवेगी व्यवहार के लिए उनसे नफरत करेंगे.

मेष राशि में चंद्रमा : रिश्तों में प्रेम और समर्पण
रिश्तों में, कोई ग्रे शेड नहीं होगा. यह या तो प्यार या नफरत का चरम होगा. जहाँ तक रिश्तों की बात है, मेष राशि के घर में चंद्रमा वाले लोग अपने आवेगी स्वभाव के कारण अपने जीवनसाथी और भागीदारों के साथ मुश्किल रिश्ते साझा करते हैं. सहानुभूति और संचार की कमी होगी. नेतृत्व करने और जिम्मेदारी लेने के शौकीन होते हैं और करियर में अधिकार की स्थिति में आ जाते हैं.

ऐसे लोग स्वाभाविक नेता होते हैं और अपने विचारों को दृढ़ विश्वास के साथ व्यक्त करने की क्षमता रखते हैं. वे अपना जीवन अपनी गति और शर्तों के अनुसार जीते हैं और इस प्रकार, अपना खुद का व्यवसाय या करियर चुनते हैं. मेष राशि में चंद्रमा उन्हें रोमांच, स्वतंत्रता और सैन्य जीवन से जोड़ता है. ऐसे लोग रहस्यवाद या रहस्यवाद के अध्ययन की ओर आकर्षित हो सकते हैं.
जब चंद्रमा मजबूत होता है तो, मेष राशि में होकर मुखर और ऊर्जावान बनाता है. मेष राशि में चंद्रमा एक स्वतंत्र, भावुक और व्यक्तिगत भावना रखता है जो व्यक्ति को अपने जीवन में स्वयं की शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है.

मेष राशि में चंद्रमा के नकारात्मक असर
मेष राशि में चंद्रमा वाले व्यक्ति उग्र स्वभाव के होते हैं, जो उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति, जुनून और जीवन के प्रति सहजता द्वारा वर्णित होता है. उनमें नए अनुभवों को अपनाने की तीव्र इच्छा होती है और वे क्रियाशील होते हैं. इसके अलावा, स्थितियों एवं संबंधों के प्रति उनकी भावनात्मक प्रतिक्रिया तत्काल और मजबूत होती है. आवेगी स्वभाव और परिणामों के बारे में पहले से सोचे बिना कार्य करने की प्रवृत्ति के कारण आपको बहुत ताकत के बावजूद भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

जल्दबाजी, त्वरित और तीव्र भावनात्मक प्रतिक्रिया के कारण, आप धैर्य रखने में संघर्ष कर सकते हैं और पारस्परिक संबंधों में क्रोध प्रदर्शित कर सकते हैं. रिश्तों में, सामंजस्य बनाए रखने के लिए स्वतंत्रता और स्वतंत्रता की आवश्यकता होती है. भावुक और दृढ़ साथी होते हैं जो अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में संकोच नहीं करते हैं. साथी के साथ अच्छी समझ विकसित करने के लिए अपने रिश्तों में ईमानदारी और सीधे संवाद को महत्व देते हैं.

इसके अलावा नेतृत्व की भूमिकाओं में उत्कृष्ट हैं और उन व्यवसायों में बहुत अच्छा कर सकते हैं जिनमें साहस, पहल और त्वरित निर्णय लेने की आवश्यकता होती है. चुनौतीपूर्ण वातावरण में खुद को बनाए रख सकते हैं जहां आगे रहते हुए काम को दिखाने का अवसर मिलता है.

चंद्रमा मेष राशि में अस्त होने पर
जब चंद्रमा मेष राशि में अस्त होता है, तो इसका मतलब है कि चंद्रमा सूर्य के समान राशि में है, या यह आपकी कुंडली में डिग्री में सूर्य के बहुत करीब है. जब चंद्रमा अस्त होता है, तो ऐसा कहा जाता है कि यह अस्त ग्रह के गुणों पर सूर्य के अत्यधिक प्रभाव के कारण अपनी कुछ शक्ति और व्यक्तित्व खो देता है. चंद्रमा भावनाओं और प्रवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए जब चंद्रमा मेष राशि में अस्त होता है तो यह बढ़ी हुई संवेदनशीलता और आवेगी स्वभाव के कारण भावनात्मक स्थिरता में उतार-चढ़ाव ला सकता है.

इसके कारण यह संभावना है कि मूड स्विंग और भावनात्मक रूप से खुद को और दूसरों को भी समझाने में असमर्थता से जूझ सकता है. चंद्रमा मेष राशि में अस्त होता है, तो यह आपकी भावनात्मक स्पष्टता, स्थिरता और अंतर्ज्ञान को प्रभावित कर सकता है, जिससे आप अपने अहंकार या इच्छाशक्ति से उत्पन्न अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में संघर्ष कर सकते हैं. यह चंद्रमा से जुड़े भावनात्मक और पोषण गुणों को कमजोर कर सकता है, जिससे दूसरों के सामने अपनी भावनाओं को व्यक्त करने और भावनात्मक संतुष्टि पाने में मजबूत चुनौतियां पैदा हो सकती हैं.

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वृश्चिक राशि में वक्री शुक्र का गोचर, जानिए आपकी राशि पर क्या होगा प्रभाव

शुक्र विलासिता का ग्रह है जो जीवन के अनुपम सौंदर्य से संबंधित है. सौदर्य प्रेम, खुशी, आनंद, कला, खेल, नृत्य, आभूषण, सौंदर्य प्रसाधान, फैशन आदि का कारक शुक्र ग्रह ही है. शुक्र ग्रह जब वर्की होता है रो उसके फल भी वक्र होते हैं. वृश्चिक राशि में वक्री शुक्र का गोचर आपके लिए कैसा प्रभाव देगा जानते हैं यहां.

मेष राशि के लिए वक्री शुक्र का वृश्चिक राशि गोचर प्रभाव
मेष राशि वालों के लिए शुक्र का वक्री काल अधिकतर आठवें भाव को प्रभावित करेगा. इस समय आपको थोड़ा सावधान रहना होगा. वाहन की मरम्मत पर आप अधिक धन खर्च कर सकते हैं. बाहर खाने-पीने या दिखावे पर भी धन खर्च हो सकता है. अगर आप इस समय किसी को प्रपोज करते हैं तो संभव है कि आपको सकारात्मक जवाब न मिले.

वृष राशि के लिए वक्री शुक्र का वृश्चिक राशि गोचर प्रभाव
वृष राशि वालों के लिए शुक्र के वक्री होने का प्रभाव अधिकतर सप्तम भाव पर रहेगा. यह गोचर आपके लिए शुभ रहेगा. इस दौरान जीवनसाथी के साथ पुराने मतभेद सुलझेंगे और आप रोमांटिक बने रहने का प्रयास करेंगे. इस समय जीवनसाथी के स्वास्थ्य पर धन खर्च हो सकता है. आपका सामाजिक जीवन बहुत सक्रिय होने वाला है, शुक्र चारों ओर से निमंत्रण और संपर्क आकर्षित कर रहा है. यह नेटवर्क बनाने, नए दोस्त बनाने और यदि आप सिंगल हैं तो संभवतः किसी खास व्यक्ति से मिलने का एक बढ़िया समय है.

मिथुन राशि के लिए वक्री शुक्र का वृश्चिक राशि गोचर प्रभाव
मिथुन राशि वालों के लिए शुक्र के वक्री होने का समय छठे भाव को प्रभावित करेगा. यह भाव आपकी नौकरी, शत्रु और स्वास्थ्य का है. इस समय आप बीमारी पर धन खर्च कर सकते हैं. आपकी बचत का कुछ हिस्सा बार-बार मेडिकल चेकअप पर खर्च होगा. कार्यस्थल पर आपको अधिक लक्ष्य दिए जा सकते हैं. इस सप्ताह सही कार्य-जीवन संतुलन पाना महत्वपूर्ण है. इस पारगमन के दौरान सहकर्मियों और ग्राहकों के साथ आपकी बातचीत बढ़ने की संभावना है. यदि आप नए अवसरों की तलाश कर रहे हैं, तो अब उन परियोजनाओं या नौकरी के अवसरों को आगे बढ़ाने का एक अच्छा समय है जो आपके कौशल के अनुरूप हों.

कर्क राशि के लिए वक्री शुक्र का वृश्चिक राशि गोचर प्रभाव
कर्क राशि वालों के लिए शुक्र का कर्क राशि में वक्री होना उनके पांचवें भाव को प्रभावित करेगा. यह भाव संतान, प्रेम और शिक्षा का है. इस दौरान जो लोग अपने घर किसी नए मेहमान के आने की खुशखबरी का इंतजार कर रहे हैं, उन्हें वह खुशखबरी मिल सकती है. अगर आप किसी के साथ रिलेशनशिप में हैं तो उनके साथ आपके संबंध काफी अच्छे रहेंगे और आप ज्यादातर समय रोमांटिक बने रहेंगे. सच्चे प्यार की तलाश करने वालों की तलाश पूरी हो सकती है.

सिंह राशि के लिए वक्री शुक्र का वृश्चिक राशि गोचर प्रभाव
सिंह राशि वालों के लिए शुक्र वक्री होकर अधिकतर समय चतुर्थ भाव में रहेगा. शुक्र का यह परिवर्तन आपको अपने परिवार पर कुछ धन खर्च करवा सकता है. आप अपने परिवार के लिए कोई बड़ी कार खरीद सकते हैं. आपकी अधिकांश बचत इसी विलासिता पर खर्च होगी. आपकी इच्छाशक्ति और क्रय शक्ति में वृद्धि होगी. इस समय किसी खास के प्रति आकर्षण भी आपको परेशान कर सकता है.

कन्या राशि के लिए वक्री शुक्र का वृश्चिक राशि गोचर प्रभाव
कन्या राशि वालों के लिए शुक्र के वक्री गोचर का अधिकतर समय तृतीय भाव में रहेगा. इस समय आपका आत्मविश्वास कम या ज्यादा हो सकता है, लेकिन आप किसी से अपने प्यार का इजहार कर सकते हैं. सकारात्मक जवाब मिलेगा या नहीं, यह जानने के लिए इंतजार करना पड़ सकता है. इस समय आपके शब्दों में एक विशेष आकर्षण होगा, जो आपके आस-पास के लोगों को आकर्षित करेगा. यदि आप छोटी यात्रा पर जाने के बारे में सोच रहे हैं, तो यह रोमांस को प्रज्वलित कर सकता है. यह आपके द्वारा किए जा रहे किसी भी लेखन या संचार प्रोजेक्ट को प्रदर्शित करने का एक शानदार समय है.

तुला राशि के लिए वक्री शुक्र का वृश्चिक राशि गोचर प्रभाव

तुला राशि वालों के लिए शुक्र का वक्री प्रभाव अधिकतर दूसरे भाव पर रहेगा. शुक्र आपकी राशि के लिए प्रेम, विदेश यात्रा, शिक्षा, संतान और व्यय का स्वामी है. वक्री अवस्था में शुक्र आपके लिए धन भाव से गोचर करेगा. इस समय आप अपने प्रियतम के लिए कुछ आभूषण खरीदने की योजना बना सकते हैं. शुक्र के आपके वित्तीय क्षेत्र से गुजरने के कारण वित्तीय मामलों में सौभाग्य आपके पक्ष में है. यह धन को आकर्षित करने का एक शानदार समय है, इसलिए खुद को या अपने प्रियजनों को खुश करने में संकोच न करें. यदि आप नौकरी के नए अवसरों की तलाश कर रहे हैं, तो अब सक्रिय होने का समय है.

वृश्चिक राशि के लिए वक्री शुक्र का वृश्चिक राशि गोचर प्रभाव
वृश्चिक के लिए शुक्र का वक्री काल आपके लिए महत्वपूर्ण रहने वाला है. शुक्र अधिकांश समय आपकी ही राशि में वक्री रहेगा. आपके प्रथम भाव में वक्री होने से आप अपने लुक के बारे में सोचेंगे. आप फैशन करना चाहेंगे और हर चीज में खूबसूरती तलाशने की कोशिश करेंगे. इस दौरान आपको किसी से मनचाहा उपहार भी मिल सकता है. शुक्र आपकी राशि में चमक रहा है, जो आपके लिए वर्ष के सबसे खूबसूरत समय में से एक है. आनंद और रोमांस के इर्द-गिर्द ऊर्जा को अपनाएँ, चाहे आप सिंगल हों या किसी रिलेशनशिप में हों. यह दूसरों से अनुग्रह मांगने और यह देखने का भी अच्छा समय है कि आपके लिए क्या आता है.

धनु राशि के लिए वक्री शुक्र का वृश्चिक राशि गोचर प्रभाव
धनु राशि के लिए शुक्र के वक्री होने का शुरुआती समय आपकी राशि में रहेगा. इसके बाद शुक्र आपकी राशि से बारहवें भाव में वक्री हो जाएगा. इस समय आप कुछ फैशनेबल बनना चाहेंगे. आप अपने जीवन को उन्नत बनाएंगे और चाहेंगे कि लोग आपकी तारीफ करें. साथ ही विदेश से जुड़े कामों में आपको सफलता मिल सकती है.इस सप्ताह घर और परिवार ही वह जगह होगी जहाँ आपको अपनी खुशी मिलेगी. शुक्र के आपके घरेलू क्षेत्र में होने से, आप प्रियजनों के साथ सकारात्मक वाइब्स का आनंद लेंगे. यह उन रिश्तों को मजबूत करने और गर्मजोशी भरा माहौल बनाने का एक शानदार अवसर है.

मकर राशि के लिए वक्री शुक्र का वृश्चिक राशि गोचर प्रभाव
मकर राशि के लिए शुक्र का वक्री काल कई मामलों में फायदे का सौदा रहेगा. इस दौरान आप अच्छे खाने के शौकीन बनेंगे और हर दिन कुछ नया, मसालेदार या मीठा खाने की कोशिश करेंगे. इस दौरान आपकी आमदनी बढ़ेगी और समाज के कई प्रतिष्ठित लोगों से आपके संबंध मजबूत होंगे.

कुंभ राशि के लिए वक्री शुक्र का वृश्चिक राशि गोचर प्रभाव
कुंभ राशि वालों के लिए शुक्र का वक्री होना दशम भाव को सक्रिय करेगा. हालांकि, इस समय आपको थोड़ी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है. वाहन की मरम्मत पर धन खर्च होगा. नौकरीपेशा लोगों को ऑफिस में राजनीति का सामना करना पड़ सकता है. नई व्यावसायिक मीटिंग में कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा और चीजें आपके हाथ से फिसलती हुई नजर आएंगी.

मीन राशि के लिए वक्री शुक्र का वृश्चिक राशि गोचर प्रभाव
मीन राशि वालों के लिए शुक्र का वक्री काल अधिकतर नवम भाव में रहेगा. इस दौरान आपके और आपके पिता के भाग्य में वृद्धि होगी. आपके कारण आपके पिता को लाभ होगा. आप अपने परिवार के साथ किसी यात्रा पर जाने की योजना भी बना सकते हैं और इस यात्रा से आपको लाभ होगा.

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नवमांश में शुक्र का विभिन्न भावों में शुक्र का परिणाम

नवमांश कुंडली में शुक्र का प्रभाव रिश्तों और विवाह संबंधों के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है. शुक्र ग्रह वैवाहिक जीवन, प्रेम और रिश्तों की स्थिति को दर्शाता है. शुक्र ज्ञान में परिष्कार करने वाला होता है. यह कलात्मक प्रतिभा, रोमांस और सुंदरता के प्रति व्यक्ति के दृष्टिकोण को दिखाता है. नवमांश कुंडली में शुक्र की स्थिति यह बता सकती है कि आप प्रेम, विवाह, वित्त और खुशी के बारे में अपने विचारों को बेहतर बनाने के लिए कहाँ और किससे सलाह लेंगे. 

जन्म कुंडली और नवांश कुंडली में शुक्र का प्रभाव 

नवमांश में शुक्र  की स्थिति को देखने से पहले लग्न कुंडली में इसकी जांच कर लेना काफी अच्छा होता है. नवमांश कुंडली जो है वह लग्न कुंडली का नौवां भाग होती है जो व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. नवमांश में आपके जीवन के उतार-चढ़ाव में समाधान प्रदान करने की शक्ति है. शुक्र अगर लग्न में कमजोर है लेकिन नवांश में बली है तो इसके कारण शुक्र बलवान ही होगा. इसलिए नवांश कुंडली से ग्रहों का बल समझने में मदद मिलती है.नवमांश कुंडली में शुक्र की स्थिति यह बताती है कि व्यक्ति को प्रेम, वित्त, विवाह और खुशी के बारे में अपने दृष्टिकोण को बेहतर बनाने के लिए सुझाव कहाँ से और कौन देगा. शुक्र कफ दोष को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार है जिसे जैविक शक्ति भी कहा जाता है. जब नवमांश चार्ट में ग्रह अच्छी स्थिति में होते हैं तो इन ग्रहों की सक्रियता व्यक्ति को अपने प्रियजनों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने, सकारात्मक वाइब्स को आकर्षित करने और अपने जीवन में जीवंतता लाने में सहायता करेगी.

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नवांश शुक्र का भाव फल 

नवांश कुंडली में शुक्र का असर कैसा होगा इसे समझने के लिए आवश्यक है की हम इसकी भाव स्थिति को भी देखें जिससे इसके परिणाम जान पाने में सहायता मिलती है. शुक्र एक बोधगम्य शक्ति प्रदान करता है. शुक्र के व्यक्तित्व और कफ के प्रमुख व्यक्तित्व के कारण, आपकी उपस्थिति आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक है.

नवांश कुंडली में पहले भाव में शुक्र

नवमांश में पहले भाव में शुक्र की स्थिति एक रचनात्मक और रोमांटिक व्यक्तित्व देती है. जीवनसाथी बातचीत करना पसंद करता है. पहले भाव में शुक्र की यह स्थिति व्यक्ति को कफ प्रमुख व्यक्तित्व देगी जो व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत और करियर जीवन दोनों में अपने निर्णय लेने के कौशल के माध्यम से संतुलन बनाने में सक्षम बनाएगी. शुक्र की इस स्थिति के साथ चीजों को सुंदर बनाने, बढ़िया आभूषण खरीदने और रचनात्मकता में माहिर होंगे. आप काम और भाव दोनों जगह प्रस्तुति कौशल में अच्छे हैं.

नवांश कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र

दूसरे भाव में शुक्र की यह स्थिति व्यक्ति को अपने साथी और परिवार के साथ एक आनंदमय समय प्रदान करेगी. रचनात्मकता वरिष्ठों को पसंद आती है. जीवनसाथी भ्रमण का शौकिन होगा. कमजोर शुक्र को ग्रह का समर्थन रिश्ते की चुनौतियों पर काबू पाने को सुनिश्चित करेगा. व्यक्ति को वाणी से संबंधित समस्याओं का अनुभव हो सकता है. शुक्र दशा के दौरान स्वास्थ्य सेवा की सहायता से आप इन बाधाओं को दूर करने में मदद करेंगे.

नवांश कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र

तीसरे भाव में शुक्र की स्थिति के साथ, तीस वर्ष की आयु के बाद विवाह सुख देती है. अपनी शादी के बाद जीवन में परिवर्तन देखने को मिलता है. शुक्र की यह स्थिति व्यक्ति को अपने साथी के साथ उपहार शेयर करने और डेट पर जाने में सक्षम बनाती है. आप प्रस्तुतिकरण और सॉफ्ट स्किल देने में अच्छे होंगे. शुक्र की इस स्थिति के साथ, आप कफ ऊर्जा की प्रमुखता का अनुभव करेंगे जो त्वचा पर चकत्ते पैदा करेगी. पीड़ित शुक्र आपके जीवनसाथी के साथ आपके संबंधों के कारण धोखा या वित्तीय नुकसान को बढ़ावा देगा और शराब की लत भी लग सकती है.

नवांश कुंडली के चौथे भाव में शुक्र

चौथे भाव में शुक्र आपकी कल्पना को बढ़ावा देगा और कला, रचनात्मक और फिल्मों में अच्छा प्रदर्शन करने में आपकी सहायता करेगा. तीस के बाद, आपका जीवन मज़ेदार और आनंद से भरा होगा. आपके चौथे भाव में शुक्र की इस स्थिति के साथ आप संपत्ति, कारों और अपने वित्त में स्थिरता के मामले में प्रचुरता का अनुभव करेंगे. मजबूत शुक्र संतुलित कफ सुनिश्चित करता है और चेहरे पर चमक और रेशमी-चिकने बालों के साथ एक आकर्षक व्यक्तित्व प्रदान करता है. नवमांश में शुक्र के पीड़ित होने से रिश्ते और आत्म-भोग की समस्याएं बढ़ेंगी.

नवांश कुंडली के पांचवें भाव में शुक्र

पांचवें भाव में शुक्र व्यक्ति को अपने जीवन में लोगों के विभिन्न दृष्टिकोणों को समझने में मदद करता है. चुनौतीपूर्ण समय में भी निर्णय लेने में सक्षम होंगे. वैवाहिक जीवन में आनंद महसूस करेंगे. आपका जीवनसाथी और बच्चे आपकी शक्ति और समर्थन के स्तंभ होंगे. नवमांश में पीड़ित शुक्र के कारण आपके जीवन में एकाग्रता और स्थिरता की कमी हो सकती है. शुक्र हमेशा व्यक्ति को जीवन में बेहतर करने के लिए प्रेरित करेगा और व्यक्ति को एक मजबूत व्यक्ति बनाएगा.

नवांश कुंडली के छठे भाव में शुक्र

जीवन में महिला पक्ष चुनौतियों पर काबू पाने में आपका समर्थन और मार्गदर्शन करेगा. मजबूत और सकारात्मक शुक्र, व्यक्ति को रिश्तों के वास्तविक सार को समझने में सहायता करेगा. यह आपकी प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने में आपकी सहायता करेगा. आपके जीवनसाथी के पास अनुकरणीय कलात्मक कौशल होगा और इस स्थान पर उन्हें ज्वलंत सपने भी आएंगे. छठे भाव में पीड़ित शुक्र के कारण आपके जीवन में सहकर्मियों और महिलाओं के साथ विवाद हो सकता है. 

नवांश कुंडली के सातवें भाव में शुक्र 

यहां शुक्र, करियर जीवन में वृद्धि प्रदान करता है. पीड़ित शुक्र परिवार और दोस्तों पर या अपने भाव को सुंदर बनाने पर व्यर्थ के खर्च का कारण बन सकता है. इस पीड़ा के कारण आपके वैवाहिक जीवन में कुछ उतार-चढ़ाव आ सकते हैं. अपनी सुंदरता को बढ़ाने या अपने व्यक्तित्व को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे. व्यक्ति को ऐसे लोगों के साथ काम करने का अवसर भी मिलेगा, जो रचनात्मक सोच रखते हैं. 

नवांश कुंडली के आठवें भाव में शुक्र

नवमांश में आठवें भाव में शुक्र की इस स्थिति के साथ आप विस्तार से देखेंगे और दूसरों के रहस्यों को खोजने में अच्छे होंगे. यह व्यक्ति को अच्छी मात्रा में धन संचय करने की क्षमता देगा.

आपका जीवनसाथी अचल संपत्ति और विरासत से संबंधित मामलों में समृद्धि लाएगा. शुक्र व्यक्ति को तंत्र या गुप्त विज्ञान में जानकार बनने में सहायता करता है. यदि आठवें भाव में शुक्र पीड़ित है, तो अधिक सोचने के कारण आपका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है.

नवांश कुंडली के नवम भाव में शुक्र

आपकी कुंडली में शुक्र की इस स्थिति से विलासिता और भाग्य आपके पक्ष में रहेगा. आपके संबंधित क्षेत्र में उच्च अध्ययन के साथ आपके जीवन में अपेक्षित वृद्धि होगी. डी9 चार्ट में 9वें भाव में शुक्र व्यक्ति को अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करता है और त्वचा संबंधी रोगों से बचाता है. आपके जीवनसाथी का व्यक्तित्व आकर्षक होगा, पढ़ाई में अच्छा होगा और उसका करियर स्थिर होगा और वह आपके वित्त का प्रबंधन करने में भी आपकी मदद करेगा. शुक्र की इस स्थिति के कारण आत्म-केंद्रित दृष्टिकोण और अति आत्मविश्वासी होना चुनौतियों का कारण बन सकता है.

नवांश कुंडली के दसवें भाव में शुक्र

आप आमतौर पर अपने नियमों का पालन करना पसंद करते हैं जो व्यक्ति को अपने जीवन में सफल बनाता है. दशम भाव में शुक्र की यह स्थिति व्यक्ति को उच्च पद और प्रतिष्ठा प्रदान करेगी, लेकिन आपके पेशेवर जीवन में वरिष्ठों के साथ अहंकार के टकराव के कारण चुनौतियाँ पैदा कर सकती है. दशम भाव में सकारात्मक शुक्र यह सुनिश्चित करेगा कि आपके जीवनसाथी का करियर स्थिर हो. आपका जीवनसाथी व्यक्ति को काम की नई संभावनाएँ भी प्रदान करेगा और आपके पेशेवर क्षेत्र में भी आपकी मदद करेगा.

नवांश कुंडली के ग्यारहवें भाव में शुक्र

शुक्र सुनिश्चित करेगा कि आप वित्तीय या रिश्ते की चुनौतियों के दौरान उम्मीद न खोएं. आपके बड़े-बुजुर्ग और भाई-बहन वित्तीय बाधाओं को दूर करने में आपकी सहायता करेंगे और उनका मार्गदर्शन व्यक्ति को चीजों को आसान और सफल बनाने में मदद करेगा. शुक्र की इस स्थिति के साथ आपके व्यापारिक साझेदार या आपके जीवनसाथी के मार्गदर्शन के कारण आय के नए स्रोत बनने लगेंगे. इस भाव में पीड़ित शुक्र भाई-बहनों, बड़ों या दोस्तों के साथ मतभेद देगा. यहां शुक्र के पीड़ित होने पर व्यक्ति को धोखा भी मिल सकता है.

नवांश कुंडली के बारहवें भाव में शुक्र

इस भाव में शुक्र जीवनसाथी के प्रति गहरी भक्ति देगा और आप वैवाहिक जीवन में हमेशा समझौता करने के लिए तैयार रहेंगे. वह व्यक्ति को वित्तीय मदद और नैतिक समर्थन देने के लिए हमेशा तैयार रहेगा. पीड़ित शुक्र व्यक्ति को बाहरी सुंदरता के प्रति आकर्षित करेगा और कफ दोष के असंतुलन के कारण आपके बाल झड़ सकते हैं और आपकी त्वचा रूखी हो सकती है. नवमांश में बारहवें भाव में स्थित मजबूत शुक्र आपके जीवनसाथी को विदेश में करियर देगा. यह व्यक्ति को विदेश में या अपने जन्मस्थान से दूर सफलता दिलाएगा.

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दाराकारक मंगल कैसे बदल सकता है आपकी किस्मत

ज्योतिष में मंगल एक विशेष प्रभावी ग्रह है, जो अग्नि तत्व युक्त है और साहस पराक्रम का कारक बनता है. मंगल अगर प्रबल हो तो व्यक्ति चुनौतियों से कैसे निपटता है और लक्ष्य कैसे प्राप्त करता है यह बातें वह बहुत अच्छे से जान सकता है. मंगल ऊर्जा, क्रिया और इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है, दृढ़ता और उपलब्धि के लिए प्रेरणा को आकार देता है. मंगल का प्रभाव बौद्धिक चुनौतियों, भावनात्मक अभिव्यक्तियों और घरेलू गतिशीलता सहित विभिन्न जीवन क्षेत्रों तक फैला हुआ है.

ज्योतिष में दाराकारक मंगल का महत्व
मंगल ज्योतिष में एक शक्तिशाली ग्रह है ज्योतिष अनुसार यह ऊर्जा, क्रिया और इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है. किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में मंगल कहां स्थित है, यह दिखा सकता है कि वे चुनौतियों से कैसे निपटने में सक्षम होता है. व्यक्ति प्रतिस्पर्धा करने में बेहतरीन होता है और अपने लक्ष्यों का पीछा करते हुए सफलता पाता है. मंगल ऊर्जा और बुनियादी प्रवृत्ति का प्रतीक है जो हमें कार्य करने के लिए प्रेरित करती है. यह खुद को मुखर करने, नई चीजें शुरू करने और बाधाओं को दूर करने की हमारी क्षमता को प्रभावित करता है. मंगल की उग्र प्रकृति साहस, दृढ़ संकल्पशक्ति और आगे रहने से जुड़ी भावना को दिखाता है. जो चाहिए उसके लिए लड़ने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है.

जैमिनी ज्योतिष और दाराकाक मंगल
मंगल अगर दाराकारक होगा तो यह विवाह पर अपना असर डालने वाला होगा. मंगल क्रोध, आवेग और आक्रामकता भी ला सकता है. जब जन्म कुंडली में मंगल के कठिन पक्ष होते हैं, तो यह संघर्ष और बिना सोचे-समझे काम करने की ओर ले जा सकता है लेकिन सकारात्मक रूप से, मंगल बहादुरी, दृढ़ता और उद्देश्य की एक मजबूत भावना लाता है. दाराकारक मंगल के प्रभाव में उत्साही मानसिकता के साथ स्वभाव से उग्रपन मिलता है. व्यक्ति के क्रोधी स्वभाव को बढ़ाता है.

यह साहस, आत्मविश्वास, नेतृत्व जैसे गुणों को नियंत्रित करता है. लेकिन दूसरी ओर, यह क्रोध, क्रोध, चिड़चिड़ापन, घृणा, आवेगी स्वभाव और असंवेदनशीलता जैसे नकारात्मक गुणों को भी जन्म दे सकता है. दाराकार्क मंगल व्यक्ति को कौशल भी प्रदान करता है और उसे प्रसिद्धि दिला सकता है.

दाराकारक मंगल की स्थिति विभिन्न राशियों में मंगल होने पर अपना अलग अलग प्रभाव देती है. इसकी ऊर्जा दाराकारक होने पर वैवाहिक जीवन, आपसी संबंधों को सहभागिता के कामों पर असर डालती है.

दाराकारक मंगल का राशि प्रभाव
मेष राशि में दाराकारक मंगल, बहुत मजबूत होता है. इस स्थिति में ऊर्जावान, गतिशील और स्वाभाविक नेता होता है. प्रतिस्पर्धा पसंद करता हैं.

वृषभ राशि में दाराकारक मंगल अपनी ऊर्जा को अधिक स्थिर रूप से प्रवाहित करता है. ये लोग अपनी सहनशक्ति और दृढ़ संकल्प के लिए जाने जाते हैं. वे दृढ़ निश्चयी होते हैं और अक्सर कड़ी मेहनत से सफल होते हैं.

मिथुन राशि में दाराकारक मंगल ऊर्जा को अधिक बौद्धिक और बातूनी बनाता है. व्यक्ति विचारक और अनुकूलनशील होते हैं, मानसिक चुनौतियों का आनंद लेते हैं. अपनी ऊर्जा को कम फैला सकते हैं, लेकिन उनकी जिज्ञासा और बहुमुखी प्रतिभा ताकत है.

कर्क राशि में मंगल एक कठिन स्थिति है क्योंकि कर्क राशि का भावनात्मक स्वभाव दाराकारक मंगल की आक्रामक ऊर्जा को नरम कर देता है. ये व्यक्ति सीधे क्रोध व्यक्त करने के लिए संघर्ष कर सकते हैं और निष्क्रिय अथवा आक्रामक हो सकते हैं. अपने प्रियजनों के लिए बहुत सुरक्षात्मक होते हैं और अपने घर की रक्षा करने के लिए दृढ़ होते हैं. जन्म कुंडली में जिस घर में मंगल स्थित होता है, वह जीवन क्षेत्र दिखाता है जहाँ इसकी ऊर्जा सबसे अधिक महसूस की जाएगी. उदाहरण के लिए, प्रथम भाव में मंगल व्यक्ति के व्यक्तित्व औ

दाराकारक मंगल का भाव प्रभाव
दाराकारक मंगल जीवन के प्रति दृष्टिकोण को प्रभावित करता है भाव स्थान में इसकी शक्ति विशेष होती है.

लग्न भाव में दाराकारक मंगल मुखर और क्रियाशील बनाता है.

दूसरे भाव में दारा कारक मंगल गतिशील और कभी-कभी अशांत घरेलू वातावरण का अनुभव दे सकता है और स्थिरता बनाने के लिए वे कड़ी मेहनत करते हैं.

तीसरे भाव में मंगल बेहतरीन होगा. सफलता के अवसर देगा प्रगतीशील बनाएगा.

चौथे भाव में मंगल घर और पारिवारिक जीवन में ऊर्जा लाता है.

पंचम भाव में दाराकारक मंगल भावुक और कभी-कभी विवादास्पद रिश्तों को जन्म दे सकता है.

सप्तम भाव में मंगल रिश्तों और साझेदारी को प्रभावित करता है. यह स्थिति अनियंत्रण के मुद्दे उठ सकते हैं, लेकिन यह साझेदारी मेंआच्छा परिणाम देता है.

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मिथुन राशि में बृहस्पति गोचर : ज्ञान और बुद्धि का संगम

गुरु का किसी भी राशि में होना उस राशि के साथ मिलकर गुण तत्वों को देने वाली स्थिति होति है. मिथुन राशि में जब बृहस्पति होता है तो ये समय बुद्धि और ज्ञान के क्षेत्र में वृद्धि का संकेत देता है. इसके पिछे का मुख्य कारण ये हैं कि गुरु ज्ञान है और मिथुन राशि बुध के स्वामित्व वाली राशि है जो बुद्ध का कारक बन जाती है. इसी कारण से मिथुन राशि में गुरु का होना बड़े खास समय का उदाहरण बन जाता है. 

मिथुन राशि में बुध का गोचर समय क्यों लेता है बारह वर्ष 

मिथुन राशि में बुध एक वर्ष का समय लेता है ओर जब इसमें आता है तो बारह वर्ष के बाद ही आ पाता है क्योंकि किसी भी राशि में गुरु का गोचर 1 वर्ष लगभग का समय लेता है. मिथुन राशि में बृहस्पति मिथुन राशि में बृहस्पति शुभता देता है. विकास होने के साथ सफलता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण बन जाता है. इस कारन से मिथुन राशि में जन्म समय के दौरान गुरु का होना या फिर ह्गोचर के दौरान मिथुन राशि में जाना दोनों ही बातें अपने अपने नियम अनुसार विशेष असर दिखाने वाली होती हैं. 

मिथुन राशि में गोचर जन्म कुंडली प्रभाव 

जन्म कुंडली में यदि मिथुन राशि में बृहस्पति मौजुद हे तो इसे प्रभाव व्यक्ति के जीवन को कई तरह से प्रभावित कर्ने वाले होते हैं. बातचीत से जुड़े कारकों, संचार के गुणों और संसाधनों पर इसकी अच्छी पकड़ देखने को मिलती है. किसी भी काम को करने में आगे रहने के साथ साथ प्रतिबद्धता के महत्व को भी दिखाता है. व्यक्ति का व्यावहारिक और व्यापक दृष्टिकोण होता है. 

थुन राशि में बृहस्पति मिथुन राशि में बृहस्पति की विशेषताओं में जानकारी, ज्ञान का संग्रह करने के साथ साथ ज्ञान को साझा करने के लिए भी उत्साह देता है. इसमें दूसरों की मदद करना शामिल होता है. 

मिथुन राशि की तीसरी राशि में बृहस्पति की उपस्थिति वाक्पटु बना सकती है. अच्छे तर्क देने वाली होती है. बहस करने की क्षमता देती है. मिथुन राशि में बृहस्पति और बुध का संयुक्त प्रभाव व्यक्ति को धन के अच्छे प्रबंधन का ज्ञान प्रदान करता है.  सफल करियर का मार्ग मिल पाता है.  

मिथुन राशि में बृहस्पति संचार कौशल को बढ़ाता है, जिससे इन बातों को समझने में मदद मिलती है कि कब और कैसे प्रभावी ढंग से बात करना उपयोगी होगा. व्यक्ति अपनी टीम, समुदाय या किसी समूह का प्रतिनिधित्व करने में भी आगे रह सकता है. 

इसके अलावा, बृहस्पति और मिथुन राशि की गतिशील ऊर्जा जीवन में निरंतर परिवर्तनों के लिए अनुकूलनशीलता को बढ़ावा देती है, जिससे समय के साथ बेहतर प्रदर्शन होता है. मिथुन राशि में बृहस्पति गलत सूचनाओं को चुनौती देने और हाशिए पर पड़े और वंचित व्यक्तियों के कल्याण की वकालत करने की क्षमता देता है.

मिथुन राशि में बृहस्पति का विभिन्न तरह से असर

मिथुन राशि में बृहस्पति अपनी किसी न किसी अवस्था में होता है. इसमें या तो मार्गी हो सकता है या वक्री या फिर अस्त स्थिति. जन्म कुंडली में तो यह एक स्थिति को ही पाता है लेकिन गोचर में इसकी अवस्था समय समय अनुसार बदलती है और सभी को प्रभावित करती है. आइये जान लेते हैं मिथुन में बृहस्पति की विभिन्न अवस्थाओं का फल :

मिथुन राशि में बृहस्पति का वक्री प्रभाव 

मिथुन राशि में बृहस्पति के वक्री होने से स्थिति अनुकूल नहीम रह पाती है. यहां बृहस्पति को वक्रता के कारण परिपक्वता और समझ की प्राप्ति में देरी का प्रभाव व्यक्ति को झेलना पड़ सकता है. चीजों में यह स्पष्टता की कमी और बुनियादी शिक्षा में भी कुछ दिक्कत दे सकता है. व्यक्ति को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में बाधाओं का सामना भी करना पड़ सकता है. इसके कारण बातचीत करने या फिर, संचार में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. दूसरों के साथ अपने विचार व्यक्त करने में कमी आती है. बृहस्पति की वक्री गति के कारण समय पर सही मदद मिलने में देरी होती है.

मिथुन में बृहस्पति का वक्री प्रभाव बातचीत में कठोरता को देता है. विचारों का टकराव हो सकता है. आर्थिक मामलों में अच्छे से अमल नहीं हो पाता है. प्रबंधन से जुड़े कार्यों को करने में बाधा उत्पन्न हो सकती है. बच्चों के साथ अचानक असहमति का अनुभव हो सकता है. पारिवारिक संबंध प्रभावित हो सकते हैं. वक्री प्रभाव धर्म और शास्त्रों के बारे में गहन ज्ञान और रुचि प्राप्त करने के लिए अच्छा होता है. 

मिथुन में बृहस्पति का अस्त होना 

बृहस्पति के मिथुन राशि में अस्त होने पर कई चीजों में धीमापन आने लगता है. आत्मनिरीक्षण करने और जीवन में किसी भी चुनौती का समाधान निकाल पाना विलंब को दिखाता है. अपनी सच्चाई बोलने की क्षमता भी व्यक्ति में सही से नहीं रह पाती है आत्मविश्वास कमजोर होता है. मिथुन राशि में बृहस्पति के अस्त होने से संबंधों में आक्रामकता और विचारों का टकरावअधिक देखने को मिलता है.  बृहस्पति के अस्त होने से योजनाओं को पूरा करने में देरी हो सकती है. धन संचय में देरी हो सकती है. स्वास्थ्य में मोटापे की समया प्रभाव डालने वालि होती है. रिश्तों के मामले में व्यर्थ की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. 

मिथुन राशि में बृहस्पति का भाव प्रभाव 

बृहस्पति मिथुन राशि में प्रथम भाव में : बृहस्पति मिथुन राशि में प्रथम भाव में समाज में अच्छी स्थिति, प्रसिद्धि और पहचान बनाने में मदद करता है. उच्च शिक्षा में सफलता दिलाता है. वरिष्ठों, बुजुर्गों और अपने साथी के साथ सहयोग देता है. लेकिन वक्री होने पर  भाग्य का साथ पाने में देरी कर सकता है. आपको अपने जीवन साथी के साथ अपनी भावनाओं को व्यक्त करने और वरिष्ठों और पिता के साथ संबंध बनाने में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है.

मिथुन राशि में दूसरे भाव में बृहस्पति : आप परिवार के मजबूत सहयोग देता है. आर्थिक लाभ देता है. बैंकिंग या पारिवारिक व्यवसाय में भागीदारी से लाभ के लिए शुभ संकेत देता है. परिवार के सदस्यों, ससुराल वालों और कार्यालय के सहकर्मियों के साथ अच्छे संबंध देता है लेकिन वक्री होने पर ये प्रभाव बदल जाते हैं विवाद बढ़ सकते हैं. 

मिथुन राशि में बृहस्पति तीसरे भाव में : बृहस्पति की स्थिति काम के सिलसिले में या शिक्षा के लिए आपको विदेश यात्रा के अवसर दे सकती है. सफलता, भाई-बहनों और पड़ोसियों से सहयोग मिल सकता है. लेकिन वक्री होने पर ये प्रभाव बदल जाते हैं. 

मिथुन राशि में बृहस्पति चौथे भाव में : मिथुन राशि के लिए गुरु का इस भाव में प्रभाव परिवार को सुख समृद्धि देने वाला होता है. लेकिन अगर यहां बृहस्पति वक्री होने पर ये प्रभाव बदल जाते हैं विवाद बढ़ सकते हैं. 

मिथुन राशि में बृहस्पति पंचम भाव में : यह शैक्षणिक ज्ञान की प्राप्ति को बढ़ावा देता है. रिश्तों को बेहतर बनाता है. शिक्षा, करियर या व्यावसायिक प्रयासों के लिए विदेशी संबंध हो सकते हैं. कार्यस्थल पर आपको वरिष्ठों और बुजुर्गों से समर्थन प्राप्त होता है. लेकिन वक्री बृहस्पति इन गुण धर्म में विपरित अवस्था देने वाला बन सकता है. 

बृहस्पति मिथुन राशि में छठे भाव में : मिथुन राशि में बृहस्पति आपको एक अच्छा सलाहकार बनने में मदद करेगा और आपको तार्किक उत्तर देने की क्षमता देगा लेकिन वक्री होने पर व्यर्थ के विवाद दे सकता है. 

बृहस्पति मिथुन राशि में सातवें भाव में : रिश्तों में आपको अच्छी पकड़ देता है. एक अच्छा वक्ता बनाता है. कार्यस्थल पर लोगों से मार्गदर्शन और समर्थन मिलता है. वक्री होने पर स्थिति में बदलाव दिखाई देता है. 

बृहस्पति मिथुन राशि में आठवें भाव में : मिथुन राशि में आठवें बृहस्पति के होने से पैतृक संपत्ति का लाभ मिलता है. अचानक धन प्राप्ति के योग लाता है. लेकिन वक्री होने से बुरी आदतों को जन्म दे सकता है जिससे आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. 

बृहस्पति मिथुन राशि में नवम भाव में : इस भाव में धार्मिक सुख एवं स्थिरता देता है. जीवनसाथी से वित्तीय लाभ दिलाता है. पिता और बॉस से समर्थन मिलता है.

बृहस्पति मिथुन राशि में दशम भाव में :   करियर में आगे बढ़ने में मदद मिलती है. नाम प्रसिद्धि का योग अच्छा होता है. बिना किसी चुनौती के अपनी बात आगे रखने की क्षमता मिलती है. 

बृहस्पति मिथुन राशि में एकादश भाव में : लाभ में वृद्धि होती है. अच्छे मौके जीवन में आते हैं. समाज में सफलता के योग बनते हैं. 

बृहस्पति मिथुन राशि में द्वादश भाव में : विदेश योग बनते हैं. बाहरी क्षेत्र से लाभ के मौके मिलते हैं. वक्री होने से कार्यस्थल पर सहकर्मियों के साथ अहंकार का टकराव होगा, जिससे समय पर काम पूरा करने में चुनौतियां आएंगी

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अतिचारी ग्रह और इनका प्रभाव

ग्रहों का अतिचारी होना मिलेजुले असर दिखाता है. कोई ग्रह जब अतिचारी होता है तो उसके परिणामों में भी तेजी आती है. इस समय फल की प्राप्ति होना मुश्किल होता है. इस समय ग्रह अपने प्रभाव को अनुकूल रुप में नहीं दे पाता है. ग्रह का अतिचारी होना शुभ फलों को प्रभावित करता है. यह समय परिणाम की प्राप्ति होने में विलंब भी होता है.  सूर्य के प्रभाव की स्थिति अन्य ग्रहों को अतिचारी बना सकती है  आइये जान लेते हैं अतिचारी ग्रह कैसे होते हैं प्रभावित. 

अतिचारी चंद्रमा 

 चंद्रमा हमारे अवचेतन मन, हमारे अंतर्ज्ञान और हमारी भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को दर्शाता है. यह हमारे भरण- पोषण की स्थिति को दर्शाता है. भावनात्मक स्तर पर दूसरों से कैसे जुड़ सकते हैं और निकटता से कैसे जुड़ा जाए ये चंद्रमा से निर्भर होता है. चंद्रमा के अतिचारी होने पर ये सब प्रभावित होता है. चंद्रमा से मूड और भावनाएं बदलती रहती हैं. चंद्रमा हमारी भावनाओं, सहज ज्ञान और अंतर्ज्ञान को नियंत्रित करता है. यह हमारे अवचेतन मन का प्रतीक है और हमारी भावनात्मक भलाई को प्रभावित करता है. जन्म कुंडली में एक मजबूत चंद्रमा भावनात्मक स्थिरता, सहानुभूति और अंतर्ज्ञान में योगदान दे सकता है. दूसरी ओर, एक कमज़ोर या पीड़ित चंद्रमा मूड स्विंग, भावनात्मक उथल-पुथल और आंतरिक अशांति का कारण बन सकता है. अतिचारी प्रभाव से फलों की स्थिति कमजोर होगी

अतिचारी मंगल 

मंगल अतिचारी होने पर अपने गुणों को कमजोर पाता है. मंगल नवग्रहों में योद्धा है, मंगल ऊर्जा, क्रिया और इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है. यह हमारी महत्वाकांक्षाओं को बढ़ाता है और हमें चुनौतियों पर विजय पाने के लिए प्रेरित करता है. मंगल को ब्रह्मांडीय इंजन के रूप में सोचें जो हमारे दृढ़ संकल्प और साहस को शक्ति देता है, हमें अपने सपनों की ओर साहसिक कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है. मंगल ऊर्जा, क्रिया और साहस का ग्रह है. यह हमारी प्रेरणा, महत्वाकांक्षा और शारीरिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है. जन्म कुंडली में एक अच्छी स्थिति में स्थित मंगल दृढ़ता, दृढ़ संकल्प और चुनौतियों को दूर करने की क्षमता प्रदान कर सकता है. हालांकि, नकारात्मक रूप से प्रभावित मंगल आक्रामकता, आवेग और संघर्ष का कारण बन सकता है. अतिचारी होने पर इसके प्रभाव कमजोर होंगे.

अतिचारी बुध 

अतिचारी बुध का असर बुध के कारक तत्व को प्रभावित करेगा. बुध संचार, बुद्धि और विश्लेषणात्मक क्षमताओं को नियंत्रित करता है. यह हमारे सोचने के तरीके, सीखने की क्षमता और विचारों की अभिव्यक्ति को प्रभावित करता है. जन्म कुंडली में एक मजबूत बुध संचार कौशल, बुद्धि और अनुकूलन क्षमता को बढ़ाता है. इसके विपरीत, एक कमजोर या पीड़ित बुध के परिणामस्वरूप खुद को व्यक्त करने में कठिनाई, सीखने की अक्षमता और निर्णय लेने में चुनौतियां हो सकती हैं.  बुध अतिचारी होने पर सभी प्रभाव में कमजोर होता है. बुध, एक राजसिक ग्रह होने के कारण व्यवसाय, वाणिज्य और व्यापार पर शासन करता है.

विशेषता व्यक्ति को बिक्री, व्यवसाय विकास, उत्पाद प्रबंधन, विपणन और सामान्य रूप से व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में बहुत अच्छा बनाती हैं. बुध संख्या और गिनती में बहुत अच्छा है. सीखने में बहुत तेज़ होता है. यह ग्रह चीजों को दिमाग में ताज़ा रखने के लिए उत्कृष्ट स्मृति देता है बुध भाषण और संचार को नियंत्रित करता है. यह व्यक्ति को एक अच्छा संचारक बनाता है चाहे वह मौखिक हो या लिखित हो दोनों प्रभावित होते हैं. यह ग्रह व्यक्ति को कई भाषाएँ सीखने में सक्षम बनाता है और एक शानदार शिक्षक बनाता है. ऎसे में बुध का अतिचरई होना इन सभी बातों को कमजोर करने वाला होगा. 

अतिचारी बृहस्पति 

बृहस्पति बुद्धि, ज्ञान और आध्यात्मिकता से जुड़ा है. यह विस्तार, विकास और उच्च शिक्षा का प्रतीक है. जन्म कुंडली में एक अच्छी तरह से स्थित बृहस्पति ज्ञान, आशावाद और ज्ञान की प्यास प्रदान कर सकता है. यह सफलता और प्रचुरता के अवसर भी ला सकता है. हालांकि, एक नकारात्मक रूप से प्रभावित बृहस्पति अति-भोग, अत्यधिक आशावाद या दिशा की कमी का कारण बन सकता है. अतिचारी गुरु का असर शुभ कर्मों में कमी को दर्शाता है. गुरु ज्ञान प्राप्त करना और साझा करना, सिखाना और दूसरों को सही रास्ता दिखाना गुरु के कर्म हैं. परिणामस्वरूप, बृहस्पति व्यक्ति को विविध क्षेत्रों में व्यापक रुचि प्रदान करता है और उसे कम से कम एक क्षेत्र में पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने में मदद करता है. 

बृहस्पति मंत्री, देवों के शिक्षक हैं. उनका शरीर बड़ा है, उनके बाल और आंखें गहरे पीले हैं, कफ प्रकृति के हैं, बुद्धिमान हैं और सभी शास्त्रों के ज्ञाता हैं. देवगुरु बृहस्पति की सर्वोच्च विशेषता  ज्ञान है इसलिए,  बुद्धि, विवेक और निर्णय की कुशलता मिलती है. शांति और भाईचारे का प्रतिनिधित्व करते हैं और एक व्यक्ति में इन गुणों को विकसित करते हैं, जिससे वह सभी के लिए बहुत सम्मानित और प्रिय बन जाता है. लेकिन अतिचारी होने पर इन सभी बातों पर विपरित असर दिखाई देता है. 

अतिचारी शुक्र 

अतिचारी शुक्र का असर शुभता को प्रभावित करने वाला होता है. शुक्र प्रेम, सुंदरता और संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है. यह हमारे रोमांटिक झुकाव, कलात्मक प्रतिभा और सामंजस्यपूर्ण संबंध बनाने की क्षमता को प्रभावित करता है. जन्म कुंडली में एक मजबूत शुक्र प्रेम, रोमांस और एक मजबूत सौंदर्य बोध ला सकता है. यह कलात्मक क्षमताओं और सामंजस्यपूर्ण सामाजिक जीवन में भी योगदान दे सकता है. पीड़ित शुक्र रिश्तों में विवाद या भौतिकवादी प्रवृत्तियों को जन्म दे सकता है.

शुक्र ग्रह व्यक्ति को चित्रकारी, ड्राइंग, सजावट आदि जैसे क्षेत्रों में बहुत अच्छा बनाता है.व्यक्ति को चीजों को डिजाइन करने में बहुत अच्छा बनाता है. शुक्र ग्रह बहुत बारीकी से चीजों को समझने की क्षमता देता है, जो कई व्यवसायों के लिए उपयोगी है, व्यक्ति बहुत ही ज्ञानी शिक्षक और आलोचक है और चीजों को बेहतर बनाने के लिए अपनी सलाह देता है. शुक्र ग्रह कभी हार न मानने या बार-बार कोशिश करने की अच्छी भावना देता है जब तक कि कोई व्यक्ति वह न पा ले जो वह चाहता है. ग्रह द्वारा आशीर्वादित लोगों में आत्म-प्रेरणा का स्तर बहुत अधिक होता है और वे दूसरों को जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं.  लेकिन अतिचारी होने पर ये सभी बातें कमजोर पक्ष में दिखाई देती हैं. इन शुभताओं पर अतिचारी शुक्र का असर पड़ता है.

अतिचारी शनि 

अतिचारी शनि की स्थिति शनि के द्वारा मिलने वाले सभी प्रभावों को कमजोर कर सकती है. शनि अनुशासन, जिम्मेदारी और कड़ी मेहनत से जुड़ा है. यह जीवन के सबक, कर्म और धीरज का प्रतीक है. अच्छी तरह से स्थित शनि अनुशासन, दृढ़ता और बाधाओं को दूर करने की क्षमता ला सकता है. यह व्यावहारिकता और एक मजबूत कार्य नैतिकता को प्रोत्साहित करता है.नकारात्मक रूप से प्रभावित शनि सीमाओं, देरी या जीवन पर निराशावादी दृष्टिकोण को जन्म दे सकता है. ऎसे ही अतिचारी होने पर भी शनि अनुकूल परिणाम देने में कमजोर होता है.

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शुक्र का धनु राशि में गोचर 2025 : प्रतिभा में आएगा निखार

शुक्र का धनु राशि में गोचर : प्रतिभा में आएगा निखार 

शुक्र का गोचर धनु राशि में होने पर शुक्र का प्रभाव अब काफी गतिशील दिखाई देने लगता है. इस समय के दौरान नई चीजों को अपनाना आसान होता है. कुशलता अच्छी होती है. रचनात्मक हों या बौद्धिक काम हों दोनों ही बेहतर तरीके से कर पाते हैं. 

शुक्र का धनु राशि में कब होगा गोचर ? 

20 दिसंबर 2025 को सुबह 07:44 पर शुक्र का प्रवेश धनु राशि में होगा और गोचर का प्रभाव फलित होगा.  शुक्र का वृश्चिक राशि से निकल धनु राशि में जाना एकाग्रता और लक्ष्यों को पाने के लिए प्रतिभा को बढ़ाता है. 

शुक्र के धनु राशि परागमन के कारण 12 राशियों पर असर 

मेष राशि के लिए धनु राशि में शुक्र का गोचर 

मेष राशि के लिए यह गोचर भाग्य भाव में वृद्धि देने वाला होगा. आध्यात्मिक रुप से कई क्षेत्रों में शामिल हो पाएंगे. कल्पना शक्ति अच्छी होने वाली है. किसी रचनात्मक गतिविधियों में शामिल हो पाएंगे. नवीन विचारों और विचारों को लेकर अच्छी क्षमता होने वाली है.

आपका सोशल संपर्क भी बढ़ सकता है. दूसरों के साथ आपकी बातचीत बढ़ सकती है. कुछ सकारात्मक पहलुओं के बाद भी कुछ बातों पर सजग बावजूद, सावधान रहें, क्योंकि एकाग्रता और ध्यान की कमी आपके प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती है. अपने कार्यों को समय पर पूरा करने के लिए विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित करना और प्रभावी प्राथमिकताएँ निर्धारित करना आवश्यक है.

वृष राशि के लिए धनु राशि में शुक्र का गोचर 

वृषभ राशि वालों के आठवें भाव में शुक्र यौन उत्तेजना को बढ़ा सकता है. मन में कई तरह की कामनाएं बढ़ सकती हैं. इस महीने जीवन के कुछ पक्षों में बाधा और देरी का प्रभाव पड़ सकता है. इसलिए आत्मविश्वास बनाए रखें जिससे समाधान खोजने में सक्षम होंगे.

अपने आस-पास के लोगों के साथ बहस से बचने के लिए अपने संचार में सावधानी और विनम्रता बरतें. यदि कोई विशिष्ट मुद्दा आपको परेशान कर रहा है, तो कृपया उसे अपने तक ही सीमित रखने के बजाय खुली बातचीत करें, क्योंकि इससे व्यवहार्य समाधान निकल सकते हैं.

मिथुन राशि के लिए धनु राशि में शुक्र का गोचर 

मिथुन राशि के लिए यह गोचर विवाह और साझेदारी के घर में होगा. अपनी बातों को आगे बढ़ाने और अधिक उत्कृष्ट स्थिरता प्राप्त करने की दिशा में अतिरिक्त प्रयास करने होंगे. इस समय पर महत्वपूर्ण मामलों पर करीबी लोगों के साथ अलग-अलग राय होने की संभावना है. कुछ क्षेत्रों में थोड़ा अधिक लचीला होना, कठोर या मुखर होने से बचने के लिए उचित है.  

कर्क राशि के लिए धनु राशि में शुक्र का गोचर 

कर्क राशि के लिए धनु राशि में शुक्र का गोचर गलत आदतों से मुक्त होने का समय होगा. स्वास्थ्य, व्यक्तित्व और सामाजिक प्रतिष्ठा को प्रभावित करने वाला समय होगा. व्यक्तिगत पहलुओं में कुछ नई चीजें शामिल होंगी. प्रतिस्पर्धा का समय है लेकिन साथ ही जीत की भी संभावनाएं होंगी. प्रेम संबंधों में अंतरंग मामलों पर विशेष ध्यान देने वाले हैं. इस समय गहरी समझ बढ़ेगी. दिखावे से परे जाने और वास्तविकताओं को समझने का समय होगा. 

सिंह राशि के लिए धनु राशि में शुक्र का गोचर 

सामाजिककरण और नेटवर्किंग के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनी हुई हैं; आप इन गतिविधियों में अत्यधिक व्यस्त हो सकते हैं. आर्थिक रूप से, आप कुछ उतार-चढ़ाव की उम्मीद कर सकते हैं, और तुच्छ मामलों पर फिजूलखर्ची न करने के लिए सावधान रहें. आपका आवेगी स्वभाव तत्काल वरिष्ठों के साथ संबंधों को खराब कर सकता है, इसलिए अपनी बातचीत में सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है.

कन्या राशि के लिए धनु राशि में शुक्र का गोचर 

कन्या राशि के लिए धनु राशि में शुक्र का गोचर के कारण चीजें अब बदलती नजर आएंगी. अधिक मिलनसार हो सकते हैं. बाहर की चीजों से अधिक आकर्षित होंगे. अपने आस-पास के लोगों के जीवन में रुचि लेंगे. उत्साहित और रोमांचकारी महसूस करेंगे.

ऐसी चीजें जो आपकी धारणा के द्वार खोल सकती हैं और आपकी सोच को आगे ले जाने वाली होगी. नई चीजें भी आकर्षित करने लगेंगी. इधर-उधर की बातों में उलझने के बजाय, अपने दृष्टिकोण में स्पष्ट रहेंगे और सीधे मुद्दे पर अधिक ध्यान दें. 

तुला राशि के लिए धनु राशि में शुक्र का गोचर 

यह उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक अनुकूल अवधि है जिन्हें शायद अनदेखा किया गया हो. यह गोचर विशेष रूप से विदेशी परियोजनाओं और विदेश यात्रा के लिए फायदेमंद है, जो आपको सही अवसर और सहायक व्यक्ति प्रदान करता है.

इस चरण के दौरान आपकी मानसिकता कल्पनाशील हो सकती है, विचारों में खोए रहने के क्षण हो सकते हैं. हालाँकि, सतर्क रहें, क्योंकि ध्यान की कमी से आपके काम को समय पर पूरा करने में देरी हो सकती है.

वृश्चिक राशि के लिए धनु राशि में शुक्र का गोचर 

वृश्चिक राशि के लिए धनु राशि में शुक्र का गोचर कई गतिविधियों में रुचि को बढ़ा सकता है. सामाजिक रुप से आगे रहेंगे और नए संपर्क सधेंगे. दोस्तों के सर्कल का विस्तार होने का समय होगा. इस समय कुछ ऎसे काम कर सकते हैं जो परंपरागत बातों से अलग होंगे सपनों और आदर्शों का पालन करने के लिए प्रेरित करेगा. इस अवधि को भविष्य के लिए एक इच्छा के बीज बोने के अवसर के रूप में मानें, क्योंकि एक सपना देखना इसके साकार होने की ओर पहला कदम है. 

धनु राशि के लिए धनु राशि में शुक्र का गोचर 

धनु राशि के लिए धनु राशि में शुक्र का गोचर अवधि में आकर्षण बढ़ेगा, जिससे सकारात्मकता की भावना बढ़ेगी. अधिक आशावादी दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ाना संभव होगा. लंबी दूरी की यात्रा हो सकती है और आपको दूर के स्थानों पर स्थित परियोजनाओं की ज़िम्मेदारियां सौंपी जा सकती हैं. सामने आने वाले किसी भी अवसर को अपने लिए काम में लाना अच्छे परिणाम देगा.  

मकर राशि के लिए धनु राशि में शुक्र का गोचर 

मकर राशि के लिए धनु राशि में शुक्र का गोचर आत्मविश्वास से भर देने वाला होगा. चुनौतियों का साहसपूर्वक सामना करेंगे, मुश्किल परिस्थितियों से कुशलता से निपटेंगे. संचार में सावधानी बरतें, क्योंकि गलतियां हो सकती हैं, जो संभावित रूप से पछतावे की स्थिति पैदा कर सकती हैं. अपने आस-पास के लोगों के साथ बहस में शामिल होने से बचना ही बेहतर होगा. 

कुंभ राशि के लिए धनु राशि में शुक्र का गोचर 

कुंभ राशि के लिए धनु राशि में शुक्र का गोचर अधिक स्वतंत्रत होकर काम करने की इच्छा देगा. आत्म-खोज की तलाश करेंगे और वास्तविक स्वरूप को पहचान पाएंगे. साथियों और वरिष्ठों दोनों से स्वीकृति की इच्छा प्रमुख होगी. दैनिक कार्यों को एक जैसा करने के बजाय, कुछ बदलाव लाना उचित होगा. अपने काम को अधिक सजगता के साथ करेंगे, सचेत रुचि लेंगे और प्रत्येक काम को सावधानीपूर्वक करना अच्छा होगा.  

मीन राशि के लिए धनु राशि में शुक्र का गोचर 

मीन राशि के लिए धनु राशि में शुक्र का गोचर  दृढ़ विश्वास और आत्म-विश्वास को देने वाला होगा. दृष्टिकोण में अधिक संतुलित होना बेहतर होगा. आप सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी मोड में होंगे और अपने विरोधियों और प्रतिद्वंद्वियों को चुप कराने में सक्षम होंगे. यह एक एक्शन से भरपूर चरण होगा, और कई परिस्थितियाँ आपके ध्यान की माँग कर सकती हैं.

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वृषभ राशि में गुरु वक्री 2024 : विचारों में होगा वक्रता का असर

बृहस्पति का वक्री होना एक ज्योतिषिय घटना है. वृष राशि में गुरु का वर्की होना अच्छी स्थिति नहीं है. गुरु के वृष राशि में वक्री होने की घटना व्यक्ति के जीवन में नए बदलावों का संकेत देती है. अब जिद ओर महत्वाकांक्षाओं को लेकर इच्छा शक्ति अधिक बढ़ जाती है. अभी तक जो बातें सही लग रही थी अब उनमें संदेह बढ़ सकता है. एक महत्वपूर्ण ग्रह होने के नाते, बृहस्पति वक्री होना जीवन में कई बड़े बदलाव लाने वाला होता है. आइए जानें गुरु के वक्री होने का सभी बारह राशियों पर क्या होगा प्रभाव. 

बृहस्पति वक्री कब होगा?

बृहस्पति 9 अक्टूबर 2024 बुधवार को वक्री हो जाएगा. बृहस्पति 4 फरवरी 2025 मंगलवार को मार्गी हो जाएगा.

बृहस्पति वक्री 2024 तिथि- 9 अक्टूबर 2024  

बृहस्पति वक्री 2024 समय- 12:33    

बृहस्पति वक्री होने से प्रत्येक राशि के लिए अलग-अलग परिणाम होंगे.

वक्री होने के प्रभाव व्यक्ति की जन्म कुंडली में ग्रह की स्थिति और स्थिति के आधार पर अलग-अलग होते हैं. अगर कोई बृहस्पति की महादशा, अंतर्दशा या प्रत्यंतरदशा से गुजर रहा है, तो जन्म कुंडली में बृहस्पति का वक्री होना मिलेजुले परिणाम देगा.

बृहस्पति वक्री होने के 2024 के लिए भविष्यवाणियां

वृषभ राशि में वक्री गुरु का मेष राशि पर असर 

मेष राशि, के लिए गुरु वक्री होने पर व्यक्तित्व, व्यवसाय और आत्म-अभिव्यक्ति को प्रभावित करेगा. इस वक्री समय अपनी पहचान को फिर से देखने और बेहतर ढंग से परिभाषित करने के लिए जोश मिलेगा. प्रतिस्पर्धी दुनिया में खुद को कैसे पेश करते हैं, इस पर सोच विचार होगा. कार्यस्थल पर, वक्री बृहस्पति के प्रभाव के कारण, काम के तरीकों और पूर्व में लिए गए निर्णयों पर सवाल उठ सकते हैं. इस समय बदलाव करने और नई दिशाओं पर विचार करने के लिए उत्साह मिलेगा. 

वृषभ राशि में वक्री गुरु का वृषभ राशि पर असर 

वृषभ राशि वालों के लिए वक्री बृहस्पति आध्यात्मिकता का नया अध्याय लाएगा. आंतरिक शांति और पूर्णता पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे. कोई व्यवसाय है, तो व्यवसाय प्रभावित हो सकता है और स्थिरता आएगी. निजी जीवन में स्वतंत्रता और अधिक स्थान की इच्छा होगी.अपने पुराने मित्रों के साथ बातचीत का दौर शुरु होगा. इस वक्री गति के दौरान, आप अपने मानसिक शांति की तलाश के लिए आध्यात्मिक मान्यताओं को स्वीकार करेंगे. गुप्त रुप से इस पर काम करना चाहेंगे. 

वृषभ राशि में वक्री गुरु का मिथुन पर असर 

मिथुन राशि वालों के लिए बृहस्पति वक्री होने से स्थिति में आएंगे नए बदलाव. आत्मनिरीक्षण का मन अधिक होगा. कार्यस्थल पर नई नीतियाँ बनाने और अपने अंतर्ज्ञान के अनुसार काम करने के लिए यह एक बेहतरीन समय होगा. शत्रुओं से सावधान रहना होगा.  निजी जीवन में, आपसी संबंध प्रभावित होंगे. अपने साथी से भावनात्मक रूप से अलग महसूस कर सकते हैं, लेकिन चल रही समस्याओं को समझने के लिए यह सचेत रूप से किया जाएगा. सामाजिक रूप से अधिक सक्रिय हो सकते हैं. दीर्घकालिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करेंगे लेकिन निजी जीवन में समस्याएं होंगी.

वृषभ राशि में वक्री गुरु का कर्क राशि पर असर 

इस वक्री गुरु अवधि के दौरान, सामाजिक समूहों और समुदायों के योगदान पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं. भाई बंधु आपके घर आ सकते हैं. यात्रा की योजना बना सकते हैं. कार्यस्थल पर नेटवर्किंग से लाभ होगा. समूह परियोजनाओं में आपकी भागीदारी भी बढ़ेगी. करीबी लोगों के साथ दीर्घकालिक लक्ष्यों की योजना बनाएंगे और उन्हें साझा करेंगे. कोई नया रिश्ता उम्मीदों से अलग चल रहा है  रिश्तों में कुछ नए खुलासे हो सकते हैं, जो सहज नहीं लगेंगे. सार्वजनिक छवि के प्रति भी सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि कुछ दुश्मन या सहकर्मी आपकी प्रतिष्ठा को कम करने की कोशिश कर सकते हैं.

वृषभ राशि में वक्री गुरु का सिंह राशि पर असर 

सिंह राशि के लिए बृहस्पति का वक्री होना आपके करियर मार्ग और सार्वजनिक छवि को प्रभावित करेगा. परिवार में कुछ नए मुद्दे चर्चा का विषय हो सकते हैं. इस वक्री समय के दौरान महत्वाकांक्षाओं और उन्हें प्राप्त कैसे किया जाए इस पर विचार तेज होगा. कार्यस्थल पर कार्य संस्कृति और वातावरण को लेकर वरिष्ठों और बॉस के साथ कुछ विवाद हो सकते हैं. पारिवारिक जीवन, घर में तीखी बहस के संकेत हैं. रिश्ते में पार्टनर को एक-दूसरे की महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करने के तरीके खोजने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, साथ ही एक मजबूत भावनात्मक संबंध बनाए रखना चाहिए.

वृषभ राशि में वक्री गुरु का कन्या राशि पर असर 

कन्या राशि वालों के लिए बृहस्पति वक्री होने पर विचारों में बदलाव आएगा. इसका असर उच्च शिक्षा और काम के कारण यात्रा की योजनाओं पर पड़ेगा. धर्मार्थ गतिविधियों या स्वयंसेवी कार्यों में शामिल होना दूसरों की मदद करने से संतुष्टि का एहसास हो सकता है. इस वक्री स्थिति के दौरान चली आ रही मान्यताओं के बारे में सोच सकते हैं, चाहे वे व्यक्तिगत, राजनीतिक, करियर या धार्मिक हों, और समझ में नई मान्यताओं को शामिल करने का प्रयास कर सकते हैं. वक्री बृहस्पति के प्रभाव के कारण, उच्च शिक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, खासकर यदि वे विदेश जाने की योजना बना रहे हैं.

वृषभ राशि में वक्री गुरु का तुला राशि पर असर 

तुला राशि वालों के वक्री गुरु का प्रभाव नए मौके देने वाला होगा. नए काम में शामिल हुए हैं, तो उन्हें एक मजबूत आधार बनाने और अपने कौशल को निखारने की आवश्यकता हो सकती है. निजी जीवन में, यदि कोई समस्या या बातचीत संबंधी समस्या चल रही हैं, तो रिश्ते में शांति और स्थिरता लाने के लिए विविध दृष्टिकोणों को अपनाने और एक-दूसरे से सीखने का प्रयास करें. कार्यस्थल पर, यह आपके वरिष्ठों और बॉस के साथ अधिक जुड़ने की कोशिश से आने वाले समय में लाभ मिलेगा. प्रेम संबंध इस समय कुछ कमजोर होंगे विश्वास की कमी उत्पन्न हो सकती है.

वृषभ राशि में वक्री गुरु का वृश्चिक राशि पर असर 

वृश्चिक राशि वालों के लिए वक्री गुरु व्यक्तिगत जीवन में परिवर्तन का वादा करता है. यह धन को प्रभावित करेगा और आपके रिश्ते में अधिक अंतरंगता लाएगा. इस वक्री गति के दौरान, उन चीजों पर काम करना शुरू कर सकते हैं जो सशक्तीकरण और विकास की भावना लाने वाली होंगी. निजी जीवन में, यह समय जीवनसाथी के साथ अधिक घनिष्ठ संबंध की ओर ले जाएगा. अपने रिश्तों के साथ नए भावनात्मक आयामों और भावनाओं की खोज भी करेंगे. प्रभावशाली रुप से अधिकारों का उपयोग करना, सकारात्मक संचार करने का एक उत्कृष्ट समय हो सकता है.

वृषभ राशि में वक्री गुरु का धनु राशि पर असर 

धनु राशि वालों के लिए बृहस्पति वक्री का प्रभाव संबंधों, व्यावसायिक जीवन, वाणी और लहजे को प्रभावित करेगा. इस वक्री गति के दौरान, स्वयं के रिश्तों और व्यावसायिक संबंधों में अपनी सीमाओं को आगे बढ़ा सकते हैं. नया उत्साह और अपनी प्रतिबद्धताओं के प्रति नया दृष्टिकोण होगा. कार्यस्थल पर, आराम से बातचीत करने और क्लाइंट संबंधों को बनाए रखने में कामयाब होंगे. व्यवसाय के भविष्य की संभावनाओं को लेकर व्यापारिक साझेदारों के बीच मतभेद हो सकते हैं.विवाहित लोगों को उतार-चढ़ाव का अनुभव होगा, लेकिन कोशिशों से संतुलित और पारस्परिक रूप से सहायक संबंध बनाने की कोशिश करेंगे.

वृषभ राशि में वक्री गुरु का मकर राशि पर असर 

मकर राशि वालों, के लिए गुरु का वक्री प्रभाव काम करने के तरीके को बदलने वाला होगा. आप इस दौरान अपने शेड्यूल को व्यवस्थित करेंगे और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे.रिश्तों में रहने वाले अपने साझा लक्ष्यों पर चर्चा कर सकते हैं और व्यक्तिगत विकास पर काम कर सकते हैं. इस वक्री गति के दौरान समय, ऊर्जा और सेहत को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए अपने में आवश्यक बदलाव करेंगे. खुद को अपने अंतर्ज्ञान का पालन करते हुए पा सकते हैं. नौकरी में भारी बदलाव हो सकते हैं, जिसके लिए आपको तैयार रहना चाहिए.

वृषभ राशि में वक्री गुरु का कुम्भ पर असर 

बृहस्पति का वक्री होना बेहतर आत्म-अभिव्यक्ति और रचनात्मक दृष्टिकोण लाएगा. यह बुद्धि को भी प्रभावित करेगा, अपने काम में हाल ही में हुए बदलावों पर विचार करने के साथ आकलन करने से दक्षता और जीवन शक्ति प्राप्त होगी. कार्यस्थल पर आपको ज़्यादा स्वतंत्रता और दूसरों के साथ बेहतर तालमेल बनाने की कोशिश करनी होगी. निजी जीवन में, अपने साथी के साथ ज़्यादा समय बिताने से रिश्तों में दूरी कम होने लगेगी. 

वृषभ राशि में वक्री गुरु का मीन राशि पर असर 

गुरु के वक्री समय के दौरान, अपने बारे में कुछ ऐसा अनोखा खोज सकते हैं, जिस पर आपने अभी तक ध्यान नहीं दिया है. यह खुद पर ज़्यादा रचनात्मक और विश्लेषणात्मक रूप से काम करने में मदद करेगा. कार्यस्थल पर, वक्री गति की शुरुआत में, चीजों को लेकर भ्रमित महसूस कर सकते हैं. ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएंगे, लेकिन दूसरे भाग में, बौद्धिकता का अधिक कुशलता से उपयोग करने और बेहतर समाधान और रणनीति विकसित करने में कामयाब होंगे. संतान की योजना बना रहे हैं, तो उन्हें वक्री अवधि के उत्तरार्ध तक प्रतीक्षा करनी चाहिए क्योंकि कुछ व्य्वधान अभी रह सकते हैं. बृहस्पति वक्री होने पर रिश्तों को भावनात्मक रुप से बदलेगा पारिवारिक जीवन में परिवर्तन लाएगा.

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